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Scene 42 Onwards
Scene 42 Onwards
Scene-43/Int/Ramcharan's House/Night
रामचरन घर के अीं दर आता है टसटतया टिस्तर पर लेिी है , रामचरन को
अीं दर आता हुआ दे खती है वो मु स्कुरा रहा है , टसटतया पू छती है , क्या
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हुआ? रामचरन कहता है , कुछ नही ीं । टसटतया धीरे -धीरे उठकर टिस्तर पर
िैठ जाती है पू छती है , भोला कहाीं गया है ? रामचरन कहता है , अपने
ससु राल.. आज खाने में क्या है ? िहुत अच्छी खु शिू आ रही है । टसटतया
कहती है , हमारी होने वाली िह खोझरी/फेनसा लाई है । रामचरन कहता
है , तुम जानती थी ? सीटतया िताती है , नही ीं आज ही जाना है । रामचरन
एक किोरी में खोझरी टनकाल कर टसटतया को खखलाता है , टसटतया कहती
है , मन नही ीं है । रामचरन कहता है , हमारी िह लाई है सीं जोग है खा
लो... टसटतया मु स्कुराती है और खा ले ती है । रामचरन भी खाता है ,
टसटतया कहती है , तुम्हें सम्मान टमल जाएगा तो सि ठीक हो जाएगा वै से
तुम्हें क्या लगता है तुम्हें सम्मान में टकतना पै सा टमले गा ? रामचरन कहता
है , भगवान जाने पोस्टमै न भाई कह रहा था ना तुमने भी तो सु ना है 2-5
लाख से कम क्या टमलेगा । टसटतया कहती है , अच्छा है टफर तु म दो काम
जरूर करना पहला भोला को एक दु कान खु लवा दे ना और दू सरा िह आने
वाली है घर में .. तो एक कमरा और िनवाना है .. रामचरन कहता है , हाीं
ठीक कहती हो भोला मे री तरह दर-दर की ठोकर ना खाए इसका ख्याल
हमें ही रखना होगा मैं ने अभी तक उसके टलए कुछ नही ीं टकया अि करना
है और अि जल्दी ही उसकी शादी करनी चाटहए िडा हो गया है , लेटकन
कुछ काम मे रे भी रह गए हैं । टसटतया कहती है , तुम्हारी कौन सी मु राद
अधू री रह गई... रामचरण कहता है , तु म्हारे टलए चाीं दी की पायल...
टसटतया की आीं ख में आीं सू आ जाते हैं । रामचरन कहता है , जि सि अच्छा
हो गया है तो कहे रो रही है ... टसटतया कहती है , ये खु शी के आसू हैं ..
और सु नो अि तुम िूढे हो रहे हो अि ये नाच गाना िीं द कर दो, दोनो
भटवष्य के ख्यालोीं में खो जाते हैं ।
Scene-44/Ext-Int/Ramcharan's House/Morning
Montages- रामचरन का तै यार होना, भोला का खाना िनाना, टसटतया भी
रामचरन की तै यारी में लगी है ...
Scene-45/Ext-Int/Ramcharan's House/Day
हम दे खते हैं रामचरन एक दम नहा धो के तैयार है शहर जाने के टलए,
टसटतया की तिीयत ठीक नही ीं है टफर भी वो रामचरन के कुछ कपडे एक
झोले में डाल रही है भोला खाने की पोिली ले कर आता है , पोस्टमै न कहता
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है , वो टचट्ठी जरूर रख ले ना टजसमें तुम्हे शहर आने का टनमीं त्रण टमला था ।
टसटतया टचट्ठी भी सम्हाल कर झोले में रखती है ।पोस्टमै न रामचरन को एक
कागज पर अपने पोस्ट ऑटफस का िे लीफोन नीं िर टलख कर दे ता है कहता
है जि तुम्हे सम्मान टमल जाए ति फोन करना हम सि लोग उत्सव मनाएीं गे ।
टसटतया कहती है , अपना खयाल रखना, खाना समय पर खा ले ना ।
रामचरन तैयारी कर के िाहर टनकलता है , तभी डब्लू और गाीं व के कुछ
लोग िैंड िाजा ले कर रामचरन के घर पहुीं च जाते हैं , रामचरन को फूलोीं
की माला पहनाई हैं और िैंड िाजे के साथ ले कर जाते हैं ।
Scene-46/Ext-Int/Village/Day
रामचरन को गाीं व वाले जु लूस के साथ गाीं व की गटलयोीं से ले कर गु जरते हैं
। िीच में कोई कहता है , भाई जल्दी चलो नही ीं तो िस टनकल जाएगी...
डब्लू कहता है , आज कहोगे तो रामचरन को कींधे पर टिठा कर शहर तक
पहुीं चा आयें गे, और वै से िस की टहम्मत नही ीं है की रामचरन को टिना टलए
चली जाएगी, खु द मु खखया जी िस स्टैं ड पर खडे हैं । जुलूस िढता है गाीं व
के िच्चे जवान िू ढे सि जुलूस में शाटमल होते हैं । कुछ लोग नाच भी रहे
हैं ।
Scene-47/Ext/Village-Bus Stop/Day
रामचरन जु लूस के साथ िस स्टाप पर पहुीं चता है , िैंड िाजा और भीड में
गाीं व वालोीं को दे ख कर लग रहा है जैसे रामचरन कोई िडा ने ता हो,
मु खखया पु टलस वाले और कुछ लोग पहले से िस स्टाप पर खडे हैं ।
रामचरन के साथ भोला और पोस्टमै न भी हैं । रामचरन आते ही मु खखया के
पै र छूता है .. मु खखया, रामचरन से पै र छु वा कर िडा गवत महसू स करता है
और टदखाता है जैसे वो रामचरन को रोक रहा हो टफर रामचरन का कींधा
पकड कर उठता है कहता है , रामचरन आज तु म समझ नही ीं सकते की
तुम हमारा गवत िन कर शहर जा रहे हो सम्मान लेने ये हमारे गाीं व के टलए
िहुत िडी उपलखि है । अपने एक आदमी को इशारा करता है वो एक
कोि ले कर आता है , मु खखया रामचरन को कोि पहनाता है और कहता है ,
वहाीं सि िडे -िडे लोग रहें गे तुम्हें भी अच्छा लगना चाटहए । रामचरन कोि
पहन कर असहज हो रहा है पर िहुत ही गवत महसू स कर रहा है , सि
लोग ताली िजाते हैं । तभी कोई रामचरन के पै र दे खता है और कहता है ,
मु खखया जी आपने कोि तो पहना टदया पर रामचरन की पनही पु रानी है ।
मु खखया अपनी पनही दे ख कर सीं कोच करता है जैसे कोई कह ना दे की
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अपनी ही दे दो, मु खखया अपने एक आदमी की तरफ दे खता है कहता है ,
तुम उतार कर दो तु म तो अभी चार टदन पहले ही खरीदे हो । वो आदमी
िेचारा सीं कोच में उतार कर दे दे ता है कहता है , आज पहली िार ही पहने
हैं । सि कहते हैं , तुम तो सहर नही ीं जा सकते सम्मान लेने इसी िहाने
तुम्हारे जू ते चले जायें गे । तभी िस आ जाती है िस को रूकवाया जाता है
रामचरन के टलए िस में सीि खाली करवाई जाती है , लोग रामचरन से टवदा
ले रहे हैं , पु टलस वाले कहते हैं भाई अि जाने दो... डब्लू कहता है ,
काहे िस कही ीं जा रही है ... पु टलस वाला कहता है , िस तो कही ीं नही ीं जा
रही मगर िर े न चली जाएगी तो सि यही ीं रह जाएीं गे । लोगोीं में ये सु न कर
हड-िडी हो जाती है लोग जल्दी में रामचरन को िस में टिठाते हैं , पु टलस
वालोीं को रामचरन को अच्छे से ले जाने और िाइम से िर े न में टिठाने और
ध्यान रखने के टलए कहते हैं । पु टलस वाले कहते हैं , तुम लोग टचींता मत
करो... सि उन्हें टवदा करते हैं िस गाीं व से टनकलती है । रामचरन भोला
को अपनी माीं का ध्यान रखने के टलए कहता है ।
Scene-48/Ext-Int/Road-Bus/Day
कई मोींिेगेस (Montages) में हम दे खते हैं रामचरन गाीं व से शहर की यात्रा
कर रहा है । यात्रा के दरटमयान कुछ छोिे िस स्टाप भी टमलते हैं जहाीं
कुछ सुीं दर दृश्य िनते हैं खे त, नटदयाीं दे खते हुए रामचरन िस के अीं दर
भरती जा रही भीड और टहचकोले खाती िस को टिलकुल ध्यान नही ीं दे रहा
है वो अपने सपनो में ही खोया है । खखडकी के टकनारे िैठे रामचरण के
िाल हवा में उड रहे हैं , रामचरन मानो हवा से िातें कर रहा हो ।
Scene-49/Ext-Int/Bus Stop-City/Day
रामचरन की िस शहर के िस स्टैं ड पर पहुीं चती है । रामचरन और पु टलस
वाले िस से उतर कर एक ऑिो में िै ठते हैं और रे लवे स्टे शन चल दे ते हैं ।
रास्ते में पु टलस वाले रामचरन को समझाते हैं , सि से िात मत करना अपने
सामान की दे ख भाल करते रहना । रामचरन कहता है , साहि जू ते काि
रहे हैं .. पु टलस वाले कहते हैं , अभी नए हैं ... थोडी दे र में ठीक हो
जाएगा, जू ते पहनना जरूरी है जो दे खे उसे लगना चाटहए तुम सम्मान लेने
जा रहे हो । आिो वाला पू छता है , काहे का सम्मान ? पु टलस वाले िताते
हैं , ये हमारे गाीं व का कलाकार है इसे मु ख्यमीं त्री ने राजधानी िु लाया है
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सम्माटनत करने के टलए इसकी फोिो टवदे श की पटत्रका में छपी है । ऑिो
वाला िडे सम्मान से रामचरन को दे खता है । ये लोग रे लवे स्टे शन पहुीं चते
हैं । ऑिोवाले को पै सा दे ने लगते हैं ऑिो वाला पै सा ले ने से मना कर दे ता
है । रामचरन को िहुत गवत महसू स होता है ।
Scene-50/Ext-Int/Railway Station/Day
पु टलस वाले और रामचरन स्टे शन में लोगोीं से पू छते हुए स्टे शन मास्टर के
ऑटफस में पहुीं चते हैं पु टलस वाले स्टे शन मास्टर को रामचरन का पररचय
िताते हैं , रामचरन स्टे शन मास्टर को सरकार द्वारा आया पत्र टदखाता है
स्टे शन मास्टर रामचरन से िडे सम्मान और आदर के साथ नमस्कार करता है
और रामचरन को िर े न का टिकि भी दे ता है । िताता है , आप थोडा जल्दी
आ गए हैं िर े न रात को 9:00 िजे की है । पु टलस वाले कहते हैं , ति तक
क्या करें गे ? स्टे शन मास्टर कहता है , आप इीं तजार कर लीटजए वे टिीं ग रूम
में जा सकते हैं या िाहर िै ठ सकते हैं मु झे थोडा काम है मैं काम कर लूीं
। पु टलस वाले रामचरन को लेकर िाहर प्ले िफामत पर आ जाते हैं । पु टलस
वाले कहते हैं रामचरन से , तु म वे टिीं ग रूम में जाओगे । रामचरन कहता है ,
यह क्या होता है ? पु टलस वाले िताते हैं , जि लोगोीं की िर े न ले ि हो जाती है
या कोई समय से पहले आ जाता है तो उस कमरे में िैठ कर इीं तजार करते
हैं .. रामचरन को कुछ पता ही नही ीं था तो वह कुछ नही ीं िोलता है ।
दू सरा पु टलसवाला कहता है , वे टिीं ग रूम में मत भे जो नही ीं तो िर े न आ कर
चली जाएगी इसे पता भी नही ीं चलेगा यही प्ले िफामत पर िै ठेंगे तो आते-जाते
िर े न दे खने को टमलेगी । रामचरन कहता है , यह ठीक है इसी िहाने िर े न भी
दे ख लूीं गा कैसे चढते-उतरते हैं । पु टलस वाले और रामचरन प्ले िफामत पर ही
एक िेंच पर िै ठ जाते हैं कुछ दे र में एक पु टलस वाला कहता है , साहि ने
एक काम कहा है मैं जरा एसपी ऑटफस होकर आता हीं । दू सरा पु टलसवाला
कहता है , अि िर े न तो रात में 9:00 िजे आएगी ति तक मैं िै ठकर यहाीं
क्या करू ीं गा मैं भी थोडा घूम आता हीं , यही ीं पास ही मे री िे िी और दामाद
रहते हैं िहुत टदनोीं से भें ि नही ीं हुई अि यहाीं तक आया हीं तो सोच रहा हीं
टमल लूीं यहाीं िैठना िस तो है , रामचरन की िर े न तो रात को 9:00 िजे है
उसके पहले हम लोग आ जाएीं गे रामचरन तुम यही ीं िैठना कही ीं जाना
नही ीं... अपना िर े न का टिकि और सरकार की टचट्ठी सीं भाल के रखना और
खाना खा ले ना कोई टदक्कत हो तो स्टे शन मास्टर को िता दे ना उसका
कमरा तो तुम दे खे हो । यह कहकर दोनोीं चले जाते हैं । रामचरन सिसे
पहले अपने जू ते उतारता है , हम दे खते हैं जूतोीं के कारण उसके पै र का
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अीं गूठा कि गया है और खू न िह रहा है , रामचरन अपनी पोिली में से एक
गमछा टनकालता है उसको फाड के पै र पर पट्टी िाीं धता है , थोडी दे र िै ठे
रहने के िाद रामचरन प्ले िफामत पर िहलने लगता तभी एक िर े न का
अनाउीं समें ि होता है , अभी तक शाीं त टदखने वाला प्ले िफामत अचानक भागने
लगता है , चाय, कॉफी, कोख्रींक, अखिार, नाश्ते के वें डर आवाज लगाने
लगते हैं , कुछ यात्री जल्दिाजी में पहुीं चते है डब्बे के टहसाि से आगे-पीछे
भागते हैं । रामचरन भागा-भागा स्टे शन मास्टर के पास पहुीं चता है स्टे शन
मास्टर कुछ काम में व्यस्त है , रामचरन स्टे शन मास्टर से पू छता है , यह जो
िर े न आ रही है क्या मु झे इसी से जाना है ? स्टे शन मास्टर उसे िताता है
नही ीं तुम्हारी िर े न रात को आएगी रामचरन वापस आ जाता है और टफर उसी
िेंच पर िैठकर इीं तजार करने लगता है । िर े न आ कर चली जाती है ।
स्टे शन टफर शाीं त हो जाता है । कुछ दे र िाद रामचरण दे खता है लोग यहाीं -
वहाीं िै ठकर खाना खा रहे हैं रामचरन भी अपनी पोिली टनकाल कर खाना
खाता है । िार-िार िर े न का आना रामचरण का सहम जाना स्टे शन मास्टर
के पास जाना पू छना स्टे शन मास्टर का मना करना चल रहा है राम चरण
िीच-िीच में प्ले िफामत पर घू मता है वहाीं सजी-धजी दु काने, कैंिीन दे खता है
कुछ िच्चे भी दे खता है छोिे -छोिे जो अपने पररवार के साथ यात्रा पर हैं ।
दे खते-दे खते शाम हो जाती हैं पु टलस वाले अि तक लौिकर नही ीं आए हैं ।
एक िर े न आकर रूकती है रामचरन जाकर स्टे शन मास्टर से डरते-डरते
पू छता है स्टे शन मास्टर उसे िताता है , हाीं यही आपकी िर े न है जल्दी जाइये
छूिने वाली है .. रामचरन दे खता है एक टडब्बे की तरफ भीड जा रही है
रामचरन भी जल्दी से उसी भीड के में शाटमल हो जाता है और िर े न के एक
टडब्बे में घुस जाता है ।
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कहता है , यह तुम्हारा टिकि है ? रामचरन कहता है , जी... TC कहता
है लेटकन यह तो AC का टिकि है ? रामचरन कहता है यह मु झे नही ीं पता
सरकार द्वारा आया पत्र TC को टदखाता है , िताता है टक मैं कलाकार हीं
मु झे राजधानी में िुलाया है सम्मान दे ने के टलए । TC उसे समझाता है की
10 टडब्बे आगे तुम्हारा टडब्बा लगा है जो AC है तुम वहाीं चले जाओ यहाीं
भीड में क्योीं मर रहे हो , रामचरन कहता है कैसे जाऊीं ? TC िताता है
दो स्टे शन िाद एक िडा स्टे शन आएगा जहाीं िर े न 10 टमनि खडी रहे गी ति
उतर के चले जाना कह कर TC आगे िढ जाता है ।
Scene-53/Int/Train-AC Coach/Night
रामचरन हाीं फता हुआ कोच में घुसता है कोच का अिें डेंि उसे धु तकारता है
कहाीं चढे चले आ रहे हो जनरल डब्बा पीछे है , रामचरन हाीं फते-हाीं फते
अपना टिकि उसे टदखाता है , कोच अिें डेंि रामचरन को गौर से दे खता है ,
रामचरन उसे सरकार की टचट्ठी टदखाता है , अिें डेंि उसे िताता है अीं दर चले
जाओ 14 नीं िर सीि तुम्हारी है ।
Scene-54/Int/Train-AC Coach/Night
रामचरन िोगी में अीं दर घुसता है अीं दर का िें परे चर ठीं डा है , रामचरन एक
दम चौक जाता है कुछ कींपाित मेंि में पदे लगे हैं कुछ में लोग खाना खा रहे
हैं । लोग रामचरन को दे ख कर ररएक्शन दे ते हैं , रामचरन एक आदमी को
अपना टिकि टदखाता है , वो िताता है आगे है । रामचरन अपनी सीि पर
पहुीं चता है दे खता है उसकी सीि पर कोई मोिा आदमी सो रहा है ।
रामचरन उसे जगाने का प्रयास करता है पहले धीरे से टफर ते ज से , वो
आदमी अचानक उठता है रामचरन को ऊपर से नीचे दे खता है रामचरन उसे
िताता है ये उसकी सीि है वो आदमी रामचरन को एक थप्पड मारता है
कहता है साले 500 में सीि खरीदे हैं भोसडी के सम्मान िता रहा है आधी
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रात को, भाग... रामचरन वहाीं से भागता है और सीधे िोगी के िाहर
िाथरूम के पास जा कर रुकता है ।
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Scene-62/Ext/Ravindra Bhawan/Day
रटवीं द्र भवन के िाहर हम दे खते हैं रामचरन का वही ीं किाउि लगा है जो
तस्वीर मै गज़ीन में छपी थी । रटवीं द्र भवन को िहुत ही आकर्तक और
कलात्मक ढीं ग से सजाया गया है , अीं दर से मु ख्य द्वार तक लाल कारपे ि
टिछा है , आगीं तुकोीं का स्वागत करने के टलए स्त्री और पु रुर् िहुत ही
आकर्तक कपडे पहने दरवाजे पर खडे हैं । पु टलस का जिरदस्त प्रिींध है ,
पाटकिंग में पत्रकारोीं की, चै नलोीं की गाटडयाीं खडी है कुछ मीं टत्रयोीं और
राजनेताओीं की गाटडयाीं आ रही हैं और सीधे अीं दर जाती हैं पु टलस वाले जो
गेि पर खडे हैं सलामी दे ते हैं , कुछ गाटडयोीं को िाहर पाकत करने का
इशारा करते हैं । तभी िेहाल सा रामचरन रटवीं द्र भवन पहुीं चता है , अपने
इतने िडे किाउि को दे ख कर है रान और िहुत गवत महसू स होता है ।
रामचरन को लगता है मानो उसके जीवन भर का दु ख दू र हो गया,
रामचरन अपने किाउि के सामने खडा हो कर यूीं महसू स कर रहा है जैसे
उसका कद इतना िढ गया हो, मन ही मन कहता है रामचरन तू तो िहुत
िडा हो गया रे .. । रामचरन खु द को सम्हालता है और अीं दर जाने लगता
है , पर पु टलस वाले उसे रोक लेते है , रामचरन उन्हें िताता है की मैं ही
रामचरन हीं सरकार ने मु झे सम्मान दे ने के टलए िु लाया है , पु टलस वाले
उसका हुटलया दे खते हैं , कहते हैं भाई यहाीं से चले जाओ सि अटधकारी,
मीं त्री लोग आ रहे हैं गे ि पर नािक दे खेंगे तो नौकरी पर िन आएगी चले
जाओ । रामचरन अपनी िात पर अड जाता है कहता है मैं ही रामचरन हीं
मु झे अीं दर जाना है । तभी टकसी अटधकारी की गाडी आती है दरवाजे पर हो
रही िहस सु नता है , पु टलस वालोीं को कहता है उठा कर दू र फेंको इसको,
दो पु टलस वाले रामचरण को डीं डे से पीि कर खदे ड दे ते हैं , रामचरन गेि
से दू र भागता है ।
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