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प्रतिदर्श प्रश्न पत्र

संकलिि परीक्षा (f}rh;) 2015-2016


ह द
ं ी – ‘अ’
कक्षा – दसव ं
तनर्ाशररि समय-3 घंटे अधर्किम अंक-90

सामान्य तनदे र्:-


i) इस प्रश्न के चार खंड ैं – क, ख, ग, और घ I
ii) चारों खंडो के प्रश्नों के उत्िर दे ना अतनवायश ै I
iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के प्रश्नों के उत्िर क्रमर्ः दीजिए I

खंड – ‘क’
(अपहिि अंर्)

1. तनम्नलिखखि गदयांर् को पढ़कर न चे हदए गए प्रश्नों के उत्िर के स ी ववकल्प 1x5=5


छााँटकर लिखखए –
चाणक्य के अनस
ु ार, में इन ि नो उपक्रमों में कभ संिोष न ीं करना चाह ए – ‘त्रत्रषु
नैव कत्िशव्य: fo|k;ka िप दानयो:I’ अथाशि ् ववदया अिशन में कभ संिोष न ीं करना
चाह ए कक बस, ब ु ि ज्ञान अजिशि कर लिया I इस िर िप और दान करने में भ
संिोष न ीं करना चाह ए I संिोष को म त्व दे िे ु ए क ा गया ै कक ‘िब आवे संिोष
र्न, सब र्न र्रू र समान I’ में िो प्राप्ि ो उसमें ी संिोष करना चाह ए I
‘साईं इिना दीजिए िामैं कुटुंब समाय I में भ भूखा न र ू ाँ , सार्ू न भूखा िाए’
अथाशि ् संिोष सबसे बड़ा र्न ैं I ि वन में संिोष र ा, र्ुद्ध-साजत्वक आचरण और
र्ुधचिा का भाव र ा िो मारे मन के सभ ववकार दरू ो िाएाँगे और मारे अन्दर
सत्य, तनष्िा, प्रेम, उदारिा, दया और आत्म यिा की गंगा ब ने िगेग I आि के
मनुष्य की सांसाररकिा में बढि लिप्ििा, वैजश्वक बािारवाद और भौतिकिा की
चकाचौंर् के कारण संत्रास , कंु िा और असंिोष हदन-प्रतिहदन बढिा ी िा र ा ै I
इस असंिोष को दरू करने के लिए संिोष बनना आवश्यक ो गया ै I सुख और
र्ांतिपूणश ि वन के लिए संिोष सफि औषधर् ै I
i) मनुष्य को ककसके प्रति संिोष न ीं करना चाह ए-
क) दान I
ख) र्न I
ग) मान I
घ) अस्त्त्र-र्स्त्त्र I
ii) मनुष्य को ककसमें संिोष रखना चाह ए ?
क) िो मसे लिया गया ो I
ख) िो में प्राप्ि ो I
ग) िो में ककस को दे ना ो I
घ) ककस िरूरिमंद व्यजक्ि से िेना ो I

iii) मारे अन्दर कब दया, उदारिा और आत्म यिा की गंगा ब ने िगेग ?


क) िब मारे मन में मैि आ िाए I
ख) िब दस
ू रों के प्रति ईष्याश आ िाए I
ग) मारे मन में िब संिोष आ िाए I
घ) मारे मन में िब भेदभाव की भावना ो I

iv) मनुष्य की सांसाररकिा में बढि लिप्ििा, वैजश्वक बािारवाद और भौतिकिा की


चकाचौंर् ने ककसे बढावा हदया ै ?
क) अपरार् को I
ख) गंभ र ब माररयों को I
ग) प्यार और अपनेपन की भावना को I
घ) संत्रास, कंु िा और असंिोष को I

v) उपरोक्ि गदयांर् का उपयुक्ि र् षशक ै-


क) बढ़िा असंिोष
ख) संिोष का म त्व
ग) बढ़ि कंु िाएाँ
घ) व्यजक्िगि स्त्वाथश

2. तनम्नलिखखि गदयांर् को पढ़कर न चे हदए गए प्रश्नों के उत्िर के स ी ववकल्प 1x5=5


छााँटकर लिखखए-

राष्र के प्रति मारा कत्िशव्य ै की म इसकी प्रगति में परू ा-परू ा स योग दें I
राष्र को स्त्वाविंब बनानें में मारी भलू मका तनणाशयक लसद्ध ोग I औदयोधगक
एवं कृवष की द्रजृ ष्ट से राष्र को आत्मतनभशर बनाना अत्यंि आवश्यक ै I ऐसा
िभ संभव ै िब म अपने-अपने क्षेत्र में पूरी िगन एवं मे नि के साथ कायश
करें I आधथशक द्रजृ ष्ट से राष्र को सबि बनाना भ मारा कत्िशव्य ै I मे करों
का भुगिान पूरी ईमानदारी के साथ करना चाह ए I
राष्र के प्रति मारा य भ कत्िशव्य ै की म राष्र के सम्मान को कभ न चे
न धगरने दें I मे ववदे लर्यों के सम्मुख कभ अपने राष्र की बुराई न ीं करन
चाह ए I यहद म ऐसा करिे ैं िो अपने दे र् के सामूह क मानलसक बि का ास ्
करिे ैं I में सदै व ऐसे कायश करने चाह ए जिनसे मारा राष्र गवश का अनुभव
कर सके I राष्र में व्याप्ि बरु ाइयााँ दरू करने के लिए भ मे प्रयत्नर् ि र ना
चाह ए I बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, कािाबाज़ारी, नर्ाखोरी आहद बरु ाइयों पर तनयन्त्रण
पाने में में सरकार की परू ी-परू ी मदद करन चाह ये I िब मारा राष्र इन
बरु ाइयों से प छा छुड़ा िेगा, िब मारा राष्र तनश्चय ी उन्नति के मागश पर बढ़
चिेगा I

i) राष्र के प्रति मारा क्या कत्िशव्य ै ?


क) राष्र को स्त्वाविंब बनाएं I
ख) राष्र की प्रगति में पूरा-पूरा स योग दें I
ग) उदयोग स्त्थावपि करें I
घ) राष्र को प्रगतिर् ि एवम स्त्वाविंब बनाएं I

ii) म राष्र का सम्मान कैसे बनाये रख सकिे ैं ?


क) ववदे लर्यों के सामने अपने राष्र की बुराई न करके I
ख) चप
ु र कर I
ग) राष्र के लिए अच्छे काम करके I
घ) अन्य राष्रों के साथ िुिना करके I

iii) म राष्र को आधथशक दृजष्ट से कैसे सबि बना सकिे ैं?


क) कर- वंचना करके I
ख) र्न कमाकर I
ग) करों का भुगिान पूरी ईमानदारी के साथ करके I
घ) आधथशक ववकास करके I
iv) ‘उन्नति’ र्ब्द का वविोम ै I
क) अपनति I
ख) अवनति I
ग) voUufr
घ) प्रोन्नति I
v) भ्रष्टाचार र्ब्द का संधर् ववच्छे द ै-
क) भ्रष्टा+चार I
ख) भ्रष्ट+अचार I
ग) भ्रष्ट+आचार I
घ) भ्रष्टाचा+र I

3. तनजम्िखखि कव्यांर् को पढ़कर न चे हदए गए प्रश्नों के उत्िर के स ी ववकल्प


छांटकर लिखखए- 1x5=5
दो में से क्या िुम् े क्या चाह ए, किम या कक ििवार?
मन में ऊाँचे भाव की िन में र्जक्ि अिय अपारI
किम दे र् की बड़ र्जक्ि ै , भाव िगाने वािी,
हदि ी न ीं, हदमागों में भ आग िगाने वािी I
पैदा करि किम ववचारों के िििे अंगारे ,
और प्रज्वाजल्िि-प्राण दे र् क्या कभ मरे गा मारे ?
ि ू गरम रखने को रखो मन में ज्वलिि ववचार,
ह स्र
ं ि व से बचने को चाह ए ककन्िु ििवार I
एक भेद ै और ि ााँ तनभशय ोिे नर-नारी,
किम उगिि आग, ि ााँ अक्षर बनिे धचंगारी I
ि ााँ मनुष्यों के भ िर, रदम िििे ैं र्ोिे,
बां ों में त्रबििी ोि , ोिे हदमाग में गोिे I
ि ााँ िोग पििे ि ू में िा ि की र्ार,
क्या धचंिा यहद व ां ाथ में ु ई न ीं ििवार I
(i) ‘किम’ और ‘ििवार’ को कवव ने मनुष्य की ककन र्जक्ियों के लिए प्रयोग ककया ै?
क) मन और र्रीर
ख) ववदया और र्स्त्त्र
ग) अह स
ं ा और ह स
ं ा
घ) ववचारों का बि और र्ारीररक बि

ii) ‘किम’ को म त्वपूणश बिाए िाने का कारण क्या ै?


क) किम मनुषय को ि वंि रखि ै I
ख) ििवार से किम की भाषा अधर्क र्जक्िर्ािी ै I
ग) किम के आगे ििवार ार मान िेि ै I
घ) ववचार क्रांति िा सकिे ै I
iii) र्स्त्त्र की र्जक्ि की आवश्यकिा ककस जस्त्थति में न ी र ि ै ?
क) िब ह स
ं क ि व र्ेष न र ें I
ख) िब कोई भ र्त्रु न ो I
ग) िब िोगो के मन में और ववचारों में आग िग ो I
घ) िब िोग अह स
ं क बन िाएाँ I

iv) ‘ि ााँ िोग पाििे ि ू में िा ि की र्ार’, पंजक्ि में ‘ ािा ि’


का अथश ै -
क) ववष
ख) रक्ि
ग) लर्व
घ) व्याधर्

v) ‘किम उगिि आग, ि ााँ अक्षर बनिे धचंगारी’ का आर्य क्या ै?


क) किम दवारा पष्ृ िों पर आग रूप अक्षर बनिे ै I
ख) किम से व रिा पूणश ववचारों का तनमाशण ोिा ै I
ग) किम युद्ध का न्योिा दे ि ै I
घ) किम व रिा का गुणगान करि ै I

4. तनम्नलिखखि काव्यांर् को पड़कर न चे हदए गऐ प्रश्नों के उत्िर के स ी ववकल्प


छांटकर लिखखए- 1x5=5
कुछ भ बन, बस, कायर मि बन I
िोकर मार, पटक मि माथा, िेरी रा रोकिे पा न I
कुछ भ बन, बस, कायर मि बन I
िे-दे कर ि ना क्या ि ना, कब िक गम के आंसू प ना
मानविा ने स ंचा िुझको, ब ा युगों िक खन
ू -पस ना
कुछ न करे गा? ककया करे गा-रे मनुष्य, बस कािर क्रंदन?
कुछ भ बन, बस, कायर मि बन I
‘युर्म दे ह ’ क े िब पामर, दे न द ु ाई प ि फेर कर
या िो ि ि प्र ि के बि पर या िेरा पग चम
ू े
प्रतिह स
ं ा भ दब
ु ि
श िा ै पर कायरिा अधर्क अपावनI
कुछ भ बन, बस, कायर मि बन I
i) कवव में क्या न बनने की प्रेरणा दे र ा ै?
क) सा स
ख) कायर
ग) पररश्रम
घ) आिस

ii) प्रतिह स
ं ा से क्या िात्पयश ै ?
क) बदिा िेना
ख) रुकावट डािना
ग) अपर्ब्द क ना
घ) ह स
ं ा करना

iii) कवव ककस प्रकार के ि वन को व्यथश मानिा ै?


क) अश्रप
ु ण
ू श ि वन को
ख) दष्ु टिापण
ू श ि वन को
ग) कायरिा पूणश ि वन को
घ) तनरार्ावादी ि वन को

iv) ‘पटक मि माथा’ का क्या आर्य ै?


क) मस्त्िक झक
ु ाना
ख) आंसू ब ाना
ग) घबरा िाना
घ) तनरार् ोना

v) ‘कायर’ र्ब्द का वविोम ै-


क) डरपोक
ख) सा स
ग) आिस
घ) बवु द्धमानI
खंड – ‘ख’
(व्याव ाररक व्याकरण)

5. 1X3=3
तनदे र्ानस
ु ार उत्िर लिखखए-
क) अंककि ने क ा कक मैं आि ववदयािय न ीं िाऊाँगा I
(रचना के आर्ार पर वाक्य भेद बिाइए)
ख) प्रथम आने वािे ववदयाथी को पुरस्त्कार हदया िाएगा I
(लमश्र वाक्य में बदलिए )
ग) मने वषशिा का पत्र पढ़कर सबको उसकी कुर्ििा का समाचार हदया I
(संयक्
ु ि वाक्य में बदलिए )

6. तनम्नलिखखि वाक्यों में वाच्य पररविशन कीजिए - 1X4=4


क) य मकान दादाि ने बनवाया ै I (कमश वाच्य)
ख) व दौड़ न ीं सकिा I (भाव वाच्य)
ग) अध्यापक दवारा ववदयाथी को पढ़ाया गया I (किश ृ वाच्य)
घ) राष्रपति ने इस भवन का उदघाटन ककया I (कमश वाच्य)

7. रे खांककि पदों का पद-पररचय लिखखए – 1X4=4


अ ा ! उपवन में सुन्दर फूि खखिे ैं I

8. तनम्नलिखखि प्रश्नों के उत्त्िर तनदे र्ानुसार लिखखए – 1X4=4


क) स्त्थाय भाव और संचारी भाव में अंिर स्त्पष्ट कीजिए I
ख) रौद्र रस का स्त्थाय भाव लिखखए I
ग) िुगुप्सा (घण
ृ ा) से कौन-सा रस तनष्पन्न ोिा ैं ?
घ) ववयोग श्रग
ंृ ार रस से संबंधर्ि काव्य पंजक्ियााँ लिखखए I

खंड - ‘ग’
(पाठ्य पस्त्
ु िक)

9. तनम्नलिखखि गदयांर् को पढ़कर न चे हदए गए प्रश्नों के उत्िर लिखखए –


अत्रत्र की पत्न पत्न -र्मश पर व्याख्यान दे िे समय घंटो पांडडत्य प्रकट करे , गागी
बड़े-बड़े ब्रह्मम्वाहदयों को रा दे , मंडन लमश्र की स र्मशचाररण र्ंकराचायश के छक्के
छुड़ा दें ! गज़ब ! इससे अधर्क भयंकर बाि और क्या ो सकेग ! य सब पाप
पढ़ने का अपरार् ै I न वे पढ़ि ं, न वे पूिन य पुरुषों का मुकाबिा करि ं I य
सारा दरु ाचार जस्त्त्रयों को पढ़ाने ी का कुफि ै I समझे I जस्त्त्रयों के लिए पढना
कािकूट और पुरुषों के लिए प यूष का घूंट ! ऐस ी दिीिों और दृष्टान्िों के
आर्ार पर कुछ िोग जस्त्त्रयों को अपढ़ रखकर भारिवषश का गौरव बढ़ाना चा िे ैं I
क) प्राच न नाररयों ने ककस प्रकार अपने ज्ञान कक र्ाक िमाई थ ? 1
ख) िेखक ने ककसे ‘भयंकर बाि’ और ‘पाप पढने का अपरार्’ क ा और क्यों? 2
ग) ‘य सारा दरु ाचार जस्त्त्रयों को पढ़ाने का ी कुफि ै ’- का व्यंग्य स्त्पष्ट 2
कीजिए I

10. तनम्नलिखखि प्रश्नों के उत्िर संक्षेप में लिखखए - 2x5=10


क) िेखखका के व्यजक्ित्व का स ी ववकास कब ु आ ? ‘एक क ान य भ ’ के
आर्ार पर बिाइए I
ख) त्रबजस्त्मल्िा खां को संग ि की आरं लभक प्रेरणा ककससे लमिी ?
ग) वास्त्िववक अथो में ‘संस्त्कृि’ व्यजक्ि ककसे क ा िा सकिा ै ?
घ) अपनों का ववश्वासघाि मनुष्य पर क्या प्रभाव डाििा ैं ?’एक क ान य भ’
के आर्ार पर लिखखए I
ङ) त्रबजस्त्मल्िा खां कार् को छोड़कर क्यों न ीं िाना चा िे थे ?
11. तनम्नलिखखि काव्यांर् को पहढ़ए और पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्िर लिखखए –
यर् ै या न वैभव ै , मान ै न सरमाया;
जििना ी दौड़ा िू उिना ी भरमाया I
प्रभि
ु ा का र्रण-त्रबंब केवि मग
ृ िष्ृ णा ै,
र चजन्द्रका में तछप एक राि कृष्णा ै I
िो ै यथाथश कहिन उसका िू कर पि
ू न –
छाया मि छूना
मन, ोगा दःु ख दन
ू ा I
क) कवव ने यर्, वैभव, मान आहद को ककसके सामान बिाया ै ? 1
ख) ‘ र चंहद्रका मे तछप एक राि कृष्णा ै ’ – इस पंजक्ि के माध्यम से कवव ककस
िथ्य को बिाना चा िा ै ? 2
ग) व्यजक्ि को कहिन यथाथश का पूिन क्यों करना चाह ए I 2

12. तनम्नलिखखि प्रश्नों के उत्िर संक्षेप में लिखखए - 2x5=10


क) परर्ुराम ने र्नुष िोड़ने वािे के ववषय में पूछा, िो श्र राम ने ‘र्नुष मेरे
दवारा टूट गया ै I’ स र्ा उत्िर न दे कर ऐसा क्यों क ा कक ‘र्नुष िोड़ने
वािा आपका कोई दास ोगा’
ख) मााँ ने बेटी को क्या-क्या स ख दी ? ‘कन्यादान’ कवविा के आर्ार पर
बिाइए ?
ग) ‘संगिकार’ कवविा में कवव क्या संदेर् दे ना चा िा ै ?
घ) िक्ष्मण ने अपने कुि कक क्या परम्परा बिाई ?
ङ) ‘कन्यादान’ कवविा में कवव आग ििाने के संदभश में क्या संदेर् दे िा ै ?

13. ‘कटाओ’ में ककस भ दक


ु ान का न ोना उसके लिए वरदान ै I इस कथन के
पक्ष में अपन राय व्यक्ि कीजिए I 5

खंड – ‘घ’
(िेखन)
14. तनम्नलिखखि में से ककस एक ववषय पर हदए गए संकेि त्रबंदओ
ु ं के आर्ार 10
पर िगभग 200 से 250 र्ब्दों में तनबंर् लिखखए -
क) प्रतिभा पिायन
- प्रस्त्िावना (प्रतिभा पिायन का अथश)
- पिायन के कारण
- ववदे र्ों का बढ़िा मो
- ववश्वर्जक्ि के रूप में उभरिा भारि
- उपसं ार

ख) बदिि ि वन-र्ैिी
- प्रस्त्िावना (ि वन र्ैिी का आर्य)
- पररविशन के क्षेत्र (भोिन, वस्त्त्र, कायश र्ैिी आहद)
- प्रभाव
- पररणाम (स्त्वास्त्थ्य, संस्त्कृति आहद पर)
- उपसं ार

ग) प्रगति की ओर भारि के बढिे कदम


- प्रगति की ववलभन्न हदर्ाएाँ
- बार्ाएाँ और उनका तनवारण
- ववश्व पटि पर भारि की जस्त्थति
- उपसं ार

15. ककस प्रलसद्ध समाचार पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखकर रे ि 5


आरक्षण व्यवस्त्था में ु ए सुर्ार की प्रर्ंसा कीजिए I
अथवा
आपका छोटा भाई पढाई में पूरा मन न ीं िगािा अिः अपने छोटे भाई को मन
िगाकर पढ़ने की सिा दे िे ु ए एक पत्र लिखखए I

16. तनम्नलिखखि गदयांर् का एक ति ाई र्ब्दों मे सार लिखिे ु ए उसका 5


उधचि र् षशक भ लिखखए –
भाग्य एवं परु
ु षाथश स ोदर ैं ककन्िु उनके स्त्वाभाव में िम न-आसमान का अंिर
ै I दोनों में अपना वचशस्त्व स्त्थावपि करने के लिए संघषश ोिा र िा ै I मनष्ु य
अपने स्त्वभाव के अनस
ु ार दोनों में से ककस एक को अपना िेिा ै I मनष्ु य को
ि वन में सफििा की प्राजप्ि उसके भाग्य से न ीं कमश से ोि ै I मनष्ु य को
भाग्य के स ारे बैिने की प्रवतृ ि त्याग कर कमश करने की प्रवतृ ि अपनान चाह ए
I मस
ु बि के समय िो व्यजक्ि भाग्य के स ारे र कर किशव्य पािन में िापरवा ी
करिा ै उसका दष्ु पररणाम उसे िंबे समय िक भग
ु िना पड़िा ै सफ़ििा प्राजप्ि
का मूि मंत्र भाग्य न ीं कमश ै I इस संबंर् में भगवान श्र कृष्ण का ववचार था
की िुम वविय बनना चा िे ो या सफि बनना चा िे ो िो कफर रुकने की
क्या आवश्यकिा ै I ववपरीि पररजस्त्थियों से लमत्रिा न ीं संघषश की आवश्यकिा
ै I अि: अपने पुरुषाथश पर भरोसा कर किशव्य परायण बनना चाह ए, भाग्यवादी
न ीं I

___________ ____________
___________ ____________
प्रतिदर्श प्रश्नपत्र
उत्िर संकेि
संकलिि परीक्षा (दववि य) 2015-16
ह द
ं ी – ‘अ’
कक्षा – दसव ं

खंड – ‘क’
(अपहिि बोर्)
1. अपहिि गदयांर् 1x5=5
i) क) – दान I
ii) ख) – िो में प्राप्ि ो I
iii) ग) - मारे मन में िब संिोष आ िाए I
iv) घ) - संत्रास, कंु िा और असंिोष को I
v) ख.)- संिोष का म त्त्व

2. अपहिि गदयांर् 1x5=5


i) घ) – राष्र को प्रगतिर् ि एवं स्त्वाविंब बनाएाँ I
ii) क) – ववदे लर्यों के सामने अपने राष्र की बुराई न करके I
iii) ग) – करों का भुगिान परू ी ईमानदारी के साथ करके I
iv) ख) – अवनति I
v) ग) – भ्रष्ट+आचार I
3. अपहिि गदयांर् 1x5=5
i) घ) – ववचारों का बि और र्ारीररक बि I
ii) ख) – ििवार से किम की भाषा अधर्क र्जक्िर्ािी ै I
iii) ग) – िब िोगो के मन मे और ववचारों में आग िग ो I
iv) क) – ववष I
v) ख) – किम से व रिापण
ू श ववचारों का तनमाशण ोिा ै I
4. अपहिि गदयांर् 1x5=5
i) ख) – कायर I
ii) क) – बदिा िेना I
iii) ग) – कायरिापण
ू श ि वन को I
iv) क) – तनरार् ोना I
v) ख) – सा स I
खंड – ‘ख’
(व्यव ाररक व्याकरण)
5. रचना के आर्ार पर वाक्य भेद - 1x3 = 3
क) लमश्र वाक्य I
ख) िो ववदयाथी प्रथम आएगा, उसे पुरस्त्कार हदया िाएगा I
ग) मने वषशिा का पत्र पढ़ा और उसकी कुर्ििा का समाचार हदया I

6. वाच्य 1x4 = 4
क) य मकान दादाि दवारा बनवाया गया ै I
ख) उससे दौड़ा न ीं िािा I
ग) अध्यापक ने ववर्ाथी को पढ़ाया I
घ) राष्रपति दवारा इस भवन का उदघाटन ककया गया I
7. पद- पररचय 1x4 = 4
क) अ ा! – ववस्त्मयाहदबोर्क अव्यय, षश सूचक I
ख) उपवन में – िातिवाचक संज्ञा, पुजल्िंग, एकवचन, अधर्करण कारक I
ग) सुन्दर – गुणवाचक ववर्ेषण, पुजल्िंग ब ु वचन,फूि-ववर्ेष्य I
घ) खखिे ै – सकमशक कक्रया, पुजल्िंग, ब ु वचन, विशमानकाि, किश ृ वाच्य I

8. रस 1x4 = 4
क) स्त्थाय भाव उत्पन्न ोकर नष्ट न ीं ोिे, संचारी भाव पान के बुिबुिों की
भांति बनिे-लमटिे र िे ै I प्रत्येक रस का एक तनजश्चि स्त्थाय भाव ोिा
ै , पर एक संचारी भाव अनेक रसों के साथ र सकिा ै I
ख) रौद्र रस का स्त्थाय भाव क्रोर् ै I
ग) व भत्स रस I
घ) ववयोग श्रग
ंृ ार रस का उद ारण –
क े उ राम ववयोग िब स िा I
मों क ाँ सकि भय ववपरीिा I
नूिन ककसिय मन ु ं कृसानु I
काि तनसा सम तनलस, सलस,भानू II
खंड – ‘ग’
(पाठ्य पुस्त्िक)
9. पहिि गदयांर्
क) प्राच न नाररयों ने अपने ज्ञान, िकश और उपदे र् दवारा अपने ज्ञान की 1
र्ाक िमाई थ I
ख) िेखक ने व्यंग्य में जस्त्त्रयों दवारा पूिन य पुरुषों को राने को ‘भयंकर 2
बाि’ क ा ै I उन् ोंने इसे ‘पाप पढ़ने का अपरार्’ क कर उन पुरुषों पर चोट
की ै िो जस्त्त्रयों की लर्क्षा के ववरोर् ैं I
ग) य वाक्य अ ं कारी पुरुषों पर व्यंग्य ै I िेखक की दृजष्ट में वे पुरुष 2
अन्याय ैं िो जस्त्त्रयों को लर्क्षा के क्षेत्र में आगे न ीं बढ़ने दे ना चा िे I

10. 2x5 = 10
क) िब िेखखका की बड़ ब न की र्ादी ो गई िथा बड़े भाई पढाई के लिए
कोिकािा चिे गए िो उनके व्यजक्ित्व का ववकास ोना र्ुरू ु आ I िब वपिा
ने उस पर ध्यान दे ना र्ुरू ककया I
ख) त्रबजस्त्मल्िा खां ने संग ि की वणशमािा का प िा अक्षर रसूिनबाई और
बिूिनबाई नाम की दो गातयका ब नों के ग िों को सुनकर स खा I
ग) िेखक के अनुसार वास्त्िववक अथों में ‘संस्त्कृि व्यजक्ि’ उस व्यजक्ि को क ा िा
सकिा ै िो अपन बुवद्ध और वववेक दवारा को ककस नव न िथ्य का दर्शन
करिा ै I
घ) अपनों का ववश्वासघाि मनुष्य को िोड़कर रख दे िा ै I इससे मनुष्य ब ु ि
र्क्की, अ ं कारी, क्रोर् और धचडधचडा ो िािा ै I उसका व्यजक्ित्व खंडडि ो
िािा ै I
ङ) त्रबजस्त्मल्िा खां गंगा मैया, बाबा ववश्वनाथ और बािाि के मंहदर से ग रा
िगाव रखिे थे I त्रबजस्त्मल्िा खां ने इस र्रि पर लर्क्षा िी, र् नाई स ख
और अदब पाई I

11. पहिि काव्यांर्


क) कवव ने यर्, वैभव, मान आहद को भ्रलमि करने वािी मग
ृ िष्ृ णा 1
के समान बिाया ै , क्योंकक मनुष्य यर्-आहद के लिए भ्रलमि ोिा ै और
कभ संिप्ृ ि न ीं ोिा ै I
ख) मानव ि वन में सुख के बाद दःु ख की कािी छाया भ सामने खड़ र ि ैI
य ााँ चााँदन ं राि मनुष्य के सुख का प्रि क ै िो कािी राि दःु ख का प्रि क ैI
2
ग) मनुष्य को यथाथश से पिायन न कर यथाथश का सामना करना चाह ए I ि वन
में कहिनाइयााँ आि ै इनसे ववचलिि ु ए त्रबना उनका सामना करना चाह एI 2

12. 2x5=10
क) श्र राम परर्ुराम के क्रोर् स्त्वभाव से पररधचि थे और स्त्वंय भ ववनम्रिा के
र्न थे I वे य भ िानिे थे कक ववनम्रिा से क्रोर् र्ांि ो िाएगा I
ख) पान में झांककर अपने सौन्दयश से अलभभूि मि ोना, वस्त्त्र और आभूषणों
को बंर्न मि बनने दे ना I मयाशदाओं का पािन करना परं िु तनरी सह ष्णु
बनकर मि र ना I
ग) मुख्य गायक की गातयकी को सफ़ि बनाने के लिए संगिकार दवारा अपन
आवाि को ऊाँचा न उिाना उसकी कमिोरी या असफ़ििा न ीं मानना चाह ए
I
घ) मारे य ााँ दे विा, ब्राह्ममण, ईश्वरभक्ि िथा गौ पर र्रू व रिा न ीं हदखाई
िाि क्योंकक इन् ें मारने पर पाप िगिा ै और इनसे ारने पर बदनाम
ोि ै I
ङ) मााँ बेटी को स ख दे ि ै कक व अपन सरु क्षा पर आाँच न आने दे I व
समझदारी से ऐस जस्त्थतियााँ बनाए कक कोई उस पर अन्याय और अत्याचार
न कर सके I

13. 5
‘कटाओं’ को अपन स्त्वच्छिा और सुन्दरिा के कारण ह न्दस्त्
ु िान का जस्त्वट्ज़रिैंड
क ा िािा ै I य सुंदरिा आि इसलिए ववदयमान ै क्योंकक य ााँ कोई दक
ु ान
आहद न ीं ै , य ााँ का व्यवसाय करण न ीं ु आ ै I मनुष्य अपन जिम्मेदारी
और किशव्य का पािन न कर प्रयुक्ि च िों के अवलर्ष्ट को ि ााँ-ि ााँ फेकं
सौन्दयश को िे स प ुं चाए त्रबना न ीं र िा ै I
खंड-‘घ’
(िेखन)

14. तनबंर् िेखन 10


प्रस्त्ितु ि – 1
भाषा-र्द्ध
ु िा - 2
वाक्य-ववन्यास – 1
ववषयवस्त्िु (संकेि त्रबंदओ
ु ं के आर्ार पर) – 4
समग्र प्रभाव – 2

15. पत्र-िेखन 5
प्रारं भ और अंि की औपचाररकिाएं – 1+1
ववषयवस्त्िु – 2
भाषा र्द्ध
ु िा - 2

16. सार िेखन 5


र् षशक – 1
संक्षेपण (एक ति ाई र्ब्दों में ) -2
भाषा र्द्ध
ु िा- 2

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