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पाठ्यचयाा विकास MAED-205

डॉ मनीषा पंत
विक्षा िास्त्र विभाग
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय
प्रस्तािना
 किसी भी पाठयचयाा िी वैज्ञाकििता एवं उसिे उद्देश्यों िो जाििे िे पश्चात हमें यह किर्ाय
िरिा होता है कि उसिे उद्देश्यों िो प्राप्त िरिे िे किए िौि सी और कितिी कवषय वस्तु िी
पढ़ाई िी जािी चाकहए, साथ ही इस कवषय वस्तु िा चयि एवं सगं ठि किस प्रिार किया जाए
कजससे हमारे िक्ष्य िी प्राकप्त हो सिे ।
 पाठयचयाा द्वारा किक्षा िे उद्देश्यों िी पकू ता होती है। यह एि ऐसी साधि है जो छात्र तथा
अध्यापि िो जोड़ता है। अध्यापि पाठयचयाा िे माध्यम से छात्रों िे मािकसि, िारीररि,
िैकति, सांस्िृकति, संवेगात्मि, आध्याकत्मि तथा सामाकजि कविास िे किए प्रयास िरता
है।
पाठयचयाा का अर्ा (Meaning Of Curriculum)
 िरीिुिम िब्द िी उत्पकि िैकिि भाषा िे एि िब्द क्यरू रे Currere से हुई है कजसिा अथा है
Race Course दौड़ िा मैदाि । इस प्रिार पाठयचयाा वह दौड़ िा मैदाि है, कजस पर कवद्याथी
िक्ष्य िो प्राप्त िरिे िे किए दौड़ता है।
 पाठयचयाा िी आधकु िि अवधारर्ा िे अन्तगात हम िह सिते हैं कि किसी भी िक्षा किक्षर्
िे अन्तगात सैद्धाकन्ति और कियात्मि दोिों प्रिार िा ज्ञाि एि किकश्चत सीमा में छात्रों िो
कदया जाता है। उसे पाठयचयाा िहते हैं।
पररभाषाएँ

मुनरो के अनुसार-‘‘ पाठयचयाा में वे समस्त अिभु व किकहत है कजििो कवद्यािय द्वारा किक्षा िे
उद्देश्यों िी प्राकप्त िे किए उपयोग में किया जाता है”
“Curricu।um embodies a।। the experiences which are uti।ized by the schoo। to
attain the aim of education.” Munroe
माध्यवमक विक्षा आयोग- ‘‘ पाठयचयाा िा अथा िे वि उि सैद्धाकन्ति कवषयों से िहीं है जो
कवद्यािय में परम्परागत ढंग से पढ़ाए जाते हैं, वरि् इसमें अिभु वों िी वह सम्पर्ू ाता किकहत है
कजसिो छात्र कवद्यािय, िक्षा, पस्ु तिािय, प्रयोगिािा और खेि िे मैदाि तथा किक्षिों एवं
किष्यों िे अगकर्त अिौपचाररि सपं िा से प्राप्त िरता है। इस प्रिार कवद्यािय िा सम्पर्ू ा जीवि
पाठयचयाा हो जाता है। जो छात्रों िे जीवि िे सभी पक्षों िो प्रभाकवत िर सिता है। और
उििे सन्तकु ित व्यकित्व िे कविास में सहायता देता है।
पाठयचयाा के उद्देश्य Objectives

 पाठयचयाा ऐसी हो जो कि छात्रों िा बहुमख


ु ी कविास िर सिे ।

 पाठयचयाा िा उद्देश्य छात्रों िी रुकचयों, क्षमताओ ं तथा योग्यताओ ं िो


जागतृ िरिा हो।

 पाठयचयाा छात्रों िी अन्तकिाकहत िकियों िा कविास िर सिे ।

 पाठयचयाा िा उद्देश्य छात्रों में सामाकजि गर्


ु ों िा कविास िरिा हो।
 पाठयचयाा ऐसी होिी चाकहए कजससे छात्रों में िताव्य पािि िी भाविा िा कविास हो सिे ।
 पाठयचयाा िा एि मख्ु य उद्देश्य कवद्याकथायों में प्रजातन्त्र िी भाविा िा कविास िरिा हो।
कजससे वह भकवष्य में एि आदिा िागररि बि सिे ।
 पाठयचयाा िा उद्देश्य छात्रों िी िल्पिा िकि, कचन्ति, किर्ायि तथा तिा िकि िा कविास
िरिा होिा चाकहए।
 पाठयचयाा ऐसी हो कजससे छात्र अपिे जीवि िे मल्ू यों िा किमाार् िरिा स्वयं सीख सिें ।
पाठयचयाा के प्रकार Types Of Curricu।um

 िोर पाठयचयाा
 समेकित पाठयचयाा
 सैद्धाकन्ति पाठयचयाा
 किया िे कन्ित पाठयचयाा
 पिु संरचिात्मि पाठयचयाा
कोर पाठयचयाा

 िोर पाठयचयाा वह है, कजसमें बािि िो िुछ कवषय अकिवाया रूप से पढ़िे होते हैं। तो िुछ
कवषयों िा कवकवध कवषयों में से चिु ाव िरिा पड़ता है राष्रीय किक्षा िीकत 1986 में िोर
पाठयचयाा िो अकधि महत्व कदया है। पाठयचयाा इस बात पर बि देता है कि कवद्यािय
अकधि सामाकजि दाकयत्वों िो ग्रहर् िरे और सामाकजि रूप से िुिि क्षमतावाि
िताव्यपरायर् व्यकियों िा किमाार् िरें ।
 राष्रीय किक्षा िीकत 1986 में वकर्ात है कि िुछ कवषय अकिवाया एवं िुछ क्षेत्रीयता या भाषायी
कवषयों िो ऐकछछि रूप में होिा चाकहए। कजससे हम अपिे भारतीय समाज में िताव्यकिष्ठ एवं
पररश्रमी व्यकियों िा किमाार् िर सिे । इसिे द्वारा हमारे समाज में व्यकिगत एवं सामाकजि
समस्याओ ं िा अन्त हो सिे ।
 िोर पाठयचयाा व्यकि िो सामाकजि जीवियापि िरिे पर जोर देता है। िोर पाठयचयाा
बािि िे सामान्य कविास पर िे कन्ित है। इसकिए भारतीय समाज िी आवश्यिताओ ं िी
पकू ता हेतु िुछ कवषयों िो ध्याि में रखिा जरूरी है।
 िोितत्रं , भारतीय स्वतत्रं ता िा इकतहास तथा सभी वगों में समािता, स्थािीय भाषाओ ं िा
ज्ञाि, सामाकजि समता, धमा किरपेक्षता, पयाावरर् सरं क्षर्, जिसख्ं या, मािवाकधिार, सस्ं िृकत
एवं सभ्यता, राष्रीयता िी भाविा िो ध्याि में रखिर अकिवाया एवं ऐकछछि कवषय िा चयि
किया जािा चाकहए।
 कोर पाठयचयाा का परम उद्देश्य (Ultimate goal of Core Curricu।um)
मख्ु य पाठयचयाा िे उद्देश्य िे रूप में यह एि किक्षा िे व्यापि िक्ष्य तथा िोगों िो प्रभावी
ढंग से समिािीि समाज में रहिे िे किए सक्षम होिे िे िक्ष्य से सम्बकन्धत है। एि प्रमख ु
उद्देश्य हमारे छात्रों िो अपिे चिु े हुए पेिे में जीवि जीिे िे किए सक्षम होिा चाकहए
पाठयचयाा का आसन्न उद्देश्य (Proximate Purpose of Core Curriculum)
 यह पाठयचयाा मिोवैज्ञाकिि एवं बाि िे कन्ित होता है।
 इसमें कवकभन्ि प्रिार िे अकधगम अिभु व प्रयि
ु किए जाते हैं।
 इसिे अंतगात व्यापि किदेिि िायािम िी व्यवस्था रहती है।
 यह पाठयचयाा सबसे अकधि प्रचकित है।
 इसमें छात्रों में किक्षिों िे सम्बन्ध अकधि घकिष्ठ होते हैं तथा अध्ययि अध्यापि िे साथ-साथ
परामिा भी चिता है।
 यह पाठयचयाा मिोवैज्ञाकिि एवं बाि िे कन्ित होता है।
 इसमें कवकभन्ि प्रिार िे अकधगम अिभु व प्रयि
ु किए जाते हैं।
 इसिे अतं गात व्यापि किदेिि िायािम िी व्यवस्था रहती है।
 यह पाठयचयाा सबसे अकधि प्रचकित है।
समेवकत पाठयचयाा Inc।usive Curricu।um

 मकस्तष्ि एि इिाई है। मकस्तष्ि ज्ञाि िो छोिे-छोिे िुिड़ों में प्राप्त िहीं िरता है। बकल्ि उसे
पर्ू ा रूप में ग्रहर् िरता है। वही वस्तु या कवचार मकस्तष्ि में कस्थर होता है। जो पर्ू ा अथा देता है।

 एिीिृत पाठयचयाा से हमारा तात्पया उस पाठयचयाा से है कजसमें उसिे कवकभन्ि कवषय एि


दसू रे से इस प्रिार सम्बकन्धत होते हैं कि उििे बीच िोई अवरोध िहीं होता, बकल्ि उिमें
एिता होती है।इस प्रिार पाठ्यिमों िे कवकभन्ि कवषयों िे ज्ञाि िो कवकभन्ि खण्डों में प्रस्ततु ि
िरिे सब कवषय कमििर ज्ञाि िो एि इिाई िे रूप में प्रस्ततु िरते हैं।
 किक्षा िा उद्देश्य बाििों िो ज्ञाि िी एिता से पररकचत िरािा है। यह उद्देश्य कवषयों िो
अिग-अिग रूप में पढ़ािे से पर्ू ा िहीं हो सिता अथाात यह िाया तभी सम्पन्ि हो सिता है,
जब कवषयों िो एि दसू रे से सम्बकन्धत िरिे पढ़ा जाए ।

 कवकभन्ि कवषयों िो इस प्रिार परस्पर सम्बकन्धत किया जाए कि उििे बीच किसी प्रिार िी
दीवार ि हो। यह दाकयत्व किक्षि िा ही है। वह पाठयचयाा िे सभी कवषयों िो सम्बकन्धत िरे ,
पाठयचयाा िी सामग्री िा जीवि से सम्बन्ध स्थाकपत िरे ताकि प्रत्येि कवषय-सामग्री में भी
सह-सम्बन्ध स्थाकपत हो । इस प्रिार जो पाठयचयाा उि सभी प्रिार िे सम्बन्धों से यि
ु हो,
उसे ही ‘‘एिीिृत पाठयचयाा” िहते हैं ।
 इस पाठयचयाा िी सफिता िे किए किक्षि िो पयााप्त एवं व्यापि अध्ययि िी आवश्यिता
होती है।
 इसमें बाििों िो जीविोपयोगी किक्षा कमिती है।
 इसिे माध्यम से छात्र कवकभन्ि कवषयों िा ज्ञाि एि साथ प्राप्त िरते हैं।
 इस पाठयचयाा में ज्ञाि िो समग्र रूप में प्रस्ततु किया जाता है।
 इस पाठयचयाा में किक्षिों िा उिरदाकयत्व एवं िायाभार बढ़ जाता है।
 इस पाठयचयाा िा उद्देश्य पाठयचयाा िो अिभु व िे कन्ित बिािा होता है।
 इसमें छात्रों िी रुकचयों िो महत्व कदया जाता है।
 इसमें छात्रों िे पवू ा ज्ञाि से िवीि ज्ञाि िो सम्बंकधत िरिे में आसािी होती है।
 इस पाठयचयाा िा उद्देश्य बाििों िो ज्ञाि िी एिता से पररकचत िरािा है। यह उद्देश्य कवषयों
िो अिग-अिग पढ़ािे से पर्ू ा िहीं हो सिता अथाात यह िाया तभी सम्पन्ि हो सिता है
जबकि कवषयों िो एि दसू रे से सम्बकन्धत िरिे पढ़ाया जाये।
सैद्धावन्तक पाठयचयाा (Theoretica। Curricu।um)

 यह पाठयचयाा किक्षा िे प्रकत परम्परागत तथा सैद्धाकन्ति दृकििोर् रखता है। इसमें आदिा
जीवि िे कसद्धान्त एवं िैकति जीवि िे सैद्धाकन्ति रूप् से सम्बकन्धत िरिे उसिे कविास पर
बि कदया जाता है।
 प्राचीि िाि िे स्िूिों तथा भारतीय गरुु िुिों िे इस पाठयचयाा िा सत्रू पात किया तथा इसिे
अंतगात भाषाओ,ं दिाि, ज्योकतष, गकर्त, व्यािरर्, अध्यात्मिास्त्र, धमािास्त्र, िीकतिास्त्र
आकद कवषयों पर अकधि ध्याि कदया।
 इस प्रिार िे पाठयचयाा िा आज भी प्रचिि है परन्तु कदि-प्रकतकदि इसिी उपयि
ु ता पर प्रश्न
कचन्ह िगता जा रहा है। अतः इसिी उपयि ु ता धीरे -धीरे िम होती जा रही है।
 इसिे अन्तगात व्यकि, व्यकि िे सम्बन्धों, सामकू हि सम्बंधों तथा अंतः सामकू हि सम्बंधों िे
कविास से सम्बंकधत कस्थकतयों िो सकम्मकित किया जाता है। कजससे सामाकजि सहभाकगता िे
कविास िो सैद्धाकन्ति पाठयचयाा से जोड़ा जा सिे ।
 इसिे अन्तगात स्वास््य, बौकद्धि िकि, सौन्दयाात्मि अकभयकि, मल्ू यांिि तथा िैकति
िकियों िे कविास से सम्बंकधत कस्थकतयों िो स्थाि कदया जाता है।
 इस पाठयचयाा िे अंतगात स्वास््य, िागररिता, व्यावसाकयि ज्ञाि, गहृ सदस्यता तथा
अविाििािीि किया िो कविेष महत्व कदया जाता है।
 वातावरर् से सम्बंकधत िारर्ों एवं िकियों िे प्रकतकिया क्षमता से सम्बंकधत कस्थकतयां जैसे
प्रािृकति घििाओ,ं प्रौद्योकगिी से प्राप्त साधिों, आकथाि, सामाकजि एवं राजिैकति कस्थकतयों
िो स्थाि कदया जाता है।
 यह पाठयचयाा बाििों िी तात्िाकिि आवश्यिताओ ं एवं कहतों पर आधाररत है। ये
आवश्यिता एवं कहत जीवि िी स्थायी कस्थकतयों िे क्षेत्र में किकहत है।
विया के वन्ित पाठयचयााActivity Based Curricu।um
 किया िे कन्ित पाठयचयाा िा सत्रू पात प्रकसद्ध किक्षा िास्त्री पेस्िािॉजी तथा रूसो िे किया है।
परन्तु इसिे वास्तकवि प्रर्ेता प्रकसद्ध अमेररिी किक्षाकवद् जॉि डीवी थे।

 बाल्यावस्था में बािि किया प्रधाि िाया िरिे किक्षा प्राप्त िरिे में कविेष रुकच िेता है। अतः
प्राथकमि और माध्यकमि स्तर पर किया िे कन्ित पाठयचयाा िा किमाार् किया जाता है।
 किया िे कन्ित पाठयचयाा किया या िाया िो आधार बिाता है।
 इसिे अंतगात िक्षा िाया िे किए अन्तवास्तु िा चयि किक्षाकथायों िी अकभरुकचयों,
आवश्यिताओ,ं समस्याओ ं तथा अिभु व िे आधार पर किया जाता है
 प्रधाि पाठयचयाा में बाििों िे किए ऐसे िायों िा आयोजि किया जाता है। कजििा िुछ
सामाकजि मल्ू य हो तथा जो उििे सवांगीर् कविास में सहायि हो।

 इि िायों िा चिु ाव किक्षि और छात्रों िे परस्पर सहयोग से किया जाता है। तथा इसमें छात्रों
िी रुकचयों एवं आवश्यिताओ ं िा कविेष ध्याि रखा जाता है।
विया के वन्ित पाठयचयाा की वििेषताएं
 किया िे कन्ित पाठयचयाा अिभु व प्रधाि है।
 यह छात्रों िो जीवि िी व्यावहाररिता से अवगत िरािे पर बि देता है।
 इसमें कवद्याथी प्रमख
ु है और किक्षर् गौर् रूप में कवद्यमाि होता है।
 इसमें छात्र मकस्तष्ि प्रधाि होता है।
 किया िे कन्ित पाठयचयाा िरिे सीखिे पर बि देता है।
 किया िे कन्ित पाठयचयाा िा उद्देश्य छात्र िो व्यकिगत जीवि िी आवश्यिता हेतु
समथा बिािा है।
 किया िे कन्ित पाठयचयाा कवद्याथी िे कन्ित है।
 इस योजिा िे अंतगात कविकसत अकधगम - अिभु वों िी इिाईयााँ बाििों िे किए महत्वपर्
ू ा
एवं साथाि होती हैं।
 इसमें अन्तवास्तु िा चयि वतामाि उपयोकगता एवं महत्व िो ध्याि में रखते हुए किया जाता है।
 इसमें किक्षा िे अकधि व्यापि क्षेत्रों िो समाकहत िरिा सम्भव होता है, क्योंकि अकधगम-
अिभु वों में पयााप्त कवकवधता होती है।
पुनसंरचनात्मक पाठयचयाा –
Reconstructivistic Curricu।um

 पाठयचयाा पिु संरचिा िा प्रथम व्यापि प्रयास गााँधीजी िी बकु ियादी किक्षा िे माध्यम से
प्रारंभ तो हुआ परन्तु किकिि िाि में िोई प्रभाविािी िाया ि हो सिा। इसिे अन्तगात
हस्तििा िो िे न्ि माििर सम्पर्ू ा किक्षा प्रदाि िरिे िा प्रयास किया गया। हस्तििा िे साथ
साथ भौकति एवं सामाकजि पयाावरर् िो भी पाठयचयाा में स्थाि कदया गया। अध्ययि िे द्वारा
कवकभन्ि कवषयों में सह-सम्बन्ध स्थाकपत िरिे िा प्रयास किया गया।परन्तु पाठ्यचयाा किमाार् में
िई िकमयााँ पाई गई
 अतः माध्यकमि किक्षा आयोग िे स्वतंत्र िोितांकत्रि भारत िी आवश्यिताओ ं िे अिरू ु प
प्रचकित पाठ्यिम में व्यापि सधु ार िािे हेतु िई महत्वपर्ू ा सझु ाव कदये। कजिमें से िुछ प्रमख

सझु ाव इस प्रिार हैं-
 माध्यकमि स्तर सामान्य पाठयचयाा
 व्यावहाररि तथा तििीिी किक्षा िी आवश्यिता िी पकू ता हेतु बहुउद्देिीय कवद्याियों िी स्थापिा।
 किक्षा िी अवकध में पररवताि िािे िी आवश्यिता।

उद्देश्य :
 माध्यकमि स्तर पर पाठयचयाा िा उद्देश्य मािवीय ज्ञाि एवं अकभरुकच िे व्यापि क्षेत्र िे बारे में
बाििों िो अकत सामान्य ढंग से पररकचत िरािा होता है।

 यह स्तर कवकििता िे किए िहीं होता है, बकल्ि इस स्तर पर ज्ञाि िे व्यापि एवं साथाि क्षेत्रों से
बाििों िो सामान्य पररकचत िरािा चाकहए।
THANKS

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