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अध्याय 4

नित्य धर्म और वैष्णव धर्म एक हैं कैसे?

जगत में वैष्णव धर्म के नाम से दो पथ


ृ क पथ
ृ क धर्म चलते हैं 1. शुद्ध वैष्णव धर्म और 2. विध वैष्णव
धर्म। शद्ध
ु वैष्णव धर्म तत्व एक होने पर भी रस की दृष्टि से इसके चार भेद हैं 1. दासगत वैष्णव धर्म
2. साख्य गत वैष्णव धर्म 3. वात्सल्य गत वैष्णव धर्म और 4. माधुरीयागतवैष्णव धर्म । वास्तव में शुद्ध
वैष्णव धर्म एक और अद्वितीय है तथा इसका नाम नित्य धर्म या पर धर्म है यस्मिन विज्ञातुम सर्वम
एवं विज्ञातूम भवति। जिन्हें विशेष रूप से जानने से सब कुछ जानना हो जाता है मुंडक उपनिषद 13
विद वैष्णव धर्म दो प्रकार का होता है कर्म विद वैष्णव धर्म और ज्ञान विथ वैष्णव धर्म कर्मवीर वैष्णव
धर्म भारत में वैष्णव धर्म की जितनी पद्धतियां हैं वे सभी कर्म विधि वैष्णव धर्म है इसमें वैष्णव मंत्र की
दीक्षा होने पर भी विष्णु को कर मांग अर्थात कर्म के अधीन मानते हैं कर्म विष्णु की इच्छा के अधीन
नहीं बल्कि विष्णु ही कर्म की इच्छा के अधीन है इस मत के अनस
ु ार उपासना भजन और साधन सभी
कर मांग है क्योंकि कर्म की अपेक्षा कोई भी उच्च तत्व नहीं है यह शुद्ध वैष्णव को वैष्णव नहीं मानते
यह इनका दर्भा
ु ग्य है ज्ञान वैद्य वैष्णव धर्म

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