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एवं
बैस, सा ,यादव, एवं चं ाकर प रवार का सामािजक आ थक ितवेदन
को
को
दनांक .........................
ह ता र
कु . पूनम बैस
नाम
कु . पूनम बैस
(ख डअ)
1. समीपवत े
2. मीन से टर
1. ि थित मानिच
2. धरातल प
3. नजरीय मानिच
4. समो रे ख मानिच
5. वाह णाली
6. वन मानिच
(ख डब)
- िन कष एवं सुझाव
ख डब
1. भूिम का उपयोग
मानिच
1. 1992 :- India the most character full climate CG also include , here
2. 1994 :- The main trees of Koti, Dahia, Shires, because the monsoon
climate the trees and deciduous type .
3. 1999 :- The main climate of CG is monsoon type here the main trees
an deciduous type .
अ ययन का उ े य :-
high also the soils are Red , Yellow for this deciduous to rest at how .
8. बी.एल. शमा ( 2004 ) - भूगोल बी.ए. भाग -3 भारत का भूगोल सािह य भवन
पि लके शन ( पृ 9-38 ) - इस पु तक म धमतरी े का भूग भक बनावट तथा उ ादच
एवं ह का अ ययन कया गया है ।
11. जे.पी. शमा ( 2009 ) - ोयोिगक भूगोल के भूवै ािनक मानिच राके श र तोिन ारा
र तोिन पि लके शन िशवाजी रोड मेरठ पृ 235-261 म भूग भक बनावट के अंतगत
सं तरण तत् शैल दृ यांश , नमन तथा नमन क दशा , शैल सं तर क चौड़ाई , मोटाई
तथा िश प तथा गहराई का िनधारण तथा सं तरण क पहचान अड़ी का अ ययन कया
गया है ।
12. चतुभज
ु मामो रया ( 2009 ) - भूगोल थम वष क पृ वी क आयु च ान या शैल ,
च ान और थल प , पृ 20-23 102-112 126-128 म भूवै ािनक इितहास म शैल सी
च ान कतने साल पुरानी है । इनका अ ययन व छ ीसगढ़ के धमतरी े का उ ावच एवं
अपवाह तं तथा िम ी एवं जलवायु संबंिधत ( भूिम उपयोग , उ पादन , मशीनीकरण एवं
सचाई ) का अ ययन कया गया है ।
अ याय – 1
भौगोिलक प रचय
प रचय :- सवि त ाम देवरी भारत देश के छ ीसगढ़ रा य के धमतरी िजले के कु द
िवकास ख ड के अंतगत आता है । ाम देवरी कु द से 10 क.मी. क दूरी पर ि थत है तथा
धमतरी िजला से 20 क.मी. क दूरी पर है ।
ि थित एवं िव तार:- सवि त ाम देवरी का अ ांशीय एवं देशांतरीय िव तार अ ांशीय
िव तार 20 52572 " उ री अ ांश तक तथा देशांतरीय िव तार 814145.6 " पूव
देशांतर के म य ि थत है ।
ल बाई - चौड़ाई :- सवि त ाम देवरी क कु ल ल बाई 1 क.मी. तथा चौड़ाई 1.5 क.मी.
है तथा यह 644.10 हे टेयर े फल म फै ला आ है । इस ाम का समु तल से औसत
भू - ग भक बनावट
प रचय : - इस देश क भू - ग भक बनावट उ री एवं दि णी भाग म आ कय स शैल
समूह का सवािधक िव तार है । छ ीसगढ़ ाय ीपीय भारत का भाग है , जो ाचीन
ग डवाना लै ड का िह सा है ।
650 मी . तक मोटी है ।
उ ावच
प रचय : - उ ावच क दृि से सभी देश क ऊँचाई एक सामान नह पायी जाती है ।
सभी देश क उ ावच म सामा यतः िभ ता पाई जाती है । छ ीसगढ़ के अनेक देश म
घने जंगल है , तो कह पर पवत , पठार एवं न दय का िव तार है । इस दृि से यहाँ क
उ ावच म िवषमता पायी जाती छ ीसगढ़ के अिधकांश म य भाग म कृ िष काय को
धानता दी जाती ह । य क इन े म ऊँचाई 300 से 350 मीटर क ऊँचाई पायी
जाती है ।
वाह णाली
प रचय : - यह िन ववाद स य है क मानव स यता के िवकास का जल से बड़ा गहरा संबंध
है । ऐसा माना जात है , क िव म मानव स यता एवं सं कृ ित का उ म नदी घा टय म
ही आ है । िजसके कारण नदी घा टय के नाम पर ही उस स यता का नाम पड़ा ; जैस-े
नील नदी घाटी क स यता और सधु घाटी क स यता इ या द ।
1. महानदी बेिसन
2. गोदावरी बेिसन
3. सोन बेिसन
4. नमदा बेिसन
महानदी बेिसन : - देश के म य भाग से पादपाकार म वािहत होने वाली मुख अनुवत
नदी है । यह नदी रायपुर क उ भूिम देश के धमतरी िजले से िसहावा पवत के पूव भाग
से 2020 उ री अ ांश तथा 82 05 पूव देशांतर से िनकलती है । थानीय लोग क
मा यता है क महानदी क जल का ोत उ म थल से 27.3 क.मी. उ र दशा क ओर
वािहत होने के प ात् दुधावा के बाद पि म दशा क ओर मुड़कर वािहत ह लगती है ।
नाले क वाह दशा : - ाम देवरी के पास से गुजरने वाला नाला क वाह दशा दि ण
से उ र क ओर है । यह पूव दशा म महानदी म जाकर िमल जाती है । यह ाम नाला
देवरी म 500 मी . क लंबाई म फै ला है । इस नाले के ारा इस े के भू - ग भक जल तर
को बनाय रखने म सहायक है । िजससे अिधक समय तक धरातल म जल का ोत बना
रहता है , िजससे व छ जल क पू त होती है ।
अ याय - 5
जलवायु
जलवायु क प रभाषा :
2. जी.एफ. टेलर के अनुसार : - जलवायु कसी थान िवशेष क ऋतु दशा के िवतरण को
सि मिलत करती है ।
वषा : - 16 जून से 15 अ टूबर तक वषा ऋतु होती है । इस अविध म देश म वषा अिधक
होती है । अतः इसे वषा ऋतु कहते है । देश क औषत वषा का 90 ितशत इसी अविध म
होती है । इस अविध म देश म दि ण - पि म मानसूनी हवा से वषा होती है ।
शीत ऋतु ( 16 अ टू बर से 15 फरवरी ) : - 16 अ टूबर से 15 फरवरी तक शीत ऋतु
होती है । यह शीतल शु क और सुहावनी होती है । अ टूबर माह म वषा समा हो जाने के
बाद देश के तापमान म िगरावट ारं भ हो जाती है । देश म शीत ऋतु का अिधकतम
तापमान 28.92 से. े . रहता है । तथा इसी अविध का यूनतम औसत तापमान 12.6 से. े
. रहता है ।
िम ी
िवशेषताएँ : -
3. इस िम ी क गहराई 4 तक होती है ।
4. यह अ लीय होती है ।
वन पित
प रचय : - वन पित धरातल का आवरण और ग
ृं ार है । इसका उपयोग संसाधन के पम
होता है । मनु य अपनी आव यकता क पू त भी वन से करता आ रहा है । देश के लोग
का जीवन , अथ व था और अिधवास म वन का मह वपूण योगदान है ।
ाकृ ितक वन पित : - ाकृ ितक वन पित से अिभ ाय उसी पौध समुदाय से है , जो लंबे
समय तक िबना कसी बाहरी ह त ेप के उगता है और इसक िविभ जाितयाँ वहाँ पायी
जाने वाली िम ी और जलवायु प रि थि◌ म यथासंभव वयं को ढाल लेती है ।
वन का वग करण : -
वन पित क िवशेषता :-
वन पित मानव एवं जीव ज तु के िलये मह वपूण होती है , य क मानव जीवन के िलये
ऑ सीजन क मह वपूण आव यकता होती है । जो हम पेड़ के ारा ऑ सीजन क ाि
होती है । वन पित एक ब मु य संसाधन है जो मानव क आव यकता क पू त करता है ।
वन पित का उपयोग औषिध एवं धन के प म करते है । वन पित मृदा अपरदन को
रोकती है तथा वषा कराने म सहायक होती है ।
वन पित का संर ण :-
भौगोिलक पयावरण का मानव जीवन पर भाव तथा िन कष एवं सुझाव : मानव एवं
पयावरण के बीच घिन संबंध होता है । दोन एक - दूसरे के िबना अधूरे होते है । मानव
पयावरण म रहता है और पयावरण का अपने दैिनक जीवन म उपयोग करता है ।
सुझाव :-
भूिम उपयोग
" जे.ड यू . फॉ स ( J.W. Fox - 1956 ) : - " भूिम योग के अंतगत भू – भाग
कृ ित द िवशेषता के अनु प रहता है ।
" सी . वैनजेरी ( C. Vanzerri – 1972 ): - " भूिम उपयोग ाकृ ितक एवं
सां कृ ितक दोन ही उपादान के संयोग का ितफल है ।
भूिम उपयोग का मह व : - भूिम एक ऐसा ाकृ ितक संसाधन है , िजसका उपयोग िविभ
काय को करने के िलये कया जाता है । मानव अपनी छोटे बड़े काय को भूिम के मा यम से
ही पूण करता है ।
"कृ िष श द के िलये अं ज
े ी भाषा के ए ीक चर ' श द का योग कया जाता है । यह लै टन
भाषा के ( एगर + क चर ) श द का संशोिधत प है । "
1. खरीफ फसल
2. रबी फसल
गे ँ
अ य फसल : - ाम देवरी म अ य फसल के प म ितल , अलसी , मूग
ं आ द फसल का
उ पादन िलया जाता है ।
मानव बि तयाँ
अिधवास मानव ारा िन मत सां कृ ितक भू - दृ य म एक अ यंत उ कृ एवं ठोस रचना है,
जो भूतल पर गृह समूह एवं बसाव इकाई के प म दखाई पड़ती है । सामा यतः अिधवास
गृह के समूह होते है । वा तव म पृ वी के तल पर जहां भी कु छ गृह एक थान पर बना
िलये जाते है । उसे अिधवास कहते है ।
1. क ी मकान
2. प मकान
3. िमि त मकान
तालाब
मा यिमक शाला
बैस प रवार म िश ा का तर
अ याय - 4
जनसं या संरचना
कसी भी े िवशेष म िनवास करने वाले मानव समूह को जनसं या कहते है । जनसं या
के िबना कसी रा य क क पना नह क जा सकती है । मनु य अपने ान के ारा रा य का
िनमाण एवं उसे गित दान करता है ।
ावसाियक संरचना
कसी देश क म शि या कायशील जनसं या का िविभ िवतरण ही उस देश क
ावसाियक संरचना कहलाती है ।
3-4 11
5-6 06
7-8 05
सवि त प रवार म सभी के पास अपनी भूिम है , िजसम कृ िष काय करते है । अिधकांश
प रवार म 1 से 4 एकड़ तक क भूिम अिधक है । इस सभी प रवार म आय का तर
एवं पोषण तर सभी सामा य पाये गये है ।
अ याय - 6
प रवहन
प रवहन सुिवधा के कारण इस े म ावसाियक एवं औ ोिगक िवकास तेजी
से हो रहा है तथा यहां ापार भी प रवहन क सुिवधा और संचार साधन पर ही टका
रहता है । िव के सम त देश के िनवासी व तु क अदला - बदली पूव क तुलना म
यादा आि त हो गये है ।
1. सड़क प रवहन :
2. क ी सड़क : - सवि त ाम देवरी म पास म जाने के िलये तथा खेत म जाने के िलये
क ी सड़क का भी िनमाण आ है । क ी सड़क के मा यम से कसी भी थान म प च
ं ना
संभव है । िजससे कृ िष काय करने म सुिवधा ई है और खेत से धान एवं फसल के उ पादन
को लाने और ले जाने म सुिवधा ई है ।
भोजन व था : - ाम म िनवास करने वाले लोग अपने भरण - पोषण के िलये काय करते
है एवं पेट भरने के िलये भोजन करते है । स प घर म लोग पोषण तर को यान म
रखकर भोजन करते है ।
ख लारी माता मं दर : - ख लारी माता क पूजा सुबह शाम आरती करके करते है । ित
वष चै नवरा म ख लारी माता म योत जलाकर माता को स करते ह तथा चेचक
महामारी फै लने पर ख लारी माता क पूजा कर पानी एवं ह दी और नीम प ी के ारा इस
महामारी को दूर कया जाता है ।
ख लारी माता मं दर
िशव मं दर
सुझाव :-