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महाभारत

eISBN: 978-93-8980-759-2
© लेखकाधीन
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सं करण : 2020
Mahabharata
By - Himanshu Sharma
िवषय सूची
1. उपो ात
2. कु टु ब
3. वयंवर
4. इं थ
5. धूत ड़ा
6. वनवास
7. यु पूव
8. धमयु
9. अंत
उपो ात

यह ापर युग के अंत क बात है। आय त पर राजा शांतनु का राज था। एक बार वे
िशकार खेलते हए गंगा नदी के िकनारे जा पहच
ं े, जहां उ ह एक अ यंत पवती
युवती िदखाई दी और वह उ ह भा गई। राजा शांतनु ने उस युवती से िववाह कर
लया। लेिकन युवती ने िववाह बंधन म बंधने से पहले दो शत ं रखी एक तो यह िक
शांतनु उनके िकसी भी काय म कभी बाधा नह डालगे और दसरी
ू यह िक वह कौन है
यह जानने क कभी कोिशश नह करगे। इस कार वह युवती रानी बन गई और
गभवती हई। लेिकन रानी ने अपनी पहली ही संतान को नदी म िवस जत कर िदया।
राजा शांतनु यह नह पूछ पाए य िक वह अपनी ित ा म बंधे थे। इस कार रानी
के सात ब चे पैदा हए और सभी को उ ह ने नदी म बहा िदया। आठव ब चे के पैदा
होते ही शांतनु से रहा नह गया और उ ह ने रानी से इसका कारण पूछ ही लया और
वचन भंग कर िदया। रानी ने आठव ब चे को तो नदी म नह बहाया लेिकन उ ह ने
ब च को नदी म बहाने का रह य खोल िदया। रानी ने जवाब िदया।

‘हे राजन स चाई यह है िक म गंगा हं और महिष विश क आदेशानुसार मने मानव


शरीर धारण िकया है। यह आठ िशशु कोई और नह आठ वसु ह और महिष विश
क कामधेनु गाय को चुराने के कारण इ ह मानव योिन म ज म लेने का शाप िमला था
और इन सभी का शाप पूरा हआ’

इसके बाद आठव वसु को भिव य म दोबारा लौटाने क बात कहकर गंगा उसे भी
अपने साथ ले गई।
धीरे -धीरे समय बीता और एक िदन राजा शांतनु गंगा तट पर खड़े थे तब उ ह वहां
एक युवक िदखा जो नदी के तट पर धनुष ताने खड़ा था। तभी गंगा दोबारा कट हई
और राजा शांतनु को बताया िक यही उनका आठवां पु है। राजा शांतनु ने उस युवक
को अपने साथ ले लया और उसका नाम देव त रखा।

इसके बाद राजा शांतनु ने स यवती से िववाह िकया और स यवती से दो पु हए।


स यवती को अपने पु के भिव य क िचंता थी तो देव त ने एक ित ा ली िक
स यवती से पैदा हई संतान को ही रा य शासन िदया जाएगा और वे आजीवन
अिववािहत रहगे। इस भी म ित ा के कारण देव त का नाम भी म पड़ा।

दोन पु का नाम िच ांगद और िविच वीय था। गंधव राजा से यु करते हए िच ांगद
मारा गया और िविच वीय के य क न होने के कारण भी म को राजपाट का संचालन
करना पड़ा। तब भी म ने सुना िक काशी नरे श अपनी तीन पुि य का वयंवर
आयो जत कर रहे ह। तब भी म उनक तीन पुि य अंबा, अंिबका, अंबा लका को
उनक इ छा के िव अपने साथ उठाकर ह तनापुर ले गए तािक उनका िववाह
िविच वीय के साथ करा सक। उस समय अंबा के कहने पर भी म ने उसे छोड़ िदया
य िक अंबा सोम देश के राजा शा व से ेम करती थी। परं तु अंबा जब शा व के
पास पहच
ं ी तो शा व ने उसे ठु करा िदया।

अब अंबा दोबारा भी म के पास लौट कर बोली िक अब म तुमसे िववाह क ं गी।


लेिकन भी म चारी थे, इस कार अंबा न इधर क रही और न उधर क और
उसने भी म से बदला लेने क ठान ली। वह भगवान शंकर क घोर तप या म लीन हो
गई और भी म के नाश का वर मांगा। तब भगवान शंकर ने कहा िक वह अपने अगले
ज म म भी म से बदला लेगी। अंबा ने वाभािवक मौत क ती ा न कर वयं अपने
हाथ से िचता बनाकर आग खुद को अि के हवाले कर िदया और राजा ुपद क
प नी के गभ से नया ज म हण िकया। िकंतु अगले ज म म भी वह ी के पम
पैदा हई, पर वह पु ष प पाना चाहती थी इस लए उसने दोबारा घोर तप या क और
बाद म उसे पु ष प िमला जो िशखंडी के नाम से स हआ।

िविच वीय िनःसंतान ही बीमारी के कारण मर गए और उनक प नयां अंिबका और


अंबा लका से कोई पु ा नह हआ। इससे स यवती बहत दख
ु ी थी य िक उसके
दोन पु िनसंतान मर गए थे। तब स यवती ने भी म को अपनी एक अ य संतान के
बारे म बताया जो ऋिष पराशर से उ ह ा हई थी और जसका नाम यास था।
यास ने अंिबका और अंबा लका से िववाह िकया और उ ह दो पु हए। उसम से एक
अंधा और दसरा
ू पीला था इसके अलावा यास से एक और पु हआ जो दासी पु था।
य िक रात के समय अंिबका के थान पर कमरे म उसके कपड़े पहन कर दासी
चली गई थी।

इस कार यास के तीन पु हए। जो पु अंधा था उसका नाम धृतरा पड़ा, जो


अंबा लका से उ प पीले वण का पु था उसका नाम पांडू था और दासी का
िवकारहीन पु िवदरु कहलाया जो सवगुण संप था। धृतरा का िववाह गांधारी से
हआ और य िक धृतरा अंधे थे तो रा य अ धकार उ ह ने अपने छोटे भाई पांडू को
स प िदया। पांडु का दो क याओं से िववाह हआ पहली मा ी और दसरी
ू कुं ती। कुं ती
राजा शूरसेन क पु ी थी जो ीकृ ण के िपतामह थे। जबिक तीसरे राजकु मार िवदरु
का िववाह राजा देवक क क या पारशवी से हआ।

कुं ती को तीन पु र न क ाि हई इसम यु धि र, भीम और अजुन थे। जबिक


मा ी को दो पु र न िमले जो नकु ल और सहदेव थे और यह पांच भाई पांडव
कहलाए। इससे पहले िववाह से पूव ऋिष दवु ासा ने कुं ती को एक िवशेष मं सखाया
और कहा िक जस देवता का मरण करके वह यह मं जप करे गी तो उससे तेज वी
व तप वी पु र न का फल िमलेगा। कुं ती ने मं का जाप कर सूय को याद िकया
और सूय ने कुं ती को पु फल िदया जो ज म से ही कुं डल व कवच धारण कर पैदा
हआ। समाज के भय से कुं ती ने िशशु को ज म लेते ही नदी म बहा िदया, जो नदी म
नहा रहे एक सारथी को िमला जो िनःसंतान था। उस िशशु का नाम उसने वसुसेन
रखा जो बड़ा होकर कण के नाम से िव यात हआ। उधर धृतरा और गांधारी को पूरे
सौ पु ा हए और ये सौ पु कौरव कहलाए। इनका सबसे बड़ा पु का नाम
दयु धन था।
कु टु ब

इस कार ह तनापुर का कु टु ब बहत बड़ा हो गया। पांडव और कौरव जैसे


राजकु मार पाकर ह तनापुर ध य था। समय बीतता गया और कु छ समय प चात पांडु
का आक मक िनधन हो गया और तब धृतरा ने ग ी संभाली। वह दयु धन के ज म
के समय अपशकु न के ल ण के कारण स यवती अपनी बह अंिबका और
अंबा लका को साथ लेकर वन गमन कर गई।

धृतरा ने अपने सौ पु के साथ पांच भतीजे पांडु पु पांडव को समान प से नेह


िदया। ये सभी राजकु मार िबना भेदभाव के साथ रहने लगे, सभी को उ च िश ा दी
गई। ह तनापुर क राजग ी पर तो धृतरा बैठे थे लेिकन भी म ही सारा शासन एवं
काय संभालते थे। वे राजकु मार को हर तरह से द करना चाहते थे इस लए उ ह ने
राजकु मार के लए एक गु क िनयुि क जो ोणाचाय थे। ोणाचाय ा ण थे
लेिकन कु छ कारणवश उ ह ने ि य करम अपनाया था और यु कला म पारं गत
होना पड़ा था। अपनी युवाव था म ोणाचाय के िम ुपद थे जो कालांतर म पांचाल
देश के राजा बने। उस व ोणाचाय के िदन संकट से गुजर रहे थे। तब ोणाचाय
अपने िम ुपद से मदद मांगने गए जहां भरे दरबार म ुपद ने ोणाचाय का अपमान
िकया। तब ोणाचाय ने वचन लया िक वह ुपद से एक िदन ितशोध अव य लगे।

सभी राजकु मार म ोणाचाय को अजुन अ यंत ि य थे। सभी को िश ा देने के


अलावा वे अपने पु अ व थामा के साथ अजुन को अलग से यु एवं अ श
को चलाने क िश ा देते थे। अजुन भी अ य राजकु मार क तुलना म अ धक वीर थे
और धनुिव ा म दो उनके बराबर कोई था ही नह । अजुन ने अनेक बार गु
ोणाचाय को भािवत िकया और उनके वचन को िनभाने म भी अजुन ने ही सव थम
अपना हाथ खड़ा िकया।

कौरव और पांडव ने गु से यु कला एवं श चालन क िव ा एक साथ सीखी।


लेिकन दयु धन और उसके भाइय ने इन िश ाओं म कोई िवशेष िच नह िदखाई।
हालांिक वे वीर थे पर पांडव के तर के नह । हर जगह पर पांडव का ही गुणगान
अ धक िकया जाता था और अ धक वीर बताया जाता था। जसक वजह से दयु धन
पांडव से अ यंत ई या करता था।

कई वष ं प चात जब राजकु मार क िश ा समा हो गई तब एक समारोह


आयो जत िकया गया। जहां सभी राजकु मार को अपनी यु कला का दशन आम
जनता के सामने दशन थल पर आकर करना था। दशन का िदन िनधा रत िकया
गया। सभी जगह ऊंचे आसन लगाए गए जहां राजा धृतरा , रानी गांधारी, मं ी गण
जनम भी म, ोणाचाय, कृपाचाय सभी उप थत थे। य िक धृतरा अंधे थे इस लए
संजय धृतरा को आंख देखा हाल सुनाते थे।

तब सभी राजकु मार ने अपना दशन करना शु िकया। जसम पांडव का अ धक


गुणगान िकया जा रहा था। दयु धन इससे िब कु ल भी खुश नह था। संजय इस घटना
का िववरण धृतरा को सुना रहा था। धृतरा पांडव क क ित से तो खुश था परं तु
वह अपने पु का गुणगान न सुनकर यतीत भी था। इस संपूण दशन म अजुन ने
यु कला का अि तीय दशन िकया जससे पूरा समारोह अजुन क वाहवाही से गूज

उठा।

तब एक युवक ने अजुन को चुनौती देने का साहस िकया। सभी उसे देख कर च क


गए, यह सूयपु कण था जो यह आयोजन देखने आया था। तब कण क ललकार
सुनकर दयु धन क खुशी का िठकाना नह रहा य िक वह भी अजुन से कण का
मुकाबला करवाकर अजुन क हार देखना चाहता था। पहले तो अजुन ने मना िकया
य िक कण एक राजवंश से नह था लेिकन कण के अ धक ललकारने पर अजुन
को भी गु सा आ गया। दोन के बीच यु होने ही वाला था लेिकन तभी सं या हो गई
और यु का यही िनयम था िक िदन ढलने के प चात वह नह लड़ा जा सकता। उस
समय दयु धन ने कण को अपना परम िम घोिषत कर अंग देश का राजा बना िदया
और उसे अपने साथ महल म ले गया।

इसके बाद एक िदन गु ोणाचाय ने सभी राजकु मार को बुलाया और पांचाल नरे श
ुपद से अपना बदला लेने के लए उस पर आ मण करने क योजना बनाई। तब
कौरव एवं पांडव ने िमलकर ुपद पर आ मण कर िदया और उसे परा जत कर
िदया। उस व गु ोणाचाय के मन को शांित िमली और उ ह ने ुपद का आधा
रा य लेकर वयं भी आधे पांचाल देश के राजा बन गए। ुपद को अ यंत ल जत
होना पड़ा और वे अपनी इस बेइ जती को चुपचाप सहते रहे और मन ही मन ठान ली
िक वे ोणाचाय से इस बेइ जती का बदला अव य लगे।

पांडव क वीरता तथा यो यता धृतरा से िवमुख नह थी और एक िदन उ ह ने


यु धि र जो कौरव-पांडव म सबसे बड़े थे को राजपाट स प देने क घोषणा क । तब
यु धि र ने सभी के साथ िमलकर अपने सा ा य का िव तार िकया और जन-जन से
अपार लोकि यता ा क और जाजन क भलाई के अनेक नए नए कदम उठाए।
लेिकन धीरे -धीरे धृतरा को अपनी इस घोषणा से अ स ता होने लगी य िक हर
जगह पांडव का ही गुणगान हो रहा था और उनके बेट का नह । उ ह पांडव से कम
ेम नह था िकंतु हर जगह पांडव क वाहवाही के कारण उ ह यह बुरा लगता था िक
दयु धन और उसके भाइय को यह वाहवाही य नह िमलती।
वह दयु धन भी अपने िपता से नाराज था य िक वह कहता था िक धृतरा िपता होने
का फज भी नह िनभा रहे ह। धृतरा को यह भी िचंता हई िक एक िदन पांच पांडव
राजा बन जाएंगे और कह ऐसा ना हो िक उसके बेट को उनके अ धकार से वंिचत
कर द। तब एक िदन दयु धन ने धृतरा को अपनी एक योजना बताई और कहा िक
पांडव को कु छ िदन के लए आराम करने के लए ह तनापुर नगर से बाहर भेज
िदया जाए और वही कह उनके रहने क अ छी यव था क जाए। जब वे चले
जाएंगे तो पीछे से वे अपनी राजधानी को मु ी म ले लगे। धृतरा थोड़ा िहचिकचाये
लेिकन दयु धन के अ धक दबाव बनाने पर धृतरा ने हामी भर दी। जब यह बात
यु धि र को पता चली तो उसने आ ा का पालन िकया और वे अपनी मां और चार
भाइय समेत वरणावत क ओर चले गए। यह बात भी म, ोणाचाय, िवदरु आिद सभी
बुजुग ं को अ छी नह लगी परं तु राजा के आदेश क अवहेलना भी नह कर सकते
थे। िवदरु जानते थे िक यह कोई कू टनीितक योजना हो सकती है इस लए उ ह ने
यु धि र को चेताया भी।
वयंवर

इधर वरणावत पहच


ं कर पांडव खुशी से रहने लगे और यहां के लोग ने भी उनका
भ य वागत िकया। लेिकन िफर दयु धन ने चालाक चली और अपने िव व त
आदमी पुरोचन को वरणावत भेज िदया। पुरोचन भवन िनमाण कला म महान था और
उसने यथाशी पांडव के लए एक भ य भवन का िनमाण िकया जो बहत ही
खूबसूरत था एवं सारी सुख-सुिवधाओं से प रपूण था। भवन इतना अ छा था िक
पांडव ने यहां रहने का िनणय कर लया लेिकन भवन के अंदर कदम रखते ही
यु धि र को उसक दीवार से लाख, तेल आिद क दगु ध आने लगी। यु धि र को
िवदरु क दी हई चेतावनी याद आई और वह समझ गया िक उ ह यहां जलाकर मारने
क पूरी तैयारी क गई है।

यही दयु धन क योजना भी थी दयु धन इस भवन म पांडव को मारकर िन चंत हो


जाना चाहता था। पुरोचन को आदेश िदया गया िक माह के कृ ण प क रात म जब
सभी लोग गहरी न द म सोए ह गे वह इस महल को आग लगा देगा। त प चात िवदरु
ने एक यि को पांडव क सहायता के लए भेजा जो सुरंग खोदने म मािहर था।
उसने एक सुरंग खोदी जो महल के अंदर से बाहर िनकलती थी। यु धि र दयु धन क
इस चाल को जानता था और माह के कृ ण प क रात को कुं ती ने वारणावत
िनवा सय को भवन म खाने क दावत दी। लोग खुशी-खुशी भवन पहच
ं े और सभी ने
िमलजुल कर खाया िपया। आयोजन समा होने के बाद सभी चले गए और आधी
रात को एक-एक कर चार भाई कुं ती सिहत उस गु सुरंग से बाहर िनकल गए
जबिक भीम महल म ही क गया य िक पांडव ने महल को आग लगाने क योजना
बनाई थी।
पुरोचन अपने कमरे म गहरी न द म सोया हआ था। भीम ने उस भवन म आग लगा दी
और वयं भी सुरंग के माग से बाहर िनकल आया। थोड़ी ही देर म भवन आग क
लपट से म समा गया और देखते ही देखते पूरा जल गया जसम पुरोचन मारा गया।
सभी को यह लगा िक कुं ती एवं उनके पांच पु भी जलकर मर गए ह। यह सूचना
जब दयु धन को िमली तो वह खुशी के मारे फूला नह समाया। उसने सोचा िक
उसका काम हो गया अब वह पूरे ह तनापुर पर राज करे गा एवं उसक वाहवाही
होगी।

इधर पांडव वहां से िनकलते हए जंगल म पहच


ं गए जहां भीम का िहिडंबा नामक एक
रा सी से सामना हआ। िहिडंबा को भीम क कद-काठी बहत पसंद आई और वह उस
पर मोिहत हो गई और ेम करने लगी। माता कुं ती एवं यु धि र के कहने पर भीम ने
िहिडंबा से िववाह िकया जससे कालांतर म घटो कच नामक वीर पु पैदा हआ। इसके
बाद वन म भटकते भटकते पांडव एकच नगरी पहच
ं े जहां उ ह ने ा ण का वेश
धारण िकया जससे उ ह कोई पहचान न सके। वहां भीम ने बकासुर नामक एक
रा स का वध िकया और नगर के लोग को उसके कहर से बचाया। इसके बाद एक
तप वी ने पांडव को बताया िक पांचाल देश का राजा ुपद अपनी क या ौपदी का
वयंवर कर रहा है और पांडव को भी यहां भाग लेना चािहए आ खर वे भी तो
राजकु मार ही है। तब पांडव पांचाल देश क ओर चल पड़े।

पांचाल म वयंवर क तैया रयां जोर-शोर पर थी। पांचाल को बहत ही अ छे तरीके


से सजाया गया था। अनेक राजकु मार वयंवर म िह सा लेने यहां आए थे। समारोह
थल के बीच बीच एक मंच पर भारी धनुष पड़ा था और एक बड़ी कढ़ाई म तेल भरा
हआ था और पास म यं पर एक नकली मछली तेजी से घूमती हई लटक रही थी
जस पर धनुष से िनशाना साधना था। ौपदी के वरण क इ छा से दयु धन भी अपने
भाइय और कण के साथ आया था। शोभा िनहारने ीकृ ण भी ा रका से पधारे थे।
वह पांडव ा ण वेश म दशक दीघा म बैठे थे। समारोह आरं भ होने से पहले
यथािव ध पुरोिहत ने य िकया और एक घोषणा के साथ वयंवर आरं भ हआ।

अनेक राजकु मार धनुष को उठाने म लग गए। ल य को भेदना तो दरू वे धनुष तक


को ना उठा सके। येक राजकु मार क असफलता पर सभा म बैठे लोग जोर से हंस
रहे थे। दयु धन के साथ-साथ अनेक राजा व राजकु मार असफल होकर सर झुकाए
बैठे थे। तभी कण अपनी जगह से उठा और धनुष क ओर बढ़ा और बड़ी ही आसानी
से उसने धनुष को उठा लया और तेल म ल य क परछाई क ओर नजर गड़ा कर
धनुष क यंचा ख ची। लेिकन तभी सभा म ौपदी का वर गूज
ं पड़ा।

‘म सारथी पु का वरण नह कर सकती’

यह सुनते ही कण शम से अिभभूत हो गया और उसने चुपचाप धनुष अपनी जगह रख


िदया और सर झुका कर वापस लौट आया। इसका दयु धन को भी बहत दख
ु हआ।
इस कार सम त राजकु मार व नरे श असफल होकर बैठ गए। तभी अजुन अपने
थान से उठा जो ा ण के वेश म था। ा ण को धनुष उठाता देख सभा म
कोलाहल मच गया। सभी सोच रहे थे जो काय ि य से न हो सका वह ा ण कैसे
कर सकेगा। परं तु वहां बैठे ीकृ ण ने पहली ही नजर म पांडव को पहचान लया था
और अजुन तो े धनुधारी था ही। उसने बड़ी ही आसानी से धनुष को उठा लया
और िफर एक-एक करके पांच तीर मछली पर िनशाना लगाते हए उसे भेद िदये।

सभा म उ साह छा गया और वातावरण ता लय क गड़गड़ाहट से गूज


ं उठा। लोग
अजुन क वीरता क शंसा करने लगे। परं तु ि य राजकु मार को यह बात पसंद
नह आई य िक वयंवर म सफ ि य ही भाग ले सकते थे और एक ा ण
राजकु मारी का पित नह बन सकता था। िकंतु ुपद ने िकसी क नह सुनी, ौपदी तो
पहले से ही इस तेज वी ा ण पर मु ध थी। इस कार अजुन अपने चार भाईय के
साथ ौपदी को अपनी नववधू बनाकर घर लौट आया।

कुं ती याकु लता से पु क ती ा कर रही थी। तभी भीम ने मां को च काने के लए


बाहर से ही पुकार कर बोला।

‘मां ज दी आओ देखो आज हम िकतनी अ छी चीज लेकर आए ह’

कुं ती ने िबना यह जाने ही वह या है, बोला

‘बेटा जो कु छ भी िमला है जस कार तुम हमेशा से बराबर बांटते आए हो, मेरी


आ ानुसार आज उसे भी पांच भाई बराबर बांट लो’।

पांडव बचपन से ही अपनी मां के आ ाकारी थे और अपने मां क िकसी भी आ ा को


अपना वचन मानते थे। जैसे ही मां कुं ती ने देखा िक उनके साथ ौपदी है तो उसने इस
आ ा एवं वचन को तोड़ने के लए उ ह समझाया। तब अजुन कहा

‘नह मां, हम तु हारे वचन का अनादर नह कर सकते अब ौपदी हम पांच भाइय


ही क प नी बनेगी’

हालांिक यु धि र समेत चार भाई नह चाहते थे िक वे ौपदी का वरण कर। िकंतु


अजुन के अ धक जद करने एवं वचन िनभाने के लए सभी को ौपदी का वणन
करना ही पड़ा और ौपदी को मजबूरन पांच क प नी बनना पड़ा।
तभी वहां ीकृ ण एवं द ु द अपने बेटे धृ ु न के साथ आए। जैसे ही उ ह यह पता
चला िक ये पांडव है तो उनक खुशी का िठकाना नह रहा। उस व ुपद ने भी
यु धि र को भिव य म कौरव के खलाफ हमेशा साथ देने का वचन िदया। परं तु जब
ुपद को यह पता चला िक वचन के कारण अजुन ही नह ब क पांडव को ौपदी से
िववाह करना है तो ुपद यह बदा त नह कर सके और उ ह ने इस फैसले पर िफर
िवचार करने को कहा। लेिकन तभी वहां महिष यास पहच
ं े और उ ह ने मु कु राकर
कहा क ौपदी के बारे म िचंितत ना हो। य िक यही होनी थी और इसे कोई नह
रोक सकता। ौपदी के भा य म पांच यि य का ही सुख लखा है जो िक पूव ज म
म इसे अपने अ छे कम ं क वजह से िमला है।

इधर जब दयु धन को यह पता चला िक पांडव जीिवत ह तो उसे बड़ा गु सा आया


और वह पुरोचन को ढू ढ़ं ने लगा। लेिकन बाद म उसे पता चला िक वह तो वयं ही
जलकर मर चुका था। इससे दयु धन को बड़ा आघात हआ और उसके मन म पांडव
के ित और अ धक घृणा पैदा हो गई। वह िकसी भी कार से पांडव को जीिवत नह
देखना चाहता था य िक वह ह तनापुर पर अपना पूण अ धकार चाहता था।

आ खरकार िवदरु , भी म, गु ोणाचाय ारा धृतरा को समझाया गया िक आ खर


पांडव िपछले एक वष से ह तनापुर से बाहर रह रहे ह और अब तो उनके साथ
ौपदी भी है इस लए अब उ ह से स मान ह तनापुर लाया जाए और भिव य म कौरव
पांडव को शांित एवं स ावना के साथ रहने के लए समझाया जाए। यह सुनते ही
दयु धन क रात क न द चैन जाता रहा। वह पांडव को िकसी भी हालत म
ह तनापुर म बदा त नह कर सकता था। कण उसक परे शानी समझता था और दोन
िकसी ना िकसी कार पांडव के िवनाश के बारे म उपाय खोजते रहते थे।
आ खरकार िवदरु पांचाल नरे श ुपद के पास पहच
ं े जहां पर पांडव एवं ौपदी थे और
उ ह अपने साथ लेकर ह तनापुर ले आए। ह तनापुर म आते ही लोग ने पांडव का
भ य वागत िकया। महल म पहच
ं ते ही सभी ने उ ह आशीवाद िदया। कु छ समय
शांित से बीता, तब एक िदन धृतरा ने यु धि र को बुलाकर कहा।

‘अब व आ गया है िक म जीते जी अपना कत य िनभाऊं। तुम लोग का इस रा य


पर बराबर अ धकार है, तो म इस रा य को दो भाग म िवभ कर रहा हं और
खांडव थ तुम लोग को देता हं जबिक कौरव ह तनापुर म ही रहगे’।

यु धि र ने यह फैसला वीकार कर लया और इस कार पांडव के पास खांडव थ


आ गया।
इं थ

यु धि र अपने भाइय , माता और प नी के साथ खांडव थ आ गए। यह इलाका


बसने के एकदम अयो य था। चार और बंजर, ऊबड़-खाबड़ भूिम और जंगल था।
दर-द
ू रू तक कोई आबादी नह थी िफर भी पांडव को संतोष था िक आ खर धृतरा
ने उनके बारे म इतना तो सोचा और उ ह इतनी जगह तो दी। पांडव उ मी थे तो
उ ह ने खांडव थ को ही रहने यो य बना िदया। उ ह ने ीकृ ण के सहयोग से ा रका
के अ छे अ छे कारीगर को खांडव थ बुलाया और िफर से नगर िनमाण का आरं भ
िकया। देखते ही देखते खांडव थ जैसे िनजन े क कायापलट हो गई। वहां
आलीशान महल के अलावा भ य िकला बनाया गया। नगर म चार ओर बाग बगीचे,
पूजा थल, इमारत, चौड़ी सड़क, बड़े बाजार बन गए। नगर क शोभा बस देखते ही
बनती थी। कोई क पना भी नह कर सकता था िक यह कभी बंजर भूिम थी। ीकृ ण
के आशीवाद से यु धि र ने नए रा य का कायभार संभाला और इस नए रा य का
नाम खांडव थ से बदलकर इं थ रखा गया।

पांडव इं थ म रहने लगे लेिकन एक िदन नारद मुिन वहां पधारे और उ ह ने


यु धि र को एक सलाह दी। उ ह ने कहा

‘मुिनवर यिद आप पांच ौपदी के साथ एक साथ रहोगे तो आपम आपसी मनमुटाव
होने का डर हो सकता है। य िक भूतकाल म भी इस कार कई बार एक नारी को
लेकर आपस म भाई-भाइय म झगड़ा हआ है और वे आपस म लड़ लड़कर िमट गए।
तो ऐसा करो ौपदी को एक-एक वष बारी-बारी से पांच भाइय म बांटो। ऐसे म कोई
दसरा
ू भाई ौपदी को देखेगा भी नह । अगर इस िनयम को िकसी ने तोड़ा तो उसे
बारह वष के लए रा य से िन का सत होना पड़ेगा।

यह सलाह पांडव ने मान ली और यह िनयम लागू हो गया। पांच भाई बड़े संयम और
िनयम से रहने लगे और ौपदी के कारण कभी उनम कलह नह हई और ना ही िकसी
ने यह िनयम तोड़ा। परं तु एक बार गलती से अजुन ौपदी और यु धि र के कमरे म
िबना आ ा के वेश कर गया। हालांिक इस बात का पता यु धि र को नह था। िकंतु
अजुन वचनब था तो उसने वयं अपने अपराध को यु धि र के सामने वीकारा
और बारह वष ं के लए वन क ओर चला गया।

इस कार अजुन इं थ से िनकलकर बारह वष ं तक बाहर रहा। इन बारह वष ं के


बीच अजुन ने नागलोक क क या उलूपी से िववाह िकया। इसके बाद उसने मिणपुर
के राजा िच वाहन क पु ी िच ांगदा से िववाह िकया जससे अजुन को व ुवाहन
नामक पु र न क ाि हई। जसे भिव य म मिणपुर का भावी राजा घोिषत िकया
गया। इसके बाद अजुन ने एक तीसरा िववाह सुभ ा से िकया जो ीकृ ण क बहन
थी। सुभ ा से अजुन को अिभम यु नामक पु र न क ाि हई। इस कार अजुन के
बारह वष समा हए। उधर ौपदी भी पांच पु क मां बनी। यु धि र से उसे
ातिवं , भीम से ुतसोम, अजुन से ुतकमा, नकु ल से शतानीक तथा सहदेव से
ुतासन नामक पु र न क ाि हई।

इसके बाद एक बार अजुन ने अि देव को अपनी भूख िमटाने के लए इं थ के


जंगल को अि के हवाले करने िदया, जससे स होकर अि देव ने अजुन को
सोमराज का गांडीव नामक धनुष िदया। तब उस जंगल म मय नामक रा स जो बहत
ही अ छा वा तुकार था, को अजुन ने जलने से बचा लया। तब उसने इं थ म एक
ऐसा भवन बनाया जसक कला देखकर पांडव क खुशी का िठकाना नह रहा। इस
भवन क सुंदरता एवं भ यता क चचा दर-द
ू रू तक फैल गई। इं थ तो पहले से ही
बहत ही भ य नगर था और इस भवन के िनमाण के बाद इसक सुंदरता पर चार चांद
लग गए।

तब नारद के कहने पर यु धि र ने राजसूय य िकया जहां िव व के सम त नरे श व


राजकु मार को आमंि त िकया गया। इस य म कौरव भी पधारे । इं थ का वैभव
देखकर सभी आ चयचिकत रह गए। दयु धन तो इं थ क भ यता को देखकर
ई या के मारे जल उठा। कहां इस बंजर खांडव थ को पांडव ने इतना भ य नगर
बना िदया। वो िकसी भी कार इं थ को जलता हआ देखना चाहता था। वह नह
चाहता था िक इं थ इतना भ य रहे। वह मन ही मन अनेक योजनाएं बना रहा था
और यही सोचता हआ वह उस भवन के सभागार म पहच
ं ा। इसक कारीगरी का
जवाब नह था। तभी उसे सभागार म एक तालाब िदखाई िदया जहां एक कमल का
फूल खला हआ था। उसने जैसे ही कमल के फूल को तोड़ना चाहा तो उसका हाथ
फश से जा टकराया और उसे पता चला िक यह फूल तालाब म नह उगा हआ था
ब क यह तो भवन िनमाण क कारीगरी का उ च नमूना था जो फश पर बनाया गया
था। इसे देखकर सभागार म चार ओर हंसी क लहर गूज
ं गई और दयु धन क मूखता
का सभी ने मजाक उड़ाया।

तभी दयु धन ोध से आगे बढ़ा और सामने एक दरवाजा देखकर वहां से आगे जाने
लगा, िकंतु जसे वो दरवाजा समझ रहा था वह एक दीवार पर बनाया गया दरवाजे
का िच था, जो वा तिवक दरवाजे क भांित िदखाई दे रहा था। दयु धन इस दीवार से
टकरा गया तब उसक और अ धक बेइ जती हई। तीसरी बार तो सबसे बड़ी दगु ित
तब हई जब उसे एक भ य सरोवर िदखाई िदया, उसने सोचा यह फश पर बना कला
का नमूना होगा इस लए वह िन चंत होकर आगे बढ़ा। लेिकन इस बार वह सरोवर
असली िनकला और वह उसम जा िगरा।

इस अपमान से दयु धन एक पल भी इं थ नह का और आग बबूला होकर वहां से


लौट आया वह अपमान क आग म जल रहा था। इस व उसके साथ उसका मामा
शकु िन भी था तब उसने शकु िन मामा को िकसी भी कार पांडव को न करने क
बात कही। उसने कहा

मामा कोई उपाय बताइए वरना म जंदा नह रहग


ं ा।

तब शकु िन बोले

तुम िचंता मत करो, हम इस समय शि से नह ब क बुि से काम लेना होगा और


पांडव पर धोखे से वार करना होगा।
धूत ड़ा

यु धि र को जुआ खेलने का बड़ा शौक था और वह यह खेल काफ अ छा खेलता


था। बस शकु िन ने उसके इसी शौक का फायदा उठाया और दयु धन को अपनी
योजना बताई। उसने कहा िक पांडव को जुआ खेलने के लए ह तनापुर आमंि त
िकया जाए और तब हम जुए म उनको हराकर उनक सारी चीज जीत लगे।

धृतरा पु ेम म पागल था, वह दयु धन को िकसी भी कार से दख


ु ी नह देख
सकता था इस लए वह ना चाहते हए भी ऐसे िनणय ले लेता था जनसे भिव य म उसे
ही नुकसान होने वाला था। शकु िन के कहने पर धृतरा ने पांडव को आमं ण भेजा
साथ ही ह तनापुर म इं थ जैसा ही एक भवन िनमाण कराया जहां जुए का खेल
होना था। उस भवन को देखने के लए पूरे िव व के अनेक राजाओं एवं राजकु मार
को आमंि त िकया गया। पांडव अब तक यह नह जानते थे िक यहां आकर उ ह
जुआ खेलना होगा।

सभागार म सभी का भ य वागत िकया गया। जब सभी सभागार म उप थत थे तब


शकु िन ने यु धि र को जुआ खेलने के लए आमंि त िकया। हालांिक यु धि र उस
समय नह खेलना चाहता था िकंतु शकु िन के बड़े ही ेम भाव से आ ह करने पर वह
मना ना कर सका। शकु िन ने पहले से ही पूरे दांव पच लगाकर यु धि र को हराने
क ठान ली थी। खेल शु हआ, यु धि र ने शु म जो दांव लगाए शकु िन ने
चुटिकय म उ ह जीतकर अपना अ धकार कर लया। यु धि र हर हारी हई बाजी के
साथ अपना िववेक खोता जा रहा था और शकु िन बड़ी ही चालाक से हर बाजी
जीतता जा रहा था। यु धि र वण मु ाएं, आभूषण आिद हार गया तब उसने हाथी,
घोड़ को भी दांव पर लगा िदया और शकु िन ने उन पर भी अपना अ धकार कर
लया।

धीरे -धीरे शकु िन सब कु छ जीतता चला गया। सारी सभा म स ाटा छाया हआ था
भी म, ोणाचाय, कृपाचाय एवं अ य उ च पद पर आसीन गु जन को यह िब कु ल
रास नह आ रहा था। वह तो पहले से ही इस खेल के िव थे। अंत म यु धि र
अपना सब कु छ हार गया। उसने रा य क भूिम, सैिनक, श , सेवक सभी गवां
िदये। यह बात िकसी से बदा त नह हई और तब िवदरु ने धृतरा को इस खेल को
रोकने के लए आदेश देने को कहा। हालांिक धृतरा अपनी पु क जीत से खुश थे
िकंतु वे यह भी नह चाहते थे िक पांडव के साथ कु छ गलत हो पर पु मोह म वे
कु छ ना कर सके।

अंत म जब कु छ नह बचा तो यु धि र ने वयं समेत चार भाइय को भी दांव पर


लगा िदया और हार बैठा। अंत म यु धि र बोला,

अब मेरे पास कु छ नह बचा है।


तब शकु िन बोला।
अभी ौपदी बाक है।

यह सुनकर सभी को गु सा आया, पांडव ने भी इसका िवरोध िकया। पर ना जाने य


इस िदन यु धि र क मित मारी गई थी और उसने ौपदी को भी दांव पर लगा िदया।
अगले ही पल ौपदी पर भी कौरव का अ धकार हो गया। सभा म शोर मच गया,
संजय क जुबान चुप हो गई, िवदरु , भी म, ोणाचाय, कृपाचाय सभी अपना मुंह
लटकाए बैठे थे। वह कौरव और दयु धन फूले नह समा रहे थे। दयु धन ने शकु िन
को अपनी बाह म भर लया और अपने भाई दश
ु ासन को ौपदी को अपने क से
लाने को भेजा। दश
ु ासन ौपदी के क म गया और उसे अपने साथ चलने को कहा।
जब ौपदी ने मना िकया तो दश
ु ासन उसके बाल ख चकर उसे घसीटता हआ सभागार
म लेकर आया। यह देख कर सभी क कराह िनकल गई िकंतु कोई कु छ ना कर
सका। सभागार म बैठे लोग दश
ु ासन के इस कृ य से बड़े ममाहत हए। ौपदी को
दासी के प म देखकर कौरव बहत खुश थे।

धृतरा को िपतामह भी म ने बहत समझाया िकंतु धृतरा कु छ ना कर सके। तब


दयु धन ने ौपदी को अपने व उतारकर दासी के व धारण कर अपनी जंघा पर
बैठने का आदेश िदया। ौपदी ने जब िवरोध िकया तो दयु धन ने दश
ु ासन को ौपदी
क साड़ी उतारने का आदेश िदया। दश
ु ासन ने ौपदी क साड़ी ख ची पर उस व
भगवान कृ ण ने ौपदी का साथ िदया। दश
ु ासन साड़ी ख चता रहा और थक हार कर
बैठ गया िकंतु साड़ी क लंबाई लगातार बढ़ती जा रही थी।

अंत म िवदरु ने धृतरा को समझाया और यह नाटक बंद करने क बात कही।


धृतरा को भी पांडव क इस थित पर बहत दया आई और डर भी लगा य िक
वह जानते थे िक दयु धन और उसके भाइय को पांडव के गु से से कोई नह बचा
पाएगा। इस लए उसने ौपदी से कहा हालांिक पांडव सब कु छ हार चुके ह परं तु तुम
जो चाहो वह मांग सकती हो।

तब ौपदी ने पांडव क मुि क मांग रखी जसे धृतरा ने वीकार कर लया और


कु छ ही देर बाद पांडव और ौपदी वहां से अपने रथ म बैठकर इं थ क ओर चल
पड़े।

धृतरा के इस िनणय से दयु धन ो धत हो गया और अपने िपता को फटकारा। तब


शकु िन, दयु धन और दश
ु ासन ने िमलकर धृतरा के कान भरे और उसे डराया क
पांडव अब उसके पु को नह छोड़गे। धृतरा पु मोह म पागल तो था ही तो उसने
दोबारा पांडव को जुआ खेलने के लए आमंि त कर िदया।

गांधारी ने धृतरा को समझाया क पांडव के साथ यह अ याय न कर परं तु धृतरा


िववश होकर बोले।

म अपने पु को अ स नह कर सकता, भले ही इससे हमारे वंश का नाश ही य


ना हो जाए।

यु धि र को दोबारा जुआ खेलने का आमं ण िमला तो वे दोबारा लौट आए य िक


इस बार उ ह आशा थी िक इस बार शायद वे जीत जाएं। सभागार दोबारा तैयार हो
गया, सभी दोबारा बैठ गए। लेिकन इस बार शत अलग थी, शत यह थी िक जो बाजी
हारे गा वह बारह साल के लए वन म सामा य जन क तरह रहेगा और तेरहवां साल
अ ातवास म गुजारे गा, अ ातवास म यह शत है िक अगर वह पहचाना गया तो उसे
दोबारा तेरह वष के लए िफर िन का सत जीवन यतीत करना पड़ेगा। यु धि र ने
यह शत मंजूर कर ली और जुए का खेल दोबारा शु हआ। बस िफर या था देखते
ही देखते शकु िन अपनी चालाक से बाजी जीतता गया और पांडव शत के अनुसार
राजपाट छोड़ वन गमन को िववश हो गए।

पांडव वनवास जा चुके थे। वह ह तनापुर म धृतरा बेचन


ै थे, वे पांडव क वीरता
से भलीभांित प रिचत थे और जानते थे िक उनके साथ बहत गलत हआ है और वे
इसका बदला अव य लगे। इस लए उ ह डर था िक कह वे दयु धन और उसके
भाइय िवनाश ना कर द। िवदरु , भी म, ोणाचाय एवं अ य गु ओं ारा धृतरा एवं
दयु धन को समझाया गया िक अभी भी कु छ नह हआ है, पांडव को दोबारा बुलाकर
उनका रा य स प िदया जाए, आ खर है तो वे कौरव के भाई ही। आपस म शांित एवं
ेम से रहने म ही इस कु ल क भलाई है। परं तु यह सुनते ही तो दयु धन जैसे ोध से
ितलिमला जाता और पु मोह म यु धि र भी कु छ नह कर पाते।
वनवास

इधर पांडव ह तनापुर क घटनाओं अनिभ वन म अपना समय यतीत करते रहे।
उनके अनेक िम और शुभिचंतक उनसे िमलने वन म यदा-कदा आते रहते थे। पांडव
अपने वनवास से िब कु ल भी खुश नह थे और खुश हो भी य , आ खर वे भी
राजवंश के थे। ौपदी हमेशा पांडव को अपने अपमान के बारे म याद िदलाती रहती
थी जससे उनका खून खौलने लगता था। सभी को यह याद था जब ौपदी का चीर
हरण िकया गया और दयु धन ने उसे अपनी दासी बनाकर अपनी जंघा पर बैठने क
बात कही। तब भीम ने भी यह ण लया िक वह एक िदन दयु धन क जंघा को तोड़
देगा।

पांडव ने ैतवन छोड़ िदया उसके बाद वे का यकवन आ गए। यहां यु धि र ने शुभ
मुहत पर पर अजुन को महिष यास ारा िदए गए एक ुित मृित मं को िदया।
अजुन मं लेकर सीधा कैलाश पवत क ओर चले गए और देवताओं क तुित क
जहां देवता स हए और एक-एक कर अजुन को दशन िदए। यहां अजुन को कई
अ -श ा हए। इसके बाद अजुन िव ाम के लए इं के पास चले गए और
धीरे -धीरे समय बीतता गया और कई वष ं बाद पांडव िहमालय क ओर गए जहां
उनका अजुन से पुनिमलन हआ। इसके बाद पांडव ौपदी के साथ ारका पहच
ं े जहां
ीकृ ण के महल म अिभम यु और ौपदी के पांच पु का लालन-पालन भली कार
से हो रहा था। इस कार पांडव का बारह वष का वनवास समा हो गया। लेिकन
अभी एक वष का अ ातवास बाक था। इस लए पांडव ने इस अ ातवास म छु पकर
रहने क योजना बनाई।
इधर ह तनापुर म दयु धन को अब यह िचंता सता रही थी िक पांडव दोबारा आने
वाले ह इस लए वह अ ातवास म उ ह पहचान लेने क योजना बनाने लगा तािक उ ह
दोबारा से तेरह वष का वनवास करना पड़े।

एक िदन पांडव अपने आ म से लु हो गए य िक उनका अ ातवास आरं भ हो गया


था। तब यु धि र ने अ ातवास म िकसी के ारा ना पहचाने जाने के लए वेश
बदलकर म य देश चलने क योजना बनाई। य िक यु धि र का यह मत था िक
अगर वे सभी एक साथ रहगे तो उ ह कोई भी आसानी से पहचान जाएगा। इस लए
उ ह म य देश के राजा िवराट के पास जाकर काम मांगना चािहए। इस कार सभी
ने अपने अपने काम चुन लए। यु धि र ने अपना नाम कंक रखा जो योितष शा
का काम देखेगा एवं धूत ड़ा म राजा का मनोरं जन करे गा। वह भीम ने रसोइए का
काम लया और अपना नाम व भ रखा, अजुन ने नारी का प धारण िकया और
अपना नाम वृह ला रखा और मिहलाओं के साथ रहकर और कहािनयां सुनाकर
उनका मनोरं जन करने का काम लया, नकु ल ने अपना नाम ं थक रखा और
अ तबल का रखवाला बन गया, सहदेव ने राजा िवराट क गौशाला म नौकरी लेने
क ठान ली। अंत म ौपदी बची तो उसने भी वहां एक दासी के प म काम करने
क योजना बनाई और अपना नाम सैरं ी रखा। सभी अपना वेश बदलकर अलग-
अलग महाराज िवराट के पास पहच
ं े और िवराट ने उ ह काम पर रख लया।

पांच भाई व ौपदी बड़ी लगन से िवराट के महल म काम कर रहे थे। उनक यो यता
से सब बड़े स थे और िबना िकसी क नजर म पड़े उ ह ने कई महीने दरबार म
गुजार िदये। वे स थे य िक शी ही उनका अ ातवास का वष भी समा होने
वाला था। महाराज िवराट के महल म एक राजा रहता था जसका नाम क चक था।
वह महारानी सुदे णा का भाई था और म य देश का सेनापित। एक िदन उसने सैरं ी
यािन ौपदी को देख लया और पहली नजर म ही ौपदी उसे भाग गई और वह ौपदी
को आकिषत करने के यास म जुट गया। क चक क हरकत ौपदी से िछपी नह थी
और आ खरकार एक िदन ौपदी से रहा नह गया और उसने महारानी सुदे णा से
िशकायत कर दी। जब क चक को यह पता चला िक ौपदी उसके णय िनवेदन को
ठु करा रही है और सुदे णा से उसक िशकायत क है तो वह आग बबूला हो गया और
एक िदन उसने ौपदी को अपनी बाह म भरना चाहा। इस बार ौपदी का भी गु सा
सातव आसमान पर था, उसने क चक को ध का िदया और भीम के पास पहच
ं ी और
सारी बात बताई। इस पर भीम को बड़ा ोध आया और उसने ौपदी से कहा िक वह
क चक को राि के समय एकांत म नृ यशाला म बुलाए। जब ौपदी ने क चक को
नृ यशाला म बुलाया तो वहां भीम था। भीम ने मौका पाते ही क चड़ को अपनी अपनी
बाह म जकड़ लया और उसे जमीन पर पटक पटक कर मार डाला।

इधर ह तनापुर म दयु धन परे शान था य िक अ ातवास का समय भी समाि क


ओर बढ़ रहा था। दयु धन चाहता था िक पांडव को जैसे-तैसे खोज लया जाए तािक
उ ह दोबारा से तेरह वष वन म गुजारने पड़े। दयु धन ने पांडव क खोज म कई
गु चर भेज िकंतु पांडव का कह पता न लग सका। तभी दयु धन को पता चला िक
महाराज िवराट का सेनापित क चक मारा गया है और िकसी गंधव ने उसे बुरी तरह
मारा है। दयु धन सोच म पड़ गया िक क चक को मारने वाला कौन हो सकता है।
य िक क चक को सफ दो ही ाणी मार सकते थे, या तो बलराम या िफर भीम।
दयु धन जानता था िक बलराम को तो क चक को मारने क या पड़ी है तो हो सकता
है भीम ारा क चक को मारा गया हो।

दयु धन समय नह गंवाना चाहता था। उसने शी ही अपने समथक को बुलाया और


म य देश पर आ मण करने क योजना बनाई य िक उसका यह मत था िक जब वे
आ मण करगे और यिद पांडव वहां मौजूद ह गे तो अव य ही यु म भाग लगे और
उस व वे उ ह पहचान लगे। हालांिक भी म, कृपाचाय, ोणाचाय िकसी को भी यह
बात पसंद नह आई परं तु दयु धन ज ी था और उसने अपना यह िवचार नह बदला
और म य देश पर दोनो िदशाओं से आ मण करने का िन चय िकया। इस आ मण
म कौरव क मदद के लए ि गत देश का राजा सुशमा भी आ गया।

महाराज िवराट इस सूचना को िमलते ही अ यंत घबरा गए। तब यु धि र उनके पास


आया और उ ह िव वास िदलाया िक वे यु म श ुओं का मुकाबला कर सकते ह।
उसने अपने चार भाइय क अपनी-अपनी िवशेषताएं बताइए जैसे िक व भ यािन
भीम के बारे म उसने बताया िक वह बहत ताकतवर है। जबिक अजुन यािन वृह ला
के बारे म बताया िक वह अजुन के रथ का सारथी रहा है। इसी कार नकु ल, सहदेव
और वयं को यु कला म अ छा बताते हए उसने यु म राजा िवराट से िह सा लेने
क बात कही। राजा िवराट भी इससे स हए और उ ह ने हामी भर दी।

जब दोन िदशाओं से म य देश पर आ मण हआ तो एक तरफ से भीम ने मोचा


संभाला। लेिकन जब दसरी
ू ओर से कौरव म य नगर को लूटते हए महल क ओर
बढ़े तब महल म राजकु मार उ र था। वह बहत ही सीधा-साधा व डरपोक था उसे यु
कला का ान नह था। उस व वृह ला यािन अजुन राजकु मार उ र के रथ का
सारथी बन गया। राजकु मार उ र तो यु म िब कु ल नह जाना चाहता था लेिकन
वृह ला उसे रथ म िबठाकर यु म कू द पड़ा और कौरव क ओर रथ दौड़ा िदया।
उसने रा ते म पेड़ पर छु पाए हए अपने ह थयार को भी उठा लया, जब राजकु मार
उ र से िब कु ल भी यु नह हआ तब वृह ला ने ह थयार उठा लए और अपनी
चोटी खोलकर शंख फंू का जसक गंभीर विन से सारा वातावरण गूज
ं उठा। दयु धन
समझ गया िक यह अजुन के शंख क विन है इसका मतलब वह यह आसपास है
और जैसे ही वह मुकाबले म आएगा तो वह उसे पहचान लेगा और पांडव को दोबारा
तेरह वष के लए वन भेज देगा।

भी म, कृपाचाय, गु ोणाचाय यु नह करना चाहते थे और उ ह ने दयु धन को


समझाया िक िहसाब से पांडव का अ ातवास का समय भी अब ख म हो चुका है।
िकंतु दयु धन नह माना और आ खरकार यु हआ। अजुन ने अपने मं स अ
से श ु प को जबरद त मात दे दी। जससे म य देश के राजा िवराट बहत खुश
हए और सारी जगह उ सव का वातावरण छा गया। पांडव का अ ातवास भी समा
हो गया और उस िदन पांडव ने अपने चोले बदल लए। राजा िवराट उनक
वा तिवकता जानकर अ यंत स हए और उ ह ने अपनी पु ी उ रा का िववाह
अजुन पु अिभम यु से कर िदया।
यु पूव

अिभम यु के िववाह समारोह म स म लत होने ीकृ ण और ुपद अपने पु धृ ुन


के साथ पधारे । वह बदले क आग म जल रहा िशखंडी भी आया। इसके अलावा
अनेक िम नरे श भी पहच
ं े। ीकृ ण ने सबको संबो धत करते हए पांडव के साथ हए
अ याय के बारे म बताया। सभी नरे श ने पांडव क हर संभव मदद का आ वासन
िदया। आ खरकार आगे क योजनाओं पर िवचार िवमश शु हआ। सभी ने कौरव
के पास एक सुयो य दतू को भेजने का िन चय िकया तािक कौरव से िम ता कायम
क जा सके और पांडव को उनका अ धकार िमल सके।

थोड़ा समय बीता, और अजुन कु छ िवचार िवमश करने ीकृ ण के पास ारका गया।
इधर दयु धन को जब पता चला िक अजुन ीकृ ण के पास ारका जा रहा है तो वह
भी ारका चल पड़ा। ीकृ ण से िमलने के बाद अजुन ने वयं ीकृ ण का साथ मांगा
जबिक दयु धन ने ीकृ ण क सेना का। ीकृ ण ने दोन को वचन िदया िक उनक
सेना कौरव के साथ होगी जबिक वे वयं पांडव के साथ। इसके बाद दयु धन ने छल
से श य को वचन िदलाकर उसे भी अपनी सेना म शािमल कर लया परं तु श य ने
यु धि र को एक वचन िदया िक वह ही यु म कण का सारथी बनेगा और पांडव
क जीत म सहायता करे गा।

जब पांडव का दतू ह तनापुर पहच


ं ा तो उसने पांडव क ओर क ओर से शांित
समझौते का ताव पेश िकया। उसने यह भी कहा िक यिद पांडव को उनका
अ धकार नह िमला तो अपने अ धकार को पाने के लए वे एक कदम भी पीछे नह
हटगे, उनके साथ सात अ ौिहणी सेना है जो संभािवत यु के लए भी तैयार है। उस
व राजदरबार म पूरी तरह शांत स ाटा छा गया। हालांिक िवदरु , भी म, ोण,
कृपाचाय इस बात से खुश हए िक पांडव शांित से मामला िनपटाना चाहते ह। परं तु
तभी कण उठा और ो धत होकर बोला।

पांडव जुए म अपना सव व गवां चुके ह, यह भा य क बात है। यिद दयु धन हारता
तो वह भी वनवास जाता। अब पांडव यिद अपना सब कु छ हार चुके ह तो उ ह
अ धकार य िदया जाए और हमने भी चूिड़यां नह पहनी है हम भी यु का जवाब
देना जानते ह।

कण क बात सुनकर दयु धन बड़ा स हआ और उसने भी कण का साथ िदया। इसी


बीच भी म ने दयु धन और कण को समझाया और वह बैठे धृतरा को भी समझाया।
िकंतु पु मोह म धृतरा तो चुप ही बैठा रहा वह दयु धन ने दतू को भेज िदया और
कहा िक यु के लए वे सब तैयार है। इस बीच भी म और कण म बहस हो गई और
कण ने यह वचन िदया िक वह यु म मरते दम तक लड़ेगा लेिकन िह सा तभी लेगा
जब िपतामह भी म जीिवत नह रहगे या यु भूिम म अपना वार आजमा कर शांत हो
चुके ह गे।

इधर जब दतू ने यह सब पांडव को बताया तो यु धि र िचंितत हो उठा। उसने भी


ीकृ ण से यु ना करने क इ छा जािहर क । उसने कहा िक यु से कु छ फायदा
होने वाला नह ब क उनके ही वंश का नाश होगा और भाई-भाई लड़ कर मारा
जाएगा। तब ीकृ ण ने यु धि र को समझाया िक वह धमराज है और धम क र ा
करना ही उसका कत य है। ि य को यह शोभा नह देता। लेिकन िफर भी ीकृ ण
ने एक अंितम कदम उठाते हए वयं ह तनापुर जाकर दोन प के बीच शांित वाता
थािपत कराने क ठानी।
ह तनापुर म पहच
ं ते ही ीकृ ण का भ य वागत िकया गया। भी म, ोणाचाय,
कृपाचाय, धृतरा , िवदरु सभी बहत खुश थे। उ ह लगा िक शायद ीकृ ण ज र इस
मसले का हल िनकालगे। अगले िदन दरबार म सभी एकि त हए। ीकृ ण ने पांडव
का पैगाम सबके सामने रखा, उ ह ने शांित से मसला हल करने के लए पांडव को
उनका हक सहस मान लौटाने के लए कहा। सभी इस बात पर राजी हए और धृतरा
ने भी हामी भरी य िक वह जानते थे िक ीकृ ण कभी गलत िनणय नह लगे।

ीकृ ण ने कहा िक अगर यह बात नह मानी गई तो यु होगा और यु िकसी चीज


का हल नह ब क इससे सभी का नाश होगा और कौरव को इससे यादा हािन
होगी, उनका सवनाश हो जाएगा।

यह सुनकर वहां खड़े दयु धन क आंख लाल हो गई और वह ो धत हो उठा। वह


बोला।

आप लोग को पांडव से कु छ यादा ही लगाव है, वे जुए म सब कु छ हार चुके ह


और म उ ह कु छ नह देने वाला।

ऐसा कहकर दरबार से चला गया। दरबार म सभी िचंितत हो उठे िक आ खर या


िकया जाए। दयु धन अंदर जाकर अपने भाइय से िमला और कहा यह कृ ण हमारे
प रवार को भड़का रहा है और इसके आने से सभी पांडव का प ले रहे ह इस लए
हम इस इस कृ ण को ही कैद कर लेना चािहए।

सभी भाई दरबार म ीकृ ण को कैद करने के लए आ गए। जब यह बात ीकृ ण


को पता चली तो वे ो धत हो उठे तब उ ह ने अपना िवराट प िदखाया जससे सभी
भयभीत हो गए। ीकृ ण ने धृतरा को अंितम चेतावनी दी और कहा
तु हारे पु मोह क आग एक िदन तु हारे इस वंश का सवनाश कर देगी। अब म यहां
से जा रहा ह,ं य िक अनेक बार समझाने के बाद भी तु ह अ ल नह आई, अब
अपने िवनाश का समय िगनना शु कर दो।

ऐसा कहकर ीकृ ण वहां से चले गए।

ीकृ ण उपल य नगर दोबारा लौट आए और सभी को संपूण वृ ांत सुना िदया।
िशिवर म शांित छा गई य िक उनका यह अंितम यास भी िवफल रहा था। अब होनी
को कोई नह टाल सकता था। तब यु धि र ने कहा

अभी-अभी ीकृ ण ने जो कु छ कहा वह सब तुम लोग ने सुन लया है इसका मतलब


यह है िक अब यु के मैदान म ही भा य का िनपटारा होगा। इस लए सेना संगिठत
कर लो और यु के लए तैयार हो जाओ।

पांडव के पास सात अ ौिहणी सेना थी। यु धि र ने सोच िवचार कर इन सात


सेनाओं का अ धनायक ुपद, धृ ु न, भीमसेन, िवराट, िशखंडी, सा यिक, चेिकतान
को िनयु कर िदया और संपूण सेना का सेनापित धृ ु न को बनाया गया।

यु क तैयारी शु हो गई चार ओर यु का उ माद छा गया। घोड़ के टाप और


श क झंकार से वातावरण गूज
ं उठा। यह यु कु े के समतल मैदान म होने
वाला था। पांडव ने अपने तंबू गाड़ िदए ीकृ ण सिहत पांडव के सम त सहयोगी
नरे श यु े म तैनात थे।

इधर दयु धन ने भी ह तनापुर म यु क तैयारी करना शु कर िदया था। कौरव के


पास यारह अ ौिहणी सेना थी और इसके लए उ ह ने जो अ धनायक िनयु िकए थे
वे ोणाचाय, कृपाचाय, कण, श य, शकु िन, सुदि णा, जय थ, अ व थामा,
कृतवमा, भू र वा और वािहक थे। सेना का धान सेनापित िपतामह भी म को िनयु
िकया गया था।

यु के िनयम थे िक कोई भी प यु म छल कपट नह करे गा। पैदल सैिनक पैदल


से लड़ेगा, घुड़सवार घुड़सवार से और रथ पर सवार सैिनक सफ रथ पर सवार
सैिनक से। मरणास एवं शरणागत पर कोई ह थयार नह उठाएगा, सूया त के बाद
यु समा हो जाएगा और अगले िदन सूय दय के साथ िफर शु होगा।

दसरे
ू िदन जैसे ही नया सूय उिदत हआ दोन सेनाएं आमने सामने आ गई। पांडव क
ओर से यु आरं भ क घोषणा क गई। शंख क तेज विन चार िदशाओं म गूज

उठी। कौरव क ओर से भी म ने भी शंखनाद कर यु आरं भ करने का आदेश िदया।
यु धि र भी म िपतामह से के पास गए और उनसे आशीवाद लया। भी म, ोणाचाय,
कृपाचाय कोई भी नह चाहते थे िक यह यु हो और वे पांडव से लड़े िकंतु धम क
र ा एवं नीित के िहसाब से उ ह उनसे लड़ना ही था। अजुन के सारथी के प म
ीकृ ण थे और उ ह ने अजुन से रथ को यु के बीच बीच ले जाने को कहा। अजुन
ने रथ दोन सेनाओं के बीच म लाकर रोक िदया और चार ओर खड़ी सेनाओं को
देखा। अजुन ने जब अपने ही प रजन, वजन, गु जन, बड़े बुजुग ं को आमने-सामने
यु करते हए देखा तो उसका दय भर आया। वह नह चाहता था िक वह िपतामह
भी म, कृपाचाय, गु ोणाचाय और अपने भाइय के साथ यु कर। वह बीच म यु
छोड़ देने क बात करने लगा। तब ीकृ ण ने अजुन को धम का पाठ पढ़ाया और
कहा।
यह सब मोह माया है, ाणीमा नाशवान है और एक िदन सबको ही मरना है। बस
एक बात याद रखो िक तु हारा धम या है, धम पर चलकर आचरण करना ही इंसान
का परम कत य है। कम ही पूजा है और कम ही फल है।

इस कार ीकृ ण ने अजुन को धम र ा का पाठ पढ़ाया और यु म िवजयी होने का


आशीवाद िदया। इधर ह तनापुर म भी धृतरा को यु का आंख देखा हाल िमल
रहा था। संजय को महिष यास ने एक िद य ि दान क जससे वह यु को वह
बैठा देख सके और धृतरा को आंख देखा हाल सुना सके।
धमयु

इस कार यु शु हो गया। यु भयंकर तरीके से शु हआ और पांडव पहले ही


िदन यूह रचना से आगे बढ़े। भीम ने मतवाले हाथी क तरह द ु मन पर धावा बोल
िदया। इधर िपतामह भी म भी पांडव सेना पर टू ट पड़े। दोन ओर से भयंकर यु िछड़
गया। राजकु मार उ र पांडव के प म था उसने श य के हाथी घोड़ को कु चल िदया
जससे श य ने ो धत होकर राजकु मार उ र पर लोह शि से िनशाना साधा
जससे राजकु मार उ र बच ना सका और वीरगित को ा हआ। दसरी
ू ओर भी म
िपतामह के तेज बाण से पांडव क सेना म खलबली मच गई। पांडव सैिनक धराशाई
होते हए िदखाई दे रहे थे।

दसरे
ू िदन भी िपतामह भी म ने बाण क घनघोर वषा क । पांडव को िपतामह भी म
के वार का कोई उपाय नह सूझ रहा था। हजार सैिनक गाजर मूली क तरह कटते
जा रहे थे। तब भीम ने अपना साहस िदखाकर कौरव के छ के छु ड़ाना शु िकया।

तीसरा िदन अजुन का था। अजुन ने अपने गांडीव क ढंकार से कौरव सैिनक के शव
भूिम पर िबछा िदये। परं तु भी म ने दोबारा मोचा संभाला और पांडव पर टू ट पड़े।
लेिकन तीसरे िदन कौरव के लगभग दस हजार रथ न हो गए और सात सौ हाथी
मारे गए। यु म भीम का पु घटो कच भी िह सा ले रहा था। वह भी मौत बनकर
कौरव पर टू ट पड़ा और उसने कौरव क बड़ी फौज को ने तनाबूद कर िदया।

परं तु भी म के रहते पांडव का जीतना असंभव हो रहा था। भी म के बाण क तेज


मार के आगे पांडव का जोर नह चल पा रहा था। तब ीकृ ण ने तय कर लया िक
भी म का वध आव यक है। इस लए उ ह ने िशखंडी को अपने पास बुलाया यह वही
िशखंडी था जसने भी म को मारने का ण िकया था, जो ी के प म पु ष था।
ीकृ ण के कहे अनुसार अजुन ने अपने रथ के आगे िशखंडी को िबठा िदया और रथ
को भी म क तरफ बढ़ा िदया। भी म को ात था िक उनक मृ यु िनकट आ चुक है
य िक िशखंडी उनक नजर म एक नारी थी और नारी पर वार करना भी म के
स ांत के िव था। रथ के भी म के पास पहच
ं ते ही अजुन ने िशखंडी क ओट म
िछपकर अपने धनुष से बाण क वषा छोड़ दी और भी म का सारा शरीर तीर से िबंद
गया और वे नीचे िगर पड़े। तीर शरीर म इस तरह लगे िक वे जमीन पर नह िगरे
ब क तीर क शैया पर जा पड़े।

भी म क दशा देखकर एक बार दोन प का यु थम गया। भी म को इ छा मृ यु


का वरदान ा था इस लए उ ह ने तय िकया िक वे इसी तरह शैया पर लेटे रहगे
और यु समा होने के बाद अपने ाण यागगे। सभी ने भी म को नतम तक िकया।
इधर संजय पूरे यु का वृतांत धृतरा को सुनाया जससे धृतरा को बड़ा दख

हआ।

यु दोबारा शु हआ। इस बार कण अपने ण के अनुसार यु म िह सा लेने आया


और गु ोणाचाय को सेनापित का दािय व स पा गया। इस बार दयु धन ने चालाक
से यु धि र को जीिवत पकड़ने क योजना बनाई तािक यु को जीता जा सके। ि गत
नरे श सुशमा को अजुन से लड़ने भेज िदया गया तािक अजुन एक मोच पर य त रहे
और इधर ोणाचाय ने एक भ य यूह क रचना क तािक यु धि र को जीिवत बंदी
बनाया जा सके। यह च यूह था और इसम कोई फंस जाता तो उसका िनकलना
मु कल था। इस च यूह से िनकलने का भेद या तो सफ अजुन को मालूम था या
अजुन पु अिभम यु को। इसम वेश कैसे करना है यह तो अिभम यु को आता था पर
तोड़कर बाहर कैसे आना है यह नह ।
च यूह रिचत होने के बाद यु धि र ने अिभम यु को च यूह म भेज िदया और
कहा िक पीछे से वे सभी उसक र ा के लए आएंग।े अिभम यु च यूह म कू द पड़ा
परं तु अिभम यु के जाने के बाद कौरव ने िकसी भी पांडव को च यूह के अंदर
वेश नह होने िदया। देखते ही देखते अिभम यू पर सभी कौरव समेत जय थ टू ट
पड़ा। अिभम यु अकेला था िकंतु उसने सभी का डटकर सामना िकया और अपने वार
से सभी को नचा डाला। अिभम यु के वार कौशल से राजा बृहदबल के अलावा
दयु धन का पु ल मण व म राज का पु म भी मारा गया। हालांिक अिभम यु क
इस वीरता को देखकर गु ोणाचाय बड़े स हए िकंतु अपने सेनापित का कत य
िनभाने पर वे मजबूर थे। अंत म दयु धन, अ व थामा, कण, जय थ सभी अिभम यु
के ऊपर टू ट पड़े और जय थ के हार से अिभम यु वीरगित को ा हो गया।

इधर अजुन सुशमा का वध कर वापस लौटा तो अिभम यु क मौत का समाचार सुन


उसका ोध के मारे बुरा हाल हो गया। जय थ अिभम यु क मृ यु के प चात
घबराया हआ कौरव सेना के बीच िछपकर बैठा था। तब ीकृ ण ने सूय को बादल से
ढक लया, सभी ने सोचा सूया त हो गया है और जय थ के पास से सभी सुर ा हटा
ली गई लेिकन तभी बादल छट गए और अजुन ने जय थ का वध कर िदया और
अिभम यु क मृ यु का ितशोध लया।

अगले िदन भीम कौरव को बुरी तरह मार रहा था। उसने दयु धन के यारह भाइय
को मौत के घाट उतार िदया। वह भीम पु घटो कच कण पर टू ट पड़ा और कण को
बुरी तरह घायल कर िदया। उस समय कण ने इं का िदया हआ एक अ इ तेमाल
िकया जो सफ एक ही बार इ तेमाल हो सकता था और इसके वार से घटो कच बच
ना सका और मारा गया। ोणाचाय के नेतृ व म कौरव पांडव का बराबरी से
मुकाबला कर रहे थे। तब ीकृ ण ने गु ोणाचाय को मारने क योजना बनाई।
उ ह ने कहा िक यिद गु ोणाचाय से यह कहा जाए िक उनका पु अ व थामा मारा
गया तो वह पूरी तरह टू ट जाएंगे और उस समय हम इसका फायदा उठाकर उनका
वध कर सकते ह।

तब भीम ने अ व थामा नाम के एक हाथी को मार िगराया और गु ोणाचाय तक यह


खबर पहच
ं ा दी िक अ व थामा मारा गया। शु म तो ोणाचाय को यह िव वास नह
हआ लेिकन जब यु धि र ने भी ोणाचाय से यह कहा िक अ व थामा मारा गया तो
गु ोणाचाय टू ट गए और उ ह ने अपने ह थयार छोड़ िदए। उ ह िव वास ही नह हआ
क उनका पु इस तरह मर सकता है। तब धृ ु न ोणाचाय के रथ पर कू द पड़ा
और अपनी यान से तलवार िनकालकर इनके सर को धड़ से अलग कर िदया और
इस कार उसने अपने िपता ुपद के अपमान का बदला भी ले लया। इसके बाद भीम
ने दश
ु ासन का वध कर ौपदी के चीरहरण का बदला लया।

ोणाचाय क मृ यु के बाद दयु धन ने कण को सेनापित बनाया। कण ने भी यु मैदान


म पांडव पर कहर बरपा िदया। श य कण का सारथी था, वह कण के रथ को अजुन
के िनकट ले गया। अजुन के िनकट पहच
ं ते ही कण ने अ चलाना शु िकया और
अजुन को कड़ा मुकाबला िदया। लेिकन तभी कण का रथ क चड़ म जा फंसा और
श य ने यु धि र को िदये वचन के अनुसार कण क सहायता नह क । तब कण ने
अजुन से कहा।

मुझे अपना रख ठीक करने दो िफर वार करना।

कण अपने रथ का पिहया क चड़ से िनकालने म लग गया।


परं तु तभी ीकृ ण ने अजुन को कहा िक इसने भी िनह थे अिभम यु पर वार िकया
था, ौपदी का अपमान िकया था, अजुन तुम तीर चलाओ।

जब कण ने देखा िक अजुन उस पर तीर चला रहा है तो उसने अजुन पर ा


चलाने क सोची परं तु एक शाप के कारण वह भूल गया िक यह िकस मं ो चारण से
चलाया जाता है। अजुन ने िबना समय गवाएं गांडीव उठाया और एक तीर से कण का
सर धड़ से अलग कर िदया। इधर श य भी अपनी सेना के साथ यु धि र ारा मारा
गया और भीम ने बचे कु चे धृतरा के पु को यमलोक पहच
ं ा िदया। अब सफ
दयु धन, कृपाचाय और अ व थामा ही कौरव क तरफ से बचे हए थे। इसके बाद
दयु धन ने अ वथामा को सेनापित िनयु िकया।

अब दयु धन यह समझ चुका था िक उसका जीतना मु कल है इस लए वह एक झील


म जाकर छु प गया जहां यु धि र ने उसे पकड़ लया। उसे सभी के सामने लाया गया
जहां पर भीम ने दयु धन से गदा यु लड़ा। इस गदा यु म दोन ही बड़ी वीरता से
लड़ रहे थे। दयु धन भी भीम से कम नह था लेिकन तभी ीकृ ण ने भीम को याद
िदलाया िक उसने दयु धन क जांघ तोड़ने क ित ा क थी। भीम गु से म भूल गया
िक गदा यु म पेट से नीचे वार करना यु िनयम के खलाफ है। उसने दयु धन क
जांघ पर जोरदार गदा मारी, दयु धन लड़खड़ाकर नीचे िगर पड़ा और भीम ने उसके
सर पर एक ही वार से उसे मौत के घाट उतार िदया।

इधर अपने िपता क मृ यु से ो धत अ व थामा ने चुपचाप पांडव के िशिवर म


जाकर तबाही मचा दी। उसने न सफ ौपदी के पांच पु को सोते हए मार डाला
ब क पांडव क बची कु ची सेना को भी मार डाला। इससे पांडव बहत ो धत हए
और उ ह ने अ व थामा को गंगा िकनारे िकसी आ म म ढू ढं िनकाला। इस बार
अ व थामा और पांडव म िफर सं ाम िछड़ा और अ व थामा अपनी पराजय वीकार
कर जंगल क ओर िनकल गया और िफर कभी नह लौटा। इधर धृतरा िब कु ल
मौन थे उ ह समझ ही नह आ रहा था िक यह या हो गया।
अंत

कु ल िमलाकर इस यु का यह प रणाम िनकला िक सारा ह तनापुर मद ं से खाली हो


गया। ह तनापुर म सफ आंसुओं क धारा बह रही थी। त प चात एक माह का शोक
मनाने के लए पांडव धृतरा , िवदरु एवं सम त रािनय के साथ ह तनापुर से बाहर
चले गए और िव धवत शोक मनाया। इसके बाद यु धि र राज संहासन पर बैठा और
उसने कु ल छ ीस वष तक राज िकया। उसने सभी का पूण याल रखा।

उधर ीकृ ण के सम त यदवु श


ं ी आपस म लड़ लड़ कर न हो गए और एक िदन
एक िशकारी ने ीकृ ण के पैर को िचिड़या समझकर तीर चला िदया और इस कार
िव णु के आठव अवतार के प म उनका काल समा हआ। ीकृ ण के अंतधान से
यदवु श
ं ी एकदम टू ट गए और ारका को समु के हवाले करके खुद भी डू ब गए।

पांडव ने भी यह िनणय कर लया िक अब इस संसार को याग देना चािहए और एक


िदन वे भी िहमालय क या ा पर िनकल पड़े और वह एक-एक कर मृ यु का वरण
कर लया। महाभारत के यु म अंत म कोई भी जीिवत नह बचा। सफ अिभम यु
का पु परीि त एकमा जीिवत रह गया था जो आगे चलकर ह तनापुर का स ाट
बना और उसने पांडव के वंश को आगे बढ़ाया।

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