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ऋषि, मुनि, सन्त, साधु, सन्यासी तथा भक्त की परिभाषा –

1. ऋषि
ऋषि:तु मन्त्र द्रष्टारः न तु कर्तारः।

सप्तर्षय - कश्यपोऽत्रिर्वसिष्ठश्च विश्वामित्रोऽथ गौतमः। जमदग्निर्भरद्वाज इति


सप्तर्षयः स्मत
ृ ाः ॥

2. मुनि मनन करनेवाला, व्यक्ति, मननशील महात्मा (जैसे—भग


ृ ु मुनि, जैन मुनि आदि)।

3. सन्त मनसि वचसि काये पुण्यपीयूषपूर्णा:


त्रिभुवनमुपकारश्रेणिभिः प्रीणयन्तः ।
परगुणपरमाणून् पर्वतीकृ त्य नित्यं
निजहृदि विकसन्तः सन्ति सन्तः कियन्त: ॥

(नीतिशतकम् (५३/२२१)

मन, वाणी और शरीर में सकर्मरूपी अमृत से परिपूर्ण , तीनों लोकों का अनेक प्रकार के उपकारों से कल्याण करने वाले और दूसरों के थोडे
से भी गुणों को सर्वदा बहाड की तरह (बहुत बडा) मानकर अपने हृदय में प्रसन्न होने वाले सत्पुरुष (संसार में) कितने हैं, अर्थात् ऐसे सज्जन
बहुत कम है, दुर्लभ हैं ।
4. भक्त

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