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॥ शंकराच्या 45 आरत्या ॥ (अशोककाका कुलकर्णी)
॥ शंकराच्या 45 आरत्या ॥ (अशोककाका कुलकर्णी)
कराची आरती १
लवलवथी व ाळा ां
डी माळा ।
वषे
कंठ कळा नेी वाळा ॥
लाव य सु
द
ंर म तक बाळा ।
ते
थु
नया जळ नमळ वाहे
झु
ळझु
ळा ॥ १ ॥
जय दे
व जय दे
व जय ीशं
करा ।
आरती ओवाळू
तु
ज कपु
रगौरा ॥ धृ
.॥
कपु
रगौरा भोळा नयनी वशाळा ।
अधागी पावती सु
मनां
या माळा ॥
वभु
तीचे
उधळण शीतकं
ठ नीळा ।
ऎसा शं
कर शोभे
उमावे
हाळा ॥ जय दे
व. ॥
२॥
दै
वी दै
य सा़गर मं
थन पै
केल।
यामाजी अवचीत हळहळ सां
पडले
॥
त वा असु
रपणेाशन के
ले।
नीळकं
ठ नाम स झाले
॥ जय. ॥ ३ ॥
ा ां
बर फ णवरधर सु
द
ंर मदनारी ।
पं
चानन मनमोहन मु
नीजन सु
खकारी ॥
शतकोट चे
बीज वाचे
उ चारी ।
रघु
कु
ळ टळक रामदासा अं
तरी ॥ जय दे
व
जय दे
व॥४॥
**************************
शं
कराची आरती २
कु
लदै
वत तू
ं
मे
री से
वक मै
ते
रो ।
सु
रनर से
वा करले
पायो सु
ख सारो ॥
य पाव तु
मार तनमनधन वार ।
तु
म बन जाणु
न य मोकू
ं
तुम यारो ॥
१॥
जयजयाजी महादे
व भू
जी दे
वनको ।
पं
चारती करह ॥ म दास पदरजको ॥ धृ
.॥
उद धमथन बखे
जब बख जालन लागो ।
सु
रनर ा व णू
तब सब ले
भागो ॥
शरणागतहो तु
मपे
रच बोलन लागो ।
तवकृ
पासे
गल बख रदे
स स भागॊ ॥ जय.
॥२॥
पारसु
र मारनथे
रथ धरती क हो ।
श शसू
रज दो च कर घोडे
बे
द बनो ॥
ा सारथी व णू
अ छो शरमा यो ॥
व धजाल पु रन सो क रत सब जानो ॥
जय. ॥ ३ ॥
सु
ख पाई सब सृी आई पू
जनकू
।
धु
प दप भोग लगाये
ठाडे
आरतीकू
ं
।
बे
ल फू
ल कमल चढायेरझाय हर तु
मकू
ं
॥
मनवां
छा सुख पायके
आयेनजपदकू
ं
॥
जय. ॥ ४ ॥
ऎसे
तु
म महाराज दयाल द ननके
।
पां
चो नरां
जन वारो दे
हनके
॥
बलजाऊं
चरनोपर कं
थज ग रजाके
।
दास सदा शव न ळ नाथ रहो तु
म वाके
॥
जय. ॥ ५ ॥
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शं
कराची आरती ३
जय जय जय शव शं
भो गं
गाधर गरीश ।
पं
चार त मं
गीकु वा मन्
व े
श ॥ धृ
.॥
चंो ा सत मौल कं
ठेधृ
तगरलं
।
भु
वन दाहक पावकच :ु थतभालं
॥
यभू
षण कृ
त ालं
वरवाहन वमलं
।
उ वल सु
द
ंर दयं
नर शर कृ
तभालं
॥ जय.
॥१॥
रा जतकर तलचतु
रं
खङगै
: खट्
वां
गं
।
पनाकड म मं
डत शू
लधर भु
जगं
॥
रजता चलसमवण सु
द
ंरसवागं
।
द वसनं शरज टलंवीकृ
त कु
शलां
ग॥
जय. ॥ २ ॥
वरदाभयदा इशा रत यकता।
सु
रनरभजन तवन वां
छत फलदाता ।
पु
रां
तक सु
खदायक वषता सं
हरता ॥
शरणागत र क मम क णाकर ाता ॥ जय.
॥३॥
गौरीरमणा गहना ेा । मरदहना ।
भ मो लत सदना । जनता मनहरणा ।
ताप य अघशमना क णाकर गमना।
व ने
शा गणनायका ाता प रपू
णा ॥ जय.
॥४॥
पशु
प त मशानवा स परवेत भू
त:ै
।
अनु
चर मं
गश सु
त व णत णपातै
:॥
द नो ार प ततोऽहं
तारय तदभू
त:ै
।
जय जय शं कर अभी वां
छत इ यै
त:े
॥
जय. ॥ ५ ॥
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शं
कराची आरती ४
जय जय जय मृ
ड शं
भो सतं
त कुशं
भो ।
मरहर म य व तारय क णाम न शं
भो ॥
प रहर क मषम खलंव ा मृ
त सधा ।
बलोकय नीराजन म तक नजबं
धो ॥ धृ
.
॥
तर मायाजाले
प तता खलजं
तन
ू्।
गा भक प डा नु
भवै
: मरतो नजमं
तन
ू्॥
सवज :खं
ते
षां
क: भव त व ु
म।
वधू
त पापा दतरो न ह श ातु
म्
॥ जय.
॥१॥
ब वध पीडा सं
कु
ल शै
शवमनु
भवताम्
।
म कु
ण मु
खकृ
मदं
शैचै
सं
रटताम्
।
पयकादौ शयने
तनु
भ प रलु
टाम्
।
वधूतपाप व ते
क तानु रताम्
॥ जय. ॥
२॥
प ततं
यौवन गहने थतं
गजकामै
:।
लोभा जगरौग लतं
द ण मदकै
ले
:॥
वषधर वषये ल ं
भयजालै
।
क णा पां
गै
व ंशव पा ह स ललै
: ॥ जय.
॥३॥
वाधकता व ातं
ग लत य श म।
यातायात ां
तं ा ध भर भ भू
तम ॥
रं
त चता कु
लतं
नज जलप र भू
तम ।
जन मवता दधभयहर व ेर सततम ॥
जय. ॥ ४ ॥
सं
कटपारावरे
प ततं
भू
शभीतम ।
न यं थत चतं
ताप यत तम्
।
जगद खलं
गं
गाधर कुक णास म ।
काशी व म
ंोचय भवसप तम ॥ जय. ॥ ५
॥
***********************
शं
कराची आरती ५
भ म या भू
तपते
सदय शं
करा ।
पं
चार त क रत तु
ज हे
महेरा ॥
व वधताप र कर ता र ककरा ॥
कृ
पाणवा, सदा शवा ॥
वधताप र कर ता र ककरा ॥
कृ
पाणवा, सदा शवा ॥
व ला मजा स पद दे
ई आसरा ॥ १ ॥
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शं
कराची आरती ६
जयजयजी मदनां
तक गौरीशं
करा ॥
पं
चार त क रत तु
ज हे
महेरा ॥ धृ
.॥
ा ां
बर अं
गी तू
ं
न य से
वसी ॥
ं
डमाळ कं
ठ असे
म तक शशी ॥
ग रजा तव वामां
क शोभते
तशी ॥
भ म या भू
तपते
इंशे
खरा ॥ जय. ॥ १ ॥
ब जन पु
र दै
य बल जाहला ॥
ह र वधीसह वबु
ध पडु
न ास द धला ॥
ते
हां
तेअ त भाव त व त मग तु
ला ॥
पु
रासुर वधु
न सु
खी क रसी सु
रवरां
॥
जय. ॥२ ॥
एकवीस वगा न उं
ची तव अ त ॥
सवशा दाता तू
ं
स ती ती ॥
तव लीलावणना स अ प मम मती ।
व लसु
त वन वतसे
र ककरा ॥ जय.
॥३॥
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शं
कराची आरती ७
महाजी महादे
व ॥ महाकाळमदना ॥
मां
डले
उ तप महा द यदा णा ॥
प रधान ा ां
बर ॥ चताभ मले
पना ॥
मशान डा थळ ॥ तु
हां
सी नयना ॥ १
॥
जय दे
वा हरे
शवरा ॥ जय पावतीवरा ॥
आरती वाळ न ॥ तु
ज कै
व यदातारा ॥
धृ
.॥
ह नाम तु
झ ॥ उ सं
हारराशी ॥
शं
कर शं
भभ
ुोळा ॥ उदार तू
ं
सव व ॥
उदक बे
लप ॥ तु
ज वा ह या दे
शी ॥
आपुलेपद दासां
॥ ठाव शु कै
लास ॥
जय. ॥ २ ॥
ै
लो य ापका हो ॥ जन वन क वजन ॥
वराट व प हे
॥ तु
झ सा जरेयान ॥
क रती वे
द तू
ती ॥ क त मु
खेआपण ॥
जाणतां
ने
णवे
हो ॥ तु
मच ह म हमान ॥ जय.
॥३॥
बोलतां
नामम हमा ॥ होय आ य जग ॥
उपदे
श केयावरी ॥ पाप पळती वे
ग ॥
हरहर वाणी गज ॥ म
ेसं
चारे
अंग ॥
रा हली ी चरण ॥ रं
ग मू
नला रं
ग ॥ जय.
॥४॥
पू
जल लग ऊमा ॥ तु
का जोडोनी हात ॥
क रतो व ापना ॥ प रसावी ही मत ॥
अखं
ड राह ाव ॥ माझ चरणी च ॥
सा ां
ग घातले
मी ॥ ठे
वा म तक हात ॥
जय. ॥ ५ ॥
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शं
कराची आरती ८
कपू
रगौरा गौरीशं
करा आर त क ंतु
जला ॥
नाम मरता स होउ न पाव स भ ाला
॥ धृ
.॥
शू
ळ डम शोभत ह त कं
ठ ं
डमाळा
॥
उ वषात पऊ न र सी दे
वां
द पाळां
॥
तृ
तीय ने नघती ोध ळया नी वाळा
॥
न मती सु
रमु
न तु
जला ऎसा तू
ं
शं
कर भोळा
॥१॥
ढकळानं
द वाहन शोभे
अधागी गौरी ॥
जटा मु
कु
ट वास क रतसे
गं
गासु
द
ंरी ॥
सदया सगु
णा गौरीरमणा मम सं
कट वार ॥
मोरेरसु
त वासु
दे
व तु
ज मरतो अं
तरी ॥ २
॥
***************************
शं
कराची आरती ९
स ो जातंप ा म त मरणे तमंं
॥
सां
ब पं
चव चे
तो मम दे
वं
॥
सहजं
सहजानं
दं
सकलं
प रपू
ण॥
सव ातीतंु
त भ: तपा ं
॥१॥
जय दे
व जय दे
व जय यं
बकराजन्
॥
गं
गाधर गौरीवर शं
कर शू
लपा णम्
॥ धृ
.॥
भवे
भवे
ना त भवे
भजने नें
॥
भव व ते
जो बु महता जगद शं
॥
अनाथनाथं
वं
दे
आ मव े
शं
॥
मृ
गधर परशु
ह तं
शव चंमौ ल ॥ जय. ॥
२॥
वामदे
वं
वं
देवदे
हकै
व यं
॥
स ोजातं
स येंेवं
॥
वभू
त सु
द
ंर च चत शं
भोसवागं
॥
नमा म ं
कालं
तारकजगद शं
॥ जय. ॥
३॥
अघोर घो रघोरं
भय ोभीमं
॥
भू
तं
भू
तनाथं
भु
जग म णभू
षं
॥
कपद का मारीभय कृयनाशं
॥
सव सवा य ं
भ ानुहदं
॥ जय. ॥ ४ ॥
त पुषाय व हे
च मय आकाशं
॥
महादे
वो बु ापक सव ं
॥
गु
णं गु
णा ततं
त पर परमे
शं
॥
शं
भोनादं
मोदंणवं
ॐकारं
॥५॥
ईशान: सवभू
ते
भजते
व ुं
॥
ाधी प य वं ापरमशं
॥
स य स यानं
दंच मय आकाशं
॥
चदानं
दोहे
त:ुशव शव ॐकारं
॥ जय ॥ ६
॥
गुक अ सर क र गाय त सं
गीतं
॥
नं
द भृ
ग
ंी चं
डीगणप त न य वं
॥
तां
डव नपु
णं
सां
बं
अ त
ुआनं
दं
॥
ह रहर ा या ंयं
बक भू
राजं
॥ जय.
॥७॥
अनं
त शे
षो ह रहर ा म य थं
॥
नारद तु
ब
ंरगीतं
स मु
ख हनु
मत
ं॥
अग णत म हमा य ं
अभय वरदानं
॥
गं
गाधर द तकृ
त मु सायुयम्
॥ जय.
॥८॥
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शं
कराची आरती १०
अ भनव सु
द
ंर गं
गाकाशी पु
रवासी ॥
व ेर ये
उ नयां
तारक उपदे
शी ॥
जातां
उ र पं
था हम ग र गगनासी ।
भजतां
केदारासी क ल क मष नाशी ॥ १ ॥
जय दे
व जय दे
व जय ग रजा रमणा ।
पं
च ाण आरती वामी या चरणां
।। धृ
.॥
मरतां
महाकाळा नगरी उ ज यनी ॥
दोषाकाळ पू
जा पाहावी नयन ॥
सोरट सोमेर नां
दे भू
वन ॥
च चतन केया राहे
नज सदन ॥ जय.
॥२॥
औढं
कपू
रीच वन ह दा णवृां
चा ॥
भू
षण नागे
शाचा म णमयमुां
चा ॥
परळ वै
जेर ह रहर तीथाचा ।
ऎसा शं
कर शोभे
ब व प ाचा ॥ जय. ॥ ३
॥
ॐकार ममलेर रे
वापु
रपटण ।
ह रहर यु झाल बाणां
या खाण ॥
शे
वाळ घृ
णेर वद त क प वाणी ॥
वेळ ची म हमा ऎकावी वण ॥ जय. ॥
४॥
गौतमऋ ष या तप गोदा आली हे
।।
यं
बकराजा न मता भवभव जाताहे
॥
शा कनी डा क न काळा या ेी राहे
॥
भीमाशं
कर सु
द
ंर ते
थु
न दसताहे
॥ जय. ॥
५॥
द णया ा क रतां
जाता ते
माग ।
शवरा ीजागरण म लकाजु
न लग ।
रामेर र नाकरमौ क या सं
ग
। ादश लग ॥
क थल कृणान अं
ग ॥
जय दे
व जय दे
व जय ग रजारमण ॥
पं
च ाण आरती वाम या चरणां
॥ जय. ॥
६॥
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शं
कराची आरती १४
गौरीवर गं
गाधर तनु
कपू
रऎसी ॥
गज ा ां
ची चम पां
घरु
सी ॥
कं
ठ कपालमाळा भाळ द शशी ॥
अ नलाशनभू
षण हर शोभत कै
लासी ॥ १ ॥
जय दे
व जय दे
व जय र तप तदहना ॥
मंगळआर त क रत छे
द अघ व पना ॥ धृ
.
॥
पु
रासू
रअत तर बल तो झाला ॥
तृ
णवत्
मा नत वासव व ध आ ण ह रला ॥
ते
हांनजर भाव मरताती तु
जला ॥
होऊ न सकृप यां
व र मा रसी पु
राला ॥
जय. ॥ २ ॥
जे
तव भ पु
र सर जप तप तव क रती ॥
यां
तअ ह स वबलाने
व रतो ॥
शव शव या उ चार जेाणी मरती ॥
चारी मु ये
ऊ न यां
चा कर ध रती ॥ जय.
॥३॥
वृ
षभा ढा मू
ढां
लावी तव भजना ॥
भव सधू तर ती क र गा सु
लभ जना ॥
होवो सु
लभ मला तव माये
ची रचना ॥
दास हणे
ताराया दे
सकृ
प वचना ॥ जय. ॥
४॥
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शं
कराची आरती १५
अधागी हे
तु
झे
पावती अबला ॥
शू
ळ डम शोभे
भ माचा उधळा ॥
कपाल ह त गळांं
डां
या माळा ॥
भु
जग
ंभू
षण शोभे ने वाळा ॥ १ ॥
जय दे
व जय दे
व जय आ दपुषा ॥
भु
वनपालक भ ां
दे
सी तू
ं
हषा ॥ धृ
.॥
गजचमाबर शोभे
तु
जला प रधान ॥
ढवळा नं
द आहे
तु
झ पै
वहन ॥
वशाळ काळकू
ट कं
ठ धारण ॥
ताप ह नी भ ा चु
कवीसी व न ॥ जय.
॥२॥
दगं
बर प तु
झ लावु
नयां
मुा ॥
जटाभार शोभेानमुा ॥
परशु
रामपालक एकादश ा॥
नरसी हे
भवरजनी चकोर वानं
दा ॥ ३ ॥
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शं
कराची आरती १६
नगु
णा न वकारा ॥ शवा कपू
रगौरा ॥
ापु
नी चराचर ॥ होसी कृ
तीपरा ॥
अग णतकोट लगे
॥ पु
राण स बारा ॥
एक तर पाह । अ यथा भू
मीभारा ॥ १
॥
जयदे
वा नील कं
ठा सकलदे
वां
आ द ेां
।
रं
क मी शरण आल ॥ नवार भवक ा ॥ धृ
.
॥
सोरट सोमनाथ ॥ जग एक व यात ॥
तया या दशन हो ॥ चु
के
संसारपं
थ॥
हमवं
तपृभाग ॥ लगके
दार मु ॥
साधु
सतंसे वताती ॥ ध न कै
व यहे
त॥
जय. ॥ २ ॥
उ ज यनी नामपू
र ॥ प व सचराचर ॥
महाकाळ लग जे
थ । ध य जो पू
जा करी ॥
कारमहाबळेर ॥ यो त लग नधारी ॥
तया या दशने
हो ज ममरण नवारी ॥ जय.
॥३॥
प म लग एक ॥ जया नाम यं
बक ॥
गौतमी उगम जे
थ ॥ वाहे
मं
गलदायक ॥
दशनेनान मा े
॥ पु
यपावन लोक ॥
तै
साच घृ
णेर ॥ से
वाळ रमणीक ॥ जय.
॥४॥
भीमे
चा उगम जे
थ । भीमाशं
कर ते
थ॥
डां
कनी नान क रती ॥ लग हणती तयात
॥
अग णत पु
य जोडे
॥ चालतां
ची ते
णे
पं
थ
॥
द णे रामेर ॥ यो त लग हणती यात
॥ जय. ॥ ५ ॥
आवं ानागनाथ ॥ दे
व आपण नां
दत ॥
भ जन कु
टु
ं
बया भु मु दायक ॥
य लग जे
थ परळ वै
जनाथ ।।
ह रहर तथ ॥ जन होत कृ
ताथ ॥ जय. ॥ ६
॥
ीशै
ल तो पवत ॥ लग प सम त ॥
सभोवती नीळगं
गा ॥ माजी ीम लीनाथ ॥
भू
मीकै
लास जा ॥ जन सा दावीत ॥
सा ठव प वाट पाहे
॥ कृ
पाळु
ं
तो उमाकां
त
॥ जय. ॥ ७ ॥
ध य हो का शपु
री म णक णकातीरी ॥
व ेर लग जे थ॥
जीवमा ा उ री ॥ तारक मं॥ जपे
कण ववरी ।
ते
णची मो पद ॥ ा त होय नधारी ॥ जय.
।८॥
ये
ऊ नयां
सं
सारा ॥ माजी यो त लग बारा
॥
एक तरी पाह ॥ अ यथा भू
मभारा ॥
व ेर व नाथ ॥ भावभ नधारा ॥
नामया ी शवदास ॥ याय परा परा
जयदेवा नीलकं
ठा ॥ ९ ॥
***********************
शं
कराची आरती १७
कपू
र ग रसम कां
तदशकर शोभे
शरी गं
गा
।
जवळ गणप त नृ
य क रतो मां
डु
नया रं
गा
॥
अं
क अं
बा स मु
ख नं
द से
वती ऋषी सं
गा ।
ा दक मू
न पू
जा इ छती या त अ यं
गा
॥
जय जय दे
वा आरती ह र हरेरा । दयाळा
॥
काया वाचा मनोभावे
म नमू
परा परा ॥ धृ
.
॥
सु
द
ंरपण कती वणू
र त - प त मदनाची
मू
त।
ते
ज पहातां
सं
तृ
त होती कोट गभ ती ॥
वे
दां
नकळे
पार जयाचा तो हा सु
खमू
त।
भ काजक प म
ू गटे
पा नयां
भ ॥
अं
धक वसु
नी मे
ख व वं
सन
ुी बलहत करी
द ा।
पु
रा सु
रशल म न सु
खकर खला करी
श ा॥
तो तू
अगु
णी सगु
ण होसी भ ां
या प ा ।
धम थापु
न साधु
र सी सू
रां
कृतद ा॥
नारद तु
ब
ंर ास सु
खा दक गाती सद्
भावे
।
सनक सनं
दन व श वा मक याना यश
ाव ॥
च मय रं
गा भवभयभं
गा ह र या धां
व।
तवपद ककर रामदास हा यासी नु
पेावे
॥
*************************
शं
कराची आरती १९
जय दे
व जय दे
व सोमनाथा ।
आरती ओवाळ तो मनोभाव आतां
॥ जय
दे
व ॥ धृ
॥
मालु
बाई सती प त ता थोर ।
भ क नी आ णले
सोरट सोमेर ॥
पतीने
पाळत ध नी पा हला चम कार ।
जावा नं
दाचा ास सो सला फार ॥ जय . ॥
१॥
दे
खोनी सती या ासाते
दे
व।
व ी गटोनी सां
गतसे
सव ।
शे
ष पी ये
ऊनी करीन वा त ।
धे
नस
ुी वे
ुनी ध ाशीन मी बरवे
॥ जय .
॥२॥
व ा माण नाथ शे
ष पी आले
।
धे
नु
वेु
नी ध पऊं
लागले
।
दे
खोनी खोमणे
राव भयच कत झाले
।
कु
ऱहाड फे
कु
नी दे
वा तु
हां
मा रले
॥ जय ॥
४॥
उ र ऎकता मालूासली फार ।
दे
खोनी खोमणा शाप दलासे
थोर ।
ऎकोनी शाप खोमणा कापे
थरथर ।
गटोनी दे
वा याचा के
ला उ ार ॥ जय ॥
४॥
खोम याचा उ ार मालू
दे
खोनी ॥
दे
वा तु
जला मी बोलू
कशा रीतीनी ।
मालू
चे
श द दे
वा ऎकोनी कानी ।
त काली उ रीली मालू
भा मनी ॥ जयदे
व
॥५॥
सप पे
नघतां
भ पा नी ॥
भ घे
ताती आनं
दे
उचलोनी ।
वधीयु तु
मची पु
जा करोनी पा जती ध
तु
हां
शकरा घालॊनी । जयदे
व॥६॥
सोमनाथा तु
ही भ भु
के
ला ।
मालू
महा यां
चा उ ार के
ला ।
अ पबु खोमणा तोही उ रला ।
आबा पाट ल दास लाग चरणाला ॥ जयदे
व
॥७॥
**************************
शं
कराची आरती २०
जग शवशं
कर गं
गाधर गौरी कां
ता ।
माण आ गु
रो तु
ज जय हर जगयं
ता
॥ धृ
.॥
कपु
रगौरा कां
ती भ मच चत काय ।
नील भ - कं
ठ वष भू
षण च होय ॥
चंदवाकर व ही नेतु
झे
तीन ।
चारी वे
द मु
खेतव द कती यान ॥ १ ॥
न वणवे
तव म हमा कु
ं
ठत मन - वाण ।
ु
त ही मौनवीत या ने
ऽ त असेहणु
न॥
नटसी गु
णी प र तू
ं
अससी गु
णातीत ।
मायामय तव लीला मु
ध करी च ॥ २ ॥
होता भं
ग तपाचा जा ळयला मदन ।
द णखा ने
स लया होता अवमान ।
क पा ती व ाचा कर स सं
हार ।
तां
डव नृ
य तदा तव चाले
ब घोर ॥ ३ ॥
प र शवा , तू
ं
भोळा भाळ स भ ला ॥
आ म लगही दसी रावण दै
याला ॥
ा श स वष जे
दाहक हो ां
डाला ।
भ तव झे
ल स शरी तू
गं
गौघाला ॥ ४ ॥
हर तू
ं
हरसी पापा अन्
भव तापाते
।
शव शं
कर तू
ं
दे
सी नत कै
व यात ॥
जय वरदा जय सु
खदा सदा शवा ग तदा ॥
गणे
श नमु
नी याची र त तव पायी सदा ॥ ५
॥
*************************
शं
कराची आरती २१
भ मासु
रांक रसी ववरान थोर । दै
याचे
म तक ठेवला कर ॥
याक रतां
घेसी व णू अवतार । सहनाद
लागे
नाचाया मोर ॥ १ ॥
जयदेव जयदेव जय सोमेरदे वा । पं
चार त
क रत मी हरहर महादे
वा ॥ धृ
.॥
रामाचे
च र सां
ग स पावती । ते
हा तु
जला
करी ग रजा आरती ॥
अधागी ग रजे
सह घे
सी गणपती । ऎसी
तु
झी करणी जगतात याती ॥ २ ॥
तु
झा हा उ साह शु का तक मासी । स वर
जन ये
ती तव दशनासी ॥
ये
ती यां
चेमनोरथ पू
ण करीसी । हणु
न
रघु
सतुन मतो तवचरणापास ॥ ३ ॥
**************************
शं
कराची आरती २२
मं
गश
ेमहा ा जय पावतीवरा ॥
आरती ओवाळ न । शवा भो या शं
करा ॥
धृ
.॥
आपुलेहण वसी । दे
शील आ णका हाती
हां
सतील सं
तजन ॥
कृ
पासागरमू
त ॥ मं
गश
े. ॥ १ ॥
सव ापलासी । जळ थळ पाषाणी ॥
कृ
पे
चा सागर हो । आ हां
पावे
नवाणी ॥
मं
गश
े. ॥ २ ॥
वभू
ती ा ां
बर । गजचम प रधान ॥
वासु
क हार शोभे
। आला कृण शरण ॥
मं
गशे. ॥ ३ ॥
**************************
शं
कराची आरती २३
जय दे
व जय दे
व जय आ द पुषा ।
भु
वनपालक भ ां
दे
सी तू
ं
हषा ॥ धृ
.॥
अधागी हे
तु
झे
पावती अबला ।
शु
ळा डम शोभे
भ माचा उधळा ॥
कपाळ ह ती गळांं
डा या माळा ।
भु
जग
ंभू
षण शोभे नेी वाळा ॥ १ ॥
गजचमाबर शोभे
तु
जला प रधान ।
ढवळा नं
द आहे
तु
झे
पैवाहन ॥
वशाळकाळकु
ट कं
ठ धारण ॥
ताप ह नी भ ां
चु
क वसी व न ॥ जय.
॥२॥
दगं
बर प तु
झल
ेेवु
नयां
मुा ॥
जटाभार शोभ ानसमुा ॥
परशु
राम पाळक एकदश ा॥
नरसी हे
भवरजनी चकोर वानं
दा ॥ ३ ॥
***********************
शं
कराची आरती २४
जय दे
वा धू
तपापा । आतां
सं
क प खे
पा ।
या ेी ज मा आल कृ
तकृय मी झाल ॥
धृ
.॥
रचना कै
लासाची । शतळाई गं
गच
ेी वशाळ
पवतां
गे॥
दोही भाग ग रशृ
ं
गे
। म तक म यभागी ॥
दास क रसी सभागी । द न जन उ राया ॥
पावन क रसी काया ॥ जय. ॥ १ ॥
क पत ारापु
ढे
। ठाय ठाय फु
लझाड ॥
भवताली बागशाई । सु
गं
धनी जु
ई जाई ॥
फुलती बारा मास । दाठ दे
ऊळ सु
वास हे
थान अनुप य।
कै
लासा न र य ॥ जय. ॥ २ ॥
उ साह त दवशी न वणवे
आनं
दासी ॥
सवदा स गु
ण गाती । मं
गलवा े
वाज वती
॥
स म
ेेनाचताती । रं
गी त लीन होती ॥
या सौ या पार नाही । ेपाहतां:ख
जाई ॥ जय. ॥ ३ ॥
जगद श जग ारा । सोडव या सं
सारा ॥
च वृी शां
त हावी । अवघी मायाकृ
त
जाणावी ॥
नाचावे ानं
दे
। जगतारकनामछं
दे
॥
क न कृ पा वर दे
ई । हणो न व णु
लोळे
पायी ॥ जय देव. ॥ ४ ॥
***************************
शं
कराची आरती २५
जय दे
व जय दे
व ीमं
गश
ेा ।
पं
चार त ओवाळू
सदया सवशा ॥ धृ
.॥
सदया सगु
णा शं
भो अ जनां
बरधारी ।
गौरीरमणा आ ा मदनां
तकारी ॥
पु
रारी अधहारी । शवम तकधारी ।
व ं
बर व दे
ह नम सं
कट धा र ॥ १ ॥
भयकृ
त भयानाशन ही नाम तु
ज दे
वा ।
वबु
धा दक कमळासन वां
छती तव से
वा ॥
तु
झे
गु
ण वणाया वाटतसे
हे
वा ।
अ भनय कृ
पाकटा म तउ सव ावा ॥
जय. ॥ २ ॥
शव शव जपतांशव तू
क रसी नजदासा
।
सं
कट वारी मम तू
ं
करश ु
वनाशा ॥
कु
ळवृ ते
पाव व हीच असे
आशा ।
अनंतसु
त वांछतसे चरणां
बज
ुले
शा ।जय
दे
व जय दे
व. ॥ ३ ॥
************************
शं
कराची आरती २७
जय जय यं
बकराज ग रजानाथा गं
गाधरा
हो ।
शू
ल पाणी शं
भो नील ीवा श शशे
खरा हो
॥
वृ
षभा ड फ णभू
षन दशभु
ज पं
चानन
शं
करा हो ।
वभू तमाळाजटा सु
द
ंर गजचमाबरधरा हो ॥
धृ
.॥
पडल गोह ये
चे
पातक गौतमऋ ष या शरी
हो ।
यानेतप मां
डल याना आणु
न तु
ज अं
तरी
हो ॥
स होउ न यात नाना दधली गोदावरी
हो ।
औ ंबरमुळ गटेपावन ै
लो यात करी हो
॥ जय. ॥ १ ॥
ध य कु
शावताचा म हमा वाचे
वणूकती हो
।
आ णकही ब तीत गं
गा ारा दक पवती हो
॥
वं
दन माजन क रती याचे
महा दोष नासती
हो ।
तु
झया दशनमा ेाणी मु त पावती हो ॥
जय. ॥ २ ॥
गर ची भावेयाला द णा ज र घडे
हो ।
तैते काया क जं
व जं
व चरणी पती खडे
हो ।
तं
व तं
व पुय वशे
ष क मष अवघ याच
झडेहो ।
केवळ तो शव पी काळ या या पाया पडे
हो ॥ जय. ॥ ३ ॥
लावु
नया नजभजनी सकळ ह पु
र वसी
मनकामना हो ।
सं
त त सं
प दे
सी अं
ती चु
क वसी
यमयातना हो ॥
शव शव नाम जपता वाटे
आनं
द मा या
मना हो ॥
गोसावीनं
दन वसरे
सं
सारयातना हो ॥ जय.
॥४॥
*************************
शं
कराची आरती २९
शुेर स ेर शं
भो महादे
वा ।
व ेर गु
णालय दनरजगी यावा ॥
मु
कु
ट गं
गा भाळ श श नील ीवा ।
सु
द
ंर यान दगं
बर जगदा मा गावा ॥ १ ॥
जय दे
व जय दे
व जय ग रजारमणा ।
पु
रां
तक हर ा न मतो तवचरणा ॥ धृ
.
॥
न मती सु
रमु
नी ऎसा तू
ं
शं
कर भोळा ।
होऊनी याचक ये
ऊ न चलया उ रला ॥
माकडे
यालागी मृ
यूचु
क वला ॥
म क णा कां
न येजव उरला डोळां
॥ जय.
॥२॥
ज मा जत दोषाने
चौयाशी फरलो ।
कव या योग न कळे
नरज मा आल ॥
वस न हतम तग तला भवडो ह फसलो ।
ताप यसं
तापे
जजर ब झालो ॥ जय. ॥ ३
॥
मृ
गजलतृ
ण लटक हे
मजला कळले
।
माये
या अनु
सग
ंेकवटाळु
न ध रले
॥
काम ोधा दक हे
रपु
जागे
के
ले।
वषयां
या लोभानेव हत बु
ड वले
॥ जय.
॥४॥
ऎसी :खे
वदतां
थकलो मी ताता ।
आतां
अंत न पाह होई मज दाता ॥
व णू
चा कै
वारी सां
ब य असतां
।
मग कां
करणे
लागे
भवसागर चता । जय. ॥
५॥
**************************
शं
कराची आरती ३०
आरती चंशे
खराची ।
अं
बकेरा शं
करा च ॥ धृ
.॥
कमलासना नं
दवहना ।
रजताचली र चत भवना ॥
नयना मू
त पं
चवदना ।
ग रजा वामां
गी ललना ॥
चाल ॥ म तक गं
गा भं
गसं
गा ।
अंगाभरण भूत नु
त, क र त सु
र न त,
म
ेाभ य त, व र त न य याची लभा
व र त न य याची ॥ आर. ॥ १ ॥
क वगण या त पदार वदा ।
भू
या ग त सु
गण
ुवृ
दा ॥
य श तु
य इंकु
ं
दा ।
भजतां
ता रतसे
मं
दा ॥
चाल ॥ य त न खलसौ यजननी ।
होऊ न अ भत, च रत भु नरत, सतत जन
मु नीजसु ख भ रत हो त साची ॥ सवदा
भ रत हो त साची ॥ आरती. ॥ २ ॥
वाणी दे
वी धरी वीणा ।
व ध क र करताल नपु
णा ॥
इंरा गानरचन पू
णा ।
इंपटु
वण
ेु
नादकणा ॥ चाल ॥
धम धम थ ग मृ
दं
गाचा ।
नशामुख नाद सांपटू
मं
दहरकर
सु
द
ंर य नाक सव ल ुन से
व त वधृ
त
तां
डवां
ची ॥
शं
भल
ुा वघृ
त तां
डवाची ॥ आर. ॥३॥
न प म लला नीळकं
ठा ।
व णता ु
त ह हो त कु
ं
ठा ॥
काळ ध न अ कं
ठा ।
बु
धसभा पू
ज चरो कं
ठा ॥ चाल ॥
क रती नृ
य थै
यथै
या ।
अ सरा धरा, धारकोग ावरा, हरा रं
जवत
परा, ी त या गानसेवनाची भु ला
गानसेवनाची ॥ आर. ॥ ४ ॥
य मृत पाप सधु
तरणी । व धहरी ते
ही रत
मरणी ॥
गहना भु
वरा च करणी । नयनयु
ग इं
आ ण तरणी ॥
चाल ॥ न ध द न वासु
दे
व पाळ । वशा ळ
भा ळ, शोभ ल ीदला ल ा माल ,
काक लत ल ळत अ तकां त धव ल वभुच
॥
रं
जनी कां
त धव ल वभु
च ॥ आरती. ॥ ५
॥
************************
शं
कराची आरती ३१
जय दे
व जय दे
व वं
दे
तंग रशं
।
व धहर वासववं
दत चरणां
बज
ुम नशं
॥
धृ
.॥
रनीकरयु
तभालं
भु
वन यपालं
।
करतलधृ
तशरवाल दानवकु
लकालं
॥
कं
ठेधृ
त वषजां
ल नरम तपाल
व हधृतसुालंव रत भवंजालं
॥१॥
नगमाग ु
तसारं
भु
जगा धपहारं
।
क णा पारावारी भ मीकृ
त मारं
।।
भै
रवगणप तवारंग रतनया धारं
।
शुं
जग ारं
संत भु
जसारं
॥२॥
फ णवर कु
ंडल मंडत गं
ड थल युगल
ुं
मूनाधृ
त क लनाशक गंगाशु
भ स ललं।
भु
वन पावनकृ
पया पीता खलगरलं॥
वेछा त कमलासन पंचकमुख कमलं॥
जय. ॥ ३ ॥
क टत ट वलस ारणमाबर गमलं
।
भागवम शवापह वरमं
डत करकमलं
॥
कं
दं
मग
ृकर हम कर धाणव धवलं
।
व जतारा त सु
शो भत पं
चानन कमलं
॥
जय. ॥ ४ ॥
पं
चा य गं
गायु
त भाले
धृ
तनयनं
। जनसग
थ तयो जत प त जलशयनं॥
व सतद ा वहर मदकं
दल नयनं
।
नजपद प जसं
गत नारायण शरणं
॥ जय.
॥५॥
***************************
शं
कराची आरती ३२
जय दे
व जय दे
व जय जी मं
गश
ेा ।
आरती ओवाळू
ं
तु
जला सवशा ॥ धृ
.॥
महा थान तु
झे
गोमां
तक ां
ती ।
भावे
क नी क रतां
तु
जला आरती ।।
महाभ तु
झेन श द न गु
ण गाती ।
मी तो दास तु
या चरणां
ची माती ॥ जय. ॥
१॥
ध रलासी अवतार ां
माराया ।
साधू
सत
ंजन पृ
वी ताराया ॥
भ ां
चा तारक तू
ं
मं
गश
ेराया ।
सप अ य क रतो तु
जवरती छाया ॥ जय.
॥२॥
:खदा र ा दक ही व न नवारी ।
सं
क ापासू
नी मजलाग तार ॥
श घे
ऊ न कर ां
सं
हारी ।
जैसा धे
नू
र ी कृण नरकारी ॥ जय. ॥ ३
॥
त व गु
णवणन क रतां
पुयाचे
चे
व।
तु
झया चरणी आहे
माझा ढ भाव ।
तु
झे
दे
वालय ब य च उ साह ।
मोरेर तु
ज न मतो चरणी ठाव ॥ जय. ॥ ४
।।
**************************
शं
कराची आरती ३३
जय दे
व जय दे
व जय ग रजारमणा ।
पं
च ाण आरती वामी या चरणा ॥ धृ
.॥
अ भनय सु
द
ंर गं
गाकाशीपु
रवासी ।
व ेर ये
ऊ नयां
तारक उपदे
शी ।
जातां
उ र पं
थेहम ग रगगनासी ।
भजतांकेदारासी क ल क मष नाशी ॥
जय. ॥ १ ॥
मरतां
महाकाळ नगर उ ज यनी ।
दोषकाळ पू
जा पाहावी नयन ॥
सोर ट सोमेर नां
दे भु
वन ।
च चतन केया राहे
नज सदन ॥ जय.
॥२॥
ढकपु
रच वन ह दा ण वृां
चा ।
भू
षण नागे
शाचा म णमयमुां
चा ॥
परळ वै
जेर ह रहरतीथाचा ।
ऎसा शं
कर शोभे
ब वप ाचा ॥ जय. ॥ ३
॥
ॐकारममलेर रे
वापु
रपटण ।
ह रहरयुे
झाल बाणां
या खाणी ॥
शे
वाळ घृ
णेर वदतो क प वाणी ।
वेळ ची म हमा ऎकावी वण ॥ जय. ॥
४॥
गौतमऋ ष या तपे
गोदा आली हे
।
यं
बकराजा न मतां
भवभय जाता हे
॥
शा कनी डा कनी काळा या ेी राहे
।
भीमाशं
कर सु
द
ंर ते
थु
न दसताहे
॥ जय. ॥
५॥
द ण या ा क रतां
जाता ते
माग ।
शवरा जागरण म लकाजु
न लगी ॥
रामेर र नाकार मौ क या सं
गी ।
ादश लगे
क थली कृणाते
अंगी ॥ जय.
॥६॥
****************************
शं
कराची आरती ३४
जय दे
व जय दे
व जय शं
कर सां
बा ।
ओवाळ न नजभावे न मत मी स ाव वर
सहजगदं
बा ॥ धृ
.॥
जय जय शव हर शं
कर जय ग रजारमणा
।
पं
चवदन जय यं
बक पु
रासु
रदहना ॥
भव दव भं
जन सु
द
ंर मर हर सु
खसदना ।
अ वकल नरामय जय जग धु
रणा ॥
जय. ॥ १ ॥
जगदं
कु
रवरबीजा स मय सु
ख नीजा ।
सव चराचर ापक जगजीवन राजा ।
पा थत क णावचन जय वृ
षभ वजा ।
हर हर सव ह माया न मत पदकं
जा ॥ जय.
॥२॥
गं
गाधर गौरीवर जय गणप तजनका ।
भ जन य शं
भो वंतू
ं
मुनसनकां
॥
क णाकर सु
खसागर जनन ग या कनका ।
तव पद वं
दत मौनी भव ां
तीहरका ॥ जय.
॥३॥
**************************
शं
कराची आरती ३५
वृ
षवाहन वृ
द
ंारक वृ
द
ंकवर शं
भो ।
वारणसद जनवासो वा रदगलशं
भो ।
वासववं
दतअं
भो वक सतपदशं
भो ।
वा प तव णतवै
भव व ेर शं
भो ॥ १ ॥
जय दे
व जय दे
व शवशं
कर शं
भो ।
यामल शरण परा पर श शशे
खर शं
भो ॥ धृ
.
॥
भ ग वभू
षण भासु
र भावनभु
ज शं
भो ।
भु
सरूभू
रभयापद भगवन्
भय शं
भो ।
भै
रव भ कु
ं
भोदर णभर शं
भो ।
भा सत भू
त भयं
कर भ ाटन शं
भो॥ जय.
॥२॥
गं
गाधर ग रजावर गुकगु
ण शं
भो ।
गाढ करा सतगु
ण जतगायनगल शं
भो
गीतागोरसभु
ग्
भो गणप तगुशंभो ॥
गं
भीर गोप तगजन गोपालक शं
भो ॥ जय.
॥३॥
*************************
शं
कराची आरती ३६
शव सां
ब शव सां
ब शव धू
तपापा ।
व से
वकदासां
या ह रसी भवतापा ॥ धृ
.॥
व मू
त यान च ब म
ेळ आवडत ।
पाहतां
चंललाट मन त लन होत ॥
पगट जटां
त गं
गाजळ श र डळमळत ॥
नमळ पाणी शीतळ सवागी वत ॥ शव.
॥१॥
प रधान ा ां
बर ं
डां
या माळा ॥
भासे
शु मयू
राप र कं
ठ ह काळा ॥
तृ
तीय नेी नघती द ता न वाळा ॥
अंगावर धु
ं
दकारे
नागां
चा मे
ळा ॥ शव. ॥ २
॥
जगद शा मज दे
पादां
बज
ुसे
वा ॥
आस मराप र होउ न रस यावा ॥
माया ही जग अवघ उपदे
श हावा ॥
व णू
नेानाचा सु
द प लावावा ॥ शव. ॥
३॥
*************************
शं
कराची आरती ३७
जय दे
व जय दे
व जन र तप तदहना ॥
मंगल आरती क रत छे
द अध व पना ॥ धृ
.
॥
गौरीहर गं
गाधर तनु
कपू
रऎशी ॥
गज ा ाची चम म
ेपां
घरु
सी ॥
कं
ठ कपाळमाळा भाळ द शशी ॥
अ नलाशन भू
षण हर शोभत कै
लास ॥
जय. १ ॥
पु
रासु
र अ तद तु
र बल तो झाला ॥
तृ
णवत मा नत वासव वधी आ ण ह रला ॥
ते
हांनजर भाव मरताती तु
जला ॥
होउ न सकृप यां
वरी मा रसी पु
राला ॥
जय. ॥ २ ॥
जे
तव भ पु
र सर जप तप तव करीती ॥
यां
ते
अ ह स वबलान वरत ॥
शव शव या उ चारे
जेाणी मरती ॥
चारी मु ये
ऊनी यां
चा कर ध रती ॥ जय.
॥३॥
वृ
षभा ढा मू
ढां
लावी तव भजना ॥
भव सधु तर तो क र गा सु
लभ जना ।
होवो सु
लभ मला तव माये
ची रचना ॥
दास हणे
ताराया दे
तव सकृ
प वचना ॥
जय. ॥ ४ ॥
**************************
आरती शवाची ४०
जय जय वो शवसां
बा अं
बादे
वी या
नजवरा हो ।
जटाजू
ट शु
ळपाणी कपु
रगौरा गं
गाधरा हो
॥धृ
॥
पं
चवदन श शभू
षण नं
द वहना दगं
बरा हो ।
कपाळपाणी शं
भू
नीळ ीवा शवशं
करा हो ।
भ मधूलत वपु सु
द
ंर शोभे
भाळ ने
तसरा हो ॥१॥
वामांकव र ग रजा शोभे
कमळा ा सु
द
ंरी
हो ।
जी या ई णमा जगनगरचना नाना प र हो
।
थरचर सु
रनर क र ां
डाभीत र
हो ॥२॥
ा ां
बर ग णवरधर लवथव
गजचमाबरधरा हो ।
ा ाचे
भू
षण म त क भू
षत ब वतु
रा हो
।
मशान नल ड स सं
ग घे
उ नया
सहचरा हो ॥३॥
रघु
वर यकर वंन क रत नरं
जन
आरती हो ।
स ाव गु
णक त वणन के
ली यथामती हो ।
भू
धर शणला जे
थ ते
थ माझी ा कती हो
॥४॥
***********************
आरती शं
कराची ( नरं
जन वामी कृ
त)
४१
जयजय शवशं
करा कपु
रगौरा ग रजावरा
हो ।
कृणातीर नवासा वामी ीशकु
ं
तेरा हो
॥धृ
॥
जटाजू
ट श शभू
षण नील ीवा गं
गाधरा हो ।
दशभु
जपं
चानना शू
लपाणी व ं
भरा हो ।
पनाकधर हरशं
भन
ुदंवाहना दगं
बरा हो
॥१॥
ा णशाप मघवा होउ नया प आपण हो
।
कृणातीर तप के
ल ते
ण वृावरी बसू
न हो
।
णवुन ये
ण के
ल सां
डु
न कै
लासालागु
न हो
॥२॥
आपु
या ई णमा क न इंाचा उ ार हो
।
भ जना या साठ वसते
झाले
नीरं
तर हो ।
नरंजन गु
ण गातो होउ न चरणाचा ककर
हो ॥३॥
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आरती शं
कराची ( नरं
जन वामी कृ
त)
४२
जयदे
व जयदे
व जयजय शवसां
बा । आरती
ओवाळूतु
जसह हे
रं
बा ॥धृ
॥
माथा मु
कु
ट जटे
चा हे
माकृ
त पवळा ।
भ म वले
पन आं
ग ा - माळा ।
नाना सप वभू
षण शोभे
अवलीळा ।
कं
ठ धारण के
ल धर हळहळा ॥१॥
दशभु
जा पं
चानन श र भा गरथी वलसे
।
कपु
रवण वरा जत मं
द मत भासे
।
तवदन ने य सु
द
ंर प दसे
।
म मथ मरो न गे
ला या या सहवास ॥२॥
गजचमाबर ओल वे
ुनया व त ।
शू
ळ डम ह त क घे
उ न पाशां
त।
दं
डन क र ाच खं
डु
न ब म ॥३॥
वामां
काव र ग रजा शोभे
सु
द
ंरी ।
स ां
काव र गणप त पाशां
कु
शधारी ।
नरं
जन पं
चार त घे
उ नया कर ।
स ाव ओवाळ हरगुश शधारी ॥४॥
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कालभै
रवाची आरती ४३
(चाल - आरती स म
े)आरती ओवाळू
भावे
,
काळभै रवाला ॥
द नदयाळा भ व सला, स हो मजला ॥
दे
वा, स हो मजला ॥धृ
०॥
ध य तु
झा अवतार जग या, रौ पधारी ।
उ भयं
कर भ मू
त प र, भ ां
सी तारी ।
काशी ेी वास तु
झा तू
, तथला अ धकारी
।
तुझया नाम मरणे
पळती, पशा चा द भारी
॥
पळती, पशा चा द भारी ॥आरती०॥१॥
उपासकां
वरदायक होसी, ऐसी तव क त ।
ुजीव मी अपराधां
ना, मा या नच गणती
।
मा करावी कृ
पा असावी, सदै
व मजवरती
।
म लदमाधव हणे
दे
वा, घडो तु
झी भ ।
दे
वा, घडो तु
झी भ । आरती०
॥२॥काळभै रवाची आरती
उभा द णे
सी काळाचा काळ ।
खड्
गडम ह त शोभे शू
ळ॥
गळा घालु
नया पु
पां
ची माळ ।
आपु
लया भ ाचा क रतो सां
भाळ ॥१॥
जयदे
व जयदे
व जय ेपाळा ।
आरती ओवाळूतु
म या मु
खकमळा ॥
जयदे
व जयदे
व०॥
स र गर अवतार तु
झा ।
काशीपु
रीम ये
तूयोगीराजा ।
चरणी दे
शी जागा तूवामी माझा ।
आता भ ां
चा पाव शल काजा ॥२॥
जयदे
व०॥
उ रे
चा दे
व द णी आला ।
द ण के
दार नाव पावला ।
का ा काव ा ये
ती दे
वाला ।
चां
ग भलेबोला शीण हरला ॥३॥
जयदेव०॥
पाताल भु
वन थोर तु
मची याती ।
पणू
नी योगेरी वभु
वना ने
हती ॥
कानाचा मुका दे
ती स लाळा ।
तू
माय माऊली शे
षाचा माळा ॥जयदे
व०॥
पाची त वां
ची क नया आरती ॥
ओवाळू
या काळभै
रवाची मू
त ॥
अन यभावे
चरणी क नीया ीती ॥
नारायण हणे मु या नजभ ा ती
॥जयदे व जयदे
व०॥
**********************
शं
कराची आरती ४४
जय जय शवशं भो, शं
करा । हर, हर
कपु
रगौरा ॥धृ
०॥
अघ टत घ टत कृ
ती तु
झ सारी । व ं
भर,
सं
सारी
तु
ब
ंळजळगं
गास हत शर । लयानळ
ते
जः ी
के
वळ नळकं
ठ वषधारी । चंामृ
त रसधारी
लं
पट अधागी य नारी । अससी परी
मदनारी
समान अ हमुषकासनमयु
रा । गणप त-
कं
दकुमारा ॥१॥
अनं
त हां
डां
या माळा । फर व स अनं
त
वे
ळा
स चदानं
द तु
झी कळा । न कळे
, म पदे
सकळां
क चत्जाणील तो नर वरळा ।
ां
डाम ध आगळा
ाना या वशाळा । अ यासा या शाळा
ने
णुन ब करती पु
कारा । मू
ळा र ॐकारा
॥२॥
आ ेवण न हले
तृ
ण, पाणी ।
पवनगज जववाणी
मत न श शतरणी । प ग, श रधरी
धरणी
खग-मृ
ग-त -क टक जड ाणी । वत त या
अनु
स नी
वतंतो तू
च
ंी, तु
झी करणी । शव, शव, हे
शुळपाणी
अनाथ द नां
चा तू
ं
आसरा । लोक य नसे
सरा ॥३॥
शरणागत आल पायां
स । सं
र णकर
यास
अखं
डर स तू
ं
। व ास । आहे
ब
व ास
सदै
व कमल क र वास । एवढ पु
रवी
आस
आशा न करावी उदास । बोलेव णू
दास
अनंत भूलगा अवतारा । भव न धपार
उतारा ॥४॥
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शं
कराची आरती ४५
जय जय शव शव शव शं
भश
ुं
करा ।
हरहर हर महादे
व, चंशे
खरा ॥धृ
॥
जयजय गजवदन तात, मदन-दहना ।
जयजय भु
व नाथ, नं
दवाहना ।
जयजय नत दन अनाथ, जन कृ
पा करा
॥जयजय०१॥
शोभ त श र वे
ण जटा मु
गट
ुभू
षण ।
वाज त घन पजणा द, डम कं
कण ।
व ण त क व अधनारी, नर नटेरा
॥जयजय०२॥
गं
गाधर शू
लपा ण भाललोचना ।
पं
चानन गज पं
च-तापमोचना ।
हे
कपु
रगौर गौरीनाथ ई रा ॥जयजय०३॥
अ यायी प र मी अल , शरण या पदा ।
तू
ं
क णा क न सकल, वा र आपदा ।
हणेव णु
दास धां
व पाव ककरा
॥जयजय०४॥
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परमेराची आरती ४६
जय शवशं कर, सवशा । परमेर,
ह रहरवे
षा ॥धृ०॥
कपु
रगौरा, शु
भवदना । ीघननीळा,
मधु
सद
ुना
सदा शव, शं
भो, नयना । के
शवा यु
ता,
अहीशयना
अखंड, मी शरण मदनदहना । दाखवी चरण
ग डवाहना
चाल - दयाळा हमनगजामाता । कृ
पा कर
ील मीकांता
त वत दनवा ण, पाव नवाण ,
गज ावा ण
सोडवी तोडु
न भवपाशा । धाव अ वलं
ब
जगद शा ॥जय.॥१॥
सु
शो भतजटामु
कु
टगं
गा ।
धृ
तपदालं
छनभु
जग
ंा
वामकरतलमं
डत लगा । शु
ळ, जपमाळ,
भ म अं
गा
नरं
जन, नगु
ण, नःसं
गा । सगु
ण प सु
द
ंर
आभंगा
चाल- ततळवट जगदो ारा ।
क णामृ
तसं
गमधारा
जाहली कट, च ततां
लगट, शी सरसकट
करी नटखट चट गट ले
शा । पालटवी
ा नपटरे
षा ॥जय० ॥२॥
ला वती कपु
र दप सां
भा । आरती क रती
प नाभा
दसतसे
इंभु
वन शोभा , क तन हो त, गा त
रं
भा
नरसुअ काम ोधलोभा । लाभ त नर लभ
लाभा
चाल- जां या सह ाव ध पं । साद
न य तृ
त होती
चंदप भडके
, वा व न धडके
, पु
ढ वज
फडके
प तत जन होती नद षा । ऐकु
न भजना या
घोषा ॥जय० ॥३॥
द न द व स वाढ वण । या तव र चल
वाढवन
भुया चरणा य रहाण । वांछ त
सनका दक शाहणे
कशाला भा गर थत हाण । त र नको
पं
ढरपु
र पहाण
पहातां
समु
ळ ःख वसरे
। भु
लोक
वै
कु
ंठ च सर
ग ड-बै
लास, वाटे
कैलास, चढे
उ हास
व णु
दास पावे
हषा । क रतां
नमन
आ दपुषा ॥जय० ॥४॥
********************
अशोककाका कु
लकण
9096342451