Professional Documents
Culture Documents
अरुचि होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
अरुचि होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
HOME मधुमेह क पूरी जानकारी आयुवद बालरोग पु ष के रोग ीरोग OTHER HEALTH TIPS BEAUTY TIPS FOOD
क याण आयुवद- अ च, खाना खाने क इ छा ना होना, अरोचक, आधु नक व ान म इसे लॉस आफ ऐपेटाइट कहते ह.
Breaking News
भोजन म अ न छा को एनोरे सया कहते ह. इसम धान वकृ त आमाशय, अ नाशय अथवा यकृत म होती है. धान प से
यह कसी शारी रक वकृ त का एक ल ण मा है. इस रोग म थोड़ा भी भोजन करने क इ छा नह होती है. अगर जबरज ती
भोजन करने बैठ जाएं तो 1-2-4 कौर से अ धक नह खा पाते ह. उसका पेट गैस से भरा रहने के कारण बना कुछ खाए ही
भारी रहता है.
facebook count=3.5k;
Followers
अ च होने के कारण-
चता, भय, ोध, घबराहट, ह ट रया, अ न ा तथा अ य मान सक थ तय म भूख लगना बंद हो जाती है.
सं ामक रोग-
चरकारी रोग-
beauty food Health Other
य मा आ द चरकारी रोग म मु य ताजा भोजन के त अ च हो जाती है.
डाय बट ज क पूरी जानकारी पु ष के रोग
चयापचय या म मंदता-
बालरोग ीरोग
ए डशंस तथा म सीडीमा आ द ऐसे रोग ह. जनम शरीर म संपा दत होने वाली चयापचय या ब त मंद हो जाती है प रणाम
व प रोगी को अ च हो जाती है.
आज के युग म वटा मन क कमी भी अ च का एक धान कारण माना जा रहा है. वशेष प से शरीर म वटा मन बी
कंपले स क कमी हो जाती है तो भूख ख म हो जाती है. recentcomments
शरीर या मक कारण-
अ य धक पौ क आहार लेने तथा पूरे दन काय न करने आ द के कारण भी अ च हो जाती है. Gallery
कृ म रोग-
Videos
ीरोग बालरोग
Featured
शरीर म आंत रक कृ मय क उप थ त म भी अ च एक धान कारण है.
को ब ता-
Total Pageviews
202,020
Pages
Home
आमाशय ण-
About Me
Dr P.K. Sharma
View my complete pro le
Popular Posts
अ य कारण-
सं ामक वर, ूबरकुलो सस तथा मेली ट डजीज इसके लए वशेष उ रदाई है. गै क अ सर क ारं भक अव था
इसका कारण हो सकता है. अ सर म कभी-कभी भोजन लेने के त भय सा तीत होता है. Categories
रोग के कारण क मह ा-
Beauty 65
अ च के अ धकांश रोगी मान सक वषमयता से सत रहते ह. अ च म शारी रक कारण क अपे ा मान सक कारण का Food 54
वशेष मह व माना जाता है. 0
Health 16
57
अ च के ल ण-
Other 14
86
इस रोग म रोगी को खाना खाने क इ छा नह होती है. य द वह अपनी इ छा के व या सबके कहने पर खाने के लए राजी डाय बट ज क पूरी जानकारी 13
भी हो जाता है तो दो-चार कौर से यादा नह खा पाता है. 3
पु ष के रोग 32
1
थोड़ा सा खाने के बाद ही उसे ऐसा लगता है क उसका पेट भर गया तबीयत भारी हो जाती है.
बालरोग 7
रोगी का पेट भारी मालूम पड़ता है और मुंह म कभी-कभी पानी भर आता है.
कसी काय म उसका मन नह लगता है. वह सदै व म लन मुख रहता है. भोजन के बाद भी उसका चेहरा खुश नजर नह आता है.
रोग के लंबे समय तक बने रहने से उसके शरीर म काफ कमी आ जाती है और वह एनी मक हो जाता है.
अनेक बार यकृत दोष एवं षत पीत के संचय के कारण वाद क कटु ता तथा अ च भी उ प हो जाती है.
6 .अजीण तथा अमाशय शोथ क उ चत च क सा कर. त प ात वटा मन सी, वटा मन बी कंपले स आ द ारा एनोरे सया
का शमन कर.
11 .अगर मसूड़ और दांत से खून नकलने के कारण अ च क सम या ई है तो इसे र करने का उपाय कर.
12 . थम 2 दन चावल और मूंग क दाल क खचड़ी खलाकर 4 तोलासोठ, 4 तोला सौफ, 4 तोला सनाय क प ी, 4 तोला
सधा नमक, 4 तोला बड़ी हरड़ को वाथ बनाकर सुबह- शाम पलाकर वरेचन करावे.
13 .4gram एलुवा, 2 ाम उषारे रेवन, 1 ाम भुनी ई ह ग, 6 ाम खील सुहागा सबको महीन पीसकर अमलतास के रस से
मटर के बराबर गोली बना ल. अब इस गोली को 1-2 क मा ा म शीतल जल के साथ सेवन कराएं. इससे मल को फुलाकर उदर
वकार शांत करती है.
14 .थूहर के ध म चावल को भगोकर फूल जाने पर पीसकर पुआ बनाकर 7 दन खलाने से उदर के वकार, अजीण, गु म,
लीहा, जलोदर, अ च र होती है.
15 . बड़नमक, अजवाइन, दोन जीरे, हरे, च क, स ठ, काली मच, पीपल, अमलबेत, अजमोद, ध नया, सबको बराबर मा ा म
लेकर पीसकर चूण बना ल. अब इस चूण को 3 से 6 ाम क मा ा म जल के साथ सेवन करने से उदर वकार, अ नमांध तथा
अ च र होती है.
16 .लवण भा कर चूण 3 से 6 ाम क मा ा म पानी या छाछ के साथ सेवन करने से अ च से राहत मलती है.
17 .जवाखार, स जीखार, खील सुहागा, पीपल, पीपरामूल, च य, च क, सोठ सबको बराबर मा ा म लेकर सब के बराबर
भुनी ई भांग. भांग से आधी सहजन क जड़ क छाल को पीसकर पाउडर बना ल. अब इनको एक दन भांग के रस म खरल
कर. इसके बाद एक दन सहजन के रस म खरल कर. एक दन च क के रस म खरल करके सुखा कर हाड़ी म भरकर मु य
मु ा कर गजपुट म फक द. इसके बाद इसे नकाल कर अदरक के रस से 7 दन घुटाई कर दो दो र ी के बराबर गोली बना ल.
अब इस गोली को एक से दो क मा ा म गुड़ के साथ या मधु के साथ सेवन कर. इसके नय मत सेवन करने से अजीण,
अ तसार, सं हणी, अ नमां अ च आ द र हो जाती है.
18 .घी गवार आधा शेर, अदरक का रस आधा शेर, न बू का रस आधा शेर, पांच नमक पावभर, जवाखार एक छटाक सबको
म के पा म भरकर मु य मु ा कर 1 म हना धूप म रख दे . 1 माह बाद इसे छानकर शीशी म रख ल. अब 6 ाम से 12 ाम
दन म दो बार पीने से अ च, अ नमां , गु म, यकृत, लीहा, ज डस, बवासीर आ द उदर रोग को न करता है.
Tags: Health
POST A COMMENT
0 Comments