You are on page 1of 7

MkmuyksM

fcgkj yksd lsok


vk;ksx
eq[; ijh{kk
ikB~;Øe
oSdfYid fo"k; % bfrgkl (History)
WWW.DHYEYAIAS.COM

खण्ड- I (Section - I)
भाग (क) - भारत का इततहास (760 ईसवी सन् तक)
1. तसन्धु सभ्यता

उद्गम, विस्तार, प्रमख


ु विशेषताएँ, महानगर, व्यापार और संबंध; हरास के कारण, उतरा जीविता और सांतत्ि।
2. वैतिक युग

िैविक सावहत्य, िैविक यगु का भौगोविक क्षेत्र, वसन्धु सभ्यता और जैविक सस्ं कृ त के बीच असमानताएँ और समानताएँ। राजनीवतक,
सामावजक और आवथिक प्रवतरूप, महान धावमिक विचार और रीवत-ररिाज।
3. मौयय काल से पूवय

धावमिक आिं ोिन (जैन, बौद्ध और अन्य धमि) सामावजक और आवथिक वस्थवत। मगध साम्राज्य का गणतंत्र और िृवद्ध।
4. मौयय साम्राज्य

साधन, साम्राज्य प्रशासन का उद्भि, िृवद्ध और पतन, सामावजक और आवथिक वस्थवत, अशोक की नीवत और सधु ार काि।
5. मौयय काल के बाि (200 ई॰पू॰- 300 ई॰)

उत्तरी और िवक्षणी भारत में प्रमख


ु राजिश ं , आवथिक और सामावजक, संस्कृ त, प्राकृ त और तवमि धमि (महायान का उिय और
ईश्वरिािी उपासना)। किा (गांधार, मथरु ा तथा अन्य स्कूि) के न्रीय एवशया से संबंध।
6. गुप्त काल

गप्तु साम्राज्य का उिय और पतन, बकाटकास, प्रशासन समाज अथिव्यस्था, सावहत्य किा और धमि िवक्षण पिू ि एवशया से सबं धं ।
7. गुप्त काल के पश्चात् (500 ई॰-700 ई॰)

पश्ु यभवू तस, मोखाविस, उनके पश्चात् गप्तु राजा। हषििधिन और उसका काि, बिामी के चािक्ु य। पल्िि, समाज, प्रशासन और किा।
अरब विजय।
8. तवज्ञान और प्रौद्योतगकी, तिक्षा और ज्ञान का सामान्य पुनरीक्षण।

भाग (ख)- मध्ययुगीन भारत (भारत 750 ई॰ से 1200 ई॰ तक)


1. राजनीवतक और सामावजक िशा, राजपतू , उनकी नीवतयाँ और सामावजक संरचना (भ-ू संरचना और इसका समाज पर प्रभाि)।

2. व्यापार और िावणज्य
Address: 635, Ground Floor, Main Road, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi 110009
Phone: 011-49274400
WWW.DHYEYAIAS.COM

3. किा, धमि और िशिन, शक


ं राचायि।
4. तटित्र्ती वियाकिाप, अरबी से संबंध, आपसी सांस्कृ वतक प्रभाि।

5. राष्ट्रकुि, इवतहास में उनकी भवू मका, किा और संस्कृ वत में योगिान (चोि साम्राज्य, स्थानीय स्िायत सरकार, भारतीय ग्राम पद्धवत
के िक्षण, िवक्षण में समाज अथिव्यिस्था, किा और विद्या)।
6. महु म्मि गजनिी के आिमण से पिू ि भारतीय समाज अििरूनी के दृष्टान्त।

भारत 1200-1765
7. उत्तर भारत में विल्िी सल्ु तानों की नींि, कारण और पररवस्थवतयाँ, भारतीय समाज पर उसका प्रभाि।

8. वखिजी साम्राज्य, साथिकता और आशय, प्रशासवनक और आवथिक विवनयमन और राज्य एिम् जनता पर उनका प्रभाि।

9. महु म्मि वबन तगु िक के अधीन राज्य नीवतयों और प्रशासवनक वसद्धातं ों की निीन वस्थवत, विरोजशाह की धावमिक नीवत और
िोक-वनमािण।
10. विल्िी सल्तनत का विघटन- कारण और भारतीय राजतंत्र और समाज पर इसका प्रभाि।

11. राज्य का स्िरूप और विशेषता- राजनीवतक विचार और सस्ं थाएँ, कृ षक सरं चना और सबं धं , शहरी के न्रों की िृवद्ध, व्यापार और
िघु िावणज्य, वशल्पकारों और कृ षकों, निीन वशल्प, उद्योग और प्राधोवगकी भारतीय औषवधयों की वस्थवत।
12. भारतीय संस्कृ वत पर इस्िाम का प्रभाि- मवु स्िम रहस्यिािी आिं ोिन, भवि संतों की प्रकृ वत और साथिकता, महाराष्ट्र धमि। िैष्ट्ि
पनु रूद्धारकों के आिं ोिनों की भवू मका, चैतन्य आिं ोिन की सामावजक और धावमिक साथिकता, मवु स्िम सामावजक जीिन पर वहन्िु
समाज का प्रभाि।
13. विजय नगर साम्राज्य, इसकी उत्पवत्त और िृवद्ध किा, सावहत्य और सस्ं कृ वत में योगिान, सामावजक और आवथिक वस्थवतयाँ,
प्रशासन की पद्धवत, विजय नगर साम्राज्य का विघटन।
14. इवतहास के स्रोत, प्रमख
ु इवतहासकारों, वशिािेखों और मवं त्रयों का वििरण।
15. उत्तर भारत में मगु ि साम्राज्य की स्थापना- बाबर की चढ़ाई के समय वहन्िस्ु तान में राजनैवतक और सामावजक वस्थवत, बाबर और
हुमायंुु, भारतीय समरु में पतु िगािी वनयंत्रण की स्थापना, इसके राजनीवतक एिं आवथिक पररणाम।
16. सरू , राजनीवतक, राजस्ि और असैवनक प्रशासन।

17. अकबर के अधीन मगु ि साम्राज्य का विस्तारः- राजनैवतक एकता, अकबर के अधीन राजतंत्र का निीन स्िरूप, अकबर का
धावमिक राजनीवतक विचार, गैर मवु स्िमों के साथ संबंध।
18. मध्य कािीन यगु में क्षेत्रीय भाषाओ ं और सावहत्य की िृवद्ध, किा और िस्तक
ु िा का विकास।

Address: 635, Ground Floor, Main Road, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi 110009
Phone: 011-49274400
WWW.DHYEYAIAS.COM

19. राजनीवतक विचार और सस्ं थाएँ, मगु ि साम्राज्य की प्रकृ वत, भ-ू राजस्ि प्रशासन, मनसबिारी और जागीरिारी पद्धवतया,ं भवू म
सरं चना और जमींिारों की भवू मका, खेतीहर सबं धं , सैवनक संगठन।
20. औरंगजेब की धावमिक नीवत- िवक्षण में मगु ि साम्राज्य का विस्तार, औरंगजेब के विरूद्ध विरोह, स्िरूप और पररणाम।

21. शहरी के न्रों का विस्तार- औद्योवगक अथिव्यिस्था- शहरी और ग्रामीण वििेशी व्यापार और िावणज्य, मगु ि और यरू ोपीय
व्यापाररक कम्पवनयाँ।
22. वहन्ि-ू मवु स्िम संबंध, एकीकरण की प्रिृवत्त-संयि
ु संस्कृ वत (16िीं से 18िीं शताब्िी)।
23. वशिाजी का उिय- मगु िों के साथ उनका संघषि, वशिाजी का प्रशासन, पेशिा (1707-1761) के अधीन मराठी शवि का विस्तार,
प्रथम तीन पेशिाओ ं के अधीन मराठा राजनीवतक संरचना, चैथ और सरिेशमख ु ी, पानीपत की तीसरी िड़ाई, कारण और प्रभाि,
मराठा राज्य ि संघ का आविभािि, इसकी संरचना और भवू मका।
24. मगु ि साम्राज्य का विघटन, निीन क्षेत्रीय राज्य का आविभािि।

Address: 635, Ground Floor, Main Road, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi 110009
Phone: 011-49274400
WWW.DHYEYAIAS.COM

खण्ड- II (Section - II)


भाग ‘‘क’’ आधतु नक भारत (1757 से 1947)
1. ऐवतहावसक शवियाँ और कारक, वजनकी िजह से अग्रं ेजों का भारत पर अवधपत्य हुआ, विशेषतया बंगाि, महाराष्ट्र और वसंध के
सन्िभि में भारतीय ताकतों द्वारा प्रवतरोध और उनकी असििताओ ं के कारण।
2. राजिाड़ों पर अग्रं ेजों का प्रमख
ु का विकार।
3. उपवनिेशिाि की अिस्थाएँ और प्रशासवनक ढांचे और नीवतयों में पररितिन (राजस्ि, न्याय समाज और वशक्षा सम्बन्धी पररितिन
और विवटश औपवनिेवशक वहतों में उनका संबंध)।
4. विवटश आवथिक नीवत और उनका प्रभाि, कृ वष का िावणज्यीकरण, ग्रामीण ऋणग्रस्तता, कृ वष श्रवमकों की िृवद्ध, िस्तकारी उद्योगों
का विनाश, सम्पवत्त का पिायन, आधवु नक उद्योगों की िृवद्ध तथा पजंू ीिािी िगि का उिय, ईसाई वमशनों की गवतविवधयाँ।
5. भारतीय समाज के पनु जीिन के प्रभाि, सामावजक धावमिक आिं ोिन, सधु ारकों के सामावजक, धावमिक, राजनीवतक और आवथिक
विचार और उनकी भविष्ट्य दृवष्ट, उन्नीसिीं शताब्िी के पनु जािगरण का स्िरूप और उसकी सीमाएँ, जावतगत आिं ोिन विशेषकर िवक्षण
और महाराष्ट्र के सन्िभि में, आवििासी विरोह विशेषकर मध्य तथा पिू ी भारत में।
6. नागररक विरोह- 1857 का विरोह, नागररक विरोह और कृ षक विरोह विशेषकर नीि बगाित के सबं धं में, िवक्षण के िगं े और
भोपिा बगाित।
7. भारतीय राष्ट्रीय आिं ोिन का उिय और विकास- भारतीय राष्ट्रिाि के सामावजक आधार, प्रारवम्भक राष्ट्रिावियों और उग्र
राष्ट्रिावियों की नीवतयाँ और कायििम, उग्र िांवतकारी िि, आतंकिािी साम्प्रिावयकता का उिय और विकास। भारत की राजनीवत
में गांधीजी का उिय और उनके जन-आिं ोिन के तरीके , असहयोग सविनय अिज्ञा और भारत छोड़ो आिं ोिन, रेड यवू नयन और
वकसान आिं ोिन। रजिाड़ों की जनता के आिं ोिन, काग्रं ेस समाजिािी और साम्यिािी। राष्ट्रीय आिं ोिन के प्रवत विटेन की सरकारी
प्रवतविया, 1909-1935 के संिधै ावनक पवतितिनों के बारे में कांग्रेस का रूख, आजाि वहन्ि िौज 1946 का नौसेना विरोह, भारत का
विभाजन और स्ितंत्रता की प्रावप्त।

भाग ‘‘ख’’- तवश्व इततहास (1500-1950)


(क) भौगोतलक खोजों-

 सामन्तिाि का पतन, पजंू ीिाि का प्रारम्भ (यरू ोप में पनु जीिन और धमि सधु ार) निीन वनरंकुश राजतत्रं - राष्ट्र राज्योिय।
 पवश्चमी यरू ोप में िावणवज्यक िांवत िावणज्यिाि।
 इगं िैंड में संसिीय संघों का विकास। तीस िषीय यद्धु । यरू ोप के इवतहास में इसका महत्ि।
(ख) फ्ाांस का प्रभुत्व-

 विश्व के िैज्ञावनक दृवष्टकोण का उिय। प्रिोधन का यगु , अमेररका की िांवत एिम् इसका महत्ि।

Address: 635, Ground Floor, Main Road, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi 110009
Phone: 011-49274400
WWW.DHYEYAIAS.COM

 फ्ांस की िांवत तथा नैपोवियन का यगु (1789-1815), विश्व इवतहास में इसका महत्ि। पवश्चमी यरू ोप में सधु ारिाि तथा
प्रजातत्रं का विकास (1815-1914), औद्योवगक िावं त का िैज्ञावनक तथा तकनीकी पृठभूभवू म, यरू ोप के औद्योवगक िावं त की
अिस्थाएँ, यरू ोप में सामावजक तथा श्रम आिं ोिन।
(ग)

 विशाि राष्ट्र राज्यों का सदृु ढ़ीकरण, इटिी का एकीकरण, जमिन साम्राज्य का आबािीकरण। अमेररका का वसविि यद्ध
ु ।
19िीं और 20िीं शताब्िी में एवशया तथा अफ्ीका में उपवनिेशिाि तथा साम्राज्यिाि।
 चीन तथा पवश्चमी शवियाँ। जापान और इसके उिय का बड़ी शवि के रूप में आधवु नकीकरण।
 यरू ोपीय शवियाँ तथा ओट्टामन एम्पायर (1815-1914).
 प्रथम विश्वयद्ध
ु - यद्ध
ु का आवथिक तथा सामावजक प्रभाि- पेररस संवध 1919.
(घ) रूस की क्ाांतत 1917-

 रूस में आवथिक तथा सामावजक पनु ः वनमािण, इन्डोनेवशया, चीन तथा वहन्ि चीन में राष्ट्रिािी आिं ोिन।
 चीन में साम्यिाि का उिय और स्थापना। अरब संसार में जागृवत, वमश्र में स्िाधीनता तथा सधु ार हेतु संघषि, कमाि अतं ातुकि
के अधीन आधवु नक तक ु ी का आवचधािन। अरब राष्ट्रिाि का उिय।
 1929-32 का विश्व ििन। फ्ें कविन डी रूजिेल्ट का नया व्यिहार। यरू ोप में सििसत्तािाि, इटिी में मोहिाि, जमिन में
नाजीिाि। जापान में सैन्यिाि, वद्वतीय विश्वयद्ध
ु के उद्गम तथा पररणाम।

Address: 635, Ground Floor, Main Road, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi 110009
Phone: 011-49274400
/;s; IAS vc OgkV~l,i ij
Dhyeya IAS Now on Whatsapp

ध्येय IAS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए 9205336069 पर "Hi Dhyeya IAS" लिख कर मैसेज करें

आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से भी जड


ु सकते हैं

www.dhyeyaias.com
www.dhyeyaias.in

Address: 635, Ground Floor, Main Road, Dr. Mukherjee Nagar, Delhi 110009
Phone No: 011-47354625/ 26 , 9205274741/42, 011-49274400

You might also like