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पृ  सं ा: 94 
 
 अ ास  
 
1.  न ल खत   के  उ र दी जये ­  
 
(क)  ेम का धागा टटने पर पहले क  भां त   नही हो पाता? 

 
उ र  
 
मे  का धागा एक बार टटने के  बाद उसे  ुबारा जोड़ा जाए तो उसमे गाँठ पड़ जाती ह। वह 
पहले क  भाँती नही जुड़ पाती, इसम अ व ास और संदह क  दरार पड़ जाती ह।  
 

(ख) हम अपना  ुख  ू सर  पर   नह   कट करना चा हए? अपने मन क   था  ू सर  से 


कहने पर उनका  वहार कै सा हो जाता ह? 
 

उ र 
 

हम अपना  ुख  ू सर  पर इस लए  कट नही करना चा हए  क इससे कोई लाभ नही ह। 


अपने मन क   था  ू सर  से कहने पर वे उसका मजाक उड़ाते ह। 
 

(ग) रहीम ने सागर क  अपे ा पंक जल को ध    कहा ह? 

उ र 
 

रहीम ने सागर क  अपे ा पंक जल को ध  इस लए कहा ह  क छोटा होने के  वावजूद भी 


वो लोग  और जीव­जंतुओ ं क   ास को तृ  करता ह। सागर  वशाल होने के  बाद भी  कसी 
क   ास नही बुझा पाता। 
 

(घ) एक को साधने से सब कै से सध जाता ह? 

 
 

उ र 
 

क व क  मा ता ह  क ई र एक ह। उसक  ही साधना करनी चा हए। वह मूल ह। उसे ही 


स चना चा हए। जैसे जड़ को सीचने से फल फू ल  मल जाते ह उसी तरह एक ई र को पूजने 
से सभी काम सफल हो जाते ह। के वल एक ई र क  साधना पर  ान लगाना चा हए। 
 

(ड़) जलहीन कमल क  र ा सूय भी   नही कर पाता? 

उ र  
 

जलहीन कमल क  र ा सूय भी इस लए नही कर पाता  क उसके  पास अपना कोई साम  


नही होता। कोई भी उसी क  मदद करता ह  जसके  पास आं त रक बल होता ह नही तो कोई 
मदद करने नही आता।  
 

(च) अवध नरश को  च कू ट   जाना पड़ा? 

उ र  
 

अपने  पता के  वचन को  नभाने के   लए अवध नरश को  च कू ट जाना पड़ा।  


 

(छ) 'नट'  कस कला म  स  होने के  कारण ऊपर चढ़ जाता ह? 

उ र  
 

'नट'  कुं डली मारने क  कला म  स  कारण ऊपर चढ़ जाता ह। 

 
(ज)'मोती, मानुष, चून' के  संदभ म पानी के  मह  को   क जए। 
 

उ र 
 

मोती' के  संदभ म अथ ह चमक या आब इसके   बना मोती का कोई मू  नह  ह। 'मानुष' 


के  संदभ म पानी का अथ मान स ान ह मनु  का पानी अथात स ान समा  हो जाए तो 
उसका जीवन  थ ह। 'चून' के  संदभ म पानी का अथ अ  से ह। पानी के   बना आटा 
नह  गूँथा जा सकता। आट और चूना दोन  म पानी क  आव कता होती ह। 
 

2.  न ल खत का भाव   क जए − 


 

(क) टट से  फर ना  मले,  मले गाँठ प र जाय। 

उ र 
 

क व इस पं   ारा बता रहा ह क   ेम का धागा एक बार टट जाने पर  फर से जुड़ना 


क ठन होता ह। अगर जुड़ भी जाए तो पहले जैसा  ेम नही रह जाता। एक­ ू सर के   त 
अ व ास और शंका होती रहती ह। 
 

(ख) सु न अ ठलैह लोग सब, बाँ ट न लैह कोय। 

उ र 
 

क व का कहना ह  क अपने  ुख  को  कसी को बताना नही चा हए।  ू सर लोग सहायता नही 


करगे और उसका मजाक भी उड़ायगे। 
 

(ग) र हमन मूल ह स चबो, फू लै फलै अघाय। 


 

उ र 
 

इन पं य   ारा क व एक ई र क  आराधना पर ज़ोर दते ह। इसके  समथन म क व वृ  


क  जड़ का उदाहरण दते ह  क जड़ को स चने से पूर पेड़ पर पया   भाव हो जाता ह। 
अलग­अलग फल, फू ल, प े स चने क  आव कता नह  होती। 
 

(घ) दीरघ दोहा अरथ के , आखर थोर आ ह। 

उ र 
 

दोहा एक ऐसा छं द ह  जसम अ र कम होते ह पर उनम ब त गहरा अथ  छपा होता ह।  


(ङ) नाद री झ तन दत मृग, नर धन हत समेत। 

उ र 
 

जस तरह संगीत क  मोहनी तान पर रीझकर  हरण अपने  ाण तक  ाग दता ह। इसी  कार 


मनु  धन कला पर मु  होकर धन अ जत करने को अपना उ  बना लेता ह और इस 
उ  क  पू त के   लए वो सब कु छ  ागने को भी तैयार हो जाता ह। 
 

(च)  जहाँ काम आवे सुई, कहा कर तरवा र। 

उ र 
 

हरक छोटी व  ु का अपना अलग मह  होता ह। कपडा  सलने का काय तलवार नही कर 


सकता वहां सुई ही काम आती ह। इस लए छोटी व  ु क  उपे ा नह  करनी चा हए। 
 

(च) पानी गए न उबर, मोती, मानुष, चून। 

उ र 
 

जीवन म पानी के   बना सब कु छ बेकार ह। इसे बनाकर रखना चा हए, जैसे चमक या आब के  


बना मोती बेकार ह, पानी अथात स ान के   बना मनु  का जीवन बेकार ह और  बना पानी 
के  आटा या चूना को गुंथा नही जा सकता। इस पं  म पानी क  मह ा को    कया 
गया ह। 
 

पृ  सं ा: 95 
 

3.  न ल खत भाव को पाठ म  कन पं य   ारा अ भ   कया गया ह − 

(क)  जस पर  वपदा पड़ती ह वही इस दश म आता ह।  

− ''जा पर  बपदा पड़त ह, सो आवत यह दस।'' 

(ख) कोई लाख को शश कर पर  बगड़ी बात  फर बन नह  सकती। 

− '' बगरी बात बनै नह , लाख करौ  कन कोय।'' 

(ग) पानी के   बना सब सूना ह अत: पानी अव  रखना चा हए। 

− ''र हमन पानी रा खए,  बनु पानी सब सून।'' 

4. उदाहरण के  आधार पर पाठ म आए  न ल खत श  के   च लत  प  ल खए − 


उदाहण :  कोय − कोई , जे ­ जो 
  ­­­­­­­­­­ कछ  ­­­­­­­­­­
­­­­­­  ­­­­­­ 

न ह  ­­­­­­­­­­ कोय  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

ध न  ­­­­­­­­­­ आखर  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

जय  ­­­­­­­­­­ थोर  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

होय  ­­­­­­­­­­ माखन  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

तरवा र  ­­­­­­­­­­ स चबो  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 
 

मूल ह  ­­­­­­­­­­ पअत  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

पआसो  ­­­­­­­­­­ बगरी  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

आवे  ­­­­­­­­­­ सहाय  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

ऊबर  ­­­­­­­­­­ बनु  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

बथा  ­­­­­­­­­­ अ ठलैह  ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 

प रजाय  ­­­­­­­­­­   ­­­­­­­­­­


­­­­­­  ­­­­­­ 
 

उ र 
 

  ­  जैस े कछ  ­  कु छ 

न ह  ­  नह   कोय  ­  कोई 

ध न  ­  ध   आखर  ­  अ र 

जय  ­  जी  थोर  ­  थोड़ 

होय  ­  होना  माखन  ­  म न 

तरवा र  ­  तलवार  स चबो  ­  स चना 

मूल ह  ­  मूल को  पअत  ­  पीना 

पआसो  ­  ासा  बगरी  ­  बगड़ी 


 

आवे  ­  आए  सहाय  ­  सहायक 

ऊबर  ­  उबरना  बनु  ­  बना 

बथा  ­  था  अ ठलैह  ­  हँ सी उड़ाना 

प रजाए  ­  पड़ जाए       

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