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ाम देवरी का भौगोिलक अ ययन

एवं
बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार का सामािजक आ थक ितवेदन

A Geographical Study of Deori & Socio-Economic


Report
Bais, Sahu, Yadav and Chandrakar Families of Deori Village

पंिडत रिवशंकर शु ल िव िव ालय रायपुर (छ.ग.)

को

एम. ए. चतुथ सेमे टर भूगोल क उपािध हेतु तुत

भौगोिलक एवं सामािजक आ थक ितवेदन स 2020-2021

..... िनदशक..... ..... तुतकता.....

आदरणीय ी एल. आर. ड गरे कु . पूनम बैस

( सहायक ा यापक भूगोल ) रोल नं. 1940455020

नामांकन नं. AB/36107


एम. ए. चतुथ सेमे टर (भूगोल)
ाम देवरी का भौगोिलक अ ययन
एवं
बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार का सामािजक आ थक ितवेदन

A Geographical Study of Deori & Socio-Economic


Report
Bais, Sahu, Yadav and Chandrakar Families of Deori Village

पंिडत रिवशंकर शु ल िव िव ालय रायपुर (छ.ग.)

को

एम. ए. चतुथ सेमे टर भूगोल क उपािध हेतु तुत

भौगोिलक एवं सामािजक आ थक ितवेदन स 2020-2021

..... िनदशक..... ..... तुतकता.....

आदरणीय ी एल. आर. ड गरे कु . पूनम बैस

( सहायक ा यापक भूगोल ) रोल नं. 1940455020

नामांकन नं. AB/36107


एम. ए. चतुथ सेमे टर (भूगोल)
-: घोषणा प :-
मै कु . पूनम बैस यह घोषणा करती क कु द िवकासखंड के अंतगत आने वाले ाम देवरी
का भौगोिलक अ ययन तथा ाम देवरी के बैस, सा , यादव, एवं चं ाकर जाती के प रवार
क सामािजक तथा आ थक ितवेदन, एम. ए. चतुथ सेमे टर भूगोल क उपािध हेतु मने
वयं के यास से तुत क ँ l िजसे मने आदरणीय ी एल. आर. ड गरे , सहायक
ा यापक भूगोल िवभाग, मह ष वेद ास शासक य ातको र महािव ालय के िनदशन
म पूण कया है l मेरा यह काय अनुमो दत िवषय सूची के अनु प है l

दनांक .........................

ह ता र

कु . पूनम बैस

रोल नं. 1940455020

नामांकन नं. AB/36107


एम. ए. चतुथ सेमे टर (भूगोल)
-: आभार दशन:-
जब हम कसी नए काय क ओर अ सर होते है तब उस काय को सुिनि त प से पूण करने
के िलये सहयोग , ेरणा , उ साह एवं मागदशन क आव यकता होती है । तुत भौगोिलक
ितवेदन बंध ाम देवरी के भौगोिलक अ ययन के लेखन के िलये हमारे भूगोल िवभाग के
परम देय आदरणीय ी एल. आर. ड गरे सहयक ा यापक भूगोल िवभाग, मह ष वेद
ास शासक य ातको र महािव ालय भखारा , िजला- धमतरी ( छ.ग. ) के ेरणा ोत
रहा है । म अपने पूजनीय िपता जी एवं पूजनीय माता जी के ित हमेशा कृ त र ग
ं ी।
आपके ेिहल छाया म शोध काय को पूरा करने म आ थक सहयोग एवं ो साहन िमलता
रहा अतं म म अपने इ िम सहप ठय एवं शुभ चतक क आभारी ं , िज ह ने मुझे
य अ य प से भौगोिलक ितवेदन को पूण करने म सहयोग दान कया िजसका म
आभार करती |

नाम
कु . पूनम बैस
(ख डअ)

ाम देवरी का भौगोिलक अ ययन


तािलका सूची

1. समीपवत े

2. मीन से टर

3. िनकटतम पड़ोसी िव ेषण

मनिच एवं आरे ख सूची

1. ि थित मानिच

2. धरातल प

3. नजरीय मानिच

4. समो रे ख मानिच

5. वाह णाली

6. वन मानिच
(ख डब)

ाम देवरी के बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर समाज क आ थक एवं


सामािजक ितवेदन

अ याय – 1 - भूिम उपयोग

अ याय – 2 - फसल ित प एवं िसचाई व था

अ याय – 3 - मानव बि तयां

अ याय – 4 - जनसं या संरचना

अ याय – 5 - वसाियक संरचना एवं आ थक ि थित

अ याय – 6 - प रवहन साधन

अ याय – 7 - जीवन का तर एवं सामािजक ि थित

- िन कष एवं सुझाव
ख डब

ाम देवरी का भौगोिलक अ ययन


तािलका सूची

1. भूिम का उपयोग

2. खरीफ फसल का उ पादन

3. रबी फसल का उ पादन

4. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार के मकान क ि थित

5. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार क आयु संरचना

6. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म िश ा का तर

7. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म काय करने वाले

8. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर क मािसक आय

9. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म खान पान

10. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म कृ िष यो य भूिम क मािसक आय

मानिच

11. भूिम का उपयोग

12. खरीफ फसल का उ पादन

13. रबी फसल का उ पादन

14. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार के मकान क ि थित

15. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार क आयु संरचना

16. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म िश ा का तर

17. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म काय करने वाले

18. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर क मािसक आय

19. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म खान पान

20. बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर म कृ िष यो य भूिम


ाम देवरी का भौगोिलक अ ययन

तावना : - पयावरण मानव जीवन को भािवत करता है । उ ावच, भूग भक बनावट,


जलवायु, वाह णाली, िम ी, वन पित, च ान, खिनज, जीव - ज तु आ द म मनु य का
अंतर संबंध होना वाभािवक है । तापमान मनु य के रं ग, बाल व बुि तथा भोजन को
िनयंि त करता है । वायु का दबाव लंबाई को भािवत करता है । वायुदाब के कम होने से
लंबाई कम होती है । तापमान के बढ़ने से रं ग काला, बाल घुंघराले होते ह । कम तापमान म
बुि तेज होती है । उ ावाच से कृ िष भूिम भािवत होती है । साथ ही मकान का व प
भी बदल जाता है । िम ी, वाह णाली ारा लोग का वसाय भािवत होता है। इस
कार मनु य का रं ग, प, शारी रक बनावट, लंबा, वा य, बुि मता काय मता,
आ थक ि थित, वसाय, िश ा, सं कृ ित, जीवन तर आ द सब भौगोिलक पयावरण से
भािवत होते ह । अत : भौगोिलक पयावरण के कारक का िव ेषण करना अिनवाय होता
है । ता क मानव समूह क सामािजक एवं आ थक ि थित ात क जा सके ।

पूव अ ययन क समी ा:-

1. 1992 :- India the most character full climate CG also include , here

main trees are named by Piple, Mango, Jamun, Gulab, Dalia .

2. 1994 :- The main trees of Koti, Dahia, Shires, because the monsoon
climate the trees and deciduous type .

3. 1999 :- The main climate of CG is monsoon type here the main trees

an deciduous type .

4. सिव सह ( 2002 ) - भू - आकृ ित िव ान के भू - आकृ ित संक पनाएं पृ 27-57 म


प है क धमतरी , कु द भूग भक बनावट के अंतगत येक च ान का िबछाव ( ैितज
बिलत और उ वाधर सं तर ) और च ान क रासायिनक संरचना एवं िवशेषता का
अ ययन कया गया ।
आंकड़ का संकलन एवं िविध तं : - िवषय का अ ययन करने हेतु ाथिमक एवं ि तीयक
आकडे ाम पंचायत धरातल प क जलवायु िवभाग तथा िविभ आव यक पु तक क
सहायता से एकि त कया तथा ाथिमक आंकड़ का संकलन ि गत पयवे ण तथा
अनुसुची एक पूछताछ के मा यम से एकि त कया गया । ाम का मानिच अ ययन करने
एवं उ े य के प रणाम ात करने हेतु ढाल िव ष
े ण स रता वाह ात कया गया । े ीय
िवकास हेतु मीन सटर ात कया गया तथा अ ययन को सरल बनाने हेतु िविभ मानिच
को तैयार कया गया ।

िवषय : - ाम देवरी एक मैदानी े है , जहाँ कृ िष काय को ाथिमकता दी जाती है तथा


ाकृ ित नाला जैव िविवधता से यु है । साथ ही इस भौगोिलक पयावरण से भािवत
मानवा जीवन को जानने हेतु तथा उ ावाच भू - गभ जलवायु वाह णाली वन पित,
यातायात, मानव बि तयाँ, लोग के िश ा वसाय, आ थक ि थित जानने हेतु इस िवषय
का चयन कया गया है ।

अ ययन का उ े य :-

1. सवि त ाम देवरी का भौगोिलक ि थित ात करना ।

2. े का उ ावाच व ढाल ात करना ।

3. वाह णाली के तर को ात करना ।

4. िम ी एवं च ान क संरचना को समझना ।

5. भौगोिलक पयावरण का मानव जीवन पर भाव का अ ययन करना ।

शोध प रक पना : - भौगोिलक पयावरण मानव जीवन के तर को भािवत करता है ।


भौगोिलक ि थित , यातायात , मानव बि तय तथा वसाय को भािवत करता है ।
5. डॉ . एच.डी. लाल ( 2000 ) - जलवायु िव ान , शारदा पु तक भवन इलाहाबाई - इस
पु तक म जलवायु संबंिधत िविभ जानकारी िमलती है तथा जलवायु का मह व , जलवायु
के कारण तथा जलवायु को भािवत करने वाले कारक का अ ययन कया गया है ।

6. 2002 - As the climate condition of monsoon type and the Temperature

high also the soils are Red , Yellow for this deciduous to rest at how .

7. डॉ . चौहान पी.आर - भारत का दृहद भूगोल वसुंधरा काशन गोरखपुर इस पु तक से


भारत का उ ावाच एवं अपवाह तं का अ ययन तथा िम ी , िम ी के कार एवं जलवायु
एवं जलवायु के कारण एवं भािवत करने वाले कारक का अ ययन कया गया है ।

8. बी.एल. शमा ( 2004 ) - भूगोल बी.ए. भाग -3 भारत का भूगोल सािह य भवन
पि लके शन ( पृ 9-38 ) - इस पु तक म धमतरी े का भूग भक बनावट तथा उ ादच
एवं ह का अ ययन कया गया है ।

9. डॉ . गजपाल करण ( 2006 ) - छ ीसगढ़ का भूगोल वैभव काशन इस पु तक से


छ ीसगढ़ के धमतरी े का उ ावच एवं अपवाह तं का अ ययन एवं छ ीसगढ़ क
िम ी और जलवायु से संबंिधत अ ययन कया गया है ।

10. गौतम िशवानंद ( 2009 ) - भूगोल तृतीय वष के भूग भक संरचना पृ 11-31 म प


है क धमतरी मगरलोड म भूग भक बनावट के अंतगत भू - गभ म पाई जाने वाली अपरदन
प रि थितय का अ ययन कया गया है ।

11. जे.पी. शमा ( 2009 ) - ोयोिगक भूगोल के भूवै ािनक मानिच राके श र तोिन ारा
र तोिन पि लके शन िशवाजी रोड मेरठ पृ 235-261 म भूग भक बनावट के अंतगत
सं तरण तत् शैल दृ यांश , नमन तथा नमन क दशा , शैल सं तर क चौड़ाई , मोटाई
तथा िश प तथा गहराई का िनधारण तथा सं तरण क पहचान अड़ी का अ ययन कया
गया है ।

12. चतुभज
ु मामो रया ( 2009 ) - भूगोल थम वष क पृ वी क आयु च ान या शैल ,
च ान और थल प , पृ 20-23 102-112 126-128 म भूवै ािनक इितहास म शैल सी
च ान कतने साल पुरानी है । इनका अ ययन व छ ीसगढ़ के धमतरी े का उ ावच एवं
अपवाह तं तथा िम ी एवं जलवायु संबंिधत ( भूिम उपयोग , उ पादन , मशीनीकरण एवं
सचाई ) का अ ययन कया गया है ।
अ याय – 1

भौगोिलक प रचय
प रचय :- सवि त ाम देवरी भारत देश के छ ीसगढ़ रा य के धमतरी िजले के कु द
िवकास ख ड के अंतगत आता है । ाम देवरी कु द से 10 क.मी. क दूरी पर ि थत है तथा
धमतरी िजला से 20 क.मी. क दूरी पर है ।

ि थित एवं िव तार:- सवि त ाम देवरी का अ ांशीय एवं देशांतरीय िव तार अ ांशीय
िव तार 20 52572 " उ री अ ांश तक तथा देशांतरीय िव तार 814145.6 " पूव
देशांतर के म य ि थत है ।

ल बाई - चौड़ाई :- सवि त ाम देवरी क कु ल ल बाई 1 क.मी. तथा चौड़ाई 1.5 क.मी.
है तथा यह 644.10 हे टेयर े फल म फै ला आ है । इस ाम का समु तल से औसत

ऊँचाई 300 से 313 मी . तक है ।

जनसं या :- यहाँ क कु ल जनसं या 1500 है , िजसम मिहला क सं या ( 732 ) है तथा


पु ष क सं या 768 है । इस ाम के लोग अिधक कृ िष काय म संल रहते है । सवि त

ाम धरातल प क के इंडे स नंबर 64 H / 9 पर अं कत है ।

ोत :- घरातल प क सूचकांक नंबर 64 H / 9 है ।

ाम देवरी क राजनीितक ि थित : - अ ययन े ाम पंचायत के मा यम से ही सभी


काय को स प करता है । देवरी का वतमान सरपंच ी हरीश च बैस जी है । यह
धमतरी िजले के कु द िवकासख ड के अंतगत आता है । जहाँ शासिनक काय स प होता
है । ाम देवरी एक मैदानी े है । यहाँ क धरातलीय भूिम समतल है , िजससे इस े म
कृ िष क उ ित ई है ।

इितहास : - सवि त े बंजर भूिम आ करता था । इस े म प रवहन क सुिवधा


उपल ध नह थी । इस े म जनसं या ब त कम थी । यहाँ कृ िष काय संल थी , तथा
यहाँ धीरे - धीरे आवास िनमाण काय ारं भ हो गया था । यातायात प रवहन सुिवधा नह
थी । िजसके कारण पैदल आना जाना करते थे । उसके बाद सड़क प रवहन का िनमाण
ारं भ आ । यहाँ वा य सुिवधा उपल ध नह थी । ईलाज के िलये वै के पास जाते थे ।
अ याय - 2

भू - ग भक बनावट
प रचय : - इस देश क भू - ग भक बनावट उ री एवं दि णी भाग म आ कय स शैल
समूह का सवािधक िव तार है । छ ीसगढ़ ाय ीपीय भारत का भाग है , जो ाचीन
ग डवाना लै ड का िह सा है ।

शैल समूह : - यह देश आ कय स के नीस िश के अपरदन से िन मत पदाथ से बनी है ।


महानदी के दि ण तक का धारवाड़ का ऊपरी पत साकोली 1434-16300 लाख वष पूव
सं तर कहलाता है । जहाँ िविभ कार के नीस और ेनाइट पायी जाती है ।

महानदी घाटी म रायपुर सी रज क च ान क मोटाई 609.6 मीटर है ।

कड़ पा - महानदी के बेिसन और म यवत मैदान के लगभग 50 % च ाने कड़ पा शैल


समूह क है । रायपुर का चूना शैल िन युगीन माना जाता है । रायपुर सीरीज 600 से

650 मी . तक मोटी है ।

इसके अंतगत शैल तथा चूना प थर क च ान है ।

अतः यह प है क इस देश क भू - गा भक बनावट आ कयन शैल समूह एवं शैल सं तर


के ारा आ है । इस देश क भू - गभ धारवाड़ एवं कड़ पा शैल समूह का िव तार पाया
जाता है ।
अ याय – 3

उ ावच
प रचय : - उ ावच क दृि से सभी देश क ऊँचाई एक सामान नह पायी जाती है ।
सभी देश क उ ावच म सामा यतः िभ ता पाई जाती है । छ ीसगढ़ के अनेक देश म
घने जंगल है , तो कह पर पवत , पठार एवं न दय का िव तार है । इस दृि से यहाँ क
उ ावच म िवषमता पायी जाती छ ीसगढ़ के अिधकांश म य भाग म कृ िष काय को
धानता दी जाती ह । य क इन े म ऊँचाई 300 से 350 मीटर क ऊँचाई पायी
जाती है ।

समु तल से ऊँचाई : - ाम देवरी ऐसे मैदानी े है , िजसक समु तल से ऊँचाई 313


मीटर के म य है । दि णी म दि ण क उ भूिम ि थत है , तो धमतरी िजले के े क
समु से औसत ऊँचाई 313 मीटर के म य है । धमतरी के िसहावा क पहाड़ी से महानदी

िनकली है , िजसक ऊँचाई 586 मीटर है ।

सीमावत उ भूिम : - यह महानदी बेिसन के चार ओर से उ भूिम से िघरी ई है । इस


सीमावत ऊँचे भू - भाग पर अिधकांश ग डवाना और द न ेप क च ान है । इसका
िव तार लगभग 36.464 वग क.मी. े है । सवि त ाम देवरी महानदी बेिसन के
अंतगत आता है । महानदी इस सवि त ाम के समीप से होते ई बहती है । जो इस े म
सचाई एवं जल क पू त करता है ।

ढाल : - सवि त ाम का ढाल उ र दशा क ओर है , जो एक मानव िन मत नहर ारा


प होता है , िजसक वाह दशा दि ण से उ र - पूव क ओर है । यह मानव िन मत
नाला आगे जाकर महानदी म िमल जाती है । अतः इस देश या े क ढाल क दशा
उ र है एवं ढालमंद है । धीमी गित से इसक ढाल म प रवतन होता है ।
अ याय – 4

वाह णाली
प रचय : - यह िन ववाद स य है क मानव स यता के िवकास का जल से बड़ा गहरा संबंध
है । ऐसा माना जात है , क िव म मानव स यता एवं सं कृ ित का उ म नदी घा टय म
ही आ है । िजसके कारण नदी घा टय के नाम पर ही उस स यता का नाम पड़ा ; जैस-े
नील नदी घाटी क स यता और सधु घाटी क स यता इ या द ।

वा तव म मानव को जीिवत रहने के िलये वायु और जल क आव यकता होती है ।


िजसके कारण िव के ायः अिधकांश मह वपूण नगर नदी घा टय के तट पर या सागर तट
पर बसे ए है ।

छ ीसगढ़ क न दय को उनके वाह े के आधार पर िन ां कत 4 समूह म


िवभािजत कर सकते ह ।

1. महानदी बेिसन

2. गोदावरी बेिसन

3. सोन बेिसन

4. नमदा बेिसन

महानदी बेिसन : - देश के म य भाग से पादपाकार म वािहत होने वाली मुख अनुवत
नदी है । यह नदी रायपुर क उ भूिम देश के धमतरी िजले से िसहावा पवत के पूव भाग
से 2020 उ री अ ांश तथा 82 05 पूव देशांतर से िनकलती है । थानीय लोग क
मा यता है क महानदी क जल का ोत उ म थल से 27.3 क.मी. उ र दशा क ओर
वािहत होने के प ात् दुधावा के बाद पि म दशा क ओर मुड़कर वािहत ह लगती है ।

इस समय यह नदी नीस च ान पर लाल रे तीले िम ी से वािहत होती है । कांकेर के


उ र पूव से महानदी क वाह दशा उ र - पि म हो जाती है । इस े म भी लाल
रे तीली िम ी वािहत होती ई आगे बढ़ती जाती है और उ र - पूव म ि थत चारामा के
पूव से नदी कांकेर िजले को पार करके पुनः धमतरी के पि म भाग म वािहत होती ई ,
पुनः धमतरी िजले म वेश करती है । कु छ दुर बहने के बाद इसक दशा उ र - पूव क
ओर हो जाती है । कु द के पूव भाग से आगे बढ़कर रायपुर िजला के पि म भाग से
नवापारा रािजम के म य से रायपुर िजला के पि म भाग म वेश करती है ।
अ ययन े के वाह णाली

महानदी अ ययन े ाम देवरी से 16 क.मी. क दूरी पर उ र पूव म ि थत है ,


जो इस े म जल का एक मु य ोत है । ाम देवरी के दि णी भाग से एक मानव
िन मत नहर बहता है , जो कु द के पि म भाग से आती है और आगे चलकर महानदी म
िमल जाती है । यह नाला इस े के अिधकांश भाग को सचाई के िलये जल उपल ध
करता है ।

यह मानव िन मत नहर अपने आस - पास के सभी े को जल क करता है । यह नहर


वषा के दन म अिधक जल होने के कारण इस नहर का जल गांव क ओर वेश करने
लगता है तथा गम के दन म सुखा रहता है ।

नहर : - कु द से आने वाली नहर जो ाम देवरी के दि ण - पूव भाग को सचाई के िलये


जल क पू त करता है तथा आगे भाग म इस नहर का जल प च
ं ाने म असमथ होता है , तो
इस नहर का जल पि म भाग म प च
ं पाता है ।

नाले क वाह दशा : - ाम देवरी के पास से गुजरने वाला नाला क वाह दशा दि ण
से उ र क ओर है । यह पूव दशा म महानदी म जाकर िमल जाती है । यह ाम नाला
देवरी म 500 मी . क लंबाई म फै ला है । इस नाले के ारा इस े के भू - ग भक जल तर
को बनाय रखने म सहायक है । िजससे अिधक समय तक धरातल म जल का ोत बना
रहता है , िजससे व छ जल क पू त होती है ।
अ याय - 5

जलवायु

प रचय : - छ ीसगढ़ क जलवायु को अ ांश सापेि त ि थित तापमान , िव करण क


मा ा , वायुदाब , हवा क दशा , सापेि क एवं िविश आ ता , संघनन , वा पीकरण ,
च वात एवं ितच वात भािवत करते है । देश म दि ण - पि म मानसुनी हवा से
वषा होती है । अतः यहां क जलवायु को मानसुनी जलवायु कहते है ।

जलवायु का अथ : - एक ल बी अविध तक पृ वी और वायुम डल के म य ऊजा ( Energy)


और मान ( Mass ) के िविनमय क या से िजस प रि थित का िनमाण होता है ,
उसे हम जलवायु कहते है ।

ाकृ ितक वातावरण म जलवायु एवं मह वपूण त व है । मनु य अपने को पृ वी के


एक जीवधारी के प म समझता है । पर तु य वायुम डलीय पी गहरे क तली पर िनवास
कर रहा है ।

जलवायु क प रभाषा :

1. जी.टी. वाथा के अनुसार : - जलवायु दन ित दन के मौसम क दशा क िविवधता


का साधारणीकरण क जलवायु कहलाता है ।

2. जी.एफ. टेलर के अनुसार : - जलवायु कसी थान िवशेष क ऋतु दशा के िवतरण को
सि मिलत करती है ।

छ ीसगढ़ क जलवायु - म ऋतु यहाँ क जलवायु उ ण क टबंधीय मानसूनी जलवायु है ,


जो शीत ऋतु शु क तथा ह क ठं डी होती ह ी म गम होती है । वषा ऋतु म य जून से
म य अ टू बर तक होती है । इसी ऋतु म यहां पया वषा होती है । इसी वषा पर यहां क
कृ िष िनभर होती है । जो यहाँ के कृ षक का आ थक आधार है ।

तापमान : - देश म सबसे कम तापमान दस बर - जनवरी माह म होता है । देश के उ र


- पि म ऊँचे भाग होने के कारण ठं डा रहता है । कभी - कभी यहां का तापमान 3 से 4 से. े
. तक हो जाता है । जब क इसी अविध म यह दन का तापमान 23 से. े . तक रहता है ।
फरवरी माह म तापमान बढ़ना ारं भ हो जाता है और बढ़ते - बढ़ते मई म अिधकतम
तापमान 48 से. े . तक हो जाता है । कभी - कभी दोपहर के बाद तिड़त झंझा के साथ बड़ी
बौछार होती है ।
वषा : - यहां 140 से.मी. से 170 से.मी. तक वा षक वषा होती है । देश के पि म से पूव
क ओर वषा बढ़ती जाती है । 16 जून से 15 अ टूबर तक देश म वषा होती है । इस
अविध म कु ल वषा का 90 ितशत हो जाती ह । शेष 10 ितशत वषा वष म 8 महीने म
होती है । इस अविध म देश म दि ण - पि म मानसूनी हवा से वषा होती है ।

छ ीसगढ़ म मु य प से तीन ऋतुएँ पायी जाती है

1. ी म ऋतु (16 फरवरी से 15 जून)

2. वषा ऋतु (16 जून 15 अ टू बर)

3. शीत ऋतु (16 अ टूबर से 15 फरवरी)

ी म ऋतु ( 16 फरवरी से 15 जून ) : - 16 फरवरी से 15 जून तक ी म ऋतु होती है ।


21 माच से सूय का उ रायण ारं भ होता है । छ ीसगढ़ उ री गोला म ि थत है ।
िजसके कारण माच के वायु तापमान म वृि ारं भ होती है ।

तापमान : - रा य म सवािधक तापमान ी म ऋतु म होता है ; जैसे- रायपुर का औसत


तापमान 34.7 से. े . रहता है , जब क जून माह म तापमान बढ़कर 42.3 C हो जाता है ।
वषा : - ी म ऋतु म वषा ब त कम होती है । छ ीसगढ़ म मा 8 से 10 िम.मी. वषा
होती है ।

वायुदाब : - ी म ऋतु म छ.ग. म िन दाब का के होता है । जून महानदी क घाटी म


996 िम वा क रे खा होती है । जो रायपुर और िबलासपुर िजले के आस - पास होती है ।
आ ता : - महानदी बेिसन म ी म काल म सापेि त आ ता 50 % से 52 % के म य होती
है ।

वषा ऋतु ( 18 जून से 15 अ टूबर ) : - तापमान वषा ऋतु के ारं भ से क तापमान कम


होना ारं भ हो जाता है । जुलाई से अ टूबर तक छ ीसगढ़ का औसत अिधकतम तापमान
30.24C रहता है ।

वषा : - 16 जून से 15 अ टूबर तक वषा ऋतु होती है । इस अविध म देश म वषा अिधक
होती है । अतः इसे वषा ऋतु कहते है । देश क औषत वषा का 90 ितशत इसी अविध म
होती है । इस अविध म देश म दि ण - पि म मानसूनी हवा से वषा होती है ।
शीत ऋतु ( 16 अ टू बर से 15 फरवरी ) : - 16 अ टूबर से 15 फरवरी तक शीत ऋतु
होती है । यह शीतल शु क और सुहावनी होती है । अ टूबर माह म वषा समा हो जाने के
बाद देश के तापमान म िगरावट ारं भ हो जाती है । देश म शीत ऋतु का अिधकतम
तापमान 28.92 से. े . रहता है । तथा इसी अविध का यूनतम औसत तापमान 12.6 से. े
. रहता है ।

तापमान : - शीत ऋतु म 22 दस बर को सूय क करण मकर रे खा ( 231 / 2 ) दि ण


अ ांश पर सीधी पड़ती है । िजसके कारण उ री गोला म शीत ऋतु और दि ण गोला
म ी म ऋतु होती है ।

इस कार से छ ीसगढ़ क जलवायु उ ण क टबंधीय मानसुनी है , जो शीत ऋतु म


शु क तथा ह क ठं डी होती ह इस तरह इस देश म जलवायु का िवतरण पाया जाता है ।
जो मु य प से कृ िष े को भािवत करने का काय करती है ।
अ याय 6

िम ी

प रचय :- िम ी च ान चूण का ढेर नह है , वरण िम ी पृ वी के ऊपरी सतह क एक ऐसी


तल है , िजसम प रवतन और िवकास होता रहता है । ाकृ ितक संसाधन म िम ी सबसे
मह वपूण एवं आधारभूत संसाधन है ।

मानव क अिधकांश मूलभूत आव यकता ; जैस-े भोजन , व , आवास आ द क


पू त य एवं परो प से िम ी से ही पूरी होती है । आ दम युग से लेकर आधुिनक युग
तक ल बी मानव िवकास या ा कसी न कसी प म िम ी से जुड़ा रहा है । इस तरह िम ी
मानव सं कृ ित एवं स यता क जननी है । िम ी क गुणव ा ने मानव समाज को सबसे
अिधक भािवत कया है । आज क जनसं या का अिधकांश भाग नदी घा टय म के ि त
है।

िम ी िनमाण के कारक : - इसके िनमाण म मूल च ान , जलवायु , उ ावच , स पि , और


समय का मह वपूण योगदान होता है । मूल च ान िम ी का आधार होता है । िजसके टू टने
अलग होने और पुनः संग ठत होने से िम ी का ज म होता है । िम ी के िनमाण म कई कारक
स य है , जो एक ल बी अविध म िम ी को िवकिसत अव था तक प च
ं ाते है ।

िम ी का अथ : - भू - पृ क उपरी सतह िजसका िनमाण के यांि क व रासायिनक अप य,


अपरदन एवं जलवायु के त व ारा होता ह , िम ी कहलाता है ।

प रभाषा : - "स यता का इितहास िम ी का इितहास है । मानव अपनी िश ा का ारं भ


िम ी से ही करता है । "

िम ी के कार : - सवि त े ाम देवरी म पायी जाने वाली िम ी के कार िन है

1. काली िम ी (क हार िम ी ) : - यह िम ी देश क सबसे अिधक उपजाऊ िम ी मानी


जाती है । यह गहरी िचकनी िम ी है । िजसका रं ग गहरा काला या भूरा काला होता है ।
इसक संरचना अ यंत बारीक होती है । इसम चूना , पोटाश , ए युिमिनयम तथा लोहे क
मा ा अिधक होती है ।

िव तार : - छ ीसगढ़ म महानदी घाटी के िनचले भाग पर जैसे धमतरी और महासमुंद


अिधकांश भाग म पायी जाती है ।
िवशेषताएँ :-

1. इसम चीका क मा ा 50 ितशत से 55 ितशत तक होती है ।

2. इसम जल धारण करने क मता अिधक होती है ।

3. इसका pH मान 7.6 ह । इसक गहराई 5.1 तक होती है ।

4. देश म 15 ितशत से 20 ितशत कृ िष इसी िम ी म क जाती है ।

5. यह िम ी िगली होने पर फू ल जाती है और मुलायम तथा िचपिचपी हो जाती है । इस


िम ी के सुखे पढ़ने पर चौड़ी गहरी दरार पड़ जाती है ।

2. लाल िम ी (मटासी िम ी ) : - यह देश क दूसरी मह वपूण उपजाऊ िम ी ह । मटासी


िम ी क हार क अपे ा अिधक तथा भार क अपे ा कम मा ा अिधक होने से अपवाह
अ छा होता है । क तु जल धारण करने क मता सीिमत होती है ।

िव तार : - महानदी बेिसन म रायपुर , दुग , धमतरी , महासमुंद म मटासी िम ी पायी


जाती है ।

िवशेषताएँ : -

1. इसम चीका क मा ा 35 % से 45 % तक होती है ।

2. इसम लोहे क मा ा अिधक होती है ।

3. इस िम ी क गहराई 4 तक होती है ।

4. इसका pH मान 6.8 है ।

5. इसक कृ ित अ लीय व ारीय होती है ।

6. देश क 30 % कृ िष मटासी िम ी म क जाती है ।

3. डोरसा िम ी: - यह ेनाइट शैल समूह से िन मत िम ी है । यह गहरे भूरे रं ग क होती है


। यह काली क हार तथा ह क मटासी िम ी का िम ण है ।

िव तार : - महानदी क घाटी म धमतरी , महासमुंद , कवधा , दुग , िबलासपुर और


रायपुर िजल म यह िम ी पायी जाती है ।
िवशेषताएँ : -

1. यह अिधक गहरी और िचकनी नह होती । इसम अपवाह अिधक होती है और जल


धारण क मता कम होती है ।

2. इसम चीका िम ी क मा ा 40 ितशत से 45 ितशत तक होती है ।

3. इस िम ी क गहराई 5 फ ट तक होती है । इसम अिधक गहराई पर इसके बनावट म


प रवतन आ जाता है ।

4. यह अ लीय होती है ।

5. इसका pH मान 7.6 होता है ।

6. इसम चुना क मा ा कम होती है ।

िम ी का अपरदन : - िम ी का अिधक कटाव उनके उपजाऊपन को न कर देती है और


भूिम सदैव के िलये बेकार हो जाती है । वषा ऋतु न दय को जल के साथ हजार टन िम ी
समूह म बह जाती है । वन क लगातार कमी के कारण िम ी के कटाव म वृि और पवन
ती जलीय वेग से सभी मृदा अपरदन के मुख कारण है ।

िम ी के मह व : - मानव स यता का िवकास नदी घा टय क उपजाऊ िम य के े म


आ था । ाचीन काल से मानव िविभ काय के िलये िम ी का िनरं तर उपयोग करते आ
रहे है । देश क लगभग 80 ितशत जनसं या कृ िष पर आधा रत है । अतः िम ी का
दु पयोग मानव जाित के िलये बड़ा घातक िस होता है ।

िम ी का संर ण : - िम ी के संर ण एवं उवरकता को बनाए रखने के िलये फसल चक को


अपनाना , जैिवक खाद का उपयोग, उवरक का संतुिलत उपयोग , जल बंधन , मेड़ बंदी
, वै ािनक िविध से कृ िष वन संर ण , वृ ारोपण , अवनिलका को रोकने के उपाय एवं

पवत सोपानी कृ िष को अपनाना होगा , िजससे िम ी के संर ण म सहायता होगा ।

इस कार से सवि त ाम देवरी म सभी कार के िम य का िव तार पाया जाता


है । िजससे कृ िष काय म कृ षक को सहायता ा होती है । इस े क िम ी उपजाऊ है
और धान कृ िष के िलये उपयु है , िजस कारण इस े म धान के साथ - साथ गे ँ , चना ,
सरस , ितल , दलहन आ द क कृ िष क जाती है । इस े क िम ी उपजाऊ होने के
कारण इस े क आ थक ि थित म सुधार आ गयी है
अ याय - 7

वन पित
प रचय : - वन पित धरातल का आवरण और ग
ृं ार है । इसका उपयोग संसाधन के पम
होता है । मनु य अपनी आव यकता क पू त भी वन से करता आ रहा है । देश के लोग
का जीवन , अथ व था और अिधवास म वन का मह वपूण योगदान है ।

ाकृ ितक वन पित : - ाकृ ितक वन पित से अिभ ाय उसी पौध समुदाय से है , जो लंबे
समय तक िबना कसी बाहरी ह त ेप के उगता है और इसक िविभ जाितयाँ वहाँ पायी
जाने वाली िम ी और जलवायु प रि थि◌ म यथासंभव वयं को ढाल लेती है ।

जलवायु , धरातल , ढाल और िम ी से वन पित िनयंि त होती है । अतः अनुकुल


दशा म इसक वृि शी होती है । छ ीसगढ़ म जलवायु एवं धरातलीय िविभ ता के
कारण िविवध कार क वन पितयाँ पायी जाती है । वन पित एक कार से प रवेश का
बोध कराती है । जहाँ मानव और पशु रहने के िलये अ य त िलये हो जाते है ।

वन का वग करण : -

1. उ ण क टबंधीय आ पणपाती वन: - इस कार के वन लगभग पूरे देश म िमलते है ,


जो ी मकाल के आगमन के साथ प े िगरा देते है । इस कार के वन पूरे देश म कु ल वन
भूिम पर 47.89 ितशत े पर पाया जाता है ।

2. उ ण क टबंधीय शु क पणपाती वन : - यह बेिसन के छोटे - छोटे ख ड म िमलते है ।

इस कार के वन लगभग 65 ितशत वन भूिम पर पाया जाता है ।

शासक य आधार पर वन का वग करण :-

1. आरि त वन : देश के 2,57,82,167 वग क.मी. म आरि त वन है , जो कु ल वन

भूिम का 4.515 ितशत है ।

2. संरि त वन : - देश म 2,40,361 वग क.मी. े अथात् 40.22 ितशत भाग पर


संरि त वन है ।

3. अवग कृ त वन: - इसे वतं वन भी कहते है । देश म इसका िव तार 9954.122 वग


क.मी े म है , जो कु ल वन भूिम का 16.55 ितशत है । अ ययन े के मु य वन पि
1. क आ : - अ ययन े ाम देवरी म अिधक मा ा म क आ वृ क धानता िमलती है
। िजसका उपयोग घरेलू काय के िलये कया जाता है । यह वृ सड़क के कनारे तथा खेत
के मेढ़ पर पाया जाता है , जो मृदा को अपने जड़ म रोक कर रखती है ।

2. बबूल : - बबूल का वृ एक कार से मजबूत लकड़ी है । िजसका उपयोग यहाँ के लोग


फन चर, कु स एवं दरवाजा बनाने के िलये करते है एवं जलाऊ लकड़ी के प म इसका
योग करते है ।

3. आम वृ : - आम का पेड़ मु य प से घर म तथा बगीच म पाया जाता है । जो मानव


वयं अपने उपयोग के िलये लगाते है । उसके फल के िलये इसक सुर ा क जाती है ।

4. बेर वृ : - यह एक ाकृ ितक वन पित के प म पाया जाता है । बेर का पेड़ बबूल क


भांित अिधक पाया जाता है । बेर का उपयोग फल के प म खाने के िलये भी इसका
उपयोग करते है ।

5. जामून वृ : - इस े म जामून के पेड़ कम मा ा म पाया जाता है । जामून का उपयोग


खाने के िलये कया जाता है ।

6. नीम वृ : - सवि त ाम देवरी म नीम का वृ अिधक मा ा म देखने को िमलता है ।


नीम क पि य का उपयोग औषिध के प म भी कया जाता है ।

7. बेल वृ : - बेल वृ एक कार का कांटेदार वृ है , िजसे खाने के िलये उपयोग म लाया


जाता है और इसक पि य को धा मक उपयोग म भी लाया जाता है ।

वन पित क िवशेषता :-

वन पित मानव एवं जीव ज तु के िलये मह वपूण होती है , य क मानव जीवन के िलये
ऑ सीजन क मह वपूण आव यकता होती है । जो हम पेड़ के ारा ऑ सीजन क ाि
होती है । वन पित एक ब मु य संसाधन है जो मानव क आव यकता क पू त करता है ।
वन पित का उपयोग औषिध एवं धन के प म करते है । वन पित मृदा अपरदन को
रोकती है तथा वषा कराने म सहायक होती है ।

वन पित का संर ण :-

1. वन पित का संर ण दुषण को कम करने के िलये आव यक है ।

2. वन पित एक ब मु य संसाधन है , जो मनु य क आव यकता क पू त करता है ।


इसिलये इसका संर ण आव यक है ।
3. मृदा अपरदन को रोकने के िलये इसका संर ण आव यक है ।

4. वन पित भूिमगत जल के तर को बनय रखने म सहायक है ।

5. वन पित पा रि थितक संतल


ु न को बनाय रखने म सहायक है ।

भौगोिलक पयावरण का मानव जीवन पर भाव तथा िन कष एवं सुझाव : मानव एवं
पयावरण के बीच घिन संबंध होता है । दोन एक - दूसरे के िबना अधूरे होते है । मानव
पयावरण म रहता है और पयावरण का अपने दैिनक जीवन म उपयोग करता है ।

सवि त ाम देवरी मैदानी े है । जहाँ कृ िष काय क धानता है । यहाँ के लोग


जीवन - यापन के िलये कृ िष पर िनभर रहते है । मैदानी भाग होने के कारण वषा सामा य
एवं िम ी उपजाऊ है । िजसके कारण उ पादन भी अ छी है ।

िन कष : - भौगोिलक ि थित के आधार पर यह एक मैदानी े है , िजससे सचाई सुिवधा


उपल ध होने पर कृ िष काय म और भी उ ित क जा सकती है । फसल म बदलाव करके
िम ी क उपजाऊ शि को पुनः बनाया रखा जा सकता है । कचरे के िलये कु ड़ादान
आव यक है ।

सुझाव :-

1. सवि त ाम देवरी उ ण क टबंधीय मानसूनी जलवायु वाला देश है, िजससे इस े


म िविभ कार के फसल का उ पादन कया जा सकता है ।

2. ब ती के अ दर जल िनकासी क सुिवधा नह है, िजसके क महामारी फै लने का डर है ।


गंदे जल म म छर को ज म देता है । तो उसके िलये जल िनकासी क सुिवधा ा हो ।

3. ग दे जल के कारण महामारी फै लने का डर है तथा ग दे जल म म छर को ज म देता है,


िजसम गांव के लोग के व थ के िलये हािनकारक है ।
अ याय – 1

भूिम उपयोग

" भूिम योग या भू - उपयोग श द के िलये अं ज


े ी भाषा म " Land Use " अथवा
" Land Utilization " श द का वहार होता है । शाि दक अथ म Use योग तथा
Utilization उपयोग का ोतक है ।

" जे.ड यू . फॉ स ( J.W. Fox - 1956 ) : - " भूिम योग के अंतगत भू – भाग
कृ ित द िवशेषता के अनु प रहता है ।

" सी . वैनजेरी ( C. Vanzerri – 1972 ): - " भूिम उपयोग ाकृ ितक एवं
सां कृ ितक दोन ही उपादान के संयोग का ितफल है ।

" भूिम उपयोग का अथ : - भूिम का उपयोग हर े म अलग - अलग कार से होता है ।


कसी े म अिधवास कृ िष के िलये कह चारागाह सड़क प रवहन के प म कया जाता है
। मानव अपनी आव यकता के अनुसार भूिम का उपयोग करता है ।

भूिम उपयोग का मह व : - भूिम एक ऐसा ाकृ ितक संसाधन है , िजसका उपयोग िविभ
काय को करने के िलये कया जाता है । मानव अपनी छोटे बड़े काय को भूिम के मा यम से
ही पूण करता है ।

िन कष- सव त ाम के ाम पंचायत ारा ा आंकड़े से प होता है क यहाँ क


अिधकांश भूिम कृ िषगत सिचत भूिम है । िजसके कारण यहाँ के लोग को आ थक ि थित
म यम या स प है । सवि त ाम देवरी का भूिम उपयोग े फल ( हे ट मे )
अ याय - 2

फसल ित प एवं सचाई व था

"कृ िष श द के िलये अं ज
े ी भाषा के ए ीक चर ' श द का योग कया जाता है । यह लै टन
भाषा के ( एगर + क चर ) श द का संशोिधत प है । "

एगर श द का अथ भूिम के टु कड़े अथवा खेत तथा क चर श द का अथ भूिम क


देखभाल करना है । ' कृ िष ' श द सं कृ त भाषा क ' कष ' धातु से बना है , िजसका अथ

ख चना ' अथवा ' जोतना होता है ।

सवि त ाम म 644.10 हे टेयर भूिम सिचत है । इस े म सचाई व था


उपल ध है । िजसके कारण इस े म दो फसल ली जाती है । रबी फसल म धान का
उ पादन कया जाता है तथा साथ म सरस , गे ँ , चना आ द का भी उ पादन कया जाता
है तथा यहाँ िमि त कृ िष कया जाता है और खरीफ फसल म धान बस का उ पादन िलया
जाता है । इस कार से फसल म प रवतन करके उ पादन लेना फसल ित प कहलाता है।

ाम देवरी म मु य प से दो फसल ित प पाई जाती है

1. खरीफ फसल

2. रबी फसल

1. खरीफ फसल का उ पादन : - खरीफ फसल के प म ाम देवरी म धान क कृ िष क


जाती है । यहाँ क मु य फसल धान है । इसका उ पादन ित एकड़ 30 से 85 बोरा जाता है
। यहाँ पर धान क िविभ क म बोई जाती है । जैसे- सांभा , सरना , नर - नारी , चेमटी ,
64 धान ।
िन कष : - उपयु जानकारी से प है क ाम देवरी म खरीफ फसल का धान उ पादन
ितवष बढ़ते जा रहा है । उ पादन म वृि का मु य कारण रासायिनक दवाई एवं उवरक
का योग करना एवं आधुिनक मशीन का योग इ या द ।

2. रबी फसल : - सवि त ाम देवरी म रबी फसल के प म मु य फसल धान , गे ँ , चना


, ितल , सरस , मूंग आ द फसल का उ पादन िलया जाता है । यहाँ सिचत भूिम 644.10
हे टेयर है , िजसम मु य प से धान क फसल ली जाती है तथा िम ी के उपजाऊपन को
बनाये रखने के िलये फसल म प रवतन कया जाता है ।

गे ँ
अ य फसल : - ाम देवरी म अ य फसल के प म ितल , अलसी , मूग
ं आ द फसल का
उ पादन िलया जाता है ।

सि जय का उ पादन : - सवि त ाम म सि जय का उ पादन घर उपयोग के िलये कया


जाता है । सभी सि जय का सीिमत मा ा म उ पादन कया जाता है ।

सचाई व था : - सवि त ाम देवरी म भूिम पर सचाई व था है । जो नहर एवं


बोरवेल के मा यम से सचाई कया जाता है ।

िवशेषताएँ : - फसल ित प क िवशेषता िमलती है । िमि त कृ िष देखने को िमलती है ।


मु य फसल धान के साथ - साथ गे ँ , चना , सरस , आ द का भी उ पादन िलया जाता है ।
िजससे मृदा क उवराशि बनी रहती है ।

िन कष :- इस े म सचाई क सुिवधा उपल ध होने के कारण धान का उ पादन अिधक


मा ा म कया जाता है तथा यहाँ के लोग कृ िष काय म संल है एवं इनक आ थक ि थित म
सुधान ई है ।
अ याय - 3

मानव बि तयाँ

अिधवास मानव ारा िन मत सां कृ ितक भू - दृ य म एक अ यंत उ कृ एवं ठोस रचना है,
जो भूतल पर गृह समूह एवं बसाव इकाई के प म दखाई पड़ती है । सामा यतः अिधवास
गृह के समूह होते है । वा तव म पृ वी के तल पर जहां भी कु छ गृह एक थान पर बना
िलये जाते है । उसे अिधवास कहते है ।

प रभाषा :- जे.के . ि मथ : - " थायी प से अिधकृ त कोई भी मानव िनवास थान


अिधवास होता है । य िप एकाक िनवास को भी अिधवास माना जा सकता है । क तु यह
श द ायः एक पुरवा से लेकर स गर तक के िनवास गृह तथा स ब भवन के समूह को
करता है ।

" सवि त ाम म अिधवास के कार :

1. क ी मकान

2. प मकान

3. िमि त मकान

1. क ी मकान : - सवि त ाम देवरीम 10 % क े है । सरकारी योजना का लाभ न िमल


पाने के कारण कु छ घर अभी भी क े है । इन घर क आ थक प से आय क कमी होने के
कारण प े घर का िनमाण कर पाने म असमथ है ।

2. प मकान : - िजन लोग ने योजना के अंतगत प े मकान िन मत कये है तथा यहाँ


क कु छ घर क आ थक ि थित अ छी नह है । सवि त ाम देवरी म अिधकांशतः घर
प मकान पाये जाते है िजसम 75 % घर प पाये जाते है ।

3. िमि त मकान : - िमि त मकान के अंतगत क े तथा प े दोन कार के मकान को


सि मिलत कया जाता है । इस कार के मकान म कु छ िह सा क ा तथा कु छ प ा होता है
। सवि त ाम म 15 % घर को ि थित िमि त पायी जाती है ।
शौचालय व था : - सवि त ाम के घर म शौचालय क व था पायी गई है । सा
प रवार म अिधकांश लोग के घर सरकारी योजना के ारा शौचालय का िनमाण आ हl

बाजार के : - सवि त ाम देवरी म बाजार क सुिवधा उपल ध है . जो रिववार को


होता है । यहाँ सभी ज रत के सामान उपल ध होते है ।

िच क सा सुिवधा : - गाँव म िच क सा क सुिवधा उपल ध नह है तथा उप वा य के


कु द म है । जो क 7 क.मी. क दूरी पर है । गाँव म िमतािनन के मा यम से भी िच क सा
का काय कया जाता है ।
जल सुिवधा : - सवि त गाँव म जल क सुिवधा पया मा ा म उपल ध है । कृ िष के िलये
नहर एवं बोरवेल के ारा सचाई कया जाता है । यहाँ

घर म पेयजल के िलये बोरवेल के जल का उपयोग करते है । गाँव म नल क सुिवधा


उपल ध है । यहाँ के लोग कु आँ , तालाब कोजल का भी उपयोग करते है ।

िश ा सुिवधा : - सवि त ाम देवरीम 1 से 8 व तक िव ालय है । और यहां 2


आंगनबाड़ी के है तथा कॉलेज क िश ा के िलये कोसमरा महािव ालय जाना पड़ता है ,
जो सवि त ाम से क.मी. क दूरी पर ि थत है । यहाँ के लोग म उ िश ा का तर
पाया गया है ।

इस कार से सवि त गांव म प अिधवास क सं या अिधक िमलते है । सरकारी


योजना के ारा येक घर म शौचालय क भी सुिवधा उपल ध है । इस े म जल क भी
सुिवधा उपल ध है ।

तालाब
मा यिमक शाला
बैस प रवार म िश ा का तर
अ याय - 4

जनसं या संरचना
कसी भी े िवशेष म िनवास करने वाले मानव समूह को जनसं या कहते है । जनसं या
के िबना कसी रा य क क पना नह क जा सकती है । मनु य अपने ान के ारा रा य का
िनमाण एवं उसे गित दान करता है ।

जनसं या का मह व : - मनु य संसाधन का उपयोग अपने आव यकता तथा अनु प करता


है । वह अपने ान के ारा उसम संशोधन गुणव ा के करता है । उसे आकृ ित दान करता
है । इस कार जनसं या का िवकास आव यक है । कसी भी े का िवकास तभी होता है ।
जब वहां क जनसं या का िवकास होता है ।

सवि त ाम क जनसं या : - सवि त ाम देवरी क कु ल जनसं या 1500 है , िजसम


ि य क सं या 732 है , जो क कु ल जनसं या का 49 . 1 % है । पु ष क सं या 768

है, जो कु ल जनसं या का 51.99 ितशत हैl

जनसं या घन व : - जनसं या घन व कु ल जनसं या और कु ल े फल के अनुपात को


तुत करता है । कसी भी े म ितवग क.मी. पर िनवास करने वाले जनसं या को
जनसं या का घन व कहते है । सवि त ाम देवरी का जनसं या घन व ि ितवग
क.मी. है ।

िश ा का तर : - सवि त ाम देवरी म िश ा का तर उ है । पु ष म िश ा अिधक है ।


सरकारी कू ल म सुिवधा ा होने के कारण िव ाथ को िनःशु क िश ा दान क जाती है
। िजससे बािलका िश ा को अिधक मह व दया जा रहा है । अब बािलका भी िशि त हो
रही है । गांव के लोग अपने िवकास एवं ब के भिव य के िलये उ ह उ िश ा देना चाहते
है ।

सवि त ाम देवरी म 21 वष से लेकर 50 वष के ि य क सं या सबसे अिधक


है , जो मजदूरी , नौकरी तथा कृ िष काय म लगे ए है । िजसम पु ष क सं या अिधक
पायी गई है और युवा जनसं या ही देश के भिव य है , िजससे देश का िवकास होगा ।
ज मदर : - सवि त ाम देवरी म ज मदर 1.2 पाई गई है , िजसम ी एवं पु ष दोन
शािमल है । ज मदर म यम है ।

मृ युदर : - ाम देवरी म मृ युदर 0.83 है । सवि त ाम म सभी लोग व थ है तथा


िच क सा सुिवधा उपल ध होने के कारण यहां क मृ युदर यूनतम है ।

इस कार से सवि त ाम देवरी म आयु संरचना पाई गई है ।


अ याय - 5

ावसाियक संरचना
कसी देश क म शि या कायशील जनसं या का िविभ िवतरण ही उस देश क
ावसाियक संरचना कहलाती है ।

ावसाियक संरचना का मह व : - ावसाियक ढांचे के अ ययन का िवशेष मह व है ,


य क इससे देश क अथ व था के िविवध पहलु का पता चलता रहता है क वह कृ िष
धान , उ ोग धान या सेवा धान अव था म है । ावसाियक संरचना के ारा देश क
योजना क स पूण या क दशा िनधा रत क जा सकती है ।

सवि त ाम क ावसाियक संरचना या आ थक ि थित : - सवि त गांव म


अिधकांश लोग कृ िष काय म संल है तथा कु छ लोग मजदूरी करते है कु छ सवि त प रवार
क मािसक आय 30,000 से 40,000 तक है तथा यह गांव के लोग कृ िष काय पर िनभर
रहता है । अतः यहां वषा अ छी होने स कृ िष उपज म वृि होती है , िजससे आय म वृि
होती है ।

बैस, सा , यादव, चं ाकर, प रवार क मािसक आय म 5000 से 30000 के बीच आय


वाले प रवार क सं या अिधक है । इसक मािसक आय कृ िष उ पादन पर िनभर करती है ,
य क अिधकांश लोग कृ िष काय करते है , जो आय का मु य साधन है ।

आ थक ि थित एवं भिव य क योजना : - सवि त ाम देवरी म सा प रवार क आ थक


ि थित अ छी है । अिधकांश घर म अपने ब के भिव य के िलये योजना बनाए है । कु छ
लोग भरण - पोषण म ही यान देते है तथा कु छ घर म भिव य को सुरि त करने के िलये
बचत खाता , बीमा आ द कराते ह । धीरे - धीरे िश ा के कारण लोग म सुधार आ रहा है ।

य एवं ऋण : - सवि त गांव म कृ िष काय हेतु सरकारी बक से लोन क सुिवधा उपल ध


है , िजससे कसान को मदद िमलती है । सभी कसान दवाई एवं खाद के िलये बक से लोन
लेकर कृ िष काय करते है तथा फसल हो जाने या आपदा कोप एवं सुखा पड़ने पर कसान
के कज माफ कया जाता है ।

पोषण - तर : - सवि त प रवार म पोषण तर सामा य है । सभी घर म चावल , स जी


, अ डा , फल , रोटी इ या द का योग करते है । अिधकांश घर म पेट भरने के िलये भोजन
करते है और कु छ घर म ोटीन , िवटािमन , िमनरल को यान म रखकर भोजन करते है
तथा साथ म सलाद का योग ब को हॉ ल स , बोनिवटा , यवन ाश इ या द का भी
उपयोग करते है ।

बीमारी : - सामा य सभी घर म लोग व थ एवं खुशहाल है । सवि त जानकारी म 1


पैरािलसेस है िजनक उ 60 है , ले कन यहां के अिधकांश लोग व थ है और मेहनत
मजदूरी करते है तथा अपना भरण - पोषण करते है ।

बैस, सा , यादव, चं ाकर, प रवार म कृ िष यो य भूिम

कृ िष भूिम ( एकड़ मे ) प रवार क सं या


1-2 18

3-4 11

5-6 06

7-8 05

सवि त प रवार म सभी के पास अपनी भूिम है , िजसम कृ िष काय करते है । अिधकांश
प रवार म 1 से 4 एकड़ तक क भूिम अिधक है । इस सभी प रवार म आय का तर
एवं पोषण तर सभी सामा य पाये गये है ।
अ याय - 6

प रवहन
प रवहन सुिवधा के कारण इस े म ावसाियक एवं औ ोिगक िवकास तेजी
से हो रहा है तथा यहां ापार भी प रवहन क सुिवधा और संचार साधन पर ही टका
रहता है । िव के सम त देश के िनवासी व तु क अदला - बदली पूव क तुलना म
यादा आि त हो गये है ।

प रवहन का अथ :- प रवहन वा तव म ि य एवं व तु के आवागमन को प रवहन


कहते है और उ पादन एवं उपभोग को जोड़ने म प रवहन तं का मह वपूण योगदान रहता
है ।

प रभाषा :- प रवहन उन सब यांि क साधन और संगठन का योग है जो ि य व तु


अथवा समाचार को एक थान से दूसरे थान तक प च
ं ाने म सहायक होते है । "

सवि त गांव म प रवहन व था :-

1. सड़क प रवहन :

1. प सड़क : - सवि त ाम देवरी म सड़क प रवहन क सुिवधा उपल ध है । इस े म


कु द से लेकर रायपुर तक प सड़क बनी ई है । तथा आस - पास के े मप सड़क
का िनमाण कया गया है । िजसके कारण समय क बचत एवं आय क बचत ई है । िजसके
कारण कसी भी थान म जाने म क ठनाई नह होती है ।

2. क ी सड़क : - सवि त ाम देवरी म पास म जाने के िलये तथा खेत म जाने के िलये
क ी सड़क का भी िनमाण आ है । क ी सड़क के मा यम से कसी भी थान म प च
ं ना
संभव है । िजससे कृ िष काय करने म सुिवधा ई है और खेत से धान एवं फसल के उ पादन
को लाने और ले जाने म सुिवधा ई है ।

इस कार सड़क प रवहन भी सुलभ एवं स ता साधन है , िजससे कसी भी थान म


व तु का आदान - दान कया सकता है । सड़क प रवहन के ारा कसी भी थान म जाना
संभव हो गया है तथा समय क बचत ई है ।
3. रे ल प रवहन : - सवि त ाम से 3 क.मी. क दूरी म रे ल प रवहन क भी सुिवधा
उपल ध है । रायपुर से धमतरी तक चलने वाली रे ल कु द से होकर गुजरती है । रे ल
प रवहन स ता साधन है , क तु थोड़ा समय लगता है ।
पहले इस े के लोग रेल ारा या ा करते थे । क तु प सड़क का िनमाण होने
के कारण रे ल प रवहन म कमी देखने को िमलती है ।
कु द रे ल प रवहन से आस - पास के िमक को लाभ िमलता था । समीपवत े
के िमक मजदूरी करने के िलये रायपुर जाते है , जो क रेल प रवहन के साधन का योग
करते है ।

इस कार सवि त ाम म मु य प से सड़क प रवहन एवं रे ल - प रवहन दोन


कार के प रवहन सुिवधा उपल ध होने के कारण गांव के अिधक लोग कु द म मजदूरी
करने जाते है तथा िव ा थय को िश ा ा करने के िलये सुिवधा ई है । उ िश ा के
िलये कु द जाते है ।

संचार सुिवधा : - प रवहन म सुधार के साथ - साथ संचार के साधन का भी िवकास आ


है । टेलीफोन तथा क यूटर क सहायता से ापा रक संदश
े के आदान - दान म तथा
रे लगािड़य , वायुयान एवं जलयान से अपनी या ा पूण करने म ब त यादा सहायता
िमल रही ।

संचार का अथ : - संचार वह मा यम या साधन है , िजसके ारा एक थान से दूसरे थान


को संदश
े सूचनाएं आ द ेिषत क जाती है ।

सवि त ाम म संचार के मु य साधन :-

1. डाक : - सवि त ाम देवरी म संचार के प म डाक का योग करके संदश


े का
आदान - दान कया जाता है ।
2. 2 समाचार प : - समाचार प एवं पि काएँ , िवचार अिभ ि का सबसे सरल ,
सुलभ , स ता साधन है । कसी भी घटना क जानकारी समाचार प ारा पता
चल जाता है । इसिलये समाचार प आधुिनक स यता का काश त भ है ।
3. 3. मोबाईल : - मोबाईल आधुिनक युग म जन संचार का यह एक लोकि य मा यम
है । सवि त गांव म येक घर म मोबाईल सुिवधा उपल ध है ।
4. 4. रे िडयो : - मोबाईल के आ जाने के कारण रे िडय का मह व कम हो गया है ।
पर तु पुराने जमाने के लोग के पास रे िडयो क सुिवधा है , सूचना एवं समाचार को
सुनते है ।
अ याय 7

जीवन का तर एवं सामािजक ि थित

सवि त ाम देवरी म मानव का जीवन तर मा यम है । यहाँ के सा एवं च ाकर


प रवार म एकता देखने को िमलती है एवं यहां के लोग सामािजक परप परा म बंधे ए
है ।

सामािजक ि थित : - मानव एक सामािजक ाणी है , जो सामाज म रहता है और सामाज


के अंदर रहकर अपना काय स प करता है । इस कार वह सामाज के ारा िविभ कार
के गितिविधय को पूण करता है ।

पूजा व था : - सवि त ाम देवरी म सा एवं च ाकर प रवार के अ ययन से ात


आ क अिधकांश घर म पूजा एक ि के ारा कया जाता है तथा यौहार म एक साथ
पूजा करते है ।

मनोरं जन सुिवधा : - बैस, सा , यादव एवं च ाकर प रवार म मनोरं जन क मु य सुिवधा


टी.वी .. मोबाईल , रे िडयो इ या द है तथा कसी यौहार के उपल य म रामायण , नाचा ,

जसगीत , रामलीला इ या द का काय म रखा जाता है ।

िश ा का तर : - सवि त ाम देवरी कु द के समीप ि थित है , िजसके कारण यहां के


लोग म िश ा का तर अ छा है । िविभ कार के सुिवधा के कारण लोग म िश ा के
ित जाग क एवं अपने िवकास के िलये लोग िशि त हो रहे है ।

भोजन व था : - ाम म िनवास करने वाले लोग अपने भरण - पोषण के िलये काय करते
है एवं पेट भरने के िलये भोजन करते है । स प घर म लोग पोषण तर को यान म
रखकर भोजन करते है ।

ाम के देवी - देवता : सवि त ाम म अनेक कार के देवी देवता का िनवास है । इ ह लोग


मानते है एवं भाव - भि से पूजा अचना करते है ।

िशव मं दर : - िशव मं दर जो क सड़क कनारे ि थत है । लोग इसक पूजा अचना ित


सोमवार को करते है ।

ख लारी माता मं दर : - ख लारी माता क पूजा सुबह शाम आरती करके करते है । ित
वष चै नवरा म ख लारी माता म योत जलाकर माता को स करते ह तथा चेचक
महामारी फै लने पर ख लारी माता क पूजा कर पानी एवं ह दी और नीम प ी के ारा इस
महामारी को दूर कया जाता है ।

हनुमान मं दर : - हनुमान जी क पूजा शिनवार या मंगलवार को करते है एवं रोज सुबह


शाम दीप जलाते है । हनुमान भगवान को ब त म है । यहां के लोग ब त मानते है ।

मुख यौहार : - भारत पर परा एवं सं कृ ित का देश है । जहां पर हर यौहार को अित


उ लास के साथ मनाया जाता है । ाम देवरी म छेरछेरा , महािशवरा ी , होली ,
रथया ा, गणेशो सव , नवराि , दशहरा , दीपावली , देवउठनी , रामनवमी , बसंत पंचमी
, र ाबंधन , माघीपू णमा , भाईदूज इ या द यौहार मुख है । िववाह सं कार : - सवि त
ाम म िववाह सं कार म गांव के लोग को भोजन िखलाते है तथा िववाह दो प रवार क
सहमित एवं खुशी म स प होता है । ाम देवरी म िविभ मं दर है l

ज म सं कार : - ब े के ज म के प ात् उसके नामकरण के िलये जो उ सव मनाया जाता है


। उसे नामकरण सं कार कहते है । िशशु के उ वल भिव य क कामना एवं उसको
आशीवाद दान करते है ।

ख लारी माता मं दर
िशव मं दर

मृ यु सं कार : - मृ यु के प ात् दाह सं कार एवं दफन था चिलत है । जाता है । मृत


आ मा क शांित के िलये काय म कया जाता है तथा मृ यु भोज दया जाता है l

िन कष एवं सुझाव : - सवि त ाम देवरी के अ ययन से ा जानकारी के ारा यहां के


कु छ लोग को सुिवधा का उपयोग नह िमल सका है । यहां वा य के का अभाव है ।
लोग का समीप गांव जाना पड़ता है । तथा गांव म ायमरी कू ल है । हाई कू ल गांव म ही
मौजूद है ।

सुझाव :-

1. सवि त ाम के पास राईस िमल है । िजसका गंदा पानी गांव क ओर वेश कर


बीमा रयां फै ला रही है ।

2 गांव के घर से िनकलने वाले जल रा ते म बहते है । िजसके िलये जल िनकासी क


सुिवधा आव यक है ।

3. अिधकतर गांव के कचर का िन तारण करने क उिचत व था नह है । िजससे बरसात


के दन म गंदा जल दुषण फै लता है ।

4. गांव म कु छ लोग िनर र होने के कारण योजना का लाभ नह हो पा रहे है । िजसम


िश ा के ित जाग कता लाने क आव यकता है ।

5. सामािजक कु रीितय को दूर करना एवं नई सोच लाना अित आव यक ाम देवरी के


मुख भवन
सामुदाियक सा भवन

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