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3 जनू को मबंु ई पहुचं गे ा चक्रवात 'निसारगा': मौसम विभाग

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनसु ार 1891 के बाद से निसारगा पहला चक्रवात
होगा जो जनू में महाराष्ट्र के तट से टकराएगा
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनसु ार 3 जनू , 2020 को चक्रवात 'निसारगा' मंबु ई
के पास तट से टकराएगा| जिसके कारण मानसनू की शरुु वात से पहले ही महाराष्ट्र में तेज हवाओ ं के
साथ बारिश और तफ ू ान के आने का अदं श े ा लगाया जा रहा है| आईएमडी ने बताया है कि 1 जनू
को दक्षिण पश्चिम मानसनू के रल पहुचं गे ा।
1 जनू सबु ह 11 बजकर 30 मिनट पर यह चक्रवात पणजी (गोवा) से लगभग 340 किमी दक्षिण-
पश्चिम में और मंबु ई से 630 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में बनेगा|
जोकि 2 जनू तक एक चक्रवात का रूप ले लेगा| फिर यह उत्तर से शरू ु होगा और उत्तर पर्वू से होता
हुआ महाराष्ट्र के तट पर पनु ः प्रवेश करे गा| आईएमडी के आक ं ड़ों के मतु ाबिक, 'निसारगा' 1890
के बाद से पहला चक्रवात होगा जो जनू में महाराष्ट्र तट से टकराएगा।
पिछले साल जनू में चक्रवात 'वाय'ु के महाराष्ट्र के पास टकराने के आसार थे पर वो गजु रात की
ओर मड़ु गया था| ज्यादातर जो चक्रवात जनू में बनते हैं वो आमतौर पर गजु रात और पाकिस्तान
के तटों की ओर मड़ु जाते हैं या फिर पश्चिम में ओमान और यमन की और चले जाते हैं|
मध्यम रें ज मौसम का पर्वा
ू नमु ान करने वाले यरू ोपियन सेंटर ने बताया है कि टकराने के बाद यह
चक्रवात कुछ धीमा पड़ जाएगा| इसके बावजदू यह महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में अदं र की और बढ़
जाएगा| जिससे वहां भारी बारिश होने का अदं श े ा है|
सयं क्त
ु राज्य अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक रघु मर्तुु गडु े ने बताया कि जब
मानसनू की शरुु आत होती है, तो दक्षिण पश्चिम हवाएं तेज हो जाती हैं| और वो सतह से कई
किलोमीटर ऊपर उठ जाती हैं| जैसे-जैसे चक्रवात तट के साथ उत्तर की ओर बढ़ता है, तो इसमें
वामावर्त (काउंटर क्लॉकवाइज) हवाएं दक्षिण पश्चिम हवाओ ं को दक्षिण की ओर धके ल देती हैं| यह
प्रक्रिया चलती रहती है जिससे चक्रवात बढ़ता जाता है| यह इसमें मौजदू हवाओ ं की ऊर्जा पर निर्भर
करता है कि यह कितनी दरू तक जाएगा| जोकि समद्रु के साथ-साथ जमीन पर भी काफी दरू ी तक
सक्रिय रह सकता है|
उष्णकटिबधं ीय चक्रवात आम तौर पर समद्रु ी जल के 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने के
कारण बनते और बढ़ते हैं| गर्मी के कारण समद्रु के ऊपर से गर्म और नम हवा बहती है, जिससे हवा
के कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है| आसपास के क्षेत्र से ठंडी हवा कम दबाव वाले क्षेत्र में आती
जाती है| ऐसा होने से ये ठंडी हवा भी गर्म हो जाती है| यह प्रक्रिया चलती रहती है जिससे हवा घमू ते
हुए एक चक्रवाती तफ ू ान का रुप ले लेती है| चक्रवात अम्फान के समय समद्रु की सतह का तापमान
32 से 33 डिग्री सेल्सियस हो गया था| जोकि अब तक का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया गया
तापमान है| जिसके चलते यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आये सबसे मजबतू तफ ू ानों में से एक
बन गया था|
कई वैज्ञानिक अम्फान के शक्तिशाली तफ ू ान बनने के पीछे एयरोसोल्स में आई गिरावट को वजह
मान रहे थे| गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते दक्षिण ऐसा में एयरोसोल्स के स्तर में गिरावट आ
गई थी| वातावरण में मौजदू एयरोसोल्स की वजह से असमय बारिश हो जाती है जिससे चक्रवात
शक्तिशाली नहीं हो पाते| निसारगा के मामले में भी इसी तरह कम एयरोसोल्स वाली स्थितियां
मौजदू हैं। जिस तरह अम्फान ने अपनी 130 किलोमीटर प्रति घटं ा की तेज रफ़्तार से कोलकाता
वालों को चौंका दिया था, उसी तरह के कुछ मंबु ई में भी निसारगा के कारण होने की आशंका है|
यह उत्तरी हिन्द महासागर में इस साल बनने वाला दसू रा चक्रवात है| अम्फान ने इससे पहले पश्चिम
बंगाल के सदंु रबन इलाके में 20 मई को भारी तबाही मचाई थी| जिसका सबसे ज्यादा असर दक्षिण
बंगाल और कोलकाता पर पड़ा था| पणु े के इडि ं यन इस्ं टीट्यटू ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरोलॉजी के
जलवायु वैज्ञानिक, रॉक्सी मैथ्यू कोल के अनसु ार "हाल ही में जो दोनों चक्रवात - अम्फान और
अब निसारगा, इन दोनों के पीछे समद्रु के बढ़ रहे तापमान का बड़ा हाथ है| जिसकी वजह से इनकी
तीव्रता बढ़ गई है|" कोल के अनसु ार दोनों चक्रवातों के बनने से पहले समद्रु की सतह का तापमान
30° सेल्सियस से ऊपर था| कभी-कभी तो वो 32 से 33 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया था|
इस बढ़ते तापमान के चलते इन चक्रवातों को शक्ति मिल रही है जिससे वो बार-बार बन रहे हैं|
उनके अनसु ार कई मौसम सम्बन्धी मॉडल इस उच्च तापमान के कारण इनकी तीव्रता को पकड़ने में
विफल रहते हैं, यही कारण है कि हमें इसकी सटीक भविष्यवाणी करने में मसु ीबतें आ रही हैं|
उनके अनसु ार देश में चक्रवात के कारण वातावरण में स्थिति सामान्य होने में कुछ वक्त लगेगा|
जिससे हो सकता है कि दक्षिण-पश्चिम मानसनू की गति में कमी आ सकती है। पिछले साल उत्तरी
हिन्द महासागर में आये 8 में से पांच चक्रवात अके ले अरब सागर में दर्ज किये गए थे| जोकि 1902
के बाद से आये सबसे ज्यादा चक्रवात हैं| यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि 2019 में अरब सागर
सामान्य से कहीं अधिक गर्म था| इसके साथ ही पिछले साल महासागर में सबसे ज्यादा गर्मी रिकॉर्ड
की गई थी| यह वैश्विक तापमान में हो रही वद्धिृ का एक प्रत्यक्ष परिणाम है क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों
के उत्सर्जन से जो गर्मी पैदा हो रही है उसका 90 फीसदी हिस्सा दनि ु या के महासागरों में चला जाता
है। जिससे वो तेजी से गर्म हो रहे हैं| परिणामस्वरूप चक्रवातों की सख्ं या और शक्ति बढ़ रही है और
वो पहले से कहीं ज्यादा विनाशकारी हो रहे हैं|

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