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सतत तथा ापक

मू यांकन
CONTINOUS AND FCOMPRESSIVE
EVALUTION

सतत तथा ापक मू यांकन (Continuous and


comprehensive evaluation) भारत के कूल म
मू यांकन के लये लागू क गयी एक नी त है जसे
२००९ म आर भ कया गया था। इसक आव यकाता
श ा के अ धकार के प र े य म आव यक हो गया था।
यह मू यांकन या रा य सरकार के परी ा-बोड
तथा के य मा य मक श ा बोड ारा शु क गयी
है। इस प त ारा ६व क ा से लेकर १०व क ा के
व ा थय का मू यांकन कया जाता है। कुछ व ालय
म १२व क ा के लये भी यह या लागू है।

इ तहास
भारत के मानव संसाधन वकास मं ालय और क य
मा य मक श ा बोड ने व ालय श ा े म सुधार
लाने के दनांक 20 सतंबर, 2009 को घो षत कया
क सतत और ापक मू यांकन (सीसीई) को सु ढ़
बनाया जाएगा और अ टू बर 2009 से क ा 9 के लए
सभी संब व ालय म उपयोग कया जाएगा। प रप
म आगे बताया गया था क वतमान शै क स 2009
-10 से क ा 9 और 10 के लए नई े डग णाली लागू
क जाएगी। दनांक 29 सतंबर, 2009 के प रप
सं या 40/29-09- 2009 म उ ल खत क ा के
लए लागू क जाने वाली े डग णाली के सभी ववरण
दान कए गए थे। सीबीएसई ने 6 अ टू बर, 2009 से
श क- श ण फॉमट म कायशाला के मा यम से
दे श भर म सतत तथा ापक मू यांकन श ण दे ना
आरंभ कया था।

सतत तथा ापक मू यांकन या है?


सतत तथा ापक मू यांकन का अथ है छा के
व ालय आधा रत मू यांकन क णाली जसम छा
के वकास के सभी प शा मल ह।

यह नधारण के वकास क या है जसम दोहरे


उ े य पर बल दया जाता है। ये उ े य ापक
आधा रत अ धगम और सरी ओर वहारगत
प रणाम के मू यांकन तथा नधारण क सततता म ह।
इस योजना म श द ‘‘सतत’’ का अथ छा क ‘‘वृ
और वकास’’ के अ भ ात प का मू यांकन करने पर
बल दे ना है, जो एक घटना के बजाय एक सतत या
है, जो संपूण अ यापन-अ धगम या म न मत ह
और शै क स के पूरे व तार म फैली ई है। इसका
अथ है नधारण क नय मतता, यू नट परी ा क
आवृ , अ धगम के अंतराल का नदान, सुधारा मक
उपाय का उपयोग, पुनः परी ा और वयं मू यांकन।

सरे श द ‘‘ ापक’’ का अथ है क इस योजना म छा


क वृ और वकास के शै क तथा सह-शै क दोन
ही प को शा मल करने का यास कया जाता है।
चूं क मताएं, मनोवृ यां और अ भ चयां अपने आप
को ल खत श द के अलावा अ य प म कट करती
ह अतः यह श द व भ साधन और तकनीक के
अनु योग के लए उपयोग कया जाता है (परी ा और
गैर-परी ा दोन ) तथा इसका ल य न न ल खत
अ धगम े म छा के वकास का नधारण करना हैः

ान
समझ / ापकता
लागू करना
व ेषण करना
मू यांकन करना
सृजन करना
आकलन
मापन
परी ा / परी ण

इस कार यह योजना एक पा चया संबंधी पहल


श है, जो परी ा को सम अ धगम क ओर
व था पत करने का यास करती है। इसका ल य अ छे
नाग रक बनाना है जनका वा य अ छा हो, उनके
पास उपयु कौशल तथा वां छत गुण के साथ शै क
उ कृ ता हो। यह आशा क जाती है क इससे छा
जीवन क चुनौ तय को आ म व ास और सफलता के
साथ पूरा कर सकगे।

मू यांकनो से  नकलने वाला अथ या होता



है

आकलन एक संवादा मक तथा रचना मक या


है, जसके ारा श क को यह ात होता है क वधाथ
का उ चत अ धगम हो रहा है अथवा नह ।
मू यांकन एक योगा मक या है जसके ारा कसी
पूव न मत शै क काय म अथवा पाठय म क
समा त पर छा क शै क उपल ध ात क जाती
है।

मापन आकलन मू यांकन क एक तकनीक है जसके


ारा कसी या पदाथ म न हत वशेषता का
आं कक वणन कया जाता है।

परी ा तथा परी ण आकलन/मू यांकन का एक


उपकरण/प त है जसके ारा परी ा/परी ण वह
या है जसके ारा मु य प से पाठय म के
ाना मक अनुभव कौशल क जांच क जाती है। तो
दो त इस तरह से इनके अथ नकलते है

और अ धक जाने सतत तथा ापक मू यांकन को


और और साथ इससे स ब ध रखने वाले सतत तथा
ापक मु यांकन के प दे खे

दाश नक आधार
श ा का ाथ मक योजन पु ष और म हला म पहले
से मौजूद स पूणता को कट करना है ( वामी
ववेकानंद), श ा का योजन ब चे/ का
च ँमुखी वकास करना है। 21व सद के लए
अंतररा ीय श ा आयोग क रपोट म यूने को ने
मनु य के जीवन के चार तर का उ लेख कया है, जैसे
भौ तक, बौ क, मान सक और आ या मक। इस
कार, च ँमुखी वकास के प म श ा का योजन
भौ तक, बौ क, मान सक और आ या मक तर म
येक ब चे क छु पी ई संभा ता का अनुकूलन
करना है। दे श म पहली बार सीबीएसई ने च ँमुखी
वकास के इस वशाल ल य को वहार म लाने का
यास कया।

समाज के येक े म वै ीकरण का श ा के लए


मह वपूण न हताथ है। श ा के बढ़ते वा ण यीकरण
को सव दे खा जा रहा है। अतः व ालय को व तु
बनाने और व ालय के लए बाजार संबंधी
संक पना के अनु योग और व ालय क गुणव ा
पर बढ़ते दबाव के त सतक रहने क ज रत है।
लगातार बढ़ते त पध प रवेश, जसम व ालय को
भी घसीटा जा रहा है, और माता- पता क बढ़ती उ मीद
ब च पर तनाव और चता का असहनीय भार डाल रही
ह, जससे ब त कम उ के ब च क गत वृ
और वकास पर वपरीत भाव पड़ रहा है और इस
कार उनके सीखने का आनंद कम हो रहा है।
छा क समझ, शै क ल य, ान क कृ त और एक
सामा जक थल के प म व ालय क कृ त
सै ां तक प के अनुसार क ा अ यास को मागदशन
दे ने म हमारी सहायता हो सकती है। इस कार
संक पना मक वकास संबंध को गहरा और समृ
करने और अथ के नए तर के अजन क सतत या
है। यह उन स ांत का वकास है क ब च का
ाकृ तक और सामा जक संसार होता है, जसम उनका
आपसी संबंध शा मल ह, जो उ ह यह समझाता है क
चीज ऐसी य है, इनके कारण और भाव के बीच
संबंध और नणय तथा काय करने के आधार या है।
इस कार मनोवृ यां, भावनाएं और मू य बोधा मक
वकास के अ वभा य ह से ह और यह भाषा के
वकास, मान सक दशन, संक पना और तक ष के
वकास से जुड़े ह।
जैस-े जैसे ब चे क भौ तक अवबोधा मक मताएं
वक सत होती ह वे अपनी मा यता के बारे म और
अ धक सजग हो जाते ह तथा उनक अपने अ धगम को
नयमन करने म स म बनते ह।

रा ीय पा चया परेखा- 2005


रा ीय पा चया परेखा- 2005 म न नानुसार
परी ा के सुधार ता वत कए गए थे-

‘‘वा तव म, बोड को 10व क ा क परी ा को


वैक पक बनाते ए एक द घ अव ध उपाय पर
वचार करना चा हए, इस कार छा (और ज ह
बोड का माण प नह चा हए) को उसी व ालय
म एक आंत रक व ालय परी ा दे ने क अनुम त
दान करनी चा हए।’’
उपरो के म म एनसीईआरट ारा 2006 म तुत
‘‘परी ा सुधार’’ पर थ त प के अनुसार -

‘‘वा तव म, हमारा वचार यह है क 10व क ा क


परी ा को वैक पक बनाया जाए। 10व क ा म
पढ़ने वाले ब चे जो उसी व ालय म 11व क ा म
पढ़ना चाहते ह और कसी ता का लक योजन के
लए उ ह माण प क आव यकता नह है तो उ ह
बोड परी ा के बजाय व ालय ारा आयो जत
परी ा म बैठने क वतं ता होनी चा हए।’’

य तः सतत तथा ापक मू यांकन के काया वयन म


नेतृ वकारी और अ णी भू मका दान करने के लए
सीबीएसई के यास एक मुख कदम ह, जो व ालय
का दजा बोड के समक भागीदार के प म लाने का
यास ह, जो बोड के नदष के अधीन व ालय ारा
जारी पृथक वतं माणप के मा यम से सावज नक
उपयोग हेतु छा क ा त तर का नधारण करते ह।

ऐसी अनेक परेखाएं ह जो ब चे के शै क तथा सह-


शै क े स हत उसके च ँमुखी वकास का
नधारण करने के लए एक साथक कायकारी परेखा
तैयार करने के लए संद भत क जा सकती ह।

(क) अंतररा ीय आयोग ने अ धगम के चार तंभ


क उपरो संक पना को व धत कया है, जैसे
सीखने के लए अ धगम - अ धगम के कौशल -
अ धगम क शै लयां, अ धगम क मनोवृ
करने के लए अ धगम - न पादन के लए कौशल
एक साथ रहने के लए अ धगम - अंतरवैय क
कौशल, व वधता और भ ता के लए सहनशीलता
और आदर
बनने के लए अ धगम - उ कृ ता के लए यास,
वयं सा ा कार के लए अ धगम।
(ख) ब योजन आसूचना- परेखा
भाषा व ान - संचार
ता कक - ग णतीय - नराकार, यां क ता ककता
सांगी तक - वाणी, वा , सांगी तक मनोवृ
ग तबोधक- खेल और ड़ाएं, नृ य और नाटक,
श प कला, मॉडल बनाना
अंतरा- गत (इ ा-परसनल) - तनाव बंधन,
सकारा मक और नकारा मक भावना का बंधन,
आन दायकता, आशावाद , आशा दता
अंतर-वैय क(इ टर-परसनल) - संबंध, दल के प
म काय, नेतृ व, सहयोग
पयावरण संबंधी - सुंदरता, नै तकता और मा यताएं,
बागवानी, आंत रक स जा
था नक - थान को समझना और व थत करना।
(ग) जीवन कौशल परेखा
आ म-जाग कता, समानुभू त, आलोचना मक
चतन, सृजना मक चतन, नणय लेना, सम या का
समाधान, भावी - सं ेषण, अंतर-वैय क संबंध,
दबाव के साथ सामंज य बैठाना और आ ोश के
साथ सामंज य बैठाना, संवेग पर नयं ण करना
(घ) मनोवृ यां, चयां और अ भ चयां

श ा का ल य ब च को समाज म ज मेदार, उ पादक


और उपयोगी सद य बनने के लए स म करना है।
अ धगम अनुभव ारा ान कौशल और मनोवृ य
का नमाण कया जाता है तथा व ालय म छा के
लए अवसर पैदा कये जाते ह। क ा म ही छा अपने
अनुभव का व ेषण और मू यांकन कर सकते ह,
शंका करना, पूछना, जांच पड़ताल करना और
वतं प से सोचना सीख सकते ह।
पा चया म मू यांकन का थान
एक पा चया का अथ है - सम ल य , पा म,
साम य , व धय और नधारण को मलाजुला कर
संपूण अ यापन - अ धगम काय म बनाना। सं ेप म
कहा जाए तो यह ान और मता क प रेखा
दान करता है, जसे एक वशेष तर पर उपयु माना
जाता है। पा म से योजन, अथ और मानक का
एक ववरण मलता है, जसक तुलना म
काय म क भावशीलता और छा ारा क गई
ग त क जांच कर सकता है। मू यांकन से न केवल
छा क ग त और उपल ध का मापन कया जाता है
ब क अ यापन साम ी और लेन-दे न म यु व धय
क भावशीलता को भी परखा जा सकता है। अतः
मू यांकन को भावी आपू त और अ यापन-अ धगम
या म सुधार के दोहरे योजन के साथ पा चया के
घटक के प म दे खा जाना चा हए।

योजना के उ े य
बोधा मक, साइकोमोटर और भावा मक कौशल के
वकास म सहायता करनाBBB
वचार या पर जोर दे ना और याद करने पर नही
मू यांकन को अ यापन-अ धगम या का
अ वभा य अंग बनाना
नय मत नदान और उसके बाद सुधारा मक अनुदेश
के आधार पर छा क उपल ध और अ यापन-
अ धगम कायनी तय के सुधार हेतु मू यांकन का
उपयोग करना
न पादन का वां छत तर बनाए रखने के लए
गुणव ा नयं ण के प म मू यांकन का उपयोग
करना
एक काय म क सामा जक उपयो गता, वांछनीयता
या भावशीलता का नधारण करना और छा ,
सीखने क या और सीखने के प रवेश के बारे म
उपयु नणय लेना
अ यापन और अ धगम क या को छा क त
ग त व ध बनाना।

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title=सतत_तथा_ ापक_मू यांकन&oldid=4938146" से
लया गया

Last edited 5 months ago by Isabelle Belato

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उ लेख


ना कया गया हो।

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