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मातृभूमि
भगवतीचरण वर्मा
५. मातृभूमि
भगवतीचरण वर्मा
भगवतीचरण वर्मा ( १९०३- १९८१ )
जन्म काल :- ३० अगस्त १९०३
जन्म स्थल :-उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव
पत्रिकाओं का संपादन :- ‘विचार’ और ‘नवजीवन’
उपन्यास :-१) अपने खिलौने २) पतन
३) तीन वर्ष ४) चित्रलेखा
५) भूले-बिसरे चित्र ६) टेढे़-मेढे़ रास्ते
७) सीघी सच्ची बातें ८)सामर्थ्य और सीमा
९) रेखा १०) वह फिर नही आई
११)सबहिं नचावत राम गोसाई १२)प्रश्न और मरीचिका
१३) युवराज चूण्डा १४) घुप्पल
कहानी-संग्रह :- १)मेरी कहानियाँ २) मोर्चाबंदी
कविता-संग्रह :- १)सविनय २)एक नाराज कविता
३) मेरी कविताएँ
नाटक :- १) वसीहत २) रुपया तुम्हें खा गया
संस्मरण :- अतीत के गर्भ से
साहित्यालोचन :- १) साहित्य के सिद्घातं २) रुप

‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से


सम्मानित। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त। भगवती चरण वर्मा को
साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया
गया था।
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम !
अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम!
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
तेरे उर में शायित गांधी , बुद्ध और राम ,
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
हरे-भरे हैं खेत सुहाने ,
फल-फू लों से युत वन-उपवन ,
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनियों का कितना व्यापक धन ।
मुक्त-हस्त तू बाँट रही है
सुख-संपत्ति , धन-धाम ,
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
एक हाथ में न्याय-पताका ,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में ,
जग का रूप बदल दे , हे माँ ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में ।
गूँज उठे जय-हिंद नाद से –
सकल नगर और ग्राम ,
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम !
अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम!
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
तेरे उर में शायित गांधी , बुद्ध और राम ,
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
हरे-भरे हैं खेत सुहाने ,
फल-फू लों से युत वन-उपवन ,
फल
फल
फू ल
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनियों का कितना व्यापक धन ।
मुक्त-हस्त तू बाँट रही है
सुख-संपत्ति , धन-धाम ,
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।
एक हाथ में न्याय-पताका ,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में ,
जग का रूप बदल दे , हे माँ ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में ।
गूँज उठे जय-हिंद नाद से –
सकल नगर और ग्राम ,
मातृ-भू , शत-शत बार प्रणाम ।

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