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राजन गु जी शव शि त साधना क

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94174-35985

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कसी वशेष समय पर कये गए उपाय शी व ् अव य ह फल दे ते ह ! यह वशेष समय होल , दवाल , दशहरा
व् हण काल का माना गया है ! ऐसा माना जाता है क इन अवसर पर दे वी दे वताओं क कुछ ऐसी वशेष
कृपा होती है क इस समय कये गए उपाय का लाभ शी मलता है और उसका फल ल बे समय तक थाई
प से बना रहता है ! उपरो त अवसर के आलावा अ य समय पर भी यह उपाय कर सकते ह और उनका भी
लाभ होता है पर तु इसम कुछ समय अ धक लग सकता है ।

आ थक लाभ के लए:-

(1) य द आप कसी भी कार से आ थक सम या म ह तो होल क रात म चं मा के उदय होने के बाद अपने


घर क छत पर आ जाएँ ! भगवान चं मा को शु घी के द पक के साथ धप
ू बती व ् अगरबती अ पत कर कोई
भी सफ़ेद मठाई ( शाद) व ् साबद
ू ाने क खीर अ पत कर! भगवान च दे व से अपने घर मे थाई शां त के
साथ थाई आ थक सम ृ ध क ाथना कर! बाद म भगवान च दे व को लगा भोग शाद के प म ब च म
बाँट द! कुछ ह दन म आप अनुभव करगे क आपक आ थक सम याएँ कम होकर लाभ क ि थ त बन रह
है ! य द अ धक लाभ चाहते ह तो यह उपाय आप येक पू णमा को भी कर सकते ह !
(2) य द आपने यह उपाय होल क रा म कया तो इसके भाव से आप कभी भी आ थक सम या म नह ं
आयगे ! होल क रा म सबसे पहले अपने घर म या कोई यवसा यक जगह हो तो वहाँ पर भी सार लाइट
जला द व ् शाम के समय ( सय
ू डूबने से पहले ) दया-बती कर! ल मी जी का कोई भी म 11 बार पढ़!
इसके बाद घर या यवसाय क कोई भी क ल लाकर िजस थान पर होल जलनी है , वहाँ क मटट म दबा द
! अगले दन उस क ल को नकालकर अपने घर या यवसाय के मु य वार के बाहर क मटट म दबा द !
इस उपाय के भाव से आपके घर या यवसाय म कसी नकरा मक शि त का वेश नह ं होगा व ् आप
आ थक संकट म नह ं आयगे! नःशु क यं , त ,म , स साधना सीखने के लए संपक करे :-

राजन गु जी शव शि त साधना क

94174-35985

वशेष :-

हो सकता है क िजस जगह पर हो लका दहन होगा उस जगह पर क ल को दबाना और अगले दन उसे ढूंढकर
ले आना आपको मिु कल लग रहा हो तो इसके लए आप इस उपाय को इस तरह भी कर सकता ह ! हो लका
जलने के बाद उसक थोड़ी सी गम राख घर म ले आय ! घर के मु य वार के अंदर क तरफ जमीन पर
क ल रखकर उसके ऊपर होल क रख रख द और ऊपर से कसी चीज से ढक द ! अगले दन क ल को उपर
दए उपाय के अनस
ु ार योग कर और राख को जल म वा हत कर द ! ऐसा करने से भी आपको स पण

लाभ होगा !

रोगमुि त के लए

य द आपके प रवार म अथवा प र चत म कोई यि त बीमार है या ल बे समय से अ वथ है तो उसके लए


यह उपाय अ यंत भावकार है !

हो लका दहन क रा म एक सफ़ेद व म 11 अ भमं त गोमती च , 21 नागकेसर के जोड़े (42 पीस) ,


व ् 8 धनकारक कौ ड़यां बांध ल ! कपडे पर हर संगार तथा च दन का इ लगाकर बीमार यि त पर से सर
से पैर क तरफ बायीं तरफ से शु करके 7 बार उसार कर कसी शव मं दर म अ पत कर द ! रोगी तरु ं त
व थ होने लगेगा ! य द बीमार गंभीर है तो यह काय आप शु ल प के थम सोमवार से शु करके
लगातार 7 सोमवार कर! ये एक चम कार उपाय है , िजसे करने से कई जातको को लाभ हो चक
ु ा है !
नःशु क यं , त ,म , स साधना सीखने के लए संपक करे :-

राजन गु जी शव शि त साधना क

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रोगमिु त के साथ कसी वशेष काय क स के लए:-

यह उपाय रोग मिु त के साथ कसी वशेष काय स के लए भी कया जा सकता है ! य द आप अपना
कोई वशेष काय स करना चाहते ह या कोई गंभीर प से बीमार है तो हो लका दहन क रात को एक सवा
मीटर काला कपडा लेकर उसमे 7 काल ह द क गांठे व ् ना रयल के खोपरे म बरू ा डालकर पोटल बना ल !
अब उस पोटल को पीपल व ृ के नीचे ग ढा कर के दबा द साथ म 8 गोमती च भी दबा द ! पीपल व ृ
पर आटे से न मत सरस के तेल का द पक जलाएं व ् धप
ू अगरबती अ पत कर !

अब हाथ जोड़कर य द अ वथ ह तो रोग मिु त के लए नवेदन कर और य द कोई वशेष काय स करवाना


चाहते ह तो उसके लए नवेदन कर ! इसके प चात आनेवाले शु ल प के थम श नवार को ऊपर दए
तर के के अनुसार धप
ू अगरबती व ् द पक अ पत कर! जो गोमती च आपने पीपल व ृ के नीचे दबाये थे उ ह
नकल ल और अपनी जेब म रख जब तक क आपका वा य ठ क न हो या काय स न हो ! कुछ ह
समय म रोगी का वा य ठ क होने लगेगा या आपका वशेष काय स होने लगेगा ! इस बात का अव य
यान रख क आपका काय असंभव न हो !

नःशु क यं , त ,म , स साधना सीखने के लए संपक करे :-

राजन गु जी शव शि त साधना क

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होल पर नव ह कोप से मिु त

य द आपको कसी भी ह से कसी भी कार का क ट है तो आप हो लका दहन क रा म ये उपाय कर


िजससे नव ह शांत ह गे व ् आप पर उनक वशेष अनक
ु पा बनी रहे गी !

नव ह अनक
ु पा ा त करने क लए आप बना सले हुए पीले व धारण कर अपने नवास थान के कसी
शु व ् शा त थल पर गंगाजल छड़क! इसके प चात ् उस थल को गाय के गोबर से ल प व ् उस पर एक
लकड़ी क च क या पटरा रख ! अब उस च क पर पीला रे शमी व बछाएं और उसपर सात कार के अनाज
से ढ़े र बनाकर ढ़े र पर अ भमं त नव ह यं को रख ! लाल कपडे के आसन पर बैठकर नव ह यं को केसर
से तलक कर शु घी का द पक और धप
ू अगरबती अ पत कर और आशीवाद दे ने का नवेदन कर ! इसके
प चात नीचे लखे तो का 11 बार पाठ कर !

नःशु क यं , त ,म , स साधना सीखने के लए संपक करे :-

राजन गु जी शव शि त साधना क

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तो :-

जपाकुसम
ु संकाशं का यपेयं मह यु तम

तमो र सवपाप नं णतोि म दवाकरं (सूयदे व) II 1 II

द धशंखतष
ु ाराभं ीरोदाणवसंभवं

नमा म श शनं स मं शंभोमक


ु ु टभूषणं (चं दे व) II 2 II

धरणीगभ संभत
ू ं व यु कांतीं सम भं

कुमारं शि तह तंच मंगलं णमा यहं (मंगलदे व) II 3 II

यंगक
ु लका शामं पेणा तमं बध
ु ं

सौ यं सौ य गण
ु पेतं तं बध
ु ं णमा यहं (बु दे व) II 4 II

दे वानांच ऋ षणांच गु ं कांचन सि नभं

बु भत
ू ं लोकेशं तं नमा म बहृ प तं (बह
ृ प तदे व) II 5 II

हमकंु द मण
ृ ालाभं दै यानां परमं गु ं

सवशा व तारं भागवं णमा यहं (शु दे व) II 6II


नीलांजन समाभासं र वपु ं यमा जं

छायामातड संभत
ू ं तं नमा म शनै वरं (श नदे व) II 7 II

अधकायं महावीय चं ा द य वमदनं

सं हका गभसंभत
ू ं तं राहूं णमा यहं (राहूदे व) II 8 II

पलाशपु प संकाशं तारका ह म तकं

रौ ं रौ ा मकं घोरं तं केतुं णमा यहं (केतुदेव) II 9 II

इ त यासमख
ु ोदगीतं य पठे त सुसमा हतं

दवा वा य द वा रा ौ व नशां तभ व य त II 10 II

नरनार नप
ृ ाणां च भवेत ् द:ु व ननाशनं

ऐ वयमतुलं तेषांमारो यं पिु टवधनं II 11 II

हन जा पीडा त कराि नसमु वा

ता: सवा: शमं याि त यासो त


ु े न संशय: II 12 II

पाठ के बाद नव ह यं को णाम करके उठ जाएँ ! अगले दन सब


ु ह नव ह यं को अपने पज
ू ाघर म
था पत कर ! अब जब भी आप घर से नकल , तो नव ह यं के दशन करके ह जाएँ ! आपका काय अव य
ह स होगा व ् नव ह क आप पर कृपा सदा ह बनी रहे गी ! नःशु क यं , त ,म , स साधना सीखने
के लए संपक करे :- राजन गु जी शव शि त साधना क 94174-35985

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