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चरण को दोहा

कमल, व ,अ गदा ,पताका, तोरण अ मन भावे।


सुखदव , धनु व भ के द ण चरण लावे।।

जा, अंकुश, अ मीन, सुद न, अ दल अ सुख प।


कमल , कु , जव व भ के वाम चरण अनूप।।

कमल को घोल

धना पु मारगना मूल, ते यमुनाजी ह कमलनु फूल ॥


थम प नुं ऐ जेवु, ण लोक मन मोहे तेवु ॥
ध ताप वारण जोग, पु रस नो देवा संयोग ॥
ए पद कमल ना गुण मुख केशे, तेने पु फल यमुनाजी देशे ॥
जेम स कमल मांहे मकरंद, मोहक प ने सुगंधे आनंद ॥
भ दये उपजावे त, दै रस गटावे यह रीत ॥
स भावनी ते थाय, जे आ चरण कमल उरलाय ॥
व भ चरण सरोज उर लीधा, अ दान यमुनाजी ए दीधा॥
व भ पदनुं अंबुज धारे, पु अनुभव थाशे रे  ॥
व भ पदनो आ य जानो, दशो म नु मूल ए मानो ॥
आ य ऐ चरण नो भारी, करी लीधा ज नी नारी ॥
तेथी फल दीधा गोकुल भूप, अंबुज ऐ अगाध प॥

व को धोल

बीजुं व नु भारी, ए चरणनन पर तन मन वारी॥


दय जीवनु व समान, चरण व मू आन॥
व दय तेथी नरम थया, स भाव दये म र ॥
धो दै पी खाडो, भावरस जईने वा ॥
मायावादना ध सौ हरशे, दये भाव व जेम जडशे॥
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अलौ कस अगाध, स तजी आ दे साध॥


रीराजने दीधा आ स, कोमल चरण प मू काश॥
लीला स कट तो करशुं, तमारा तनना ताप स हरशुं॥
री उपर चरण ए गया, त मय प त ए थया॥
ऐवा चरण सरोज ताप री कोमल थया आपो आप।॥
व नो ले जे ध , भागे मायावादीना मननो भ ।
तं भ ने करे पोता जेवू प, ढ व जेवु करे प॥

गदा को धोल

जु गदा नु जाणो, ऐ अ त रस अमृत मानो॥


ऐ तो भ नने कारज धरीया, स भा क हरीया॥
हरीना जहां जहां चरण पधा , स ना दोष वा ॥
भ ना मनोरथनी थाय ,अ असुर ने दीधी॥
तेथी चरण मां लीधा, मायावाद खंड खंड धा॥
गदा करवी श नो संहार, आवे ना दोष भ नके पास॥
मोटो श माया दल जाणो, अहंकार तेथी अ क मानो॥
रसभाव पु ना जे कहीये, तेमांथी ऐ पतन क सहीये॥
ह ने अ य अहंकार, तेनो गदाजी करता संहार॥
अहंकार ऐ मन थ जाय, पु मा थाय॥
पांच प अ ना भारी, नाम, प, अ न, अहंकारी॥
दये गदानु जे लेशे, अ न तेनु र करी शे॥
वाहला ऐ धा ती सनाथ, करी कृपा ने पसा हाथ॥
ए गदा पु फल प, म दा तेनु न जाणे प॥
ऐना सुमरण सुख सु गाय, तेना पातक स जाय॥
गदा नो भाव जे दय ध , तेना भाव नो जय ते क ॥
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पताका को धोल

मंगल प पताका जानो, पु पूजा सा ए मानो॥


पु पूजा गोव न थाय, पताका थम तहां सजाय॥
पताका ना रे द न थाय, भ उर आनंद ना माय॥
हवे थया पताकाना द न, जेथी भु पधारशे अव ॥
एना भाव छे अ क रसाल, पाछड़ फरे सदा गोपाल॥
ए पताकानुं उरधरे, करती रस गार ने रे॥

तोरण को धोल

पांचमुं तोरण नव प व, मंगल प ए क एजी॥


नंदालय अ कुंज लीला ना, ध भाव तेमा ल येजी॥
ज उ व अने वाह उ व, तोरण शोभे बारेजी॥
पु पथ नुं र जे छे ते, व भ पद ने जाणोजी॥
ते थी चरणे ध छे , पु र ए मानोजी॥
दश ध अने दश म , जेने आ य जानोजी॥
ते व भ पद आं बुज गही, पु मारग चालोजी॥
ए भावे नव प व तोरण, ध या ओ वालाजी॥
जे-जे दैवीजीव हताते, ए रे थई चा जी॥
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सुखदव (उ रेखा) को धोल

व भ पद अंबुज कोमल, चरणमां सो जी॥


उ खाको पार न पामे कोई, अंबुज चरण सुमरीयेजी॥
एना न न उर धरशे, ते मन वां त फल पामेजी॥
सदा तं र ते णी, दोष न आवे पासेजी ॥
भ तं उर र थाये, उ गीत कटावेजी॥
लीला माथी पतन न थाये, उ खा जे गायेजी॥
तेना तो प अलौ क, ल र ल र खा थायेजी॥
जेम या जनी ल राता, भुजी ना मन घणु मायेजी॥
ज लीला नुं रस अमृत जे, उ खामां ते सो जी॥
गुढ नी प व भ, जजन नुं मन मो जी॥
भगवद भावनी अनुभव ,भ दयमां राजेजी॥
काल क नुं बंधन , चरण कमल र गाजेजी ॥
यमुनाजी प अगाधते, अ ने ताजी॥
ते स उ खामां पामे, मनना मनोरथनी जी ॥
जे णी ना उरमां ए पद, कृपा करी ने राजेजी॥
ते जीवने ए रस प भुजी, दयमां र करी राखेजी॥
जे पद कोमल भ दयमां, करी पन करशेजी॥
यमुनाजी को प अलौ क, रस प मन धरशेजी॥
उ खा रस अमृतधारा, अ आनंद उर मानोजी॥
भ दयमां सदा स दा, रस स ता एने जाणोजी॥
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धनु को धोल

सातमुं धनु नुं सोहे, पद अंबुज शोभा भारीजी ॥


महाबली पु षारथ राखे, कर लाई धनु धारीजी ॥
महाबली पू पु षो म, व भ वर इजी ॥
आसुर मीर उ द धा, धरी धनु जगदीशजी ॥
कृ देवराजा ने हे, चरण सरोज पधा जी ॥
मायावाद स खंडन धा, भ स ने ता जी ॥
नवरस छे नीकुंज लीलामां, पंचम रस जे कहीयेजी ॥
ते धनु वीर रस उपजावे, एवु मनमां लहीयेजी ॥

एउना चरणनुं न न, दयमां राखे जे णीजी ॥


चरण तापे दोष कटे स , दास पोतानो जाणीजी ॥
व भ पद गैये, आनंद उर न समावेजी ॥
सदा स दा चरण कमल थी, पु भाव गट थायेजी ॥
कृ कमल बल बल चरणन , त नौतन रस सोहेजी ॥
लीला नीत नवली लीला, र भ मन मोहेजी ॥

-“द ण चरण के सात के धोल स भये..


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ज को धोल

व भ पद कमल ने वंदरु े, काटे षय ने स रे दुरे ॥


वाम चरण नी छे शोभा भारी रे, अ म नी लीला री रे ॥
थम जा जानो रे, स नी उपर जा ए मानो रे ॥
देव स जेने भुजी कहे छे रे, तेना मं र खरे जा रहे छे रे ॥
मंगल काज मा ए जा शोभे रे, ज उ व पूजा मां मन लोभे रे ॥
होरी उ व मांहे डांडो रोपे रे, संगे नंदलाल रमे म गोपी रे॥
भ जन न एनु जे करशे रे, ताप स दयनाते हरशे रे ॥
जेना म क ए चरण राजे रे, जा फर हरती स जेरे ॥
जेने ए जा आ य लीधारे, तेना कारज स थशे रे ॥

अंकुश को धोल

बीजू अंकुश नु शोभे रे, चरणन पर तन मन वा रे ॥


जीव नु मन छे मातंग प रे, पु पथ देखाङयो व भ भूपरे ॥
चरण अंकुश मु भ शीशरे, ठे लीने धा मारगमा इ रे ॥
मातंग मन एकयु न रहे छे रे, तेने अंकुश वश करी ले छे रे ॥
जेने श ए अंकुश जानोरे, ते हवे पा मारग मानो रे ॥
जेने दय मा अंकुश लीधुरे, तेनु पु कारज स रे ॥
जीव ने ए चरण भजवारे, माया मोह स तजवारे ॥
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मीन को धोल

जु मीन चरण धरीयाजी, दैवीजीवना तो कारज सरीयाजी ॥


लाना स अंग रसमय भ रे, संयोग रस ले सौ अंग धरीयारे ॥
संयोग रसतो ए जलनुं छे परे, तेथी मीन चरणमां लीधा ज भूपरे॥
चरण माहे एवु अमृत भ छे रे, तेथी मीन सदा परवस रहे छे रे ॥
पु मारगमा जे जीव शरणे रे, तेने आ चरण आ य करवो कहे छे रे ॥
भ ने ऐ चरण नु न करवु रे, मीन दय मा धरवु रे॥
चरणनो संबंध जे जल थी थया रे, ते चरणामृतनु पक रे ॥
चरण माहे एवु अमृत जाणो रे, सुधा मय ऐऊना पद मानो रे ॥
चरण माहे आनंद रस जे छे रे, भोग सौ भ तेनो करे छे रे ॥
भ जनना मन ऐ चरणे जाये रे, अमृत पीता कदी तृ न थाय रे ॥
मीन जलने षे जेम रहे छे रे, तेम भ ऐ चरण आ य करवो रे ॥

सुद न को धोल

च सुद न ध अ शो ता , चरणमां ध ते मन लो ता ॥
बलवान तेज पु षना साथमा , च सुद न र तेमना हाथ मा ॥
वललभ तेजनु मुखार द शोभतु , तेज को सू नु काशतु ॥
के शा मेवा तेजो मय पुंज , ला भ मा ड नु प ॥
असुर माया वादीना ते म जाय , ऐनी कृ तेज थ भ थाय ॥
पु षो मे च तो कर मा ध , वी पोताना जाणी ने र करी ॥
व थ ड ल गोपीयु , र करी ह च रो या ॥
छाया करी भ स सम ने , ध वाम अंगुली ह नी ॥
ऐज च जेने र पर धय , बलवान कालक तेना भयतो ह ॥
छाप तल एज भ श गाजती , तेज भ श ऊपर राजता ॥
च सुद न ध अ शो ता , चरणमां ध ते मन लो ता ॥
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अ दल को धोल

अ दलनु ध , भुजीए अ सा ॥
ऐउना पद अ ज पर, तन मन धन जाऊ वारी ॥
अ दलनो भाव तो, अ अलौ क जानो ॥
तेना स , भाव रसा क मानो ॥
आ चार उप शा, चार शा जानो ॥
ए बेऊ मलीने अ कोण, एम मनमां मानो ॥
पू प मद ण, उ र वाणी क ता ॥
आ चार चार खुंट, चरण मां र ता ॥
आ चार शाना उपनाम, एना रा ॥
वायु अ नै , इशान ऐम धा ॥
पृ पावन धा, चरण कमल सु वारी ॥
भ ल थई, एवु मन चारी ॥
आ धा काश अ दश, भ जन सा ॥
आ स रसा क भाव, ना रा ॥
चरण सरोज ना भाव, जे जन त गाता ॥
अंधकार म शा, ऐमना स जाता ॥
आ क जे सुर, वेद स गाता ॥
आ तेथी स अंधकार, माणोकना जाता ॥
तेम जेना दये ऐ चरण, कृपा क राजता ॥
अंधकार अ न स , नीस ते जनना ॥
वड़ी भाव अ कोण नो, अ सेवा प क ये ॥
योग अने संयोग, उभय मनमा लहीये ॥
चार हर संयोग बहार सेवा , योग मां ते रण मेवा ॥
आठ ऐना लीला रसा क भाव , जे न क ने मुखसु गाय ॥
तेना उरमां अ राजे , जेना श पर णु का गाजे ॥
अ दलनु ध , भुजीए अ सा ॥
ऐउनां पद अ ज पर, तन मन धन जाऊ वारी ॥
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कमल को घोल

वामचरण मां कमल शोभीता , ऐनी छबी जोई भगत मन लोभीता ॥


भु ना कमल मांथी अवत , सृ उ थई स लोक ॥
तेम महा भुजी चरणमां कमल ध , तेथी पु सृ करी स भय ह ॥
वाम चरण मा जे राजता , स परमानंद मय पे राज ता ॥
रसो वैस: आनंद परमानंद प , महा भु यं तेना बेऊ प ॥
द ण चरणमां आनंद लीला जानीये , वाम चरणमां परमानंद मानीये ॥
वाम चरणमा जेजे ध , ते सौ परमान प रस थी भ ॥
एवा कमलना पव नक , न न करी जीवना ते अघ ह ॥
आनंद पे म सु र शोभता , री परमान पथ लोभीता ॥
तेथी बेऊ प थ आप राजता , व भ कृपा रस मय राजता ॥
संयोग रस तेथी द ण अंगमा , वाम अंग योग ध संगमा ॥
गार रसना ए बेउ दल क , बेऊ मली गार रस पूरण थया ॥
गार रस नु तो प रंग म , ह अंग जेम महा भुजी अ राम ॥
जेम अ शा क वाला ह , तेम पु सृ करी वाले ऐ सघङी ॥
रस प मधरात दरस दीधा , स भ जन ना कारज स ॥
चरण मु राजने शीतल क , तेम पु भ ना भय स ह ॥
जीव ए चरण कमल सुमरन क , ताप ध ह ने मनोरथ पूरण क ॥
वामचरण मा कमल शोभीता , ऐनी छबी जोई भगत मन लोभीता ॥
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कुंभ को धोल 

वाले कुंभना ते चरणे ध ,स भ ना ते मनोरथ पूरण क ॥


कुंभ मा स पु सस पीया , जेवा पा जोया तेवा रस आ या ॥
नवरस जभ नी मा शोभता , ऐमना अधरामृत स कुंभ मा ध ॥
नाम भागवत यूष ले ध , वड़ी क महोदार च वान ॥
पु भ रस आपीया वाले जीव ने , वी जीव जे पोते शरणे लीधा ॥
शरण गही जे चरण कमल सेवीया , दान नवधा भ तणा वाले तेने घा ॥
जभ जे व भ भुना क ,भ म ल णा ने तेतो थया ॥
तेथी कुंभ मा महारस रोपीया , जभ पोताना जाणी पीया ॥
जेने ढ करी कुंभ आ य क , तेना पु रस मय स अंग थया ॥
ऐतन मा जे भ स क , ते भ ऊपर कृपा व भे करी ॥
वाले कुंभना ते चरणे ध ,स भ ना ते मनोरथ पूरण क ॥

जव को धोल

मान जवनु ते चरण जानो , लीला अंतर मां सु आनो ॥


कृपा करी स भ दीधी न , एज भावे ध रा ॥
दश कारनी जे भ कहीये , तेतो जव मां स लहीये ॥
वालाजीओ श चरण सु म लीधा , दशो भ दान कुंज ना दीधा ॥
जव नुं न दय मां जे , अलौ क अमृत रस अ य पीजे ॥
ऐ चरण ना बीजू साधन न जानो , भु वश करवाने मन आनो ॥
मान जवनु ते चरण जानो , लीला अंतर मां सु आनो ॥

॥ युगल चरण कमल के के धोल स भये...॥


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र्या
र्या
रे
रे
रे
रे
रे
छे
हे
रे
रे
दि
रे
रे
रे
र्या
रे
रे
रे
रे

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