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उऩविषय - समास

 समास = दो ऩदों के मेऱ की प्रक्रिया


1 ऩूर्व ऩद / ऩहऱा ऩद 2. उत्तर ऩद / दस
ू रा ऩद

 समस्त ऩद/ सामाससक ऩद = दो ऩदों के मेऱ से बनने र्ाऱे ऩद को समस्त ऩद कहा जाता है
 समास विग्रह = दो ऩदों को अऱग करना
 समास 6 भेद है -
1) तत्ऩुरूष 4) कमवधारय
2) द्वर्गु 5) बहुब्रीहह
3) द्र्ॊद्र् 6) अव्ययीभार्

समास का नाम ऩहचान/ विग्रह उदाहरण


ऩहचान – इसके दोनों ऩद प्रधान होंगे हदन - रात = हदन और रात
दो वर्ऩरीत / वर्ऱोम शब्द होंगे राजमा- चार्ऱ = राजमा और चार्ऱ
द्िंद्ि समास - का
या ऱाभाऱाभ = ऱाभऔर अऱाभ
अथथ विरोध
एक दस
ू रे के ऩरू क ( complimentary ) धमावधमव = धमव और अधमव
शब्द
विग्रह = दोनों ऩदों के बीच में " और" /
"या" ऱगेगा
ऩहचान – उतर ऩद प्रधान होगा ऩॊजाब = ऩॊज ( ऩाॉच) आबों ( जऱ /
इसका ऩहऱा ऩद हमेशा सॊख्या (number ) नदी ) का समूह
होगा नर्रात्रि - नर् रात्रियों का समूह
अधधकतर - सॊस्कृत की सॊख्या ततरॊ गा - तीन रॊ गो का समूह
द्वर् = दो , त्रि = तीन , चतथ
ु व = चार , ऩॊच = चर्न्नी - चार आनो का समूह
द्विगु समास , ऩाॉच , षट / षड = छह , सप्त = सात , अष्ट अष्टाध्यायी - आठ अध्यायों का
द्वि = दो = आठ नर् = नौ , दश = दस , शत= सौ समूह
विग्रह = दोनों ऩदों को अऱग अऱग करके षट रस - छह रसो का समूह
लऱख दें सतसई - सात सौ (दोहे ) का समूह
दस
ू रे ऩद को बहुर्चन में बदऱ दें और अॊत
में " का समूह" / "का समाहार "ऱगा दें
ऩहचान – ऩहऱा ऩद प्रधान होता है
ऩहऱा ऩद अव्यय/ उऩसगव होगा
विग्रह - यथाशक्तत = शक्तत के अनुसार
 यथा = " के अनुसार" यथासमय = समय के अनुसार
दस
ू रा ऩद ऩहऱे लऱखकर बाद में " के यथोधचत (यथा + उधचत)
अनुसार" लऱखना है औधचत्य के अनुसार / जैसा उधचत हो

 प्रतत = हर प्रततमाह = हर माह , प्रततर्षव = हर


प्रतत की जगह " हर" लऱखकर र्षव , प्रत्येक = हर एक
अव्ययीभाि +दस
ू रा ऩद

 बे / तनर = बबना बेर्जह = त्रबना र्जह के


बे/ तनर की जगह " त्रबना" + दस
ू रा ऩद + बेईमान = त्रबना ईमान के
के तनयोग = त्रबन योग के
तनमोही= त्रबना मोह के

 बा = के साथ बा ईमान = ईमान के साथ ,


दस
ू रा ऩद + के साथ बार्जूद = र्जूद के साथ

 आ = तक / भर आजीर्न = जीर्न भर आमरण =


दस
ू रा ऩद + तक /भर मरण तक

 बीचोंबीच एक जैसे शब्द जब ओ बीचोंबीच= बीच ही बीच में , हदनोंहदन


की मात्रा से जुड़े हो = हदन ही हदन में
तब दोनों शब्दों को अऱग करके ऩहऱे ऩद
के साथ " ही " और दस
ू रे ऩद के बाद " में "
ऩहचान - ऩहऱा ऩद/ऩूर्व ऩद - गौण ग्रॊथकार : ग्रन्थ को लऱखने र्ाऱा।
दस
ू रा ऩद/उत्तर ऩद - प्रधान माखनचोर : माखन को चरु ाने
 सॊऻा + सॊऻा र्ाऱा।
 सॊऻा + क्रिया करुणाऩूणव : करुणा से ऩूणव
विग्रह - ऩूरे ऩद का अथव जानने का प्रयास , दे शाऩवण : दे श के लऱए अऩवण
तत्ऩुरुष अगर इस प्रयास में ऩदों के बीच में हथकड़ी : हाथ के लऱए कड़ी
"कारक" धचन्ह आते हैं तो , र्े तत्ऩुरष का ऩथभ्रष्ट : ऩथ से भ्रष्ट
भेद माना जाएगा राजदरबार : राजा का दरबार
 कारक - द्वितीय - सप्त तक ( दे शरऺा : दे श की रऺा
कमथ से अधधकरण )
2.कमव ( Object ) - क्जस ऩर क्रिया का
प्रभार् ऩड़ें - को
3. करण - साधन - से , के द्र्ारा
4. सम्प्प्रदान - दे ने का भार् - के लऱए
5. अऩादान - अऱग , तऱ
ु ना , डर - से
6.सॊबॊध - एक सॊऻा का दस
ू री सॊऻा से
सम्प्बन्ध बताते हैं - का, के, की
7. अधधकरण - समय, स्थान का बोध -
में , ऩर
असभ्य - न सभ्य
क्जस समास में ऩहऱा ऩद तनषेधात्मक हो
असॊभर्- न सॊभर्
नञ तत्ऩरु
ु ष समास उसे नञ तत्ऩुरुष समास कहते हैं।

एकदन्त = एक दन्त है क्जसका


ऩहचान - दोनो ही ऩद महत्र्ऩूणव नहीॊ
( गणेश जी / व्यक्तत वर्शेष )
होंगे , कोई तीसरा ऩद ही मख्
ु य होगा
ऩीताम्प्बर - ऩीऱा है अम्प्बर
क्जसका ( भगर्ान कृष्ण)
बहुब्रीहह विग्रह - हम दो ऩदों को अऱग करें गे
बारहलसॊघा - बारह लसॊघा है
अॊत में " है क्जसका/ हैं क्जसके और
क्जसका ( ऩशु वर्शेष)
उसके साथ तीसरा अथव
ऩतझड़ - ऩत्ते झड़ते हैं क्जस ऋतु
लऱखें गे
में ( ऋतु वर्शेष)
ऩॊजाब - ऩाॊच आब हैं क्जसके
( राज्य वर्शेष)
प्रधानमॊिी = प्रधान है जो
ऩहचान –
मॊिी
 एक ऩद वर्शेषण दस
ू रा ऩद
ऱाऱटोऩी - ऱाऱ है जो टोऩी
वर्शेष्य
भऱा मानस - भऱा है जो मानस
विग्रह- दोनों ऩदों के बीच में " है जो
कमथधारय " आएगा

ऩहचान –
चरणकमऱ = कमऱ के समान
 उऩमान - उऩमेय
चरण ( ऩहऱे उऩमान +
उऩमान- क्जससे वर्शेषता / तऱ
ु ना की उऩमेय) / कमऱ रुऩी चरण
जाएॉ चॊद्रमुख चॊद्र जैसा मुख
उऩमेय - क्जसकी वर्शेषता बताई कमऱनयन कमऱ के
जाएॉ समान नयन

विग्रह- दोनों ऩदों के बीच में " -रुऩी /


के समान " आएगा

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