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Hindi A X
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खंड – ‘क’
(अपहिि अंर्)
राष्र के प्रति मारा कत्िशव्य ै की म इसकी प्रगति में परू ा-परू ा स योग दें I
राष्र को स्त्वाविंब बनानें में मारी भलू मका तनणाशयक लसद्ध ोग I औदयोधगक
एवं कृवष की द्रजृ ष्ट से राष्र को आत्मतनभशर बनाना अत्यंि आवश्यक ै I ऐसा
िभ संभव ै िब म अपने-अपने क्षेत्र में पूरी िगन एवं मे नि के साथ कायश
करें I आधथशक द्रजृ ष्ट से राष्र को सबि बनाना भ मारा कत्िशव्य ै I मे करों
का भुगिान पूरी ईमानदारी के साथ करना चाह ए I
राष्र के प्रति मारा य भ कत्िशव्य ै की म राष्र के सम्मान को कभ न चे
न धगरने दें I मे ववदे लर्यों के सम्मुख कभ अपने राष्र की बुराई न ीं करन
चाह ए I यहद म ऐसा करिे ैं िो अपने दे र् के सामूह क मानलसक बि का ास ्
करिे ैं I में सदै व ऐसे कायश करने चाह ए जिनसे मारा राष्र गवश का अनुभव
कर सके I राष्र में व्याप्ि बरु ाइयााँ दरू करने के लिए भ मे प्रयत्नर् ि र ना
चाह ए I बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, कािाबाज़ारी, नर्ाखोरी आहद बरु ाइयों पर तनयन्त्रण
पाने में में सरकार की परू ी-परू ी मदद करन चाह ये I िब मारा राष्र इन
बरु ाइयों से प छा छुड़ा िेगा, िब मारा राष्र तनश्चय ी उन्नति के मागश पर बढ़
चिेगा I
ii) प्रतिह स
ं ा से क्या िात्पयश ै ?
क) बदिा िेना
ख) रुकावट डािना
ग) अपर्ब्द क ना
घ) ह स
ं ा करना
5. 1X3=3
तनदे र्ानस
ु ार उत्िर लिखखए-
क) अंककि ने क ा कक मैं आि ववदयािय न ीं िाऊाँगा I
(रचना के आर्ार पर वाक्य भेद बिाइए)
ख) प्रथम आने वािे ववदयाथी को पुरस्त्कार हदया िाएगा I
(लमश्र वाक्य में बदलिए )
ग) मने वषशिा का पत्र पढ़कर सबको उसकी कुर्ििा का समाचार हदया I
(संयक्
ु ि वाक्य में बदलिए )
खंड - ‘ग’
(पाठ्य पस्त्
ु िक)
खंड – ‘घ’
(िेखन)
14. तनम्नलिखखि में से ककस एक ववषय पर हदए गए संकेि त्रबंदओ
ु ं के आर्ार 10
पर िगभग 200 से 250 र्ब्दों में तनबंर् लिखखए -
क) प्रतिभा पिायन
- प्रस्त्िावना (प्रतिभा पिायन का अथश)
- पिायन के कारण
- ववदे र्ों का बढ़िा मो
- ववश्वर्जक्ि के रूप में उभरिा भारि
- उपसं ार
ख) बदिि ि वन-र्ैिी
- प्रस्त्िावना (ि वन र्ैिी का आर्य)
- पररविशन के क्षेत्र (भोिन, वस्त्त्र, कायश र्ैिी आहद)
- प्रभाव
- पररणाम (स्त्वास्त्थ्य, संस्त्कृति आहद पर)
- उपसं ार
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प्रतिदर्श प्रश्नपत्र
उत्िर संकेि
संकलिि परीक्षा (दववि य) 2015-16
ह द
ं ी – ‘अ’
कक्षा – दसव ं
खंड – ‘क’
(अपहिि बोर्)
1. अपहिि गदयांर् 1x5=5
i) क) – दान I
ii) ख) – िो में प्राप्ि ो I
iii) ग) - मारे मन में िब संिोष आ िाए I
iv) घ) - संत्रास, कंु िा और असंिोष को I
v) ख.)- संिोष का म त्त्व
6. वाच्य 1x4 = 4
क) य मकान दादाि दवारा बनवाया गया ै I
ख) उससे दौड़ा न ीं िािा I
ग) अध्यापक ने ववर्ाथी को पढ़ाया I
घ) राष्रपति दवारा इस भवन का उदघाटन ककया गया I
7. पद- पररचय 1x4 = 4
क) अ ा! – ववस्त्मयाहदबोर्क अव्यय, षश सूचक I
ख) उपवन में – िातिवाचक संज्ञा, पुजल्िंग, एकवचन, अधर्करण कारक I
ग) सुन्दर – गुणवाचक ववर्ेषण, पुजल्िंग ब ु वचन,फूि-ववर्ेष्य I
घ) खखिे ै – सकमशक कक्रया, पुजल्िंग, ब ु वचन, विशमानकाि, किश ृ वाच्य I
8. रस 1x4 = 4
क) स्त्थाय भाव उत्पन्न ोकर नष्ट न ीं ोिे, संचारी भाव पान के बुिबुिों की
भांति बनिे-लमटिे र िे ै I प्रत्येक रस का एक तनजश्चि स्त्थाय भाव ोिा
ै , पर एक संचारी भाव अनेक रसों के साथ र सकिा ै I
ख) रौद्र रस का स्त्थाय भाव क्रोर् ै I
ग) व भत्स रस I
घ) ववयोग श्रग
ंृ ार रस का उद ारण –
क े उ राम ववयोग िब स िा I
मों क ाँ सकि भय ववपरीिा I
नूिन ककसिय मन ु ं कृसानु I
काि तनसा सम तनलस, सलस,भानू II
खंड – ‘ग’
(पाठ्य पुस्त्िक)
9. पहिि गदयांर्
क) प्राच न नाररयों ने अपने ज्ञान, िकश और उपदे र् दवारा अपने ज्ञान की 1
र्ाक िमाई थ I
ख) िेखक ने व्यंग्य में जस्त्त्रयों दवारा पूिन य पुरुषों को राने को ‘भयंकर 2
बाि’ क ा ै I उन् ोंने इसे ‘पाप पढ़ने का अपरार्’ क कर उन पुरुषों पर चोट
की ै िो जस्त्त्रयों की लर्क्षा के ववरोर् ैं I
ग) य वाक्य अ ं कारी पुरुषों पर व्यंग्य ै I िेखक की दृजष्ट में वे पुरुष 2
अन्याय ैं िो जस्त्त्रयों को लर्क्षा के क्षेत्र में आगे न ीं बढ़ने दे ना चा िे I
10. 2x5 = 10
क) िब िेखखका की बड़ ब न की र्ादी ो गई िथा बड़े भाई पढाई के लिए
कोिकािा चिे गए िो उनके व्यजक्ित्व का ववकास ोना र्ुरू ु आ I िब वपिा
ने उस पर ध्यान दे ना र्ुरू ककया I
ख) त्रबजस्त्मल्िा खां ने संग ि की वणशमािा का प िा अक्षर रसूिनबाई और
बिूिनबाई नाम की दो गातयका ब नों के ग िों को सुनकर स खा I
ग) िेखक के अनुसार वास्त्िववक अथों में ‘संस्त्कृि व्यजक्ि’ उस व्यजक्ि को क ा िा
सकिा ै िो अपन बुवद्ध और वववेक दवारा को ककस नव न िथ्य का दर्शन
करिा ै I
घ) अपनों का ववश्वासघाि मनुष्य को िोड़कर रख दे िा ै I इससे मनुष्य ब ु ि
र्क्की, अ ं कारी, क्रोर् और धचडधचडा ो िािा ै I उसका व्यजक्ित्व खंडडि ो
िािा ै I
ङ) त्रबजस्त्मल्िा खां गंगा मैया, बाबा ववश्वनाथ और बािाि के मंहदर से ग रा
िगाव रखिे थे I त्रबजस्त्मल्िा खां ने इस र्रि पर लर्क्षा िी, र् नाई स ख
और अदब पाई I
12. 2x5=10
क) श्र राम परर्ुराम के क्रोर् स्त्वभाव से पररधचि थे और स्त्वंय भ ववनम्रिा के
र्न थे I वे य भ िानिे थे कक ववनम्रिा से क्रोर् र्ांि ो िाएगा I
ख) पान में झांककर अपने सौन्दयश से अलभभूि मि ोना, वस्त्त्र और आभूषणों
को बंर्न मि बनने दे ना I मयाशदाओं का पािन करना परं िु तनरी सह ष्णु
बनकर मि र ना I
ग) मुख्य गायक की गातयकी को सफ़ि बनाने के लिए संगिकार दवारा अपन
आवाि को ऊाँचा न उिाना उसकी कमिोरी या असफ़ििा न ीं मानना चाह ए
I
घ) मारे य ााँ दे विा, ब्राह्ममण, ईश्वरभक्ि िथा गौ पर र्रू व रिा न ीं हदखाई
िाि क्योंकक इन् ें मारने पर पाप िगिा ै और इनसे ारने पर बदनाम
ोि ै I
ङ) मााँ बेटी को स ख दे ि ै कक व अपन सरु क्षा पर आाँच न आने दे I व
समझदारी से ऐस जस्त्थतियााँ बनाए कक कोई उस पर अन्याय और अत्याचार
न कर सके I
13. 5
‘कटाओं’ को अपन स्त्वच्छिा और सुन्दरिा के कारण ह न्दस्त्
ु िान का जस्त्वट्ज़रिैंड
क ा िािा ै I य सुंदरिा आि इसलिए ववदयमान ै क्योंकक य ााँ कोई दक
ु ान
आहद न ीं ै , य ााँ का व्यवसाय करण न ीं ु आ ै I मनुष्य अपन जिम्मेदारी
और किशव्य का पािन न कर प्रयुक्ि च िों के अवलर्ष्ट को ि ााँ-ि ााँ फेकं
सौन्दयश को िे स प ुं चाए त्रबना न ीं र िा ै I
खंड-‘घ’
(िेखन)
15. पत्र-िेखन 5
प्रारं भ और अंि की औपचाररकिाएं – 1+1
ववषयवस्त्िु – 2
भाषा र्द्ध
ु िा - 2
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