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Holi Ke Saral Upay
Holi Ke Saral Upay
राजन गु जी शव शि त साधना क
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94174-35985
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कसी वशेष समय पर कये गए उपाय शी व ् अव य ह फल दे ते ह ! यह वशेष समय होल , दवाल , दशहरा
व् हण काल का माना गया है ! ऐसा माना जाता है क इन अवसर पर दे वी दे वताओं क कुछ ऐसी वशेष
कृपा होती है क इस समय कये गए उपाय का लाभ शी मलता है और उसका फल ल बे समय तक थाई
प से बना रहता है ! उपरो त अवसर के आलावा अ य समय पर भी यह उपाय कर सकते ह और उनका भी
लाभ होता है पर तु इसम कुछ समय अ धक लग सकता है ।
आ थक लाभ के लए:-
राजन गु जी शव शि त साधना क
94174-35985
वशेष :-
हो सकता है क िजस जगह पर हो लका दहन होगा उस जगह पर क ल को दबाना और अगले दन उसे ढूंढकर
ले आना आपको मिु कल लग रहा हो तो इसके लए आप इस उपाय को इस तरह भी कर सकता ह ! हो लका
जलने के बाद उसक थोड़ी सी गम राख घर म ले आय ! घर के मु य वार के अंदर क तरफ जमीन पर
क ल रखकर उसके ऊपर होल क रख रख द और ऊपर से कसी चीज से ढक द ! अगले दन क ल को उपर
दए उपाय के अनस
ु ार योग कर और राख को जल म वा हत कर द ! ऐसा करने से भी आपको स पण
ू
लाभ होगा !
रोगमुि त के लए
राजन गु जी शव शि त साधना क
94174-35985
यह उपाय रोग मिु त के साथ कसी वशेष काय स के लए भी कया जा सकता है ! य द आप अपना
कोई वशेष काय स करना चाहते ह या कोई गंभीर प से बीमार है तो हो लका दहन क रात को एक सवा
मीटर काला कपडा लेकर उसमे 7 काल ह द क गांठे व ् ना रयल के खोपरे म बरू ा डालकर पोटल बना ल !
अब उस पोटल को पीपल व ृ के नीचे ग ढा कर के दबा द साथ म 8 गोमती च भी दबा द ! पीपल व ृ
पर आटे से न मत सरस के तेल का द पक जलाएं व ् धप
ू अगरबती अ पत कर !
राजन गु जी शव शि त साधना क
94174-35985
नव ह अनक
ु पा ा त करने क लए आप बना सले हुए पीले व धारण कर अपने नवास थान के कसी
शु व ् शा त थल पर गंगाजल छड़क! इसके प चात ् उस थल को गाय के गोबर से ल प व ् उस पर एक
लकड़ी क च क या पटरा रख ! अब उस च क पर पीला रे शमी व बछाएं और उसपर सात कार के अनाज
से ढ़े र बनाकर ढ़े र पर अ भमं त नव ह यं को रख ! लाल कपडे के आसन पर बैठकर नव ह यं को केसर
से तलक कर शु घी का द पक और धप
ू अगरबती अ पत कर और आशीवाद दे ने का नवेदन कर ! इसके
प चात नीचे लखे तो का 11 बार पाठ कर !
राजन गु जी शव शि त साधना क
94174-35985
तो :-
जपाकुसम
ु संकाशं का यपेयं मह यु तम
द धशंखतष
ु ाराभं ीरोदाणवसंभवं
धरणीगभ संभत
ू ं व यु कांतीं सम भं
यंगक
ु लका शामं पेणा तमं बध
ु ं
सौ यं सौ य गण
ु पेतं तं बध
ु ं णमा यहं (बु दे व) II 4 II
बु भत
ू ं लोकेशं तं नमा म बहृ प तं (बह
ृ प तदे व) II 5 II
हमकंु द मण
ृ ालाभं दै यानां परमं गु ं
छायामातड संभत
ू ं तं नमा म शनै वरं (श नदे व) II 7 II
सं हका गभसंभत
ू ं तं राहूं णमा यहं (राहूदे व) II 8 II
इ त यासमख
ु ोदगीतं य पठे त सुसमा हतं
दवा वा य द वा रा ौ व नशां तभ व य त II 10 II
नरनार नप
ृ ाणां च भवेत ् द:ु व ननाशनं
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