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समर्पितं तव विभो - आपको समर्पण करता हूँ
समर्पितं तव विभो - आपको समर्पण करता हूँ
● पज
ू ां गह
ृ ाण प्रभो – हे प्रभो, मेरी यह पज
ू ा ग्रहण कीजिये
भावार्थ: –
वीणा, भेरी, मद
ृ ं ग, दन्ु दभ
ु ी के वाद्य,
गान और नत्ृ य,
हे प्रभ,ु मेरी यह पज
ू ा ग्रहण कीजिये।
प्राणाः शरीरं गह
ृ ं
पज
ू ा ते विषयोपभोग-रचना
निद्रा समाधि-स्थितिः।
शम्भो तवाराधनम ्॥
● शरीरं गह
ृ ं – शरीर आपका मन्दिर है
● पज
ू ा ते विषयोपभोग-रचना – सम्पर्ण
ू विषयभोगकी रचना आपकी
पज
ू ा है ,
परिक्रमा है तथा
भावार्थ: –
बद्
ु धि पार्वतीजी हैं,
निद्रा समाधि है ,
सम्पर्ण
ू शब्द आपके स्तोत्र हैं।