3 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है शिपिगं , 2050 तक
उसमें 50 फीसदी का हो सकता है इजाफा
शिपिंग के कारण होने वाले पीएम 2.5 प्रदषू ण के चलते करीब 94,000 लोगों की जान गई थी, जिसके 83 फीसदी के लिए अतं रराष्ट्रीय और 17 फीसदी मौतों के लिए घरे लु शिपिगं जिम्मेवार थी दनिु या भर में इसं ानों द्वारा किए जा रहे ग्रीनहाउस गैसों के करीब 3 फीसदी हिस्से के लिए शिपिंग जिम्मेवार है। जिसके बारे में अनमु ान है कि 2050 तक उसमें 50 फीसदी का इजाफा हो सकता है। हालांकि इसके बावजदू अभी भी इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही नहीं शिपिंग के कारण पैदा होने वाले अन्य प्रदषू क जैसे नाइट्रोजन और सल्फर ऑक्साइड भी स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हैं। ये प्रदषू क हवा की गणु वत्ता को इतना कम कर देते हैं, जिससे समय से पहले ही मौत हो जाती है। शिपिगं से होने वाले उत्सर्जन को देखें तो उसके लिए काफी हद तक बड़े डीजल इजं नों में उपयोग होने वाला भारी ईधन ं है जो बड़े पैमाने पर समद्रु ी और तटीय क्षेत्रों को प्रदषि ू त कर रहा है। इन इजं नों से निकलने वाले नाइट्रोजन और सल्फर ऑक्साइड के कण पीएम 2.5 के निर्माण में योगदान देते हैं आकार में बहुत छोटे इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर तक का होता है। यह कण सांस और ह्रदय सम्बन्धी रोगों को जन्म देते हैं। पिछले अध्ययनों से पता चला है कि शिपिंग से होने वाला पीएम 2.5 का उत्सर्जन हर साल हृदय तथा फे फड़ों संबंधी कैं सर से होने वाली करीब 60,000 मौतों के लिए जिम्मेवार है। अनमु ान है कि इजं न में प्रयोग किए जाने वाले सल्फर यक्त ु ईधन ं को सीमित करने के लिए बनाई अतं रराष्ट्रीय नीति आईएमओ 2020 की मदद से पीएम 2.5 को इतना कम किया जा सकता है जिससे हर साल करीब 34 फीसदी मौतों को टाला जा सकता है। यह नीति ईधन ं में सल्फर सामग्री को 0.5 फीसदी तक सीमित करती है। देखा जाए तो शिपिगं से होने वाले उत्सर्जन के लिए घरे लू और अतं रराष्ट्रीय दोनों तरह की शिपिगं गतिविधियां जिम्मेवार हैं। ऐसे में शिपिगं उद्योग को राष्ट्रीय और अतं र्राष्ट्रीय नीतियों द्वारा सचं ालित किया जाता है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर शिपिंग से होने वाले उत्सर्जन में कमी लाने और वायु गणु वत्ता और स्वास्थ्य में सधु ार के लिए दोनों पर ही ध्यान देने की जरुरत है। शिपिंग से होने वाले उत्सर्जन को समझने और नियंत्रित करने के लिए मैसाचसु ेट्स इस्ं टीट्यटू ऑफ टेक्नोलॉजी और हांगकांग यनि ू वर्सिटी ऑफ साइसं एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओ ं द्वारा एक अध्ययन किया गया है जो जर्नल एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। इसके लिए शोधकर्ताओ ं ने 2015 में घरे लू और अतं राष्ट्रीय शिपिगं से होने वाले उत्सर्जन का डेटाबेस बनाया है। साथ ही उन्होंने इन जहाजों से होने वाले पीएम 2.5 की एकाग्रता का पता लगाया है। जिसे उन्होंने मॉडल का उपयोग करके प्रदषू ण से होने वाली मृत्यदु र का अनमु ान लगाया है। 94,000 लोगों की मौत के लिए जिम्मेवार है शिपिगं से होने वाला प्रदषू ण शोध से पता चला है कि 2015 में शिपिगं से होने वाले पीएम 2.5 प्रदषू ण के चलते करीब 94,000 लोगों की असमय जान गई थी, जिसके 83 फीसदी के लिए अतं रराष्ट्रीय और 17 फीसदी मौतों के लिए घरे लु शिपिंग जिम्मेवार थी। जहां अधिकतर देशों में स्वास्थ्य पर पड़ते बोझ के लिए अतं रराष्ट्रीय शिपिंग जिम्मेवार थी वहीं पर्वी ू एशिया के देशों में अतं र्देशीय शिपिगं ने स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया था। अनमु ान है कि चीन में शिपिगं के कारण होने वाले प्रदषू ण और उससे होने वाली कुल मौतों के करीब 43 फीसदी के लिए घरे लू शिपिंग जिम्मेवार थी। शोधकर्ताओ ं का अनमु ान है कि यदि आईएमओ 2020 को लागु कर दिया जाए तो उससे हर वर्ष करीब 30,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है। वहीं अनमु ान है कि यदि सल्फर यक्त ु ईधन ं से जड़ु े नियमों को कठोर कर भी दिया जाए तो उससे मामल ू ी सा अतं र आएगा। यदि सल्फर सामग्री को 0.1 फीसदी तक सीमित कर भी दिया जाए तो उससे हर वर्ष पीएम 2.5 से होने वाली मौतों में 5,000 की कमी आएगी। वहीं इसके विपरीत यदि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से जड़ु े टियर III मानक को लागु करने से 33,000 से अधिक मौतों को टाला जा सकता है। ऐसे में एमआईटी से जड़ु े इस शोध की शोधकर्ता नोएल सेलिन का कहना है कि जिन देशों में घरे लु शिपिंग से ज्यादा जानें जा रही है वहां प्रदषू ण को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों और नियमों की जरुरत है, जबकि जिन क्षेत्रों में अतं रराष्ट्रीय जहाजों से ज्यादा नक ु सान हो रहा है, वहां स्वास्थ्य पर पड़ते प्रभावों को सीमित करने के लिए अतं रराष्ट्रीय सहयोग की जरुरत पड़ेगी।
The Happiness Project: Or, Why I Spent a Year Trying to Sing in the Morning, Clean My Closets, Fight Right, Read Aristotle, and Generally Have More Fun