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Kundali: कंु डली में हैं ऐसे योग तो व्यक्ति में काम-वासना होगी

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By Pt. Gajendra Sharma

Updated: Mon, Apr 23, 2018, 16:31 [IST]

  

नई दिल्ली। काम वासना मनष्ु य की एक स्वाभाविक प्रवत्ति


ृ है । इसी से मनष्ु य अपने

समद
ु ाय का विस्तार करता है । काम वासना का स्तर प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होता है ।
किसी में कम तो किसी में अधिक। संतलि
ु त काम वासना वाला व्यक्ति संयमित जीवन जीता
है लेकिन जिस व्यक्ति में काम वासना अनियंत्रित हो जाती है वह दष्ु कर्मी के रूप में समाज

के लिए खतरनाक हो जाता है । ऐसे व्यक्ति को दं ड के दे ने के लिए कानन


ू है , लेकिन किस
व्यक्ति में कितनी काम वासना है वह उसकी जन्म कंु डली दे खकर पता लगाया जा सकता है ।

आइए ज्योतिष के अनस


ु ार जानते हैं किस व्यक्ति में कैसी काम वासना होती है

यदि लग्न का स्वामी सप्तम स्थान में बैठा हो तो


 यदि लग्न और बारहवें भाव के स्वामी एक होकर केंद्र या त्रिकोण में बैठ जाएं या आपस में
स्थान परिवर्तन कर रहे हों तो पर्वत योग का निर्माण होता है , इस योग के चलते जहां व्यक्ति
भाग्यशाली, विद्या -प्रिय, कर्म शील, दानी, यशस्वी, संपत्ति का अधिपति होता है , वहीं अत्यंत कामी
और कभी-कभी पर स्त्री गमन करने वाला भी होता है ।
 यदि लग्न का स्वामी सप्तम स्थान में बैठा हो, तो ऐसे व्यक्ति की रुचि विपरीतलिंगी सेक्स के
प्रति अधिक होती है । वह दिन-रात सेक्स के बारे में ही सोचता रहता है ।

मंगल और शनि सप्तम स्थान में हो तो जातक समलिंगी


o यदि लग्न का स्वामी सप्तम में और सप्तम का स्वामी लग्न में हो तो व्यक्ति स्त्री और
पुरुष दोनों में समान रूप से रुचि रखता है ।
o सातवें भाव में मंगल, बद्ध
ु और शक्र
ु एक साथ बैठे हों और इन पर किसी शभ
ु ग्रह की
दृष्टि न हो तो व्यक्ति अप्राकृतिक सेक्स का आदि होता है ।
o मंगल और शनि सप्तम स्थान में हो तो जातक समलिंगी होता है ।
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काम वासना
 तुला राशि में चंद्र और शुक्र की युति जातक की काम वासना को कई गुणा बड़ा
दे ती है ।
 सप्तम भाव में शुक्र की उपस्थिति जातक को अत्यंत कामुक बना दे ती है ।
 शुक्र पर मंगल/राहु का प्रभाव हो तो जातक कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाता
है ।
 गुरु लग्न/चतुर्थ/सप्तम/दशम स्थान पर हो या द्वादश भाव में हो, तो जातक
अपनी वासना की पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है ।
 शनि लग्न में हो तो जातक में वासना अधिक होती है । पंचम भाव में शनि
अपनी से बड़ी उम्र की स्त्री से आकर्षण, सप्तम में होने से व्यभिचारी प्रकृति, चंद्र
के साथ होने पर वेश्यागामी, मंगल के साथ होने पर स्त्री में और शुक्र के साथ
होने पर पुरुष में कामुकता अधिक होती है ।

ऐसे जातक में कामुकता अधिक होती है


 शनि की चंद्र/शुक्र/मंगल के साथ युति जातक में काम वासना को काफी
बढ़ा दे ती है ।
 चंद्र बारहवें भाव में मीन राशि में हो तो जातक अनेकों स्त्रियों का
उपभोग करता है ।
 मंगल की उपस्थिति 8 /9 /12 भाव में हो तो जातक कामक
ु होता है ।
 मंगल सप्तम भाव में हो और उस पर कोई शुभ प्रभाव न हो तो जातक
नाबालिगों के साथ संबंध बनाता है ।
 मंगल की राशि में शक्र
ु या शक्र
ु की राशि में मंगल की उपस्थित हो तो
जातक में कामुकता अधिक होती है ।

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