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Ravan Updesh To Laxman in Hindi
Ravan Updesh To Laxman in Hindi
रावण ने कुछ नहीं कहा। लक्ष्मणजी वापस रामजी के पास लौटकर आए। तब भगवान ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के
पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सनु कर लक्ष्मण जाकर इस रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने
लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कंु जी है।
1- पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शभु कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशभु को जितना टाल
सकते हो टाल देना चाहिए यानी शभु स्य शीघ्रम।् मैंने श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी
कारण मेरी यह हालत हुई।
2- दसू री बात यह कि अपने प्रतिद्वद्वं ी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, मैं यह भल
ू कर गया। मैंने जिन्हें
साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी परू ी सेना को नष्ट कर दिया। मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मागं ा था तब
मनष्ु य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनष्ु य और वानर को तच्ु छ समझता था। मेरी मेरी
गलती हुई।
3- रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना
चाहिए। यहां भी मैं चक
ू गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।