Professional Documents
Culture Documents
Depression
Depression
मौजदू ा दौर में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका एक प्रमख
ु कारण तनाव है। इन िदनों
व्यि� िजतना तनावग्रस्त है वैसी िस्थित अतीत में पहले कभी नहीं थी।
िववेक शुक्ला। आत्महत्या का िकसी व्यि� क� संपन्नता या िवपन्नता से कोई संबंध नहीं है। इन
िदनों तो हर आयु वगर् में भी आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आए िदन आप ऐसी खबरें पढ़ते-
देखते होंगे िक िकसी परे शानी से आिजज आकर प�रवार के सदस्यों ने सामिू हक �प से आत्महत्या
कर ली या िफर िकसी व्यि� िवशेष ने आत्महत्या क� या िफर उसने इसका प्रयास िकया। जानते हैं
िक आत्महत्या करने के कारण क्या हैं और ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है...
बढ़ता तनाव
मौजदू ा दौर में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका एक प्रमख
ु कारण तनाव है। इन िदनों
व्यि� िजतना तनावग्रस्त है, वैसी िस्थित अतीत में पहले कभी नहीं थी। लोगों क� तेजी से बदलती
जीवनशैली, रहन-सहन और भौितक वस्तओ ु ं के प्रित अत्यिधक आकषर्ण, पा�रवा�रक िवघटन और
बढ़ती बेरोजगारी और धन-दौलत को ही सवर्स्व समझने क� प्रवृि� के कारण आत्महत्या के मामले
बढ़ते जा रहे हैं।
िडस्ट्रेस से बचें
स्ट्रेस भी दो प्रकार का होता है, जो स्ट्रेस आपको जीवन या कॅ �रयर में आगे बढ़ने के िलए प्रे�रत करे ,
उसे आप पॉिजिटव स्ट्रेस कह सकते हैं। जैसे प्रमोशन पाने के िलए कुछ ज्यादा काम करना। िकसी
साहसपरू ण् जोिखम भरे कायर् को अजं ाम देना। जैसे माउंट एवरे स्ट पर पवर्तारोहण करना। वहीं स्ट्रेस का
दसू रा प्रकार िडस्ट्रेस होता है, जो शरीर में कई बीमा�रयां पैदा करता है। यह स्ट्रेस का गभं ीर प्रकार है।
िडस्ट्रेस शरीर में तनाव पैदा करने वाले हाम�स को �रलीज करता है। इस कारण शारी�रक व मानिसक
समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
िडप्रेशन
दख
ु क� िस्थित अवसाद या िडप्रेशन नहीं है। िडप्रेशन में पीिड़त व्यि� में काम करने क� इच्छा खत्म
हो जाती है। पीिड़त व्यि� के मन में हीन भावना व्या� हो जाती है। व्यि� को यह महससू होता है िक
जीवन जीने से कोई फायदा नहीं है। वह हताश और असहाय महससू करता है। ऐसी दशा में पीिड़त
शख्स आत्महत्या क� कोिशश कर सकता है।
आपाधापी भरी जीवनशैली
आज क� जीवनशैली तनावपणू र् हो गई है। लोगों के पास काम क� अिधकता है और वे समिु चत �प
से िवश्राम नहींकर पा रहे हैं। ऐसे प�रवारों क� सख्ं या काफ� बड़ी है, जहां शािं त नहींह।ै घरों में माहौल
खराब है। यह िस्थित व्यि� को परे शानी क� िस्थित में आत्महत्या के िवचार को पनपाने में मदद
करती है।
सोशल मीिडया का प्रभाव
इन िदनों सोशल और इलेक्ट्रािनक मीिडया पर जो िदखाया जा रहा है, वह भी तमाम लोगों के िदमाग
पर गलत असर छोड़ रहा है। जो दिु नया िजन लोगों ने देखी नहीं है, उसे भी देखने क� इच्छा लोगों में
बलवती होती जा रही है। जैसे मैंने लंदन नहींदेखा है तो क्यों न वहां हो आऊं। मेरे पास भी शमार् जी
क� तरह शानदार कार होनी चािहए। इच्छाओ ं क� पिू तर् के िलए लोग ऋण ले रहे हैं और आिथर्क
बदहाली के दौर से गजु र रहे हैं। ये िस्थितयां िडप्रेशन से ग्रस्त कर सकती हैं।
इन सझ ु ावों पर करें अमल
आत्महत्या के िवचारों से बचने के िलए शारी�रक, मानिसक स्तर पर कुछ सझु ावों पर अमल करने क�
ज�रत है।शारी�रक स्तर पर समय पर सोना और एक िनि�त समय पर उठना ज�री है। िनयिमत �प
से व्यायाम करें और संतिु लत पौि�क आहार ग्रहण करें । शराब और धमू पान से बचें।
मानिसक स्तर पर
अपने िवचारों को िलखें, िजसे मनोिचिकत्सक�य भाषा में स्ट्रेस डायरी कहते हैं। स्ट्रेस डायरी से हमारे
िवचारों में जो खािमयां हैं, उनका पता चलता है। जैसे अनेक बार हम छोटी सी समस्या को ितल का
ताड़ बना देते हैं। अगर कोई व्यि� िकसी एग्जाम में एक बार फे ल हो गया तो इसका मतलब यह
नहींहै िक वह हर एग्जाम में फे ल ही होता रहेगा। लोग अपनी गलती को माफ नहीं करते, िजसे ब्लैक
एंड व्हाइट िथंिकंग कहते हैं। ऐसी सोच से बचना है।
सॉल्यूशन ओ�रएटं े ड िथंिकंग
इसका आशय है िक समस्या के बारे में ज्यादा िवचार न कर उसके समाधान के बारे में सोचना है।
ऐसी सोच से आप समस्या को सकारात्मक तरीके से देखकर उसका समाधान कर सकते हैं।
प�रवार के िलए व� िनकालें
प�रजनों के साथ व� िबताएं। उनके साथ अपनी बातों को साझा करें । उनक� कोई समस्या हो तो उसे
सलु झाने में उनक� मदद करें । इसी तरह अपने िप्रयजनों और दोस्तों के िलए भी व� िनकालें। इससे
जहां आप एक-दसू रे क� समस्या को समझ सकें गे, वहींआपसी प्रेम भी बढ़ेगा। इसके अलावा
मेिडटेशन और योग को भी अपनी िदनचयार् में शािमल करें । कोई हॉबी िवकिसत करें । संगीत सनु ें या
िफर खेलकूद से संबंिधत गितिविधयों में भाग लें।
असामान्य मनोदशा
यह सही है िक आत्महत्या या इसका प्रयास करने वाला शख्स िकसी को बताकर आत्महत्या या
इसका प्रयास नहीं करता, लेिकन आत्महत्या क� बात सोचने वाले व्यि� क� मनोदशा असामान्य हो
जाती है। वह िडप्रेशन में जा सकता है। प�रजनों और लोगों से कटा-कटा महससू करता है, हताश
महससू करता है और उसके िदमाग में नकारात्मक िवचार मंडराते रहते हैं। ऐसी िस्थित में व्यि� के
प�रजनों को सजग हो जाना चािहए। उन्हें रोगी के साथ हमदद� रखनी चािहए।
आत्महत्या का िवचार मन में लाने वाले व्यि� क� मनोदशा जीवन और मृत्यु क� दिु वधा में झल
ू ती
रहती है। वह िदल से तो जीना चाहता है, लेिकन उसे अपनी तकलीफों का अंत आत्महत्या में ही
िदखता है। इस कारण वह गलत िनणर्य ले बैठता है। ऐसे में प�रजन यिद उसक� तकलीफों को पहले से
ही समझ लें और उसक� सहायता करें तो रोगी सहज �प से जीवन जीना स्वीकार कर लेता है। जब
व्यि� असामान्य व हताश महससू करे तो उसे तब तक अके ला न छोड़ें, जब तक मनोिचिकत्सक क�
सिु वधा उपलब्ध न हो जाए। आपका यह छोटा सहयोग एक जीवन को बचा सकता है।