You are on page 1of 4

"ख़तरे म है आज आज़ाद '

( वाधीनता दवस के अवसर पर)

----------------
75व वाधीनता दवस क दे शवा सय को हा दक बधाई एवं
शुभकामनाएं। 1857 के थम वाधीनता सं ाम से शु ए करीब
90 साल तक चले आंदोलन के प रणाम व प 15 अग त 1947
को दे श आजाद आ। दे श क जनता ने जा त-धम क संक णता को
नजरअंदाज कर एकजुट होकर अं ेजी स ा को चुनौती द थी। एक
ऐसी वशाल श शाली टश कूमत से आजाद क लडाई लडी
थी जसके लए कहा जाता था क टश सा य पर कभी सूय अ त
नह होता। भारत के लाख लोग ने अपनी कुबानी द थी। मज र,
कसान,छा -नौजवान म हला,आ दवासी,बु जीवी,प कार और
कलाकार ने भी अपने-अपने संगठन बनाकर टश सा ा यवाद
का कड़ा का वरोध कया था। यातनाएं झेली थी। अं ेजी सरकार ने
ां तकारी युवा के खलाफ एक के बाद एक ष ं के मुकदम
जड़कर घोर यातनाएं द । फांसी तक द ।

गौरतलब है क आजाद के आंदोलन का मकसद सफ और सफ


अं ेज से ही आज़ाद हा सल करना ही नह था ब क समाज म ा त
सामंती
शोषण,जा त और जडर आधा रत सामा जक वषमता एवं भेदभाव
तथा धम के नाम पर नफरत और हसा से भी आजाद पाना था।
आजाद पाने का असल मतलब था- गरीबी,भुखमरी, बेरोजगारी व
शोषण क बदतर हालात से मु । सभी दे शवा सय को रोट , कपड़ा,
मकान श ा, वा य और रोजगार क समु चत सु वधाएं। स ची
आज़ाद के लए ज री था क वदे शी शासन से मु के साथ-साथ
वदे शी सामंती शोषण से मु । बु नयाद सामा जक बदलाव क
ज रत थी। जम दारी का अंत करना था। भू महीन एवं गरीब कसान
म भू म का वतरण कया जाना था। वदे शी पूंजी के दमघ टू भाव से
मु वतं उ ोग का वकास कर एक आ म नभर भारत बनाना था।

आज़ाद के बारे म गांधीजी कहते थे क "म ऐसे भारत के लए को शश


क ं गा जसम गरीब से गरीब लोग भी यह महसूस करगे क यह उनका
दे श है। जसके नमाण म उनक आवाज का मह व है। म ऐसे भारत
के लए को शश क ं गा जसम ऊंचे और नीचे वग का भेद नह होगा।
जसम व भ सं दाय म पूरा मेलजोल होगा... जसम अ पृ यता के
लए कोई थान नह होगा। य को वही अ धकार ह गे जो पु ष
को।
नया से हमारे संबंध शां त का होगा। यानी न तो हम कसी का शोषण
करगे और न कसी के ारा अपना शोषण होने दगे। हमारी सेना छोट
से छोट होगी। म अभी कह सकता ं क म दे सी- वदे शी के फक से
नफरत करता ं। यह है मेरे सपन का भारत। इससे भ चीज से
मुझे संतोष नह होगा...मेरे सपन का वरा य तो गरीब का वरा य
होगा।" शहीदे आज़म भगत सह जैसे ां तका रय ने सा यवाद
मुदाबाद,इंकलाब ज़दाबाद का नारा लगाते ए सफ अं ेजो से ही
नह ब क दे शी शोषक से भी आज़ाद क मांग क थी। जनता क
स ची आज़ाद के लए वतं ता,समानता, बंधु व, याय,लोकतं के
संवैधा नक मू य के संवधन के लए समाजवाद एवं जा त वहीन
समाज क थापना को ज री माना था। आज़ाद को अमली जामा
पहनाने के लए सं वधान म मूल अ धकार एवं नी त नदशक त व के
ावधान भी कये ए ह।

दे श आज 75वां वतं ता दवस मना रहा है क ले कन चता क बात है


क आज आज़ाद खतरे म है। शहीद के सपन का भारत हम बना नह
पाए। आधु नक ौ ो गक का इ तेमाल करते ए ाकृ तक संसाधन
के बेरहमी से दोहन के प रणाम व प हम नया क 5व अथ व था
तो ज र बन गए ह ले कन मानव वकास सूचकांक म इं डया का थान
आज भी 131वां है।
वै क भूख सूचकांक म हम 94व पायदान पर ह। आ थक वषमता
तेजी से बढ़ है। आबाद का दस तशत सबसे उ च वग आज
इं डया क सतह र फ सद दौलत का मा लक बन गया है। सतत
वकास के मानक म हमारा थान 193 दे श क सूची म 117वां है।
जडर समानता क से इं डया का थान 156 दे श म 140वां
है। डेमो े सी इंडे स म 167 दे श क सूची म 53वां है। ेस डम
इंडे स के तहत 180 दे श क सूची म इं डया का थान 142वां है
जो क अ यंत चता क बात है। द लत एवं म हला उ पीड़न बढ़ा है।
पूंजीवाद वकास के चलते आ दवासी समुदाय जल,जंगल व जमीन के
पु तैनी हक से वं चत हो रहे ह। श ा व वा य का तेजी से नजीकरण
आ है। आज़ाद के 74 वष बाद भी श ा पर जीडीपी का साढ़े
तीन तशत और वा य पर जीडीपी का करीब दो तशत ही य
है। करीब 35 तशत युवा बेरोजगार ह। कसान व मज र बदहाल
ह। जा त व धम के नाम नफरत और हसा तेजी से बढ़ है। वचार व
अभ क वतं ता तथा नाग रक अ धकार के लए संघषशील
बु जीवी,मानव अ धकार एवं व ाथ कायकता, यहां तक प कार
को भी बदनाम यूएपीए कानून का पयोग कर ता ड़त कया जा रहा
है। नाग रक क नजता खतरे म है। वदे श नी त क वतं ता भी खतरे
म है। असल म ोनी कै पट ल म एवं वभाजन क राजनी त ने हमारी
आज़ाद को खतरे म डाल दया है। सं वधान व लोकतं को कमजोर
कया जा रहा है। ले कन उ मीद क बात यह है क आज़ाद बचाने के
लए नाग रक जनता संघषरत है।
---------
डॉ.रमेश बैरवा
वभागा य
राजनी त व ान
राजक य कला महा व ालय अलवर
एवं
दे श संयोजक
श ा बचाओ आंदोलन
(8209780345)
Last modified: 21:07

You might also like