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Advanced Network-H4

Repeater :
Repeater, Physical ले यर Device है , इसका काम उसी नेटवकक में ससग्नल्स को री-जेनेरेट करना होता है इससे
पहले की ससग्नल बहुत कमजोर या करक प्ट हो जाये,( ने टवकक में ससग्नल्स कमजोर EMI और RFI) इफेक्ट् स के कारण
होता है ) ररपीटर के बारे में एक महत्वपूणक बात यह है की यह ससग्नल्स को amplify नहीीं करता बल्कि जब ससग्नल्स
ने टवकक में कमजोर हो जाते है तो यह उन ससग्नल्स को Bit-By-Bit कॉपी करता है और उन्हें उनकी ओररसजनल स्ट्रेंथ
में Re-generate करता है , में सामन्तयः २ पोटक पाए जाते है

Hub :
Hub को हम मल्टी-पोटक Reapter भी कहते है | Hub का इस्ते माल मल्टीपल नोड् स को आपस में कने क्ट करने के
सलए सकया जाता है , यह डाटा टर ाीं सफर करने के सलए ब्रॉडकास्ट्(One sender and all Receiver) का इस्तेमाल
करता है , ब्रॉडकास्ट् के कारण यूजर का डाटा कने क्टेड सभी नोड् स को प्राप्त होता है . यह OSI मॉडल के अनु सार
ले यर १ सडवाइस है . डाटा कम्यु सनकेशन के सलए यह हाफ डु प्लेक्स का इस्ते माल करता है . यह ससींगल Collision
डोमे न व ससींगल ब्रॉडकास्ट् डोमे न बनाता करता है . यह सकसी भी तरह के एडरेस को अपने मे मोरी में स्ट्ोर नहीीं
करता.समान्तयः यह स्ट्ार टोपोलॉजी को बनाने की सलए इस्तेमाल होता है |

Hub दो प्रकार के होते है -

Active Hub : कींप्यूसटीं ग नोड् स के सलए पैससव हब केवल सफसजकल कनेक्शन पॉइीं ट की तरह कायक करता है यह
सकसी भी प्रकार का एल्कक्टव रोल ससग्नल्स को मे न्टेन/प्रोसेस/या री-जे नरे ट करने में नहीीं सनभाता है |

Passive Hub : यह पैससव हब के जै से ही नोड् स को आपस में कने क्ट करने के साथ साथ ससग्नल्स को
मॉसनटर/एम्पलीफ़ाय और री-जे नरे ट कर सकता है |

Matrial is copyright by AEGIS I-NET for the training purpose: do not tempred it. Subject to Jurisdictional jurisdictional matter.

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Bridge :

Bridge डाटा ल िंक े यर में कायय करता है , एक लिज ररपीटर की तरह ही कायय करता है ेलकन इसमें कुछ
नई फ़िंक्शनै ल टी होती है , यह सोसय और डे स्टिने शन MAC एडर े स को रीड करके डाटा लफ़ल्टररिं ग कर सकता
है | इसका इस्तेमा दो LAN segment जो की एक ही प्रोटोकॉ में कायय कर रहे हो को आपस में जोड़ने
के ल ए भी होता है इसमें एक इनपु ट व एक आउटपु ट पोटय होता है इसल ए इसे २ पोटय लडवाइस कहते है |

जब भी कोई फ्रेम लिज को ररसीव होता है तो यह उसे इिं स्पेक्ट करता है और यह लनर्ायररत करता है की उस
फ्रेम को आगे फॉरवडय करे या लडस्काडय करे , यह लनर्ायरण उसके डे स्टिने शन मैक एडर े स से लकया जाता है .

यह ३ चरणोिं में कायय करता है

१- यलद फ्रेम का डे स्टिने शन MAC एडर े स उसी सेगमेंट में है लजसमे सोसय एडर े स है तो लिज उस फ्रेम को
लडस्काडय कर दे गा.

२- अब यलद ररसीव्ड फ्रेम का डे स्टिने शन MAC एडर े स लकसी दू सरे सेगमेंट से है तो लिज उस फ्रेम को आगे
फॉरवडय कर दे ता है .

३- यलद लकसी फ्रेम में डे स्टिने शन मैक एडर े स ऐसा है जो लकसी सेगमेंट में नही िं है तो लिज उस फ्रेम को
िॉडकाि की मदद से ने टवकय में Flood कर दे ता है |

दो प्रकार के होते है :

1- Transparent Bridge : इस प्रकार के लिज से नोड् स पू री तरह अनलभज्ञ होते है की दोनोिं सेगमेंट
की बीच कोई अन्य लडवाइस कने क्ट है भी या नही िं
2- Source Routing Bridge : इस प्रकार के लिज में रूलटिं ग ऑपरे शन परफॉमय होता है ,लजसमे सोसय
िे शन और फ्रेम लकस रूट को follow करना है decide होता है

Switch :

ने टवलकिंग स्टिच को Intelligent HUB कहा जाता है और यह OSI मॉड की डाटा ल िंक े यर में कायय
करता है . यह डाटा टर ािंसफर करने के ल ए Unicast/Multicast/Broadcast मेथड का इस्तेमा करता है ,
व डाटा कम्युलनकेशन के ल ए Full Duplex का इस्तेमा करता है . इसमें मल्टीप्ल Collosion डोमेन बनते
है जबलक एक ही िॉडकाि डोमेन बनता है . यह एडर े स टे ब बनाता है लजसमे यह नोड् स के MAC एडर े स को
िोर करता है , यह १०/१००/१००० MBPS की स्पीड से डाटा टर ािंसफर कर सकता है .

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Switching Method :

Store and Forward Switching :


Store and Forward Switching में , Switch प्रत्येक Ethernet Frame को ल्किच मे मोरी में कॉपी करता है और त्रु सटयोीं
के सलए Cyclic Redundancy Check(CRC) की गणना करता है । यसद CRC में त्रुसट पाई जाती है , तो ईथरने ट फ्रेम को
Discard कर सदया जाता है और यसद कोई चक्रीय असतरे क जााँ च (CRC) त्रु सट नहीीं है , तो ल्किचन ईथरने ट फ्रेम को गींतव्य
सडवाइस पर भे ज दे ता है । Store and Forward Switching, frame switching में दे री का कारण बन सकता है
क्ोींसक प्रत्येक ईथरने ट फ्रेम के सलए Cyclic Redundancy Check( सीआरसी) की गणना की जाती है ।

Cut-Through Switching :
फ्रेम को Switching/Forward करने से पहले ल्किच सडल्कस्ट्नेशन नोड के MAC एडरेस( First 6 bytes of frame) को
मे मोरी में कॉपी करता है ,और केवल डे ल्कस्ट्नेशन मै क एडरेस को दे खकर फ्रेम को destination port पर forward
कर दे ता है , इससे Frame-Switching/Forwarding टाइम काफी कम हो जाता है ले सकन चूाँसक इस method में
कम्पलीट फ्रेम चेक नहीीं सकया जाता तो Bad फ्रेम भी फॉरवडक हो जाते है |

Router :

Router एक Inter-NETWORKING सडवाइस है , यह दो सडफरें ट ने टवक्सक को आपस में कनेक्ट/Communicate


करने के सलए इस्ते माल होता है| Hub या Switch केवल एक ही ने टवकक में communication करा सकते है . ले सकन
जब कोई सडवाइस सकसी एक ने टवकक से सकसी दू सरे ने टवकक की सडवाइस में पैकेट टर ाीं सफर करना चाहे तो वह ल्किच
या हब नहीीं कर सकते,इसके सलए राऊटर का उपयोग होता है राऊटर ही एक मात्र सडवाइस है जो एक ने टवकक से
सकसी दू सरे ने टवकक में पैकेट ले जाने के सलए जरुरी Route/Path को establish कर सकता है .

राऊटर ब्रॉडकास्ट् को भी By-Default Break करता है . यह OSI मॉडल के ने टवकक ले यर पर कायक करता है . इसका
एक सहस्सा LAN से तो दू सरा सहस्सा WAN से कने क्ट होता है | ने टवकक को identify करने के सलए ने टवकक एडरेस को
अपनी मे मोरी में रूट टे बल के नाम से स्ट्ोर करता है , और इसी टे बल के अनु सार पैकेट् स को Route प्रदान करता
है |

Firewall :
Firewall एक ने टवकक सुरक्षा प्रणाली है जो पूवकसनर्ाक ररत सुरक्षा सनयमोीं के आर्ार पर Incoming और Outgoing
ने टवकक टर ै सफ़क की सनगरानी और सनयींत्रण करता है । यह दो प्रकार के होते है , Software और Hardware.

Accept : allow the traffic


Reject : block the traffic but reply with an “unreachable error”
Drop : block the traffic with no reply

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NIC :

सकसी ने टवकक से कने क्ट होने या इीं टरफ़ेस प्रदान करने के सलए हमारे कींप्यूटर में NIC इनस्ट्ॉल सकया जाता है | यह
सफसजकल,इले ल्कक्टरकल, और इले क्टरॉसनक कने क्शन प्रदान करता है ने टवकक मीसडया के सलए, इसे LAN
ADAPTER भी कहा जाता है

NIC या तो EXPENSION CARD हो सकता है या तो कींप्यूटर MOTHERBOARD में IN-BUILT हो सकता है | आज


कल सामान्यतः यह IN-BUILT ही आते है सजन्हे हम ETHERNET के नाम से भी जानते | इसमें १ या सफर २ LED
सलीं क होती ही जो TROUBLESHOOTING के सलए इस्ते माल की जाती है |

WIRELESS ACCESS POINT :

यह एक हाडय वेयर लडवाइस जो लक Mobile/Remote users को wired ने टवकय से wirelessly रे लडयो


फ्रीक्वेंसी के माध्यम से कने क्ट करने के ल ए लजस उपकरण का इस्तेमा करते है उसे WIRELESS ACCESS
POINT कहते है | ये एक HUB या SWITCH लक तरह भी कायय करता है

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GATEWAY :
Gateway एक हाडक वेयर सडवाइस है जो दो ने टवकक के बीच "GATE"() के रूप में कायक करता है । यह एक
राउटर/Router, फ़ायरवॉल/Firewall, सवकर/Server या अन्य उपकरण हो सकता है जो टर ै सफ़क को ने टवकक में और
बाहर जाने में सक्षम बनाता है । Gateway को ने टवकक "EDGE" पर माना जाता है क्ोोंकक नेटवकक से आने या बाहर
जाने से पहले सभी डे टा को इसके माध्यम से प्रवाह करना चाकहए। यह बाहरी ने टवकक से प्राप्त डे टा को एक प्रारूप या
प्रोटोकॉल में भी बदल सकता है जो आों तररक ने टवकक के भीतर उपकरणोों द्वारा मान्यता प्राप्त है ।यह OSI मॉडल की
सारी(all 7 layers) ले यर में कायक करता है

Load Balancer :
किंप्यूलटिं ग टे क्नो ॉजी में ोड बै ेंलसिंग मल्टीप्ल किंप्यूलटिं ग ररसोसेज के बीच में वकय ोड़स को लडिर ीब्यूट
करना होता है जैसे की वकय ोड शेयररिं ग कम्प्प्यूटसय के बीच में ,ने टवकय ल िंक्स के बीच में ,CPU और लडस्क
डर ाइव के बीच में | Load Balancing का उद्दे श्य सिंसार्न उपयोग को optimize करना, throughput को
अलर्कतम करना, प्रलतलिया समय को कम करना और लकसी एक सिंसार्न के overload से बचना है ।

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