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वैध मुद्रा (Fiat Money or Legal Tender ): मुद्रा को एक और प्रकार से बांटा जा सकता है इसमें एक प्रकार
हैं वैध मद्र
ु ा और दस
ू रा है गैर वैधानिक मद्र
ु ा |
वैध मुद्रा, वह मुद्रा होती है जो कि सरकार के आदे श पर चलती है जैसे सिक्के और नोट्स| इस प्रकार की
मुद्रा को लेना सभी के लिए कानूनन जरूरी होता है , कोई इसे लेने से मना नही कर सकता, यदि वो ऐसा करता है
तो सीधे रूप से सरकारी आदे श की अवहे लना मानी जाती है और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा
सकती है |

2. विश्वास आधारित मुद्रा (Fiduciary Money): ऐसी मुद्रा जो इसे जारी करने वाले अधिकारी या संस्था के
द्वारा दिए गए विश्वास पर चलती है Fiduciary Money कहलाती है | सभी प्रकार की मुद्राएँ(नोट्स और
सिक्के) Fiduciary Money कहलातीं हैं |
उदाहरण: करें सी नोट्स, सिक्के और बैंक जमा

3. नजदीकी मद्र
ु ा (Near Money): उस संपत्ति को जो ऐसे रूप में हो जिसे जल्दी तथा आसानी से मद्र
ु ा में
परिवर्तित किया जा सके उन्हें समीपस्थ या नजदीक मुद्रा कहते हैं | जो विनिमय का एक आदर्श माध्यम
नहीं हो सकती हैं, लेकिन अत्यधिक तरल हैं यानी वे संपत्तियां जिन्हें आसानी से नकदी में परिवर्तित किया
जा सकता है । उदाहरण के लिए बैंक जमा, विनिमय के बिल, इक्विटी शेयर आदि। इस प्रकार, अत्यधिक
तरल संपत्ति को निकट धन के रूप में संदर्भित किया जाता है ।उदाहरण: घर जमीन, सोना, चांदी आदि

फेस मूल्य (Face Value): फेस मूल्य, मुद्रा के उस मल्


ू य को कहते हैं जो कि उस मद्र
ु ा पर अंकित होता है |
मेटल मल्
ू य (Metal Value): मेटल मल्
ू य, का मतलब होता है कि “मद्र
ु ा” जिस धातु या कागज की बनी है , उसको
यदि मेटल में बदल दिया जाये तो उसका बाजार मूल्य कितना होगा |
अंतर:  नोटों की फेस वैल्यू हमेशा ही उनके मेटल वैल्यू से ज्यादा होती है क्योंकि नोटों को बनाने में लगने वाले
कागज का वैल्यू न के बराबर होता है जबकि नोटों की फेस वैल्यू (जितने रुपये का वह नोट होता है जैसे 100,
500 या 2000) बहुत अधिक होती है |
इसी तरह सिक्कों की फेस वैल्यू > मेटल वैल्यू
जब भी सिक्कों की फेस वैल्यू < मेटल वैल्यू वाली दशा बाजार में हो जाती है  तो सरकार उस सिक्के को या तो बंद
कर दे ती है या फिर उस सिक्के में इस्तेमाल होने वाली धातु का वजन कम कर दिया जाता है ताकि ऐसा न हो
कि लोग (स्वर्णकार) उस सिक्के को पिघलाकर धातु को बेचकर लाभ कमा लें | इसी कारण आपने दे खा होगा कि
बाजार में हर साल नये तरह के सिक्के जारी किये जाते हैं |
मुद्रा बहुत शक्तिशाली है परन्तु इसके द्वारा समद्धिृ नही खरीदी जा सकती है l मुद्रा वही चीज खरीद सकती
है जो कि वास्तव में अर्थव्यवस्था में है | यदि मुद्रा के द्वारा समद्धि
ृ खरीदी जाती तो सरकार ने मद्र
ु ा की
छपाई के साथ ही गरीबी को ख़त्म कर दिया होता|

4. जमा मद्र
ु ा या बैंक मद्र
ु ा (Deposit Money): बैंकों द्वारा खोले गए मांग जमा (demand deposit) मद्र
ु ा के
रूप में प्रयक्
ु त होते हैं, क्योंकि इन जमाओं को चेकों के द्वारा हस्तांतरित किया जा सकता है ,पर प्रत्यक्ष
नही|

गैर वैधानिक मुद्रा (Non Legal Tender): इस तरह की मुद्रा सिर्फ व्यक्तिगत विश्वास पर चलती है अर्थात इस
मुद्रा को स्वीकार करने के लिए किसी को बाध्य नही किया जा सकता है या कोई व्यक्ति यदि इस प्रकार की मुद्रा
को लेने से मना कर दे ता है तो भी उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नही की जा सकती है |
उदाहरण: साख मद्र
ु ा, ड्राफ्ट, चेक, बिल, आदि |

1. सीमित विधि ग्राह्य मुद्रा - यह वह मुद्रा है जिसको एक निश्चित सीमा तक ही स्वीकार करने के लिए किसी व्यक्ति को बाध्य किया
जा सकता है । इस निश्चित सीमा में अधिक मुद्रा लेने से व्यक्ति इनकार कर दे तो न्यायालय की शरण लेकर उसको बाध्य नहीं किया
जा सकता। जैसे- भारत में 5 पैसे से लेकर 25 पैसे तक के सिक्के केवल 25 रुपये तक ही विधि ग्राह्य है । अत: यदि किसी व्यक्ति को
इन सिक्कों की 25 रुपये से अधिक की रजे गारी दी जाती है तो वह इसे अस्वीकार कर सकता है । हाँ वह 25 रुपये तक इन सिक्कों को
स्वीकार करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है ।

2. असीमित विधि ग्राह्य मुद्रा - यह वह मुद्रा है जिसे को भी व्यक्ति किसी भी सीमा तक (एक बार म) भुगतान के रूप में स्वीकार करने
के लिए बाध्य है । यदि को व्यक्ति असीमित मात्रा में इसे स्वीकार करने से इनकार कर दे तो उसके विरूद्ध कानन
ू ी कार्यवाही की जा
सकती है तथा उसको दण्डित किया जा सकता है । जैसे -भारत में 50 पैसे से लेकर 1000 रुपये तक के नोट असीमित विधि ग्राह्य मुद्रा
है ।

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