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कल्पना कीजिए कि आप अपनी मत्ृ यु शय्या पर हैं और आप दो मिनट में मरने वाले हैं। वह सब कुछ हटा दें जो

आप नहीं हैं - आपकी संवेदनाएं, विचार और भावनाएं। अपनी नींद को आसन्न मत्ृ यु के रूप में दे खें। शरु
ु आत में
आपको अपने भीतर एक खास तरह का डर और संघर्ष महसस ू हो सकता है । ले किन यह गज
ु र जाएगा। अपने
शरीर को बैठे रहने दें और बस अपनी आँखें बंद करके लेट जाएँ। इस तरह सो जाओ। यदि आप इसे हर रात करते
हैं, तो हर रात बहुत सारे कर्म किए जा सकते हैं। यदि आप ऐसे सोते हैं जैसे कि आप मर रहे हैं, तो आप दे खेंगे कि
आपके कर्म का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । आप समय के साथ पाएंगे कि आप बाध्यकारी व्यवहार से एक
सचेत अस्तित्व की ओर बढ़ रहे हैं।

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