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य.ू पी.एस.सी.

तैयारी के दौरान अकसर यह जानना चाहते हैं कि


मझ ु े बनना है UPSC टॉपर पस् ु तकों और स्रोतों की सच ू ी हिंदी
माध्यम के य.ू पी.एस.सी. अभ्यर्थी अकसर यह जानना हम सिविल
सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान क्या पढ़ें और क्या न अपनी
समझ, अध्ययन और अनभ ु व के आधार पर पस् ु तकों एवं अन्य
यह सच ू ी तैयार की है । धार पर पस्ु तकों एवं अन्य स्रोतों की यह
सची न तो अंतिम है और न ही बेस्ट। इनमें से आप अपनी सारी
तैयारी के स्तर के मत ु ाबिक जोड़-घटाव कर सकते हैं। यह भी
ध्यान र सची संकेतात्मक है और इनमें से प्रत्येक स्रोत को
पढ़ना-दे खना अनिवार्य नहीं की

पस्
ु तकें
इतिहास-कक्षा 6 से 12 तक की NCERT, स्पेक्ट्रम की 'आधनिक
भारत का संक्षिप्त इतिहास' और बिपिन चंद्रा की 'आजादी के बाद
का भारत,

भगू ोल-कक्षा 6 से 12 तक की NCERT, इसके बाद यदि जरूरत


पडे तो महे श चंद्र बर्णवाल या माजिद हुसन
ै या जी.सी. लियोंग की
पस्
ु तक। साथ में ऑक्सफोर्ड या ब्लैकस्वान का स्कूल एटलस।

राज-व्यवस्था- भारतीय राज-व्यवस्था (एम. लक्ष्मीकांत) और


भारतीय शासन (एम. लक्ष्मीकांत)।

अर्थव्यवस्था-भारतीय अर्थव्यवस्था (रमेश सिंह या लाल एवं लाल


की पस्
ु तक), 9 से 12 तक की NCERT, सरकार द्वारा प्रकाशित
आर्थिक सर्वेक्षण और 'बजट'। वेबसाइट mrunal.org के वीडियो
लेक्चर।

पर्यावरण-NCERT और परीक्षा वाणी (इलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित


पारिस्थितिकी की पस्
ु तक।।

विज्ञान व प्रौद्योगिकी-छठी से 10वीं कक्षा तक की NCERT का


किताबें और करें ट अफेयर्स।

भारतीय संस्कृति-पष्ु पा बिष्ट सिन्हा (जवाहर बक


ु डिपो, दिल्ला)
नितिन सिंघानिया की किताब और फाइन आटर्स की NCERT की
पस्
ु तक भारतीय कला का इतिहास।

आंतरिक सरु क्षा-अशोक कुमार एवं विपल (टाटा मैक्ग्रा हिल से


प्रकाशित

अंतरराष्ट्रीय संबध
ं -समाचार-पत्र, मासिक पत्रिका और कभा
मंत्रालय की वेबसाइट mea.gov.in

भारतीय समाज-श्यामाचरण दब ु े (नेशनल बकु ट्रस्ट) पत्रिका और


कभी-कभी विदे श (शनल बकु ट्रस्ट) या राम आहूजा मझ ु े बनना है
UPSC टॉपर 65 की परु ु पस्तक और 11वीं-12वीं कक्षा की
समाजशास्त्र की NCERT की पस्ु तकें।
एथिक्स नीतिशास्त्र (Ethics)-मनोविज्ञान की NCERT की
पस्ु तक (सरसरी तौर पर), कुछ के लेखकों की किताबें। जनरल
रीडिंग है बिट । भारतीय दर्शन में वेदांत, बौद्ध, जैन दर्शन और
गांधी, नेहरू, टै गोर, अंबेडकर एवं विवेकानंद का दर्शन अच्छे से
समझ लें। वैसे, एथिक्स पर जी. सब्ु बाराव की पस् ु तक पढ़ सकते
हैं।

निबंध-
'निबंध दृष्टि' पस्
ु तक (डॉ. विकास दिव्यकीर्ति व निशान्त जैन)।
साथ ही फुरसत मिलने पर नेशनल बक ु ट्रस्ट और प्रकाशन
विभाग, सच ू ना व प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित विभिन्न
ज्ञानवर्धक पस्
ु तकें।

करें ट अफेयर्स
अखबार 'द हिंद'ू और
'दै निक जागरण' (राष्ट्रीय संस्करण), '
दै निक भास्कर' व
'दै निक हिंदस्
ु तान' भी पढ़ सकते हैं।
'बिजनेस स्टैंडर्ड' (हिंदी) का 'आर्थिक मद्
ु दे ' और संपादकीय पष्ृ ठ।

पत्रिकाएँ-भारत सरकार की पत्रिका 'योजना' और यदि समय मिले


तो 'कुरुक्षेत्र'। 'दृष्टि करें ट अफेयर्स टुडे' या विजन IAS मासिक
बक
ु लेट या 'क्रॉनिकल'। वक्त मिले तो 'फ्रंटलाइन' भी पढ़ सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा प्रकाशित 'इंडिया ईयर बक ु ' (भारत)। साथ ही
भारत सरकार की नवीनतम आर्थिक व सामाजिक कल्याणकारी
योजनाएँ अच्छी तरह तैयार कर लें। इसके लिए भारत सरकार के
विभिन्न मंत्रालयों की वेबसाइटें उपयोगी हैं। सोच और भाषा-शैली
के विकास के लिए-'अहा जिंदगी' और 'कादं बिनी" पत्रिकाएँ। इन्हें
फुर्सत के समय रूचि के अनरूु प पढ़ें ।

वेबसाइटें
india.gov.in,
newsonair.com,
pib.nic.in,
mrunal.org,
insightsonindia.com,
unacademy.in,
afeias.com,
myGov.in,
PRSindia.org.,
drishtiias.com .
gshindi.com
और भारत सरकार के विविध मंत्रालयों की वेबसाइटें ।

रे डियो-टी.वी.
आकाशवाणी, डी.डी. न्यज ू , राज्यसभा, टी.वी. और लोकसभा
टी.वी. । राज्य सभा टी.वी. के कार्यक्रम: दे श-दे शांतर, सरोकार
आदि विशेष रूप से उपयोगी हैं। मझ ु े बनना है UPSC टॉपर
शानमंत्री', 'संविधान समझ और दृष्टिकोण पन, समाज,
अर्थव्यवस्था व प्रामाणिक किताबें लखनेवाले कुछ मशहूर दे जे,
रजनी कोठारी, पताप भानु मेहता, फरसत में

टी.वी. सीरियलों-'सत्यमेव जयते', 'प्रधान और 'भारत : एक खोज'


के एपिसोड दे ख सकते हैं।

उपर्यक्त पस्ु तकों के अतिरिक्त मेरा मानना है कि अपनी समय के


विकास के लिए भारतीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति, प्रशासन,
समाज शासन व समकालीन इतिहास जैसे विषयों पर कुछ अच्छी
व प्रामाणिक फरसत मिलने पर पढ़ सकते हैं। उदाहरणतः इन
विषयों पर लिखनेवाले लेखक हैं-अमर्त्य सेन, रामचंद्र गह ु ा,
गरु चरण दास, ज्या द्रे जे, रजनी - श्यामाचरण दब ु े, कौशिक बस,ु
जगदीश भगवती, सन ु ील खिलनानी, प्रताप भान है नंदन
नीलेकणी, शशि थरूर, पी. साईनाथ आदि। इनकी बहुत सी
किताबों के हिंदी अनव ु ाद भी उपलब्ध हैं। यहाँ ध्यान रखें कि
उपर्युक्त पस्ु तकों को पटना अनिवार्य नहीं है : पर मेरी सलाह है कि
इनके लेखकों की पस् ु तकों में दो-तीन अपर पसंदीदा और रुचिकर
किताबें चन ु कर फुरसत में पढ़ डालें। पढ़कर अच्छा लगेगा। कछ
लोग तो यह भी कहते हैं कि य.ू पी.एस.सी. की तैयारी में क्या पढ़ें
जारी से भी ज्यादा जरूरी है यह जानना कि क्या न पढ़ें । इस संदर्भ
में , मेरी सलाह के कि आमतौर पर य.पी.एस.सी. की तैयारी के
दौरान गैर-प्रामाणिक और दोयम दर्ने अच्छे की अध्ययन सामग्री
से बचें । अच्छे और प्रामाणिक लेखक अमम ू न अच्छी किताबें ही
लिखते हैं। इसी तरह प्रतिष्ठित प्रकाशक भी किताबें छापते वक्त
अपनी साख और गण ु वत्ता से समझौता नहीं करते। भारत सरकार
की किताबें, पत्रिकाएँ, रे डियो, टी.वी. एवं वेबसाइटों का बेहिचक
और भरपरू प्रयोग करें । __साथ ही किताबों/पत्रिकाओं तक खद ु को
सीमित न रखें। सच ू ना क्रांति के इस यग ु में इंटरनेट का समचि
ु त
उपयोग करते हुए उत्कृष्ट वेबसाइटें विजिट करते रहें , साथ ही
आकाशवाणी, रे डियो, डी.डी. न्यज ू , राज्यसभा टी.वी. आदि को भी
फॉलो करना बेहतर विकल्प है । कुछ चर्चित धारावाहिकों जैसे
'प्रधानमंत्री', 'संविधान' और 'सत्यमेव जयते' के एपीसोड इंटरनेट
पर उपलब्ध हैं, जिन्हें फरसत में दे खकर आप बिना खास परिश्रम
के ढे र सारी काम की बातें समझ सकते हैं। और अब अंत में बात
करते हैं-'कैसे पढ़ें " की। मझ ु े पन
ु : यह कहना है कि पढ़ने का भी
कोई एक सर्वश्रेष्ठ तरीका नहीं है और सबके पढाई के तरीके आर
रणनीतियाँ अलग-अलग हो सकती हैं। य.पी.एस.सी. की परीक्षाओं
के विशेष सदन में बात करें तो मेरी समझ में पढ़ाई के तरीके को
इस प्रकार समझा जा सकता ह

1. किसी एक विषय या टॉपिक पर एक ही अध्ययन सामग्री को


पढ़ें । सामग्र समेटने की कोशिश करें , फैलाएँ नहीं। वरना रिवीजन
असंभव-सा हो जाए ग्रा को पढ़ें । सामग्री को 67 मझ
ु े बनना है

2. UPSC टॉपर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में समयबद्ध


रिवीजन का खासा महत्त्व है । लिहाजा साप्ताहिक रिवीजन करते
रहें और परीक्षा से ठीक पहले किन-किन टॉपिक्स का संक्षेप में
रिवीजन करना है , उन्हें भी तय कर लें।

3. जो कुछ भी जिस भी सामग्री से पढ़ें , उसे एक डायरी में नोट


जरूर कर लें। नियमित रिवीजन और परीक्षा पर्व ू रिवीजन में यह
डायरी बहुत काम आएगी।

4. नोट्स बनाने की आदत डालें। संक्षिप्त नोट्स बनाएँ। जहाँ


नोट्स बनाना संभव न हो, वहाँ अध्ययन सामग्री पर अंडरलाइन
या हाइलाइट कर सकते हैं।

5. समाचार-पत्रों/पत्रिकाओं के अति महत्त्वपर्ण


ू आलेखों की कतरनें
एक फाइल में लगा लेना बेहतर विकल्प है , क्योंकि अखबार और
पत्रिकाएँ दोबारा पढ़ पाना संभव नहीं हो पाता।

6. कुछ टॉपिक्स एक बार में सरसरी तौर पर पढ़ने से ही स्पष्ट हो


जाते हैं। उनका रिवीजन करने की आवश्यकता नहीं है ।

7. महत्त्वपर्ण
ू अध्ययन सामग्री को आत्मसात ् करने के दो या तीन
चरण हो सकते हैं। सबसे पहले उसकी सरसरी निगाह से रुचिपर्व ू क
रीडिंग। उसके बाद महत्त्वपर्ण
ू बातें हाइलाइट करते हुए विस्तत ृ
अध्ययन। अंतिम चरण है -टॉपिक से जड़ ु े सवालों का विश्लेषण,
उसके आयामों की खोज, बाकी पाठ्यक्रम से उसका अंतर्संबंध और
ग्रप
ु डिस्कशन।
8. 'ग्रप
ु डिस्कशन' का बड़ा फायदा है कि इससे टॉपिक्स कमोबेश
याद हो जाते हैं। कोशिश करें कि ग्रपु ज्यादा बड़ा न हो। केवल शांत
श्रोता बनकर सन ु ें नहीं, बल्कि कुछ टॉपिक्स खद ु भी औरों को
समझाएँ। आप पाएँगे कि आप उस टॉपिक के एक्सपर्ट हो गए हैं।

9. पढ़ने के साथ-साथ नियमित तौर पर लिखते भी रहें । जो लिखें,


उसे किसी सीनियर या शिक्षक को दिखाकर उनके इनपट् ु स लेते
रहें , ताकि नियमित तौर पर सध
ु ार हो सके। 'टे स्ट सीरीज' में भी
भाग ले सकते हैं।

10. एक कहावत है -“It is better to read one book for ten


times, than to read ten books for time.” कहने का अभिप्राय
है कि कम पढ़ें , पर ठीक से पढ़ें । बाजार में अध्ययन सामग्रियों की
भरमार है । उसमें खोने की आवश्यकता नहीं है । हर विषय के
अनरू ु प सामग्री चन
ु ें, उसे बार-बार दोहराएँ और लिखकर अभ्यास
करें । निश्चित तौर पर आप सफलता के बहुत करीब होंगे।

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