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अनघाष्टमी व्रतम ् उत्तमम ् ।

भक्तावऱी वाांच्छा प्रदम ् ॥

यत्रानघा योग प्रभा ।

दत्तोनघो ज्ञानम ् परम ् ।

सिद्ध्याष्टकम ् पत्र
ु ात्मकम ् ।

िांिेव्यते िम्पुज्यते ॥

यत्िेवनात ् कष्टम ् गतम ् ।

पीडावऱी शाम्यत्यापप ।

उज्जरां भते शभ
ु म ् उन्नतम ् ।

श्री िच्च्िदानन्दात्मकम ् ॥

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