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पाठ – हामिद खााँ (संचयन)

लेखक- एस. के. पोट्टे काट


पाठ्‍य पस्
ु तक के प्रश्न उत्तर-

1. लेखक का पररचय हामिद खााँ से ककन पररस्स्िततयों िें हुआ?


उत्तर:- लेखक भारत के निवासी थे। एक बार वे तक्षशिला के पौराणिक खंडहर दे खिे गए
थे। गर्मी के कारि लेखक का भख
ू -प्यास से बुरा हाल था। खािे की तलाि र्में वे रे लवे
स्टे िि से थोड़ी दरू ी पर बसे गााँव की तंग और गंदी गशलयों से भरे बाजार र्में खािे-पीिे
का कोई होटल की तलाि करने लगे। तभी एक दक
ु ाि पर रोटटयााँ सेंके जािे की खुिबू
िे लेखक की भख
ू और बढ़ा दी। वे होटल र्में खािा खािे के शलए चले गए। वहीं पर
लेखक का पररचय हाशर्मद खााँ से हुआ। हाशर्मद खााँ से बातचीत करिे पर दोिों एक-दस ू रे से
प्रभाववत हुए बबिा िहीं रह सके। मस्ु ललम होते हुए भी उसिे लेखक की र्मेहर्माििवाज़ी
करिे र्में कोई कसर िहीं छोड़ी थी।
2. ‘काश िैं आपके िल्
ु क िें आकर यह सब अपनी आाँखों से दे ख सकता।’ – हामिद ने
ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:- जब हाशर्मद खााँ को पता चला कक लेखक टहंद ू है तो हाशर्मद िे बड़ी है रानी से पछ
ू ा –
क्या वे र्मुसलर्मािी होटल र्में खाना खाएाँगे। तब लेखक िे बताया कक उनके शहर मालाबार
में (टहंदस्
ु ताि) र्में टहंद-ू र्मुस्ललम र्में कोई भेद िहीं होता है । वहााँ टहंद-ू र्मुसलर्मािों के बीच दं गे
िहीं के बराबर होते हैं। लेखक िे हाशर्मद खााँ को बताया भारत र्में टहंद-ू र्मस
ु लर्माि शर्मलकर
रहते हैं। हाशर्मद को लेखक की बात पर ववश्वास िहीं हुआ और उसे यह सब एक स्वप्ि-
सा लग रहा था क्योंकक तक्षशिला र्में आए टदि हहिंद-ू मुसलमान के बीच झगड़े (दं गे) होते
रहते हैं। लेखक की इस बात को सुनकर हाममद ने यह कथन कहा कक वह ऐसी जगह को
स्वयं दे खकर तसल्ली करिा चाहता है ।

3. हामिद को लेखक की ककन बातों पर विश्िास नह ं हो रहा िा?


उत्तर:- लेखक िे हाशर्मद को बताया कक उनके शहर मालाबार में यहद ककसी हहिंद ू को बटढ़या
पुलाव या चाय पीने हो तो वे लोग बेखटके र्मुसलर्मािी होटलों में जाते हैं। वहााँ टहंद-ू
र्मस
ु लर्माि र्में कोई फ़कक िहीं ककया जाता है । लेखक ने बताया कक र्मस
ु लर्मािों ने स्िस
पहली मस्लिद का ननमााण ककया, वह उनके शहर र्मालाबार के कोडुग
ं ल्लरू र्में ही है । उिके
िहर टहंद-ू र्मस
ु लर्मािों र्में कोई भेदभाव िहीं है । इसशलए हाशर्मद को लेखक की बातों पर
ववश्वास िहीं हुआ और वह अपिी आाँखों से यह सब दे खिा चाहता था।

4. हामिद खााँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों ककया?


उत्तर:- हाशर्मद खााँ को गवक था कक एक टहंद ू िे उिके होटल र्में खािा खाया। साथ ही वह
लेखक के िहर र्मालाबार की टहंद-ू र्मुस्स्लर्म एकता और प्रेर्म की बातें सुिकर कायल हो गया
था। साथ ही वह लेखक को र्मेहर्माि भी र्माि रहा था, तो इस िाते से ब वह लेखक से
पैसा िहीं लेिा चाहता था । उसका कहिा था कक आप जब भी अपिे दे ि पहुाँचे तो ककसी
र्मस
ु लर्मािी होटल र्में जाकर इस पैसे से पल
ु ाव खाएाँ और याद करें ।

5. िालाबार िें हहंद-ू िुसलिानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों िें मलखखए।
उत्तर:- र्मालाबार र्में टहंद-ू र्मुसलर्माि र्में परस्पर भेद-भाव िहीं होता। वे शर्मलकर रहते हैं,
उिर्में आपसी दं गे भी िहीं होते हैं। बटढ़या पुलाव खािे या चाय पीिे के शलए टहंद ू भी
र्मुसलर्मािी होटल र्में जाते हैं। वहााँ आपसी र्मेलजोल का र्माहौल है । र्मुसलर्मािों िे भारत र्में
स्जस पहली र्मस्स्जद का निर्माकि ककया, वह उिके िहर र्मालाबार के कोडुग
ं ल्लूर र्में ही है।
वहााँ आपसी सर्मझ, र्मेलजोल और सद्भाविा का र्माहौल है ।

6. तक्षमशला िें आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के िन िें कौन-सा विचार कौंधा? इससे
लेखक के स्िभाि की ककस विशेषता का पररचय मिलता है ?
उत्तर:- तक्षशिला र्में धर्मक के िार्म पर आए टदि धाशर्मकक झगड़े जन्र्म लेते रहते थे। जब
लेखक तक्षशिला र्में आगजिी की खबर पढ़ रहे थे तब लेखक को हाशर्मद खााँ का ध्याि
आया जहााँ लेखक को हाशर्मद िे अपिेपि से खािा णखलाया । लेखक भगवाि से प्राथकिा
करिे लगे कक तक्षशिला के सांप्रदानयक दं गों की चचंगाररयों की आग से हाशर्मद खााँ और
उसक दक
ु ाि को सरु क्षक्षत रखें। इससे लेखक के स्वभाव की वविेषता का पता चलता है कक
वे संवेदििील थे, जो धाशर्मकक सद्भाव र्में ववश्वास रखते थे और दस
ू रे धर्मक के लोगों के
टहतचचंतक थे। वे टहंद-ू र्मस
ु लर्माि र्में कोई फकक िहीं करते थे ।

नोट: यह कायय सभी छात्रों को पूरा मलख कर अपनी-अपनी अध्यावपका को


हदखाना है

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