Professional Documents
Culture Documents
eISBN: 978-93-8980-759-2
© लेखकाधीन
काशक डायमंड पॉकेट बु स ( ा.) ल.
X-30 ओखला इंड टयल ए रया, फेज-II
नई िद ी- 110020
फोन : 011-40712200
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
सं करण : 2020
Mahabharata
By - Himanshu Sharma
िवषय सूची
1. उपो ात
2. कु टु ब
3. वयंवर
4. इं थ
5. धूत ड़ा
6. वनवास
7. यु पूव
8. धमयु
9. अंत
उपो ात
यह ापर युग के अंत क बात है। आय त पर राजा शांतनु का राज था। एक बार वे
िशकार खेलते हए गंगा नदी के िकनारे जा पहच
ं े, जहां उ ह एक अ यंत पवती
युवती िदखाई दी और वह उ ह भा गई। राजा शांतनु ने उस युवती से िववाह कर
लया। लेिकन युवती ने िववाह बंधन म बंधने से पहले दो शत ं रखी एक तो यह िक
शांतनु उनके िकसी भी काय म कभी बाधा नह डालगे और दसरी
ू यह िक वह कौन है
यह जानने क कभी कोिशश नह करगे। इस कार वह युवती रानी बन गई और
गभवती हई। लेिकन रानी ने अपनी पहली ही संतान को नदी म िवस जत कर िदया।
राजा शांतनु यह नह पूछ पाए य िक वह अपनी ित ा म बंधे थे। इस कार रानी
के सात ब चे पैदा हए और सभी को उ ह ने नदी म बहा िदया। आठव ब चे के पैदा
होते ही शांतनु से रहा नह गया और उ ह ने रानी से इसका कारण पूछ ही लया और
वचन भंग कर िदया। रानी ने आठव ब चे को तो नदी म नह बहाया लेिकन उ ह ने
ब च को नदी म बहाने का रह य खोल िदया। रानी ने जवाब िदया।
इसके बाद आठव वसु को भिव य म दोबारा लौटाने क बात कहकर गंगा उसे भी
अपने साथ ले गई।
धीरे -धीरे समय बीता और एक िदन राजा शांतनु गंगा तट पर खड़े थे तब उ ह वहां
एक युवक िदखा जो नदी के तट पर धनुष ताने खड़ा था। तभी गंगा दोबारा कट हई
और राजा शांतनु को बताया िक यही उनका आठवां पु है। राजा शांतनु ने उस युवक
को अपने साथ ले लया और उसका नाम देव त रखा।
दोन पु का नाम िच ांगद और िविच वीय था। गंधव राजा से यु करते हए िच ांगद
मारा गया और िविच वीय के य क न होने के कारण भी म को राजपाट का संचालन
करना पड़ा। तब भी म ने सुना िक काशी नरे श अपनी तीन पुि य का वयंवर
आयो जत कर रहे ह। तब भी म उनक तीन पुि य अंबा, अंिबका, अंबा लका को
उनक इ छा के िव अपने साथ उठाकर ह तनापुर ले गए तािक उनका िववाह
िविच वीय के साथ करा सक। उस समय अंबा के कहने पर भी म ने उसे छोड़ िदया
य िक अंबा सोम देश के राजा शा व से ेम करती थी। परं तु अंबा जब शा व के
पास पहच
ं ी तो शा व ने उसे ठु करा िदया।
इसके बाद एक िदन गु ोणाचाय ने सभी राजकु मार को बुलाया और पांचाल नरे श
ुपद से अपना बदला लेने के लए उस पर आ मण करने क योजना बनाई। तब
कौरव एवं पांडव ने िमलकर ुपद पर आ मण कर िदया और उसे परा जत कर
िदया। उस व गु ोणाचाय के मन को शांित िमली और उ ह ने ुपद का आधा
रा य लेकर वयं भी आधे पांचाल देश के राजा बन गए। ुपद को अ यंत ल जत
होना पड़ा और वे अपनी इस बेइ जती को चुपचाप सहते रहे और मन ही मन ठान ली
िक वे ोणाचाय से इस बेइ जती का बदला अव य लगे।
‘मुिनवर यिद आप पांच ौपदी के साथ एक साथ रहोगे तो आपम आपसी मनमुटाव
होने का डर हो सकता है। य िक भूतकाल म भी इस कार कई बार एक नारी को
लेकर आपस म भाई-भाइय म झगड़ा हआ है और वे आपस म लड़ लड़कर िमट गए।
तो ऐसा करो ौपदी को एक-एक वष बारी-बारी से पांच भाइय म बांटो। ऐसे म कोई
दसरा
ू भाई ौपदी को देखेगा भी नह । अगर इस िनयम को िकसी ने तोड़ा तो उसे
बारह वष के लए रा य से िन का सत होना पड़ेगा।
यह सलाह पांडव ने मान ली और यह िनयम लागू हो गया। पांच भाई बड़े संयम और
िनयम से रहने लगे और ौपदी के कारण कभी उनम कलह नह हई और ना ही िकसी
ने यह िनयम तोड़ा। परं तु एक बार गलती से अजुन ौपदी और यु धि र के कमरे म
िबना आ ा के वेश कर गया। हालांिक इस बात का पता यु धि र को नह था। िकंतु
अजुन वचनब था तो उसने वयं अपने अपराध को यु धि र के सामने वीकारा
और बारह वष ं के लए वन क ओर चला गया।
तभी दयु धन ोध से आगे बढ़ा और सामने एक दरवाजा देखकर वहां से आगे जाने
लगा, िकंतु जसे वो दरवाजा समझ रहा था वह एक दीवार पर बनाया गया दरवाजे
का िच था, जो वा तिवक दरवाजे क भांित िदखाई दे रहा था। दयु धन इस दीवार से
टकरा गया तब उसक और अ धक बेइ जती हई। तीसरी बार तो सबसे बड़ी दगु ित
तब हई जब उसे एक भ य सरोवर िदखाई िदया, उसने सोचा यह फश पर बना कला
का नमूना होगा इस लए वह िन चंत होकर आगे बढ़ा। लेिकन इस बार वह सरोवर
असली िनकला और वह उसम जा िगरा।
तब शकु िन बोले
धीरे -धीरे शकु िन सब कु छ जीतता चला गया। सारी सभा म स ाटा छाया हआ था
भी म, ोणाचाय, कृपाचाय एवं अ य उ च पद पर आसीन गु जन को यह िब कु ल
रास नह आ रहा था। वह तो पहले से ही इस खेल के िव थे। अंत म यु धि र
अपना सब कु छ हार गया। उसने रा य क भूिम, सैिनक, श , सेवक सभी गवां
िदये। यह बात िकसी से बदा त नह हई और तब िवदरु ने धृतरा को इस खेल को
रोकने के लए आदेश देने को कहा। हालांिक धृतरा अपनी पु क जीत से खुश थे
िकंतु वे यह भी नह चाहते थे िक पांडव के साथ कु छ गलत हो पर पु मोह म वे
कु छ ना कर सके।
इधर पांडव ह तनापुर क घटनाओं अनिभ वन म अपना समय यतीत करते रहे।
उनके अनेक िम और शुभिचंतक उनसे िमलने वन म यदा-कदा आते रहते थे। पांडव
अपने वनवास से िब कु ल भी खुश नह थे और खुश हो भी य , आ खर वे भी
राजवंश के थे। ौपदी हमेशा पांडव को अपने अपमान के बारे म याद िदलाती रहती
थी जससे उनका खून खौलने लगता था। सभी को यह याद था जब ौपदी का चीर
हरण िकया गया और दयु धन ने उसे अपनी दासी बनाकर अपनी जंघा पर बैठने क
बात कही। तब भीम ने भी यह ण लया िक वह एक िदन दयु धन क जंघा को तोड़
देगा।
पांडव ने ैतवन छोड़ िदया उसके बाद वे का यकवन आ गए। यहां यु धि र ने शुभ
मुहत पर पर अजुन को महिष यास ारा िदए गए एक ुित मृित मं को िदया।
अजुन मं लेकर सीधा कैलाश पवत क ओर चले गए और देवताओं क तुित क
जहां देवता स हए और एक-एक कर अजुन को दशन िदए। यहां अजुन को कई
अ -श ा हए। इसके बाद अजुन िव ाम के लए इं के पास चले गए और
धीरे -धीरे समय बीतता गया और कई वष ं बाद पांडव िहमालय क ओर गए जहां
उनका अजुन से पुनिमलन हआ। इसके बाद पांडव ौपदी के साथ ारका पहच
ं े जहां
ीकृ ण के महल म अिभम यु और ौपदी के पांच पु का लालन-पालन भली कार
से हो रहा था। इस कार पांडव का बारह वष का वनवास समा हो गया। लेिकन
अभी एक वष का अ ातवास बाक था। इस लए पांडव ने इस अ ातवास म छु पकर
रहने क योजना बनाई।
इधर ह तनापुर म दयु धन को अब यह िचंता सता रही थी िक पांडव दोबारा आने
वाले ह इस लए वह अ ातवास म उ ह पहचान लेने क योजना बनाने लगा तािक उ ह
दोबारा से तेरह वष का वनवास करना पड़े।
पांच भाई व ौपदी बड़ी लगन से िवराट के महल म काम कर रहे थे। उनक यो यता
से सब बड़े स थे और िबना िकसी क नजर म पड़े उ ह ने कई महीने दरबार म
गुजार िदये। वे स थे य िक शी ही उनका अ ातवास का वष भी समा होने
वाला था। महाराज िवराट के महल म एक राजा रहता था जसका नाम क चक था।
वह महारानी सुदे णा का भाई था और म य देश का सेनापित। एक िदन उसने सैरं ी
यािन ौपदी को देख लया और पहली नजर म ही ौपदी उसे भाग गई और वह ौपदी
को आकिषत करने के यास म जुट गया। क चक क हरकत ौपदी से िछपी नह थी
और आ खरकार एक िदन ौपदी से रहा नह गया और उसने महारानी सुदे णा से
िशकायत कर दी। जब क चक को यह पता चला िक ौपदी उसके णय िनवेदन को
ठु करा रही है और सुदे णा से उसक िशकायत क है तो वह आग बबूला हो गया और
एक िदन उसने ौपदी को अपनी बाह म भरना चाहा। इस बार ौपदी का भी गु सा
सातव आसमान पर था, उसने क चक को ध का िदया और भीम के पास पहच
ं ी और
सारी बात बताई। इस पर भीम को बड़ा ोध आया और उसने ौपदी से कहा िक वह
क चक को राि के समय एकांत म नृ यशाला म बुलाए। जब ौपदी ने क चक को
नृ यशाला म बुलाया तो वहां भीम था। भीम ने मौका पाते ही क चड़ को अपनी अपनी
बाह म जकड़ लया और उसे जमीन पर पटक पटक कर मार डाला।
थोड़ा समय बीता, और अजुन कु छ िवचार िवमश करने ीकृ ण के पास ारका गया।
इधर दयु धन को जब पता चला िक अजुन ीकृ ण के पास ारका जा रहा है तो वह
भी ारका चल पड़ा। ीकृ ण से िमलने के बाद अजुन ने वयं ीकृ ण का साथ मांगा
जबिक दयु धन ने ीकृ ण क सेना का। ीकृ ण ने दोन को वचन िदया िक उनक
सेना कौरव के साथ होगी जबिक वे वयं पांडव के साथ। इसके बाद दयु धन ने छल
से श य को वचन िदलाकर उसे भी अपनी सेना म शािमल कर लया परं तु श य ने
यु धि र को एक वचन िदया िक वह ही यु म कण का सारथी बनेगा और पांडव
क जीत म सहायता करे गा।
पांडव जुए म अपना सव व गवां चुके ह, यह भा य क बात है। यिद दयु धन हारता
तो वह भी वनवास जाता। अब पांडव यिद अपना सब कु छ हार चुके ह तो उ ह
अ धकार य िदया जाए और हमने भी चूिड़यां नह पहनी है हम भी यु का जवाब
देना जानते ह।
ीकृ ण उपल य नगर दोबारा लौट आए और सभी को संपूण वृ ांत सुना िदया।
िशिवर म शांित छा गई य िक उनका यह अंितम यास भी िवफल रहा था। अब होनी
को कोई नह टाल सकता था। तब यु धि र ने कहा
दसरे
ू िदन जैसे ही नया सूय उिदत हआ दोन सेनाएं आमने सामने आ गई। पांडव क
ओर से यु आरं भ क घोषणा क गई। शंख क तेज विन चार िदशाओं म गूज
ं
उठी। कौरव क ओर से भी म ने भी शंखनाद कर यु आरं भ करने का आदेश िदया।
यु धि र भी म िपतामह से के पास गए और उनसे आशीवाद लया। भी म, ोणाचाय,
कृपाचाय कोई भी नह चाहते थे िक यह यु हो और वे पांडव से लड़े िकंतु धम क
र ा एवं नीित के िहसाब से उ ह उनसे लड़ना ही था। अजुन के सारथी के प म
ीकृ ण थे और उ ह ने अजुन से रथ को यु के बीच बीच ले जाने को कहा। अजुन
ने रथ दोन सेनाओं के बीच म लाकर रोक िदया और चार ओर खड़ी सेनाओं को
देखा। अजुन ने जब अपने ही प रजन, वजन, गु जन, बड़े बुजुग ं को आमने-सामने
यु करते हए देखा तो उसका दय भर आया। वह नह चाहता था िक वह िपतामह
भी म, कृपाचाय, गु ोणाचाय और अपने भाइय के साथ यु कर। वह बीच म यु
छोड़ देने क बात करने लगा। तब ीकृ ण ने अजुन को धम का पाठ पढ़ाया और
कहा।
यह सब मोह माया है, ाणीमा नाशवान है और एक िदन सबको ही मरना है। बस
एक बात याद रखो िक तु हारा धम या है, धम पर चलकर आचरण करना ही इंसान
का परम कत य है। कम ही पूजा है और कम ही फल है।
दसरे
ू िदन भी िपतामह भी म ने बाण क घनघोर वषा क । पांडव को िपतामह भी म
के वार का कोई उपाय नह सूझ रहा था। हजार सैिनक गाजर मूली क तरह कटते
जा रहे थे। तब भीम ने अपना साहस िदखाकर कौरव के छ के छु ड़ाना शु िकया।
तीसरा िदन अजुन का था। अजुन ने अपने गांडीव क ढंकार से कौरव सैिनक के शव
भूिम पर िबछा िदये। परं तु भी म ने दोबारा मोचा संभाला और पांडव पर टू ट पड़े।
लेिकन तीसरे िदन कौरव के लगभग दस हजार रथ न हो गए और सात सौ हाथी
मारे गए। यु म भीम का पु घटो कच भी िह सा ले रहा था। वह भी मौत बनकर
कौरव पर टू ट पड़ा और उसने कौरव क बड़ी फौज को ने तनाबूद कर िदया।
अगले िदन भीम कौरव को बुरी तरह मार रहा था। उसने दयु धन के यारह भाइय
को मौत के घाट उतार िदया। वह भीम पु घटो कच कण पर टू ट पड़ा और कण को
बुरी तरह घायल कर िदया। उस समय कण ने इं का िदया हआ एक अ इ तेमाल
िकया जो सफ एक ही बार इ तेमाल हो सकता था और इसके वार से घटो कच बच
ना सका और मारा गया। ोणाचाय के नेतृ व म कौरव पांडव का बराबरी से
मुकाबला कर रहे थे। तब ीकृ ण ने गु ोणाचाय को मारने क योजना बनाई।
उ ह ने कहा िक यिद गु ोणाचाय से यह कहा जाए िक उनका पु अ व थामा मारा
गया तो वह पूरी तरह टू ट जाएंगे और उस समय हम इसका फायदा उठाकर उनका
वध कर सकते ह।