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ऐतिहासिक प्रेम कहातियाां

भारत के इततहास में कई प्रेम कहातियाां हैं, जिसे लोग आि भी िह ां भल


ू े हैं| इि
प्रेममयों की लोग कसमें खाते हैं, इि प्रेममयों की विह से बड़ी बड़ी मसयासते हहल गई
दोस्त दश्ु मि बि गए लेककि ये प्रेम कहातियाां अमर हो गयी

1. शाहजहााँ - मम
ु िाज

2. पथ्ृ वीराज – िांयोगििा

3. बाज बहादरु – रूपमिी

4. बाजीराव - मस्िािी

5. बबम्बीिार – आम्रपाली

6. िलीम – अिारकली

7. चन्द्रिुप्ि - हेलेिा

8. औरां िजेब – हीराबाई

9. हीर – राांझा

10. काँवल – केहर

11. ढोला – मारू


शाहजहााँ मुमिाज़ की प्रेम कहािी

14 िाल की मम
ु िाज िे हुआ था प्यार

यह बात 1607 की है, िब उन्होंिे सबसे पहल बार मीिा बािार में मम
ु ताि को दे खा
था. 1592 में शासक िहाांगीर के पत्र
ु शाहिहाां मसर्फ 15 साल के थे और उिका िाम
था प्प्रांस खुरफम. वह ,ां मुमताि इस वक्त 14 साल की थीां और अिम
ुफ ांद बािू बेगम के
िाम से िािी िाती थीां. बता दें कक मुमताि अब्दल
ु हसि असर् खाि की बेट और
र्ारसी रािकुमार थीां. कहा िाता है कक िब पहल बार शाहिहाां िे मम
ु ताि को दे खा
था, तब वो मम
ु ताि की खब
ु सरू ती के कायल हो गए थे. वैसे इसे उस वक्त का एक-
तरर्ा प्यार कहा िा सकता है.

शादी के सलए 5 िाल ककया इांिजार

इसके बाद उन्होंिे प्पता से मम


ु ताि से शाद की बात की, लेककि अभी यह दोिों की
शाद की उम्र िह ां थी. इसके बाद शाहिहाां िे मम
ु ताि का कर ब पाांच साल तक
इांतिार ककया और उसके बाद साल 1612 में दोिों का तिकाह हुआ. वैसे तो शाहिहाां
की तीि और पजनियाां भी थीां, लेककि मुमताि उिके मलए सबसे ज्यादा प्प्रय थीां. कहा
िाता है कक 1628 में मसांहासि पर बैठिे के बाद शाहिहाां िे अपिी बेगम मम
ु ताि
को ‘ममलका-ए-िहाां’ और ‘ममलका-उज़-ज़मािी’ की उपाधि भी दे द थी.

मुमिाज िे हुए 14 बच्चे

हालाांकक, शाहिहाां और मुमताि का वैवाहहक ज्यादा हदि तक िह ां चला. शाद के कुछ


साल बाद ह मम
ु ताि का तििि हो गया था. दोिों कर ब 19 साल तक साथ रहे और
19 साल के इस वैवाहहक सर्र में उिके 14 बच्चे हुए, जििमें 7 की तो िन्म के
वक्त या कम उम्र में मौत हो गई थी. वह ,ां 14वें बच्चे के िन्म के दौराि ह मुमताि
का इांतकाल हो गया था, िब उन्होंिे बेट गौहरा बेगम को िन्म हदया था. साथ ह
कहा िाता है कक इस दौराि उन्होंिे अपिी बेगम से वादा ककया था वो अब कभी
तिकाह िह ां करें गे और उिकी कब्र पर सबसे महांगा मकबरा बिवाएांगे.

याद में बिवाया िाजमहल

इसके बाद से शाहिहाां कार्ी परे शाि रहे और कर ब दो साल तक शोक में रहे. मुमताि
की बात के बाद उन्होंिे आगरा में यमि
ु ा िद के दक्षिण ककिारे पर एक सर्ेद
सांगमरमर से तािमहल बिवािे का र्ैसला ककया. इसका तिमाफण 1632 में शरू
ु हो
गया था और 1653 में इसका तिमाफण परू तरह से खनम हुआ. उस वक्त इसे बििे
में 21 साल लगे थे और इसे बिािे में कर ब 32 मममलयि रुपये का खचाफ आया था,
िो आि के अरबों रुपये के बराबर है.
पथ्
ृ वीराज िांयोगििा की प्रेम कहािी
हदल्ल की रािगद्द पर बैठिे वाले अांततम हहन्द ू शासक और भारत के महाि वीर
योद्िाओां में शुमार पथ्ृ वीराि चौहाि का िाम कौि िह ां िािता। एक ऐसा वीर योद्िा
जिसिे अपिे बचपि में ह शेर का िबड़ा र्ाड़ डाला था और जिसिे अपिी दोिों
आांखें खो दे िे के बाविद
ू भी शब्द भेद बाण से भर सभा में मोहम्मद गौर को मनृ यु
का रास्ता हदखा हदया था।

ये सभी िािते हैं कक पथ्ृ वीराि चौहाि एक वीर योद्िा थे लेककि ये बहुत कम ह
लोगों को पता है कक वो एक प्रेमी भी थे। वो कन्िौि के महाराि िय चन्र की पत्र
ु ी
सांयोधगता से प्रेम करते थे। दोिों में प्रेम इतिा था कक रािकुमार को पािे के मलए
पथ्
ृ वीराि चौहाि स्वयांवर के बीच से उिका अपरहण कर लाए थे।

ददल्ली की ित्ता िांभालिे के िाथ हुआ था पथ्ृ वीराज को िांयोगििा िे प्यार

बात उि हदिों की है िब पथ्ृ वीराि चौहाण अपिे िािा और हदल्ल के सम्राट महारािा
अिांगपाल की मनृ यु के बाद हदल्ल की राि गद्द पर बैठे। गौरतलब है कक महारािा
अिांगपाल को कोई पत्र
ु िह ां था इसमलए उन्होंिे अपिे दामाद अिमेर के महाराि और
पथ्
ृ वीराि चौहाण के प्पता सोमेश्वर मसांह चौहाण से आग्रह ककया कक वे पथ्
ृ वीराि को
हदल्ल का यव
ु राि घोप्ित करिे की अिम
ु तत प्रदाि करें । महारािा सोमेश्वर मसांह िे
सहमतत िता द और पथ्
ृ वीराि को हदल्ल का यव
ु राि घोप्ित ककया गया, कार्ी
राििीततक सांघिों के बाद पथ्
ृ वीराि हदल्ल के सम्राट बिे। हदल्ल की सत्ता सांभालिे
के साथ ह पथ्
ृ वीराि को कन्िौि के महाराि ियचांद की पत्र
ु ी सांयोधगता भा गई।
िुांदरिा के बखाि को िुि राजकुमारी हो िईं थी दे खिे के सलए लालातयि

उस समय कन्िौि में महाराि ियचांर का राि था। उिकी एक खूबसूरत रािकुमार
थी जिसका िाम सांयोधगता था। ियचांर पथ्
ृ वीराि की यश वद्
ृ धि से ईर्षयाफ का भाव
रखा करते थे। एक हदि कन्िौि में एक धचत्रकार पन्िाराय आया जिसके पास दतु िया
के महारधथयों के धचत्र थे और उन्ह ां में एक धचत्र था हदल्ल के यव
ु ा सम्राट पथ्ृ वीराि
चौहाि का। िब कन्िौि की लड़ककयों िे पथ्
ृ वीराि के धचत्र को दे खा तो वे दे खते ह
रह गईं। सभी यव
ु ततयाां उिकी सुन्दरता का बखाि करते िह ां थक रह ां थीां। पथ्
ृ वीराि
के तार र् की ये बातें सांयोधगता के कािों तक पहुांची और वो पथ्ृ वीराि के उस धचत्र
को दे खिे के मलए लालातयत हो उठ ां।

पथ्
ृ वीराज के मि में राजकुमारी की मतू िि दे ख प्रेम उमड़ पड़ा

सांयोधगता अपिी सहे मलयों के साथ उस धचत्रकार के पास पहुांची और धचत्र हदखािे को
कहा। धचत्र दे ख पहल ह ििर में सांयोधगता िे अपिा सवफस्व पथ्
ृ वीराि को दे हदया,
लेककि दोिों का ममलि इतिा सहि ि था। महाराि ियचांद और पथ्
ृ वीराि चौहाि
में कट्टर दश्ु मिी थी। इिर धचत्रकार िे हदल्ल पहुांचकर पथ्ृ वीराि से भेट की और
रािकुमार सांयोधगता का एक धचत्र बिाकर उन्हें हदखाया जिसे दे खकर पथ्
ृ वीराि के
मि में भी सांयोधगता के मलए प्रेम उमड़ पड़ा। उन्ह ां हदिों महारािा ियचांर िे सांयोधगता
के मलए एक स्वयांवर का आयोिि ककया। इसमें प्वमभन्ि राज्यों के रािकुमारों और
महारािाओां को आमांत्रत्रत ककया लेककि ईर्षयाफ वश पथ्
ृ वीराि को इस स्वांयवर के मलए
आमांत्रण िह ां भेिा।
राजकुमारी िे वरमाला मतू िि को पहिाई और वो वास्िव में पथ्
ृ वीराज के िले में पड़ी

रािकुमार के प्पता िे चौहाण का अपमाि करिे के उद्दे श्य से स्वयांवर में उिकी एक
मूततफ को द्वारपाल की िगह खड़ा कर हदया। रािकुमार सांयोधगता िब वर माला मलए
सभा में आईं तो उन्हें अपिे पसांद का वर (पथ्ृ वीराि चौहाण) कह ां ििर िह ां आए।
इसी समय उिकी ििर द्वारपाल की िगह रखी पथ्
ृ वीराि की मतू तफ पर पड़ी और
उन्होंिे आगे बढ़कर वरमाला उस मतू तफ के गले में डाल द । वास्तव में जिस समय
रािकुमार िे मूततफ में वरमाला डालिा चाहा ठ क उसी समय पथ्
ृ वीराि स्वयां आकर
खड़े हो गए और माला उिके गले में पड़ गई। सांयोधगता द्वारा पथ्
ृ वीराि के गले में
वरमाला डालते दे ख प्पता ियचांर आग बबल
ू ा हो गए। वह तलवार लेकर सांयोधगता
को मारिे के मलए आगे आए, लेककि इससे पहले की वो सांयोधगता तक पहुांचे पथ्
ृ वीराि
सांयोधगता को अपिे साथ लेकर वहाां से तिकल पड़े।

प्यार के बदले में पथ्


ृ वीराज को समली कई यािािए

स्वयांवर से रािकुमार के उठािे के बाद पथ्


ृ वीराि हदल्ल के मलये रवािा हो गए। आगे
ियचांर िे पथ्ृ वीराि से बदला लेिे के उद्दे श्य से मोहम्मद गौर से ममत्रता की और
हदल्ल पर आक्रमण कर हदया। पथ्
ृ वीराि िे मोहम्मद गौर को 16 बार परास्त ककया
लेककि पथ्ृ वीराि चौहाि िे सहदफयता का पररचय दे ते हुए मोहम्मद गौर को हर बार
िीप्वत छोड़ हदया। रािा ियचन्द िे गद्दार करते हुए मोहम्मद गोर को सैन्य मदद
द और इसी विह से मोहम्मद गौर की ताकत दोगुिी हो गयी तथा 17वी बार के
यद्
ु ि मे पथ्ृ वीराि चौहाि मोहम्मद गोर से द्वारा पराजित होिे पर पथ्ृ वीराि चौहाि
को मोहम्मद गोर के सैतिको द्वारा उन्हें बांद बिा मलया गया एवां उिकी आांखें गरम
सलाखों से िला द गईं। इसके साथ अलग-अलग तरह की यातिाए भी द गई।
शब्दभेदी बाण िे िोरी को उिारा मौि के घाट

अांतत: मो.गोर िे पथ्


ृ वीराि को मारिे का र्ैसला ककया तभी महा-कप्व चांदरबरदाई
िे मोहम्मद गोर तक पथ्
ृ वीराि के एक कला के बारे में बताया। चांदरबरदाई िो कक
एक कप्व और खास दोस्त था पथ्
ृ वीराि चौहाि का। उन्होंिे बताया कक चौहाण को
शब्द भेद बाण छोड़िे की काला मे महारत हामसल है। यह बात सि
ु मोहम्मद गोर
िे रोमाांधचत होकर इस कला के प्रदशफि का आदे श हदया।

प्रदशफि के दौराि गोर के “शाबास आरां भ करो” लफ्ि के उद्घोि के साथ ह भर


महकर्ल में चांदरबरदाई िे एक दोहे द्वारा पथ्
ृ वीराि को मोहम्मद गोर के बैठिे के
स्थाि का सांकेत हदया िो इस प्रकार है - “चार बाांस चौबीस गि, अांगल
ु अर्षट प्रमाण,
ता ऊपर सल्
ु ताि है मत चक
ु े चौहाि।” तभी अचक
ू शब्दभेद बाण से पथ्ृ वीराि िे गोर
को मार धगराया। साथ ह दश्ु मिों के हाथों मरिे से बचिे के मलए चांदरबरदाई और
पथ्
ृ वीराि िे एक-दस
ू रे का वि कर हदया। िब सांयोधगता को इस बात की िािकार
ममल तो वह एक वीराांगिा की भाांतत सती हो गई। इततहास के स्वणफ अिरों में आि
भी यह प्रेमकहािी अमर है।
बाजबहादरु रूपमिी की प्रेम कहािी
सच्चे प्यार को परू े मि से िीिे और तिभािे वाले बहुत कम ह लोग हुए हैं इस िरती
पर. िब कभी प्रेम कहातियों की बात चलती है , तब आि भी मध्य प्रदे श जस्थत माांडू
के लोग रािी रूपमती और बाि बहादरु का िाम बड़े गवफ से लेते हैं
ै़
रािी रूपमती और बाि बहादरु की प्रेम कहािी एक प्रमसद्ि ऐततहामसक िरोहर है
प्वांध्याचल पवफत पर बसे माांडू की पहाड़ड़यों पर आि भी रािी रूपमती और बाि बहादरु
के प्यार के स्वर गूांिते हैं.

यद्
ु ि, प्रेम, सांगीत और कप्वता का अद्भत
ु मेल है इस िादईु प्रेम कहािी में. रूपमती
ै़
मालवा की गातयका थीां और सुल्ताि बाि बहादरु उिसे प्रेम करते थे दरसल रािी
रूपमती का रूप वास्तव में उिके िाम को चररताथफ करता था ै़ रूप सौंदयफ के साथ ह
उिकी आवाि भी बड़ी सुर ल थी ै़ वह अच्छा गािा गाती थीां. बाि बहादरु से उिका
अांतिाफममफक प्ववाह था ै़
ै़
बाि बहादरु माांडू के अांततम स्वतांत्र शासक थे रूपमती ककसाि पत्र
ु ी और गातयका थीां.
उिकी आवाि के मुर द बाि बहादरु उन्हें अपिे दरबार में ले आये और दोिों पररणय
ै़
सूत्र में बांि गये

लेककि िब रािी की इि खत्रू बयों के बारे में शहांशाह अकबर को पता चला, तो वह
रूपमती पर मोहहत हो गया और यह प्रेम कहािी परवाि चढ़िे से पहले ह खनम हो
गयी ै़

रूपमती को पािे की इच्छा से अकबर िे बाि बहादरु को एक पत्र भेिा, जिस पर


मलखा था कक रािी रूपमती को हदल्ल के दरबार में भेि दो ै़ इस पत्र को पढ़ कर बाि
बहादरु क्रोधित हो गये और उन्होंिे अकबर को पत्र मलखकर कहा कक वह अपिी रािी
को उिके यहाां मभिवा दें . अपिे पत्र का ऐसा िवाब पढ़ कर अकबर आग-बबल
ू ा हो
गया ै़ अहांकार और गुस्से से भरे अकबर िे अपिे मसपहसालार आदम खाां से मालवा
पर हमला करिे को कहा. बाि बहादरु िे अपिी छोट -सी सेिा के साथ उसका मक
ु ाबला
ककया ै़ इसके बाद भीिण यद्
ु ि हुआ और आदम खाां िे बाि बहादरु को बांद बिा मलया ै़
इसके बाद उसके मसपाह रािी रूपमती को लेिे माांडू की ओर चल पड़े,

लेककि िब इस बारे में रािी रूपमती को पता लगा तो उन्होंिे खुद को अकबर के
हाथों में सौंपिे से अपिी िाि दे िा बेहतर समझा ै़ उन्होंिे ह रा तिगल कर अपिी
इहल ला समाप्त कर ल ै़

िब रािी की मौत का समाचार अकबर को ममला तो उसे बहुत दख


ु हुआै़ वह पछतावे
की अलग में िलिे लगा ै़ उसिे बाि बहादरु को कैद से आिाद कर हदया ै़ बाि बहादरु
िे कहा कक वह वापस अपिी राििािी सारां गपरु िािा चाहते हैं. सारां गपरु वापस आिे
ै़
पर बाि बहादरु िे रािी की मिार पर मसर पटक-पटक कर अपिे प्राण नयाग हदयेइस
घटिा के बाद अकबर को अपिे ककये पर कार्ी शममिंदगी हुईै़ उसिे पश्चाताप करिे
के मलए सि 1568 में सारां गपरु के समीप एक मकबरे का तिमाफण कराया ै़ बाि बहादरु
के मकबरे पर अकबर िे ‘आमशक-ए-साहदक’ और रूपमती की समाधि पर ‘शह द-ए-
वर्ा’ मलखवाया ै़ आि माांडू, मध्य प्रदे श का एक ऐसा पयफटि स्थल बि चक
ु ा है,
ै़
िो रािी रूपमती और बाि बहादरु के अमर प्रेम का सािी है यहाां के खांडहर और
इमारतें हमें इततहास के उस झरोखे का दशफि कराते हैं, जिसमें हम माांडू की प्वशाल
समद्
ृ ि प्वरासत से रूबरू होते हैं.
ै़
रािी रूपमती का ककला इिके प्यार का गवाह है रािी रूपमती को रािा बाि बहादरु
ै़
इतिा प्यार करते थे कक रािी रूपमती के हदल की हर बात समझ िाते थे रािा बाि
बहादरु और रािी रूपमती के प्यार के सािी माांडू में 3500 र्ीट की ऊांचाई पर बिा
ै़
रािी रूपमती का ककला है कहते हैं कक रािी रूपमती िमफदा िद को दे खे त्रबिा भोिि
ग्रहण िह ां करती थीां, इसमलए रािा बाि बहादरु िे रािी रूपमती की इच्छा का ध्याि
रखते हुए रािी रूपमती ककले का तिमाफण करवाया ै़ रािी रूपमती के ककले से िमफदा
ै़
िद ििर आती है कहा िाता है कक रािी रूपमती प्रततहदि स्िाि के बाद यहाां पहुांचतीां
और िमफदा िी के दशफि उपराांत अन्ि ग्रहण करती थीां.
ै़
रािा बाि बहादरु रािी रूपमती को बेहद प्यार करते थे शायद इसमलए रािी रूपमती
के महल तक पहुांचिे से पहले रािा बाि बहादरु के महल को पार करिा होता था ै़
ै़
रािा बाि बहादरु रािी रूपमती की रिा के मलए यह सब करते थे इसमलए शायद
आि भी रािी रूपमती के ककले को रािा बाि बहादरु और रािी रूपमती की प्रेम
ै़
कहािी का प्रतीक समझा िाता है
बाजीराव मस्िािी की प्रेम कहािी
बािीराव का 20 साल की उम्र में मराठा साम्राज्य के पेशवा के रूप में अमभिेक ककया
गया। अपिे साम्राज्य को बरकरार रखिे के मलए अगले 20 विों तक, उन्हें 41 यद्
ु ि
लड़िे के मलए िािा िाएगा। बािीराव के बारे में सबसे महनवपण
ू फ बात यह है कक
उन्होंिे उि सभी लड़ाइयों को िीता जिन्हें उन्होंिे लड़ा था। यद्यप्प उिके सैन्य
पराक्रम और उपलजब्ियाां आकिफक हैं, लेककि, बन्
ु दे ल रािा की बेट मस्तािी के मलए
उिका प्रेम और अधिक हदलचश्प है।

मस्तािी, बािीराव की दस
ू र पनिी थीां। बद
ांु े लखांड के रािा और उिकी मजु स्लम पनिी
की बेट मस्तािी बहुत अधिक खब
ु सरू त थी। हदसांबर 1728 में , मग
ु लों के मोहम्मद खाि
बांगाश िे बद
ुां े लखांड पर हमले की योििा बिाई थी।

छत्रसाल िे बािीराव को हमलावर बांगाश के खखलार् सहायता के मलए एक पत्र मलखा।


छत्रसाल का पत्र ममलिे के बाद, बािीराव उिकी मदद करिे के मलए अपिी सेिा के
साथ तरु ां त गए। बांगाश यद्
ु ि हार गया और कैद कर मलया गया। बाद में उसे इस शतफ
पर छोड़ा गया कक वह कभी बद
ुां े लखांड पर आक्रमण िह ां करे गा।

सहायता के मलए अनयधिक आभार , छात्रसाल िे अपिे साम्राज्य को तीि भागों में
प्वभाजित ककया और एक भाग बािीराव को भें ट ककया। इस भाग में झाांसी, सागर और
कालपी शाममल थे। बांगाश के खखलार् लड़ाई के बाद छत्रसाल िे अपिी बेट मस्तािी
का हाथ बािीराव को दे िे की पेशकश की थी।

बािीराव िे मस्तािी को दस
ू र पनिी के रूप में स्वीकार (उिकी पहल पनिी काशीबाई
थी।) वह मस्तािी की कई प्रततभाओां से आकप्िफत थे वास्तव में मस्तािी सद
ुां र होिे के
अलावा, घोड़े की सवार , तलवार से लड़िा, िाममफक अध्ययि, यद्
ु ि के मामलों, कप्वता,
िनृ य और सांगीत में भी तिपण
ु थीां। यह भी मािा िाता है कक वह कई सैन्य अमभयािों
में बािीराव के साथ लड़ी भी थीां।

मस्तािी िे एक बेटे को िन्म हदया था, लेककि स्थािीय ब्राह्मण समुदाय िे लड़के को
मराठा साम्राज्य के मलए सह वाररस के रूप में स्वीकार करिे से मिा कर हदया
क्योंकक मस्तािी आिी मजु स्लम थी। उन्होंिे यह भी अर्वाहें र्ैला द ां कक मस्तािी
छत्रसाल की बेट िह ां है, लेककि केवल उिकी एक ितफकी है।

काशीबाई मस्तािी से शाद कर रहे बािीराव के खखलार् िह ां थीां। उि हदिों में , एक


रािा के दस
ू रे प्ववाह को िीचा िह ां दे खा िाता था। लेककि काशीबाई और मस्तािी
के बीच कड़वाहट बढ़िे लगी, िब काशीबाई का पत्र
ु बहुत कम उम्र में मर गया।

एक तरर् काशीबाई अपिे बेटे को खोिे के दख


ु से उबर रह थी, दस
ू र तरर् मस्तािी
साम्राज्य में िीरे -िीरे प्रभावशाल हो रह थी। इससे काशीबाई परे शाि थी। कुछ
इततहासकारों का माििा है कक काशीबाई को मस्तािी के िवाि लड़के से िलि हो
गई थी।

बािीराव और मस्तािी को अलग करिे के मलए कई प्रयास ककए गए थे, 1734 में ,
बािीराव िे कोथरूद में मस्तािी के मलए एक अलग तिवास का तिमाफण ककया। यह
स्थाि अभी भी कवे रोड पर श्रीमतीििेय मांहदर के पास मौिद
ू है।

28 अप्रैल, 1740 को, बािीराव की 39 विफ की आयु में खराब स्वास्थ्य की विह से मनृ यु
हो गई। मस्तािी भी बािीराव के तििि के बाद लांबे समय तक िीप्वत िह ां रह ।
उिका भी तििि हो गया।

मस्तािी की मनृ यु के बारे में कोई मलखखत दस्तावेि िह ां है। लोकप्प्रय िारणा यह है
कक बािीराव की मौत के बारे में खबर सि
ु िे के बाद उन्होिे िहर खा मलया था। कुछ
लोग कहते हैं कक मस्तािी बािीराव के अांततम सांस्कार में कूद कर सती हो गयी थी।
कई इतिहािकार माििे हैं कक मस्िािी िांभीर हत्या का सशकार थी। उन्द्हें कुछ लोिों
द्वारा एक ‘िििकी’ गचबिि ककया िया था हालाांकक वह भिवाि कृष्ण के एक महाि
भक्ि थी, उि िमय के िमाज िे उन्द्हें अपिे धमि की वजह िे दख
ु द पररस्स्थतियों में
मजबरू कर ददया था।
बबम्बीिार आम्रपाली की प्रेम कहािी
यह कहािी है भारतीय इततहास की सबसे खूबसूरत महहला के िाम से प्वख्यात
‘आम्रपाल ’ की, जिसे अपिी खूबसूरती की कीमत वेश्या बिकर चक
ु ािी पड़ी। वह ककसी
की पनिी तो िह ां बि सकी लेककि सांपण
ू फ िगर की िगरविू िरूर बि गई। आम्रपाल
िे अपिे मलए ये िीवि स्वयां िह ां चि
ु ा था, बजल्क वैशाल में शाांतत बिाए रखिे,
गणराज्य की अखांडता बरकरार रखिे के मलए उसे ककसी एक की पनिी बिाकर िगर
को सौंप हदया गया।उसिे सालो तक वैशाल के ििवाि लोगों का मिोरां िि ककया
लेककि िब वह तथागत बद्
ु ि के सांपकफ में आई तो सबकुछ छोड़कर बौद्ि मभिुणी
बि गई।

आम्रपाल के िैप्वक माता-प्पता का तो पता िह ां लेककि जिि लोगों िे उसका पालि


ककया उन्हें वह एक आम के पेड़ के िीचे ममल थी, जिसकी विह से उसका िाम
आम्रपाल रखा गया।

वह बहुत खूबसरू त थी, उसकी आांखें बड़ी-बड़ी और काया बेहद आकिफक थी। िो भी
उसे दे खता था वह अपिी ििरें उस पर से हटा िह ां पाता था. लेककि उसकी यह
खूबसूरती, उसका यह आकिफण उसके मलए श्राप बि गया। एक आम लड़की की तरह
वो भी खश
ु ी-खश
ु ी अपिा िीवि िीिा चाहती थी लेककि ऐसा हो िह ां सका। वह अपिे
ददफ को कभी बयाां िह ां कर पाई और अांत में वह हुआ िो उसकी तियतत िे उससे
करवाया।

आम्रपाल िैसे-िैसे बड़ी हुई उसका सौंदयफ चरम पर पहुांचता गया जिसकी विह से
वैशाल का हर परु
ु ि उसे अपिी दल्
ु हि बिािे के मलए बेताब रहिे लगा। लोगों में
आम्रपाल की द वािगी इस हद तक थी की वो उसको पािे के मलए ककसी भी हद तक
िा सकते थे। यह सबसे बड़ी समस्या थी। आम्रपाल के माता-प्पता िािते थे की
आम्रपाल को जिसको भी सौपा गया तो बाकी के लोग उिके दश्ु मि बि िाएांगे और
वैशाल में खि
ू की िहदया बह िाएांगी। इसीमलए वह ककसी भी ितीिे पर िह ां पहुांच
पा रहे थे।

इसी समस्या का हल खोििे के मलए एक हदि वैशाल में सभा का आयोिि हुआ।
इस सभा में मौिद
ू सभी परु
ु ि आम्रपाल से प्ववाह करिा चाहते थे जिसकी विह से
कोई तिणफय मलया िािा मजु श्कल हो गया था। इस समस्या के समािाि हेतु अलग-
अलग प्वचार प्रस्तत
ु ककए गए लेककि कोई इस समस्या को सुलझा िह ां पाया।

लेककि अांत में िो तिणफय मलया गया उसिे आम्रपाल की तकद र को अांिेर खाइयों
में िकेल हदया। सवफसम्मतत के साथ आम्रपाल को िगरविू याति वेश्या घोप्ित कर
हदया गया। ऐसा इसीमलए ककया गया क्योंकक सभी िि वैशाल के गणतांत्र को बचाकर
रखिा चाहते थे। लेककि अगर आम्रपाल को ककसी एक को सौंप हदया िाता तो इससे
एकता खांड़डत हो सकती थी। िगर विू बििे के बाद हर कोई उसे पािे के मलए स्वतांत्र
था। इस तरह गणतांत्र के एक तिणफय िे उसे भोग्या बिाकर छोड़ हदया।

लेककि आम्रपाल की कहािी यह समाप्त िह ां होती है। आम्रपाल िगरविू बिकर


सालो तक वैशाल के लोगों का मिोरां िि करती है लेककि िब एक हदि वो भगवाि
बद्
ु ि के सांपकफ में आती है तो सबकुछ छोड़कर एक बौद्ि मभिुणी बि िाती है।
आइये आम्रपाल के मभिुणी बििे की कहािी भी िाि लेते है।

आम्रपाली और बुद्ध

बद्
ु ि अपिे एक प्रवास में वैशाल आये। कहते हैं कक उिके साथ सैकड़ों मशर्षय भी
हमेशा साथ रहते थे। सभी मशर्षय प्रततहदि वैशाल की गमलयों में मभिा माांगिे िाते
थे।
वैशाल में ह आम्रपाल का महल भी था। वह वैशाल की सबसे सन्
ु दर स्त्री और
िगरविू थी। वह वैशाल के रािा, रािकुमारों, और सबसे ििी और शजक्तशाल
व्यजक्तयों का मिोरां िि करती थी। एक हदि उसके द्वार पर भी एक मभिुक मभिा
माांगिे के मलए आया। उस मभिुक को दे खते ह वह उसके प्रेम में पड़ गयी। वह
प्रततहदि ह रािा और रािकुमारों को दे खती थी पर मात्र एक मभिापात्र मलए हुए उस
मभिुक में उसे अिप
ु म गररमा और सौंदयफ हदखाई हदया। वह अपिे परकोटे से भागी
आई और मभिुक से बोल – “आइये, कृपया मेरा दाि गह
ृ ण करें ” . उस मभिुक के पीछे
और भी कई मभिुक थे। उि सभी को अपिी आँखों पर प्वश्वास िह ां हुआ। िब यव
ु क
मभिु आम्रपाल की भवि में मभिा लेिे के मलए गया तो वे ईर्षयाफ और क्रोि से िल
उठे ।

मभिा दे िे के बाद आम्रपाल िे यव


ु क मभिु से कहा – “तीि हदिों के बाद विाफकाल
प्रारां भ होिेवाला है, मैं चाहती हूँ कक आप उस अवधि में मेरे महल में ह रहें .”

यव
ु क मभिु िे कहा – “मझ
ु े इसके मलए अपिे स्वामी तथागत बद्
ु ि से अिम
ु तत लेिी
होगी। यहद वे अिम
ु तत दें गे तो मैं यहाँ रुक िाऊँगा।”

उसके बाहर तिकलिे पर अन्य मभिुओां िे उससे बात की। उसिे आम्रपाल के तिवेदि
के बारे में बताया। यह सि
ु कर सभी मभिु बड़े क्रोधित हो गए। वे तो एक हदि के
मलए ह इतिे ईर्षयाफलु हो गए थे और यहाँ तो परू े चार मह िों की योििा बि रह
थी! यव
ु क मभिु के बद्
ु ि के पास पहुँचिे से पहले ह कई मभिु वहाां पहुँच गए और
उन्होंिे इस वत्त
ृ ाांत को बढ़ा-चढ़ाकर सुिाया – “वह स्त्री वैश्या है और एक मभिु वहाां
परू े चार मह िों तक कैसे रह सकता है!?”

बद्
ु ि िे कहा – “शाांत रहो, उसे आिे दो। अभी उसिे रुकिे का तिश्चय िह ां ककया है ,
वह वहाां तभी रुकेगा िब मैं उसे अिम
ु तत दां ग
ू ा।”
यव
ु क मभिु आया और उसिे बद्
ु ि के चरण छूकर सार बात बताई – “आम्रपाल यहाँ
की िगरविू है। उसिे मझ
ु े चातम
ु ाफस में अपिे महल में रहिे के मलए कहा है। सारे
मभिु ककसी-ि-ककसी के घर में रहें गे। मैंिे उसे कहा है कक आपकी अिम
ु तत ममलिे के
बाद ह मैं वहाां रह सकता हूँ।”

बद्
ु ि िे उसकी आँखों में दे खा और कहा – “तम
ु वहाां रह सकते हो।”

यह सुिकर कई मभिुओां को बहुत बड़ा आघात पहुांचा। वे सभी इसपर प्वश्वास िह ां


कर पा रहे थे कक बद्
ु ि िे एक यव
ु क मशर्षय को एक वैश्या के घर में चार मास तक
रहिे के मलए अिम
ु तत दे द । तीि हदिों के बाद यव
ु क मभिु आम्रपाल के महल में
रहिे के मलए चला गया। अन्य मभिु िगर में चल रह बातें बद्
ु ि को सि
ु ािे लगे –
“सारे िगर में एक ह चचाफ हो रह है कक एक यव
ु क मभिु आम्रपाल के महल में चार
मह िों तक रहे गा!”

बद्
ु ि िे कहा – “तम
ु सब अपिी चयाफ का पालि करो। मझ
ु े अपिे मशर्षय पर प्वश्वास
है। मैंिे उसकी आँखों में दे खा है कक उसके मि में अब कोई इच्छाएां िह ां हैं। यहद मैं
उसे अिम
ु तत ि भी दे ता तो भी उसे बरु ा िह ां लगता। मैंिे उसे अिम
ु तत द और वह
चला गया। मुझे उसके ध्याि और सांयम पर प्वश्वास है। तम
ु सभी इतिे व्यग्र और
धचांततत क्यों हो रहे हो? यहद उसका िम्म अटल है तो आम्रपाल भी उससे प्रभाप्वत
हुए त्रबिा िह ां रहेगी। और यहद उसका िम्म तिबफल है तो वह आम्रपाल के सामिे
समपफण कर दे गा। यह तो मभिु के मलए पर िण का समय है। बस चार मह िों तक
प्रतीिा कर लो, मुझे उसपर पण
ू फ प्वश्वास है। वह मेरे प्वश्वास पर खरा उतरे गा।” उिमें
से कई मभिुओां को बद्
ु ि की बात पर प्वश्वास िह ां हुआ। उन्होंिे सोचा – “वे उसपर
िाहक ह इतिा भरोसा करते हैं। मभिु अभी यव
ु क है और आम्रपाल बहुत सन्
ु दर है।
वे मभिु सांघ की प्रततर्षठा को खतरे में डाल रहे हैं।” – लेककि वे कुछ कर भी िह ां
सकते थे।
चार मह िों के बाद यव
ु क मभिु प्वहार लौट आया और उसके पीछे -पीछे आम्रपाल भी
बद्
ु ि के पास आई।आम्रपाल िे बद्
ु ि से मभिुणी सांघ में प्रवेश दे िे की आज्ञा माँगी।
उसिे कहा – “मैंिे आपके मभिु को अपिी ओर खीांचिे के हर सांभव प्रयास ककये पर
मैं हार गयी। उसके आचरण िे मझ
ु े यह माििे पर प्ववश कर हदया कक आपके चरणों
में ह सनय और मजु क्त का मागफ है। मैं अपिी समस्त सम्पदा मभिु सांघ के मलए दाि
में दे ती हूँ। ”

आम्रपाल के महल और उपविों को चातुमाफस में सभी मभिुओां के रहिे के मलए उपयोग
में मलया िािे लगा। आगे चलकर वह बद्
ु ि के सांघ में सबसे प्रततजर्षठत मभिुखणयों में
से एक बिी।
िलीम अिारकली की प्रेम कहािी
बचपि में , मुगल सम्राट अकबर का बेटा सल म बहुत शरारती और जिद्द था। अकबर
िे सल म के जिद्द पि को दरू करिे के मलए उसे एक दरू के सैतिक स्कूल में भेिा।
सल म अपिी मशिा और प्रमशिण परू ा करिे के बाद 14 साल बाद सैतिक स्कूल से
घर लौट आया। िब अपिा बेटा घर लौटा, तो अकबर िे अपिे महल में एक बड़े मि
ु रा
(समारोह) का आयोिि ककया।

उस समारोह के आकिफण को बढ़ािे के मलए, उन्होंिे अपिे पसांद दा ितफकी िहदरा को


आमांत्रत्रत ककया। िहदरा का असल िाम “शररर् उि तिस्सा” था। लोगों िे उसकी
सांद
ु रता और िनृ य की प्रशांसा करते हुए उसे अिारकल की उपाधि द । अिारकल का
अथफ होता है सौंदयफ की कल । अिारकल अकबर की पसांद दा ितफकी थी। इसमलए
उन्होंिे इस समारोह में अिारकल के िनृ य प्रदशफि का आयोिि ककया।

उस समारोह में , अिारकल की खब


ू सरू ती और िनृ य को दे खकर सल म उस पर मोहहत
हो गया। उसे उससे गहरा प्यार हो गया। वह उसे चाहिे लगा। लेककि अिारकल िे
उससे दरू रहिे की कोमशश की। क्योंकक वह मसर्फ एक ितफकी िह ां थी। बजल्क, वह उस
शहर की मुख्य वेश्या भी थी। वह अच्छ तरह िािती थी कक उसकी औकात क्या है।
इसमलए उसिे उससे दरू रहिे की बहुत कोमशश की।

लेककि सल म उसका पीछा िह ां छोड़ा। वह उससे ममलिे के मलए सार हदें पार कर
दे ता है। आखखरकार, अिारकल सल म के प्यार में शरणागत हो िाती है। सल म िे
अपिे प्यार को खुलकर इिहार ककया। लेककि अिारकल िे अपिे प्यार को जितिा
हो सके उतिा तछपाकर रखिे की कोमशश की। क्योंकक वह िािती थी कक अगर अकबर
को इस बात का पता चला तो वह उसे िाि से मार डालेगा ।
एक हदि सल म और अिारकल का प्यार का खबर अकबर के कािों तक पहुांचा।
अपिा बेटा सल म अिारकल िैसी वैश्य से प्यार कर रहा है , इस बात अकबर को
आसािी से हिम िह ां हुई। क्योंकक हर ककसी की तरह अकबर िे भी अिारकल के
साथ शार ररक सांबि
ां बिाया था। तुरांत अकबर िे सल म को बल
ु ाया और उसे अिारकल
से दरू रहिे के मलए कहा।

लेककि सल म िे उससे असहमत होकर कर्र से अिारकल के साथ अपिे ररश्ते को


आगे बढ़ा हदया। इससे क्रोधित होकर अकबर िे अिारकल को सल म की ििरों से
तछपा हदया और उसे गप्ु त हहरासत में रखा। यह िािकर, सल म िे अपिे प्पता अकबर
पर यद्
ु ि की घोिणा की। लेककि अकबर की प्वशाल सेिा िे सल म की छोट सेिा
को आसािी से मार हदया। अकबर िे सल म को धगरफ्तार ककया और उसे मौत की
सिा सुिाई।

अिारकल अपिे प्रेमी सल म की त्रासद से प्वचमलत हो िाती है। वह अकबर के पास


गई और उससे प्विती की कक सल म को मारे त्रबिा छोड़ दें । तब अकबर िे िवाब
हदया कक “यहद आप सल म से हमेशा के मलए दरू होिे के मलए तैयार हैं, तो मैं उसे
मार् कर दां ग
ू ा”।

अिारकल इसके मलए सहमत हो गई और उसिे अपिे प्यार का बमलदाि हदया। िैसा
कक अकबर िे कहा था, वह सल म से स्थायी रूप से दरू होिे के मलए आगे बढ़ ।
अकबर िे सल म के हदमाग से अिारकल को मारिे के मलए उसे सल म की आांखों
के सामिे एक गुांबि में जिांदा दर्ि कर हदया।

कुछ हदि सल म अिारकल की यादों में तड़पता रहा। सल म यह समझकर अिारकल


को भूल िाता है कक वह सच में मर चक
ु ी है। लेककि अिारकल मरा िह ां थी िैसा
कक उसिे सोचा था। वह अकबर की योििा के अिस
ु ार गुपचप
ु तर के से गब
ुां ि से
बचकर दे श से बाहर चल गई थी। उसिे अपिे प्रेमी की सरु िा के मलए अपिे प्यार
का बमलदाि हदया और वह हमेशा के मलए तिवाफसि में चल गई। वह कभी वापस
िह ां लौट ।

अिारकल से दरू होिे के बाद सल म एक भग्ि प्रेमी बि गया। कर्र अकबर की मनृ यु
के बाद सल म िहाांगीर के िाम से मग़
ु ल सम्राट बिा। मरते वक्त अिारकल का िाम
उसके होंठों पर था। यह सल म अिारकल की प्रेम कहािी है।
चन्द्रिुप्ि हे लेिा की प्रेम कहािी
मसकांदर महाि के सेिापतत सेल्यक
ू स तिकेटर की बेट का िाम हे लेिा था ै़ एक हदि
हे लेिा िे चांरगुप्त को सात-सात सैतिकों के साथ तलवारबािी करते दे खा. एक साथ
सातों उिके ऊपर वार करते और वह हांसते -हांसते उिके वारों को काट डालते तभी वह
उन्हें अपिा हदल दे बैठ . एक तरह से चांरगप्ु त और हे लेिा की शाद यिू ािी और
ै़
भारतीय सांस्कृतत का ममलि थी और सांदेश यह कक यद् ु ि पर प्यार भार पड़ता है

हे लेिा मसकांदर के सेिापतत सेल्यक


ू स तिकेटर की बेट थी ै़ चकूां क मसकांदर का कोई वाररस
िह ां था, इसमलए उसकी मौत के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेिापततयों िे आपस
में बाांट मलया ै़ सेल्यक
ू स को साम्राज्य का पव
ू ी हहस्सा प्राप्त हुआ, जिसमें भारत का
उत्तर-पजश्चमी हहस्सा भी शाममल था ै़ सेल्यक
ू स की बेट हेलेिा एक अपव
ू फ सुांदर थी,
जिसे अपिा बिािे की चाहत कई यि
ू ािी िौिवाि रखते थे लेककि हे लेिा की आांखें
तो ककसी और को ढूांढ़ रह थीां और वह थे चांरगप्ु त मौयफ.

दरअसल बात उि हदिों की है, िब चांरगप्ु त अपिे गरु


ु चाणक्य की दे ख-रे ख में वाह क
प्रदे श में यद्
ु ि प्वद्या का अभ्यास कर रहे थे वह अभी पाटल पत्र
ु के रािा िह ां बिे
थे एक हदि हे लेिा िे दे खा कक एक रोबीला और सुगहठत शर र वाला िौिवाि एक
साथ सात-सात सैतिकों से तलवार पर हाथ आिमा रहा है.

एक साथ सातों उसके ऊपर वार करते और वह हांसते-हांसते उिके वारों को काट डालता ै़
अपिे वार को बार-बार खाल िाता दे ख वे सातों खीझ उठे और अब वे अभ्यास के
मलए िह ां, बजल्क घातक वार करिे लगे, लेककि वह िौिवाि तो अब भी हांसे िा रहा
था और आसािी से उिके वारों को प्वर्ल कर रहा था ै़

यह िौिवाि चांरगप्ु त मौयफ था, जिसके सांद


ु र रूप, शाल ि व्यवहार और तलवारबािी के
दावां-पें च से हे लेिा मांनिमुग्ि होकर उन्हें अपिा हदल दे बैठ ै़ हे लेिा हमेशा चांरगुप्त को
एक ििर दे खिे का बहािा ढूांढ़िे में लगी रहती. यहाां तक कक उसिे अपिे प्वश्वस्त
सैतिकों और दामसयों को चांरगुप्त की हदिचयाफ पर ििर रखिे के मलए लगा हदया था.

इस बीच चांरगुप्त चाणक्य की मदद से िांद वांश का िाश करिे में सर्ल हो गये और
उन्होंिे उत्तर भारत में अपिा साम्राज्य स्थाप्पत कर मलया ै़ चांरगुप्त को इस बात की
ै़
कोई भिक िह ां थी कक हेलेिा उिसे प्यार करती है

एक बार वह अपिी राि-व्यवस्था के मसमलसले में पाटल पत्र


ु से वाह क प्रदे श पहुांचे एक
हदि वह अपिे कुछ सैतिकों के साथ झेलम िद के ककिारे घोड़े पर बैठे घम
ू -कर्र रहे
थे

उन्होंिे दे खा कक कई सांद
ु र यव
ु ततयों के बीच एक यव
ु ती आराम र्रमा रह है. चांरगप्ु त
को उसके बारे में िाििे की इच्छा हुईै़ वह अपिे घोड़े से उतरकर दबे पाांव आगे बढ़ै़े
अब यव
ु ती का मुखड़ा उिके सामिे था, जिसे दे ख कर चांरगुप्त को ऐसा लगा िैसे
आकाश में अचािक चाांदिी तछटक आयी हो ै़

उिका हदल हे लेि के गेसओ


ु ां में धगरफ्तार हो गया ै़

अब चांरगप्ु त की दशा भी वैसी ह हो गयी, िैसी कल तक हे लेिा की थी ै़ यह दो


अिित्रबयों का अिोखा प्यार था ै़ वे ममलिा तो चाहते थे, लेककि ममलें कैसे? ऐसे में
चांरगुप्त की मदद की उिके एक ममत्र िे, जिन्होंिे ऐसे कामों के मलए प्रमशक्षित रािी
कबत
ू र के िररये हेलेिा तक चांरगप्ु त के प्यार का पैगाम मभिवाया ै़ इसमें चांरगप्ु त िे
अपिा हृदय तिकाल कर रख हदया था ै़ वह पैगाम पढ़ कर हे लेिा की खश
ु ी के आांसू
थमिे का िाम िह ां ले रहे थे.

चांरगप्ु त का रोबीला रूप उसके सामिे आ गया ै़ इसके िवाब में हे लेिा िे मलखा, मैं तो
मसर्फ आपकी अमाित हूां, आइए और मुझे ले िाइएै़ पर मि भय से काांपता है कक कह ां
हमारा प्यार मेरे प्पता को स्वीकार होगा भी या िह ां. मुझे लगता है कक मेरे प्पता
हमारे ममलि के मलए तैयार िह ां होंगे, पर क्या मसर्फ एक बार, हमार मल
ु ाकात िह ां हो
सकती है?

कहते हैं कक अगर ककसी को सच्चे हदल से प्यार ककया िाये , तो सार कायिात उसे
ै़
एक करिे में िटु िाती है यह इि प्रेममयों के साथ हुआै़ दरअसल, बेत्रबलोतिया से
लेकर भारत तक सेल्यक
ू स तिकेटर के साम्राज्य के स्थािीय िनिप बगावत के त्रबगल

बिािे लगे थे, जिससे वह परे शाि था ै़ इस बीच हे लेिा बेत्रबलोतिया चल गयी ै़ चांरगप्ु त
की तो िैसे जिांदगी चल गयी ै़

ित्रपों की बगावत कुचलिे के मलए सेल्यक


ू स को भारत में मदद की िरूरत थी और
उसकी यह िरूरत तब मसर्फ चांरगप्ु त ह परू कर सकते थे उसिे मदद माांगी और
चांरगप्ु त िे प्वरोहहयों को दबािे में उसकी मदद की ै़ इस एहसाि तले दबे सेल्यक
ु स िे
चांरगुप्त से पछ
ू ा, आप मेरे योग्य कोई सेवा बतायें, मैं ति-मि-िि से उसे परू ा करिे
की कोमशश करूांगा ै़

चांरगप्ु त िे कहा, भगवाि की कृपा से मेरे पास सब कुछ है. बस केवल एक चीि िह ां
है, लेककि वह आपके पास है. अगर मैं वह माांगांू तो क्या आप दे सकते हैं. समखझए,
ै़
जिांदगी का सवाल है

सेल्यक
ू स िे कहा, सम्राट! अगर यह आपकी जिांदगी का सवाल है , तब तो मैं इसे मौत
की कीमत पर भी आपके हवाले कर दां ग
ू ा ै़ चांरगप्ु त िे बड़ी शाल िता से कहा, अगर मैं
आपकी बेट हे लेिा का हाथ माांगूां तो क्या आप स्वीकार करें गे? सेल्यक
ू स िे कहा, मुझे
हे लेिा का हाथ आपके हाथ में दे िे में कोई गुरेि िह ,ां लेककि उसकी रिामांद तो
िाििी होगी ै़

वह सोच रहा था कक उसकी बेट ककसी हहांदस्


ु तािी को अपिे शौहर के रूप में अपिािे
को शायद रािी ि हो, लेककि तब उसे आश्चयफ हुआ, िब हे लेिा िे चांरगप्ु त के साथ
प्ववाह के प्रस्ताव को खुशी-खश
ु ी स्वीकार कर मलया ै़
इततहासकार मलखते हैं कक चांरगप्ु त भव्य बारात लेकर हे लेिा से प्ववाह करिे पहुांचा
था ै़ प्ववाह के बाद चांरगप्ु त हेलेिा को लेकर पाटल पत्र
ु आ गये. यह हेलेिा त्रबांदस
ु ार
की सौतेल माां बिी ै़ एक तरह से चांरगुप्त और हे लेिा की शाद यि
ू ािी और भारतीय
ै़
सांस्कृतत का ममलि थी और सांदेश यह कक यद् ु ि पर प्यार भार पड़ता है

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