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Home  Health  अ च होने के कारण, ल ण और घरेलू एवं आयुव दक उपाय About Me

अ च होने के कारण, ल ण और घरेलू एवं आयुव दक


उपाय
 Dr P.K. Sharma  February 11, 2019

क याण आयुवद- अ च, खाना खाने क इ छा ना होना, अरोचक, आधु नक व ान म इसे लॉस आफ ऐपेटाइट कहते ह.

Dr. P.K. Sharma.H.L.T.(RANCHI)

मै आयुवद च क सक ँ एवं आयुवद, जड़ी-बू टय , रस-


भ म ारा लकवा, साय टका, ग ठया, चम रोग, दाद
दनाय, गु त एवं नए-पुराने रोग का इलाज करता ँ.
ध यवाद !

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भोजन म अ न छा को एनोरे सया कहते ह. इसम धान वकृ त आमाशय, अ नाशय अथवा यकृत म होती है. धान प से
यह कसी शारी रक वकृ त का एक ल ण मा है. इस रोग म थोड़ा भी भोजन करने क इ छा नह होती है. अगर जबरज ती
भोजन करने बैठ जाएं तो 1-2-4 कौर से अ धक नह खा पाते ह. उसका पेट गैस से भरा रहने के कारण बना कुछ खाए ही
भारी रहता है.
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अ च होने के कारण-

सामा य प से अ च न न रोग अथवा अव था म होती है.

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हाइ ो लो रक ए सड क कमी-

ती तथा ॉ नक अमाशय सूजन आ द रोग म जब अमाशय क ं थयां हाइ ो लो रक ए सड का कम मा ा म नमाण करती


है तब अ च हो जाती है.

मान सक कारण- Recent Posts

चता, भय, ोध, घबराहट, ह ट रया, अ न ा तथा अ य मान सक थ तय म भूख लगना बंद हो जाती है.

सं ामक  रोग-

कसी भी सं मण क ारं भक अव था म रोगी को ायः अ च हो जाती है. Tags

चरकारी रोग-
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य मा आ द चरकारी रोग म मु य ताजा भोजन के त अ च हो जाती है.
डाय बट ज क पूरी जानकारी पु ष के रोग
चयापचय या म मंदता-
बालरोग ीरोग

ए डशंस तथा म सीडीमा आ द ऐसे रोग ह. जनम शरीर म संपा दत होने वाली चयापचय या ब त मंद हो जाती है प रणाम
व प रोगी को अ च हो जाती है.

शरीर म वटा मस क कमी- Comments

आज के युग म वटा मन क कमी भी अ च का एक धान कारण माना जा रहा है. वशेष प से शरीर म वटा मन बी
कंपले स क कमी हो जाती है तो भूख ख म हो जाती है. recentcomments

शरीर या मक कारण-

अ य धक पौ क आहार लेने तथा पूरे दन काय न करने आ द के कारण भी अ च हो जाती है. Gallery

कृ म रोग-

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शरीर म आंत रक कृ मय क उप थ त म भी अ च एक धान कारण है.

को ब ता-

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अमाशय का अ धक मा ा म संचय से होने पर तथा मलाव द के कारण भी भोजन क त अ च होती है.

आमाशय ण-

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घरेलू उपाय
लीवर क खराबी से होता है.
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अ य कारण-

सं ामक वर, ूबरकुलो सस तथा मेली ट डजीज इसके लए वशेष उ रदाई है. गै क अ सर क ारं भक अव था
इसका कारण हो सकता है. अ सर म कभी-कभी भोजन लेने के त भय सा तीत होता है. Categories

रोग के कारण क मह ा-
 Beauty 65

अ च के अ धकांश रोगी मान सक वषमयता से सत रहते ह. अ च म शारी रक कारण क अपे ा मान सक कारण का  Food 54
वशेष मह व माना जाता है. 0
 Health 16
57
अ च के ल ण-
 Other 14
86
इस रोग म रोगी को खाना खाने क इ छा नह होती है. य द वह अपनी इ छा के व या सबके कहने पर खाने के लए राजी  डाय बट ज क पूरी जानकारी 13
भी हो जाता है तो दो-चार कौर से यादा नह खा पाता है. 3

 पु ष के रोग 32
1
थोड़ा सा खाने के बाद ही उसे ऐसा लगता है क उसका पेट भर गया तबीयत भारी हो जाती है.
 बालरोग 7

रोगी को ख अथवा सुखी डकारे आती है.


 ीरोग 35
5
बना खाए पए ही उसका दल भरा सा मालूम होता है.

रोगी का पेट भारी मालूम पड़ता है और मुंह म कभी-कभी पानी भर आता है.

कसी काय म उसका मन नह लगता है. वह सदै व म लन मुख रहता है. भोजन के बाद भी उसका चेहरा खुश नजर नह आता है.

रोगी थोड़ी सी मेहनत करने पर ही थक जाता है.

रोग के लंबे समय तक बने रहने से उसके शरीर म काफ कमी आ जाती है और वह एनी मक हो जाता है.

अनेक बार यकृत दोष एवं षत पीत के संचय के कारण वाद क कटु ता तथा अ च भी उ प हो जाती है.

अ च र करने के आयुव दक एवं घरेलू उपाय-

1 .रोगी को चता, शोक आ द कारण से बचना चा हए.

2 . जस कारण से अ च क सम या ई है सबसे पहले उस कारण को र करना चा हए.

3 .रोगी का मन सदै व खुश रख तथा उसे अकेला कभी न छोड़े.

4 .शरीर म र क कमी क थ त म र वधक द पन पाचन औष धयां लीवर ए स ै ट आ द का योग करना चा हए.

5 .कृ म क थ त म कृ म नाशक दवाइयां दे ना चा हए. वडंग का चूण दे ना हतकर होता है.

6 .अजीण तथा अमाशय शोथ क उ चत च क सा कर. त प ात वटा मन सी, वटा मन बी कंपले स आ द ारा एनोरे सया
का शमन कर.

7 .आमांश एवं मल के शोधन के लए कै टर आयल आ द का योग आव यक है.



8 .स ताह म 1 दन उपवास रखने से ुधा म वृ हो कर अ च का वकार न होता है.
9 .रोगी को खाने से पहले टहलने का सलाह द. ातः और शाम खुली हवा म टहलने को कह.

10 .रोग क पुरानी थ त होने पर शरीर पर तेल क मा लश कर.

11 .अगर मसूड़ और दांत से खून नकलने के कारण अ च क सम या ई है तो इसे र करने का उपाय कर.

12 . थम 2 दन चावल और मूंग क दाल क खचड़ी खलाकर 4 तोलासोठ, 4 तोला सौफ, 4 तोला सनाय क प ी, 4 तोला
सधा नमक, 4 तोला बड़ी हरड़ को वाथ बनाकर सुबह- शाम पलाकर वरेचन करावे.

13 .4gram एलुवा, 2 ाम उषारे रेवन, 1 ाम भुनी ई ह ग, 6 ाम खील सुहागा सबको महीन पीसकर अमलतास के रस से
मटर के बराबर गोली बना ल. अब इस गोली को 1-2 क मा ा म शीतल जल के साथ सेवन कराएं. इससे मल को फुलाकर उदर
वकार शांत करती है.

14 .थूहर के ध म चावल को भगोकर फूल जाने पर पीसकर पुआ बनाकर 7 दन खलाने से उदर के वकार, अजीण, गु म,
लीहा, जलोदर, अ च र होती है.

15 . बड़नमक, अजवाइन, दोन जीरे, हरे, च क, स ठ, काली मच, पीपल, अमलबेत, अजमोद, ध नया, सबको बराबर मा ा म
लेकर पीसकर चूण बना ल. अब इस चूण को 3 से 6 ाम क मा ा म जल के साथ सेवन करने से उदर वकार, अ नमांध तथा
अ च र होती है.

16 .लवण भा कर चूण 3 से 6 ाम क मा ा म पानी या छाछ के साथ सेवन करने से अ च से राहत मलती है.

17 .जवाखार, स जीखार, खील सुहागा, पीपल, पीपरामूल, च य, च क, सोठ सबको बराबर मा ा म लेकर सब के बराबर
भुनी ई भांग. भांग से आधी सहजन क जड़ क छाल को पीसकर पाउडर बना ल. अब इनको एक दन भांग के रस म खरल
कर. इसके बाद एक दन सहजन के रस म खरल कर. एक दन च क के रस म खरल करके सुखा कर हाड़ी म भरकर मु य
मु ा कर गजपुट म फक द. इसके बाद इसे नकाल कर अदरक के रस से 7 दन घुटाई कर दो दो र ी के बराबर गोली बना ल.
अब इस गोली को एक से दो क मा ा म गुड़ के साथ या मधु के साथ सेवन कर. इसके नय मत सेवन करने से अजीण,
अ तसार, सं हणी, अ नमां अ च आ द र हो जाती है.

18 .घी गवार आधा शेर, अदरक का रस आधा शेर, न बू का रस आधा शेर, पांच नमक पावभर, जवाखार एक छटाक सबको
म के पा म भरकर मु य मु ा कर 1 म हना धूप म रख दे . 1 माह बाद इसे छानकर शीशी म रख ल. अब 6 ाम से 12 ाम
दन म दो बार पीने से अ च, अ नमां , गु म, यकृत, लीहा, ज डस, बवासीर आ द उदर रोग को न करता है.

आयुवद च क सक- डॉ. पी.के. शमा. ( एच.एल.ट . रांची )

Tags: Health

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