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ch6 2
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तीन वर्ग :-
यूरोप में फ्रांसििी िमरज मुख्यत : तीन वर्गों में ववभरजजत थर जो ननम्नसिखित है
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शरसमि थे।
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3. कृषक वर्गग - इि वर्गग में ककिरन और मजदरु आदद शरसमि थे।
सामंतवाद :-
( i ) पादरी वर्ग
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पादररयों और बिशपों की ववशेषताएँ :-
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1. इनके परि ररजर द्वररर दी र्गई भूसमयराँ थी , जजनिे वे कर उर्गरह िकते थे ।
2. रवववरर के ददन ये िोर्ग र्गराँव में धमोपदे श दे ते थे और िरमूदहक प्ररथगनर
करते थे ।
3. ये फ़्रांसििी िमरज के प्रथम वर्गग में शरसमि थे इन्हें ववशेषरधधकरर प्ररप्त थर
।
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4. टरईथ नमक धरसमगक कर भी विूिते थे ।
5. जो पुरुष परदरी बनते थे वे शरदी नहीां कर िकते थे |
6. धमग के क्षेत्र में ववशप असभजरत मरने जरते थे और इनके परि भी िरडग क
तरह ववस्तत
ृ जरर्गीरें थी ।
भिक्षु और मठ :-
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चचग के आिरवर कुछ ववशेष श्रद्धरिु ईिरइयों क एक दि
ू री तरह क िांस्थर थी ।
जो मठों पर रहते थे और एकरांत जीवन व्यतीत करते थे । ये मठ मनुष्य क आम
आबरदी िे बहुत दरू हुआ करती थी ।
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भिक्षुओं की ववशेषताएँ :-
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6. पुरुषों और मदहिरओां के सिए अिर्ग - अिर्ग ऑबे थे । परदररयों क तरह ,
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सभक्षु और सभक्षुखणयराँ भी वववरह नहीां कर िकती थे ।
7. वे एक स्थरन िे दि
ू रे स्थरन पर घम
ू - घूम कर िोर्गों को उपदे श दे ते और
दरन िे अपनी जीववकर चिरते थे ।
दस
ू रा वर्ग - अभिजात वर्ग
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3. वे अपनर स्वयां कर न्यरयरिय िर्गर िकते थे ।
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4. यहराँ तक कक अपनी मद्र
ु र भी प्रचसित कर िकते थे ।
5. वे अपनी भूसम पर बिे िभी व्यजततयों के मरसिक थे ।
1. स्वतांत्र ककिरन
2. िर्फग ( कृवष दरि )
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स्त्वतंर कृषकों की िूभमका :-
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िकडी के हि के स्थरन पर िोहे के भररी नोक वरिे हि और िराँचेदरर पटरे
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कर प्रयोर्ग ।
पशओ
ु ां के र्गिे के स्थरन पर जआ
ु अब कांधे पर ।
घोडे के िरु ों पर अब िोहे क नरि कर प्रयोर्ग ।
कृवष के सिये वरयु और जिशजतत कर प्रयोर्ग ।
िांपीडको व चजतकयों में भी वरयु तथर जिशजतत कर प्रयोर्ग ।
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दो िेतों क व्यवस्थर के स्थरन पर तीन िेतों वरिी व्यवस्थर कर उपयोर्ग ।
कृवष उत्परदन में तेजी िे बढ़ोतरी ।
भोजन क उपिब्धतर दर्ग
ु न ु ी ।
कृषकों को बेहतर अविर ।
जोतों कर आकरर छोटर ।
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इििे अधधक कुशितर के िरथ कृवष करयग होनर व कम श्रम क आवचयकतर
।
कृषकों को अन्य र्गनतववधधयों के सिए िमय ।
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चौदहवीां शतरब्दी के आरां भ में यूरोप को आधथगक ववस्तरर धीमर पडने के कररण
तेरहवीां िदी के अांत तक उत्तरी यूरोप में तेज ग्रीष्म ऋतु कर स्थरन ठां डी
ग्रीष्म ऋतु ने िे सियर ।
पैदरवरर के मौिम छोटे , तूफरनों व िरर्गरीय बरढ़ों िे फरमग प्रनतष्ठरन नष्ट ।
िरकरर को करों िे आमदनी में कमी ।
पहिे क र्गहन जत
ु रई के तीन क्षेत्रीय फिि चि िे भसू म कमजोर ।
चररर्गरहों क कमी िे पशओ
ु ां क िांख्यर में कमी ।
जनिांख्यर वद्
ृ धध के कररण उपिब्ध िांिरधन कम पडनर ।
1315 - 1317 में यरू ोप में भयांकर अकरि , 1320 ई . में अनेक पशओ
ु ां क
मौत । आजस्ियर व िर्बगयर क चराँदी क िरनों के उत्परदन में कमी ।
धरतु - मद्र
ु र में कमी िे व्यरपरर प्रभरववत ।
जि पोतों के िरथ चूहे आए जो ब्यब
ू ोननक प्िेर्ग जैिी महरमररी कर िांिमण
िरए । िरिों िोर्ग ग्रसित ।
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ववनरशिीिर के िरथ आधथगक मांदी िे िरमरजजक ववस्थरपन हुआ । मजदरू ों
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क िांख्यर में कमी आई इििे मजदरू ी क दर में 250 प्रनतशत तक क
वद्
ृ धध ।
राजनीततक पररवतगन :-