You are on page 1of 3

जनसं या िनयतं र् णएक दोधारी

: तलवार

drishtiias.com/hindi/current-affairs-news-analysis-editorials/news-editorials/30-06-2021/print

हाल ही म™ दो भारतीय राǔय सरकारों - उKर प्रदेश और असम ने जनसं या िनयंतर् ण के िलये कु छ आक् रामक उपायों की
यह एिडटोिरयल िदनांक 28/06/2021 को िहंद Yु तान टाइ स म™ प्रकािशत लेख “The cautionary tale behind population
वकालत की है। यह प्र Yताव राǔय सरकार ारा उपल ध कराई गई सेवाओं के लाभाथY बनने के िलये दो बūचों की नीि त को आगे
control”
बढ़ाने पर आधािरत
से संबंिधत है। है। यह भारत म™ जनसं या िनयंतर् ण से जड़ु े म5ु ों के संदभ’ म™ है।

वत’मान म™ चल रहे V झानों को दे खते हु ए यह अंदाजा लगाया जा सकता है िक भारत वष’ 2025 तक या शायद इससे पहलेसबसे
अिधक आबादी वाले देश चीन को पछाड़कर प्रथम Yथान पर आ जाएगा। अcयिधक जनसं या का बोझ अYपतालों, खाhा नों,
घरों या रोज़गार जैसे संसाधनों की कमी पै दा कर रहा है।
हालाँिक शाYतर् ीय आिथ’ क िस5ांत पर आधािरत जनसं या िनयंतर् ण दोधारी तलवार के समान रहा है। इसके लाभ और लागत दोनों
प्रकार के प्रभाव ह ।

भारत और िव9व म™ जनसं या वृि5 की िYथित


संय त रा9 ट् र के एक डेटा के अनस ार, दिु नया के आधे से अिधक दे शों म™ जनसं या वृि5 दर म™ प्रितYथापन दर की
तलना म™ कमी आ रही है और शायद पहली बार दिु नया की जनसं या वृि5 दर सदी के अंत तक श ू य होने का
अनमान है।
इसके अलावा हाल ही म™ ल ूम बग’ की एक िरपोट’ के अनसु ार, कोिवड -19 महामारी के चलते वै ि9वक जनसं या म™
कम-से-कम एक दशक की िगरावट दे खी जा सकती है।
िवशेषyों का ान है िक महामारी ने संय त राǔय अमेिरका (यूएस) से चीन तक पहले से ही धीमी वै ि9वक ज म
अनम
दर को और धीमा कर िदया है।
संय त रा9 ट् र के जनसं या अनम ानों के ार, वष’ 2021 और 2031 के बीच भारत की जनसं या म™ 1.09 क
अनस
गणक से वृि5 होगी।
वष’ 2060 के बाद से भारत की जनसं या म™ िगरावट आनी शV हो जाएगी तथा प्रजनन दर प्रितYथापन Yतर स
नीचे िगर जाएगी।

जनसं या िनयंतर् ण िस5ांत

1/3
िबर् िटश अथ’ शाYतर् ी मा थस ने ‘िप्रंसपल ऑफ पॉपलेशन’ म™ जनसं या वृि5 और इसक
प्रभावों की cया या की है। मा थस के अनस ार, ‘जनसं या दोगन ी र तार (1, 2, 4, 8, 16, 32) से बढ़ती है,
जबिक संसाधनों म™ सामा य गित (1, 2, 3, 4, 5) से ही वृि5 होती है। पिरणामतः प्र cयेक 25 वष’ बाद जनसं या
दोगनी हो जाती है। हालाँिक मा थस के िवचारों से श दशः सहमत नहीं हु आ जा सकता िकं तु यह सcय है िक
जनसं या की वृि5 दर संसाधनों की वृि5 दर से अिधक होती है।
हालाँिक मा थस अंततः गलत सािबत हु आ योंिक कृ िष प्रौhोिगकी के Sेतर म™ भारत जैसे दे शों ने खाh
अिधशेष प्रा त कर िलया है। श5
िबग-पश *योरी: हाव’ ड’ के अथ’ शाYतर् ी हाव“ िलब™Yटीन ने प्रदिश’त िकया िक कै से जनसं या वृि5 आय को कम
करती है।
इस िस5ांत के पीछे म ु य आिथ’ क तक’ यह था िक यिद प्रित cयि त आय कम है तो लोग बचत करने क
मामले म™ बहु त गरीब ह ।
चूँिक िनवे श को बचत के समान माना जाता है और कम बचत का मतलब होगा िक अथ’ cयवYथा म™ वृि5 नही
होगी।

भारत म™ जनसं या िनयंतर् ण से जड़ु े म5ु े


जनसं या से संबंिधत िस5ांतों ने प्रायः जनसं या अथ’ शाYतर के बारे म™ हमारी समझ को बढ़ाया है िकं तु इनम™ स
कई िस5ांतों म™ बाद म™ कई खािमयाँ भी पाई गई। यह िन निलिखत तक Y म™ पिरलिSत हो सकता है।
उūच जनसं या हमेशा खराब आिथ’ क िYथित का कारण नहीं होती है: यह आव9यक नहीं है िक उūच जनसं या
अथ’ cयवYथा के िलये बरु ी चीज़ हो। जनसं या िनयंतर् णउपायों के िन निलिखत संभािवत पिरणाम होंगे:
अथ’ cयवYथा हेतु काम करने के िलये पया’ त लोग नहीं होंगे।
एक बड़ी गैर-उcपादक उमर की बढ़ने वाली आबादी का समथ’ न करने के िलये और प™ शन प्रदान करने क
िलये सरकार के पास पया’ त संसाधन नहीं होंगे। इससे
गैर-औhोगीकरण को बढ़ावा िमलेगा।
जनसं या के िवतरण संबंधी पहलू: वष’ 1937 म™ जॉन मेनाड’ की स ने "िगरती जनसं या दर के कु छ आिथ’ क
पिरणामों" पर एक cया यान िदया।
उनकी प्रमख िचंता उन Yथानों पर िनवे श की िन न मांग से संबंिधत थी जहाँ कं पिनयों को उपभो ताओं की
िगरती आबादी के कारण मांग म™ कमी का सामना करना पड़ता है।
चीनी मॉडल: चीन ने 1980 के दशक म™ जनसं या िनयंतर् ण हेतु एक बūचे के मानदंड को लागू िकया लेिकन अपनी आबादी म™
वृ5 लोगों की बढ़ती िहYसेदारी (एक बūचे की नीित के कारण) के साथ चीन ने परु ानी नीित को छोड़ िदया और शादीशदा
जोड़ों को अिधक बūचे पै दा करने के िलये प्रोcसािहत िकया।
भारत म™ धािम’क कारक: भारत म™ cया त धािम’क धV बनाता वीकरण जनसं या िनयंतर् ण को और भी अिधक जिटल म5ु ा
है।
भारत म™ एक िवशेष अ पसं यक वग’ को लिSत करने के िलये अ सर (प्र cयS या परोS Vप से) जनसं या
िवYफोट जैसे तरीकों का उपयोग िकया जाता है। जनसं या िनयंतर् ण उपाय सामािजक समरसता को भी प्रभािवत
करेगा।
गरीबों पर :प्रभाव कु ल प्रजनन दर (टीएफआर) गरीबों म™ अिधक है और आय बढ़ने पर उसम™ कमी आती है।
इस प्रकार पातर् ता आधािरत जनसं या िनयंतर् ण नीित गरीबों को नक मदद सान पहु ँचाएगी, िज ह™ इस तरह की
की सबसे अिधक आव9यकता होती है।
िपतस Kा: Kा ारा संचािलत सामािजक cयवYथा म™ लड़के को वरीयता दे ना उūच प्रजनन दर का एक
िपतस
महšवपूण’ कारक है।
यह माना जाता है िक दो बūचों की नीित को सीिमत करने से क या भV ण हcया आिद जैसी प्रथाओं क
मा?यम से जनसं या के ल िगक अनपात पर प्रितकू ल प्रभाव पड़ता है।

2/3
आगे की राह:

जनसांि यकीय लाभांश पर ?यान दे ना ज़Vरी: भारत को बढ़ती जनसं या के बारे म™ िचंता करने के बजाय अपनेजनसांि यकीय
लाभांश के दोहन पर ?यान दे ने की आव9यकता है।
भारत इितहास म™ एक ऐसे अनठे Sण म™ प्रवे श करने की ओर अगर् सर है जहाँ वह अपने आिथ’ क ल9यों को
प्रा त करने के िलये अपने जनसांि यकीय लाभांश का फायदा उठा सकता है।
सरकार के जनसं या अनम ानों के ार, वष’ 2021 म™ भारत की जनसं या का 53.6% िहYसा 29 वष
अनस
से कम आयु का है। भारत की एक-चौथाई से अिधक जनसं या की उमर 14 वष’ या उससे कम है।
हमारे नीित िनमा’ ताओं को भारत के जनसांि यकीय लाभांश को सकाराcमक तरीके से दे खते हु ए उसके दोहन पर ?यान क™
िदर् त करने के िलये प्रयcन करना चािहये।

जनसांि यकीय(Demographic
लाभांश Divided)

भारत म™ यवाओं की एक बहु त बड़ी सं या ऐसी है जो अकु शल, बेरोज़गार, सेवाओं और सिु वधाओं पर भार है तथा
अथ’ cयवYथा म™ उनका योगदान यूनतम है। िकसी भी देश के िलये उसकी यव ा जनसं या यिद कु शल रोज़गारय त और
अथ’ cयवYथा म™ योगदान दे ने वाली है तो वह उसकी जनसांि यकीय लाभांश होती है।

कौशल िवकास का उ नयन: वत’मान म™ भारत अपने यवाओं को सवो’Kम संभव अवसरों की गारंटी दे ने के समीप नहीं है।

उदाहरण के िलये उūच िशSा पर अिखल भारतीय सव“ Sण के आँकड़ों के अनस ार, भारत का उūच िशSा Sेतर गहरी
संरचनाcमक असमानताओं से जझ रहा है।
यह यवा आबादी अपने ारा अिज’त कौशल के आधार पर अcयिधक उcपादक या अनcु पादक बन सकती है।

मिहलाओं पर ?यान क™ िदर् त करना: मिहलाओं की िशSा प्रजनन दर के साथ-साथ पहले बūचे के ज म के समय माँ की उमर
दोनों के मामले म™ महšवपूण’ भिू मका िनभाती है। िशSा मिहलाओं म™ प्रजनन दर और समय से पहले ज म को कम करने म™मदद
करती है।

िन9कष’
भारत जनसांि यकीय सक् रमण के चरण म™ है जहाँ मcृ यु दर म™ िगरावट आ रही है और अगले दो से तीन दशकों म™ प्रजनन
दर म™ िगरावट आएगी। इससे जनसं या वृि5 म™ कटौती की गजं ाइश बनती है योंिक भारत म™ अभी भी सकाराcमक िवकास
दर है लेिकन हमारी जनसं या नीित को श ू य जनसं या वृि5 के बड़े पिरणामों को ?यान म™ रखने की आव9यकता है।

दिृ 9 ट मे स प्र 9न: जनसं या िनयंतर् ण दोधारी तलवार है। भारत के पास अपनी जनसं या के आकार म™ कटौती करने की
गजं ाइश है लेिकन उसे उस टर् ेप से बचने की आव9यकता है जो उसका इंतज़ार कर रहा है। चचा’ कीिजये।

3/3

You might also like