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दाम्पत्य-वैवाहिक सख

ु के जय
्‍ ोतिषीय योग एवं उपाय
यदि जन्म कुण्डली में प्रथम, चतर्थ
ु , सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल होने से जातक को मंगली योग होता है इस
योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में
क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मत्ृ यु तक हो सकती है । अतः जातक मंगल व्रत। मंगल मंत्र
का जप, घट विवाह आदि करें । इससे वैवाहिक सख
ु की प्राप्ति हो सकती है ।

सप्तम गत शनि स्थित होने से विवाह बाधक होते है । अतः “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मन्त्र का जप ७६००० एवं
७६०० हवन शमी की लकड़ी, घत
ृ , मधु एवं मिश्री से करवा दें ।

राहु या केतु होने से विवाह में बाधा या विवाहोपरान्त कलह होता है । यदि राहु के सप्तम स्थान में हो, तो राहु
मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का ७२००० जप तथा दर्वा
ू , घत
ृ , मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें । केतु स्थित हो, तो
केतु मन्त्र “ॐ कें केतवे नमः” का २८००० जप तथा कुश, घत
ृ , मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें ।

ू स्थित होने से पति-पत्नी में अलगाव एवं तलाक पैदा करता है । अतः जातक आदित्य हृदय
सप्तम भावगत सर्य
स्तोत्र का पाठ रविवार से प्रारम्भ करके प्रत्येक दिन करे तथा रविवार कप नमक रहित भोजन करें । सूर्य को प्रतिदिन
जल में लाल चन्दन, लाल फूल, अक्षत मिलाकर तीन बार अर्ध्य दें ।

जिस जातक को किसी भी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो नवरात्री में प्रतिपदा से लेकर नवमी तक
४४००० जप निम्न मन्त्र का दर्गा
ु जी की मर्ति
ू या चित्र के सम्मख
ु करें ।

“ॐ पत्नीं मनोरमां दे हि मनोवत्ृ तानस


ु ारिणीम ्।
तारिणीं दर्ग
ु संसार सागरस्य कुलोद्भवाम ्।।”

किसी स्त्री जातिका को अगर किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो श्रावण कृष्ण सोमवार से या नवरात्री
में गौरी-पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जप करना चाहिए-

“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।


तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदर्ल
ु भाम।।”
किसी लड़की के विवाह मे विलम्ब होता है तो नवरात्री के प्रथम दिन शुद्ध प्रतिष्ठित कात्यायनि यन्त्र एक चौकी पर
पीला वस्त्र बिछाकर स्थापित करें एवं यन्त्र का पंचोपचार से पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जइ लड़की स्वयं या
किसी सुयोग्य पंडित से करवा सकते हैं।

“कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।


नन्दगोप सुतं दे वि पतिं मे कुरु ते नमः।।”

जन्म कुण्डली में सर्य


ू , शनि, मंगल, राहु एवं केतु आदि पाप ग्रहों के कारण विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो गौरी-
शंकर रुद्राक्ष शुद्ध एवं प्राण-प्रतिष्ठित करवा कर निम्न मन्त्र का १००८ बार जप करके पीले धागे के साथ धारण
करना चाहिए। गौरी-शंकर रुद्राक्ष सिर्फ जल्द विवाह ही नहीं करता बल्कि विवाहोपरान्त पति-पत्नी के बीच सख
ु मय
स्थिति भी प्रदान करता है ।

“ॐ सुभगामै च विद्महे काममालायै


धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात ्।।”

“ॐ गौरी आवे शिव जी व्याहवे (अपना नाम) को विवाह तुरन्त सिद्ध करे ,
दे र न करै , दे र होय तो शिव जी का त्रिशूल पड़े। गुरु गोरखनाथ की दह
ु ाई।।”

उक्त मन्त्र की ११ दिन तक लगातार १ माला रोज जप करें । दीपक और धूप जलाकर ११वें दिन एक मिट्टी के कुल्हड़
का मह
ुं लाल कपड़े में बांध दें । उस कुल्हड़ पर बाहर की तरफ ७ रोली की बिंदी बनाकर अपने आगे रखें और ऊपर
दिये गये मन्त्र की ५ माला जप करें । चुपचाप कुल्हड़ को रात के समय किसी चौराहे पर रख आवें। पीछे मड़
ु कर न
दे खें। सारी रुकावट दरू होकर शीघ्र विवाह हो जाता है ।

जिस लड़की के विवाह में बाधा हो उसे मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए।

लड़की के पिता जब जब लड़के वाले के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें तो लड़की अपनी चोटी खुली रखे। जब तक
पिता लौटकर घर न आ जाए तब तक चोटी नहीं बाँधनी चाहिए।

लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।
पीपल की जड़ में लगातार १३ दिन लड़की या लड़का जल चढ़ाए तो शादी की रुकावट दरू हो जाती है ।

विवाह में अप्रत्याशित विलम्ब हो और जातिकाएँ अपने अहं के कारण अनेल युवकों की स्वीकृति के बाद भी उन्हें
अस्वीकार करती रहें तो उसे निम्न मन्त्र का १०८ बार जप प्रत्येक दिन किसी शुभ मुहूर्त्त से प्रारम्भ करके करना
चाहिए।

“सिन्दरू पत्रं रजिकामदे हं दिव्ताम्बरं सिन्धुसमोहितांगम ्


सान्ध्यारुणं धनुः पंकजपुष्पबाणं पंचायुधं भुवन
मोहन मोक्षणार्थम क्लैं मन्यथाम।
महाविष्णुस्वरुपाय महाविष्णु पुत्राय
महापुरुषाय पतिसुखं मे शीघ्रं दे हि दे हि।।”

किसी भी लड़के या लड़की को विवाह में बाधा आ रही हो यो विघ्नकर्ता गणेशजी की उपासना किसी भी चतुर्थी से
प्रारम्भ करके अगले चतुर्थी तक एक मास करना चाहिए। इसके लिए स्फटिक, पारद या पीतल से बने गणेशजी की
मूर्ति प्राण-प्रतिष्टित, कांसा की थाली में पश्चिमाभिमख
ु स्थापित करके स्वयं पूर्व की ओर मँुह करके जल, चन्दन,
ू , धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करके १०८ बार “ॐ गं गणेशाय नमः” मन्त्र पढ़ते हुए गणेश जी पर
अक्षत, फूल, दर्वा
१०८ दर्वा
ू चढ़ायें एवं नैवेद्य में मोतीचरू के दो लड्डू चढ़ायें। पज
ू ा के बाद लड्डू बच्चों में बांट दें ।

यह प्रयोग एक मास करना चाहिए। गणेशजी पर चढ़ये गये दर्वा


ू लड़की के पिता अपने जेब में दायीं तरफ लेकर
लड़के के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें।

तुलसी के पौधे की १२ परिक्रमायें तथा अनन्तर दाहिने हाथ से दग्ु ध और बायें हाथ से जलधारा तथा सूर्य को बारह
बार इस मन्त्र से अर्ध्य दें - “ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्त्र किरणाय मम वांछित दे हि-दे हि स्वाहा।” फिर इस मन्त्र का १०८
बार जप करें -

“ॐ दे वेन्द्राणि नमस्तुभ्यं दे वेन्द्र प्रिय यामिनि।


विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च दे हि मे।”

गरु
ु वार का व्रत करें एवं बहृ स्पति मन्त्र के पाठ की एक माला आवत्ति
ृ केला के पेड़ के नीचे बैठकर करें ।

कन्या का विवाह हो चुका हो और वह विदा हो रही हो तो एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी-सी हल्दी, एक सिक्का डाल कर
लड़की के सिर के ऊपर ७ बार घुमाकर उसके आगे फेंक दें । उसका वैवाहिक जीवन सुखी रहे गा।
जो माता-पिता यह सोचते हैं कि उनकी पुत्रवधु सुन्दर, सुशील एवं होशियार हो तो उसके लिए वीरवार एवं रविवार के
दिन अपने पुत्र के नाखून काटकर रसोई की आग में जला दें ।

किसी भी शुक्रवार की रात्रि में स्नान के बाद १०८ बार स्फटिक माला से निम्न मन्त्र का जप करें -

“ॐ ऐं ऐ विवाह बाधा निवारणाय क्रीं क्रीं ॐ फट्।”

लड़के के शीघ्र विवाह के लिए शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को 70 ग्राम अरवा चावल, 70 सेमी॰ सफेद वस्त्र, 7 मिश्री के
टुकड़े, 7 सफेद फूल, 7 छोटी इलायची, 7 सिक्के, 7 श्रीखंड चंदन की टुकड़ी, 7 जनेऊ। इन सबको सफेद वस्त्र में
बांधकर विवाहेच्छु व्यक्ति घर के किसी सुरक्षित स्थान में शुक्रवार प्रातः स्नान करके इष्टदे व का ध्यान करके तथा
मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली 90 दिन तक रखें।

लड़की के शीघ्र विवाह के लिए 70 ग्राम चने की दाल, 70 से॰मी॰ पीला वस्त्र, 7 पीले रं ग में रं गा सिक्का, 7 सुपारी
पीला रं ग में रं गी, 7 गुड़ की डली, 7 पीले फूल, 7 हल्दी गांठ, 7 पीला जनेऊ- इन सबको पीले वस्त्र में बांधकर
विवाहे च्छु जातिका घर के किसी सुरक्षित स्थान में गुरुवार प्रातः स्नान करके इष्टदे व का ध्यान करके तथा
मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली 90 दिन तक रखें।

श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए बालकाण्ड का पाठ करे ।

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