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सिद्धकुंजिका स्तोत्र अर्थसहित
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❀ स कु का तो ❀
लपाठ- ह द अथस हत)
(मू
❑➧ शव उवाच
शृ
णु देव व या म कु का तो मुमम् ।
ये
नम भावे
ण च डीजापः शुभो भवेत्
।।१।।
❑अथ➠ शवजी बोले , सु
नो दे
वी! म उ म कुंजका तो का उपदे
श
क ँ गा, जस म के भाव से दे
वी का जप (पाठ) सफल होता
है
।।१।।
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।।अथ म ः।।
ॐ ल चामुडायैवच्
चे
।।
ॐ ल ंल जू ं
सः
वालय वालय वल वल वल वल
ल चामुडायैव चेवल हंसंलं ं
फट्वाहा।।
।।इ त म ः।।
(म म आये
बीज का अथ जानना न स भव है
, न आव यक।
के
वल जप पया त है।)
❑➧धां ध धूंधूजटे
ः प नी वां
व वू
ं
वागधी री।
ां ू ं का लका दे व शांश शू
ं
मेशुभंकु।।५।।
❑अथ➠ 'धां ध धू ' के पम धू
ं जट ( शव) क तु
म प नी हो। 'वां
व
वू
' के प म तु
ं म वाणी क अधी री हो। ' ां ू
' के प म
का लकादेवी, 'शां
श शू ' के
ं
प म मे
रा क याण करो।।५।।
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❑➧ ंंं कार प यै जं
जंजंज भना दनी।
ां ं भै
रवी भ ेभवा यै
तेनमो नमः।।६।।
❑अथ➠ ' ंंं कार' व पणी, 'जंजंजं' ज भना दनी, 'भां ं
'
के प म हे क याणका रणी भैरवी भवानी! तु
ह बार-बार णाम
है
।।६।।
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❑➧अंकं चं
टं तं
पंयं
शंव ं व हं ं ।
धजा ंधजा ंोटय ोटय द तं कु कु वाहा।।७।।
❑अथ➠ 'अं कंचंटं
तंपं
यं शंव ं व हं ंधजा ंधजा ं
' इन
सबको तोड़ो और द त करो, करो वाहा।।७।।
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❑➧पांप पू
ंपावती पूणा खांख खू
ंखेचरी तथा।
सांस सू
ंस तशती दे ा म स कु व मे ।।८।।
❑अथ➠ 'पां प पू ' के प म तु
ं म पावती पू
णा हो। 'खांख खू ' के
ं
पम तु
म खेचरी (आकाशचा रणी) अथवा खे चरी मुा हो। 'सांस
सू
' व पणी स तशती दे
ं वी के
म को मे रेलयेस करो।।८।।
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