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Astrology and Occult science

हिंदी लेख

नवांश कंु डली और अवैध सम्बन्ध


November 4, 2017
|

Ratna Acharya

ज्योतिष एक अथाह सागर है जो जीवन के हर पहलू पर रोशनी डालता है |  एक अच्छे ज्योतिष विद्यार्थी को ज्योतिष की सभी
शाखाओं को सीखना चाहिए और अपने अनुभव से उनका प्रयोग कंु डली पर करना चाहिए| पाराशर ज्योतिष के अनुसार कंु डली
दे खते समय जन्म कंु डली,वर्ग कंु डली, दशा, नक्षत्र और गोचर का विश्लेषण जरूरी होता है | सभी वर्गों में नवांश को अत्यधिक
महत्ता दी गई है इसी वजह से आज का यह लेख नवांश पर आधारित है कि किस प्रकार नवांश कंु डली से आप अपने और
अपने जीवनसाथी के बीच अंतरं ग संबंधों को दे ख सकते है |
जैसा की ज्योतिष के सभी विधार्थियों  को ज्ञात है कि सप्तम भाव, सप्तम भाव का स्वामी और शुक्र से वैवाहिक जीवन का
विचार किया जाता है | इन भावों के अलावा द्वादश भाव कामुक संबंधों के लिए, दस
ू रा भाव कुटुंब के लिए, चौथा भाव परिवार
के लिए भी दे खे जाते है | यदि इन भावों का संबंध या इनके स्वामियों का संबंध मंगल, शनि, राहु एवं केतु से हो तो वैवाहिक
जीवन अच्छा नहीं होता है |
यदि शक्र
ु मेष,सिंह, धन,ु   वश्चि
ृ क में हो या नीच का हो और मंगल राहु केतु या शनि के साथ हो तो यह व्यक्ति में अत्यधिक
सेक्स इच्छा दर्शाते है | कई बार व्यक्ति विवाह की मर्यादा को तोड़कर विवाह के बाद बाहर ही संबंध बनाता है निश्चय ही यह
अच्छी बात नहीं है परं तु ऐसे कौन से योग है जिसके कारण व्यक्ति भी इस तरह की इच्छा उत्पन्न होती है आइए जानते हैं की
ज्योतिष ग्रंथों में इसके बारे में क्या बताया गया है | विवाह से बाहर शारीरिक संबंध बनाने के लिए पहले तो व्यक्ति बौद्धिक रूप
से तैयार होना चाहिए उसकी बुद्धि ऐसी होनी चाहिए जो उसको इस ओर धकेल रही हो |पंचम भाव और चंद्रमा दर्शाता है कि
व्यक्ति की सोच क्या है तो यदि आपकी कंु डली में पंचम भाव पर मंगल, शनि, राहु का प्रभाव है और चंद्रमा भी पीड़ित है तो
ऐसी सोच उत्पन्न होती है |  यही योग यदि नवांश में बन जाए तो वह इस तरह की सोच पर मोहर लगा दे ते हैं|
अब बात करते हैं ऐसे कुछ लोगों की जो ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में दिए हुए है |
 नवांश कंु डली में शनि शुक्र की राशि में और शुक्र शनि की राशि में हो तो महिला की शारीरिक भूख अधिक होती है |
 नवांश कंु डली में शुक्र मंगल की राशि में हो और मंगल शुक्र की राशि में तो व्यक्ति अपने जीवनसाथी के अलावा
बाहर शारीरिक संबंध बनाने में नहीं हिचकिचाते है |
 शुक्र मंगल आत्मकारक की नवांश राशि से बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति चरित्रहीन होता है |
 केतु आत्मकारक की नवांश राशि से नवम भाव में हो तो वद्ध
ृ ावस्था तक भी व्यक्ति पर पुरुष या पर स्त्री के बारे में
सोचता रहता है |
 शुक्र सभी वर्गों में केवल मंगल या शनि की राशियों में हो तो व्यक्ति चरित्रहीन होता है |
 नवांश कंु डली में चंद्रमा के दोनों ओर शनि और मंगल हो तो पति-पत्नी दोनों ही व्याभिचार करते हैं|
 जन्म कंु डली का सप्तम का स्वामी नवांश कंु डली में बुद्ध की राशि में बैठा हो और बुध उसे दे ख ले तो आपका जीवन
साथी द्विअर्थी बातें करते हैं और लोगों को रिझाने का काम करते हैं|
 
 जैसा की आप सबको भी ज्ञात होगा कि पंचम और सप्तम भाव से संतान प्राप्ति दे खते हैं|  यदि दोनों का संबंध छठे भाव से हो
जाए तो व्यक्ति विशेष में   प्रजनन शक्ति कम होती है | जातक अलंकार के अनुसार यदि शुक्र मंगल की राशियों में हो तो वह
अपने जीवनसाथी को सेक्स संबंधों में खुश नहीं रख पाता है | इसी तरह यदि शनि शुक्र का योग दशम भाव में  हो तो व्यक्ति में
नपंस
ु कता के योग होते हैं|  संकेत निधि के अनस
ु ार यदि शक्र
ु चंद्रमा की यति
ु नवम भाव में हो तो ऐसे जातक की पत्नी कुटिल
होती है |
 कंु डली के चौथे भाव से व्यक्ति के चरित्र का पता लगाया जाता है और बार-बार सेक्स संबंधों में आपकी रुचि को दर्शाता है
किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ही इन दोनों भावों का गहन विश्लेषण आवश्यक है | हमारा आप सब से अनुरोध है कि
यह नियम सीधे कंु डलियों पर ना लगाएं अपितु पूरी कंु डली का विश्लेषण करने के बाद ही इन लोगों को जांचे|
 
पाठको के लिए उदाहरण कंु डली 
 
यह कंु डली एक महिला की है जिसके तीन विवाह हुए और उसके बाद भी अवैध संबंधो के कारण पति ने इसे छोड़ दिया |पाठको
को इस कंु डली को दे ख कर यह बताना है की ऐसा किस कारण हुआ | आप अपने उत्तर हमे AstroLifeSutras@Gmail.com
पर  mail कर सकते है  या यहाँ क्लिक कर भी भेज सकते है | 

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