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Hindi E Magazine 'SAVITHA' (October 2020-March 2021)
Hindi E Magazine 'SAVITHA' (October 2020-March 2021)
ं ी गृह पि का
अ टू बर 2020 - माच 2021
ºÉÆnäù¶É
सरकारी कामकाज म राजभाषा का योग बढ़ाने क दशा म
कायालय ारा कािशत हद
ं ी क पि का “सिवता” के नवीनतम अंक के
काशन पर अ यंत हष हो रहा है । यह िनतांत स य है क िवकट
प रि थितय म चुनौितय को वीकार करने पर ही सफलता िमलती ह,ै
कोरोना-काल म उ प प रि थितय एवं चुनौितय से उभर कर िजस कार
हमारा दश
े व िव आगे चल रहा ह,ै वह अ यंत ही सराहनीय है ।
पदािधका रय को बधाईयां ।
हद
ं ी भाषा को भी अपनाए । हद
ं ी का व प क ठन व ज टल तब हो जाता
है जब मूल काय हद
ं ी म न करके अनुवाद का योग कया जाता है । अत: मूल
काय हद
ं ी म करने का यास भी जारी रख ।
हा दक मंगल कामनाएं ।
मु य संपादक क कलम से...
कायालयीन हद
ं ी ई-पि का 'सिवता' का वष 2020-21 का ि तीय
अंक आप सभी सुधी पाठक के सम सादर तुत है । जहॉ तक िह दी क बात
ह,ै यह भारत के जनमानस म रची बसी भाषा है । आज के प रदृ य म दख
े तो
हम दख
े सकते ह क िह दी के वल राजभाषा तक ही सीिमत नह है अिपतु एक
वैि क भाषा के प म उभर गई है ।
जय िह द, जय िह दी ।।
अनु मिणका
उषा बट
व र लेखापरी ा अिधकारी
इं धनुष
घनघोर वषा के बाद िनकला
रं गीला एक इं धनुष यारा सा
आसमान क म ग म डालके संदरू
आया है इं धनुष सूनेपन को भगाने दरू
चार दन क है यह जंदगी
मुि कल तो आती जाती रहग
े ी
मु कु रा कर सफर पूरा करना है
कावट के सामने िह मत न हारना है
दपण का च ूह
स ता क कुं जी
दिेवका ए एन
सुपु ी जी सी नारायणन पो ी,
व र लेखापरी ा अिधकारी
अकेलापन
अजब सी भीड थी जमाने म
लेिकन हर कोई अ र से अकेला िनकला
खरीददार तो ब त थे ार के
पर ु दू कानदार ही िभखारी िनकला । अफसोस है खाट का धोबी ही ासा िनकला
दु िनया को उजाला करने चला था
चमक तो ब त थी इन पैसो ं म पर जलते िदए के नीचे ही
पर अपनापन खरीदने म नही ं अंधेरा िनकला अजब सी ।
धूंधला िनकला अजब सी
तलब तो हर िकसी को थी ास बुझाने की ।
साई कु मार जे.ए
व र लेखापरी क
अब हम पीछे मुडे ।
िहरण , गाय , हािथ या पशु शायद कु छ और जीव हो संकट दन
े ेवाली
लाि टक भूत ने सम त नदी और जल म भर दया कालु य महामारी से
बचकर, मां कृ ित के गोद म लोरी सुनने का अवसर बचाके रखने के िलए
अब हम पीछे मुडे ।
न द से उठने के तुरंत बाद, बेवजह का त उ झान से हटना चाहे तो,
हटकर हाथ-हाथ से िमलानेवली मै ी म खोकर, याद को संजोना चाहे तो
अब हम पीछे मुडे ।
हर जगह , न इधर न उधर, हर जगह आहार प म िमलनेवाले अनारो य से
बचकर, सि जय म फल म ाणा तक रसायन संजात, इन से बचकर
अब हम पीछे मुडे ।
फू ल व फल का चंद चुपने के िलए, रात म चं मां से सजी ठं डी रे त के टील
म बैठने के िलए
लॉकडाउन
भारत ाचीन काल से ही अनेकता म बाद उसके काम म भी गित होने लगी ।
एकता के िलए िव यात है । साथ ही साथ भारत म लॉकडाउण के बाद काम पर वापस जाते
मानव सामािजक ाणी के प म भी थािपत कया लडके और उसके माता-िपता के सामने एक दिुवधा
आ था । भारत म स दय से संयु प रवार क था उभर आयी क िप ला कसके पास रहग े ा । शु ई
चलती आ रही है । मानव धीरे -धीरे अनेक े म कानूनी लडाई क जे के िलए, मुकदमा और दायरा
िवकिसत होने लगा और िवकास म मगन होकर अपने फाईल कए गए । जैसे पोते के िलए करते हो वैसे ही
पा रवा रक और ाकृ ितक मू य से दरू होने लगे । न हे से िप ले के िलए मुकदमा चलाने के िलए तुले गए
इसके साथ-साथ वै ीकरण का असर भी हो गया तो थे ।
मानिवक िवचार भी हाथ से छू टने लगे । इसके
प रवार और यायालय म क जे क
प रणाम व प संयु प रवार उजडकर अणु कु टु ब
कारवाई जोश से चल रहा था, िप ला तो चंचल होता
बनने लगे । तब तो मां-बाप जीने लगे अपने ही तरीके
जा रहा था और उसके ऊपर चलनेवाले मुकदमा क
से और ब े अपनी ही दिुनया म खोने लगे । िवकास
उसको या खबर थी ।
का अहक ं ार सर पर चढने पर और खुद क लापरवाह
इतने म कहानी म ि व ट आया
करतूत के कारण दिुनया म जीना ही असहनीय हो
….ि थित बदल गयी… लॉकडाउण के बाद तुरंत
गया । इतने म कु दरत ने िनणय िलया क प रवतन
काय थल जाना अिनवाय नह था । िनणय इस िव
लागू करने का उिचत समय आ गया है । ऐसा आ
वष के बाद और िव तृत सव ण के बाद ही िलया
वेश एक महाशय का……. एक अणु वायरस
जाएगा । इस ि व ट से लडके और उसके माता-िपता
(कोिवड 19) और चल पडे मौजूदा ि थित को
क ख खुल गयी ।
िनयं ण म लाने । और आ गया लॉकडाउण का दौर
और नतीजा यह आ क एक अणु कु टु ब जो काम- िप ला तो छह महीने के अंदर ही बडा हो
काज के िलए दरू बसे आ था, संयु प रवार बन गया था । तब िप ले को घर के चार दीवार के भीतर
गया । साथ म खुशी-खुशी समय िबता रहे थे । इस रखना मुश कल होने लगा । इतने म तो सब िप ले को
खुशी के मौके पर िववाह यो य लडके के िलए र ते घर के तीसरे बेटे क तरह मानने लगे थे । ब ा तो
दख
े ना शु तो कया था ले कन लडके के सर पर काम ब ा ह,ै चाहे इं सान का हो या अ य जीव ज तु का ।
का बोझ मंडराने के कारण कु छ दन के अंदर ही खेलना-कू दना उसका अिधकार है और उससे वंिचत
अपने काय थल पर वापस जाने के िलए मजबूर हो रखना नाइं साफ होगी । घर के बुजुग ने उसके िलए
गए । तब उसके छोटे भाई का मानिसक तनाव शु एक उपाय बताया ….. िप ले को अपने जमीन-
आ । इसके िलए जो समाधान ताव उसने रखा था जायदाद वाले र तेदार को स पा जाए । घर के सब
क उसे एक पालतू िप ला चािहए …. इससे शु आ लोग इस फै सले से खुश हो गए ।
मां-बाप का तनाव क उनके छोटे घर म पालतू नए वातावरण म आते ही िप ले ने आर-
िप ला का दख े -भाल कै से हो सकता है । मगर लडके पार दखे े िबन, पंजरे से आजाद पंछी क तरह उछल
ने कसी भी क मत पर हािसल करके पालने का कठोर कू दकर खेलने लगा ।
िनणय िलया । ऐसे दोहरे मन से लडके के िच को एक महाशय के आगमन और लॉकडाउण ने
वीकार कया । मानव क आंख खोल दी और उसको यह िसखलाया
आया घर म एक न हा सा मेहमान, कु छ क कृ ित के िखलाफ कु छ करने का अंजाम अ छा
ही दन म घर के , पडोिसय के , र तेदार , िम के नह होगा और उसके साथ कं धे से कं धा िमलाकर
ख का तारा बन गया । लडका तो घर बैठे काम चलना ही जीने का उ म तरीका है ।
करता था (यािन क वक म हॉम ) और इस घटना के
योित
लेखापरी क
म हार ं
म हार .ं....
म बार-बार ं ।।
क मुड़के दख
े ोगे तू िजतनी बार पीछे
म उतनी बार ं
तू मुझे पार कर
कोई ार खोले बैठा है सामने
म तेरे सपन का एक छोटा सा आकार ं
म हार .ं....
म बार-बार ं ।।
क थक कर जब शरीर लगे कराहने
म धुन बनकर सवार ं
तुझे रोज ख च लूंगा पीछे
म जीत का ही आसार ं
म हार .ं.....
म बार-बार ं ।।
कभी दख
ु तो, कभी चुनौितय के िलए िज मेदार ं
पर मुझे गलत ना समझना
म जीत क पहली और आखरी तार ं
म हार .ं.....
म बार-बार ं ।।
मुझे जीत कर तो दख
े
जीत का ज ही कु छ और होगा
तू छू कर एक बार दख
े मुझे
म सफलता के पीछे छु पा आ
तेरा पूरा संसार ं
म हार .ं......
म बार-बार ं ।।
म हार .ं....
म बार-बार ं ।।
िह दी ई-गृह पि का 'सिवता' के
िपछले अंक का िवमोचन
हद
ं ी कहानी कल और आज
कथा सािह य का आधुिनक प और व तु दया । इस तरह कहानी अपने ारं िभक काल म ही
िव यास पि मी सािह य के भारत म आगमन के बा यथाथ और आंत रक अनुभूित के कला मक
बाद दखाई पड़ता है । िन य ही यह पि म के सि म ण को ौढ रचनाशील जमीन तैयार करने म
' फ शन' का पयाय है और सृजना मक बोध एवं समथ हो गई ।
रचना या क दिृ से भी उसीके समीप है । अं ेजी के पठन-पाठन के साथ ि क
आधुिनक हद ं ी कहानी का िवकास सं कृ त कथा वतं ता और पूंजीवादी जनतं का सवथा नया
सािह य परं परा म न होकर पा ा य सािह य िवचार दश े के बुि जीिवय के मन को आंदोिलत
िवशेषतया अं ेजी सािह य के भाव प म आ । करने लगा । वाधीनता क भावना बढने लगी । इस
भारत म ग का योग 19व शता दी के उ राध म नयी ि चेतना ने दश े के रचना मक सािह य पर
शु आ जब स ाधा रय को ापक जन समूह से गहरा भाव डाला । लोग का यान अपने प रवेश
संपक थािपत करने और उस तक अपनी बात क ओर गया । ि के इस नए सा ा कार ने भाव
प चं ाने क आव यकता महसूस ई । इसी दौर म और ई र पर भरोसा रखने क भावना पर चोट
हम भारतवािसय को पा ा य सािह य िवशेष प प चं ाई । रचनाकार क आंत रक और उसक िनजी
से उसक ग िवधा के संपक म आने का मौका पहचान आधुिनक युग क सां कृ ितक चेतना क कला
िमला जो िन य ही आधुिनक जीवन और िवचार से और सािह य क मु य दन े है । 19व शता दी के अंत
संयु थी । कहािनय क रचना का ारं भ भारतद ु तक भारतद ु युग के िनबंधकार के खर वर से
युग से आ । हद ं ी कहानी के संपूण िवकास को चार अ भुत दश े ेम और जातीयता क भाव धारा लोग
युग म बांटा जा सकता ह:ै को उ वल कर रही थी ।
1. भारतद ु युग बीसव शता दी के शु होते-होते दश
े मउ प
2. ि वेदी युग नई मानिसकता क रचना मक मता के साथ
3. साद व ेमचंद युग सािह य म कहानी िवधा का ारं भ आ । ेमचंद ने
4. वतमान युग अपने समकालीन अिधक भावशाली और संभावना
कई लोग इं सा अ लाह खान क 'रानी के तक यु लेखक के बीच से आगे का रा ता बना िलया ।
क कहानी' (1803 ई.) को हद ं ी क पहली कहानी जयशंकर साद ने इस दौर म अनेक कहािनयां िलखी
मानते ह, ले कन कहानी क वा तिवक िवकास । उनक कु छ भाव वण कहािनयां आज भी हद
ं ी
या ा बीसव शता दी के साथ ई । कशोरी लाल भाषा और सािह य क गौरवपूण रचनाएं ह ।
गो वामी और माधव साद िम ा (1900) से
सामंतवाद के टू टने क एक लंबी या ेमचंद
चलकर ेमचंद (1915) तक आते-आते कहानी एक
वा तिवक सािह य िवधा के प म सामािजक जीवन क रचना मकता का मूल आधार है । ेमचंद उद ू म
के सहज धरातल पर उतर आई । पहले िलख रहे थे । 1915 ई. म उनक पहली कहानी
जयराज म णूरान
सुपु ीमती राजम के लेखापरी क
रािधका टी वी
वर हद
ं ी अनुवादक
िफर से …
म वापस जाना चाहती ँ
मेरा बचपन दब
ु ारा जीना चाहती ँ
फर से पापा क परी बनना चाहती ँ
फर से म के आंचल से िलपटना चाहती ँ
फर से भैया क ऊंगली पकडना चाहती ँ
फर से वह बचपन जीना चाहती हँ ।
आवास इकाइयां अपूण रह । के एसएचबी ने सुिवधाएं नह थ । बेहतर प रणाम िनकालने के सामा य िश ा िवभाग
िनमाण क लागत को िनधा रत दर तक िलए एसटीडीडी के अधीन आईटीआई ारा दी
पैरा ाफ 4.5 परी ा भवन क छः मंिजला
सीिमत करने के िलए काम क गुणव ा के साथ जाने वाली सेवा को सुदढ़ृ कये जाने क
इमारत पर एक अ थायी अित र मंिजल के
भी समझौता कया। आव यकता ह।ै आईटीआई म उपकरण म कमी
िनमाण हत े ु पि लक इं शन के िनदश
े क के
दख
े ी गई, िजसम 6 ऐसे आईटीआई शािमल ह अिववेकपूण िनणय और लोक िनमाण िवभाग
गरीब शहरी िमक को कराए पर आवासीय
िज ह सटर ऑफ ए सीलस के प म उ त कए ारा िनमाण क संरचना मक मता का सही
लैट दान करने के उ े य से कराये क
जाने के िलए पहचान क गई ह।ै िसिवल काय िनधारण करने म ई िवफलता के
अिभनव आवासीय क म के अधीन लै स
के काया वयन म अ मता और प रसंपि के प रणाम व प संरचना के आंिशक प से
अपा लाभा थय को आवं टत कए गए थे ।
िनि य होने के कारण आईटीआई के उ यन म व त होने के कारण पये 2.35 करोड़ का
के एसएचबी के अधीन िव ीय बंधन ु टपूण बाधा उ प ई । आईटीआई पा म क िन फल य आ ।
था । िव ीय िववरण म साम ी का गलत मांग और नौक रय को ा करने क बढ़ी ई
िववरण था और इस तरह सरकार सिहत जल संसधन िवभाग
संभावना के बावजूद, भारत सरकार ारा
िहतधारक ारा उपयोग के िलए अनुपयु प रकि पत आईटीआई के आधुिनक करण और पैरा ाफ 4.6 के रल जल ािधकरण ने के रल
खात को तुत कया गया। उ यन को अभी तक ा कया जाना चािहए सरकार ारा िनधा रत शत का अनुपालन
कए िबना एक जलापू त योजना के िलए
था । पहचान क गई कमी को दरू कए जाने क
अनुपालन लेखापरी ा पाइपलाइन िबछाने के काम क शु आत क ।
आव यकता है ता क रा य म आईटीआई को
बाद म काम बंद कर दया गया, िजसके
चयिनत िवषय क लेखापरी ा आधुिनक और उ त बनाया जाए िजससे
प रणाम व प 8.50 करोड़ पये का िन फल
सुिनि त हो सके क िश ु रोजगार के
सरकारी औ ोिगक िश ण सं थान का य आ, इसके अलावा को लम जल आपू त
अवसर का लाभ उठाने के िलए बेहतर तरीके से योजना म एक अित र जल ोत दान करने
आधुिनक करण और उ यन
तैयार ह । म असमथता थी।
पैरा ाफ 4 . 1 के रल सरकार िश ण
िनदश
े ालय को औ ोिगक िश ण सं थान के
सजी कु मार
सहायक पयवे क
बस इतनी सी बात पर
बस इतनी सी बात पर
गलती हो गई मुझसे
जो तु ह समझ न सक
तो समझ आये तु ह भी
हार-जीत
सफलता का दस
ू रा श द है जीत और िवफलता का हार । जीवन क
दख
े कर अपनी एक नई पहचान बना सकता है । यह कसी को नह पता क
हमेशा हार-जीत को हस
ं ी-खुशी के साथ अपने जीवन का िह सा
मां
पहली बार जब मने दिुनया को दख
े ा,
तब वही एहसास आ क
दरूदिॄ जबाबदह
े ी, पारद शता और सुशासन को बढ़ावा
दत
े े ह और िहतधारक , िवधाियका, कायपािलका
भारत के सव लेखापरी ा सं था का
और जन सामा य को वतं िव ास दान करते ह
दिृ कोण दशाता है क हम या बनना चाहते ह :
क लोक िनिधय को द तापूवक एवं अिभ ेत
हम सावजिनक े लेखापरी ा एवं लेखाकरण म
उ े य के िलये उपयोग कया जाता है ।
े काय म एक वैि क अ णी और रा ीय व
लेखाकरण क उ गुणव ा के मा यम से हम