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सोशल मीडिया ने हमारे संवाद को लोकतांत्रिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ” – नरें द्र मोदी
“सोशल मीडिया की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसने समाज के कमजोर वर्गों को स्वयं की समस्याओं को
उठाने हे तु सशक्त बनाया है ” – जॉन रॉनसन
“जो भी मीडिया को नियंत्रित करता है , वह लोगों के दिमाग को नियंत्रित करता है ” – जिम मॉरिसन
वर्ष 2008 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा पहले अफ्रीकी-अमेरिकी (अश्वेत) राष्ट्रपति
के रूप में चुने गए। हालांकि, उनके उदय के पीछे सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक) एक प्रमुख साधन रहा था, जिसने
लोगों को प्रभावित करने में एक प्रमख
ु भमि
ू का निभाई थी। इसी प्रकार का एक अन्य उदाहरण वर्ष 2014 में भारत में
एक अन्य नेता नरें द्र मोदी के उदय के संदर्भ में भी दे खा जा सकता है ।
2010 के दौरान, सम्पूर्ण मध्य-पूर्व में निरं कुश शासनों के विरुद्ध व्यापक असंतोष उभरा था, जिसे || प्राय: अरब स्प्रिंग के
नाम से जाना जाता है । हालांकि यह असंतोष नया नहीं था, जो नया था वह था सोशल मीडिया और इसकी शक्ति।
सोशल मीडिया ने उन लोगों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जो लोकतंत्र और निर्णयन प्रक्रिया में
भागीदारी की मांग कर रहे थे।
यौन उत्पीड़न और शोषण के विरुद्ध सोशल मीडिया पर ‘#मी टू अभियान’ (#MeToo campaign), एक वैश्विक आंदोलन
बन गया था और इससे विशेष रूप से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और शोषण के व्यापक प्रसार का प्रदर्शन करने में
सहायता मिली।
भारत में नेट न्यूट्रैलिटी के लिए संघर्ष किसी भी स्थल, जल या अंतरिक्ष में नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर लड़ा गया था।
सोशल मीडिया पर प्राप्त समर्थन के माध्यम से अंततः सरकार द्वारा नेट न्यट्र
ू ै लिटी के सिद्धांत की पष्टि
ु की गयी।
परिचय (Introduction)
कनेक्टिविटी और संवाद साझा करने, सीखने, वाद-विवाद करने और चर्चा करने के लिए एक आधार का निर्माण करते
हैं।
प्राचीन काल से ही ये हमारे जीवन, हमारे समाज का एक अभिन्न अंग रहे हैं। ये वार्तालाप, पत्र भेजने जैसे संचार के
प्रत्यक्ष साधनों में ही नहीं बल्कि संचार के अप्रत्यक्ष प्रतिमानों जैसे निष्पादन और गैरनिष्पादन कलाओं में भी शामिल
हैं।
इसलिए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि मनुष्यों को प्राय: सामाजिक प्राणी के रूप में जाना जाता है ।
यद्यपि संचार की विषय वस्तु और साधन स्थिर नहीं रहे हैं। कबूतर के माध्यम से पत्र भेजने के साथ संचार का आरम्भ
हुआ था। इसके पश्चात डाक के माध्यम से और उसके बाद फिर टे लीफोन के माध्यम से पत्र भेजे जाने लगे। वर्तमान में
स्मार्ट फोन तथा सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रों का आदान-प्रदान किया जाने लगा है ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सोशल मीडिया न केवल लोगों के संवाद करने के तरीकों को परिवर्तित कर रहा है बल्कि लोग
क्या संवाद करते हैं इसको भी परिवर्तित कर रहा है ।
वर्तमान में सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है । हमारे दिन का आरम्भ सोशल मीडिया
एकाउं ट को चेक करने और उन्हें अपडेट करने के साथ होता है और इसी प्रकार की गतिविधियों के साथ दिन का समापन
होता है ।
हालांकि, इन सभी के मध्य सोशल मीडिया की समस्याओं और चुनौतियों के संबंध में स्वीकृति और बहस में वद्धि
ृ भी हो
रही है ।
परिभाषा (Definition)
सामान्य शब्दों में , सोशल मीडिया को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, लिंक्डइन इत्यादि के समानार्थी के रूप में दे खा जाता
है ।
हालांकि, सोशल मीडिया इससे परे है और इसका क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है । यह एक व्यापक शब्द है । और यह उन
वेबसाइटों और अनुप्रयोगों को संदर्भित करता है जो उपयोगकर्ताओं को सज
ृ न करने, विषय-वस्तु साझा करने, परस्पर
वार्ता करने और सोशल नेटवर्किं ग में भाग लेने में सक्षम बनाता है ।
यह अंतःक्रिया विभिन्न रूपों में हो सकती है , किन्तु कुछ सामान्य प्रकारों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अपने विचारों, किसी तीसरे पक्ष के लिंक, फोटो, वीडियो और पोस्ट को साझा करना
किसी की प्रोफ़ाइल का सार्वजनिक रूप से अपडेट प्राप्त होने के साथ-साथ वर्तमान गतिविधियों और यहां तक कि
अवस्थिति संबंधी डेटा की जानकारी भी प्राप्त होती है ।
दस
ू रों द्वारा साझा की गई फ़ोटो, पोस्ट, अपडेट, वीडियो और लिंक पर कमेन्ट करना और उनकों रे टिग
ं प्रदान करना।
सोशल मीडिया को 21 वीं शताब्दी की मूक क्रांति (silent revolution) के रूप में वर्णित किया गया है । हाल ही में सोशल
मीडिया उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या तीन बिलियन से भी अधिक होचुकी है जिसमें भविष्य में कमी होने के स्थान पर
और अधिक वद्धि
ृ होने का ही अनुमान है ।
किन्तु सोशल मीडिया इतना लोकप्रिय क्यों है ? यह अनिवार्य क्यों होता जा रहा है ? समाचार से
शासन तक, वस्तओ
ु ं के क्रय-विक्रय से लेकर सामाजिक आंदोलनों के लिए समर्थन प्राप्त करने तक
लगभग सभी के लिए यह पहली पसंद क्यों बनता जा रहा है ?
इसके कुछ कारक निम्नलिखित हैं:
सोशल मीडिया की अनन्य विशेषताएँ
गति, उपयोग में सरल, अनुकूलता; कोई प्रयोक्ता शुल्क नहीं (अधिकांश सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन पंजीकरण अथवा
उपयोग के लिए कोई शुल्क नहीं लेते हैं), सभी सूचनाओं को भेजने, पोस्ट करने, शेयर करने और प्राप्त करने हे तु केवल
एक क्लिक का उपयोग आदि सोशल मीडिया की अनन्य विशेषताएँ (USP) हैं।
इस प्रकार के परिदृश्य में , सोशल मीडिया (जहाँ स्वयं की पहचान को गुप्त रखने का विकल्प विद्यमान होता है ) लोगों
के लिए एक सुरक्षा वाल्व के रूप में कार्य करता है । इसके माध्यम से लोग अपनी कंु ठा को व्यक्त कर सकते हैं एवं किसी
अन्य के द्वारा उनकी गतिविधियों की जांच करने का भय भी नहीं होता है । उदाहरण के लिए ब्लू व्हे ल चैलेंज गेम की
बढ़ती लोकप्रियता उन बच्चों के मध्य अधिक थी जो अकेले थे और जिन्हें ‘लज
ू र’ के रूप में प्रचारित किया गया था।
सोशल मीडिया के उदय ने विश्व को विभिन्न रूपों में परिवर्तित किया है । वर्तमान में , सोशल मीडिया मानव जीवन और
समाज के प्रत्येक पहलू में प्रवेश कर चुका है । इसने लोगों के जीवन को पारस्परिक रूप से पहले की तुलना में कहीं
अधिक संयोजित किया है ।
स्मार्ट फोन, टै बलेट, कंप्यूटर और अन्य मोबाइल उपकरणों की उपलब्धता ने केवल एक स्पर्श से ही सूचनाओं तक
पहुंच प्रदान करते हुए लोगों को परस्पर संयोजित किया है । इसने विश्व को सुदृढ़ और रहने के लिए एक बेहतर स्थान
बनाया है । इसके कुछ प्रमखु लाभ निम्नलिखित हैं
लोगों को परिवारों, मित्रों, रिश्तेदारों आदि के साथ संपर्क बनाए रखने में सक्षम बनाया है ।
महिलाओं, संयक्
ु त राज्य अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकी (अश्वेत) लोगों, जनजातियों इत्यादि जैसे
कमजोर वर्गों को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने में सक्षम बनाया है ।
शिक्षा, स्वास्थ्य के वितरण की पहुंच को बढ़ाने में सहायता की है ।
उदाहरण – #मी टू अभियान (#Metoo Campaign); #ब्लैक लाइव्स मैटर (#BlackLivesMatter); खानअकैडभी; स्वयं
(SWAYAM) आदि।
इसने स्वतंत्र सक्रियतावाद के उदय को प्रेरित किया है । उदाहरण के लिए डीपवॉटर होराईज़न ऑयल स्पिल के दौरान
मेक्सिको की खाड़ी के तटीय निवासियों ने अपने समुदायों द्वारा प्राप्त सूचनाओं के स्वतंत्र एवं नए वैकल्पिक स्रोत
प्रदान करने तथा उन्हें साझा करने हे तु फेसबक
ु और ट्विटर का उपयोग एक प्लेटफॉर्म के रूप में किया।
इसका उपयोग प्रभाव उत्पन्न करने वाले एक साधन के रूप में भी किया जा रहा है और विशिष्ट अभियानों के दौरान
समर्थन को प्रोत्साहित किया जा रहा है । उदाहरण के लिए ग्रीनपीस द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग आर्क टिक क्षेत्र में
किये जा रहे शेल ऑयल ऑपरे शंस को लक्षित करने हे तु किया गया; यरू ोपीय ग्रीन पार्टी (European Green Party:
EGP) के उदय के लिए सोशल मीडिया सक्रियता महत्वपूर्ण रूप से उत्तरदायी रही है ।
#विश्व पर्यावरण दिवस (#WorldEnvironmentDay) और #पथ्
ृ वी दिवस (#EarthDay) वैश्विक प्रवत्ति
ृ के निर्धारक बन
गए हैं और पर्यावरण के संबंध में जागरूकता बढ़ाने में सहायता की है । तमिलनाडु में स्टरलाइट प्लांट के विरुद्ध विरोध
प्रदर्शन सोशल मीडिया के नेतत्ृ व में ही किया गया था।
उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इंटरनेट एक्सेस को एक मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है ; हाल ही
में उच्चतम न्यायालय ने प्रत्येक भारतीय के लिए इंटरनेट एक्सेस के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में घोषित
किया है ।
पहुँच (Access)
भारत में अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों, महिलाओं, निचले वर्गों आदि तक डिजिटल पहुँच स्थापित नहीं हो पाई है ।
इसके अतिरिक्त, दे शी भाषाओं में डिजिटल साक्षरता एवं सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन की अत्यधिक कमी बनी हुई है ।
निजता (Privacy)
सोशल मीडिया के कारण लोगों की निजता के संबंध में चिंताएं उत्पन्न हो रही हैं। उदाहरण के लिए फेसबुक एवं
कैम्ब्रिज एनालिटिका के मामले, जहां मौद्रिक लाभ प्राप्ति हे तु उपयोगकर्ताओं की निजी सच
ू नाओं का आदान-प्रदान
किया जा रहा था।
शारीरिक समस्याएं:
अत्यधिक टाइपिंग के कारण कार्पल टनल सिंड्रोम जो हाथ अथवा कलाई को प्रभावित करता है ; तथा आंखों से संबंधित
समस्याएँ।
थकान – सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग से आवश्यक नींद की कमी हो जाती है ,। इससे थकान की समस्या उत्पन्न
हो जाती है । ।
व्यायाम की कमी – सोशल मीडिया ने लोगों को विशेष रूप से बच्चों को आलसी बन दिया है एवं उनकी गतिशीलता को
कम कर दिया है । इसके परिणामस्वरूप लोगों का पार्को में घूमना या व्यायाम करना बंद हो गया है ।
ध्यान भटकना – सोशल मीडिया की लत के सबसे खतरनाक संभावित परिणामों में से एक है – ड्राइविंग के दौरान ध्यान
भटकना। जैसे मोबाइल फ़ोन का उपयोग अनेक सड़क दर्घ
ु टनाओं का कारण बन रहा है ।
सोशल मीडिया द्वारा सार्वजनिक जीवन को एक वस्तु के रूप (कमोडिफिकेशन) में प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है ।
जहां जीवन के प्रत्येक पहलू को सार्वजनिक उपभोग के विषय रूप में दे खा जा रहा है । निजी एवं सार्वजनिक जीवन के
मध्य अब कोई अन्तर नहीं रह गया है । जैसे – सेल्फी के लिए उन्माद, फेसबुक पर लोकेशन अपडेट करना आदि।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मत्ृ यु की अफवाह, अमेरिका में होने वाले चुनावों के दौरान मैसेजिंग ऐप
स्नैपचैट पर प्रतिबन्ध जैसी भ्रामक ख़बरें भावनात्मक आघात, प्रतिष्ठा को क्षति, मौद्रिक हानि एवं ब्रांड इमेज क्राइसिस
का कारण बनती हैं।
सोशल मीडिया को भी प्रचार-प्रसार का एक साधन बना दिया गया है । वेबसाइटों, सोशल मीडिया अकाउं ट इत्यादि का
उदय, जिसे एक एजेंडे जैसे- किसी ब्रांड या व्यक्ति की प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाना, द्वेष या हिंसा फैलाना, चुनाव के
दौरान मतदाताओं को प्रभावित करना, एक विषय पर ही निरं तर बहस करना आदि के रूप में एक संगठन द्वारा वित्त
पोषित किया जाता है ।
निष्कर्ष (Conclusion)
सोशल मीडिया वर्तमान में एक दोधारी तलवार के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत हुआ है । जहाँ एक ओर सोशल मीडिया ने
हम जिस प्रकार से विचार करते हैं, विश्वास करते हैं एवं कार्यों का निष्पादन करते हैं, उसे परिवर्तित किया है , वहीं दस
ू री
ओर इसने हमारी निजता के उल्लंघन, ट्रोल्स की समस्या एवं फेक न्यज़
ू आदि को बढ़ावा दिया है ।
इन बढ़ती समस्याओं से सोशल मीडिया के विनियमन एवं इस पर कुछ प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता महसूस की जा
रही है । हालांकि, सोशल मीडिया को विनियमित करना न केवल अवांछनीय है बल्कि यह संभव भी नहीं है ।
स्वयं सोशल मीडिया, सोशल मीडिया से संबंधित मुद्दों एवं चुनौतियों के बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूक करने का
साधन बन रहा है ।
बच्चों को माता-पिता, शिक्षकों एवं समाज द्वारा प्रारं भ से ही सोशल मीडिया की समस्याओं से अवगत कराना एवं
जागरूक बनाना।