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"ेम का धम(

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"ेम का धम(
!ह#द-ू मिु *लम -ववाह

!दल$प अमीन, पी.एच.डी.

Copyright © 2022 by Dilip Amin

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Library and Archives Canada Cataloguing in Publication
Amin, Dilip, author
Interfaith marriage: share and respect with equality
/ Dilip Amin, Ph.D.
Includes bibliographical references and index.
Issued in print and electronic formats.
ISBN 978-1-988207-20-9 (softcover).--ISBN 978-1-988207-19-3 (Kindle)
1. Interfaith marriage. 2. Interfaith marriage--Anecdotes.
I. Title.
HQ1031.A48 2017 306.84'3 C2017-901813-2
C2017-901814-0
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ISBN 978-1-988207-20-9

Cover design by XXX


!म-सच
ू ी
भूिमका.............................................................................................. ix
अध्याय १: प्रस्तावना ............................................................................ 1
अध्याय २: िहन्दू -मुिस्लम िववाह ............................................................. 6
खंड २.१: िहन्दू -मुिस्लम िववाह संभव? .................................................. 8
खंड २.२: िनकाह: इस्लामी िववाह अनुबंध (िनकाहनामा)................. 12

खंड २.३: मुिस्लम दृिष्टकोण: िहन्दू -मुिस्लम प्रेम से संबंिधत छह िबं दु


................................................................................................... 14
खंड २.४: एक िहन्दू से प्रेम-सम्बंिधत दस िबं दु ..................................... 17
खंड २.५: िहन्दू -मुिस्लम सम्बन्ध का सार ............................................ 20
अध्याय ३: िहन्दू -मुिस्लम प्रेम कहािनयां ................................................. 26
खंड ३.१: एक मुिस्लम को सलाम ..................................................... 28
खंड ३.२: एक िहन्दू : अंततः मुझे अिनच्छा से इस्लाम स्वीकार करना पड़ा 31
खंड ३.३: वह (मुिस्लम) बहुलतावाद का िसद्धांत नहीं समझ सकता ........ 34
खंड ३.४: एक मुिस्लम युवक से िववाह करने वाली थी, पर अब नहीं ...... 38
खंड ३.५: िवफल प्रेम अथवा समझदारी भरा िनणर्य? ........................... 41
खंड ३.६: मुझे ही धमार्ंतरण करना होगा (िहन्दू से मुिस्लम), स्पष्ट है वह नहीं
करेगी .......................................................................................... 44
खंड ३.७: वह चाहता है िक मैं मुसलमान हो जाऊं ............................... 46
खंड ३.८: मुसलमान साथी तभी िववाह करेगी जब मैं धमार्ंतरण करूँ गा
................................................................................................... 49
खंड ३.९: मैं हर नमाज़ में उसके मुिस्लम बनने की दुआ करती हूँ .. 52
खंड ३.१०: मुझे मुसलमान बनने से डर लगता है .................................. 56
खंड ३.११: मैं िकसी भी कीमत पर अपना धमर् नहीं बदलूंगी ................... 58
!ेમ का धम'

खंड ३.१२: मैं धमार्न्तरण नहीं करुँ गी ............................................. 60


खंड ३.१३: क्या मैं औपचािरकता मात्र के िलए धमर् पिरवतर्न कर सकता हूँ ?
................................................................................................... 63
खंड ३.१४: िववाह हेतु झठ
ू ा धमर् पिरवतर्न ........................................... 65
खंड ३.१५: मेरे बच्चों को मुसलमान बनना ही होगा .............................. 67
खंड ३.१६: एक िहन्दू : मैंने इस्लाम अपनाने का िनणर्य ले िलया है .......... 71
खंड ३.१७: हम िहन्दू िववाह भी करेंगे और िनकाह भी........................... 75
खंड ३.१८: हम पहले िहन्दू और िफर मुिस्लम रीितयों से िववाह करेंगे
................................................................................................... 77
खंड ३.१९: मैंने उसे कह िदया है िक मैं धमर् पिरवतर्न नहीं करूंगी ............ 79
खण्ड ३.२०: मेरी प्रेिमका पक्की मुसलमान है...................................... 84
खण्ड ३.२१ प्रेम बनाम पारंपिरक िववाह.......................................... 86
खण्ड ३.२२: एक गुजराती िब्रिटश मुिस्लम युवती का एक िहन्दू से प्रेम .... 89
खण्ड ३.२३: अपने मुिस्लम माता-िपता को कैसे समझाऊं? .................... 93
खण्ड ३.२४: एक ब्राह्मण युवती और एक िशया मुिस्लम युवक का प्रेम ... 96
खण्ड ३.२५: मैं अपने मुिस्लम माता-िपता को कैसे समझाऊं िक यह इस्लाम
के िवरुद्ध नहीं है? ........................................................................... 98
खण्ड ३.२६: मेरा प्रेमी एक िहं दू है: एक मुिस्लम लड़की की कहानी ...... 100
खण्ड ३.२७: मुझे एक िहं दू युवक से प्रेम हो गया है............................ 103

खण्ड ३.२८: मेरी पत्नी मुझे कािफर कहती है... मैं मर जाना चाहता
हूँ .............................................................................................. 105
खण्ड ३.२९: जीवन दुष्कर होता जा रहा है... ..................................... 107
खण्ड ३.३०: वह मुझे जब तब पीटने लगता था.................................. 109
खण्ड ३.३१: मैं अब एक िहं दू हूँ : एक भूतपूवर् मुसलमान के जीवन अनुभव
................................................................................................. 112

vi
(म-सच
ू ी

खण्ड ३.३२: मैं कॉलेज में एक मुिस्लम युवक से प्रेम कर बैठी... भगवान की
कृपा से मैं बच गई। ..................................................................... 115
खंड ३.३३: सैफ और करीना का अंतर-धािमर् क िववाह ........................ 134
अध्याय ४: िसख मुिस्लम की प्रेम कहािनयां ......................................... 140
खण्ड ४.१: समानता पर आधािरत िसख-मुिस्लम िववाह ..................... 142
खण्ड ४.२: एक िसख युवती और एक मुिस्लम का १० वषोर्ं का साथ .... 145
खण्ड ४.३: मैं अपने प्रेमी से इस्लाम अपनाने के िलए नहीं कह सकती ... 148
अध्याय ५: जैन-मुिस्लम की प्रेम कहािनयां ........................................... 150
खण्ड ५.१: एक जैन िहं दू युवती का एक मुिस्लम युवक से प्रेम ............ 152
खण्ड ५.२: एक मुिस्लम युवती का एक जैन युवक से कनाडा में प्रेम ..... 154
खण्ड ५.३: एक जैन युवती की मुिस्लम से िववाह की योजना .............. 156
खण्ड ५.४: एक मुिस्लम युवक और एक जैन युवती का प्रेम ................ 157
खण्ड ५.५: मैं एक जैन युवती हूँ और एक मुिस्लम से प्रेम करती हूँ ....... 159
खण्ड ५.६: एक मुिस्लम: मैं जैन धमर् अपनाना चाहता हूँ ...................... 160
अध्याय ६: धमर्ग्रन्थ .......................................................................... 162
खंड ६.१: धमर्ग्रन्थ और अंतर-धािमर् क िववाह .................................... 164
खण्ड ६.२: गीता और अब्राहम-पंथी................................................. 167
खण्ड ६.३: कुरान और िहन्दू ........................................................... 171
अध्याय ७: िनयम और कानून ............................................................ 176
७.१: अंतर-धािमर् क िववाह एवं तलाक़ संबंधी कानून .......................... 178
पिरिशष्ट अ: शब्दकोष ..................................................................... 188
पुस्तक का अनुमोदन......................................................................... 202
अनुक्रमिणका .................................................................................. 205

vii
!ेમ का धम'

लेखक के बारे में .............................................................................. 208

viii
भूिमका

म/ने अपने जीवन म5 धम' म5 कोई 89च नह;ं ल; >क?तु धम' का महBव तब मालम

हुआ जब मेरे बFचे Gववाह योIय हुए। म/ िजस बहुलतावाद; (pluralist) संXकारY
के साथ बड़ा हुआ उसम5 मेरे ]लए अ?य लोगY के Gव]श`टवाद; (exclusivist)
GवचारY को हज़म करना मिु gकल था।

मझ
ु े iात हुआ >क मेरे कुछ सkबि?धयY व ]मlY ने Gववाह करने हे तु अपना
धम'पmरवत'न कर ]लया है । वे या तो शहादा कo क़सम उठाकर मिु Xलम हो गए ह/
अथवा 9गmरजाघर (चच') म5 Gववाह-पव
ू ' होने वाले अनब
ु ंध पर हXताsर करके उ?हYने
अपने भावी बFचY को भी ईसाई बनाना Xवीकार कर ]लया है । वे मझ
ु े अ9धक
GवXतत
ृ जानकार; दे ने से बचते रहे और मेरे सवालY को वे उनके wनजी जीवन म5
दखल मानते थे। ऐसे म5 सच कo खोज के ]लए म/ने अपने आस पास नज़र दौड़ाने
कo जगह वैिgवक Xतर पर खोज श8
ु कo और २००९ म5 इंटरनेट-आधाmरत एक
संगठन (Interfaithshaadi.org) श8
ु >कया जो समानता पर आधाmरत अंतर-
धा]म'क (interfaith) Gववाह के Gवषय पर उ?मˆ
ु त चचा' और जानकार; के ]लए
था।

मेरे इस मंच (संगठन) कo ‰याwत बढ़ती गई और अब मेरे पास Gव]भ?न लोगY


के २५,००० से अ9थक Gवचार अथवा •टŽप•णयां ह/ और इन GवचारY से वत'मान
पीढ़; कo समझ, मान]सकता एवं झुकाव पmरल‘sत संग्रहीत होती है । अंतर-धा]म'क
!ेम म5 ]लŽत ऐसे यव
ु ा अपने माता-Gपता अथवा अपने ]मlY से अपने !ेम सkबं9धत
समXयायY कo खल
ु कर चचा' नह;ं करते >क?तु उ?हYने मेरे साथ बहुत मामल
ू ; बात5
भी सहजता से साझा कoं (म/ उनसे एड]मन के उपनाम से बात करता हूँ)। इन
सभी यव
ु ाओं के साथ चचा' ने मझ
ु े अंतर-धा]म'क GववाहY से सkबं9धत समXयाओं
को समझने का अवसर !दान >कया और मझ
ु े Gव]श`टवाद; GवचारY से पी•ड़त
–यिˆतयY के दःु ख अनभ
ु व करने का भी अवसर ]मला।

अनम
ु ानतः १२०० से अ9धक यव
ु ाओं को उनके अंतर-धा]म'क !ेम के बारे म5 परामश'
दे कर म/ने एक समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह का स?दे श दे ने का
!यास >कया है । मेरे Gवचारो और परामश' का अनस
ु रण कर इन यव
ु ाओं ने मझ
ु े
संबल •दया है >क म/ सह; राह पर हूँ।
!ेમ का धम'

इस पX
ु तक के साथ म/ परू े Gवgव भर म5 धा]म'क बहुलतावाद और एक दस ू रे कo
आXथाओं के !wत आदर भाव रखने का संदेश दे ना चाहता हूँ। म/ने यव
ु ाओं और
1
उनके माता-Gपता के ]लए कई य™
ू यब
ू वी•डयो संदेश •दए ह/ और आशा है >क
आपको यह उपयोगी लग5 गे।

इस पX
ु तक म5 कई –यिˆतयY का !šयs एवं अ!šयs योगदान है । पहले पहल
तो म/ उन सभी ५००० से अ9धक लोगY का ध?यवाद करना चाहूंगा िज?हYने
समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह से सkबं9धत अपने Gवचार हमारे मंच
(interfaithshaadi.org) पर रखे। म/ उन १२०० से अ9धक अंतर-धा]म'क !े]मयY
का भी ध?यवाद करना चाहूंगा िज?हYने अपने wनजी अनभ
ु व मेरे साथ साझा >कये।
ऐसे संदेशY और अनभ
ु वY ने ह; मेर; इस पX
ु तक को आकार और Xव›प •दया है ।
इनम5 ४५ से •यादा •ह?द-ू मिु Xलम यव
ु कY के !ेम अनभ
ु वY या !ेम कहाwनयY को
इस पX
ु तक म5 भी रखा गया है । हम5 नह;ं पता >क कई !ेम कहाwनयY म5 आगे
ˆया हुआ ˆयY>क यव
ु ाओं ने बाद म5 हमसे और –यिˆतगत Gववरण पर चचा' नह;ं
कo है ।

म/ अ]भषेक शमा' को मेर; अंžेजी पX


ु तक संXकरण (Interfaith Marriage: Share
and Respect with Equality, Mount Meru Publication, 20172) का •हंद;
म5 अनव
ु ाद करने के ]लए Gवशेष ध?यवाद दे ना चाहता हूँ। म/ द`ु यंत गौतम को
भी आलोचनाšमक समीsा करने और महšवपण ू ' सझ
ु ाव !दान करने के ]लए
ध?यवाद दे ना चाहता हूं। द;पक कोतवाल, सौरभ गौर, डॉ. व8ण खरबंदा ओर
एडवोकेट सधु ीर गुŽता ने अपनी •टŽप•णयY से इस पX
ु तक को लाभाि?वत >कया
है । हांला>क ऐसा भी संभव है ये सभी समीsक गण इस पX
ु तक म5 !Xतत
ु GवचारY
से सहमत ना हY। म/ अपनी पšनी ®ीमwत राजू अमीन को भी को•ट-को•ट ध?यवाद
दे ना चाहूंगा िज?हYने १६ वष° तक मझ
ु े इस योजना पर काम करने के ]लए
!wत•दन सहयोग •दया।

—•दल;प अमीन (पी.एच.डी.)

1
https://www.youtube.com/user/InterfaithShaadi/videos.
2
अमेज़न, पोथी और गGड़ Iकाशन पर उपलOध है ।

x
अध्याय १: प्रस्तावना

यह पX
ु तक समानता (equality) पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह को बढ़ावा दे ने
के ]लए ]लखी गई है । यह अंतर-धा]म'क संबंधY म5 आने वाल; समXयाओं पर
!काश डालती है िजससे >क अंतर-धा]म'क यग
ु ल और उनके माता-Gपता लाभाि?वत
हो सक5। अंतर-धा]म'क GववाहY के बारे म5 जाग8कता फैलाकर लेखक चाहते ह/ >क
Gवgव म5 धा]म'क बहुलतावाद (pluralism) और स´लाव (सहनशीलता, true
respect for other faiths) को बढ़ावा ]मले।

हम ना तो अंतर-धा]म'क Gववाह के पs म5 ह/ और ना ह; Gवपs म5 और ना ह;


हम >कसी को !ेम Gववाह के ]लए हतोšसा•हत करना चाहते ह/, हमार; मंशा है >क
हम आपको एक सझ
ू -बझ
ू से भरा wनण'य लेने म5 सहायता कर सक5।

यह पX
ु तक अंतर-धा]म'क Gववाह के बारे म5 कोई हवाई बात5 अथवा लµफ़ाज़ी नह;ं
करती। अपनी बातY और तक° को ]स´ध करने के ]लए लेखक ने žंथY, ऐwतहा]सक
पmर!े·यY एवं अंतर-धा]म'क GववाहY से सkबं9धत कानन
ू Y आ•द कo सहायता ल; है ।
इसके अwतmरˆत ४५ से •यादा •ह?द-ू मिु Xलम यव
ु कY के जीवन अनभ
ु व भी इस
पX
ु तक म5 सिkम]लत >कये गए ह/।

मानव के Gवकास के साथ यह Gवgव एक वैिgवक गांव का 8प धरता जा रहा है


और इसी कारण Gव]भ?न प`ृ ठभ]ू मयY के लोगY का एक दस
ू रे से संवाद बढ़ रहा है
िजसके फलXव8प अंतर-धा]म'क GववाहY कo सं‰या भी बढ़ रह; है और ऐसे GववाहY
के !wत ›झान भGव`य म5 और बढ़े गा, ऐसा मेरा मानना है ।

अ9धकतर अंतर-धा]म'क GववाहY म5 टकराव Gववाह से कुछ मह;ने पहले श8


ु हो
जाता है , और कुछ मामलY म5 यह पहल; संतान के ज?म के कुछ ह; मह;ने पहले
श8
ु होता है । इस पX
ु तक का उ´दे gय यव
ु ाओं को ]श‘sत करना है ता>क वे अपने
अंतर-धा]म'क सkब?ध को Gववाह म5 बदलने से पहले एक सोचा-समझा wनण'य ले
सक5।

एक धम'गु› के ]लए धा]म'क स´भाव का पाठ पढ़ाना अथवा उस पर भाषण दे ना


बहुत आसान है >क?तु एक अंतर-धा]म'क यग ु ल के ]लए अपने दै wनक जीवन म5
अपनी-अपनी धा]म'क प`ृ ठभ]ू म के कारण आने वाल; समXयाओं का हल wनकालना
बहुत मिु gकल होता है । दभ
ु ा'Iयवश, अ9धकतर अंतर-धा]म'क यग
ु ल अपने साथी कo
!ेમ का धम'

धा]म'क आXथा से wनतांत अन]भi होते ह/ यहाँ तक >क अपने धम' के बारे म5 भी
उनका iान आधा-अधरू ा ह; होता है ।

>कसी भी अंतर-धा]म'क सkब?ध के !ारं ]भक •दनY म5 धम' जैसे संवेदनशील म´


ु दY
पर दल;ल करना सह; नह;ं होता ˆयY>क ऐसा करने से इन संबंधY के म¸य 8मानी
भावनाएं आहत हो सकती ह/। >क?तु >फर भी ऐसे यग
ु लY को ऐसे महšवपण
ू ' म´
ु दY
पर समय रहते ह; बात कर लेनी चा•हए। ऐसी चचा'ओं के ]लए आवgयक माग'दश'न
और चन
ु े हुए !संग (िजन पर बात होनी ह; चा•हए) इस पX
ु तक म5 •दए गए ह/।

"च$ १: अ¹ाह]मक एवं सनातनी आXथाओं म5 मल


ू भत
ू अंतर।

अगर इwतहास म5 झाँक5 तो सनातwनयY (Dharmic; •ह?द,ू बौ´ध, जैन, ]सख) और


अ¹ाहम-पं9थयY (Abrahamic; यहूद;, इसाई, मस
ु लमान) के बीच Gववाह दल ु भ' ह;
थे, >क?तु अब ऐसे Gववाह सामा?य ह/ और इनकo सं‰या wनरं तर बढ़ रह; है । 9चl
१ म5 सनातनी और अ¹ाह]मक धम° कo आXथाओं म5 अंतर को •दखाया गया है ।
लेखक ´वारा >कये गए सव½sण म5 यह पाया गया >क ३८% अमेर;कo सनातनी
3
यव
ु ा अ¹ाहम-पं9थयY से Gववाह करते ह/। इसी तरह ४५% (४५.१% म•हलाओं
4
स•हत) मस
ु लमान अमेmरका म5 अपने धम' के बाहर शाद; करते ह/। अमेmरका म5
ईसाइयY और यहू•दयY के अंतर-धा]म'क GववाहY के लगभग समान !wतशत (४०-
५०%) होते है ।

3
https://www.interfaithshaadi.org/the-changing-landscape-of-hindus-in-america-an-
interfaith-marriages-survey/.
4
https://www.interfaithshaadi.org/the-changing-landscape-of-muslims-in-america-a-
survey-of-interfaith-marriages/.

2
!Xतावना

इस पX
ु तक का !मख
ु उ´दे gय •ह?द-ू मिु Xलम सkब?ध म5 ]लŽत यव
ु ाओं का
संवेदनशील धा]म'क म´
ु दY पर माग'दश'न करना है । >क?तु लेखक सभी अंतर-
धा]म'क !ेमी जनY और उनके पmरवारY को सावधान करना चाहते ह/ >क अंतर-
धा]म'क Gववाह कo पगडÁडी पर चलना आसान नह;ं है ।

लेखक यह भी Xप`ट करना चाहते ह/ >क इस पX


ु तक का उ´दे gय >कसी भी धम'
अथवा आXथा कo आलोचना करना नह;ं है >क?तु अंतGव'रोध व असमानताओं का
उÂलेख करना आवgयक है । लेखक यह अपेsा करते ह/ >क इस पX
ु तक को पढ़ने
वाले सभी पाठकगण ]श‘sत iानीजन ह/ और वे इस पX
ु तक म5 द; गई सच
ू ना
(जो अनेक !संगY म5 गले नह;ं उतरती) का अपने Gववेक से चयन कर5 । हम5 यह
आशा है >क सभी पाठकगण इस पX
ु तक के उ´दे gय "समानता पर आधाmरत अंतर-
धा]म'क Gववाह" कo सराहना कर5 गे और इसे बढ़ावा भी द5 गे।

सबसे अFछा तो यह होगा >क सभी अंतर-धा]म'क यग


ु ल इस बात को मान ल5 >क
!šयेक धम' के धम'ž?थ दे वदत
ू Y अथवा ऋGष मwु नयY ´वारा ]लखे गए थे और
उनकo –या‰या उस समय के स?दभ' म5 ह; कo जानी चा•हए। >क?तु य•द कोई
–यिˆत यह मानता है >क ये धम'ž?थ ईgवर का सीधा स?दे श ह/ और इनका
अsरशः पालन होना चा•हए, तब उसके साथी को यह मान लेना चा•हए >क ऐसा
Gवgवास उनके भावी वैवा•हक जीवन को wनिgचत ह; नकाराšमक 8प से !भाGवत
करे गा।

आजकल कॉलेज के जीवन म5 Xवयं को धम'wनरपेs (secular) घोGषत करना एक


चलन हो गया है और इसी कारण एक Gव]श`टवाद; (पथ
ृ कतावाद;, exclusivist)
–यिˆत को पहचानना मिु gकल हो जाता है । इस पX
ु तक म5 पाठकY को सGु वधा के
]लए बहुत सार; जानकार; भी द; गई है िजसके ´वारा आप अपने साथी के
Gव]श`टवाद; GवचारY को पहचान सकते ह/।

अ9धकतर, अ¹ाह]मक पंथ एकेgवरवाद (monotheist), Gव]श`टवाद


(exclusivism), एवं ®े`ठतावाद (superiority) म5 Gवgवास रखते ह/। वह;ं दस
ू र;
ओर सनातनी अ9धकतर बहुलतावाद; (pluralist) होते ह/। अ¹ाहम-पं9थयY को अपनी
धम' के !wत ®´धा •दखाने के ]लए >कसी Gवशेष धा]म'क संXथा से जड़ ु ना पड़ता
है और एक-न-एक धा]म'क समारोह से भी गुजरना पड़ता है । इन समारोहY अथवा
परं पराओं को हमने BBS के नाम से इस पX
ु तक म5 सkबो9धत >कया है । िजसका
अंžेजी म5 अथ' है Baptism (बपwतXमा), Bris, bar mitzvah (बार ]मšजवाह),

3
!ेમ का धम'

Shahadah (शहादा), sunat (स?


ु नत), khatna (ख़तना), आ•द। ऐसी Gव]श`टवाद;
परkपराओं के कारण दो अ¹ाहम-पं9थयY के बीच Gववाह करने म5 भी मिु gकल5 आती
ह/ ˆयY>क एक –यिˆत ऐसी दो परkपराओं से नह;ं गुजर सकता। ऐसी धा]म'क
छाप (religious label) लगाना सनातनी धम° म5 भी होता है पर?तु ना तो
सनातनी समाज और न ह; धम' गु› >कसी पर ऐसा करने का इतना दवाब डाल
सकते ह/।

"च$ २ : अ¹ाह]मक 8पांतरण समारोह

अ9धकतर मामलY म5 दोष धम'žंथY का नह;ं होता अGपतु उस –यिˆत Gवशेष ने उन


žंथY से ˆया सीखा वह दोषपण
ू ' है । हम5 यह आशा है >क यह पX
ु तक सनातनी-
अ¹ाह]मक यग
ु लY को ऐसे महšवपण
ू ' म´
ु दY पर चचा' के ]लए !ेmरत करे गी िज?ह5
वे अनदे खा कर चक
ु े ह/। हालां>क इस पX
ु तक के कुछ खÁडY को पढ़ना असहज हो
सकता है पर?तु हम5 आशा है >क अ9धकतम लाभ के ]लए अंतर-धा]म'क !ेमीजन
इसे एक दस
ू रे के साथ पढ़5 गे।

!šयेक –यिˆत को जीवन के हर sेl म5 समानता कo अपेsा होती है । एक अंतर-


धा]म'क Gववाह म5 धा]म'क Xवतंlता भी इससे ]भ?न नह;ं है हालां>क इसे पmरभाGषत
करना थोड़ा क•ठन है । इसके अwतmरˆत !ेम के !ारं ]भक •दनY म5 धा]म'क
Gव]भ?नताओं को अनदे खा कर •दया जाता है >क?तु यह; Gव]भ?नताएं (major
points of conflicts) Gववाहोपरांत गंभीर समXया बन जाती ह/। लेखक का उ´दे gय

4
!Xतावना

सह; अथवा गलत का wनधा'रण करना नह;ं है अGपतु ऐसे !ेमी जोड़Y को वह Gवषय
उपलÊध कराना है िजस पर चचा' कर वे एक सझ
ू -बझ
ू भरा wनण'य ले सकते ह/।
लेखक कo कामना है >क आपका अंतर-धा]म'क Gववाह द;घा'यु हY, चाहे आप धा]म'क
Xवतंlता को कैसे भी पmरभाGषत कर5 ।

Gपछले १६ वष° म5 लेखक ने बहुत से अंतर-धा]म'क यग


ु लY का माग'दश'न >कया
और इस Gवषय से सkबं9धत कई लेख ]लखे और –या‰यान5 भी •दए। यह सभी
लेख यव
ु ाओं ´वारा पछ
ू े जाने वाले !gनY पर आधाmरत थे। अ¸याय (अ¸याय ३-५)
मिु Xलम-सनातनी आXथाओं के यग
ु लY के ]लए ]लखे गए ह/। अ¸याय ६ म5 धम'žंथY
के Gववा•दत Ëबंदओ
ु ं पर और अ¸याय ७ म5 अंतर-धा]म'क Gववाह एवं तलाक़ संबंधी
कानन
ू पर ]लखा गया है ।

लेखक से १२०० से अ9धक यव


ु ाओं ने परामश' हे तु संपक' >कया िजसम5 से ४५ से
अ9धक •ह?द-ू मिु Xलम लोगY के जीवन के वाXतGवक अनभ
ु वY को इस पX
ु तक म5
सिkम]लत >कया गया है ।

लोग कहते ह/ >क *ेम का कोई धम2 नह5ं होता। हमने पाया >क धम' !ारं ]भक !ेम
अवXथा म5 wछपा रहता है , ले>कन wनयोिजत Gववाह से ठÍक पहले धम' एक बड़ी
ताकत लेकर सामने आता है । अंतमे, बFचे के ज?म के बाद, !ेम –यावहाmरक 8प
से गायब हो जाता है और केवल धम' ह; बचता है ।

लेखक का अनभ
ु व कहता है >क !ारkभ म5 सभी यव
ु ा अपने !ेम म5 सहनशील होते
ह/ और अपने साथी के धम' के साथ सहज होते ह/ >क?तु धीरे -धीरे अपने माता-
Gपता अथवा समाज के तिु `टकरण के ]लए अस•ह`णु हो जाते ह/। अंत म5 लेखक
को यह; अनभ ु व हुआ >क अ9धकतर अंतर-धा]म'क !ेमी एक "समानता पर आधाmरत
अंतर-धा]म'क Gववाह" के ]लए तैयार नह;ं थे।

इस पX
ु तक के साथ लेखक कo यह; कामना है >क धा]म'क Gव]श`टवाद के !wत
जाग8कता बढे ˆयY>क यह; धमाÏधता (bigotry) !ेमी और Gववा•हत अंतर-धा]म'क
यग
ु लY म5 पीड़ा का कारण बनती है । लेखक का एक माl ¸येय धा]म'क स´भाव
और बहुलतावाद को बढ़ावा दे ना है ।

5
https://www.youtube.com/user/InterfaithShaadi/videos.

5
अध्याय २: िहन्दू -मुिस्लम िववाह
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

7
!ेમ का धम'

खंड २.१: िहन्दू -मुिस्लम िववाह संभव?

हाँ, संभव है । अ9धकतर मामलY म5 दोष धम'žंथY का नह;ं होता अGपतु उस –यिˆत
Gवशेष ने उन žंथY का ˆया अथ' लगाया और ˆˆया सीखा वह दोषपण
ू ' है ।

इXलाम म5 अंतर-धा]म'क Gववाह को ईशwनंदा, माता-Gपता का अपमान और >कसी


भी –यिˆत कo अकारण हšया जैसे पापY के बाद सबसे बड़ा पाप माना गया है ।6
>क?तु हमारे शोध के अनस
ु ार, अमेmरका म5 ४५% से •यादा मिु Xलम अ?य धम°
म5 Gववाह करते ह/।7 ऐसे अंतर-धा]म'क GववाहY को संप?न कराने का इXलाम म5
उपाय भी खोज ]लया गया है , वह है गैर-मिु Xलम साथी का इXलाम म5 धमाÏतरण।

क़ुरान के अनस
ु ार, "तम
ु (मस
ु लमान) >कसी मश
ु mरक Xlी (जो मwू त' पज
ू क हो
अथवा अÂलाह के अलावा >कसी और को भगवान मानती हो) से Gववाह नह;ं करोगे
जब तक >क वह इXलाम कबल
ू न कर ले। एक अÂलाह को मानने वाल; गल
ु ाम
म•हला एक मश
ु mरक Xlी से •यादा बेहतर ह/ हालां>क मश
ु mरक Xlी तk
ु हे •यादा
मो•हत करे गी।"8,9

•हंद ु मत के अनस
ु ार Gववाह एक पGवl बंधन है जब>क इXला]मक wनकाह (Gववाह)
अÂलाह कo आiानस
ु ार एक अनब
ु ंध (contract) है । एक गैर-मिु Xलम को wनकाह
से पहले शहादा कo कसम उठानी होती है । शहादा एक घोषणा है >क अÂलाह के
अलावा कोई और भगवान नह;ं है और पैगkबर मह
ु kमद ह; उनके दत
ू ह/। अÂलाह
के समकs >कसी और को भगवान मानना, मwू त'यY को पज
ू ना अथवा >कसी भी
जीGवत अथवा मत
ृ कo !ाथ'ना करना सबसे बड़ा पाप है । शहादा कo कसम और
धमा'?तरण के Ëबना कोई भी इमाम wनकाह नह;ं पढ़वाएगा10 तथा एक •ह?द ू Gववाह
इXलामी कानन
ू Y म5 मा?य नह;ं है । एक प›
ु ष और Xlी का wनकाह के Ëबना ]मलन
इXलाम म5 –य]भचार माना गया है िजसकo सज़ा मšृ यु है वह भी पšथर मार-मार

6
http://www.academia.edu/6606072/Inter-Religious_Marriage_from_Socio-
Historial_Islamic_Perspectives.
7
https://www.interfaithshaadi.org/the-changing-landscape-of-muslims-in-america-a-
survey-of-interfaith-marriages/.
8
क़ुरान २:२२१।
9
पढ़e ”कुरान और gहhद”ू (खंड ६.३)।
10
एक अपवाद िजसका हमe wान है : http://interfaithshaadi.org/ismaili-hindu-marriage/.

8
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

कर।11 संsेप म5 कह5 तो इXलाम के Ðि`टकोन से एक •ह?द ू के wनकाह के ]लए


धमाÏतरण अwत आवgयक और अपmरहाय' है ।

शहादा वह कसम है जो एक गैर-मिु Xलम के ]लए मस


ु लमान बनने के ]लए
आवgयक है । परु ाने समय म5 मिु Xलम खल;फाओं ने सभी मिु Xलम नागmरकY से
इXला]मक रा`Ñ कo गैर-मिु XलमY से रsा हे तु संघष' करने का आÒवान >कया था।
इसी कारण इXलाम से >कसी दस
ू रे धम' कo ओर गमन एक गंभीर अपराध माना
गया िजसका अ9धकतम दं ड मšृ यु भी हो सकता है 12 ˆयY>क यह माना गया >क
एक पव
ू -' मिु Xलम गैर-मिु XलमY के साथ ]मलकर अ?य मिु XलमY का जीवन खतरे
म5 डाल सकता है ।13

>कXसे कहाwनयY और लेखक के अपने अनभ


ु व (अनेक यव
ु ाओं के !ेम संबंधY के
अ¸ययन) के अनस
ु ार, अ9धकतर •हंद-ू मिु Xलम Gववाह wनकाह से ह; संप?न होते ह/
और बस कुछ ह; जोड़े कानन
ू ी Gववाह करते ह/। ऐसा wनकाह, •ह?द ू साथी के
धमाÏतरण के उपरांत संप?न होता है वह भी •ह?द ू साथी कo तरफ से म™
ु ठÍ भर
लोगY कo उपिXथwत म5 । कभी कभार wनकाह के बाद •ह?द ू र;wत से भी Gववाह
>कया जाता है । हालां>क धम' पmरवत'न के बाद •ह?द ू Gववाह एक ढकोसला माl रह
जाता है , ˆयY>क यह एक •हंद ू पज
ु ार; ´वारा सभी •हंद ू दे वताओं कo उपिXथwत म5
>कया जाने वाला मिु Xलम-मिु Xलम Gववाह है ! सामा?यतः मिु Xलम पmरवारजन इसम5
सिkम]लत नह;ं होते ˆयY>क ऐसे •ह?द ू Gववाह म5 अÂलाह कo बजाय अ?य •ह?द ू
दे वी दे वताओं का आÒवान >कया जाता है । वैसे अभी तक •ह?द-ू मिु Xलम का कोई
]म9®त या कह5 ]मला जल
ु ा कोई एक Gववाह अन`ु ठान नह;ं है जहां दोनY ह; धम°
के लोग आपसी सहमwत से एक ह; र;wत mरवाज से Gववाह संपा•दत करते हY।

एक Gववाह केवल दो –यिˆतयY का ]मलन नह;ं होता अGपतु दो पmरवार और दो


समाजY का ]मलन भी होता है । ऐwतहा]सक 8प से दे ख5 तो भारत म5 •ह?द-ू मिु Xलम
टकराव Gपछले १३०० सालY से चला आ रहा है । भारतीय इwतहास मिु XलमY के
आ(मण, •ह?द ू मं•दरY के wनरं तर Gव¸वंस, •ह?दओ
ू ं पर जिजया कर और जबरन
धमाÏतरण से भरा पड़ा है । ऐसा इwतहास wनgचय ह; एक अंतर-धा]म'क यग
ु ल के

11
xयzभचार पर पढ़e बख
ु ार~ 6:60:79 (बख
ु ार~ हद~थ के Iथम संकलक€ मe से एक है ।)
12
पैग•बर मह
ु •मद ने कहा है "जो भी अपना मिु ƒलम धम„ बदलता है , उसे मार दो।" (बख
ु ार~
9:84:57)
13
http://www.academia.edu/6606072/Inter-Religious_Marriage_from_Socio-
Historic_Islamic_Perspectives.

9
!ेમ का धम'

जीवन पर !भाव डालता है । समानता पर आधाmरत •ह?द-ू मिु Xलम अंतर-धा]म'क


Gववाह तभी संभव है जब दोनY ह; पs एक दस
ू रे कo धा]म'क मा?यताओं को आदर
द5 और एक दस
ू रे के र;wत mरवाजY का Ëबना >कसी टकराव के अनस
ु रण कर5 ।

इXलाम म5 Gववाह के ]लए काफo कठोर शतÔ ह/ और यह शतÔ सनातन साथी (बौ´ध,
जैन, ]सख और •ह?द)ू के ]लए ईसाई और यहूद; (पX ु तक मानने वाले लोग,
अ¹ाह]मक) साथी कo तल
ु ना म5 •यादा कठोर ह/। अ9धकतर संबंधY म5 , एक सनातनी
–यिˆत को, जो एक मिु Xलम के साथ !ेम संबंध म5 है , इन सब शत° का पता
Gववाह से ठÍक पहले लगता है । ऐसे समय म5 और इतने वष° के !ेम संबंधY के
बाद चाहे अनचाहे इन शत° को मानने के अलावा संबंध बचाने का कोई और चारा
नह;ं रह जाता।

अब य•द एक Xवा]भमानी •ह?द ू धमाÏतरण का Gवरोध करता है तब इXला]मक


wनकाह ना करना ह; एकमाl उपाय बचता है । ले>कन अब समXयाएं भावी संतानY
के धम' को लेकर होती है । छोटे बFचY के ]लए परXपर Gवरोधी संदेशY को सन
ु ना
Õम पैदा कर सकता है । उदाहरण के ]लए जब वे •ह?द ू अथवा जैन मं•दर म5
जाएंगे तब उ?ह5 Gव]भ?न दे वी दे वताओं कo पज
ू ा करने और उनके समs शीश
झुकाने को कहा जाएगा। >कं तु जब वह बFचे मिXजदY म5 जाएंगे तब उ?ह5 Gवरोधी
वचन सन
ु ने को ]मल5गे। इतने सारे Gवरोधी कथनY को सन
ु ने के बाद हो सकता है
>क बFचे का ईgवर और उसकo आXथा से Gवgवास ह; उठ जाए।

यह भी संभव है >क भGव`य म5 •ह?द ू साथी के धा]म'क कृšयY पर रोक लगा द;


जाये ता>क बFचे •ह?द ू र;wत mरवाज़ और धम' के बारे म5 सीख न पाएं। इसके
अwतmरˆत यह भी हो सकता है >क मिु Xलम साथी और उसका पmरवार •ह?द ू साथी
के घर आयोिजत होने वाले •ह?द ू अन`ु ठानY म5 भाग भी न ल5। जब !ारं ]भक
मधम
ु ास (Honeymoon) का समय समाŽत होता है और सामा?य दै wनक
>(याकलापY म5 –यXतता जीवन कo सFचाई बन जाती है , तो यह; समXयाएं
वैवा•हक जीवन कo दख
ु ती रग बन जाते ह/।

•ह?द ू धमा'?तरण म5 Gवgवास नह;ं करते और वैसे भी >कसी गैर-•हंद ू को एक •ह?द ू


से Gववाह करने के ]लए धमा'?तरण करना आवgयक नह;ं है । अ9धकतर संबंधY म5
मिु Xलम साथी अपने भावी •ह?द ू साथी से धमा'?तरण कo अपेsा एवं !यास करता
है ˆयY>क इXलाम म5 ऐसा ज़8र; है । •ह?दओ
ु ं को ऐसा सौदा करने कo ज›रत नह;ं
होती ˆयY>क •ह?द ू धम' म5 ऐसी कोई आवgयकता अथवा अपेsा नह;ं है । हालां>क

10
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

एक औपचाmरक धमा'?तरण •ह?द ू धम' म5 भी संभव है । अतः मिु Xलम सा9थयY के


सामने भी यह GवकÂप रखा जाना चा•हए। दोनY सा9थयY के ]लए अंतर-धा]म'क
Gववाह म5 समानता तभी बनी रहे गी जब दोनY ह; Gववाह के ]लए एक दस
ू रे के
धम' म5 धमा'?तरण कर5 ।

अंतर-धा]म'क Gववाह एक दस
ू रे कo आXथाओं के परXपर सkमान पर आधाmरत
होने चा•हए एवं ऐसे Gववाह एक दस
ू रे पर अपनी धा]म'क अपेsाओं को लादे Ëबना
संप?न होने चा•हए। Gववाहोपरांत, दोनY सा9थयY कo आXथाओं का परXपर सkमान
होना चा•हए एवं पाmरवाmरक जीवन और संतानY के लालन-पालन म5 भी दोनY धम°
को महšव ]मलना चा•हए। अंत म5 बFचे Xवयं ह; ऐसी Gवरोधी Gवचारधाराओं के
साथ जीने का Xवयं ह; हल wनकाल ल5गे।

11
!ेમ का धम'

खंड २.२: िनकाह: इस्लामी िववाह अनुबंध (िनकाहनामा)

इXलामी कानन
ू एक प›
ु ष को चार Gववाह करने कo अनम
14
ु wत दे ता है >क?तु वे
सभी िXlयां अ¹ाह]मक (मिु Xलम, ईसाई अथवा यहूद;) होनी चा•हए एवं Gववाह से
उšप?न बFचY का लालन पालन भी मिु XलमY कo तरह होना चा•हए।15 >क?तु एक
•ह?द ू (]सख, जैन और बौ´ध समेत) और मस
ु लमान के म¸य इXलामी wनकाह नह;ं
हो सकता। इसी कारण, •ह?द ू से शहादा कo कसम लेने को कहा जाता है । इXलाम
म5 धम' पmरवत'न कo !>(या माl २ ]मनट कo होती है िजसके बाद मिु Xलम वर
और मिु Xलम वधू का wनकाह हो सकता है ।

शहादा

शहादा16 यह घोषणा है >क अÂलाह के अलावा कोई दस


ू रा भगवान नह;ं है और
पैगkबर मह ू ह/। (ला इलाह इÂलÂलाह मोहkमद उर
ु kमद अÂलाह के अंwतम दत
रसूल अÂलाह) केवल अÂलाह कo पज
ू ा अथवा इबादत करो और >कसी कo नह;ं।
अÂलाह के साथ >कसी और कo इबादत करना ]शक' माना जाता है । ]शक' का अथ'
केवल मwू त' पज
ू ा ह; नह;ं है , अGपतु >कसी भी अ?य वXतु अथवा –यिˆत (जीGवत
अथवा मत
ृ ) को पज
ू ना भी ]शक' माना जाता है ।

:नकाहनामा

wनकाह एक अनब
ु ंध है कोई पGवl बंधन नह;ं। यह अनब
ु ंध तोड़ा जा सकता है
य•द प›
ु ष तलाक़ कo !>(या श8
17
ु करे अथवा Xlी खल
ु ा कo मांग करे । शाद; का
18

wनकाहनामा बहुत ह; साधारण होता है । इसम5 वर-वधू का नाम, पता और ज?मwत9थ


]लखी होती है । मेहर (वर ´वारा •दया जाने वाला दहे ज) कo रा]श भी इसम5 ]लखी
होती है । इसम5 तलाक़ कo िXथwत से संबं9धत सच
ू ना भी ]लखी होती ह/। य•द वर
कo पहले से कोई पšनी अथवा पिšनयां है , उसका भी उÂलेख wनकाहनामा म5 होता
है ।

14
क़ुरान ४:३।
15
http://en.wikepedia.org/wiki/Interfaith_marriage_in_Islam.
16
http://www.albalagh.net/kids/understanding_deen/Shahadah_shtml.
17
http://en.wikepedia.org/wiki/Divorce_(Islamic).
18
http://en.wikepedia.org/wiki/Khula.

12
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

चँ >ू क •हंद ू साथी के धमा'?तरण के बाद यह एक मिु Xलम-मिु Xलम wनकाह माl रह
जाता है , ऐसी Gववाह म5 य•द तलाक़ कo िXथwत बनती है तब बFचY का संरsण
•ह?द ू के ]लए एक पेचीदा मामला हो जाता है । अब वह पव
ू -' •ह?द ू साथी य•द अपने
बFचY को •ह?द ू कo तरह पालना चाहता/चाहती है तब उसे अपने बFचY का अ9धकार
पाने के ]लये बड़ी समXयाओं का सामना करना पड़ता है ।

समानता

“आप ऐसा पछ
ू 5 गे >क समानता का इतना महBव ˆयY है ?

ठÍक है , हम5 पता है >क एक असkमानजनक सkब?ध म5 एक साथी सार;


शिˆतयां और wनयंlण अपने पास रखता है । ऐसा सkब?ध अšयंत
असंत]ु लत और असमान होता है ।“

—Love is Respect.org

13
!ेમ का धम'

खंड २.३: मुिस्लम दृिष्टकोण: िहन्दू -मुिस्लम प्रेम से संबंिधत छह िबं दु

मैक नाम के स•जन InterfaithShaadi.org पर एक इXला]मक Gवशेषi के तौर


पर अपना योगदान दे ते ह/। उनकo माता एक पूव' ¹ाÒमण-•ह?दू थीं, एक समय
पर कॉलेज म5 वह Xवयं एक ¹ाÒमण-•ह?दू लड़कo के साथ अंतर-धा]म'क !ेम
सkब?ध म5 थे। यहाँ इस लेख म5 वह बता रहे ह/ >क •ह?द-ू मुिXलम Gववाह म5
समान अ9धकार संभव ह; नह;ं ह/।

मैक कहते ह>:

यह स?दे श उन सभी मिु Xलम और गैर-मिु Xलम यव


ु ाओं के ]लए है जो Gववाह
करने का Gवचार कर रहे ह/। चँ >ू क यह वेबसाइट (InterfaithShaadi) समानता पर
आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह को बढ़ावा दे ती है , अतः हर मिु Xलम लड़का अथवा
लड़कo यह समझ ले >क ऐसे Gववाह म5 समानता कo वजह से उ?ह5 इXलाम से
wनकाला भी जा सकता है अथवा कह5 तो उ?ह5 धम'-Õ`ट भी घोGषत >कया जा
सकता है । ऐसे GववाहY म5 !ेमी यग
ु ल को दोनY ह; तरफ से समझौते करने पड़
सकते ह/। अब य•द समझौता करने से अपने धम' (इXलाम) से हाथ धोना पड़ रहा
है तब ऐसे Gववाह म5 समानता नह;ं रह जाती।

१. खानपान: मिु Xलम सामा?यतः माँसाहार; होते ह/। इसका कारण है >क इXलाम
के अनस
ु ार अÂलाह ने पौधY और जानवरY को मानव जाwत के फायदे के ]लए
बनाया है तथा मस
ु लमानY को हर खाया जा सकने वाला जानवर खाना चा•हए।
अब य•द कोई मांस नह;ं खाना चाहता तब भी वह गैर-मिु Xलम नह;ं हो जाता।
एक शाकाहार; –यिˆत भी सFFचा मX
ु लमान हो सकता है । पर?तु य•द >कसी
मस
ु लमान को मांस खाने से इस]लए रोका जाता है ˆयY>क अ?य –यिˆत कo
मा?यता के अनस
ु ार जानवर पGवl होते ह/ और उ?ह5 मारना और खाना पाप है
तब यह एक समXया है । अÂलाह ने पहले ह; यह कहा है >क उनके अलावा कुछ
भी पGवl नह;ं है । अतः अगर आप मांस खाना >कसी अ?य कo धा]म'क मा?यता
के कारण छोड़ते ह/ तब आप अवgय ह; इXला]मक ]स´धांतY के Gव8´ध जा रहे
ह/।

२. Bववाह समारोह: एक मिु Xलम Gववाह ह; अÂलाह के सामने वैध माना जाता है
और वह भी तब जब एक इXला]मक wनकाह के रXमो-mरवाज़ से संप?न हुआ हो।
>कसी दस
ू रे धा]म'क Gववाह म5 शा]मल होना जैसे >क •ह?द ू अथवा ईसाई रXमY से

14
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

Gववाह करना विज'त है , ˆयY>क इसम5 अÂलाह के अलावा दस


ू रे ईgवर का नाम
]लया जाता है तथा ऐसा करना ]शक' माना जाता है । इXलाम म5 ]शक' सबसे बड़ा
पाप है । इXला]मक wनकाह के Ëबना कोई भी !ेम सkब?ध िज़ना (–य]भचार)
माना जाता है । ˆया आप आजीवन अÂलाह कo wनगाह म5 –य]भचार; बनना चाहते
ह/?

३. खतना: खतना मसु लमानY और यहू•दयY के ]लए एक धा]म'क आवgयकता है ।


यहू•दयY का खतना ज?म के बाद आठव5 •दन >कया जाता है वह;Û मिु Xलम कभी
भी खतना करा सकते ह/, पर?तु ज?म के बाद सातव5 •दन पर खतने का अ9धक
महšव है । ऐसा इस]लए है ˆयY>क पैगkबर मह
ु kमद ने दोनY नवासY अल-हसन
और अल-हुसन
ै का खतना भी सातव5 •दन >कया था।

४. मGदरा सेवन: एक मिु Xलम के ]लए शराब परोसना अथवा उसका सेवन दोनY
ह; विज'त ह/। अतः य•द एक मिु Xलम लड़कo जो एक गैर-मिु Xलम से Gववा•हत है
तथा उसका पwत शराब पीता है तब यह माना जाता है >क वह उसको शराब
परोसने के ]लए भी कह सकता है । अब य•द वह मिु Xलम लड़कo अपने पwत को
शराब पीने से नह;ं रोकती तब भी वह पाप कo भागीदार मानी जाएगी।

५. म:ू त2 पज
ू ा: >कसी भी मwू त', 9च?ह अथवा तXवीर कo पज
ू ा करना इXलाम म5 पाप
माना गया है तथा इसके ]लए कोई माफ़o नह;ं है । यह इXलाम म5 सबसे बड़ा पाप
माना जाता है । कहा जाता है >क अÂलाह ]शक' के अलावा हर गलती कo sमा दे
सकते ह/। अतः य•द आपका गैर-मिु Xलम पwत भगवान राम अथवा भगवान कृ`ण
के समs ]शक' कर रहा तब मिु Xलम लड़कo का यह उÜरदाwयšव है >क वह उसे
रोके अथवा वह भी ]शक' कo भागीदार होगी। अब य•द आप अपने •ह?द ू साथी को
ईgवर कo मwू त' कo पज
ू ा करने से रोकते ह/ तब भी ऐसे Gववाह म5 समानता नह;ं
रह जाती।

६. अं:तम संMकार: ˆया आपके पा9थ'व शर;र का •ह?द ू र;wत से अंwतम संXकार
होगा अथवा आप इXला]मक र;wत से दफनाए जाय5गे? इXलाम के अनस
ु ार >कसी
भी –यिˆत को >कसी दस
ू रे –यिˆत, जीGवत अथवा मत
ृ , को जलाने का अ9धकार
नह;ं है । अÂलाह ने शैतान को आग से पैदा >कया था और अÂलाह नह;ं चाहते
>क आग >कसी मानव शर;र को छुए।

इन सभी बातY पर Gवचार करने पर यह wन`कष' wनकलता है >क वाXतGवकता म5


>कसी मिु Xलम –यिˆत का एक •ह?द ू साथी से अंतर-धा]म'क Gववाह संभव नह;ं

15
!ेમ का धम'

है । या तो •ह?द ू को धमा'?तरण कर मस
ु लमान बनना होगा अथवा मिु Xलम साथी
को समझौते करने पड़5गे, जो तकनीकo (क़ुरान के अनस
ु ार) 8प से उसे इXलाम से
बाहर ले जायेगा। —मैक

मेरे िलए िकसी बच्चे का बपितस्मा (या अन्य लेबिलं ग) करना उसे ठप्पा लगाने के
समान है, क्योंिक उसे नहीं पता िक क्या हो रहा है। और वह उस बपितस्मा के साथ
आजीवन रहेगा। जैसे िक एक व्यिक्त िकसी दू सरे व्यिक्त को उसके नाम से प्रेम
करता है उसे उस नाम से पहचानता है, ठीक उसी प्रकार उसके धमर् से भी उसकी
पहचान होती है। िकन्तु इस तरह हमारा िवकास सीिमत हो जाता है क्योंिक हम अपने
जन्म के धमर् के अनुसार प्रचिलत मान्यताओं के अनुसार ही व्यवहार करते हैं। एक
िवभाजक दीवार हमेशा खड़ी रहती है िजसे तोड़ना बहुत मुिश्कल होता है।
—कल्पेश गाजीवाला
(http://www.patheos.com/Resources/Additional-
Resources/Bindis-and-Baptism.html)

16
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड २.४: एक िहन्दू से प्रेम-सम्बंिधत दस िबं दु

>कसी अ¹ाहम-पंथी (ईसाई, मिु Xलम और यहू•दयY) के ]लए >कसी सनातनी पmरवार
के साथ सामंजXय बैठना क•ठन हो सकता है । यहाँ उठाए गए कुछ Ëबंद ु अ¹ाहम-
पं9थयY के ]लए आपGÜजनक हो सकते ह/।

अनम
ु ानत: ३८% अमेmरकन सनातनी >कसी अ¹ाहम-पंथी से Gववाह करते ह/।
सामा?यतः •ह?द ू बहुदेववाद; होते ह/ एवं अÂलाह को ईgवर एवं यीशु को तारणहार
मानने के !gन पर >कसी भी और धम' से अ9धक उदार-9चÜ होते ह/। इसके
अwतmरˆत •ह?दओ
ु ं को मिXजद अथवा 9गmरजाघर जाने म5 भी कोई आपGÜ नह;ं
होती एवं वे इसे दस
ू रे धम° को जानने के अवसर कo तरह लेते ह/। इतना ह; नह;ं,
एक •ह?द ू साथी को अपनी संतान को दस
ू रे धम° का iान दे ने म5 भी कोई आपGÜ
नह;ं होती, यहाँ तक >क वह अपने बFचे कo बपwतXमा, स?
ु नत अथवा बार]मšXवा
जैसी रXमY के ]लए भी तैयार हो जाता/जाती है । अपने साथी का खल
ु ापन,
स•ह`णत
ु ा एवं एक Ëबलकुल नया धम' और संXकृwत जैसी Gवशेषताएं आपको
(मिु Xलम को) एक •ह?द ू –यिˆत से Gववाह करने के ]लए लालाwयत कर सकती
ह/, >क?तु एक •ह?द ू को अपना जीवन साथी बनाने से पहले आपका •ह?दओ
ु ं के
बारे wनkन बात5 जानना आवgयक हो जाता है :

१. खान-पान: एक •ह?द ू सामा?यतः शाकाहार; होता है एवं यह भी चाहे गा/चाहे गी


>क पmरवार और कोई मांसाहार न करे । अˆसर म•दरा पान भी •ह?दओ
ु ं म5 अFछÍ
आदत नह;ं समझी जाती है ।

२. Bववाह: एक •ह?द ू संभवतः इXला]मक wनकाह के ]लए सहमwत दे सकता है ,


>क?तु वह चाहे गा >क •ह?द ू र;wत mरवाज़ से भी Gववाह संप?न हो। ऐसे Gववाह म5
अनेकानेक •ह?द ू दे वY और दे GवयY का पÝ
ृ वी, जल और आकाश से आÒवाहन >कया
जाता है । ˆया मिु Xलम समाज ऐसे बहुदेववाद; संXकार का •हXसा बनना पसंद
करे गा? ऐसा Gववाह संXकार करने से पहले अपने इमाम से परामश' अवgय कर
ल5।

३. नवीनता: •ह?द ू पहनावा, भोजन और संXकृwत पहले पहल आपको मनमोहक


अवgय लगेगी >क?तु ऐसी नवीनता कo चमक शीÞ ह; फoकo पड़ जाती है । इसी
!कार एक •ह?द ू साथी को इXलाम कo कुछ बात5 भावक
ु कर सकती ह/, >क?तु
Gववाह पgचात भावनाओं कo !भावशीलता बदल जाती ह/।

17
!ेમ का धम'

४. एकजट
ु पTरवार: •ह?द ू सामा?यतः GवXतत
ृ पmरवार म5 Gवgवास रखते ह/ जहाँ
दरू के सkब?धी भी आपके साथ रहते ह/। Gववाह-पgचात नवGववा•हत दं पGÜ को
सभी अपने घर आमंËlत करते ह/ और यह ]सल]सला हµतY तक चलता है । अब
यह आपके सामने तो नह;ं कहा जायेगा >क?तु एक मिु Xलम को अपने पmरवार के
भीतर पाकर वे कुछ संशयी तो अवgय हYगे य•द आप उन पर धा]म'क 8पांतरण
के ]लए !यास कर5 , एवं आपको यह पmरिXथwतयो को सहन करना ह; होगा।

५. म:ू त2-पज
ू ा: Gववाह पgचात आपको अलग-अलग समयY पर बहुत सारे पज
ू ा
काय'(मY म5 म•दरY और घरY पर आमंËlत >कया जायेगा जहाँ पर अलग-अलग
दे वY और दे GवयY का पज
ू न >कया जाता है । आप ऐसे आमंlणY को हमेशा के ]लए
नह;ं नकार सकते एवं आपका •ह?द ू साथी भी आपके घर म5 भी पज
ू ा घर बनाने
कo िज़द करे गा। य•द आपका साथी आपके (इXलाम) धम' के सभी संXकारY म5
उपिXथत था तब आपका मwू त'-पज
ू ा का Gवरोध करना, टकराव पैदा कर सकता है ।

६. खतना: एक •ह?द ू साथी अपने बेटY के खतने का Gवरोध कर सकता है ˆयY>क


•ह?द ू धम' म5 इसे एक नवजात ]शशु के !wत •हंसा कहा जा सकता है । खतने के
समथ'न म5 XवाXथ-सkब?धी दावY को नए वैiाwनक तÝयY के आधार पर चन
ु ौती
द; जा सकती है ।

७. आWयािZमक अंत[2वंद: आपका •ह?द ू साथी आपके पmरवार और सामािजक


कारणY से आपके धा]म'क काय'(मY का •हXसा तो बन सकता है >क?तु आपके
अ¸याšम को अपनाना उसके ]लए असंभव ह; होगा। हो सकता है >क श(
ु वार
(जम
ु ा) को कo जाने वाल; !ाथ'ना म5 वह आपके साथ तो हो >क?तु अंतम'न म5
कह;ं अपने दे वY का ह; ¸यान कर रहा हो।

८. मनोभाव^ म_ बदलाव: अपने बFचY को मिु Xलम बनाने के ]लए आप अपने •ह?द ू
साथी को श8
ु म5 मना तो सकते ह/ >क?तु हो सकता है >क बाद म5 वो उलाहने
•दए जाएं जैसे >क “मिXजद म5 आ(ामक बात5 कह; जाती ह/ जो बFचे के ]लए
अFछा नह;ं है ”। यह भी कहा जा सकता >क “बFचा कह;ं घम
ू ने->फरने अथवा कुछ
Gवiान सीखने के Xथान पर कुरान ˆयY पठता है ?”

९. झूठा धमा2fतरण: एक •ह?द ू wनकाह-हे तु धमाÏतरण कर भी ले पर?तु àदय से


वह •ह?द ू ह; रहे गा। उसके ]लए धमाÏतरण केवल एक रXम भर होगा िजसका कोई
धा]म'क अथ' नह;ं है ।

18
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

१०. बहुलतावाद5: एक •ह?द ू समावेशी होने के साथ साथ बहुलतावाद; (pluralist)


भी होता है , इसका अथ' है वह आपके इXला]मक एकेgवरवाद (One God) को
Ëबना समझे अपना तो लेगा >क?तु अपनी बहुलतावाद;/बहुदेववाद; (One God in
many forms19) आXथा भी नह;ं छोड़ेगा। एक •ह?द ू अपने भगवान के साथ
अÂलाह को भी अपना सकता है >क?तु अपने •ह?द ू दे वY को छोड़ दे ने वाल; बात
उसको समझ म5 नह;ं आएगी। अपने बहुदेववाद; Gवgवास के अनस
ु ार वह अÂलाह
को अपने भगवान का ह; एक अवतार मान लेगा। इस बात >क परू ; सkभावना है
>क एक मिु Xलम और एक •ह?द ू कo संतान या तो बहुदेववाद; हो अथवा नािXतक
हो।

कोई भी यग
ु ल जो एक अंतर-धा]म'क Gववाह (मिु Xलम और •ह?द ू के बीच) करना
चाहता है , उसे इन सभी दस Ëबंदओ
ु ं पर भल;-भांwत Gवचार कर लेना चा•हए।
Gववाह-पव
ू ' ऐसे मतभेदY पर >कया गया 9चंतन भGव`य म5 हYने वाले टकराव, शोक
और दःु ख को टाल सकता है । यह भी संभव है >क दोनY !ेमी अपने अFछे भGव`य
के ]लए अंतर-धा]म'क Gववाह और अपने !ेम संबंधY को, दोनY को ह; पण
ू ' Gवराम
लगा द5 । एकेgवरवाद, बहुदेववाद, और बFचY का धम' जैसे !gन उठाना ऐसे अंतर-
धा]म'क संबंधY पर !gन-9च?ह लगा सकता है । वह;ं दस
ू र; ओर, एक दसू रे के धम°
के !wत जाग8कता और मतभेद का आपसी wनपटान, एक सफल और सख
ु द अंतर-
धा]म'क Gववाह कo पहल; सीढ़; बन सकते ह/।

19
एकम सत •वIा बहुधा वदिhत (ऋ•वेद १.१६४.४६), अथा„त, स•य एक है : िजसे ब‘ ु ’धमान
•वzभhन नाम€ से बल
ु ाते ह“। अhय इसे बहुदे ववाद~ (बत
ु परƒत, pagan) के •प मe xया–या कर सकते
ह“।

19
!ेમ का धम'

खंड २.५: िहन्दू -मुिस्लम सम्बन्ध का सार

एक •ह?द-ू मिु Xलम Gववाह म5 कुछ भी गलत नह;ं है य•द वह समझ-बझ


ू और परू ;
जाग8कता से >कया जाये। यह पX
ु तक आपको आपके द;घ' और सख
ु ी वैवा•हक
जीवन कo !ाwã म5 सहयोग करे गी, >फर चाहे वह अंतर-धा]म'क Gववाह ह; ˆयY ना
हो।

भावनाओं म5 बहकर ]लया गया एक wनण'य, िजसम5 कुछ भी भला बरु ा न सोचा
गया हो, भGव`य के सख
ु द या दख
ु द पmरणामY पर Gवचार नह;ं >कया गया हो, ऐसा
wनण'य आपका जीवन न`ट कर सकता है । सkब?ध-GवFछे द (तलाक़), Gवशेषकर
संतानोšपGÜ के उपरांत, बहुत ह; कäकारक होता है अतः अFछा यह; है >क सFचाई
समय रहते ह; पता लग जाये अथा'त Gववाह पव ू ' सभी तÝयY पर भल;-भाँती Gवचार
कर ]लया जाना चा•हए।

आपको परू ; पX
ु तक पढ़ने कo आवgयकता नह;ं है >क?तु आप इसे एक स?दभ'
सामžी कo तरह उपयोग कर सकते ह/। स?दभ' सामžी से हमारा ताšपय' है >क
>कसी पmरXथwत-Gवशेष के ]लए हम इस पX
ु तक म5 उपलÊध उदाहरणY कo सहायता
ले सकते ह/। इस पX
ु तक म5 ४५ अंतर-धा]म'क यग
ु लY के जीवन अनभ
ु व •दए गए
ह/ और आप अपनी पmरिXथती अनस
ु ार उन अनभ
ु वY को पढ़ सकते ह/। आपसे
अनरु ोध है >क धम'žंथY पर आधाmरत खÁड ६ एवं Gववाह और सkब?ध-GवFछे द
कानन
ू Y पर आधाmरत खÁड ७ अवgय पढ़5 ।

अगर आप wनkन अव9ध अथा'त छोटे छोटे वी•डयो संदेशY के मा¸यम से समझना
चाहते ह/ तब wनkन वी•डयो दे ख5:

१ अंतर-धा]म'क Gववाह: https://youtu.be/hlAuY85RlcE


२ •ह?द-ू मिु Xलम Gववाह: https://youtu.be/gvZSqdmnxKM
३ शmरया कानन
ू और आपका Gववाह: https://youtu.be/RiWLGEKusIg
४ लेखक के अ?य स?दे श:
https://www.youtube.com/InterfaithShaadi/videos

कृपया अपने भावी जीवन साथी के साथ wनkन १० समझौता (खंड २.५.१ ओर खंड
२.५.२) पर अवgय परामश' कर5 । >कसी भी संवेदनशील !ë पर संकोच ना कर5 ,
इस समय आपका भGव`य आपके ]लए सबसे संवेदनशील Gवषय होना चा•हए।
इसके उपरांत, दोनY ओर के माता-Gपता अथवा अ]भभावकY को भी अपने wनण'य

20
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

से अवगत कराएं और इन Ëबंदओ


ु ं पर उनसे भी GवXतत
ृ चचा' कर5 । ऐसे समझौतY
पर गंभीरता से चचा' कर5 िजन पर असहमwत हो।

लेखक आXथाओं म5 समानता पर Gवìास रखते ह/ इसी कारण वह मानते ह/ >क


Gववाह के ]लए धमा'?तरण समानता का íोतक नह;ं है । इसी !कार अंतर-धा]म'क
Gववाह से उšप?न संतानY का दोनY ह; आXथाओं के साथ लालन-पालन होना
चा•हए। यíGप, यह उस अंतर-धा]म'क यग
ु ल का wनण'य होना चा•हए >क उनके
वैवा•हक जीवन के ]लए ˆया अFछा है ˆया बरु ा।

यहाँ पर •ह?द ू और मिु Xलम दोनY ह; सा9थयY को अपना ÐGäकोण सवîपmर रखना
चा•हए। हो सकता है >क अ?य पs आपसे सहमत ना हY >क?तु सभी पहलओ
ु ं पर
चचा' आवgयक है ।

21
!ेમ का धम'

खंड २.५.१: एक िहन्दू से साथ दस समझौतें

य•द आप एक मिु Xलम ह/ तब कृपया इन सभी Ëबंदओ


ु ं पर अपने •ह?द ू साथी से
मंlणा अवgय कर5 ता>क आप एक सझ
ू -बझ
ू से यˆ
ु त wनण'य ले सक5। संभव है
>क इनम5 से कुछ Ëबंद ु आपके ]लए महBव ना रखते हY, >क?तु इन !ëY के उÜर
आपके ]लए अšयंत आवgयक ह/ ता>क आप समझ सक5 >क आपका साथी
इXला]मक धम' के र;wत mरवाज़Y को अंगीकार करने >क ]लए >कतना तैयार है ।
अपनी परXपर मंlणा के उपरा?त अपने माता Gपता को भी अपने wनण'य से अवgय
अवगत कराएं।

अपने •ह?द ू साथी से पछ


ू 5 >क ˆया वह wनkन Ëबंदओ
ु ं पर आपसे सहमत है :

१. wनकाह के ]लए तk
ु ह5 मस
ु लमान बनना होगा और अपना एक मिु Xलम नाम
रखना होगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

२. म/ (मिु Xलम साथी) आपके •ह?द ू Gववाह समारोह का •हXसा नह;ं बन सकता/
सकती।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

३. धमा'?तरण के उपरा?त तम
ु (•ह?द ू साथी) •ह?द ू मं•दरY म5 नह;ं जा सकते/
सकती और •ह?द ू šयौहार भी नह;ं मना सकते/सकती।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

४. हमारे मिु Xलम पmरवार म5 तम


ु कोई भी •ह?द ू दे वY कo मwू त' अथवा 9च?ह नह;ं
रख सकते//सकती।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

22
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

५. तk
ु हे मांस पकाना होगा और बकर;द जैसे šयोहारY का •हXसा बनना ह;
होगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

६. तk
ु हे पांचY वïत कo नमाज़ पढ़नी ह; होगी।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

७. एक मिु Xलम होने के नाते तk


ु हे अपने कुल संपGÜ का २.५% •हXसा हर साल
ज़कात म5 दे ना होगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

८. हमारे पl
ु Y और तk
ु ह5 (•ह?द ू प›
ु ष साथी) को खतना कराना ह; होगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

९. हमार; संतान के अरबी नाम हYगे और उनका लालन-पालन एक मिु Xलम कo


तरह होगा, •ह?द ू कo तरह नह;ं।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

१०. हमार; संतान और तk


ु ह5 (भत
ू पव
ू ' •ह?द)ू मšृ यु पðात इXला]मक र;wत-mरवाज़
से सप
ु द
ु ½ खाक >कया जायेगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

23
!ेમ का धम'

खंड २.५.२: एक मुिस्लम के साथ दस समझौतें

य•द आप एक •ह?द ू ह/ तब यह १० समझौत5 आपको अपने मिु Xलम साथी से


पछ
ू ने ह; चा•हये। संभव है >क इनम5 से कुछ Ëबंद ु आपके ]लए महBव ना रखते
हY, >क?तु इन !ëY के उÜर जानना आपके ]लए अšयंत आवgयक ह/ ता>क आप
समझ सक5 कo आपका साथी एक धमाÏध या क™टरपंथी (fanatic) मिु Xलम तो
नह;ं। अपनी परXपर मंlणा के उपरा?त अपने माता-Gपता को भी अपने wनण'य से
अवgय अवगत कराएं।

अपने मिु Xलम साथी से पछ


ू 5 >क ˆया वह wनkन Ëबंदओ
ु ं पर आपसे सहमत है :

१. हमारा •ह?द ू Gववाह समारोह भी होगा।


☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

२. हम इXला]मक wनकाह नह;ं कर5 गे ˆयY>क उसके ]लए धमा'?तरण आवgयक


है ।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

३. म/ मिु Xलम नाम नह;ं रखग


ूँ ा/रखंग
ू ी, •दखावे माl के ]लए भी नह;ं।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

४. म/ गौमांस अथवा >कसी भी अ?य मांस का सेवन नह;ं क8ँगा/क›ँ गी। मझ



पर ऐसा करने का कोई दवाब भी नह;ं होगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

24
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

५. म/ कोई भी नक़ाब अथवा •हज़ाब नह;ं पहनंग


ू ी। यíGप एक •ह?द ू होने के
नाते म/ मXतक पर Ëबंद; लगाउं गी और साड़ी भी पहनंग
ू ी।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

६. म/ घर पर •ह?द ू दे वY कo पज
ू ा क›ँ गा/क›ँ गी तथा हमार; बैठक म5 भगवान
गणेश कo मwू त' भी रखग
ंू ा/रखंग
ू ी।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

७. हमारे बFFचY के •ह?द ू नाम हYगे, अरबी नह;ं।


☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

८. म/ (•ह?द ू प›
ु ष साथी) और हमारे पl
ु अपना खतना नह;ं करवाएंगे।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

९. हमारे बFचY का लालन पालन •ह?द ू आXथा के अनस


ु ार होगा, मिु Xलम
आXथा से नह;ं।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

१०. मेरे और मेरे बFचY के मšृ योपरांत, हमारा •ह?द ू Gव9ध Gवधान से अंwतम
संXकार होगा।
☐ सहमत ☐ असहमत
•टŽप•णयाँ:

25
अध्याय ३: िहन्दू -मुिस्लम प्रेम कहािनयां
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

27
!ेમ का धम'

खंड ३.१: एक मुिस्लम को सलाम

wनkन]ल•खत लेख ®ीमwत सीमा (गुफरान) माहे gवर; के एक पl पर आधाmरत है


िजसका शीष'क ह/ "Loyalty and Indian Muslims" (भारतीय मुिXलम और
उनकo wन`ठा)। यह लेख India Abroad म5 २७ नवंबर २००९ को !का]शत था।

सीमा का Gवgवास है >क मेजर wनदाल हसन20 ´वारा फोट' हुड टे ˆसास म5 >कया
गया नरसंहार उनकo एक अमेmरकo ]सपाह; और एक मिु Xलम के तौर पर Gवभािजत
wन`ठाओं का पmरणाम था। मेजर wनदाल हसन को लगता था >क दोनY पmरिXथwतयY
एक दस
ू रे से अलग ह/। ऐसी ह; कुछ दGु वधा भारतीय मस
ु लमानY के समs भी
रहती है , ˆयY>क कुछ मस
ु लमान तो अपने आप को एक भारतीय पहले मानते ह/,
वह;ं दस
ू र; तरफ Xवदे शी मिु Xलम आतंकवाद; भी ह/ जो केवल खद
ु कo बात करते
ह/।

सीमा के पmरवार ने भी इस wन`ठा कo दGु वधा का अनभ


ु व सन १९४७ म5 >कया
था। उनके Gपता ˹गे•डयर मोहkमद गुफरान और उनके Gपता के बड़े भाई ˹गे•डयर
मोहkमद उXमान बंटवारे के समय भारतीय सेना म5 थे।

नई नई ग•ठत हुई पा>कXतानी सरकार चाहती थी >क ˹गे•डयर उXमान पा>कXतान


आ कर पा>कXतानी सेना¸यs का पद संभाल5। ˹गे•डयर उXमान ने यह आमंlण
अXवीकार कर •दया ˆयY>क उनका पmरवार Xवयं को एक भारतीय पहले समझता
था। उसके बाद ˹गडेर उXमान को अपने ह; भाइयY और साथी मस
ु लमानY के
Gव›´ध लड़ना था, उनके ऊपर ५०,००० ›पए का इनाम घोGषत कर •दया गया
था। वे ३ जल
ु ाई १९४८ को तब शह;द हुए जब वे नौशेरा म5 लड़ाई के दौरान अपने
जवानY का नेतšृ व कर रहे थे। उ?ह5 "नौशेरा का शेर" भी कहा जाता है ।

हालां>क सीमा के Gपता और उनका पmरवार ˹गे•डयर उXमान कo मšृ यु से बरु ;


तरह टूट गए थे पर?तु उनके भारत म5 रहने के wनण'य पर कभी कोई !gन9च?ह
नह;ं लगाया गया। अमेmरका म5 बस जाने के बाद भी सीमा के अंदर भारतीय होने
का गौरव और जòबा उतना ह; !बल है िजतना ३८ साल पहले उनके बचपन म5
था।

20
https://en.wikepedia.org/wiki/Nidal_Malik_Hasan.

28
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

य•द ६२ साल पहले सीमा के पmरवार ने पा>कXतान जाने का wनण'य ]लया होता
तो सीमा ने भी भारतीय गौरव से ओत!ोत India Abroad को यह पl न ]लखा
होता और wनिgचत ह; उनका Gववाहोपरांत उपनाम माहे gवर; न होता। —सीमा
माहे gवर;

[सीमा के मिु Xलम पmरवार ने भारत कo Xवतंlता और भारतीय ]सने जगत म5


अभत
ू पव ु ाम अÊबास, िज?हYने
ू ' योगदान •दए। उनके सkबि?धयY म5 ‰वाजा ग़ल
१८५७ कo (ांwत म5 पानीपत म5 अपने !ाणY कo आहुwत द;, प´म ®ी से सkमाwनत
>फÂम wनमा'ता ®ी के ऐ अÊबास, महावीर च( Gवजेता ˹गे•डयर मोहkमद उXमान,
Gपता ˹गे•डयर मोहkमद गुफरान, नी]लमा अज़ीम एवं शा•हद कपरू शा]मल ह/।]

ु र:
लेखक (Gदल5प अमीन) का *Zयk

जैसा >क India Abroad म5 ४ •दसंबर २००९ को छपा था।

आपको मेरा सलाम, सीमा,

म/ एक अ]भमानी भारतीय मिु Xलम सीमा माहे gवर; के "wन`ठा और भारतीय


मस
ु लमान" के सkब?ध म5 ]लखे गए पl से बहुत भावक
ु हुआ।

उनके पmरवार ´वारा दे श के ]लए •दए गए ब]लदान का सkमान होना चा•हए।


सीमा ने ऐसे कुछ म´
ु दY को बड़ी ह; सफलतापव ' Xप`ट >कया है , जैसे >क कुछ
ू क
मस
ु लमान Xवयं को भारतीय पहले समझते ह/ वह;ं दस
ू र; और Xवदे शी मस
ु लमान
आतंकवाद; भी ह/ जो Xवयं के अwतmरˆत कुछ नह;ं सोचते। उ?हYने यह भी Xप`ट
>कया >क य•द उनका पmरवार १९४७ म5 पा>कXतान चला गया होता तो उनका
उपनाम माहे gवर; नह;ं हो सकता था।

अब हम सभी, मस
ु लमान और •ह?द,ू जो अब अमेmरका म5 बस चक
ु े ह/, एक नई
ु ौती का सामना कर रहे ह/, इस बार साk!दाwयक Gवभाजन नह;ं अGपतु अगल;
चन
पीढ़; म5 होने वाले अंतर-धा]म'क Gववाह हमारे ]लए चन
ु ौती बन कर खड़े ह/। हमार;
खोज यह दशा'ती है >क ३८%21 •ह?द ू और ४५%22 मस
ु लमान अपने धम' से बाहर
Gववाह करते ह/ एवं इनम5 से कई Gववाह •ह?द ू और मस
ु लमान के बीच होते ह/।

21
https://www.interfaithshaadi.org/the-changing-landscape-of-hindus-in-america-an-
interfaith-marriages-survey/.
22
https://www.interfaithshaadi.org/the-changing-landscape-of-muslims-in-america-a-
survey-of-interfaith-marriages/.

29
!ेમ का धम'

अब दे खना यह है >क धम' और साथी के !wत wन`ठा का संतल


ु न कैसे बनाया
जाता है । ˆया ये दोनY wन`ठाएं एक दस
ू रे से अलग रहकर भी साथ-साथ चल
सकती ह/?

य•द हम मेजर wनदाल हसन कo बजाय सीमा माहे gवर; को एक !ेरणा öोत मान5,
तब यह आशा कo जा सकती है >क अंतर-धा]म'क यग
ु ल और उनके पmरवार एक
दस
ू रे के धम° के !wत स•ह`णत
ु ा का पmरचय दे सकते ह/ तथा धमा'?तरण जैसी
!थाओं को अपने नवीन संबंधY से दरू रख सकते ह/। —•दल;प अमीन

30
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.२: एक िहन्दू : अंततः मुझे अिनच्छा से इस्लाम स्वीकार करना पड़ा

InterfaithShaadi.org पर अ9धकतर पोXट और कम5 ट एक गैर-मुिXलम कo


मुिXलम से Gववाह से सkबं9धत होते ह/ (८०० से अ9धक)। इस बात को ¸यान म5
रखते हुए >क यह !मुख ›9च का Gवषय है , लेखक ने ४५ ऐसे •ह?द-ू मुिXलम युगलY
के वाXतGवक जीवन के अनुभवY को इस पुXतक म5 सिkम]लत >कया है । अंतर-
धा]म'क !ेमी युगलY को ऐसे वाXतGवक जीवन के अनुभवY को पढ़ना चा•हए और
उसके बाद ह; कोई अगला wनण'य लेना चा•हए।

आयेशा (पव
ू 2 नाम द5पा) कहती ह>:

मेरा Gववाह एक मिु Xलम यव


ु क के साथ आठ मह;ने पहले हुआ था और म/ने ५
मह;ने पहले इXलाम म5 लौट कर आ गई23 धम' पmरवत'न >कया। मेर; अपने पwत
से मल
ु ाक़ात कॉलेज के •दनY म5 सात साल पहले हुई थी और हमने अFछे दोXतY
कo तरह बहुत ह; अFछा समय गुज़ारा। जब कॉलेज ख़šम हुआ तब हम भी अलग
हो गए >क?तु बातचीत होती रह;। >फर दो साल पहले हमार; दोबारा मल
ु ाक़ात हुई,
इस बार जब हमने एक साथ समय गज़ ु ारा तब यह wनण'य ]लया >क हम5 Gववाह
कर लेना चा•हए। हमने Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ (Special Marriage Act
1954) के अंतग'त Gववाह >कया।

मेरे पwत ने कभी इXलाम को लेकर बात नह;ं कo थी और इXलाम को अपनाने


(धम' पmरवत'न) के बारे म5 हमने सोचा भी नह;ं था। >क?तु मेरे पmरवार म5 इस
Gववाह का बहुत Gवरोध हुआ ˆयY>क उनका कहना था >क मझ ु े एक मिु Xलम
पmरवार के साथ सामंजXय बैठाने म5 बहुत मिु gकल होगी। म/ने उनकo एक न सन ु ी
और सोचा >क म/ कैसे भी करके काम चला ह; लग
ंू ी >क?तु दभ
ु ा'Iयवश मेरे माता-
Gपता का पmरवार ठÍक ह; कहता था। जब म/ने अपनी ससरु ाल म5 !वेश >कया तब
मेरा Xवागत Gवरोध और असहयोग के साथ हुआ और घर का वातावरण बहुत ह;
ू कर लँ ू और मेर; ननद
असहज था। मेर; सास चाहती थीं >क म/ इXलाम कबल
(पwत कo बहन) ने भी यह; सझ
ु ाव •दया >क ऐसा करने से (धमा'?तरण) मेर;
पmरवार म5 Xवीकाय'ता बढ़ जाएगी। >क?तु मेरे पwत मौन थे।

23
मस
ु लमान€ का मानना है —क हर जhम लेने वाला ब˜चा मिु ƒलम होता है । इसी कारण जब एक
गैर-मिु ƒलम इƒलाम क़बल
ू करता है तब वे शOद "धमा„hतरण" के ƒथान पर "इƒलाम मe लौटना" का
Iयोग करते ह“।

31
!ेમ का धम'

म/ने अपने पwत से कहा >क हम एक दस


ू रे घर म5 जाकर रहने लगते ह/, >क?तु
उ?हYने मना कर •दया ˆयY>क वह अपने पmरवार को छोड़ नह;ं सकते और म/
अपने पwत को छोड़ नह;ं सकती थी। अंततः ३ मह;ने के बाद म/ने हार मान ल;
और अwनFछा से इXलाम क़बल
ू कर ]लया। मझ
ु े एक मिु Xलम नाम •दया गया
"आयेशा" और हमारा wनकाह भी हुआ। इस सबके बाद मेरा जीवन परू ; तरह बदल
गया। मझु े अपनी नौकर; छोड़ने के ]लए Gववश >कया गया और म/ने ऐसा >कया
भी।

अब मेरे ससरु ाल के पmरवारजन •यादा खश


ु और मैlीपण
ू ' ह/। मेर; सास ने मझ
ु े
सालात (नमाज़) पढ़ना ]सखाया िजसे मझ
ु े •दन म5 पांच बार पढ़ना होता है । एक
भी सालात को छोड़ने कo Ëबलकुल भी अनम
ु wत नह;ं है । खाल; समय म5 वे मझ
ु े
क़ुरान और हद;स पढ़ाती ह/। बहुत सार; बं•दश5 मझु पर लागू ह/ जैसे >क मझ ु े एक
काल; पोशाक िजसे अबाया (बक
ु ा') कहते ह/ पहननी होती है , मझ
ु े •हजाब भी पहनना
होता है और अगर म/ ना पहनंू तो वे (ो9धत होते ह/। इसके अwतmरˆत मझ
ु े घर
म5 या बाहर जाने पर भी अबाया (बक
ु ा') और •हजाब पहनना पड़ता है जो जी?स
पहनने के बजाय एक अलग ह; अनभ
ु व है । उ?हYने मझ
ु े नक़ाब पहनने के ]लए
नह;ं बोला है पर?तु म/ उससे भी •यादा •दनY तक बच नह;ं पाऊँगी।

मेरे सभी दXतावेज़ जैसे >क पासपोट' और वोटर काड' पर अब मेर; नई पहचान है ।
मेरा मिु Xलम नाम आयेशा भी राशन काड' म5 जोड़ •दया गया है और म/ने इसी
नाम से आधार काड' के ]लए भी आवेदन कर •दया है । मेर; परु ानी पहचान परू ;
तरह से ]मटा द; गई है , और वह केवल मेर; यादY म5 जीGवत है ।

म/ भी अब अपनी •ह?द ू पहचान से मिु Xलम पहचान कo ओर जा रह; हूँ। कभी-


कभी दःु ख और घट
ु न का अनभ ु व होता है >क?तु अब मझ
ु े इनके साथ ह; जीना
होगा। मेरे माता-Gपता मझ
ु े लेकर बहुत दख
ु ी रहते ह/ पर?तु उ?हYने मझ
ु े अभी तक
šयागा नह;ं है पर?तु अब उनसे मेरा संपक' बहुत ह; कम होता है ।

एकमाl अFछÍ बात है , मेरे पwत। उनके –यवहार म5 कोई बदलाव नह;ं आया है ।
वह अभी भी मझ
ु े वैसे ह; Žयार करते ह/ हालां>क वो कभी-कभी सझ
ु ाव दे ते ह/ >क
मझ
ु े इXलाम को बेहतर तर;के से जानने के ]लए मदरसे जाना चा•हए िजससे मेरा
जीवन इस नए धम' म5 आसान हो जाये >क?तु ऐसा करने का दबाव नह;ं डालते।

जो भी एक मिु Xलम से Gववाह करने जा रहे ह/ उ?ह5 यह ¸यान रखना चा•हए >क
ऐसे अंतर-धा]म'क GववाहY म5 जीवन आसान नह;ं होता तथा बहुधा आपको (•ह?द ू

32
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

को) ब]लदान दे ने ह; पड़ते ह/। ऐसे अ9धकतर ब]लदान म•हलाओं के खाते म5 ह;


आते ह/ अथा'त म•हलाओं को ह; ब]लदान करने पड़ते ह/। —आयेशा

आयेशा आगे कहती ह> (३ मह5ने बाद):

मेरा अब >कसी धम' अथवा आXथा से लगाव नह;ं ह/। म/ इXलाम का अनस
ु रण
केवल •दखावे माl के ]लए कर रह; हूँ। —आयेशा

आयेशा आगे कहती ह> (६ मह5ने बाद):

मझ
ु े यह पता था >क मेर; सास मझ
ु े आसानी से Xवीकार नह;ं कर5 गी, अगर म/
इXलाम म5 आयी (धम' पmरवत'न नह;ं >कया होता) नह;ं होती तब हमारा वैवा•हक
जीवन एक अथवा दो साल म5 ह; समाŽत हो जाता। अब मझ
ु े आशा है >क मेरा
Gववाह मेर; उkमीद के मत
ु ाËबक़ ह; चलेगा। अब मझ
ु े कोई ]शकायत नह;ं है ।
इXलाम म5 लौटना (धम' पmरवत'न) मेरे ]लए •हतकार; रहा ˆयY>क म/ अब इXलाम
और उसकo परkपराओं के अनक
ु ू ल हो चक ु हूँ। —आयेशा
ु o हूँ। म/ अब खश

33
!ेમ का धम'

खंड ३.३: वह (मुिस्लम) बहुलतावाद का िसद्धांत नहीं समझ सकता

लेखक ने पाया >क आज के दो युवाओं कo सोच म5 बहुत बड़ा अंतर ह/। एक


बहुलवाद; (pluralist) एवं एक समावेशी (inclusivist) को अपने भावी साथी कo
धा]म'क मा?यताओं का •हXसा बनने म5 कोई समXया नह;ं होती >क?तु एक
Gव]श`टवाद; (exclusivist) के मन म5 >कसी दस
ू रे कo आXथा का •हXसा बनने
का Gवचार नह;ं होता।

अmेयवाद5 (Agnostic24) का कहना है :

म/ एक •ह?द ू ¹ाÒमण लड़कo हूँ। म/ अमेmरका म5 रहती हूँ और म/ने काफo समय
कनाडा म5 भी गज़ु ारा। म/ कुछ •दनY के ]लए एक पा>कXतानी यवु क को पसंद भी
करती थी। वह काफo खल
ु े GवचारY वाला था, कंŽयट
ू र साइंस म5 Xनातक भी था
और उसके पास एक अFछÍ नौकर; भी थी। उसका पmरवार भी Gवदे श म5 रहता था
और संभवतः थोड़ा स•ह`णु भी था।

>क?तु कुछ ऐसी बात5 भी थीं जो असहज थीं:

१. म/ एक शाकाहार; हूँ। सच कहूं तो अमेmरका आने के बाद म/ने पण


ू ' शाकाहार
अपनाया। >क?तु वे लोग एक •दन भी मांस खाये Ëबना नह;ं रह सकते थे। मेरे
]लए ईद-उल-अधा पर बकरे को कटते हुए दे खना भी बहुत मिु gकल था। मझ
ु े इस
बात का डर था >क भGव`य म5 मझ
ु े भी मांस को छूना और काटना पड़ेगा।

२. हमारे सkब?ध म5 थोड़े •दनY के बाद, उसने कहा >क म/ जो चाहूँ वैसे ह; रह
सकती हूँ (•ह?द ू अथवा मिु Xलम) >क?तु होने वाले बvचे मिु Mलम ह5 ह^गे। यह
मेरे साथ उ9चत नह;ं था। मेरा सोचना है >क य•द आप एक अंतर-धा]म'क सkब?ध
म5 ह/ तब आपको अपने साथी कo मा?यताओं के !wत स•ह`णु होना चा•हए। म/
चाहती थी >क मेरे बFचे दोनY ह; धम° के बारे म5 जाने और एक –यापक समझ
से साथ बड़े हY। हमारे बेटा/बेट; मेरे पmरवार के साथ •ह?द ू भी हY और उसके
पmरवार के साथ उतने ह; मिु Xलम भी हY। >क?तु वह (मिु Xलम साथी) बहुलतावाद
का ]स´धांत समझने और मानने को सहमत नह;ं हुआ।

३. मझ
ु े नह;ं लगता >क वह हमारे घर म5 एक पज
ू ा घर बनाने को लेकर सहज

24
https://www.youtube.com/watch?v=L4dQ-4irCEY.

34
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

होगा। पर मेरे ]लए यह महšवपण


ू ' है । मझ
ु े मिXजद जाने से कोई परहे ज़ नह;ं है
पर?तु म/ मं•दर भी जाना चाहती हूँ।

हालां>क मेरा साथी बहुत ईमानदार था। उसने मझ


ु े बहकाने का !यास नह;ं >कया
और सब कुछ साफ़-साफ़ बताने के बाद उसने मझ ु े सोच Gवचार कर wनण'य लेने
के ]लए बोला। सब कुछ समझने के बाद हमने अलग होने का wनण'य ]लया।

हाँ, पहले के कुछ मह;ने बहुत बरु े बीते। पर मझ


ु े अब ख़श
ु ी है >क हम अलग हो
गए। एक सkब?ध म5 दोनY –यिˆतयY कo द;घ'का]लक !स?नता के ]लए अFछा है
आप अपनी Gव]श`टता और –यिˆतšव बनाये रख5। आपकo अपनी पहचान आपसे
अलग नह;ं कo जानी चा•हए।

ु लमान के •ह?द ू बनने कo उतनी ह; Gवरोधी हूँ िजतनी •हंद ू


म/ Gववाह के ]लए मस
के मसु लमान बनने पर। मझ
ु े लगता है >क धमा2fतरण एक सामािजक बरु ाई है ।

जहाँ तक तk
ु हार; (•डंपल) कहानी कo बात है :

१. अगर तk
ु हारा साथी एक 8•ढ़वाद; पmरवार से है , तk
ु ह5 उसे अभी छोड़ दे ना
चा•हए। इससे कोई फक' नह;ं पड़ता >क वह तk
ु ह5 >कतना !ेम करता है पर?तु वह
तk
ु ह5 अपने पmरवार से •यादा Žयार नह;ं कर सकता। अब य•द उसका पmरवार
खल
ु े •दमाग वाला और क™टर धा]म'क नह;ं है तब शायद बात बन सकती है ।

२. एक ¹ाÒमण होने के कारण, तम


ु तो शायद पण
ू ' शाकाहार; हो। अगर तम

Ëबलकुल भी धा]म'क नह;ं हो तब भी तम
ु अपने ज?म•दवस, •दवाल;, पYगल, आ•द
जैसे शभ
ु अवसरY पर मं•दर ज़8र जाना चाहोगी। यह हमारे समाज म5 एकजट
ु ता
भी बनाए रखता है । अब तk
ु हारा साथी इस सबम5 तk
ु ह5 कह;ं समथ'न नह;ं दे गा।
यह उसकo गलती नह;ं है अGपतु यह दो Gवरोधाभासी Gवचारधाराओं कo ]भ?नता
के कारण उपजा ˆलेश है । तk
ु हारे बFचे तk
ु हारे माता-Gपता के साथ कभी समय
नह;ं गुज़ार पाएंगे और संभवतः तम
ु भी ऐसा नह;ं कर पाओगी।

३. अगर तम
ु अब भी इस –यिˆत के साथ रहना चाहती हो, तब तk
ु ह5 wनkन काय'
करने हYगे: १. अपने आ9थ'क एवं –यावसाwयक 8प से समथ' होने तक !तीsा
करो। अगर पmरिXथwतयां Gवपर;त हो जाती ह/ तब तk
ु ह5 दोनY ह; मोच° पर सरु sा
कo आवgयकता होगी। ऐसे करने तक तम
ु और भी बड़ी एवं पmरपˆव हो जाओगी।
२. यह सब अपनी >कशोरावXथा म5 मत करो, २५-३० वष' कo आयु तक !तीsा
करो। मझ
ु े नह;ं लगता >क लोग २३ वष' कo आयु तक wन`पs और पmरपˆव होते

35
!ेમ का धम'

ह/। ३. मझ
ु े लगता है >क मझ
ु े यह नह;ं कहना चा•हए >क?तु मझ
ु े यह सब कहना
ह; होगा। कृपया करके भावनाओं म5 न बह5 और >कसी भी !कार के शार;mरक
सkब?ध को बढ़ावा न द5 । सीधे शÊदY म5 कहूं तो कोई शार;mरक सkब?ध ना रख5।
अगर एक बार ऐसा हो गया, तब अचानक से सारा !भाव और ताक़त लड़के के
पास Xवतः ह; चल; जाएगी। यह सब तk
ु ह5 भावानाšमक और मान]सक 8प से
Gववश कर दे गा >क तम
ु उसके साथ ह; जीवन Ëबताओ और वह भी Ëबना पmरणाम
कo 9चंता >कये।

शांत रहना सबसे अFछा है और कोई भी wनण'य लेने से पहले •यादा लगाव न
रखो। म/ यह Ëबलकुल नह;ं मानती >क केवल Žयार के सहारे वैवा•हक जीवन
–यतीत >कया जा सकता है । एक बार जब wनराशा घेर लेती ह/ तब !ेम •खड़कo
से बाहर चला जाएगा।

यह सब कहने के बाद भी म/ मिु XलमY के Gव›´ध नह;ं हूँ। मेरे बहुत से अ]भ?न
]मl मिु Xलम ह/। म/ बस यह मानती हूँ >क Gववाह का wनण'य लेने से पहले सभी
!कार कo अपेsाओं का Xप`ट;करण आवgयक है । उससे भी अ9धक आवgयक है
>क आप अपने ]स´धांतY पर अटल रह5 और अपना Xवा]भमान बनाये रख5।

इसके अwतmरˆत यह मा?यता >क Žयार के आगे कुछ भी महšव नह;ं रखता,
सरासर गलत है । आप यह दे खकर आgचय'च>कत रह जाय5गे >क भावनाएं >कतनी
तेजी से बदलती ह/।

चं>ू क म/ने सkब?ध GवFछे द कर ]लया है , इसका अथ' यह नह;ं म/ हमेशा कंु वार;
रहूंगी। वैसे भी इतने लkबे सkब?ध के बाद हम अFछे ]मl तो बन ह; सकते ह/।
—अiेयवाद;

एडxमन का कहना है :

बहुत ह; अFछे Gवचार ह/, जहाँ तक बहुलवाद कo बात है एक खल


ु े GवचारY वाले
बॉल;वड
ु के महान अ]भनेता आ]मर खान का उदाहरण लेते ह/। इस साsाšकार को
प•ढ़ए:

आ]मर खान से >कया गया !gन25: "एक •ह?द ू Xlी र;ना दÜा और उसके बाद
>करण राव से Gववाह करने के बाद ˆया कभी आपने धा]म'क असमंजस का सामना

25
http://ssmusiq.blogspot.in/2010/08/my-wives-may-be-hindu-but-my-kids-will.html.

36
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

>कया?" आ]मर खान ने उÜर •दया, "नह;ं, ऐसा कुछ भी नह;ं हुआ। हमने कभी
एक दसू रे के धम' का अनस
ु रण नह;ं >कया और ना ह; हमने एक दसू रे को ऐसा
करने के ]लए बा¸य >कया। >क?त,ु XवाभाGवक है , म/ने ये Ëबलकुल Xप`ट कर
•दया था >क मेरे बFचे इXलाम का अनस
ु रण ह; कर5 गे"।

अब "मेरे बFचे" से आ]मर खान का ˆया ताšपय' है ? ˆया वे दोनY (माता और


Gपता) कo संतान नह;ं ह/? ˆया श(
ु ाणओ
ु ं का दे ना मां के नौ मह;ने पेट म5 पालने
से •यादा महšवपण
ू ' है ? ˆया आ]मर खान एक क़ौमपरXत ह/ अथवा अस•ह`णु
मिु Xलम ह/? आ]मर खान कo मान]सकता हमार; समझ से परे है िजसे •ह?द ू
पिšनयां तो पसंद ह/ >क?तु •ह?द ू संतान नह;ं? —एड]मन

लेखक यह आशा करते हैं िक िहन्दू -मुिस्लम सम्बन्ध शुरू करने वाले युगलों धािमर् क
िभन्नताओं पर अिधक से अिधक ध्यान दे। अंतर-धािमर् क संबंधों को सीधे सीधे
सुलझाएं (िबना िकसी लाग लपेट के)... उन्हें कल के िलए न छोड़ें। यह मान कर न
चलें िक शादी के कुछ िदनों बाद ये समस्याएं आप स्वयं सुलझा लेंगे। िववाह-पूवर्
समस्याएं अिधकतर िववाह के बाद िवकराल रूप धारण कर लेती हैं।

37
!ेમ का धम'

खंड ३.४: एक मुिस्लम युवक से िववाह करने वाली थी, पर अब नहीं

माधवी कहती ह>:

सव'!थम बहुत बहुत ध?यवाद, ऐसा मंच दे ने के ]लए जहाँ म/ अपनी भावनाओं को
–यˆत कर सकती हूँ।

म/ एक •ह?द ू ¹ाÒमण लड़कo हूँ। म/ Gपछले एक साल से एक मिु Xलम यवु क के


साथ !ेम सkब?ध म5 थी... और समय के साथ म/ने इXलाम और मस ु लमानY के
बारे म5 बहुत कुछ जाना। वे इतने बरु े नह;ं होते >क?तु उनकo ]शsाओं कo म/ wनंदा
करती हूँ। म/ इस बात से बहुत खश ु थी >क मेरा साथी बहुत सहयोगी है ... >फर
जैसे-जैसे समय बीता और हम Gववाह के बारे म5 सोचने लगे... पहले उसने मझ
ु े
एक नया नाम सोचने के ]लए बोला। जब म/ने कारण पछ
ू ा तो उसने कहा >क एक
मिु Xलम यव
ु क से शाद; करने के ]लए मझ
ु े मिु Xलम नाम रखना ह; होगा। !ारkभ
म5 अपने साथी के असीम सहयोग के कारण म/ बहुत खश
ु थी। बाद म5 म/ने अपना
नाम बदलने के ]लए साफ़ मना कर •दया पर उसने कहा >क नाम बदलना तो
अwनवाय' है । म/ भी >कसी कारणवश, संभवतः !ेम और पागलपन के कारण, नाम
बदलने के ]लए तैयार हो गई।

इसके बाद, रमजान का मह;ना आया और उसने मझ


ु े रोज़े रखने के ]लए कहा।
म/ने अपने पं•डत जी से इस बाबत पछ
ू ा तो उ?हYने कहा... सभी ईgवर समान ह/।
हम सभी मानवY का ल·य समान है बस राXते ]भ?न ह/। पं•डत जी ने यह भी
कहा >क हमारा धम' (सनातन) सभी ईgवरY और धम° का आदर करता है । उ?हYने
यह भी कहा >क आप भगवान राम, अÂलाह, ईसामसीह सभी म5 Gवgवास कर सकते
ह/। तब म/ने रोज़ा रखना !ारkभ >कया वह भी उ9चत सेहर;, इùतार; और दआ
ु ओं
के साथ।

>फर उसके ज?म•दवस के •दन, म/ मं•दर जाना चाहती थी और उसके बेहतर


भGव`य के ]लए !ाथ'ना करना चाहती थी। जब म/ने उसे साथ चलने को कहा,
उसने मना कर •दया और मझ
ु े भी मं•दर ना जाने को कहा। कारण पछ
ू ने पर
उसने कहा >क म/ने रोज़ा रखा है अतः म/ मं•दर नह;ं जा सकती। उसने यह भी
कहा >क म/ अब अपने दे वी दे वताओं कo पज
ू ा भी नह;ं कर सकती। मझ
ु े बस
अÂलाह को क़बल
ू करना होगा और >कसी को नह;... िजसे म/ने परू ; तरह नकार
•दया। म/ मं•दर भी गई और म/ने रोज़े रखना भी जार; रखा।

38
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

और हां, उसने Gपछले साल मेरे साथ द;वाल; भी मनाई और हम दोनY महाल·मी
मं•दर भी गए, हालां>क उसे पज
ू ा करना नह;ं आता था पर उसने मं•दर म5 !वेश
>कया और दे वी के सामने ]सर भी झुकाया। >क?तु म/ जानती हूँ >क मझ
ु े Gववाह
के बाद यह सब करने कo अनम ु wत नह;ं होगी।

म/ उससे !ेम करती हूँ >क?तु सšय यह है >क उसके माता-Gपता मझु े एक •ह?द ू
कo तरह कभी Xवीकार नह;ं कर5 गे और म/ उसके !ेम को पाने के ]लए Xवयं को
बदल नह;ं सकती। *ेम का कोई धम2 नह5ं होता —माधवी

माधवी आगे कहती ह>:

म/ एक मिु Xलम यव
ु क से Gववाह करने वाल; थी ले>कन यह पढ़ने के बाद म/ने
26

अपना अपना wनण'य बदल •दया। म/ इXलाम पर शोध कर रह; थी जब म/ने यह


Êलॉग पढ़ा... म/ >कतनी बड़ी गलती करने जा रह; थी यह एहसास •दलाने के ]लए
ध?यवाद।

ऐसा नह;ं है >क म/ इXलाम से घण


ृ ा करती हूँ, म/ने इस वष' परू े रोज़े रखे थे, >क?तु
म/ wनkन]ल•खत Ëबंदओ ु ं को समझ नह;ं पाती... य•द कोई इन Ëबंदओ ु ं पर !काश
डाल सके तो म/ उनकo आभार; रहूंगी...

१. इXलाम इतना कामो?मख


ु ˆयY है ? मेरा मतलब >क काम और वासना से इतर
भी जीवन है ... उदाहरण के ]लए इXलाम म5 पšनी को पीटना जायज़ है य•द वह
यौन सkब?धY के ]लए मना करती है ।

२. केवल िXlयY को ह; बक
ु ा' और •हजाब पहनना होता है , प›
ु षY को ˆयY नह;ं?

३. केवल प›
ु षY को ह; बहुGववाह कo अनम
ु wत है , िXlयY को नह;ं।

४. अÂलाह दस
ू रे धम° को महšव ˆयY नह;ं दे ते जब>क •हं?द ू धम' कहता है >क
सभी ईgवर और धम' समान ह/।

५. ˆया बकर;द पर कुबा'नी जायज़ है ? मझ


ु े पता है >क •हंदओ
ु ं म5 भी ब]ल चढ़ाने
कo !था है पर वह अब गैरकानन
ू ी है और अब ब]ल नह;ं द; जाती... पर ˆया
अÂलाह अपने बंदY ´वारा मासम
ू जानवरY का क़šल दे ख कर खश
ु ह/? इन जानवरY
को >फर टुकड़े टुकड़े करके बांटा और खाया जाता है । यह (ूरता कo पराका`ठा है ।

26
https://www.interfaithshaadi.org/why-i-came-back-to-hinduism/.

39
!ेમ का धम'

यह सब करने के बाद उस मांस को खैरात म5 बांटा जाता है ... जानवर के साथ


कo गई (ूरता, बेरहमी, अभúता कo खैरात।

आज म/ एक Xवा]भमानी •ह?द ू हूँ, आज?म •ह?द ू ह; रहूंगी... ओम नमः ]शवाय...


—माधवी

जब आपका िववाह हो जाता है, तब रोमांस और सामंजस्य गौण हो जाते हैं —शाशा
(खंड ३.५)

40
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.५: िवफल प्रेम अथवा समझदारी भरा िनणर्य?

धम' अथवा संXकृwत एक २० साल के युवा के ]लए •यादा महšव नह;ं रखते >क?तु
पmरपˆव होने के साथ –यिˆत अपनी जड़Y कo ओर लौटता है । आइए मुिXलम
लडकo साशा के जीवन अनुभवY के बारे म5 पढ़5 ।

साशा कहती ह>:

अज़ीज़ा,

म/ पहले तो यह कहना चाहूंगी >क तम ु अभी काफo यव ु ा हो। अपनी २० से ३०


साल कo आयु के बीच म/ने सार; बात5 Xवयं सीखीं और उनका अनभ ु व भी >कया।
सव'!थम, आप जो कुछ भी अपनी २० साल कo आयु म5 चाहते ह/ वह आपके
पmरपˆव होने के साथ बदल जाता है । आप जब Gववाह योIय और बड़े हो जाते ह/
तब !ाथ]मकताएं बदल जाती ह/। मेरा यह मतलब ËबÂकुल नह;ं है >क तk
ु हारा
!ेम सFचा नह;ं है अथवा तk
ु हार; भावनाएं सFची नह;ं ह/।

हम सभी तkु हार; आयु म5 Xवयं को !ेम कo अwनिgचतता म5 wघरा हुआ पाते ह/,
िजसके wनkन कारण ह/: १) यह वह समय होता है जब हम यव ु ावXथा म5 कदम
रखते ह/ और हमार; भावनाएं भी तीû होती ह/ ˆयY>क अब हम अपनी >कशोरावXथा
से अ9धक !गाढ़ संबंध बनाने लगते ह/। २) यह; वह आयु है जब हम अपने Gववाह
और भGव`य के बारे म5 सोचने लगते ह/। इसी कारण जब हम >कसी ऐसे शानदार
–यिˆत से ]मलते ह/ तब हम5 लगता है >क हम !ेम म5 ह/।

म/ ऐसा अपने अनभ


ु व के आधार पर कह रह; हूं। अपने प› ु ष साथी से जैसा !ेम
आप अभी करते ह/ वैसा हमेशा नह;ं रहे गा। अतः तk
ु हे गंभीरता से Gवचार करना
होगा >क ˆया आपके साथी म5 वह सभी गुण ह/ जो आप अपने भावी साथी म5
दे ख रह; ह/। म/ माl रोमांस अथवा सामंजXय कo बात नह;ं कर रह;। जब आपका
Gववाह हो जाता है तब रोमांस अथवा सामंजXय !ाथ]मकता नह;ं रहते।

म/ भी एक •ह?द ू के साथ !ेम संबंध म5 थी और अभी म/ अपने मिु Xलम पwत के


साथ Gववा•हत हूं। कुछ वष' पहले, म/ उस •ह?द ू साथी से Gववाह करना चाहती थी।
मझ
ु े लगता था >क उसके Ëबना मेरा जीवन संभव नह;ं है और >फर संबंध टूट
गया और लगा >क जीवन वाकई म5 संभव नह;ं है । पर इतने वष° बाद मझ
ु े ऐसा
नह;ं लगता। ऐसा नह;ं है >क वो !ेम था ह; नह;ं अथवा सFचा !ेम नह;ं था, >क?तु
Gववाह म5 और भी आयाम होते ह/ िज?ह5 आप यव
ु ावXथा म5 समझ नह;ं पाते। म/ने

41
!ेમ का धम'

वाXतGवकता म5 बैठकर अपनी रोमानी भावनाओं के इतर सोचा >क ˆया उस


–यिˆत म5 वे सभी गण
ु ह/ िजससे हमारा Gववाह जीवन पय'?त चले? मेरा •ह?द ू
साथी उस समय बहुत ह; अFछा, 8मानी और मझ ु े सFचा !ेम करने वाला था।
>क?तु जब भी म/ उसके साथ अपने बFचY के लालन-पालन के बारे म5 सोचती तब
हमारे धा]म'क Gवgवास और मÂ
ू यY म5 टकराव •दखाई दे ता था। म/ एक उदारवाद;
मिु Xलम म•हला हूं। म/ चाहती थी >क मेरा साथी कोई ऐसा ह; हो जो मेरे साथ
रमज़ान के रोज़े रखे, जो मझु े नमाज़ के ]लए !ेmरत करे और जो इXलाम के राXते
पर चले। मस
ु लमानY म5 सkमान हे तु हšया (ऑनर >क]लंग) और समद
ु ाय जैसी
बकवास कुछ sेlY म5 ह/ ले>कन वाXतव म5 इसे एक तरफ रख द5 और अपने बारे
म5 सोच5 ।

Gववाह Xवयं म5 संपण


ू ' है , अज़ीज़ा। यह केवल तk
ु हारे अथवा साथी तक सी]मत
नह;ं है । इसम5 पाmरवाmरक मेल-जोल भी सिkम]लत है , जैसे >क •ह?दओ
ु ं के ]लए
पज
ू ा और मस
ु लमानY के ]लए रमज़ान। ऐसे अवसरY पर सभी साथ ]मलते ह/
िजससे पmरवार के तौर पर घwन`ठता बनी रहती है । अब दो संXकृwतयY/धम° और
नाखश
ु पmरवारY को संभालने के ]लए असीम शिˆत और !यास लगाने पड़ते ह/।
म/ने ऐसा अपनी आंखY से दे खा है । कभी-कभी ऐसे संबंध (अंतर-धा]म'क) सफल
भी होते ह/ (अगर Xlी !यास करे तो) >क?तु यह >फर भी एक बहुत बड़ी चन
ु ौती
है । यह चन
ु ौwतयY एक अंतर-धा]म'क Gववाह म5 तभी कम हो सकती ह/ जब दोनY
ह; पs आधwु नक हY और िजनकo आXथाएं भी थोड़ी नरम अथवा बेपरवाह हY।
यह सब wनभ'र करता है आपकo इFछाशिˆत, आपके माता-Gपता के साथ संबंध
और आपके धम' पर।

अगर आप थोड़े से भी धा]म'क ह/, तब आप ऐसा साथी चाह5 गे जो इXलाम पर


यकoन करता हो जैसा >क आप भी उýदराज होने के साथ कर5 गे। उसका संद
ु र,
मजा>कया और 8मानी होना तब उतना महšव नह;ं रखेगा। और यह सब गुण
Gववाह के ]लए मायने नह;ं रह5 गे य•द आप धम' को अपने वैवा•हक जीवन म5
सिkम]लत करना चाहते हो।

अब य•द आप दोनY ह; धम° को मानने के ]लए तैयार ह/ तब आप दोनY को ह;


इसकo गहन मंlणा करनी होगी। जब आप दोनY इस बात पर सहमwत बना लेते
ह/ >क आप जीवन कैसे Ëबताएंगे तब अपने पmरवारY के बारे म5 Gवचार कर5 । ऐसे
wनण'यY का सदमा धीरे -धीरे चला जाता है , >क?तु संबंध बदल जाते थे, Gवशेषकर
बे•ट और मां के बीच। म/ अपनी मां को >कसी भी तरह से दख
ु ी नह;ं दे ख सकती

42
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

थी इसी कारण म/ने अपने •ह?द ू साथी को छोड़ा, बाद म5 भी मझ


ु े यह; अनभ
ु व
हुआ >क म/ हमेशा से यह; चाहती थी >क म/ और मेर; संतान अपने धम' पर ह;
चले। म/ ऐसे धम' अथवा आXथा को अपनाने के ]लए तैयार नह;ं थी िजसम5 मेरा
लालन-पालन नह;ं हुआ अथवा िजसम5 म/ Gवgवास नह;ं करती।

तk
ु ह5 भी यह सब सोचने कo ज8रत है । म/ भी तk
ु हारे जैसी ह; थी। म/ भी उससे
ह; Gववाह करना चाहती थी और लगता था उसके Ëबना नह;ं रह सकती। >कं तु अब
म/ अपने पwत से Žयार करती हूं। इस बात से भी Žयार करती हूं >क मेरा पmरवार
खशु है । मझ
ु े अनभ
ु व हुआ >क मेर; भावनाएं उस समय इतनी तीû थीं >क य•द
हम Gववाह कर लेते तो म/ कभी संत`ु ट नह;ं हो पाती।

एक और महšवपण
ू ' बात है तk
ु हारे साथी कo जीवन म5 िXथरता। >कसी भी संबंध
म5 इसका बहुत बड़ा !भाव पड़ता है अतः इसके बारे म5 भी सोचना होगा। हालां>क
मझु े लगता है वह भी अभी काफo यवु ा होगा। म/ जानती हूं यह >कतना भावक ु
समय है । अगर तम ु सभी भावनाओं को हटाकर तÝयY पर ¸यान दो तब wनण'य
Xवयं ह; आसान हो जाएगा। य•द तम
ु सच म5 ह; अपना जीवन उसके Ëबना नह;ं
सोच सकती और तk
ु ह5 लगता है >क तk
ु हारे मÂ
ू य, ]स´धांत, भGव`य कo योजनाएं
सब एक ह/, तब तkु ह5 लड़ाई के ]लए तैयार हो जाना चा•हए िजसके ]लए बहुत
सा संयम भी बरतना होगा।

जहां तक म/ जानती हूं मिु Xलम माता-Gपता थोड़े िज´द; होते ह/ और तk


ु ह5 Gवरोध
भी सहना पड़ेगा। कुछ धम' उदारवाद; होते ह/ और कुछ बहुत संग•ठत होते ह/।
कोई भी एक दस
ू रे से ®े`ठ नह;ं है । मिु Xलम पिšनयY पर अšयाचार जैसी बकवास
भी संकoण' Gवचारधारा का एक उदाहरण है । हो सकता है >कसी सद
ु रू समद
ु ाय म5
एक –यिˆत चार पिšनयां रख सकता है >कं तु अमेmरका म5 ऐसा नह;ं हो सकता।
अगर कोई ऐसा करता भी है तो उसके कोई पाmरवाmरक कारण रहे हYगे िजसकo
हम आलोचना नह;ं कर सकते। लोग बहुत जÂद; ह; इसको अšयाचार समझ बैठते
ह/। •हंद ू समद
ु ायY म5 भी Xlी के Gव›´ध पाखंड और भेदभाव है । यह कोई •हंद-ू
मिु Xलम लड़ाई नह;ं है अGपतु सभी संXकृwतयY कo अपनी अFछाइयां और बरु ाइयां
ह/। दwु नया म5 बहुत से अFछे मिु Xलम यव
ु क भी ह/ और •हंद ू यव
ु क भी ह/। अभी
आवgयकता है >क हम एक दस ू रे कo आलोचना करने कo बजाय अंतर-धा]म'क
GववाहY म5 आने वाल; चन
ु ौwतयY पर ¸यान द5 ।

अजीजा, मेर; दआ
ु एं तk
ु हारे साथ ह/ —साशा

43
!ेમ का धम'

खंड ३.६: मुझे ही धमार्ंतरण करना होगा (िहन्दू से मुिस्लम), स्पष्ट है वह


नहीं करेगी

Interfaithshaadi पर धमाÏतरण (जो नकल; भी हो सकता है ) एक गंभीर 9चंता


का Gवषय है । इसी कारण, इस Gवषय को इस पुXतक म5 GवXतत
ृ 8प से उठाया
गया है और अगले १० खंड इसी पर आधाmरत ह/।

संजय कहते ह>:

म/ एक मिु Xलम यव
ु ती के साथ कई मह;ने तक थोड़े गंभीर संबंध म5 था। म/ने
थोड़ा गंभीर पर •यादा जोर •दया ˆयY>क म/ सच बोलना चाहता हूं, और हम सभी
जानते ह/ यह >कस •दशा म5 जा रहा था। !ारं भ म5 यह सब एक आपसी आकष'ण
से श8
ु हुआ, हमेशा साथ म5 समय Ëबताना अFछा लगता था और वह; सब मीठÍ-
मीठÍ बात5 । >फर हम जैसे-जैसे आगे बढ़े , हम भावनाšमक 8प से जड़
ु गए, तब
उसने धमाÏतरण के बारे म5 बात करना श8
ु >कया। Xप`ट था >क धमाÏतरण मझ
ु े
करना था, उसे नह;ं। !ारं भ म5 इसे हं सी म5 उड़ा दे ना आसान था >कं तु वह; !gन
बार-बार उठता रहा।

जैसे-जैसे हम नजद;क आए, मझ


ु े पता लगा >क वह उतनी भी क™टर मस
ु लमान
नह;ं है । वह थोड़ी उदारवाद; थी और ईgवर के बारे म5 उसके वह Gवचार नह;ं थे
जैसे इXलाम म5 बताए जाते ह/—कह सकते ह/ >क हम इतने भी बेमेल नह;ं थे—
>कं तु इसके साथ-साथ मझ
ु े यह जानकर भी है रानी हुई >क उसका >कस हद तक
मत पmरवत'न (¹ेनवाश) >कया गया था।

मेरा लालन-पालन एक बहुत ह; धा]म'क •हंद ू पmरवार म5 हुआ था, >कं तु म/ने कभी
अपने आप को एक आ¸यािšमक •हंद ू नह;ं माना—>कं तु इसम5 कोई समXया भी
नह;ं थी। समXया उसके पmरवार के साथ थी, जो मझ
ु े कभी पसंद नह;ं करते। उसने
अपने पmरवार को मेरे बारे म5 कभी नह;ं बताया (ना ह; म/ने अपने पmरवार को
बताया), और >फर हमारे राXते अलग होने लगे। >फर धीरे -धीरे हमारा संबंध खšम
हो गया >कं तु इस सब म5 बहुत सारा तनाव और गX
ु सा शा]मल रहा।

श(
ु है >क हम दोनY को अपने नए साथी अपनी-अपनी धा]म'क प`ृ ठभ]ू म से ]मले
और हम दोनY अFछे दोXत बने रहे । कहानी का सार यह है —य•द कोई भी सनातनी
>कसी मिु Xलम के साथ गंभीर संबंध म5 है तो एक बार पन
ु ः सोच5 >क आप कहां
जा रहे ह/। आप ह; हYगे िजसको धमाÏतरण के ]लए कहा जाएगा, अपने अिMतZव

44
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

कy बxल चढ़ाने को कहा जाएगा, और अपनी संXकृwत से पीठ मोड़ने के ]लए भी


कहा जाएगा। वह (मिु Xलम) ऐसा नह;ं कर5 गे। यह सब हÂके म5 लेने वाल; बात
नह;ं है —संजय

अंतर-धािमर् क िववाहों के संबंध में माता-िपता को एक संदेश:

१. यह मानकर चलें िक आपकी संतान भी अंतर-धािमर् क िववाह कर सकती है और


इसके िलए तैयार रहें।
२. अपने बच्चों को अंतर-धािमर् क िववाह में समानता के बारे में बताएं और उन्हें
उसका पालन करने को कहें।
३. उन्हें बताएं िक एक समानता पर आधािरत अंतर-धािमर् क िववाह में होने वाली
संतानों पर धािमर् क ठप्पा (BBS) लगाने का कोई स्थान नहीं है।
४. उन्हें बताएं िक िववाह हेतु झठ ू ा धमार्ंतरण आपके और आपके पिरवार के िलए
मुिश्कलें ही पैदा करेगा।

45
!ेમ का धम'

खंड ३.७: वह चाहता है िक मैं मुसलमान हो जाऊं

काजोल कहती ह>:

म/ अभी बडी उलझन कo िXथwत म5 हूँ। म/ Gपछले ५ वष' से ]मö (Egypt) के एक


ु क के साथ संबंध म5 हूँ। वह बहुत अFछा है और मझ
मिु Xलम यव ु से Gववाह करना
चाहता है । म/ उसके पmरवार से ]मल; हूँ और वह भी मेरे पmरवार से ]मल चक
ु ा
है । >कं तु म/ एक •हंद ू हूँ और वह एक मिु Xलम। अभी मझ
ु े कुछ परामश' कo
आवgयकता है >क मझ
ु े उससे Gववाह करना चा•हए या नह;ं, ˆयY>क वह चाहता है
>क म/ मिु Xलम हो जाऊं और भावी संतान भी मिु Xलम कo तरह पाल; जाए। कृपया
सहायता कर5 । बहुत-बहुत ध?यवाद —काजोल

एडxमन कहते ह>:

काजोल, दwु नया म5 सभी तरह के मस


ु लमान होते ह/ और उनके ]लए कोई –यापक
सोच नह;ं बनाई जा सकती। >कं तु तk
ु ह5 यह अवgय पता करना होगा >क तk
ु हारा
साथी स•ह`णु है अथवा नह;ं।

ˆयY>क उसने साफ-साफ कह •दया है >क वह तk


ु ह5 मिु Xलम बनाना चाहता है
(शहादा कo कसम उठाना), इससे पता लगता है >क वह अस•ह`णु है । तो ˆया तम

भी 9चlा27 कo तरह जीवन जीना चाहती हो। जैसा >क 9चlा ने >कया (अपनी मजþ
से नह;ं), ˆया तम
ु भी अपनी मां, Gपता, भाई, बहन, चाचा, चाची, और सभी •हंद ू दोXतY
को छोड़ने के ]लए तैयार हो? ˆया तम
ु अपना नया मिु Xलम जीवन अपने नए
मिु Xलम संबं9धयY के साथ श8
ु करना चाहती हो, और शायद ]मö म5 रहना चाहती
हो?

शहादा कo कसम तk
ु हारे जीवन म5 एक नया मोड़ साËबत होगी। हालां>क वह तम
ु से
कहे गा "मझ
ु े ऐसा कुछ नह;ं पता था", "मेरे Gपता कo खश
ु ी के ]लए ऐसा कर लो",
"बस कहने भर के ]लए कर लो" और कुछ भी, >क?तु शहादा कo कसम तk
ु हारा
जीवन परू ; तरह से बदल दे गी। सच कह5 >क तk
ु हारा इXलाम म5 धमा{तरण उसके
xलए उसके त}
ु हारे *:त *ेम से ~यादा महZवपण
ू 2 है । अगर तम
ु धमाÏतरण के ]लए
मना करोगी, तब वह Ëबना •हचक तk
ु हारे जीवन से चला जाएगा। कह;ं ऐसा तो
नह;ं >क तम
ु एक लव-िजहाद; के !ेम जाल म5 फँस चक
ु o हो?

27
खंड ३.२९।

46
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

¸यान रहे >क शहादा कo कसम उठाना एकतरफा राXता है । Xवधम' šयाग के बारे
म5 आपको ]मö के नए कानन
ू Y कo समझ भी ले लेनी चा•हए। याद रहे >क यह
कानन
ू तब भी लागू हYगे जब आपके पwत कo ४ पिšनयां हY अथवा आपका तलाक
हो जाता है । अलकाफ28 ने ˆया कहा है यह भी पढ़ना चा•हए, " का>फर (कुÿ) कo
तरफ वापस मत जाओ ˆयY>क अगर तम
ु पकड़े गए तो मारे जाओगे। अब तk
ु ह5
का>फर (•हंद)ू पmरवारY से नह;ं ]मलना चा•हए"। ˆया तम
ु इन सब के ]लए तैयार
हो?

य•द एक Xlी ]मö के कानन


ू के अनस
ु ार तलाक़ कo !>(या श8
ु करती है तब
उस का>फर •ह?द ू (आप) के पास अपने बFचY का संरsण पाने का >कतना अवसर
होगा यह भी दे खना होगा।

उसको कहो >क तम


ु कभी भी वह २ ]मनट कo शहादा कo कसम नह;ं लोगी, >कं तु
तम
ु अ?य मस
ु लमानY से भी बेहतर मस
ु लमान बनकर •दखाओगी और सारे
इXला]मक र;wत mरवाज का पालन करोगी जैसे >क केवल हलाल खाना, पांच वˆत
कo नमाज, जk
ु मे के •दन मिXजद म5 बक
ु ा' पहन के जाना और रमजान के दौरान
रोजा रखना। अब यह पता करो >क उसके ]लए तk
ु हारे ऊपर शहादा का ठŽपा
लगाना •यादा ज8र; है अथवा तk
ु हारा एक अFछा मस
ु लमान बनना (>क?तु Ëबना
शहादा कo कसम के)।

भत
ू काल म5 •हंदओ
ु ं म5 भी जाwत !था कo एक बड़ी समXया थी जहां एक जाwत
का ठŽपा एक –यिˆत के कम' और उसके संसार म5 >कए गए योगदान से •यादा
महšव रखता था। महाšमा गांधी ने इस पर बहुत काम >कया और इस –यवXथा
को हटाने कo परू ; को]शश कo। इसी तरह कोई भी –यिˆत ˆयY एक नई जाwत
–यवXथा को Xवीकार करे गा जहां एक धम' को दस
ू रे धम' से ®े`ठ माना जाए?

मस
ु लमानY का Gवgवास है >क य•द आप शहादा कo कसम लेते ह/ और मस
ु लमान
बन जाते ह/, अÂलाह आप को ज?नत द5 गे। ठÍक इसी !कार ईसाई भी Gवgवास
रखते ह/ >क य•द आपने पGवl पानी म5 डुबकo ल; और अपना बपwतXमा कराया
यीशु आपके सारे पाप धो द5 गे और आपको मोs कo !ािŽत होगी। यहूद; भी >कसी
अंतर-धा]म'क संतान के ˹स कo रXम होने तक चप
ु नह;ं बैठते और उस पर यहूद;

28
https://www.interfaithshaadi.org/i-will-get-converted-to-islam-and-be-
circumcized/#comment-28739.

47
!ेમ का धम'

होने का ठŽपा लगवाना ज8र; हो जाता है । ˆया ऐसा नह;ं लगता >क आपका
भाIय आपके कम° से ]स´ध होता है ना >क आपके ऊपर लगे धम' के ठŽपे से?

जहां तक आपके संबंध कo बात है , आपके साथी ने Gपछले ५ साल म5 आपसे धम'
पmरवत'न के बारे म5 ˆयY नह;ं कहा? अपने मिु Xलम साथी से पwू छए >क आपके
धमाÏतरण से आपके !ेम संबंध का ˆया लेना दे ना है ?

जैसा >क पहले भी कह चक


ु े ह/, लाल; को लाल रहने दे उसे गुलाबी ना बनाएं (let
a rose be a rose and let a carnation be a carnation)। अपने साथी से
Xप`ट कह द5 >क आप एक •हंद ू ह/ और •हंद ू ह; मšृ यु को !ाŽत हYगी। उसे कह5
>क वह अपना सFचा !ेम •दखाए और एक •हंद ू काजोल से Gववाह करे —एड]मन


















आप वही हैं जैसे की आप हैं। आप आज जो करते हैं वैसे आप भिवष्य में बनोगे।

—बुद्ध

48
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.८: मुसलमान साथी तभी िववाह करेगी जब मैं धमार्ंतरण करूँगा

डॉ मनु कहते ह>:

ु ती से साथ काफo वष° से !ेम सkब?ध म5 हूँ और वह एक मिु Xलम है ।


म/ एक यव
वह भारतीय नह;ं है । म/ उसके माता-Gपता को Gवgवास •दलाने दो बार उसके घर
भी गया >क?तु वे कभी राज़ी नह;ं हुए और जब म/ने उससे उसके माता-Gपता के
Gव›´ध जाकर Gववाह करने को कहा तब उसने मना कर •दया। उसने Xप`ट कर
•दया >क वह मझ
ु से Gववाह करे गी य•द म/ धमा'?तरण कर लँ ू और उसके साथ
उसके दे श म5 रहूँ, िजसके ]लए म/ तैयार नह;ं था। उसने यह भी कहा >क Gववाह
पgचात उšप?न होने वाल; संतान भी मिु Xलम होगी।

मेरा पmरवार भी इस Gववाह के Gव›´ध था तब भी म/ने उसे कहा >क म/ उसके


साथ ह; रहूँगा। मेरे ]लए उसका •ह?द ू होना अथवा पज ू ा करना इतना महšवपण ू '
नह;ं था। म/ उसे वैसे ह; Xवीकार करने के ]लए तैयार था जैसी वह थी >क?तु वह
मझ
ु े एक •ह?द ू के तौर Xवीकार नह;ं कर सकती थी। उसने कहा >क वह Gववाह
तभी करे गी जब म/ धमा'?तरण क8ँगा।

Gपछले पांच वष° से म/ने उसे बहुत !ेम >कया है , म/ उसे अपनी पšनी मानने लगा
हूँ। ˆया आपको लगता है >क वह मझ ु े सFचा !ेम करती है ? अथवा तो म/ एक
मख ू ' हूँ जो उसे इतना !ेम करता हूँ और वह इसी बात का फायदा उठाकर मझ
ु े
मिु Xलम बनाना चाहती है ? मझ ु े समझ नह;ं आता म/ ˆया क8ँ। ˆया आप कोई
सलाह दे सकते ह/? —डॉ मनु

एडxमन कहते ह>:

डॉ मन,ु

इस बात को ¸यान म5 रखते हुए >क आप एक उFच ]शsा !ाŽत –यिˆत ह/ और


आपके पास जीवन म5 ढ़े रY अवसर ह/, चलो आपकo समXया को बार;कo से समझते
ह/।

हमारा Gवgवास है >क अंतर-धा]म'क Gववाह तभी सफल और 9चरXथायी होते ह/ जब


वह समान अ9धकारY पर आधाmरत हY। आप भल; भांwत जानते ह/ >क यव
ु ावXथा
का !ेम अÂपका]लक होता है जो आपके मिXत`क म5 एक या दो साल ह; रहता

49
!ेમ का धम'

है । अंतर-धा]म'क GववाहY म5 होने वाले तलाक़ कo उFच दर को दे खते हुए आपको


तक'संगत wनण'य लेना होगा।

आपकo !े]मका आपको वह बनाना चाहती है जो आप नह;ं ह/। वह लाल; को


गुलाबी (a carnation to a rose) बनाना चाहती है । >क?तु य•द उसे लाल; ह;
चा•हए तो वह तो और भी ]मल जाएँगी अथा'त मिु Xलम साथी तो उसे बहुतरे े
]मल5गे। अब अगर उसका उ´दे gय अपने माता-Gपता को संत`ु ट करना और आपको
उसके दे श ले जाना है , तब आपको मिु Xलम बनने के ]लए तैयार रहना चा•हए।
>क?तु आपके वचनY से ऐसा नह;ं लगता >क आप मिु Xलम बनने के ]लए तैयार
ह/ या अपना दे श छोड़ने के ]लए तैयार ह/, अथवा अपना पेशा पन
ु ः !ारkभ करने
के ]लए तैयार ह/?

पहले तो क़ुरान पढ़5 । >फर य•द संभव हो तो कम से कम ६ मह;ने एक मदरसे म5


Ëबताए और इXलाम के बारे म5 जान5। >फर जब आपको Gवgवास हो जाये >क आप
भगवान राम, कृ`ण और दे वी ल·मी कo मwू त'यY को छोड़ने के ]लए तैयार ह/, तभी
आपको सोचना चा•हए >क आप मिु Xलम बनने के ]लए तैयार ह/।

आपकo साथी आपको यह भी कहे गी "म/ इस धमा'?तरण म5 Gवgवास नह;ं करती,


बस मेरे Gपता को खश
ु करने के ]लए कर लो" (ऐसा ह; कुछ), मेरा wनवेदन है >क
आप उसका Gवgवास मत करना। उसकo बात5 एक लव-िजहाद वाल; मंशा कo ह/।
वह आपके •ह?द ू माता-Gपता अथवा आपके •ह?द ू ]मlY कo छाया तक को अपने
घर म5 बदा'gत नह;ं करे गी। सच कह5 , इस Gववाह के ]लए आपको अपने माता-Gपता
का šयाग करने के ]लए तैयार रहना होगा िज?हYने आपको डॉˆटर बनाने के ]लए
अपने जीवन कo पंज
ू ी दांव पर लगा द;।

सबसे महšवपण
ू ' Gवषय जो आपकo साथी ने उठाया वह है "संतान”, वह चाहती है
>क सभी संतानY का लालन पालन एक मिु Xलम कo तरह हो। >फर इसी तरह
आपकo और उनकo संतान5 ऐसे ह; और •ह?दओ
ु ं का धमा'?तरण कर5 गी? अब इसकo
इwत®ी कहाँ जाकर होगी? शायद तब तक जब कोई •ह?द,ू ]सख और सनातनी
धमा'?तरण के ]लए रह न जाये। ˆया यह; आपकo बाल आकांsा अथवा जीवन
उ´दे gय था? यह पmरवत'न का समय है और वह पmरवत'न आपके सह; कदम के
साथ आएगा।

ˆया ऐसी Gव]श`टवाद; (exclusivist) और अस•ह`णु (intolerant) सोच एक


समानता (equality) पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह का आधार बन सकती ह/?

50
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

आप अपने साथी को कभी भी संत`ु ट नह;ं कर पाएंगे, >फर चाह5 आप Gववाह के


]लए धमा'?तरण कर भी ल5, ˆयY>क एक सFचा मस
ु लमान बने Ëबना आप उसकo
मांगY और अपेsाओं कo पwू त' नह;ं कर पाएंगे।

उसे अपने संदेहY के बारे म5 खल


ु कर बताएं >क आप मिु Xलम नह;ं हो सकते
अथवा संतान5 केवल मिु Xलम ह; नह;ं •ह?द ू भी हYगी। अगर आवgयक हो तो अपने
सkब?ध को कुछ मह;नY का Gव®ाम दे (न कोई फ़ोन और न ह; कोई स?दे श)
िजससे आप दोनY को अपनी भावनाओं के पन
ु मÂ
ू' यांकन का अवसर ]मल सके।
वह अपने GवचारY और धा]म'क आXथा के !wत Ðढ़ लगती है । आपका जीवन
Ëबताने के ]लए वो सह; पसंद नह;ं है । हो सकता है >क कुछ मह;नY का पथ
ृ कवास
उसकo सोच म5 बदलाव लाये; और अगर तब आपको लगता है उसके साथ एक
समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह मम
ु >कन है , तब आप आगे सोच सकते
ह/। शभ
ु कामनाओं के साथ —एड]मन

आप धमर् अथवा आस्था के साथ जन्म नहीं लेते, अिपतु धमर् अथवा आस्था
आपके माता-िपता और आपके पिरवेश के द्वारा आपके अंदर स्थािपत िक
जाती है।

51
!ेમ का धम'

खंड ३.९: मैं हर नमाज़ में उसके मुिस्लम बनने की दु आ करती हूँ

ईमान कहती ह>:

वह एक ¹ाÒमण है और बहुत धा]म'क है । म/ भी बहुत धा]म'क हूँ। म/ अपनी हर


ु करती हूँ। वह बहुत अFछा लड़का है , •दल
नमाज़ म5 उसके मिु Xलम होने कo दआ
का भी बहुत अFछा है और शायद बहुत से मिु Xलम लड़कY से भी बहुत अFछा है ।
हम दोनY एक दस ू रे से बहुत !ेम करते ह/ और एक दस
ू रे के Ëबना जीवन कo
कÂपना भी नह;ं कर सकते।

इXलाम म5 Gववाह-पव
ू ' !ेम सkब?ध !wतबं9धत है >क?तु मेरा मानना है >क सFचा
!ेम अÂलाह के ]लए Xवीकाय' है । >कं तु समXया है हमारे माता-Gपता कo Xवीकृwत
और Gववाह के पgचात ् हमारा वैवा•हक जीवन। म/ आशा करती हूँ >क हमार; भी
संतान5 हY और हम उ?ह5 •ह?द ू और इXला]मक दोनY ह; ]शsाए द5 । >फर उनके
धम' का wनण'य उनके पmरपˆव हो जाने पर उ?ह;ं पर छोड़ द5 । मझ
ु े Gवgवास है
>क अगर उ?ह5 इXला]मक ]शsा ]मल; तो वे wनgचय ह; इXलाम के अनय
ु ायी
हYगे।

अब अगर एक पl
ु वधु होने के नाते मझ
ु से कुछ रXम और mरवाज़ करने को कहा
जायेगा, तब म/ उसे कर तो दं ग
ू ी पर बे•दल; से। मेरे पास भी धा]म'क म´
ु दY को
लेकर अपने तक' ह/। >क?तु म/, Ëबना अपने संबंधY को Ëबगाड़े, उ?ह5 (ससरु ाल;जनY
को) कैसे Gवgवास •दलाऊँगी >क इXलाम ह; एकमाl सFचा धम' है ? >क?तु य•द
वह मझ
ु े न ]मला तो म/ संभवतः कभी Gववाह नह;ं क›ँ गी।

उसका पmरवार भी एक संकoण' मान]सकता रखता है जो मस


ु लमानY को अपGवl
मानते ह/ और वह; सब बकवास म5 Gवgवास रखते ह/। वह भी मझ
ु से ]मलने से
पहले ऐसा ह; था और आज भी वह अ?य मस
ु लमानY से बच कर ह; wनकलता है ।
वह मेरे पmरवार को Xवीकार तो कर सकता है >क?तु मेरे समद
ु ाय के !wत उसका
Ðि`टकोण जानकर मेरा •दल बैठ जाता है ।

म/ धा]म'क म´ ु हो जाती हूँ ˆयY>क म/ इXलाम म5 Gवgवास


ु दY पर बहुत •यादा भावक
रखती हूँ, ऐसा केवल इस]लए नह;ं ह/ >क म/ इस धम' म5 पैदा हुई हूँ अGपतु म/ने
इस धम' को परू ; तरह समझा है । अब म/ चाहती हूँ >क वह भी समझे, >क?तु उसके
पव
ू ा'žह और अहं कार उसे मेरा तक' समझने से रोकते ह/।

ˆया ऐसा कोई उपाय है >क अपने संबंधY को Ëबगाड़े Ëबना म/ उसको यह सब

52
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

समझा पाऊं —ईमान

एडxमन कहते ह>:

ईमान,

अÂलाह सब समझता है और वह; सब करता भी है । संभवतः अÂलाह ने ह; तk


ु ह5
एक ¹ाÒमण के !ेम म5 बाँधा हो और हम तक पहुँचाया हो।

तम
ु ने कहा >क वह एक अFछा लड़का है और संभवतः सैकड़Y मिु Xलम लड़कY से
भी अFछा। तk
ु हे वह •ह?द ू >कसी कारण से ह; अFछा लगता है । जरा सोचो >क
तk
ु ह5 अपने जीवन म5 ]मलने वाले >कसी भी मिु Xलम लड़के से !ेम नह;ं हुआ।
इसका कारण है >क एक मिु Xलम पwत, शmरया के अनसु ार (wनkन]ल•खत 9चl को
दे ख5) बहुत सी पिšनयां रख सकता है , तk
ु हे यदा-कदा पीट भी सकता है और तk
29
ु हे
कभी भी तलाक़ दे सकता है । अब यह सब जानते हुए तम ु एक ¹ाÒमण को
मिु Xलम बनाकर उसे यह सब नए GवकÂप ˆयY दे ना चाहती हो? अगर तम

समझदार हो और उससे सFचा !ेम करती हो, उससे ऐसे ह; Gववाह करो जैसा वह
है । अब यह दआ
ु करने कo बजाय ">क वह मस
ु लमान हो जाये," तk
ु ह5 अÂलाह का
श>ु (या अदा करना चा•हए >क वह एक •ह?द ू ¹ाÒमण होने के नाते शmरया के
कानन
ू का पालन नह;ं कर सकता।

29
क़ुरान ४:३४ तथा http://www.timesofisrael.com/egyptian-cleric-advises-men-beat-your-
wife-so-she-will-mend-her-ways/.

53
!ेમ का धम'

"च$ ३: शmरया आचरण: य•द आप एक मिु Xलम के साथ सkब?ध म5 ह/ और


य•द आपको शहादा धमा'?तरण के ]लए कहा जाता है , इस 9चl से समझ5 >क
ऐसा धमाÏतरण आपका जीवन कैसे बदल सकता है ।30

तम
ु ने बहुत ह; अFछे तर;के से अपनी बहुलवाद; सोच का भी !दश'न >कया >क
"म/ चाहती हूँ >क हमार; संतान5 हY और म/ उ?ह5 इXलाम और •ह?द ू दोनY ह;
]शsाएं दँ ।ू " ऐसा ह; होना चा•हए। अपनी संतानY पर ह; छोड़ दे ना चा•हए के वे
>कस धम' को अनस
ु रण कर5 गे।

तम
ु ने कहा, "अगर एक पl
ु वधु होने के नाते मझ
ु से कुछ रXम और mरवाज़ करने
को कहा जायेगा, तब म/ उसे कर तो दं ग
ू ी पर बे•दल; से," हाँ अपने साथी के ]लए
इतना भर करना भी ठÍक ह; होगा। तk
ु हार; आXथा तk
ु हारे ]लए •यादा महšवपण
ू '
है ।

तम
ु ने यह भी कहा >क "उसका पmरवार भी संकoण' मान]सकता रखता है " तब तk
ु ह5
ह; उ?ह5 ]श‘sत करना होगा। >क?तु तम
ु ने भी धमा'?तरण का म´
ु दा उठाकर अपनी

30
अ’धक जानकार~ के zलए इस वी¢डयो को दे खe:
https://www.youtube.com/watch?v=RiWLGEKusIg.

54
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

संकoण' मान]सकता का पmरचय तो •दया ह; है । हमार; तk


ु ह5 सलाह है >क धमाÏतरण
का Gवचार छोड़ दो और एक दस
ू रे के !wत !ेम और आदर भाव रखो।

हम5 आपके कथन "म/ने इXलाम को परू ; तरह से समझ ]लया है " पर भी आपGÜ
है । अगर तम
ु ने इसे अFछÍ तरह समझा होता तब तम
ु हर9गज़ भी एक •हंद ू
¹ाÒमण यव
ु क से !ेम नह;ं करतीं।

!ेम करना आसान नह;ं है , अगर आप सFचा Žयार करती ह/ तो उसकo कú कर5 ।
उसे वैसे ह; !ेम कर5 जैसा वह है और उसे जबरदXती बदलने कo को]शश न कर5
जैसा वह कभी नह;ं हो सकता। अब एक लव-िजहाद; कo तरह बता'व करने कo
बजाय य•द आप उससे सFचा !ेम कर5 गी तब शायद आप उसकo अ?य मस
ु लमानY
के !wत सोच को भी बदल सकती ह/। तब वह िXथwत दोनY के ]लए ह; लाभ!द
होगी।

इन सब बातY का सार यह है >क आपके पास दो GवकÂप ह/—आप अपने साथी को


ऐसे ह; Xवीकार कर5 (एक •ह?द ू ¹ाÒमण कo तरह) अथवा एक ऐसे मिु Xलम लड़के
से Gववाह कर ल5 जो पांचY वïत कo नमाज़ पढता हो और पैगkबर मह
ु kमद के
राXते पर चलता हो। अपना मन बना ले। शभ
ु कामनाओं स•हत —एड]मन

अंतर-धािमर् क िववाह एक ऊँचे दांव वाले तीन पत्ती (gambling) के खेल की तरह है।
िजस तरह इस खेल में आपको नहीं पता होता िक सामने वाले के पास क्या पत्ते हैं,
उसी तरह अंतर-धािमर् क िववाह में आप नहीं समझ सकते िक आपके ससुरालीजन,
पड़ोसी, िमत्रगण आपके िलए क्या सोच रहे हैं —रौन

55
!ेમ का धम'

खंड ३.१०: मुझे मुसलमान बनने से डर लगता है

अ€पा कहती ह>:

मझ ु े एक सलाह कo आवgयकता है । म/ एक •ह?द ू ¹ाÒमण लड़कo हूँ और एक


मिु Xलम यवु क से Gववाह करना चाहती हूँ। म/ने पढ़ा है >क हम Ëबना >कसी
धमा'?तरण के अपना Gववाह Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त पंजीकृत करा
सकते ह/। >क?तु ऐसा करना ˆया हमारे सामा?य जीवन म5 –यावहाmरक होगा? म/
सभी धम° का आदर करती हूँ और ईgवर म5 Gवgवास रखती हूँ और मानती हूँ >क
बस सभी के पज
ू ा करने के तर;के अलग-अलग ह/। >क?तु मझ
ु े धमा'?तरण से डर
लगता है ˆयY>क मझ
ु े लगता है >क यह सबसे बड़ा पाप है । अगर म/ने धमा'?तरण
कर भी ]लया तब भी म/ अपने •ह?द ू दे वY कo पज
ू ा करना नह;ं छोड़ सकती ˆयY>क
ऐसे संXकार मेरे अंदर ज?म से है । मझ
ु े पता है >क धमा'?तरण के बाद य•द म/
मwू त' पज
ू ा क›ँ गी तब म/ सFची मस
ु लमान नह;ं मानी जाऊँगी। अतः धमा'?तरण
करने का कोई औ9चšय नह;ं बनता। उसके माता-Gपता मझ
ु े Xवीकार करने के ]लए
तैयार ह/ पर?तु केवल और केवल धमा'?तरण के बाद। म/ इXला]मक र;wत mरवाज़
सीखने के ]लए तैयार हूँ >क?तु म/ अपने धम' का šयाग नह;ं कर सकती और न
ह; म/ उसे छोड़ सकती हूँ —अÂपा

एडxमन कहते ह>:

G!य अÂपा,

हम तk
ु हार; पीड़ा समझ सकते ह/। यह दभ
ु ा'Iयपण
ू ' है >क उनका !थम ¸येय तk
ु ह5
मस
ु लमान बनाना है । वे यह नह;ं दे ख सकते >क तम
ु एक अFछÍ इंसान हो। उनका
अंwतम ¸येय है इXलाम का !सार। यह बात तk
ु ह5 Xप`ट होनी चा•हए >क य•द
तम
ु ने धमा'?तरण नह;ं >कया, तk
ु हारा साथी तk
ु ह5 अवgय ह; छोड़ दे गा।

एक इXला]मक wनकाह के ]लए, दोनY का ह; मस


ु लमान होना आवgयक है । कोई
भी इमाम एक •ह?द ू का एक मिु Xलम से wनकाह नह;ं पढ़वायेगा। अब अगर
तk
ु ह5 इXला]मक wनकाह करना है तब तk
ु हे २ ]मनट कo शहादा कo क़सम उठानी
होगी और मस
ु लमान बनना होगा। अब धमा'?तरण के बाद परू ा मिु Xलम समद
ु ाय
तk
ु ह5 मक
ु kमल मस
ु लमान बनाने म5 लग जायेगा।

56
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

आपने ऐसा ˆयY कहा, "ˆया म/ •ह?द ू !wतमाओं (idols) कo पज


ू ा कर सकती हूँ?"
आप !wतमाओं कo पजू ा नह;ं करते अGपतु आप मwू त'यY कo पज ू ा करते ह/। आप
भगवान को एक मा¸यम के ´वारा दे खते ह/ जो पšथर से बना है । मस
ु लमान भी
काबा कo काल; घनाकार इमारत को अपने अÂलाह कo इबादत के 9च?ह के तौर
पर !योग करते ह/। ईसाई, सल;ब ((ॉस) का !योग करते ह/ और यहूद; जे8सलम
कo पGवl पšथर कo द;वार का !योग अपनी !ाथ'ना के ]लए करते ह/। इसम5 कोई
अंतर नह;ं है , सभी या तो कोई !wतमा (idols) ह/ अथवा दै Gवक 9च?ह का !योग
करते ह/। जीसस और पैगkबर मोहkमद इस Gवgव म5 सवा'9धक म•हमामं•डत
(idolized) –यिˆत ह/। अपने साथी से कहो >क य•द वह चाहता है तम
ु अपनी
मwू त'यY को अपने जीवन से हटा दो तब उसे भी अपने सभी मिु Xलम 9च?हY को
हटाना होगा।

तk
ु हारा धमा'?तरण से डरना सह; है । धमा'?तरण तभी करना जब तk
ु हे आशा हो
>क तम
ु अFछÍ मस
ु लमान बन सकती हो। ¸यान रहे >क •दखावे का धमा'?तरण
आपका और आपके जीवन साथी का जीवन बबा'द कर सकता है । अतः अपने भावी
पwत, सkबि?धयY, उनके इमामY और परू े मिु Xलम समद
ु ाय को मख
ू ' बनाने कo
को]शश न कर5 । अतः कृपया •दखावे का धमा'?तरण न कर5 । शभ
ु कामनाओं स•हत
—एड]मन

कृपया िकसी भी प्रकार के शारीिरक सम्बन्ध को बढ़ावा न दें। अगर ऐसा एक बार हो
जाता है तब सारा प्रभुत्व और शिक्त पुरुष के हाथों में चली जाती हैं। यह सब तुम्हें
भावुक और मानिसक रूप से उसके साथ रहने को िववश कर देगा िफर चाहें उसका
पिरणाम कुछ भी हो —अज्ञेयवादी (खंड ३.३)

57
!ेમ का धम'

खंड ३.११: मैं िकसी भी कीमत पर अपना धमर् नहीं बदलूंगी

फा€गुनी कहती ह>:

ु ती हूँ और Gपछले सात साल से एक मिु Xलम यव


म/ एक •हंद ू यव ु क के साथ !ेम
सkब?ध म5 हूँ। हम दोनY एक दस ू रे से बहुत !ेम करते ह/ और उसके माता-Gपता
ने तो मझ
ु े Xवीकार भी कर ]लया है । >क?तु मेरे माता-Gपता इस सkब?ध के
Gव›´ध ह/ ˆयY>क म/ उनकo इकलौती पl ु ी हूँ। अब म/ बहुत बड़े धम' संकट म5 हूँ।
ना तो म/ अपने माता-Gपता को छोड़ सकती हूँ और ना ह; म/ अपने साथी के Ëबना
रह सकती हूँ। मझ
ु े ˆया करना चा•हए? कृपया मझ
ु े एक wनण'य लेने म5 सहायता
कर5 —फाÂगन
ु ी

एडxमन कहते ह>:

फाÂगन
ु ी,

आपने एक बहुत ह; महšवपण ू ' जानकार; नह;ं द; है , ˆया आपका साथी और उसके
माता-Gपता आपसे धम' पmरवत'न कo अपेsा रखते ह/? इस बात से कोई अंतर नह;ं
पड़ता >क वह ˆया बहाना बनाते ह/; जो बात सबसे महšवपण
ू ' है वह है >क ˆया
आपको धमा'?तरण करना पड़ेगा?

य•द धमा'?तरण अपे‘sत है (जैसा अ9धकतर मामलY म5 होता है ), तब ˆया आप


गव' से एक मिु Xलम जीवन जीने के ]लए तैयार ह/? यह ¸यान म5 रखते हुए >क
इस सब म5 बहुत चनु ौwतयां और जो•खम ह/, ˆया आपको लगता है >क इस सkब?ध
के ]लए आपको अपने माता-Gपता को श]मÏदा करना चा•हए। अगर उससे Gववाह
के बाद आपका तलाक़ हो जाता है , तब आपकo आगे के जीवन के ]लए ˆया
योजना होगी? हम5 आशा है तब आप अपने माता-Gपता के भरोसे नह;ं रह5 गी।

उसको Xप`ट कर द5 >क इस जीवन म5 तो आप धम' पmरवत'न नह;ं कर5 गी; आप


जैसी ह/ वैसी ह; रह5 गी। उसको जो समझ म5 आता है वह करे । हम5 आशा है >क
वह आपको इसी तरह भी Xवीकार करे गा। अगर वह ऐसा नह;ं करता है , तब आप
तो अभी २३ वष' कo ह/ और अभी आपके सामने सन
ु हरा जीवन पड़ा है , आपको
और GवकÂप भी भGव`य म5 ]मल5गे। अ9धक माग'दश'न के ]लए आप हमसे पन
ु ः
संपक' कर सकती ह/। Ëबना सोचे समझे कोई wनण'य न ल5 —एड]मन

58
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

फा€गुनी आगे कहती ह>:

हाँ, उसने मझ
ु से कहा था >क य•द मझ
ु े उससे Gववाह करना है तब मझ
ु े धमा'?तरण
करना होगा ˆयY>क एक मिु Xलम यव
ु क का एक मिु Xलम यव
ु ती से ह; wनकाह
संभव है । पर?तु उसने यह भी कहा >क मझ
ु े •ह?द ू मं•दरY म5 जाने कo छूट होगी
और म/ अपने दे वी दे वताओं कo मwू त'यां भी अपने साथ रख सकती हूँ। >क?तु अब
म/ उसे कहूँगी >क म/ >कसी भी कoमत पर अपना धम' नह;ं बदलंग ू ी। दे खते ह/ >क
वह मझ
ु े ऐसे ह; Xवीकार करता है या नह;ं। बहरहाल, आपके अमÂ
ू य परामश' के
]लए ध?यवाद। म/ wनिgचत ह; माग'दश'न के ]लए आपसे संपक' क8ँगी —फाÂगुनी

जो औरत फमार्बरदार (आज्ञाकारी, submissive) होती है और अपने शौहर के सब


हुक्मों को मानती है उसे आिख़रत के बाद जन्नत नसीब होती है।

इसके उलट जो औरत अपनी िजं दगी फख्र और शान से जीती है उसे इस िजंदगी में
जन्नत नसीब होती है।

59
!ेમ का धम'

खंड ३.१२: मैं धमार्न्तरण नहीं करुँ गी

Bवजया कहती ह>:

म/ने एक •ह?द ू पmरवार म5 ज?म ]लया और मेरा लालन-पालन पिgचमी स"यता


म5 हुआ। म/ने अपने जीवन का बहुत सा समय मं•दरY म5 –यतीत >कया और मझु े
अपने धम' कo बहुत सार; बात5 अFछÍ लगती ह/। आज म/ एक अwत-धा]म'क •ह?द ू
तो नह;ं हूँ >क?तु मझ
ु े आशा है >क पmरपˆव होने के साथ म/ और भी धा]म'क हो
जाऊँगी। म/ने अपने माता-Gपता कo इFछा का आदर करते हुए अपने जीवन भर
अपने धम' से बाहर >कसी भी –यिˆत से !ेम सkब?ध नह;ं बनाया और आपने
(®ीwनवास31) भी कुछ ऐसा ह; उÂलेख >कया है । >क?तु बहुत से •ह?द ू यव
ु कY से
]मलने के बाद भी म/ अपने सह; साथी को खोज नह;ं पाई।

अब दो वष' हो चक
ु े ह/ जब म/ने अपने Xकूल के •दनY के एक ]मl से ]मलना श8

>कया जो एक मिु Xलम समद
ु ाय से है । वह Xवयं इतना धा]म'क नह;ं है और हम
दोनY का Ðि`टकोण भी एक ह; है (एक अFछा इंसान बनना और अFछÍ बातY का
अनस ु रण करना •यादा महšवपण ू ' है )। हम दोनY ह; बहुत दयाल,ु उदार और दानी
!वGृ Ü के ह/। उसकo माता ह; पmरवार म5 सबसे अ9धक धा]म'क ह/ और उसके माता-
Gपता भी हमारे सkब?ध को Xवीकार करने के ]लए तैयार ह/। >क?तु म/ जानती हूँ
>क यह समाचार मेरे Gपता का •दल तोड़ दे गा। मझ
ु े पˆका Gवgवास है >क मेरा
अपने साथी से Gववाह करने का wनण'य एक दम सह; है और मझ
ु े ख़श
ु ी होगी य•द
मेरे माता-Gपता भी मेर; इस ख़श
ु ी म5 भागीदार हY।

मझु े Gवgवास है >क मेरे माता-Gपता उन सभी के साथ बड़े हुए िजनको वह; ]शsा
]मल; जैसा आप (®ीwनवास) कहते ह/, अतः म/ उ?ह5 दोष नह;ं दं ग ू ी। >क?तु म/
चाहती >क हूँ वे यह Xवीकार कर5 >क ईgवर ने ह; हर आदमी को बनाया है और
हम सभी को इस संसार म5 साथ रहना होगा।

म/ Gववाह कo इXला]मक पmरभाषा के भी Gव›´ध हूँ (िजसमे कहा गया है >क


अÂलाह ह; सव'शिˆतमान है )। Gववाह दो àदयY और मन का ]मलन है । ऐसे
संXकार म5 >कसी को बा¸य नह;ं >कया जाना चा•हए। अगर उसके माता-Gपता
चाहते ह/ तो म/ इXला]मक wनकाह करने के ]लए तैयार हूँ >क?तु इXलाम इसे नह;ं

31
https://www.interfaithshaadi.org/puja-i-will-not-convert/comment-page-1/#comment-
40032.

60
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

मानेगा ˆयY>क म/ धमा'?तरण नह;ं क›ँ गी अतः ऐसा (इXला]मक wनकाह) हो नह;ं
पायेगा।

मेरा साथी •ह?द ू र;wत mरवाज़ के ]लए भी तैयार है । जहाँ तक संतानY का !gन है
जब हम दोनY ह; ना तो मिXजद जाय5गे और ना ह; मं•दर तो कोई समXया खड़ी
ह; नह;ं होगी। हालां>क म/ उ?ह5 इ?ह;ं दो धम° के बारे म5 ह; नह;ं बताऊँगी अGपतु
सभी धम° कo ]शsा दं ग
ू ी। अगर म/ भGव`य म5 कभी मं•दर जाने का wनण'य लेती
हूँ, तब म/ उनको भी अनभ
ु व के ]लए अपने साथ ले जाऊंगी।

कृपया अपनी wन`पs राय द5 और संतान, Gववाह और संXकार जैसे GवषयY पर भी


!काश डाल5। —Gवजया

एडxमन कहते ह>:

आपने एक wन`पs राय के ]लए कहा है , च]लए सभी जानकाmरयY को सामने रखते
ह/ ता>क आप एक wनण'य ले सक5 जो आपके ]लए सह; हो।

बहुत से लोगY को जीवन म5 नयापन चा•हए होता है और इसी कारण वे Gव]भ?न


32
प`ृ ठभ]ू म के लोगY से जड़
ु जाते ह/ (!ेम सkब?ध के १० सl
ू Y को पढ़5 )। यहाँ पर
यह कहावत सट;क बैठती है >क दस
ू र; तरफ घास हर; है । (Grass is greener
on the other side) इसी !कार !ेम अँधा होता है जो नकाराšमक तÝयY कo
तरफ नह;ं दे खता। मिु Xलम यव
ु wतयY को भल;-भांwत पता होता है >क मस
ु लमान
Xlी को ˆया-ˆया झेलना पड़ता है , िजससे आप अन]भi ह/। कृपया कर पता कर5
>क एक मिु Xलम पšनी से ˆया-ˆया अपेsा कo जाती है , तब भी जब आपका
मिु Xलम साथी यह कहे >क वह एक क™टर मस
ु लमान नह;ं है । ठÍक इसी !कार
आपके साथी को भी एक •ह?द ू से Gववाह करने के ]लए सभी जानकार; होनी
आवgयक है ।33

अब !gन यह उठता है >क वे >कतने सFचे मस


ु लमान ह/। कोई भी दो मिु Xलम
एक जैसे नह;ं होते (आज़ाद को पढ़5 34)। कृपया उन सभी ३० Ëबंदओ 35
ु ं को ¸यान
से पढ़5 िजनका अनस
ु रण एक मस
ु लमान को करना चा•हए। उसे एक कागज़ पर

32
https://www.interfaithshaadi.org/ten-points-of-interfaith-dating/.
33
खंड २.४.२; https://www.interfaithshaadi.org/ten-points-dating-hindu/.
34
खंड ४.१।
35
https://www.interfaithshaadi.org/hindu-muslim-marriage-1-hindu-girl/.

61
!ेમ का धम'

]लख ल5। अब सभी Ëबंदओ


ु ं पर अपनी अपेsा/सहमwत/असहमwत सभी कुछ ]लख
ल5। अपने साथी से भी ऐसा करने के ]लए कह5 । तब आपको पता लगेगा >क
आपके Ðि`टकोण >कतने समान अथवा ]भ?न ह/। इसे कहते है "सोचा समझा
wनण'य"। अगर आपको लगता है आप इस सkब?ध म5 आगे बढ़ने के ]लए तैयार
ह/ तब इस कागज़ को अपने पास रख5 और दोनY ह; पs के माता-Gपता को इसे
•दखाकर Xवीकृwत ल5। हम5 आशा है >क आपके Gपता इस तरह से आपका Ðि`टकोण
जानना चाह5 गे। यह पीड़ादायक तो अवgय होगा, >क?तु हम चाहते ह/ >क उस पीड़ा
का अनभ
ु व Gववाह के बाद होने कo बजाय अभी होना •यादा अFछा होगा (जो
संतानोšपGÜ के बाद और अ9धक पीड़ादायक होगा)। Gववाह Xवग' म5 तय होते ह/
>क?तु पिgचमी स"यता म5 आधे से अ9धक तलाक़ पर अंत होते ह/।36 कुछ मामलY
म5 तलाक़ Gववाह से •यादा महं गा पड़ता है ।

उस ३० सl
ू ी सच
ू ी से न घबराएं। य•द वह अमर;का म5 रहता है और धम' को
मानने वाला –यिˆत नह;ं है , तब उनम5 से कोई भी Ëबंद ु लागू नह;ं होगा। कृपया
हम5 अवgय बताएं >क ˆया हुआ। शभ
ु कामनाओं स•हत —एड]मन

वेदांत पाप को महत्व नहीं देता अिपतु त्रुिट को देता है। वेदांत कहता है िक सबसे बड़ी
त्रुिट है यह मानना है िक आप कमजोर हैं, पापी हैं, िनम्न हैं अथवा आपके भीतर कोई
शिक्त नहीं है और आप कुछ भी करने में समथर् नहीं है —स्वामी िववेकानंद

36
४८ I¬तशत से अ’धक Iथम •ववाह तलाक़ पर समा-त होते ह“ अथवा २० वष„ मe यग
ु ल अलग हो
जाते ह“: http://www.avvo.com/legal-guides/ugc/marriage-divorce-statistics.

62
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१३: क्या मैं औपचािरकता मात्र के िलए धमर् पिरवतर्न कर सकता हूँ ?

बहुत से युवाओं ने अपने साथी के धम' म5 पmरवत'न >कया वह भी उस धम' को


Ëबना समझे। अगले कुछ खंडY म5 कुछ ऐसे ह; उदाहरण •दए गए ह/।

यो"गन कहते ह>:

म/ एक •ह?द ू यवु क हूँ और Gपछले तीन साल से एक मिु Xलम यव


ु ती के साथ !ेम
संबंध म5 हूँ। हम दोनY कo आयु ३० वष' से ऊपर है और हमारे संबंध म5 दे र; का
कारण है >क हम उसके माता-Gपता कo Xवीकृwत कo !तीsा कर रहे ह/। ले>कन
ऐसा कुछ होता लग नह;ं रहा है ।

हमने अंतर-धा]म'क GववाहY म5 आने वाल; तमाम समXयाओं के बारे म5 भी Gवमश'


>कया है और इस wन`कष' पर पहुंचे ह/ >क सभी भGव`य कo समXयाओं का हल है
>क संतान पैदा करने का मोह छोड़ •दया जाए, ˆयY>क हमने दे खा है >क एक
अंतर-धा]म'क Gववाह म5 संतानोšपGÜ के बाद संबंध Ëबगड़ने लगते ह/।

हम इस बात पर भी सहमत ह/ >क शांwत के साथ जीवन जीने का सl


ू है >क
अपनी अपनी आXथाओं पर Gवgवास रख5 ˆयY>क हम5 एक दस
ू रे के धम' पmरवत'न
म5 कोई •दलचXपी नह;ं है । हालां>क इस सबके बाद भी हम5 पता है >क उसके
माता-Gपता कo Xवीकृwत का एक ह; राXता है , वह है >क म/ मिु Xलम हो जाऊं।

ु वी और Gवgवासपाl लोगY से यह; जानना चाहता हूँ >क ˆया


म/ आप जैसे अनभ
म/ केवल औपचाmरकता के ]लए धम' पmरवत'न कर सकता हूँ? ˆया ऐसे धम'
पmरवत'न के बाद भी म/ अपने •ह?द ू नाम का !योग कर सकता हूँ? इसके अलावा
य•द म/ धम' पmरवत'न करता हूँ तब इसके कोई धा]म'क !wतफल अथवा पmरणाम
हYगे अथवा नह;ं? और य•द हम दोनY को कोई आपGÜ नह;ं है तो ˆया म/ •ह?द ू
बना रह सकता हूँ? हम wनgचय ह; उसके माता-Gपता से झूठ नह;ं बोल5गे और यह
अवgय बताएंगे >क यह धम' पmरवत'न केवल wनकाह के ]लए ह; होगा। म/ जानना
चाहता हूँ >क ˆया ऐसा संभव है ? म/ >कसी भी तरह कo जानकार; का Xवागत
क8ंगा। —यो9गन

एडxमन कहते ह>:

63
!ेમ का धम'

आपके !gन का बहुत सीधा सा जवाब है : कभी भी झूठा धम' पmरवत'न ना कर5 ।
मझ
ु े sमा कर5 ऐसा सीधा जवाब दे ने के ]लए पर?तु यह; सच है । ˆया आप ऐसे
–यिˆत ह/ जो अÂलाह से, अपने माता-Gपता से, अपने •ह?द ू समद
ु ाय से, इमाम
से और सबसे महšवपण
ू ' अपने आप से झूठ बोल5गे? ऐसा झूठा धम' पmरवत'न आप
दोनY का जीवन और दोनY के पmरवारY को बबा'द कर सकता है । अगर आप एक
बार मस
ु लमान कहने भर के ]लए भी बन जाते ह/ तब भी आपका •ह?द ू र;wत
mरवाजY का पालन करना पाप ह; माना जाएगा। बाद म5 य•द आप वापस •ह?द ू
बनना चाह5 तब उसे Xवधम' šयाग कहा जाएगा िजसकo सजा Gवgव म5 कुछ जगहY
पर मšृ यद
ु ं ड है । अतः झूठा धम' पmरवत'न करने कo जगह, इXलाम के बारे म5 जान5
और अगर आपको अFछा लगता है तब सच म5 धम' पmरवत'न कर ल5। >क?तु य•द
आप इXलाम से सहमत नह;ं ह/, तब यह Xप`ट कर द5 >क आप धम' पmरवत'न
नह;ं कर5 गे और अपने ह; धम' के अनय
ु ायी रह5 गे जैसा >क आप पहले भी कह चक
ु े
ह/। अब माता-Gपता कo समXया उ?ह;ं तक रहने द5 और आपको उनकo अXवीकृwत
से दरू ; बनाने का कोई न कोई हल wनकालना होगा, य•द वे वाXतव म5 आपके
साथ नह;ं आते ह/।

हो सकता है >क वह अपने माता-Gपता को एक बहाने कo तरह !योग कर रह; हो।


ऐसा Ëबलकुल संभव है >क वह अपने àदय कo गहराइयY से आपको मिु Xलम दे खना
चाहती हो, अतः इस पर आपको ¸यान अवgय दे ना चा•हए। शभ
ु कामनाओं स•हत
—एड]मन

एक सम्बन्ध में वषोर्ं तक साथ रहने के बाद अपने साथी से िववाह हेतु धमर् पिरवतर्न के
िलए कहना धमार्न्तरण का एक बहुत बुरा रूप है।

64
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१४: िववाह हेतु झठ


ू ा धमर् पिरवतर्न

त‚ण कहते ह>:

म/ एक बहु धा]म'क पmरवार से हूँ। मेरे Gपता एक ¹ाÒमण ह/ (हालां>क हम सभी


कुछ खाते ह/ जब>क मेरे Gपता का पmरवार श´ ु ध शाकाहार; था)। मेर; मां आधी
ईसाई (Gपता आधे ईसाई और आधे •ह?द ू थे) और आधी मिु Xलम (उनकo मां
मिु Xलम थीं) ह/। मेर; मौसी (मां कo बहन) ने एक मिु Xलम से Gववाह >कया और
वह; एक (मौसा) ह/ जो धम' के पाखंड म5 सबसे आगे ह/। उ?हYने अपनी बे•टयY को
मझ
ु से घल
ु ने ]मलने नह;ं •दया जब>क बचपन म5 हम बहुत घwन`ठ थे। >क?तु वे
अपने बेटY को उनके गैर-मिु Xलम भाई-बहनY से ]मलने के ]लए !ेmरत करते ह/।
यह तो हद है ।

मेर; बहन एक मिु Xलम –यिˆत के साथ वष° से !ेम सkब?ध म5 है , हालां>क मझ
ु े
यह सkब?ध आगे बढ़ता नज़र नह;ं आ रहा। मेरे भाई ने एक मिु Xलम लड़कo से
Gववाह >कया था और मेरे भाई ने धम' पmरवत'न भी नह;ं >कया ˆयY>क वह मिु Xलम
म•हला एक धम' wनरपेs और धनी पmरवार से थी।

मेरा Gववाह एक मिु Xलम लड़कo से हुआ और म/ने उसके माता-Gपता कo संतिु `ट
के ]लए •दखावे का धम' पmरवत'न >कया। अब म/ वापस •ह?द ू हो गया हूँ। य´यGप
म/ने उसे कभी धम' पmरवत'न के ]लए नह;ं कहा, >क?तु हमारे •ह?द ू र;wत mरवाज़Y
का पालन करने म5 उसे कोई आपGÜ नह;ं है जब तक >क म/ उसे बा¸य न क8ँ।
ˆया यह सब अ´भत
ु नह;ं है ? वह अपने तर;के से !ाथ'ना करती है और म/ कोई
आपGÜ नह;ं करता।

हमारा Gववाह हुए कुछ ह; माह हुए ह/। उसका पmरवार खश


ु है , वह भी •ह?द ू कo
तरह जीवन जीने म5 खश ु है और उसे मेरा मं•दर जाना भी पसंद है । उसे •ह?द ू
कo तरह सब कुछ करना पसंद है । —त›ण

एडxमन कहते ह>:

त›ण,

आपने झठ
ू और धोखे को अपने वैवा•हक जीवन का आधार ˆयY बनाया? अगर
आपकo मिु Xलम बनने कo कोई मंशा नह;ं थी तब आपने झूठÍ शहादा कo क़सम

65
!ेમ का धम'

ˆयY खाई और झूठा धम' पmरवत'न ˆयY >कया? ˆया यह उसके धम' का, उसके
माता-Gपता, इमाम और इXलाम का अपमान नह;ं है ?

कोई भी ईमानदार और आšमसkमान वाला –यिˆत केवल Gववाह के ]लए सबसे


झूठ ˆयY बोलेगा, जब>क उसके पास और भी अFछे GवकÂप उपलÊध ह/? एक
कानन
ू ी Gववाह म5 ˆया समXया थी?

य•द आप ईgवर म5 Gवgवास रखते ह/ तब अÂलाह (अथवा भगवान कृ`ण) से झूठ


ˆयY बोल5गे? इसी !कार य•द आप धम' म5 Gवgवास नह;ं रखते तब आपको Gववाह
हे तु धा]म'क अन`ु ठान करने कo कोई आवgयकता नह;ं है । आप अपने Gववाह को
धम' से इतर ˆयY नह;ं रख सकते? ˆया आप कहना चाहते ह/ >क झूठा धमाÏतरण
करना ठÍक है और सšय व ईमानदार; धम' के Gव›´ध ह/?

त›ण, हम आपसे कठोर नह;ं होना चाहते। यह; कुछ म´


ु दे ह/ िजस पर आपको
और परू े समाज को सोचना है । आप एक पेशव
े र झूठे –यिˆत नह;ं हो >क?तु
आपको झूठ बोलना पड़ा। यह आपका दोष नह;ं है ; आप भी राजनीwत और धम'
के ठे केदारY से पी•ड़त हो। आपकo यव
ु ावXथा म5 , कोई अपेsा नह;ं करता >क आप
भी गाँधी जी कo तरह समाज को बदलने wनकल पड़5। कृपया अपनी मिु Xलम पšनी
का अपने ¹ाÒमण पmरवार म5 अFछे से ¸यान रख5, यह वाकई म5 एक दै वीय काय'
होगा। आशा करते ह/ आपके उदाहरण से और लोगY को भी ]शsा ]मलेगी (झूठा
धम' पmरवत'न को छोड़कर) —एड]मन

जीवन कभी भी एक गुलाबों की बिगया नहीं है, यिद है भी तो गुलाब में काँटे भी हैं।

िजयें तथा औरों को भी जीने दें।

66
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१५: मेरे बच्चों को मुसलमान बनना ही होगा

>कसी भी अंतर-धा]म'क सkब?ध म5 सबसे बड़ा !gन होता है , संतान का धम'। इस


खंड म5 व•ण'त घटना म5 तोरल को इXलाम के बारे म5 कुछ भी iान नह;ं था >क?तु
>फर भी वह Gववाहोपरांत संतान को मुसलमान बनाने पर राज़ी हो ग#।

तोरल कहती ह>:

म/ एक •ह?द ू हूँ और मेरा साथी एक मिु Xलम है । म/ने अपने Gववाह के ]लए घर
छोड़ने का मन बना ]लया है । म/ अपना धम' और अपना नाम नह;ं बदलंग
ू ी, मेरे
साथी को भी इससे कोई समXया नह;ं है । जहाँ तक इXलाम म5 धमा'?तरण कo
बात है , मेरा साथी और उसकo मां नह;ं चाहते >क म/ सच म5 धमा'?तरण क8ँ।

वह बहुत सहयोगी ह/। हम wनकाह नह;ं कर5 गे और Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के
अंतग'त Gववाह कर5 गे। मेरे बFचे मस
ु लमान हYगे। म/ इसम5 कुछ नह;ं कर सकती,
>क?तु •हंदšु व भी जीवन का एक •हXसा होगा ˆयY>क म/ अपने सभी •हंद ू र;wत
mरवाज़Y का ऐसे ह; पालन क›ँ गी जैसे म/ अभी करती हूँ। ˆया आपके पास मेरे
]लए कोई सझ
ु ाव है ? —तोरल

एडxमन कहते ह>:

नमXकार तोरल,

हम5 ख़श
ु ी है >क आपके साथी कo मां आपके धमा'?तरण न करने और आपका
Gववाह Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त करने को राज़ी ह/। >क?तु उसके Gपता
और अ?य सkबि?धयY के इस पर ˆया Gवचार ह/? ˆया आपने उनसे –यिˆतगत
भ5 ट कर उनसे चचा' कo है अथवा आपने अपने साथी के कहने भर से मान ]लया
>क आपको धमा'?तरण करने कo कोई आवgयकता नह;ं है ? अब य•द आपके साथी
के Gपता और अ?य घwन`ठ सkब?धी नह;ं मानते ह/ तब आपके साथी के सरु भी
आपके Gववाह कo wत9थ पास आने पर बदलने लग5 गे।

आप अपने माता-Gपता को छोड़कर एवं भागकर Gववाह ˆयY करना चाहती ह/? यह
संभव है >क ऐसा कदम उठाने के बाद आपके अपने माता-Gपता और सkबि?धयY
से mरgते ह; खšम हो जाएँ। अब य•द भGव`य म5 आपके वैवा•हक जीवन मे कोई
समXया आती है (जो एक अंतर-धा]म'क Gववाह म5 संभव है ), तब आप कहाँ जाएँगी

67
!ेમ का धम'

और >कसकo मदद ल5गी? अFछा होगा >क आप वापस लौटने के सभी ´वार बंद
न कर5 । अपने माता-Gपता को सार; सFचाई बता द5 और डांट का सामना कर5 । उ?ह5
सँभलने और आपके साथ खड़ा होने के ]लए समय द5 और आप दे ख5गी >क आपके
माता-Gपता आपके समथ'न म5 खड़े हYगे। ˆया आप घर से केवल इसी]लए भागना
चाहती ह/ ˆयY>क आप Gवरोध का सामना नह;ं करना चाहती? >क?तु यह एक
कायरता से भरा कृšय लगता है ।

अब य•द आप Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त (wनकाह के Ëबना) Gववाह


करती ह/, तब आपको अपनी संतान को मस
ु लमान बनाने कo ˆया ज़›रत है ? इस
क़ानन
ू के अंतग'त Gववाह करना आपको छूट दे ता है >क आप आपने साथी और
इXलाम के दवाब म5 ना आएं। ˆयY नह;ं आप अपनी संतान का लालन पालन
•ह?द ू और मिु Xलम दोनY ह; धम° के अनस
ु ार कर5 ? आप अपने पहले बFचे का
नाम कृ`ण एवं दस
ू रे का मह
ु kमद रख सकते ह/। आप आXथाओं कo समानता कo
अपेsा ˆयY नह;ं कर रह; ह/? आपको यह मांग अपने साथी के समs रखनी ह;
होगी और य•द वह आपसे !ेम करता है तब वह आपसे ज8र सहमत होगा।

"च$ ४: संतान को धम' कo Xवतंlता

ˆयY न आप अपनी संतान को ह; उसके धम' के चयन लेने द5 जब वह २१ वष'


का हो जायेगा। पव
ू ' अमेmरकo रा`Ñपwत बराक ओबामा के Gपता मिु Xलम थे तथा

68
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

मां ईसाई थीं, उनका लालन पालन भी दोनY ह; धम° म5 हुआ। जब वह कॉलेज म5
थे तब उ?हYने अपना बपwतXमा कराने का wनण'य ]लया। अपनी संतान को धम'
कo Xवतंlता दे ने म5 बरु ाई ह; ˆया है ? अभी आप अपनी संतान पर मस
ु लमान का
ठŽपा लगाने पर सहमwत न द5 ।

इसम5 एक कानन
ू ी प5 च भी है —य•द आप अपनी संतान के मस
ु लमान होने कo
सहमwत के साथ Gववाह का अनब
ु ंध करती ह/, तब तलाक कo अनचाह; िXत9थ
अगर >कसी कारण से wन]म'त होने पर अपने बFचे का कानन
ू ी संरsण लेने म5
आप Gवषम पmरिXथwतयY म5 फँस सकती ह/। एक ?यायाधीश एक मिु Xलम बFचे
का संरsण एक •ह?द ू माता को नह;ं दे गा ˆयY>क आपने Xवयं ह; उसके मस
ु लमान
बनने पर सहमwत द; थी। अब य•द आप बFचे को दोनY धमî के साथ बड़ा करती
ह/ तब आपको उसका कानन
ू ी संरsण ]मल सकता है ।

ˆया आपको पता है >क एक मिु Xलम बFचे को कैसे पाला जाता है ? ˆया आप
कभी >कसी मिXजद अथवा मदरसे गई ह/? य•द नह;ं तो एक बार अवgय जाएं
और कुछ घंटे Ëबताएं। सीख5 >क वहां बFचY को ˆया पढ़ाया जाता है ˆयY>क आपको
भी अपने मस
ु लमान बFचे को वह सब पढ़ाना पड़ेगा। ˆया अपने क़ुरान पढ़; है ?
ˆया अपने बFचे के !wत•दन क़ुरान पढ़ने से आपको कोई समXया नह;ं है ? आस
पास के मिु XलमY से बात कर5 और जान5 >क वे •ह?दओ
ु ं और •ह?द ू भगवानY के
बारे म5 ˆया सोचते ह/।

कृपया मझ
ु े भी बताएं >क एक •ह?द-ू मस
ु लमान संतान कo बजाय एक मस
ु लमान
संतान कo मां कहलाने म5 आपको ˆया !ाŽत होगा? कृपया GवXतार से समझाएं।
—एड]मन

तोरल आगे कहती ह>:

मझ
ु े अपने बFचY को मस
ु लमान बनाने से कोई आपGÜ नह;ं है । उसके Gपता को
भी हमारे Gववाह से कोई आपGÜ नह;ं है तथा उ?ह5 अपने सkबि?धयY कo भी कोई
परवाह नह;ं है । एक बार मेरे घर म5 भगवान सšयनारायण कo पज
ू ा थी, अगले
•दन म/ने उनके घर जाकर सभी को !साद •दया और मझ
ु े ख़श
ु ी है >क सभी ने
!साद ]लया। बिÂक उ?हYने कहा >क अगल; बार पज
ू ा हो तो >फर से दे ना।

69
!ेમ का धम'

मझ
ु े पैग}बर मह
ु }मद अvछे नह5ं लगते ˆयY>क उ?हYने लोगY को जो राXता
•दखाया वह मझ
ु े पसंद नह;ं है । मझ
ु े उससे नफरत है , वह म‰
ु य अपराधी और
झूठा है ।37 —तोरल

शहादा के द्वारा इस्लाम में धमार्न्तरण:

‫ﷲ رﺳﻮل ﻣﺤﻤﺪ ﷲ إﻻ إﻟﮫ‬


ला-इलाह-इल्लल्लाह-मोहम्मद-उर-रसूलल्लाह

(अल्लाह के अलावा कोई भगवान नहीं है, और मुहम्मद उसके अंितम दू त हैं)

37
तोरल °बना पैग•बर मह
ु •मद का इƒलाम मe मह•व जाने, अपने ब˜च€ को मस
ु लमान बनाने पर
राज़ी हो गई।

70
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१६: एक िहन्दू : मैंने इस्लाम अपनाने का िनणर्य ले िलया है

Žयार अँधा होता है । इसी कारण एक –यिˆत को फुसलाना तब •यादा आसान


होता है जब उसे !ेम हो गया हो। >क?तु जब उसका सšय से सामना होता है ,
तब वह –यिˆत अपने मूल –यिˆतšव म5 अथवा अपनी जड़Y कo ओर लौटना चाहता
है । इसी कारणवश !ेम म5 अंधे होकर झूठा धमा'?तरण सह; नह;ं है । आइये सुजान
के एक रोचक जीवन अनुभव को जानते ह/।

सज
ु ान कहते ह>:

इस वेबसाइट (InterfaithShaadi) ने मेर; उपयोगी जानकार; और समीsाएं


उपलÊध कराने म5 बहुत मदद कo है । मेरा नाम सज
ु ान है और म/ Gपछले ४ वष°
से एक मिु Xलम लड़कo के साथ !ेम सkब?ध म5 हूँ। अभी हम दोनY ह; पेशवे र ह/
और आ9थ'क 8प से भी Xवतंl ह/।

उसका पmरवार उसका wनकाह उसके चचेरे भाई से करने कo योजना बना रहा है ।
हम दोनY एक दस
ू रे से बहुत !ेम करते ह/ और म/ने उसे वचन •दया है >क म/
>कसी भी कoमत पर उसी से Gववाह क8ँगा। म/ अपने Gपता का इकलौता पl ु हूँ।
म/ने इXलाम अपनाने का wनण'य कर ]लया है ता>क उसके माता-Gपता मझ
ु े अपना
ल5। यहाँ Xप`ट कर दँ ू >क म/ कोई झठ
ू ा धमा'?तरण नह;ं क8ँगा।

म> धम2 को अपने „दय से Mवीकार करना चाहता हूँ। उसने मझ


ु े कभी धम' पmरवत'न
के ]लए नह;ं कहा और मझु े आशा है >क हम दोनY के ह; पmरवारY म5 िXथwत जÂद
ह; सामा?य हो जाएगी। म/ अपना खतना कराने के ]लए भी तैयार हूँ और अपने
बFचY का अरबी नाम रखने म5 मझु े कोई आपGÜ नह;ं है ।

आपके >कसी भी सझ ु ाव का Xवागत है । ˆया म/ सह; •दशा म5 जा रहा हूँ? कृपया


माग'दश'न कर5 । ध?यवाद —सजु ान

एडxमन कहते ह>:

G!य सज
ु ान,

71
!ेમ का धम'

आपने Xवयं ह; आपकo िXथwत के समान अ?य लोगY कo समXयाओं पर ]भ?न-


]भ?न Gवचार38 पढ़ ]लए हYगे। हम आgवXत ह/ >क आप अपने ]लए सह; wनण'य
ल5गे (चाहे वह मस
ु लमान बनने का ह; ˆयY न हो)।

आपके इXलाम अपनाने के wनण'य पर हमार; दो 9चंताएं ह/: (१) आप संभवतः २०


वष' के ह/ और (२) !थम Ð`टया आपका इXलाम अपनाने का कारण आपका एक
मिु Xलम यव
ु ती से !ेम सkब?ध है ।

हमार; पहल; •टŽपणी है : ˆया आप इXलाम अपनाने और उस मिु Xलम यव


ु ती से
Gववाह करने का wनण'य कुछ वष' के ]लए टाल सकते ह/? आपका अपने जीवन के
!wत Ðि`टकोण कुछ वष° म5 संभवतः बदल सकता है ।

हमार; दस
ू र; •टŽपणी है : यह पˆका कर ल5 >क आप अपनी !े]मका के !ेम के
अ?य इXलामीक आXथाओं और अपेsाओं को समझते ह/ और उनसे सहमत भी
ह/।

इXलाम बहुत लोगY के ]लए एक महान धम' है और इXलाम उ?ह5 बहुत कुछ
]सखाता भी है । >क?तु आप अपनी !े]मका के ]लए अपने धम', िजसम5 आपने
ज?म ]लया है , को šयागने का wनण'य ना ल5। अगर वह ]सख होती तब ˆया आप
]सख धम' अपना लेते?... इसी !कार अगर वह ईसाई होती तब ˆया आप अपना
बपwतXमा करवाते? यह पˆका कर ल5 >क आप इXलाम को उसकo अFछाईओं और
अपनी इXलामी समझ के कारण अपनाएं ना >क इस]लए >क वह आपकo !े]मका
का धम' है । ˆया यह सह; है >क आप धमा'?तरण केवल उसके पmरवार कo Gववाह
के ]लए रज़ामंद; के ]लए कर रहे ह/? अगर वह यव
ु ती आपके जीवन म5 न होती
तब ˆया आप कभी मिु Xलम बनने के बारे म5 सोचते?

अगर आप कार खर;दने जाएं तो ˆया आप सबसे महँगी कार इस]लए खर;द ल5गे
ˆयY>क कार डीलर, जो आपके पmर9चत ह/, उसी महँगी कार को लेने कo िज़द कर
रहे ह/। ˆया आप दस
ू रे डीलर से उस कार का मÂ
ू य नह;ं पता कर5 गे? इसी !कार
आपने अब तक इXलाम के अwतmरˆत >कतने धम° को समझा है ? ˆया आपने
कभी क़ुरान, बाइËबल, गीता अथवा बौ´ध धम' से सkबं9धत ž?थ पढ़े ह/? यह
सभी महान धम'ž?थ ह/; तब आपने यह wनण'य कैसे ले ]लया >क इXलाम ह;

38
https://www.interfaithshaadi.org/blog/?cat=9.

72
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

सबसे अFछा धम' है और जो आपकo !े]मका का धम' भी है , तथा इXलाम ह;


आपके जीवन को सरल और सख
ु मय बनाएगा।

ˆया आप हम5 ५ ऐसी कुरान कo ]शsाएं अथवा इXलाम से सkबं9धत बात5 बता
सकते ह/ जो आपको अFछÍ लगीं तथा जो आपको •ह?द ू धम' म5 नह;ं ]मल;ं। ˆया
आप यह भी बता सकते ह/ >क ˆया आपको Gवgवास है >क ईgवर ने यह सkपण
ू '
संसार २+४ •दनY म5 बनाया था और डाGव'न का Gवकासवाद (Darwin’s Law of
Evolution) का ]स´धांत गलत है ? ˆया आप मानते ह/ >क पैगkबर मह
ु kमद
ईgवर के अंwतम दत
ू थे? ˆया आप यह भी मानते ह/ >क केवल इXलाम ह; एक
माl सFचा धम' है तथा ईसाई, जैन, •ह?द ू एवं और सभी धम' सFचे नह;ं ह/? ˆया
आपको Gवgवास है >क !लय के •दन (Judgment Day), अÂलाह सभी के भाIय
का फैसला माl एक घंटे म5 कर द5 गे और सभी •ह?द,ू जैसे >क आप, आपके माता-
Gपता अथवा महाšमा गाँधी, नक' कo आग म5 जल5गे ˆयY>क वे का>फर ह/ अथा'त
मस
ु लमान नह;ं है ? ˆया आप मानते ह/ >क ईgवर केवल सऊद; अरब कo •दशा म5
ह; ]मल5गे तथा उनका Xमरण भी उसी •दशा म5 खड़े होकर >कया जाना चा•हए?
ˆया एक •दन आप अपने बFचY और उनके बFचY को •ह?दओ
ु ं से !ेम करने द5 गे
ता>क उनका धमा'?तरण >कया जा सके और यह तब तक होता रहे गा जब तक
>क कोई •ह?द ू धमा'?तरण के ]लए ना बचे?

आपने पछ ू ा था, "ˆया म/ सह; •दशा म5 जा रहा हूँ?" मेरा उÜर है >क यह wनभ'र
करता है ... य•द आप केवल अपने ]लए और अपनी इXलाम म5 सFची आXथा के
कारण धमा'?तरण कर रहे ह/, तब वह सह; राXता होगा। आपको अपने !ेम और
अपने धम' पmरवत'न के wनण'य को अलग-अलग करना होगा।

शभ
ु कामनाएं —एड]मन

सज
ु ान कहते ह>:

आप सभी को परे शान करने के ]लए sमा!ाथþ हूँ और आप सभी को मेर; मदद
करने के ]लए ध?यवाद। >क?तु मझ
ु े लगता है >क हमारा सkब?ध अब ख़šम हो
चक
ु ा है । म/ने अपने ]मl से जाना >क उसका जबरदXती और गुŽत तर;के से उसके
चाचा के लड़के से wनकाह कर •दया गया है । अब ऐसा लगता है >क हमारे •दल
और •दमाग को कभी सक
ु ू न नह;ं ]मलेगा।

73
!ेમ का धम'

म/ने अब वह सब भल
ु ाने का मन बना ]लया है और अपनी उFच ]शsा के ]लए
Gवदे श जाने का wनण'य कर ]लया है ।

अब धमा'?तरण कo भी कोई समXया नह;ं है । मझ


ु े लगता है †क मेरे पास मेर5
*ेxमका के स}बfध के अ:तTर‡त धमा2fतरण का और कोई कारण नह5ं था।

अगर सच कहूं तो •ह?द ू धम' •यादा अFछा है ˆयY>क यहाँ >कसी यव


ु ती का Gववाह
जबरदXती नह;ं >कया जाता। Gववाह जैसा wनण'य लड़कo कo सहमwत के साथ ह;
]लया जाता है ।

मेर; सहायता के ]लए पनु ः ध?यवाद। आशा करता हूँ आप मेरे उ•जवल भGव`य
कo भी कामना कर5 गे। अनेकानेक ध?यवाद —सज
ु ान

एक िविशष्टवादी कहेगा "मैं अपने बच्चों को दो धमोर्ं के साथ भ्रिमत नहीं करना
चाहता"। मूल रूप से वह कहना चाहता है "केवल एक ही ईश्वर है और वह मेरा वाला
है।"

74
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१७: हम िहन्दू िववाह भी करेंगे और िनकाह भी

ऐसा बहुतायत होता है >क युवा एक दस


ू रे धम' के साथी से !ेम तो करते ह/ >क?तु
अपने साथी कo आXथाओं और उसके समाज कo अपेsाओं से wनतांत अन]भi
होते ह/। आइये अब wनशा और •डंपल के अनुभवY के बारे म5 जानते ह/।

:नशा कहती ह>:

मेरे साथ भी यह; समXया है —मेरा !ेमी एक मिु Xलम है और म/ एक •ह?द ू हूँ—म/
उससे Gववाह करने के ]लए कोई धमा'?तरण नह;ं क›ँ गी। हम wनकाह भी कर5 गे
और •ह?द ू Gववाह भी। म/ एक •ह?द ू हूँ और आजीवन •ह?द ू ह; रहूंगी। —wनशा

सZयेन39 कहते ह>:

wनशा,

म/ आपको आपके साथी के !ेम कo वाXतGवकता बताना चाहता हूँ। उसके !ेम का
असल; उ´दे gय आपको मिु Xलम बनाना है । यह एक ऐसी सािजश है िजसम5 आपको
पता भी नह;ं चलता >क आपका धमा'?तरण हो गया है । wनkन म5 से सभी अथवा
कोई एक बहाना आपके धमा'?तरण के ]लए बनाया जायेगा:

१. तk
ु ह5 धम' पmरवत'न करने कo ज8रत नह;ं है । बस शहादा कo क़सम को दोहरा
दे ना और wनकाहनामे पर हXताsर कर दे ना, यह सब wनकाह के ]लए ज8र;
औपचाmरकता भर है ।

ु से बहुत !ेम करता हूँ और तk


२. म/ तम ु हारे Ëबना जी नह;ं सकता। इXलाम म5
wनकाह के ]लए शहादा कo क़सम लेना ज8र; है । बाद म5 हम एक अलग घर म5
रह5 गे और वहां तम
ु अपने •ह?द ू धम' कo पज
ू ा इšया•द कर सकती हो।

३. मझ
ु े तk
ु हारे धम' से कोई आपGÜ नह;ं है >क?तु मेरे माता-
Gपता/पmरवार/सkबि?धयY कo तसÂल; के ]लए तk
ु हे शहादा कo क़सम बस दोहरानी
है ।

यह सब भोले-भाले से लगने वाले सझ


ु ाव आज बहुत से मिु Xलम लड़कY कo सािजश
िजसे वे त†क़Œया (taqiyya) कहते ह/, का ह; एक •हXसा ह/ और इXलाम के धम'

39
Interfaithshaadi.org के पर एक अ¬त’थ सलाहकार।

75
!ेમ का धम'

žंथY के अनस
ु ार पण
ू त
' ः इXलाम सkमत भी है । इसका अथ' है वे >कसी गैर-मिु Xलम
को धमा'?तmरत करने के ]लए कोई भी गैर-इXलामी सा लगने वाला तर;क़ा अपनाने
के ]लए Xवतंl ह/। वे इसके ]लए •ह?द ू म•दरY म5 जा सकते ह/ और !साद भी खा
सकते ह/, जो इXलाम म5 wनGष´ध है ।

>क?तु अगर आपकo इFछाशिˆत के आगे वे सफल नह;ं होते और आपको


धमा'?तmरत नह;ं कर पाते, तब वे आपसे Gववाह कर आपके बFचY को तो मX
ु लमान
अवgय बना द5 गे। य•द आपका wनकाह हुआ है (भले ह; आप शहादा कo क़सम लेने
के बाद भी •ह?द ू धम' का पालन कर रह; हY) तब शmरया कानन
ू आपके ऊपर भी
लागू होता है । अतः आपके बFचY का लालन-पालन एक मिु Xलम कo तरह ह; होगा
और आप उनके पmरवार के सामने उनके Gवरोध म5 कुछ कह भी नह;ं सकतीं। यहाँ
तक >क आप अपने मिु Xलम पwत को आसानी से तलाक़ भी नह;ं दे सकतीं ˆयY>क
आपके वैवा•हक जीवन को भी शmरया कानन
ू wनयंËlत करता है और इस कानन

म5 म•हलाओं कo आवाज़ अ9धकतर दबा द; जाती है । ऐसे पmरिXथwत म5 जब आपने
उनका असल; चmरl दे ख ]लया है , आप अपने बFचY को भी उनके साथ अकेले
छोड़ना नह;ं चाह5 गी।

आपके माता-Gपता और पmरवारजन आपके wनकाह के बाद आपके ]लए का>फर हो


जाय5गे। आपका नया मिु Xलम पmरवार आपको आपके माता-Gपता और भाई-बहन
के घर जाने कo भी इजाज़त नह;ं दे गा। आप •ह?द ू šयोहारY जैसे होल;, •दवाल;,
नवराlी, इšया•द को मनाने का Gवचार तो छोड़ ह; द5 । अपने घर म5 गौमांस और
हलाल गोgत को दे खने कo आदत डाल ल5 और इXलामी र;wत mरवाज़, खतना,
स?ु नत को मानने के ]लए भी तैयार हो जाएं। अगर सच कहूं तो यह सब तब भी
संभव है जब आपने Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त Gववाह >कया हो।

संsेप म5 कहूं तो आप wनकाह करके अपने ]लए मस


ु ीबतY का Gपटारा खोल रह;ं ह/
और यह सार; समXयाएं आपके Xपेशल मैmरज एˆट के अंतग'त Gववाह करके भी
आपको परे शान करने वाल; ह/।

अपने भGव`य का फैसला आपको Xवयं करना ह/। >क?तु एक बार wनकाह हो गया
तब आपके ]लए बहुत से GवकÂप उपलÊध नह;ं रह5 गे। अतः एक मिु Xलम से शाद;
से पहले सौ बार अवgय सोच ल5। —सšयेन

76
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१८: हम पहले िहन्दू और िफर मुिस्लम रीितयों से िववाह करेंग े

बहुत से युवाओं म5 यह गलत धारणा है >क एक •ह?दू और एक मुिXलम अपने


अपने धम° कo र;wतयY से Gववाह कर सकते ह/। यहाँ इस लेख म5 एक मुिXलम
म•हला फराह एक •ह?दू लड़कo •डंपल का सFचाई से सामना करवा रह; ह/।

•डंपल कहती ह>:

म/ एक •ह?द ू लड़कo हूँ और एक मिु Xलम यव ु क से !ेम करती हूँ। अब हमने Gववाह
करने का wनण'य ले ]लया है । मेरे साथी का wनण'य है >क हम पहले •ह?द ू समारोह
म5 Gववाह कर5 गे >फर मिु Xलम wनकाह का समारोह होगा। मेरे साथी के इमाम के
अनस
ु ार, वह •ह?द ू धम' के सभी अन`ु ठान कर सकता है ]सवाय अिIन के चारY
ओर सात फेरY के। >क?तु म/ अपने साथी को समझा रह; हूँ >क सात फेरे एक
•ह?द ू Gववाह के ]लए आवgयक ह/ और उसे ऐसा करना ह; होगा। कृपया उ9चत
परामश' द5 । —•डंपल

एडxमन कहते ह>:

नमXकार •डंपल,

यह आपके साथी को तय करना होगा >क वह एक •ह?द ू समारोह करना चाहता है


अथवा अपने इमाम को खश
ु करना चाहता है ; ˆयY>क दोनY ह; बात5 परXपर Gवरोधी
ह/। अगर आप एक इमाम से पछ
ू 5 गे तब आपको ऐसे ह; उÜर कo अपेsा करनी
चा•हए। वह तो बस अपना काम कर रहे ह/। एक बात Ëबलकुल Xप`ट हो जानी
चा•हए >क एक •ह?द ू और एक मिु Xलम के बीच इXला]मक wनकाह संभव नह;ं है ,
दोनY का मस
ु लमान होना wनतांत आवgयक है । इसका अथ' है एक इXला]मक
wनकाह के ]लये आपको मस
ु लमान बनना ह; होगा।

अब आपको wनण'य लेना है >क इXलाम आपके ]लए उ9चत धम' है अथवा नह;ं।
अगर आप इXलाम क़ुबल
ू करती ह/ तब आपको यह सwु निgचत करना होगा >क
ऐसा आप •दल से कर रह; ह/ और आप एक आiाकार; मिु Xलम पšनी और
मिु Xलम मां बनना चाहती ह/। अगर आपको इसम5 लेशमाl भी शंका है तो अपने
साथी को खश
ु करने के ]लए झठ
ू ा धमा'?तरण करने कo भल
ू कभी ना कर5 । यह
इमाम और अ?य लोगY को खश
ु करने के ]लए >कया गया झूठा धमा'?तरण ना

77
!ेમ का धम'

केवल आपका अGपतु आपके साथी और दोनY पmरवारY का जीवन तहस नहस कर
सकता है ।

अपने साथी से पछ
ू 5 >क आपके !ेम का धमा'?तरण से ˆया लेना दे ना है ? अगर
आप अपनी आXथा पmरवत'न को लेकर wनिgचत नह;ं ह/ तब अFछा होगा >क आप
Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त Gववाह कर ल5। —एड]मन

फराह कहती ह>:

कृपया यह जान ल5 >क आपके इXला]मक wनकाह म5 आपके •ह?द ू माता-Gपता कo


उपिXथwत wनGष´ध है । य•द आपका साथी उ?ह5 wनकाह म5 उपिXथत होने दे ता है
तब वह सFचा मस
ु लमान नह;ं कहलायेगा। जैसा >क आपने कहा >क आप
धमा'?तरण नह;ं कर5 गी तब अFछा होगा >क आप अपने साथी को छोड़ द5 । कृपया
उस मिु Xलम यव
ु क का जीवन भी बबा'द ना कर5 ; हमारा धम' उसे आपसे, जो एक
का>फर है , Gववाह करने कo इजाज़त नह;ं दे गा। य•द आप •ह?द ू रहते उससे Gववाह
करती ह/ तब आप उसके ]लए हरामी हYगी और आपके बFचे भी उसके ]लए हरामी
हYगे।

मझ
ु े आgचय' है >क कैसे हमारे मिु Xलम यव
ु क •ह?दओ
ु ं से Gववाह कर रहे ह/।
लगता है आपके माता-Gपता आपसे !ेम नह;ं करते और आपको एक मिु Xलम से
Gववाह करने कo अनम
ु wत दे रहे ह/। आप जैसी •ह?द ू लड़>कयां तF
ु छ होती ह/। मझ
ु े
आशा है >क आप सच समझ ल5गी और अपने फ़ालतू धम' को छोड़कर मिु Xलम
बन जाएंगी। म/ अपनी बेट; को एक •ह?द ू से Gववाह करने कo इजाज़त कभी नह;ं
दं ग
ू ी। —फराह

•डंपल (फराह से) कहती ह>:

ठÍक है , मझ
ु े सšय का एहसास हो रहा है , बहुत-बहुत ध?यवाद —•डंपल

78
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खंड ३.१९: मैंने उसे कह िदया है िक मैं धमर् पिरवतर्न नहीं करूंगी

आज के युवा को आधी-अधूर;-अनकह; बातY का मतलब समझना और सीखना


होगा। यहां एड]मन उवþ को कुछ कथनY का मतलब समझा रहे ह/।

उवŽ कहती ह>:

ु क के साथ Gपछले २ साल से !ेम संबंध म5 हूँ >कं तु उसे Gपछले


म/ एक मिु Xलम यव
६ साल से जानती हूँ। वह मेरा परम ]मl था िजसे अब म/ !ेम करने लगी हूँ।
अतः कह सकते ह/ >क म/ उसे बहुत अFछÍ तरह जानती हूँ उसने यह भी वचन
•दया है >क अगर हम शाद; कर5 गे तो मझ
ु े अपना धम' नह;ं बदलना होगा। वह
एक गर;ब पmरवार से है और उसने अपनी ]शsा छोटे -मोटे काम करके परू ; कo है
>कं तु अब अFछा कमाता है । वह एक पाmरवाmरक, मजा>कया और नरम •दल –यिˆत
ु से •यादा जानता है । सच कहूँ तो म/ •यादा धा]म'क
है । वह •हंदšु व के बारे म5 मझ
नह;ं हूँ। म/ बचपन से ह; मwू त' पज ू ा म5 Gवgवास नह;ं करती >कं तु उस को परखने
के ]लए म/ने उसको कहा >क म/ अपना धम' नह;ं बदलंग
ू ी और वह आसानी से
राजी हो गया।

म/ने अभी अपने बFचY के बारे म5 कोई wनण'य नह;ं ]लया है । अगर वे इXला]मक
संXकृwत को अपनाएंगे तब भी मझ
ु े कोई परे शानी नह;ं है । म> नह5ं चाहती †क वे
दो धम• के बीच म_ •xमत ह^ >कं तु यह ज8र चाहती हूँ >क वे दोनY धम° का आदर
कर5 ।

अभी वह भारत से बाहर नौकर; करने गया है । जाने से पहले उसने मेर; मां से
शाद; कo बात कo >कं तु माँ ने इ?कार कर •दया। मेर; मां उसे बहुत पसंद करती
ह/ >कं तु वह समाज और !wत`ठा के कारण उसे अपनाने से डरती ह/। उ?ह5 लगता
है >क उससे शाद; करके म/ अपने पmरवार को श]मÏदा क8ंगी तथा उसके बाद कोई
भी मेर; बहन से Gववाह नह;ं करे गा। अभी मेर; बहन के mरgते कo बात भी चल
रह; है ।

म/ उसके Ëबना जीवन कo कÂपना नह;ं कर सकती। मेरा मन करता है >क घर से


भाग जाऊं >कं तु ऐसा करने से मेर; बहन का भGव`य अंधकारमय हो जाएगा और
मेरे !ेमी को भी यह सब अFछा नह;ं लगता। वह कुछ ह; मह;नY म5 भारत वापस

79
!ेમ का धम'

आ रहा है और दोबारा Gववाह के ]लए मेरे पmरवार से ]मलेगा। मझ


ु े डर लग रहा
है । कृपया सभी मेरे ]लए !ाथ'ना कर5 ।

>कसी से !ेम और >कसी अ?य से Gववाह करना सह; नह;ं है । म/ अपने !ेमी को
जानती हूँ और मझ
ु े Gवgवास है >क वह मझ
ु े कभी धोखा नह;ं दे गा, >कं तु म/ नह;ं
जानती >क म/ ˆया क8ं। म/ अपने !ेम और अपनी मां के बीच म5 फँस गई हूँ।
म/ अभी २० साल कo हूँ और मझ
ु े अभी तक अपने भGव`य का wनण'य लेने का
अ9धकार नह;ं है । कृपया हमारे ]लए !ाथ'ना कर5 और अपने सझ
ु ाव भी द5 । —उवþ

एडxमन कहते ह>:

G!य उवþ,

आपकo पmरिXथwत जानकर दख ु हुआ। म/ आपसे सहमत हूँ >क अपने !ेमी को
समाज और !wत`ठा के कारण छोड़ दे ना बहुत बरु ा है , साथ म5 बहुत क•ठन भी
होता है । कभी-कभी आपको सह; •दशा म5 जाने के ]लए कठोर wनण'य लेने पड़ते
ह/। भाIयवश आपके पास सभी तÝयY को जानने तथा एक सह; wनण'य लेने के
]लए कुछ मह;ने का समय है । ऐसी बहुत सी लड़>कयां ह/ िज?हYने एक मिु Xलम
यवु क से शाद; कo और बरबाद हो गई, पर म/ आशा करता हूँ >क आपका !ेमी ऐसा
नह;ं होगा।

इससे पहले >क आप यह wनण'य ल5 >क पmरवार कo इFछाओं को कैसे संभालना है ,


अपनी खद
ु कo जांच पड़ताल परू ; कर ल5 जैसा >क इस वेबसाइट
ु ाव दे ता हूँ। अगर आप एक मिु Xलम
(InterfaithShaadi.org) पर म/ सभी को सझ
से Gववाह करने जा रह; ह/ तो wनkन]ल•खत समXयाओं पर गंभीरता से Gवचार कर5 ,
यह सभी Ëबंद ु आपके सख
ु द वैवा•हक जीवन को !भाGवत कर सकते ह/। य•द आप
अपने मिु Xलम !ेमी से Gववाह करने का wनण'य लेती ह/ तब भी आपकo मां कo
इFछाएं और आपकo बहन कo भGव`य जैसी समXयाएं सग
ु मता से सल
ु झाई जा
सकती ह/।

सव'!थम आप उससे समानता पर आधाmरत एक •हंद-ू मिु Xलम Gववाह के ]लए कह5 ।
कह द5 >क आप अपना धम' कभी नह;ं बदल5गीं (यह अFछÍ बात है >क वह पहले
ह; सहमत है ; >कं तु उसके माता-Gपता का सहमत होना भी अšयंत आवgयक है )।
आपको यह भी कहना होगा >क आप इXला]मक wनकाह नह;ं कर5 गी (िजसके ]लए
धमाÏतरण कo ज8रत है और कोई राXता नह;ं है ) और सबसे ज8र; उससे यह भी

80
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

कह5 >क होने वाल; संतान केवल मिु Xलम नह;ं होगी बिÂक •हंद-ू मिु Xलम होगी जो
“ईgवर अÂलाह तेरो नाम” के राXते पर चलेगी। कृपया उसके पmरवार से जÂद ह;
भ5 ट कर5 और यह पˆका कर5 >क वे आपकo सभी मांगY से सहमत ह/। अगर आपको
लगता है >क आपके साथी के कहने और उसके माता-Gपता तथा समाज कo
अपेsाओं के बीच Gवरोधाभास है तब समझ ल5 >क एक बड़ी मस
ु ीबत आपका
इंतजार कर रह; है ।

आपकo कुछ बात5 भी हमारे ]लए 9चंताजनक ह/। यह बात5 शंकाएं पैदा करती ह/ >क
कह;ं वह कोई लव-िजहाद; तो नह;ं है ? आपके कथन जैसे >क “वह •हंदšु व के बारे
म5 मझ
ु से •यादा जानता है ”, “म/ मwू त' पज
ू ा म5 Gवgवास नह;ं करती” और “बFचे दो
धम° के बीच Õ]मत हो जाएंगे” जैसे कथन 9चंता पैदा करते ह/। यह सभी कथन
एक दस
ू रे से जड़
ु े हुए ह/ और इन पर GवXतार से चचा' आवgयक है ।

ˆया •हंदšु व म5 उसकo 89च आपकo •हंद ू आXथाओं म5 कमी wनकालने के ]लए है
िजससे >क आप Õ]मत हो जाएं और एक मिु Xलम बनने के ]लए राजी हो जाएं?
कृपया उसकo •हंदšु व म5 ›9च के पीछे के उ´दे gय का पता लगाएं।

मwू त' पज
ू ा म5 अGवgवास और बFचे दो धम° के बीच Õ]मत हो जाएंगे जैसे कथन
अ¹ािÒमक Gवचारधारा को !द]श'त करते ह/ और यह सब उनके अस•ह`णु धम'žंथY
कo ]शsाओं का फल है ।40 ˆया वह आपको एक अस•ह`णु मिु Xलम बनाने के ]लए
आपका मत पmरवत'न अथवा ¹ेनवाश तो नह;ं कर रहा है ? एक •हंद ू होने के कारण
आप जानती ह/ >क ईgवर कo !ाथ'ना अनेकY 8प से कo जाती है और अपने बFचY
को इन सभी !ाथ'ना के 8पY को महšव दे ना ]सखाया जा सकता है । अंततः बड़े
होकर वे धम' और आXथा का wनण'य भी Xवयं ह; कर5 गे।

सव'!थम, •हंद ू !wतमाओं कo नह;ं अGपतु मwू त'यY (Gवžह) और दे वताओं कo पज


ू ा
कo जाती है । यह एक धा]म'क अन`ु ठान होता है ता>क ईgवर से wनजी संवाद
XथाGपत >कया जा सके। ईसाई और मिु Xलम भी उतने ह; मwू त'पज
ू क होते ह/।
ईसामसीह और पैगंबर मोहkमद परू े Gवgव के इwतहास म5 सबसे •यादा म•हमामं•डत
(idolized) –यिˆत ह/। ˆया कोई ऐसा दस
ू रे –यिˆत है िजसका इतना म•हमामंडन

40
अ²याय ६.३ और https://www.interfaithshaadi.org/idol-worshipper-who-is-and-who-is-
not/.

81
!ेમ का धम'

>कया गया हो? ईसाई भी अनेक धम' 9च?ह जैसे लकड़ी और सोने के सल;ब, बाल
ईसामसीह कo मwू त'यां, मेर;, जॉन, पॉल, पीटर और सांता इšया•द का !योग करते ह/।

मिु Xलम धम' 9च?हY म5 काबा, कुरान, पैगंबर मोहkमद, मˆका, संतY कo दरगाह,
अयातÂ
ु लाह, फारसी लेख, और पšथर को चम
ू ने जैसे अनेक उदाहरण ह/। ˆयY
मस
ु लमान सऊद; अरब कo •दशा म5 सर झक
ु ाते ह/ >कं तु अपनी मातभ
ृ ]ू म के सामने
सर झुकाने से इनकार करते ह/?

एक बFचे का पालन दो आXथाओं म5 ˆयY नह;ं हो सकता? जब एक जैन और •हंद ू


का Gववाह होता है तब बFचे के लालन-पालन म5 कोई Õम नह;ं होता। ऐसे माता-
Gपता अपने बFचY को दोनY धम' कo ]शsा दे सकते ह/ और उ?ह5 •हंद ू और जैन
मं•दरY म5 ले जा सकते ह/। समXया तब खड़ी होती है जब ईसाई और मस
ु लमान
अपने बFचY को Gव]श`टवाद; का पाठ पढ़ाने कo को]शश करते ह/। पव
ू ' अमेmरकo
रा`Ñपwत बराक ओबामा कo मां (इसाई; Gपता मस
ु लमान) ने उ?ह5 सभी धम° कo
]शsा द;। हालां>क उनके बचपन म5 उन पर कोई धा]म'क ठŽपा नह;ं था >फर भी
वह एक बहुत अFछे इंसान बने। वयXक होने पर उ?हYने अपनी धा]म'क आXथा
का Xवयं चयन >कया। इसी !कार आप भी अपने !ेमी से कह5 >क आपकo संतान
ना •हंद ू होगी और ना मिु Xलम (कोई खतना अथवा स?
ु नत नह;ं होगी) अGपतु
•हंद-ू मिु Xलम होगी। आप कह द5 >क आप यह सwु निgचत कर5 गी >क बFचे Õ]मत
ना हो अGपतु वे अ9धक खल
ु े GवचारY के बन5।

ˆया आप चाहती ह/ >क आपके बFचे मस


ु लमान बन5 और !wत•दन कुरान पढ़5 ? ˆया
आपने कभी कुरान पढ़; है ? ˆया आपको अFछा लगेगा >क आपके बFचे रोज कुरान41
कo आयत5 पढ़5 ? सभी धम' žंथY कo अपनी सीमाएं ह/ (िजसम5 •हंदšु व भी सिkम]लत
है )। सभी के अपने मत ह/ और यह; जीवन कo सFचाई है । हमारा सझ
ु ाव है >क
बFचे को •हंद ू या मिु Xलम ना बनाएं बिÂक •हंद-ू मिु Xलम बनाएं। उ?ह5 !šयेक
सŽताह मिXजद और मं•दर दोनY जगह ले जाएं। ईद और द;वाल; भी साथ मनाएं।
दोनY धम° कo अFछÍ बात5 आšमसात कर5 और बाकo सब बात5 क™टरपं9थयY के
]लए छोड़ द5 । हम5 आशा है >क आपका साथी इन सब बातY से सहमत होगा।

संsेप म5 कह5 तो अपने मिु Xलम !ेमी से wनkन Ëबंदओ


ु ं पर गंभीरता से चचा' कर5 :
(१) उसे बताएं >क आप अपने बFचY का पालन दोनY आXथाओं के साथ कर5 गे
और उन पर कोई धा]म'क ठŽपा नह;ं लगेगा। (२) उसके माता-Gपता से ]मल5 और

41
ख³ड ६.३।

82
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

कानन
ू ी Gववाह के बारे म5 उनसे चचा' कर5 , उ?ह5 यह भी बताएं >क आप धमाÏतरण
नह;ं कर5 गीं और आपकo संतान २१ वष' कo आयु के बाद अपने धम' का चन
ु ाव
Xवयं करे गी। (३) अगर वह इन सब से सहमत होते ह/ तब कानन
ू ी Gववाह कर ल5।
जहाँ तक आपकo बहन कo बात है , उ?ह5 अपने जीवन का हल Xवयं ह; ढूंढना
होगा। (४) >कं तु य•द मिु Xलम !ेमी और उसके माता-Gपता इन सब बातY पर
सहमत नह;ं होते (Gवशेषकर बFचY के धम' के बारे म5 ) तब सचेत हो जाएं। अपना,
अपनी बहन का और अपने पmरवार का जीवन >कसी अGवgवसनीय –यिˆत के
]लए खतरे म5 ना डाल5। अनेक शभ
ु कामनाओं के साथ —एड]मन

िववाह करना आसान है िकन्तु तलाक़ (divorce) की प्रिक्रया बहुत ही लम्बी और


कष्टकर होती है। अिधकतर, तलाक़ में िववाह की अपेक्षा अिधक कीमत चुकानी
पड़ती है।

83
!ेમ का धम'

खण्ड ३.२०: मेरी प्रेिमका पक्की मुसलमान है

अंतर-धा]म'क Gववाह ज•टल होते ह/ और उनसे संबं9धत सभी समXयाओं को समझने


के ]लए पmरपˆवता होनी चा•हए। अगले तीन खÁड ऐसे युवाओं के बारे म5 ह/ जो
अभी २० साल या उसके आसपास ह/। यहां हमार; अiेयवाद; (agnostic) साथी
]शव को अपने जीवन कo !ाथ]मकताएं XथाGपत करने के ]लए सुझाव दे रह; ह/।

xशव कहते ह>:

मेर; एक !े]मका है और वह पˆकo मस


ु लमान है । हम दोनY Gपछले एक वष' से
परम ]मl ह/ और म/ उसे बहुत !ेम करता हूँ। >कं तु वह मझ ु े Xवीकार नह;ं कर
रह; ˆयY>क म/ एक •हंद ू हूँ। हालां>क उसके Gवचार मेरे GवचारY से ]मलते जल
ु ते ह/
>कं तु उसका पmरवार एक क™टर मिु Xलम पmरवार है । हम दोनY ह; अFछे और
समझदार Gव´याथþ ह/। म/ जानता हूँ >क भारत एक धम'wनरपेs दे श है और म/
अÂलाह म5 भी उतना ह; Gवgवास करता हूँ िजतना •हंद ू दे वY म5 , और धम' के
आधार पर भेदभाव नह;ं करता। म/ ˆया कर सकता हूँ? म/ भGव`य म5 आईआईट;
कo पर;sा पास करना चाहता हूँ ता>क एक अFछा इंजीwनयर बन पाऊं। ˆया मेरे
सफल होने के बाद उसके माता-Gपता मझ
ु े Xवीकार कर ल5गे? —]शव

अmेयवाद542 कहती ह>:

सव'!थम:

१. तम
ु ने कहा >क तम
ु आईआईट; कo पर;sा म5 सफल होना चाहते हो। तब मेरे
अनम
ु ान के अनस
ु ार तम
ु १७ या १८ साल के हो। Žयार को भल
ू जाओ। ˆया तk
ु ह5
पता है >क तk
ु हार; सोच ४ वष' के बाद कैसी होगी? आईआईट; कo पर;sा भी
कम चन
ु ौतीपण
ू ' नह;ं है । जब म/ आईआईट; कo पर;sा दे रह; थी तब सोते-जागते,
उठते-बैठते, खाते-पीते म/ आईआईट; के बारे म5 ह; सोचती थी। एक तरह से
आईआईट; मेरा धम' बन चक
ु ा था। >कसी भी तरह से आप ऐसे संबंध के साथ
आईआईट; कo पर;sा पास नह;ं कर सकते। मेर; बात ¸यान से सन
ु ो—सब कुछ
भल
ू जाओ और पढ़ाई करो।

42
ख³ड ३.३।

84
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

२. दोबारा कहती हूँ तम


ु अभी यव
ु ा हो। इस उý म5 Gवचार बहुत तेजी से बदलते
ह/। तk
ु हार; भGव`य कo योजनाएं अगले चार-पांच सालY म5 परू ; तरह से बदल
जाएंगी। ˆया तम
ु माl २१ वष' कo आयु म5 एक संबंध म5 Ëबना जाने बझ
ू े पड़ना
चाहते हो? और हां एक और बात, अपने Xनातक कo पढ़ाई के दौरान तम
ु बहुत
बदल जाओगे, हम सभी बदलते ह/। तमु एक पmरपˆव –यिˆत बन जाओगे और
wनिgचत ह; तk
ु हार; पसंद भी बदल जाएंगी।

३. अगर वह तk
ु ह5 Xवीकार नह;ं कर रह; है तो इसका संभाGवत कारण है >क वह
आने वाल; चन
ु ौwतयY का सामना करने के ]लए तैयार नह;ं है । उसके चन
ु ाव का
आदर करो, तk
ु ह5 भी कोई कदम उठाने से पहले सोचना चा•हए। यह सब आसान
नह;ं है । जब तक >क तम
ु दोनY एक दस
ू रे को Xवीकार नह;ं करते और धम' से
संबं9धत म‰
ु य Ëबंदओ
ु ं पर गंभीर Gवचार नह;ं करते तk
ु ह5 इस ओर एक भी कदम
आगे नह;ं बढ़ना चा•हए। इस उý म5 तk
ु हारे माता-Gपता भी तk
ु ह5 गंभीरता से नह;ं
ल5गे। सभी •हंद ू माता-Gपता इस उý म5 ]शsा पर •यादा जोर दे ते ह/। पहले तk
ु ह5
उनकo अपेsाओं को परू ा करना चा•हए।

४. यह भी संभव है >क इस उý म5 –यिˆतšव म5 होने वाले पmरवत'न और अपने


अनभ
ु वY से तम
ु Xवयं ह; उस यव
ु ती से दरू चले जाओ। अगर ऐसा होने कo
सkभावना है तो उस समय कo !तीsा करो। उसका जीवन तk
ु हारे जीवन से
ËबÂकुल ]भ?न हो सकता है । अतः तk
ु हार; उý म5 ऐसे संबंध म5 पड़ना बहुत ह;
खराब Gवचार है ।

और अगर भाIय म5 तम
ु दोनY का ]मलना ]लखा है तो >फर वह >कसी भी तरह
होकर रहे गा और अगर भGव`य म5 ऐसा होता है तब तम
ु अ9धक पmरपˆव होगे
और इस संबंध म5 आने वाल; ज•टल समXयाओं का wनXतारण आसानी से कर
सकोगे —अiेयवाद;

85
!ेમ का धम'

खण्ड ३.२१ प्रेम बनाम पारंपिरक िववाह

अिज़ज़ा कहती ह>:

म/ एक २१ वष' कo भारतीय मिु Xलम लड़कo हूँ। म/ एक •हंद ू यवु क से !ेम करती
हूँ। वह भी मझ
ु े सFचा !ेम करता है >कं तु मेरे माता-Gपता इस संबंध को कभी
नह;ं Xवीकार5 गे। अब वे मेरा Gववाह >कसी अFछे मिु Xलम लड़के से जÂद से जÂद
करना चाहते ह/। मेरे !ेमी के पास अभी कोई नौकर; नह;ं है । मेरे पास अFछÍ
नौकर; है और म/ उसे नौकर; ]मलने कo !तीsा कर रह; हूँ। म/ अपने माता-Gपता
को इस संबंध के बारे म5 नह;ं बता सकती। कृपया इस समXया का कोई हल बताएं
—अिज़ज़ा

एडxमन कहते ह>:

अिज़ज़ा,

यह कहना बड़ा आधwु नक सा लगता है >क !ेम Gववाह पारं पmरक (arranged)
Gववाह से अFछे होते ह/। आजकल के यव
ु ा तो यह तक भी सोचने लगे ह/ >क अगर
आपका !ेम सFचा है तो अंतर-धा]म'क Gववाह करना भी उ9चत है । हालां>क अंतर-
धा]म'क Gववाह सबके ]लए नह;ं होते। आप पढ़;-]लखी और पेशव
े र ह/ अतः आपको
सभी संभावनाओं पर Gवचार करके ह; अपने जीवन का सबसे बड़ा wनण'य लेना
चा•हए।

जमीला43 ने इXला]मक धम'žंथY कo अपने ह; शÊदY म5 –या‰या कo है [अगर


आपका कहना है >क यह (अंतर-धा]म'क Gववाह) इXलाम म5 !wतबं9धत है , वह
स•दयY पहले !wतबं9धत था और वह wनयम एक संदभ' Gवशेष के ]लए बना था।
मझ
ु े इसका वण'न करने के ]लए >कसी और कo –या‰या कo आवgयकता नह;ं है ]।
जहां तक जमीला कo बात है , उ?ह5 उमर (मिु Xलम लडका) पसंद नह;ं था >कं तु
उनका उमर से wनकाह उनकo मजþ के •खलाफ करने का !यास >कया गया था।
>कं तु अंततः उ?हYने Gवजय से Gववाह >कया। मझ
ु े आशा है >क आपके माता-Gपता
जमीला के माता-Gपता से अ9धक समझदार हYगे।

आपने बताया >क आपके माता-Gपता आपके ]लए एक उ9चत वर कo तलाश म5 ह/।
तब उ?ह5 थोड़ा समय द;िजए और उनके ´वारा चन
ु े गए लड़कY से मल
ु ाकात कoिजए

43
ख³ड ३.२६।

86
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

और बात कoिजए। अगर आपको भाIयवश कोई ऐसा लड़का ]मलता है िजसे आप
पसंद करने लग5 और जो आपके •हंद ू !ेमी के जैसा हो तब आप wनgचय ह; उस
मिु Xलम लड़के से Gववाह कर5 । >कं तु य•द सभी लड़कY से ]मलने के बाद भी आपको
अपना •हंद ू !ेमी •यादा बेहतर लगता है तब >फर अपने !ेमी से ह; Gववाह कर5 ।

आपको पता होगा >क एक मिु Xलम लड़कo के ]लए एक •हंद ू लड़के से Gववाह
करना बहुत मिु gकल है । तब भी ˆया आप अपने माता-Gपता, भाई-बहन, संबं9धयY,
इमाम और जो भी कुरान44 •हंदओ ु ं के बारे म5 कहती है सभी के •खलाफ जाना
चाहती ह/? ˆया अपने •हंद ू !ेमी से Gववाह करने के ]लए आप इन सभी समXयाओं
का सामना करने को तैयार ह/?

अगर आप यह आशा कर रह; ह/ >क आपका !ेमी मिु Xलम हो जाएगा और उसके
शहादा कo कसम लेने के बाद आपका इXला]मक wनकाह संभव है , तब आप
wनgचय ह; एक लव-िजहाद; ह/। कृपया >कसी भी •हंद ू को इXलाम म5 झठ
ू ा धमाÏतरण
करने को ना कह5 । ना ह; उसे मिु Xलम बनाने के ]लए अपने !ेम का सहारा ल5।
ऐसे Gववाह िजसम5 धमाÏतरण झूठ बोलकर और !ेम के दबाव म5 >कया जाता है
•यादा सफल नह;ं होते। आज के समय और पmरिXथwतयY म5 तो इसकo कÂपना
भी ना कर5 ।

ˆया आप एक सFची बहुलवाद; ह/? ˆया आप सच म5 एक •हंद ू से Gववाह करने


और एक •हंद ू पmरवार का •हXसा बनने के ]लए तैयार ह/? ˆया आप एक •हंद ू
Gववाह समारोह म5 सहज महसस
ू कर5 गी जहां Gव]भ?न दे वी-दे वताओं कo पज
ू ा एवं
उनका आÒवान >कया जाता है ? अगर >कसी •दन आपके नए •हंद ू पmरवार म5
सšयनारायण कo कथा अथवा •दवाल; कo पज
ू ा होती है तब ˆया आप उन सभी
अन`ु ठानY से दरू ; बनाकर रह5 गी? अगर आप इन सभी पज
ू ा म5 सिkम]लत नह;ं
होती और एक अलग कमरे म5 बैठÍ रहती ह/ तब आप अपने •हंद ू संबं9धयY से
आदर कo अपेsा कैसे कर सकती ह/?

एक-न-एक •दन आपको अपने बFचY को भी Gव]भ?न दे वी-दे वताओं कo पज


ू ा करने
के ]लए •हंद ू मं•दर ले जाना पड़ेगा। ˆया आप इन सब के साथ सहज रह पाएंगी?
ˆया आप >कसी भी तरह कo मwू त' पज
ू ा के ]लए इंकार कर5 गी और इस बात पर
जोर द5 गी >क केवल एक ह; ईgवर है वह है अÂलाह और सभी •हंद ू !लय के •दन
नक' कo आग म5 जल5गे? अगर आप यह मानती ह/ >क सभी •हंद ू पापी ह/ (ˆयY>क

44
ख³ड ६.३।

87
!ेમ का धम'

वह कुरान कo ]शsाओं का पालन नह;ं करते) तब आप ऐसे (पापी) •हंद ू यव


ु क के
साथ संबंध ˆयY बनाना चाहती ह/? सबसे पहले Xवयं को तैयार कर5 >क आप ˆया
करना चाहती ह/?

हम ना तो अंतर-धा]म'क Gववाह के पs म5 ह/ और ना ह; Gवपs म5 और ना ह;


हम आपको !ेम Gववाह के ]लए हतोšसा•हत करना चाहते ह/, हमार; मंशा है >क
आपको एक समझ-बझ
ू से भरा wनण'य लेने म5 मदद कर5 । अभी आप केवल २१
साल कo ह/। अगर आपके माता-Gपता अभी आपको मजþ के •खलाफ Gववाह करने
को नह;ं कह रहे , तब Xवयं को थोड़ा समय द5 और इन सभी समXयाओं के बारे
म5 गंभीरता से सोच5 । तब तक आप के •हंद ू !ेमी को भी नौकर; ]मल जाएगी और
वह आ9थ'क 8प से आšमwनभ'र होगा। तब आप अपने पmरवार और समाज के
Gव›´ध जाकर अपने !ेमी से Gववाह कर सकती ह/। शभ
ु कामनाओं के साथ —
एड]मन

िववाह हेतु धमार्ंतरण करना क्यों आवश्यक है? क्या भगवान पहले आपके प्रेम को
स्वीकार कर लेते हैं िकंतु आपके भगवान िववाह के िलए तैयार नहीं होते क्योंिक
आपकी साथी धमर् पिरवतर्न नहीं करती। यह िववाह हेतु धमार्ंतरण सही नहीं है —नीना

88
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खण्ड ३.२२: एक गुजराती िब्रिटश मुिस्लम युवती का एक िहन्दू से प्रेम

अ9धकतर अंतर-धा]म'क संबंधY म5 , Gव]भ?न आXथाओं और संXकृwतयY को लेकर


समXयाएं उšप?न होती ह/। यहां पर व•ण'त नौर;न और उनके !ेमी कo समXया है
>क उनकo संXकृwत तो एक है >कं तु धम' ]भ?न ह/। आइए दे खते ह/ वह ˆया कहती
ह/।

नौर5न कहती ह>:

ु ती हूँ और एक •हंद ू यव
म/ इंIल/ड म5 रहने वाल; एक भारतीय मिु Xलम यव ु क से
!ेम करती हूँ। वह भी इंIल/ड म5 रहता है और म/ उसे Gपछले ५ वष° से जानती
हूँ। हम दोनY के बीच सब कुछ अFछा है , हम दोनY के पmरवार भी लगभग समान
ह/, दोनY कo मातभृ ाषा गुजराती है और हम एक दस ू रे को बहुत खश
ु रखते ह/।
मेरा >कसी मिु Xलम यव ु क से ऐसा संबंध कभी नह;ं बन पाया और म/ अपने •हंद ू
साथी को सFचा !ेम करती हूँ। हम दोनY अपने धम° का बहुत आदर करते ह/ और
उसी धम' म5 रहना चाहते ह/। ना तो म/ उससे धमाÏतरण कo अपेsा करती हूँ और
ना ह; म/ खद
ु धमाÏतरण क8ंगी।

मेरे पmरवार को Gपछले वष' हमारे संबंध के बारे म5 पता लगा और वे खश


ु नह;ं थे।
मेर; मां मझ
ु से बहुत नाराज थीं ˆयY>क म/ एक दस
ू रे धम' के यव
ु क से ]मल रह;
थी। उनके इस –यवहार का कारण यह भी हो सकता है >क म/ अभी यव ु ा हूँ और
वह नह;ं चाहते >क म/ इस आयु म5 कोई गलती क8ं। म/ चोर; wछपे अभी भी अपने
•हंद ू !ेमी से ]मलती हूँ और अब उसके पmरवार को भी पता लग चक ु ा है । उसके
पmरवारजन भी खश ु नह;ं ह/ और मेरे साथी को लगता है >क उसका पmरवार मझ ु े
कभी Xवीकार नह;ं करे गा ˆयY>क हम दोनY के बीच धम' कo द;वार है ।

म/ नह;ं जानती म/ ˆया क8ं ˆयY>क हम दोनY एक दस ू रे से बहुत !ेम करते ह/


और अपना भGव`य एक साथ ह; दे खना चाहते ह/। फक' बस इतना है >क हम साथ
तो हYगे >कं तु पmरवार हम5 Xवीकार नह;ं कर5 गे। म/ जानती हूँ >क उसके पmरवार का
मझ
ु े Xवीकार करना बहुत आवgयक है ˆयY>क Gववाह के बाद म5 उनके पmरवार म5
जाऊंगी और उनके साथ ह; रहूंगी (>कं तु म/ अपने पmरवार को भी राजी करना
चाहती हूँ), म/ ऐसा ˆया क8ं >क वह मझ
ु े Xवीकार कर ल5?

89
!ेમ का धम'

म/ सोच रह;ं हूँ >क म/ उसके पmरवार से ]मलँ ू और उ?ह5 अपने बारे म5 बताऊं। >कं तु
म/ wनण'य नह;ं ले पा रह; ˆयY>क म/ उसे खोना नह;ं चाहती। वह मेरे जीवन का
अ]भ?न अंग हो चक
ु ा है और म/ उसके Ëबना जीGवत नह;ं रह सकती।

मझ
ु े आपकo >कसी भी सलाह अथवा मदद कo !तीsा रहे गी। ध?यवाद —नौर;न

एडxमन कहते ह>:

नौर;न,

आप के और आपके साथी के पmरवार म5 काफo समानताएं ह/: ऐसे कहो तो आपके


पव
ू ज
' एक ह/, दोनY को गुजराती भोजन पसंद है (मीठा), आपके पmरवारY ने एक
ह; नद; का पानी Gपया है , एक ह; Xकूल और कॉलेज म5 पढ़ाई कo, गुजरात कo
गमþ और आंधी-तफ
ू ान का भी दोनY ने सामना >कया, >कं तु >फर दोनY के बीच
इतनी ]भ?नताएं ˆयY ह/? उसका सह; उÜर है , धम'!

अभी उसके माता-Gपता से ना ]मल5 और ना ह; उनको मनाने कo को]शश कर5


ˆयY>क आप Xवयं ह; नह;ं जानतीं >क आप कौन ह/। ˆया आपने कभी कुरान पढ़;
है ? आपके ]लए इXलाम >कतना महšवपण
ू ' है ? अगर आप कहती ह/ >क आप एक
सFची मस
ु लमान ह/, जो पैगंबर मौहkमद म5 Gवgवास रखती ह/, तब आप इXला]मक
wनकाह ह; कर5 गी और अपने •हंद ू साथी से शहादा के ´वारा झूठा धमाÏतरण करने
को भी कह5 गीं। अगर ऐसा नह;ं है तब आपके ]लए एक •हंद ू से Gववाह करना और
उसे अपना शौहर मानना, इXलाम के Gव›´ध होगा।

य•द आपको सच म5 लगता है >क सभी र;wत-mरवाजY और आXथाओं के साथ


आपको इXलाम का ह; अनस
ु रण करना चा•हए तब आप अपने माता-Gपता को एक
अFछा मिु Xलम लड़का ढूंढने के ]लए समय द5 जो पढ़ा ]लखा हो और आपको एक
बेहतर भGव`य दे सके। उससे ]मल5 और जान5 >क ˆया वह आपको सkमान और
आदर के साथ जीवन भर रखेगा। अगर आपको सच म5 ह; ऐसा मिु Xलम लड़का
]मलता है तब ज8र Gवचार कर5 और आपके ]लए अFछा होगा >क आप उससे
Gववाह कर मिु Xलम ह; बनी रह5 । य•द आपके माता-Gपता ऐसा लड़का नह;ं ढूंढ पाते
तब आप अपने •हंद ू साथी के साथ संबंध आगे बढ़ा सकती ह/।

अगर आप इंIल/ड म5 ह/ तब Xवयं के आ9थ'क 8प से आšमwनभ'र होने तक !तीsा


कर5 । अगर आप ने Gववाह करने का wनण'य ले ]लया है तब एक मकान >कराए
पर ल5 और अपने माता-Gपता से अलग रहने कo योजना बनाएं। दोनY ह; पmरवारY

90
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

से ]मलती रह5 और उ?ह5 आदर भी दे ती रह5 । आपको उनका भरोसा जीतने म5 कुछ
वष' तो अवgय लग5 गे >कं तु यह संभव है ।

तो इन सब बातY का सार यह है Xवयं को ]श‘sत कर5 , wनण'य ल5 >क आप कौन


ह/, यह भी wनण'य ल5 >क आपके ]लए ˆया ठÍक रहे गा, आ9थ'क 8प से आšमwनभ'र
बन5, Ëबना धमाÏतरण के Gववाह कर5 , दोनY ह; पmरवारY को तीन गन
ु ा Žयार कर5 ,
धीरज रख5, और आपकo जीत अवgय होगी। तब आपको यह दे ख कर बहुत अFछा
लगेगा >क दो दgु मन पmरवार अब एक दस
ू रे के गले ]मल रहे ह/ और एक दस
ू रे
से Žयार भी कर रहे ह/, यह एक दै वीय काय' होगा —एड]मन

नौर5न आगे कहती ह>:

सलाम एड]मन,

आपके जवाब के ]लए श>ु (या!

म/ यह तो पˆका जानती हूँ >क म/ उसके साथ अपना जीवन –यतीत करना चाहती
हूँ। मझ
ु े पता है >क म/ अभी यव
ु ा हूं >कं तु अब उसके पmरवार को भी हमारे संबंध
के बारे म5 पता है अतः हम5 जÂद ह; कुछ करना होगा। उसका पmरवार खश ु नह;ं
है ˆयY>क म/ एक मिु Xलम हूँ। म/ने अपने साथी को भी नह;ं बताया >क म/ उसके
माता-Gपता से ]मलना चाहती हूँ। मझ ु े लगता है >क मझ
ु े उनसे ]मलना चा•हए
ता>क उ?ह5 मझु े समझने का मौका ]मल सके और उ?ह5 पता लगे >क म/ उनके
ु के बारे म5 बहुत गंभीर हूँ और उसी के साथ अपना भGव`य दे खती हूँ।
पl

जहां तक Gववाह कo बात है , मझ


ु े नह;ं पता यह कैसे होगा ˆयY>क वह अब भी
•हंद ू है और म/ अभी भी मिु Xलम। जैसा >क आपने भी कहा >क वह •हंद ू होते हुए
wनकाह नह;ं कर सकता, तो म/ नह;ं जानती >क हमारे Gववाह >कस र;wत mरवाज
से होगा। यह अवgय है >क Gववाह आने वाले कुछ वष° म5 होगा जब म/ और वह
दोनY आ9थ'क 8प से आšमwनभ'र हYगे >कं तु म/ दे खना चाहती हूँ >क ऐसा Gववाह
इंIल/ड म5 >कस तरह होगा।

उसे लगता है >क उसके माता-Gपता मझ


ु े Xवीकार नह;ं कर5 गे इसी]लए म/ चाहती
हूँ >क म/ उ?ह5 अपने बारे म5 बताऊँ ˆयY>क वह अभी घर पर काफo समXयाओं का
सामना कर रहा है । म/ जानती हूँ >क मेरे माता-Gपता भी इस संबंध को Xवीकार
नह;ं कर5 गे और म/ अपने पmरवार को खो सकती हूँ, wनgचय ह; यह एक बड़ा कदम

91
!ेમ का धम'

ु रहना चाहती हूँ जो उसी के साथ संभव है >कं तु म/ जानती हूं


होगा। >कं तु म/ खश
यह सब सच करने के ]लए बहुत बड़े ब]लदानY कo आवgयकता होगी —नौर;न

जैसे एक कटोरे में सलाद होता है जहां टमाटर टमाटर ही रहता है और खीरा खीरा ही
रहता है, ठीक इसी प्रकार एक दू सरे में घुलिमल जाओ और एक दू सरे की आस्थाओं का
आदर करो। िकसी को धमार्ंतिरत होने की आवश्यकता नहीं है। अंतर-धािमर् क िववाह का
आनंद दोनों ही आस्थाओं में समानता के साथ उठाओ।

92
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खण्ड ३.२३: अपने मुिस्लम माता-िपता को कैसे समझाऊं?

InterfaithShaadi.com पर सबसे •यादा पूछे जाने वाला !gन है "म/ अपने माता-
Gपता को कैसे समझाऊं?" >क?तु अपने माता-Gपता को मनाने से पहले युवाओं को
Xवयं को समझाना चा•हए >क वे >कस •दशा म5 जा रहे ह/। अगले तीन खÁड ऐसे
ह; तीन अनुभवY पर आधाmरत ह/।

जमील कहते ह>:

म/ एक मिु Xलम हूँ और मेरा एक !gन है । म/ एक ¹ाÒमण यव ु ती के साथ Gपछले


४ वष° से !ेम संबंध म5 हूँ। म/ अभी पढ़ रहा हूँ। हम दोनY ह; एक दस ू रे के धम'
के साथ सहज ह/ >कं तु सबसे बड़ी समXया है अपने माता-Gपता को समझाना। य•द
मेर; साथी मेरे धम' म5 सFची आXथा नह;ं रखती तब म/ केवल Gववाह के ]लए
अपने साथी का धम' पmरवत'न नह;ं चाहता। मझ
ु े समाज कo भी कोई परवाह नह;ं
है >कं तु म/ अपने माता-Gपता को दख
ु ी नह;ं दे खना चाहता। म/ उ?ह5 कैसे समझाऊं?
—जमील

एडxमन कहते ह>:

ˆया आप इस वेबसाइट पर ]मलने वाले अ?य मिु Xलम यव


ु ाओं कo ह; तरह ह/?
ऐसे यव
ु ा अपने !ेम संबंध के !ारं भ म5 अपने साथी को सभी तरह के •दलासे दे ते
ह/ जैसे >क:
• तk
ु ह5 धमाÏतरण नह;ं करना होगा,
• म/ तk
ु हारे धम' का आदर करता हूं,
• जब एक ह; ईgवर है तब उसके ]लए लड़ना कैसा,
• मझ
ु े समाज कo कोई परवाह नह;ं है , इšया•द।

>कं तु वष° के !ेम संबंध के बाद इन मिु Xलम यव


ु ाओं के सरु बदलने लगते ह/, तब
वे कहते ह/:
• मेरे पmरवार कo खश
ु ी के ]लए धमाÏतरण कर लो,
• मझ
ु े नह;ं पता था ऐसा होगा,
• बस •दखावे के ]लए धमाÏतरण कर लो,
• शहादा तो एक रXम है और कुछ नह;ं, और न जाने ˆया-ˆया।

93
!ेમ का धम'

आपने कहा है "य•द मेर; साथी मेरे धम' म5 सFची आXथा नह;ं रखती तब म/
केवल Gववाह के ]लए अपने साथी का धम' पmरवत'न नह;ं चाहता।" तब ˆया उसके
àदय म5 इXलाम कo आXथा जगाने के ]लए आप उसे !ेम कo दह
ु ाई दे कर उसे
बहकाने कo को]शश तो नह;ं कर5 गे? ˆया आप उसे बार-बार यह समझाने कo
को]शश तो नह;ं कर5 गे >क इXलाम ह; एकमाl सFचा धम' है । अंत म5 य•द वह
धमाÏतरण नह;ं करती है तब ˆया आप उसे इXलाम और अपने पmरवार के ]लए
छोड़ द5 गे?

ु ाओं कo तरह समझ रहा हूँ।


म/ sमा !ाथþ हूँ य•द म/ आपको अ?य मिु Xलम यव
च]लए मान लेते ह/ >क आप उनसे ]भ?न ह/ जैसे >क हमारे पX ु तक म5 व•ण'त
जमीला,45 आजाद,46 सीमा,47 शाह›ख खान,48 आ•द ह/। अपने साथी से धमाÏतरण
कo अपेsा करने कo आपकo सोच wनसंदेह !शंसनीय है । अपने इमाम और अपने
माता-Gपता को खश
ु करने के ]लए >कसी •हंद ू का झूठा धमाÏतरण कराना >कसी के
]लए सह; नह;ं है । ऐसा करने पर अंत म5 आपकo पšनी आपको उसके ऊपर
इXला]मक जीवन थोपने के ]लए अवgय कोसेगी। कृपया अ?य GवकÂपY पर भी
Gवचार करते रह5 ।

अपने माता-Gपता को समझाएं >क यह संसार सभी के ]लए है >फर चाहे वह


मिु Xलम, •हंद,ू ईसाई, यहूद;, जैन अथवा नािXतक ह; ˆयY ना हो। हर धम'ग›
ु यह
]स´ध करने का !यास करता है >क उसका धम' ह; सFचा है और बाकo सभी धम'
गलत ह/। धा]म'क संXथाओं का लोगY को धा]म'क आधार पर बांटने म5 अपना
wन•हत Xवाथ' है ; अ?यथा उ?ह5 अपने गुजारे के ]लए पैसा नह;ं ]मलेगा। धम'गु›ओं
के झांसे म5 ना आएं वह; कर5 जो मानवता कहती है ।

एक समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह म5 धम' का ठŽपा (BBS49) लगाने


के ]लए कोई जगह नह;ं है । यह समय है जब हम अपने सा9थयY का वैसे ह;
आदर कर5 जैसे >क वे ह/। अपने माता-Gपता को याद •दलाएं >क ना तो आप और
ना ह; वे सFचे मिु Xलम ह/ जब तक >क वे पांच वˆत कo नमाज नह;ं पढ़ते और
१००% इXलामी तर;के से अपनी िजंदगी नह;ं गुजारते। आज से हजारY साल पहले

45
ख³ड ३.२६।
46
ख³ड ४.१।
47
ख³ड ३.१।
48
https://www.youtube.com/watch?v=gvZSqdmnxKM.
49
ची¶ २।

94
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

]लखे गए धम' žंथ उस समय के ]लए !ासं9गक थे >कं तु उन म5 •दए गए सझ


ु ाव
अब तक'संगत नह;ं ह/।

अपने माता-Gपता को पछ
ू 5 >क य•द आपकo !े]मका आपसे •हंद ू होने के ]लए कहे गी
तब उ?ह5 कैसा लगेगा?

अपनी ¹ाÒमण !े]मका को शहादा कo दो ]मनट कo कसम लेने के ]लए राजी


करके आप अपने माता-Gपता और इमाम को तो खश
ु कर सकते ह/ >कं तु ईgवर
को नह;ं ˆयY>क वह मख
ू ' नह;ं है । उसे पता है आपकo मंशा ˆया है । आपकo
!े]मका भी •यादा •दन तक बहकावे म5 नह;ं रहे गी। एक •दन वह अवgय आपको
ह; उसका ज?म का धम' छूटने का दोषी मानेगी। अतः उसका वैसे ह; आदर कर5
जैसे >क वह है और आप दे ख5गे >क वह आपकo दोगुनी इ•जत करे गी जैसे >क
आप Xवयं ह/। आपके माता-Gपता !ारं भ म5 तो इस अंतर-धा]म'क Gववाह को पसंद
नह;ं कर5 गे >कं तु अंततः वे सच से समझौता कर ह; ल5गे। हम5 आशा है >क उ?ह5
इस बात का अनभ
ु व हो जाएगा >क आपकo !े]मका एक अFछÍ इंसान है जो
आपकo आXथा का आदर करती है । शभ
ु कामना स•हत —एड]मन

िहं दुओ ं की पूजा और मुिस्लमों के रमजान, सभी कुछ साथ में करना आपको एक सूत्र
में बांधता है। दो संस्कृितयों, धमोर्ं तथा दो असंतुष्ट पिरवारों के साथ जीवन बताने के
िलए अदम्य साहस की आवश्यकता होती है। —शाशा (खण्ड ३.५)

95
!ेમ का धम'

खण्ड ३.२४: एक ब्राह्मण युवती और एक िशया मुिस्लम युवक का प्रेम

गीता कहती ह>:

म/ एक ¹ाÒमण लड़कo हूँ और एक ]शया मिु Xलम यव ु क से !ेम करती हूँ। म/ उसे
बहुत Žयार करती हूँ और अपना परू ा जीवन उसी के साथ Ëबताना चाहती हूँ। >कं तु
ना तो मेरे और ना ह; उसके माता-Gपता हम5 Gववाह करने द5 गे। अतः आप बताएं
मझ
ु े ˆया करना चा•हए —गीता

एडxमन कहते ह>:

आप Indian Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त Gववाह कर सकती ह/। ऐसे
Gववाह के कई लाभ हYगे जैसे >क:

• तलाक आसानी से नह;ं होगा,


• वह बहु-Gववाह नह;ं कर सकता,
• आपको धमा'?तmरत होने कo आवgयकता नह;ं है ,
• बFचे अपने Xवयं के आXथा का फैसला कर सकते है ,
• आपके माता-Gपता भी आgवXत हो जाय5गे >क वह लव-िजहाद; नह;ं है , इšया•द।

य•द बहुत से ]सने अ]भनेता कानन


ू ी शाद; कर सकते ह/ तब आप ˆयY नह;ं? य•द
आप सच म5 इXलामी ]शsाओं पर Gवgवास नह;ं करतीं तब केवल wनकाह के ]लए
धमाÏतरण ना कर5 । आप अपने साथी से ऐसा ˆयY नह;ं कहतीं?

हमारा मानना है >क सFचाई पता लगाने का यह सह; समय है । आप दोनY को


ह; साहस करना होगा और अपने माता-Gपता को अपनी भGव`य कo योजना कo
जानकार; दे नी होगी। अगर पmरवार म5 हं गामा होता है तो होने द5 >कं तु इस हं गामे
का अंत आपके ]लए एक नया राXता लेकर आएगा।

यहाँ बहुत आवgयक है >क आप और आपका साथी एक समझ-बझ ू भरा wनण'य


ल5। हम चाहते ह/ >क आप और आपका साथी wनkन !gनY को ¸यान से पढ़5 , दोनY
इस पर सहमत हY और >फर इस पर हXताsर कर5 । यह सब करने के बाद इसे
अपने माता-Gपता को भी •दखाएं।

96
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

दस *“न:

१. आप Gववाह कैसे कर5 गे? •हंद ू Gववाह, इXला]मक wनकाह अथवा कानन
ू ी Gववाह?
या >फर तीनY?

२. ˆया Gववाह हे तु आपको शहादा के ´वारा धमाÏतरण करना ह; होगा अथवा नह;ं?

३. ˆया आपको एक नया मिु Xलम नाम रखना ह; होगा?

४. ˆया आपको अपने नए मिु Xलम घर म5 कुछ •हंद ू दे वी दे वताओं कo मwू त'यां
रखने कo छूट होगी? ˆया आप मिु Xलम घर म5 •हंद ू पज
ू ा कर सक5गे? (वैसे आपके
घर म5 काबा का 9चl भी होगा।)

५. ˆया आपका मिु Xलम साथी और उसका पmरवार आपके साथ •हंद ू मं•दर म5
जाएंगे तथा आपके माता-Gपता के घर होने वाल; सšयनारायण कo पज
ू ा म5 भाग
ल5गे? (आपके माता-Gपता भी मिXजद जाकर अपना दाwयšव wनभाएंगे।)

६. ˆया आपको मिु Xलम šयोहार जैसे >क बकर;द पर गोgत खाना पड़ेगा?

७. ˆया आपकo पहल; संतान का नाम अजन


ु' तथा दस
ू र; संतान का नाम मोहkमद
रखा जा सकता है ?

८. ˆया आपके पl
ु को खतना करवाना ह; होगा?

९. ˆया आप अपनी संतान को गीता और कुरान दोनY कo ]शsाएं दे सकती ह/?


ˆया आप के भावी पwत भी ऐसा कर5 गे?

१०. आप अपने बFचY को ईgवर के बारे म5 कैसे बताएंगे? अÂलाह, ईसामसीह,


कृ`ण, राधा, राम, ल·मी, आ•द कौन ह/, इसका वण'न कैसे कर5 गे?

कुछ भी मान कर ना चल5 बिÂक सšय का पता लगाएं। यह पता होना आप दोनY
के ]लए ह; आवgयक है >क आप ˆया करने जा रहे ह/।

ऐसे GववाहY म5 तलाक के पीछे सबसे बड़ा कारण होता है >क आपका “साथी Gववाह
के बाद बदल गया है ।” सच कह5 तो कोई बदलता नह;ं है बस हम !ेम म5 अंधे
होकर >कसी के वाXतGवक चmरl को नह;ं पहचान पाते। हम5 पता है आप एक
अFछा wनण'य तभी ले पाएंगे य•द वह समझ-बझ
ू से भरा होगा। हम कामना करते
ह/ >क आपका Gववाह एक सख
ु ी और द;घ'का]लक (लkबा) ¹ाÒमण-मिु Xलम Gववाह
हो जो परXपर समानता पर आधाmरत हो। शभ
ु कामनाओं स•हत –-एड]मन

97
!ेમ का धम'

खण्ड ३.२५: मैं अपने मुिस्लम माता-िपता को कैसे समझाऊं िक यह इस्लाम


के िवरुद्ध नहीं है?

नाजल5 कहती ह>:

म/ अपने •हंद ू !ेमी से Gववाह करना चाहती हूँ >कं तु अपने माता-Gपता को कैसे
समझाऊं >क यह संबंध इXलाम के Gव›´ध नह;ं है । म/ने इस बारे म5 इंटरनेट पर
जांच पड़ताल कo है और मझ
ु े यह; पता लगा है >क कुरान एक मिु Xलम को एक
गैर-मिु Xलम से शाद; करने कo इजाजत नह;ं दे ती।

आजाद और तेज!ीत,50 अगर आप मेरा संदेश पढ़ रहे ह/ तो कृपया अपने सझ


ु ाव
द5 । मेरे माता-Gपता बहुत अFछे ह/ >कं तु वे 9चंwतत ह/ >क म/ अÂलाह कo मजþ के
•खलाफ जा रह; हूँ। कृपया सहायता कर5 । ध?यवाद —नाज़ल;

एडxमन कहते ह>:

G!य नाजल;,

अपने माता-Gपता को समझाने से पहले, आपको Xवयं समझना होगा। आपने बहुत
ह; Gवरोधाभासी बात5 कo ह/। आप एक तरफ कहती ह/ >क "म/ अपने •हंद ू !ेमी से
शाद; करना चाहती हूं" वह;ं दस
ू र; तरफ यह भी कहती ह/ >क "यह इXलाम के
Gव›´ध नह;ं है " और "उ?ह5 9चंता होगी >क म/ अÂलाह कo मजþ के •खलाफ जा
रह; हूं।"

अगर आपका म‰
ु य उ´दे gय अÂलाह को खश
ु करना है तब कुरान का अनस
ु रण
कर5 । िजसका अथ' है >क कभी भी एक बत
ु परXत का>फर •हंद ू से Gववाह ना कर5 ,
यहां तक >क इस बारे म5 सोच5 भी नह;ं। इसके बजाय एक सFचा मिु Xलम साथी
ढूंढ5 जो पांचY वˆत कo नमाज पढ़ता हो, यह; अÂलाह को खश
ु करने का राXता
है और जैसा >क इXलाम कहता है >क, इस तरह, आपको इस जीवन म5 सख
ु न
भी ]मले >क?तु परलोक म5 तk
ु ह5 Xवग'-सख
ु अवgय ह; ]मलेगा।

हमारा मानना है >क सबसे गलत होगा >क आप अपने •हंद ू साथी से झूठा धमाÏतरण
करने के ]लए कह5 । यह झूठा धमाÏतरण ना केवल आप दोनY अGपतु दोनY ह; ओर
के पmरवारY के जीवन को तहस-नहस कर दे गा।

50
ख³ड ४.१

98
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

अंतर-धा]म'क Gववाह उन लोगY के ]लए है जो अपने धम'žंथY को अFछे से समझते


ह/ और उनकo –या‰या वत'मान के संदभ' म5 अपने शÊदY म5 कर सकते ह/। उदाहरण
के ]लए, जमीला51 ने अंतर-धा]म'क Gववाह के बारे म5 कहा था "यह !wतबं9धत था
>कं तु वह wनयम उस समय के पmर!े·य म5 था" ˆया आप कुरान कo अपनी शÊदY
म5 –या‰या करने के ]लए तैयार ह/ जो आज के यग
ु म5 !ासं9गक हो।

हमारा कहना है >क आप दोनY तरफ के माता-Gपता के साथ बैठ5 और अपनी


अपेsाओं को एक दस
ू रे को तथा पmरवारY को Xप`ट कर द5 । एक दो साल Gववाह
के ]लए जÂदबाजी ना कर5 और एक समझ-बझ
ू भरा wनण'य ल5 –-एड]मन

सभी मुिस्लम शरणाथीर् और अप्रवासी नागिरक दू सरे ग़ैर मुिस्लम-बहुल देशों में
धािमर् क स्वतंत्रता की मांग तो करते हैं िकंतु वहीं मुिस्लम-बहुल देशों में ईसाई एवं
अन्य गैर-मुिस्लम अल्पसंख्यकों को हािशए पर लाने के िलए कानून बनाए जाते हैं।
(िववरण के लीये मलेिशया खण्ड, ७.१.३ और
https://youtu.be/MPDuYFv2dqM)

51
ख³ड ३.२६।

99
!ेમ का धम'

खण्ड ३.२६: मेरा प्रेमी एक िहंदू है: एक मुिस्लम लड़की की कहानी

हमार; वेबसाइट interfaithShaadi.org पर हम ऐसे बहुत ह; कम मुिXलम युवाओं


(लगभग ८०० से कुछ •यादा परामश') के संपक' म5 आए जो सच म5 बहुलवाद;
हY। अगले दो खÁडY म5 ऐसे ह; कुछ युवाओं के बारे म5 बात कo गई है ।

जमीला कहती ह>:

म/ जमीला हूँ और एक मिु gकल से wघर; हुई हूँ। मेरा !ेमी एक •हंद ू है और मेरे
माता-Gपता को मेरा उससे बात करना भी पसंद नह;ं है । यहां तक >क वे मझ ु पर
एक मिु Xलम लड़के, उमर, से wनकाह का दबाव डाल रहे ह/। म/ •दन-रात रो रह;
हूँ ˆयY>क म/ केवल Gवजय से ह; Gववाह करना चाहती हूँ और उसी के साथ अपना
जीवन Ëबताना चाहती हूँ। >कं तु इस Gववाह के ]लए मेरे पmरवार म5 मेरे साथ कोई
नह;ं है ˆयY>क वह दस
ू रे धम' का है और म/ नह;ं चाहती >क वह धमाÏतरण करे ।

ु े Gवजय से दरू रहने कo चेतावनी द; है । म/ पढ़;-]लखी हूँ और


मेरे Gपता ने मझ
अपने माता-Gपता से Žयार करती हूँ >कं तु म/ उनका उमर से wनकाह का दबाव नह;ं
सहन कर सकती। या तो म/ घर से भाग जाऊंगी अथवा मर जाऊंगी मझ
ु े नह;ं
पता। Gवजय अपने पैरY पर खड़ा है और उसका पmरवार भी बहुत अFछा है और
मझ
ु े Gवgवास है >क वह मझ
ु े अFछे से रख5गे। मझ
ु े ˆया करना चा•हए? मेरे पास
•यादा समय भी नह;ं है और म/ उसे छोड़ना भी नह;ं चाहती —जमीला

जमीला आगे कहती ह>:

सलाम,

मेरे भाई अÊदल ु से सहमत नह;ं हूँ। मझ


ु , म/ तम ु े अÂलाह म5 यकoन है >कं तु मझ
ु े
अ?य भगवानY के ऊपर भी भरोसा है । ˆया तम ु सोचते हो >क म/ सFची मसु लमान
नह;ं हूँ ˆयY>क म/ एक गैर-मिु Xलम से !ेम करती हूँ? मझ ु े खेद से कहना पड़ रहा
है >क तk ु हार; सोच ËबÂकुल मेरे Gपता कo तरह है । ˆया तमु मझ ु े Gवजय से Gववाह
ना करने का कोई ठोस कारण दे सकते हो? ˆया आप कभी उससे ]मले हो?
InterfaithShaadi को मिु Xलम Gवरोधी कहने से तk
ु हारा ˆया ताšपय' है ? म/ने
52
पन
ु ीता के बारे म5 भी पढा था जो >क एक जैन-•हंद ू है और मिु Xलम यव
ु क से

52
ख³ड ५.१।

100
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

!ेम करती है ले>कन तब तम


ु ने कुछ नह;ं कहा। मेरे Gपता जैसी संकoण' मान]सकता
को म/ ËबÂकुल भी पसंद नह;ं करती। म/ Gवजय से !ेम करती हूँ ˆयY>क मझ ु े
Gवgवास है >क वह मझ
ु े खश
ु रखेगा और मझ ु े अपने धम' का पालन करने दे गा।
और वह मझ
ु े नौकर; भी करने दे गा। मेरे अÂलाह को इससे कोई परे शानी नह;ं है ,
>कं तु तम
ु जैसे अधकचरे मस
ु लमान और संकoण' मान]सकता वाले मस
ु लमानY को
ज8र परे शानी है —जमीला

जमीला आगे कहती ह>:

नमXते ®ीwनवास,

म/ नह;ं सोचती >क •हंदओ


ु ं को मस
ु लमान यव
ु wतयY से शाद; करने के कारण wनशाना
बनाया जाता है और उनके साथ मारपीट कo जाती है । यह बहुत थोड़े और वह
मस
ु लमान होते ह/ िज?ह5 ह;नभावना ने घेर रखा है । म/ एक पढ़;-]लखी मिु Xलम
लड़कo हूँ और अÂलाह और इंसाwनयत के बारे म5 अFछÍ तरह से जानती हूँ।
मिु Xलम लड़>कयां •हंद ू लड़कY से !ेम ˆयY नह;ं कर सकती? अगर आप यह कहते
ह> †क यह इMलाम म_ *:तबं"धत है , तो यह था। यह wनयम उस समय के संदभ'
म5 !ासं9गक था। इस बात को समझाने के ]लए मझ
ु े >कसी कo –या‰या कo
आवgयकता नह;ं है । केवल लड़>कयY को ह; सारे wनयम ˆयY मानने पड़ते ह/?
मिु Xलम लड़कY कo भी •हंद ू !े]मका होती ह/ और यह भी इXलाम म5 !wतबं9धत
है । >कं तु तब कोई कुरान का पाठ नह;ं पढ़ाता ले>कन य•द कोई मिु Xलम लड़कo
एक दस
ू रे धम' के –यिˆत से !ेम करती है तब शायद आसमान टूट पड़ता है ।

मझ
ु े अÊदल
ु जैसे लोगY से घण
ृ ा है जो इXलाम कo गलत –या‰या करते ह/। ऐसे
लोग चाहते ह/ >क दwु नया म5 सभी इXलाम कबल
ू कर ल5 अ?यथा वे बेवकूफ ह/।
वह एक संकoण' मान]सकता वाला –यिˆत है । म/ >कसी (ाइवर अथवा Ëबजल;
]मXlी से Gववाह नह;ं करना चाहती। म/ Gवजय से !ेम करती हूँ और वह भी मझ ु े
!ेम करता है । वह मझु े मिु Xलम ह; Xवीकार करता है । म/ने यह Xप`ट कर •दया
है >क म/ •हंद ू नह;ं बनंग
ू ी >कं तु •हंद ू धम' का उतना ह; सkमान क8ंगी िजतना
इXलाम का करती हूँ। म/ Gवजय के ]लए कुछ भी क8ंगी। य•द मेरा पmरवार उसे
नक
ु सान पहुंचाता है तब म/ Gवजय का साथ दं ग
ू ी और प]ु लस कo मदद लंग
ू ी। —
जमीला

101
!ेમ का धम'

जमीला आगे कहती ह> (दो मह5ने बाद):

अÂलाह कo कृपा से म/ने Gवजय से Gववाह कर ]लया है । म/ बता नह;ं सकती म/


ु हूँ। मेरे ]लए हमारे !ेम के अलावा कुछ भी महšव नह;ं रखता। म/
>कतनी खश
दआ
ु करती हूँ और वह भी मेरे साथ दआ ु करता है >क हमारा सkब?ध ऐसे ह;
बना रहे । म/ने इस वेबसाइट पर •हंद ू और मस
ु लमान के बीच Gववाह को लेकर
अनेक चचा'एं दे खी ह/, म/ बस इतना ह; कहना चाहती हूँ >क कुछ क™टरवाद; सभी
को मस
ु लमान बनाना चाहते ह/ >कं तु शायद वे यह नह;ं जानते >क इXलाम थोपा
नह;ं जा सकता। यह कुरान म5 भी ]लखा है । म/ने अपने माता-Gपता को भी मिु Xलम
लड़कY और मिु Xलम लड़>कयY के Gववाह को लेकर भेदभाव करते दे खा है (जहां
मिु Xलम लड़कY को •यादा आजाद; जी द; जाती है और जो >क इXलाम के Gव›´ध
है )। म/ने दे खा है >क मेरे माता-Gपता का –यवहार केवल मिु XलमY तक सी]मत है
और उनके भीतर Gव]भ?न धम° और संXकृwतयY के ]लए कोई सkमान नह;ं है ।
मझ
ु े आशा है >क यह सब बदलेगा और हम सभी शांwत से रह पाएंगे —जमीला

जमीला आगे कहती ह> (पांच मह5ने बाद):

सभी को सलाम,

जबसे मेरा Gववाह Gवजय से हुआ है भाIय हमारे पs म5 है और सब कुछ अFछा


हो रहा है । हम दोनY को ह; बड़ी कंपwनयY म5 नौकर; ]मल गई है और हम जÂद
ह; ]संगापरु जा रहे ह/। एक और सबसे बड़ी खश ु खबर; है >क म/ गभ'वती हूँ। म/
बहुत रोमां9चत हूँ। मेरे माता-Gपता भी मान गए ह/ अब कोई समXया नह;ं है और
सFचाई से समझौता कर ]लया गया है —जमीला

102
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खण्ड ३.२७: मुझे एक िहंदू युवक से प्रेम हो गया है

मिु Mलमाह कहती ह>:

म/ ज?म से ह; पिgचमी दे श और स"यता म5 रह रह; हूँ, >क?तु मेरे माता-Gपता


ए]शया के मिु Xलम दे श से ह/। एक धम'wनरपेs दे श म5 धम' के कठोर wनयमY म5
रहना मेरे ]लए बहुत क•ठन था। मझ ु े अपनी मज़þ से कुछ भी करने कo Xवतंlता
नह;ं थी। Xकूल आने-जाने के दौरान ह; मझु े कुछ आज़ाद; के पल ]मलते थे। मेरे
माता-Gपता को मेर; पढाई से कोई समXया नह;ं थी (अथा'त वे चाहते थे >क म/
अFछÍ ]शsा लँ )ू , >क?तु उनकo मंशा थी >क मेरा Gववाह जÂद से जÂद हो जाये।
म/ >फर भी बहुत सारे Gववाह के mरgतY को अXवीकार करने, अपनी पढाई जार;
रखने और दwु नया घम
ू ने म5 सफल रह;।

मेरे भारत म5 ३ वष' पव


ू ' रहने के दौरान मझ
ु े एक बहुत अFछे •ह?द ू यव
ु क से !ेम
हो गया। वह मेरे ]लए सब कुछ है और सभी धा]म'क और सांXकृwतक Gव]भ?नताओं
के बाद भी हम साथ ह/। हमारे जीवन म5 भी उतार चढाव आये >क?तु हम एक
दस
ू रे से इतना !ेम करते ह/ >क कोई हम5 रोक नह;ं सकता। य´यGप हम दोनY एक
दस
ू रे से बहुत दरू अलग अलग दे शY म5 रहते ह/ >क?तु हमारा सkब?ध उतना ह;
!गाढ़ है और मझ ु े इस बात का गव' है ।

मेर; मां इस mरgते को परू ; तरह नकारती ह/ और मेरे Gपता भी इसे Xवीकार नह;ं
कर5 गे ˆयY>क वह एक क™टर धा]म'क मस
ु लमान ह/। वे (Gपता) अवgय ह; मझ
ु से
सkब?ध तोड़ द5 गे और हर संभव !यास कर5 गे >क म/ अपने •ह?द ू !ेमी के साथ
ना रह पाऊं। मेरे पmरवार कo मान]सकता को लेकर मझ ु े बहुत दःु ख होता है । म/
अपने पmरवार को मस ु ीबत म5 डाले Ëबना बस अपने !ेमी के साथ रहना चाहती हूँ।
अपने माता-Gपता के कारण म/ कभी-कभी Xवयं को दोषी मानती हूँ >क म/ एक
गैर-मिु Xलम के साथ सkब?ध म5 हूँ।

मझु े इXलाम म5 Gवgवास है और मेरे माता-Gपता को भी, >क?तु म/ चाहती हूँ >क
वे मेर; एक •ह?द ू –यिˆत के साथ जीवन Ëबताने कo इFछा का सkमान कर5 ।

मझ
ु े ईgवर म5 Gवgवास है >क?तु धम' का पालन नह;ं करती ˆयY>क मझ
ु े नह;ं
लगता >क मझ ु े उसकo आवgयकता है । म/ >कसी धम' के Gव›´ध नह;ं हूँ और
चाहती हूँ >क मेरे बFचे सभी धमî के बारे म5 सीख5 और >फर अपने ]लये धम' का
चयन Xवयं कर5 ।

103
!ेમ का धम'

म/ अपने माता-Gपता को यह बताने कo तैयार; कर रह; हूँ >क म/ अपने !ेमी से


कुछ मह;नY म5 Gववाह करने जा रह; हूँ। अभी म/ अपनी M. Sc. कo पढाई म5
–यXत हूँ और मेरा !ेमी भी अपने –यापार म5 आगे बढ़ना चाहता है । म/ अभी भी
आ9थ'क 8प से Xवतंl हूँ और अपनी तरह से जीवन जीना जानती हूँ।

मझ
ु े आशा है >क मेरे और मेरे !ेमी के साथ भGव`य म5 सब कुछ अFछा होगा।
म/ अपने जैसी समXया से wघर; मिु Xलम लड़>कयY के ]लए भी यह; आशा करती
हूँ। मझ
ु े पता है >क यह सब >कतना मिु gकल है >क?तु य•द आपका साथी बहुत
अFछा है और आपको खश ु रखता है तब उसका साथ कभी न छोड़5, ˆयY>क आज
के समय म5 अFछा लड़का, चाहे >कसी भी धम' का ˆयY ना हो, ढूंढना बहुत
मिु gकल है ।

>फर कहना चाहती हूँ >क म/ >कसी धम' के Gव›´ध नह;ं हूँ। म/ सभी धम° का और
ईgवर म5 आXथा रखने वालY का आदर करती हूँ। म/ •ह?द ू धम' अपनाने नह;ं जा
रह; हूँ और ना ह; अपेsा करती हूँ >क मेरा पwत मस
ु लमान बन जाये। ध?यवाद
—मिु Xलमाह

सहन करने (सिहष्णुता, toleration) का अथर् है िक मेरे अनुसार तुम गलत हो और


मैं तुम्हें जीिवत रहने का अवसर दे रहा हूँ । क्या यह ईशिनं दा नहीं है िक हम और तुम
अन्य लोगों को जीिवत रहने का अवसर दे रहे हैं?

मैं उन सभी प्राचीन धमोर् का आदर करता हूँ और उनके अनुयाियओं के साथ प्राथर्ना भी
करता हूँ । मैं तो उनके ईश्वर की प्राथर्ना करता हूँ िफर वह चाहे िकसी भी रूप में हो।

—स्वामी िववेकानद (पेिसिडना, कैिलफ़ोिनर् या, जनवरी २८, १९००)

104
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खण्ड ३.२८: मेरी पत्नी मुझे कािफर कहती है... मैं मर जाना चाहता हूँ

कभी-कभी अंतर-धा]म'क Gववाह बहुत दखु द मोड़ ले लेते ह/ और जीवन नक' के


समान हो जाता है । अगले ४ खÁडY म5 ऐसे ह; कुछ अनुभवY को बताया गया है ।

“याम कहते ह>:

मेरे Gववाह को १८ वष' हो गए ह/। वह एक मिु Xलम है और म/ एक •हंद।ू हमारे


तीन बFचे ह/। !ारं भ म5 जब हम5 !ेम हुआ तब कोई भी धा]म'क सीमाएं नह;ं थीं
केवल !ेम था। जब तक हमार; पहल; संतान हुई उसके पmरवार ने उसे šयाग •दया
था। उसने अपने बFचY का लालन-पालन मस
ु लमान कo तरह >कया और अब धीरे -
धीरे वह इXलाम कo ओर वापस जा रह; है और म/ उससे दरू होता जा रहा हूँ।
हाल ह; म5 उसने •हजाब पहनना श8
ु >कया है जो मेरे ]लए Xवीकार करना क•ठन
है । अब उसका पmरवार मेरा आदर करता है >कं तु अभी भी अपने धम' और भाषा
के कारण म/ एक बाहर; –यिˆत समझा जाता हूँ। म/ उसे !ेम करता हूँ >कं तु उसने
मेरे धम' कo जगह अपना धम' चन
ु ा। वह मझ
ु े और मेरे पmरवार को का>फर (कुÿ)
कहती है । उसे •हंद ू GववाहY अथवा ज?म•दन म5 भी Gवgवास नह;ं है । म/ बहुत पीड़ा
म5 हूँ।

मेरा आधा जीवन अपनी पšनी और बFचY के साथ गुजर गया है । म/ उसे Žयार
>कया करता था >कं तु उसे ऐसा बनाने के ]लए म/ इXलाम धम' को दोषी मानता
हूँ और अब इस धम' से घण ृ ा करने लगा हूँ। मेरे बFचे मझु से कहते ह/ >क वे
मिु Xलम ह/ और •हंद ू धम' म5 Gवgवास नह;ं करते। अब मझ ु े ˆया करना चा•हए?
यह पीड़ा मेरे àदय को कचोट रह; है और म/ मर जाना चाहता हूँ। काश >क म/ने
एक •हंद ू से Gववाह >कया होता।

मेरा जीवन एक झूठ है , म/ने अपने माता-Gपता से झूठ बोला >क मेरे बFचे •हंद ू
हYगे और मांस नह;ं खाएंगे। ऐसा लगता है जैसे >क म/ गत' म5 डूबता जा रहा हूँ
और मझ ु े बाहर wनकालने वाला कोई नह;ं है । जब भी •हंद ू शÊद का िज( होता है
तभी मझु े का>फर कहा जाता है । म/ ४० वष' कo आयु म5 कैसा हो गया हूँ! मेरा
ु े लगता है >क म/ नाकारा हूँ और मझ
ˆया दोष है ? मझ ु े मर जाना चा•हए इससे
पहले >क मेरे माता-Gपता ऐसा कर5 । मझ
ु े पता है >क मेरे बेटे अथवा मेर; पšनी
मेरे अंwतम संXकार म5 भी नह;ं आएंगे। मझ
ु े नह;ं पता मझ
ु े ˆया करना चा•हए, म/
बहुत दख
ु ी हूँ —gयाम

105
!ेમ का धम'

“याम कहते ह> (एक मह5ने बाद):

मझ
ु े बहुत बरु ा लग रहा है और मेरे •दन और रात बहुत लंबे होते जा रहे ह/। मेर;
पšनी इXलाम को मझ ु से कह;ं ऊंचा दजा' दे ती है ˆयY>क म/ उसकo नजर म5 •हंद ू
या कह5 का>फर हूँ। म/ केवल अपनी साथी और अपने तीन बFचY के ]लए जी रहा
हूँ। मन करता है >क मर जाऊं। म/ अपने पmरवार अथवा उसके पmरवार के साथ
भी खश ु नह;ं रह सकता। ऐसा जीवन जीने का ˆया फायदा? मझ ु े दमा का रोग
है और हर •दन आशा करता हूँ >क मेर; िXथwत गंभीर हो जाए और म/ मर जाऊं।
म/ Xवयं से भी पछ ू ता हूँ >क ˆया म/ का>फर हूँ? ˆया म/ इतना 9गरा हुआ हूँ?
मेर; मां कहती ह/ >क ऐसा नह;ं है और तम ु एक ¹ाÒमण हो।

अपनी पीड़ा को दे खते हुए म/ सभी मस ु ं से !ाथ'ना करता हूँ >क


ु लमानY और •हंदओ
वह एक दसू रे के साथ संबंध म5 ना पड़5 ˆयY>क इसका अंत बहुत पीड़ादायक होता
है । अकXमात कुछ नह;ं होगा >कं तु धीरे -धीरे आपका जीवन नक' होता जाएगा।

मझ
ु े लगता है >क मझ
ु े आšमहšया कर लेनी चा•हए >कं तु अपने बFचY को दे खकर
साहस नह;ं कर पाता। जीवन इतना क•ठन ˆयY है ? मेरे सभी wनकट संबं9धयY से
संवाद बंद हो चक
ु ा है और मेरे जीवन म5 मšृ यु के अलावा कुछ नह;ं बचा। अब म/
और !तीsा नह;ं कर सकता।

म/ अपने माता-Gपता के पास !ाण šयागना चाहता हूँ ता>क वह मेरा अंwतम संXकार
कर सक5। तभी मझ ु े मिु ˆत ]मलेगी। झूठ और परे शाwनयY से भरे जीवन का ˆया
फायदा, अतः ऐसे संबंधY म5 ना पड़5।

कभी-कभी सोचता हूँ >क ˆया मझ


ु े उसे छोड़ दे ना चा•हए >क?तु म/ बFचY के कारण
ऐसा नह;ं कर सकता।

!ाण šयाग दे ना ह; आसान उपाय है ।

कृपया मेर; सहायता कर5 । —gयाम

106
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खण्ड ३.२९: जीवन दु ष्कर होता जा रहा है...

"च$ा कहती ह>:

म/ने अपने मिु Xलम पwत से Gववाह से पहले Gव]भ?न लोगY के Gव]भ?न Gवचार
सन
ु े थे। अंत म5 म/ने अपनी मन कo बात मानी जो कहता था >क जब तक आप
दोनY खश
ु ह/ सब अFछा है , धम' के अंतर के बारे म5 ना सोच5 । यह १० वष' पहले
हुआ था।

अब म/ सच कहने कo िXथwत म5 हूँ >क जब आपका हनीमन ू का समय बीत जाता


है तब वैवा•हक जीवन मिु gकल होता जाता है ... यह १० गन
ु ा और द`ु कर हो जाता
है जब आपकo संतान ज?म लेती है । मझ
ु े लगता है >क म/ अपने बFचY के ]लए
सFची मां नह;ं बन सकo। मझ
ु े उ?ह5 इXला]मक नाम दे ने पड़े और उ?ह5 सभी
इXला]मक र;wत-mरवाजY से गुजारना पड़ा।

अब वे बड़े हो गए ह/ और मझ
ु े उ?ह5 इबादत करते और कुरान पढ़ते दे खना पड़ता
है । म/ उ?ह5 अपने बचपन के और जीवन के अनभ
ु व नह;ं सन
ु ा सकती, तरह-तरह
के पकवान, नए कपड़े, होल;, •दवाल;, ज?म•दन समारोह, तXवीर5 लेना, ˆयY>क
यह सब मेरे मस
ु लमान घर म5 !wतबं9धत है ।

मेरे माता-Gपता इस Gववाह से खश


ु नह;ं थे >कं तु उ?हYने कोई हXतsेप नह;ं >कया।
उनकo सोच थी >क उनके बFचे यह ना सोच5 >क उ?हYने अंतर-धा]म'क Gववाह को
Xवीकार कर ]लया है , इस]लए वो कुछ न बोले। इसी !कार मेरा पmरवार, मेरे पwत
के पmरवार के साथ मेल नह;ं खाता। अतः हम भी उनसे बचते ह/। मेरे पwत चाहते
ह/ >क उनके बFचे सFचे मस
ु लमान बन5, अतः वह ऐसा ह; वातावरण घर म5 बनाना
चाहते ह/। इसी कारण हमारे बFचY को घर से बाहर खेलने कo इजाजत नह;ं है
जहां वह संभवत गैर-मिु Xलम बFचY से ]मलजल
ु सकते ह/।

म/ अलग-थलग पड़ गई हूँ और सोचती हूँ >क शायद जीवन कुछ अलग हो सकता
था। म/ चाहती हूँ >क यह संदेश आप (गीता) सभी तक पहुंचे इससे पहले >क आप
अपनी जीवन को बदलने वाला wनण'य ल5। याद रहे >क केवल आपका जीवन ह;
नह;ं बदलेगा अGपतु आपके माता-Gपता, भाई-बहन, और सभी wनकट संबं9धयY के
जीवन पर भी इसका असर पड़ेगा। मेरा पmरवार अब मझ
ु से कुछ भी ]शकायत नह;ं
करता >कं तु उनके चेहरे और हाव-भाव से मझ
ु े सब पता लग जाता है । —9चlा

107
!ेમ का धम'

"च$ा आगे कहती ह> (५ मह5ने बाद):

अनीता,

मेरा अपने पwत कo ]शsाओं के साथ सहयोग करने का जोश ठं डा पड़ता जा रहा
है । अपने पwत के –यवहार से मझ
ु े लगता है >क उ?ह5 भी यह बात पता चल चक
ु o
है । अब वे मेरे बFचY को जानबझ
ू कर मझ
ु से अलग रखते ह/ और उ?ह5 कहते ह/
>क जो इXलाम पर सवाल खड़े करते ह/ वे –यिˆत पापी ह/ और उ?ह5 ऐसे –यिˆतयY
से घण
ृ ा करनी चा•हए। वे बFचY को यह भी ]सखाते ह/ >क मस
ु लमान सभी गैर-
मिु XलमY, िजसम5 म/ भी शा]मल हूँ, से सवîपmर ह/।

अब मझ
ु े अपने बFचY के –यवहार म5 भी अंतर नजर आने लगा है । जब कभी
>कसी बFचे को चोट लगती है अथवा भख
ू लगती है तब ˆया वह अपनी मां के
पास नह;ं जाता? >कं तु मेरे बFचे अपनी सभी ज8रतY के ]लए अपने Gपता को
फोन करते ह/। वे अपने Gपता के सामने मझ
ु से Žयार से बात करने म5 भी डरते
ह/। अपने बाप कo आवाज़ सन
ु ते ह; बFचY कo मX
ु कान तक बदल जाती है ।

मझ
ु े बहुत दख ू ती हूँ >क इन सब बातY से >कसको
ु होता है जब म/ Xवयं से पछ
सबसे •यादा मान]सक आघात पहुंचता है । मेरे पwत को लगता है >क वह उन
जेहा•दयY म5 से एक है िजनके ऊपर इXलाम का !चार !सार करने कo िजkमेदार;
है और वे अपने जीवन भर यह; करते रह5 गे, और चाह5 गे >क उनके बFचे भी ऐसा
ह; कर5 ।

अगर म/ इस घर म5 रहती हूँ तब ˆया म/ अपने बFचY को नक ु सान नह;ं पहुंचा


रह; हूँ? इसी कारण म/ कहती हूँ >क मेरे स¹ के •दन बीत गए ह/ —9चlा

108
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

खण्ड ३.३०: वह मुझे जब तब पीटने लगता था

चेतना कहती ह>:

म/ एक ¹ाÒमण लड़कo हूँ और अपनी मां के साथ रहती हूँ।

मेरे नाना-नानी जो क™टर ¹ाÒमण थे ने मेरा लालन-पालन >कया। मेर; संXकृत


कo ]शsा घर पर ह; हुई >फर मझ
ु े गु›कुल भेज •दया गया। म/ने वेदY, उपwनषदY
और शाXlY का अ¸ययन >कया है । म/ने जीवन भर सािšवक जीवन का पालन
>कया है और मांसाहार, म•दरा, धý
ू पान, Žयाज, लहसन
ु , तथा अ?य ताम]सक
भोजनY से दरू ह; रह; हूँ। बचपन म5 म/ने !šयेक जानवर, कoड़े, पौधे, तथा पंचतšवY
का सkमान करना सीखा। यहां तक >क मेरे पmरवार ने कभी कोई चमड़े से बनी
वXतु नह;ं खर;द;। हम सभी शैवपंथी ह/ और म/ भगवान ]शव कo घोर भˆत हूँ।
वह; मेरे ]लए सब कुछ ह/।

कुछ वष° पहले मेर; भ5 ट एक मिु Xलम यव ु क से हुई और हम5 !ेम हो गया। वह
हमेशा से धा]म'क था >कं तु !ारं भ म5 बहुत स•ह`णु था और हम एक दस ू रे के धम'
के बारे म5 बात5 >कया करते थे। वह मझ
ु े मं•दर भी ले जाया करता था और अंततः
एक वष' के बाद हमने •हंद ू र;wत-mरवाजY से पं•डत, मेर; मां और उसके ]मlY के
समs Gववाह >कया। यहां से मेर; शार;mरक शोषण कo कहानी श8
ु होती है (वह
एकमाl –यिˆत था िजसके साथ म/ शार;mरक संबंध म5 थी वह भी भगवान ]शव
के समs Gववाह करने के बाद)।

जÂद ह; म/ने पाया >क यह Gववाह उसके ]लए कोई मायने नह;ं रखता था और
शायद यह उसका मझ
ु से शार5Tरक संबंध बनाने का एक साधन भर था। Gववाह
के दो-तीन मह;नY के पgचात वह मझ
ु से इXलाम कबल
ू करने के ]लए दबाव डालने
लगा, जो म/ने नह;ं >कया। अगला धˆका तब लगा जब वह मझ
ु े मिु Xलम GववाहY
और समारोहY म5 ले जाने लगा। म/ वहां कुछ भी नह;ं खा सकती थी। वहां बस
गाय-भ/स का मांस, 9चकन, इšया•द ]मलता था जो म/ने अपने जीवन म5 कभी नह;ं
दे खा था। अगला झटका था >क वह चाहता था >क म/ अपना ]सर हमेशा ढक कर
रख।ूँ

म/ शीÞ ह; हर छोट; चीज के ]लए उसके ऊपर wनभ'र थी और वैसा ह; करती थी


जैसा वह कहता था। म/ कुरान पढ़ने लगी, अपना ]सर भी ढकने लगी और सजना

109
!ेમ का धम'

संवरना भी बंद कर •दया। >कं तु म/ने मांसाहार के ]लए ËबÂकुल मना कर •दया
और अपना सािšवक जीवन जीती रह;। मेरा कुÜा (मेरे ]लए पl
ु समान) मेरे ]लए
सबसे महšवपण
ू ' था... यहां तक >क Xवयं से भी महšवपण
ू ।' म/ने उसे वैसे ह; !ेम
>कया जैसे एक मां अपनी संतान से करती है । >फर म/ने पाया >क वह और उसका
पmरवार मझ
ु े मेरे बेटे से अलग करना चाहते ह/। म/ने Gवरोध >कया ˆयY>क म/ कुरान
पढ़ने के बाद भी उनकo उस wनर;ह जानवर को लेकर आपGÜयां नह;ं समझ पाई।

>फर हमारे धम' को लेकर झगड़े होने लगे। वह मेरे धम' और दे वी दे वताओं कo
मwू त'यY का अपमान करता था, यहां तक >क एक Ëबंद; लगाने पर भी उसे आपGÜ
थी। य•द म/ एक छोटा सा भी संXकृत का शÊद भी !योग करती तब वे मंह
ु बनाने
लगते। >फर म/ने ह9थयार डाल •दए और धमाÏतरण करने का wनgचय ]लया...
ˆयY>क म/ धम' से •यादा भगवान ]शव को मानती थी जो हमेशा मेरे àदय म5 थे।
म/ मस
ु लमान बन गई और उसे खश
ु रखने का हर संभव !यास >कया, >कं तु म/ने
अपना सािšवक जीवन, अपनी मां और अपने गूफo (कुÜा) का ब]लदान नह;ं •दया।
म/ àदय से हमेशा ह; •हंद ू थी, स•ह`णु थी और संवेदनशील भी थी।

उसे मेरे भगवान ]शव के !wत !ेम का आभास है और उसे यह भी पता है >क म/
मर जाऊंगी >कं तु ]शवराËl पर ûत अवgय रखंग
ू ी। मेरे धमाÏतरण के बाद वह मेर;
पहल; ]शवराËl थी और जैसा उसे लग रहा था वैसा ह; हुआ, म/ने ûत रखा। उसने
परू ा •दन मझ
ु पर नजर रखी और म/ जैसे ह; मं•दर म5 घस ु ी उसने मझ
ु े बहुत
पीटा। >फर यहां से मारपीट कo श›
ु आत हुई और वह मझ ु े जब-तब पीटने लगा।

मझ
ु े धीरे -धीरे घट
ु न होने लगी और >फर एक •दन म/ने उसे कह •दया >क म/ अब
ु हूँ। हमारे बीच
यह नाटक •यादा •दन नह;ं कर सकती और म/ अपने धम' से खश
भीषण लड़ाई हुई। अ?तत: एक मह;ने के बाद वह वापस आया। >कं तु दो वष° के
]लए मेरा जीवन नक' के समान हो चक
ु ा था। वह हमेशा इXलाम कo बात5 >कया
करता था और बताता था >क जो कुरान को नह;ं मानते उ?ह5 सजा ज8र ]मलेगी।
बाद म5 एक •दन वह मेरे घर आया और हमार; बहुत लड़ाई हुई... जब उसने मझ
ु े
और मेर; मां को पज
ू ा करते दे खा तब वह पागल हो गया।

हम तीन मह;ने के ]लए अलग रहे >फर साथ रहने लगे और >फर अलग हो गए।
—चेतना

चेतना आगे कहती ह> (दो मह5ने बाद):

110
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

G!य एड]मन, सšयेन और सभी,

अब म/ बहुत सखु ी और िXथर जीवन जी रह; हूँ। म/ भाIयशाल; हूँ >क घटनाएं
बड़ी तेजी से और मेरे पs म5 हु#। >कं तु यह सब Interfaithshaadi और आप
सभी के सहयोग के Ëबना संभव नह;ं था। खास तौर से सšयेन भाई जो हमेशा
मेरे साथ रहे और एड]मन जो बहुत ह; दयालु ह/ —चेतना

सामानयतर लड़िकयां भोली-भाली और संवेदी होती हैं, ओर वो कभी-कभी उन लोगों


के जाल में फंस जाती हैं जो उनको आदर और सम्मान देने का नाटक करते हैं, जबिक
वह सम्मानता झूठा होता है। हमारे समाज में ऐसे बहुत सारे असामािजक तत्व हैं जो
सज्जन िदखाई पड़ते हैं िकंतु अंदर से षड्यंत्रकारी होते हैं –आिबदा
(www.interfaithshaadi.org/blog/?p=2529&cpage=1#comment-31103)

111
!ेમ का धम'

खण्ड ३.३१: मैं अब एक िहंदू हूँ : एक भूतपूवर् मुसलमान के जीवन अनुभव

मद5हा कहती ह>:

मेरा ज?म अमेmरका के एक बहुत ह; क™टर मिु Xलम पmरवार म5 हुआ। म/ने जब
होश संभाला तभी से कुरान पढ़नी श8
ु कर द; थी। म/ हमेशा इस Õम म5 थी >क
अगर म/ अÂलाह के बताए राXते पर नह;ं चलंग
ू ी तो मझ
ु े सजा ]मलेगी। मझ
ु े यह
भी बताया गया था >क अगर म/ परू े शर;र को ढाँकने वाले कपड़े नह;ं पहनती तब
मै पापी कहलाई जाऊंगी। म/ने छुटपन से ह; •हजाब पहनना श8
ु कर •दया था।
जब मेरे ]मl मेरे •हजाब पहनने का कारण पछ
ू ते थे तब म/ कहती थी >क ऐसा
अÂलाह चाहता है ।

जैसे-जैसे म/ बड़ी हुई, मेरे पmरवार कo सि‰तयां बढ़ती ग# और हर चीज के wनयम


बना •दए गए। मझ ु े कुछ भी करने कo आजाद; नह;ं थी और मझ ु े हर वˆत wनद½ श
•दए जाते थे। बहुत ह; अजीब कारणY से मझ
ु े ना तो घर के बाहर आजाद; ]मलती
थी और ना ह; घर के भीतर। मेरे Gपता भी मझ ु े बाहर जाने से रोकते थे। यहां
तक >क मझ
ु े लड़कY से बात करने कo भी आजाद; नह;ं थी >कं तु म/ िज´द; थी
इसी]लए ऐसा ह; करती थी।

जब म/ १४ वष' कo थी तब मेरे Gपता को पता लगा >क म/ एक लड़के से बात


करती हूँ तब मेर; दाद; ने मझ
ु े बहुत डांटा और यहां तक >क मझ ु े एक वेgया भी
कहा। म/ घंटY रोती रह; ˆयY>क उनकo बात ने मझ ु े बहुत चोट पहुंचाई थी।

एक •दन जब मेरे दादा-दाद; बाहर गए हुए थे तब म/ अपनी मां कo इजाजत से


जींस और ट;शट' पहनकर बाहर गई। म/ने अपने Xकूल के दोXतY के साथ बहुत
मजे >कए। >कं तु मेरे घर पहुंचने से पहले मेर; दाद; वापस आ चक
ु o थीं और वह
मेर; मां के साथ मारपीट कर रह; थीं ˆयY>क उ?हYने मझ
ु े •हजाब के बगैर बाहर
जाने कo इजाजत द;। मेर; दाद; ने मझ
ु े >फर बार-बार वेgया कहा।

मझ
ु े याद है बकर;द पर जहां हमारा परू ा पmरवार wनर;ह जानवरY को मारने के बाद
ख]ु शयां मनाता था, वह; म/ और मेर; मां कमरे म5 बंद हो कर रोया करते थे। मेरा
और मेर; मां का घर म5 कोई महšव नह;ं था बस हम अपने ह; घर म5 बंद; थे।
म/ने अपनी मां को मेरे Gपता और उनके पmरवार के अपशÊद और Gपटाई सहते
दे खा है ।

112
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

मेरे अ9धकतर दोXत गैर-मिु Xलम थे। म/ सभी धम° के दोXत जैसे >क •हंद,ू ]सख,
ईसाई, सभी के साथ सहज थी। >कं तु जब मेर; दाद; को पता चला, तब उ?हYने
मेर; मां को बहुत डांटा और मझ
ु से कहा >क हम5 का>फरY के साथ दोXती बढ़ाने
कo इजाजत नह;ं है । जब म/ने कारण पछ ू ा तो उ?हYने बताया >क •हंद ू अपGवl
होते ह/, यहूद; और ईसाई तो बंदरY और सअ ु र के समान ह/ और यह सभी इंसान
नह;ं ह/, ˆयY>क वे शैतान को पज
ू ते ह/। म/ बहुत आgचय'च>कत थी।

जब म/ १४ वष' कo हुई तब म/ने जाना >क म/ने अपने जीवन म5 ˆया-ˆया खो •दया
है । मेरे Gपता का आदे श था >क मझ
ु े पांच वˆत नमाज पढ़नी है और कोई भी
खेल नह;ं खेलना ˆयY>क हर खेल शैतान कo तरफ ले जाता है । एक •दन जब म/
अपने माता-Gपता से अपने कॉलेज के बारे म5 बात कर रह; थी तब मेरे Gपता ने
कहा >क म/ कॉलेज नह;ं जा सकती। उ?हYने मेरे Gववाह के ]लए एक लड़का पसंद
कर ]लया था और १८ वष' कo होते ह; मेर; शाद; कर द; जाएगी। म/ है रान थी...
यह सन ु कर मेर; मां रोते हुए कमरे से बाहर चल; गयी। म/ने अपने Gपता से बहुत
!ाथ'ना कo >क वह मझ ु े कॉलेज जाने द5 पर उ?हYने साफ मना कर •दया। कारण
पछ
ू ने पर वह बोले >क मिु Xलम औरत5 ना तो पढ़ाई करती ह/ और ना ह; बाहर
काम पर जाती ह/। मिु Xलम औरतY से बस अFछÍ पšनी होने कo अपेsा कo जाती
है जो सदै व अपने पwत का कहना मानती ह/ और एक अFछÍ म•हला बनकर रहती
ह/। मझ
ु े यह सन
ु कर Gवgवास नह;ं हुआ >क मेरे Gपता अभी भी 8•ढ़वाद; सोच रखते
ह/।

अगले •दन म/ Xकूल के बाद अपनी मिXजद के मौलवी साहब से ]मल; और उ?ह5
अपने Gपता के भेदभावपण
ू ' –यवहार के बारे म5 बताया >कं तु वह भी मेरे Gपता से
सहमत थे। उ?हYने तो यहां तक कहा >क हमारे समाज कo अFछाई के ]लए सभी
मस
ु लमानY को मेरे Gपता कo तरह सोचना चा•हए।

म/ भ)चˆकo रह गई और मझ
ु े नह;ं पता था >क मझ
ु े ˆया करना चा•हए। म/ परू ;
रात इस बारे म5 सोचती रह; और >फर आधी रात को मेर; मां मेरे कमरे म5 आई
और मझु े रोता हुआ पाया। उ?हYने बताया >क वह Xवयं भी एक पढ़; ]लखी •हंद ू
म•हला (डॉˆटर) थीं जो भारत म5 मेरे Gपता से !ेम करने लगीं। मेर; मां ने बताया
>क !ारं ]भक •दनY म5 मेरे Gपता ने उ?ह5 कहा था >क वह बहुत खल
ु े GवचारY वाले
–यिˆत ह/ और वे Gववाह के ]लए मेर; मां का धमाÏतरण नह;ं चाहते। मेर; मां ने
अपने माता-Gपता कo मजþ के Gव›´ध शाद; कo और अपनी होने वाल; सास को
खश
ु करने के ]लए wनकाह भी >कया। बस वह; से उनका दःु XवŽन श8
ु हो गया।

113
!ेમ का धम'

मेरे दादा-दाद; ना उ?ह5 घर से बाहर जाने दे ते थे और ना ह; कोई घर म/ उनसे


]मलने आता था। उ?ह5 घर म5 ह; रखा जाता था जहां उ?ह5 सब का>फर कहते थे।
उन पर कुरान पढ़ने और नमाज अदा करने का दबाव डाला गया और अगर वे
ऐसा नह;ं करती थीं तब उ?ह5 पीटा जाता था। शाम को जब मेरे Gपता घर आते
थे तब वे उनसे जबरदXती करते थे। जब मेर; मां उ?ह5 ऐसा करने से मना करती
थी तब कहा जाता >क कुरान कहती है >क मेर; मां उनके ]लए बस एक गुलाम
ह/। Gववाह के एक साल बाद वे अमेmरका चले आए तब म/ अपनी मां के गभ' म5
थी।

जब म/ पैदा हुई तब मेरे Gपता मेर; मां से खश


ु नह;ं थे। तब उ?हYने कहा था >क
अगर वह >कसी मिु Xलम से wनकाह करते तब शायद उ?ह5 बेटा पैदा होता। उनका
कहना था एक •हंद ू से शाद; करने कo सजा अÂलाह ने उ?ह5 एक बेट; दे कर द;
है ।

जब म/ने यह सब सन
ु ा तब म/ अपने Gपता और इXलाम से घण
ृ ा करने लगी। तब
म/ने वादा >कया >क म/ अपनी मां को इन पmरिXथwतयY से बाहर wनकालंग
ू ी। जब
म/ १८ वष' कo हुई तब एक वकoल कo मदद से मेर; मां और मेरे Gपता का तलाक
करवाया। मेर; मां >फर Xकूल जाने लगी और अब वे एक !]स´ध डॉˆटर बन गई
ह/।

जहां तक मेरा !gन है , म/ भी •हंद ू धम' म5 लौट आई हूँ। म/ने अपना नाम भी
बदल ]लया है (इXलाम šयाग का दÁड कšल के कारण अपना असल; नाम
छुपाया)। अब म/ एक !ेम से भरपरू जीवन जी रह; हूँ और ऐसे भगवान को मानती
हूँ जो दस
ू रY से नफरत कo ]शsा नह;ं दे ता अGपतु iान अिज'त करने और wनभþक
जीवन जीने कo !ेरणा दे ता है ।

२३ वष' कo आयु म5 मेरा Gववाह मेरे •हंद ू !ेमी से हुआ और अब हमार; एक बहुत
संद
ु र सी बेट; है । मेरे पwत बहुत अFछे ह/ और उ?हYने मझ ु े संपण
ू ' आजाद; और
सभी अ9धकार •दए ह/ जो मेरे Gपता ने मेर; मां और मझ
ु े कभी नह;ं •दए। मेरे
पwत का पmरवार मझ
ु े अपनी बेट; मानता है और यहां तक >क मेर; मां को भी
अपने पmरवार का •हXसा मानता है । इस सब के ]लए भगवान का ध?यवाद —
मद;हा

114
खण्ड ३.३२: मैं कॉलेज में एक मुिस्लम युवक से प्रेम कर बैठी... भगवान की
कृपा से मैं बच गई।

यहाँ पर अ•दwत अपने जीवन के १७-२१ वष' कo आयु के •दनY का वण'न कर रह;
ह/। य•द आप भी इसी आयु के ह/ और >कसी से !ेम करते ह/ तब आपको अ•दwत
के अनुभवY को अवgय ह; पढ़ना चा•हए, अ•दwत कo आपबीती पढ़कर आप अपने
द;घ' एवं सुखी वैवा•हक जीवन के ]लए सह; wनण'य ले पाएंगे।

नोट: यहाँ पर अ•दwत और डॉ.•दल;प अमीन (जो interfaithShaadi.org के एड]मन


भी ह/) के वाता'लाप और उसके बीच म5 एड]मन कo •टŽप•णयां भी "[...]" द; गई
ह/।

मेरा जीवन १६ वष2 कy आयु तक:

मेरे बचपन के •दनY म5 मेरे Gपता, जैसे >क हर माता-Gपता करते है , मझ


ु से सब
कुछ सव'®े`ठ कo अपेsा करते थे। >क?तु मेरे ऊपर बहुत से !wतब?ध थे जो मेरे
]लए असहनीय थे। मेरे ]लए पढाई का मतलब >कताबी कoड़ा बन जाना था िजसम5
कोई आनंद अथवा मXती मज़ाक नह;ं था। म/ अपने मनोरं जन के ]लए अपनी
पढाई कo >कताबY के भीतर जासस
ू ी कहाwनयां रखकर पढ़ा करती थी ˆयY>क मेरे
पास अपनी मांग रखने का अ9धकार नह;ं था।

जहाँ तक धम' कo बात है , हमारे घर पज


ू ा हुआ करती थी जो मझ
ु े बहुत उबाऊ
लगती थी। हम सभी धा]म'क अन`ु ठान >कया करते थे >क?तु >कसी ने कभी भी
उन अन`ु ठानY कo –या‰या करने का क`ट नह;ं >कया। य•द म/ कभी अपनी ]मl
के घर जाती तब लौटने पर मझ
ु से तरह तरह के !gन >कये जाते >क तम
ु ने वहां
ˆया >कया और ˆया बात5 कo, आ•द।

जब म/ कॉलेज म5 पढाई के ]लए घर छोड़कर वड़ोदरा आई तब म/ बहुत खशु थी।


होती भी ˆयY ना, म/ अपने माता-Gपता के wनयंlण से बाहर आई थी और एक
Xवतंl जीवन जी सकती थी। >क?तु यहाँ पर म/ अलग ह; पmरिXथwत म5 फँस गई
ˆयY>क यहाँ मेरे मिु Xलम !ेमी ने मेरा wनयंlण अपने हाथY म5 ले ]लया था। अगर
दसू रे शÊदY म5 कहूं तो म/ अपने माता-Gपता के wनयंlण से wनकल कर अपने !ेमी
के wनयंlण म5 आ गई थी। एक तरह से मेरे ]लए कुछ नह;ं बदला था और यह
सब मेर; मख
ू त
' ा का पmरणाम था।
!ेમ का धम'

म> उससे *ेम कर बैठ–:

यह सब तब श8 ु हुआ जब म/ १७ वष' कo आयु म5 अपना घर और शहर छोड़कर


कॉलेज म5 पढ़ने के ]लए वड़ोदरा गई। मझ
ु े ऐसा लगा जैसे >क म/ हवा म5 उड़ रह;
हूँ और म/ जो चाहूँ वो कर सकती हूँ। वह (मेरा पव
ू ' !ेमी जो एक मिु Xलम है )
कॉलेज के पहले वष' मेर; ह; कsा म5 था।

एक •दन म/ने अपने बाल कुछ अलग तरह से सँवारे और उसने कहा >क म/ बहुत
अFछÍ लग रह; हूँ। >फर वह आये •दन मेर; >कसी न >कसी बात पर तार;फ5 करने
लगा। म/ ऐसे वातावरण म5 पल; बढ़; थी जहाँ मझ
ु े कोई महšव नह;ं दे ता था।
उसकo !शंसा से मझ
ु े अपने –यिˆतšव का अहसास होने लगा और म/ उसकo और
आकGष'त होती गई। मझ
ु े उसका मेर; छोट;-छोट; बातY को महšव दे ना भाने लगा
ˆयY>क उसके पास मेर; तार;फ़Y के अलावा कोई काम न था।

[एड]मन: जब अÂलाह को लड़कo के बाल दस


ू रY को •दखाना पसंद नह;ं है , तब
एक मस
ु लमान यव
ु क >कसी अ?य के बालY कo !शंशा ˆयY करे गा?]

*ेम धीरे -धीरे बढ़ने लगा:

यह सब बहुत धीरे -धीरे श8


ु होता है ।

•ह?द ू >कसी भी सkब?ध म5 पहले १००% समानता कo अपेsा करते ह/। वे अपने
घरY म5 बहुलवाद और स•ह`णत ु ा का वातावरण दे खते ह/, जहाँ Gव]भ?न पmरवारजन
Gव]भ?न दे वी दे वताओं कo पज
ू ा अच'ना करते ह/; हो सकता है >क Gपता राम भˆत
हY और माता कृ`ण को मानती हY, आ•द। घर म5 कोई ]शव भिˆत म5 सोमवार
का उपवास रखता ह/ तो कोई हनम
ु ान जी कo ®´धा म5 मंगलवार को अ?न छोड़
दे ता है अथा'त उपवास रखता है और सभी पmरवारजन ऐसा करने म5 एक दस
ू रे कo
मदद भी करते ह/। इसी कारण •ह?द ू को मिु XलमY के šयौहार के समय अपनी
इFछा से शा]मल होने मे कोइ तकल;फ नह;ं होती है , इस]लए म/ने भी रोज़े रखे
थे।

•ह?द ू साथी अपने मिु Xलम साथी कo इXला]मक परं पराओं के ]लए अपना पज
ू ा
पाठ न करने के ]लए भी सहमत हो जाते ह/।

116
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

*ार}भ म_ तो सब ठ–क ह5 था:

परे शाwनयां तब श8
ु होती ह/ जब •ह?द ू साथी से !šयेक इXला]मक र;wत mरवाज़ म5
शा]मल होने कo अपेsा कo जाती है । यह अपेsा पहले मान मनौ–वल के 8प म5
होती है जो बाद म5 अwनवाय'ता का 8प ले लेती है । जब ऐसा मेरे साथ भी होने
लगा तब म/ने mरgता तोड़ने कo को]शश कo >क?तु वह हर बार मझ
ु े मना लेता
और कहता >क वह मेरे Ëबना नह;ं रह सकता। >फर हम दोनY कुछ न कुछ
समझौता कर लेते और >फर ऐसा ह; चलता रहा। अंततः म/ने सkब?ध GवFछे द
का Gवचार ह; šयाग •दया।

>क?तु इस समय तक •ह?द ू साथी के ]लए बहुत दे र हो चकु o होती ह/ और तब


mरgते को बचाये रखने का एक ह; उपाय होता "धम' पmरवत'न"। य•द ऐसा न कर5
तो इस पmरिXथwत के ]लए सारा दोष •ह?द ू साथी को ह; •दया जायेगा।

"च$ ५: एक बहुलवाद; और एक Gव]श`टवाद; के बीच !ेम53

जब आप !ेम म5 होते ह/ तब आप अपने साथी के >(या कलापY का भी अनस


ु रण
करने लगते ह/ (>क?तु ऐसा •ह?द ू सोचते ह/ मिु Xलम नह;ं)। अगर म/ अपना उदाहरण
दँ ू तो म/ने भी रोज़ा रखना श8
ु कर •दया ˆयY>क वह भख
ू ा रहता था और उसके
साथ बाहर जाकर इùतार; करने का भी अलग ह; मज़ा था।

53
अ’धक जानकार~ के zलए इसे दे खe https://www.youtube.com/watch?v=KHvvvxcVKUs.

117
!ेમ का धम'

>क?तु वह मेरे šयोहारY पर ऐसा कुछ नह;ं करता था, जैसे >क ज?मा`टमी जैसे
पव' पर मं•दर जाना इšया•द, जब>क मझ
ु े ऐसे šयौहार के अवसर पर मं•दर जाना,
भजन सनु ना और šयौहार कo रौनक दे खना अFछा लगता है । अगर सच कहूं तो
वह ऐसा करने के ]लए सोचता भी नह;ं था ˆयY>क ऐसा करना उसके धम' म5
विज'त था।

म/ सभी इXलामी र;wतयY म5 भाग लेती थी ˆयY>क ऐसा करने के ]लए मेरे धम' म5
कोई मनाह; नह;ं है , म/ भी अपने साथी से मेरे •ह?द ू अन`ु ठानY म5 सिkम]लत होने
कo अपेsा नह;ं करती थी ˆयY>क मझ
ु े पता था >क उसके पास ऐसा न करने का
धा]म'क बंधन है ।

[हम समझ सकते ह/ >क एक बहुलवाद; (pluralist) एक Gव]श`टवाद; (exclusivist)


कo सोच को सहन कर रह; है , ले>कन वो ˆयY उसकo अस•ह`णत ु ा (intolerance)
को बदा'gत कर रह; है ?]

*ेम होने के बाद हमारे स}बfध कैसे थे?

हमारे सkब?ध श8
ु होने के २-३ वष° तक मझ
ु े लगता था >क मझ
ु े इस सkब?ध
म5 नह;ं पड़ना चा•हए। >क?तु म/ जब भी अलग होने का !यास करती तो वह मझ
ु े
मना लेता, कहता >क वह मेरे Ëबना जीGवत नह;ं रह सकता अथवा कहता >क हम
कोई न कोई हल wनकाल ल5गे। आ•ख़रकार म/ने सkब?ध GवFछे द का Gवचार ह;
šयाग •दया। अगर वह सFचा !ेम होता तो वह मझ
ु े समानता का अ9धकार दे ता
या उसके बंधन से मˆ
ु त कर दे ता।

मझ
ु े अब !तीत होता है वह मेरे साथ इस]लए रहना चाहता था ˆयY>क म/ ह; इस
Gवgव म5 अकेल; –यिˆत थी जो उसकo ना ख़šम होने वाल; इXला]मक ]शsाओं
और उनके सह; होने कo वजहY का पाठ सन
ु ती रहती थी। हमार; अ9धकतर
मल
ु ाक़ातY म5 यह; इXलाम-सkब?धी बात5 होती थीं और >फर धीरे -धीरे एक दस
ू रे
को जानने और समझने वाला श› ु आती समय भी बीत गया। म/ एक बहुत अFछÍ
®ोता हूँ और म/ हर –यिˆत कo बात बड़े ¸यान और चाव से सन
ु ती हूँ, शायद इस
सkब?ध म5 यह; मेरे Gव8´ध रहा।

उसने ऐसा ‡य^ †कया?

118
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

इस !gन ने मझ
ु े तब भी परे शान >कया था और म/ अभी भी इस !gन का उÜर
ढूँढ रह; हूँ। मझ
ु े लगता है >क उसने एक लड़कo को दे खा (अथा'त मझ
ु )े , जो उसे
पसंद आई और >फर उसे !भाGवत करने के ]लए उसने तार;फ़Y के पल ु बाँधने श8 ु
कर •दए।

हमने !ारkभ म5 हÂकo-फुÂकo बातचीत करनी श8


ु कo और बाद म5 एक दस
ू रे के
धम° के बारे म5 जानना श8
ु >कया। इस सबके दौरान मझ
ु े लगा >क हम दोनY
साथ नह;ं रह पाएंगे (ˆयY>क दोनY कo आXथाओं और जीवन म5 जमीन आसमान
का अंतर था) >क?तु अपने mरgते को बचाये रखने के ]लए म/ मौन रह;। मझ
ु े
लगता था >क थोड़ा बहुत तो हर mरgते म5 सहना ह; पड़ता है ।

उसको भी संभवतः आभास था >क म/ धम' पmरवत'न के ]लए मान भी गई तथा


उसने अपने माता-Gपता को हमारे Gववाह के ]लए मना भी ]लया तब भी य•द म/
उसकo इXला]मक Gवचारधारा से सहमत नह;ं हुई तब हमारे बीच इतने Gवरोधाभास
हYगे िज?ह5 सल
ु झाना असंभव ह; होगा।

वह संभवतः मेरे जैसी ह; >कसी यव


ु ती कo खोज म5 था िजसे वह उसकo सपने कo
दwु नयाँ से wनकाल कर उसके पँख कुतर कर धरातल पर पटक सके और अपने
पmरवार म5 सिkम]लत कर सके। उसको यह भी भल; भाँwत पता था >क धम'
पmरवत'न के Ëबना उसका पmरवार मझ
ु े Xवीकार नह;ं करे गा।

इMलाxमक Bवचारधारा हमारे संबंध^ के बीच म_ आ गई:

मझ
ु े ऐसा लगने लगा था >क वह मझ
ु े wनयंËlत करने का !यास कर रहा है ˆयY>क
हमारे हर वाता'लाप म5 •ह?द ू जीवन प´धwत का अपमान >कया जाता और मिु Xलम
Gवचारधारा, िजसके अनस
ु ार Xlी प›
ु षY के समान अ9धकार नह;ं !ाŽत कर सकती,
को हमेशा सवîFच रखा जाता। अगर वह मझ
ु े >कसी अ?य प›
ु ष से बात5 करते
दे ख लेता तब वह असरु ‘sत महसस
ू करने लगता और परे शान हो जाता। म/ने
उसकo ख़श
ु ी के ]लए सभी लड़कY से बात करना भी बंद कर •दया था। तब मझ
ु े
भी समझ आ गया था >क उसकo और मेर; दwु नया बहुत अलग अलग है ।

जब म/ने उससे बक
ु ½ के बारे म5 बात कo तब उसने समझाने कo को]शश कo बरु का
पहनना ˆयY सह; है और वह चाहता है >क उसकo भावी जीवनसाथी भी बरु का
पहने। उसकo 8•ढ़वाद; सोच को दे खते हुए यह साफ़ था >क मझ
ु े कॉलेज म5 भी

119
!ेમ का धम'

सलवार-कमीज ह; पहनना था य´यGप मेरे पmरवार म5 पिgचमी और भारतीय


वेशभष
ू ा दोनY ह; Xवीकाय' थे।

जो भी अÂलाह को Xवीकाय' न हो अथवा आपको अÂलाह से दरू ले जाये वह सब


हराम है । संगीत को भी हद;थ और कुरान ने नशा करना अथवा –य]भचार के
समान ह; माना है , अतः अ9धकतर मिु Xलम संगीत को भी हराम ह; मानते ह/।

एक बार जब म/ने उससे बहुGववाह के बारे म5 बात कo तब उसने बहुGववाह को


सह; माना य•द प›
ु ष अपनी सभी पिšनयY के साथ समान –यवहार करता है ।
उसने इसका (बहुGववाह) बचाव करते हुए कहा >क •ह?द ू भी Gववाहे तर सkब?ध
रखते ह/, उससे अFछा है >क बहुGववाह ह; कर ]लया जाये। उसका कहना था >क
इXलाम म•हलाओं को अ9धक सरु sा !दान करता है ˆयY>क इXलाम म5 –य]भचार
!wतबं9धत है ।

एक बार उसने यह भी कहा >क िXlयY के गवाह; पर इस]लए Gवgवास नह;ं >कया
जा सकता ˆयY>क िXlयां भावक
ु ता से !ेmरत होती ह/, जब>क प›
ु ष तक' पर चलते
ह/। उसके अनस
ु ार आधwु नक Gवiान ने यह ]स´ध भी कर •दया है ।

उसने मझ ु े तक' दे ते हुए कहा >क िXlयY को पmरवार म5 धन से सkबं9धत मामले


नह;ं सँभालने चा•हए ˆयY>क वे भावक ु होती ह/।

उसकo अkमी भी •हजाब नह;ं पहनती थीं >क?तु दप


ु ™टा अवgय पहनती थीं। मझ
ु े
लगता है >क उनके घर कo अ?य लड़>कयY को घर से बाहर कo दwु नया के बारे
•यादा कुछ मालम
ू नह;ं था। अ9धकतर लड़>कयY का Gववाह पmरवार के अंदर ह;
हुआ था, जैसे >कसी चचेरे या ममेरे भाई के साथ।

आ™खरत बनाम पन
ु ज2fम:

कैसे मेर; सभी आXथाओं का मज़ाक और अपमान >कया जाता था उसकo एक


और बानगी सन ु ाती हूँ। एक बार वह मझ
ु े इXलाम के आ•खरत के बाद के जीवन
के बारे म5 बता रहा था और उसने कहा था >क अगर हम इस िजंदगी म5 ना भी
]मल पाए तब भी म/ वह सब करना अवgय सीख जाउं गी िजससे हमार; मल
ु ाकात
आ•ख़रत के बाद ज?नत म5 अवgय हो।

तब म/ने !gन >कया वह ज?नत के बारे म5 इतना wनिgचत ˆयY है ˆयY>क •ह?द ू
धम' म5 तो पन
ु ज'?म म5 Gवgवास >कया जाता है । ऐसा सन
ु कर उसने मझ
ु े डांटते

120
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

हुए कहा >क अगर पन


ु ज'?म सच है तो >फर चलो कुछ अपराध करते ह/ >फर हम
अगला ज?म एक पsी के 8प म5 लेकर आराम से अपना जीवन –यतीत कर5 गे।

काश मझ
ु े तब •ह?द ू धम' का इतना iान होता। तब म/ उसे बता पाती >क •ह?द ू
धम' मानव और जानवर के जीवन के बारे म5 ˆया कहता है और मन`ु य जीवन
´वारा ह; कोई !ाणी मोs कo !ािŽत कर सकता है । दःु ख कo बात है >क तब मेरे
पास उसके !gनY का उÜर नह;ं था।

"मेरा धम2 सव2›ेœठ" कy Bवचारधारा:

म/ने अपने साथी के साथ कभी भी •ह?द ू धम' को लेकर कोई चचा' नह;ं कo, >क?तु
उसका Gवgवास था >क •ह?द ू Gवचारधारा और र;wतयां गलत ह/। उदाहरण के ]लए
य•द म/ मं•दर के सामने से गुजरते समय चलते चलते !भु को !णाम कर लेती
तब वह कहता >क ईgवर कo पज
ू ा चलते-चलते नह;ं कo जाती। Xप`ट था >क उसे
मwू त'-पज
ू ा म5 कोई Gवgवास नह;ं था (िजसे वो बत
ु परXती कहते ह/)।

अगर म/ मं•दर जाना चाहती तब वह कहता "तम


ु चल; जाओ म/ नह;ं जाऊंगा"
यहाँ तक >क वह मं•दर का !साद लेने से भी मना करता। कॉलेज के समय परू े
हॉXटल को मालम
ू था >क वह होल; और •दवाल; के काय'(मY म5 भाग नह;ं लेगा
और उसे अकेला ह; छोड़ दे ना चा•हए।

मझु े पालतू जानवरY से !ेम है और म/ एक शाकाहार; हूँ। उसे मेरे पसंद और


!ाथ]मकताओं के !wत कोई आदर नह;ं था और वह कहता था >क पेड़-पौधY को
भी क`ट होता है Gवiान भी यह ]स´ध कर चक
ु ा है तब मेरा मांस न खाना उसकo
समझ से परे है । उसके अनस
ु ार घर म5 पालतू जानवर नह;ं रखने चा•हए ˆयY>क
यह इXलाम म5 हराम है ।

xभfन xभfन अपे•ाएं:

मझ
ु े Gवgवास है वह मझ
ु े सच म5 पसंद करता था >क?तु मेरा उसकo पšनी बनना
इस बात पर wनभ'र था >क म/ इXलामी जीवन प´धwत को >कतने अFछे से अंगीकार
करती हूँ। वह मेरे साथ ऐसा पmरवार चाहता था जो बहुत इXला]मक और अÂलाह
के बताये राXते पर चलने वाला हो। उसने मझ ु े ऐसा बनाने का हर संभव !यास
भी >कया।

121
!ेમ का धम'

वह;ं दस
ू र; ओर मेरा !ेम हमार; आXथाओं पर wनभ'र नह;ं था, म/ उससे तब भी
Gववाह कर लेती जब वह मं•दर म5 एक पैर भी न रखता।

[•ह?दओ
ु ं को मस
ु लमानY से कम अपेsाएं ˆयY रहती ह/?]

मेर5 Gहfद ू धम2 कy žयाŸया करने कy असमथ2ता:

म/ इस सोच से सहमत नह;ं थी >क एक >कताब (क़ुरान) ह; सव'®े`ठ है और मेर;


(अ•दwत) समझ और आXथा का कोई महšव नह;ं है । म/ •ह?द ू होने के नाते यह
Gवgवास करती हूँ >क हम सभी पGवl आšमाएं ह/ जो अपने झूठ और माया का
चोला उतारकर मोs कo !ािŽत करना चाहते ह/।

यह सभी जीवन मÂ
ू य मेरे भीतर आšमसात थे >क?तु मझ
ु े उनकo –या‰या करना
नह;ं आता था। म/ उन •दनY बहुत असहज थी >क?तु उसका कारण मझ
ु े पता नह;ं
था।

मझ
ु े उसके तक' इस]लए अFछे लगते थे ˆयY>क उसे इXलाम के बारे म5 सब कुछ
Xप`ट था जैसे उसने अपने जीवन के १८ वष' इXलाम को पढ़ा, समझा और िजया
हो। उसकo इXलाम के !wत Xप`टता मेरे अपने धम' के iान के Ëबलकुल उलट
थी। म/ इतने वष° के वाद Gववाद म5 कभी उससे नह;ं जीत पाई। जब एक –यिˆत
को wनरं तर गलत ठहरा •दया जाता है तब यह सोचना XवाभाGवक है >क दस
ू रा
–यिˆत अथवा उसका धम' आपसे ®े`ठ है ।

य•द मेरा •दमाग उसके तक° को मान भी लेता तब भी मेरा मन इस सबसे सहमत
नह;ं था। मेरा •ह?द ू धम' का iान GववादY से भरा था और म/ Xवयं को wनःसहाय
महससू कर रह; थी। मझु े •ह?द ू धम' से बहुत लगाव था >क?तु कुछ चीज़5 मझु े
Xप`ट नह;ं थीं। और एक बड़ा !gन "म/ >कस पर Gवgवास क8ँ?" मझ ु े •दन रात
कचोटने लगा।

मेरे अपने मिु Xलम साथी के साथ हुए अनभ ु वY के बाद मझ


ु म5 •ह?द ू धम' को और
गहराई से जानने कo िजiासा जागत ृ हुई, िजतना वह इXलाम को जानता था
उससे अ9धक म/ •ह?द ू धम' को जानना चाहती थी।

मझ
ु े द बू जीवन जीने के xलए तैयार †कया जाने लगा:

मेरे पmर9चतY को मेरे ऊपर मेरे साथी का !भाव •दखाई दे ने लगा था। म/ने अपने
पस?द के Gवपर;त कपड़े पहनना श8
ु कर •दया था। म/ कम बोलने लगी और मेर;

122
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

आवाज़ •दन !wत•दन धीमी होने लगी। य´यGप मझ


ु े अपनी ]मlY के साथ गाना
बजाना पसंद था >क?तु उसके GवचारY ने जैसे मेरे मि`त`क को wनयंlण म5 कर
]लया था और म/ने लड़>कयY के साथ भी संगीत और नšृ य म5 ›9च लेना कम कर
•दया था।

म/ जीवन के हर sेl म5 दÊबू हो गई, भाIयवश म/ने अपनी ]शsा म5 उदासीनता


नह;ं बरती और म/ पर;sा म5 अFछे अंकY से पास हुई >क?तु म/ने कॉलेज म5 पढ़ने
के अwतmरˆत >कसी भी गwतGव9ध म5 •हXसा नह;ं ]लया।

मझ
ु े सभी से अलग कर Gदया गया:

म/ जो कुछ भी अपने जीवन म5 उस समय कर रह; थी उससे मेर; सभी साथी


सहे ]लयाँ wनराश थीं। ऐसा नह;ं था >क >कसी के !ेम सkब?ध नह;ं थे >क?तु जो
सव'नाश म/ अपने जीवन म5 कर रह; थी वैसा ओर कोई नह;ं कर रहा था। >कसी
को भी मेरा 8प और जीवन पसंद नह;ं था। वे जब भी मझ
ु े चेताने कo को]शश
करते म/ अपने साथी का ह; पs लेती और धीरे -धीरे सभी मेरे !wत उदासीन हो
गए।

हम सभी सामािजक !ाणी ह/ और यव


ु ावXथा के •दनY म5 हम5 अपने साथ के लोगY
से सकाराšमक ऊजा' और !ोšसाहन कo आवgयकता होती है । मेरे अ?य ]मlY और
सkबि?धयY कo अनप
ु िXथwत म5 म/ अपने साथी के ऊपर और अ9धक wनभ'र हो गई
और वह मेरे जीवन म5 और अ9धक महšवपण
ू ' होता चला गया।

भारत म_ बहुसंŸयक होने के बाद भी Gहfद ू का आZम-स}मान इतना कम ‡य^ है ?

भरपरू आšम-सkमान के ]लए यव


ु ा को >कन चीज़Y कo आवgयकता है ?

पहले पहल तो हम5 अपनी संXकृwत को जानना होगा और यह भी समझना होगा


>क यह ˆयY संकट म5 है । जब एक •ह?द ू wनकाह के ]लए झूठे धम'पmरवत'न करने
के ]लए तैयार होता है तब उ?ह5 इस बात का लेश माl भी iान नह;ं होता >क वे
>कसकo ब]ल दे रहे ह/ (धम' तथा संXकृwत)।

हमार; ]शsा प´धwत/मी•डया/बॉल;वड


ु , जो >क कkयwु नXट/इXलामी/ईसाई Gवचारधारा
के 9गरùत म5 है , ने बड़ी ह; चतरु ता से वह सभी बात5 हमसे wछपा कर रखी ह/
िजन पर हम5 गव' होना चा•हए और उस झठ
ू का !चार >कया गया है िजसे सन
ु कर
हम अपने धम' और संXकृwत के !wत असहज हो जाते ह/। उ?हYने हमारे गु›ओं

123
!ेમ का धम'

कo छGव को म]लन >कया है और हमारा सामािजक तानाबाना wछ?न-]भ?न कर


•दया है ।

हम सभी के भीतर एक जीवन मÂ


ू य तंl wन•हत है ले>कन Gवरले ह; लोग हYगे
जो इन मÂ
ू यY कo –या‰या कर सकते हY और उनकo दस
ू रे धम' अथवा संXकृwत
के मÂ
ू यY से तल
ु ना कर सक5। उदाहरण के ]लए, हमार; Gपछल; पी•ढ़यY म5 १९४७
के बंटवारे के वीभšस अनभ
ु वY के आधार पर •ह?द-ू मिु Xलम Gववाह •ह?द ू धम' म5
कतई Xवीकाय' नह;ं थे। इसी कारण अगल; पीढ़; को यह सहज iान होता था >क
एक मिु Xलम से !ेम करना मधम
ु ˆखी के छÜे म5 हाथ दे ने जैसा है , जब>क माता-
Gपता के पास अपने बFचY को चेताने के ]लए कोई ठोस कारण भी नह;ं थे।

>क?तु अब सच
ू ना का भंडार सोशल मी•डया पर उपलÊध ह/ अतः िXथwतयां धीरे -
धीरे बदल रह; ह/।

ऐसा मोहपाश िजसे म> तोड़ न सकy:

मेरे सभी ]मl मझ


ु े बताते रहे >क मेर; जीवन डगर गलत मोड़ पर है >क?तु म/ने
उनका तwनक Gवgवास न >कया। वह (मिु Xलम साथी) हद से •यादा 8मानी था
और •दन रात मेर; तार;फY के पल
ु बांधा करता था अतः मझ
ु े उसके !ेम के
अwतmरˆत कुछ भी सझ
ु ाई नह;ं दे ता था। म/ wनर; मख
ू ' थी और मेरा !ेम भी कोर;
मख
ू त
' ा था।

!ेम और सkब?ध म5 दो –यिˆत तभी सख


ु ी रह सकते ह/ जब एक दस
ू रे के !wत
परXपर आदर रखते हY अ?यथा दÊबू साथी को ऐसे सkब?ध म5 घट
ु न महसस

होगी और मेर; िXथwत भी कुछ ऐसी ह; थी।

जब हमार; कॉलेज कo ]शsा परू ; हुई और हम Xनातक हो गए तब उसने कहा


>क उसका पmरवार हमारे सkब?ध को Xवीकार नह;ं करे गा। म/ने भी उसकo मान
मनो–वल नह;ं कo। सच कहूं तो म/ भी खश
ु थी ˆयY>क पहले के दो-तीन वष° म5
ह; इस सkब?ध का भGव`य नज़र आने लगा था >क?तु मझ ु म5 इस सkब?ध को
तोड़ने का साहस नह;ं था। म/ तो बस आiाकार; थी और इस सkब?ध का बोझ
ढो रह; थी। म/ Xवयं को भाIयशाल; मान रह; थी >क हम अलग हो गए अ?यथा
म/ उसके पीछे चलने वाला एक बक
ु ½ वाला बत
ु बनकर रह जाती।

[अगर आपके कॉलेज म5 भी कोई ऐसा मिु Xलम यव


ु क है जो यव
ु wतयY पर डोरे डाल
रहा है , तब उसे समझाएं >क वह एक सFचा मिु Xलम नह;ं है । क़ुरान २४:३० के

124
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

अनस
ु ार एक मिु Xलम यव
ु क को हमेशा िXlयY के समs नज़र नीची करके और
उनसे बच कर चलना चा•हए।54 य•द वह कहता है >क वह एक सFचा मिु Xलम ह/
तब ˆया वह त>क़*या (धा]म'क आXथाओं का चालाकo भरा उÂलंघन) अथवा लव-
िजहाद के फेर म5 है ? उसे क़ुरान कo आयत २:२२१ भी याद •दलाएं, िजसके अनस
ु ार
"तम
ु एक बत
ु परXत औरत से wनकाह नह;ं करोगे जब तक >क वह इXलाम कबल

न करे । एक अÂलाह को मानने वाल; गुलाम म•हला एक मश
ु mरक Xlी से •यादा
बेहतर ह/ हालां>क वह बत
ु परXत औरत तk
ु हे •यादा मो•हत करे गी।"]

‡या वह लव-िजहाद था?

[>कसी भी आलोचना से पहले का अ•दwत का Gवचार] मझ


ु े नह;ं लगता >क वह
लव-िजहाद; था ˆयY>क उसके पास मझ
ु से Gववाह करने का अFछा मौका था और
म/ भी सkब?ध और वचन के ]लए Gववाह कर लेती। उसे यह भी पता था >क म/
Gववाह हे तु धम' पmरवत'न भी कर लेती, इस]लए नह;ं >क म/ उसकo बातY अथवा
धम' से सहमत थी अGपतु इस]लए >क मझ
ु े सkब?ध wनभाना था।

मझ ू ा था >क य•द म/ धम' पmरवत'न कर लँ ू तब वह ˆया


ु े याद है म/ने उससे पछ
मझ
ु से Gववाह करे गा? उसका उÜर था >क नह;ं वह नह;ं चाहता >क म/ >कसी और
के ]लए अपना धम' बदलँ ।ू अGपतु वह यह अवgय चाहे गा >क म/ एक •दन इXलाम
को गहराई से समझँू और तब धमा'?तरण क8ँ।

अतः मझ
ु े नह;ं लगता >क वह ऐसा –यिˆत है िजसके अंदर कुछ कु•टल मंशाएं
थीं। वह वाXतव म/ अपनी आXथा म5 Gवgवास रखता था और चाहता था >क म/
ू य को समझँ।ू [एड]मन के लव-िजहाद पर Gवचार
भी इXलाम के उस जीवन मÂ
जानने के ]लए यहाँ जाएं – https://youtu.be/-Y19i0dCeq4]

[कुछ और समय के एड]मन के साथ वाता'लाप के पgचात अ•दwत का Gवचार]


उसका –यवहार चतरु ाई और छलावे से भरा था, वह सोचता था >क वह मेर; आXथा
को Ëबना कुछ अपने मंह
ु से कहे बदल दे गा और सच कहूं तो उसने इस मंशा पर
भरपरू काम भी >कया। >क?तु उसकo योजनानस ु ार कुछ हो न सका, >फर तो सब
ख़šम ह; था और उसे अपनी असफलता का पछतावा भी न था ˆयY>क म/ का>फर
जो थी।

54
https://www.interfaithshaadi.org/true-muslim-fall-love-non-muslim/.

125
!ेમ का धम'

काफo समय बाद जब म/ य™


ू यब
ू पर ज़ा>कर नाइक को दे खा तब मझ
ु े पता लगा
>क उसका इXलाम के ]लए लोगY का Gवgवास जगाने का तर;का Ëबलकुल ज़ा>कर
नाइक के समान ह; था।

अगर अब म/ उस सबको याद क8ं तो म/ कहूँगी >क जो कुछ मेरे साथ घ•टत हुआ
वह बौ´9धक-िजहाद और लव-िजहाद का एक ]म9®त !यास था।

लव-िजहाद ‡या है ?

हर •ह?द-ू मिु Xलम सkब?ध म5 •ह?द ू साथी सkब?ध म5 समानता और Xवतंlता कo


अपेsा करता है >क?तु अ9धकतर मामलY म5 उसे ह; धम' पmरवत'न का दवाब सहना
पड़ता है । अब वह दवाब चाहे !šयs हो अथवा अ!šयs, साथी का हो अथवा
पmरवार का, Gववाह कo पहल; शत' हो अथवा संतान के धम' के ]लए हो, ऐसे >कसी
भी दवाब को म/ लव-िजहाद का नाम दं ग
ू ी। मेरे ]लए वह सभी पmरिXथwतयाँ लव-
िजहाद के फलXव8प ह/ जहाँ अपने साथी को !ारkभ म5 कुछ न बताया जाये
>क?तु सkब?ध के Gववाह कo दे हर; पर पहुँचने पर यह सब शतÔ रख द; जाएं।
ऐसा आपका (एड]मन) भी कहना है और मझ ु े भी यह; लगता है ।

55
"च$ ६: अFछे मस
ु लमान और लव-िजहाद; म5 फक'।

सFचे !ेम म5 आप एक ऐसे सkब?ध म5 होते ह/ जहाँ जीवन कo क•ठनाइयY म5


आपका साथी ह; आपके ]लए सवîपmर होता है तथा आप ऐसा ह; अपने साथी से
अपेsा करते ह/। >क?तु जब आपका साथी >कसी और को (जैसे इXलाम कo शतÔ,
आ•द) आपसे ऊपर मानने लगे तब यह Gवgवासघात व ग़´दार; है ।

55
•ववरण के zलए दे खe https://youtu.be/OowpHeHN7lc.

126
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

लव-िजहाद: xश¢•त मिु Mलम^ के बारे म_ ‡या कह_ ?

मेर; कहानी से Xप`ट हो जाता है >क ]श‘sत मिु Xलम िज?ह5 सभी अ9धक उदार,
wन`पs और धम'wनरपेs समझ5गे वह; सबसे अ9धक क™टर और िज़´द; हो सकते
ह/। अपने wनजी अनभ ु व के आधार पर म/ कह सकती हूँ >क असल; समXया यह
है >क अ9धकतर मिु Xलम यव ु क बहुGववाह, समाज म5 िXlयY के Xथान और अ9धक
बFचे पैदा करना जैसे GवषयY पर क़ुरानी आयतY को ह; मानते ह/ और उ?ह5 ह;
सह; ठहराते ह/। मेरे सkब?ध म5 भी आप दे ख सकते ह/ >क मेरे पव
ू ' !ेमी के Gवचार
भी क़ुरानी आयतY और कानन
ू Y से परू ; तरह !भाGवत थे।

हम यह भी दे ख सकते है >क >कस तरह भारत का मिु Xलम समाज मिु XलमY के
]लए शmरया कानन
ू Y के हटाने का परु जोर Gवरोध करता है । वे आज भी म•हलाओं
के साथ >कये जाने वाले भेदभाव का समथ'न करते ह/।

[मGहलाओं के बारे मे क़ुरान कo wनkन]ल•खत आयतY म5 ]लखा हुआ है :

क़ुरान २:२२३ तk
ु हार; Xlी तk
ु हार; जमीन के समान है , उसे जैसे चाहो जोत सकते
हो।

क़ुरान २:२२८ प›
ु ष का Xथान म•हला से ऊँचा है ।

क़ुरान २:२८२ एक प›
ु ष कo गवाह; दो म•हलाओं कo गवाह; के बराबर है ।

क़ुरान ४:३ अपनी पसंद कo एक, दो, तीन, अथवा चार िXlयY से Gववाह करो।

क़ुरान ४:११ पैतक


ृ सkपGÜ म5 प›
ु षY का म•हलाओं से दो गुना हक़ है ।

क़ुरान ४:१५ बलाšकार को ]स´ध करने के ]लए चार गवाह पेश करो।

क़ुरान ४:२४ तम
ु शाद;शद
ु ा म•हला से Gववाह नह;ं कर सकते, >क?तु अपनी दासी
के साथ अलग बात है ।

क़ुरान ४:३४ उ?ह5 (Xlी को) पीटो।

क़ुरान ४:३५ अÂलाह ने उ?ह5 (प›


ु षY को िXlयY कo तल
ु ना म5 ) बेहतर बनाया है ।

क़ुरान २४:४ अगर वे अपने समथ'न म5 चार गवाह पेश नह;ं कर सकतीं तब उ?ह5
कोड़े मारे जाने चा•हए।]

127
!ेમ का धम'

उनके wनजी जीवन म5 भी, कोई –यिˆत अथवा उसका सkब?धी (माँ-बाप) क़ुरान
म5 जस का तस Gवgवास रखता है । वे !ारkभ म5 तो बड़े आकष'क लग सकते ह/
>क?तु आने वाले समय म5 वे आपका धम' पmरवत'न करने के ]लए कोई भी तर;का
अपना सकते ह/ और कुछ भी कर सकते ह/।

उससे भी बड़ी बात यह है >क •ह?द ू Gवचारधारा को आपके संबंधY म5 कतई भी


बदा'gत नह;ं >कया जायेगा और उसका समय-समय पर अपमान >कया जायेगा।

इसके अwतmरˆत सबसे अ9धक ]श‘sत मिु Xलम पmरवार म5 आपके ऊपर अनेक
बं•दश5 लगाई जाएँगी जैसे >क •हजाब, खान-पान, पहनावा, पmरवार के प›
ु षY से भी
बात करने पर !wतब?ध।

इससे अFछा यह है >क आप ऐसी संXकृwत म5 Gववाह कर5 जहाँ आप अपनी मज़þ
और सkमान से कुछ भी कर सक5।

लव-िजहाद का ‡या औ"चZय है यGद कोई Gहfद ू नािMतक है ?

कुछ –यिˆत कह सकते ह/ >क य•द एक •ह?द ू नािXतक है तब एक मिु Xलम साथी
´वारा Gववाह करने के ]लए धमाÏतरण करना धमाÏतरण नह;ं है । अगर एक •ह?द ू
–यिˆत नािXतक (not same as atheist) है तब भी वह •ह?द ू तो है ह;: एक
नािXतक •ह?द ू –यिˆत तब भी अपने संXकारY तथा जड़Y से जड़
ु ा होता है ।

उसके पास तब भी आने वाले समय म5 अपने अन8


ु प आ¸यािšमक पथ चन
ु ने कo
Xवतंlता होती है । ऐसे –यिˆत को अपने जड़Y से दरू करना, उसके पन
ु ः आ¸यािšमक
बनने का राXता बंद करना और उसे एक >कताब कo कठपत
ु ल; बनाना एक अपराध
ह; कहलाएगा।

मझ
ु े †कसने बचाया?

मझ
ु े मेर; ]शsा-द;sा और लालन-पालन ने बचाया। मझ
ु े कॉलेज के स‰त wनयम
वाले वातावरण ने भी बचाया जहाँ बाहर जाने और वापस लौटने के कड़े wनयम
थे, वो wनयम आजकल के छाlावासY म5 नदारद ह/।

मेरे जीवन पर पड़े बदनम


ु ा दाग:

इस सkब?ध ने मेरे जीवन पर बदनम


ु ा दाग तो डाले ह; ह/ और मेरे आšमसkमान
को भी ठे स पहुंचाई है ।

128
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

उस घटना के वष° बाद तक भी म/ आšमGवgवास कo कमी से जझ


ू ती रह;। मझ
ु े
हमेशा लगता था >क मेरे वातावरण म5 और मेरे घwन`ठY म5 पmरवत'न के बाद भी
अ?य लोग मझ
ु े नह;ं Xवीकार5 गे। मझ
ु े अपने आप से घण
ृ ा होती है >क म/ने जीवन
म5 गलत फैसले ]लए और म/ दस
ू रY कo सलाह के !wत उदासीन बनी रह;।

हाँ, यह सह; है >क मेरे यादY के इस झरोखे म5 केवल कड़वी याद5 और अनभ
ु व ह/
>क?तु म/ जब भी इस झरोखे म5 झाँकने का !यास करती हूँ म/ Xवयं को दwु नया
का सबसे मखू ' !ाणी पाती हूँ। म/ जब अपने आप इस मिु gकल म5 पाती हूँ म/ Xवयं
को कृतiता के साथ >फर से खड़ा करती हूँ और उन सभी उपलिÊधयY के बारे म5
सोचती हूँ जो म/ने अपने जीवन म5 !ाŽत कo ह/।

Gहfद ू लालन-पालन और xश•ा म_ ‡या कमी है ?

अगर वह Gववाह करना चाहता तब मझ


ु े नह;ं पता >क म/ Gववाह के ]लए मना कर
पाती। ऐसा संभवतः मेरे अंदर रोGपत !wतब´धता के बीज के कारण था >क म/ ना
चाहते हुए भी उस सkब?ध को ढो रह; थी। मझ
ु े लगता है >क •ह?द ू पmरवारY म5
बFचY को असफल होने कo आज़ाद; नह;ं द; जाती यहाँ तक >क mरgतY म5 भी
नह;ं। माता-Gपता उ?ह5 यह नह;ं ]सखाते >क mरgतY म5 असफल होना इतनी बड़ी
बात नह;ं है और य•द >कसी को अपनी गलती का एहसास होता है तब वह उस
mरgते से wनकल सकता है । हम ऐसे –यवहार करते ह/ जैसे हमारे माता-Gपता
सव'गुण संप?न ह/ और हम5 भी उनके जैसा बनना चा•हए।

१६ वष' कo आयु म5 मेरा इXलाम और मस


ु लमानY के बारे म5 iान wनरा श?
ू य ह;
था। >क?तु मेरे माता-Gपता मझ
ु े बताते रहते थे >क सभी धम' समान ह/ और सभी
मन`ु य भी समान ह/। हमारे पmरवार से कई लोग दरगाह पर भी जाते थे और
हमारे पड़ोसी भी अजमेर शर;फ जाने कo बात5 >कया करते थे। इसी कारण मझ
ु े
कभी नह;ं लगा >क इXलाम •ह?द ू धम' से Ëबलकुल अलग धम' है ।

उसका –यवहार धोखे और चालाकo से भरा था। >क?त,ु •ह?दओ


ु ं कo मन िXथwत
का ह; दोष है >क ३० वष° बाद म/ आज भी सोचती हूँ >क उसका भी इतना दोष
नह;ं था!

[बFचY को ये पढ़ाना गलत है कo सभी धम' समान ह/, ˆयY>क यह सšय नह;ं है ।]

जीवन का महZवपण
ू 2 मोड़

129
!ेમ का धम'

मेरे !ेम सkब?ध ने मेरे भीतर यह कूट-कूट कर भर •दया था >क अगर म/ Gववाह
क8ंगी तो केवल पारkपmरक (arranged marriage) तर;के से।

इसी कारण जब मेरे माता-Gपता ने मेरे कॉलेज के बाद वर ढूंढना !ारkभ >कया
तब मझ
ु े पता था >क मझ
ु े अपने जीवनसाथी म5 ˆया चा•हए। म/ ऐसा साथी चाहती
थी जो मझ
ु े जस का तस Xवीकार करे और मझ
ु े पmरवwत'त करने का !यास न
करे । मझ
ु े ख़श
ु ी है >क म/ ऐसा साथी दे ख रह; थी जो मझ
ु े wनयि?lत न करे अGपतु
मेरा सहयोग करे ।

मेरे •ह?द ू पwत म5 वह सभी गुण ह/ जो म/ अपने साथी म5 ढूंढ रह; थी। अब ३०
वष° बाद भी वे वह; ह/ जैसा म/ने उ?ह5 तब सोचा था।

म/ने अपने पwत को Gववाह-पव


ू ' वह सब बता •दया था। कुछ •दन तक वह परे शान
रहे >क?तु >फर उ?हYने कहा >क उ?ह5 उस घटना के बारे म5 कोई आपGÜ नह;ं य•द
वह हमारे भGव`य को !भाGवत नह;ं करती। म/ने भी उ?ह5 Xप`ट >कया >क अब
मेरा अब मेरे अतीत से कोई लेना दे ना नह;ं है और वह सब इwतहास के प?नY म5
बंद हो गया। मेरा वैवा•हक जीवन बहुत सखु ी है और मेरे पwत ने दोबारा उस
घटना के बारे म5 >फर कभी कोई बात नह;ं कo। मेरा Gववाह मेरे जीवन कo सख
ु द
घटनाओं म5 से एक है और मेरे पwत को भी ऐसा ह; लगता है ।

मझ
ु े Mवतं$ता, स}मान सब कुछ *ा¤त हुआ:

मेरे पwत ने मेरे जीवन कo •दशा ह; बदल द;। उ?हYने मझ


ु े मेरा जीवन मेरे अनस
ु ार
जीने कo Xवतंlता द;। जीवन के हर मोड़ पर मेरे पwत ने मेरा साथ •दया है । मेरे
पwत समझदार, योIय, िजkमेदार और संवेदनशील ह/। वे मेरे मिु Xलम !ेमी से
Ëबलकुल Gवपर;त ह/ जो मझ
ु े wनयंËlत करना चाहता था। मेरे पwत उसकo तरह
मेर; तार;फ़Y के पल
ु तो नह;ं बांधते >क?तु वे वह सब करते ह/ जो मझ
ु े अFछा
लगता है ।

Gहfद ू धम2 म_ वापसी:

म/ एक झठ
ू Í नामकo •ह?द ू यव
ु ती जो एक समय एक मिु Xलम से Gववाह करने के
चरम पर थी से १०० !wतशत •ह?द ू बन चक ु o हूँ। म/ आज भी बहुत पज
ू ा पाठ
नह;ं करती, जो मेरे सास-ससरु को अFछा भी नह;ं लगता। >क?तु मझ
ु े अपने पwत

130
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

को पज
ू ा पाठ करते दे खना अFछा लगता है । म/ने भी अपने मन कo शांwत के ]लए
योग और ¸यान कo शरण ले ल; है ।

मझ
ु े पता है >क •ह?द ू धम' माl कम'कांड नह;ं ह/ अGपतु वे तो इसका एक •हXसा
भर ह/। इसके बहुत से माग' ह/ >क?तु अन`ु ठान अलग-अलग ह/। •ह?द ू धम' कo
संद
ु रता यह है >क !šयेक –यिˆत अपने ]लए अलग माग' चन ु सकता है और
हमारे अनेकY गु› हम5 उस माग' पर ले जा सकते ह/। यह एक ऐसा आनंद है िजसे
एक •ह?द ू ह; भोग सकता है ।

इस iान ने मझ
ु े जीवन म5 अनेक माग° पर जाने के ]लए !ेmरत >कया। म/ ऐसे
महानभ
ु ावY से भी ]मल; जो •ह?द ू धम' का गहराई से अ¸ययन कर रहे थे और
इसके समs आने वाल; चन
ु ौwतयY को पहचानने म5 जट
ु े थे। मझ
ु े अनेक धा]म'क
गु›ओं का सšकार करने का भी अवसर ]मला िजनसे म/ने धम'žंथY के अ´भत

iान के बारे म5 जाना।
56
>क?तु वष° पव
ू ' मेरे जीवन म5 एक और मोड़ आया जब म/ने स´गु› के बारे म5
जाना और उनके वी•डयो दे खे। मझु े iात हुआ >क एक Xवयं कo खोज का माग'
भी है जहाँ कोई आXथा नह;ं होती, मेरा जीवन बदल गया। म/ने जाना >क हम तो
केवल साधक ह/ और तब मझ
ु े पता लगा मझ
ु े >कस माग' का अनस
ु रण करना है ।

अब मेरे बFचे पज
ू ा करते ह/, म?lY का उFचारण करते ह/ और उनका अथ' भी
समझते ह/। माता-Gपता को भी चा•हए >क वे बFचY को समझ5, सkमान और Žयार
द5 , सकाराšमक अनश
ु ासन अFछा है >क?तु अšय9धक wनयंlण उÂटा पड़ सकता
है । हम5 अपने बFचY को कुछ करने से पहले Gवचार Gवमश' कo ]शsा दे नी चा•हए।
यह मेरे बचपन और त›णाई के समय से ]भ?न है जहाँ माता-Gपता का wनण'य
अंwतम होता था एवं यह मेरे पव
ू ' !ेमी के वीचार कo इXलाम वैiाwनक है , से भी
अलग है ।

आज म/ अपना जीवन अपने अनस ु ार जीने के ]लए Xवतंl हूँ िजसम5 मेरे पwत मेरे
समान भागीदार ह/। मझ
ु े ख़श
ु ी है >क अब मेर; डोर मेरे माता-Gपता अथवा मेरे
मिु Xलम पव
ू ' !ेमी के हाथY म5 नह;ं है । मेरे अपने माता-Gपता से सkब?ध भी बेहतर

56
Sadhguru (https://isha.sadhguru.org/us/en)

131
!ेમ का धम'

हो चले ह/ ˆयY>क अब मझ
ु े सीमाओं का iान है और मझ
ु े Gवचार Gवमश' कo महÜा
का भी iान है ।

मेरे माता-Bपता को मेरे *ेम पव


ू 2 के स}बfध का †कतना mान है ?

मेरे माता-Gपता को संभवतः इसका कोई iान नह;ं है । उ?ह5 पता है >क वह मेर;
]मl मंडल; म5 से एक था >क?तु उससे अ9धक कुछ नह;ं। उस समय मेरा अपने
माता-Gपता से वाता'लाप केवल पढाई और आने वाल; पर;sाओं और छु™•टयY को
लेकर ह; होता था। उनके साथ अपने !ेम सkब?ध के बारे म5 बात करने का कोई
औ9चšय नह;ं था।

१७ वष2 कy आयु पर मेरे आज ‡या Bवचार ह>?

म/ भाIयशाल; हूँ >क म/ने उस मस


ु लमान से Gववाह नह;ं >कया जो सोचता था >क
म•हलाओं को गाना नह;ं गाना चा•हए, वे प›
ु षY से कमतर ह/ और उ?ह5 बक
ु ½ म5
रखा जाना चा•हए।

मझ
ु े अब पता लगा है >क मेरा पव
ू ' !ेमी अब एक अFछÍ नौकर; करता है और
उसकo पšनी के पास सभी सGु वधाएं ह/ >क?तु वह बक
ु ½ म5 बंद रहती है ।

श(
ु है >क म/ बच गई और अब मेरे पास अपना जीवन है जो आदर और समानता
पर आधाmरत है । म/ सोचती हूँ >क अगर मझ
ु े तब अंतर-धा]म'क Gववाह से सkबं9धत
समXयाओं के बारे म5 पता होता तब वे ४ वष' बबा'द न हुए होते और मेरा •दल
भी ना टूटा होता।

म/ interfaithshaadi.org को ऐसा मंच दे ने >क ]लए ध?यवाद करती हूँ। मझ


ु े
आशा है >क मेरे अनभ ु वY से अ?य अंतर-धा]म'क यग
ु ल भी सबक ल5गे।

अGद:त का :नजी सझ
ु ाव:

ऐसा नह;ं है >क सभी •ह?द ू प›


ु ष मेरे पwत कo तरह उदार और खल
ु े GवचारY के
होते ह/। >क?तु •ह?द ू यव
ु क य•द आपको wनयंËlत करने का !यास करते ह/ तो
तब वह उनके पmरवार और सामािजक वातावरण के कारण होता है , •ह?द ू धम' के
कारण नह;ं। >क?तु एक मिु Xलम प›
ु ष का wनयंlण करना क़ुरान म5 जायज़ ठहराया
गया है और िजसमे कोई •ढलाई नह;ं द; गई है । एक मिु Xलम म•हला का दास
पण
ू ' –यवहार क़ुरान म5 एक अFछÍ म•हला होने कo योIयता है ।

132
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

डॉ Gदल5प अमीन कy Gट¤पणी:

अभी तक लोगY को ऐसे लव-िजहाद के बारे म5 ह; पता था िजसम5 एक मिु Xलम


यव
ु क एक •ह?द ू यव
ु ती से !ेम का नाटक करता है और अंततः उससे Gववाह कर
उसे अपनी वासना हे तु दासी बना लेता है । >क?तु अब ऐसे भी मामले सामने आए
ह/ िजसम5 एक मिु Xलम यव
ु क को एक •ह?द ू यव
ु ती से !ेम हो जाता है , वह परू ा
!यास करता है कo वह यव
ु ती !ेम के ]लए धम' पmरवत'न कर ले, >क?तु य•द
•ह?द ू साथी इस सब के ]लए तैयार नह;ं होती तब वह चप
ु चाप भीड़ म5 खो जाता
है । कुछ ऐसा ह; अ•दwत के साथ भी हुआ। अंत म5 •ह?द ू यव
ु ती के जीवन म5 उथल
पथ ु ल मच जाती है और जीवन पय'?त इन बदनम ु ा यादY के साथ जीती है । ˆया
हम ऐसे मामलY को सफेद-कॉलर लव-िजहाद कह सकते ह/?

133
!ेમ का धम'

खंड ३.३३: सैफ और करीना का अंतर-धािमर्क िववाह

अ9धकतर ]सतारY का wनजी जीवन साव'जwनक 8प से सबको पता है । इस लेख


म5 लेखक ने बॉल;वुड ]सतारे सैफ और कर;ना के जीवन से संबं9धत !का]शत
सूचनाओं का !योग करते हुए •दखाया है >क दोनY ह; ]सतारY कo अलग-अलग
धा]म'क प`ृ ठभू]म होने के बाद भी एक अंतर-धा]म'क Gववाह म5 समान अ9धकार
संभव है ।

कर;ना कपरू और सैफ अल; खान के रोमांस के चच½ बॉल;वड


ु (मंब
ु ई >फ़Âम उ´योग)
म5 आम थे। सैफ अल; खान कo माता श]म'ला टै गोर, एक !]स´ध अ]भनेlी, ने
>(केटर मंसरू अल; खान पटौद; से १९६९ म5 Gववाह >कया था। उस अंतर-धा]म'क
Gववाह के ]लए उ?हYने धम'-पmरवत'न >कया था और अपना नाम बेगम आयेशा
सÂ
ु ताना रखा। यहाँ तक >क उ?हYने अपने तीनY संतानY को भी मिु Xलम र;wत-
mरवाज़ से पाला और उ?ह5 मिु Xलम नाम ह; •दए। सैफ अल; खान कo पहल; पšनी
ृ ा ]संह, एक ]सख, ने १९९१ म5 सैफ से wनकाह के ]लए अपना धम'-पmरवत'न
अमत
>कया और अपने बFचY को भी मिु Xलम नाम •दये। सन २००४ म5 अमत
ृ ा ]संह
और सैफ अल; खान का तलाक़ हुआ िजसके बाद सैफ ने कर;ना, एक •ह?द,ू से
२०१२ म5 Ëबना उसका धम'-पmरवत'न >कये Gववाह >कया।

श]म'ला टै गोर ने अपना >फ़Âमी जीवन एक बंगाल; भारतीय अ]भनेlी के तौर पर


श8
ु >कया। वह क5ú;य >फÂम !माणन बोड' (स5सर बोड') कo अ¸यs भी रह;ं।
श]म'ला का ज?म एक बंगाल; पmरवार म5 है दराबाद म5 हुआ था। उनके Gपता
गीwतंúनाथ टै गोर, ˹•टश इं•डया कंपनी कo एिÂगन ]मÂस म5 उस समय सहायक
महा !बंधक थे। श]म'ला नोबेल परु Xकार Gवजेता एवं महान भारतीय लेखक और
कGव रबी?úनाथ टै गोर कo !पौlी ह/। श]म'ला ने २७ •दसंबर, १९६९ म5 मंसरू अल;
खान पटौद;, जो >क पटौद; के नवाब भी थे, से wनकाह >कया और मिु Xलम बन
ग#।

मंसरू अल; ख़ान पटौद; िज?हे 'टाइगर' भी कहा जाता है , भारतीय >(केट ट;म के
कŽतान भी रह चक
ु े थे। वह पटौद; mरयासत के नव5 और आ•खर; नवाब थे। वह
१९७१ तक पटौद; के नवाब रहे िजसे बाद म5 भारतीय सरकार ने भारतीय संGवधान
के २६व5 संशोधन के आधार पर सभी राजसी और शाह; पदGवयY को समाŽत कर
•दया। श]म'ला और मंसरू कo तीन संतान5 हु#: सैफ अल; खान, जो एक >फ़Âमी

134
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

अ]भनेता ह/, सोहा अल; खान, जो एक >फ़Âमी अ]भनेlी ह/ एवं सबा अल; खान
जो एक आभष
ू ण •डज़ाइनर ह/।

सैफ अपनी पटौद; mरयासत, भोपाल म5 पले बढे । चँ >ू क उनकo माता भी मिु Xलम
हो चक
ु o थीं अतः उनका लालन पालन भी मिु Xलम र;wत mरवाज़ से हुआ। यहां
तक >क उ?हYने अपने नाना-नानी, जो एक •ह?द ू थे, से भी धम'-सkबं9धत कोई
चचा' नह;ं कo। उनके दाद; कo दे ख-रे ख म5 मिु Xलम वातावरण म5 उनका पालन
हुआ। उनकo दाद; ह; उ?ह5 बचपन म5 क़ुरान पढ़ाया करती थीं। उनके घर म5 सभी
सेवक भी मिु Xलम ह; थे। जब सैफ को पढ़ने के ]लए इंIल/ड के GवंचेXटर कॉलेज
भेजा गया तब उनकo दाद; को यह; डर था कo सैफ कह;ं ईसाई न बन जाएं।
इंIल/ड म5 Xकूल जाने से पहले सभी Gव´या9थ'यY को आधे घंटे के ]लए 9गरजाघर
जाना पड़ता था। सैफ !धाना¸यापक के पास गए और कहा >क वे एक मिु Xलम
ह/ अतः 9गरजाघर नह;ं जा सकते। अ?ततः !धाना¸यापक ने Xकूल के दो मिु Xलम
Gव´या9थ'यY के ]लए एक मौलवी का !बंध >कया। अतः Xप`ट है >क सैफ अल;
खान एक सFचे मस
ु लमान ह/।

सन १९९१ म5 सैफ अल; खान ने अपने से १२-साल बड़ी >फ़Âम अ]भनेlी अमत
ृ ा
]संह से परू े मिु Xलम र;wत mरवाज़ के साथ wनकाह >कया। Gववाह के सkब?ध म5
कहा जाता है >क "सैफ ने Ëबलकुल Xप`ट >कया था >क अमत
ृ ा को wनकाह ह;
करना होगा।" एक महšवपण
ू ' wनणा'यक Ëबंद ु म5 उसने एक !कार से यह नवाबी
शान •दखाई।57 अब एक •ह?द ू अथवा ]सख –यिˆत के ]लए wनकाह कo पहल;
शत' है धम'-पmरवत'न, िजसम5 आपको शहादा कo क़सम उठानी होगी एवं एक
मिु Xलम नाम रखना होगा। सन २००४ म5 अमत
ृ ा और सैफ अलग हो गए और
अंततः उनका तलाक़ हो गया। अभी यह Xप`ट नह;ं है >क उनके तलाक़ का कारण
धम' था या नह;ं। उनकo संतानY के मिु Xलम नाम रखे गए जो (मशः सारा और
इ¹ा•हम ह/ और दोनY बFचे अपनी मां के साथ रहते थे जब>क सैफ का एक
इतालवी संद
ु र; रोसा केटलनो से !ेम सkब?ध हो गया।

कर;ना कपरू का ज?म ]संधी-भाषी माँ, बËबता ]शवदासानी और पंजाबी-भाषी Gपता,


रणधीर कपरू के घर म5 २१ ]सतkबर, १९७७ म5 मंब ु ई म5 हुआ। कर;ना कo बड़ी
बहन का नाम कmरgमा है । कपरू पmरवार दशकY से >फÂम उ´योग म5 ह/ और सभी
ृ वी राज कपरू , उनके दादा राज कपरू ,
महान अ]भनेता रहे ह/। कर;ना के परदादा पÝ

57
http://www.telegraphindia.com/1090705/jsp/7days/story_11198177.jsp.

135
!ेમ का धम'

शkमी कपरू , श]श (जेनेफेर के साथ) कपरू , चाचा ऋGष (नीतू ]संहके साथ) कपरू
ृ वीराज कपरू , और बËबता का
और राजीव कपरू सभी सफल अ]भनेता रहे ह/। पÝ
पmरवार बंटवारे के समय पा>कXतान से भागकर भारत आये थे, ˆयY>क वे •ह?द ू
थे।58

कर;ना के Gपता रणधीर कपरू अपनी बे•टयY को लेकर बड़े संवेदनशील थे तथा वह
Ëबलकुल नह;ं चाहते थे >क उनकo बे•टयां अ]भनय कर5 । उनका मत था उनकo
बे•टयां कपरू पmरवार कo अ?य लड़>कयY कo तरह Gववाह कर5 और घर संभाल5।
रणधीर कपरू कo इस सोच का पmरवार म5 नकाराšमक !भाव पड़ा और उनके
अपनी पšनी से सkब?ध खराब होते गए और उनका तलाक़ हो गया। दोनY बहन5
रणधीर कपरू को छोड़कर अपनी माँ के साथ रहने चल; ग#।

अपने भावी पwत के बारे म5 कर;ना का Gवचार था, "म/ एक ऐसा पwत चाहती हूँ
िजसे म/ ]सफ' अपना कह सकँू । म/ उस –यिˆत को >कसी के साथ बांटना नह;ं
चाहूंगी। अगर मझु े पता लगा >क वो मझ
ु े धोखा दे रहा है तो Ëबना >कसी शोर-
शराबे या रोने-धोने के म/ उसकo जान ले लंग ू ी।" !šयs 8प से कर;ना एक
Xवा]भमानी लड़कo ह/। वह गुŽत 8प से सैफ के साथ काफo •दन रह;ं >फर २००७
अˆटूबर म5 लॅ ˆमे फैशन अवा.'स म5 उ?हYने अपना सkब?ध साव'जwनक कर •दया।

कर;ना एक •ह?द ू पmरवार म5 पल; बढ़;ं ह/ तथा बहुधा वह शाकाहार; भी ह/। उ?ह5
ू र; ओर, सैफ एक मिु Xलम ह/। साधारणतया एक
योग करना भी पसंद है । वह;ं दस
मिु Xलम से wनकाह करने के ]लए एक गैर मिु Xलम को मिु Xलम बनना पड़ता है ।
>क?तु सैफ के इस समय Gवचार अलग थे और वे अपने धा]म'क र;wत-mरवाज़ अपने
साथी पर थोपने म5 Gवgवास šयाग चक
ु े थे। ऐसा ह; कुछ स?दे श अनेक >फÂमY
के मा¸यम से भी •दया गया जैसे >क जोधा-अकबर, ग़दर और नमXते लंदन।
>फ़Âमी ]सतारे जैसे >क ऋwतक रोशन, फरद;न खान और आ]मर खान ने भी
अपनी पिšनयY पर धम'-पmरवत'न का दवाब नह;ं डाला। सभी ने धा]म'क अन`ु ठानY
के Xथान पर कानन
ू न शाद; कo। यहाँ तक >क सैफ कo ब•हन सोहा अल; खान ने
भी कुणाल खेमू जो एक •ह?द ू ह/ से शाद; कo है । ये सभी धम'-पmरवत'न Ëबना
Gववाह एक !शंसनीय कृšय ह/।

58
http://narainkataria.blogspot.com/2008/03/indian-american-intellectualsforum-41.html.

136
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

य´यGप सैफ एक मिु Xलम ह/ >क?तु वह धा]म'क GवषयY म5 इस समय उदार9चÜ


–यिˆतšव के Xवामी ह/।59 उ?हYने कहा भी है , "मझ
ु े उस एक सव'शिˆतमान ईgवर
कo ]शsा के साथ बड़ा >कया गया। कोई उसे यीशु कहता है , कोई भगवान और
कोई अÂलाह।"60 सैफ ने यह भी कहा, "म/ नह;ं चाहूंगा >क कर;ना कभी अपना
धम' पmरवत'न कर5 । धम' के साथ यह; समXया है । यह (इXलाम) पmरवत'न चाहता
है और मझ
ु े इसम5 अब कोई ऐसी मा?यता नह;ं है । हमने य•द Gववाह >कया तो
>कसी को भी धम' नह;ं बदलना होगा।"61 सैफ और कर;ना ने २०१२ म5 क़ानन
ू ी
Gववाह >कया।

सैफ और कर;ना ने अंतर-धा]म'क Gववाह म5 समानता को अžणी रखकर और एक


दस
ू रे के धम° को परXपर सkमान दे कर अगल; पीढ़; के यव
ु ाओं के ]लए एक
62
उदाहरण !Xतत
ु >कया है । यह बात !शंसा योIय है >क सैफ को एक लोकG!य
अ]भनेता के तौर पर अपनी िजkमेदाmरयY का अहसास है । उ?ह5 लगता है >क “हम
ह; इस दे श के wनमा'ता ह/।” उनके अनस
ु ार वह धा]म'क नह;ं ह/ और मानते ह/ >क
इXलाम को आधwु नक होना चा•हए एंड मस
ु लमानY को अपने म¸ययग
ु ीन GवचारY
को šयाग दे ना चा•हए।63 हम5 भी इस बात कo आशा है >क सैफ के इन GवचारY
म5 Gववाह के ]लए धमा'?तरण जैसा म¸ययग
ु ीन Gवचार को šयाग दे ना भी सिkम]लत
होगा।

ू ी Gववाह म5 समान अ9धकार दे खे जा सकते ह/, >क?तु !gन


सैफ-कर;ना के कानन
यह भी है >क आगामी पीढ़; >कस धम' कo अनय
ु ायी होगी? सामा?यतः मस
ु लमान
ु रण करते दे खना चाहते ह/, >फर चाहे उनका
अपने बFचY को इXलाम का अनस
साथी अ¹ाह]मक (ईसाई अथवा यहूद;) ह; ˆयY न हो। अब पन ु ः यह !gन खड़ा
होता है >क ˆया सैफ भी अपने अंतर-धा]म'क बFचY के लालन पालन के Gवषय म5
वह; म¸ययग
ु ीन मान]सकता का पmरचय द5 गे?

खैर, नाम से सब कुछ Xप`ट हो जाता है । सैफ और कर;ना ने अपने बFचे को


मिु Xलम नाम, तैमरू , ˆयY •दया? सैफ ने यह भी कहा >क "म/ अपने बFचे का

59
http://www.sabrang.com/cc/comold/august98/saif.htm.
60
http://saifamrita.blogspot.com/.
61
http://zeenews.india.com/exclusive/what-sharmila-couldnt-do-in-her-timekareena-
manages-easily_5725.html; https://www.youtube.com/watch?v=gvZSqdmnxKM.
62
http://indianexpress.com/article/opinion/columns/intermarriage-is-not-jihad-itis-india/.
63
https://www.cnn.com/videos/tv/2018/10/11/talk-asia-saif-ali-khan-c-block.cnn.

137
!ेમ का धम'

नाम एलेIज5डर तो नह;ं रख सकता हूँ पर?तु सच कहूं तो राम भी नह;ं रख


सकता।" 64 ऐसा ˆयY? तब उ?हYने कहा "म/ अपने बेटे का मिु Xलम नाम चाहता
था िजससे मेर; संXकृwत पmरल‘sत हो।"65 तब सैफ ने कर;ना के धम' और संXकृwत
के बारे म5 ˆयY नह;ं सोचा?

यह मानते हुए >क हमारा समाज Gपत-ृ !धान है , सैफ के धम' कo कर;ना के धम'
पर !धानता समझ म5 आती है , >क?तु ऐसी समXया सैफ कo ब•हन सोहा के
पmरवार म5 नह;ं है । सोहा ने एक •ह?द ू पmरवार म5 Gववाह >कया और अपनी पl
ु ी
का नाम रखा इनाया, जो >क क़ुरान से !ेmरत है [इनाया का नौमी उपनाम रखा
गया ˆयY>क वह महानवमी के •दन पैदा हुई थी (]सतkबर २९, २०१७)]।

यह बात ¸यान म5 रखते हुए >क तैमरू को हम गणेश पज ू ा और होल; म5 भाग लेते
हुए दे खते ह/ और सैफ ने कहा भी है >क "तैमरू को लगता है >क वह ®ी राम है ,
रामायण कुछ उसकo ह; कहानी जैसी है ," इन सब बातY से लगता है >क सैफ-
कर;ना तैमरू को दोनY ह; धम° के साथ पाल रहे ह/। वह;Û सोहा-कुणाल कo पl
ु ी
इनाया भी गायlी मंl का उFचारण कर सकती है , वह तैमरू को राखी भी बांधती
है तथा उसकo आया भी •ह?द ू है । यह कहा जा सकता है >क सैफ के बचपन के
Gवपर;त, सैफ और सोहा अपने बFचY को दोनY धम° कo ]शsा दे रहे ह/, जो >क
Xवागत योIय कदम है ।

ˆया सैफ और कर;ना ]सनेमा के परदे पर धा]म'क अस•ह`णत


ु ा का उपदे श माl
ह; द5 गे अथवा उसका अपने –यावहाmरक जीवन म5 भी अनस
ु रण कर5 गे? कर;ना-
सैफ के दस
ू रे बेटे का नाम जेह या जहांगीर होने से अwतmरˆत सवाल उठते ह/।
मस
ु लमान (प›
ु ष या म•हला) अपने बFचY के ]लए केवल अरबी नाम ह; ˆयY
चाहते ह/? ˆया यह इXलामी ®े`ठता •दखाने के ]लए है या •हंद ू पwत या पšनी म5
ह;न भावना है ?

64
(https://www.ndtv.com/entertainment/taimur-ali-khan-saif-revisits-controversy-over-
name-meanwhile-a-pic-is-viral-1658921)
65
(https://tribune.com.pk/story/1388994/wanted-muslim-name-son-reflect-culture-saif-
ali-khan)

138
•ह?द-ू मिु Xलम Gववाह

"च$ ७: खान पmरवार म5 पहला नाम

दोनY ह; खान भाई बहनY ने एक •ह?द ू से Gववाह Ëबना >कसी का धम'-पmरवत'न


से >कया और वे भारत ह; नह;ं अGपतु परु े Gवgव म5 आगामी पीढ़; के ]लए उदहारण
!Xतत
ु कर रहे ह/। आइए आशा करते ह/ >क •ह?द-ू मिु Xलम शा•दयY म5 एक धा]म'क
!थम नाम को सहन करने के ]लए सध
ु ार आएगा।

धमर् के मूल में आस्था है, और आस्था में कोई तकर् नहीं होता।

139
अध्याय ४: िसख मुिस्लम की प्रेम कहािनयां
]सख मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

141
!ेમ का धम'

खण्ड ४.१: समानता पर आधािरत िसख-मुिस्लम िववाह

लेखक के अनुसार यह एक सFचा समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह


है ।

आजाद कहते ह>:

मेर; पšनी (तेज!ीत) एक ]सख है और म/ एक मिु Xलम हूँ। जब हमारा Gववाह


हुआ तब उसने कोई शहादा कo कसम नह;ं ल;, ˆयY>क इXलाम म5 इसका अथ'
होता है इXलाम कबल
ू कर लेना। अतः मेर; पšनी ने कसम नह;ं ल; और हमने
अदालत म5 साधारण समारोह म5 शाद; कo। हालां>क Gववाह के बाद हमने सभी को
दावत द; और सब कुछ अFछा रहा। हम दोनY के पmरवारY म5 >कसी को भी Gववाह
से समXया नह;ं थी और अब हम खश
ु ह/। मेरा मानना है >क यह सब आपके
साथी पर wनभ'र करता है । धम' से संबं9धत सभी बात5 Gववाह से पहले हो जानी
चा•हए िजससे >क दोनY ह; तरफ के पmरवार अपनी िXथwत बेहतर तर;के से समझ
पाएँ।

मेर; सोच कुछ उदारवाद; और Xवतंl !कृwत कo है अतः म/ अपनी पšनी से वह


सब करने के ]लए नह;ं कहूंगा जो म/ Xवयं नह;ं कर सकता। अगर म/ अपना धम'
पmरवत'न नह;ं कर सकता तो मझ ु े अपनी पšनी से भी यह कहने का कोई अ9धकार
नह;ं है । ऐसा करना कोरा पाखंड होगा। वह ]सख है और ]सख ह; रहे गी और म/
भी मिु Xलम ह; रहूंगा। हम दोनY खशु ह/ और मेरा मानना है >क केवल अपने
साथी के पmरवार को खश ु करने के ]लए अपना धम' बदलना सह; नह;ं है । मेरे
अनस
ु ार आपकo आXथा आपके –यिˆतšव का ह; एक •हXसा है और !šयेक –यिˆत
को चाहे वह •हंद ू अथवा जैन हो अपनी आXथा पर ह; रहना चा•हए ˆयY>क वह
आपकo पहचान होती है ।

म/ और मेर; पšनी अपने बFचY को दोनY ह; धम° के सभी म‰


ु य ]स´धांतY को
ज8र बताएंगे। हमने तो उनके ऐसे नाम भी सोच ]लए ह/ जो दोनY ह; धम° म5
Xवीकाय' ह/। म/ हमेशा ह; Xवतंl माहौल म5 पला और मेर; पšनी भी स•ह`णु है
अतः एक दस
ू रे के धम' के šयौहार और र;wत mरवाज का पालन करने म5 हम5 कोई
बरु ाई नह;ं •दखाई दे ती। šयौहार तो वैसे भी खश
ु ी बांटने और जgन मनाने का
बहाना ह/ िजतने •यादा šयौहार हYगे उतनी ह; •यादा ख]ु शयां घर म5 हYगी। हमारे
Gववाह से पहले मेर; पšनी ने इन सभी समXयाओं के बारे म5 मझ
ु से बात कo थी

142
]सख मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

तब म/ने उसे कहा था >क उसकo आXथा मेर; आXथा से अलग नह;ं है और मझ
ु े
उनम5 कोई टकराव •दखाई नह;ं दे ता। हम दोनY ह; एक ईgवर म5 Gवgवास रखते
ह/, हमार; ज?मभ]ू म और भाषा भी एक ह/। मेरे अनस
ु ार सभी महान धम° का
आधार है एक अFछा इंसान बनाना और मानवता का !चार करना।

मेरे माता-Gपता ने मेर; पšनी को वैसे ह; Xवीकार >कया जैसे वह थी। मेरे Gपता
जो बहुत धा]म'क ह/, रोज कुरान पढ़ते ह/ और पांच वˆत के नमाज़ी भी ह/, मेर;
पšनी के साथ बैठते ह/ और उसे अपनी बेट; के समान ह; Žयार करते ह/। मेर;
पšनी को ऐसा ना लगे >क उसका धम' और वह मेरे पmरवार म5 Xवीकाय' नह;ं है ,
मेरे Gपता उसे गु›´वारे भी ले जाते ह/। वह मेर; पšनी को अÂलाह हा>फज अथवा
कुछ और उद' ू म5 कहने कo बजाय रब राखा कहते ह/ जो मेर; पšनी के धम' के
अनस
ु ार है । मझ
ु े कभी-कभी आgचय' होता है >क मेरे माता-Gपता ने उसे >कतने
Žयार से Xवीकार कर ]लया है । मेरे माता-Gपता बहुत धा]म'क ह/ >कं तु >फर भी
अपनी ]सख पl ु वधू को अपनी बेट; कo तरह Žयार करते ह/। मझु े नह;ं लगता >क
इXलाम ने उ?ह5 >कसी भी तरह कo (ूरता कo ]शsा द; है । सच कहूं तो मेरे Gपता
जो बहुत धा]म'क ह/ वह; मेर; पšनी से •यादा घल
ु े ]मले हुए ह/।

मझु े लगता है >क म/ भाIयशाल; हूं ˆयY>क मझ


ु े अपने ससरु ाल वालY से भी हर
रोज नई चीज5 सीखने का मौका ]मलता है । ˆयY>क म/ सFचा हूं अतः मझ ु े अपनी
पšनी के साथ रहते हुए मझु े कभी धम' का Gवचार नह;ं आता। म/ उसे बस एक
ऐसी म•हला के 8प म5 दे खता हूं िजसे म/ बहुत !ेम करता हूं। म/ उस वˆत कभी
यह नह;ं सोचता >क हम दोनY कo आXथाएं अलग-अलग ह/। वह मेर; परू क है और
इसके ]लए म/ ईgवर का !wत•दन ध?यवाद करता हूँ। —आजाद

तेज*ीत कहती ह>:

म/ यहां यह नह;ं कहूंगी >क जाओ और अपने धम' से बाहर Gववाह करो। म/ बस
यह कहना चाहती हूँ >क >कसी भी अंतर-धा]म'क Gववाह को >कसी धम' Gवशेष का
अपमान समझना बहुत गलत है । म/ हमेशा मानती हूं >क सभी भगवानY से ऊपर
है आपसी !ेम, मेर; Xवयं कo आXथा के अनस
ु ार केवल एक ह; ईgवर है और वह
सब का है , >कसी –यिˆत Gवशेष अथवा संXकृwत का नह;ं।

एक और बात, मझ
ु े आgचय' होता है >क हमार; संतान के ]लए लोग 9चंwतत ˆयY
ह/? म/ और मेरे पwत अपने बFचY के साथ खश
ु ह/ और आपकo संकoण' मान]सकता
के Gवपर;त हम सभी एक ह; घर म5 रहते ह/ और एक ह; भाषा बोलते ह/। मेरे

143
!ेમ का धम'

पmरवार ने मेरे पwत को Xवीकार कर ]लया है ˆयY>क मेरा पmरवार उ?ह5 काफ़o
पहले से जानता था और उ?ह5 पता है >क वह बहुत मेहनती और दयालु इंसान है ।
ˆयY एक –यिˆत को पहचानने के ]लए उसके धम' कo ओर दे खा जाता है और
उसकo अ?य Gवशेषताएं नकार द; जाती ह/?

हम दोनY ने अपने पmरवारY से कुछ नह;ं छुपाया और ना ह; >कसी कo मजþ के


•खलाफ़ शाद; कo। म/ नह;ं मानती >क >कसी अ?य को यह कहने का अ9धकार है
>क ऐसे Gववाह के बाद बFचे धम' को लेकर Õ]मत रह5 गे। मेरे बFचY को उनकo
संXकृwत और भाषा का iान है और मझ
ु े इस बात कo कोई सफाई दे ने कo ज़8रत
नह;ं है >क मेरे बFचे हमारे पmरवार म5 खश
ु ह/।

अंतर-धा]म'क Gववाह तो मग
ु लY के समय से होते आ रहे ह/, यह कोई नई बात
नह;ं है । >कं तु आजकल समाज दो पsY म5 बंट गया है ... या तो वे बहुत स•ह`णु
और दयालु ह/ या >फर बहुत क™टर और अस•ह`ण।ु शायद >कसी को अFछा ना
लगे >कं तु अब दwु नया बदल रह; है और आज के यव
ु ा सामािजक बरु ाइयY को दरू
करने कo को]शश कर रहे ह/।

म/ यह नह;ं कहती >क आप धमाÏतरण कर ल5 और अपनी संXकृwत और परं पराओं


को wतलांज]ल दे द5 >कं तु यह कहना ग़लत होगा >क दस
ू रे धम' के –यिˆत से !ेम
करने वाला मख
ू ' है और उसे अपने धम' और संXकृwत कo कोई परवाह नह;ं है ।
जब !ेम कo बात आती है तब ऐसा नह;ं होता। आप चाहे >कसी भी धम' के हो
>कं तु दस
ू रे धम' के बारे म5 कुछ भी गलत कहना अशोभनीय है । म/ और मेरे पwत
अलग-अलग धम° से ह/ >कं तु खश
ु ह/। हम दोनY को ह; अपने-अपने धम' संXकृwतयY
और परं पराओं का iान है और हमारे iानी माता-Gपता भी इस Gववाह म5 हमारे
साथ ह/। हम म5 से >कसी ने भी धम' पmरवत'न नह;ं >कया और ना ह; हमने समाज
कo परवाह कo। कोई अकेला इस दwु नया को कभी नह;ं जीत पाया और ना ह;
जीत पाएगा —तेज!ीत

144
]सख मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

खण्ड ४.२: एक िसख युवती और एक मुिस्लम का १० वषोर्ं का साथ

सTु रfदर कहती ह>:

म/ बहुत अ9धक मान]सक तनाव से गज ु र रह; हूँ। म/ एक पंजाबी ]सख हूँ और


ु क से !ेम करती हूँ। हम Gपछले १० वष° से !ेम संबंध म5 ह/...
एक मिु Xलम यव
अब हमारे पmरवारY ने हम पर शाद; का दबाव डालना श8
ु कर •दया है । मेरा
पmरवार बहुत अFछा है >कं तु एक ग़ैर-]सख और एक ग़ैर-भारतीय से Gववाह करना
हमार; संXकृwत म5 एक बहुत बड़ी समXया बन जाएगा।

म/ने ऐसे ह; हं गामे कo वजह से अपने पmरवार को अपने मिु Xलम !ेमी के बारे म5
नह;ं बताया है । >कं तु अब Gववाह का दबाव बढ़ता जा रहा है और म/ >कसी भी
अ?य –यिˆत से Gववाह नह;ं करना चाहती। मझ ु े नह;ं पता >क म/ उ?ह5 दख
ु पहुंचाए
Ëबना सब कुछ कैसे बताऊं। मेरे !ेमी ने अपने पmरवार का थोड़ा बहुत समथ'न तो
!ाŽत कर ]लया है >कं तु उसे अब मेरे पmरवार के समथ'न कo !तीsा है । ˆया
>कसी और ने भी ऐसी समXया का सामना >कया है , म/ सन
ु ना चाहूंगी। ध?यवाद।
—सmु र?दर

एडxमन कहते ह>:

नमXकार सmु र?दर,

आपके माता-Gपता यह सब सन
ु कर दख
ु ी तो अवgय हYगे >कं तु उ?ह5 यह सब सहन
करना ह; होगा। सबसे ज8र; है यह wनण'य लेना >क आपके भGव`य के ]लए ˆया
सह; है । आपको एक समझ-बझ
ू से भरा wनण'य लेने कo आवgयकता है अतः तÝयY
पर ¸यान द5 और भावक
ु ËबÂकुल ना हो। आपको एक सख
ु ी और 9चरXथायी
वैवा•हक जीवन के ]लए समानता पर आधाmरत ]सख-मिु Xलम Gववाह कo
आवgयकता है , िजसम5 आपके पmरवार कo भी सहमwत हो।

आपने कहा "उसने पmरवार का थोड़ा बहुत समथ'न !ाŽत कर ]लया है "। अब यह
Xप`ट करना होगा >क वह समथ'न शहादा कo कसम के साथ है अथवा नह;ं। अ?य
शÊदY म5 कह5 तो ˆया आपको मस
ु लमान बनना होगा या नह;ं? वाXतGवकता म5
तो आपको अपने !ेमी से Gपछले १० वष° म5 wनkन १० !gनY के उÜर ले लेने
चा•हए थे।

अपने मिु Xलम !ेमी और उसके पmरवार से wनkन !gनY के उÜर अवgय पता कर5 ।

145
!ेમ का धम'

१. आपका Gववाह कैसे होगा? ]सख, इXला]मक अथवा कानन


ू ी Gववाह? या >फर
तीनY?

२. ˆया होगा >क आप अगर धमाÏतरण के ]लए साफ-साफ मना कर दे ती ह/?

३. ˆया आपको एक मिु Xलम नाम रखना होगा?

४. ˆया आपको अपनी बैठक म5 ग›


ु नानक कo फोटो लगाने तथा घर म5 ग›
ु žंथ
साहब रखने कo Xवतंlता होगी (वैसे बैठक म5 काबा कo तXवीर भी होगी)?

५. ˆया आप के मिु Xलम !ेमी और उसका पmरवार आपके माता-Gपता के घर होने


वाले >कसी भी धा]म'क समारोह म5 •हXसा ल5गे अथवा गु›´वारे जाएंगे (आप भी
मिXजद जाएंगी)?

६. ˆया आप पहले बFचे का एक ]सख नाम रख सकती ह/ (और दस


ू रे बFचे का
अरबी नाम होगा)?

७. ˆया आपके पl
ु को स?
ु नत अथवा खतने से गज
ु रना होगा?

८. ˆया आप अपने बFचY को गु›žंथ साहब और कुरान दोनY कo ]शsा दे सकती


ह/? ˆया आपके भावी पwत भी बFचY को ऐसे ह; ]शsा द5 गे?

९. आप अपने बFचY को ˆया ]सखाएंगे... ईgवर कौन है ? ]सख गु› और पैगंबर


मोहkमद एक ह; ह/ अथा'त ईgवर के दत
ू ह/?

१०. ˆया आपको कभी बक


ु ा' अथवा •हजाब पहनना ह; होगा?

इन सभी !gनY के उÜरY के साथ Xवतंl मन से अपने माता-Gपता के पास जाएं।


कुछ भी ना छुपाएं और ना ह; बहस कर5 केवल तÝयY पर ह; रहे । उनकo सभी
9चंताओं को ¸यान से सन
ु े और उन पर कुछ •दन Gवचार कर5 । >फर अपने माता-
Gपता के साथ अपने wनण'य को लेकर Gवचार Gवमश' कर5 । उ?ह5 यह समझाने कo
को]शश कर5 >क आपका !ेमी ह; आपके ]लए सबसे सह; –यिˆत है और उ?ह5
बताएं ऐसा ˆयY है । कुछ भी हं गामा ना कर5 और ना ह; अपने माता-Gपता से संबंध
खराब कर5 । एक •दन आपको उनकo आवgयकता ज8र होगी।

146
]सख मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

अपने माता-Gपता को बताएं >क आपका !ेमी कोई लव-िजहाद; नह;ं है अGपतु
आजाद,66 सीमा67 और शाह›ख खान68 कo तरह एक स•ह`णु –यिˆत है , जो
अपने साथी के धम' का आदर करते ह/ और एक समानता पर आधाmरत अंतर-
धा]म'क Gववाह म5 Gवgवास रखते ह/। शभ
ु कामनाओं के साथ —एड]मन

व्यिक्त के िवचार और उसके शब्द शस्त्रों से अिधक तेज होते हैं , जोिक बहुत सुंदर
और पिवत्र सच्चे प्रेम को बबार्द कर सकते हैं। —डेिवड

66
ख³ड ४.१।
67
ख³ड ३.१।
68
http://www.youtube.com/watch?v=Py7sFkIGi-k.

147
!ेમ का धम'

खण्ड ४.३: मैं अपने प्रेमी से इस्लाम अपनाने के िलए नहीं कह सकती

तMनीम कहती ह>:

मेरे Gवचार म5 एक दस
ू रे के धम' को नीचा •दखाने कo को]शश करना बहुत ह; गंद;
मान]सकता है । म/ एक मिु Xलम म•हला हूँ और एक ]सख से !ेम करती हूँ। हालां>क
मझ
ु े डर है >क भGव`य म5 ˆया होगा और हम दोनY साथ कैसे रह पाएंगे >कं तु
म/ने wनण'य ले ]लया है >क म/ लोगY अथवा समाज कo परवाह नह;ं क8ंगी। कुरान
कहती है >क एक मिु Xलम जब चाहे और िजससे चाहे wनकाह कर सकता है बशत½
>क साथी मस
ु लमान हो। म/ अपने !ेमी से केवल मेरे ]लए इXलाम अपनाने के
]लए नह;ं कह सकती। >कं तु अगर वह मेरे धम' के बारे म5 जानेगा तब ह; उसे
अFछे से समझ पाएगा और अगर तब वह मस
ु लमान बनने का wनण'य लेता है
तब म/ अÂलाह कo बहुत श(
ु गुजार रहूंगी। म/ भी उसके धम' को सीखना और
समझना चाहती हूं।

अगर हमारा Gववाह नह;ं होता तब म/ सोचंग


ू ी >क शायद यह >कXमत को मंजरू
नह;ं था। तब म/ दआ
ु क›ं गी >क अÂलाह हम5 एक दस
ू रे के Ëबना रहने कo ताकत
दे । >फर हम >कसी अ?य से Gववाह नह;ं कर5 गे।

म/ लोगY से बस यह; wनवेदन क8ंगी >क वह नफरत ना फैलाएं और एक दस


ू रे के
धम° का आदर कर5 —तXनीम

अंतर-धािमर् क प्रेिमयों को यह समझना चािहए िक वे िकसी एक व्यिक्त से नहीं अिपतु


उसके पूरे पिरवार और समाज से िववाह कर रहे हैं।

148
!ेમ का धम'

अध्याय ५: जैन-मुिस्लम की प्रेम कहािनयां

150
जैन-मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

151
!ेમ का धम'

खण्ड ५.१: एक जैन िहंदू युवती का एक मुिस्लम युवक से प्रेम

पन
ु ीता कहती ह>:

म/ एक जैन •हंद ू यवु ती हूँ और एक Ëबहार; मिु Xलम यवु क के साथ !ेम संबंध म5
हूँ। हम दोनY एक दस ू रे से बहुत !ेम करते ह/ और उसका पmरवार बहुत ह; Xवतंl
Gवचार का है । मेरे !ेमी कo बहन ने भी एक •हंद ू से शाद; कo है । हम दोनY एक
दस
ू रे से !ेम करते ह/ और Gववाह करना चाहते ह/ >कं तु मेर; मां राजी नह;ं है और
यह सब म/ अभी अपने Gपता को नह;ं बता सकती। उसका पmरवार हम5 साथ दे खना
चाहता है >कं तु मेरे पmरवारजन उसे Xवीकार नह;ं कर5 गे। कृपया मेर; सहायता कर5 ।
—पन
ु ीता

सीमा69 कहती ह>:

अभी आप माl २२ वष' कo ह/ और य•द आपका !ेमी बहुत धनवान नह;ं है तब


आपको अपने माता-Gपता के आ9थ'क सहयोग कo आवgयकता होगी।

अगर आप अमेmरका म5 रहतीं तब म/ शायद आप को इस संबंध म5 आगे बढ़ने


और Gववाह करने का सझ
ु ाव दे ती। म/ यह भी कहती >क अपने माता-Gपता कo
Xवीकृwत अथवा उनसे सkबंध-GवFछे द कo !तीsा कर5 । >कं तु आप भारत म5 रहती
ह/ और यहां अपने पmरवार से सkबंध तोड़ लेना बहुत क•ठन है । उदाहरण के ]लए,
दो सŽताह पहले म/ भारत म5 थी और मझ ु से ]मलने !wत•दन १० से २० संबंधी
आते थे और इतने ह; संबं9धयY से फोन पर बात होती थी, अतः इतने बड़े
सामािजक ताने-बाने से यकायक अलग हो जाना इतना भी आसान नह;ं है ।

कुछ सŽताह पहले म/ एक यग


ु ल से ]मल; जो दोनY ह; •हंद ू थे >कं तु भारत के
अलग-अलग रा•यY से थे। वे वष° से !ेम संबंध म5 थे। यव
ु ती के माता-Gपता खश

नह;ं थे >कं तु उ?हYने Gववाह कo Xवीकृwत दे द;। >कं तु यव
ु क के माता-Gपता उसका
Gववाह अपनी ह; जाwत म5 करना चाहते थे। उ?हYने अपने पl
ु को कह •दया >क
उसे अपनी !े]मका और माता-Gपता म5 से एक को चन
ु ना होगा। यव
ु क ने अपनी
!े]मका को चन
ु ा और घर छोड़कर चला गया और बाद म5 दोनY ने मं•दर म5 शाद;
कर ल;। अब उनके पास रहने के ]लए कोई जगह नह;ं है और यव
ु क के पmरवार
से अब उनका कोई संपक' नह;ं है । इस Gववाह म5 ना केवल लड़के ने अपने माता-

69
Interfaithshaadi.org के पर एक अ¬त’थ सलाहकार (ख³ड ३.१)।

152
जैन-मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

Gपता को खोया अGपतु अपने चाचा, मामा, चाची, चचेरे भाई बहन, सभी को खो
•दया। ˆया यह ठÍक रहा? —सीमा

153
!ेમ का धम'

खण्ड ५.२: एक मुिस्लम युवती का एक जैन युवक से कनाडा में प्रेम

तबMसम
ु कहती ह>:

म/ एक मिु Xलम यव ु क से !ेम करती हूँ। हम दोनY २


ु ती हूँ और एक जैन •हंद ू यव
वष' से संबंध म5 ह/ और जÂद ह; Gववाह करने कo योजना बना रहे ह/। वह एक
अFछा, दयालु àदय का समझदार लड़का है जो अFछा कमाता भी है । म/ अभी
कॉलेज म5 हूँ और अपनी पढ़ाई परू ; करने वाल; हूँ।

ˆयY>क हम कनाडा म5 रहते ह/ अतः मझ


ु े लोगY के कहने कo कोई परवाह नह;ं है ।
>कं तु मझ
ु े पता है >क मेरे माता-Gपता इस Gववाह के ]लए तैयार नह;ं हYगे, उसके
माता-Gपता काफo खल
ु े Gवचार के ह/ और भारत म5 रहते ह/।

मेर; 9चंता उसके पmरवार को लेकर है । म/ उनसे अभी तक नह;ं ]मल; हूँ और ना
यह जानती हूँ >क एक मिु Xलम पl ु वधू को लेकर उनका ˆया रवैया होगा। मेरा
!ेमी अपने माता-Gपता को बहुत महšव दे ता है और म/ अपने !ेमी को बहुत महšव
दे ती हूँ।

म/ जानना चाहती हूँ >क एक जैन पmरवार म5 Gववाह करने पर ˆया होता है ? हमने
अपने धम° के बारे म5 भी चचा' कo है और हमम5 से कोई भी बहुत धा]म'क नह;ं
है । >कं तु म/ अभी २१ वष' कo हूँ और मझ
ु े लगता है >क आने वाले समय म5 म/
इXलाम को और अ9धक अपना लंग
ू ी। मझ
ु े पता है >क हम दोनY एक दस
ू रे से !ेम
करते ह/ जो नह;ं बदलेगा अतः !तीsा करने कo कोई आवgयकता नह;ं •दखाई
दे ती। —तबXसम

तबMसम
ु आगे कहती ह>:

एड]मन आपके सझ
ु ाव का श>ु (या। हम दोनY ने कनाडा म5 ह; रहने कo योजना
बनाई है ˆयY>क वह यहां नौकर; करता है और म/ भी पढ़ाई करने के बाद नौकर;
क8ंगी। हमने wनण'य ]लया है >क हम कानन
ू ी Gववाह कर5 गे और उसके बाद अपने
दोXतY और संबं9धयY के ]लए एक छोटा सा समारोह होगा।

कुछ वष° के बाद हमने उसके पmरवार से ]मलने कo योजना भी बनाई है ।

154
जैन-मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

उसने अपने पmरवार के ]लए भारत म5 एक जैन Gववाह करने कo भी योजना बनाई
है । म/ उसके पmरवार और धम' का आदर करती हूँ और यह सब करने म5 मझ
ु े
कोई समXया नह;ं है बशत½ मझ
ु े धमाÏतरण ना करना पड़े।

अभी म/ अपनी मां के साथ कुछ वष° से कनाडा म5 रह रह; हूँ। मझ ु े नह;ं लगता
>क मेर; मां इस Gववाह को लेकर Gवरोध कर5 गी ˆयY>क उ?ह5 हमारे संबंध के बारे
म5 पता है और उ?हYने इसका कभी Gवरोध नह;ं >कया। जहां तक मेरे Gपता के
पmरवार का संबंध है वह थोड़ा •यादा धा]म'क है और मझ
ु े नह;ं पता वह इस संबंध
को कैसे Xवीकार कर5 गे। अभी वह म¸य-पव
ू ' के एक दे श म5 रहते ह/। मझ
ु े आशा
है >क अंततः वह भी हम5 समझ5गे। वे मेरे Gपता ह/ और हम5 उनकo आशीवा'द कo
भी आवgयकता है ।

जहां तक हमारे बFचY का संबंध है wनgचय ह; म/ चाहूंगी >क वह मेरे धम' का


पालन कर5 । मेरे पwत का कहना है >क वह एक पिgचमी दे श म5 पैदा हYगे और
उनके अपने जीवन मÂ ू य हYगे। अतः म/ सोचती हूँ >क म/ अपने बFचY को केवल
पिgचमी दे शY के जीवन मÂू य कo ]शsा तक ह; सी]मत नह;ं रखग ूँ ी। हमार; योजना
है >क समय के साथ धम' का चन
ु ाव हम उनके ऊपर ह; छोड़ द5 गे।

हमने wनण'य ]लया है >क हम अपने-अपने धम° का पालन करते रह5 गे। मेरे !ेमी
का कहना है >क !ेम एक वैिgवक धम' है िजसम5 धम', जाwत, Xथान का कोई
महšव नह;ं है । म/ आशा करती हूँ >क धम' को लेकर आने वाले समय म5 हम5 कोई
समXया नह;ं होगी और हम ऐसे ह; खश ु रह5 गे। —तबXसम

महात्मा गांधी ने िहं दू धमर् से जाित प्रथा समाप्त करने के िलए किठन प्रयास िकए।
अब कोई िकसी अलग प्रकार की जाित प्रथा का पालन क्यों करेगा जहां एक धमर्
(यहाँ इस्लाम) को ही सवोर्च्च माना जाता है?

155
!ेમ का धम'

खण्ड ५.३: एक जैन युवती की मुिस्लम से िववाह की योजना

तfवी कहती ह>:

म/ एक जैन यव ु क से Gववाह करना चाहती हूँ। हम


ु ती हूँ और एक मिु Xलम यव
Gपछले ३ वष' से !ेम संबंध म5 ह/ और इस संबंध को अगले ४ वष' तक बनाए
रखना चाहते ह/। उसने मझ
ु से धम' पmरवत'न के ]लए ना ह; कहा है और ना ह;
वह पmरवwत'त होगा। उÂटा उसकo िजद है >क मझ
ु े अपना धम' कभी नह;ं बदलना
चा•हए। अतः म/ने Gववाह के बाद अपना उपनाम नह;ं बदलने का wनण'य ]लया है
और मेरे साथी को इससे कोई समXया नह;ं है ।

जहां तक बFचY कo बात है हमने wनण'य ]लया है >क बFचY के उपनामY म5 मेरे
और उसके उपनाम हYगे तथा उनका कोई अरबी अथवा मिु Xलम नाम नह;ं होगा।
हम दोनY ह; ]श‘sत ह/ और उसने कभी भी मझ
ु े उसके धम' से संबं9धत कोई भी
काम करने के ]लए नह;ं कहा। अGपतु वह Xपेशल मैmरज एˆट १९५४ के अंतग'त
ह; Gववाह करना चाहता है ।

बेहद सरल और सीधी सी बात है ... !ेम सभी धम° से बढ़कर है । Ëबना समझे
कुछ ना कर5 और –यवहाmरक रह5 और कोई भी wनण'य लेने के ]लए समय ल5। —
त?वी

एडxमन कहते ह>:

नमXकार त?वी,

एक Gववाह केवल दो –यिˆतयY के बीच नह;ं होता अGपतु यह दो पmरवारY और दो


समद
ु ायY का भी ]मलन है । और यह;ं से समXयाएं श8
ु होती ह/। अ9धकतर
समXयाएं शाद; होने के ६ मह;ने पहले से !कट होने लगती ह/। हमारा सझ
ु ाव है
>क आप उसके माता-Gपता से जÂद से जÂद भ5 ट कर5 और अपनी सभी योजनाओं
के बारे म5 उ?ह5 खल
ु कर बताएं। >फर अपने साथी को अपने माता-Gपता के पास ले
जाएं। दोनY तरफ के माता-Gपता को भी ]मलने का मौका द5 । अगर आपने अभी
तक यह सब नह;ं >कया है तब wनgचय ह; आप XवŽनलोक म5 ह/। आप दोनY के
माता-Gपता का ]मलना आपको XवŽन से जगाने के ]लए काफo है । शभ
ु कामनाओं
स•हत। —एड]मन

156
जैन-मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

खण्ड ५.४: एक मुिस्लम युवक और एक जैन युवती का प्रेम

नद5म कहते ह>:

म/ एक मिु Xलम यव ु ती से !ेम करता हूँ। म/ उसे सFचा


ु क हूँ और एक जैन यव
!ेम करता हूँ और उससे Gववाह भी करना चाहता हूँ। मेरे माता-Gपता इस Gववाह
के ]लए तैयार ह/ >कं तु उसके माता-Gपता हमारे wनण'य के Gव›´ध ह/। अब तो
उ?हYने उसका मझ
ु से ]मलना भी बंद कर •दया है । उसके चाचा एक राजनीwतi
ह/ (क5ú;य मंlी तथा सांसद)। म/ नह;ं चाहता >क वह अपना धम' बदले। म/ उससे
सFचा !ेम करता हूँ और अपना जीवन उसी के साथ Ëबताना चाहता हूं। हम दोनY
एक साथ सखु ी जीवन कैसे Ëबता सकते ह/, कृपया सझ
ु ाव द5 ।

आपके >कसी भी सझ
ु ाव का Xवागत है ˆयY>क मझ
ु े आपकo सहायता कo
आवgयकता है । वह अपने पmरवार के Gव›´ध मेरे साथ रहना चाहती है >कं तु उसके
राजनीwतi चाचा सबसे बड़ी समXया है । कृपया मेर; सहायता कर5 । —नद;म

एडxमन कहते ह>:

नद;म,
तम
ु ने कहा >क तमु नह;ं चाहते >क वह अपना धम' बदले। यह एक बहुत ह;
!शंसनीय Gवचार है >कं तु ˆया आपको इसका अथ' मालम
ू है । ˆया आप इXला]मक
wनकाह नह;ं कर5 गे िजसम5 धम' पmरवत'न होता है ? अगर आपकo !े]मका धमाÏतरण
>कए Ëबना आप से Gववाह कर5 गी तब कुरान और अ?य इXला]मक ]शsाओं के
अनस
ु ार वह Gववाह वैध नह;ं होगा? ˆया आप सभी इXलामी ]स´धांतY के Gव›´ध
जाने को तैयार ह/? ˆया आपने अपने पmरवार और अपने इXलामी समद
ु ाय से
अपनी योजना कo चचा' कo है ?
70
एक जैन बत
ु परXत यव
ु ती से Gववाह करके आप ˆया कर5 गे? कृपया त?वी के
अनभ
ु वY के बारे म5 पढ़5 । त?वी और उनका !ेमी wनकाह और धमाÏतरण कo बजाए
कानन
ू ी Gववाह कर5 गे। उनका !ेमी उनके आस-पास होने पर मांसाहार šयागने को
भी तैयार है । वह अभी से जैन मं•दरY म5 जाता है और भगवान के सामने नतमXतक
भी होता है , और Gव]भ?न जैन संXकारY का पालन भी करता है । उस मिु Xलम
यव
ु क के बFचY का कोई अरबी नाम नह;ं होगा और वे दोनY धम° के बFचे हYगे

70
खÁड ४.३।

157
!ेમ का धम'

और उ?ह5 दोनY ह; धम° कo ]शsा ]मलेगी। आपको शायद आgचय' हो रहा होगा
>क ˆया वह सचमच
ु म5 एक मस
ु लमान है । आप अपने नए जैन पmरवार को खश

करने के ]लए ˆया कर सकते ह/?

हम आपको यह नह;ं बताते >क आपको ˆया करना चा•हए और ˆया नह;ं।

२० वष' कo आयु म5 धम'wनरपेsता या समानता कo बात5 करना बहुत आसान है ,


>कं तु एक मिु Xलम होते हुए एक जैन-मिु Xलम पmरवार का पालन पोषण और
wनवा'हन सामािजक Ðि`ट से बहुत क•ठन है । म/ >फर कहता हूं >क हम आपको
धम'wनरपेs अथवा धा]म'क होने से नह;ं रोक रहे । जमीला,71 सीमा,72 आजाद73
और शाह›ख खान74 सभी ने धम'wनरपेs और बहुलवाद; जीवन जीने का wनण'य
]लया और यह सभी अपने पmरवार के साथ खश
ु ह/, तब आप ऐसा ˆयY नह;ं कर
सकते?

अभी आपके ]लए सबसे महšवपण


ू ' सझ
ु ाव है >क अFछÍ ]शsा ल5 और एक अFछÍ
नौकर; पाएं। जब आप आ9थ'क 8प से आšमwनभ'र हYगे और >कसी दस
ू रे शहर म5
XथाGपत हो जाएंगे तब यह; सब समXयाएं सल
ु झ जाएंगी और जीवन आप दोनY
]लए सरल हो जाएगा। —एड]मन

71
ख³ड ३.२६।
72
ख³ड ३.१।
73
ख³ड ४.१।
74
http://www.youtube.com/watch?v=Py7sFkIGi-k.

158
जैन-मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

खण्ड ५.५: मैं एक जैन युवती हूँ और एक मुिस्लम से प्रेम करती हूँ

“वेता कहती ह>:

म/ एक जैन यव ु क से !ेम करती हूँ।


ु ती हूँ और Gपछले ८ वष' से एक मिु Xलम यव
वह भी मझु े बहुत !ेम करता है और मेरे ]लए कुछ भी कर सकता है । हमने
wनण'य ]लया है >क एक-दो वष' के बाद ह; हम अपने संबंध के बारे म5 अपने
पmरवारY को बताएंगे। वह हमेशा कहता है >क वह हर पmरिXथwत म5 मेरे साथ है ।

अभी मेरे ]लए सबसे बड़ी चन


ु ौती है —मांसाहार। म/ मांसाहार के बारे म5 सोच भी
नह;ं सकती हालां>क वह कहता है >क वह और उसका पmरवार मझ
ु े ऐसा करने के
]लए कभी नह;ं कह5 गे और उसने यह भी वचन •दया है >क हमारे घर म5 मांस
कभी नह;ं आएगा।

मझ
ु े उस पर परू ा Gवgवास है । मझ
ु े पता है >क उसके साथ मेरा भGव`य अFछा
होगा ˆयY>क वह कभी मझ
ु े सीमाओं म5 नह;ं बांधता और मझ
ु े हमेशा अपनी ल·य
ू करती हूँ और
!ािŽत के ]लए !ेmरत करता है । म/ उसके साथ बहुत सहज महसस
आशा करती हूँ >क भGव`य म5 भी ऐसा ह; होगा।

मझ
ु े पता है >क मझ
ु े एक मिु Xलम पmरवार के साथ सामंजXय बैठाने म5 क•ठनाई
होगी >कं तु य•द आप एक •हंद ू यव
ु क से Gववाह करते ह/ और वह आपको !ेम नह;ं
करता तब भी आपका जीवन सख
ु द नह;ं होगा। आने वाले समय का कोई भरोसा
नह;ं है और म/ यह मानती हूँ >क आपके भाIय म5 जो है उसका सामना तो आपको
करना ह; पड़ेगा।

आठ वष' कोई कम समय नह;ं है । आप अपने àदय म5 उसकo जगह >कसी और


को नह;ं दे खना चाह5 गे। आप >कसी अ?य से Gववाह कर भी लेते ह/ तब आप तीन
जीवन तबाह कर रहे ह/। ऐसी पmरिXथwत म5 उस wनतांत अन]भi –यिˆत के साथ
अ?याय होगा जो आपको अपनी पšनी समझता है >कं तु आप àदय से >कसी और
को !ेम करते ह/।

मेरे अनस
ु ार !ेम से बड़ा कुछ नह;ं है । यह सšय है >क ऐसे संबंध म5 समझौते
करने पड़ते ह/ >कं तु य•द आप एक दस
ू रे को अFछÍ तरह समझते ह/ तब सब कुछ
आसान हो जाता है और धम' कोई महšव नह;ं रखता। —gवेता

159
!ेમ का धम'

खण्ड ५.६: एक मुिस्लम: मैं जैन धमर् अपनाना चाहता हूँ

वसीम कहते ह>:

मिु XलमY को उनके धम' कo वजह से इतना सkमान नह;ं ]मलता िजतना अ?य
धम° के लोगY को ]मलता है । म/ एक मिु Xलम हूँ और >फर भी यह सब कह रहा
हूँ िजसके ]लए मझ
ु े द`ु पmरणाम भग
ु तने पड़ सकते ह/।

अब आपको अपनी कहानी सन ु ाता हूँ। मेर; !े]मका एक जैन है और उसने


InterfaithShaadi पर उपलÊध सभी पोXट पढ़े ह/ और वह इस समय तनाव म5
है । >कं तु म/ आप सब लोगY कo तरह मिु Xलम यव
ु कY के ]लए पव
ू ा'žह से žXत
नह;ं हूँ। अपने !ेम और वादY को wनभाने के ]लए म/ वह करना चाहता हूँ जो कोई
नह;ं करता। म/ जैन धम' अपनाना चाहता हूँ और मेरे बFचY के भी जैन नाम हYगे।
म/ Gपछले ४ वष° से XवेFछा से और अपने !ेम संबंध से पहले से शाकाहार; हूँ।

जहां तक मेरे माता-Gपता का संबंध है वे हम दोनY के बारे म5 जानते ह/ और हमारे


संबंध का सkमान करते ह/। मझ
ु े पता है >क म/ जैन धम' अपनाकर उ?ह5 दख

पहुंचाऊंगा >कं तु मझ
ु े Gवgवास है >क वह समझ जाएंगे। म/ नह;ं चाहता >क मेर;
!े]मका >कसी भी तरह कo समXया का सामना करे । मझ ु े अपने संबं9धयY कo कोई
परवाह नह;ं है और हम Ëबना मेरे संबं9धयY के भी जीवन wनव'हन कर सकते ह/।
जो मेरे !ेम का सkमान कर5 गे वह; बस हमारे साथ हYगे।

इससे पहले >क इXलाम के झंडाबरदार मझ


ु पर अपनी बकवास कo बौछार कर5 , म/
कहना चाहता हूँ >क म/ आपको कोई उÜर नह;ं दे ना चाहता। मेर; धम' से कोई
लड़ाई नह;ं है >कं तु !ेम के क™टर दgु मनY से अवgय है । कुछ !भावशाल; –यिˆत
हमारे धम' žंथY कo –या‰या गलत ढं ग से करते ह/ िजसका दं ड हम जैसे wनदîष
लोगY को भग
ु तना पड़ता है । >कं तु !ेम के ]लए म/ सह; राह अपनाऊंगा।

म/ एक ईgवर म5 Gवgवास रखता हूँ और उसका आभार म/ अपने तर;के से करता


रहूंगा। ध?यवाद। —वसीम

160
जैन-मिु Xलम कo !ेम कहाwनयां

161
अध्याय ६: धमर्ग्रन्थ
धम'ž?थ

163
खंड ६.१: धमर्ग्रन्थ और अंतर-धािमर्क िववाह

अ9धकाँश –यिˆत धम' और धम'ž?थ (शाXl) को एक माग'दश'क ]स´धांत मानते


ह/। सनातनी और अ¹ाह]मक धम° का कालान(
ु म wनkन 9चl ८ म5 •दखाया गया
है । सामा?यतया, धम'ž?थ हम5 शांwत और स´भाव से जीवन –यतीत करने कo
]शsा दे ते ह/। ]भ?न-]भ?न žंथY म5 बहुलवाद के !संग भी दे खने को ]मलते ह/।
जैसे >क ईसामसीह कहते ह/ "अपने पड़ो]सयY से भी !ेम करो,"75 अÂलाह का
कहना है >क "म/ने तkु ह5 >कताब द; है जैसे >क तम
ु से पहले के लोगY (यहूद;, ईसाई,
76
•हंद,ु बौ´ध, आ•द ) को द; थी" और भगवन कृ`ण भी कहते ह/ "जो !šयेक
जीGवत !ाणी से ]मlवत है बस वह; मेरे पास आ सकता है "।77 >क?तु ईgवर के
इतने सारे !ेम और समावेशी –यवहार के संदेशY के उपरा?त भी धम' के नाम पर
लाखY लोगY कo हšया कo गई। अब !gन यह उठता है >क ˆया यह सब ईgवर के

"च$ ८: Gव]भ?न धम° का कालान(


ु म

75
मै½यू २२:३९।
76
कुरान ५:४८ और https://www.interfaithshaadi.org/pluralism-islamic-thinking/.
77
गीता ११:५५।
धम'ž?थ

परXपर Gवरोधाभासी संदेशY के कारण हुआ अथवा हम मन`ु य ने ह; ईgवर के


लेखक का सभी अंतर-धा]म'क यग ु लY को सझ
ु ाव है >क वे धम'žंथY के फेर म5 न
पड़5 अGपतु समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह का आनंद लेना सीख5।

यह मानते हुए >क समानता कo ]शsा दे ने वाले स?दे श >कसी भी अंतर-धा]म'क


यग
ु ल के ]लए समXया नह;ं बन5गे, लेखक ने इस पXु तक म5 उन संदेशY पर ¸यान
क5•úत >कया है जो Gव]श`टवाद; स?दे श जो समावेशी मानने वाले के ]स´धांत के
अनस
ु ार आपGÜजनक हो सकते ह/। ऐसे ह; कुछ चनु े हुए gलोक/आयत/छं द आगामी
खÁडY म5 •दए गए ह/ िज?ह5 जानना एक अंतर-धा]म'क यग ु ल के अšयंत आवgयक
है ।

• गीता और अ¹ाहमपंथी (खंड ६.२)

• तोराह और •ह?द78,79

80
• बार ]मšXवा और •ह?द?

81,82
• बाइËबल और •ह?द?

• कुरान और •ह?द ू (खंड ६.३)

• कुरान और ईसाई एवं यहूद;?83

यह भी संभव है >क इन gलोकY अथवा आयतY को GवXतत


ृ वण'न के Ëबना ऐसे
84
सच
ू ीब´ध करना कुछ •हंदओ
ु ं तथा अ¹ाहमपं9थयY को उ9चत !तीत नह;ं होगा।
अतः लेखक का सझ
ु ाव है >क अंतर-धा]म'क यग
ु ल इन सभी धम' žंथY का अ¸ययन
कर5 और इस बात पर चचा' कर5 >क इन म5 उ´धत
ृ gलोक अथवा आयत5 उनके
आगामी वैवा•हक जीवन को कैसे !भाGवत कर सकती ह/।

78
लेखक ने "gहhद"ू शOद का Iयोग सनातनी (िजसमे gहhद,ू जैन, बौ‘ध, zसख भी सि•मzलत ह“)
आƒथा के zलये —कया है ।
79
https://www.interfaithshaadi.org/torah-on-hindus-2/.
80
https://www.interfaithshaadi.org/bar-mitzvah-for-hindus/.
81
https://www.interfaithshaadi.org/bible-on-hindus/.
82
https://www.interfaithshaadi.org/बाइ°बल-gहhदओ
ु -ं पर-bible-hindus/.
83
https://www.interfaithshaadi.org/koran-on-hindus/.
84
अगर इन सभी छं द€/आयत€/प‘य€ को सच
ू ीब‘ध करने से —कसी कÁ धाzम„क भावनाएं आहत हुई
ह“, उसके zलए लेखक ÂमाIाथÃ ह“। उनका Iथम उ‘दे Äय अंतर-धाzम„क यग
ु ल€ को उनके आगामी
वैवाgहक जीवन मe आने वाल~ मिु Äकल€ के बारे मe zशÅÂत करना था।

165
!ेમ का धम'

Gपछले १६ वष° के अ¸ययन के बाद तथा १२०० से •यादा अंतर-धा]म'क यग


ु लY से
परामश' के बाद लेखक ने यह जाना >क !ारं भ म5 अ9धकतर अंतर-धा]म'क यग
ु लY
को धा]म'क žंथY म5 कोई ›9च नह;ं होती। >कं तु संबंध के गंभीर होने पर
पmरिXथwतयां बदलने लगती ह/। अतः साथी के अपने धम' म5 बढ़ते ›झान को हम
एक चेतावनी भी समझ सकते ह/, उदाहरण के ]लए “ईgवर कौन है ?” जैसी चचा'
का अथवा >क?ह;ं दो धम' žंथY कo तल
ु ना अपनी आXथा कo ®े`ठता साËबत करने
कo चे`टा हो सकती है । यह कहना >क "हम मwू त' पज
ू क नह;ं ह/" अपने साथी से
यह कहने कo चे`टा हो सकती है >क तk
ु हारे ईgवर तो केवल !wतमाएं ह/ >कं तु
मेरा ईgवर दै वीय है ।85 यह कहना >क "बFचे दो धम° म5 Õ]मत हो जाएंगे" का
86
अथ' है >क "बFचY को मेरे धम' का अनस
ु रण करना चा•हए, तk
ु हारा नह;ं।"
एकेgवरवाद (monotheist) कo बात5 करना भी धा]म'क Gव]श`टता दशा'ता है िजसका
अथ' है >क "ईgवर केवल एक ह/, और वह मेरा ईgवर है ।" !ेम के सहारे धम' के
]लए फुसलाना Gववाह के ]लए धम'पmरवत'न कराने कo पहल; सीढ़; है । हम5 यह
आशा है >क आगामी खंड ऐसे !ेमी जनY को >कसी संभाGवत धा]म'क क™टरपंथी
के !wत अ9धक जाग8क कर5 गे।

लेखक को Gवgवास है >क एक सफल और सख


ु ी अंतर-धा]म'क Gववाह तभी संभव
है जब दोनY साथी एक दस
ू रे कo आXथा और धम° को उ9चत आदर दे ते ह/ और
सभी धम'žंथY को उनके ऐwतहा]सक पmर!े·य म5 ह; दे खते ह/।

यहाँ हठधिमर् ता (dogma) भी है और जीवन भी है, आशा करते हैं िक आप जीवन पर


बस जाएं गे।

85
https://www.interfaithshaadi.org/idol-worshipper-who-is-and-who-is-not/.
86
खंड ३.१९।

166
धम'ž?थ

खण्ड ६.२: गीता और अब्राहम-पंथी

सामा?यतया •ह?द ू बहुलवाद; होते ह/ (ईgवर अÂलाह तेरो नाम अथा'त ईgवर के
अनेकY नाम ह/87)। लेखक को भी गीता म5 ऐसे gलोक बहुतायत म5 नह;ं ]मले ह/
िजनम5 •ह?द ू धम' को ®े`ठतावाद; अथवा Gव]श`टवाद; बताया गया हो। इसके
अwतmरˆत गीता म5 न तो अंतर-धा]म'क GववाहY का कोई वण'न है और न ह; अ?य
धम° कo आलोचना कo गई है ; इसका संभाGवत कारण हो सकता है >क •ह?द ू
धम'žंथY कo रचना अ?य धम° के उ´भाव से पहले कo गई थी। >क?तु >फर भी
लेखक को कुछ ऐसे gलोक ]मले ह/ जो अ¹ाहम-पंथी (यहूद;, इसाई, मस
ु लमान)
–यिˆत अथवा उसके •ह?द ू !ेमी के ]लए आपGÜजनक हो सकते ह/। एक •ह?द-ू
मस
ु लमान यग
ु ल को एक साथ बैठकर यह gलोक पढ़ने चा•हए और अपने वैवा•हक
जीवन के स?दभ' म5 उनका अथ' समझना चा•हए।

भगवान ् कृ`ण88 ´वारा अजन


ु' को कु›sेl कo य´
ु धभ]ू म पर •दए गए गीता के
89
उपदे श के •ह?द; अनव
ु ाद wनkन]ल•खत ह/। इन धम'गंथY कo संभाGवत –या‰या
भी इन gलोकY के समs द; गई है ।

• ३.३२: पर?तु जो मन`ु य मझु म5 दोषारोपण करते हुए मेरे इस मत के अनस


ु ार
नह;ं चलते ह/, उन मख ू ° को तू सkपण ू ' iानY से र•हत और न`ट हुए ह;
समझ। [ˆया कोई –यिˆत पGवl बाइËबल, तोराह अथवा क़ुरान का पालन कर
ऐसी ]स´9ध !ाŽत कर सकता है ?]

• ४.११: जैसा >क सभी मेरे सामने समप'ण करते ह/, म/ उ?ह5 उसी के अनस
ु ार
परु Xकृत करता हूँ, ˆयY>क सभी मन`ु य सब !कार से मेरे ह; माग' का अनस
ु रण
करते ह/। [ˆया यहाँ "सभी मनु`य" म5 ईसाई, मुिXलम, यहूद; और नािXतक
भी सिkम]लत ह/?]

87
लेखक ने अपने एक सवÆÂण मe एक gहhद ू मंgदर मe उपिƒथत भÇत€ से पछ
ू ा "Çया ईसामसीह,
महावीर, अÈलाह, बुद्ध, गणेश... सभी भगवान ह“?" तब लेखक ने पाया कÁ ८६% लोग यह मानते है
कÁ ये सभी भगवान ह“, िजसमे अÈलाह और ईसामसीह भी सि•मzलत ह“।
88
यहाँ भगवन कृÌण को एक xयिÇत नह~ं अ•पतु भगवान, ÍÎम, अथवा परम अिƒत•व माना गया
है । (गीता ९:११)
89
Ïीम‘भगव‘गीता, साधारण भाषा ट~का, गीता Iेस, गोरखपरु ।

167
!ेમ का धम'

• ६.१४: ¹Òमचार; के ûत म5 िXथत, भयर•हत तथा भल;भाँwत शांत अ?तःकरण


वाला सावधान योगी मन को रोककर मझ
ु म5 9चÜवाला और मझ
ु े परम ल·य
मानकर िXथत होए।

• ६.४७: सkपणू ' यो9गयY म5 भी जो ®´धावान योगी मझु म5 लगे हुए, अ?तराšमा
से मझ
ु को wनर?तर भजता है , वह योगी मझ ु े परम ®े`ठ मा?य है ।

• ७.७: हे धनंजय! मझ
ु से ]भ?न कोई भी दस
ू रा परम कारण नह;ं है । यह सkपण
ू '
जगत सl ु ा हुआ है । [>क?तु भगवन कृ`ण के
ु म5 गँथ
ू म5 म•णयY के सÐश मझ
स?दे श के Gवपर;त ईसामसीह कहते ह/ "कोई भी ईgवर के पास मेरे ´वारा ह;
जा सकता है ।" (जॉन १४:६) और अÂलाह ने कहा है "जो भी इXलाम अपनाता
है वह सह; राXते पर है " (कुरान ३.१९ और ७२.१३)। अंतर-धा]म'क युगलY को
यह चचा' अवgय करनी चा•हए >क ˆया यह सभी ईgवर के दत ू एक ह; स?दे श
दे रहे ह/ अथवा ]भ?न-]भ?न।]

• ७.१५: माया के ´वारा िजनका iान हरा जा चक


ु ा है ऐसे आसरु Xवभाव को
धारण >कये हुए मन`ु यY म5 नीच, दGू षत कम' करने वाले मढ़
ू लोग मझ
ु को
नह;ं भजते।

• ७.२३: wनgचय ह; अÂपब´


ु 9ध वालY को पmर]मत का फल ]मलता है , दे वताओं
के उपासक दे वताओं के पास जाते ह/ और मेरे भˆÜ चाहे जैसे ह; भज5, अ?त
म5 वे मझ
ु को ह; !ाŽत होते ह/।

• ९.११: मढ
ू लोग मन`ु य का शर;र धारण करने वाले मझ
ु उÜमोÜम ईgवर को
तF
ु छ समझते ह/ अथा'त अपनी योगमाया से संसार के उ´धार के ]लए मन`ु य
ु परमेgवर को साधारण मन`ु य मानते ह/। [कुछ यहू•दयY
8प म5 Gवचरते हुए मझ
और मुिXलमY को ईgवर के मनु`य 8प को Xवीकार करने म5 आपGÜ हो सकती
है ।]

• ९.२३: हे अजन
ु' ! य´यGप ®´धा से यˆ
ु Ü जो सकाम भˆÜ दस
ु रे दे वताओं को
पज
ू ते ह/, वे भी मझ
ु को ह; पज
ू ते है ; >क?तु उनका वह पज
ु न अGव9ध पव
ू क
'
अथा'Ü ् अiान पव ' है । [आगे, तोराह,90 बाइËबल91 और कुरान (खÁड ६.३),
ू क
म5 भी यह; !gन उठाया गया है >क "ईgवर कौन है ?" और ’अ?य’ ईgवर से

90
https://www.interfaithshaadi.org/torah-on-hindus-2/.
91
https://www.interfaithshaadi.org/बाइ°बल-gहhदओ
ु -ं पर-bible-hindus/.

168
धम'ž?थ

ˆया ताšपय' है ?" ऐसे कथन अंतर-धा]म'क युगलY को Õ]मत कर सकते ह/ >क
वे कौन से धम'ž?थ का पालन कर5 और >कस ईgवर को मान5। यहाँ यह याद
रहे >क भगवन कृ`ण ने कह;ं भी अपने भˆतY को ऐसे लोगY के !wत •हंसा
करने के ]लए कभी नह;ं कहा जो उ?ह5 नह;ं मानते, अथवा अ?य ईgवरY म5
Gवgवास रखते ह/ अथवा नािXतक ह/।]

• १०.२०: हे अजन ु' ! म/ सब जीवY से àदय म5 िXथत सबका आšमा हूँ तथा
सkपणू ' जीवY का आ•द, म¸य और अ?त भी म/ ह; हूँ।

• ११.५५: हे अजन
ु' ! जो प›
ु ष केवल मेरे ह; ]लये सkपण
ू ' कत'–य कम° को करने
वाला ह/, मेरे परायण है , मेरा भˆÜ ह/, आसिˆतर•हत है और सkपण
ू ' !ा•णयY
म5 वैर भाव से र•हत है वह अन?य भिˆत यˆ
ु त प›
ु ष मझ
ु को ह; !ाŽत होता
ह/। [कोई भी दो –यिˆत एक ह; आयत/gलोक/छं द कo –या‰या अलग-अलग
!कार से कर सकते ह/। उदाहरण के ]लए "सkपूण' !ा•णयY म5 वैर भाव से
र•हत है " एक wनिgचत ह; बहुलवाद; और समावेशी स?दे श है , >क?तु उनका
एक अ?य स?दे श "मेरे ह; ]लये सkपूण' कत'–य कम° को करने वाला ह/" >कसी
अ?य धम' वाले के ]लए अस•ह`णु हो सकता है । ठÍक इसी !कार ईसामसीह
ने भी बाइËबल ऐसे परXपर Gवरोधभासी स?दे श •दए ह/। वह कहते ह/ "अपने
पडोसी से !ेम करो",92 "जो मेरे साथ नह;ं वह मेरे Gव›´ध है ",93 "यह मत
मानो >क म/ इस जगत म5 शांwत Xथापना के ]लए आया हूँ अGपतु म/ शांwत
नह;ं संघष' के ]लए आया हूँ"94 अब य•द कोई –यिˆत "म/" शÊद >क –या‰या
परम Gपता परमेgवर (भगवान ्, अÂलाह, फादर) के 8प म5 करता है तब >कसी
भी धम'ž?थ >क –या‰या म5 कोई टकराव नह;ं होगा, >क?तु "म/" कo –या‰या
एक –यिˆत Gवशेष अथवा wनजी ईgवर के 8प म5 करना गलत होगा।]

• १२.६-७: पर?तु जो मेरे परायण रहने वाले भˆÜ जन सkपण


ू ' कम° को मझ

म5 अप'ण करके मझ
ु सगुण 8प परमेgवर को ह; अन?य भिˆÜयY से wनर?तर
9च?तन करते हुए भजते ह/, हे अजनु' , उन !ेमी भˆÜY का म/ शीÞ ह; ज?म-
ु से उ´धार करने वाला होता हूँ। [अ¹ाहम-पंथी पुनज'?म
मšृ यु 8प संसार समú
कo धारणा म5 Gवgवास नह;ं करे गा।]

92
मै½यू २२:३९।
93
मै½यू १२:३०।
94
मै½यू १०:३४; Èयक
ू १२:५१।

169
!ेમ का धम'

• १२.८: मझ
ु म5 मन को लगा और मझ
ु म5 ह; ब´
ु 9ध को लगा; इसके उपरा?त
तू मझ
ु म5 ह; wनवास करे गा, इसम5 कुछ भी संशय नह;ं है । [मस
ु लमानY को
कृ`ण पर नह;ं, अÂलाह पर ¸यान दे ने म5 मÂ
ू य •दखाई दे सकता है ।]

• १८.६५: हे अजन
ु' ! तू मझ
ु म5 मन वाला हो, मेरा भˆÜ बन, मेरा पज
ू न करने
वाला हो और मझ
ु को !णाम कर। ऐसा करने से तू मझ
ु े ह; !ाŽत होगा, यह
म/ तझ
ु से सšय !wतiा करता हूँ; ˆयY>क तू मेरा अšय?त G!य है ।
95
• १८.६६: सkपण
ू ' धम° को šयाग कर तू केवल एक मझ
ु सव' शिˆÜमान ्
सवा'धार परमेgवर कo ह; शरण म5 आ जा। म/ तझ
ु े सkपण
ू ' पापY से मˆ
ु Ü कर
ू ा, तू शोक मत कर। [ˆया भगवान कृ`ण यहाँ अ¹ाह]मक धम' को šयागने
दं ग
के ]लए कह रहे ह/?]

मुिस्लम-बहुल देशों में अंतर-धािमर् क िववाह संबंधी कानून केवल इस्लाम का पक्ष लेते
हैं जो अन्य अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और अन्याय पूणर् है।

95
वाƒत•वक शOद धम„ (dharma and not religion) है । धम„ कÁ xया–या के zलए शOदकोष
(पÐरzशÌट ए) दे खe।

170
धम'ž?थ

खण्ड ६.३: कुरान और िहन्दू

कुरान के बहुत से खÁडY म5 ईसाई और यहू•दयY के बारे म5 चचा' कo गई है , >क?तु


"•ह?द"ू शÊद ओर उसके बारे म5 कुरान म5 कोई उÂलेख नह;ं ]मलता।

आप एक न मानने वाले (unbeliever in Islamic teachings) अथवा मश


ु mरक
ह/ य•द आप ईgवर के Gव]भ?न 8पY कo पज
ू ा करते ह/, आप अ?य भगवानY (कृ`ण,
ईसामसीह, आ•द) को अÂलाह के समकs मानते ह/ तथा उनको >कसी भी 8प म5
पज
ू ते ह/, आप यह नह;ं मानते >क Xवग' और धरती कo रचना माl ६ •दनY म5
कo गई थी, आप आ•ख़रत फैसले के •दन (Judgment Day) के ]स´धांत को
नह;ं मानते, आप पैगkबर मह
ु kमद को ईgवर के आ•खर; दत
ू नह;ं मानते और
आप कुरान के मत
ु ाËबक इXलामी तर;के से अपना जीवन wनव'हन नह;ं करते।
96
न मानने वाले अथवा मश
ु mरक के सkब?ध म5 कुरान कo कुछ चन ु ी हुई आयत5
Ëबना >कसी ट;का •टŽपणी के द; गई ह/ ता>क अंतर-धा]म'क यग
ु ल इ?ह5 पढ़कर
अपने भावी जीवन के स?दभ' म5 इनका अथ' wनकाल सक5।

• २.१७८: ऐ ईमान लानेवालो! रˆतपात म5 आपके ]लए !wतशोध का फैसला


>कया गया है , Xवतंl लोगY के बदले Xवतंl लोगY को मारना बराबर है ,
ग़ल
ु ामY के बदले ग़ल
ु ाम को मारना और म•हलाओं के बदले म•हलाय5 को
मारना बराबर है । यह तk
ु हारे रब कo ओर से एक छूट और दयालत
ु ा है । >फर
इसके बाद भी जो òयादती करे तो उसके ]लए दख
ु द यातना है ।

• २.१९१: मार डालो >फर तम


ु उ?ह5 जहां भी पाओ। उ?ह5 उन जगहY से खदे ड़
दो, जहाँ से उ?हYने तk
ु ह5 wनकाला था। मwू त'पज
ू ा रˆतपात से अ9धक क`टदायी
है ।

• २.१९३: तम
ु उनसे लड़ो जब तक >क उšपीड़न का खाšमा न हो जाए और
अÂलाह का द;न ह; शेष रह जाए।

96
कुरान कÁ कई xया–याएं ह“। पाठक€ को सलाह द~ जाती है —क इन आयत€ कÁ ƒपÌट xया–या
और पण
ू „ संदभ„ को समझने के zलए कुरान के कुछ संƒकरण पढ़e । ये उ‘धरण एन. जे. दाऊद,
पe गुइन बÇ
ु स, https://qoran.com और https://tanzil.net (Hindi: फा•ख खान & अहमद) सgहत
कई Öोत€ से zलए गए ह“। उ‘धत
ृ प‘य सं–या अनम
ु ा¬नत हो सकती है ।

171
!ेમ का धम'

• २.२२१: और मशु Tरक (बहुदेववाद5) िM$य^ से :नकाह न करो जब तक >क वे


ईमान न लाएँ (till don’t convert)। एक ईमानवाल; ग़ल ु ाम, मश
ु mरक Xlी
से कह;ं उÜम है ; चाहे वह तk
ु ह5 >कतनी ह; अFछÍ ˆयY न लगे। और न
ईमानवाल; िXlयY का मश
ु mरक प›
ु षY से wनकाह करो, जब तक >क वे ईमान
न लाएँ। एक ईमानवाला ग़ल
ु ाम आज़ाद मश
ु mरक से कह;ं उÜम है , चाहे वह
तk
ु ह5 >कतना ह; अFछा ˆयY न लगे। ऐसे लोग आग (जह?नम) कo ओर
बल
ु ाते है और अÂलाह अपनी अनi
ु ा से ज?नत और sमा कo ओर बल
ु ाता
है । [यह एक कथन •ह?दू के ]लए अšयंत महšवपूण' है जो एक मुिXलम के
साथ अंतर-धा]म'क सkब?ध म5 है ।]

• ३.११८: ऐ ईमान लानेवालो! अपनY को छोड़कर दस


ू रY को अपना अंतरं ग ]मl
न बनाओ, वे तk ु सान पहुँचाने म5 कोई कमी नह;ं करते। िजतनी भी
ु ह5 नक़
तम
ु क•ठनाई म5 पड़ो, वह; उनको G!य है । उनका ´वेष तो उनके मँह ु से
–यˆत हो चकु ा है और जो कुछ उनके सीने wछपाए हुए ह/, वह तो इससे भी
बढ़कर है । य•द तम ु ब´
ु 9ध से काम लो, तो हमने तkु हारे ]लए wनशाwनयाँ
खोलकर बयान कर द; ह/।

• ३.१५१: हम शीÞ ह; इनकार करनेवालY के •दलY म5 धाक Ëबठा द5 गे, इस]लए


>क उ?हYने ऐसी चीज़Y को अÂलाह का साsी ठहराया है िजनके साथ उसने
कोई सनद नह;ं उतार;, और उनका •ठकाना आग (जह?नम) है । और
अšयाचाmरयY का ˆया ह; बरु ा •ठकाना है ।

• ४.५६: िजन लोगY ने हमार; आयतY का इनकार >कया, उ?ह5 हम जÂद ह;


आग म_ झ^क_गे। जब उनकo खाल5 पक जाएँगी, तो हम उ?ह5 दस
ू र; खालY म5
बदल •दया कर5 गे, ता>क वे यातना का मज़ा चखते ह; रह5 । wनXसंदेह अÂलाह
!भšु वशाल;, तšवदशþ है ।

• ४.९१: अब तम
ु कुछ ऐसे लोगY को भी पाओगे, जो चाहते ह/ >क तk
ु हार; ओर
से wनिgच?त होकर रह5 और अपने लोगY कo ओर से भी wनिgच?त होकर रह5 ।
पर?तु जब भी वे फ़साद और उपúव कo ओर फेरे गए तो वे उसी म5 औंधे
जा 9गरे । तो य•द वे तम
ु से अलग-थलग न रह5 और तk
ु हार; ओर सल
ु ह का
हाथ न बढ़ाएँ, और अपने हाथ न रोक5, तो तम
ु उ?ह5 पकड़ो और क़Zल करो,
जहाँ कह;ं भी तम
ु उ?ह5 पाओ। उनके Gव›´ध हमने तk
ु ह5 खल
ु ा अ9धकार दे
रखा है ।

172
धम'ž?थ

• ५.३३: जो लोग अÂलाह और उसके रसल


ू से लड़ते ह/ और sेl म5 शरारत
करते ह/, उनका बदला तो बस यह; है >क बरु ; तरह से क़Zल †कए जाएँ या
सल
ू ; पर चढ़ाए जाएँ या उनके हाथ-पाँव Gवपर;त •दशाओं म5 काट डाले जाएँ
या उ?ह5 दे श से wन`का]सत कर •दया जाए। यह अपमान और wतरXकार उनके
]लए दwु नया म5 है और आ•ख़रत म5 उनके ]लए बड़ी यातना है ।

• ८.१२: याद करो जब तk


ु हारा रब फ़mरgतY को !काशना कर रहा था >क "म/
तkु हारे साथ हूँ। अतः तम
ु ईमानवालY को जमाए रखो। म/ इनकार करनेवालY
के •दलY म5 रोब डाले दे ता हूँ। तो तम
ु उनकo गरदन_ काटो और उनके पोर-
पोर पर चोट लगाओ।”

• ९.५: >फर, जब पGवl मह;ने बीत जाएँ तो मश


ु mरकY को जहाँ कह;ं पाओ क़Zल
करो, उ?ह5 पकड़ो और उ?ह5 घेरो और हर घात कo जगह उनकo ताक म5 बैठो।
य•द वे sमा मांग ल5 और नमाज़ क़ायम कर5 और ज़कात द5 तो उनका माग'
छोड़ दो, wनgचय ह; अÂलाह बड़ा sमाशील, दयावान है ।

• ९.२३: ऐ ईमान लानेवालो! अपने बाप और अपने भाइयY को अपने ]मl न


बनाओ य•द ईमान के मक़
ु ाबले म5 का>फर (कुÿ) उ?ह5 G!य हो। तम
ु म5 से जो
कोई उ?ह5 अपना ]मl बनाएगा, तो ऐसे ह; लोग अšयाचार; हYगे।

• ९.२८: ऐ ईमान लानेवालो! मश


ु mरक तो बस अपGवl ह; ह/।

• ९.६२: वे तम
ु लोगY के सामने अÂलाह कo क़सम5 खाते ह/, ता>क तk
ु ह5 राज़ी
कर ल5, हालाँ>क य•द वे मो]मन (believer) ह/ तो अÂलाह और उसका रसल

जो इसके òयादा हक़दार ह/, वो उनको राज़ी कर5 ।

• २२.१९-२२: ये दो Gववाद; ह/, जो अपने रब के Gवषय म5 आपस म5 झगड़े। अतः


िजन लोगY ने का>फर >कया उनके xलए आग के वXl काटे जा चक
ु े ह/। उनके
]सरY पर खौलता हुआ पानी डाला जाएगा। इससे जो कुछ उनके पेटY म5 है ,
वह Gपघल जाएगा और उनकo चमडी भी Gपघल जाएगी। और उनके ]लए (दं ड
दे ने को) लोहे के गुज़' हYगे। जब कभी वे घबराकर उस सजा से भागना चाह5
तो उसी म5 लौटा •दए जाएँगे और कहा जाएगा, "चखो दहकती आग कo
यातना का मज़ा!"

• ु षY से कह दो >क अपनी *लोभन भर5 :नगाह_ बचाकर


२४.३०: ईमानवाले प›
रख_ और अपनी कामुक इvछाओं को दबाकर रख_ यह; उनके ]लए अ9धक

173
!ेમ का धम'

अFछÍ बात है । अÂलाह को उसकo परू ; ख़बर रहती है , जो कुछ वे >कया करते
है । [मुिXलम पु›षY को एक म•हला कo तरफ कामुक wनगाहY से दे खने कo
अनुमwत नह;ं है । अगर वे >कसी म•हला को दे खते ह/ तो उ?ह5 चा•हए >क वे
नज़र5 नीची कर ल5 और वहाँ से wनकल जये।97 मले]शया के इXला]मक खलावत
(wनकटता) कानून के बारे म5 खÁड ७.१.३ म5 पढ़5 । लव-िजहाद के ]लए बनाये
गए संबंधY के अलावा >कसी भी सFचे मुिXलम के ]लए अंतर-धा]म'क सkब?ध
संभव नह;ं ह/। वष° तक एक !ेम सkब?ध म5 रहने के बाद अपने साथी से
Gववाह हे तु धम' पmरवत'न के ]लए कहना धमाÏतरण का एक Gवकृत 8प है ।]

• ३६.८-९: हमने उनकo गद2 न^ म_ जंजीर_ डाल द; ह/ जो उनकo ठो•ड़यY से लगी


ह/। अतः उनके ]सर ऊपर को उठे हुए ह/। और हमने उनके आगे एक द;वार
खड़ी कर द; है और एक द;वार उनके पीछे भी। इस तरह हमने उ?ह5 ढाँक
•दया है । अतः उ?ह5 कुछ सझ
ु ाई नह;ं दे ता।

• ४२.२३: म/ने त?
ु ह5 केवल अपने भाई-बहनY और mरgतेदारY से !ेम करने को
कहा है ।

• ४४.४५-५४: तेल कo तलछट जैसा, वह पेटY म5 खौलता होगा, जैसे गम' पानी
खौलता है । "पकड़ो उसे, और भड़कती हुई आग के बीच तक घसीट ले जाओ,
>फर उसके ]सर पर खौलते हुए पानी को उं डेल दो! ओर कहो ‘मज़ा चख, तू
तो बड़ा बलशाल;, स•जन और आदरणीय था! यह; तो सचाई है िजसके Gवषय
म5 तम
ु संदेह करते थे।’" wनXसंदेह डर रखनेवाले wनिgच?तता कo जगह हYगे,
बाग़Y और öोतY म5 बार;क और गाढ़े रे शम के वXl पहने हुए, एक-दस
ू रे के
आमने-सामने उपिXथत हYगे। ऐसा ह; उनके साथ मामला होगा और हम साफ़
गोर;, बड़ी नेlYवाल; िXlयY से उनका Gववाह कर द5 गे।

• ४७.४-६: अतः जब इनकार करनेवालY से तk


ु हार; मठ
ु भेड़ हो तो उनकo गरदन_
काटनी है , यहाँ तक >क जब उ?ह5 अFछÍ तरह कुचल दो तो ब?धनY म5 जकड़ो,
>फर बाद म5 या तो एहसान करो या अथ'-दं ड का मामला करो, यहाँ तक >क
य´
ु ध करो और अपने बोझ उतारकर रख दे । यह भल;-भाँwत समझ लो, य•द
अÂलाह चाहे तो Xवयं उनसे wनपट ले। >क?तु उसने यह आदे श इस]लए •दया
ता>क तk
ु हार; पर;sा ले सके। और जो लोग अÂलाह के माग' म5 मारे जाते ह/
उनके कम' वह कदाGप अकारथ न रहे गा। वह उनका माग'दश'न करे गा और

97
https://www.interfaithshaadi.org/true-muslim-fall-love-non-muslim/.

174
धम'ž?थ

उनका हाल ठÍक कर दे गा। और उ?ह5 ज?नत म5 दा•ख़ल करे गा, िजससे वह
उ?ह5 पmर9चत करा चक
ु ा है ।

• ४७.२२: य•द तम
ु अपने धम' से पलट गए (leave Islam) तो तम
ु wनgचय
ह; धरती पर पाप करोगे और अपने नातY-mरgतY को काट डालोगे। [मुहkमद
ने कहा: "जो कोई भी अपना इXलाम छोड़ता है , तो उसे मार डालो।" (बुखार;
९.८४.५७)]

• ४७.२३: ये वे लोग ह/ िजनपर अÂलाह ने लानत कo और उ?ह5 बहरा और अँधा


कर •दया।

• ४८.२९: मह
ु kमद अÂलाह के रसल
ू ह/ और जो लोग उनके साथ ह/, वे मश
ु mरकY
पर भार; ह/ >क?तु आपस म5 दयालु ह/।

• ६०.४: हम तम
ु से और अÂलाह से हटकर िज?ह5 तम
ु पज
ू ते हो उनसे Gवरˆत
ह/। हमने तk
ु हारा इनकार >कया और हमारे बीच सदै व के ]लए वैर और Gव´वेष
!कट हो चक
ु ा है जब तक अकेले अÂलाह पर तम
ु ईमान न लाओ।

• ६०.१०: ऐ ईमान लानेवालो! जब तk


ु हारे पास ईमान कo दावेदार िXlयाँ •हजरत
करके आएँ तो तम
ु उ?ह5 इनकार करनेवालY (अध]म'यY) कo ओर न लौटाओ।
न तो वे िXlयाँ उनके ]लए वै´य है और न वे उन िXlयY के ]लए वै´य है ।
तम
ु Xवयं भी मश
ु Tरक पZनी के साथ Bववाह का स}बfध बनाए न रखो।

• ६६.५: इसकo बहुत सkभावना है >क य•द वह (मस ु लमान आदमी) तk ु ह5 तलाक़
दे दे तो उसका रब तk
ु हारे बदले म5 तम
ु से अFछÍ पिšनयाँ उसे !दान करे —
मिु Xलम, ईमानवाल;, आiाकाmरणी, तौबा करनेवाल;, इबादत करनेवाल;,
(अÂलाह के माग' म5 ) सफ़र करनेवाल;, Gववा•हता और कँु वाmरयाँ भी।

• ७२.१४-१५: और यह >क हमम5 से कुछ मिु Xलम (आiाकार;) ह/ और हमम5 से


कुछ हक़ से हटे हुए ह/। तो िज?हYने आiापालन का माग' žहण कर ]लया
उ?हYने भलाई और सझ ू कo राह ढूँढ ल;। रहे वे लोग जो हक़ से हटे हुए
ू -बझ
है , तो वे जह?नम का ईधन होकर रह5 गे।

175
!ेમ का धम'

अध्याय ७: िनयम और कानून

176
धम'ž?थ

177
७.१: अंतर-धािमर्क िववाह एवं तलाक़ संबंधी कानून

>कसी भी भावी अंतर-धा]म'क यग


ु ल को Gववाह, संबंध GवFछे द और संतान संरsण
से सkबं9धत सभी कानन
ू Y को अपने अंतर-धा]म'क Gववाह से पहले अFछÍ तरह
समझ लेना चा•हए। ऐसे यग
ु ल के समs दो !कार के कानन
ू आते ह/: धा]म'क
संXथाओं ´वारा XथाGपत wनयम और सरकार; कानन
ू ।

अ9धकांश धम° म5 अंतर-धा]म'क Gववाह को लेकर कठोर wनयम ह/। सभी सनातन
धम° म5 , समाज ऐसे wनयमY को कड़ाई से लागू नह;ं करता एवं कोई ना कोई
वैकिÂपक –यवXथा का !ावधान भी होता है । कुछ ईसाई पंथY म5 , जैसे >क कैथो]लक
पंथ म5 , दस
ू रे पंथ अथवा धम' के साथी को Gववाह पव
ू ' या तो धम' पmरवत'न अथवा
98
अनब
ु ंध करना होता है >क भावी संतान को एक कैथो]लक कo तरह ह; पाला
जाएगा। यहां तक >क कुछ 9गरजाघर तो अंतर-धा]म'क Gववाह करने वाले एक
कैथो]लक को अपने माता-Gपता के अंwतम संXकार कo अनम
ु wत भी नह;ं दे ते एवं
ऐसे –यिˆत को समाज से ब•ह`कृत कर दे ते ह/।99 इसी तरह इXलाम म5 कोई भी
इमाम अथवा मौलवी एक •ह?द-ू मिु Xलम Gववाह नह;ं करे गा जब तक >क गैर-
मिु Xलम साथी इXलाम कबल
ू करके मिु Xलम ना बन जाए। एक अ¹ाह]मक (ईसाई
और यहू•दयY) से धमाÏतरण के Ëबना wनकाह संभव है >क?तु होने वाल; संतान को
मिु Xलम कo तरह ह; पाला जाएगा।

एक औपचाmरक धमाÏतरण (चाहे वह wनकाह माl के ]लए >कया गया झूठा धमाÏतरण
ह; हो) अथवा Gववाह हे तु >कया गया कोई भी अनब
ु ंध, तलाक़ कo िXथwत म5 संतान
संरsण कo •दशा म5 बहुत बड़ा रोड़ा बन सकता है ।

पिgचमी एवं बहुत से ईसाई बहुल दे शY म5 , केवल धम'wनरपेs कानन


ू ह; सभी
GववाहY और तलाक़ म5 लागू होते ह/। अ9धकतर इXला]मक दे शY म5 , सभी कानन

100
इXला]मक शmरया कानन
ू Y से !भाGवत होते ह/। भारत म5 , सभी धम° के तिु `टकरण
के ]लए ज•टल कानन
ू Y का एक जाल बन
ु ा गया है ।

98
https://www.interfaithshaadi.org/3-4-church-marriage-contract/.
99
https://www.interfaithshaadi.org/christian-church-final-rite/.
100
https://www.youtube.com/watch?v=RiWLGEKusIg.
wनयम और कानन

101
•ह´दशु (Hiddush ) ने अपने सव½sण म5 पाया >क इजरायल (यहूद; दे श) म5
Gववाह से संबं9धत कड़े wनयम ह/, इसी !कार मिु Xलम-बहुल दे शY (६२%; ३३/५३)
तथा ईसाई-बहुल दे शY (७%; ८/१२०) म5 भी Gववाह से संबं9धत कठोर !wतबंध लागू
ह/। >क?तु बौ´ध और •ह?द ू दे शY म5 ऐसे कोई wनयम अथवा !wतबंध (०%; ०/१४)
नह;ं ह/। इस खंड म5 ]भ?न-]भ?न दे शY के Gववाह और तलाक़ से संबं9धत कानन

पर !काश डाला गया है , जैसे >क ˹टे न (यन
ू ाइटे ड >कं गडम) को पिgचमी दे शY के
!wतwन9ध के आधार पर ]लया गया है , इसी !कार इजरायल (यहूद; दे श), मले]शया
(एक मिु Xलम दे श) एवं भारत के Gववाह एवं तलाक़-संबंधी कानन
ू Y का अ¸ययन
>कया गया है ।

इस खंड म5 सभी आंकड़े और सच


ू नाएं शै‘sक !योजनY के ]लए द; गई ह/। एक
अंतर-धा]म'क यग
ु ल को उनके दे श म5 !भावी कानन
ू Y का भल; भांwत अ¸ययन कर
लेना चा•हए। इस लेख म5 !Xतत
ु सच
ू ना को कोई वैधाwनक सलाह ना माना जाए,
अGपतु >कसी भी िXथwत म5 अंतर-धा]म'क GववाहY म5 कुशल अ9धवˆता (वकoल) का
परामश' ]लया जाना चा•हए।

७.१.१: पि“चमी Bववाह एवं तलाक़ संबंधी कानन



102
˹टे न म5 Gववाह-संबंधी दो कानन
ू ह/: Marriage Act 1949 तथा Marriage
Causes Act 1973।103 जहां तक ˹तानी कानन
ू Y कo बात है , Gववाह के ]लए
˹टे न म5 आयु एवं शाद; करने कo sमता होना ह; आवgयक है । ˹टे न म5 Gववाह
हे तु धम' कo कोई बा¸यता नह;ं है । संsेप म5 कह5 तो अंतर-धा]म'क Gववाह ˹टे न
म5 मा?य ह/ और Gववाह हे तु धमाÏतरण >कसी –यिˆत Gवशेष का wनजी wनण'य है ।
Gववाह म5 इसी !कार कo Xवतंlता मानवा9धकार के यरू ोपीय सkमेलन म5 भी द;
गई है ।104,105

101
http://marriage.hiddush.org.
102
http://www.legislation.gov.uk/ukpga/Geo6/12-13-14/76/contents.
103
http://www.legislation.gov.uk/ukpga/1973/18.
104
http://www.echr.coe.int/Documents/Convention_ENG.pdf.
105
लेखक सभी ज़•र~ और वैधा¬नक जानकार~ उपलOध करने के zलए िजमी का धयवाद करते ह“।
यह सभी जानकार~ इस खंड मe •वƒतत
ृ •प से Iयोग कÁ गई है ।
(https://www.interfaithshaadi.org/malaysia-uk-marriage-laws/)

179
!ेમ का धम'

७.१.२: इजरायल के Bववाह-संबंधी कानन


इजरायल; कानन
ू म5 केवल धा]म'क GववाहY का !ावधान है तथा कानन
ू ी Gववाह कo
कोई मा?यता नह;ं है । यहूद; लोगY के अनस ु ार, म‰
ु य रॅबाय ् (rabbi), जो परं परावाद;
यहूद; मानकY के अनस ु ार काय' करते ह/, का Gववाह के मामलY म5 एका9धकार है ।
इजराइल म5 केवल यहूद; (जो कo परं परागत कानन
ू Y ´वारा !मा•णत ह/) ह; Gववाह
कर सकते ह/। दस
ू रे धम° के –यिˆत अपने ह; धम° म5 Gववाह कर सकते ह/ वह
भी अपने धम' के !मा•णत संXथान ´वारा। इसका अथ' यह है >क इजरायल म5
अंतर-धा]म'क एवं गैर-धा]म'क Gववाह मा?य नह;ं ह/। तथाGप इजरायल का गह

मंlालय Gवदे श म5 हुए कानन
ू ी (अंतर-धा]म'क या धा]म'क) GववाहY को मा?यता दे ता
है तथा उ?ह5 पंजीकृत भी करता है ।106

७.१.३: मलेxशयाई Bववाह-संबंधी कानन


मले]शयाई संGवधान सभी को धम' कo Xवतंlता दे ता है तथा यह दे श आ9धकाmरक


तौर पर एक धम'wनरपेs दे श है , >क?तु इसम5 भी एक प5 च है , यह दे श इXलाम
को दे श का धम' मानता है जो मले]शयाई समाज म5 धम' कo महÜा को दशा'ता
है ।107 एक मलय108 –यिˆत से !ेम InterfaithShaadi109 पर सबसे •यादा !च]लत
GवषयY म5 से एक है । समीर नाम के –यिˆत ´वारा उठाए गए wनkन]ल•खत !gन,
यव
ु ाओं के मन म5 उमड़ रह; आशंकाओं कo ओर इं9गत करते ह/:

समीर कहता है : मेर; !े]मका एक चीनी मलय (गैर मुिXलम) है और म/ एक


मुिXलम हूं >क?तु मलय नह;ं हूं। म/ नह;ं चाहता >क मेर; !े]मका Gववाह-हे तु
धमाÏतरण कर मुिXलम बने। ˆया हम ]संगापुर म5 Gववाह110 करके मले]शयाई
द;घ'काल;न वीजा के ]लए !यास कर सकते ह/? ˆया होगा य•द म/ यह कहूं >क
म/ एक मुिXलम नह;ं हूं?

106
http://marriage.hiddush.org.
107
https://en.wikipedia.org/wiki/Islam_in_Malaysia.
108
मलेzशया के सं•वधान के अनस
ु ार, हर मलय को मिु ƒलम होना ह~ चाgहए, चाहे वह —कसी भी
जातीय परं परा का पालन करते ह€, अhयथा वे मलय नह~ं ह“।
(https://en.wikipedia.org/wiki/Islam_in_Malaysia).
109
https://www.interfaithshaadi.org/blog/?cat=112.
110
एक धम„¬नरपे •ववाह zसंगापरु मe संभव है । Øयादा जानकार~ के zलए पढ़e :
https://en.wikipedia.org/wiki/Matrimonial_law_of_Singapore.

180
wनयम और कानन

लेखक को बड़ी पीड़ा का अनभ


ु व होता है जब पता लगता है >क ऐसे भोले भाले
!े]मयY के पास बस दो ह; GवकÂप बचते ह/। या तो वे अपने !ेम संबंध को
wतलांज]ल दे द5 अथवा ना चाहते हुए भी गैर-मिु Xलम साथी धमाÏतरण कर मिु Xलम
बन जाए ता>क वह यग ु ल मले]शया म5 रह सके। च]लए अब इस ज•टलता को
समझने के ]लए मले]शयाई Gववाह संबंधी कानन
ू Y को समझते ह/।
111
मले]शया म5 संघ का संGवधान सवîपmर है तथा यह संGवधान अपने अनF
ु छे द ११
के अ?तग'त धम' कo Xवतंlता दे ता है । जहां तक पmरवार अथवा Gववाह संबंधी
कानन
ू Y का !gन है , मले]शया म5 दो !ाथ]मक कानन
ू ह/: Law Reform (Marriage
and Divorce) Act 1976 (Civil Marriage) तथा Islamic Family Law
(Federal Territories) Act 1984 (Muslim Marriage)112। The Civil
Marriage, 1976 Xप`ट करता है >क "यह अनF
ु छे द मिु Xलम लोगY पर लागू नह;ं
होता"113 अतः >कसी भी तरह से एक मिु Xलम एक गैर-मिु Xलम साथी से कानन
ू ी
Gववाह नह;ं कर सकता। वाXतव म5 य•द कोई मिु Xलम मले]शया म5 >कसी गैर-
मिु Xलम से Gववाह करता है अथवा साथ रहता है तब वह शmरया कानन
ू के अंतग'त
–य]भचार (िज़ना) और खलावत का दोषी करार •दया जा सकता है ।114,115,116

एक मिु Xलम के ]लए मले]शया म5 अपनी शाद; का पंजीकरण Islamic Family


Law Act 1984 के अंतग'त अwनवाय' होता है । एक मिु Xलम और एक गैर-मिु Xलम

111
http://confinder.richmond.edu/admin/docs/malaysia.pdf.
112

http://www2.esyariah.gov.my/esyariah/mal/portalv1/enakmen2011/Eng_act_lib.nsf/858a
0729306dc24748257651000e16c5/1d314361e2750042482569810025f0fc?OpenDocum
ent.
113
Laws of Malaysia, Act 164
(https://unstats.un.org/unsd/vitalstatkb/KnowledgebaseArticle50620.aspx).
114
डॉ ज़ा—कर नाइक क़ुरान (२४:३०) कÁ xया–या कÁ है —क जब भी एक मिु ƒलम पG
ु ष एक मgहला
को दे खता है तब उस पG
ु ष को चाgहए —क वह अपनी ¬नगाह€ को नीचे कर अपनी नÛता gदखाए।
अ’धक जानकार~ के zलए दे खe: https://www.youtube.com/watch?v=foLbqR6fBf8.
115
http://www.themalaymailonline.com/malaysia/article/what-happens-duringkhalwat-
raids-uk-roadcaster-joins-malaysias-religious.
116
https://www.youtube.com/watch?v=-JpTXzvZVl4.

181
!ेમ का धम'

के बीच शाद; मले]शया म5 अवैध है ।117 हालां>क कुछ Gवशेष पmरिXथwतयY म5 कुछ
अपवाद संभव ह/। एक मिु Xलम प›
ु ष को एक >कताËबया (People of Book) से
शाद; कo अनम
ु wत है । एक >कताËबया वह ईसाई Xlी होती है िजसके पव
ू ज
' पैगkबर
मह
ु kमद कo पैगंबर; (!वत'न) से पहले भी ईसाई थे; वह एक यहूद; Xlी भी हो
सकती है िजसके पवू ज
' ईसामसीह के पहले भी यहूद; थे। कई और भी !wतबंध ह/
िजसके चलते एक गैर-मिु Xलम को मले]शया म5 अपनी शाद; को पंजीकृत कराने
के ]लए धमाÏतरण करना ह; पड़ता है ।

कहा जाता है >क इXलाम म5 कोई !wतबंध नह;ं है ,118 >क?तु –यावहाmरक 8प से
दे ख5 तो अंतर-धा]म'क यग
ु लY के ]लए Gववशता है >क या तो वे धमाÏतरण कर5
अथवा अपने वष° परु ाने !ेम संबंध को wतलांज]ल दे द5 ।

हर मले]शयाई नागmरक को एक पहचान पl (MyKad)119 जार; >कया जाता है


िजस पर मिु Xलम नागmरक का धम' "इXलाम" ]लखा होता है ।120 जैसा >क पहले
बताया गया है >क मले]शया म5 एक मिु Xलम, मिु Xलम से ह; शाद; कर सकता है ;
िजसका अथ' है >क एक गैर-मिु Xलम साथी को शाद; के ]लए धमाÏतरण करना ह;
होगा तथा MyKad म5 पmरवत'न कराने ह; हYगे।

अगर कोई Gववाह >कसी दसू रे दे श म5 वहां के कानन


ू के अनस
ु ार हुआ है , तब उस
यग
ु ल को मले]शया म5 रहने के ]लए अपने Gववाह को मले]शयाई !wतwन9ध के
काया'लय म5 पन
ु ः पंजीकृत कराना होता है , वह भी Gववाह wत9थ से ६ मह;ने के
भीतर। मले]शया के बाहर हुआ कोई भी मिु Xलम और गैर-मिु Xलम का Gववाह
मले]शया म5 मा?य नह;ं होता। एवं ऐसे यग
ु ल कo संतानY को भी मले]शयाई
नागmरकता नह;ं ]मलती और ना ह; नागmरक सGु वधा ]मलती है ।121 अब य•द कोई
मिु Xलम और गैर-मिु Xलम >कसी दस
ू रे दे श म5 Gववाह करके मले]शया म5 Ëबना
स9ू चत >कये रहते ह/ और कोई इसकo सच
ू ना !शासन को दे दे , शmरया !शासन

117
क़ुरान २:२२१; मलेzशया के Islamic Family Law (Federal Territory) Act 1984 के खंड १०
(अhय धमà के xयिÇत) के अनस
ु ार: (१) कोई भी पG
ु ष —कसी गैर मिु ƒलम से ¬नकाह नह~ं करे गा
zसवाय —कता°बया के और (२) कोई ƒ¶ी भी —कसी गैर मिु ƒलम से ¬नकाह नह~ं करे गी।
118
क़ुरान २:२५६।
119
https://en.wikipedia.org/wiki/Malaysian_identity_card.
120
http://www.jpn.gov.my/en/informasi/aplikasi-utama/.
121
http://www.jpn.gov.my/en/perkhidmatan/pendaftaran-semulaperkahwinan-bagi-
pasangan-bukan-islam-yang-telah-didaftarkan-mengikutundang-undang-negara-asing-
pada-atau-selepas-01-03-1982/.

182
wनयम और कानन

मिु Xलम साथी को िज़ना और खलावत के अपराध के ]लए 9गरùतार कर सकती


है , ˆयY>क वह Gववाह मले]शया म5 मा?य नह;ं है ।122

मले]शया म5 सामा?य ?यायालयY के समानांतर शmरया अदालत5 भी स>(य होती ह/


तथा वह मिु Xलम पmरवार से संबं9धत कानन
ू ी मामलY जैसे तलाक़ और धम' šयाग
का wनपटान करती ह/। गैर-मिु XलमY पर शmरया कानन
ू लागू नह;ं होते।

दस
ू रे धम° Gवशेषकर मिु Xलम साथी से !ेम संबंध म5 ]लŽत –यिˆत को यह जानना
बहुत आवgयक है >क इXलाम म5 धम' पmरवत'न एक ह; •दशा म5 जाने वाला राXता
है , दस
ू रे शÊदY म5 कह5 तो मिु Xलम होने के बाद >कसी दस
ू रे धम' म5 पmरवत'न
wनतांत असंभव है ।123 इसी !कार मले]शया म5 MyKad म5 अपना धम' मिु Xलम
से >कसी अ?य धम' म5 पmरवwत'त कराना भी पण
ू त
' या असंभव है (एक •ह?द ू रे वती
मसोसाई के बारे म5 पढ़5 124)। एक –यिˆत जो मिु Xलम कo तरह मले]शया म5
पंजीकृत है अब चाहे वह कोई भी धम' का पालन करता हो, वह Gववाह केवल
मिु Xलम धम' के –यिˆत से कर सकता है । (जर;ना के बारे म5 पढ़5 125 जहां एक

122
http://www.loyarburok.com/2008/07/10/muslim-nonmuslim-marriages-in-malaysia/.
123
पैग•बर मह
ु •मद ने कहा, "जो भी (मिु ƒलम) अपना धम„ पÐरवत„न करता है , उसे मार gदया जाये"
(बख
ु ार~ ९.८४.५७). http://www.jihadwatch.org/2010/12/malaysiaislamic-agency-vows-to-
enforce-islamic-apostasy-law ओर
http://www.wikiislam.net/wiki/Persecution_of_Ex-Muslims. यहाँ तक —क एक गैर मिु ƒलम कÁ
एक मिु ƒलम के साथ शाद~ "तलाक़ तलाक़ तलाक़" कहने से टूट जाती है , —कhतु अब उस xयिÇत,
िजसने एक मिु ƒलम से •ववाह के zलए धम„ पÐरवत„न —कया था, के पास —कसी दस
ू रे गैर मिु ƒलम से
शाद~ करने का अ’धकार नह~ं रह जाता।
124
रे वती मसोसाई का जhम एक पÐरव¬त„त मिु ƒलम€ के घर हुआ और उसे एक मिु ƒलम नाम भी
gदया गया, —कhतु उसका लालन पालन एक gहhद ू —क तरह उसकÁ दाद~ ने —कया तथा रे वती ने सभी
gहhद ू पर•पराओं का पालन —कया। —कhतु मलेzशया के इƒलाzमक कानन
ू के अनस
ु ार एक मिु ƒलम
माता-•पता कÁ संतान मिु ƒलम ह~ होगी अतः ऐसे xयिÇत को अपना धम„ पÐरव¬त„त करने कÁ अनम
ु ¬त
नह~ं है और न ह~ वह —कसी गैर मिु ƒलम से शाद~ कर सकता है । —कhतु रे वती ने एक gहhद ू से २००४
मe •ववाह —कया तथा इन दं प•å कÁ एक बेट~ भी है । जब जनवर~ २००७ मe hयायालय मe ¬नवेदन —कया
कÁ उसे एक gहhद ू घो•षत —कया जाये, —कhतु उसे ’गरæतार कर zलया गया तथा इƒलाzमक पन
ु वा„स
कeç भेज gदया गया। उनका कारावास दो बार ६ मह~ने के zलए बढ़ाया गया, इस अव’ध मe रे वती के
अनस
ु ार धाzम„क अ’धकाÐरय€ ने उhहe नमाज़ पढ़ने और gहज़ाब पहनाने का Iयास —कया। —कhतु वह
gहhद ू होने पर अड़ी रह~ं। इस बीच, रे वती और उनकÁ बेट~ को रे वती के मिु ƒलम माता-•पता को सèप
gदया गया। (http://news.bbc.co.uk/2/hi/asia-pacific/6278568.stm)
125
ज़र.ना के माता-•पता gहhद ू थे। बाद मe उनके •पता मिु ƒलम हो गए और अपने ब˜च€ को भी
मिु ƒलम नाम दे gदए। —कhतु ज़र~ना का लालन पालन एक gहhद ू कÁ तरह हुआ। ज़र~ना ने जब
अपने gहhद ू Iेमी से •ववाह करने का ¬नण„य zलया, मलेzशयन पzु लस उhहe gहhद ू •ववाह समारोह के

183
!ेમ का धम'

•ह?द ू कo तरह जीने वाल; लड़कo को एक •ह?द ू से Gववाह करने के अपराध म5


9गरùतार कर ]लया गया)। यहां तक >क य•द आप बहुत वष° तक इXलाम के
अwतmरˆत >कसी दसू रे धम' का पालन करते हY, शmरया प]ु लस यह सwु निgचत
करे गी >क >कसी भी मिु Xलम कo तरह पंजीकृत –यिˆत का अंwतम संXकार एक
मिु Xलम कo तरह ह; हो (मwू त' के बारे म5 पढ़5 126 जो आचरण से •ह?द ू थे >क?तु
उनका शव उनकo •ह?द ू पšनी से छÍन ]लया गया।)।

लेखक का मत है >क मिु Xलम-बहुल दे शY म5 अंतर-धा]म'क Gववाह संबंधी कानन



केवल इXलाम का पs लेते ह/ जो अ?य अÂपसं‰यकY के साथ भेदभाव और
अ?याय पण
ू ' है । अगर लेखक के अनभ
ु व एवं iान के आधार पर कह5 परू े Gवgव
म5 कोई ईसाई और •ह?द ू बहुल दे श नह;ं है जहां अंतर-धा]म'क Gववाह संबंधी कानन

उनके धम' Gवशेष का पs लेते हY।

अगर क़ुरान के अनस


ु ार चल5 तब तो हर मिु Xलम –यिˆत जो Gववाह से पहले !ेम
संबंध म5 ]लŽत होता है वह खलावत का दोषी होता है एवं उसे कड़ा दं ड ]मलना
चा•हए।127 मलय !शासन को भी मिु Xलम और गैर-मिु Xलम यव
ु ाओं को अंतर-
धा]म'क !ेम संबंधY के गंभीर पmरणामY के बारे म5 और भी ]श‘sत करने का !यास

बीच से ’गरæतार कर zलया। ज़र~ना के अनस


ु ार यgद समƒया को जÈद सल
ु झाया न गया, उन पर
इƒलाम कÁ तौह~न जैसा गंभीर आरोप लग सकता है ।
(http://www.themalaymailonline.com/malaysia/article/path-to-leave-islamsimple-but-far-
from-easy)
126
म1ू त2 मलेzशया के Izस‘ध पव„तारोह~ थे। म¬ू त„ का अं¬तम संƒकार उनकÁ प•नी कÁ इ˜छा के
•वG‘ध मिु ƒलम र~¬त Ðरवाज़ से —कया गया। उनकÁ प•नी का कहना था —क उhह€ने अपनी म•ृ यु से
पहले मिु ƒलम धमाéतरण नह~ं —कया था। मलेzशया के Iशासन के इस ¬नण„य का आधार मलेzशयन
उ˜च hयायलय का एक आदे श है िजसके अनस
ु ार उ˜च hयायालय दे श के इƒलाzमक hयायालय€ के
धम„-स•बhधी मामल€ मe आदे श को पलट नह~ं सकता। इƒलाzमक शÐरया hयायालय ने यह आदे श
म¬ू त„ के सेना के सहकzम„य€ के बयान के आधार पर gदया, िजनके अनस
ु ार म¬ू त„ ने म•ृ यु से एक साल
पहले ह~ मिु ƒलम धमा„hतरण —कया था। उनका पÐरवार उनके zलए gहhद ू —êया कम„ चाहते थे, पÐरवार
को hयायालय मe Iƒतत
ु होने कÁ अनम
ु ¬त नह~ं द~ गई Çय€—क वे मिु ƒलम नह~ं थे। पÐरवार ने द~वानी
अदालत मe गुहार लगाई और कहा —क म¬ू त„ एक gहंद ू थे। पÐरवार के अनस
ु ार दो मह~ने पहले ह~
gदवाल~ कÁ तैयार~ को लेकर एक घरे लु ट~वी चैनल को साÂा•कार भी gदया था। —कhतु उ˜च hयायालय
सरकार~ वकÁल€ के साथ सहमत था, िजनका कहाँ था —क यह मामला उ˜च hयायालय के अ’धकार
Âे¶ मe नह~ं आता। (http://news.bbc.co.uk/2/hi/asia-pacific/4563452.stm)
127
क़ुरान (२४:30); https://www.interfaithshaadi.org/true-muslim-fall-love-non-muslim/ ओर
https://www.youtube.com/watch?v=-JpTXzvZVl4.

184
wनयम और कानन

करना चा•हए। अंतर-धा]म'क !ेमी यग


ु लY को कोई भी wनण'य लेने से पहले सभी
कानन
ू एवं अ?य पmरणामY के बारे म5 भल; भांwत जान लेना चा•हए।

७.१.४: भारतीय Bववाह एवं तलाक़ संबंधी कानन


भारत म5 Gववाह संबंधी कानन


ू Y कo दोहर; परं परा है । एक तो रा`Ñ;य कानन
ू और
दस
ू रा धमÏ के अनस
ु ार कानन
ू । हर समद
ु ाय अथवा समद
ु ायY के समह
ू के ]लए
–यिˆतगत कानन
ू है >क?तु कोई भी –यिˆत अपने समद
ु ाय Gवशेष के कानन
ू को
128
छोड़ कर रा`Ñ;य कानन
ू Y के आधीन भी कानन
ू ी Gववाह कर सकता है ।

129
७.१.४.१: भारतीय žयि‡तगत Bववाह कानन

Gहfदओ
ू ं (िजसम5 जैन, ]सख, और बौ´ध भी सिkम]लत ह/) म5 Gववाह •ह?द ू Gववाह
अ9धwनयम १९५५ के अ?तग'त होते ह/।130,131 इस कानन
ू के अ?तग'त दोनY पs
•ह?द ू अथवा जैन, ]सख और बौ´ध होने चा•हए। ]सख यग
ु लY का Gववाह •ह?द ू
Gववाह अ9धwनयम कo अपेsा आनंद Gववाह अ9धwनयम १९०९ (२०१२ म5 संशो9धत)
के अ?तग'त पंजीकृत होता है ।

मिु Mलम Gववाह उनके –यिˆतगत कानन


ू के अंतग'त होते ह/ िजसके अनस
ु ार wनकाह
एक अनब
ु ंध है तथा यह अनब
ु ंध Xथाई अथवा अXथाई हो सकता है तथा एक प›
ु ष
को चार पिšनयां रखने कo अनम
ु wत है य•द वह सभी को समान अ9धकार दे सके।
मिु Xलम कानन
ू Y के अ?तग'त एक वैध wनकाह करने के ]लए एक क़ाज़ी कo
उपिXथwत अwनवाय' नह;ं है । ऐसे wनकाह के ]लए एक अनब
ु ंध, दो समझदार प›
ु षY
(अथवा एक समझदार प›
ु ष या दो समझदार िXlयY) जो सभी मिु Xलम हY का
होना अwनवाय' है , इन सबकo उपिXथwत म5 अनब
ु ंध को Xवीकार करने से एक वैध
wनकाह हो जाता है । भारतीय कानन
ू Y के अनस
ु ार एक मिु Xलम पwत तीन बार
"तलाक़" शÊद कहकर अपनी पšनी को तलाक़ दे सकते थे, वह भी Ëबना कोई

128
यह जानकार~ •वzभhन ƒ¶ोत€ पर उपिƒथत सच
ू नाओं का सारांश है , यह ƒ¶ोत ¬न•न ह“
Legalight.in, SudhirLaw, Wikipedia, Indiankanoon.org। यहाँ पर द~ गई सभी जानकार~
zशÂण उ‘दे Äय के zलए है । अंतर-धाzम„क यग
ु ल को अपने दे श के सं•वधान और कानन
ू कÁ जानकार~
के zलए —कसी अ’धवÇता (वकÁल) से कानन
ू ी परामश„ लेना चाgहए।
129
यह जGर पढे https://www.esamskriti.com/e/National-Affairs/Ideas-ad-Policy/What-
Every-Hindu-Girl-Marrying-A-Muslim-Should-Know,-Marriage-Laws-In-India-1.aspx.
130
http://indiankanoon.org/doc/590166/.
131
http://en.wikipedia.org/wiki/Hindu_Marriage_Act.

185
!ेમ का धम'

कारण बताए। मगर अब भारत सरकार के आदे शानस


ु ार, यह तर;का जो >क तलाक़-
ए-Ëब´दत भी कहा जाता है , १ अगXत २०१९ से ग़ैरक़ानन
ू ी हो गया है । >क?तु एक
मिु Xलम Xlी के तलाक़ लेने पर कुछ •यादा शतÔ अwनवाय' ह/।132

पारसी नागmरकY का Gववाह पारसी Gववाह एवं तलाक़ अ9धwनयम के अंतग'त


पंजीकृत होता है133 िजसम5 उनके Gववाह और तलाक़ से संबं9धत सभी !ावधान
उÂले•खत ह/।

ईसाई नागmरकY के Gववाह के ]लए भारत म5 भारतीय ईसाई Gववाह अ9धwनयम,


१८७२ है ।134 अब य•द एक Gववाह करने वाला केवल एक पs ईसाई है तब वह
Gववाह तभी वैध होगा जब गैर-ईसाई पs के –यिˆतगत कानन
ू उस Gववाह को
वैध मानते ह/। उदाहरण के ]लए य•द पšनी एक ईसाई है तथा पwत एक •ह?द ू है
तब यह Gववाह •ह?द ू कानन
ू के अंतग'त वैध है । ऐसी िXथwत म5 जहां एक पs
ईसाई है तथा दस
ू रा पs गैर-ईसाई है , तब ऐसे Gववाह को Xपेशल मैmरज एˆट
१९५४ के अ?तग'त पंजीकृत कराना अ9धक उ9चत होगा।

७.१.४.२: भारतीय कानन


ू ी Bववाह

भारत के कोई भी नागmरक (•ह?द,ू मिु Xलम, ईसाई, पारसी) जो Xपेशल मैmरज
एˆट १९५४ (The Special Marriage Act, 1954; िजसे कानन
ू ी Gववाह भी कहते
ह/) के अ?तग'त Gववाह करता है तब वह Gववाह इस कानन
ू के अंतग'त पंजीकृत
होता है ।

Mपेशल मैTरज ए‡ट १९५४

The Special Marriage Act, 1954 (General Marriage Law)135 एक Gवशेष


!कार के Gववाह का !ावधान करता है तथा ऐसे GववाहY एवं तलाक़ के ]लए भी
पंजीकरण करने का !ावधान है । >क?ह;ं भी दो –यिˆतयY (>कसी भी धम' के
भारतीय नागmरक) के बीच Gववाह के ]लए इस अ9धwनयम के अ?तग'त नो•टस
जार; >कया जाता है । Gववाहोपरांत, संबं9धत अ9धकार; एक !माणपl जार; करता

132
http://indiankanoon.org/doc/1458498/.
133
http://indiankanoon.org/doc/122564/.
134
http://indiankanoon.org/doc/1166543/.
135
http://indiankanoon.org/doc/4234/.

186
wनयम और कानन

है िजस पर दोनY पsY तथा तीन गवाहY के हXताsर होते ह/। इस पंजीकरण अथवा
कानन
ू ी Gववाह के बाद Gववाह तथा भGव`य म5 होने वाल; संतानY को भी वैध माना
जाता है । >कसी भी •ह?द,ू ]सख, जैन और बौ´ध पmरवार के सदXय का इस
अ9धwनयम के अ?तग'त Gववाह उस –यिˆत के अपने पmरवार से पथ
ृ क होने का
कारण भी बन सकता है । अतः यह अ9धwनयम गंभीर समXयाओं जैसे संवध
ै ाwनक
अ9धकारY के हनन, Gववाह को अवैध करार दे ना एवं तलाक़ म5 कानन
ू ी हल भी
!दान करता है । इस कानन
ू म5 Gववाह पgचात गज़
ु ारा भÜा के ]लए भी कानन
ू ी
!ावधान है ।

७.१.४.३: भारत म_ वैवाGहक समारोह

अंतर-धा]म'क Gववाह म5 यग
ु ल को भांwत-भांwत के वैवा•हक समारोहY म5 भाग लेना
पड़ जाता है ˆयY>क दोनY तरफ के पmरवारY को संत`ु ट जो करना है । कानन
ू ी बातमे
म5 सबसे पहले पंजीकृत होने वाले वैवा•हक समारोह को ह; वैध माना जाता है ।

िकसी भी तलाक के पीछे मुख्य कारण होता है िक वह (दू सरा साथी) िववाह के बाद
बदल गया है। वास्तव में बदलता कोई नहीं है िकंतु हम प्रेम के मोहपाश में िकसी
व्यिक्त का असली चिरत्र नहीं पहचान पाते।

187
पिरिशष्ट अ: शब्दकोष

›ेœठतावाद (superiority): Gवgवास >क Xवयं का धम' अ?य धम° कo तल


ु ना म5
®े`ठ है ।

धमा{धता (bigotry): एक Gवgवास या राय के ]लए आय•ड़यल या अन9ु चत सोच;


Gवशेष 8प से, >कसी Gवशेष समह
ू कo सदXयता के आधार पर >कसी –यिˆत या
लोगY के !wत पव
ू ा'žह।

मGहमामं•डत (idolized): –यापक 8प से एक भगवान के 8प म5 पज


ू ा करने के
]लए; कुछ खास लोगY से अšय9धक Žयार या !शंसा करना।

मोxमन (believer): मस
ु लमान प›
ु ष।

हठधxम2ता (dogma): >कसी !ा9धकरण ´वारा wनGव'वाद 8प से सšय के 8प म5


wनधा'mरत ]स´धांत या ]स´धांतY का समह
ू ।

अ¥ाहxमक आMथाएं: यहूद;, ईसाई और इXलाम। (अ¹ाहम को मानने वाले, िज?हे


ईgवर का पहला उपदे श १९४३ ई.प.ू म5 ]मला था)

आ™ख़रत (फैसले) का Gदन (Judgment Day): सभी मन`ु य िज?हYने इस धरती


पर ज?म ]लया है एक •दन ईgवर के सामने पेश >कये जाय5गे और उनके •द–य
पl
ु ईसामसीह सभी के बारे म5 wनण'य ल5गे। मस
ु लमानो का मानना है >क अÂलाह
उस •दन सभी मो]मन (मानने वाले) और का>फरY (ना मानने वाले) का फैसला
कर5 गे।

आयत: क़ुरान का एक छं द

BBS: Baptism (बिŽतXमा), Bris (˹स/बार ]मतòवाह), Shahadah


(शहादा/स?
ु नत), आ•द अ¹ाह]मक पंथ से सkबं9धत धा]म'क अन`ु ठान।

इमाम: इमाम एक इXलामी नेतšृ व कo पदवी है । यह अ9धकतर एक मिXजद अथवा


मिु Xलम समाज के पज
ु ार; के ]लए !योग कo जाती है ।

ईद: ईद-उल->फतर [ईद-उल ्->फl] मस


ु लमानY का एक महšवपण
ू ' šयौहार है िजसे
Gवgव भर के मिु Xलम मनाते ह/। इस •दन रमजान का मह;ना, जो रोज़Y का मह;ना
भी कहलाता है , ख़šम होता है ।
पmर]श`ट अ: शÊदकोष

ई“वर अ€लाह तेरो नाम: एक ईgवर के ]भ?न ]भ?न नाम। यह महाšमा गाँधी का
G!य भजन था। यह ]सने जगत म5 नया राXता >फÂम (१९७०) का एक गीत भी
है िजसे मोहkमद रफ़o और अ?य ने गाया था।

ई“वर: यह ¹Òम का !wत8प है । यह ईgवर का साकार 8प भी है जैसे >क भगवान


गणेश। उसी ¹Òम के अनेकY 8प Gव]भ?न !तीकY ´वारा !द]श'त >कये जाते ह/।

ईMटर: इस पGवl•दन ईसामसीह मšृ योपरांत जीGवत हो उठे थे।

ईसामसीह (Jesus): ईgवर के •द–य पl


ु ।

एके“वरवाद (monotheism): एक ह; ईgवर म5 Gवgवास।

एकाZमवाद: जीव तथा ¹Òम कo एकता का ]स´धांत

एडxमन: इस पX
ु तक के लेखक, डॉ. •दल;प अमीन, इसी नाम (एड]मन) से
interfaithShaadi.org पर उपलÊध ह/।

का†फर (कु§): ऐसा –यिˆत जो इXलाम म5 Gवgवास नह;ं करता और अÂलाह को


नह;ं मानता। मस
ु लमानY म5 यह अपमानजनक शÊद है ।

काबा: काबा को काबा मअ


ु òज़मा भी कहा जाता है , यह एक इमारत है जो इXलाम
कo सबसे पGवl मिXजद अल-मिXजद-अल-हराम के बीचY बीच िXथत है । यह
मिXजद मˆका, अल हे जाज़, सऊद; अरब म5 िXथत है और मस
ु लमानY के ]लए
सबसे पGवl Xथान है ।

कुरान: इXलामी धम' ž?थ, िजसे अÂलाह का पैगkबर मह


ु kमद को •दया आदे श
भी माना जाता है । ऐसी मा?यता है >क यह स?दे श पैगkबर को एक फ़mरgते
गे˹यल/िज˹ल ने •दया था। यह अरबी म5 ]लखी गई है ।

केतब
ु ाह (]लखा हुआ, Ketubia): यह एक Gवशेष !कार का यहूद; Gववाह-पव ू '
अनब ु ंध है । यह पारkपmरक यहूद; Gववाह का एक आवgयक अंग है । यह एक वर
के वधु के !wत कत'–यY और अ9धकारY को बताता है ।

खलवत (Khalwat): एक इXलामी कानन


ू िजसके अनस
ु ार एक अGववा•हत मिु Xलम
यव
ु ा का एकांत म5 >कसी दस
ू रे ]लंग के –यिˆत के साथ नजद;क जाना विज'त है ।

189
!ेમ का धम'

गीता: पGवl भागवत गीता •ह?दओ


ु ं का एक धम' ž?थ है जो कo महाभारत
महाका–य का भाग है । इसम5 महाभारत कo य´
ु धभ]ू म म5 भगवान कृ`ण ´वारा
अजन
ु' को •दए गए उपदे श संक]लत ह/।

गीर5जाधर: चच'

िज़ना (zina): यह एक इXलामी कानन


ू है िजसके अंतग'त मX
ु लमान wनकाह के
Ëबना शार;mरक संबंधY म5 ]लŽत नह;ं हो सकते। इसम5 Gववाहपव
ू ' और Gववाहे तर
दोनY ह; सkब?ध सिkम]लत ह/। इसम5 wनकाह के बाद >कसी अ?य से सkभोग,
रज़ामंद; से wनकाह के Ëबना दो अGवGववाहतY के म¸य सkभोग अथवा समल/9गक
सkब?ध सभी को विज'त माना गया है ।

िजहाद: संकट के समय मस


ु लमानY ´वारा अपने धम' कo रsा हे तु >कये जाने वाले
कृšय को िजहाद कहते ह/। िजहाद के दो अथ' ह/: अपने भीतर होने वाला आ¸यािšमक
संघष' और इXलाम के शlओ
ु ं के Gव›´ध >कया जाने वाला शार;mरक संघष' जो
•हंसक और अ•हंसक दोनY ह; 8पY म5 हो सकता है । िजहाद का अनव
ु ाद "पGवl
य´
ु ध" कo तरह भी >कया जाता है >क?तु यह एक Gववा•दत शÊद है ।

त†क़Œया: यह अ?य धम° के लोगY को इXलाम म5 लाने के ]लए मस


ु लमानY ´वारा
>कया जाने वाला एक तरह का धोखा अथवा Xवांग है िजसमे एक पˆका मस
ु लमान
अपने धम' के wनयमY कo जान बझ
ू कर अवहे लना करता है । वह अपने साथी का
Gवgवास जीतने के ]लए ऐसे कृšय करता है िजसे इXलाम म5 हराम कहा गया है
और िजसके ]लए उसका धा]म'क ब•ह`कार भी हो सकता है । यह सब इXलामी
कानन
ू Y म5 भी मा?य है य•द ऐसा >कसी अ?य –यिˆत के इXलाम म5 धम' पmरवत'न
के ]लए >कया जाता है ।

तलाक: शmरया कानन


ू के अनस
ु ार एक मिु Xलम पwत ´वारा अपनी पšनी से Gववाह
अनब
ु ंध को समाŽत करना है ।

तोराह (wनयम, Torah): यहू•दयY का धम'ž?थ और बाइËबल के पहले पांच अ¸याय।

दश2न: ईgवर का •दखाई दे ना।

दस धमा2देश (the Ten Commandments): ईgवर ने मोसेस को ]सनाई पव'त


पर यह दस धमा'देश •दए थे (१५९३ ई.प.ू )।

190
पmर]श`ट अ: शÊदकोष

Gदवाल5: यह !काश पव' है । •दवाल; का आ¸यािšमक अथ' है अंधकार पर !काश


कo Gवजय। अiानता पर iान कo Gवजय तथा wनराशा पर आशा कo Gवजय।

दआ
ु : !ाथ'ना।

दे व और दे वी: यह Gवशेष ऊजा'एं अथवा ईgवर कo भौwतक अ]भ–यिˆत ह/।

धम2 पTरवत2न: >कसी अ?य धम' के –यिˆत को अपने धम' म5 पmरवwत'त करने का
कृšय।
136
धम2 (Dharma): धम' एक Gवशेष समद
ु ाय अथवा आXथा नह;ं है । धम' का मल

संXकृत शÊद "ध"ृ ह/ िजसका अथ' है "जो संभालता है " अथवा "जो ¹ÒमाÁड को
चलायमान रखता है "। “िजसके Ëबना कुछ भी •टका न रह सकता" या "वह जो
¹ÒमाÁड कo िXथरता और स´भाव को बनाये रखता है "। धम' का –या‰या कानन

और आiाओं के 8प म5 कo जाती है िजनके ´वारा यह ¹ÒमाÁड जीGवत रहता है ।

धम2:नरपे• (secular): ऐसी >(याएं अथवा मनोभाव िजसम5 कोई धा]म'क अथवा
आ¸यािšमक आधार नह;ं होता।

धाxम2क (सनातनी) आMथाएं: •ह?द,ू जैन, बौ´ध और ]सख।

नकाब: मिु Xलम म•हलाओं ´वारा अपने चेहरे को ढं कने के ]लए !योग >कया जाने
वाला झीना वXl।

नमाज़: मिु Xलम !ाथ'ना, इसे अरबी म5 सलात भी कहा जाता है । यह इXलाम के
पांच XतkभY (फ़ज़') म5 से एक है और यह !šयेक मX
ु लमान के ]लए अwनवाय' है ।
यह !ाथ'ना एक शार;mरक, मान]सक और आ¸यािšमक कृšय है िजसे wनयत समयY
पर •दन म5 पांच बार >कया जाता है ।

नािMतकता: ईgवर म5 अथवा ईgवर के अिXतšव म5 Gवgवास न होना।

:नकाह: इXलामी Gववाह अनब


ु ंध, िजसम5 वर और वधु दोनY ह; मिु Xलम होने
चा•हए।

पं•डत: एक Gव´वान, अ¸यापक अथवा •ह?द ू पज


ु ार;।

136
राजीव मÈहो¶ा से धम„ पर और अ’धक पढ़e
http://rajivmalhotra.com/library/articles/dharma-religion/.

191
!ेમ का धम'

पारसी: यह एक फ़ारसी (ईरानी) संXकृwत है िजसका पालन भारत म5 रहने वाले


पारसी लोग करते ह/।

पज
ू ा: !ाथ'ना संXकार, !ाथ'ना करने का कृšय। इसम5 भगवान कo मwू त'यY कo
!ाथ'ना कo जाती है और उनको जल, फल, फूल, भोग अGप'त >कया जाता है ।

Bवxशœटवाद (exclusivism): ऐसा –यिˆत अपने अwतmरˆत >कसी अ?य के GवचारY


और उपायY को अपने से कमतर (ह;न) समझता है । ऐसे –यिˆत के अनस
ु ार उसका
माग' अथवा मान]सकता ह; सह; है और बाकo सभी गलत राXते पर ह/।

फेरे : •ह?द ू Gववाह समारोह म5 बहुत सारे संXकार >कये जाते ह/ िजसमे सबसे
महšवपण ू ' ह/ "सात फेरे " अथवा Gववाह के सात चरण।

बप:तMमा: इसका शािÊदक अथ' है साफ़ करने अथवा पGवl करने वाला संXकार,
ईसाई धम' के अनस
ु ार अपने परु ाने पापY को धोने का कृšय। ऐसी कसम अथवा
!wतiा लेकर एक –यिˆत अपने परु ाने धम' और आXथाओं को wतलांज]ल दे ने पर
सहमत होता है और आजीवन ईसामसीह के राXते पर चलने कo क़सम खाता है ।

बहुदेववाद (polytheist): एक से अ9धक भगवान म5 आXथा और उनकo पज


ू ा।

बहुलतावाद: (pluralism) यह धम' म5 Gव]भ?नता को Xवीकार करने वाला Ðि`टकोण


है जो Gव]श`टवाद (exclusivism) से Ëबलकुल उलट है । बहुलतावाद सभी धम° को
वैध मानता है और शांwतपण
ू ' सह-अिXतšव को बढ़ावा दे ता है ।

बाइ¨बल [बाŒबल ्]: ईसाई धम'ž?थ, िजसमे परु ाने और नई टे Xटाम5 ट कo ६६ पX


ु तक5
ह/।

बार (बालक)/बेट (बा]लका) xमत¬वाह: ]मतòवाह का अथ' है आदे श। एक बालक


(१२-१३ वष') को यहूद; धम' म5 वयXक घोGषत करने का धा]म'क संXकार।

बालBवहार: •ह?दओ
ु ं का साŽता•हक Gव´यालय।

¨बंद5: यह पारं पmरक 8प से •ह?द ू और जैन म•हलाओं ´वारा धारण >कया जाने
वाला लाल Ëबंद ु है िजसे वह माथे के बीचYबीच लगाती ह/।

बरु का: यह सkपण


ू ' शर;र को ढकने वाला आवरण है जो कुछ इXला]मक परkपराओं
म5 घर से बाहर wनकलने पर म•हलाओं ´वारा पहना जाता है ।

192
पmर]श`ट अ: शÊदकोष

¥-मांड: इस परू े जगत का सार जहाँ से सभी चीज़5 उšप?न हुई ह/ और जहाँ पर
सभी का अंत भी है । यह एक सव'–याŽत सšय है । यह अनंत और शाgवत है ।

¨¥स ् (Bris): यहूद; धम' म5 ज?म से आठव5 •दन >कया जाने वाला खतना, यह
बालक का यहूद; धम' म5 औपचाmरक !वेश माना जाता है ।

भि‡त: ईgवर को समGप'त सेवा अथवा ईgवर के !wत अगाध !ेम।

भगवान: ईgवर के ]लए !योग >कया जाने वाला Gवशेषण। ऐसे •ह?द ू जो ईgवर म5
Gवgवास तो रखते ह/ >क?तु >कसी दे व अथवा दे वी को नह;ं मानते, उनके ]लए
भगवान wनराकार ह/।

मज़हब: आXथाओं, समारोहY और wनयम पर आधाmरत एक –यविXथत तंl िजसके


अनस
ु ार एक भगवान अथवा अनेक भगवानY कo पज
ू ा कo जाती है ।

मश
ु Tरक: मwू त' पज
ू क अथवा अÂलाह को ना मानने वाला

म:ू त2: कोई भी आकार, !wत8प अथवा ठोस वXतु िजसे >कसी •ह?द ू भगवान अथवा
–यिˆत का !wत8प माना जाता है । ऐसा माना जाता है >क >कसी मwू त' कo !ाण
!wत`ठा करने से वह भगवान के समान हो जाती है ।

म:ू त2पज
ू ा: मwू त' कo पज
ू ा करना। ये बत
ु परXत नह; है ।

बत
ु परMत: !wतमापज
ू क, pagan, heathen or Idol-worshipper.

रमज़ान: यह इXलामी कैल5डर का नवां मह;ना है । इस मह;ने म5 Gवgव भर के सभी


मस
ु लमान उपवास/रोज़े रखते ह/। इXलामी आXथा के अनस
ु ार इसी मह;ने म5 कुरान
का अवतरण हुआ था।

रोज़ा (Fasting): उपवास

Bववाह (Wedding): •ह?द ू Gववाह समारोह

वेद: •ह?द ू धम' के सबसे !ाचीनतम ž?थ। •ह?दओ


ु ं के अनस
ु ार वेद >कसी मन`ु य
कo संरचना नह;ं ह/ अGपतु इनकo र9चयता कोई दै वीय शिˆतयां ह/।

शTरया: इXलामी कानन


ू । शmरया का अथ' है 'राह' अथवा 'माग''। यह एक धा]म'क
कानन
ू ी तंl है िजसमे सामािजक और wनजी जीवन के ]लए wनयम बनाये गए ह/।
यह wनयम और कानन
ू इXलामी दे शY म5 लागू होते ह/।

193
!ेમ का धम'

शहादा: इXलाम म5 धम' पmरवत'न अथवा इXलाम क़ुबल


ू करना। यह इXलाम का
!थम Xतkभ है । अरबी भाषा म5 ला-इलाह-इल-अÂलाह, मुहkमद-उर-रसूल-अÂलाह
का अथ' है >क अÂलाह के अwतmरˆत कोई भगवान नह;ं है और मह
ु kमद उनके
आ•खर; दत
ू ह/।

शाद5: Gववाह

xशक2: इXलाम के अनस


ु ार मwू त' पज
ू ा अथवा Gव]भ?न भगवानY कo पज
ू ा करना पाप
है अथा'त अÂलाह के अwतmरˆत >कसी भी भगवान कo पज
ू ा अथवा अÂलाह के
समकs मानने को इXलाम म5 ]शक' (पाप) माना गया है ।

अmेयवाद5 (Agnostic; संशयवाद; = skeptical): ऐसा –यिˆत मानता है >क इस


भौwतक संसार के अलावा भगवान के बारे म5 कुछ भी जानना संभव नह;ं है । ऐसा
–यिˆत ना तो ईgवर म5 आXथा रखता है और न ह; उसे परू ; तरह नकारता है ।

सZयनारायण कथा: •ह?दओ


ु ं म5 भगवान Gव`णु के ]लए कo जाने वाल; !ाथ'ना।

समानता (Equality): समान होने कo अवXथा, Gवशेष 8प से अवसरY और धम'


म5 ।

समावेशवाद (Inclusivism): यह Gव]भन धम° के बीच के सkब?ध को समझने का


Ðि`टकोण है । यह इस बात पर ज़ोर दे ता है >क एक य•द आपकo मा?यता शत-
!wतशत सह; है तब दस
ू र; मा?यता म5 भी कुछ न कुछ सFचाई तो होगी। यह
Gव]श`टवाद के wनतांत Gवपर;त है , िजसके अनस
ु ार एक ह; मा?यता (मेर; मा?यता)
सह; है बा>क सभी गलत ह/।

सलात: नमाज़ अथवा !ाथ'ना

सGहœणत
ु ा (Tolerance): यह >कसी के !wत सहनशील होने का गुण है । इसका
एक नकाराšमक अथ' भी हो सकता है िजसका अथ' है ">कसी को सहना"।

सf
ु नत/खतना/ख®द(बा]लका): मिु Xलम खतना समारोह।

सरू ाह: कुरान का एक अ¸याय।

Mपेशल मैTरज ए‡ट १९५४: भारत म5 कानन


ू ी Gववाह का wनयम (खंड ७.१)।

हं गामा: सामािजक Xथान पर Gवरोध !दश'न, अशांwत और शोर मचाना।

हराम: इXलामी कानन


ू Y ´वारा विज'त।

194
पmर]श`ट अ: शÊदकोष

Gहंसा: यह शÊद संXकृत शÊद "•हंस" से ]लया गया है िजसका अथ' है : मारना;
ु सान पहुँचाना। अ•हंसा इसका Gवलोम शÊद
अतः •हंसा का अथ' है चोट अथवा नक
है िजसका अथ' है >कसी को हाwन नह;ं पहुँचाना अथवा >कसी बड़ी •हंसा को कम
करना। •ह?द ू धम' के अनस
ु ार अ•हंसा सभी जीGवत !ा•णयY के ]लए है िजसम5
जानवर भी सिkम]लत ह/।

Gहजाब: यह एक पदा' है जो वयXक मिु Xलम म•हलाओं ´वारा अपने सीने और सर


को ढांकने के ]लए पहना जाता है ।

195
पिरिशष्ट ब: InterfaithShaadi.org पर प्राप्त समथर्न

लेखक ने "समानता पर आधाmरत अंतर-धा]म'क Gववाह" के अपने Gवचार को ¸यान


म5 रखते हुए अनेक युवक युवwतयY का माग'दश'न >कया है , यह Gवचार इस पुXतक
का Gवषय भी है । लेखक इस परामश' के !योजन हे तु "एड]मन" उपनाम का !योग
करते ह/। वष' २००९ से ह; लेखक को अपने पाठकY से Gव]भ?न !wत>(याएं ]मलती
रह; ह/। कुछ !wत>(याओं को लेखक ने यहाँ सूचीब´ध >कया है । ऐसी सकाराšमक
!wत>(याओं ने ह; लेखक को इस ज•टल Gवषय पर अपना काय' करने कo !ेरणा
द; है । लेखक इन सभी Êलॉगस'137 को अपना ध?यवाद !ेGषत करते ह/।

आGद: मझ
ु से पन
ु ः संपक' करने के ]लए ध?यवाद, एड]मन। आपको यह स?दे श
]लखते हुए म/ यह भी बताना चाहता हूँ >क मझ
ु े अपने माता-Gपता का ह; चन
ु ाव
करना है ।

आएशा (मिु Xलम): म/ने फैसला कर ]लया है ... मझ


ु े उसका असल; चmरl पता लग
गया है और म/ जानती हूँ वह ˆया चाहता है ... आपका बहुत आभार।

138
ऐ“वया2: मझ
ु े समझ आ गया है >क यह वी•डयो ˆया स?दे श दे ना चाहता है ।
काश यह वी•डयो म/ने जीवन म5 पहले ह; दे ख ]लया होता, शायद ३-४ वष' पव
ू ।'
यह वेबसाइट लोगY को जाग8क करने का अFछा !यास कर रह; है । मझ
ु े आशा
ु ाओं तक १७ से २१ वष' के आयु म5 पहुँच जाये ता>क
है >क यह स?दे श हमारे यव
उ?ह5 समय रहते यह पता लग जाये >क ऐसे संबंधY म5 वे अपने जीवन के साथ
ˆया करने जा रहे ह/। अ?यथा यह सब उ?ह5 अपने अंतर-धा]म'क सkब?ध के वष°
बाद पता लगेगा और तब दोनY ह; पsY को घोर क`ट होगा।

137
इन सभी gट-पìणय€ मe gदए गए नाम पƒ
ु तक हे तु लेखक ‘वारा बदले गए ह“ अथवा ƒवयं
xयिÇत •वशेष ‘वारा चन
ु े गए ह“। लेखक ने —कसी भी Oलॉगर कÁ पहचान स•या•पत नह~ं कÁ है ।
पाठक€ से ¬नवेदन है —क वे लेखक ‘वारा संदzभ„त लेख€ को अवÄय पढ़e (िजनका zलंक ¬न•नzलìखत
है )।
https://www.interfaithshaadi.org/blog/?p=4919.
138
https://www.youtube.com/watch?v=hlAuY85RlcE.
पmर]श`ट ब: InterfaithShaadi.org पर !ाŽत समथ'न

अमत
ृ श
े : म/ इस वेबसाइट पर !ेGषत कo गई सभी पोXट और ÊलोIस को पढ़ती
हूँ... म/ अपनी भावनाओं का शÊदY म5 वण'न नह;ं कर सकती।

एंजेल (ईसाई): G!य एड]मन, म/ आपके सभी Ëबंदओ


ु ं को समझ सकती हूँ, आपके
माग'दश'न के ]लए ध?यवाद।

अनœु का: काश, यह वेबसाइट का पता मझ


ु े पहले लग गया होता।

अMपी (पारसी): ध?यवाद एड]मन, आपका काम सराहनीय है ।

¨ब°टू: आपके !gनY और परामश' के ]लए ध?यवाद। अब म/ मान]सक 8प से


ू से wनण'य ले सकता हूँ।
काफo Xप`ट हूँ ˆयY>क अब म/ समझ बझ

चेतना: म/ भगवान ]शव, interfaithshaadi.org, एड]मन, सšयेन और वे सभी


िज?हYने मेरे मिु gकल समय म5 मेरा सहयोग >कया को हा•द' क ध?यवाद दे ती हूँ।
म/ने यहाँ पर Ëबना शत' समथ'न एवं मानवता के मल
ू ]स´धांत का पाठ भी पढ़ा।
हम म5 से कोई भी एक दस
ू रे को नह;ं जानता >क?तु एक अनजाना सा mरgता बन
गया है (खंड ३.३०)।

"चत: G!य एड]मन, आपको ऐसा मंच उपलÊध कराने के ]लए ध?यवाद दे ता हूँ।
मझ
ु े अपने पोXट पर भरपरू !wत>(या ]मल;। आपका अनेकानेक ध?यवाद।

डेBवड (इसाई): मझ
ु े आपके Gवचार और दश'न पसंद ह/।

एxमल5 (इसाई): आपका बहुत-बहुत ध?यवाद। आपके सहयोग और !ेरणा का भी


श>ु (या।

गीत: इस वेबसाइट का बहुत-बहुत ध?यवाद। ईgवर आप पर कृपा कर5 एड]मन,


इस वेबसाइट के मा¸यम से मझु े बहुत बल और सहयोग ]मला। [२ वष' पgचात]
एड]मन, एक बार >फर आपका ध?यवाद। मझ
ु े !स?नता है >क म/ने सह; राXता
चन ु हूँ। इस वेबसाइट से बहुत सहयोग ]मला।
ु ा। म/ अकेल; हूँ पर म/ बहुत खश

हर5श: एड]मन, आपने इतनी iानवध'क और शै‘sक सामžी उपलÊध करायी है


जो >क सराहनीय है । Gवgव भर के सभी प›
ु ष और म•हलाओं को इस सामžी म5
wन•हत स?दे श से लाभाि?वत होना चा•हए।

197
!ेમ का धम'

जैनब (मिु Xलम): G!य एड]मन आप शत !wतशत सह; ह/ और आपके सझ


ु ाव मेरे
]लए बहुत उपयोगी रहे । [एक वष' पgचात] G!य एड]मन, सलाम। सव'!थम आपका
साहस और सšयवा•दता सराहनीय ह/। आपकo !šयेक •टŽपणी समझ बझ ू से भर;
होती है और !šयेक आरोप पर आपकo !wत>(या बहुत सट;क होती है । आप एक
महान काय' कर रहे ह/। आशा है >क आप लोगY का ऐसे ह; माग'दश'न करते रह5 गे
जैसा >क मेरा >कया ता>क वे अपने जीवन म5 आने वाल; समXयाओं से पार पा
सक5। बहुत-बहुत ध?यवाद, खद
ु ा हा>फ़ज़।

जे:नफर (ईसाई): इस सबके के ]लए आपका ध?यवाद। म/ ऐसा ह; कुछ समाधान


ढूंढ रह; थी। एड]मन को हा•द' क ध?यवाद, यह सब मेरे ]लए बहुत मायने रखता
है ।

का:त2क: परामश' के ]लए आपका ध?यवाद एड]मन। म/ इस Gवषय पर बहुत


असमंजस म5 था! ऐसा इस]लए भी था ˆयY>क म/ धम' पmरवत'न नह;ं करना चाहता
था। >फर आपके मा¸यम से कुछ Gवचार मेरे •दमाग म5 आये। ध?यवाद एड]मन,
आपकo िजतनी सराहना कo जाए उतनी कम है ।

कुशा±: एड]मन, य•द आप यव


ु क ह/ तब म/ आपको कहूंगा “भाई, तम
ु ने •दल जीत
]लया”। य•द आप एक Xlी ह/ तब आप बहुत ह; अFछा काम कर रह; ह/।

माधवी: आपका ध?यवाद मझ


ु े यह बताने के ]लए >क म/ जीवन म5 >कतनी भयंकर
गलती करने जा रह; थी। आपका अनेकानेक ध?यवाद एड]मन, मझ
ु से संभालने के
]लए... याद •दलाने के ]लए >क मझ
ु े वापस लौटना है ... मझ
ु े पmरवार जैसा महसस

कराने के ]लए (खंड ३.४)।

माTरया (कैथो]लक): म/ बहुत !स?न हूँ >क म/ने इस वेबसाइट को सह; समय पर
दे खा। एड]मन को Gवशेष ध?यवाद, आपके GवचारY से मझ ु े अपना पs रखने का
बल ]मला।

माया: आपका ध?यवाद, एड]मन। मझ


ु े वह आšमGवgवास दे ने के ]लए >क म/ सह;
wनण'य ले सकँू ।

198
पmर]श`ट ब: InterfaithShaadi.org पर !ाŽत समथ'न

नर_ ²: म/ आपके "माता-Gपता को स?दे श” Gवषय139 पर आपके GवचारY से शत


!wतशत सहमत हूँ।

:नशा: इस वेबसाइट ने मेर; आँख5 खोल द;ं। ध?यवाद। (खंड ३.१७)

नौर5न (मिु Xलम): म/ इतने वष° तक सहयोग करने के ]लए ध?यवाद दे ना चाहती
हूँ। (खंड ३.२२)

*भा: आपने लोगY को अपनी 9च?ताएं और अपनी समXयाएं रखने के ]लए और


एक दस
ू रे का समझदार; से सामना करने के ]लए एक सरु ‘sत मंच •दया है । यह
wनXसंदेह बहुत अFछा है ।

पी xसंह: इस Gवषय पर अपनी गहर; सोच रखने के ]लए ध?यवाद।

राहुल: म/ बहुत !स?न हूँ >क मझ


ु े इस वेबसाइट के मा¸यम से अपने !ेम जीवन
से सkबं9धत समXयाय5 साझा करने का मौका ]मला।

र5मा: मझ
ु े अपना बहुमÂ
ू य समय दे ने और मेरे !gनY का उÜर दे ने के ]लए
ध?यवाद। यह वेबसाइट इस Gवषय पर iान !ाŽत करने का अFछा साधन है और
आप बहुत सराहनीय काय' कर रहे ह/।

Tरया: म/ आपके सतत सहयोग के ]लए आपकo आभार; हूँ।

साGदया (मिु Xलम): G!य एड]मन आपके परामश' और आपके GवचारY के ]लए
ध?यवाद।

े र उÜर से सहमत हूँ और मझ


समसेि€वन (ईसाई): म/ आपके पेशव ु े यह पसंद
आया।

संकेत: म/ घोर wनराशा म5 हूँ... [३ •दन पgचात] अब म/ बहुत सकाराšमक महसस



कर रहा हूँ। आपकo सलाह से मेर; बहुत मदद हुई।

139
https://www.interfaithshaadi.org/blog/?p=3510&cpage=1#comment-34354.

199
!ेમ का धम'

सारा: अपने बहुमÂ


ू य समय म5 से समय wनकलकर मझ ु े उÜर दे ने के ]लए ध?यवाद।
मझ
ु े यह अनभ ु व कराने के ]लए भी ध?यवाद >क कोई मझ ु े !स?न करने के ]लए
अपना समय दे रहा है ।

साराह: आपका बहुत ध?यवाद। आपने बहुत मदद कo।

सZयेन: म/ एड]मन का आभार; हूँ >क उ?हYने सšय का !चार करने के ]लए यह
मंच बनाया ता>क कुछ गलत लोग भोले-भाले लोगY को अपना ]शकार न बना
सक5।

श:नज़ा (मिु Xलम): यह दे खना और अनभ


ु व करना बहुत सखु द है >क कुछ लोग
सभी धम° के !wत Žयार और आदर का स?दे श दे रहे ह/।

शभु म: G!य एड]मन, म/ आपका अ]भवादन करता हूँ। आप जो भी ह/, कृपया यह


नेक काम जार; रख5।

िMमता: सभी का ध?यवाद, एड]मन का भी ध?यवाद िज?हYने धा]म'क वाद-Gववाद


कo जगह मेर; समXया म5 89च •दखाई।

सोफy (ईसाई): हाँ, यह सह; लगता है । यह एक अFछÍ सलाह है , एड]मन। म/


सौभाIयशाल; हूँ >क मझ
ु े इस वेबसाइट कo जानकार; ]मल;। म/ आपकo दोनY
सलाहY पर अमल क8ँगी।

Mटे सी (कैथो]लक): यह एक रोचक वेबसाइट है और आपके लेखY के ]लए भी


ध?यवाद।

सम
ु (मिु Xलम): इस मंच पर मेरे GवचारY को आवाज़ दे ने का Gवचार अFछा है
ˆयY>क इससे जीवन म5 अंतर-धा]म'क Gववाह से आने वाल; चन
ु ौwतयY और फायदY
को जानने म5 सहायता होगी।

सईदा: मझ
ु े एड]मन का !šयÜ
ु र अFछा लगा। आपके परामश' से अFछा कुछ भी
नह;ं हो सकता था। इस सkपण
ू ' Gवgव को धम' कo जगह मानवता पर अ9धक
¸यान दे ना होगा।

तनीषा: G!य एड]मन, जो कुछ भी हुआ उससे म/ उšसा•हत हूँ और शांत भी हूँ।
आपके सहयोग के ]लए ध?यवाद।

200
पmर]श`ट ब: InterfaithShaadi.org पर !ाŽत समथ'न

तारा (मिु Xलम): आपके माग'दश'न से मझ


ु े wनण'य लेने म5 आसानी हुई। मझ
ु े
बहुत ख़शु ी है >क आप मझु े ]मले और आपने मेरा इतना सहयोग >कया। ईgवर
आपको !स?न रखे। ध?यवाद।

201
पुस्तक140 का अनुमोदन

"एक ईसाई पादर; के 8प म5 म/ हमेशा ऐसे संसाधनY कo तलाश म5 रहती हूं जो


मेरे मंlालय को सस
ु ि•जत कर5 । लेखक ने एक सkमानजनक और "इसे जैसा है
वैसा ह; बताओ" >कताब ]लखी है जो एक ऐसे Gवषय पर जानकार; लाती है जो
कई पmरवारY को अलग करता है । यह पX
ु तक Gव]भ?न धम° के जोड़Y के साथ
काम करने वाले लोगY के ]लए सहायक, –यावहाmरक और एक र5 है ।"

—पाMटर कोनी Bवंटर-ए€बग2, स5ट एं(यज


ू लथ
ू रन चच', सैन मेटेओ, कै]लफोwन'या

"दो –य•6यY के ]लए जो अलग-अलग धा]म'क Gवìास !णा]लयY म5 पले-बढ़े ह/,


यह वैवा•हक आनंद म5 बाधा उšप?न कर सकता है । एक शाद; के अ9धकार; के
8प म5 , िजसने कई अंतरधा]म'क समारोहY को अंजाम •दया है , मझ
ु े यह पX
ु तक
सैकड़Y वाXतGवक मामलY पर आधाmरत अवgय पढ़ने योIय मालम
ू पड़ती है ।”
—द5पक कोतवाल, लेखक: Gववाह संXकार

"उ?माद भरे यग
ु म5 जहाँ ‘मेरा धम' सबसे सFचा है ' यह पX
ु तक यट
ू ोGपयन
(काÂपwनक) सोच के ]लए !यास करती है , ‘सभी धा]म'क Gवìास अFछे और समान
ह/'। यह पX
ु तक उन लोगY ´वारा अवgय पढ़; जानी चा•हए जो सामा?य 8प से
एक समतावाद; समाज कo कÂपना करते ह/ और उन जोड़Y के ]लए आंख5 खोलने
वाल; ह/ जो Gवशेष 8प से एक अंतरधा]म'क Gववाह म5 !वेश करने कo योजना
बनाते ह/।"
—हाना खान, लेखक: द फेथ िXÑं Iस

“यह पX
ु तक धमाÏतरण, ससरु ाल वालY के साथ –यवहार, एक या दोनY धम° म5
बFचY कo परवmरश और पज
ू ा !थाओं को साझा करने स•हत GवषयY के ]लए एक
गाइड !दान करती है । वाXतGवक लोग उन 9चंताओं, चन
ु ौwतयY और ख]ु शयY को
साझा करते ह/ जो उनके अंतर-धा]म'क संबंध म5 मौजद
ू ह/ और यह एक बहुत ह;
उपयोगी पX
ु तक के ]लए मÂू यवान योगदान ह/। य•द आप एक अंतधा']म'क Gववाह
पर Gवचार कर रहे ह/, तो यह पX
ु तक अवgय पढ़5 ।"

140
Interfaith Marriage: Share and Respect with Equality, Mount Meru Publication,
2017 के पीछे का पhना।
पmर]श`ट ब: InterfaithShaadi.org पर !ाŽत समथ'न

—दे ब मोटो, योग ]शsक

"यह पXु तक wनिðत 8प से >कसी भी यहूद;-•हंद ू (या >कसी भी धम' के ]म®ण)


जोड़े को सह; सवाल पछ
ू ने म5 मदद करती है ˆयY>क वे समानता के आधार पर
Gववाह कo तैयार; करते ह/।"

—Tरचड2 हे मैन, यहूद; समद


ु ाय संबंध पmरषद के Gपछले बोड' सदXय

"यह पX
ु तक >कसी के ]लए भी एक अFछा संसाधन है , Gवशेष 8प से कॉलेज-आयु
वग' के ]लए, जो एक अलग धम' से डेट-मेट के साथ गंभीर हो रहे ह/।"

—सोना कौर, कै]लफोwन'या GवìGवíालय, डेGवस म5 एक ]सख-•हंद ू छाl

203
!ेમ का धम'

The Back page Text (more to come)

यह पX
ु तक तÝयY पे आधाmरत है । लेखक ने कई ऐसी चीज़Y को उज9गर >कया
है जो >क हम अˆसर !ेम म5 नज़र अंदाज़ कर दे ते ह/। बहुत सारे उदाहरण कo
सहायता से लेखक ने बहुत ह; सरलता से Gवgलेषण >कया। म/ यह यक़oन के
साथ कह सकती हु कo यह पXु तक कई लड़के लड़>कयY कo जीवन बादल सकती
है । आप सभी यह पX
ु तक अवgय पढ़5 ।
--सारा खान (लेखक, मी•डया से]ल˹ट;)

204
अनुक्रमिणका

अंतर-धा]म'क, ix, x, १-५, ८- इXलाम


११, १४, १५, १९-२१, २९- ईद
३२, ३४, ३७, ४२-४५, ४७,
ई`या'लु भगवान
४९-५१, ५५, ६३, ६७, ८४,
ईìर पl

८६, ८८, ८९, ९२, ९४, ९५,
ईसा मसीह
९९, १०५, १०७, १३२, १३४,
१३७, १४२, १४३, १४४, १४७, ईXटर

१४८, १६४, १६५, १७०, १८५ एकेìरवाद


अ¹ाह]मक २, ३, ४, १०, १२, कनाडा, कनाडा वासी
१३७, १६४, १७०, १७८, १८८ कर;ना कपरू
अमेmरका २, ८, २८, २९, ३४, का>फर
४३, ११३, ११४, १५२
काबा
अयातÂ
ु लाह ८२
>कताब के लोग
अÂलाह ८, ९, १२, १४, १५,
कुतब
ु ाह
१७, १९, ३८, ३९, ४७, ५२,
क़ुरान
५३, ५७, ६०, ६४, ६६, ७०,
७३, ८१, ८४, ८७, ९७- कृ`णा

१०२,११२, ११४, ११६, १२०, कैथो]लक


१२१, १२५, १२७, १३७, १४३, खतना
१४८, १६४, १६७-१७५, १८८, ख़लावत
१८९, १९३, १९४ गरबा
अGवìासी
गांधी
अहमद;
गीता
आ]मर खान
गुजराती
आयत
गु8 ž?थ सा•हब
इज़रायल
ग8
ु नानक
इमाम
गु8 माँ
इसाई
जाwत सkब?ध
इसाई धम'
!ेમ का धम'

िज़ना पयष
ू' ण
िजहाद पा>कXतान
जैन पारसी
झूठा धमाÏतरण पाmरवाmरक Gववाह
डेरासर (जैन मि?दर) पन
ु ज'?म
तक*या पज
ू ा
तलाक़ !लय अथवा फैसले का •दन
तोराह !साद
दश'न !ेम Gववाह
दस धमा'देश !ोटै Xटै ?ट
द;वाल; फेरे
दआ
ु बंगाल;
दे वता बपwतXमा
दे वता और दे Gवयाँ बहुदेववाद
दे वी बहुलवाद
दे सी बहुGववाह करने वाला –य•6
•7तीय धमा'देश बाइबल
धम' बार ]मšज़वाह
धम' wनरपेs बालGवहार
धम' पmरवत'न Ëब?द;
धम' पmरवत'न बख
ु ार;
नमाज़ ब8

नाम संXकार बक
ु ा'
नािXतकता बौ8
wनक़ाह बौ8 धम'
पिÁडत ¹ा9मण
परमGपता परमेìर ˹स
पदा', नक़ाब भ•6

206
Index

भगवान वेद
भारत शmरया
म¸य-पव
ू ' शहादा
मि?दर शाह›ख ख़ान
मले]शया ]शया
महावीर ]शक'
माता Gपता सऊद; अरब
मश
ु mरक सनातनी
मिु Xलम समानता
मwू त' समावेशवाद
मwू त' और मwू त' पज
ू ा सkब?ध GवFछे द
मोs सलाह
मोज़ेज़ संशयवाद;
मोहkमद संXकार
य›शलम ]सख
यहूद; स?
ु नत
यहोवा स?
ु नी
रमज़ान सैफ अल; ख़ान
रोज़ा Xवधम' šयाग
लव िजहाद हद;स
वापस लौटना हराम
Gववाह •हज़ाब
Gववाह अनब
ु ?ध •ह?द ू
Gववाह कानन
ू •हंसा
Gववाह पव
ू '
Gववेकान?द
Gव]शäतावाद;
Gवशेष Gववाह अ9धwनयम

207
लेखक के बारे में

लेखक डॉ. •दल;प अमीन फामा'कोलॉजी Gवiान म5


डॉˆटरे ट के उपा9ध !ाŽत अनस
ु ंधानकता' ह/ िज?हे
इस sेl म5 अनस
ु ंधान का ४२ वष' का अनभ
ु व है ।
उसके के पास ६ पेट5ट ह/ तथा वे २३ से अ9धक
वैiाwनक शोध पl ]लख चक
ु े ह/। डॉ. अमीन का
ज?म गुजरात, भारत म5 हुआ और अब वह अमेmरका
म5 रहते ह/। Gव]भ?न संXकृwतयY और धम° पर
iानाज'न हे तु डॉ. अमीन ने ३२ से अ9धक दे शY कo
याlा कo है । वे अमेmरका के िŽलमथ (Plymouth),
Êलू बैल (Blue Bell), पेन]सलवेwनया
(Pennsylvania) के बालGवहार के अ¸यs भी रह चक
ु े ह/ एवं उ?हYने सैन ¹न
ू ो
(San Bruno), कै]लफ़ोwन'या (California) के सनातन मं•दर िXथत बाल Gवहार
कo भी Xथापना कo है । डॉ. अमीन Peninsula Multifaith Coalition के भी
wनदे शक ह/। वे Islamic Networks Group, सॅन होझे (San Jose), कॅ ]लफ़ोwन'या
के भी !मा•णत वˆता ह/। वे Hindu American Foundation के धम' दत
ू भी
ह/। डॉ. अमीन ने एक पX
ु तक Vivah Samskara: The Hindu Wedding
Ceremony का सह-लेखन भी >कया है । लेखक ने वष' २००९ म5 "Interfaith
Marriage with Equality" (InterfaithShaadi.org) नामक मंच कo भी Xथापना
कo िजसकo सहायता से उ?हYने १२०० से अ9धक यव
ु ाओं का उनके अंतर-धा]म'क
संबंधY म5 माग'दश'न >कया। उसने Hindu Speakers Bureau नामक मंच कo
भी Xथापना कo। डॉ. अमीन अपने सख
ु ी वैवा•हक जीवन के ४३ वसंत दे ख चक
ु े ह/
एवं उनकo दो संतानY का ज?म और पालन पोषण भी अमेmरका म5 हुआ। आप डॉ.
अमीन से InterfaithShaadi@gmail.com पर संपक' कर सकते ह/।

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