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SudamaCharitra NarottamaDasa
SudamaCharitra NarottamaDasa
दानी बडे ितहँ लोकन मे, जग जीवत नाम सदा िजनको लै।
दीनन की सुिध लेत भली िविध, िसद करौ िपय मेरो मतौ लै।।
छांिड सबै जक तोिह लगी बक, आठह जाम यहै िजय ठानी।
पूरन पैज करी पहलाद की, खमभ सो बांधयो िपता िजिह बेरे।
देव गनधवर औ िकननर जचछ से, सांझ लौ ठाढे रहै िजिह ठाऊं।।
भूल से भूप अनेक खरे रहौ, ठाढे रहौ ितिम चककवे भारी।
हाय महा दुख पायो सखा तुम, आए इतै न िकतै िदन खोए।।
तनदल
ु ितय दीने हते, आगे धिरयो जाय।
लोक चतुदस
र की सुख समपित, लागत िवप िबना दुखदाई।।
योगय नही अदारिगनी है, तुमको िदज हेतु इती िनठु राई।।
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