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Hindi culminating (नए समाज के लिए -मोतीिाि के दिए)

Grade-7 Term-2

सभी पात्र –

िे खो िे खो नाटक िे खो-- िे खो िे खो नाटक िे खो

जजनको िे ख कर भी हम करते है अनिे खा िे खो

१-पहला पात्र -मैं तेरी िाड़िी हूँ , मैं भी पढ़ना चाहती हूँ

भैया की तरह मैं भी घर का अलभमान बनना चाहती हूँ

चाूँि दिखा रोज़ माूँ मझ


ु ,े पररयों की कहानी सन
ु ाती हो

मझ
ु े भी पंख िो न माूँ, मैं भी उड़ना चाहती हूँ

मत करो अंतर भैया में मझ


ु में िोनों ही है एक समान

भैया की तरह मझ
ु में भी तो बसती है ना तेरी जान

मैं भी पढ़ना चाहती हूँ, परा करोगी ना मेरा अरमान

२-दस
ू रा पात्र -मझ
ु े काम पर है जाना पर बबल्िी को भी था अभी मेरा रास्ता काटना

िे री होजाएगी होजाएगा नक्


ु सान ..ककधर हो भागवान करना होगा किर स्नान

क्या कहा िध है उबि गगर पड़ा.. उफ़ दिन है आज अशभ


ु बड़ा

जल्िी से कुछ उपाय करवाओ… कािा धागा ननम्ब उतरवाओ

सभी पात्र -हाय रे असमानता …. हाय रे अंधववस्वास (२-बार )

३-तीसरा पात्र -मेरी बेटी को ८५प्रनतशत आया है

किर भी उसका एडलमशन न हो पाया है

पड़ोस का रमेश ५०प्रनतशत पर कॉिेज में एडलमशन कर आया है

क्यों न हो उसके वपता की है उच्च पहचान

दिया होगा ऊपर से कुछ िान


मैं गरीब मध्यम वगग कहाूँ से िाऊूँ मैं धन, मजु ककि से कटता हैं मेरा हर दिन

भ्रष्टाचार तझ
ु े सिाम

४-चौथा पात्र -(रोते हुए -ककसान ) मेरे िे श की धरती सोना उगिे उगिे हीरे मोती मेरे ...

हाूँ मैं हूँ मजबर ककसान जो करता है श्रम कष्ट सहकर

करिूँ आबाि डाि िूँ बंजर ज़मीन में भी जान

अन्न उपजाऊूँ सभी को हरषाऊूँ

पर मैं हूँ िबा क़ज़ग तिे .. एक पि भी चैन मझ


ु े न लमिे

धीरे धीरे मेरी ज़मीन भी है मझ


ु से छटती

मेरी ककस्मत भी है मझ
ु से रुठती

मेरे बािक मेरा पररवार है परे शान

मझ
ु े िेनी होगी खुि अपनी जान

हाूँ मैं हूँ एक ककसान

सभी पात्र -हाय हाय भ्रष्टाचार हाय हाय यह िर्वु यगवहार ( २ बार )

बंि करो यह कारोबार चारों ओर है हाहाकार

समाज का हो गर करना उद्धार

िे आओ नए ववचार

नया समाज करें तैयार

(१-पहिा पात्र) -नए समाज के लिए नई सोच िानी होगी

आज हमें आज़ािी की कीमत चुकानी होंगी

लशक्षा का हम िें गे ज्ञान िड़का िड़की एक समान

(२-िसरा पात्र )-ववज्ञान की रौशनी से जगमगाएूँ

आओ ज्ञान का िीप जिाएूँ


िे श का करना हो अगर ववकास

ख़तम करो सभी अंधववकवास

(३-तीसरा पात्र) -सही लसद्धांतों मल्यों को अपनाएूँ

आओ प्रण िें न भ्रष्ट बने न बनाएूँ (२-बार )

(४-चौथा पात्र -)िे श हमारा कृवष प्रधान

क्यों गूँवाएूँ ककसान अब जान

वह भी पाए बराबरी का सम्मान

नए समाज में वह भी उन्नत हो सभी के साथ

लशक्षा ज्ञान ववज्ञान मनष्ु यता के साथ

आओ हाथ लमिाएूँ सभी मज़िर मालिक और ककसान

सभी पात्र - (२ बार )

नए समाज के लिए हम दिए हैं चि

सभी को िेकर आओ बनाए बहतर कि

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