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गंगाजल के सेवन से हो सकता है विभिन्न रोगों का उपचार?
गंगाजल के सेवन से हो सकता है विभिन्न रोगों का उपचार?
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Description इंटरनेशनल आयव
ु ेदिक मेडिकल जरनल में छपे एक पचे में भलखा गया है
की श्वास के 5 रोगगयों में 4 को गंगाजल लेने से लाि हुआ, उिर संबंधी
3 रोगगयों में 2 को लाि हुआ, जोडों के ििद में 1 को लाि हुआ और नींि
में 1 को लाि हुआ.
इंटरनेशनल आयुवेदिक मेडिकल जरनल में िॉक्टर वंिना बसंत बागडी और सुनीता सुनील
ननवाणी ने एक पचाद प्रकाभशत ककया है . िॉक्टर बागडी ककोला की सरर ज मल्टीस्पेशभलटी
हॉस्स्पटल में सोनोलौजेस्ट एवं फीटल मेडिभसन स्पेशभलस्ट है . िॉक्टर ननवाणी ककोला के ही
श्रीवास पंचकमद सेंटर में आयुवेदिक कंसलटें ट है .
Title िॉक्टर बागडी ककोला की सररज मल्टीस्पेशभलटी हॉस्स्पटल में सोनोलौजेस्ट एवं फीटल
मेडिभसन स्पेशभलस्ट है .
Description िॉक्टर बागडी ने ववभिन्न रोगों से पीडडत 5 रोगगयों को गंगाजल दिया. श्वास के 5
रोगगयों में 4 को गंगाजल लेने से लाि हुआ, उिर संबंधी 3 रोगगयों में 2 को लाि
हुआ, जोडों के ििद में 1 को लाि हुआ और नींि में 1 को लाि हुआ.
Title िॉक्टर ननवाणी ककोला की श्रीवास पंचकमद सेंटर में आयव
ु ेदिक कंसलटें ट है .
Description िॉक्टर ननवाणी द्वारा कुछ मरीजों को गंगाजल दिया गया. श्वास के 5 रोगगयों में 4
को गंगाजल लेने से लाि हुआ, उिर संबंधी 3 रोगगयों में 2 को लाि हुआ, जोडों के
ििद में 1 को लाि हुआ और नींि में 1 को लाि हुआ.
आपके द्वारा 5 क्रोननक रोगगयों का गंगाजल से उपचार ककया गया. इन्हें दिन में 2 बार नाक
से नबुलाइज़र से गंगाजल दिया गया और दिन में एक बार मुहँ से वपलाया गया. 2 माह तक
इनका उपचार ककया गया. साथ में इनकी जो वप्रस्स्क्रप्शन या जो पुरानी िवाएं थी वह
लगातार चलती रही. इससे पता लगता है कक इन 2 माह में जो सुधार हुआ वह वप्रस्स्क्रप्शन
िवाओं का नहीं था क्योंकक वह तो बहुत समय से चल ही रही थी और लाि नहीं भमला था.
इन िो माह में जो सुधार पाया गया वह गंगा जल के कारण ही था.
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र री रोगी मदहला 58 वर्द की थी. इन्हें 7 वर्द से कस्थमा था और 3 वर्द से खांसी थी. इन
िोनों रोगों में इन्हें लाि भमला लेककन जोड में ििद में इन्हें लाि नहीं भमला. इन्हें िरख नहीं
लगती थी. 2 माह तक गंगाजल लेने से इनका वजन 2 ककलो बढ़ गया. इनको नींि नहीं
आती थी. नींि में िी सुधार हुआ.
तीसरे रोगी पुरुर् 80 वर्द के थे. इन्हें 6 महीने से खांसी और जुकाम था स्जसमें 60% का लाि
हुआ. लेककन इन्हें नींि, पेट में एभसि, पेशाब के भलए बार-बार जाना और जोडों में ििद --इन
चारों समस्याओं में लाि नहीं भमला.
चौथी रोगी मदहला 45 वर्द की थी. इन्हें 12 वर्द से कस्थमा था स्जसमें 30% का लाि हुआ.
जोड में 5 वर्द से ििद था लेककन इसमें लाि नहीं हुआ.
पांचवीं रोगी मदहला 61 वर्द की थी. इन्हें 5 वर्द से जोडों में ििद था स्जसमें कुछ सुधार हुआ
लेककन नींि की इनको 6 माह से दिक्कत थी स्जसमें लाि नहीं हुआ.
इस प्रकार श्वास के 5 रोगगयों में चार को लाि हुआ. उिर संबंधी 3 रोगगयों में 2 को लाि
हुआ. जोडों में ििद में 1 को लाि हुआ और नींि में 1 को लाि हुआ. इससे पता लगता है
की श्वास और उिर रोगों में ववशेर्कर गंगाजल का लाि भमलता है . इसका कारण यह है कक
हमारे फेफडों और पेट में जो रोग कारक बैक्टीररया होते हैं उनको गंगाजल में उपलब्ध फ़ाज
नष्ट कर िे ते हैं. एलोपैगथक िॉक्टरी व्यवस्था में हम इन बैक्टीररया को एंटीबायोदटक से
मारने का प्रयास करते हैं लेककन ये बैक्टीररया रे स्जस्टें ट हो जाते हैं और रोगी का उपचार
कदिन हो जाता है .