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रैदास के पद
रैदास के पद
प्रश्नोत्तर
QUESTION
1. कवि ने स्ियं को पानी मानकर प्रभु को क्या माना है ? रै दास के पद' के आधार पर लिखिए।
4. कवि रै दास ने सोने ि सहु ागे की बात ककस संबंध में कही है ि क्यों?
6. रै दास द्िारा रचित 'अब कैसे छूटे राम नाम रट िागी' को प्रनतपाद्य लिखिए।
7. कवि रै दास ने अपने पद के माध्यम से तत्कािीन समाज का चित्रण ककस प्रकार ककया है ?
8. रै दास के प्रभु में िे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो उन्हें अन्य दे िताओं से श्रेष्ठ लसद्ध करती हैं ?
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ANSWER
2. रै दास के स्िामी ननराकार प्रभु हैं। िे अपनी असीम कृपा से नीि को भी ऊँि और अछूत को महान बना दे ते
हैं।
3. रै दास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जजन्हें अपने आराध्य को दे िने से असीम िश
ु ी लमिती है । कवि ने ऐसा
इसलिए कहा है , क्योंकक जजस प्रकार िन में रहने िािा मोर आसमान में नघरे बादिों को दे ि प्रसन्न हो जाता
है , उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को दे िकर प्रसन्न होता है ।
4. सोने ि सुहागे का आपस में घननष्ठ संबंध है । सुहागे का अिग से अपना कोई अजस्तत्ि नहीं है । ककं तु जब
िह सोने के साथ लमि जाता है तो उसमें िमक उत्पन्न कर दे ता है ।
5. कवि ने 'गरीब ननिाजु' अपने आराध्य प्रभु को कहा है , क्योंकक उन्होंने गरीबों और कमजोर समझे जाने िािे
और अछूत कहिाने िािों का उद्धार ककया है । इससे इन िोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँिा स्थान
लमि सकता है ।
6. रै दास द्िारा रचित 'अब कैसे छूटे राम नाम रट िागी' में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़
पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एिं अनन्य भजक्त भािना प्रकट की है । इसके अिािा उसने िंदन-
पानी, दीपक बाती आदद अनेक उदाहरणों द्िारा उनका साजन्नध्य पाने तथा अपने स्िामी के प्रनत दास्य भजक्त
की स्िीकारोजक्त
7. कवि रै दास ने अपने पद 'ऐसी िाि तुझ बबनु कउनु करे में सामाजजक छुआछूत एिं भेदभाि की तत्कािीन
जस्थनत का अत्यंत मालमयक एिं यथायय चित्र िींिा है । उन्होंने अपने पद में कहा है कक गरीब एिं दीन-दखु ियों
पर कृपा बरसाने िािा एकमात्र प्रभु है । उन्होंने ही एक ऐसे व्यजक्त के माथे पर छत्र रि ददया है , राजा जैसा
सम्मान ददया है , जजसे जगत के िोग छूना भी पसंद नहीं करते । समाज में ननम्न जानत एिं ननम्न िगय के
िोगों को नतरस्कारपूणय दृजष्ट से दे िा जाता था, ऐसे समाज में प्रभु ही उस पर द्रवित हुए। कवि द्िारा नामदे ि,
कबीर, बत्रिोिन, सधना, सैन आदद संत कवियों का ददया गया उदाहरण दशायता है कक िोग ननम्न जानत के िोगों
के उच्ि कमय पर विश्िास भी मुजश्कि से करते थे। इसलिए कवि को उदाहरण दे ने की आिश्यकता पड़ी। इन
कथनों से तत्कािीन समाज की सामाजजक विषमता की स्पष्ट झिक लमिती है ।
4. दीन दखु ियों ि शोवषतों की विशेष रूप से सहायता करते हैं। िे गरीब निाज हैं।
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QUESTION/ANSWER
1. पहिे पद में भगिान और भक्त की जजन-जजन िीजों से तुिना की गई है , उनका उल्िेि कीजजए।
3. पहिे पद में कुछ शब्द अथय की दृजष्ट से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए -
4. दस
ू रे पद में कवि ने 'गरीब ननिाजु' ककसे कहा है ? स्पष्ट कीजजए।
उत्तर:- दस
ू रे पद में 'गरीब ननिाजु' ईश्िर को कहा गया है । ईश्िर को 'ननिाजु ईश्िर' कहने का कारण यह है कक
िे ननम्न जानत के भक्तों को भी समभाि स्थान दे ते हैं , गरीबों का उद्धार करते हैं,उन्हें सम्मान ददिाते हैं, सबके
कष्ट हरते हैं और भिसागर से पार उतारते हैं।
5. दस
ू रे पद की 'जाकी छोनत जगत कउ िागै ता पर तुहीं ढरै ' इस पंजक्त का आशय स्पष्ट कीजजए।
उत्तर:- इस पंजक्त का आशय यह है कक गरीब और ननम्निगय के िोगों को समाज सम्मान नहीं दे ता। उनसे दरू
रहता है । परन्तु ईश्िर कोई भेदभाि न करके उन पर दया करते हैं, उनकीसहायता करते हैं, उनकी पीड़ा हरते हैं।
उत्तर:- रै दास ने अपने स्िामी को गुसईया, गरीब, ननिाजु, िाि, गोबबंद, हरर, प्रभु आदद नामों से पुकारा है ।
8. नीिे लििी पंजक्तयों का भाि स्पष्ट कीजजए 1. जाकी अँग-अँग बास समानी
उत्तर:- इस पंजक्त का भाि यह है कक जैसे िंदन के संपकय में रहने से पानी में उसकी सुगध
ं फैि जाती है , उसी
प्रकार एक भक्त के तन मन में ईश्िर भजक्त की सुगंध व्याप्त हो गई है ।
उत्तर:- इस पंजक्त का भाि यह है कक जैसे िकोर पक्षी सदा अपने िन्द्रमा की ओर ताकता रहता है उसी भाँनत
मैं (भक्त) भी सदा तुम्हारा प्रेम पाने के लिए तरसता रहता हूँ।
उत्तर:- इस पंजक्त का भाि यह है कक कवि स्ियं को ददए की बाती और ईश्िर को दीपक मानते है । ऐसा दीपक
जो ददन-रात जिता रहता है ।
उत्तर:- इस पंजक्त का भाि यह है कक ईश्िर से बढ़कर इस संसार में ननम्न िोगों को सम्मान दे नेिािा कोई नहीं
है । समाज के ननम्न िगय को उचित सम्मान नहीं ददया जाता है परन्तु ईश्िर ककसी भी प्रकार का भेदभाि नहीं
करते हैं। अछूतों को समभाि से दे िते हुए उच्ि पद पर आसीन करते हैं ।
उत्तर:- इस पंजक्त का भाि यह है कक ईश्िर हर कायय को करने में समथय हैं। िे नीि को भी ऊँिा बना िेता है ।
उनकी कृपा से ननम्न जानत में जन्म िेने के उपरांत भी उच्ि जानत जैसा सम्मान लमि
पहिा पद - रै दास के पहिे पद का केंद्रीय भाि यह है कक िे उनके प्रभु के अनन्य भक्त हैं। िे अपने ईश्िर से
कुछ इस प्रकार से घुिलमि गए हैं कक उन्हें अपने प्रभु से अिग करके दे िा ही नहीं जा सकता।
दस
ू रा पद - रै दास के दस
ू रे पद का केंद्रीय भाि यह है कक उसके प्रभु सियगुण संपन्न, दयािु और समदशी हैं। िे
ननडर है तथा गरीबों के रििािे हैं। ईश्िर अछूतों के उद्धारक हैं तथा नीि को भी ऊँिा बनाने की क्षमता
रिनेिािे सियशजक्तमान हैं।
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