(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए-
प्रश्न 1 – कीचड़ के प्रति किसी की सहानुभूति क्यों नहीं होती? उत्तर – कीचड़ का नाम आते ही मैलेपन का खयाल आता है । कीचड़ को लोग गंदगी की निशानी समझते हैं। इसलिए कीचड़ के प्रति किसी की सहानुभूति नहीं होती। प्रश्न 2 – जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं? उत्तर – जमीन ठोस होने पर उस पर गाय, भैंस, बकरी, बैल, आदि के पदचिन्ह अंक्ति हो जाते हैं। कभी कभी उसपर चिड़िया के पदचिन्ह भी अंकित हो जाते हैं। प्रश्न 3 – मनष्ु य को क्या भान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता? उत्तर – हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है । यदि इसका जाग्रत भान मनुष्य को होता तो वह कीचड़ का तिरस्कार न करता। प्रश्न 4 – पहाड़ लुप्त कर दे नव े ाले कीचड़ की क्या विशेषता है ? उत्तर – समंदर के किनारे या खंभात में जहाँ तक नजर जाए कीचड़ ही नजर आता है । मही नदी के मुहाने पर तो इतना कीचड़ होता है कि उसमें हाथी क्या पहाड़ भी लुप्त हो जाएँ। इससे पता चलता है कि वहाँ पर अथाह कीचड़ होता है । (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए – प्रश्न 1 – कीचड़ का रं ग किन-किन लोगों को खुश करता है ? उत्तर – कीचड़ का रं ग कलाभिज्ञ लोगों और बुद्धिजीवी लोगों को खुश करता है । कुछ कलाप्रेमी मिट्टी के वैसे बरतन या कलाकृतियाँ जमा करते हैं जिनका रं ग कीचड़ जैसा हो। कुछ अभिजात लोग कपड़ों के लिए भी कीचड़ जैसा रं ग ही पसंद करते हैं। कई रुचिपूर्ण घरों की दीवारें भी कीचड़ के रं ग की होती हैं। प्रश्न 2 – कीचड़ सख ू कर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है ? उत्तर – जब कीचड़ थोड़ा सूख जाता है तो उसपर चिड़ियों के चलने से निशान बनते हैं। जब तीन नाखून आगे और एक नाखून पीछे वाले ये निशान मीलों तक जाते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी बड़े नक्शे पर कारवाँ के निशान बने हों। सूखे कीचड़ पर मवेशियों के पदचिन्ह भी बनते हैं। कभी कभी जब ये मवेशी लड़ते हैं तो कीचड़ पर इनकी लड़ाई के निशान गवाही के रूप में बन जाते हैं। प्रश्न 3 – सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई दे ता है ? उत्तर – सूखे कीचड़ का सौंदर्य किसी भी नदी के तट पर दिखाई दे ता है । गंगा जैसी बड़ी नदी के तट पर कीचड़ का भंडार दिखता है । यदि इससे भी मन न भरे तो आप समंदर के किनारे या खंभात जाकर कीचड़ की विशाल राशि को दे ख सकते हैं। वहाँ पर तो इतना कीचड़ होता है कि उसमें हाथी क्या पहाड़ तक समा जाएँ। प्रश्न 4 – कवियों की धारणा को लेखक ने वत्ति ृ -शून्य क्यों कहा है ? उत्तर – कवि को लेखक ने युक्ति शून्य वत्ति ृ वाला बताया है । लेखक के अनुसार, कवि को सिक्के का केवल एक ही पहलू नजर आता है । कोई भी कवि ‘पंकज’ शब्द सुनकर आह्लादित हो उठता है लेकिन ‘पंक’ का नाम सुनते ही नाक भौं सिकोड़ने लगता है । ‘मल’ शब्द से कवि का मन मलिन हो उठता है लेकिन ‘कमल’ शब्द सुनते ही कवि नाचने लगता है । (ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए – प्रश्न 1 – नदी किनारे अंकित पदचिन्ह और सींगों के चिन्हों से मानो महिषकुल के भारतीय यद्ध ु का परू ा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है । उत्तर – इस पंक्ति में लेखक ने उस दृश्य का वर्णन किया है जब कीचड़ पर मवेशियों के लड़ने से तरह तरह के निशान बन जाते हैं। ऐसे निशान नाना प्रकार के होते हैं और एक विशाल क्षेत्र में अंकित हो जाते हैं। तब ऐसा लगता है कि इस दे श में आज तक जितने भी मवेशियों के युद्ध हुए, कीचड़ उन सबका इतिहास बता रहा है । प्रश्न 2 – “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य दे ते हैं किं तु कोयले या पत्थर का नहीं दे ते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किं तु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।“ कम से कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम। उत्तर – लेखक का मानना है कि कवि यथार्थ से कोसों दरू होते हैं और वे सिक्के का केवल एक पहलू दे खते हैं। लेकिन इस विषय पर किसी भी कवि से बहस करना बेकार है । कोई भी कवि शब्दों का धनी होता है और अपनी वाकपटुता से वह तर्कों में किसी को भी हरा सकता है ।
The Happiness Project: Or, Why I Spent a Year Trying to Sing in the Morning, Clean My Closets, Fight Right, Read Aristotle, and Generally Have More Fun