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❀ स कु का तो ❀

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त दन ात:काल उपयु तो का पाठ करनेसेसब कार के


व न-बाधाएँन हो जाती ह। इस कु ंजका तो का देवीसू केस हत
स तशती पाठ से
परम स ा त होती है

मारण-काम- ोधनाश, मोहन-इ देव-मोहन, वशीकरण-मन का वश◌ीकरण,
त भन-इ य को वषय के त उपर त और उ चाटन-मो ा त केलये
छटपटाहट–ये सभी इस तो का इस उ ेयसे सेवन करने
से सफल होते
ह।
आइये सु
गम ान सं गम के
इस पो ट म इस तो का ह द अथ जान।

❀ स कु का तो ❀
लपाठ- ह द अथस हत)
(मू

❑➧ शव उवाच
शृ
णु देव व या म कु का तो मुमम् ।
ये
नम भावे
ण च डीजापः शुभो भवेत्
।।१।।
❑अथ➠ शवजी बोले , सु
नो दे
वी! म उ म कुंजका तो का उपदे

क ँ गा, जस म के भाव से दे
वी का जप (पाठ) सफल होता
है
।।१।।
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❑➧न कवचं नागला तो ं


क लकं न रह यकम् ।
न सूंना प यानंच न यासो न च वाचनम् ।।२।।
❑अथ➠ कवच, अगला, क लक, रह य, सू, यान, यास यहाँ
तक क अचन भी (आव यक) नह है ।।२।।
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❑➧कु कापाठमा े ण गापाठफलं लभे त्



अ त गुतरं दे
व देवानाम प लभम्।।३।।
❑अथ➠ के वल कुंजका केपाठ सेगापाठ का फल ा त हो जाता
है
। (यह कु
ंजका) अ य त गुत और दे
व केलये भी लभ है
।।३।।
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❑➧गोपनीयंय ने न वयो न रव पाव त।
मारणंमोहनंव यंत भनो चाटना दकम् ।
पाठमा ेण संस े त् कु कास◌् तो मुमम् ।।४।।
❑अथ➠ हे पावती! इसेवयो न क भाँ त य नपू वक गु
त रखना
चा हये
। यह उ म कु ंजका तो के वल पाठ के ारा मारण, मोहन,
वशीकरण, त भन और उ चाटन आ द उ ेय को स करता
है
।।४।।

।।अथ म ः।।
ॐ ल चामुडायैवच्
चे
।।
ॐ ल ंल जू ं
सः
वालय वालय वल वल वल वल
ल चामुडायैव चेवल हंसंलं ं
फट्वाहा।।
।।इ त म ः।।
(म म आये
बीज का अथ जानना न स भव है
, न आव यक।
के
वल जप पया त है।)

❑➧नम ते प यैनम ते मधुम द न।


नमः कै
टभहा र यै नम तेम हषा द न।।१।।
❑अथ➠ हे व पणी! तु ह नम कार है । मधुदै
य को
मारने
वाली! तुह नम कार है । कैटभ वना शनी को नम कार है

म हषासु
र को मारने
वाली दे
वी! तुह नम कार है
।।१।।
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❑➧नम ते शु भह यै च नशु भासु


रघा त न।
जा तंह महादे व जपंस ं कु व मे।।२।।
❑अथ➠ शु भ का हनन करनेवाली और नशु भको मारने
वाली तु

नम कार है
। हेमहादे
व! मे
रे
जप को जा त और स करो।।२।।
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❑➧ कारी सृ पायै कारी तपा लका।
ल कारी काम प यै बीज पेनमोऽ तु ते
।।३।।
❑अथ➠ ‘ ' के प म सृ व पणी, ' ' के प म सृपालन
करने
वाली। ' ल ' के प म काम पणी (तथा अ खल ा ड)
क बीज पणी दे वी! तुह नम कार है
।।३।।
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❑➧चामुडा च डघाती च यै कारी वरदा यनी।


व चेचाभयदा न य◌ं नम तेम प ण।।४।।
❑अथ➠ चामुडा के प म च ड वना शनी और ‘यै कार' के पम
तु
म वर दे
ने
वाली हो। ' व चे
' पम तु म न य ही अभय दे
ती हो। (इस
कार ' ल चामुडायैव चे ') तु
म इस म का व प हो।।४।।
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❑➧धां ध धूंधूजटे
ः प नी वां
व वू

वागधी री।
ां ू ं का लका दे व शांश शू

मेशुभंकु।।५।।
❑अथ➠ 'धां ध धू ' के पम धू
ं जट ( शव) क तु
म प नी हो। 'वां

वू
' के प म तु
ं म वाणी क अधी री हो। ' ां ू
' के प म
का लकादेवी, 'शां
श शू ' के

प म मे
रा क याण करो।।५।।
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❑➧ ंंं कार प यै जं
जंजंज भना दनी।
ां ं भै
रवी भ ेभवा यै
तेनमो नमः।।६।।
❑अथ➠ ' ंंं कार' व पणी, 'जंजंजं' ज भना दनी, 'भां ं
'
के प म हे क याणका रणी भैरवी भवानी! तु
ह बार-बार णाम
है
।।६।।
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❑➧अंकं चं
टं तं
पंयं
शंव ं व हं ं ।
धजा ंधजा ंोटय ोटय द तं कु कु वाहा।।७।।
❑अथ➠ 'अं कंचंटं
तंपं
यं शंव ं व हं ंधजा ंधजा ं
' इन
सबको तोड़ो और द त करो, करो वाहा।।७।।
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❑➧पांप पू
ंपावती पूणा खांख खू
ंखेचरी तथा।
सांस सू
ंस तशती दे ा म स कु व मे ।।८।।
❑अथ➠ 'पां प पू ' के प म तु
ं म पावती पू
णा हो। 'खांख खू ' के

पम तु
म खेचरी (आकाशचा रणी) अथवा खे चरी मुा हो। 'सांस
सू
' व पणी स तशती दे
ं वी के
म को मे रेलयेस करो।।८।।
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❑➧इदंतुकु का तो ं म जाग तहे तवे



अभ े नैव दात ं गो पतंर पाव त।।
❑अथ➠ यह कु ंजका तो म को जगाने केलये है। इसे
भ हीन
पुष को नह देना चा हये
। हे
पावती! इसेगु त रखो।
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❑➧य तु कु कया दे व हीना स तशत पठेत्



न त य जायतेस रर ये रोदनंयथा।।
❑अथ➠ हे दे
वी! जो बना कुंजका केस तशती का पाठ करता है
,
उसे उसी कार स नह मलती जस कार वन म रोना नरथक
होता है

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❑➧।।इ त ी यामले गौरीत ेशवपार्


वतीसं
वादे
कु का तो ं
स पू
णम्।।
❑अथ➠ इस कार ी यामल केगौरीत म शव-पावती-सं वाद
म स कु ंजका तो स पू
ण आ।

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