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पृथ्वी को 4000 मिमियन वर्ष से अधिक पुरानी कहा जाता है। ।

इसकी पपडी का ववकास चार चरणों को दर्ाषता है। चौथे


चरण को चतुिाषतकु चरण कहा जाता है, जजसे प्िेइस्टोमसन
(सबसे हामिया) और होिोसीन (वतषिान) िें ववभाजजत ककया
गया है।

कहा जाता है कक िनुष्य पृथ्वी पर प्रारं मभक प्िेइस्टोमसन िें


प्रकट हुआ था, जब सच्चे ब िै , सच्चे हाथी और सच्चे घोडे की
भी उत्पवि हईु थी। ऐसा िगता है कक यह घटना िगभग तीन
मिमियन वर्ष पहिे अफ्रीका िें घटी थी। प्रारं मभक होिो
ै नॉन (UPPCS 2003 िें प ूछ ा गया) के
सेवपयन्स को क्रोिग
रूप िें जाना जाता था।
पाषाण यग

पार्ाण काि ​प्र ाग ैततहामसक काि है, अथाषत ् मिवप के ववकास से प ूव ष का काि है, इसमिए इस
काि की जानकारी का िुख्य स्रोत पुराताजत्वक उत्खनन है।

रॉबर्ट ब्र ूस फू र्े (यप


ू ीपीसीएस 2003.2009 में प ूछे गए)। वह पुरातत्वववद् हैं जिन्होंने भारत में
पहला पुरापाषाणकालीन उपकरण, पल्लवरम हैंडैक्स 1863 में खोिा था (यप ू ीएससी 2006 में
प ूछ ा गया)

भव ै ातनक युग , पत्थर के औजारों के प्रकार और तकनीक और तनवाषह आिार के आिार पर,
ू ज्ञ
भारतीय पार्ाण युग को िुख्य रूप से तीन प्रकारों िें वगीकृ त ककया गया है-
पुरापार्ाण युग (पुराना पार्ाण युग ): अवधि - 500,000 - 10,000 ईसा प ूव ष
िध्यपार्ाण युग (देर से पार्ाण युग ) ): अवधि - 10,000 - 6000 ईसा प व
ू ष
नवपार्ाण युग (नया पार्ाण युग ): अवधि - 6000 - 2500 ईसा प ूव ष

No need to remember dates at all,it’s given just to understand


sequence,you’ll find some other date in other books. Don’t w orry for that.
परु ापाषाण युग (परु ाना पाषाण युग)

'परु ापार्ाण' र्ब्द ग्रीक र्ब्द 'पैमियो' से बना है


जजसका अथष है परु ाना और 'मिधथक' का अथष है
पत्थर। इसमिए, परु ापार्ाण यग ु र्ब्द का
तात्पयष परु ाने पार्ाण युग से है ।
पुरापार्ाण काि की
 िुख्य ववर्ेर्ताएं -
 िाना जाता है कक भारतीय िोग ‘नेग्रिर्ो’ जातत के
थे , और खि ु ी हवा, नदी घाटटयों, गफ
ु ाओं और

चट्टानों क आश्रयों िें रहते थे ।

 वे खाद्य संग्रहकताष थे , जंगिी फि और सजब्जयां


खाते थे , और मर्कार पर रहते थे ।

 िकान, मिट्टी के बतषन, कृवर् का ज्ञान नहीं था। बाद


के चरणों िें ही उन्होंने आग का पता िगाया।

 ऊपरी परु ापार्ाण यगु िें धचत्रकिा के रूप िें किा के


प्रिाण मििते हैं ।

 िानव ने बबना पॉमिर् ककए, खुर दरु े पत्थरों जैसे हाथ


की कुल्हाडी, चॉपर, ब्िेड, बररन और स्क्रेपसष का
इस्तेिाि ककया।Asked in UPSC 2002)

 परु ापार्ाण काि के परु


ु र्ों को भारत िें ‘क्वाटषजाइट’
परुु र् भी कहा जाता है (Asked in UPSC
2004)क्योंकक पत्थर के औजार क्वाटषजाइट नािक
कठोर चट्टान से बने होते थे ।
मध्य पाषाण काल ​(मध्य पाषाण युग)

िेसोमिधथक र्ब्द दो ग्रीक र्ब्दों –


‘िेसो’ और ‘मिधथक’ से बना है । ग्रीक
िें ‘िेसो’ का अथष है िध्य और
‘मिधथक’ का अथष है पत्थर। इसमिए,
प्राधगततहास के िध्यपार्ाण काि को
‘िध्य’ के रूप िें भी जाना जाता है
मध्यपाषाण काल की ववशेषताएं
 इस युग के िोग र्ुरू िें मर्कार, िछिी पकडने और भोजन एकत्र करने पर रहते थे िे ककन बाद िें उन्होंने
जानवरों और खेती वािे पौिों को भी पािा, जजससे कृवर् का िागष प्रर्स्त हु आ ।

 पाितू बनाया जाने वािा पहिा जानवर कुिे का जंगिी पूवषज था। भे ड और बकररयां सबसे आि पाितू
जानवर थे।Asked in UPSC 1990)

 िध्यपार्ाण काि के िोग गुफाओ ं औ र खुिे िैदानों पर कब्जा करने के साथ-साथ अिष-स्थायी बजस्तयों िें
रहते थे।

 इस युग के िोग िृत्यु के बाद के जीवन िें ववश्वास करते थे और इसमिए उन्होंने िृतकों को खाद्य पदाथष
के साथ दफनाया और अन्य सािान

 इस युग के ववमर्ष्ट उपकरण िाइक्रोमिथ थे। उनका उपयोग न केवि उपकरण के रूप िें ककया जाता था,
बजल्क िकडी या बो पर उन्हें काटकर मिधश्रत उपकरण, भािा, तीर के तनर्ान और दरांती बनाने के मिए भी
ककया जाता था।

 इन िाइक्रोमिथ ने िध्य पार्ाण काि के इ स


ं ान की बहु त िदद की छोटे जानवरों का मर्कार करने िें

 िध्य पार्ाण काि के इ स


ं ानों ने जानवरों की खाि का कपडा बनाकर पहनने की र्ुरुआत की।

 िध्य पार्ाण काि के िोगों को किा से बहु त प्रेि था उनकी किा का िुख्य ववर्य या धचत्रण का िुख्य
ववर्य जंगिी जानवर या मर्कार का दृश्य होता था।
नवपाषाण काल ​(नया पाषाण यग
ु )
तनयोमिधथक र्ब्द ग्रीक र्ब्द
'तनयो' से बना है जजसका अथष है
नया और 'मिधथक' का अथष है
पत्थर। तो, नवपार्ाण युग र्ब्द
का अथष 'नया पार्ाण युग' है । इसे
'नवपार्ाण क्रांतत' भी कहा जाता है
क्योंकक इसने िनुष्य के सािाजजक
और आधथषक जीवन िें कई
िहत्वपण ू ष पररवतषन ककए।
नवपार्ाण युग ने िनुष्य को
खाद्य संग्रहकताष से खाद्य
उत्पादक के रूप िें बदिते दे खा।
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नवपाषाण काल की ववशेषताएं

• उपकरण और हग्रथयार – िोग पॉमिर् ककए गए पत्थरों से बने औजारों के अिावा


Neolithic age िाइक्रोमिधथक ब्िे ड का इस्तेि ाि करते थे। वे हड्डडयों से बने औजारों और हधथयारों
• TOOLS
का भी इस्तेि ाि करते थे – जैसे स ुई, खुरचनी, छे दक, तीर के तनर्ान आटदनए
Polished and beautiful tools पॉमिर् ककए गए औजारों के उपयोग ने िनुष्यों के मिए खेती करना, मर्कार करना
used और अन्य गततववधियों को बेहतर तरीके से करना आसान बना टदया।
1. Polished axes
2. Blades • कृवष – नवपार्ाण युग के िोग भ ूमि पर खेती करते थे और रागी और घोडे के चने
3. Arrowheads
IHkrit
(कुिती) जैसे फि और िक्का उगाते थे। वे िवेर्ी, भेड और बकररयों को भी पािते
4. Ring stone थे।
5. Sickle
• ममट्र्ी के बतन ट – कृवर् के आगिन के साथ, िोगों को अपने अनाज को स्टोर करने के
6. Plough
साथ-साथ खाना बनाने, उत्पाद खाने आटद की आवश्यकता थी। इसमिए ऐसा कहा
7. Harpoon जाता है कक इस चरण िें मिट्टी के बतन ष बडे पैि ाने पर टदखाई टदए।
8. Muller • इस अवधि के मिट्टी के बतन ष ों को ग्रे वेयर, ब्ि ैक बनष वेयर और िै ट इम्प्प्रे स्ड वेयर के
तहत वगीकृत ककया गया था। नवपार्ाण युग के प्रारंमभक चरणों िें, हस्ततनमिषत
मिट्टी के बतन ष बनाए जाते थे िे ककन बाद िें, बतन ष बनाने के मिए पैरों के पटहयों का
उपयोग ककया जाने िगा।
• आवास और बसा हुआ िीवन – नवपार्ाण युग के िोग आयताकार या गोिाकार घरों
िें रहते थे जो मिट्टी और नरकट से बने होते थे। नवपार्ाण काि के िोग नाव बनाना
भी जानते थे और स ूत, ऊन और कपडा बुन सकते थे। नवपार्ाण युग के िोगों ने
अधिक व्यवजस्थत जीवन व्यतीत ककया और सभ्यता की र्ुरुआत का िागष प्रर्स्त
ककया।
ताम्रपाषाण युग (पाषाण ताम्र यग
ु )

ताम्रपार्ाण युग ने पत्थर के औजारों के साथ-


साथ िातु के उपयोग के उद्भव को धचजननत
ककया। सवषप्रथि प्रयक्
ु त होने वािी िातु तााँबा
थी। ताम्रपार्ाण यगु िख्ु यतः हडप्पा-पूवष चरण
पर िागू होता है , िेककन दे र् के कई टहस्सों िें ,
यह कांस्य हडप्पा संस्कृतत के अंत के बाद
टदखाई दे ता है ।
ताम्रपाषाण यग
ु की ववशेषताएं
कृ वष पशुप ालन - पाषाण-तांब े के युग में रहने वाले लोग पालत ू पशुओ ं को पालते थे और
खाद्यान्न की खेती करते थे। उन्होंने गायों, भेडों, बकररयों, सुअ र और भैंसों को पालत ू बनाया
और हहरणों का मशकार ककया। ताम्रपाषाण काल ​के लोगों ने गेहं ू और चावल का उत्पादन ककया,
उन्होंने बािरा की खेती भी की।

ममट्र्ी के बतटन - पत्थर-तांब े के दौर के लोग ववमभन्न प्रकार के ममट्र्ी के बतटनों का


इस्तेमाल करते थे, जिनमें से एक को काले और लाल ममट्र्ी के बतटन कहा िाता है और
लगता है कक उस युग में व्यापक रूप से प्रचमलत थे।

िामीण बजस्तयााँ - पाषाण युग में रहने वाले लोगों की ववशेष ता िामीण बजस्तयााँ थीं और व े
पकी हई
ु ईंर्ों से पररग्रचत नहीं थे। व े ममट्र्ी की ईंर्ों से बने फू स के घरों में रहते थे।

कला और मशल्प - ताम्रपाषाण काल ​के लोग तांब े के ववशेष ज्ञ थे। व े तााँब े को गलाने की कला
िानते थे और पत्थर के अच्छे कारीगर भी थे। व े कताई और बुनाई िानते थे और कपडा
बनाने की कला से अच्छी तरह पररग्रचत थे। हालााँकक, व े मलखने की कला नहीं िानते थे। प ूिा -
ताम्रपाषाण स्थलों से पृथ्वी देव ी की छोर्ी ममट्र्ी की छववयां ममली हैं । मालवा और रािस्थान
में, शैलीबद्ध ब ल
ै र्ेराकोर्ा हदखाते हैं कक ब ल
ै एक धाममटक पंथ के रूप में कायट करता है।

आभष ू ण - ताम्रपाषाण काल ​के लोग गहनों के शौकीन थे। महहलाओ ं ने खोल और हड्डी के
ै े अधट-कीमती पत्थरों
आभूष ण पहने थे। उन्होंने कारेमलयन, स्र्ीर्ाइर् और क्वाट्टि किस्र्ल ि स
के मोततयों का तनमाटण ककया।

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