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रचनात् - मक लेखन ....
रचनात् - मक लेखन ....
दोंमेंअभिव्
यक्तिकीक्षमिाहोिीहै , वोआपकोहँसा
सकिेहैं, रूलासकिेहैं, झकझोरसकिेहैं।औरिोऔर
ववचारकरनेकेभलएमजबरू करसकिेहैं।इसकेभलए
आपकेपासभसर्फएकगण ु होनाचाहहए।वोहै रचनात्
मक
लेखन।
रचनात्मकलेखन
अनच्
ु छे दलेखन
पत्र-लेखन
ववज्ञापनलेखन.
चचत्र-वणफन
संवाद-लेखन
नारा -लेखन
कथालेखन
संदेश लेखन
सच
ू नालेखन
पत्र-लेखन
भलखखिरूपमें अपनेमनकेिावोंएवंववचारोंकोप्रकटकरनेकामाध्यम'पत्र'
हैं।
दरू रहनेवालेअपनेसबक्धियोंअथवाभमत्रोंकीकुशलिाजाननेकेभलएिथाअपनी
कुशलिाकासमाचारदे नेकेभलएपत्रएकसािनहै ।इसकेअतिररततअधयकायों
केभलएिीपत्रभलखेजािेहै ।
अच्छे पत्र की विशेषताएँ
एकअच्छे पत्रकीपाँचववशेषिाएँहै -
(1) प्रभािोत्पादकता
(2) विचारों की सस् ु पष्ठता
(3) संक्षेप और सम्पूर्त ण ा
(4) सरल भाषाशैली
(5) बाहरी सजािट
(6) शद्ु धता और स्िच्छता
(7) विनम्रता और शशष्टता
(8) सद्भािना
(9) सहज और स्िाभाविक शैली
(10) क्रमबद्धता
(11) विराम चचह्नों पर विशेष ध्यान
(12) उद्दे श्यपर्
ू ण
पत्रों के प्रकार
मुख्य रूप से पत्रों को ननम्नशलखित दो िर्गों में विभाजजत ककया जा सकता
है :
(1) अनौपचाररक-पत्र (व्यजततर्गत पत्र )
(2) औपचाररक-पत्र (प्रार्णना-पत्र/आिेदन पत्र, कायाणलयी-पत्र, व्यिसानयक-पत्र )
अनौपचाररक-पत्र का प्रारूप
प्रेषककापिा
..................
...................
...................
हदनांक...................
संबोिन...................
अभिवादन...................
पहलाअनच् ु छे द................... (कुशलक्षेम)...................
दस ू राअनच् ु छे द...........(ववषय-वस्ि-ु क्जसबारे मेंपत्रभलखनाहै )............
िीसराअनच् ु छे द................ (समाक्ति)................
प्रापककेसाथप्रेषककासंबि ं
प्रेषककानाम................
अनौपचाररक-पत्र की प्रशजस्त, अशभिादन ि
समाजतत
(1) अपने से बड़े आदरर्ीय संबंचधयों के शलए :
प्रशजस्त - आदरणीय, पज
ू नीय, पज्
ू य, श्रद्िेयआहद।
अशभिादन - सादरप्रणाम, सादरचरणस्पशफ, सादरनमस्कारआहद।
समाजतत - आपकाबेटा, पोिा, नािी, बेटी, पोिी, नातिन, ििीजा
आहद।
20/3, रामनगर,
कानपुर।
हदनांक15 माचफ, 20XX
पज्
ू यवपिाजी,
सादरचरण-स्पशफ।
कईहदनोंसेआपकाकोईपत्रप्रातिनहींहुआ।हमसबयहाँकुशलपूवक फ रहकरिगवान
सेआपकीकुशलिाएवंस्वास््यकेभलएसदाप्राथफनाकरिेहैं।वपिाजी, मैंनेघरकी
सारीक्जम्मेदाररयाँसम्िाललीहैं।घरएवंबाहरकेअचिकांशकामअबमैंहीकरिाहूँ।
सलोनीआपकोबहुियादकरिीहैं।वहहरसमयपापा-पापाकीरटलगाएरहिीहैं।इस
बारघरआिेसमयउसकेभलएगुड़ियोंकाउपहारलेिेआइएगा।
आपअपनीसेहिकाख्यालरखना।समयपरखाना, समयपरसोना।यहदआपको
स्वास््यसेितनकिीगिबिीमहसस ू होिोडॉतटरसेपरामशफकरिरु ं िहीअपना
उचचिइलाजकरवाना।
आपकेपत्रकेजवाबकेइधिजारमें ।
आपकापुत्र,
ववजयमोहन
(2)औपचाररक पत्र-
प्रिानाचायफ, पदाचिकाररयों, व्यापाररयों, ग्राहकों, पुस्िकववक्रेिा,
सम्पादकआहदकोभलखेगएपत्रऔपचाररकपत्रकहलािेहैं।
इसीकारणवहसिीप्राखणयोंमेंसवफश्रेष्ठहै ।
बोलनािीएककलाहै ।
अपनीबािसेआपसामनेवालेकोककिनाप्रिावविकरपािेहै
यहआपकेवािाफलापकेढं गसेसम्िवहोिाहै ।
दस
ू रे शब्दोंमें -ककसीघटना, दृश्यअथवाववषयकोसंक्षक्षति(कमशब्दोंमें)
ककधिु सारगभिफि(अथफपण ू )फ ढं गसेक्जसलेखन-शैलीमेंप्रस्िुिककयाजािाहै ,
उसेअनुच्छे द-लेखनकहिेहैं।
'अनच्
ु छे द' शब्दअंग्रेजीिाषाके'Paragraph' शब्दकाहहंदीपयाफयहै ।अनच्
ु छे द
'तनबंि' कासंक्षक्षतिरूपहोिाहै ।इसमेंककसीववषयकेककसीएकपक्षपर
80 से100 शब्दोंमेंअपनेववचारव्यतिककएजािेहैं।
अनच्
ु छे दअपने-आपमेंस्विधत्रऔरपण
ू फ होिेहैं।अनुच्छे दकामुख्यववचार
यािावकीकंु जीयािोआरम्िमेंरहिीहैयाअधिमें।एकअच्छे
अनुच्छे द-लेखनमेंमुख्यववचारअधिमेंहदयाजािाहै ।
अनुच्छे द के कुछ उदाहरर्
(1)समय ककसी के शलए नहीं रुकता
मेरेभमत्ररोहहिकाजधम-हदनथा।उसनेअधयभमत्रोंकेसाथमुझेिीबुलाया।रोहहिके
कुछररश्िेदारिीआएहुएथे, ककधिु अचिकिरभमत्रहीउपक्स्थिथे।घरकेआँगनमें ही
समारोहकाआयोजनककयागयाथा।उसस्थानकोबहुिहीसुंदरढं गसेसजायागया
था।हरजगहझक्ण्डयाँऔरगब्ु बारे थे।आँगनमें लगेएकपेिपररं ग-बबरं गेबल्बजगमग
कररहे थे।जबमैंपहुँचािोमेहमानआनेशरू ु हीहुएथे।मेहमानरोहहिकेभलएकोई-
न-कोईउपहारलेकरआिे, उसकेतनकटजाकरबिाईदे िेऔररोहहिउनकािधयवाद
करिा।क्रमशःलोगछोटी-छोटीटोभलयोंमें बैठकरगपशपकरनेलगे।संगीिकीमिरु
ध्वतनयाँगँजू रहीथी।एक-दोभमत्रउठकरनत्ृ यकरनेलगे।कुछभमत्रिाभलयोंबजाकर
अपनायोगदानदे नेलगे।चारोंओरउल्लासकावािावरणथा।
सािबजेकेलगिगकेककाटागया।सबभमत्रोंनेिाभलयाँबजाईऔरभमलकरजधमहदन
कीबिाईकागीिगाया।माँनेरोहहिकोकेकखखलाया।अधयलोगोंनेिीकेकखाया।
कर्रसिीखानाखानेलगे।खानेमें अनेकप्रकारकीभमठाइयाँऔरनमकीनथे।िब
हमनेरोहहिकोएकबारकर्रबिाईदी, उसकीदीघाफयु कीकामनाकीऔरअपने-अपने
घरकोचलहदए।वहकायफक्रमइिनाअच्छाथाककअबिीस्मरणहोआिाहै ।
चचत्र-वणफन
ककसीचचत्रकोदे खकरउससेसंबंचििमनमें उठनेवालेिावोंकोअपनीकल्पनाशक्ति
केमाध्यमसेअभिव्यतिकरनाही'चचत्र-वणफन' कहलािाहै ।
दस
ू रे शब्दोंमें -चचत्रकोदे खकरउसमें तनहहिकक्रयायों, क्स्थतियोंऔरिावोंकावणफन
ही'चचत्र-वणफन' कहलािाहै ।
चचत्र-वणफनकेलाि
(1) चचत्र-वणफनसेवस्िओ
ु ं यादृश्योंकोपरखनेकीक्षमिाकाववकासहोिाहै ।
(2) चचत्र-वणफनसेकल्पनाशक्तिकाववकासहोिाहै ।
(3) चचत्र-वणफनसेअपनेववचारोंकोएकसत्र ू में वपरोकरभलखनेकीप्रतििाकाववकास
होिाहै ।
(4) िाषालेखनकाववकासहोिाहै ।
चचत्र-िर्णन के कुछ उदाहरर्
प्रस्िि
ु चचत्रमेंजल-प्रदष
ु णकोप्रिावविकरनेवालीक्स्थतिकोदशाफया
गयाहै ।इसचचत्रमेंएकव्यक्तिकपिेिोरहाहै , कुछजानवरनहारहे
हैं, नालेकापानीनदीमेंचगररहाहै औरकारखानोंसेतनकलनेवाले
रसायनआहदअपभशष्टपदाथफिीनदीमेंचगररहे हैं।हमसिीजानिेहैं
ककइनसबसेनदीकापानीदवू षिहोिाहै ।जलकेबबनामनुष्योंका
जीवनसंिवनहींहै औरनहदयोंकाजलमख् ु यस्त्रोिहै ।नहदयोंकेजल
कोप्रदवू षिहोनेसेबचानेकेभलएहमेंसमयरहिेअपनीइनगलतियोंको
सुिारनाहोगा, अधयथाइसकेदष्ु प्रिावबहुिियानकहोंगे।
ववज्ञापनलेखन.
विज्ञापनववक्रयकलाकाएकतनयंबत्रिजनसंचारमाध्यमहै क्जसकेद्वाराउपिोतिाको
दृश्यएवंश्रव्यसूचनाइसउद्दे श्यसेप्रदानकीजािीहै ककवहववज्ञापनकिाफकीइच्छासे
ववचारसहमति, कायफअथवाव्यवहारकरनेलगे।... आशययहककउत्पाहदिवस्िु को
लोकवप्रयबनानेिथाउसकीआवश्यकिामहसूसकरानेकाकायफविज्ञापनकरिाहै
नारा -लेखन
नारा, राजनैतिक, वाखणक्ज्यक, िाभमफकऔरअधयसंदिोंमें, ककसी
ववचारयाउद्दे श्यकोबारं बारअभिव्यतिकरनेकेभलएप्रयुतिएक
यादगारआदशफ-वातययासूक्तिहै ।
स्िच्छता पर नारे
.
Featured snippet from the web
प्रभसद्िनारा, िुममुझे खन
ू दो, मैंिुम्हें आजादीदं ग
ू ाहदया।
नेिाजीसि
ु ाषचंद्रबोस