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INSTA CURRENT AFFAIRS

अगस्त 2021

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Table of Contents

सामान्य अध्ययन-I................................................... 1 भौगोमलक ववशेषताएँ और उनके स्थान- अतत

विषय: भारतीय संस्कृतत में प्राचीन काल से मित्त्वपूणत भौगोमलक ववशेषताओं (जल-स्रोत और

आधुतनक काल तक के कला के रूप, साहित्य और हिमावरण सहित) और वनस्पतत एवं प्राणणजगत

वास्तक में पररवततन और इस प्रकार के पररवततनों के


ु ला के मख्
ु य पिलू शाममल िोंगे। .............. 1
प्रभाव। ................................................................. 15
1. श्री नारायण गरु
ु ............................................ 1
1. अटलांहटक भूमध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर
(AMOC) .......................................................... 15
वततमान समय तक का आधुतनक भारतीय
इततिास- मित्त्वपण 2. अरब सागर में चक्रवातों की आववृ त्त और
ू त घटनाएँ, व्यक्ततत्व, ववषय। ..... 2
तीव्रता में वद्
ृ धध .............................................. 16
1. अवनींद्र नाथ टै गोर ....................................... 2
सामान्य अध्ययन-II ................................................ 18
2. मिाराजा रणजीत मसंि .................................. 3
विषय: भारतीय संववधान- ऐततिामसक आधार,
3. 1921 का मालाबार ववद्रोि............................. 4
ववकास, ववशेषताएँ, संशोधन, मित्त्वपूणत प्रावधान
4. मोपला शिीद एवं मोपला ववद्रोि .................. 5 और बुतनयादी संरचना। ....................................... 18
विषय:स्वतंत्रता संग्राम- इसके ववमभन्न चरण और 1. ‘अनुसूधचत जनजातत सूची’ में संशोधन िे तु
दे श के ववमभन्न भागों से इसमें अपना योगदान ववधेयक ........................................................... 18
दे ने वाले मित्त्वपण
ू त व्यक्तत/उनका योगदान।........ 7
2. ओबीसी समूिों को तनहदत ष्ट्ट करने संबंधी
1. ववमभन्न ववद्रोिों में िुए शिीदों को स्वतंत्रता राज्यों के अधधकार को बिाल करने िे तु
सेनानी का दजात ................................................ 7 ववधेयक ........................................................... 19
2. पुनतनतममतत जमलयांवाला बाग पररसर ............ 8 3. भारतीय ध्वज संहिता ................................. 21
विषय:भारतीय समाज की मुख्य ववशेषताएँ, भारत 4. ‘भुलाए जाने का अधधकार’ .......................... 22
की ववववधता। ....................................................... 9
5. सारिीन आधार पर सवतत्र अबाध संचरण के
1. भारत में जातत आधाररत जनगणना की अधधकार को प्रततबंधधत निीं ककया जा सकता:
आवश्यकता ....................................................... 9 उच्चतम न्यायालय ......................................... 23
2. संयुतत राष्ट्र द्वारा बाल वववाि की कड़ी विषय:संघ एवं राज्यों के कायत तथा उत्तरदातयत्व,
आलोचना ........................................................ 10 संघीय ढाँचे से संबधं धत ववषय एवं चुनौततयाँ,
विषय:महिलाओं की भूममका और महिला संगठन, स्थानीय स्तर पर शक्ततयों और ववत्त का
जनसंख्या एवं संबद्ध मद्
ु दे , गरीबी और िस्तांतरण और उसकी चुनौततयाँ। ...................... 25
ववकासात्मक ववषय, शिरीकरण, उनकी समस्याएँ 1. कराधान का संप्रभु अधधकार ....................... 25
और उनके रक्षोपाय। ........................................... 12
विषय:ववमभन्न घटकों के बीच शक्ततयों का
1. जनगणना.................................................... 12 पथ
ृ तकरण, वववाद तनवारण तंत्र तथा संस्थान। ... 26
2. अरुणाचल प्रदे श ‘उत्तराधधकार ववधेयक 1. ‘तनवारक तनरोध’ का प्रयोग केवल सावतजतनक
‘मसौदा ............................................................ 14 अव्यवस्था को रोकने के मलए: सुप्रीमकोटत ...... 26
विषय:भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चक्रवात 2. न्यायाधीशों का सुनवाई से इंकार या ‘न्यातयक
आहद जैसी मित्त्वपण
ू त भ-ू भौततकीय घटनाएँ, तनरितता’ ........................................................... 27
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3. अदालतों में बढ़ती िुई ररक्ततयां ................. 28 1. ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और

4. आपराधधक कानून सध संरक्षण) ववधेयक, 2021................................... 48


ु ार ............................ 30

5. जांच एजेंमसयों में जनशक्तत की कमी........ 31 2. गोवा में भमू मपुत्र का दजात ........................... 49

विषय:संसद और राज्य ववधातयका- संरचना, कायत, 3. आवश्यक रक्षा सेवा ववधेयक ...................... 50

कायत-संचालन, शक्ततयाँ एवं ववशेषाधधकार और 4. सीममत दे यता भागीदारी (संशोधन) ववधेयक


इनसे उत्पन्न िोने वाले ववषय। ......................... 32 2021 ............................................................... 51

1. ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र ववकास योजना’ 5. मेकेदातु वववाद ............................................ 53

(MPLADS) ....................................................... 32 6. पव ू व्त यापी करों पर ववराम लगाने िे तु ववधेयक


....................................................................... 54
2. लोक लेखा सममतत (PAC)........................... 34
7. दत्तक ग्रिण, धमत की सीमाओं में सीममत निीं
3. नई सूचना प्रौद्योधगकी (आईटी) तनयम ..... 35
िै : हदल्ली उच्च न्यायालय .............................. 55
4. सचेतक (क्व्िप) तया िोता िै ? .................... 36
8. जबरन धमत पररवततन के णखलाफ केंद्रीय
5. संसदीय सत्र की समाक्तत ........................... 37 कानून की मांग ............................................... 56
विषय:जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम की मुख्य 9. मध्याह्न भोजन योजना ............................. 57
ववशेषताएँ। .......................................................... 38
10. अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई के दायरे
1. राजनीतत का अपराधीकरण ......................... 38 में लाने की मसफाररश ..................................... 58
विषय:ववमभन्न संवैधातनक पदों पर तनयुक्तत और 11. वािन कबाड़ नीतत ..................................... 60
ववमभन्न संवध
ै ातनक तनकायों की शक्ततयाँ, कायत
12. तलाक्स्टक अपमशष्ट्ट प्रबंधन संशोधन तनयम,
और उत्तरदातयत्व। ............................................... 39 2021 ............................................................... 61
1. राज्यपाल की क्षमादान शक्ततयां, ‘CrPC’ की 13. न्यायपामलका एवं अदालतों की सुरक्षा िे तु
धारा 433-A का अध्यारोिण करती िै : एक पथ
ृ क सुरक्षा बल की आवश्यकता ........... 63
सुप्रीमकोटत ....................................................... 39
14. ववदे शी अधधकरण ...................................... 64
2. उपद्रवी आचरण करने पर संसद सदस्यों का
15. RoDTEP योजना ........................................ 65
तनलंबन ........................................................... 41
16. गज
ु रात धमाांतरण रोधी कानन
ू ................. 66
3. सुप्रीम कोटत कॉलेक्जयम .............................. 42
17. ववदे मशयों के मलए डिटें शन सेंटर ............... 68
4. भारत में कैबबनेट मंत्री को धगरफ्तार करने
की प्रकक्रया ...................................................... 44 18. पीएम-कुसुम योजना .................................. 68

विषय:सांववधधक, ववतनयामक और ववमभन्न अद्तध- 19. िररयाणा सरकार का क्रीमी लेयर की उप-

न्यातयक तनकाय।................................................ 44 श्रेणी बनाने संबध


ं ी आदे श रद्द....................... 69

1. अधधकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा विषय:ववकास प्रकक्रया तथा ववकास उद्योग- गैर-

शतें) ववधेयक, 2021 ........................................ 44 सरकारी संगठनों, स्वयं सिायता समूिों, ववमभन्न
समूिों और संघों, दानकतातओ,ं लोकोपकारी संस्थाओं,
2. अधधकरण कानून सध
ु ार.............................. 46
संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भमू मका।............... 71
विषय:सरकारी नीततयों और ववमभन्न क्षेत्रों में
1. उत्तर प्रदे श सरकार की ‘दो बच्चा नीतत’ ..... 71
ववकास के मलये िस्तक्षेप और उनके अमभकल्पन
तथा कायातन्वयन के कारण उत्पन्न ववषय। ....... 48 विषय:केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अतत
संवेदनशील वगों के मलये कल्याणकारी योजनाएँ

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और इन योजनाओं का कायत-तनष्ट्पादन; इन अतत 1. पुमलस थानों में ‘कानूनी सिायता’ संबंधधत
संवेदनशील वगों की रक्षा एवं बेितरी के मलये जानकारी का प्रदशतन ककया जाना अतनवायत .... 89
गहठत तंत्र, ववधध, संस्थान एवं तनकाय। ............... 73 विषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध। ............... 91
1. फास्ट-रै क ववशेष न्यायालय (FTSCs).......... 73 1. पाककस्तान में ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ को
2. प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न नया दजात दे ने िे तु ववधेयक ............................ 91
हितग्रािी (पीएम-दक्ष) योजना ......................... 74 2. इलेतरॉतनक वीजा (ई-वीजा) ........................ 92
3. उज्ज्वला 2.0 योजना .................................. 75 विषय:द्ववपक्षीय, क्षेत्रीय और वैक्श्वक समूि और
4. उपभोतता वववाद तनवारण सममतत.............. 76 भारत से संबंधधत और/अथवा भारत के हितों को

5. जन मशक्षण संस्थान ................................... 78 प्रभाववत करने वाले करार। ................................. 92

6. तममलनािु में शिरी गरीबों के मलए ‘मजदरू ी 1. ‘गोगरा’ और ‘िॉट क्स्प्रंग’ पर अभी कोई

रोजगार योजना’ .............................................. 79 समझौता निीं.................................................. 92

विषय:स्वास््य, मशक्षा, मानव संसाधनों से संबधं धत 2. समद्र


ु ी सियोग बढ़ाने िे तु भारत का 5 सत्र
ू ी

सामाक्जक क्षेत्र/सेवाओं के ववकास और प्रबंधन से एजेंिा............................................................... 94

संबंधधत ववषय।................................................... 80 विषय:भारत के हितों पर ववकमसत तथा

1. जीका वायरस .............................................. 80 ववकासशील दे शों की नीततयों तथा राजनीतत का


प्रभाव; प्रवासी भारतीय। ....................................... 94
2. हिमाचल प्रदे श में ‘बल्क ड्रग पाकत’ की मांग
....................................................................... 81 1. िांगकांग का प्रशासन .................................. 94

3. 'समग्र मशक्षा योजना 2.0' की अवधध में 2. चीन-ताइवान संबंध ...................................... 95


ववस्तार............................................................ 82 3. नये िालातों में भारत को अफगातनस्तान से
4. आयष्ट्ु मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य तयों और ककस प्रकार के संबंध बनाने चाहिए?
योजना (AB-PMJAY) ....................................... 83 ....................................................................... 96

5. कनातटक राज्य मानमसक स्वास््य प्राधधकरण 4. चीन की तीन-बच्चा नीतत ........................... 98


....................................................................... 84 5. पिला ओस्लो समझौता और इजराइल-
6. ‘िवाना मसंड्रोम’ एवं इस रिस्यमयी बीमारी के कफमलस्तीन संघषत .......................................... 100
बारे में नवीनतम ररपोटत .................................. 86 विषय:मित्त्वपूणत अंतरातष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और
7. बैमसलस कैलमेट-गुएररन (बीसीजी) टीकाकरण मंच- उनकी संरचना, अधधदे श। .......................... 101
....................................................................... 87
1. भारत ‘संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद’ का
विषय:शासन व्यवस्था, पारदमशतता और जवाबदे िी अध्यक्ष .......................................................... 101
के मित्त्वपण
ू त पक्ष, ई-गवनेंस- अनप्र
ु योग, मॉिल,
2. ‘मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ में
सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागररक चाटत र,
‘आपातकालीन मध्यस्थ’................................ 102
पारदमशतता एवं जवाबदे िी और संस्थागत तथा
अन्य उपाय। ....................................................... 89 3. भारत का संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद् में
स्थायी सीट के मलए दावा ............................. 104
1. ओपन नेटवकत फॉर डिक्जटल कॉमसत (ONDC)
....................................................................... 89 4. ‘संयुतत राष्ट्र समुद्री कानून संधध’ (UNCLOS)
..................................................................... 106
विषय:लोकतंत्र में मसववल सेवाओं की भमू मका। .. 89
5. अंतरातष्ट्रीय आपराधधक न्यायालय (ICC) ... 107

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6. संयुतत राष्ट्र शांतत-सैतनक ........................ 108 1. हदवाला और हदवामलयापन संहिता (संशोधन)

7. अफगातनस्तान में ‘संयुतत राष्ट्र सिायता ववधेयक, 2021 ............................................... 123

ममशन’ (UNAMA)......................................... 109 विषय:बुतनयादी ढाँचााः ऊजात, बंदरगाि, सड़क,

8. भारत द्वारा कफमलस्तीन शांतत प्रकक्रया का ववमानपत्तन, रे लवे आहद। ................................... 124

समथतन .......................................................... 110 1. िाइड्रोजन ईंधन ......................................... 124

9. उत्तर कोररया द्वारा परमाणु ररएतटर को 2. ववशेष आधथतक क्षेत्र (SEZ) ......................... 125
दोबारा शुरू ककए जाने की संभावना: आईएईए 3. ‘गतत शक्तत’ अवसंरचना योजना .............. 127
..................................................................... 113
4. राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP)....... 128
सामान्य अध्ययन-III ............................................ 115
विषय:ववज्ञान एवं प्रौद्योधगकी- ववकास एवं
विषय:भारतीय अथतव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों
अनुप्रयोग और रोजमरात के जीवन पर इसका
को जट
ु ाने, प्रगतत, ववकास तथा रोजगार से संबंधधत
प्रभाव। ववज्ञान एवं प्रौद्योधगकी में भारतीयों की
ववषय।............................................................... 115
उपलक्धधयाँ; दे शज रूप से प्रौद्योधगकी का ववकास
1. ‘उभरते मसतारे ’ फंि................................... 115 और नई प्रौद्योधगकी का ववकास। .................... 130
2. राक्ष्ट्रक स्वणत बॉण्ि योजना ....................... 116 1. ‘िीप ओशन ममशन’ .................................. 130
3. टॉय रे न मुद्रीकरण योजना पर वववाद...... 117 2. वंदे भारत एतसप्रेस ................................... 131
विषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृवष सिायता तथा विषय:सूचना प्रौद्योधगकी, अंतररक्ष, कंतयूटर,
न्यूनतम समथतन मूल्य से संबंधधत ववषय; जन रोबोहटतस, नैनो-टै तनोलॉजी, बायो-टै तनोलॉजी और
ववतरण प्रणाली- उद्दे श्य, कायत, सीमाएँ, सुधार; बफर बौद्धधक संपदा अधधकारों से संबंधधत ववषयों के
स्टॉक तथा खाद्य सरु क्षा संबंधी ववषय; संबंध में जागरुकता।......................................... 132
प्रौद्योधगकी ममशन; पशु पालन संबंधी अथतशास्त्र।
......................................................................... 118 1. नासा का परमसवरें स रोवर ......................... 132

1. भोजन की परोक्ष लागत ........................... 118 2. दक्षक्षण अफ्रीका द्वारा ‘कृबत्रम बुद्धधमत्ता
प्रणाली’ को पेटेंट ........................................... 132
2. चीनी का न्यूनतम ववक्रय मूल्य ............... 119
3. GSLV-F10 प्रक्षेपण और EOS-03 उपग्रि.... 134
विषय:भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबधं धत
उद्योग- कायतक्षत्र
े एवं मित्त्व, स्थान, ऊपरी और 4. संदमलत आनुवंमशक रूप से संशोधधत (GM)
नीचे की अपेक्षाएँ, आपूततत श्रख
ं ृ ला प्रबंधन। ........ 120 सोयाबीन के आयात की अनुमतत ................. 135

1. ववशेषज्ञों द्वारा ‘फूि फोहटत कफकेशन को 5. कक्रतटोकरें सी संबंधी ववधेयक...................... 136


अतनवायत’ ककए जाने पर चेतावनी................. 120 6. नई हदल्ली में ववश्व का दस
ू रा सबसे बड़ा
2. राष्ट्रीय खाद्य तेल ममशन- ताड़ तेल नवीकृत जीन बैंक ......................................... 137
(NMEO-OP) .................................................. 121 7. 'ऐततिामसक' परमाणु संलयन में सफलता .. 139
3. कुपोषण से तनपटने िे तु चावल-संवधतन 8. संवधधतत सोया खली / केक का आयात .... 139
योजना .......................................................... 122
9. तीन ववशाल कृष्ट्ण-वववरों का ववलय ......... 140
विषय:उदारीकरण का अथतव्यवस्था पर प्रभाव,
विषय:संरक्षण, पयातवरण प्रदष
ू ण और क्षरण,
औद्योधगक नीतत में पररवततन तथा औद्योधगक
पयातवरण प्रभाव का आकलन। .......................... 142
ववकास पर इनका प्रभाव।................................. 123
1. भारत में तेंदओ
ु ं की संख्या ....................... 142

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2. ‘नेट-जीरो’ काबतन लक्ष्य जलवायु पररवततन से 3. ‘भगोड़ा आधथतक अपराधी’ .......................... 165
तनपटने िे तु अपयाततत: ऑतसफैम................. 143 विषय:सीमावती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौततयाँ एवं
3. ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र िेतु वायु गुणवत्ता उनका प्रबंधन- संगहठत अपराध और आतंकवाद
आयोग’ ववधेयक ........................................... 145 के बीच संबध
ं । .................................................. 166

4. िाधथयों और बाघों की गणना करने िे तु 1. भारत में मादक पदाथों की तस्करी .......... 166
सामूहिक सवेक्षण .......................................... 145 विषय:ववमभन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा
5. आईपीसीसी की छठी आकलन ररपोटत (AR6) उनके अधधदे श। ................................................. 168
..................................................................... 147
1. एकीकृत धथएटर कमांि ............................. 168
6. राष्ट्रीय िाइड्रोजन ममशन .......................... 148
प्रारम्भिक परीक्षा हे तु तथ्य................................... 169
7. रामसर सच
ू ी में भारत के चार और आद्रत
1. पूवोत्तर अंतररक्ष अनुप्रयोग केंद्र (NESAC).. 169
स्थल शाममल ................................................ 149
2. भारतीय और चीन के मध्य िॉटलाइन की
8. 1989 का मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल एवं ककगाली
स्थापना ......................................................... 169
संशोधन ......................................................... 151
3. अश्वगंधा ................................................... 169
9. स्मॉग टॉवर............................................... 152
4. ई-रुपी (e-RUPI) ........................................ 170
10. 'सुजलम' अमभयान ................................... 154
5. कुधथरन सरु ं ग ............................................ 170
11. ‘दीपोर बील वन्यजीव अभ्यारण्य’ का
पाररक्स्थततक संवेदनशील क्षेत्र....................... 155 6. ममनरवेररया पें टाली मेंढक प्रजातत ............. 170

12. ‘जीवों की खोज’ 2020 ............................ 156 7. ‘टै मलसमैन सेबर’ सैन्याभ्यास .................... 170

13. पंजाब सरकार द्वारा ‘पराली’ के उपयोग 8. अन्नामलाई का उड़ने वाला में ढक ............ 171
करने पर उद्योगों को प्रोत्सािन ................... 157 9. भारतीय कंतयूटर आपातकालीन प्रततकक्रया
14. सीसा-युतत पेरोल की समाक्तत: UNEP .. 159 दल (CERT-In) ............................................... 171

विषय:आपदा और आपदा प्रबंधन। ................... 160 10. अगलेगा द्वीप......................................... 171

1. जल-मौसम संबंधी आपदाएं....................... 160 11. डिएगो गामसतया ........................................ 171

विषय:आंतररक सुरक्षा के मलये चुनौती उत्पन्न 12. EOS-03 उपग्रि ........................................ 172
करने वाले शासन ववरोधी तत्त्वों की भमू मका। .. 162 13. केंद्रीय ववश्वववद्यालय (संशोधन) ववधेयक
2021 ............................................................. 172
1. ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण)
अधधतनयम (UAPA) ...................................... 162 14. ध्यानचंद के नाम पर ‘खेल रत्न’ पुरुस्कार
..................................................................... 172
विषय:संचार नेटवकत के माध्यम से आंतररक
15. ‘हिज़्बल्
ु लाि’ ............................................. 172
सरु क्षा को चन
ु ौती, आंतररक सरु क्षा चन
ु ौततयों में
मीडिया और सामाक्जक नेटवककांग साइटों की 16. 'पानी माि' अमभयान ................................ 173

भूममका, साइबर सुरक्षा की बुतनयादी बातें , धन- 17. एववया द्वीप ........................................... 173
शोधन और इसे रोकना। ................................... 163
18. भारत-ततधबत सीमा पमु लस (ITBP) बल.... 173
1. असम-ममजोरम सीमा वववाद .................... 163
19. राष्ट्रीय अन्वेषण अमभकरण (NIA) ......... 173
2. सूचना प्रौद्योधगकी अधधतनयम की धारा 66A
20. पेनमसलुंगपा ग्लेमशयर ............................. 173
..................................................................... 164

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21. अंतरातष्ट्रीय सेना खेल .............................. 174 39. मदरु चटाईयां .......................................... 178

22. राष्ट्रीय नाट्य ववद्यालय ........................ 174 40. एनटीपीसी द्वारा दे श की सबसे बड़ी तैरती

23. मिाराष्ट्र दवारा ‘सूचना प्रौद्योधगकी’ क्षेत्र में िुई सौर पररयोजना का आरं भ ...................... 179

राजीव गांधी पुरस्कार ................................... 174 41. धगरफ्तार करना िमेशा आवश्यक निीं:

24. अल-मोिे द अल-हिंदी 2021 ..................... 174 सुप्रीम कोटत .................................................... 179

25. प्रधान मंत्री श्रम पुरस्कार ........................ 174 42. “आरक्षण का दो राज्यों में एक साथ लाभ
निीं उठाया जा सकता िै”: सुप्रीम कोटत ........ 180
26. केरल में जंगली गुलमेिंदी की तीन नई
प्रजाततयों की खोज ....................................... 175 43. पंजशीर घाटी ........................................... 180

27. मसयाधचन ग्लेमशयर ................................. 175 44. क्जम कॉबेट नेशनल पाकत ....................... 180

28. लड़ककयों के मलए सैतनक स्कूल .............. 175 45. चकमा और िाजोंग ................................. 180

29. सोनधचरै या ............................................... 175 46. यत


ु तधारा ................................................. 181

30. भारतीय कंतयूटर आपातकालीन प्रततकक्रया 47. आईएनएस धचल्का .................................. 181

दल (CERT-In)............................................... 176 48. अराणमुला नौका दौड़ .............................. 181

31. भारतीय ररजवत बैंक द्वारा ‘ववत्तीय 49. 'बने इंटरनेट ववस्मयकारी' कायतक्रम ......... 181
समावेशन सच
ू कांक’ की शरु
ु आत .................. 176 50. ‘टोकनाइजेशन’ ........................................ 181
32. ‘एजेंसी बैंक’ ............................................ 176 51. इस्लाममक स्टे ट खरु ासान प्रांत ................ 182
33. मवेशी द्वीप ............................................ 177 52. अवनी व समु मत को टोतयो पैरामलंवपक में
34. टैंकरों के माध्यम से शद्
ु ध पेयजल आपतू तत स्वणत पदक.................................................... 182
‘कर योग्य’ घोवषत ........................................ 177 53. पैरालाक्पपक खेलों के बारे में : ................. 183
35. ततवा जनजातत और वांचव
ु ा त्योिार ........ 177 54. पश्मीना शॉल की खोई िुई ख्यातत को
36. अफगातनस्तान के िजारा ........................ 178 बिाल करने िे तु जपम-ू कश्मीर में नई पिल. 183

37. बीजू स्वास््य कल्याण योजना ............... 178 55. चीन में नाबामलगों के ऑनलाइन गेम खेलने

38. शैवाल की एक ‘जलपरी’ प्रजातत की खोज के मलए समय-सीमा में कटौती ..................... 184
..................................................................... 178

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सामान्य अध्ययन-I
िारतीय विरासत और संस्कृतत, विश्ि का इततहास एिं िूगोल और समाज
विषय: भारतीय संस्कृतत में प्राचीन काल से आधुतनक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के
मुख्य पिलू शाममल िोंगे।
1. श्री नारायण गुरु
संदिभ: श्री नारायण गुरु की 167 वीं जयंती।
इनके बारे में :
श्री नारायण गुरु, तत्कालीन समाज में प्रचमलत दमनकारी जातत व्यवस्था में सुधार करने वाले एक उत्प्रेरक,
प्रमुख नेतत्ृ वकतात, मिान संत एवं समाजसुधारक थे।
• इनका जन्म केरल के ततरुवनंतपरु म के तनकट चेपपाझांथी नामक गाँव में
िुआ था।
• उन्िें तत्कालीन केरल के सामाक्जक ताने-बाने को बदलने तथा केरलवामसयों
की मान्यताओं को बदलने का श्रेय हदया जाता िै ।
• उनका जन्म एक एझािा पररिार िुआ था, उस समय इस समुदाय के लोगों
को अवणत माना जाता था तथा जाततवाद से ग्रमसत केरल के समाज में इन्िें
सामाक्जक अन्याय का अत्याधधक सामना करना पड़ा।
• उनके दशतन ने िमेशा सामाक्जक समानता, सभी के मलए मशक्षा और आध्याक्त्मक ज्ञान की वकालत की।
महत्िपण
ू भ सामाम्जक योगदान:
1. उन्िोंने ‘एक जातत, एक धमभ, सिी के ललए एक िगिान" (ओरु जाठी, ओरु मथम, ओरु दै वम, मनुश्यानु)
का प्रमसद्ध नारा हदया।
2. वषत 1888 में , श्री नारायण गुरु ने केरल के अरुववतपुरम गांव में भगवान मशव के पिले मंहदर की स्थापना
की, जिां पिली बार ककसी गैर-ब्राह्मण द्वारा दे व-प्रततमा स्थावपत की गई।
3. उनके इस कदम ने उच्च जातत के ब्राह्मण समद
ु ायों के णखलाफ जातत-ववरोधी क्रांतत को जन्म हदया।
4. उन्िोंने एक मंहदर में कलावनकोि (Kalavancode) की प्रततष्ट्ठापना की, क्जसमे उन्िोंने मूतततयों के स्थान
पर दपतण को रखा। इससे उन्िोंने संदेश हदया कक परमात्मा प्रत्येक व्यक्तत के भीतर तनवास करता िै ।
5. वषत 1903 में , उन्िोंने संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में ‘श्री नारायण धमत पररपालन योगम’ (SNDP) की
स्थापना की।
6. उन्िोंने तनचली जातत के लोगों के मंहदरों में प्रवेश-तनषेध के ववरोध स्वरूप राज्य भर में 40 से अधधक
मंहदरों की स्थापना की थी।
राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान:
• वे सावतभौममक मंहदर प्रवेश और अछूतों के सामाक्जक भेदभाव जैसी सामाक्जक बरु ाइयों के णखलाफ
आंदोलन के अग्रणी नेता थे।
• उन्िोंने त्रावणकोर में तनचली जाततयों को मंहदरों में प्रवेश की अनुमतत दे ने के मलए चलाए जा रिे
वायकॉम आंदोलन को गतत प्रदान की।
• उन्िोंने अपनी कववताओं में भारतीयता के सार को समाहित ककया, क्जसके माध्यम से ववश्व की स्पष्ट्ट
ववववधता में अंततनतहित एकता पर प्रकाश िाला।
श्री नारायण गुरु का दर्भन:
1. श्री नारायण गुरु, आहद शंकराचायत द्वारा प्रततपाहदत अद्वैत मसद्धांत ‘अद्वैत वेदांत' के सबसे बड़े
समथतकों और पन
ु मल्
ूत यांकनकतातओं (re-evaluators) में से एक थे।

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2. वषत 1913 में , उन्िोंने केरल के अलुवा नामक स्थान पर ‘अद्वैत आश्रम’ की स्थापना की।
3. यि आश्रम ‘ओम सिोदयां सवतत्र’ (भगवान की दृक्ष्ट्ट में सभी पुरुष समान िैं), के मिान मसद्धांत को
समवपतत था।
साहहम्त्यक रचनाएँ:
उन्िोंने ववमभन्न भाषाओं में कई पुस्तकों की रचना की। उनमें से कुछ रचनाएं, अद्वैत दीवपका, आश्रम,
थेवरतपाधथंकंगल, ब्रह्मववद्या पंचकम आहद िैं।
उनके दर्भन की प्रासंगगकता:
जिां कई दे शों और समद
ु ायों के सामाक्जक ताने-बाने में घण
ृ ा, हिंसा, कट्टरता, संप्रदायवाद और अन्य ववभाजनकारी
प्रववृ त्तयों का क्षरण िो रिा िै , ऐसे में श्री नारायण गुरु के ‘सावतभौममक एकता’ दशतन की समकालीन वैक्श्वक
संदभत में ववशेष प्रासंधगकता िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. श्री नारायण गुरु ककस राज्य के थे?
2. अरववतपुरम आंदोलन ककससे संबंधधत िै?
3. कलादी में अद्वैत आश्रम की स्थापना ककसने की?
4. वायकोम सत्याग्रि ककसने शुरू ककया था? उद्दे श्य तया थे?
5. श्री नारायण गरु
ु से ममलने वाले मित्वपण
ू त नेता।
6. आत्मोपदे श सतकाम की रचना ककसने की?
में स ललंक: भारत में िुए सामाक्जक सध
ु ारों में श्री नारायण गुरु की भूममका पर चचात कीक्जए।
स्रोत: पीआईबी

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वततमान समय तक का आधतु नक भारतीय इततिास- मित्त्वपण
ू त
घटनाएँ, व्यक्ततत्व, ववषय।
1. अिनींद्र नाथ टै गोर
संदिभ: 7 अगस्त: अवनींद्र नाथ टै गोर (Abanindranath Tagore) की 150वीं
जयंती।
‘अिनींद्र नाथ टै गोर’ के बारे में :
रबींद्रनाथ टै गोर के भतीजे, अवनींद्र नाथ टै गोर, भारत में बंगाल स्कूल ऑफ आटत
के सबसे प्रमख
ु कलाकारों में से एक थे। िह िारतीय कला में स्िदे र्ी मल्
ू यों के
पहले प्रमुख समथभक थे।
िारतीय कला और संस्कृतत में ‘अिनींद्र नाथ टै गोर’ का योगदान:
1. उन्िोंने पिले 'इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओररएंटल आटभ ' का गठन ककया
तथा इसके पश्चात ‘बंगाल स्कूल ऑफ़ आटभ ’ की स्थापना की।
2. उनका मानना था, कक भारतीय कला और इसके कला-रूप
आध्याक्त्मकता को मित्व दे ते िै , इसके ववपरीत पक्श्चम की कला में भौततकवाद पर जोर हदया जाता िै ।
अताः उन्िोंने कला की पक्श्चम में प्रचमलत कला रूपों को अस्वीकार कर हदया।
3. मग
ु ल एिं राजपत
ू गचत्रकला को आधतु नक बनाने के उनके ववचार ने अंतताः आधतु नक िारतीय गचत्रकला
को जन्म हदया। क्जसका ववकास बंगाल स्कूल ऑफ आटत में िुआ।
4. उनका अधधकांश कायत हहंद-ू दर्भन से प्रेररत िै ।

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5. अपने बाद के कायों में , अवनींद्र नाथ ने चीनी और जापानी सुलेख रूपांकन परं पराओं को अपनी शैली में
एकीकृत करना शरू
ु कर हदया था। इसकी पीछे उनका उद्दे श्य सपपूणत एमशयाई आधुतनक कला परं परा
तथा परू ब की कलात्मक और आध्याक्त्मक संस्कृतत के सामान्य तत्वों का समामेलन करना था।
प्रलसद्ध गचत्र: भारत माता, शािजिाँ (1900), मेरी माँ (1912–13), परीलोक धचत्रण (1913), यात्रा का अंत (1913)।
साहहत्य में योगदान:
• एक धचत्रकार के साथ-साथ वे बंगाली बाल साहित्य के प्रख्यात लेखक भी थे। उनकी अधधकांश
साहिक्त्यक कृततयाँ बच्चों पर केंहद्रत थीं।
• वे ‘अबन ठाकुर’ के नाम से प्रमसद्ध थे और उनकी पस्
ु तकें जैसे राजकिानी, बड़
ू ो अंगला, नलक, णखरे र
पुतुल बांग्ला बाल-साहित्य में मित्त्वपूणत स्थान रखती िैं।
• अरे बबयन नाइट्स श्रख
ं ृ ला उनकी उल्लेखनीय कृततयों में से एक थी।
• ववमलयम रोथेंस्टीन (William Rothenstein) ने रवींद्रनाथ टै गोर को 'गीतांजमल' को अंग्रेजी में प्रकामशत
करने में सिायता की।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आपने ‘राजा रवव वमात’ के बारे में सुना िै ? भारतीय कला में उनका तया योगदान िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. इंडियन सोसायटी ऑफ ओररएंटल आटत - उद्दे श्य
2. बंगाल स्कूल ऑफ आटत के बारे में
3. अवनींद्र नाथ टै गोर धचत्रों के ववषय
4. साहिक्त्यक रचनाएँ
5. उनके प्रमसद्ध धचत्र
में स ललंक: बंगाल स्कूल ऑफ़ आटत के ववकास तथा मख्
ु य ववशेषताओं का परीक्षण
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. महाराजा रणजीत लसंह


संदिभ: िाल िी में , पाककस्तान क्स्थत लािौर के ककले में मसख साम्राज्य के संस्थापक मिाराजा रणजीत मसंि की
घोड़े पर सवार नौ फुट ऊंची कांस्य तनममतत मूततत को तोड़ हदया गया था।
भारत ने इस घटनाक्रम पर धचंता व्यतत करते िुए किा िै कक पाककस्तान में अल्पसंख्यकों के णखलाफ हिंसा की
घटनाएं "खतरनाक दर" से बढ़ती जा रिी िैं।
रणजीत लसंह और लाहौर:
• मिाराजा रणजीत मसंि (1780-1839) ने, लािौर के हिंद,ू मुक्स्लम और मसख अमभजात वगत द्वारा शिर
पर शासन करने िे तु आमंबत्रत ककए जाने के बाद वषत 1799 में लािौर को अपने तनयंत्रण में मलए मलया
था।
• उन्िोंने लािौर में शांतत और सुरक्षा स्थावपत की और शिर के आधथतक और सांस्कृततक गौरव को
पुनजीववत ककया।
• उन्िोंने 1801 में खद
ु को पंजाब का मिाराजा घोवषत ककया और मसखों के अलावा अन्य समुदायों के
प्रतत धाममतक सहिष्ट्णत
ु ा अपनाते िुए अपने शासन का ववस्तार ककया।
• उन्िोंने बादशाि अकबर द्वारा बनवाए गए लािौर के ककले की मरपमत भी करवाई थी।
महाराजा रणजीत लसंह के बारे में :
• रणजीत मसंि का जन्म 13 नवंबर 1780 को पंजाब के गज
ु रांवाला में िुआ था,जो अब पाककस्तान में िै ।
उस समय,पंजाब पर शक्ततशाली सरदारों का शासन था, और यि क्षेत्र कई ममसलों में ववभाक्जत था।
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• रणजीत मसंि ने परस्पर यद्
ु धरत रिने वाली ममसलों को परास्त करके और 1799 में लािौर पर ववजय
प्रातत करने के बाद एक एकीकृत मसख साम्राज्य की स्थापना की।
• मिाराजा रणजीत मसंि ने अफ़गानों के णखलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्िें लािौर के पक्श्चम की ओर
खदे ड़ हदया। इसके बाद उन्िें ‘पंजाब का शेर’ (शेर-ए-पंजाब) की उपाधध दी गई। लािौर, मिाराजा रणजीत
मसंि की मत्ृ यु िोने तक उनकी राजधानी बनी रिा।
• उनके सेनापतत िरर मसंि नलवा ने खैबर दरे के मुिाने पर ‘जमरूद के ककले’ का तनमातण कराया। इसी
मागत से ववदे शी शासक भारत पर आक्रमण करते थे।
• अपनी मत्ृ यु के समय, मिाराजा रणजीत मसंि भारत में एकमात्र संप्रभु नेता थे, जबकक उस समय तक
अन्य सभी राजा ककसी न ककसी तरि से ईस्ट इंडिया कंपनी के तनयंत्रण में आ चुके थे।
प्रर्ासन:
• मिाराजा रणजीत मसंि ने अपने सैतनकों को प्रमशक्षक्षत करने के मलए बड़ी संख्या में यरू ोपीय
अधधकाररयों,ववशेष रूप से फ्रांसीसीयों को तैनात ककया था।
• अपनी सेना का आधतु नकीकरण करने के मलए उन्िोंने फ्रांसीसी जनरल जीन फ्रैंक्तवस एलाित को तनयत
ु त
ककया था।
• मिाराजा रणजीत मसंि के साम्राज्य में काबुल और संपूणत पेशावर के अलावा मग
ु लों द्वारा शामसत लािौर
और मल्
ु तान प्रांत शाममल थे। उनके साम्राज्य राज्य की सीमाएँ उत्तर-पव
ू त में लद्दाख तक ववस्ताररत थीं।
जपमू के एक सेनापतत जोरावर मसंि ने रणजीत मसंि के नाम पर लद्दाख पर ववजय प्रातत की थी।
इसके अलावा, उनका साम्राज्य उत्तर-पक्श्चम में खैबर दरात और दक्षक्षण में पंजनाद, जिाँ पंजाब की पाँच
नहदयाँ मसंधु में ममलती थीं, तक फैला िुआ था।
स्थापत्य योगदान:
• उन्िोंने अमत
ृ सर के िररमक्न्दर साहिब गुरूद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे
स्वणत मंहदर किा जाने लगा।
• उन्िें मिाराष्ट्र के नांदेड़ में , गुरु गोबबंद मसंि के अंततम ववश्राम स्थल ‘िजूर साहिब’ गुरुद्वारे का
ववत्तपोषण करने का श्रेय भी हदया जाता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक धचक्ल्लयांवाला की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों के भारत में अपने पूरे इततिास
के दौरान सबसे ज्यादा अधधकारी मारे गए थे? इस युद्ध के पररणाम तया रिे ?
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

3. 1921 का मालाबार विद्रोह


संदिभ: 20 अगस्त को ‘मालाबार ववद्रोि’ के 100 वषत पूरे िो रिे िै । इस ववद्रोि को मोपला (मक्ु स्लम) दं गों के
रूप में भी जाना जाता िै ।
• ‘मालाबार ववद्रोि’ को अतसर दक्षक्षणी भारत में िुए पिले राष्ट्रवादी ववद्रोिों में से एक माना जाता िै ।
• इस ववद्रोि के दौरान िुए दं गों के कारण मालाबार क्षेत्र में सैकड़ों हिंदओ
ु ं की मौत िुई थी, और यि अभी
भी इततिासकारों के बीच एक बिस का ववषय बना िुआ िै ।
मोपला विद्रोह क्या था?
वषत 1921 का मोपला ववद्रोि, 19वीं सदी में और 20 वीं शताधदी के शुरुआती दौर में , मालाबार क्षेत्र (उत्तरी
केरल) में अंग्रज
े ों और हिंद ू जमींदारों के णखलाफ,मोपलाओं (मालाबार के मस
ु लमानों) द्वारा ककये गए ववद्रोिों की
श्रंखला की एक पररणतत थी।
वषत 2021 में इस ववद्रोि के 100 वषत पूरे िो जायेंगे।
विद्रोह के कारण और पररणाम:
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बब्रहटश औपतनवेमशक शासन और सामंती व्यवस्था के णखलाफ आरं भ िुआ यि ववद्रोि, अंत में हिंदओ
ु ं और
मुसलमानों के बीच सांप्रदातयक हिंसा के रूप में बदल गया।
• मलाबार के तनवामसयों के बीच असहयोग आंदोलन तथा खखलाफत आंदोलन के संयक्
ु त संदेर् को फैलाने
के ललए, अगस्त 1920 में , गांधीजी तथा भारत में खखलाफत आंदोलन के नेता र्ौकत अली ने एक साथ
कालीकट का दौरा ककया।
• गांधीजी के आह्वान पर, मालाबार में ण़िलाफ़त सममतत का गठन ककया गया तथा अपने धाममतक नेता
‘पोंनानी वाले मिादम
ु तंगल’ (Mahadum Tangal of Ponnani) के नेतत्ृ व में मोपलाओं ने असियोग
आंदोलन में सियोग करने की शपथ ली।
• इस क्षेत्र में अधधकांश बटाईदारों की समस्याएं, काश्तकारी की सुरक्षा, अत्याधधक लगान, नवीकरण शुल्क
(Renewal Fees) तथा जमींदारों द्वारा अन्यायपण
ू त वसूली से संबंधधत थीं।
• बब्रहटश सरकार द्वारा इस आंदोलन का कठोरतापि
ू क
भ दमन ककया गया तथा इस ववद्रोि को कुचलने के
मलए गोरखा रे क्जमेंटों को लाया गया और माशतल लॉ लागू कर हदया गया।
मालगाड़ी त्रासदी (Wagon Tragedy):
बब्रहटश दमन के दौरान कुछ मोवपला कैहदयों को मालगाड़ी से जेल ले जाया रिा था, इसमें से एक डिधबे में बंद
लगभग 60 कैहदयों की दम घुट जाने से मौत िो गयी।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
तया आप ‘वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी’ के बारे में
जानते िैं? इनके शासन का अंत ककस प्रकार िुआ था:
प्रीललभस ललंक:
1. वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी’ कौन थे ?
2. 1921 में िुए मालाबार ववद्रोि के बारे में
3. िाजी ने ककस प्रकार स्वतंत्र राज्य स्थावपत
ककया?
4. णखलाफत आंदोलन तया िै ?
5. णखलाफत आंदोलन के पररणाम
में स ललंक: वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी कौन थे? वषत 1921 में उन्िोंने मालाबार क्षेत्र में ककस प्रकार
अंग्रेजों का सामना ककया? ववद्रोि के पररणामों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

4. मोपला र्हीद एिं मोपला विद्रोह


संदिभ: िाल िी में , एक तीन सदस्यीय सममतत द्वारा की गई मसफाररशों के अनुसार, वषत 1921 में िुए मालाबार
ववद्रोि के नेताओं ‘वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी’, अली मुसमलयार और 387 अन्य 'मोपला शिीदों' को
‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शिीदों के शधदकोश’ से िटा हदया जाएगा।
संबंगधत प्रकरण:
भारतीय ऐततिामसक अनुसध
ं ान पररषद’ (Indian Council of Historical Research- ICHR) के सियोग से ‘केंद्रीय
संस्कृतत मंत्रालय’ द्वारा ‘वषत 2019 में प्रकामशत ‘र्हीदों की डिक्र्नरी’ (Dictionary of Martyrs) प्रकामशत की
गयी थी, क्जसमे ‘मोपला नरसंिार’ के मख्
ु य वास्तक
ु ार िररयामकुननाथ कंु जामहभमद हाजी और अली मस
ु ललयार
को शिीद का दजात हदया गया था।
िालांकक, ICHR द्िारा गहठत एक सलमतत की ररपोटत में 387 मोपला ववद्रोहियों (नेता अली मुसमलयार और
वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी सहित) के नाम शिीदों की सच
ू ी में से िटाने की मांग की गयी िै ।
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कारण:
सममतत की ररपोटत में वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी को
‘कुख्यात मोपला दं गाई नेता’ तथा ‘कट्टर अपराधी’ बताया
गया िै ।
• ररपोटत के अनुसार- कंु जामिपमद िाजी ने वषत 1921
में िुए मोपला ववद्रोि के दौरान असंख्य तनदोष हिंद ू
पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की ित्या की और उनके
शवों को एक कुएं में फेंक हदया, क्जसे स्थानीय रूप
से थोवूर ककनार (Thoovoor Kinar) के नाम से जाना
जाता िै ।
• ररपोटत में यि भी किा गया िै कक, लगभग सिी
मोपला आन्दोलन सांप्रदातयक थे तथा वे हिन्द ू समाज के ववरुद्ध नफरत और असहिष्ट्णुतापण
ू त थे।
• अताः इनके नाम शिीदों की सूची से िटाए जाने चाहिए।
िररयामकुननाथ कंु जामहभमद हाजी कौन थे?
• 1870 के दशक में जन्मे, वररयामकुननाथ कंु जामिपमद िाजी एक बिादरु स्वतंत्रता सेनानी थे, क्जन्िोंने 20
वीं शताधदी के आरपभ में केरल के मालाबार क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध संघषभ ककया था तथा कुछ समय के
ललए अपने स्ितंत्र र्ासन की स्थापना की थी।
• उन्िोंने स्थानीय जनता को अंग्रेजों के विरूद्ध एकत्र करने के ललए कला को एक हगथयार के रूप में
इस्तेमाल ककया।
• उन्िोंने अंग्रेजों तथा जमींदारों के अत्याचारों के णखलाफ िारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और खखलाफत आंदोलन का
समथतन करने का वादा ककया।
• लगभग छि मिीने तक, िाजी ने एक समानांतर खखलाफत र्ासन चलाया। इस स्वतंत्र राज्य का मुख्यालय
नीलापबुर (Nilambur) में था, तथा इसकी पथ
ृ क मुद्रा, पासपोटभ तथा कराधान व्यिस्था थ
हाजी के र्ासन का अंत:
िाजी का शासन लंबे समय तक निीं चला। जनवरी 1922 में , अंग्रेजो ने िाजी के
ववश्वासपात्र ममत्र उन्नायन मुसामलयार (Unyan Musaliyar) के माध्यम से संधध
करने के बिाने से धगरफ्तार कर मलया तथा एक बब्रहटश न्यायाधीश के समक्ष पेश
ककया। बब्रहटश न्यायाधीश ने िाजी को उसके साधथयों सहित मत्ृ युदंि की सजा
सन
ु ाई।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप अल्लरू ी सीतारामाराजू के बारे में जानते िैं, क्जन्िोंने 1922-24 के दौरान
‘ववशाखापट्टणम एजेंसी क्षेत्र’ में अंग्रेजों के णखलाफ रं पा ववद्रोि का नेतत्ृ व ककया था?
स्रोत: द हिंद।ू

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विषय:स्वतंत्रता संग्राम- इसके ववमभन्न चरण और दे श के ववमभन्न भागों से इसमें अपना योगदान दे ने वाले
मित्त्वपूणत व्यक्तत/उनका योगदान।
1. विलिन्न विद्रोहों में हुए र्हीदों को स्ितंत्रता सेनानी का दजाभ
संदिभ: भारतीय ऐततिामसक अनुसंधान पररषद (the Indian Council of Historic Research - ICHR)) द्वारा 'शिीदों के
नामों का कोश: भारत का स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947)' (Dictionary of Martyrs: India’s Freedom Struggle
1857-1947)’ के पांचवें खंि में प्रववक्ष्ट्टयों की समीक्षा िे तु एक तीन सदस्यीय सममतत तनयुतत की गई थी।
इस सममतत द्वारा की गई अनुशंसाओं के अनुसार, केरल के कपयतु नस्ट आंदोलन में िुए शिीदों सहित ‘पुन्नपरा
वायलार ववद्रोि’ (Punnapara-Vayalar revolt), कय्यरू ववद्रोि, काररवेलरू और कावप
ु बई ववद्रोि में जान गंवाने वाले
शिीद, भारत के स्वतंत्रता संग्राम इततिास में स्वतंत्रता सेनातनयों के रूप में शाममल रिें गे।
पष्ट्ृ ठिूलम:
इससे पिले, इस सममतत द्वारा मालाबार के ववद्रोिी नेताओं वररयामकुनाथ कुन्िमेद िाजी, अली मुसमलयार और
387 अन्य 'मोपला शिीदों' को स्वतंत्रता सेनातनयों की सच
ू ी से िटाने की मसफाररश की गयी थी।
‘पुन्नपारा-िायलार’ विद्रोह के बारे में :
यि, बब्रहटश भारत में , त्रावणकोर ररयासत के प्रधानमंत्री सी. पी. रामास्वामी अय्यर तथा ररयासत के णखलाफ
एक संगहठत श्रममक वगत का ववद्रोि था।
विद्रोह के उद्दे श्य, त्रावणकोर के शोषक दीवान को पद से िटाना और श्रममक वगत को अन्यायपण
ू त कराधान और
शासन के शोषण से मत
ु त करना था।
इस विद्रोह का महत्ि:
(a) यि अपनी तरि का एक अनोखा आंदोलन था, क्जसमे मजदरू वगत सरकार के णखलाफ खड़ा िो गया।
(b) इस आंदोलन में सभी वगों के लोगों ने एक अत्याचारी के णखलाफ ववद्रोि में भाग मलया, और वगत और
धमत के भेद को ममटाते िुए लोगों को एक िोने के मलए प्रेररत ककया।
(c) इस ववद्रोि के फलस्वरूप, क्षेत्र में लोकतंत्र की स्थापना िुई और राज्य की राजनीतत को एक तनणातयक
मोड़ हदया गया।
विद्रोह के तनहहताथभ:
• इततिासकारों का मानना िैं कक, यि तत्कालीन त्रािणकोर से 'स्ितंत्र त्रािणकोर' की स्थापना हे तु एक
विलर्ष्ट्ट संघषभ था।
• इस आंदोलन के एक नेता टी के वगीज वैद्यन ने अधधकाररक रूप से किा था, कक यि आंदोलन
‘कभयुतनस्ट इंडिया’ की स्थापना के उद्दे श्य िे तु एक बड़ी क्रांतत के मलए पूवातभ्यास था।
कय्यरू विद्रोह:
• वषत 1940 में , कपयुतनस्टों के नेतत्ृ व में विां के ककसान, ‘कक्ल्लयाट के नांबबयार’ और ‘करतकट एिम के
नयनार’ नामक दो स्थानीय सामंतवाद एवं उपतनवेशवाद समथतक जमींदारों के णखलाफ उठ खड़े िुए।
• कय्यूर को केरल में कृवष क्रांतत का उद्गम स्थल माना जाता िै ।
करीिेलूर विद्रोह: यि ववद्रोि 20 हदसंबर 1946 को िुआ था। यि भयानक भुखमरी के समय गाँव से धान की
जबरदस्ती उगािी कराने वाले जमींदारों के णखलाफ ककसानों का ववद्रोि था।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप पथरूघाट: 1894 का ववस्मत
ृ ककसान ववद्रोि के बारे में जानते िैं?
में स ललंक:
पुन्नपारा-वायलार ववद्रोि के मित्व और संबधधत मुद्दों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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2. पन
ु तनभलमभत जललयांिाला बाग पररसर
संदिभ: 28 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री नरे न्द्र मोदी द्वारा जमलयांवाला बाग स्मारक के पुनतनतममतत पररसर को
वीडियो कॉन्फ्रेंमसंग के माध्यम से उद्घाटन ककया गया।
पष्ट्ृ ठिलू म:
13 अप्रैल, 1919 को िुए नरसंिार में मारे गए शिीदों को श्रद्धांजमल दे ने के रूप में , जमलयांवाला बाग स्मारक का
पिली बार तत्कालीन राष्ट्रपतत िॉ राजेंद्र प्रसाद ने 13
अप्रैल, 1961 को उद्घाटन ककया गया था।
• केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 1951 को प्रधान मंत्री
की अध्यक्षता में ‘जमलयांवाला बाग राष्ट्रीय
स्मारक रस्ट’ की स्थापना की गयी थी।
• इस रस्ट में सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस के अध्यक्ष, पंजाब के मख्
ु यमंत्री, पंजाब के
राज्यपाल, केंद्रीय संस्कृतत मंत्री और लोकसभा में
ववपक्ष के नेता शाममल िोते िैं।
‘जललयांिाला बाग’ में क्या निीकरण ककया गया है ?
• 13 अप्रैल, 1919 की घटनाओं को दोिराने वाला 28 ममनट का ‘साउं ि एंि लाइट शो’ िर शाम को हदखाया
जाएगा। शिीदों के सपमान में आगंतक
ु ों के मौन बैठने के मलए एक ‘मक्ु तत-स्थल’ (Salvation Ground)
का तनमातण ककया गया िै ।
• शिीदों की कई नई मतू ततयां स्थावपत की गई िैं।
• पररसर में क्स्थत कम उपयोग की जा रिी इमारतों का अनक ु ू मलत तरीके से दोबारा इस्तेमाल करते िुए
चार नई दीघातओं का तनमातण ककया गया िै । इन दीघातओं में पंजाब के इततिास, स्वतंत्रता आंदोलन के
इततिास और गदर आंदोलन से संबंधधत घटनाओं को प्रदमशतत ककया गया िै ।
• पुनतनतममतत पररसर में गुरु नानक दे व, मसख योद्धा बंदा मसंि बिादरु और मिाराजा रणजीत मसंि की एक
मूततत भी स्थावपत की गयी िै ।
स्मारक में पन
ु तनभमाभण संबध
ं ी वििाद:
• वपछले वषों के दौरान जमलयांवाला बाग में कई बार मरपमत और छोटे -छोटे सुधार कायत ककए गए िैं।
लेककन बाग की ओर जाने वाले संकरे रास्ते पर करीबन 100 वषों से कोई छे ड़-छाड़ निीं की गयी थी।
िालंकक, बाग में कई अन्य चीजें बदल गईं, ककं तु नानकशािी ईंटों से बना यि संकीणत प्रवेश द्वार,
क्जससे िोकर ‘िायर’ के सैतनक में घुसे थे, उस हदन की भयाविता की याद हदलाता रिा। जुलाई 2020
में , पुराने मागत का िर तनशान ममटाते िुए, इसे मभवत्त धचत्रों सहित एक गैलरी में पररवतततत कर हदया
गया।
• वि प्रमसद्ध 'शिीदी कुआँ’, क्जसमे लोग गोमलयों की बौछार से बचने के मलए कूद गए थे, उसे एक कांच
की चादर से ढक हदया गया िै - चंकू क, इस चादर की वजि से उस भयावि मंजर के गवाि ‘कँु ए’ को
दे खा निीं जा सकता, इसमलए, सरकार के इस तनणतय की आलोचना की जा रिी िै ।
‘जललयांिाला बाग हत्याकांि’ के बारे में :
13 अप्रैल, 1919 को ‘बैसाखी’ थी, और इस हदन अमत
ृ सर के स्थानीय तनवामसयों ने दो स्वतंत्रता सेनातनयों
सत्यपाल और सैफुद्दीन ककचलू को कैद करने तथा ‘रौलट एतट’ को लागू करने के णखलाफ चचात और ववरोध
करने के मलए एक सभा आयोक्जत करने का फैसला ककया था। ‘रौलट एतट’ के तित बब्रहटश सरकार को बबना
ककसी सुनवाई के धगरफ्तार करने की शक्तत दी गई थी।

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जमलयांवाला बाग चारो और से दीवारों से तघरा था और इसमें आने-जाने के मलए कुछ छोटे -छोटे दरवाजे थे।
अंग्रेजों के आदे श के णखलाफ, इस बाग में एकबत्रत भीड़ में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शाममल थे।
बब्रगेडियर-जनरल रे क्जनल्ि एिवित िै री िायर, एकबत्रत भीड़ को सबक मसखाने के उद्दे श्य से दबे पाँव बाग में
पिुँच गया, और अपने साथ लाए 90 सैतनकों को, सभा के दौरान िी, भीड़ पर गोली चलाने का आदे श दे हदया।
भीड़ में कई लोगों ने दीवार फांद कर जान बचाने का असफल प्रयास ककया, और कई लोग जान बचाने के मलए
बाग के अंदर बने एक कुएं में कूद गए।
पररणाम:
• इस नरसंिार के बाद जनरल िायर को ‘अमत
ृ सर का कसाई’ किा गया और उसे कमांि से िटा कर
वापस बब्रटे न भेज हदया गया।
• इस घटना के प्रततरोध में रवींद्रनाथ टै गोर और मिात्मा गांधी ने क्रमशाः बब्रहटश नाइटिुि और ‘कैसर-ए-
हिंद’ की अपनी उपाधधयों को त्याग हदया।
• वषत 1922 में कुख्यात रोलेट एतट अंग्रेजों द्वारा तनरस्त कर हदया गया।
प्रीललभस ललंक:
1. इस घटना के दौरान भारत का वायसराय कौन था?
2. घटना के पररणाम?
3. रौलट एतट तया िै ?
में स ललंक: जमलयांवाला बाग त्रासदी, बब्रहटश भारतीय इततिास पर एक
शमतनाक तनशान िै । हटतपणी कीक्जए।

विषय:भारतीय समाज की मुख्य ववशेषताएँ, भारत की ववववधता।


1. िारत में जातत आधाररत जनगणना की आिश्यकता
संदिभ: बबिार के मुख्यमंत्री के अनुसार, केंद्र सरकार को ‘जातत आधाररत जनगणना’ करने से इंकार करने पर
पन
ु ववतचार करना चाहिए, तयोंकक इस तरि के आंकड़े, उनकी सरकार को ‘अन्य वपछड़ा वगत’ (OBC) समद
ु ायों के
मध्य वास्तववक जरूरतमंदों के मलए अधधक केंहद्रत नीततयां तैयार करने में सिायक िो सकते िैं।
िालाँकक, भारत सरकार ने नीततगत तौर पर, जनगणना (Census) में अनुसूधचत जातत और अनुसूधचत जनजातत
के अलावा अन्य समुदायों की जातत-वार गणना निीं करने का तनणतय मलया िै ।
‘जातत-संबध
ं ी’ वििरण एकत्र करने की विगध:
• गणनाकारों के द्वारा, जनगणना के एक भाग के रूप में ‘अनस
ु धू चत जातत/अनस
ु धू चत जनजातत’ संबंधी
वववरण एकत्र ककया जाता िै , जबकक इसके तित, अन्य जाततयों का वििरण एकत्र नहीं ककया जाता िै ।
• जनगणना की मुख्य पद्धतत के अंतगतत, सभी नागररक गणनाकार के मलए ‘स्व-घोवषत’ जानकारी प्रदान
करते िैं।
• अब तक, ववमभन्न राज्यों में ‘वपछड़ा िगभ आयोगों’ द्वारा वपछड़ी जाततयों की जनसंख्या का पता लगाने
िे तु अपनी-अपनी गणना की जाती रिी िै ।
जनगणना में ककस प्रकार के जातत संबध
ं ी आंकड़े प्रकालर्त ककए जाते हैं?
• स्वतंत्र भारत में , 1951 से 2011 के बीच की गई प्रत्येक जनगणना में केवल अनस
ु ूधचत जाततयों और
अनस
ु धू चत जनजाततयों पर आंकड़े प्रकामशत ककए गए िैं। अन्य जाततयों के वववरण को जनगणना में
प्रकामशत निीं ककया गया िै।
• िालांकक, इससे पिले वषत 1931 तक की गई प्रत्येक जनगणना में जातत संबंधी आंकड़े प्रकमशत ककए
जाते थे।

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‘सामाम्जक-आगथभक और जाततगत जनगणना’ (SECC) 2011 के बारे में :
वषत 2011 में आयोक्जत ‘सामाक्जक-आधथतक और जाततगत जनगणना’ (Socio-Economic and Caste Census- SECC)
ववमभन्न समद
ु ायों की सामाक्जक-आधथतक क्स्थतत के बारे में आंकड़े प्रातत करने के मलए एक मित्वपण
ू त कायतक्रम
था।
• इसके दो घटक थे: पिला, ग्रामीण और शिरी पररवारों का एक सवेक्षण तथा पूवत तनधातररत मापदं िों के
आधार पर इन पररवारों की रैंककं ग, और दस
ू रा ‘जाततगत जनगणना’।
• िालांकक, सरकार द्वारा केवल ग्रामीण और शिरी पररवारों में लोगों की आधथतक क्स्थतत का वववरण जारी
ककया गया था। जातत संबध
ं ी आंकड़े अिी तक जारी नहीं ककए गए िैं।
‘जनगणना’ और ‘सामाम्जक-आगथभक और जाततगत जनगणना’ में अंतर:
• जनगणना, भारत की आबादी की तस्वीर प्रदान करती िै , जबकक सामाक्जक-आधथतक और जाततगत
जनगणना’ (SECC) राज्य द्वारा सिायता प्रातत करने वाले लाभाधथतयों की पिचान करने का एक उपकरण
िोती िै ।
• ‘जनगणना’, ‘जनगणना अधधतनयम’ 1948 (Census Act of 1948) के अंतगतत आती िै और इसके सभी
आकड़ों को गोपनीय माना जाता िै , जबकक SECC के तित दी गई सभी व्यक्ततगत जानकारी, सरकारी
ववभागों द्वारा पररवारों को लाभ प्रदान करने और/या रोकने िे तु उपयोग करने के मलए उपलधध रिती िै ।
जाततगत जनगणना के लाि:
प्रत्येक जातत की आबादी की सटीक संख्या, सभी का समान प्रतततनधधत्व सुतनक्श्चत करने िे तु आरक्षण नीतत को
तैयार करने में मदद करे गी।
संबंगधत गचंताएं:
• संभावना िै , कक जाततगत जनगणना से कुछ वगों में नाराजगी पैदा िोगी और कुछ समुदाय अपने मलए
अधधक या अलग कोटा की मांग करें ग।े
• कधथत तौर यि माना जाता िै , कक मात्र व्यक्ततयों को ककसी जातत से जुड़े िोने का ठतपा लगाने से,
समाज में जातत-व्यवस्था िमेशा बनी रि सकती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक ‘आईना-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उद्योग, धन और कई अन्य ववशेषताओं
से संबंधधत व्यापक आंकड़े ममलते िैं? इस पस्
ु तक में अन्य ककन ववषयों का वववरण हदया गया िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

2. संयक्
ु त राष्ट्र द्िारा बाल वििाह की कड़ी आलोचना
संदिभ: क्जपबाधवे में 14 साल की बच्ची की कधथत तौर पर प्रसव के दौरान मौत िोने के बाद, संयुतत राष्ट्र ने
‘कम उम्र में जबरन वववाि’ कराए जाने की तनंदा की िै ।
इस मौत से सोशल मीडिया और बाल अधधकार कायतकतातओं में जोरदार गस्
ु सा दे खा गया िै ।
म़्िभबाब्िे में बाल वििाह संबंधी मामले:
क्जपबाधवे में , महिलाओं और लड़ककयों के णखलाफ ‘नाबामलगों के वववाि कराए जाने’ सहित हिंसा संबंधी मामले
धचंता का ववषय िैं।
आधधकाररक आंकड़े बताते िैं, कक क्जपबाधवे में िर तीन लड़ककयों में से एक लड़की की शादी 18 साल की उम्र से
पिले कर दी जाती िै ।
पूरे विश्ि में बाल वििाह:
पूरे ववश्व में , िर साल 12 मममलयन लड़ककयों का उनके बचपन में िी वववाि कर हदया जाता िै ।
• अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र में , बाल वववाि का स्तर परू े ववश्व में सवातधधक िै , यिाँ 35 प्रततशत यव
ु ा
महिलाओं की शादी 18 वषत की आयु से पिले िो जाती िै ।
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• इसके बाद, दक्षक्षण एलर्या का स्थान िै , जिां लगभग 30 प्रततशत लड़ककयों की शादी 18 वषत की आयु
से पिले िो जाती िै ।
• लैहटन अमेररका और कैररबबयन दे शों, मध्य पव
ू त और उत्तरी अफ्रीका और पव
ू ी यरू ोप और मध्य एमशया में
बाल वििाह का तनभन स्तर पाया जाता िै ।
बाल वििाह का अंत करने की हदर्ा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतराभष्ट्रीय प्रयास:
• संयुतत राष्ट्र का महिलाओं के णखलाफ भेदभाव उन्मूलन अमभसमय, 1979 (Convention on the
Elimination of Discrimination Against Women, 1979) के अंतगतत, ककसी बच्चे की सगाई और वववाि
कानन
ू ी रूप से मान्य निीं िोंगे।
• वववाि, वववाि के मलए न्यन
ू तम आयु और वववाि के पंजीकरण पर सिमतत अमभसमय, 1964 (1964
Convention on Consent to Marriage, Minimum Age for Marriage and Registration of Marriages) के
अनस
ु ार, अमभसमय के पक्षकार सदस्यों द्वारा ‘वववाि के मलए न्यूनतम आय’ु तनहदत ष्ट्ट करने िे तु ववधायी
कारत वाई की जाएगी।
• मानव अधधकारों की सावतभौममक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights– UDHR) के अंतगतत,
वववाि के मलए 'स्ितंत्र एिं पूण'भ सहमतत के अधधकार को मान्यता दी गई िै ।
• यद्यवप ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अगधकार अलिसमय’ (UN Convention on the Rights of the Child- CRC) में
वववाि का सीधा उल्लेख निीं ककया गया िै , ककं तु बाल वववाि- अमभव्यक्तत की स्वतंत्रता का अधधकार,
सभी प्रकार के दव्ु यतविार से सुरक्षा का अधधकार, और िातनकारक पारं पररक प्रथाओं से सुरक्षक्षत िोने का
अधधकार- जैसे अन्य अधधकारों से जुड़ा िुआ िै ।
• वषत 2016 में , संयत
ु त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund - UNICEF) और ‘संयत
ु त राष्ट्र
जनसंख्या कोष’ (UNFPA) द्वारा संयुतत रूप से ‘बाल वववाि’ को समातत करने के मलए एक वैक्श्वक
कायतक्रम शुरू ककया गया।
• बच्चों का कम आयु में और जबरन वववाि उन्मूलन, सतत ववकास लक्ष्यों के “लक्ष्य- 5 : लैंधगक
समानता प्रातत करना और सभी महिलाओं और लड़ककयों को सशतत बनाना” का एक भाग िै ।
‘बाल वििाह’ से जड़
ु ी गचंताएं:
1. 18 वषत की आयु से पिले वववाि मानव अधधकारों का मूलभूत उल्लंघन िै ।
2. िालांकक, यि प्रथा लड़कों की तुलना में लड़ककयों के मलए अधधक आम िै , यि लैंधगक मभन्नता के बावजूद
मानवाधधकारों का उल्लंघन करती िै ।
3. बाल वववाि के पररणामस्वरूप, लड़ककयों को कम आयु में गभातवस्था और सामक्जक अलगाव से गज
ु रना
पड़ता िै , क्जससे उनकी स्कूली मशक्षा में बाधा उत्पन्न िोती िै और कररयर और व्यावसातयक उन्नतत के
अवसरों को सीममत िो जाते िै । कुल ममलाकर उनका संपूणत ववकास संकट में पड़ जाता िै ।
4. बाल वववाि से लड़ककयों का बचपन छीन मलया जाता िै और उनके जीवन और स्वास््य को खतरा िोता
िै । 18 वषत से पिले वववाहित लड़ककयों को घरे लू हिंसा का सामना करने की अधधक तथा स्कूल में पढ़ाई
जारी रखने की कम संभावना िोती िै ।
5. बाल वध,ू अतसर ककशोरावस्था के दौरान गभतवती िो जाती िैं, जब गभातवस्था और प्रसव के दौरान, उनके
मलए व उनके मशशु के मलए जहटलताओं का खतरा बढ़ जाता िै ।
6. बाल वववाि, एक लड़की के स्वास््य, भववष्ट्य और पररवार को प्रभाववत करता िै , क्जससे यि राष्ट्रीय
स्तर पर भी, ववकास और समद्
ृ धध पर मित्वपण
ू त प्रभाव िालने के साथ-साथ, पयाततत मात्रा में आधथतक
भार िालता िै ।
7. बबना ककसी और बढ़ोतरी के, वषत 2030 तक 120 मममलयन से अधधक अन्य लड़ककयों की शादी उनके
18वें जन्महदन से पिले िो जाएगी।
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बाल वििाह के बढ़ते मामलों के कारण?
बच्चे को शादी के जोणखम में िालने के मलए कई कारक एक साथ काम करते िै , क्जसमें गरीबी, पाररवाररक
सपमान, सामाक्जक मानदं ि, प्रथागत या धाममतक तनयम, वववाि द्वारा बच्चे की सरु क्षा संबंधी धारणा, अपयाततत
ववधायी ढांचा और दे श में मसववल पंजीकरण प्रणाली की क्स्थतत आहद शाममल िैं।
िारत में बाल वििाह को रोकने हे तु कानून:
1. बाल वववाि प्रथा को प्रततबंधधत करने िे तु ‘बाल वववाि प्रततबंध अधधतनयम’ 1929 (Child Marriage
Restraint Act of 1929)
2. ‘बाल वववाि प्रततबंध अधधतनयम’ की कममयों को दरू करने और उन्िें सध
ु ारने िे तु ‘बाल वववाि तनषेध
अधधतनयम’, 2006 (Prohibition of Child Marriage Act, 2006)
आिश्यकता:
1. सामाक्जक जागरूकता में वद्
ृ धध। बच्चों को उनके मानवाधधकारों के बारे में जागरूक करने की जरूरत िै
और इस प्रकार की घटना िोने पर, बच्चों को मना करने और ववरोध करने के मलए मसखाया जाना
चाहिए।
2. मीडिया को भी इस जघन्य प्रथा के णखलाफ जागरूकता पैदा करने में अधधक सकक्रय भूममका तनभाने की
जरूरत िै ।
3. लड़ककयों के प्रतत सामाक्जक मानदं ि और दृक्ष्ट्टकोण में बदलाव ककया जाना चाहिए।
4. एक सशतत कानूनी और नीततगत प्रणाली, सेवाओं में सुधार, सामाक्जक मानदं िों में बदलाव और
लड़ककयों के सशक्ततकरण िे तु एक मित्वपूणत पष्ट्ृ ठभूमम बना सकती िै ।
5. स्कूल में छात्रों को, मशक्षा के मित्व और कम उम्र में शादी के दष्ट्ु प्रभावों पर जोर दे ते िुए ‘मल्
ू य
आधाररत मशक्षा’ प्रदान की जानी चाहिए।
6. सरकार, साक्षी ममलक, दीपा करमाकर और पीवी मसंधु जैसी शक्ख्सयतों को भी इस कायत में शाममल कर
सकती िै , इन महिला णखलाडियों ने अपने क्षेत्र में बड़ी सफलता अक्जतत की िै और बच्चों के माता-वपता
और छात्र इनकी उपलक्धधयों से प्रेरणा ले सकते िैं।
7. बाल वववाि रोकने के मलए, सरकार द्वारा नाममत, संबधं धत बाल ववकास पररयोजना अधधकाररयों को
तत्काल सूचना दी जानी चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: आरटीई अधधतनयम, 2009 के तित, ‘राष्ट्रीय बाल अधधकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) की कुछ
भूममकाएं और कायत तनधातररत ककए गए िैं। इनके बारे में आप तया जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. भारतीय संववधान के तित बच्चों के अधधकारों के बारे में
2. उपरोतत अमभसमयों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अवलोकन
3. भारत में बाल वववाि को रोकने के मलए कानून
में स ललंक: भारत में बाल वववाि रोकने िे तु उपाय सझ
ु ाइए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:महिलाओं की भमू मका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मद्


ु दे , गरीबी और ववकासात्मक ववषय,
शिरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
1. जनगणना
संदिभ:
कोववि-19 मिामारी प्रकोप के कारण, 2021 में की जाने वाली जनगणना (Census 2021) और जनगणना से
संबंधधत अन्य गततववधधयों को केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय द्वारा स्थधगत कर हदया गया िै ।
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‘जनगणना’ के बारे में :
जनगणना (Census), दे श में जनसंख्या के आकार, ववतरण और सामाक्जक-आधथतक क्स्थतत, जनसांक्ख्यकीय संबंधी
जानकारी और अन्य वववरणों के बारे में जानकारी प्रदान करती िै ।
• भारत में जनगणना, पिली बार वषत 1872 में बब्रहटश वायसराय लॉित मेयो के अधीन शुरू की गई थी।
इसने समाज में उत्थान करने िे तु नई नीततयों, सरकारी कायतक्रमों को तैयार करने में सिायता प्रदान की।
• भारत में पिली संपूणत जनगणना वषत 1881 में िुई थी। तब से, प्रतत दस वषत में एक बार, तनववतघ्न रूप
से जनगणना की जाती िै ।
िारत में जनगणना कौन करता है ?
भारत में दशकीय जनगणना के संचालन का दातयत्व भारत सरकार के गि
ृ मंत्रालय के अधीन महापंजीयक एिं
जनगणना आयुक्त कायाभलय (Office of the Registrar General and Census Commissioner) सौंपा गया िै ।
जनगणना, तनपनमलणखत ववषयों पर जानकारी के सबसे ववश्वसनीय स्रोतों में से एक िै :
1. जनसांक्ख्यकी
2. आधथतक गततववधधयां
3. साक्षरता और मशक्षा
4. आवास और घरे लू सुववधाएं
5. शिरीकरण, प्रजनन और मत्ृ यु दर
6. अनुसूधचत जातत और अनुसधू चत जनजातत
7. भाषा
ऐततहालसक महत्ि:
• 'ऋग्िेद' से पता चलता िै कक भारत में 800-600 ईसा पूवत के दौरान ककसी प्रकार की जनसंख्या गणना
की गई थी।
• तीसरी शताधदी ईसा पूवत में 'कौहटल्य' द्िारा ललखखत अथभर्ास्त्र में कराधान के मलए राज्य-नीतत के एक
उपाय के रूप में जनसंख्या के आंकड़ों का संग्रि करने का उल्लेख ककया गया था।
• मग
ु ल बादशाि अकबर के शासन काल में मलणखत ‘आईना-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उद्योग, धन और कई
अन्य ववशेषताओं से संबधं धत ववस्तत
ृ आंकड़े शाममल ककए गए थे।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं, कक जनगणना अधधतनयम, 1948 के तित जनगणना में एकत्र ककए गए व्यक्ततगत आंकड़ों
को अधधतनयम में तनहित प्रावधानों के अनुसार सावतजतनक निीं ककया जाता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. जनगणना और NPR के बीच संबंध।
2. NPR बनाम NRC
3. NRC, असम समझौते से ककस प्रकार संबंधधत िै ।
4. नागररकता प्रदान करने और रद्द करने के मलए संवैधातनक प्रावधान।
5. जनगणना ककसके द्वारा की जाती िै ?
में स ललंक:
एक राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागररक रक्जस्टर (NRC) प्रकक्रया तयों निीं संभव िो सकती िै , चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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2. अरुणाचल प्रदे र् ‘उत्तरागधकार विधेयक ‘मसौदा
(Arunachal Pradesh Draft Inheritance Bill)
संदिभ: िाल िी में , ववशेषज्ञों द्वारा अरुणाचल प्रदे श राज्य महिला आयोग (APSCW) से जनता की भावनाओं और
राज्य के हित को ध्यान में रखते िुए प्रस्ताववत ‘अरुणाचल प्रदे श वववाि एवं उत्तराधधकार ववधेयक’ (Arunachal
Pradesh marriage and inheritance bill) से कुछ प्रावधानों को िटाने के मलए गया िै ।
विधेयक के मसौदे का संक्षक्षप्त वििरण:
1. वििाह हे तु आिश्यक र्तें एिं वििाह का पंजीकरण: प्रस्ताववत ववधेयक, अरुणाचल प्रदे श की ककसी भी
स्थातनक अनुसूधचत जनजातत से संबंधधत सभी व्यक्ततयों पर लागू िोगा। इसके प्रावधानों के अनुसार, दो
पक्षों के मध्य ‘वववाि’ स्थानीय प्रथागत संस्कारों और दोनों में से ककसी एक पक्ष के रीतत-ररवाजों के
अनुसार ककया जा सकता िै।
2. दाभपत्य अगधकारों का प्रत्यास्थापन, अमान्य एिं र्न्
ू यकरणीय वििाह (Restitution of conjugal rights,
void and voidable marriage): ववधेयक में दापपत्य अधधकारों के प्रत्यास्थापन का भी प्रावधान ककया
गया िै , क्जसके अनुसार- यहद दोनों दोनों पक्षों में से कोई भी, बबना ककसी उधचत कारण के, दस
ू रे पक्ष
के समाज से अलग कर हदया जाता िै , तो पीडड़त पक्ष अपने दापपत्य अधधकारों के प्रत्यास्थापन िे तु
क्जला न्यायालय में याधचका दायर कर सकता िै ।
3. वििाह-विच्छे द के आधार (तलाक): अधधतनयम लागू िोने के बाद , ककए जाने वाले वववाि को ववमभन्न
आधारों पर भंग ककया जा सकता िै ।
4. स्थायी गुजारा ित्ता और िरण-पोषण: पत्नी, जो खद
ु का भरण-पोषण करने में असमथत िै , वि अपने
भरण-पोषण के मलए अदालत में याधचका दायर कर सकती िै , और अदालत द्वारा उसके पतत को अपनी
पत्नी के मलए एक मुश्त स्थायी गुजारा भत्ता दे ने का आदे श जारी ककया जाएगा।
5. बहुवििाह पर विधेयक की म्स्थतत: प्रत्येक व्यक्तत, जो वववाहित िोते िुए भी इस अधधतनयम के तित
अपना वववाि करवाता िै , को भारतीय दं ि संहिता की धारा 494 या धारा 495 के तित, जैसा भी
मामला िो, अपराध माना जाएगा, और इस प्रकार ककया गया वववाि अमान्य िोगा।
विधेयक का महत्ि:
• ववधेयक का मुख्य जोर, वववाि की कानूनी क्स्थतत, वववाि पंजीकरण की प्रकक्रया, पत्नी के मलए संपवत्त
में अधधकार, ववधवा के अधधकार और ‘बिुवववाि को अपराध मानने’ पर िै ।
• यि ववधेयक ‘बिुवववाि के अपराधीकरण’ और ‘कानन ू ी रूप से वववाहित पत्नी और ववधवा के संपवत्त के
अधधकार’ के संबध
ं में मित्वपूणत प्रावधान करता िै ।
वििादास्पद प्रािधान:
• ‘अरुणाचल प्रदे श की अनुसधू चत जनजातत’ के बािर के ककसी पुरुष से शादी करने वाली ‘अरुणाचल प्रदे श
की अनुसूधचत जनजातत’ (APST) की महिला को, पररवार के मुणखया से ववरासत में ममली ककसी भी
अचल संपवत्त का जीवनपयतन्त लाभ प्रातत िोगा।
• APST महिला की मत्ृ यु िो जाने की क्स्थतत में , उसके पतत और उसके उत्तराधधकाररयों को उस अचल
संपवत्त का अपनी इच्छानुसार उपयोग करने या ‘अरुणाचल प्रदे श की ककसी भी स्थातनक जनजातत के
सदस्यों’ को उस संपवत्त से बेदखल करने का परू ा अधधकार िोगा।
इन प्रावधानों के कारण, मसौदा ववधेयक को "आहदवासी ववरोधी", "अरुणाचल ववरोधी", प्रथागत कानूनों का
उल्लंघन करने वाला और बािरी लोगों को वववाि के माध्यम से आहदवासी भूमम पर कधजा करने के मलए
तनमंत्रण दे ने वाला बताया जा रिा िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: हिंद ू वववाि अधधतनयम, 1955 की धारा 9 ‘दांपत्य अधधकारों के प्रत्यास्थापन’ से संबधं धत िै । इन
अधधकारों के बारे में चचात कीक्जए।

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विषय:भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चक्रवात आहद जैसी मित्त्वपण
ू त भ-ू भौततकीय घटनाएँ, भौगोमलक
ववशेषताएँ और उनके स्थान- अतत मित्त्वपूणत भौगोमलक ववशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और
वनस्पतत एवं प्राणणजगत में पररवततन और इस प्रकार के पररवततनों के प्रभाव।
1. अटलांहटक िूमध्यरे खीय प्रततिती पररसंचरण (AMOC)
संदिभ: िाल िी ककए गए एक अध्ययन के अनुसार, उत्तरी गोलाधत के एक जलवाय-ु यंत्र, ‘अटलांहटक भूमध्यरे खीय
प्रततवती पररसंचरण’ (Atlantic Meridional Overturning Circulation - AMOC) के काफी कमजोर िोने की संभावना
िै , क्जसके पररणामस्वरूप ववश्व के मौसम में व्यापक बदलाव िो सकते िैं।
• जलवायु मॉिल्स के अनस
ु ार, इस समय ‘अटलांहटक भम
ू ध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण’ (AMOC), वपछले
1,000 से अधधक वषों में सबसे कमजोर क्स्थतत में िै ।
• िालांकक, यि ज्ञात निीं िै , कक AMOC की यि कमजोरी ‘पररसंचरण’ में बदलाव के कारण या तनयममतता
में कमी िोने कारण िुई िै ।
‘अटलांहटक िूमध्यरे खीय प्रततिती पररसंचरण’ (AMOC) क्या है ?
यि समुद्री धाराओं की यि ववस्तत
ृ प्रणाली िै , क्जसमे, उत्तरी अटलांहटक में मिासागरीय गमत जल का प्रवाि उष्ट्ण
कहटबंध से उत्तर की ओर िोता िै , और गिरे समुद्र के माध्यम से ठं िे जल का प्रवाि वापस भूमध्यरे खा की ओर
िोता िै ।

AMOC ककस प्रकार कायभ करता है ?


1. ‘अटलांहटक भम
ू ध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण’ एक ‘वािक पट्हटका’ (Conveyor Belt) की भांतत
मिासागरीय धाराओं की एक वि
ृ द प्रणाली िै , जोकक तापमान और लवणता में मभन्नता (पानी का
घनत्व) से संचामलत िोती िै ।
2. जैस-े जैसे मिासागरीय गमत जल उत्तर की ओर प्रवाहित िोता िै , यि ठं िा िोता जाता िै और इसी दौरन
कुछ मात्रा में जल का वाष्ट्पीकरण भी िोता िै , क्जससे जल की लवणता में वद्
ृ धध िो जाती िै ।
3. तनपन तापमान और लवणता की उच्च मात्रा से जल का घनत्व बढ़ जाता िै , और यि अधधक घनत्व
वाला जल, गिरे समुद्र में बैठ जाता िै ।
4. इस ठं िे और अधधक घनत्व वाले जल का मिासागरीय सति के नीचे कई ककलोमीटर तक दक्षक्षण की
ओर पानी धीरे -धीरे प्रवाि िोने लगता िै ।
5. अंत में , यि जल रामश भूमध्य रे खा के नजदीक ‘उद्दे वलन’ प्रकक्रया के द्वारा वापस सति पर आकर
गमत िो जाती िै और पररसंचरण का चक्र पूरा िो जाता िै ।
AMOC के समाप्त होने जाने की म्स्थत में :
यहद ‘अटलांहटक भूमध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण’ (AMOC) का अंत िो जाता िै , तो इसके पररणामस्वरूप, उत्तरी
गोलाधत में तापमान काफी कमी, अटलांहटक क्षेत्र में समद्र
ु के स्तर में वद्
ृ धध, यरू ोप और उत्तरी अमेररका की कुल
वषात में धगरावट और दक्षक्षण अमेररका और अफ्रीका के मानसून में पररवततन आहद घटनाएँ िोंगी।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप मिासागरीय धाराओं और जल-रामशयों के मध्य अंतर के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘अटलांहटक भूमध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण’ (AMOC) के बारे में
2. मिासागरीय धाराएँ तया िैं
3. मित्वपूणत मिासागरीय धाराएँ
4. इनकी उत्पवत्त संबध
ं ी कारण
में स ललंक: ‘अटलांहटक भम
ू ध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण’ के कमजोर िोने पर पड़ने वाले प्रभावों की वववेचना
कीक्जए।
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2. अरब सागर में चक्रिातों की आिवृ त्त और तीव्रता में िद्
ृ गध
संदिभ: वपछले दो दशकों के दौरान अरब सागर के ऊपर ववकमसत िोने वाले चक्रवातों की आववृ त्त और तीव्रता में
मित्वपूणत वद्
ृ धध िुई िै , जबकक इसी अवधध में बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की आववृ त्त में अपेक्षाकृत कमी दे खी
गयी िै ।
प्रमुख बदलाि:
• वषत 2001 और 2019 के मध्य अरब सागर के ऊपर ववकमसत िोने वाली चक्रवातों की आववृ त्त में 52%
वद्ृ धध दे खी गई, और इसी दौरान बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवातों की आववृ त्त में 8% की कमी िुई
िै ।
• वपछले दो दशकों के दौरान, अरब सागर में आने वाले अतत भीषण चक्रवातों की संख्या में 150% की
वद्
ृ धध िुई िै ।
इसके ललए म्जभमेदार कारक:
• ग्लोबल वाममांग / वैक्श्वक उष्ट्मन की वजि से, वपछली शताधदी के दौरान, अरब सागर के सतहीय
तापमान में तेजी से िद्
ृ गध िुई िै । वततमान में अरब सागर का सतिीय तापमान, चार दशक पिले के
तापमान से 1.2-1.4 डिग्री सेक्ल्सयस अधधक िै । यि अधधक गमत तापमान, ‘संविन प्रकक्रया में तीव्रता,
भारी वषात और तीव्र चक्रवातों के तनमातण में सिायक िोता िै ।
• तापमान में िोने वाली वद्
ृ धध से, अरब सागर में ववकमसत िोने वाले चक्रवातों की तीव्रता के मलए,
पयाततत ऊजात की आपतू तत िोती िै ।
• अरब सागर, चक्रवातों के अनुकूल पवन- अपरूपण (wind shear) भी प्रदान कर रिा िै । उदािरण के
मलए, उच्च स्तरीय पूवी पवनों की वजि से, चक्रवात ओखी का तनपनदाब क्षेत्र / गतत, बंगाल की खाड़ी से
अरब सागर की ओर सरक गया था।
ितभमान गचंता का विषय:
यहद यि प्रववृ त्त वषों तक जारी रिती िै , तो इससे भारत के पक्श्चमी तट पर आपदाओं में वद्
ृ धध का जोणखम
िोगा।
चक्रिातों का तनमाभण ककस प्रकार होता है ?
उष्ट्णकहटबंधीय क्षेत्रों में समद्र
ु ीय जल के ऊपर चक्रवातों का तनमातण िोता िै ।
इन क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा सवातधधक िोती िै , क्जसके पररणामस्वरूप स्थलीय और जलीय भागों की ऊपरी
सति गमत िो जाती िैं। सति के गमत िोने के कारण, समुद्र के ऊपर क्स्थत उष्ट्ण-आद्रत वायु ऊपर की ओर उठने
लगती िै , क्जसके बाद इस ररतत स्थान को भरने के मलए तेजी से झपट्टा मारकर आगे बढ़ती िै , कफर ये भी
गमत िोकर ऊपर की उठ जाती िै , और यि चक्र जारी रिता िै ।
िायु-चक्रण (Spin) तनलमभत होने का कारण:
वायु, सदै व उच्च दाब क्षेत्र से तनभन दाब िाले क्षेत्रों की ओर प्रवाहित िोती िै । उच्च दाब क्षेत्रों का तनमातण ठं िे
क्षेत्र में िोता िै , जबकक तनपन दाब की क्स्थतत उष्ट्ण या गमत क्षेत्रों में बनती िै । ध्रुवीय क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की
मात्रा उष्ट्ण-कहटबंधीय क्षेत्रों की तल
ु ना में काफी कम िोती िै , अताः ये सामान्यताः उच्च दाब के क्षेत्र िोते िैं। और
इसीमलए वायु का संचरण प्रायाः ध्रुवीय क्षेत्रों से उष्ट्णकहटबंधीय क्षेत्रों की ओर िोता िै ।
• इसके बाद, पथ्
ृ िी की गतत अपनी भूममका अदा करती िै , जोकक पक्श्चम से पूवत की ओर िोती िै । प्
ृ वी
के अपनी धुरी पर पररक्रमा करने की वजि से, दोनों धुवों की ओर से बिने वाली िवा का
उष्ट्णकहटबंधीय क्षेत्रों में ववक्षेपण िोता िै , तयोंकक गोलाकार िोने के कारण प्
ृ वी के घूणन
त की गतत ध्रुवों
की तल
ु ना में उष्ट्णकहटबंधीय क्षेत्रों में अधधक िोती िै । आकतहटक क्षेत्र से आने वाली िवा, दायीं ओर
ववक्षेवपत िो जाती िै तथा अंटाकतहटकक्षेत्र से चलने वाली िवा बायीं ओर ववक्षेवपत िो जाती िै ।

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• इस प्रकार, पिले से िी तनक्श्चत हदशाओं में प्रवाहित िो रिी वायु, जब ककसी गमत स्थान पर पिुँचने के
पश्चात ् ऊपर उठती िै , तो ररतत स्थान को भरने के मलए ठं िी िवा, केंद्र की ओर आकवषतत िोने लगती
िै । केंद्र की ओर बढ़ते समय, ठं िी िवा ववक्षेवपत िोती रिती िै क्जसके पररणामस्वरूप वाय-ु संचरण में
पररवलन िोने लगता िै , और प्रकक्रया, चक्रवात के स्थल से टकराने तक जारी रिती िै ।
चक्रिात के स्थल से टकराने के पश्चात:
चक्रवात, स्थलीय क्षेत्रों पर पिुचने के बाद बबखर कर समातत िो जाता िै , तयोंकक उष्ट्ण जल के संपकत में आने
के कारण वायु गमत िोकर ऊपर उठती िै और ठं िी वायु के मलए ररतत स्थान बनाती िै , ककं तु स्थल पर इसका
अभाव िोता िै । इसके अलावा, ऊपर उठने वाली आद्रत िवा से बादलों का तनमातण का तनमातण िोता िै , क्जससे
चक्रवातों के दौरान तेज िवाओं के साथ तीव्र बाररश िोती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘सप
ु रसेल’ (Supercell) और ‘मेसोसायतलोन’ (Mesocyclone) में अंतर जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. चक्रवातों के तनमातण के मलए उत्तरदायी कारक
2. ववश्व के ववमभन्न क्षेत्रों में चक्रवातों का नामकरण
3. भारत के पूवी तट पर अधधक चक्रवात आने का कारण
4. कोररओमलस बल तया िै ?
5. संघनन की गतु त ऊष्ट्मा तया िै ?
में स ललंक: उष्ट्ण कहटबंधीय चक्रवातों के तनमातण के मलए उत्तरदायी कारकों की वववेचना कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

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सामान्य अध्ययन-II
विषय: भारतीय संववधान- ऐततिामसक आधार, ववकास, ववशेषताएँ, संशोधन, मित्त्वपण
ू त प्रावधान और बुतनयादी
संरचना।
1. ‘अनुसूगचत जनजातत सच
ू ी’ में संर्ोधन हे तु विधेयक
संदिभ: िाल िी में , ‘संववधान (अनुसूधचत जनजाततयां) आदे श (संशोधन) ववधेयक, 2021’ (Constitution (Scheduled
Tribes) Order (Amendment) Bill, 2021) राज्यसभा में पाररत िो गया िै ।
इस ववधेयक के द्वारा, ‘संववधान (अनुसधू चत जनजातत) आदे श, 1950’ (Constitution (Scheduled Tribes) Order,
1950) में संशोधन ककया गया िै ।
विधेयक के प्रमुख बबंद:ु
• ववधेयक में , अरुणाचल प्रदे श में धचक्न्ित अनस
ु धू चत जनजाततयों की सच
ू ी से ‘अबोर’ जनजातत को िटाए
जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
• इसके तित, धचक्ह्नत सूची में , कुछ अनुसधू चत जनजाततयों को अन्य जनजाततयों के स्थान पर शाममल
ककया गया िै ।
• सूची में ‘ताई खापती’, ममश्मी-कामन (ममजु ममश्मी), इद ु (ममश्मी) और तारोन (हदगारु ममश्मी)
जनजाततयों को शाममल ककया गया िै ।
अगधसूगचत अनुसगू चत जनजाततयों की सच
ू ी को संर्ोगधत करने की र्म्क्त:
भारतीय संववधान में , राष्ट्रपतत को ववमभन्न राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों में अनुसूधचत जनजाततयों
(Scheduled Tribes) को तनहदत ष्ट्ट करने की शक्तत प्रदान की गई िै । इसके अलावा, संववधान में संसद को
‘अधधसूधचत अनुसधू चत जनजाततयों’ (Notified STs) की सूची को संशोधधत करने की अनुमतत दी गई िै ।
‘अनुसूगचत जनजातत’ की पररिाषा:
संववधान में , ‘अनुसूधचत जनजाततयों’ की मान्यता संबध
ं ी मानदं िों को पररभावषत निीं ककया गया िै ।
• िालांकक, संववधान के अनुच्छे द 366 (25) में , अनुसूधचत जनजाततयों को पररभावषत करने की केवल
प्रकक्रया दी गयी िै । क्जसके अनस
ु ार, अनस
ु धू चत जनजाततयों का अमभप्राय, ऐसी जनजाततयाँ या जनजातत
समुदाय अथवा ऐसी जनजाततयों या जनजातत समुदायों के भाग या उनके समूि िैं क्जन्िें इस संववधान
के प्रयोजनों के मलए अनुच्छे द 342 के अधीन अनुसूधचत जनजाततयाँ समझा जाता िै ।
• अनच्
ु छे द 342(1): राष्ट्रपतत, ककसी भी राज्य या केंद्रशामसत प्रदे श के ववषय में , और जिाँ वि राज्य िै ,
राज्यपाल से सलाि के बाद सावतजतनक अधधसच
ू ना द्वारा, आहदवासी जातत या आहदवासी समुदायों या
आहदवासी जाततयों या आहदवासी समुदायों के भागों या समूिों को तनहदत ष्ट्ट कर सकते िैं, जो इस
संववधान के उद्दे श्यों के मलए, उस राज्य या केंद्रशामसत प्रदे श, जैसा भी मामला िो, के संबंध में अनुसूधचत
जनजाततयाँ समझे जाएंगे।
‘अनस
ु गू चत जनजाततयों’ हे तु संिैधातनक संरक्षोपाय:
र्ैक्षक्षक और सांस्कृततक संरक्षोपाय:
1. अनुच्छे द 15(4):- अन्य वपछड़े वगों (क्जसमें अनुसूधचत जनजातत भी शाममल िै ) की उन्नतत के मलए
ववशेष प्रावधान;
2. अनुच्छे द 29:- अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण (क्जसमें अनुसूधचत जनजातत भी शाममल िै );
3. अनुच्छे द 46:- राज्य जनता के कमजोर वगों और ववशेष रूप से अनुसूधचत जाततयों और अनुसूधचत
जनजाततयों के शैक्षक्षक और आधथतक हितों को ववशेष सावधानी के साथ बढ़ावा दे गा और सामाक्जक
अन्याय और सभी प्रकार के सामाक्जक अन्याय एवं शोषण से उनकी रक्षा करे गा।
4. अनच्
ु छे द 350:- ववमशष्ट्ट भाषा, मलवप या संस्कृतत के संरक्षण का अधधकार।

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5. अनुच्छे द 350:- मातभ
ृ ाषा में तनदे श।
सामाम्जक संरक्षोपाय:
1. अनच्
ु छे द 23:- मानव तस्करी एवं मभक्षाववृ त्त तथा ककसी भी अन्य प्रकार के बलात ् श्रम का तनषेध;
2. अनुच्छे द 24:- बाल श्रम पर रोक।
आगथभक सुरक्षा संरक्षोपाय:
1. अनुच्छे द 244: - उपबंध (1) पाँचवीं अनुसच
ू ी के उपबंध असम, मेघालय, बत्रपुरा और ममजोरम राज्यों से
मभन्न ककसी राज्य के अनस
ु ूधचत क्षेत्रों और अनुसूधचत जनजाततयों के प्रशासन और तनयंत्रण के मलए
लागू िोंगे। उपबंध (2) छठी अनस
ु च
ू ी के उपबंध असम, मेघालय, बत्रपरु ा और ममजोरम राज्यों के जनजातत
क्षेत्रों के प्रशासन के मलए लागू िोंगे।
2. अनुच्छे द 275:- संववधान की पांचवीं और छठी अनुसूची के अंतगतत आने वाले तनहदत ष्ट्ट राज्यों (STs&SAs)
को सिायता अनद
ु ान।
राजनीततक संरक्षोपाय:
1. अनुच्छे द 164(1):- बबिार, मध्य प्रदे श और उड़ीसा में जनजातीय कायत मंबत्रयों के मलए प्रावधान;
2. अनुच्छे द 330:- लोकसभा में अनुसूधचत जनजाततयों के मलए सीटों का आरक्षण;
3. अनुच्छे द 337- राज्य ववधानसभाओं में अनुसूधचत जनजाततयों के मलए सीटों का आरक्षण;
4. अनच्
ु छे द 334:- आरक्षण के मलए 10 वषत की अवधध (अवधध बढ़ाने के मलए कई बार संशोधधत);
5. अनुच्छे द 243:- पंचायतों में सीटों का आरक्षण।
6. अनुच्छे द 371:- पूवोत्तर राज्यों और मसक्तकम के संबंध में ववशेष प्रावधान।
सेिा संरक्षोपाय:
अनुच्छे द 16(4), 16(4ए), 164(बी) अनुच्छे द 335, और अनुच्छे द 320(40) के तित अनुसूधचत जनजाततयों िे तु
सेिा संबंधी संरक्षोपाय ककए गए िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक, अगस्त 2020 में , उच्चत्तम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों वाली खंिपीठ ने किा था, कक
राज्य ‘कमजोर में से सबसे कमजोर’ को तरजीि दे ने के मलए केंद्रीय सच
ू ी में अनस
ु धू चत जाततयों और अनस
ु धू चत
जनजाततयों को उप-वगीकृत कर सकता िै । इस फैसले के बारे में अधधक जानने िे तु दे खें।
प्रीललभस ललंक:
1. वी. धचन्नैया मामला ककससे संबंधधत िै?
2. अनुच्छे द 341(1) के तित राष्ट्रपतत की शक्ततयां
3. केंद्रीय सच
ू ी में अनस
ु धू चत जनजाततयों को शाममल करने अथवा बािर करने की शक्तत?
4. सुप्रीम कोटत की ववमभन्न खंिपीठ
5. सवोच्च न्यायालय की अपने तनणतय की समीक्षा करने की शक्तत
में स ललंक: आरक्षक्षत वगत के भीतर िी ‘जातीय संघषत’ व्यातत िै तयोंकक आरक्षण का लाभ केवल कुछ लोगों द्वारा
उठाया जा रिा िै । चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. ओबीसी समह
ू ों को तनहदभष्ट्ट करने संबंधी राज्यों के अगधकार को बहाल करने हे तु विधेयक
संदिभ: िाल िी में , ‘संववधान 127वां संशोधन ववधेयक, 2021’ (Constitution 127th Amendment Bill, 2021)
लोकसभा में सवतसपमतत से पाररत कर हदया गया।
ववधेयक में , राज्यों एवं केंद्र शामसत प्रदे शों को ‘सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों’ की अपनी सच
ू ी तैयार
करने की संबंधी अनुमतत दे ने के मलए संववधान में संशोधन का प्रस्ताव ककया गया िै ।
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आिश्यकता:
5 मई को, मिाराष्ट्र में मराठा समुदाय के मलए एक पथ
ृ क आरक्षण को खत्म करते िुए, सुप्रीम कोटत ने फैसला
सन
ु ाया था, कक िषभ 2018 के संविधान संर्ोधन (102 िें संिैधातनक संर्ोधन) के बाद, केवल केंद्र सरकार,
सामाक्जक और शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों (SEBC) को अधधसूधचत कर सकती िै – राज्यों को यि शक्तत प्रातत
निीं िै ।
• 102 िें संविधान संर्ोधन के तहत, संववधान में अनुच्छे द 338B और अनुच्छे द 342 के बाद 342 A को
जोड़ा गया था। इसके साथ िी, इस संशोधन के द्वारा ‘राष्ट्रीय वपछड़ा वगत आयोग’ (National
Commission of Backward Classes - NCBC) को संवध
ै ातनक दजात भी प्रदान ककया गया था।
• इस संवैधातनक संशोधन की व्याख्या, वपछड़े वगों को धचक्ह्नत करने तथा उन्िें आरक्षण का लाभ प्रदान
संबंधी राज्यों के अधधकार को प्रभावी रूप से समातत कर दे ती िै ।
127िें संविधान संर्ोधन विधेयक के प्रमख
ु बबंद:ु
1. ववधेयक में , सामाक्जक और आधथतक रूप से वपछड़े अन्य वपछड़े वगों को धचक्ह्नत करने संबंधी राज्य
सरकारों की शक्तत को बिाल करने का प्रावधान ककया गया िै । ववहदत िो, कक मई 2021 में सप्र
ु ीम कोटभ
ने एक आदे श में , इस तरि की शक्तत केिल केंद्र सरकार को प्रदान की थी।
2. इस ववधेयक द्वारा इस प्रावधान में संशोधन ककया गया िै , और किा गया िै , कक राष्ट्रपतत, केवल केंद्र
सरकार के प्रयोजनों िे तु ‘सामाक्जक और शैक्षणणक रूप से वपछड़े वगों’ की सच
ू ी को अधधसधू चत कर
सकते िैं।
3. केंद्र सरकार ‘सामाक्जक और शैक्षणणक रूप से वपछड़े वगों’ की केंद्रीय सूची को तैयार करे गी और उसका
रखरखाव करे गी।
4. इसके अततररतत ववधेयक में , राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों को सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े
वगों की अपनी-अपनी सच
ू ी बनाने का अधधकार हदया गया िै ।
5. राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों द्वारा यि सूची कानून के तित बनाई जाएगी और यि केंद्रीय सूची से
मभन्न िो सकती िै ।
सामाम्जक और र्ैक्षखणक रूप से वपछड़े िगों की सच
ू ी:
‘राष्ट्रीय वपछड़ा वगत आयोग अधधतनयम’, 1993 के
अंतगतत ‘राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग’ (NCBC) की
स्थापना की गई थी।
• संविधान 102िें संर्ोधन अगधतनयम, 2018 के
द्वारा NCBC को संवैधातनक दजात हदया गया,
और ‘राष्ट्रपतत’ को सभी उद्दे श्यों के मलए
ककसी राज्य या केंद्र शामसत प्रदे श के
सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों की
सूची को अधधसधू चत करने की शक्तत प्रदान
की गयी थी।
• 2021 का विधेयक इसमें संशोधन करते िुए प्रावधान करता िै कक राष्ट्रपतत मसफत केंद्र सरकार के उद्दे श्य
के मलए सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों की सूची को अधधसूधचत कर सकते िैं।
NCBC के साथ परामर्भ:
संववधान के अनुच्छे द 338B के तित ‘केंद्र और राज्य सरकारों को, सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों को
प्रभाववत करने वाले सभी नीततगत मामलों पर ‘राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग’ से सलाि लेने को अतनवायत ककया
गया िै ।
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नए विधेयक के तनहहताथभ:
127 िां संविधान संर्ोधन विधेयक पाररत िोने के बाद, दे श में 671 जाततयां इससे लाभाक्न्वत िोंगी और ‘अन्य
वपछड़े वगों’ की अपनी सच
ू ी बनाने संबंधी राज्यों के अधधकारों पन
ु ाः बिाल िो जाएंग।े
प्रीललभस ललंक:
1. ‘राष्ट्रीय वपछड़ा वगत आयोग’ (NCBC) के बारे में
2. 102वें संववधान संशोधन ववधेयक का अवलोकन
3. 127वें संववधान संशोधन ववधेयक के बारे में
4. इस मामले में सप्र
ु ीम कोटत के फैसले का अवलोकन
में स ललंक: नए 127वें संववधान संशोधन ववधेयक के तनहिताथों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. िारतीय ध्िज संहहता


(Flag Code of India)
22 जुलाई, 1947 को, भारत की स्वतंत्रता से 23 हदन पिले संववधान सभा की एक बैठक में भारत के राष्ट्रीय
ध्वज को इसके वततमान स्वरूप (क्षैततज आयताकार ततरं गा) में अपनाया गया था और 15 अगस्त 1947 को यि
भारतीय स्वतंत्र-उपतनवेश (Dominion of India) का आधधकाररक राष्ट्रीय ध्वज बन गया।
राष्ट्रीय ध्िज का विकास:
• वततमान राष्ट्रीय ध्वज, ‘वपंगली वेंकय्या’ द्वारा
अधधकक्ल्पत ककए गए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के
स्िराज ध्िज पर आधाररत िै ।
• ध्वज में कई बार पररवततन ककए जाने के बाद, वषत
1931 में कराची में आयोक्जत कांग्रेस कमेटी की
बैठक में ततरं गे को िमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में
अपनाया गया था।
िारत के राष्ट्रीय ध्िज के संबंध में संिैधातनक और
िैधातनक प्रािधान:
अनुच्छे द 51A(a) - संववधान का पालन करना और उसके आदशों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान सपमान
करना।
ध्िज का उपयोग करने के संदिभ में क़ानून:
1. संप्रतीक और नाम (अनुधचत प्रयोग तनवारण) अधधतनयम, 1950 (Emblems and Names (Prevention of
Improper Use) Act, 1950)
2. राष्ट्र-गौरव अपमान-तनवारण अधधतनयम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971)
ततरं गे के प्रदर्भन संबंधी तनयम:
‘ध्वज संहिता, 2002’ को तीन भागों में बांटा गया िै :
1. ततरं गे का एक सामान्य वववरण।
2. सरकारों और सरकारी तनकायों द्वारा ध्वज-प्रदशतन िे तु तनयम।
3. सावतजतनक एवं तनजी तनकायों तथा शैक्षणणक संस्थानों द्वारा ध्वज के प्रदशतन िेतु तनयम।
उल्लेखनीय तथ्य:
• भारत का राष्ट्रीय ध्वज, िाथ से काते गए और िाथ से बन
ु े िुए ऊन / कपास /रे शम खादी की पट्हटयों
से तनममतत िोगा।
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• राष्ट्रीय ध्वज, आकार में आयताकार िोगा। झंिे की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 िोगा।
• सरकार द्वारा जारी तनदे शों के अनुसार सावतजतनक भवनों पर झंिे को आधा झुकाए जाने के अवसरों को
छोड़कर, आधा झक ु ा िुआ झंिा निीं फिराया जाएगा।
• राज्य द्वारा ककए जाने वाले अंततम संस्कार या सशस्त्र बलों अथवा अन्य अधतसतै नक बलों के अंत्येक्ष्ट्ट
संस्कार को छोड़कर, तनजी अंततम संस्कार सहित ककसी भी रूप में ध्वज का उपयोग, ककसी भी रूप में
शव- आवरण के रूप में निीं ककया जाएगा।
• ध्वज का उपयोग ककसी भी प्रकार की पोशाक या वदी के हिस्से के रूप में निीं ककया जाएगा, और न
िी इसकी, ककसी तककया, रूमाल, नैपककन या ककसी ड्रेस सामग्री पर छपाई या कशीदाकारी की जाएगी।
सिभपल्ली राधाकृष्ट्णन द्िारा राष्ट्रीय ध्िज का महत्ि तनभनललखखत तरीके से बताया गया है :
1. "अशोक चक्र" धमत के ववधान का पहिया िै । चक्र यि प्रदमशतत करता िै , कक गतत में जीवन िै और
ठिराव में मत्ृ यु िै ।
2. भगवा रं ग, अनासक्तत के पररत्याग को दशातता िै ।
3. ध्वज के केंद्र में सफेद रं ग की पट्हटका िै , जो प्रकाश एवं िमारे आचरण का मागतदशतन करने के मलए
सत्य के मागत को को दशातती िै ।
4. िरा रं ग, यिां की ममट्टी और वनस्पतत से िमारे संबध
ं को दशातता िै , क्जस पर अन्य सभी जीवन का
तनभतर िोता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप वषत 1923 में , मध्य प्रदे श के जबलपुर और मिाराष्ट्र के नागपुर में आयोक्जत में ‘ध्वज
सत्याग्रि’ / ‘झंिा सत्याग्रि’ के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. एंग्लो बोअर युद्ध के बारे में ।
2. वेंकैया द्वारा डिजाइन ककया गया झंिा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
द्वारा आधधकाररक तौर पर कब स्वीकार ककया गया था?
3. संववधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को कब अपनाया गया।
4. भारतीय धवज संहिता- अवलोकन।
5. भारत में राष्ट्रीय ध्वज को कौन तनममतत करता िै ?
6. भारत में िुए ‘झंिा सत्याग्रि’ के बारे में ।
में स ललंक: भारतीय धवज संहिता, 2002 के प्रमुख प्रावधानों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

4. ‘िुलाए जाने का अगधकार’


संदिभ: िाल िी में , हदल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और सचत इंजन क्षेत्र में हदग्गज कंपनी गग
ू ल से दो
व्यवसातययों द्वारा एक याधचका का जवाब दे ने को किा िै । इस याधचका में , याधचकाकतातओं द्वारा अपने
‘भुलाए जाने का अधधकार’ (Right to be Forgotten) का िवाला दे ते िुए, ववमभन्न ऑनलाइन तलेटफॉमत से, उनके
णखलाफ दजत एक आपराधधक मामले से संबंधधत कुछ लेखों को िटाने की मांग की गई िै ।
याधचकाकतातओं ने तकत दे ते िुए किा िै , कक मामले से संबंधधत त्यों और पररक्स्थततयों के संदभत में उन्िें ‘भल
ु ाए
जाने का अधधकार’ या "असपबद्ध ककए जाने का अधधकार" (right to delink) प्रातत िै ।
आिश्यकता:
याधचका में तकत हदया गया िै कक "संबधं धत मामलों में उपयुतत अदालतों द्वारा याधचकाकतातओं सपमानजनक
रूप से बरी कर हदया गया िै , कफर भी कधथत लेख और उनके णखलाफ ऑनलाइन उपलधध गलत जानकारी उन्िें
परे शान करती रिती िै "।
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िारतीय संदिभ में ‘िुलाए जाने का अगधकार':
• ‘भुलाए जाने का अधधकार’ (Right to be Forgotten), व्यक्तत के ‘तनजता के अधधकार’ के दायरे में आता
िै ।
• वषत 2017 में , सुप्रीम कोटत द्वारा अपने एक ऐततिामसक फैसले (पत्त
ु स्ु वामी मामले) में ‘तनजता के
अगधकार’ को एक ‘मौललक अगधकार’ (अनुच्छे द 21 के तित) घोवषत कर हदया गया था।
इस संदिभ में ‘तनजी िेटा सरु क्षा विधेयक’ के अंतगभत ककए गए प्रािधान:
‘तनजता का अधधकार’, ‘तनजी िेटा सुरक्षा ववधेयक’ (Personal Data Protection Bill) द्वारा प्रशामसत िोता िै ,
यद्यवप यि ववधेयक अभी संसद में लंबबत िै ।
• इस ‘ववधेयक’ में ववमशष्ट्ट रूप से "भुलाए जाने का अधधकार" के बारे में बात की गई िै ।
• मोटे तौर पर, ‘भुलाए जाने के अधधकार’ के तित, उपयोगकतात ‘िेटा न्यामसयों’ (data fiduciaries) द्वारा
जमा की गई अपनी व्यक्ततगत जानकारी को िी-मलंक या सीममत कर सकते िै तथा इसे परू ी तरि से
िटा भी सकते िै या जानकारी को सुधार के साथ हदखाए जाने के मलए इसे सिी भी कर सकते िैं।
विधेयक में इस प्रािधान से संबंगधत वििाद:
• इस प्रावधान के साथ मुख्य मुद्दा यि िै , कक व्यक्ततगत िेटा और जानकारी की संवेदनशीलता को
संबंधधत व्यक्तत द्वारा स्वतंत्र रूप से तनधातररत निीं ककया जा सकता िै , बक्ल्क ‘िेटा संरक्षण प्राधधकरण’
(Data Protection Authority - DPA) द्वारा इसका तनरीक्षण ककया जाएगा।
• इसका मतलब यि िै , कक िालांकक मसौदा ववधेयक में ककए गए प्रावधान के अनस
ु ार, उपयोगकतात अपने
तनजी िेटा को इंटरनेट से िटाने की मांग कर सकता िै , लेककन उसका यि अधधकार ‘िेटा संरक्षण
प्राधधकरण’ (DPA) के मलए काम करने वाले न्यायतनणातयक अधधकारी की अनम
ु तत के अधीन िोगा।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘भुलाए जाने के अधधकार’ को ‘ववलोपन के अधधकार’ (right to erasure)
के रूप में भी जाना जाता िै ? इस संदभत में ‘यूरोपीय संघ’ द्वारा कौन सा कानून लागू ककया गया िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘भुलाए जाने का अधधकार' के बारे में ।
2. ‘तनजता का अधधकार’ तया िै ?
3. ‘तनजी िेटा संरक्षण ववधेयक’ की मुख्य ववशेषताएं।
में स ललंक: ‘भुलाए जाने का अधधकार' के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

5. सारहीन आधार पर सिभत्र अबाध संचरण के अगधकार को प्रततबंगधत नहीं ककया जा सकता: उच्चतम
न्यायालय
संदिभ: सुप्रीम कोटत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मिाराष्ट्र पुमलस द्वारा जारी एक ‘क्जलाबदर करने संबंधी
आदे श’ (externment order) पर अिम हटतपणी करते िुए किा िै , कक ककसी व्यक्तत को दे श में किीं भी रिने
या स्वतंत्र रूप से भ्रमण करने के उसके मौमलक अधधकार से वंधचत निीं ककया जा सकता।
इस विषय से संबंगधत अन्य तथ्य:
• ‘म्जलाबदर आदे र्’ (externment order) क्या होता है? ‘क्जलाबदर आदे श’ के तित, एक तनक्श्चत क्षेत्र में
ककसी व्यक्तत को आवाजािी पर रोक लगायी जाती िै ।
• इस प्रकार के आदे र् जारी करने का आधार: शीषत अदालत ने अपनी हटतपणी में किा िै , कक कानून और
व्यवस्था बनाए रखने के मलए, केवल असाधारण मामलों में िी इस प्रकार की कठोर कारत वाई की जानी
चाहिए।

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‘िारत के राज्यक्षेत्र में सिभत्र अबाध संचरण’ के अगधकार के बारे में :
• ‘भारत के राज्यक्षेत्र में सवतत्र अबाध संचरण’ (move freely throughout the territory of India) का
अधधकार भारतीय संववधान के अनच्
ु छे द 19 (1) (d) के द्वारा प्रत्याभत
ू िै । यि अधधकार, केवल भारतीय
नागररकों के मलए उपलधध िै ।
• यि अधधकार पूणत
त याः बंधनमुतत अथवा असीममत निीं िै , बक्ल्क "आम जनता के हितों या ककसी
अनुसूधचत जनजातत के हितों की सुरक्षा के मलए" के मलए इस पर कुछ प्रततबंध लगाए जा सकते िैं।
• संबंधधत कायतकारी प्राधधकाररयों को, ककसी व्यक्तत को ‘तनवातमसत’ या ‘क्जलाबदर’ करने की शक्तत प्रदान
करने संबंधी प्रावधान, मिाराष्ट्र पमु लस अधधतनयम (MP 1951), पंजाब राज्य सरु क्षा अधधतनयम 1953,
और असम लोक व्यवस्था रखरखाव अधधतनयम 1947, कनातटक पमु लस अधधतनयम और अन्य कानूनों में
पाए जा सकते िैं।
• इस मामले में , एक व्यक्तत के क्जले में प्रवेश पर रोक लगाने के मलए, मिाराष्ट्र पमु लस अधधतनयम (MP
1951) के तित कायतकारी अधधकाररयों को प्रदान की गई वववेकाधीन शक्तत का प्रयोग ककया गया था।
िालाँकक, संबंधधत मामले में इस शक्तत का उपयोग 'कानून की उधचत प्रकक्रया' के अनुसार निीं था।
• िाल के हदनों में , दे श भर में शक्ततयों के दरु
ु पयोग संबंधी इस प्रकार के मामले बढ़ते जा रिे िैं।
उदाहरण के ललए: प्रफुल्ल भाऊसािे ब यादव बनाम श्री के.के. पाठक मामले में , बॉपबे िाईकोटत ने फैसला
सन
ु ाया, ये आदे श बबना ककसी आधार के पाररत ककए गए थे, और चंकू क इस आदे श को बबना कोई
हदमाग लगाए िुए जारी ककया गया था, इसमलए यि अमान्य माना जाएगा।

सुप्रीम कोटभ द्िारा म्जलाबदर के आदे र् को बरकरार रखने के उदाहरण:


• ‘धन बहादरु घोरती बनाम असम राज्य’ मामले में - अदालत द्वारा ‘आहदवासी पिचान की सुरक्षा
सुतनक्श्चत करने’ करने िे तु क्जलाबदर के आदे श को बरकरार रखा था; ‘उत्तर प्रदे र् राज्य बनाम
कौर्ललया’ मामले में , वेश्याओं को एक तनहदत ष्ट्ट क्षेत्र के भीतर अपना व्यापार करने और ववशेष क्षेत्रों में
रिने या आवाजािी के मलए मुतत-संचरण पर प्रततबंध को वैध माना गया िै ; पी. अरुमुघम बनाम मद्रास
राज्य मामले में, आदतन अपराधधयों के तनवास पर लगाए गए प्रततबंध को न्यायालयों द्वारा उधचत
माना गया िै ।
• क्जलाबदर संबध
ं ी ववषयों पर मौजद
ू ा ववधधयों के अनस
ु ार, यहद क्जलाबदर करने संबध
ं ी आदे श प्राकृततक
न्याय के मसद्धांतों के अनरू
ु प िोते िैं, तो आम तौर पर न्यायपामलका इस प्रकार के तनणतयों से संतुष्ट्ट
िो जाती िै । िालाँकक, यि दे खते िुए कक यि प्रावधान, ककसी व्यक्तत की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता िै ,
अताः तनष्ट्पक्ष न्यायाधधकरण द्वारा स्वतंत्र जांच को अतनवायत करते िुए इस प्रकक्रया को सिी करने की
सख्त आवश्यकता िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. अनुच्छे द 19 तया िै ?
2. अनुच्छे द 19 के तित प्रततबंध के मलए आधार
3. मौमलक अधधकार, नीतत-तनदे श तत्व और मल
ू कततव्यों के बीच अंतर
4. क्जलाबदर क़ानून तया िैं?
में स ललंक:
क्जलाबदर क़ानून का दरु
ु पयोग और इसमें सुधार करने के तरीकों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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विषय:संघ एवं राज्यों के कायत तथा उत्तरदातयत्व, संघीय ढाँचे से संबधं धत ववषय एवं चुनौततयाँ, स्थानीय स्तर पर
शक्ततयों और ववत्त का िस्तांतरण और उसकी चुनौततयाँ।
1. कराधान का संप्रिु अगधकार
(Sovereign Right to Taxation)
संदिभ: िाल िी में , भारत सरकार द्वारा माचत 2012 में लागू ककए गए आईटी अधधतनयम में ‘पूवव्त यापी कराधान
संशोधन’ (Retrospective Taxation Amendment) को वापस लेने का तनणतय ककया गया िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
भारत सरकार द्वारा वषत 2012 में आयकर अधधतनयम में पव
ू व्त यापी संशोधन ककया गया था। यि संशोधन सप्र
ु ीम
कोटत द्वारा हदए गए एक फैसले की प्रततकक्रया में ककया गया था। इस फैसले में शीषत अदालत ने किा था, कक
वोिाफोन पर वषत 2007 में ककए गए लेनदे न के मलए कर निीं लगाया जा सकता िै । ज्ञात िो कक, वोिाफोन ने
11 अरब िॉलर में ‘िधचसन व्िामपोआ’ (Hutchison Whampoa) कंपनी में 67 प्रततशत हिस्सेदारी की खरीदी थी,
क्जस पर भारतीय आयकर ववभाग ने ‘कर’ की मांग की थी।
'संप्रिुता' (Sovereignty) का तात्पयभ:
संप्रभु शक्तत का क़ानून वि िोता िै , क्जसे दे श के संववधान द्वारा मान्यता प्रातत ककसी अन्य शक्तत द्वारा रोका
या रद्द निीं ककया जा सकता िै ।
िारत में 'कराधान का संप्रिु अगधकार' क्या है?
भारतीय संववधान में , सरकार को व्यक्ततयों और संगठनों पर कर लगाने का अधधकार प्रदान ककया गया िै ,
लेककन साथ में यि भी स्पष्ट्ट ककया गया िै , कक विगधक प्रागधकारी के अलािा ककसी को िी कर लगाने या
िसूलने का अगधकार नहीं िै। ककसी भी लगाए जाने वाले ‘कर’ का आधार ववधातयका या संसद द्वारा पाररत
कानून िोना चाहिए।
पि
ू व्भ यापी व्यिस्था को रद्द करने से लाि:
1. पूवव्त यापी व्यवस्था को िटाने से, उन कंपतनयों को एक ‘स्पष्ट्ट एवं पूवातनुमेय कराधान कानून’ और इरादे
को हदखाया गया िै , जो दे श में कारोबार करते समय अपनी पररसंपवत्तयों का तनमातण कर सकती िैं।
2. सरकार का यि कदम, उन दे शों की कंपतनयों के मलए ‘सौदा’ करने के संदभत में भी स्पष्ट्टता प्रदान
करता िै , जिाँ ये ‘सौदे ’ ककसी भी ‘कर संधध लाभ’ (Tax Treaty Benefits) के अंतगतत निीं आते िैं।
3. कंपतनयां ‘मध्यस्थता’ अधधकरणों में दायर मुकदमों (2012 से पिले के मामलों के मलए) को वापस लेने
से, अक्जतत लाभ को अपने पास रख सकती िैं, और उनके द्वारा पिले से भुगतान की जा चुकी, या कर-
मांग के संदभत में समायोक्जत की जा चुकी ‘कर-रामश’ को वापस कर हदया जाएगा।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
तया आप जानते िैं, कक समवती सूची के तित, करों के संदभत में कोई पथ
ृ क प्रमख
ु निीं िै , अथातत, संघ और
राज्यों के पास कराधान की कोई समवती शक्तत निीं िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. पूवव्त यापी कराधान तया िै?
2. इसे भारत में कब लागू ककया गया था?
3. नए कर कौन लगा सकता िै ?
4. नवीनतम संशोधन
में स ललंक: भारत में पव
ू व्त यापी कराधान से संबंधधत मद्
ु दों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

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विषय:ववमभन्न घटकों के बीच शक्ततयों का पथ
ृ तकरण, वववाद तनवारण तंत्र तथा संस्थान।
1. ‘तनिारक तनरोध’ का प्रयोग केिल सािभजतनक अव्यिस्था को रोकने के ललए: सुप्रीमकोटभ
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘तनवारक तनरोध’ (Prevention Detention) के प्रयोग एवं प्रयोज्यता
पर एक आदे श पाररत ककया गया िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत ममलने के कुछ िी समय बाद ‘तेलग
ं ाना खतरनाक गततविगध रोकथाम
अगधतनयम’ (Telangana Prevention of Dangerous Activities Act) के तित ‘तनवारक तनरोध’ में रखे गए एक
व्यक्तत की पत्नी द्वारा दायर अपील पर सन
ु वाई करने के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा यि फैसला सन
ु ाया
गया।
र्ीषभ अदालत द्िारा की गई हटप्पखणयाँ:
• ‘तनवारक तनरोध’ का प्रयोग केवल सावतजतनक अव्यवस्था को रोकने के मलए ककया जा सकता िै ।
• राज्य को सभी और छोटी-मोटी "कानून और व्यवस्था" समस्याओं, क्जन्िें दे श के सामान्य कानूनों द्वारा
तनपटाया जा सकता िै , से तनपटने िे तु मनमाने ढं ग से "तनवारक तनरोध" का सिारा निीं लेना चाहिए।
• साथ िी, अदालतों को यि सुतनक्श्चत कर लेना चाहिए कक उनके समक्ष प्रस्तुत ककए गए त्य, सीधे और
अतनवायतताः आम जनता या ककसी भी वगत के मध्य अतनष्ट्ट, खतरा, बेचैनी या असरु क्षा की भावना पैदा
करने वाले िैं।
• ‘तनवारक तनरोध’, अनुच्छे द 22 (मनमाने ढं ग से धगरफ्तारी और तनरोध के णखलाफ सुरक्षा) सहित
अनुच्छे द 21 (ववधधसपमत प्रकक्रया) की चारो सीमाओं और ववचाराधीन क़ानून के अंतगतत िोना चाहिए।
समय की मांग:
‘नागररक-स्वतंत्रता’, िमारे पूवज
त ों द्वारा काफी लंब,े ऐततिामसक और कहठन संघषों के बाद िामसल ककया गया
सबसे मित्वपण
ू त अधधकार िै। अताः, िमें ‘तनवारक तनरोध’ क़ानन
ू की शक्तत को बिुत संकीणत सीमाओं तक
सीममत रखना चाहिए, अन्यथा िमारे दे श और संववधान के संस्थापक पुरखों, क्जन्िोंने स्वतंत्रता सेनानी के रूप
में लंबे और कहठन संघषों के बाद ‘स्वतंत्रता का मिान अधधकार’ िामसल ककया था, वि तनरथतक िो जाएगा।
‘तनिारक तनरोध’ क्या है?
• तनवारक तनरोध (Preventive Detention) के अंतगतत, ककसी व्यक्तत को, उसके मलए भववष्ट्य में अपराध
करने से रोकने और/या उसके भववष्ट्य में अमभयोजन से बच कर भागने से रोकने िे तु, हिरासत में (कैद
करना) रखा जाता िै ।
• संविधान के अनुच्छे द 22 (3) (b) में , राज्य की सुरक्षा और सावतजतनक व्यवस्था संबंधी कारणों से
‘व्यक्ततगत स्वतंत्रता’ पर तनवारक तनरोध और प्रततबंध लगाने की अनम
ु तत का प्रावधान ककया गया िै ।
इस कानून के तहत ककसी व्यम्क्त को कब तक कैद ककया जा सकता है ?
• अनुच्छे द 22(4) के अनुसार, तनवारक तनरोध का उपबंध करने वाली कोई ववधध ककसी व्यक्तत का तीन
मास से अधधक अवधध के मलए तब तक तनरुद्ध ककया जाना प्राधधकृत निीं करे गी जब तक कक— एक
सलािकार बोित, तीन मास की उतत अवधध के तनरोध को आगे बढ़ाने के मलए पयाततत कारणों का
प्रततवेदन निीं करता िै ।
• 44िें संर्ोधन अगधतनयम, 1978 के द्वारा ‘सलािकार बोित’ की राय प्रातत ककए बबना नजरबंदी की
अवधध को तीन मिीने से घटाकर दो मिीने कर हदया गया िै । िालाँकक, यि प्रावधान अभी तक लागू निीं
ककया गया िै , इसमलए, तीन मिीने की मल
ू अवधध का प्रावधान अभी भी जारी िै ।
‘तनिारक तनरोध’ का उद्दे श्य:
1. ‘मररयप्पन बनाम म्जला कलेक्टर एिं अन्य’ मामले में, अदालत के फैसलेके अनुसार, ‘नजरबंदी’ और
इसके कानूनों का उद्दे श्य ककसी को दं डित करना निीं िै , बक्ल्क कुछ अपराधों को िोने से रोकना िै ।
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2. ‘यूतनयन ऑफ इंडिया बनाम पॉल नातनकन एिं अन्य’ मामले में , उच्चतम न्यायालय के अनुसार, इस
तरि की ‘नजरबंदी’ का तकत, वैध प्रमाण द्वारा उधचत ठिराए गए ककसी आपराधधक दोषमसद्धध पर
आधाररत िोने के बजाय मात्र संदेि या पयाततत संभावना पर आधाररत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक यहद ककसी व्यक्तत को तनवारक तनरोध के तित
धगरफ्तार या हिरासत में मलए जाने पर, उसे अनुच्छे द 22 (1) और 22(2) के
तित धगरफ्तारी और हिरासत से सुरक्षा उपलधध निीं िोती िै ? इस प्रकार से
हिरासत में मलए गए व्यक्ततयों को कौन से अन्य अधधकार उपलधध निीं िोते
िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. तनवारक तनरोध तया िै ?
2. तनवारक तनरोध से संबंधधत संवैधातनक प्रावधान
3. ‘तनवारक तनरोध’ लागू करने वाले कानून
4. अनुच्छे द 22 और इसके उपबंधों का अवलोकन
5. 44वें संशोधन अधधतनयम, 1978 - मसंिावलोकन।
में स ललंक: दे श में ‘तनवारक तनरोध कानन
ू ’ के कायातन्वयन से संबंधधत मद्
ु दों और धचंताओं पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. न्यायाधीर्ों का सुनिाई से इंकार या ‘न्यातयक तनरहभता’


संदिभ: िाल िी में , भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण (N.V. Ramana) ने आंध्र प्रदे श और तेलंगाना के बीच
कृष्ट्णा जल वििाद की सुनवाई से खुद को अलग कर मलया। आंध्र प्रदे श राज्य द्वारा तेलंगाना के णखलाफ एक
याधचका दायर की गई िै , क्जसमे आंध्र प्रदे श ने आरोप लगाया िै , कक तेलंगाना, उसके राज्य-वामसयों को पीने
और मसंचाई के उद्दे श्यों के मलए कृष्ट्णा नदी के पानी के उनके वैध हिस्से से वंधचत कर रिा िै ।
सुनिाई से अलग होने का कारण:
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण मूलताः अववभाक्जत आंध्र प्रदे श के रिने वाले िैं। वपछली सुनवाई में मुख्य
न्यायाधीश ने किा कक वि आंध्र प्रदे श और तेलंगाना दोनों राज्यों से िैं, और इसमलए वि दोनों राज्यों के मध्य
कानूनी मुद्दों पर मामले की सुनवाई निीं कर सकते ।
संबंगधत प्रकरण:
आंध्र प्रदे श ने तेलंगाना पर ‘आंध्र प्रदे र् पुनगभठन अगधतनयम 2014’ के तित गहठत ‘र्ीषभ पररषद’ (Apex Council)
में ‘नदी जल प्रबंधन’ के संबंध में मलए गए तनणतयों का पालन करने से इंकार करने का आरोप लगाया िै । आंध्र
प्रदे श का किना िै , कक तेलग
ं ाना, 2014 के अधधतनयम और केंद्र सरकार के तनदे श के तित गहठत ‘कृष्ट्णा नदी
प्रबंधन बोित’ (Krishna River Management Board - KRMB) के तनदे शों की भी अनदे खा कर रिा िै ।
‘न्यातयक तनरहभता’ अथिा ‘सुनिाई से इंकार’ (Recusal of Judges) का तात्पयभ:
ककसी पीठासीन न्यायातयक अधधकारी अथवा प्रशासतनक अधधकारी द्वारा हितों के टकराव के कारण ककसी
न्यातयक सुनवाई अथवा आधधकाररक कारत वाई में भागीदारी से इंकार करने को न्यातयक तनरितता (Judicial
disqualification), ‘सन
ु वाई से इंकार’ करना अथवा ‘ररतयज
ु ल’ (Recusal) किा जाता िै ।
‘सुनिाई से इंकार’ करने हे तु सामान्य आधार:
1. ककसी तकतशील तनष्ट्पक्ष पयतवेक्षक को लगता िै कक, न्यायाधीश ककसी एक पक्षकार के प्रतत सद्भाव
रखता िै , अथवा अन्य पक्षकार के प्रतत द्वेषपण
ू त िै , अथवा न्यायाधीश ककसी के प्रतत पक्षपाती िो सकता
िै ।
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2. न्यायाधीश का मामले में व्यक्ततगत हित िै अथवा वि मामले में व्यक्ततगत हित रखने वाले ककसी
व्यक्तत से संबंध रखता िै ।
3. न्यायाधीश की पष्ट्ृ ठभमू म अथवा अनभ
ु व, जैसे कक न्यायाधीश के वकील के रूप में ककये गए पव
ू त कायत।
4. मामले से संबंधधत त्यों अथवा पक्षकारों से व्यक्ततगत तौर पर पररचय।
5. वकीलों या गैर वकीलों के साथ-एक पक्षीय संवाद।
6. न्यायाधीशों के अधधतनणतय, हटतपणणयां अथवा आचरण।
इस संबंध में क़ानून:
न्यायाधीशों द्वारा ‘सन
ु वाई से इंकार’ करने संबंधी कोई तनक्श्चत तनयम तनधातररत निीं िैं।
िालाँकक, सवोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा पद की शपथ लेने के समय, न्याय करने
िे तु ‘बबना ककसी िर या पक्षपात, लगाव या वैमनस्य के’ अपने कततव्यों को तनभाने का वादा ककया जाता िै ।
इस विषय पर सिोच्च न्यायालय की हटप्पणी:
जक्स्टस जे चेलमेश्वर ने सप्र
ु ीम कोटभ एििोकेट्स-ऑन-ररकॉिभ एसोलसएर्न बनाम िारत संघ (2015) मामले में
अपनी राय दी थी कक ’जिां भी ककसी न्यायाधीश के आधथतक हित प्रतीत िोते िै , विां पक्षपात संबध
ं ी ककसी
‘वास्तववक खतरे ’ अथवा ‘तकतपूणत संदेि’ की जांच की आवश्यकता निीं िै ।
‘सुनिाई से इंकार’ से संबंधधत धचंताएं एवं मुद्दे :
1. न्यायाधीश द्वारा ‘सन
ु वाई से इंकार’ करने से ‘वादी पक्ष’ (litigants) को अपनी पसंद की न्यातयक पीठ
चुनने का अवसर ममल जाता िै , क्जससे न्यातयक तनष्ट्पक्षता भंग िो सकती िै ।
2. यि न्यायाधीशों की स्वतंत्रता और तनष्ट्पक्षता, दोनों को कमजोर करता िै और इन पर प्रश्नधचह्न उठाता
िै ।
3. न्यायाधीश द्वारा ककसी मामले की सुनवाई से खद
ु को अलग करने के संबंध में कोई तनयम तनधातररत
निीं िैं। इस संदभत में , एक िी क्स्थतत की केवल अलग-अलग व्याख्याएँ िैं।
4. ‘सुनवाई से इंकार’ करने से अदालतों की कायतवािी में बाधा उत्पन्न िो सकती िै और इसमें ववलंब िो
सकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु भारतीय संववधान में संघ और राज्य, दोनों कानन
ू ों को प्रशामसत करने िे तु न्यायालयों की एकल
एकीकृत प्रणाली का प्रावधान मलया गया िै । इसका तया तात्पयत िै ? तया उच्च न्यायालय, सवोच्च न्यायालय के
अधीनस्थ िोते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

3. अदालतों में बढ़ती हुई ररम्क्तयां


संदिभ: सवोच्च न्यायालय ने वपछले कुछ हदनों से, उच्च न्यायालयों और न्यायाधधकरणों में ररक्ततयों की बढ़ती
िुई संख्या के प्रतत सरकार के उदासीन रवैये पर धचंता व्यतत की िै ।
1 अगस्त को उच्च न्यायालयों में ररक्ततयों की संख्या आश्चयतजनक ढं ग से 455 पिुँच चुकी थी।
संबंगधत गचंताएं: अदालत ने इस संदभत में धचंता वयकत करते िुए किा िै , कक उच्च न्यायालयों में तनयुक्ततयां
करने में केंद्र सरकार द्वारा की जा रिी दे री से वाणणक्ज्यक मामलों से संबंधधत वववादों के तनणतय पर प्रततकूल
प्रभाव पड़ रिा िै ।
उच्च न्यायालयों एिं तनचली अदालतों में ररम्क्तयों की संख्या बढ़ने के कारण:
1. तनचली अदालतों में बढ़ती हुई ररम्क्तयों का एक प्रमख
ु कारण तनयुक्तत प्रकक्रया में प्रणालीगत दोष िै ।
उदािरण के मलए, जब अदालतों में ररक्ततयां उत्पन्न िोती िैं, तो उन्िें भरने के मलए अतसर पयाततत रूप
से परीक्षाएं से आयोक्जत निीं की जाती िैं, और जब भी परीक्षा िो भी जाती िै , तो उच्च न्यायालय
अतसर ववज्ञावपत ररक्ततयों को भरने के मलए पयाततत मेधावी उपमीदवारों को खोजने में असमथत रिते िैं।
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2. तनयुक्तत प्रकक्रया को समय पर संचामलत करने के मलए एक सरासर सुस्त रवैया भी ररक्ततयों की संख्या
में वद्
ृ धध का एक और कारण िै ।
3. अस्पष्ट्ट भती प्रकक्रया, तथा उच्च न्यायालय और राज्य लोक सेवा आयोग के बीच समन्वय में िोने
वाली कहठनाइयों की वजि से अतसर भती को लेकर वववाद और मुकदमा प्रकक्रया शुरू िो जाती िै ,
क्जससे भती की प्रकक्रया कफर से रुक जाती िै ।
4. तनयुक्तत प्रकक्रया पर बिुत कम मात्रात्मक और गण
ु ात्मक िेटा उपलधध िै , और इस क्षेत्र में कोई
प्रभावशाली सुधार सामने निीं आया िै ।
5. इसके अलावा, यि पाया गया िै कक समस्या का स्रोत अतसर, कोटत रूम से लेकर जजों के आवास तक,
खराब बुतनयादी ढांचे में िोता िै ।
प्रिाि और तनहहताथभ:
1. अदालतों में लंबबत मामलों की संख्या में वद्
ृ धध।
2. आवश्यक मानव संसाधनों और ववत्तीय संसाधनों को आवंहटत करने में कोई भी ववफलता अधीनस्थ
न्यायालयों में न्यातयक कायत को पंगु बना दे ती िै ।
3. अद्लातों में ररक्ततयों की वजि से गरीब वाहदयों (litigants) और ववचाराधीन कैहदयों को तनराशा
झेलनी पड़ती िै , क्जन्िें न्यातयक दे री के कारण सबसे अधधक नुकसान उठाना पड़ता िै ।
4. ररक्ततयों के कारण, क्जले में कायतरत शेष न्यायाधीशों के मलए अधधक काम िो जाता िै ।
5. ररक्ततयों के कारण मामलों का भारी बोझ िोने की वजि से न्यायाधीशों को अलग-अलग मामलों पर
ववचार करने के मलए कम समय ममलता िै , क्जससे न्याय की गुणवत्ता पर धचंताजनक प्रभाव पड़ता िै ।
आिश्यकता:
1. इन न्यायाधीशों की सिायता िे तु लोक सेवा आयोगों के मलए आवश्यक कमतचाररयों की भती करनी
चाहिए, और राज्य सरकारों को अधधक अदालतों का तनमातण करना चाहिए या नए न्यायाधीशों के मलए
कायत स्थान उपलधध कराना चाहिए।
2. ररक्ततयों को भरने के मलए न्यायाधीशों की भती भी गंभीरता से शुरू की जानी चाहिए।
3. तनयक्ु ततयां करने की एक सिज और समयबद्ध प्रकक्रया िे त,ु उच्च न्यायालयों और राज्य लोक सेवा
आयोगों के बीच घतनष्ट्ठ समन्वय की आवश्यकता िै ।
4. संबंधधत राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों द्वारा इस समन्वय को यथासंभव सवोत्तम तरीके से
कायातक्न्वत ककया जाना चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आपने ‘संयत
ु त राज्य लोक सेवा आयोग’ के बारे में सन
ु ा िै ? इसे ककसके द्वारा गहठत ककया जाता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘कॉलेक्जयम’ तया िै ?
2. सवोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की तनयक्ु तत ककस प्रकार की जाती िै ?
3. सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीशों की तनयुक्तत
4. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
5. शक्ततयां और कायत
में स ललंक:
न्यायाधीशों की तनयक्ु तत िेतु ‘कॉलेक्जयम प्रणाली’ से जड़
ु े मद्
ु दों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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4. आपराधधक कानन
ू सध
ु ार
संदिभ: राष्ट्रीय मानवाधधकार आयोग (NHRC) के तित ववशेषज्ञों के एक समूि द्वारा "त्वररत न्याय सतु नक्श्चत
करने िे तु आपराधधक न्याय प्रणाली में सध
ु ारों की धीमी गतत पर गंभीर धचंता व्यतत की गयी िै "।
ितभमान गचंताएं/चन
ु ौततयां:
1. मामलों के तनपटारे में िोने वाली दे री से ववचाराधीन कैहदयों और दोवषयों के मानवाधधकारों का उल्लंघन
िोता िै ।
2. पुमलस सुधारों पर सुप्रीम कोटत के तनदे शों के बावजूद, जमीन पर शायद िी कोई बदलाव िुआ िो।
3. ककसी व्यक्तत को दोषी ठिराने वाले न्यायालय के आदे शों को लागू िोने में भी वषों का समय लग रिा
िै ।
सुझाए गए सध
ु ार:
1. प्रत्येक पुमलस थाने में मामलों की भीड़ को कम करने िे तु, भारतीय दं ि संहिता के तित कुछ अपराधों
को ववशेष कानन
ू और फास्ट रै क अदालतों में तनपटाया जा सकता िै ।
2. दस्तावेजों के डिक्जटलीकरण ककया जाना चाहिए, इस से जांच और सुनवाई में तेजी लाने में मदद
ममलेगी।
3. नए अपराधों का तनमातण और अपराधों के मौजूदा वगीकरण के नवीनीकरण को आपराधधक न्यायशास्त्र
के मसद्धांतों द्वारा तनदे मशत ककया जाना चाहिए जोकक वपछले चार दशकों में काफी िद तक बदल चक
ु े
िैं।
4. अपराधों का वगीकरण इस तरि से ककया जाना चाहिए , जोकक भववष्ट्य में अपराधों के प्रबंधन के
अनुकूल रिे ।
5. एक िी प्रकृतत के अपराधों के मलए अलग-अलग सजा की मात्रा और प्रकृतत को तय करने में न्यायाधीशों
के तनणतय, न्यातयक उदािरणों के मसद्धांतों पर आधाररत िोने चाहिए।
िारत में आपरागधक कानून:
भारत में प्रचमलत आपराधधक कानून कई स्रोतों में तनहित िै - िारतीय दं ि संहहता, 1860, नागररक अगधकार
अगधतनयम, 1955, दहे ज तनषेध अगधतनयम, 1961 तथा अनुसूगचत जातत और अनुसूगचत जनजातत (अत्याचार
तनिारण) अगधतनयम, 1989।
• आपराधधक न्याय प्रणाली, स्थावपत कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर दं ि लगा सकती िै ।
• आपराधधक कानून और आपराधधक प्रकक्रया संववधान की सातवीं अनुसच
ू ी की समवती सूची में सक्पममलत
िैं।
• लॉित थॉमस बबबंगटन मैकाले (Lord Thomas Babington Macaulay) को भारत में आपराधधक कानूनों के
संहिताकरण का मुख्य वास्तुकार किा जाता िै ।
सुधारों की आिश्यकता:
• औपतनवेमशक युग के कानून।
• प्रभाविीनता।
• अतनणीत मामलों की भार संख्या।
• वि
ृ द अमभयोगाधीन मामले।
आपरागधक कानून में सुधार हे तु सलमतत:
• गि
ृ मंत्रालय (MHA) द्वारा आपराधधक कानून में सुधार करने िे तु एक राष्ट्रीय स्तर की सममतत का
गठन ककया िै ।
• इस सममतत के अध्यक्ष रणबीर मसंि (कुलपतत,नेशनल लॉ यूतनवमसतटी हदल्ली) िैं।

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• यि सममतत, सरकार को दी जाने वाली ररपोटत के मलए, ववशेषज्ञों से ऑनलाइन परामशत करके ववचार
एकत्र करे गी और उपलधध सामग्री का ममलान करे गी।
आपरागधक कानन
ू ों से संबंगधत वपछली सलमततयाँ:
• माधि मेनन सलमतत: इसने 2007 में CJSI में सुधारों पर ववमभन्न मसफाररशों का सुझाव दे ते िुए अपनी
ररपोटत प्रस्तुत की।
• मललमथ कमेटी की ररपोटभ : इसने अपनी ररपोटत 2003 में आपरागधक न्याय प्रणाली (CJSI) पर प्रस्तुत
की।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
पुमलस सुधारों पर सुप्रीम कोटत द्वारा वषत 2006 में हदए गए फैसले के बारे में यिां पढ़ें ।
स्रोत: द हिंद।ू

5. जांच एजेंलसयों में जनर्म्क्त की कमी


संदिभ:
सुप्रीम कोटत द्वारा, वततमान और पूव,त सभी सांसदों और ववधायकों के णखलाफ वषों से लंबबत सैकड़ों आपराधधक
मामलों के बारे में एक याधचका पर सुनवाई की जा रिी िै ।
सन
ु वाई के दौरान, शीषत अदालत द्वारा ‘केंद्रीय अन्वेषण धयरू ो’ (CBI) जैसी जांच एजेंमसयों में लंबबत ररक्ततयों पर
तनपनमलणखत हटतपणणयां की गयीं।
● न्यायपामलका की तरि जांच एजेंमसयों को भी जनशक्तत और बुतनयादी ढांचे की कमी का सामना करना
पड़ता िै ।
● इन पर काम का भार काफी ज्यादा िै । उदािरण के मलए, एक रायल कोटत लगभग 1,000 मामलों को
संभालता िै ।
● इनमें से कुछ मामले, क्जनकी सीबीआई और ‘प्रवततन तनदे शालय’ (Enforcement Directorate - ED) जैसी
एजेंमसयों द्वारा जांच की जा रिी िै , एक दशक से अधधक समय से लंबबत िैं।
विगध-तनमाभताओं के खखलाफ लंबबत मामलों संबध
ं ी आंकड़े:
1. 51 सांसद और 71 ववधायक, ‘धन शोधन तनवारण अधधतनयम’ 2002 (Prevention of Money Laundering
Act (PMLA) 2002) के तित अपराध में आरोपी िैं।
2. दे श भर में सीबीआई अदालतों में सांसदों और ववधायकों के णखलाफ लंबबत 121 मामलों में से 58
मामलों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान िै ।
3. इनके णखलाफ 45 मामलों में अभी तक आरोप भी तय निीं िुए िैं, जबकक कधथत तौर पर ये अपराध
कई साल पिले ककए गए थे।
4. ववधध-तनमातताओं के णखलाफ सीबीआई के कुल 37 मामले वषों से जांच के चरण में िी चल रिे िै ।
अक्सर होने िाली दे री के ललए कारण और चुनौततयाँ:
1. उच्च न्यायालयों द्वारा िस्तक्षेप और मुकदमे की सुनवाई पर लगाई गई रोक।
2. ‘प्रवततन तनदे शालय’ (ED) द्वारा अन्वेवषत ककए जाने वाले मामलों में अवरोध उत्पन्न िोना, तयोंकक इनमे
से कुछ मामले ववदे शों के ‘टै तस िै वन’ तक फैले िुए िै, और इन दे शों द्वारा जांच में सियोग करने से
इनकार कर हदया गया।
3. ववशेष रूप से सांसदों/ववधायकों के णखलाफ मामलों की सन
ु वाई के मलए अपयाततत ववशेष अदालतें ।
4. अमभयोजन में अमभयोतताओं और गवािों की कमी।
5. ववलंबबत जांच।

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इस प्रकार के मामलों से संबंगधत सुप्रीम कोटभ द्िारा जारी आदे र्:
● 2017 में , सुप्रीम कोटत ने सांसदों के लंबे समय से लंबबत मुकदमों को तेजी से रै क करने के मलए दे श भर
में ववशेष अदालतें स्थावपत करने का आदे श हदया था।
● फरवरी 2020 में , सुप्रीम कोटत ने राजनीततक दलों को ववधानसभा और लोकसभा चुनावों के मलए अपने
उपमीदवारों के पूरे आपराधधक इततिास को प्रकामशत करने का आदे श हदया था,
● साथ िी, शीषत अदालत ने आदे श दे ते िर किा था, कक लंबबत मामलों के वववरण के साथ, राजनीततक
दलों के मलए, ‘इस प्रकार के उपमीदवारों के चयन के कारणों को भी प्रकामशत करना िोगा, तथा साथ िी
यि भी स्पष्ट्ट करना िोगा कक उनके द्वारा गैर-आपराधधक पष्ट्ृ ठभमू मयों के उपमीदवारों तयों निीं चन
ु ा
गया था।
समय की मांग:
1. उच्चतम न्यायालय को एक न्यातयक आदे श पाररत करना चाहिए, क्जसमें तनचली अदालतों को लंबबत
मुकदमे की कायतवािी को "अतनवायत समयबद्ध तरीके से" संभवताः अगले छि मिीनों के भीतर, पूरा
करने का तनदे श हदया जाए।
2. प्रत्येक ‘रायल कोटत ’ के समक्ष मामलों की संख्या को "तकतसंगत" करने का प्रयास ककया जाना चाहिए।
3. ववधध-तनमातताओं से जुड़े आपराधधक मक
ु दमों पर प्रगतत की तनगरानी िे तु, शीघ्र िी ववशेष अदालतों सहित
एक तंत्र स्थावपत ककया जाना चाहिए।
4. िाल िी में अदालत ने यि भी तनदे श हदया था, कक ककसी सांसद या ववधायक के णखलाफ आपराधधक
मामला संबंधधत उच्च न्यायालय की सिमतत के बाद िी वापस मलया जा सकता िै ।
5. राजनीततक दलों को चाहिए कक वे खद
ु दागी लोगों को हटकट दे ने से मना कर दें ।
6. जन-प्रतततनधधत्व अधधतनयम में संशोधन ककया जाना चाहिए ताकक उन लोगों को चुनाव लड़ने से रोका
जा सके क्जनके णखलाफ जघन्य प्रकृतत के मामले लंबबत िैं।
7. भारत के चुनाव आयोग (ECI) के मलए ‘राजनीततक दलों के ववत्तीय खातों की लेखा परीक्षा करने की
शक्तत’ प्रदान की जानी चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञास:ु ववमभन्न राज्य सरकारों द्वार दं ि प्रकक्रया संहिता की धारा 321 के तित तनहित शक्तत का उपयोग
करते िुए सांसद / ववधायक के णखलाफ लंबबत कई आपराधधक मामलों को वापस मलया गया िै । इस धारा के
तया प्रावधान ककए गए िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:संसद और राज्य ववधातयका- संरचना, कायत, कायत-संचालन, शक्ततयाँ एवं ववशेषाधधकार और इनसे उत्पन्न
िोने वाले ववषय।
1. ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS)
संदिभ: िाल िी में , केंद्र सरकार ने जानकारी दे ते िुए किा िै , कक सरकार, ववत्तीय वषत 2021 और 2122 के मलए
‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र ववकास योजना’ (MP Local Area Development Scheme - MPLADS) के तित कफर से
‘तनधध’ जारी करने संबध
ं ी ककसी भी प्रस्ताव पर ववचार निीं कर रिी िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
सरकार द्वारा अप्रैल, 2020 में ववत्तीय वषत 2020-21 और 2021-22 के मलए ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र ववकास
योजना’ (MPLADS) को जारी निीं करने का तनणतय मलया गया था; और इन दो वषो के दौरान MPLAD योजना के
तित जारी की जाने वाली रामश को, लोगों की आकक्स्मक जरूरतों को पूरा करने िे तु, ववत्त मंत्रालय के तनयंत्रण
में रख हदया गया था।

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इस योजना के तित ववत्तीय वषत 2018-19 के दौरान ₹5,012 करोड़ खचत ककए गए, जबकक ववत्तीय वषत 2019-20
में योजना के तित मात्र ₹2,491.45 करोड़ खचत ककए गए थे।
इस रालर् का उपयोग:
सरकार के अनुसार, MPLAD योजना से बचाई गई धनरामश का उपयोग, स्वास््य संबंधी बुतनयादी ढांचे में सध
ु ार
िे तु धन-आवंटन में वद्
ृ धध करने, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के तित तनाःशुल्क राशन प्रदान करने और
लोगों के मफ्
ु त टीकाकरण के मलए ककया गया िै ।
‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS) के बारे में :
इस योजना की शरु
ु आत हदसंबर, 1993 में की गयी थी।
• इसका उद्दे श्य संसद सदस्यों के मलए, स्थानीय जरूरतों के
आधार पर सामुदातयक अवसंरचनाओं सहित मूलभूत
सवु वधाओं और स्थाई सामद
ु ातयक पररसंपवत्तयों का
ववतनमातण करने के मलए विकासात्मक प्रकृतत के कायों की
लसफाररर् करने हे त,ु एक तंत्र प्रदान करना था।
• MPLAD योजना, पूरी तरि से िारत सरकार द्िारा वित्त
पोवषत योजना िै ।
• इसके तित प्रत्येक संसदीय क्षेत्र को वावषतक रूप से 5 करोड़
रुपए की MPLADS तनधध प्रदान की जाती िै ।
विर्ेष फोकस:
सांसदों के मलए, वावषतक रूप से दी जाने वाली MPLADS तनधध की न्यन
ू तम 15 प्रततशत रामश अनस
ु धू चत जातत
की आबादी वाले क्षेत्रों में , तथा 7.5 प्रततशत रामश अनस
ु ूधचत जनजातत की आबादी वाले क्षेत्रों में कराए जाने वाले
कायों पर व्यय करना अतनवायत िै ।
तनगधयां जारी करना:
इस योजना के तित, सांसद तनधध, सीधे म्जला अगधकाररयों को सहायता अनुदान (Grants- in-Aid) के रूप में
जारी की जाती िै ।
• योजना के तित जारी की गयी तनधध गैर-व्यपगत (Non-Lapsable) िोती िै ।
• यहद ककसी ववशेष वषत में तनधध जारी निीं जाती िै तो इसे पात्रता के अनुसार, अगले वषो में कराए जाने
वालों कायों में जोड़ हदया जाएगा। इस योजना के तित सांसदों की िूलमका अनस
ु ंर्ा करने की िोती िै ।
• इस योजना के तित, सांसदों की भमू मका मात्र मसफ़ाररशी िोती िै ।
• म्जला प्रागधकरण के ललए, कायों संबंधी पात्रता की जांच करने, तनधध स्वीकृत करने और कायातन्वयन िे तु
एजेंमसयों का चयन करने, कायों को प्राथममकता दे ने, समग्र तनष्ट्पादन का तनरीक्षण करने और योजना
की जमीनी स्तर पर तनगरानी करने का अगधकार होता है
• क्जला प्राधधकरण द्वारा, सपबंधधत म्जले में कायाभन्ितयत की जा रही कम से कम 10% पररयोजनाओं का
प्रतत िषभ तनरीक्षण ककया जाएगा।
कायों के ललए अनुसंर्ा:
1. लोकसभा सदस्य अपने संबधं धत तनवातचन क्षेत्रों में कराए जाने वाले कायों की मसफाररश कर सकते िैं।
2. राज्यसभा के तनवातधचत सदस्य, संबंधधत राज्य में किीं भी कराए जाने वाले कायों की मसफाररश कर
सकते िैं।
3. लोकसभा और राज्यसभा के नाममत सदस्य, दे श में किीं भी कराए जाने वाले कायों का चयन व
मसफाररश कर सकते िैं।

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प्रीललभस ललंक:
1. MPLAD योजना, ‘सांसद आदशत ग्राम योजना’ से ककस प्रकार संबद्ध िै ?
2. मनोनीत सांसद द्वारा कायों की मसफाररश ककन क्षेत्रों में की जा सकती िै ?
3. तया योजना के तित, एससी और एसटी कल्याण पर कोई ववशेष ध्यान हदया जाता िै ?
4. अनुदान और ऋण के बीच अंतर?
5. कायातन्वयन करने वाली एजेंमसयां
में स ललंक: तया MPLADS द्वारा सावतजतनक सेवाओं को प्रदान ककए जाने वाले प्रावधानों में मौजद
ू ा अंतराल को
पाटने में सिायता की गयी िै ? आलोचनात्मक परीक्षण कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. लोक लेखा सलमतत (PAC)


संदिभ: कांग्रेस नेता अधीर रं जन चौधरी की अध्यक्षता में ‘लोक लेखा सममतत’ (Public Accounts Committe - PAC)
श्रीनगर, कारधगल, लेि और द्रास के चार हदवसीय दौरे पर जा रिी िै ।
संबंगधत प्रकरण:
‘लोक लेखा सममतत’ का यि दौरा, सेना के जवानों के मलए "उच्च तग
ंु ता क्षेत्रों के मलए उपयत
ु त कपड़े, उपकरण,
राशन और आवास" संबंधी ववषय पर ‘भारत के तनयंत्रक और मिालेखा परीक्षक’ (CAG) द्वारा वषत 2019 में
प्रस्तुत ररपोटत के संबध
ं में िै ।
CAG की इस ररपोटत में ‘उच्च तंग
ु ता क्षेत्रों के मलए उपयत
ु त कपड़ों और उपकरणों’ की खरीद में चार साल तक
की दे री के बारे में जानकरी दी गई थी, क्जसकी वजि से सेना को आवश्यक कपड़ों और उपकरणों की भारी कमी
से गुजरना पड़ा था।
लोक लेखा सलमतत (Public Accounts Committee- PAC):
1. लोक लेखा सममतत का गठन प्रततवषत ककया जाता िै । इसमें अगधकतम सदस्यों की संख्या 22 िोती िै ,
क्जनमें से 15 सदस्य लोकसिा से और 7 सदस्य राज्यसिा से चन
ु े जाते िैं।
2. इस सममतत के सदस्यों का कायतकाल एक वषत का िोता िै ।
3. सममतत के अध्यक्ष की तनयक्ु तत लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती िै । वषत 1967 से, सममतत के अध्यक्ष
का चयन, ववपक्ष के सदस्यों में से ककया जाता िै ।
4. इसका मुख्य कायभ तनयंत्रक-मिालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट ररपोटत को संसद में रखे जाने के बाद
इसकी जांच करना िै ।
लोक लेखा सलमतत की सीमाएं:
1. मोटे तौर पर, यि नीततगत सवालों में िस्तक्षेप निीं कर सकती िै ।
2. यि व्यय िोने के बाद िी, इन पर तनगरानी कर सकती िै । इसमें व्ययों को सीममत करने संबंधी कोई
शक्तत निीं िोती िै ।
3. यि हदन-प्रततहदन के प्रशासन के मामलों में िस्तक्षेप निीं कर सकती िै ।
4. सममतत द्वारा की जाने वाली अनुशंसाएं मात्र परामशी िोती िै । मंत्रालयों द्वारा इन मसफाररशों की उपेक्षा
भी की जा सकती िै ।
5. इसके मलए ववभागों द्वारा व्यय पर रोक लगाने की शक्तत निीं िोती िै ।
6. यि मात्र एक कायतकारी तनकाय िै और इसे कोई आदे श जारी करने की शक्तत निीं िै । इसके तनष्ट्कषों
पर केवल संसद िी अंततम तनणतय ले सकती िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक पिली बार लोक लेखा सममतत का गठन वषत 1921 में मोंटे ग्य-ू चेपसफोित
सुधारों के मद्दे नजर ककया गया था। स्रोत: द हिंद।ू
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3. नई सच
ू ना प्रौद्योगगकी (आईटी) तनयम
संदिभ: िाल िी में , सोशल मीडिया कंपनी ‘ट्ववटर’ द्वारा ‘नए सूचना प्रौद्योधगकी (आईटी) तनयमों’ (New
Information Technology (IT) Rules) के अनुपालन में एक ‘स्थायी मुख्य अनुपालन अधधकारी’ (Chief Compliance
Office - CCO), एक रे जीड़ेंट मशकायत अधधकारी (Resident Grievance Officer - RGO) और एक ‘नोिल संपकत
व्यक्तत’ (Nodal Contact Person) को तनयुतत ककया गया िै ।
संबंगधत प्रकरण:
िाल िी में , सुप्रीम कोटत ने ‘ट्ववटर’ द्वारा अदालत में पेश ककए गए अपने िलफनामे में ‘मुख्य अनुपालन
अधधकारी’ (CCO) की तनयुक्तत क्स्थतत को "अंतररम" से "आकक्स्मक" में बदलने पर आपवत्त व्यतत की थी।
आईटी तनयमों के अनुसार, CCO के रूप में एक वररष्ट्ठ कमतचारी की तनयुक्तत करना अतनवायत िै , लेककन ट्ववटर
ने ‘तीसरे पक्ष के ठे केदार’ के माध्यम से एक CCO के पद पर एक "आकक्स्मक कमतचारी" तनयुतत ककया था।
केंद्र सरकार द्वारा इस पर अपना ववरोध दजत ककया ककया गया िै ।
तनयमों के अनस
ु ार:
आईटी अधधतनयम, 2000 की धारा 2(1)(w) और आईटी तनयम 2021 के तित, ‘मित्वपूणत सोशल मीडिया
मध्यस्थ’ (Significant Social Media Intermediary - SSMI) के अथत में ‘ट्ववटर इंक’ तनक्श्चत रूप से एक
'मध्यस्थ' (Intermediary) िै।
आईटी तनयमों के अनुसार, ‘मित्वपूणत सोशल मीडिया मध्यस्थ’ (SSMI) के मलए एक ‘मुख्य अनुपालन अधधकारी’,
एक ‘नोिल अधधकारी’ और एक ‘मशकायत अधधकारी’ तनयत
ु त करना अतनवायत िै - और ये अधधकारी भारत का
तनवासी िोने चाहिए।
तनयमों के अनुपालन न करने की म्स्थतत में क्या होगा?
• ककसी भी रूप में तनयमों का अनप
ु ालन निीं करना, आईटी तनयमों के प्रावधानों का उल्लंघन िोगा,
क्जसके पररणामस्वरूप ‘ट्ववटर’ के मलए "मध्यस्थ" के रूप में प्रातत ‘प्रततरक्षा’ को िटाया जा सकता िै ।
• ‘मध्यस्थ’ दजात, सोशल मीडिया तलेटफ़ॉमत पर ककसी भी तीसरे पक्ष द्वारा पोस्ट ककए िेटा पर
उत्तरदातयत्व से प्रततरक्षा प्रदान करता िै । यि दजात निीं िोने पर, मशकायतों के मामले में ‘ट्ववटर’ पर
आपराधधक कारत वाई भी की जा सकती िै ।
पष्ट्ृ ठिलू म: इसी वषत 25 फरवरी को, केंद्र सरकार द्वारा सच
ू ना प्रौद्योगगकी अगधतनयम, 2000 की धारा 87 (2) के
तहत शक्ततयों के प्रयोग करते िुए और पूवत के सूचना प्रौद्योधगकी (मध्यस्थ) तनयम, 2011 का तनवततन करते
िुए, सूचना प्रौद्योगगकी (मध्यस्थ हदर्ातनदे र् एिं डिम्जटल मीडिया आचार संहहता) तनयम 2021 (Information
Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules 2021) तैयार ककए गए थे। ये तनयम
26 मई से लागू ककए गए िैं।
नए तनयमों का अिलोकन:
1. इन तनयमों के तित, दे श भर में ‘ओवर द टॉप’ (OTT) और डिक्जटल पोटत लों द्वारा एक ‘मशकायत
तनवारण प्रणाली’ गहठत करना अतनवायत ककया गया िै । उपयोगकतातओं के मलए सोशल मीडिया का
दरु
ु पयोग ककए जाने के णखलाफ अपनी मशकायत दजत कराने िे तु यि आवश्यक िै ।
2. मित्वपूणत सोशल मीडिया कंपतनयों के मलए ‘एक मुख्य अनुपालन अगधकारी’ (Chief Compliance Officer)
की तनयुक्तत करना अतनवायत िोगा, इसके साथ िी ये कंपतनयां एक नोिल संपकभ अगधकारी भी तनयत
ु त
करें गी, क्जससे कानून प्रवततन एजेंमसयां कभी भी संपकत कर सकेंगी।
3. लर्कायत अगधकारी (Grievance Officer): सोशल मीडिया तलेटफॉमत, एक मशकायत अधधकारी को भी
तनयत
ु त करें ग,े जो 24 घंटे के भीतर कोई भी संबधं धत मशकायत दजत करे गा और 15 हदनों में इसका
तनपटारा करे गा।

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4. सामग्री को हटाना (Removal of content): यहद ककसी उपयोगकतात, ववशेष रूप से महिलाओं की गररमा के
णखलाफ मशकायतें- व्यक्ततयों के तनजी अंगों या नग्नता या यौन कृत्य का प्रदशतन अथवा ककसी व्यक्तत
का प्रततरूपण आहद के बारे में - दजत कराई जाती िैं, तो ऐसी सामग्री को, सोशल मीडिया तलेटफॉमत को
मशकायत दजत करने के 24 घंटे के भीतर िटाना िोगा।
5. मालसक ररपोटभ : इनके मलए, िर मिीने प्रातत िोने वाली मशकायतों की संख्या और इनके तनवारण की
क्स्थतत के बारे में मामसक ररपोटत भी प्रकामशत करनी िोगी।
6. समाचार प्रकाशकों के मलए वितनयमन के तीन स्तर होंगे - स्व-ववतनयमन, ककसी सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश
या एक प्रततक्ष्ट्ठत व्यक्तत की अध्यक्षता में एक स्व-तनयामक तनकाय, और ‘प्रथा सहिंता एवं मशकायत
सममतत’ सहित सच
ू ना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तनगरानी।
प्रीललभस ललंक:
1. नए तनयमों का अवलोकन
2. पररभाषा के अनुसार ‘मध्यस्थ’ कौन िैं?
3. ‘सेफ िाबतर’ संरक्षण तया िै ?
4. नए तनयमों के तित ‘मशकायत तनवारण तंत्र’
में स ललंक: नए आईटी तनयमों के णखलाफ तया धचंता जताई जा रिी िै ? इन धचंताओं को दरू करने के तरीकों पर
चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. सचेतक (म्व्हप) क्या होता है ?


संदिभ: िाल िी में , कांग्रेस पाटी द्वारा सांसद ‘सैयद नसीर िुसैन’ और ‘छाया वमात’ को राज्यसभा का सचेतक
तनयुतत ककया गया िै ।
इसके बाद, लोकसभा और उच्च सदन राज्य सभा में सचेतकों और मुख्य सचेतकों की संख्या समान िो गयी िै ।
‘सचेतक’ क्या होता है ?
सचेतक (Whip), ककसी राजनीततक दल का एक अधधकारी िोता िै जो संसद अथिा विधान सिा के अंदर दल
के 'प्रितभक' (Enforcer) के रूप में कायभ करता है ।
• राजनीततक पाहटत यां, सदन के अंदर क्व्िप जारी करने के मलए अपने सदस्यों में से वररष्ट्ठ सदस्य को
तनयुतत करती िैं - इस सदस्य को मुख्य सचेतक (Chief Whip) कहा जाता है , तथा इसकी सिायता के
मलए पाहटत यों द्वारा अततररतत सचेतक भी तनयुतत ककये जाते िै ।
• भारत को म्व्हप की अिधारणा बिहटर् संसदीय प्रणाली से विरासत में प्राप्त हुई है ।

(नोट: संसदीय भाषा में क्व्िप, सदन में िोने वाले ककसी मतदान में उपक्स्थत रिने तथा ककसी ववशेष तरीके से
मतदान में भाग लेने के मलए, राजनीततक पाटी द्िारा अपने सदस्यों को जारी ककया गया ललखखत आदे र् िी
होता िै ।)
सचेतक की िूलमका: पाटी सचेतक/क्व्िप, सदन में अपनी पाटी की आधधकाररक नीतत के अनुसार, अपने दल के
सदस्यों द्वारा मतदान सत्र में भाग लेने और मतदान करने को सुतनक्श्चत करने का प्रयास करते िैं।
म्व्हप के उल्लंघन करने पर म्स्थतत
• सदन में पाटी क्व्िप का उल्लंघन करने पर सदन के सदस्य को अयोग्यता कायतवािी का सामना करना
पड़ सकता िै । यहद, सदन में ककसी पाटी के दो-ततिाई सदस्य पाटी क्व्िप का उल्लंघन करते िै , उन्िें
दल-बदल क़ानून के तित अयोग्यता कायतवािी से छूट प्रातत िोती िै ।
• सदस्यों की अयोग्यता का तनधाभरण सदन के अध्यक्ष द्िारा ककया जाता है ।

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सचेतक की सीमा:
राष्ट्रपतत तनवातचन, जैसे कुछ मामलों में सचेतक/क्व्िप ककसी संसद सदस्य अथवा ववधान सभा सदस्य को ककसी
ववशेष प्रकार से मतदान करने का तनदे श निीं दे सकते।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप 1992 के सुप्रीम कोटत ककिोतो िोलोिन के फैसले के बारे में जानते िैं? इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट्ट
रूप से किा था, कक सदन के अध्यक्ष द्वारा अंततम तनणतय ककए जाने से पिले अदालतों को सदस्यों की तनितरता
संबंधी कायतवािी में िस्तक्षेप निीं करना चाहिए।
तया आप जानते िैं, कक राजनीततक पाटी द्वारा तीन प्रकार के क्व्िप अथवा तनदे श - वन-लाइन क्व्िप, टू-लाइन
क्व्िप और थ्री लाइन क्व्िप - जारी ककए जाते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

5. संसदीय सत्र की समाम्प्त


(Termination of a Session of Parliament)
लोकसभा के मानसून सत्र को समातत करने की तनधातररत ततधथ 13 अगस्त थी, ककं तु पेगासस जासूसी वववाद,
कृवष कानन
ू ों और अन्य मद्
ु दों पर ववपक्ष द्वारा ककए जा रिे ववरोध के कारण सत्र को तनधातररत ततधथ से दो
हदन पिले अतनक्श्चत काल के मलए स्थधगत कर हदया गया िै ।
हाललया संसदीय सत्र का प्रदर्भन/पररणाम:
शन्
ू यकाल (Zero Hour)- यि मित्वपण
ू त मद्
ु दों को सदन में उठाने के मलए व्यक्ततगत सदस्यों को आवंहटत समय
िोता िै - और सत्र के दौरान यि सबसे अधधक प्रभाववत रिा, इसके अलावा सत्र के अधधकांश हदनों में ‘प्रश्नकाल’
भी बाधधत रिा।
सत्र के दौरान, सदन 20 ववधेयकों को पाररत करने में सफल रिा, क्जनमें से अधधकाँश ववधेयक बबना ककसी बिस
या ववपक्ष की भागीदारी के पाररत कर हदए गए थे।
सत्र की समाम्प्त:
संसद के ककसी सत्र को ‘स्थगन’ (Adjournment), अतनम्श्चत काल के ललए स्थगन (Adjournment Sine Die),
सत्रािसान (Prorogation) अथिा विघटन (Dissolution) के द्वारा समातत ककया जा सकता िै ।
‘स्थगन’ (Adjournment): इसके तित, सदन के सत्र के कायों को एक तनहदत ष्ट्ट समय के मलए तनलंबबत ककया
जाता िै । इसके तित तनलंबन की अवधध कुछ घंटे, हदन या सतताि तक िो सकती िै ।
अतनम्श्चत काल के ललए स्थगन (Adjournment Sine Die): इसका अथत िै कक सदन की बैठक को अतनक्श्चत काल
के मलए समातत करना। दस
ू रे शधदों में , इसके तित सत्र को पुनाः समवेत करने की ततधथ तनधातररत ककए बबना
सदन को स्थधगत कर हदया जाता िै ।
‘स्थगन’ तथा ‘अतनक्श्चत काल के मलए स्थगन’ घोवषत करने की शक्तत सदन के पीठासीन अधधकारी (लोकसभा
अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापतत) के पास िोती िै ।
सत्रािसान (Prorogation): सत्र के कायों के पूरा िो जाने के बाद राष्ट्रपतत द्वारा सत्रावसान करने संबध
ं ी
अधधसच
ू ना जारी की जाती िै और इसके बाद पीठासीन अधधकारी सदन को अतनक्श्चत काल के मलए स्थधगत
करने की घोषणा कर दे ता िै । राष्ट्रपतत, सत्र जारी रिने के दौरान भी सदन का सत्रावसान कर सकता िै ।
विघटन (Dissolution): सदन का ववघटन केवल लोकसभा में िो सकता िै । चकंू क, राज्य सभा एक स्थायी सदन
िोती िै , अताः इस पर ववघटन संबंधी प्रावधान लागू निीं िोता िै ।
• ववघटन की घोषणा के पश्चात ् मौजूदा सदन का कायतकाल समातत िो जाता िै , और आम चुनाव िोने के
पश्चात ् एक नए सदन का गठन ककया जाता िै ।
• राष्ट्रपतत को लोकसभा का ववघटन करने की शक्तत प्रातत िोती िै ।
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इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक दसवीं अनुसूची (दलबदल रोधी कानून) के तित एक राजनीततक दल को
अपने ववधायकों को क्व्िप जारी करने का संवैधातनक अधधकार िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम की मुख्य ववशेषताएँ।


1. राजनीतत का अपराधीकरण
(Criminalization of Politics)
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय द्वारा संसद को राजनीतत में अपराधधयों के आगमन के बारे में आगाि
ककया गया िै , और अदालत ने, वपछले वषत िुए बबिार ववधानसभा चुनाव में अपने उपमीदवारों के आपराधधक
अतीत के बारे में मतदाताओं से जानकारी तछपाने के मलए प्रमुख राजनीततक दलों पर जम
ु ातना लगाया िै ।
र्ीषभ अदालत द्िारा फरिरी 2020 में जारी तनदे र्:
सप्र
ु ीम कोटत ने सभी राजनीततक दलों को, उनके द्वारा अपने चन
ु ावी उपमीदवारों का चयन करने के 48 घंटों के
भीतर अपनी वेबसाइट के िोमपेज पर 'आपराधधक इततिास वाले उपमीदवार' शीषतक के तित आपराधधक इततिास,
यहद कोई िो, को प्रकामशत करने का तनदे श हदया था।
इसके आगे:
मतदाता को प्रातत ‘सूचना के अधधकार’ को "अधधक प्रभावी और साथतक" बनाने िेतु अदालत ने कई तनदे श जारी
ककए िै :
• भारत के तनवातचन आयोग द्वारा मात्र एक बटन के स्पशत से उपमीदवारों के आपराधधक इततिास का
वववरण प्रातत करने िे तु मतदाताओं के मलए मोबाइल ऐप लॉन्च ककया गया िै ।
• अदालत के फैसले के अनप
ु ालन में , राजनीततक दलों की तनगरानी िे तु तनवातचन आयोग द्वारा एक
अलग प्रकोष्ट्ठ (सेल) का गठन ककया जाएगा।
र्ीषभ अदालत के ‘न्यायालय लमत्र’ (Amicus Curiae) द्िारा लसतंबर 2020 में दायर की गई ररपोटभ के अनुसार:
1. दे शभर में ववधध-तनमातताओं के णखलाफ कुल 4,442 मामले लंबबत िैं। इसमें से मौजद
ू ा सांसदों और राज्य
ववधानसभा सदस्यों के णखलाफ मामलों की संख्या 2,556 िै ।
2. इनमे से अधधकाँश मामले, राजनेताओं के णखलाफ आपराधधक मामलों की सुनवाई िे तु ववशेष रूप से
गहठत ववमभन्न ववशेष अदालतों में लंबबत थे।
3. ववधध-तनमातताओं के णखलाफ दजत मामलों में , भ्रष्ट्टाचार, मनी लॉक्न्ड्रंग, सावतजतनक संपवत्त को नुकसान,
मानिातन और धोखाधड़ी के मामले शाममल िैं।
4. अधधकाँश मामले, जानबूझकर अवज्ञा करने और लोक सेवकों द्वारा जारी आदे शों में बाधा िालने के मलए
आईपीसी की धारा 188 के उल्लंघन से संबंधधत िै ।
5. अपराधों के संबंध में 413 मामलों में ‘आजीवन कारावास’ का दं ि दे ने का प्रावधान िै , क्जनमें से 174
मामलों में मौजूदा सांसद/ववधायक आरोपी िैं।
6. कई मामले, दजत ककए जाने के शुरुआती स्तर पर िी लंबबत िै , और यिां तक कक अदालतों द्वारा जारी
गैर-जमानती वारं ट (non-bailable warrants - NBW) भी तनष्ट्पाहदत निीं ककए गए िैं।
7. ववधध-तनमातताओं के णखलाफ सबसे अधधक मामले उत्तर प्रदे श में लंबबत िैं।
इस विषय पर ‘जन प्रतततनगधत्ि अगधतनयम’ (RPA) के प्रािधान:
वततमान में , जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम (Representation of the People- RPA) 1951 के तित, ककसी आपराधधक
मामले में सजा-यत
ु त िोने के पश्चात चुनाव निीं लड़ सकते िैं।

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जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम, 1951 की धारा 8 के अंतगतत, ककसी भी आपराधधक मामले में दो अथवा दो से
अधधक वषो के सजायाफ्ता व्यक्तत को चुनाव लड़ने से प्रततबंधधत ककया गया िै । परन्तु, क्जन व्यक्ततयों का
मामला अदालत में ववचारधीन िै , वे चन
ु ाव में भाग ले सकते िैं।
राजनीतत में अपराधीकरण के मुख्य कारण:
1. भ्रष्ट्टाचार
2. वोट बैंक
3. शासन में कममयां
आगे की राह:
1. राजनीततक दलों को स्वयं िी दागी व्यक्ततयों को हटकट दे ने से मना कर दे ना चाहिए।
2. जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम में संशोधन करके, उन व्यक्ततयों को चुनाव लड़ने से प्रततबंधधत कर दे ना
चाहिए क्जनके णखलाफ जघन्य प्रकृतत के मामले लंबबत िैं।
3. फास्ट-रै क अदालतों को दागी नीतत-तनमातताओं से संबंधधत मामलों को शीघ्रता से तनपटाना चाहिए।
4. चुनाव अमभयानों के ववत्तपोषण में अधधक पारदमशतता लाई जाए।
5. भारत के तनवातचन आयोग (ECI) को में राजनीततक दलों के ववत्तीय खातों के ऑडिट की शक्तत प्रदान की
जानी चाहिए।
प्रीललभस ललंक:
1. जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम, 1951 की धारा 8
2. उच्चत्तम न्यायालय हदशातनदे श।
3. ECI - रचना और कायत।
4. CEC- तनयुक्तत।
5. उपमीदवारों के चुनाव से संबंधधत मामलों पर तनवातचन आयोग की शक्ततयां।
में स ललंक: राजनीतत के अपराधीकरण से संबंधधत धचंताओं पर चचात कीक्जए और इन धचंताओं को दरू करने के
मलए उच्चत्तम न्यायालय ने तया कदम उठाये िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:ववमभन्न संवैधातनक पदों पर तनयुक्तत और ववमभन्न संवैधातनक तनकायों की शक्ततयाँ, कायत और


उत्तरदातयत्व।
1. राज्यपाल की क्षमादान र्म्क्तयां, ‘CrPC’ की धारा 433-A का अध्यारोहण करती है : सप्र
ु ीमकोटभ
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते िुए किा िै , कक ‘संववधान के अनुच्छे द
161’ के अंतगतत राज्यपाल को प्रातत क्षमादान शक्ततयां या सजा को कम करने संबंधी शक्ततयां, ‘दं ि प्रकक्रया
संहिता’ (Criminal Procedure Code - CrPC) की धारा 433-A के तित लगाए गए प्रततबंधों पर अध्यारोिण कर
सकती िैं।
संबंगधत प्रकरण:
िररयाणा सरकार द्वारा लागू की गयी ‘पररिार नीततयों’ (Remission Policies) की व्यविायतता पर ववचार करने के
दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा उतत हटतपणी की गई थी। अदालत में इस बात पर ववचार ककया जा रिा था,
कक क्या राज्य ककसी आजीिन कारािास सजायाफ्ता अपराधी को न्यन
ू तम 14 साल का कारािास परू ा करने से
पहले, समय-पूिभ ररहा करने के ललए कोई नीतत बना सकता है या राज्य सरकार के मलए ‘दं ि प्रकक्रया संहिता’
(CrPC) का सख्ती से पालन करना अतनवायत िै , क्जसके तित यि तनहदत ष्ट्ट ककया गया िै कक न्यूनतम 14 साल
का कारावास पूरा करने से पिले सजा का पररिार निीं ककया जा सकता िै ?
हररयाणा सरकार की सजा-पररहार नीतत:
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िररयाणा सरकार द्वारा लागू नीतत के अनुसार, जो अपराधी आजीवन कारावास की सजा भुगत रिे िैं और
क्जनकी उम्र 75 वषत से अधधक (परु
ु ष अपराधधयों के मामले में ) िै तथा वास्तववक सजा के 8 वषत पूरे कर चुके
िैं, वे सजा में पररिार का लाभ पाने के पात्र िैं।
अदालत द्िारा की गई हटप्पखणयां:
1. राज्यपाल के मलए, ककसी भी व्यक्तत को दी गयी सजा को क्षमा, प्रववलंबन (Reprieve), ववराम (Respite)
या पररिार (Remission) करने की अथवा दं िादे श के तनलंबन, पररिार या लघुकरण (Commutation) करने
की शक्तत िै , भले िी ककसी कैदी ने 14 साल या उससे अधधक समय का वास्तववक कारावास पूरा निीं
ककया िो।
2. तथावप, राज्यपाल के मलए प्रदत्त क्षमादान शक्ततयों का प्रयोग, राज्य-सरकार की सिायता और सलाि पर
ककया जाना चाहिए। इस संदभत में , उपयत
ु त सरकार की सलाि राज्य के प्रमुख, अथातत राज्यपाल के मलए
बाध्यकारी िोती िै ।
3. इस प्रकार, सरकारी फैसले के आधार पर, सजा-लघुकरण और ररिाई की कारत वाई की जा सकती िै और
इस िे तु राज्यपाल की मंजूरी के बबना भी आदे श जारी ककया जा सकता िै । िालाँकक, यहद इस प्रकार की
कोई ररिाई संववधान के अनुच्छे द 161 के तित की जाती िै , तो कायत-तनयमावली के अंतगतत और
संवैधातनक मशष्ट्टाचार के रूप में , राज्यपाल की अनुमतत ली जा सकती िै ।
राज्यपाल की क्षमादान र्म्क्तयां:
संववधान के अनुच्छे द 161 में राज्यपाल को क्षमादान की र्म्क्त प्रदान की गई िै।
इसके तित, ककसी राज्य के राज्यपाल को राज्य की कायतपामलका शक्तत के अंतगतत आने वाले ववषयों के संदभत
में , ककसी ववधध ववरुद्ध अपराध के मलए दोष-मसद्ध ठिराये गये ककसी व्यक्तत के दं ि को क्षमा, उसका प्रववलंबन,
ववराम या पररिार करने की अथवा दं िादे श के तनलंबन, पररिार या लघुकरण की शक्तत प्रदान की गयी िै ।
राष्ट्रपतत और राज्यपाल की क्षमादान र्म्क्तयों के मध्य अंतर:
अनुच्छे द 72 के तित राष्ट्रपतत की क्षमादान शक्तत का दायरा, अनुच्छे द 161 के तित राज्यपाल की क्षमादान
शक्तत से अधधक व्यापक िै:
यि तनपनमलणखत दो आधारों पर मभन्न िोता िै :
1. कोटभ मार्भल: राष्ट्रपतत की क्षमादान शक्ततयाँ, सेना न्यायालय द्वारा हदए गई सजा अथवा दं िों (कोटत
माशतल) से संबंधधत मामलों तक ववस्ताररत िोती िैं, जबकक, अनुच्छे द 161 के तित राज्यपाल को ऐसी
कोई शक्तत प्रातत निीं िै ।
2. मत्ृ युदंि: राष्ट्रपतत, मत्ृ युदंि से सबंगधत सिी मामलों में क्षमा प्रदान कर सकता है , जबकक, राज्यपाल
की क्षमादान शक्तत मत्ृ यद
ु ं ि से सबंधधत मामलों पर ववस्ताररत निीं िै ।
‘दं ि प्रकक्रया संहहता’ (CrPC) की धारा 433-A:
यि धारा, कुछ मामलों में सजा के पररिार या लघुकरण करने की शक्ततयों पर प्रततबंध से संबधं धत िै ।
इसके अनसु ार, ‘दं ि प्रकक्रया संहिता’ की धारा 432 में ककसी बात के िोते िुए भी, यहद ककसी व्यक्तत को ऐसे
अपराध के मलए, क्जसके मलए ववधध द्वारा उपबंधधत सजाओं में ‘मत्ृ यु-दं ि’ की सजा भी दी जा सकती िै ,
आजीवन कारावास का दं िादे श हदया गया िै , अथवा धारा 433 के अधीन ककसी व्यक्तत को हदए गए मत्ृ यु-दं ि की
सजा का आजीवन कारावास के रूप में लघुकरण ककया गया िै , तब ऐसे व्यक्तत को चौदि वषत का कारावास पूरा
करने से पिले ररिा निीं ककया जाएगा।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
िालाँकक, ककसी राज्य के राज्यपाल को कुछ क्स्थततयों में अपने वववेकानुसार कायत करने की शक्तत प्रातत िोती िै ।
तया आप उन क्स्थततयों के बारे में जानते िैं?

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प्रीललभस ललंक:
1. भारत में राष्ट्रपतत तथा राज्यपाल की क्षमादान शक्ततयों में अंतर
2. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
3. इन फैसलों के णखलाफ अपील
4. तया न्यायालय ऐसे मामलों में िस्तक्षेप कर सकते िैं?
5. ऐसे मामलों में मंबत्रमंिल की भूममका।
में स ललंक: भारत में राष्ट्रपतत तथा राज्यपाल की क्षमादान शक्ततयों की ववस्तार से तुलना कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. उपद्रिी आचरण करने पर संसद सदस्यों का तनलंबन


संदिभ:
िाल िी में , राज्यसभा सभापतत द्वारा तण
ृ मूल कांग्रेस के छि सांसदों को उनके ‘अत्यंत उपद्रवी’ आचरण के
कारण, राज्यसभा में हदन भर की शेष कायतवािी के मलए सदन से बािर जाने के आदे श हदया गया था। ये संसद
सदस्य पेगासस कांि का ववरोध करते िुए िाथों में पोस्टर लेकर सभापतत के आसन के सामने आ गए थे।

राज्य सिा के प्रकक्रया तथा कायभ-संचालन विषयक सामान्य ‘तनयम 255’:


सभापतत द्वारा इन सांसदों को तनलंबबत करने के मलए, राज्य सिा के प्रकक्रया तथा कायभ-संचालन विषयक
सामान्य तनयमिाली के तनयम - 255 लागू ककया गया।
राज्य सभा के प्रकक्रया तथा कायत-संचालन ववषयक तनयमों के ‘तनयम 255’ (सदस्य का चले जाना) के अनुसार-
"सभापतत ककसी भी सदस्य को क्जसका आचरण, उसकी राय में परू ी तरि से अव्यव्स्थापण
ू त िो, तत्काल
राज्यसभा से चले जाने का तनदे श दे सकेगा, और क्जस सदस्य को इस तरि चले जाने का आदे श हदया जाए वि
तुरंत चला जाएगा और और उस हदन की बैठक के अवमशष्ट्ट समय तक अनुपक्स्थतत रिे गा।“
‘तनयम 255’ के तहत तनलंबन एिं ‘तनयम 256’ के तहत तनलंबन में अंतर:
• राज्य सभा के प्रकक्रया तथा कायत-संचालन ववषयक सामान्य ‘तनयम 256’ में 'सदस्य के तनलंबन' का
प्रावधान िै ; जबकक ‘तनयम 255’ में लघत
ु र सजा का प्रावधान िै ।
• तनयम 256 के अंतगतत, " यहद सभापतत आवश्यक समझे तो वि ककसी सदस्य को मौजूदा चालू सत्र की
शेष अवधध के मलए सदन से तनलंबबत कर सकता िै ।
लोकसिा अध्यक्ष और राज्यसिा के सिापतत की र्म्क्तयों में अंतर:
• लोकसभा अध्यक्ष की भांतत, राज्यसभा के सभापतत को राज्य सभा के प्रकक्रया तथा कायत-संचालन
ववषयक तनयम पुक्स्तका के तनयम संख्या 255 के तित "ककसी भी सदस्य को क्जसका आचरण, उसकी
राय में पूरी तरि से अव्यव्स्थापण
ू त िो, तत्काल राज्यसभा से चले जाने का तनदे श” की शक्तत प्रातत िै ।
• िालांकक, राज्यसभा के सभापतत के पास, लोकसभा अध्यक्ष के ववपरीत, ककसी सदस्य को तनलंबबत करने
की शक्तत निीं िोती िै ।
राज्यसिा सांसद के तनलंबन हे तु अपनाई जाने िाली प्रकक्रया:
1. सभापतत, सभापीठ के अधधकार की उपेक्षा करने या बार-बार और जानबझ
ू कर बाधा िालकर राज्यसभा के
कायत में बाधा िालकर राज्यसभा के तनयमों का दरु
ु पयोग करने वाले सदस्य का नाम ले सकता िै ।
2. यहद सभापतत द्वारा ककसी सदस्य का इस तरि से नाम मलया जाए, तो वि प्रस्ताव पेश ककया जाने पर
तत्काल बबना ककसी संशोधन, स्थगन या वाद-वववाद के, उस सदस्य को राज्यसभा की सेवा से मौजद
ू ा
सत्र की अवमशष्ट्ट अवधध तक के मलए तनलंबबत करने का तनदे श दे सकता िै ।
3. परन्त,ु राज्यसभा ककसी भी समय, प्रस्ताव ककए जाने पर तनलंबन को समातत कर सकती िै ।

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सदन में व्यिस्था बनाए रखने हे तु प्रयास:
राज्यसभा के सभापतत के रूप में , उपराष्ट्रपतत अंसारी ने सदन में व्यवस्था लाने के मलए कई कदम उठाने का
प्रयास ककया था। वषत 2013 में , उन्िोंने सदन में मयातदा बनाए रखने िे तु कई क्रांततकारी समाधान प्रस्तत
ु ककए।
इसमें शाममल िैं:
• राज्यसभा के तनयमों का उल्लंघन करने वाले सांसदों का नाम राज्यसभा बुलेहटन में प्रकमशत करना व
उन्िें शममांदा करना।
• सभापतत द्वारा सभापीठ के सामने आकर प्रदशतन करने या ‘अत्यंत ़िराब’ आचरण करने वाले सासदों
का नाम मलया जा सकता िै ।
• सदन में अव्यवस्था के दृश्यों को सावतजतनक करने से रोकने िे तु ‘सदन की कायतवािी’ का प्रसारण
स्थधगत ककया जा सकता िै।
सांसदों के तनलंबन को ककस प्रकार उगचत ठहराया जा सकता है ? तया यि अतनयंबत्रत व्यविार को रोकने िे तु
उठाया गया एक चरम कदम निीं िै ?
सांसदों के अतनयंबत्रत व्यविार का समाधान, दीघतकामलक और लोकतांबत्रक मल्
ू यों के अनुरूप िोना चाहिए।
• इसमें कोई संदेि निीं िै , कक कायतवािी के सच
ु ारू रूप से संचालन िे तु पीठासीन अधधकारी के सवोच्च
अधधकार का प्रवततन ककया जाना आवश्यक िै ।
• तथावप, एक संतल
ु न बना रिना चाहिए। यि याद रखना चाहिए कक पीठासीन अधधकारी का कायत सदन
का संचालन करना िै , न कक उस पर शासन करना।
इंस्टा म्जज्ञासु: यद्यवप, राज्यसभा और लोकसभा में सांसदों के तनलंबन के संबंध में समान तनयम तनधातररत ककए
गए िैं, ककं त,ु कफर भी इनमे कुछ अंतर िै । लोकसभा में , तनयम 374A के तित, ककसी उपद्रवी सदस्य के मलए
"स्वताः तनलंबन" का प्रावधान िै । यि प्रावधान ककस क्स्थतत में लागू ककया जा सकता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. सांसदों को तनलंबबत करने व तनलंबन रद्द करने संबध
ं ी शक्ततयां।
2. इस संबंध में लोकसभा और राज्यसभा की प्रकक्रयाओं में अंतर।
3. सांसदों के तनवातचन के संबध
ं में अपील।
4. इस संबंध में तनयम।
में स ललंक: सांसदों के अतनयंबत्रत व्यविार का समाधान दीघतकामलक और लोकतांबत्रक मूल्यों के अनुरूप िोना
चाहिए। हटतपणी कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. सुप्रीम कोटभ कॉलेम्जयम


संदिभ: िाल िी में सप्र
ु ीम कोटत कॉलेक्जयम द्वारा न्यायालय में न्यायाधीशों के रूप में तनयक्ु तत करने िे तु
सरकार को नौ नामों की मसफाररश की गई िै , और इस प्रकक्रया में , कॉलेक्जयम ने कनातटक उच्च न्यायालय की
न्यायाधीश बी वी नागरत्ना (B.V. Nagarathna) के नाम की मसफाररश करके एक इततिास रच हदया िै ।
न्यायाधीश बी वी नागरत्ना कुछ साल बाद भारत की पिली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती िैं।
कॉलेम्जयम द्िारा की गयी प्रमुख लसफाररर्ें:
1. कॉलेक्जयम द्वारा पिली बार, एक िी प्रस्ताव में , तीन महिला न्यायाधीशों की मसफाररश की गयी िै ।
इस प्रकार सवोच्च न्यायपामलका में महिलाओं के प्रतततनधधत्व के पक्ष में एक मजबूत संकेत हदया गया
िै ।
2. कॉलेक्जयम ने ‘ सप्र
ु ीम कोटत बार’ से ‘कोटत की बेंच’ में सीधी तनयक्ु ततयों की मसफाररश करने की िामलया
प्रववृ त्त को भी जारी रखा िै ।
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3. इसने तेलंगाना उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रूप में तनयुक्तत िे तु छि न्यातयक अधधकाररयों और
‘आयकर अपीलीय न्यायाधधकरण’ (Income Tax Appellate Tribunal) के एक न्यातयक सदस्य की भी
मसफाररश की िै ।
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीर्ों की तनयुम्क्त:
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की तनयुक्ततयां, भारतीय संववधान के अनुच्छे द 124 के उपबंध (2) द्वारा
प्रदत्त शक्ततयों का प्रयोग करते िुए, भारत के राष्ट्रपतत द्वारा की जाती िैं।
सुप्रीम कोटत की कॉलेक्जयम द्वारा न्यायाधीशों के रूप में तनयुतत ककए जाने िे तु नामों की मसफाररश की जाती
िै ।
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीर् बनने हे तु अहताभ:
1. भारतीय संववधान के अनुच्छे द 124 में उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीर् के रूप में तनयुम्क्त हे तु पात्रता
से संबंधधत मानदं िों का उल्लेख ककया गया िै ।
2. उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के मलए व्यक्तत का भारतीय नागररक िोना आवश्यक िै ।
3. आयु की दृक्ष्ट्ट से, व्यक्तत की आयु 65 वषत से अधधक निीं िोनी चाहिए।
4. व्यक्तत को ककसी एक या एक से अधधक उच्च न्यायालय (तनरं तर) के न्यायाधीश के रूप में न्यूनतम
पांच साल तक सेवा का अनुभव या उच्च न्यायालय में अधधवतता के रूप में न्यन
ू तम 10 वषत का
अनभ
ु व या प्रततक्ष्ट्ठत न्यायववद िोना चाहिए।
क्या कॉलेम्जयम द्िारा की गयी लसफाररर्ें अंततम और बाध्यकारी होती है ?
कॉलेक्जयम द्वारा अपनी अंततम रूप से तैयार मसफाररशों को अनुमोदन के मलए भारत के राष्ट्रपतत के पास भेजी
जाती िैं। राष्ट्रपतत के मलए इन मसफाररशों को स्वीकार करने अथवा अस्वीकार करने की शक्तत प्रातत िोती िै ।
यहद राष्ट्रपतत द्वारा इन मसफाररशों को खाररज कर हदया
जाता िै , तो इनके मलए कॉलेक्जयम के पास वापस भेज हदया
जाता िै । ककं तु, यहद कॉलेक्जयम द्वारा राष्ट्रपतत को अपनी
मसफाररश दोबारा भेजी जाती िैं, तो राष्ट्रपतत उन मसफाररशों
पर स्वीकृतत दे ने के मलए बाध्य िोता िै ।
कॉलेम्जयम पद्धतत के खखलाफ आम आलोचना:
• अपारदमशतता और पारदमशतता की कमी
• भाई-भतीजावाद की गुंजाइश
• सावतजतनक वववादों में फंसना
आिश्यक सध
ु ार:
1. उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की तनयुक्तत िे तु,
अधधमान्य रूप से एक स्वतंत्र व्यापक-आधार सहित संवैधातनक तनकाय द्वारा कक्रयान्वतयत एक पारदशी
और भागीदारी प्रकक्रया िोनी चाहिए। इस प्रकक्रया में न्यातयक ववमशष्ट्टता की बजाय न्यातयक प्रधानता
की गारं टी दी जानी चाहिए।
2. न्यायाधीशों का चयन करते समय स्वतंत्रता की सुतनक्श्चतता, ववववधता का प्रततबबंबन, पेशेवर क्षमता
और सत्यतनष्ट्ठा का प्रदशतन िोना चाहिए।
3. एक तनक्श्चत संख्या में ररक्ततयों को भरने के मलए आवश्यक न्यायाधीशों का चयन करने के बजाय,
कॉलेक्जयम को वरीयता और अन्य वैध मानदं िों के क्रम में राष्ट्रपतत को तनयक्ु तत िे तु संभाववत नामों
का एक पैनल प्रस्तुत करना चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक संववधान में न्यायधीशों के कॉलेक्जयम के बारे में कोई उल्लेख निीं िै ?
यि पद्धतत सप्र
ु ीम कोटत द्वारा तनममतत की गयी िै । इसके बारे में अधधक जानने िे तु यिां पढ़ें । स्रोत: द हहंद।ू
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4. िारत में कैबबनेट मंत्री को गगरफ्तार करने की प्रकक्रया
संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मिाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के णखलाफ अपमानजनक
वततव्य दे ने के बाद मिाराष्ट्र पुमलस ने धगरफ्तार कर मलया था।
केंद्रीय मंत्री को गगरफ्तार करने की प्रकक्रया:
केंद्रीय मंत्री या संसद सदस्य को कुछ ववशेषाधधकार प्रातत िोते िैं, लेककन उनमें से अधधकांश संसद सत्र जारी
िोने के दौरान उपलधध िोते िैं।
• यहद संसद का सत्र निीं चल रिा िोता िै , तो ककसी आपराधधक मामले में , पुमलस या अन्य कानून
प्रवततन एजेंमसयां ‘केंद्रीय कैबबनेट मंत्री’ को धगरफ्तार कर सकती िैं।
• िालाँकक, राज्यसिा के प्रकक्रया एिं कायभ संचालन विषयक तनयमों की उपखंि 222A के तित, पमु लस या
धगरफ्तारी आदे श जारी करने वाले न्यायाधीश को धगरफ्तारी के कारण और स्थान के बारे में राज्यसभा
के सभापतत को सूधचत करना आवश्यक िोता िै । सभापतत द्वारा सभी सदस्यों के सूचनाथत इसे राज्य
सभा बल
ु ेहटन में प्रकामशत करवाया जाता िै ।
केंद्रीय मंबत्रयों को प्राप्त संरक्षण:
ककसी भी केंद्रीय मंत्री या सांसद को संसद सत्र शुरू िोने से 40 हदन पिले, सत्र जारी रिने के दौरान और सत्र-
समापन के 40 हदन बाद तक धगरफ्तारी से सुरक्षा प्रातत िोती िै ।
• चूंकक, इसी मिीने की शुरुआत में संसद का मानसून सत्र समातत िुआ िै , अताः ‘नागररक प्रकक्रया संहिता’
की धारा 135 के तित, नारायण राणे को एक मसववल/ दीवानी मामले में धगरफ्तारी से सरु क्षा प्रातत िै ।
• िालांकक, उनकी धगरफ्तारी एक आपराधधक मामले में िुई थी, और ‘आपराधधक मामलों’ या ‘तनवारक
तनरोध’ मामले में ककसी मंत्री या संसद सदस्य को धगरफ्तारी से सुरक्षा प्रातत निीं िोती िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
तया आप जानते िैं, कक संसद के ककसी भी सदन या पररसर में , सदन के पीठासीन अधधकारी - लोकसभा
अध्यक्ष या राज्य सभा सभापतत की अनुमतत के बगैर ककसी भी व्यक्तत की धगरफ्तारी निीं की जा सकती िै ।
संववधान के अंतगतत धगरफ्तारी से सुरक्षा पाने वाला एकमात्र ‘सरकारी व्यक्तत’ गणतंत्र का राष्ट्रपतत िोता िै , क्जसे
अपना कायतकाल समातत िोने तक नागररक और आपराधधक कायतवािी से उन्मुक्तत प्रातत िोती िै । राष्ट्रपतत को
और कौन से ववशेषाधधकार प्रातत िैं?
में स ललंक: केंद्रीय कैबबनेट मंबत्रयों को उपलधध संसदीय ववशेषाधधकारों के बारे में चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:सांववधधक, ववतनयामक और ववमभन्न अद्तध-न्यातयक तनकाय।


1. अगधकरण सुधार (सुव्यिस्थीकरण और सेिा र्तें) विधेयक, 2021
संदिभ:
िाल िी में , अधधकरण सध
ु ार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शतें) ववधेयक, 2021 (Tribunals Reforms
(Rationalisation and Conditions of Service) Bill, 2021) को लोकसभा में ध्वतन मत से पाररत कर हदया गया। यि
ववधेयक अप्रैल 2021 में प्रख्यावपत एक अधधकरण सध
ु ार (सव्ु यवस्थीकरण और सेवा शतें) अध्यादे श को
पुराःस्थावपत करे गा।
• ववधेयक में , ‘अधधकरण’ (हरधयन
ू ल) के ववमभन्न सदस्यों िे तु समान तनयम और सेवा-शतों का प्रावधान
ककया गया िै ।
• इसके अलावा, ववधेयक में , अधधकरणों को युक्ततसंगत बनाने िे तु प्रयास के रूप में कुछ अधधकरणों को
समातत करने प्रस्ताव ककया गया िै ।

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पष्ट्ृ ठिूलम: ववधेयक के माध्यम से ककए जाने वाले प्रस्ताववत बदलाव, ‘मद्रास बार एसोमसएशन मामले’ में सुप्रीम
कोटत द्वारा जारी तनदे शों पर आधाररत िैं।
मख्
ु य पररितभन:
• ववधेयक में , कुछ मौजद
ू ा अपीलीय तनकायों को भंग करने और उनके कायों (जैसे अपीलों पर न्यातयक
तनणतय लेना) को दस
ू रे मौजद
ू ा न्यातयक तनकायों को अंतररत करने का प्रावधान ककया गया िै ।
• ववधेयक के तित, केंद्र सरकार को अधधकरणों के सदस्यों की योग्यता, तनयुक्तत, पदावधध, वेतन और भत्ते,
त्यागपत्र, पद-मक्ु तत और अन्य तनयमो व सेवा-शतों िेतु तनयम बनाने की शक्तत प्रदान की गई िै ।
• ववधेयक के अनस
ु ार, केंद्र सरकार ‘खोज एिं चयन सलमतत’ (Search-cum-Selection Committee) के
सुझाव पर अधधकरण के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की तनयुक्तत करे गी। इस सममतत की अध्यक्षता
भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नाममत सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।
• राज्य प्रशासतनक अधधकरणों (State Tribunals) के मलए, एक पथ
ृ क ‘खोज सममतत’ िोगी।
• केंद्र सरकार को ‘खोज एवं चयन सममततयों’ के सुझावों पर तीन मिीने के भीतर 'अधधमान्य रूप से’
फैसला लेना लेना िोगा।
• कायभकाल: अधधकरण का अध्यक्ष, 4 साल की अवधध या 70 वषत की आयु प्रातत करने तक, जो भी पिले
िो, तक पद धारण करे गा। अधधकरण के अन्य सदस्य, 4 साल की अवधध या 67 वषत की आयु प्रातत
करने तक, जो भी पिले िो, तक पद धारण करें गे।
अपीलीय अगधकरणों का उन्मूलन:
ववधेयक के तित, पांच अधधकरणों - ‘कफल्म प्रमाणन अपीलीय अधधकरण’, ‘िवाईअड्िा अपीलीय अधधकरण’,
‘अधग्रम तनणतय प्राधधकरण’, ‘बौद्धधक संपदा अपीलीय बोित’ और ‘पादप प्रजातत संरक्षण अपीलीय अधधकरण’ – को
समातत करने तथा उनके कायों को मौजद
ू ा न्यातयक तनकायों के मलए अंतररत ककया जाने का प्रस्ताव ककया गया
िै ।
विधेयक के संदिभ में अदालत का तनणभय:
• ‘मद्रास बार एसोमसएशन बनाम भारत संघ’ मामले में , सुप्रीम कोटत ने ककसी अधधकरण के अध्यक्ष एवं
सदस्यों के के रूप में तनयक्ु तत के मलए न्यन
ू तम आयु 50 वषत और चार साल का कायतकाल, तनधातररत
करने वाले प्रावधानों को रद् कर हदया था।
• अदालत के अनुसार- इस प्रकार की शतें, शक्ततयों के पथ
ृ तकरण, न्यायपामलका की स्वतंत्रता, ववधध के
शासन और भारत के संववधान के अनुच्छे द 14 के मसद्धांतों का उल्लंघन करती िैं।
संबंगधत वििाद:
ववधेयक के द्वारा तनपनमलणखत प्रावधानों के संदभत में सवोच्च न्यायालय के फैसले को तनष्ट्प्रभावी करने का
प्रयास ककया गया िै :
1. ववधेयक में आवश्यक न्यूनतम आयु को 50 वषत रखा गया िै ।
2. अधधकरण के अध्यक्ष और सदस्यों का कायतकाल चार वषत का प्रस्ताववत ककया गया िै ।
3. प्रत्येक पद पर तनयुक्तत के मलए ‘खोज एवं चयन सममतत’ द्वारा दो नामों की मसफाररश और सरकार
द्वारा तीन मिीने के भीतर तनणतय लेने की अपेक्षा की गयी िै ।
‘अगधकरण’ क्या होते हैं?
‘अधधकरण’ (Tribunal), एक अधत-न्यातयक संस्था िोते िै , क्जन्िें प्रशासतनक वववादों अथवा कर-संबध
ं ी वववादों को
िल करने जैसी समस्याओं का तनपटारा करने के मलए गहठत ककया जाता िै । यि, वववादों का फैसला करने,
दावा करने वाले पक्षों के मध्य अधधकारों का तनधातरण करने, प्रशासतनक तनणतय लेने, मौजूदा प्रशासतनक तनणतय
की समीक्षा करने, जैसे आहद कायत करते िैं।

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संिैधातनक प्रािधान:
‘अधधकरण’, मूल रूप से संववधान का भाग निीं थे।
‘स्िणभ लसंह सलमतत’ की मसफाररशों के आधार पर, 42 िें संर्ोधन अगधतनयम के माध्यम से इन प्रावधानों को
संववधान में शाममल ककया गया।
इस संशोधन के अंतगतत, संववधान में ‘अधधकरणों’ से संबंधधत ‘िाग XIV-A’ जोड़ा गया तथा इसमें दो अनुच्छे द
शाममल ककये गए:
1. अनुच्छे द 323A: प्रशासतनक अधधकरणों से संबंधधत िै । प्रशासतनक अधधकरण, लोक-सेवा में तनयुतत
व्यक्ततयों की भती और सेवा शतों से संबंधधत वववादों को िल करने वाली अधत-न्यातयक संस्थाएं िैं।
2. अनुच्छे द 323B: अन्य ववषयों जैसे कक कराधान, औद्योधगक एवं श्रम वववाद, ववदे शी मुद्रा, आयात और
तनयातत, भूमम सध
ु ार, खाद्य सामग्री, नगर संपवत्त की अधधकतम सीमा, संसद और राज्य ववधानमंिलों के
मलये तनवातचन, ककराया और ककराएदार के अधधकार, आहद का समाधान करने िे तु अधधकरणों के गठन
से संबंधधत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया राज्य सरकारों के मलए ‘अधधकरणों’ का गठन करने की शक्तत प्रातत िै ? ‘अधधकरणों’ के
गठन के संबध
ं में राज्यों की शक्ततयाँ और सीमाएँ तया िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. अधधकरण तया िोते िैं?
2. इस संबंध में संवैधातनक प्रावधान।
3. संरचना और कायत।
4. नवीनतम अध्यादे श का अवलोकन।
में स ललंक: तया ‘अधधकरण’, न्यातयक दक्षता के मलए रामबाण के समान िोते िैं? तया ‘न्याय’ िे तु अधधकरणों का
गठन करना िमारे संववधान में तनधातररत मसद्धांतों को कमजोर करता िै ? जांच कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. अगधकरण कानून सुधार


संदिभ:
िाल िी में , अधधकरण सध
ु ार अधधतनयम, 2021 (Tribunal Reforms Act, 2021) दोनों सदनों में पाररत कर हदया
गया। इस कानून ने ‘ववधध-तनमातण करने की शक्ततयों और सीमाओं’ के संदभत में ववधातयका और न्यायपामलका
के बीच एक नया गततरोध शुरू कर हदया िै ।
वििादास्पद प्रािधान:
1. ववधेयक के अनुसार, अधधकरणों के सदस्यों के रूप में अधधवतताओं की तनयुक्तत के मलए न्यूनतम आयु
50 वषत और कायतकाल चार वषत िोगा। अदालत के अनस
ु ार, यि ‘तनधातररत सीमा रे खा’ एकपक्षीय और
मनमानी िै । इस पर सरकार ने तकत हदया िै कक यि प्रावधान, अधधकरणों के सदस्यों के चुनाव िे तु
अधधवतताओं के एक ववशेषज्ञ प्रततभा पल
ू को तैयार करे गा।
2. अधधतनयम की धारा 3(1), धारा 3(7), 5 और 7(1), संववधान के अनुच्छे द 14, 21 और 50 के दायरे से
बािर िैं। अधधतनयम की धारा 3(1) में 50 वषत से कम आयु के व्यक्ततयों को अधधकरणों में तनयुक्तत से
प्रततबंधधत ककया गया िै । यि प्रावधान कायतकाल की लंबाई /सरु क्षा को दब
ु ल
त करता िै तथा न्यातयक
स्वतंत्रता और शक्ततयों के पथ
ृ तकरण के मसद्धांत, दोनों का उल्लंघन करता िै ।
3. अधधतनयम की धारा 3(7) के तित ‘खोज एवं चयन सममतत’ (Search-cum-Selection Committee) द्वारा
केंद्र सरकार के मलए दो नामों के एक पैनल की मसफाररश करना अतनवायत ककया गया था। यि प्रावधान
भी ‘शक्ततयों के पथ
ृ तकरण’ और ‘न्यातयक स्वतंत्रता’ के मसद्धांतों का उल्लंघन करता िै ।
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अधधकरण सध
ु ार (सव्ु यवस्थीकरण और सेवा शतें) अधधतनयम, 2021 के प्रमख
ु बबंद:ु
अधधतनयम में, ‘अधधकरण’ (हरधयूनल) के ववमभन्न सदस्यों िे तु समान तनयम और सेवा-शतों का प्रावधान ककया
गया िै । इसके अलावा, ववधेयक में , अधधकरणों को युक्ततसंगत बनाने िे तु प्रयास के रूप में कुछ अधधकरणों को
समातत करने प्रस्ताव ककया गया िै ।
मुख्य पररितभन:
1. ववधेयक में , कुछ मौजद
ू ा अपीलीय तनकायों को भंग करने और उनके कायों (जैसे अपीलों पर न्यातयक
तनणतय लेना) को दस
ू रे मौजद
ू ा न्यातयक तनकायों को अंतररत करने का प्रावधान ककया गया िै ।
2. ववधेयक के तित, केंद्र सरकार को अधधकरणों के सदस्यों की योग्यता, तनयुक्तत, पदावधध, वेतन और भत्ते,
त्यागपत्र, पद-मक्ु तत और अन्य तनयमो व सेवा-शतों िेतु तनयम बनाने की शक्तत प्रदान की गई िै ।
3. ववधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार ‘खोज एिं चयन सलमतत’ (Search-cum-Selection Committee) के
सुझाव पर अधधकरण के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की तनयुक्तत करे गी। इस सममतत की अध्यक्षता
भारत के मख्
ु य न्यायाधीश या उनके द्वारा नाममत सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।
4. राज्य प्रशासतनक अधधकरणों (State Tribunals) के मलए, एक पथ
ृ क ‘खोज सममतत’ िोगी।
5. केंद्र सरकार को ‘खोज एवं चयन सममततयों’ के सुझावों पर तीन मिीने के भीतर 'अधधमान्य रूप से’
फैसला लेना लेना िोगा।
6. कायभकाल: अधधकरण का अध्यक्ष, 4 साल की अवधध या 70 वषत की आयु प्रातत करने तक, जो भी पिले
िो, तक पद धारण करे गा। अधधकरण के अन्य सदस्य, 4 साल की अवधध या 67 वषत की आयु प्रातत
करने तक, जो भी पिले िो, तक पद धारण करें गे।
अपीलीय अगधकरणों का उन्मूलन: ववधेयक के तित, पांच अधधकरणों - ‘कफल्म प्रमाणन अपीलीय अधधकरण’,
‘िवाईअड्िा अपीलीय अधधकरण’, ‘अधग्रम तनणतय प्राधधकरण’, ‘बौद्धधक संपदा अपीलीय बोित’ और ‘पादप प्रजातत
संरक्षण अपीलीय अधधकरण’ – को समातत करने तथा उनके कायों को मौजद
ू ा न्यातयक तनकायों के मलए अंतररत
ककया जाने का प्रस्ताव ककया गया िै ।
विधेयक के संदिभ में अदालत का तनणभय:
• ‘मद्रास बार एसोमसएशन बनाम भारत संघ’ मामले में , सुप्रीम कोटत ने ककसी अधधकरण के अध्यक्ष एवं
सदस्यों के के रूप में तनयक्ु तत के मलए न्यूनतम आयु 50 वषत और चार साल का कायतकाल, तनधातररत
करने वाले प्रावधानों को रद् कर हदया था।
• अदालत के अनुसार- इस प्रकार की शतें, शक्ततयों के पथ
ृ तकरण, न्यायपामलका की स्वतंत्रता, ववधध के
शासन और भारत के संववधान के अनुच्छे द 14 के मसद्धांतों का उल्लंघन करती िैं।
संबंगधत वििाद:
ववधेयक के द्वारा तनपनमलणखत प्रावधानों के संदभत में सवोच्च न्यायालय के फैसले को तनष्ट्प्रभावी करने का
प्रयास ककया गया िै :
4. ववधेयक में आवश्यक न्यूनतम आयु को 50 वषत रखा गया िै ।
5. अधधकरण के अध्यक्ष और सदस्यों का कायतकाल चार वषत का प्रस्ताववत ककया गया िै ।
6. प्रत्येक पद पर तनयुक्तत के मलए ‘खोज एवं चयन सममतत’ द्वारा दो नामों की मसफाररश और सरकार
द्वारा तीन मिीने के भीतर तनणतय लेने की अपेक्षा की गयी िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप न्यायाधधकरणों एवं न्यायालयों के बीच अंतर के बारे में जानते िैं?
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

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विषय:सरकारी नीततयों और ववमभन्न क्षेत्रों में ववकास के मलये िस्तक्षेप और उनके अमभकल्पन तथा कायातन्वयन
के कारण उत्पन्न ववषय।
1. ककर्ोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) विधेयक, 2021
संदिभ: िाल िी में , ‘ककशोर न्याय अधधतनयम’, 2015 में संशोधन करने िे तु ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और
संरक्षण) ववधेयक, 2021 (The Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021)
राज्यसभा में पाररत कर हदया गया िै ।
निीनतम संर्ोधनों के अनस
ु ार:
1. अधधतनयम के तित म्जलागधकाररयों को ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम के
सुचारू कायातन्वयन को सुतनक्श्चत करने के साथ-साथ संकट की क्स्थतत में बच्चों के पक्ष में समक्न्वत
प्रयास करने के मलए और अगधक अगधकार हदए गए हैं।
2. अततररतत क्जला मक्जस्रे ट (ADM) सहित क्जला मक्जस्रे ट (ADM) जेजे अधधतनयम के तित, स्वतंत्र रूप
से क्जला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण सममततयों, ककशोर न्याय बोिों, ववशेष ककशोर पमु लस
इकाइयों, बाल दे खभाल संस्थानों आहद के कामकाज का मूल्यांकन करें गे।
3. क्जलाधधकारी द्वारा ‘बाल कल्याण सममततयों’ (Child Welfare Committees - CWC) के सदस्यों, जोकक
आम तौर पर सामाक्जक कल्याण कायतकतात िोते िैं, की र्ैक्षक्षक योग्यता सहहत पष्ट्ृ ठिूलम की जांच भी
की जाएगी। वततमान में ऐसा कोई प्रावधान निीं िै ।
4. ववधेयक में , म्जलागधकारी से ‘बाल कल्याण सलमतत’ के सदस्यों की संिावित आपरागधक पष्ट्ृ ठिलू म की
िी जांच करने को किा गया िै , ताकक यि सुतनक्श्चत ककया जा सके कक तनयुक्तत से पिले ककसी भी
सदस्य के णखलाफ बाल शोषण या बाल यौन शोषण संबंधी कोई मामला तों दजत निीं था।
5. ‘बाल कल्याण सममततयों’ (Child Welfare Committees - CWC) के मलए संबधं धत क्जलों में उनकी कायतक्रमों
के बारे में क्जलाधधकारी को तनयममत रूप से ररपोटत करना िोगा।
6. नवीनतम संशोधनों के अनस
ु ार, क्जन अपराधों में अधधकतम सजा 7 वषत से अधधक कारावास िै , लेककन
कोई न्यूनतम सजा तनधातररत निीं की गई िै या 7 वषत से कम की न्यूनतम सजा प्रदान की गई िै , उन्िें
इस अधधतनयम के तित गंभीर अपराध माना जाएगा।
7. संशोधनों के अनुसार, गोद लेने के आदे श, अब अदालत के स्थान पर अब क्जलाधधकारी (अततररतत
क्जला मक्जस्रे ट समेत) द्वारा जारी ककए जाएंग।े
महत्ि:
• इन पररवततनों के द्वारा क्जलाधधकाररयों को अधधक शक्ततयाँ और उत्तरदातयत्व प्रदान ककया गया िै ।
• इससे क्जला स्तर पर, तनयंत्रण और संतलु न सहित, बच्चों की सरु क्षा में वद्
ृ धध िुई िै , और दे श में गोद
लेने की प्रकक्रया में भी तेजी आएगी।
ककर्ोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अगधतनयम, 2015:
1. ककशोर अपराध कानून और ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण अधधतनयम) 2000 (Juvenile
Delinquency Law and the Juvenile Justice (Care and Protection of Children Act) 2000) को प्रस्थावपत
करने िे तु ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम’ (Juvenile Justice (Care and
Protection of Children) Act) को वषत 2015 में संसद में पेश ककया गया और पाररत ककया गया था।
2. क़ानून के तित, अपराधों का तनधातरण करने के दौरान, कानून का उल्लंघन करने वाले 16-18 वषत के
आयु वगत वाले ककशोरों पर वयस्कों के रूप में मक
ु द्दमा चलाने की अनम
ु तत दी गयी थी।
3. अपराध की प्रकृतत, और ककशोर पर नाबामलग या बच्चे के रूप में मक
ु दमा चलाए जाने के संबंध में
तनणतय करने का अधधकार, ‘ककशोर न्याय बोित’ (Juvenile Justice Board) को हदया गया था।

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4. वषत 2012 में िुए हदल्ली गैंगरे प के बाद इस प्रावधान पर अधधक जोर हदया गया था। हदल्ली गैंगरे प
मामले में एक आरोपी की उम्र 18 साल से कुछ कम थी और इसमलए उस पर एक ‘ककशोर’ के रूप में
मक
ु दमा चलाया गया।
5. इसके अलावा, अधधतनयम के तित ‘केंद्रीय दत्तक ग्रिण संसाधन प्राधधकरण’ (Central Adoption Resource
Authority- CARA) को वैधातनक तनकाय का दजात हदया गया, क्जससे यि प्राधधकरण अपने कायों को
प्रभावी ढं ग से करने में अधधक सक्षम िुआ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ककशोर न्याय बोिों’ की संरचना के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. CARA के बारे में
2. ककशोर न्याय बोिों के बारे में
3. ककशोर न्याय अधधतनयम, 2015 में प्रावधान
4. अधधतनयम में नवीनतम प्रस्ताववत संशोधन
में स ललंक: ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम’, 2015 के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. गोिा में िूलमपुत्र का दजाभ


संदिभ: िाल िी में , गोवा ववधानसभा द्वारा ‘गोवा भूममपुत्र अधधकाररणी ववधेयक, 2021’ (Goa Bhumiputra
Adhikarini Bill, 2021) पाररत कर हदया गया िै ।
विधेयक के प्रमुख बबंद:ु
1. ववधेयक में , 30 साल या उससे अधधक समय से राज्य में रिने वाले ककसी भी व्यक्तत को 'भमू मपत्र

(ममट्टी का पत्र
ु )' के रूप में मान्यता प्रदान की गयी िै ।
2. इसके तित, यहद ककसी व्यक्तत का अपने ‘छोटे आवास’ पर मामलकाना िक़ अब तक अतनक्श्चत था, तो
उसे अपने आवास पर मामलकाना िक़ दे ने का प्रावधान ककया गया िै ।
3. एक बार ‘भूममपत्र
ु ’ (Bhumiputra) के रूप में मान्यता प्रातत िोने के बाद, कोई व्यक्तत 1 अप्रैल, 2019 से
पिले तनममतत 250 वगत मीटर तक क्षेत्रफल वाले अपने घर पर ‘स्वाममत्व’ का दावा कर सकता िै ।
कायाभन्ियन:
1. ववधेयक में ‘भमू मपुत्र अधधकाररणी’ नामक एक सममतत के गठन का प्रावधान ककया गया िै । इस सममतत
की अध्यक्षता उप-म्जलागधकारी द्वारा की जाएगी और ‘टाउन एंि कंरी तलातनंग’, ‘वन और पयातवरण
ववभागों’ के अधधकारी और संबंधधत तालक
ु ों के मामलातदार (Mamlatdars) सममतत के सदस्य के रूप में
शाममल िोंगे।
2. कोई भी भूममपत्र
ु - यहद उसका घर तनधातररत ततधथ से पिले तनममतत ककया गया िै – सममतत के समक्ष
अपने घर पर मामलकाना िक़ प्रातत करने के मलए आवेदन कर सकता िै ।
3. ‘भूममपुत्र अधधकाररणी’ सममतत द्वारा संबधधत भमू म के मामलक को – जो एक स्थानीय तनकाय भी िो
सकता िै –आपवत्तयां दजत करने के मलए 30 हदन का समय हदया जाएगा, और इसके बाद सममतत
‘भूममपुत्र’ को उस भूमम का स्वाममत्व दे ने का तनणतय लेगी।
4. भमू मपत्र
ु अधधकारी के फैसले के णखलाफ, 30 हदनों के भीतर प्रशासतनक न्यायाधधकरण के समक्ष अपील
दायर की जा सकती िै ।
इस मामले में अदालत का हस्तक्षेप:
इस अधधतनयम के तित, ककसी भी अदालत के पास “भूममपुत्र अधधकाररणी और प्रशासतनक न्यायाधधकरण द्वारा
तय ककए जाने वाले ककसी भी प्रश्न पर ववचार करने, तनणतय लेने या समाधान करने’ का क्षेत्राधधकार निीं िोगा"।

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इन उपायों की आिश्यकता:
• वपछले कई सालों से ऐसे मामले सामने आ रिे िैं, क्जनमे ककसी व्यक्तत या उसके माता-वपता द्वारा घर
का तनमातण ककया गया था, लेककन घर की जमीन उसके नाम पर निीं िै । इसकी वजि से इनके मसर
पर िमेशा तलवार लटकी रिती िै कक कोई उनके णखलाफ (स्वाममत्व को लेकर) केस दजत कर दे गा।
• प्रस्ताववत ववधेयक का उद्दे श्य, एक छोटे आवासीय घर पर, उसमें रिने वाले को मामलकाना िक़ प्रदान
करना िै , ताकक वि गररमा और आत्म-सपमान के साथ अपने घर में रि सके और अपने ‘जीवन के
अधधकार’ का प्रयोग कर सके।
संबंगधत गचंताएं:
सबसे बड़ी धचंता यि िै , कक इस ववधेयक के लागू िोने के बाद ‘अवैध रूप से बनाए गए मकानों’ के
तनयममतीकरण संबंधी मामले सामने आ सकते िै । इस ववधेयक से, गोवा के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में गैर-
कानन
ू ी तरीके से रि रिी प्रवासी आबादी के मलए वैधता िामसल करने का अवसर ममल सकता िै ।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

3. आिश्यक रक्षा सेिा विधेयक


संदिभ:
िाल िी में , ‘आवश्यक रक्षा सेवा ववधेयक’, 2021 (Essential Defence Services Bill, 2021) लोकसभा द्वारा पाररत
कर हदया गया िै ।
इसका उद्दे श्य, सरकारी स्वाममत्व वाले ‘आयुध कारखानों’ (Ordnance Factories) के कमतचाररयों द्वारा िड़ताल
करने पर रोक लगाना िै ।
विधेयक के प्रमख
ु बबंद:ु
1. यि ववधेयक, “अतनवायत रक्षा सेवाओं’ को जारी रखने के सबंध में प्रावधान करता िै ।
2. ववधेयक में आिश्यक रक्षा सेिाओं को पररिावषत ककया गया िै : इसमें , रक्षा संबंधी उद्दे श्यों के मलए
जरूरी वस्तओ
ु ं या उपकरणों का तनमातण करने वाला कोई संस्थान या उपक्रम, या सशस्त्र बलों या इनसे
जुड़ा िुआ कोई संस्थान या रक्षा संबंधी संस्थान को शाममल ककया गया िै ।
3. ववधेयक में , सरकार को इसमें उक्ल्लणखत सेवाओं को ‘अतनवायत रक्षा सेवाओं’ के रूप में घोवषत करने की
शक्तत प्रदान की गई िै ।
4. इसमें , "अतनवायत रक्षा सेवाओं में संलग्न ककसी भी औद्योधगक प्रततष्ट्ठान या इकाई" में िड़ताल और
तालाबंदी पर भी प्रततबंध लगाया गया िै ।
5. ववधेयक के द्वारा, आवश्यक रक्षा सेवाओं को लोक उपयोगी सेवाओं में शाममल करने िे तु ‘औद्योधगक
वववाद अधधतनयम, 1947 में संशोधन ककया गया िै ।
6. इसके अलावा, ववधेयक में ‘िड़ताल’ तथा इसके उल्लंघन के मलए दं ि को भी पररभावषत ककया गया िै ।
विधेयक की आिश्यकता:
• जून, 2021 में केंद्र सरकार द्वारा ‘आयुध तनमातणी बोित’ (Ordnance Factory Board - OFB) का
‘तनगमीकरण’ करने संबंधी घोषणा की गयी थी।
• सरकार के अनुसार, इस कदम का उद्दे श्य इन कारखानों की दक्षता और जवाबदे िी में सुधार करना िै ।
• िालांकक, सरकार के इस फैसले के बाद नौकरी छूटने के िर से, कई संघों द्वारा अतनक्श्चतकालीन िड़ताल
शुरू करने की घोषणा की गई थी।
• और, इस पर रोक लगाने के मलए सरकार द्वारा 30 जून को ‘अतनवायत रक्षा सेवा अध्यादे श’ (Essential
Defence Services Ordinance) लागू कर हदया गया। यि ववधेयक इस अध्यादे श की जगि लेगा।

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इस विधेयक का प्रिाि:
यि ववधेयक, दे श भर के 41 आयुध कारखानों के लगभग 70,000 कमतचाररयों पर प्रत्यक्ष रूप से असर िालेगा।
ये काममतक ‘आयध
ु तनमातणी बोित’ (OFB) का ‘तनगमीकरण’ ककए जाने से असंतष्ट्ु ट िै , और इनको आशंका िै कक
इससे उनकी सेवा और सेवातनववृ त्त की शतों पर प्रभाव पड़ेगा।
‘आयुध तनमाभणी बोिभ’ एिं इसके द्िारा उत्पादन का महत्ि:
आयुध कारखाने रक्षा िाितवय
े र और उपकरणों के स्वदे शी उत्पादन के मलए एक एकीकृत आधार बनाते िैं, आयुध
कारखाने, रक्षा मशीनरी और उपकरणों के स्वदे शी उत्पादन िे तु एक समेककत आधार िैं, और इनका प्रधान
उद्दे श्य सशस्त्र बलों को अत्याधतु नक यद्
ु धक्षेत्रक उपकरणों से लैस करना िै ।
अताः, अतनवायत रक्षा सेवाओं को जारी रखने िे तु, ताकक राष्ट्र की सुरक्षा और अधधकांश जन-जीवन और संपवत्त को
सुरक्षक्षत रखने और इससे संबद्ध या आनुषांधगक ववषयों के मलए एक क़ानून बनाना आवश्यक िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक ‘औद्योधगक वववाद अधधतनयम,’ 1957 की धारा 22(1)(ए) के तित भारत
में िड़ताल का अधधकार एक वैधातनक अधधकार िै? यि अधधकार, संववधान में उल्लणखत ककस मौमलक अधधकार
से आधार प्रातत करता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘आयुध तनमातणी बोित’ (OFB) तया िै?
2. ववधेयक के प्रमख
ु बबंद ु
3. ववधेयक के अंतगतत केंद्र को प्रातत शक्ततयां
में स ललंक: ‘आयुध तनमातणी बोित’ (OFB) के तनगमीकरण से जुड़ी धचंताओं पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. सीलमत दे यता िागीदारी (संर्ोधन) विधेयक 2021


संदिभ: िाल िी में , ‘सीममत दे यता भागीदारी (संशोधन) ववधेयक’ 2021 (Limited Liability Partnership
(Amendment) Bill 2021) राज्यसभा में पाररत कर हदया गया। इस ववधेयक के तित, ‘सीममत दे यता भागीदारी
अधधतनयम’ (LLP Act), 2008 में संशोधन का प्रस्ताव ककया गया िै ।
विधेयक के उद्दे श्य, प्रमख
ु प्रािधान और फोकस:
1. ववधेयक का उद्दे श्य, ‘व्यापार में सुगमता’ (Ease of Doing Business को आसान बनाना और दे श भर में
स्टाटत अतस को प्रोत्साहित करना िै ।
2. मौजूदा कानून में , 24 दं िात्मक प्रावधान, 21 प्रशपय अपराध (compoundable offences) और 3 गैर-
शमनीय (non-compoundable) अपराध शाममल िैं। प्रस्ताववत ववधेयक में इन अपराधों में से 12 को
गैर-अपराध घोवषत करने का प्रावधान ककया गया िै ।
3. न्यायतनणाभयक अगधकारी (Adjudicating Officers): ववधेयक में , केंद्र सरकार को ‘अधधतनयम के तित दं ि
दे ने िे तु ‘न्यायतनणातयक अधधकाररयों’ की तनयुक्तत करने का अधधकार हदया गया िै । ये अधधकारी केंद्र
सरकार के अधीन िोंगे तथा इन पदों पर रक्जस्रार के पद नीचे पर कायतरत व्यक्तत की तनयुक्तत निीं
की जाएगी। न्यायतनणातयक अधधकाररयों के आदे शों के ववरुद्ध ‘क्षेत्रीय तनदे शक’ के समक्ष अपील की जा
सकेगी।
4. विर्ेष अदालतें : ववधेयक में केंद्र सरकार को अधधतनयम के तित अपराधों की त्वररत सन
ु वाई सतु नक्श्चत
करने के मलए ववशेष अदालतें स्थावपत करने की अनुमतत दी गई िै ।
5. अपीलीय न्यायागधकरण में अपील: अधधतनयम के तित, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधधकरण (NCLT) के
आदे शों के णखलाफ ‘राष्ट्रीय कंपनी कानन
ू अपीलीय न्यायाधधकरण’ (NCLAT) के समक्ष अपील की जा
सकती िै । ववधेयक के अनस
ु ार, कक दोनों पक्षों की सिमतत से पाररत आदे श के णखलाफ अपील निीं की
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जा सकती िै , और NCLT द्वारा जारी आदे श के 60 हदनों के भीतर अपील दायर की जानी चाहिए (क्जसे
अगले 60 हदनों तक बढ़ाया जा सकता िै)।
6. ववधेयक में लघु ‘सीलमत दे यता िागीदारी’ (LLP) के गठन का प्रावधान ककया गया िै : क्जसमे (i)
भागीदारों का योगदान 25 लाख रुपये तक िै (पांच करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता िै ), (ii) वपछले
ववत्तीय वषत के मलए कारोबार40 लाख रुपये तक िै (50 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता िै )।
7. स्टाटभ-अप ‘सीलमत दे यता िागीदारी’: केंद्र सरकार कुछ LLP को स्टाटत-अप LLP के रूप में भी अधधसूधचत
कर सकती िै ।
8. एकाउं हटंग हे तु मानक: केंद्र सरकार, राष्ट्रीय ववत्तीय ररपोहटां ग प्राधधकरण के परामशत से एलएलपी की
श्रेणणयों के लेखांकन और लेखा परीक्षा के मानकों को तनधातररत कर सकती िै ।
LLP क्या है ?
सीममत दे यता भागीदारी (Limited Liability Partnerships- LLPs) व्यापार संगठन का एक स्वरूप िोती िै , क्जसमें
प्रत्येक भागीदार की दे यता कानूनी रूप से सीममत िोती िै । अतएव, यि भागीदारी और तनगमों के तत्वों को
प्रदमशतत करता िै ।
सीममत दे यता भागीदारी (LLP) में एक िागीदार, ककसी दस
ू रे िागीदार के कदाचार अथिा लापरिाही के ललए
म्जभमेदार या उत्तरदायी नहीं होता है ।
‘सीलमत दे यता िागीदारी’ की प्रमख
ु विर्ेषताएं:
• एलएलपी, एक तनगलमत तनकाय (Body Corporate) और एक कानूनी इकाई िोती िै , जो इसके भागीदार
से यि अलग िोगी। इसमें एक सतत अनुक्रमण िोता िै ।
• एक पथ
ृ क कानन
ू (अथातत एलएलपी अधधतनयम, 2008) िोने के नाते, भारतीय भागीदारी अधधतनयम, 1932
के प्रावधान एलएलपी पर लागू निीं िोते िैं और यि भागीदारों के मध्य अनुबंध संबंधी समझौते द्वारा
ववतनयममत िोता िै ।
• प्रत्येक सीममत दे यता भागीदारी द्वारा "सीममत दे यता भागीदारी" शधद अथवा इसका संक्षक्षतत नाम
‘एलएलपी’ (LLP) का उपयोग अपने नाम के अंत में ककया जाएगा।
संरचना: प्रत्येक एलएलपी में कम से कम दो भागीदार िोंगे और इसमें कम से कम दो व्यक्तत नामतनहदत ष्ट्ट
भागीदार के रूप में िोंगे, क्जसमें से कम से कम एक भारत का तनवासी िोगा और सभी भागीदार, ‘सीममत दे यता
भागीदारी’ के प्रतततनधध िोंगे।
LLP की आिश्यकता और महत्ि:
• एलएलपी प्रारूप एक वैकक्ल्पक कॉपोरे ट व्यावसातयक संस्करण िै , क्जसमे ककसी कंपनी के सीममत
दातयत्व का लाभ प्रदान ककया जाता िै , ककन्तु साझेदारी फमत की भांतत इसके सदस्यों के मलए पारस्पररक
सिमतत के आधार पर आंतररक प्रबंधन को व्यवक्स्थत करने की अनुमतत िोती िै ।
• सामान्यताः यि प्रारूप लघु एवं मध्यम उद्यमों के मलए और ववशेष रूप से सेवा क्षेत्र उद्यमों के मलए
काफी उपयोगी िोगा।
• अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, ववशेष रूप से सेवा उद्योग के मलए अथवा पेशेवरों से संबंधधत गततववधधयों वाले
व्यवसायों के मलए सीलमत दे यता िागीदारी (LLP) एक लोकवप्रय प्रारूप िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘वाणणक्ज्यक कायत मंत्रालय’ (MCA) द्वारा स्थावपत ‘कंपनी लॉ कमेटी’ (CLC) के बारे में
जानते िैं? इसके उद्दे श्य तया िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

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5. मेकेदातु वििाद
संदिभ: तममलनािु द्वारा ‘मेकेदातु’ (Mekedatu) में कावेरी नदी पर कनातटक द्वारा जलाशय बनाने के कदम का
ववरोध ककया जा रिा िै । िालांकक, कनातटक सरकार का किना िै , कक ‘मेकेदातु पररयोजना’ से कोई "खतरा” निीं
िै और राज्य द्वारा इस पररयोजना को शरू
ु ककया ककया जाएगा।
समाधान हे तु उपाय:
इस बीच, केंद्र सरकार ने किा िै , कक इस पररयोजना के मलए ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधधकरण’ (CWMA) की
अनुमतत लेना आवश्यक िै ।
• कनातटक द्वारा भेजी गई ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटत ’ (Detail Project Report - DPR) को अनुमोदन के
मलए CWMA के समक्ष कई बार पेश ककया चुका िै , ककं तु संबधधत राज्यों, कनातटक और तममलनािु के
बीच सिमतत निीं बन पाने के कारण इस मुद्दे पर चचात निीं िो सकी िै ।
• साथ िी, ‘कावेरी जल वववाद प्राधधकरण’ के अंततम तनणतय, क्जसे सवोच्च न्यायालय द्वारा संशोधधत
ककया गया था, के अनस
ु ार, ‘जल शक्तत मंत्रालय’ द्वारा ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटत ’ (DPR) पर ववचार
करने के मलए पिले CWMA की स्वीकृतत लेना आवश्यक िै ।
चूंकक, यि पररयोजना एक अंतर-राज्यीय नदी के पार प्रस्ताववत की गई िै , अताः इसे ‘अंतरराज्यीय जल वववाद
अधधतनयम’ (Interstate Water Dispute Act) के अनुसार, पररयोजना के मलए नदी के तनचले तटवती राज्यों की
मंजूरी लेना भी आवश्यक िै।
‘मेकेदातु पररयोजना’ के बारे में :
‘मेकेदातु’ एक बिुउद्दे शीय (जल एवं ववद्युत ्) पररयोजना िै ।
• पररयोजना के तित, कनातटक के रामनगर क्जले में कनकपुरा के पास एक ‘संतोलन जलाशय’ (Balancing
Reservoir) का तनमातण ककया जाना प्रस्ताववत िै ।
• इस पररयोजना का उद्दे श्य, बेंगलुरू शिर और इसके तनकटवती क्षेत्रों के मलए पीने के प्रयोजन िे तु पानी
(4.75 टीएमसी) का भंिारण और आपूततत करना िै । इस पररयोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट
बबजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव ककया गया िै ।
• पररयोजना की अनुमातनत लागत 9,000 करोड़ रुपये िै ।
तलमलनािु द्िारा इस पररयोजना का विरोध करने के कारण:
1. तममलनािु का किना िै , कक ‘उच्चतम न्यायालय’ और ‘कावेरी जल वववाद अधधकरण’ (CWDT) के
अनुसार ‘कावेरी बेमसन में उपलधध मौजद
ू ा भंिारण सुववधाएं, जल भंिारण और ववतरण के मलए पयाततत
िै , अताः कनातटक का यि प्रस्ताव पव
ू -त दृष्ट्टया असमथतनीय िै और इसे सीधे खाररज कर हदया जाना
चाहिए।
2. तममलनािु के अनुसार- प्रस्ताववत जलाशय का तनमातण केवल पीने के पानी के मलए निीं ककया जा रिा
िै , बक्ल्क इसके द्वारा मसंचाई की सीमा बढाया जाएगा, जोकक ‘कावेरी जल वववाद तनणतय’ का स्पष्ट्ट
उल्लंघन िै ।
अगधकरण तथा सप्र
ु ीम कोटभ द्िारा हदए गए तनणभय:
‘कावेरी जल वववाद अधधकरण’ (CWDT) का गठन वषत 1990 में की गयी थी और वषत 2007 में हदए गए अपने
अंततम फैसले में , तममलनािु को 419 टीएमसी फीट, कनातटक को 270 टीएमसी फीट, केरल को 30 टीएमसी फीट
और पुिुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी का बटवारा ककया था। अधधकरण ने, बाररश की कमी वाले वषों में , सभी
राज्यों के मलए जल-आवंटन की मात्रा कम कर दी जाएगी।
• िालांकक, तममलनािु और कनातटक दोनों द्वारा इस बटवारे पर अप्रसन्नता व्यतत की और जल बंटवारे को
लेकर दोनों राज्यों में ववरोध और हिंसा के प्रदशतन िुए। इसके बाद सुप्रीम कोटत द्वारा इस मामले पर

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सुनवाई की गई और वषत 2018 के फैसले में , बंटवारा करते िुए तममलनािु के पूवत तनधातररत हिस्से में से
14.75 टीएमसी फीट पानी कनातटक को दे हदया।
• इस प्रकार, नया बटवारे के अनस
ु ार, तममलनािु के मलए 404.25 टीएमसी फीट पानी ममला और कनातटक
को 284.75 टीएमसी फीट पानी हदया गया। केरल और पुिुचेरी का हिस्सा अपररवतततत रिा।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 2018 में भारत के सवोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के मलए ‘कावेरी
प्रबंधन योजना’ अधधसूधचत करने का तनदे श
हदया था? इस योजना के प्रमुख घटक कौन
से िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. कावेरी की सिायक नहदयाँ।
2. बेमसन में अवक्स्थत राज्य।
3. नदी पर क्स्थत मित्वपूणत जलप्रपात
तथा बांध।
4. मेकेदातु किाँ िै?
5. प्रोजेतट ककससे संबधं धत िै?
6. इस पररयोजना के लाभाथी।
में स ललंक: मेकेदातु पररयोजना पर एक
हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू

6. पूिव्भ यापी करों पर विराम लगाने हे तु विधेयक


संदिभ:
िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में कराधान कानन
ू (संशोधन) ववधेयक, 2021 (Taxation Laws
(Amendment) Bill, 2021) प्रस्तुत ककया गया िै ।
विधेयक का उद्दे श्य:
1. आयकर अधधतनयम, 1961 और ववत्त अधधतनयम, 2012 में संशोधन करना।
2. आयकर ववभाग को ‘पूवव्त यापी कर’ (Retrospective Tax) मांगों में वद्
ृ धध करने से रोकना।
तनहहताथभ:
1. अब, उतत पूवव्त यापी कराधान संशोधन के आधार पर, भारतीय संपवत्त के, 28 मई, 2012 से पिले िोने
वाले ककसी भी अप्रत्यक्ष िस्तांतरण पर ककसी भी कर की मांग निीं की जाएगी। 28 मई, 2012 को ‘ववत्त
अधधतनयम, 2012’ के मलए राष्ट्रपतत की सिमतत प्रातत िुई थी।
2. भारतीय संपवत्त के, 28 मई, 2012 से पिले िोने वाले अप्रत्यक्ष िस्तांतरण पर ‘करों की मांग’ के मलए
तनहदत ष्ट्ट शतों को पूरा करने पर रद्द कर हदया जाएगा।
3. ववधेयक में , इन मामलों में भुगतान की गई रामश को बबना ककसी धयाज के वापस करने का भी प्रस्ताव
ककया गया िै ।
पात्रता:
इस क़ानून के अंतगतत लाभ पाने िे तु, संबंधधत करदाताओं को सरकार के णखलाफ लंबबत सभी मामलों को वापस
लेना िोगा और इसके मलए भववष्ट्य में कोई िजातना या लागत की कोई मांग निीं करने का वादा करना िोगा।

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संबंगधत प्रकरण एिं पूिव्भ यापी कर:
1. वोिाफोन द्वारा आयकर ववभाग के ₹ 11,000 करोड़ की कर-बकाया मांग के णखलाफ सुप्रीम कोटत में एक
मामला जीतने के बाद ‘पि
ू व्भ यापी कर कानन
ू ’ (Retrospective Tax Law) को ‘ववत्त अधधतनयम, 2012’ के
माध्यम से लागू ककया गया था।
2. वषत 2012 में सुप्रीम कोटत द्वारा सुनाए गए एक फैसले के अनुसार, भारतीय संपवत्त के अप्रत्यक्ष
िस्तांतरण से प्रातत िोने वाला लाभ, मौजूदा कानूनों के तित कर योग्य निीं िैं। इस फैसले के बाद यि
क़ानून अधधतनयममत ककया गया था।
3. ‘पव
ू व्त यापी कर कानन
ू ’ के प्रावधान, जनवरी 2014 में केयनत एनजी पर पर भी लागू ककए गए थे। केयनत
एनजी द्वारा केयनत इंडिया मलममटे ि से बािर तनकलने के दौरान, आयकर ववभाग ने ₹ 10,570 करोड़ की
प्रारं मभक मांग की थी।
इस कदम का महत्ि:
• सरकार का यि तनणतय, ‘वोिाफोन पीएलसी’ जैसी ववदे शी फमों के साथ काफी समय से लंबबत वववादों
को समातत करने का प्रयास करता िै ।
• यि फैसला, तनवेशकों के अनुकूल भी िै , और ववशेष रूप से केयनत एनजी के साथ, अवप्रय मुकदमेबाजी
और मध्यस्थता संबंधी मामलों को समातत करे गा।
• ववहदत िो कक, केयनत एनजी ने भारत सरकार के णखलाफ अंतरातष्ट्रीय मध्यस्थता अधधकरण में मक
ु द्दमा
जीतने के बाद भारत की ववदे शों में क्स्थत पररसंपवत्तयों पर दावा ककया गया था।
‘पूिव्भ यापी कराधान’ क्या है?
‘पव
ू व्त यापी कराधान’ (Retrospective Taxation) के तित, ककसी दे श को, कानन
ू पाररत िोने की तारीख से पिले
से, कुछ उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं और सौदों पर, पूवव्त यापी कर लगाने तथा कंपतनयों पर पूवव्त यापी दं ि लगाने
की अनुमतत िोती िै ।
• ववमभन्न दे शों द्वारा अपनी कराधान नीततयों में उन ववसंगततयों को ठीक करने के मलए इस मागत का
उपयोग ककया जाया िैं, क्जनके तित अतीत में ‘कंपतनयों’ को ऐसी खाममयों का लाभ उठाने का अवसर
ममल गया था।
• ‘पूवव्त यापी कराधान’ से उन कंपतनयों को नुकसान पिुँचाता िै क्जनके द्वारा जानबझ
ू कर या अनजाने में
दे श के कर तनयमों की अलग-अलग व्याख्या की गई थी।
इंस्टा म्जज्ञासु: िे ग, नीदरलैंि में ककस ‘अंतरातष्ट्रीय संगठन’ का मुख्यालय क्स्थत िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

7. दत्तक ग्रहण, धमभ की सीमाओं में सीलमत नहीं है : हदल्ली उच्च न्यायालय
संदिभ: िाल िी में , हदल्ली उच्च न्यायालय ने दत्तक ग्रिण संबंधी मामले में एक फैसला सन
ु ाते िुए किा कक,
‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम (Juvenile Justice (Care and Protection of Children)
Act) के तित गोद लेने िे तु आवेदन करने पर, बच्चे को गोद लेने में हदलचस्पी रखने वाले को व्यक्तत को
उसके धमत तक सीममत निीं ककया सकता िै ।
संबंगधत प्रकरण:
• अदालत ने उपरोतत फैसला एक ऐसे मामले की सन
ु वाई करने के दौरान सन
ु ाया, क्जसमें एक ईसाई
दं पतत ने ‘हिंद ू कानून’ के तित एक बच्चे को गोद मलया था।
• अदालत के अनुसार, ‘हिंद ू दत्तक और भरण-पोषण अधधतनयम’ (Hindu Adoptions and Maintenance Act -
HAMA) के तित ईसाई और मक्ु स्लम दपपतत, सीधे िी ककसी हिंद ू बच्चे को गोद निीं ले सकते और गोद
लेने के मलए उन्िें ‘ककर्ोर न्याय अगधतनयम’ के तित प्रकक्रया का पालन करना िोता िै ।
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• अदालत ने किा कक, चूंकक पालक माता-वपता और उनके पररवार द्वारा बच्चे की अच्छी तरि से
दे खभाल की जा रिी िै , इसमलए, बच्चे को उनके प्रभार और संरक्षण से िटाने का कोई कारण निीं िै ।
• चंकू क, बच्चे को ‘दत्त िोमम’ (Datta Homam) नामक ‘हिंद ू दत्तक ग्रिण समारोि’ के अनस
ु ार गोद मलया
गया िै , अताः इस संबंध में , भववष्ट्य में कोई कानूनी समस्या उत्पन्न निीं िो सकती।
िारत में दत्तक ग्रहण कानन
ू ों को तनयंबत्रत करने िाला विगधक ढांचा:
1. भारत में , ‘गोद लेना’ तनजी कानूनों (Personal Laws) के दायरे में आता िै , और िमारे दे श में प्रचमलत
ववववध धाममतक परपपराओं के कारण, इस संदभत में मुख्य रूप से दो पथ
ृ क कानून लागू िैं।
2. मक्ु स्लम, ईसाई, पारसी और यिूदी धमों में औपचाररक रूप से गोद लेने की अनम ु तत निीं िै , अताः गोद
लेने के सदभत में , इन धमो के लोगों पर ‘संरक्षक और प्रततपाल्य अगधतनयम’, 1890 ( Guardians and
Wards Act, 1890) लागू िोता िै ।
3. दस
ू री ओर, हिंद,ू मसख, बौद्ध और जैन धमत के लोगों पर, ‘हहंद ू दत्तक और िरण-पोषण अगधतनयम, 1956
(Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956) लागू िोता िै ।
4. इसके अलावा, ‘ककशोर न्याय अधधतनयम’ भी गोद लेने से संबंधधत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप भावी दत्तक माता-वपता के मलए पात्रता मानदं िों के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘केंद्रीय दत्तक ग्रिण तनयामक प्राधधकरण’ (CARA) के बारे में
2. भारत में गोद लेने की प्रकक्रया
3. पात्रता
4. ‘ककशोर न्याय अधधतनयम’ (जेजे एतट) के बारे में
में स ललंक: भारत में गोद लेने की प्रकक्रया में सुधार की आवश्यकता पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

8. जबरन धमभ पररितभन के खखलाफ केंद्रीय कानन


ू की मांग
संदिभ: िाल िी में , ववश्व हिंद ू पररषद द्वारा जबरन धमत पररवततन के णखलाफ केंद्रीय कानून बनाने की मांग की
गई िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम: उत्तर प्रदे श और मध्य प्रदे श जैसे राज्यों में पिले िी जबरन धमाांतरण के णखलाफ सख्त कानून लागू
ककए चक
ु े िैं। िररयाणा और कनातटक द्वारा भी इस तरि के कानून बनाने के इरादे की घोषणा की जा चुकी िै ।
लेककन, केंद्रीय कानून बनाने की मांग करने वालों का किना िै , कक दे श में िाल की घटनाओं ने साबबत कर हदया
कक यि एक अणखल भारतीय रै केट िै , और इसमलए एक केंद्रीय कानून बनाए जाने की आवश्यकता िै ।
‘धमाांतरण विरोधी कानूनों के अगधतनयमन’ के पीछे तकभ:
1. जबरन धमत पररवततन की धमकी
2. उकसावा या प्रलोभन की समस्या
3. ‘धमत पररवततन’ मौमलक अधधकार निीं िै ।
आलोचकों का पक्ष:
कई ववधध-वेत्ताओं द्वारा इस प्रकार के कानूनों की कड़ी आलोचना की गई िै , इनका तकत िै , कक 'लव क्जिाद' की
अवधारणा का कोई संवैधातनक या कानन
ू ी आधार निीं िै ।
• इन्िोने संववधान के अनुच्छे द 21 का िवाला दे ते िुए किा िै , संववधान, व्यक्ततयों को अपनी पसंद के
व्यक्तत से शादी करने के अधधकार की गारं टी दे ता िै ।

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• साथ िी, अनुच्छे द 25 के तहत भी सभी व्यक्ततयों को अंताःकरण की स्वतंत्रता का और अपनी पसंद के
धमत को अबाध रूप से मानने, आचरण करने, प्रचार करने, और ककसी भी धमत का पालन न करने के
अधधकार की गारं टी दी गयी िै ।
वििाह और धमाांतरण पर सिोच्च न्यायालय के फैसले:
1. भारत के सवोच्च न्यायालय द्वारा अपने कई तनणतयों में यि किा गया िै , कक ककसी ियस्क को अपना
जीिन साथी चुनने संबंधी मामले में पूणभ अगधकार िोता िै , और इस पर राज्य और अदालतों का कोई
क्षेत्राधधकार निीं िै ।
2. भारत के सवोच्च न्यायालय ने, ललली थॉमस और सरला मद्
ु गल, दोनों मामलों में यि पक्ु ष्ट्ट की िै , कक
धाममतक ववश्वास के बबना और कुछ कानूनी लाभ प्रातत करने के एकमात्र उद्दे श्य के मलए ककए गए धमत-
पररवततन का कोई आधार निीं िै ।
3. इलािाबाद उच्च न्यायालय ने वषत 2020 के ‘सलामत अंसारी-वप्रयंका खरिार’ मामले में तनणतय सन
ु ाते िुए
किा कक, ककसी साथी को चनु ने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यक्तत के साथ रिने का अधधकार,
नागररकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ (अनुच्छे द 21) का भाग िै ।
समय की मांग:
1. एकरूपता की आिश्यकता: मानवाधधकारों की सावतभौममक घोषणा (UDHR) के अनच्
ु छे द 18 के अनुसार,
सभी व्यक्ततयों को धमत की स्वतंत्रता का अधधकार िै , क्जसमे उनका धमत पररवततन करने का अधधकार
भी शाममल िै । चकूं क यि राज्य का ववषय िै , इसमलए केंद्र सरकार इस ववषय पर, अनुबंध खेती पर
मॉिल कानून आहद जैसा कोई एक मॉिल कानून बना सकती िै ।
2. धमाांतरण ववरोधी कानन
ू बनाते समय राज्यों को, अपनी इच्छा से धमाांतरण करने वाले व्यक्तत के मलए
कोई अस्पष्ट्ट या अनेकाथी प्रावधान निीं करना चाहिए।
3. धमाांतरण ववरोधी कानूनों में, अल्पसंख्यक समुदाय संस्थानों द्वारा धमाांतरण के मलए कानूनी चरणों का
उल्लेख करने संबंधी प्रावधान को भी शाममल करने की आवश्यकता िै ।
4. लोगों को जबरदस्ती धमाांतरण, प्रलोभन या प्रलोभन आहद से संबंधधत प्रावधानों और तरीकों के बारे में
भी मशक्षक्षत करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववशेष वववाि अधधतनयम,’ 1954 (SMA) अलग-अलग धमों को मानने वाले
जोड़ों के वववाि की सुववधा के मलए बनाया गया था?
स्रोत: द हिंद।ू

9. मध्याह्न िोजन योजना


संदिभ: िाल िी में , ‘राष्ट्रीय मानवाधधकार आयोग’ द्वारा ‘खाद्य और पोषण का अगधकार’ सुतनक्श्चत करने िे तु
ववमभन्न नीततयों की क्स्थतत पर चचात करने के मलए ‘राष्ट्रीय स्तर की बैठक’ आयोक्जत की गई थी।
बैठक के अंत में ववशेषज्ञों द्वारा हदए गए तनपनमलणखत सुझाव हदए गए:
1. ‘मध्याह्न भोजन योजना’ (Mid-Day meal scheme) का ववस्तार बारिवीं कक्षा तक ककया जाए।
2. ‘शिरी रोजगार गारं टी योजना’ शुरू की जाए।
3. एक सावतजतनक ववतरण प्रणाली (PDS) शुरू की जाए, जो पूरी तरि से ‘आधार’ से मलंक न िो।
‘मध्याह्न िोजन योजना’ के बारे में :
यि योजना, सरकारी ववद्यालयों, सिायता प्रातत स्कूलों तथा समग्र लर्क्षा के अंतगतत सिायता प्रातत मदरसों में
सभी बच्चों के मलए एक समय के भोजन को सुतनक्श्चत करती िै ।
• इस योजना के अंतगतत, आठिीं कक्षा तक के छात्रों को एक वषत में कम से कम 200 हदन पका हुआ
पौम्ष्ट्टक िोजन प्रदान ककया जाता िै ।
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• इस योजना का कायातन्वयन मानि संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा ककया जाता िै ।
• इस योजना को एक केंद्रीय प्रायोम्जत योजना के रूप में 15 अगस्त, 1995 को पूरे दे श में लागू ककया
गया था।
• इसे प्राथलमक लर्क्षा के ललए राष्ट्रीय पौषखणक सहायता कायभक्रम (National Programme of Nutritional
Support to Primary Education: NP– NSPE) के रूप में शरू
ु ककया गया था।
• वषत 2004 में , इस कायतक्रम को लमि िे मील योजना के रूप में कफर से र्ुरू ककया गया था।
उद्दे श्य: भख
ू और कुपोषण को दरू करना, स्कूल में नामांकन और उपक्स्थतत बढ़ाना, ववमभन्न जाततयों के मध्य
समाजीकरण में सध
ु ार करना, जमीनी स्तर पर, ववशेष रूप से महिलाओं को रोजगार प्रदान करना।
मध्याह्न िोजन योजना (MDMS) तनयम 2015 के अनुसार:
• बच्चों को केवल स्कूल में िी भोजन परोसा जाएगा।
• खाद्यान्नों की अनप
ु लधधता अथवा ककसी अन्य कारणवश, ववद्यालय में पढाई के ककसी भी हदन यहद
मध्याह्न भोजन उपलधध निीं कराया जाता िै , तो राज्य सरकार अगले मिीने की 15 तारीख तक खाद्य
सुरक्षा भत्ता का भुगतान करे गी।
• तनिःर्ुल्क और अतनिायभ बाल लर्क्षा का अगधकार अगधतनयम, 2009 के अंतगतत अधधदे मशत स्कूल प्रबंधन
सममतत मध्याह्न भोजन योजना के कायातन्वयन की तनगरानी करे गी।
पोषण संबंधी मानक:
• मध्याह्न भोजन योजना (MDMS) हदशातनदे शों के अनस
ु ार, तनपन प्राथममक स्तर के मलये प्रततहदन
न्यूनतम 450 कैलोरी ऊजात एवं 12 ग्राम प्रोटीन हदए जायेंगे, तथा उच्च प्राथममक स्तर के मलये न्यूनतम
700 कैलोरी ऊजात एवं 20 ग्राम प्रोटीन हदए जाने का प्रावधान िै ।
• MHRD के अनुसार, प्राथममक कक्षाओं के बच्चों के भोजन में , 100 ग्राम खाद्यान्न, 20 ग्राम दालें, 50 ग्राम
सक्धजयां और 5 ग्राम तेल और वसा सक्पममलत की जायेगी। उच्च-प्राथममक स्कूलों के बच्चों के भोजन
में , 150 ग्राम खाद्यान्न, 30 ग्राम दालें, 75 ग्राम सक्धजयां और 7.5 ग्राम तेल और वसा को अतनवायत
ककया गया िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. MDMS योजना कब शुरू िुई?
2. इसका नाम-पररवततन कब ककया गया था?
3. केंद्र प्रायोक्जत और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के बीच अंतर?
4. MDMS ककस प्रकार की योजना िै ?
5. योजना के तित ववत्त पोषण
6. पोषक मानदं ि तनधातररत
7. योजना के तित कवरे ज
8. योजना के तित खाद्य सरु क्षा भत्ता दे ने की क्जपमेदारी
में स ललंक: मध्याह्न भोजन योजना के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

10. अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई के दायरे में लाने की लसफाररर्


संदिभ:
िाल िी में , ‘राष्ट्रीय बाल अगधकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) द्वारा दे श में अल्पसंख्यक स्कूलों का आकलन
करते िुए एक ररपोटत जारी की गई िै । ररपोटत में अनच्
ु छे द 15(5) के तित अल्पसंख्यक संस्थानों को दी जाने
वाली छूट के प्रभाव का ववश्लेषण ककया गया िै ।
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अनुच्छे द 15(5) क्या है?
इस अनुच्छे द के अंतगतत, दे श में तनजी तौर पर चलाए जा रिे और सरकार द्वारा सिायता प्रातत या गैर-
सिायता प्रातत शैक्षणणक संस्थानों में प्रवेश के संबध
ं में आरक्षण प्रदान ककए जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
इस तनयम से, केवल मदरसों जैसे अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा संचामलत संस्थानों को छूट दी गई िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
कृपया ध्यान दें , अल्पसंख्यक स्कूलों को ‘लर्क्षा का अगधकार नीतत’ लागू करने से छूट दी गई िै और यि
सरकार के ‘सिभ लर्क्षा अलियान’ के अंतगतत भी निीं आते िैं।
अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई और ‘सिभ लर्क्षा अलियान’ से कैसे प्रकार छूट दी गयी है ?
• वषत 2002 में , संविधान के 86िें संर्ोधन द्वारा ‘मशक्षा के अधधकार’ को मूल अधधकार के रूप में घोवषत
ककया गया था।
• इसी संशोधन के तित संववधान में अनच्
ु छे द 21A जोड़ा गया, क्जसमे ‘छि से 14 साल’ की उम्र के बच्चों
के मलए ‘मशक्षा का अधधकार’ (Right to Education - RTE) ‘मूल अधधकार’ बना हदया गया।
• संशोधन के पाररत िोने के बाद, सिभ लर्क्षा अलियान (SSA) की शुरुआत की गयी, क्जसका उद्दे श्य छि
से 14 साल के सभी बच्चों को "उपयोगी एवं प्रासंधगक प्रारं मभक मशक्षा" प्रदान करना था।
• वषत 2006 में , 93 िें संविधान संर्ोधन अगधतनयम द्वारा संववधान के अनुच्छे द 15 में उपबंध (5) जोड़ा
गया। क्जसके अंतगतत, राज्य को अनस
ु धू चत जातत और अनस
ु धू चत जनजातत जैसे नागररकों के ककसी भी
वपछड़े वगत की उन्नतत िे तु, अल्पसंख्यक लर्क्षण संस्थानों को छोड़कर, सभी सिायता प्रातत या गैर-
सिायता प्रातत शैक्षणणक संस्थानों में आरक्षण जैसे ववशेष प्रावधान करने की शक्तत प्रदान की गयी िै ।
’राष्ट्रीय बाल अगधकार संरक्षण आयोग’ की लसफाररर्:
आयोग का ववचार िै , संववधान में , मशक्षा के संबध
ं में दो अलग-अलग तनयमों का प्रावधान ककया गया िै , जैसे
कक ‘अनुच्छे द 21A’ में सभी बच्चों को मशक्षा के मौमलक अधधकार की गारं टी तथा ‘अनुच्छे द 30’ में अल्पसंख्यकों
को अपने तनयमों के साथ अपने संस्थान स्थावपत करने की अनुमतत प्रदान की गयी िै , इसके साथ िी अनुच्छे द
15 (5) में अल्पसंख्यक स्कूलों को ‘मशक्षा का अधधकार’ (RTE) से छूट प्रदान की गयी िै । इन मभन्न तनयमों की
वजि से, बच्चों के मौमलक अधधकार और अल्पसंख्यक समद
ु ायों के अधधकार के बीच एक ववरोधाभासी क्स्थतत
बन जाती िै ।
अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई के दायरे में लाने की आिश्यकता:
आयोग की ररपोटत के अनुसार, इन संस्थानों या स्कूलों में नामांककत कई बच्चे, अन्य बच्चों को ममलने वाले
अधधकारों का लाभ लेने में सक्षम निीं िैं।
1. उदािरण के मलए, ममशनरी स्कूल एक ‘संभ्रांत कोकून’ (Elite Cocoons) की तरि िै , इन स्कूलों में केवल
कुछ तनक्श्चत वगत के छात्रों को प्रवेश ममल पाता िै और ये स्कूल वंधचत वगत के बच्चों को मसस्टम से
बािर कर दे ते िैं। ‘राष्ट्रीय बाल अधधकार संरक्षण आयोग’ ने अपनी ररपोटत में इन स्कूलों को ‘कुलीन वगत
से भरे कोकून’ किा िै ।
2. साथ िी, मदरसों में छात्रों को धाममतक मशक्षा के साथ-साथ, ववज्ञान जैसे सांसाररक पाठ्यक्रम निीं चलाए
जाते िैं, क्जसकी वजि से यिाँ पढने वाले छात्र मशक्षा में वपछड़ जाते िैं और स्कूल से तनकलने पर
अलगाव और "िीनता" की भावना मिसूस करते िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक समग्र मशक्षा के तित, समग्र मशक्षा, सवत मशक्षा अमभयान (SSA), राष्ट्रीय
माध्यममक मशक्षा अमभयान (RMSA) और मशक्षक मशक्षा (Teacher Education) की तीन योजनाओं को समेककत
ककया गया िै ?
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

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11. िाहन कबाड़ नीतत
संदिभ: िाल िी में , प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी द्वारा ‘राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल कबाड़ नीतत’ (National Automobile
Scrappage Policy) का अनावरण ककया गया िै ।
‘िाहन कबाड़ नीतत’ के बारे में :
(Vehicle Scrappage Policy)
1. इस नीतत के अनस
ु ार, परु ाने वािनों का कफर से पंजीकरण ककए जाने से पिले इनके मलए एक कफटनेस
टे स्ट पास करना िोगा, और 15 साल से अगधक पुराने सरकारी िाहनों तथा 20 साल से अगधक पुराने
तनजी िाहनों को तोड़ हदया जाएगा।
2. ितोत्सािन उपाय के रूप में, 15 वषत या इससे पुराने वािनों का कफर से पंजीकरण करने पर, इनके
र्ुरुआती पंजीकरण से ज्यादा र्ुल्क मलया जाएगा
3. नीतत के तित, परु ाने वािनों के मामलकों द्वारा परु ाने और अनकफट वािनों को िटाने के मलए प्रोत्सािन
दे ने िे तु, तनजी िाहनों पर 25% तक और व्यािसातयक िाहनों पर 15% तक रोि-टै क्स में छूट दे ने के
मलए राज्य सरकारों से किा जा सकता िै ।
महत्ि:
• वािन स्क्रैवपंग नीतत / वािन कबाड़ नीतत का उद्दे श्य, पयातवरण के अनुकूल और सुरक्षक्षत तरीके से
अनुपयुतत और प्रदष
ू णकारक वािनों को चरणबद्ध तरीके से िटाने िे तु एक पाररतंत्र का तनमातण करना
िै ।
• यि पिल, एक चक्रीय अथतव्यवस्था को बढ़ावा दे गी और आधथतक ववकास प्रकक्रया को अधधक संविनीय
और पयातवरण के अनक
ु ू ल बनाएगी।
• यि नीतत, लगभग 10,000 करोड़ रुपये का तनवेश भी लाएगी और 35,000 रोजगार के अवसर पैदा
करे गी।
नई नीतत के साथ समस्याएं:
1. रक जैसे वािनों के मलए सीममत प्रोत्सािन और खराब कीमत दे ने वाली अथतनीतत।
2. पता लगाने योग्य अन्य वगों के वािनों की कम संख्या।
3. 15 साल पुरानी एक शरु
ु आती श्रेणी की छोटी कार को स्क्रैप करने से लगभग 70,000 रुपए का फायदा
िोगा, जबकक इसे बेचने पर लगभग 95,000 रुपए ममल सकते िैं। इस कारण स्क्रैवपंग करना अनाकषतक
बन जाता िै ।
समय की मांग:
इन सब कारणों को दे खते िुए, स्क्रैवपंग नीतत को पूरी तरि से लागू करने के मलए, िमें ‘क्जन वािनों का जीवन
समातत िो चुका िै , अथातत ‘एंि ऑफ़ लाइफ व्िीकल्स’ (ELV) को सड़क से िटाने के संदभत में एक व्यापक
योजना तैयार करनी चाहिए। माल-भािा रांसपोटत सत को एक पयाततत एवं उत्सािी ववत्तीय सिायता हदए जाने की
आवश्यकता िै । िालांकक, यि ध्यान रखना मित्वपूणत िै कक जब तक पुराने वािनों के बेड़े सड़क से निीं िटाए
जाएंगे, तब तक बीएस-VI (BS-VI) वािन लागू करने का लाभ पूरी तरि से निीं ममल पाएगा।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप ‘जिाज पन
ु चतक्रण’ से संबंधधत अंतरातष्ट्रीय अमभसमय’ के बारे में जानते िैं? इसे ‘िांगकांग कन्वेंशन’ के
रूप में भी जाना जाता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

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12. प्लाम्स्टक अपलर्ष्ट्ट प्रबंधन संर्ोधन तनयम, 2021
संदिभ: िाल िी में , पयातवरण मंत्रालय द्वारा ‘तलाक्स्टक अपमशष्ट्ट प्रबंधन संशोधन तनयम’, 2021 (Plastic Waste
Management Amendment Rules, 2021) को अधधसधू चत ककया गया िै । यि तनयम वषत 2022 तक कम उपयोधगता
वाली और कचरे के रूप में बबखरने की अधधक संभावना वाली ‘एकल उपयोग की तलाक्स्टक’ / ‘मसंगल यज

तलाक्स्टक’ (Single-Use Plastic) तनममतत वस्तुओं को प्रततबंधधत करता िै ।
नये तनयम:
• 1 जुलाई, 2022 से तनधातररत की गई ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ वस्तुओं के तनमातण, आयात, भंिारण, ववतरण,
बबक्री और उपयोग को प्रततबंधधत ककया जाएगा।
• ‘कंपोस्टे बल’ तलाक्स्टक से तनममतत वस्तुओं पर यि प्रततबंध लागू निीं िोगा।
• इस अधधसच
ू ना में सूचीबद्ध तलाक्स्टक तनममतत वस्तओ
ु ं को छोड़कर, भववष्ट्य में अन्य तलाक्स्टक वस्तुओं
पर प्रततबंध लगाने िे तु, सरकार द्वारा ‘उद्योगों’ को इन तनयमों का अनुपालन करने िे तु अधधसच
ू ना
जारी िोने की तारीख से दस साल तक का समय हदया गया िै ।
• िल्के वजन वाले तलाक्स्टक कैरी बैग की वजि से फैलने वाले कचरे को रोकने के मलए 30 मसतंबर, 2021
से तलाक्स्टक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 हदसंबर, 2022 से 120
माइक्रोन कर दी गई िै ।
• राज्य प्रदष
ू ण तनकायों के सियोग से ‘केंद्रीय प्रदष
ू ण तनयंत्रण बोित’ इन प्रततबंधो की तनगरानी करे गा,
उल्लंघनों पाए जाने पर ‘पयातवरण संरक्षण अधधतनयम’, 1986 के तित पिले से तनधातररत दं ि लगाएगा।
• क्जन ‘तलाक्स्टक पैकेक्जंग अपमशष्ट्टों’ को तनधातररत ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ वस्तुओं के चरणबद्ध तरीके
से िटाने में शाममल निीं ककया गया िै , उनके मलए ‘तलाक्स्टक अपमशष्ट्ट प्रबंधन तनयम’, 2016 के अनुरूप
तनमातता, आयातक और ब्रांि मामलक (Producer, importer and Brand owner - PIBO) की ‘ववस्ताररत
तनमातता उत्तरदातयत्व’ (Extended Producer Responsibility - EPR) के जररए पयातवरण की दृक्ष्ट्ट से
संविनीय तरीके से एकत्र और प्रबंधधत ककया जाएगा।
ितभमान पररदृश्य एिं प्लाम्स्टक प्रबंधन तनयम 2016 में संर्ोधन हे तु आगामी प्रस्ताि:
वततमान में जारी तनयमों के तित, दे श में 50 माइक्रोन से कम मोटाई के कैरी बैग और तलाक्स्टक शीट के
तनमातण, आयात, भंिारण, ववतरण, बबक्री और उपयोग को प्रततबंधधत ककया गया िै ।
अगले साल जुलाई से एक श्रंख
ृ ला के तलाक्स्टक उत्पादों के तनमातण पर प्रततबंध लगा हदया जाएगा। इनमें
तलाक्स्टक की छडड़यों वाले ईयर बड्स, गुधबारों के मलए तलाक्स्टक की छडड़यां, तलाक्स्टक के झंिे, कैं िी की छडड़यां,
आइसक्रीम की छडड़यां, सजावट के मलए पॉलीस्टीरीन (थमोकोल), तलेट, कप, धगलास, कांटे, चपमच, चाकू, स्रॉ, रे
जैसी कटलरी, ममठाई के डिधबों के चारों ओर लपेटी जाने या पैककं ग करने वाली कफल्म, तनमंत्रण काित और मसगरे ट
के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले तलाक्स्टक या पीवीसी बैनर, क्स्टरर शाममल िोंगे।
‘लसंगल-यू़ि प्लाम्स्टक’ क्या है ?
• ‘एकल उपयोग तलाक्स्टक’ / ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ (Single-Use Plastic), तनपटन-योग्य (Disposable)
तलाक्स्टक का एक रूप िोती िै , क्जसे केवल एक बार इस्तेमाल करके फेंक हदया जाता िै या पानी की
बोतल, पआ
ु ल, कप आहद की तरि क्जसको पन
ु चतकक्रत ककया जा सकता िै ।
• तलाक्स्टक पैकेक्जंग अपमशष्ट्ट को अभी तक ‘मसंगल यज
ू तलाक्स्टक आइटम’ के िटाए जाने संबध
ं ी उत्पादों
में शाममल निीं ककया गया था।
कुछ उल्लेखनीय तथ्य:
• भारत में प्रतत व्यक्तत तलाक्स्टक की खपत 11 ककलोग्राम प्रतत वषत िै , जो अभी भी दतु नया में सबसे कम
िै । प्रतत व्यक्तत तलाक्स्टक की खपत का वैक्श्वक औसत 28 ककलोग्राम प्रतत वषत िै ।

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• पूरे भारत में , प्रततहदन लगभग 26,000 टन तलाक्स्टक कचरा उत्पन्न िोता िै और क्जसमे से लगभग
10,000 टन कचरे का एकत्रण निीं ककया जाता िै ।
एक नैततक दवु िधा:
कुछ बुद्धधजीववयों का तकत िै , कक यहद तलाक्स्टक को अन्य उपयोगों के मलए ठीक से प्रबंधधत, एकत्र और
पुनचतकक्रत ककया जाए, तो यि िातनकारक निीं िै । दस
ू री ओर, कुछ लोग तलाक्स्टक के अपररवततनीय िातनकारक
प्रभावों के िर से, इसे पूणत
त याः प्रततबंध करने के पक्ष में िैं।
प्लाम्स्टक बैग पर प्रततबंध लगाने के कारण:
ववश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund - WWF) के अनस
ु ार, तलाक्स्टक पयातवरण के मलए िातनकारक िै
तयोंकक यि गैर-जैवअपघट्य (non-biodegradable) िोती िै और इसे ववघहटत िोने में वषों का समय लगता िै ।
इसके अलावा:
• बेकार तलाक्स्टक बैग, भमू म और पानी को अत्यधधक प्रदवू षत कर रिे िैं।
• तलाक्स्टक की थैमलयां, धरती के साथ-साथ पानी में रिने वाले जानवरों के जीवन को भी खतरा बन गई
िैं।
• तलाक्स्टक थैमलयों के अपमशष्ट्ट से तनकलने वाले रसायन ममट्टी में प्रवेश करते िैं और इसे बंजर बना
दे ते िैं।
• तलाक्स्टक की थैमलयों का मानव स्वास््य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रिा िै ।
• तलाक्स्टक की थैमलयों से जल तनकासी की समस्या िोती िै ।
िारत द्िारा ककए जा रहे प्रयास:
• भारत को, वपछले साल ‘ववश्व पयातवरण हदवस’ पर घोवषत अपने "बीट प्लाम्स्टक पॉल्यर्
ू न" संकल्प के
मलए वैक्श्वक प्रशंसा िामसल िुई िै । इस संकल्प के तित भारत ने वषत 2022 तक मसंगल-यूज तलाक्स्टक
को खत्म करने का प्रण ककया िै ।
• वषत 2019 में आयोक्जत चौथी ‘संयुतत राष्ट्र पयातवरण मिासभा’ में , भारत ने एकल-उपयोग वाले
तलाक्स्टक उत्पादों के कारण िोने वाले प्रदष
ू ण का समाधन करने िे तु एक प्रस्ताव भी पेश ककया था।
लसंगल-य़ि
ू प्लाम्स्टक को खत्म करने के समक्ष चन
ु ौततयां:
• ऑल इंडिया तलाक्स्टक मैन्युफैतचरसत एसोमसएशन (AIPMA) जैसे व्यापार संघों ने सरकार को कोववि की
वजि से उत्पन्न चुनौततयों के कारण ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ (SUP) तनममतत उत्पादों को िटाने के मलए
समय सीमा, एक साल की अवधध के मलए, अथातत वषत 2023 तक बढ़ाने की मसफाररश की िै ।
• भारत में अपमशष्ट्टों का प्रभावी तरीके से पथ
ृ तकरण, संग्रि और पुनचतक्रण करने िेतु कोई व्यवस्था
कायतरत निीं िै ।
• तलाक्स्टक के पुनचतक्रण िे तु भी कोई नीतत निीं िै । ववमभन्न राज्यों के प्रदष
ू ण तनयंत्रण बोिों द्वारा उठाए
जाने वाले पयातवरणीय मुद्दों की वजि से ‘रीसाइक्तलंग तलांट’ स्थावपत करने में भी चुनौततयां आती िैं।
• मसंगल-यज
ू तलाक्स्टक, एक बिुत अच्छा व्यवसाय रिा िै , और इसी तरि से लाभप्रद रिने का अनम
ु ान
िै ।
• अथतव्यवस्था, अधधक तलाक्स्टक उत्पादन की पक्षधर िै ।
• तलाक्स्टक अपमशष्ट्टों की काफी मात्रा नहदयों, मिासागरों और अपमशष्ट्ट भरावक्षेत्रों में फेंक दी जाती िै ,
क्जसका पुनचतक्रण संभव निीं िो पाता िै ।
आगे की राह:
1. स्वच्छ भारत अमभयान के तित तलाक्स्टक के पुनचतक्रण के प्रयासों को तेज करना।
2. बायोडिग्रेिेबल तलाक्स्टक, खादी बैग, सूती बैग के उपयोग को बढ़ावा दे ना।
3. संग्रि को प्रोत्साहित करना।
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4. उत्पादकों पर उनके अपमशष्ट्ट के मलए शुल्क मलया जाना शुरू ककया जाए, क्जससे कर-वसूली और
अपमशष्ट्ट का पुनचतक्रण िोगा।
तनक्श्चत रूप से, िम अपनी अगली पीहढ़यों को, छुट्हटयों में ऐसे समद्र
ु तटों पर जाने के मलए निीं छोड़ सकते िैं
जिां तलाक्स्टक के अलावा कुछ भी निीं िै , और क्जन समुद्रों की िम बात करते िैं, विां मछमलयों की जगि बस
तलाक्स्टक बची िो।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप री-तलान (REPLAN) प्रोजेतट के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद ू

13. न्यायपाललका एिं अदालतों की सुरक्षा हे तु एक पथ


ृ क सुरक्षा बल की आिश्यकता
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय द्वारा न्यायपामलका और अदालतों में बेितर सरु क्षा की मांग करने वाली
वषत 2019 से लंबबत याधचकाओं के साथ-साथ, न्यायाधीशों पर िमलों का स्वत: संज्ञान मलया गया था।
• झारखंि राज्य में िाल िी में िुई एक न्यायाधीश उत्तम आनंद की हदनदिाड़े ित्या, इस संदभत में एक
मित्वपूणत मोड़ था।
• शीषत अदालत ने, अदालतों और न्यायाधीशों की सुरक्षा के मलए ‘रे लवे सुरक्षा बल’ की भांतत एक केंद्रीय
सरु क्षा संगठन बनाने पर केंद्र सरकार की राय पछ
ू ी िै ।
निीनतम अपिेट:
िामलया सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोटत को सूधचत करते िुए किा िै कक:
1. न्यायपामलका और अदालत पररसरों की सरु क्षा के मलए केंद्रीय सरु क्षा बल का गठन करना "उगचत नहीं"
िै । अदालतों की सुरक्षा "राज्यों के मलए छोड़ दे ना” बेितर िै ।
2. ऐसा इसमलए िै , तयोंकक सरु क्षा संबंधी समस्याएं िर राज्य में अलग-अलग िोती िैं। इसमलए, स्थानीय
अदालतों में सुरक्षा िे तु तैनाती की जरूरतों का आकलन करने और अपराधधयों को लाने-ले जाने, और
गवािों की सुरक्षा के साथ-साथ अदालत पररसरों के भीतर अन्य मित्वपूणत कायों का ध्यान रखने के
मलए बेितर ढं ग से तैयार िोगी।
3. इसके अलावा, 'पुमलस' संववधान के तित राज्य का ववषय िै ।
र्ीषभ अदालत की प्रततकक्रया:
कई राज्यों ने अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था का वववरण दे ने वाले िलफनामे दाणखल करने की जिमत निीं उठाई
िै । अन्य क्जन लोगों द्वारा इस संबंध में िलफनामा दायर ककए गए िै , उनमे सरु क्षा व्यवस्था की "मशधथल
खाका" प्रस्तुत ककया गया िै ।
1. शीषत अदालत ने राज्यों को 10 हदनों में अपने िलफनामे दाणखल करने की अनुमतत दी िै , क्जसके मलए
प्रत्येक को लागत के रूप में ₹ 1 लाख का भुगतान करना िोगा।
2. अदालत ने चेतावनी दे ते िुए किा िै , कक इस आदे श का अनप
ु ालन न करने की क्स्थतत में मख्
ु य सधचवों
को तलब ककया जाएगा।
आिश्यकता:
• न्यायपामलका की स्वतंत्रता, िमारे संववधान की मूल संरचना का एक अमभन्न अंग िै । न्यायाधीशों के
मलए क्जपमेदारी यत
ु त कहठन काम सौंपा जाता िै ।
• न्याय सतु नक्श्चत करना, न्यायाधीशों की क्जपमेदारी िै।
• लोकवप्रय भावनाओं को ध्यान में रखते िुए, न्यायाधीशों को इस तरि से कायत करने की आवश्यकता िै ,
कक न्याय न केवल ककया जाए, बक्ल्क यि भी प्रतीत िो कक न्याय िुआ िै ।

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• न्यायाधीशों को बड़े और मित्वपूणत तनणतय लेने िोते िैं, क्जसके मलए उन्िें तनिर और तनष्ट्पक्ष रूप से
कायत करने की आवश्यकता िोती िै । जब न्यायाधीश भयभीत िोते िैं, तो इससे उनके कायत करने की
क्षमता में बाधा पिुँचती िै ।
• पक्षपात का निी िोना, न्यातयक ईमानदारी िे तु मूल तत्व िोता िै ।
• न्यायपामलका पर राज्य या वाहदयों द्वारा िाले जाने वाले ककसी प्रकार के दबाव से, न्याय की तनष्ट्पक्ष
कायतवािी पर प्रततकूल प्रभाव पड़ता िै ।
• ककसी भी दबाव, प्रलोभन, प्रलोभन या धमकी से मुतत एक ‘स्वतंत्र न्यायपामलका’ ककसी भी संवध
ै ातनक
लोकतंत्र की आधारमशला िोती िै ।
गचंताएं/चुनौततयां:
न्यायाधीशों को अपने न्यायालय कक्ष के अंदर और बािर सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ता िै । उनके कायों
के मलए उन्िें असामाक्जक तत्वों से तनयममत रूप से तनपटना पड़ता िै । इससे उन पर और उनके पररवार के
सदस्यों पर िमले का खतरा बना रिता िै । झारखंि के एक अततररतत क्जला न्यायाधीश उत्तम आनंद की िामलया
ित्या न्यातयक अधधकाररयों की संवेदनशीलता को उजागर करती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ववधान’ (legislation) और साधारण कानून के मध्य अंतर के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. न्यायपामलका की स्वतंत्रता से संबंधधत प्रमख
ु प्रावधान।
2. संववधान के 42 वें संशोधन के बारे में ।
में स ललंक: न्यायपामलका की स्वतंत्रता की आवश्यकता और मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

14. विदे र्ी अगधकरण


संदिभ:
असम सरकार के राजनीततक ववभाग द्वारा एक अधधसच
ू ना जारी की गयी िै , क्जसमे राज्य पमु लस की सीमा
शाखा को ‘विदे र्ी विषयक अगधतनयम, 1946 ( Foreigners Act, 1946 ) के तित गोरखाओं के णखलाफ कोई मामला
‘ववदे शी अधधकरणों’ (Foreigners’ Tribunal- FT) को निीं भेजने का आदे श हदया गया िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
राज्य पुमलस की सीमा शाखा को संहदग्ध नागररकता वाले लोगों की पिचान करने, और इनके बारे में ‘ववदे शी
अधधकरण’- एक अधत-न्यातयक संस्थान – को सच
ू ना दे ने का कायत सौंपा गया िै ।
राज्य में गोरखों की संख्या:
वषत 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में 5 लाख से अधधक गोरखा तनवास करते िैं, इनमे से अधधकांश
बब्रहटश प्रशासन के अधीन सशस्त्र बलों के सदस्य के रूप में राज्य में आए थे।
31 अगस्त, 2019 को प्रकामशत ‘राष्ट्रीय नागररक पंजी’ (National Register of Citizens – NRC) के मसौदे में
लगभग 22,000 गोरखाओं को शाममल निीं ककया गया था।
निीनतम तनणभय के तनहहताथभ:
असम में लगभग 2,500 गोरखाओं के मामले, राज्य में स्थावपत 100 ‘ववदे शी अधधकरणों’ में से कुछ
‘अधधकरणों’ में लंबबत िैं। इन सभी मामलों को वापस मलया जाएगा।
‘घोवषत विदे र्ी’ कौन होते है ?
‘घोवषत ववदे शी’ (Declared Foreigners-DF), वे व्यक्तत िोते िैं, जो राज्य पुललस की सीमा र्ाखा द्वारा अवैध
अप्रवासी के रूप में धचक्ह्नत ककए जाने पर अपनी नागररकता का प्रमाण दे ने में ववफल रिते िै , और उन्िें ककसी
एक ‘ववदे शी अधधकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) द्वारा ‘ववदे शी’ घोवषत कर हदया जाता िै ।
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‘विदे र्ी अगधकरण’ क्या है ?
ववदे शी अधधकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) ‘ववदे शी (अधधकरण) आदे श’ [Foreigners (Tribunals) Order], 1964 के
तित स्थावपत अधत-न्यातयक तनकाय िोते िैं।
संरचना: ववदे शी अधधकरण के सदस्यों में , असम न्यातयक सेवा का सेवातनवत्त
ृ न्यातयक अधधकारी, न्यातयक
अनुभव रखने वाला मसववल सेवक जो सधचव या अततररतत सधचव के पद से नीचे सेवातनवत्त
ृ निीं िुआ िो, कम
से कम सात वषत के वकालत अनुभव सहित 35 वषत से कम आयु का अधधवतता को सक्पममलत ककया जाता िै ।
विदे र्ी अगधकरणों को स्थावपत करने की र्म्क्त:
• गि
ृ मंत्रालय (MHA) द्वारा विदे र्ी (अगधकरण) आदे र्, 1964 में संशोधन ककए जाने के पश्चात सभी
राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों में क्जला मक्जस्रे टों को हरधयूनल स्थावपत करने का अधधकार प्रदान
ककया गया िै ।
• इसके पव
ू ,त हरधयन
ू ल स्थावपत करने की शक्ततयाँ केवल केंद्र के पास तनहित थीं।
‘विदे र्ी अगधकरणों’ में अपील करने का अगधकार
• संशोधधत आदे श [विदे र्ी (अगधकरण) संर्ोधन आदे र् 2019] में सभी व्यक्ततयों को अधधकरणों में अपील
करने का अधधकार प्रदान ककया गया िै ।
• इसके पव
ू ,त केवल राज्य प्रशासन िी ककसी संहदग्ध के णखलाफ इन अधधकरणों में मामला दायर कर
सकता था।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं ‘राष्ट्रीय नागररक पंजी’ (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रक्जस्टर (NPR) में अंतर के बारे में
जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. अवैध प्रवासी (अधधकरण द्वारा तनधातरण) अधधतनयम बनाम ववदे शी (अधधकरण) आदे श 1964
2. इस आदे श के अंतगतत प्रमाण का दातयत्व
3. अधधकरण द्वारा िल ककये जाने वाले ववषय
4. अधधकरण की संरचना।
5. अधधकरण तथा न्यायालय में अंतर
6. असम और अन्य पूवोत्तर राज्यों की भौगोमलक क्स्थतत।
7. शरणाथी बनाम अवैध प्रवासी।
8. ववदे मशयों के मलए उपलधध मौमलक अधधकार तथा अन्य संवैधातनक प्रावधान
9. मानवाधधकार बनाम मौमलक अधधकार
में स ललंक: दे श में अवैध गैर-प्रवामसयों से तनपटने के मलए कानूनों की संक्षक्षतत चचात कीक्जए। ववदे शी (अधधकरण)
आदे श, 1964 में संशोधन तयों ककया गया?
स्रोत: द हिंद।ू

15. RoDTEP योजना


संदिभ:
िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा ‘तनयातत उत्पादों पर शल्
ु क और करों में छूट’ (Remission of Duties and Taxes
on Export Products- RoDTEP) योजना के हदशातनदे शों और दरों को अधधसधू चत कर हदया गया िै ।
योजना के तित वषत 2021-22 के मलए ₹12,454 करोड़ का बजटीय आवंटन ककया गया िै । RoDTEP के तित
धचक्ह्नत तनयातत क्षेत्रों में 8555 टै ररफ लाइन शाममल िैं, जो व्यापाररक वस्तुओं का लगभग 75% और भारत के
कुल तनयातत का 65% िै ।
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RoDTEP योजना के बारे में :
इस योजना की घोषणा वषत 2020 में ‘मचेंिाइज एतसपोट्तस फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (Merchandise Exports from
India Scheme-MEIS) की प्रततस्थापना करने िे तु की गई थी, जो कक ववश्व व्यापार संगठन के तनयमों के अनरू
ु प
निीं थी।
इस योजना के तित, तनयाततकों के मलए ‘तनयातत उत्पादों’ पर लगने वाले ‘संलग्न केंद्रीय, राज्य और स्थानीय
शुल्कों या करों’ को वापस ककए जाने का प्रावधान ककया गया िै । इन करों से अब तक तनयाततकों के मलए छूट
निीं दी जा रिी थी अथवा वापस निीं ककए जा रिे थे और इसमलए, भारत के तनयातत को नुकसान में रखते थे।
प्रमख
ु बबंद:ु
1. घरे लू करों को बािर भेजने पर रोक को सतु नक्श्चत करते िुए तनयातत की ‘जीरो रे हटंग’ को चालू करने
िे त,ु योजना के तित राज्यों और यिां तक कक ग्राम पंचायतों द्वारा लगाए गए सभी करों को वापस कर
हदया जाएगा।
2. ‘तनयातत उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट’ (RoDTEP) योजना के तित दी जा रिी यि छूट, ‘ववश्व
व्यापार संगठन’ (WTO) द्वारा जारी कानूनी सलाि के अनुपालन में िै , क्जसके तित दे श से बािर भेजे
जाने बाले माल पर 0.5% से 4.3% तक की छूट दी सकती िै ।
3. चॉकलेट, टॉफी और चीनी कन्फेतशनरी जैसी वस्तुओं पर छूट की सबसे न्यूनतम दर की पेशकश की
गयी िै , जबकक कच्चे सत
ू और फाइबर को उच्चतम दर तनधातररत की गई िै ।
4. स्टील, फामात और रसायनों को इस योजना के तित शाममल निीं ककया गया िै तयोंकक उनके तनयातत ने
बगैर ककसी प्रोत्सािन के अच्छा प्रदशतन ककया िै ।
महत्ि:
• इस योजना के माध्यम से भारतीय तनयाततक, तनयातत के मलए आवश्यक अंतरातष्ट्रीय मानकों को पूरा
करने में सक्षम िोंगे। इसके तित अंतरातष्ट्रीय संगठनों पर तनभतर रिने के बजाय तनयाततकों को दे श में िी
सस्ती परीक्षण और प्रमाणन उपलधध कराया जाएगा।
• इसके तित, तनयाततकों के मलए कर तनधातरण प्रकक्रया पण
ू त
त याः स्वचामलत िो जाएगी। व्यवसायों के मलए
स्वचामलत ररफंि-मागत के माध्यम से अपने GST ररफंि िे तु पिुंच िामसल िोगी।
• इससे दे श की अथतव्यवस्था और उद्यमों के मलए कायतशील पूंजी में वद्ृ धध िोगी।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक RoDTEP योजना की घोषणा 1 जनवरी 2020 में पिले से लागू व्यापाररक
और सेवा तनयातत प्रोत्सािन योजनाओं (MEIS और SEIS) को प्रततस्थावपत करने िे तु की गई थी, जो कक ववश्व
व्यापार संगठन के तनयमों के अनुरूप निीं थी।
स्रोत: द हिंद।ू

16. गुजरात धमाांतरण रोधी कानून


संदिभ:
िाल िी में , गुजरात सरकार ने अपने नए धमाांतरण रोधी कानून का बचाव करते िुए द्वारा उच्च न्यायालय में
किा िै , कक वववाि "जबरदस्ती धमाांतरण" के मलए एक उपकरण निीं िो सकते िैं।
संबंगधत प्रकरण:
• गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा, वववाि के माध्यम से जबरन धमत पररवततन से संबंधधत कानून में नए
अधधतनयममत संशोधन को चन
ु ौती दे ने वाली याधचकाओं पर सन
ु वाई की जा रिी िै ।
• सुनवाई के दौरान,अदालत ने किा िै कक संशोधधत कानून से इस प्रकार की धारणा बनती िै कक राज्य
में अंतरधाममतक वववाि की अनुमतत निीं िै , और इस वजि से अंतरधाममतक जोड़ों पर तलवार लटकती
रिती िै ।
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गजु रात धमभ की स्ितंत्रता (संर्ोधन) अगधतनयम, 2021
(Gujarat Freedom of Religion (Amendment) Act, 2021)
• इस अधधतनयम के तित, शादी के माध्यम से जबरन या धोखाधड़ी से धमत पररवततन कराने पर 3-10
साल की कारावास का प्रावधान ककया गया िै ।
• यि क़ानन
ू , गज
ु रात धमत स्वतंत्रता अधधतनयम, 2003 (Gujarat Freedom of Religion Act, 2003) में
संशोधन करता िै ।
• इस संशोधन का उद्दे श्य, महिलाओं को धमत पररवततन के उद्दे श्य से "शादी के मलए फुसलाने" की
"उभरती िुई प्रववृ त्त" पर रोक लगाना िै ।
नए कानून से जुड़ी समस्याएं:
• संशोधधत कानन
ू में अस्पष्ट्ट शधद का प्रयोग ककया गया िै , जो वववाि के मल
ू मसद्धांतों और संविधान
के अनुच्छे द 25 में तनहित अंत करण की स्वतंत्रता तथा धमत के अबाध रूप से मानने की स्वतंत्रता,
आचरण करने और प्रचार करने के अधधकार के णखलाफ िैं।
• इस नए कानन
ू में , दरू के पररवार के सदस्यों को भी आपराधधक मशकायत दजत करने की अनम
ु तत दी
गयी िै ।
वििाह और धमाांतरण पर सिोच्च न्यायालय के फैसले:
4. भारत के सवोच्च न्यायालय द्वारा अपने कई तनणतयों में यि किा गया िै , कक ककसी ियस्क को अपना
जीिन साथी चुनने संबंधी मामले में पूणभ अगधकार िोता िै , और इस पर राज्य और अदालतों का कोई
क्षेत्राधधकार निीं िै ।
5. भारत के सवोच्च न्यायालय ने, ललली थॉमस और सरला मुद्गल, दोनों मामलों में यि पुक्ष्ट्ट की िै , कक
धाममतक ववश्वास के बबना और कुछ कानूनी लाभ प्रातत करने के एकमात्र उद्दे श्य के मलए ककए गए धमत-
पररवततन का कोई आधार निीं िै ।
6. इलािाबाद उच्च न्यायालय ने वषत 2020 के ‘सलामत अंसारी-वप्रयंका खरिार’ मामले में तनणतय सुनाते िुए
किा कक, ककसी साथी को चुनने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यक्तत के साथ रिने का अधधकार,
नागररकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ (अनुच्छे द 21) का भाग िै ।
समय की मांग:
5. एकरूपता की आिश्यकता: मानवाधधकारों की सावतभौममक घोषणा (UDHR) के अनच्
ु छे द 18 के अनस
ु ार,
सभी व्यक्ततयों को धमत की स्वतंत्रता का अधधकार िै , क्जसमे उनका धमत पररवततन करने का अधधकार
भी शाममल िै । चकूं क यि राज्य का ववषय िै , इसमलए केंद्र सरकार इस ववषय पर, अनुबंध खेती पर
मॉिल कानून आहद जैसा कोई एक मॉिल कानून बना सकती िै ।
6. धमाांतरण ववरोधी कानून बनाते समय राज्यों को, अपनी इच्छा से धमाांतरण करने वाले व्यक्तत के मलए
कोई अस्पष्ट्ट या अनेकाथी प्रावधान निीं करना चाहिए।
7. धमाांतरण ववरोधी कानूनों में, अल्पसंख्यक समुदाय संस्थानों द्वारा धमाांतरण के मलए कानूनी चरणों का
उल्लेख करने संबंधी प्रावधान को भी शाममल करने की आवश्यकता िै ।
8. लोगों को जबरदस्ती धमाांतरण, प्रलोभन या प्रलोभन आहद से संबंधधत प्रावधानों और तरीकों के बारे में
भी मशक्षक्षत करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप ‘तीन राज्यों के तीन धमाांतरण-रोधी क़ानूनों में समानताओं एवं मभन्नताओं’ के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

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17. विदे लर्यों के ललए डिटें र्न सेंटर
संदिभ: असम में ववदे मशयों और ववमशष्ट्ट अधधकरणों द्वारा ववदे शी घोवषत ककए गए नागररकों के मलए बनाए गए
‘हिरासत केंद्रों’ / ‘डिटें शन सेंटसत’ (detention centres for foreigners) का नाम बदलकर ‘रांक्जट कैं प’ (Transit
Camps) रख हदया गया िै ।
कृपया ध्यान दें :
वततमान में , असम के असम के छि हिरासत केंद्रों (Detention Centre) में 181 कैदी बंद िैं, क्जनमें से 61 कैहदयों
को विदे र्ी नागररक घोवषत ककया जा चुका िै और 121 दोषी ववदे शी नागररक अपने तनवातसन की प्रतीक्षा कर
रिे िैं। इनमें से दो केंद्रों में 22 बच्चे अपनी "ववदे शी" माताओं के साथ कैद िैं।
डिटें र्न सेंटर / हहरासत केंद्रों के बारे में :
• ये अधधकाररयों द्वारा धचक्ह्नत ककए गए अवैध प्रवामसयों (वे लोग जो आवश्यक दस्तावेजों के बबना
ककसी दे श में प्रवेश कर चक
ु े िैं) को रखने के मलए तनहदत ष्ट्ट स्थान िोते िैं। इन केंद्रों पर अवैध प्रवामसयों
को उनकी राष्ट्रीयता की पक्ु ष्ट्ट िोने तक और उन्िें उनके मल
ू दे श में भेजे जाने तक रखा जाता िै ।
• केंद्र सरकार द्वारा ‘विदे र्ी विषयक अगधतनयम, 1946 (Foreigners Act, 1946) और ववदे शी (अधधकरण)
आदे श, 1948 के प्रावधानों के तित राज्य को डिटें शन सेंटर स्थावपत करने की शक्तत हदए जाने के बाद,
असम में इस प्रकार के डिटें शन सेंटर स्थावपत ककए गए थे।
‘विदे र्ी विषयक अगधतनयम, 1946
इस अधधतनयम को ‘ववदे शी ववषयक अधधतनयम, 1940 (Foreigners Act, 1940) की जगि लाया गया था, और
इसके तित सभी ववदे मशयों से तनपटने िे तु केंद्र सरकार के मलए व्यापक अधधकार प्रदान ककए गए थे।
• इस अधधतनयम में , सरकार को अवैध प्रवामसयों को रोकने के मलए बल प्रयोग सहित आवश्यक कदम
उठाने का अधधकार हदया गया िै ।
• अधधतनयम के तित, ‘साबबत करने का दातयत्व’ (burden of proof), अधधकाररयों की वजाय प्रश्नगत
व्यक्तत पर िाला गया िै ।
• यि अधधतनयम, मूल रूप से सरकार को, मसववल कोटत के समान शक्तत प्रातत अधधकरण (हरधयूनल)
स्थावपत करने का अधधकार प्रदान करता िै ।
• विदे र्ी (अगधकरण) आदे र्, 1964 में वषत 2019 में ककए गए संशोधन द्वारा, भारत में अवैध रूप से
रिने वाले व्यक्तत की नागररकता के संबध
ं में तनणतय करने िे तु सभी राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों के
क्जला मक्जस्रे टों को ‘अधधकरण’ स्थावपत करने का अधधकार हदया गया िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
असम के अलावा और ककन राज्यों में डिटें शन सेंटर बनाए गए िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

18. पीएम-कुसुम योजना


संदिभ:
िाल िी में , केंद्रीय ववद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊजात मंत्री द्वारा ‘प्रधानमंत्री-कुसुम योजना’ (Pradhan
Mantri Kisan Urja Suraksha evem Utthan Mahabhiyan / PM-KUSUM) के कायातन्वयन की प्रगतत की समीक्षा की
गयी थी।
समीक्षा के दौरान, ककसानों को मसंचाई गततववधधयों के मलए हदन के समय बबजली का ववश्वसनीय स्रोत उपलधध
कराने और उनकी आय बढ़ाने के मलए ‘प्रधानमंत्री-कुसम
ु योजना’ के मित्व पर जोर हदया गया।

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प्रधान मंत्री ककसान ऊजाभ सरु क्षा और उत्थान महालियान / (प्रधानमंत्री-कुसुम योजना) योजना:
यि योजना नवीन और नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) की एक पिल िै ।
• इस योजना के तित, ककसानों के मलए दे श भर में सौर पंपों और धग्रि से जड़
ु े सौर ऊजात एवं अन्य
नवीकरणीय ऊजात संयंत्र लगाए जाएंगे।
• फरवरी 2019 में स्वीकृत इस योजना का उद्दे श्य ववत्तीय और जल सुरक्षा प्रदान करना िै ।
• इस योजना का लक्ष्य दे श में वषत 2022 तक 25,750 मेगावाट सौर ऊजात एवं अन्य नवीकरणीय क्षमता
की वद्
ृ धध करना िै ।
योजना के प्रमख
ु बबंद:ु
• ‘प्रधानमंत्री-कुसुम योजना’ के प्रावधानों के अनुसार,धग्रि से जुड़े कृवष पंपों को सौर ऊजात युतत ककया
जाएगा, इसके मलए केंद्र और राज्य, प्रत्येक द्वारा 30% की सक्धसिी प्रदान की जाएगी और ककसान
का योगदान 40% रिे गा।
• योजना के तित फीिर लेवल पर सौरऊजात-करण (solarisation) को भी शाममल ककया जाएगा।
कायाभन्ियन: नवीन और नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय (MNRE) की राज्य नोिल एजेंमसयां ( State Nodal
Agencies), योजना के कायातन्वयन िे तु राज्यों/केंद्र शामसत प्रदे शों, डिस्कॉम (Discoms) और ककसानों के साथ
समन्वय करें गी।
योजना के लाि:
• इस योजना से, ग्रामीण भस्
ू वाममयों के मलए उनकी सूखी/ गैर-कृवष योग्य भमू म के उपयोग से 25 वषत की
अवधध के मलए आय का एक स्थायी और तनरं तर स्रोत उपलधध िोगा।
• यहद सौर ऊजात पररयोजनाओं की स्थापना के मलए कृवषयोग्य जमीनों को चन
ु ा जाता िै ,तो ककसान अपने
खेतों में फसल उगाना जारी रख सकते िैं तयोंकक सौर पैनल एक न्यूनतम ऊंचाई से ऊपर स्थावपत ककए
जाएंगे।
• सौर पंपों से, िीजल-चामलत पंपों को चलाने के मलए िीजल पर िोने वाले खचत में बचत िोगी और िीजल
पंपों से िोने वाले िातनकारक प्रदष
ू ण को रोका जा सकेगा और इसके अलावा ककसानों को सौर पंपों के
माध्यम से मसंचाई का एक ववश्वसनीय स्रोत उपलधध िोगा।
स्रोत: पीआईबी।

19. हररयाणा सरकार का क्रीमी लेयर की उप-श्रेणी बनाने संबंधी आदे र् रद्द
संदिभ:
िाल िी में , सप्र
ु ीम कोटत ने िररयाणा सरकार द्वारा जारी एक अधधसच ू ना को रद्द करते िुए किा िै कक, आधथतक
आधार ‘अन्य वपछड़ा वगत’ (OBC) में 'क्रीमी लेयर' बनाने का एकमात्र मानदं ि निीं िो सकता िै ।
‘आरक्षण’ क्या है ?
सरल शधदों में, ‘आरक्षण’ (Reservation) का तात्पयत
सरकारी नौकररयों, शैक्षणणक संस्थानों और ववधातयका में
सीटों तक आबादी के कुछ वगों की पिुंच आरक्षक्षत करना
िै ।
इसे ‘सकारात्मक कारत वाई’ (Affirmative Action) के रूप में
भी जाना जाता िै तथा ‘आरक्षण’ को भारतीय संववधान
द्वारा समधथतत ‘सकारात्मक भेदभाव’ (Positive
Discrimination) के रूप में भी दे खा जा सकता िै ।

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आरक्षण से संबगं धत संिैधातनक और कानूनी आधार:
अनुच्छे द 14: भारत के राज्यक्षेत्र में ककसी व्यक्तत को ववधध के समक्ष समता या ववधधयों का समान संरक्षण।
अनच्
ु छे द 15(1) और 15(2): राज्य को, ककसी नागररक के ववरुद्ध केवल धमत, मल
ू वंश, जातत, मलंग, जन्मस्थान या
इनमें से ककसी के आधार पर ववभेद करने से रोकते िै ।
ककं तु, अनुच्छे द 15 के उपबंध (3) से (5) में राज्य को समाज के तनतांत कम प्रतततनधधत्व वाले और उपेक्षक्षत वगों
के पक्ष में सकारात्मक ववभेद करने का अधधकार प्रदान ककया गया िै , ताकक सभी के मलए वास्तववक समानता
या भागीदारी को बढ़ावा हदया जा सके।
अनच्
ु छे द 16: लोक तनयोजन के ववषय में अवसर की समता।
अनुच्छे द 16 के उपबंध (4) में किा गया िै , कक “इस अनुच्छे द की कोई बात राज्य को वपछड़े िुए नागररकों के
ककसी वगत के पक्ष में, क्जनका प्रतततनधधत्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पयाततत निीं िै ,
तनयक्ु ततयों या पदों के आरक्षण के मलए उपबंध करने से तनवाररत निीं करे गी।“
हररयाणा सरकार के उक्त मामले में र्ीषभ अदालत के हस्तक्षेप का कारण:
िररयाणा सरकार द्वारा ‘क्रीमी लेयर’ के मलए मानदं ि तय करते िुए वपछड़े वगों को ‘पूरी तरि से आधथतक आधार
पर’ उप-वगीकृत करते िुए दो अधधसूचनाएं जारी की गईं थी।
• शीषत अदालत के अनुसार, िररयाणा सरकार द्वारा द्वारा जारी अधधसच
ू नाओं में एकमात्र आय के आधार
पर क्रीमी लेयर की पिचान करके ‘इंद्रा साहनी मामले’ में हदए गए फैसले में घोवषत कानन
ू का उल्लंघन
ककया गया िै ।
• वपछड़े वगों के मध्य"क्रीमी लेयर" को पररभावषत करने से पिले आधथतक मानदं ि के अलावा, सामाक्जक,
शैक्षक्षक और अन्य कारकों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
‘क्रीमी लेयर’ क्या होती है ?
‘क्रीमी लेयर’ (Creamy Layer) अवधारणा के तित ‘अन्य वपछड़ा वगत’ (ओबीसी) आरक्षण लाभ प्रदान करने िे तु
एक सीमा तनधातररत की जाती िै । यद्यवप सरकारी नौकररयों और उच्च मशक्षण संस्थानों में ओबीसी के मलए
27% कोटा तनधातररत िै , ककं तु "क्रीमी लेयर" के अंतगतत आने वाले ओबीसी समुदायों के सदस्यों को इस कोटे का
लाभ निीं ममल सकता िै ।
• दस
ू रे वपछड़ा िगभ आयोग (मंिल आयोग) की मसफाररश के आधार पर, सरकार ने 13 अगस्त, 1990 को
मसववल पदों और सेवाओं में, सीधी भती के माध्यम से भारी जाने वाली ररक्ततयों में ‘सामाम्जक और
र्ैक्षक्षक रूप से वपछड़े िगों’ (SEBC) के मलए 27% आरक्षण अधधसधू चत ककया था।
• इस प्रावधान को अदालत में चुनौती हदए जाने के बाद, सुप्रीम कोटत ने 16 नवंबर, 1992 को (इंहदरा
सािनी केस) में ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा सहित ‘ओबीसी’ के मलए 27% आरक्षण को बरकरार रखा
था।
क्रीमी लेयर के तहत पररिावषत मुख्य श्रेखणयां:
• 8 लाख से अगधक आय: जो लोग सरकारी सेवाओं में कायतरत निीं िैं, उनके मलए ‘क्रीमी लेयर’ की
वततमान सीमा 8 लाख रुपये प्रतत वषत िै ।
• माता-वपता की रैंक: सरकारी कमतचाररयों के बच्चों के मलए, ‘क्रीमी लेयर’ की सीमा उनके माता-वपता की
रैंक पर आधाररत होती िै न कक आय पर।
इंहदरा साहनी मामले के प्रमुख बबंद:ु
वषत 1992 के इंहदरा सािनी मामले में सप्र
ु ीम कोटत की नौ-न्यायाधीशों की संववधान पीठ ने ववशेष रूप से इस
सवाल का जवाब हदया था कक "तया वपछड़े वगों की पिचान केवल और ववशेष रूप से आधथतक मानदं ि के संदभत
में की जा सकती िै ।"

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• संववधान पीठ ने स्पष्ट्ट रूप से फैसला सुनाते िुए किा था, कक ककसी वपछड़े वगत का तनधातरण एकमात्र
और ववशेष रूप से आधथतक मानदं ि के संदभत में निीं ककया जा सकता िै ।
• पीठ ने किा था, कक ‘आधथतक मानदं ि’ वपछड़े वगत का तनधातरण करने िे त,ु सामाक्जक वपछड़ेपन के साथ-
साथ, ववचार करने का एक आधार िो सकता िै , लेककन यि इसके मलए कभी भी एकमात्र मानदं ि निीं
िो सकता िै ।
आगे की राह:
यद्यवप, पररवार की आय एक मापदं ि िो सकती िै , ककं तु पूरी तरि से आधथतक मानदं िों पर आधाररत आरक्षण
एक पण
ू त समाधान निीं िै । साथ िी, यि िमेशा जारी रखने के बजाय, आरक्षण प्रणाली के मलए एक समय-
अवधध तय करने का समय िै । इसके अलावा, आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन योजना निीं िै । उत्कृष्ट्टता और
योग्यता सहित समाज के कमजोर वगों को समान अवसर प्रदान करने के मलए एक मध्यम मागत को अपनाने
की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं, संसद ने ‘सामाक्जक और शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों’ (SEBC) को तनहदत ष्ट्ट करने के मलए
राज्यों की शक्तत को बिाल करने के मलए संववधान 127 वां संशोधन ववधेयक पाररत ककया िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:ववकास प्रकक्रया तथा ववकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सिायता समूिों, ववमभन्न समूिों और संघों,
दानकतातओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भमू मका।
1. उत्तर प्रदे र् सरकार की ‘दो बच्चा नीतत’
संदिभ: जनता से प्रातत 8,000 से अधधक सझ
ु ावों की समीक्षा करने के बाद, उत्तर प्रदे श राज्य ववधध आयोग द्वारा
एक नए जनसंख्या तनयंत्रण कानन
ू “उत्तर प्रदे श जनसंख्या (तनयंत्रण, क्स्थरीकरण एवं कल्याण) ववधेयक, 2021”
(The Uttar Pradesh Population (Control, Stabilisation and Welfare) Bill, 2021) पर एक ररपोटत और मसौदा
ववधेयक प्रस्तुत ककया गया िै । ‘राज्य ववधध आयोग’ के मसौदा में राज्य सरकार के मलए ‘दो बच्चा नीतत’ (Two-
Child Policy) लागू करने का प्रस्ताव हदया गया िै ।
आयोग द्िारा स्िीकार ककए गए प्रमुख सझ
ु ाि:
• क्जस पररवार में केवल एक बच्चा िै और उसने स्वैक्च्छक नसबंदी करा ली िै , ऐसे सभी पररवारों को
(चािे वे बीपीएल श्रेणी में आते िो अथवा निीं) ववशेष सुववधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
• कानून लागू िोने के बाद क्जस व्यक्तत के दो से अधधक बच्चे िोते िैं, उसे कल्याणकारी योजनाओं जैसे
कई लाभों से वंधचत कर हदया जाना चाहिए।
पष्ट्ृ ठिूलम: इस वषत ववश्व जनसंख्या हदवस (11 जुलाई) के अवसर पर, उत्तर प्रदे श सरकार द्वारा 2021-2030 की
अवधध के मलए एक ‘नई जनसंख्या नीतत’ (New Population Policy) की घोषणा की गयी थी।
इस नई नीतत में , जनसंख्या तनयंत्रण में योगदान करने वालों के मलए प्रोत्सािन दे ने का प्रावधान ककया गया िै ।
जनसंख्या तनयंत्रण विधेयक ड्राफ्ट के प्रमुख बबंद:ु
नई नीतत का उद्दे श्य-
1. कुल प्रजनन दर को, वततमान में प्रतत िजार आबादी पर 2.7 से घटाकर वषत 2026 तक 2.1 और वषत
2030 तक 1.7 करना िै ।
2. आधतु नक गभततनरोधक प्रचलन दर को, वततमान में 31.7% से बढ़ाकर वषत 2026 तक 45% और वषत 2030
तक 52% करना िै ।

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3. पुरुषों द्वारा उपयोग ककए जाने वाले गभततनरोधक तरीकों को, वततमान में 10.8% से बढ़ाकर वषत 2026
तक 15.1% और वषत 2030 तक 16.4% करना िै ।
4. मात ृ मत्ृ यु दर को 197 से घटाकर 150 से 98 तक और मशशु मत्ृ यु दर को 43 से घटाकर 32 से 22
तक और पांच वषत से कम आयु के मशशुओं की मत्ृ यु दर को 47 से घटाकर 35 से 25 तक लाना िै ।
नीतत के तहत केंद्रीय क्षेत्र:
1. पररवार तनयोजन कायतक्रम के अंतगतत जारी गभततनरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाना और सुरक्षक्षत
गभतपात के मलए उधचत व्यवस्था उपलधध कराना।
2. नवजात मशशु मत्ृ यु दर और मात ृ मत्ृ यु दर को कम करना।
3. बुजुगों की दे खभाल और 11 से 19 साल के ककशोरों की मशक्षा, स्वास््य और पोषण के बेितर प्रबंधन की
व्यवस्था करना।
नीतत के तहत प्रोत्साहन:
1. जनसंख्या तनयंत्रण मानदं िों का पालन करने वाले तथा दो या इससे कम बच्चों वाले कमतचाररयों को
पदोन्नतत, वेतन वद्
ृ धध, आवास योजनाओं में ररयायतें और अन्य सुववधाएं प्रदान की जाएंगी।
2. दो बच्चे के मानक को पूरा करने वाले लोक सेवकों को उनकी पूरी सेवा के दौरान दो अततररतत वेतन
वद्
ृ धध, पूरे वेतन और भत्तों सहित 12 मिीने का वपतत्ृ व या मातत्ृ व अवकाश और ‘राष्ट्रीय पें शन योजना’
के अंतगतत, तनयोतता की योगदान रामश में तीन प्रततशत की वद्
ृ धध प्रदान की जाएगी।
3. जनसंख्या को तनयंत्रण में योगदान करने वाले गैर-सरकारी कमतचाररयों को जल, आवास, गि
ृ ऋण आहद
पर करों में छूट जैसे लाभ हदए जाएंगे।
4. यहद ककसी बच्चे के माता-वपता द्वारा परु
ु ष नसबंदी का ववकल्प चन
ु ते िैं, तो उस बच्चे के मलए 20 वषत
की आयु तक मफ्
ु त धचककत्सा सुववधाएँ प्रदान की जाएंगी।
उत्तर प्रदे श सरकार द्वारा, इन उपायों को लागू करने के मलए एक ‘राज्य जनसंख्या कोष’ (State Population
Fund) स्थावपत करने की योजना िै ।
जागरूकता तनमाभण:
ववधेयक के मसौदा में , राज्य सरकार से सभी माध्यममक ववद्यालयों में जनसंख्या तनयंत्रण को अतनवायत ववषय
के रूप में शुरू करने के मलए किा गया िै ।
प्रयोज्यता:
1. इस कानून के प्रावधान वववाहित जोड़ों पर लागू िोंगे। वववाहित युग्म में पुरुष की न्यूनतम आयु 21
साल तथा महिला की आयु 18 साल से कम निीं िोनी चाहिए िै ।
2. यि नीतत स्वैक्च्छक िोगी - इसे ककसी पर जबरदस्ती लागू निीं ककया जाएगा।
इन उपायों की आिश्यकता:
अधधक जनसंख्या से उपलधध संसाधनों पर ज्यादा दबाव पड़ता िै । अताः, सभी नागररकों को, सस्ता एवं पौक्ष्ट्टक
भोजन, सरु क्षक्षत पेयजल, उपयत
ु त आवास, गण
ु वत्तापण
ू त मशक्षा तक पिुंच, आधथतक एवं आजीववका िे तु अवसर, घरे लू
उपभोग िे तु बबजली और सरु क्षक्षत जीवन सहित मानव जीवन की बुतनयादी आवश्यकताओं की उपलधधता सुलभ
िोने के मलए ये उपाय अववलंब लागू करना आवश्यक िै ।
विधेयक से जुड़े मुद्दे और गचंताएं:
1. ववशेषज्ञों द्वारा, महिलाओं के स्वास््य और कल्याण को संकट में िालने वाली ककसी भी जनसंख्या
नीतत के प्रतत सावधानी बरतने की सलाि दी जाती िै ।
2. गभततनरोधक और पररवार तनयोजन का बोझ महिलाओं पर असमान रूप से पड़ता िै , इसे दे खते िुए, इस
नीतत के लागू िोने से महिला नसबंदी में और वद्
ृ धध िोने की संभावना िै ।

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3. भारत में पुत्र को दी जाने वाली वरीयता को दे खते िुए, कड़े जनसंख्या
तनयंत्रण उपायों से असुरक्षक्षत गभतपात एवं भ्रूण ित्याओं जैसी प्रथाओं में
वद्
ृ धध िो सकती िै । इस तरि के उदािरण, अतीत में कुछ राज्यों में दे खे
जा चुके िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ममशन पररवार ववकास’ के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. मसौदे के प्रमख
ु बबंद ु
2. नवीनतम जनगणना आंकड़े
में स ललंक: उत्तर प्रदे श में ‘जनसंख्या नीतत’ मसौदा से जड़
ु ी धचंताओं पर चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अतत संवेदनशील वगों के मलये कल्याणकारी योजनाएँ और इन
योजनाओं का कायत-तनष्ट्पादन; इन अतत संवेदनशील वगों की रक्षा एवं बेितरी के मलये गहठत तंत्र, ववधध, संस्थान
एवं तनकाय।
1. फास्ट-रै क विर्ेष न्यायालय (FTSCs)
संदिभ:
िाल िी में , केंद्रीय मंबत्रमंिल द्वारा 1,023 फास्ट रै क ववशेष न्यायालयों (Fast Track Special Courts - FTSCs) को
‘केंद्र प्रायोक्जत योजना’ के रूप में अगले दो वषो तक जारी रखने की मंजूरी दी गई िै । इसके मलए ₹1,572.86
करोड़ की रामश का पररव्यय ककया जाएगा।
योजना के तित, केंद्रीय हिस्से की धनरामश, ₹971.70 करोड़, तनभतया फंि से उपलधध करायी जाएगी।
योजना के बारे में :
यि योजना, अतटूबर 2019 में शरू
ु की गई थी।
• ‘फास्ट-रै क ववशेष अदालतों’ का गठन ‘राष्ट्रीय महिला सुरक्षा ममशन’ (the National Mission for Safety of
Women - NMSW) के अंग के रूप में ककया जा रिा िै ।
• इस योजना को ‘ववधध एवं न्याय मंत्रालय’ के अधीन ‘न्याय ववभाग’ द्वारा कायातक्न्वत ककया जा रिा िै ।
• यि एक केंद्र प्रायोम्जत योजना िै , और इसका उद्दे श्य ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अगधतनयम’
(POCSO), 2012 के तित बच्चों के णखलाफ बलात्कार और अपराधों के लंबबत मामलों पर त्वररत सन
ु वाई
और तनपटान करना िै ।
‘फास्ट-रै क विर्ेष न्यायालय’ (FTSC) योजना की विर्ेषताएं:
1. इस योजना को एक वषत से आगे बढ़ाने का तनणतय, बाह्य मूल्यांकन द्वारा की की गयी मसफाररशों पर
तनभतर करता िै ।
2. इस योजना का उद्दे श्य, ककसी तरि की स्थायी आधारभूत सुववधाओं का तनमातण करना निीं िै । ‘फास्ट-
रै क ववशेष अदालतों’ को, ककराए पर मलए गए अथवा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और संबंधधत उच्च
न्यायालयों के तनणतय के अनुसार, उपयुतत पररसर में संचामलत ककया जाएगा।
3. ‘फास्ट-रै क विर्ेष अदालतों’ की संरचना: प्रत्येक FTSC में एक न्यातयक अधधकारी और सात कमतचारी
सदस्य िोंगे। क्जन स्थानों पर पयाततत जनशक्तत उपलधध निीं िोगी, विां राज्य/संघ राज्य क्षेत्र, संववदा
के आधार पर, न्यातयक अधधकाररयों और अदालती कमतचाररयों को तनयुतत कर सकते िैं। ‘फास्ट-रै क
ववशेष अदालतों’ में मामलों के तनपटान िे तु उपयुतत अनुभव वाले सेवातनवत्त
ृ न्यातयक अधधकाररयों की
सेवाएं भी ली जा सकती िैं।
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योजना के लाि और महत्ि:
• इस योजना के तित, ववशेष रूप से पॉतसो मामलों की सुनवाई और तनपटान िे तु 389 ‘फास्ट-रै क ववशेष
अदालतों’ का गठन ककया गया िै ।
• प्रत्येक फास्ट-रै क ववशेष अदालत से, िर ततमािी 41-42 मामलों और एक वषत में न्यूनतम 165 मामलों
का तनपटान करने की अपेक्षा की गयी िै ।
• योजना की शुरुआत के समय, सरकार ने ववमभन्न अदालतों में लंबबत बलात्कार और पॉतसो अधधतनयम
संबंधी 1,66,882 मामलों को तनपटाने का लक्ष्य रखा था।
योजना के अंतग
भ त प्रदर्भन:
योजना के तित दे श में कुल 1,023 फास्ट रै क कोटत स्थावपत ककए जाने का लक्ष्य रखा गया िै , क्जनमे से अब
तक मात्र 597 फास्ट रै क कोटत स्थावपत ककए गए िैं। संसदीय सममतत द्वारा इस योजना को लागू करने में िोने
वाली दे री पर धचंता व्यतत की गयी िै ।
आिश्यकता:
महिलाओं और बच्चों के बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे अपराधों पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने िेतु
यौन अपराधों से संबधं धत मुकदमों को तेजी से और समयबद्ध तरीके
से पूरा करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक ‘पोतसो अधधतनयम’ के
प्रावधानों के अनुसार, मामलों की जांच दो मिीने में और इन पर
सुनवाई का कायत 6 मिीने में पूरा ककया जाना चाहिए।
प्रीललभस ललंक:
1. POCSO के बारे में
2. ‘फास्ट-रै क ववशेष न्यायालय’ (FTSC) के बारे में ।
3. स्थापना
4. संरचना
5. कायतप्रणाली
में स ललंक: फास्ट रै क ववशेष न्यायालयों (Fast Track Special Courts - FTSCs) की आवश्यकता और मित्व पर
चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. प्रधानमंत्री दक्षता और कुर्लता संपन्न हहतग्राही (पीएम-दक्ष) योजना


(Pradhan Mantri Dakshta Aur Kushalta Sampann Hitgrahi (PM-DAKSH) Yojana)
संदिभ: सामाक्जक न्याय और अधधकाररता मंत्रालय द्वारा वपछड़े वगों, अनुसूधचत जाततयों और सफाई कमतचाररयों
के लक्षक्षत समूिों के मलए कौशल ववकास योजनाओं को आसान बनाने के मलए ‘पीएम-दक्ष’ (PM-DAKSH) पोटत ल
और मोबाइल ऐप का आज शुभारं भ ककया गया िै ।
‘पीएम-दक्ष’ योजना के बारे में :
1. प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्रािी (पीएम-दक्ष) योजना, सामाक्जक न्याय एवं अधधकाररता
मंत्रालय द्वारा वषत 2020-21 से चलाई जा रिी िै ।
2. इस योजना के तित पात्र लक्षक्षत समूि को कौशल ववकास प्रमशक्षण कायतक्रम (i) अप-क्स्कमलंग/री-
क्स्कमलंग (ii) अल्पकामलक प्रमशक्षण कायतक्रम (iii) दीघतकामलक प्रमशक्षण कायतक्रम और (iv) उद्यममता
ववकास कायतक्रम (Entrepreneurship Development Program - EDP) के जररये उपलधध कराया जा रिा
िै ।

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3. पात्रता: अनुसूधचत जातत व अन्य वपछड़ा वगत के वंधचत व्यक्तत, आधथतक रूप से वपछड़े वगों, गैर-
अधधसूधचत जनजाततयों, सफाई कममतयों सहित कचरा बीनने वालों, िाथ से मैला ढोने वाले, रांसजेंिर और
इसी तरि की अन्य श्रेणणयों के व्यक्तत।
योजना का महत्ि और आिश्यकता:
1. लक्षक्षत समूि के अधधकांश व्यक्ततयों के पास आधथतक संपवत्तयां न्यूनतम िोती िै; इसमलए, िामशए पर
रिने वाले इन लक्षक्षत समूिों के आधथतक सशक्ततकरण / उत्थान के मलए प्रमशक्षण का प्रावधान और
उनकी दक्षताओं को बढ़ाना आवश्यक िै ।
2. लक्षक्षत समि
ू के अधधकाँश व्यक्तत, ग्रामीण कारीगरों की श्रेणी से संबंधधत िैं जो बाजार में बेितर
तकनीकों के आने के कारण िामशए पर चले गए िैं।
3. लक्षक्षत समूि में महिलाओं को सशतत बनाने की भी आवश्यकता िै , जो अपनी सकल घरे लू मजबूररयों के
कारण, आम तौर पर लंबे समय तक चलने वाले काम और-कभी दस
ू रे शिरों में प्रवास करने की जरूरत
वाली मजदरू ी / रोजगार निीं कर पाती िैं।
स्रोत: द हिंद।ू

3. उज्ज्िला 2.0 योजना


संदिभ: िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के मलए ‘उज्ज्वला गैस कनेतशन योजना’ के दस
ू रे चरण की
शुरुआत की गयी िै ।
‘प्रधानमंत्री उज्ज्िला योजना’ (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana - PMUY) के बारे में:
मई 2016 में शुरू की गई थी।
• उद्दे श्य: बीपीएल पररवारों को एलपीजी (तरलीकृत पेरोमलयम गैस) कनेतशन प्रदान करना।
• प्रमुख ववशेषताएं: केंद्र द्वारा 1,600 रुपये प्रतत कनेतशन की ववत्तीय सिायता के साथ पात्र पररवार को
एक जमा-मत
ु त एलपीजी कनेतशन हदया जाता िै ।
• लक्ष्य: इस योजना के तित पिले 50 मममलयन पररवारों को शाममल ककया गया था, बाद में इसका
ववस्तार करते िुए 80 मममलयन गरीब पररवारों को योजना के दायरे में लाया गया िै और इसके मलए
4,800 करोड़ रुपये की रामश अततररतत आवंटन भी ककया गया िै ।
योजना के उद्दे श्य:
1. महिलाओं को सशतत बनाना और उनके स्वास््य की रक्षा करना।
2. जीवाश्म ईंधन आधाररत चल्
ू िों पर खाना पकाने से संबंधधत, स्वास््य के मलए गंभीर खतरों को कम
करना।
3. अशोधधत ईंधन से खाना पकाने के कारण, भारत में िोने वाली मौतों की संख्या को कम करना।
4. जीवाश्म ईंधन दिन से, घर के अंदर वायु प्रदष
ू ण के कारण छोटे बच्चों को िोने वाली श्वसन संबंधी
गंभीर बीमाररयों से बचाना।
पात्रता मापदं ि:
1. योजना के तित लाभ प्रातत करने िे तु, आवेदक को 18 िषभ से अगधक आयु की महहला और भारत का
नागररक िोना चाहिए।
2. आवेदक, बीपीएल (गरीबी रे खा से नीचे) पररवार से संबधं धत िोना चाहिए।
3. आवेदक के घर में ककसी के पास एलपीजी कनेतशन निीं िोना चाहिए।
4. पररवार की घरे लू आय, प्रतत माि, एक तनक्श्चत सीमा से अधधक निीं िोनी चाहिए, इसके मलए केंद्र
शामसत प्रदे शों और राज्य सरकार द्वारा सीमा तनधातररत की जाएगी।

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5. आवेदक, सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली इसी तरि की अन्य योजनाओं का लाभाथी निीं िोना
चाहिए।
उज्जिला 2.0 के तहत:
• प्रवासी श्रममकों को अब गैस कनेतशन प्रातत करने के मलए पते का प्रमाणपत्र दस्तािेज प्रातत करने के
मलए संघषत निीं करना पड़ेगा।
• इन श्रममकों को गैस कनेतशन प्रातत करने के मलए केवल अपने आवासीय पते की स्व-घोषणा प्रस्तुत
करने की जरूरत िोगी।
प्रीललभस ललंक
1. LPG तया िै ?
2. ‘संसदीय सममततयों के बारे में
3. ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के उद्दे श्य और लक्ष्य
4. योजना के तित केरोमसन मुतत िो चक
ु े राज्य और केंद्र शामसत प्रदे श
में स ललंक:
ऐसा किा जाता िै कक ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ (PMUY) और उसके बाद के कायतक्रमों की असली परीक्षा यि
िोगी कक ये कायतक्रम एलपीजी, बबजली या बायोगैस जैसे अन्य स्वच्छ ईंधन का तनरं तर उपयोग जारी रखने के
मलए ‘कनेतशन’ के प्रावधान ककस प्रकार उपयोग करते िै ? इसके मलए ककस मद्
ु दे पर सवातधधक ध्यान दे ने की
जरूरत िै ? PMUY के मित्व पर भी चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. उपिोक्ता वििाद तनिारण सलमतत


संदिभ: िाल िी में , सुप्रीम कोटत ने ‘उपभोतता वववाद तनवारण आयोगों’ (Consumer Disputes Redressal
Commissions - CDRC) में ररतत पदों को भरने के मलए केंद्र और राज्य सरकारों के मलए आठ सतताि का समय
हदया िै ।
अदालत ने केंद्र सरकार से उपभोतता संरक्षण अधधतनयम, 2019 पर एक ववस्तारपव
ू क
त "ववधायी प्रभाव अध्ययन"
करने के मलए भी किा िै ।
अदालत द्िारा की गयी हटप्पखणयाँ:
1. कानून लोगों के फायदे के मलए बनाए गए िैं। लेककन, क्जस उद्दे श्य के मलए ‘उपभोतता संरक्षण कानून’
बनाया गया िै , राज्य उसे असफल कर रिे िैं।
2. अदालत ने यि सवाल भी ककया िै , कक तया केंद्र और राज्यों में सरकारों द्वारा, लोगों को मशकायत दजत
करने से रोकने के मलए, जानबूझकर ररक्ततयों को लंबबत रखा जा रिा िै ।

ररम्क्तयां िरने में दे री पर केंद्र की दलील:


न्यायाधधकरण के सदस्यों के कायतकाल को लेकर न्यायालय में मामला ववचाराधीन िै । केंद्र सरकार इस मामले
पर अदालत के तनणतय का इंतजार कर रिा िै । इसके अलावा, मुकदमेबाजी और सबंधधत कानून के आगे-पीछे
िोने से "भ्रम" की क्स्थतत रिी िै , क्जससे न्यायाधधकरण में सदस्यों की तनयुक्ततयां करने में दे री िुई िै ।
उपिोक्ता संरक्षण अगधतनयम, 1986 के तहत वििाद तनिारण:
उपभोतता संरक्षण अधधतनयम, 1986 के तित, उपभोतता वववादों के त्वररत समाधान िे तु ‘राष्ट्रीय आयोग’ और
‘राज्य आयोग’ और ‘क्जला स्तर पर मंचों’ (डिक्स्रतट-फोरम) के बत्रस्तरीय ढांचे का प्रावधान ककया गया िै । ये
सभी अधत-न्यातयक तनकाय िैं।

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संरचना: प्रत्येक क्जला फोरम की अध्यक्षता एक ऐसे व्यक्तत द्वारा की जाती िै , जो क्जला न्यायाधीश के रूप में
तनयुतत िोने के योग्य िै अथवा क्जला न्यायाधीश के पद पर कायतरत िै या रि चक
ु ा िै । राज्य स्तर पर
‘उपभोतता वववाद तनवारण आयोग’ के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के वततमान न्यायाधीश या सेवातनवत्त

न्यायाधीश को तनयुतत ककया जाता िै ।
अगधतनयम का विस्तार:
• इस अधधतनयम के प्रावधान 'वस्तुओं' के साथ-साथ 'सेवाओं' पर भी लागू िोते िैं। ‘वस्तुओं’ में ,
उपभोतताओं को, थोक ववक्रेताओं और खुदरा ववक्रेताओं के माध्यम से बेची जाने वाली, तनममतत या
उत्पाहदत सामग्री को शाममल ककया जाता िै ।
• अधधतनयम के तित- पररविन, टे लीफोन, बबजली, आवास, बैंककं ग, बीमा, धचककत्सा उपचार आहद को ‘सेवाओं’
में शाममल ककया जाता िै ।

लर्कायत तनिारण प्रकक्रया:


• वस्तु या माल में खराबी िोने या ‘सेवाओं’ में कमी िोने के संबंध में क्जला उपभोतता फोरम/राज्य
आयोग / राष्ट्रीय आयोग के समक्ष मलणखत मशकायत दजत की जा सकती िै ।
• िालांकक, तन: शुल्क अथवा ककसी तनजी सेवा अनुबध
ं के तित प्रदान की जाने वाली ककसी भी सेवा में
कधथत कमी के मलए, कोई मशकायत दजत निीं की जा सकती िै ।
• वस्तु या माल में खराबी अथवा सेवा से असंतुष्ट्ट व्यक्तत / उपभोतता, इस संदभत में मसववल मुकदमा
दायर कर सकते िैं, इसके अलावा असंतष्ट्ु ट उपभोतता, उपभोतता संरक्षण अधधतनयम के तित भी अपनी
मशकायतों का तनवारण करा सकते िैं।
• अधधतनयम के तित दजत कराई गई मशकायत / अपील /याधचका के मलए उपभोतता को कोई न्यायालय
शुल्क निीं दे ना पड़ता िै , बक्ल्क अन्य शुल्क के रूप में केवल मामूली रामश चक
ु ानी िोती िै ।
अपील:
• यहद कोई उपभोतता, क्जला फोरम के तनणतय से संतष्ट्ु ट निीं िोता िै , तो वि राज्य आयोग में अपील
कर सकता िै । ‘राज्य आयोग’ के आदे श के ववरुद्ध उपभोतता द्वारा ‘राष्ट्रीय आयोग’ में अपील की
सकती िै ।
• उपभोतता संरक्षण अधधतनयम के उद्दे श्यों को परू ा करने में मदद करने िे तु, ‘राष्ट्रीय आयोग’ को सभी
राज्य आयोगों पर प्रशासतनक तनयंत्रण प्रदान ककया गया िै , क्जसके तित ‘राष्ट्रीय आयोग’ समय-समय
पर संस्थाओं, मामलों के तनपटान और लंबबत मामलों के संबंध में कारत वािी क्स्थतत की मांग कर सकता
िै ।

अगधतनयम में ककए गए निीनतम संर्ोधन:


• नवीनतम उपभोतता संरक्षण अधधतनयम, 2019 के अनस
ु ार- क्जला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोतता
वववाद तनवारण आयोगों की स्थापना की जाएगी। ये आयोग, क्रमशाः एक करोड़ रुपये, एक करोड़ रुपये से
10 करोड़ रुपये तक और 10 करोड़ रुपये से अधधक रामश से संबंधधत मामलों की सुनवाई करें गे।
• अन्यायपूणत अनुबध
ं ों के मामले में , राज्य आयोग, 10 करोड़ रुपये तक के मामलों पर मशकायतों की
सन
ु वाई करें ग,े और इससे अधधक रामश का मामला िोने पर ‘राष्ट्रीय आयोग’ द्वारा मशकायतों की सन
ु वाई
की जाएगी।
• ये आयोग ऐसे अनुबंधों की अन्यायपूणत शतों को अमान्य घोवषत कर सकते िैं।

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इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक उपभोतता संरक्षण अधधतनयम में उपभोतता आयोगों द्वारा मध्यस्थता के
संदभत में प्रावधान ककया गया िै , क्जसके तित जिां भी मामले को शरु
ु आती तनपटाने की गुंजाइश मौजूद िो और
सभी पक्ष सिमत िों, विां उपभोतता आयोग द्वारा मध्यस्थता का प्रबंध ककया जा सकता िै । इन मध्यस्थता
प्रकोष्ट्ठों की स्थापना ककस प्रकार की जाती िै और उनकी तया संरचना िोती िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. राष्ट्रीय, राज्य तथा क्जला उपभोतता वववाद
तनवारण आयोग मंच तथा उनकी संरचना।
2. उपभोतता वववाद तनवारण आयोगों का क्षेत्राधधकार,
तथा अपील।
3. न्यायालय शुल्क की आवश्यकता।
4. उपभोतता वववाद तनवारण आयोग- क्षेत्राधधकार।
5. राष्ट्रीय उपभोतता वववाद तनवारण आयोग में
अपील।
6. अधधतनयम के तित पररभावषत उपभोतता पररभाषा
और अधधकार।
में स ललंक: उपभोतता संरक्षण अधधतनयम 1986 के तित उपभोतता वववाद तनवारण तंत्र पर एक हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू

5. जन लर्क्षण संस्थान
संदिभ: जन मशक्षण संस्थान (Jan Shikshan Sansthan - JSS) द्वारा केरल के नीलांबुर जंगल के भीतर कुछ दरू -
दराज की आहदवासी बक्स्तयों में िाई-स्पीि इंटरनेट की शुरुआत की गयी िै ।
‘लंबी दरू ी की वाई-फाई तकनीक’ (long-distance Wi-Fi) की बदौलत कुछ आहदवासी बक्स्तयों को िाई-स्पीि
इंटरनेट की सवु वधा उपलधध िुई िै ।
जन लर्क्षण संस्थान (JSS) के बारे में :
• यि ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल ववकास िे तु की गयी एक पिल िै ।
• ‘जन मशक्षण संस्थान’ योजना को पिले ‘श्रममक ववद्यापीठ’ के नाम से जाना जाता था।
• इस योजना को, माचत 1967 से, दे श भर में गैर सरकारी संगठनों के नेटवकत के माध्यम से लागू ककया
जा रिा िै ।
उद्दे श्य:
• तनरक्षर /नव साक्षर और आठवीं कक्षा तक प्राथममक स्तर की मशक्षा पाने वाले और आठवीं कक्षा से
आगे पढाई छोड़ दे ने वाले व्यक्ततयों के व्यावसातयक कौशल और तकनीकी ज्ञान में सध
ु ार करना।
• प्रमशक्षण/अमभववन्यास कायतक्रमों के माध्यम से कौशल ववकास के ववभाग/एजेंमसयों में कायतरत मास्टर
प्रमशक्षकों का एक समूि तैयार करना।
• सामाक्जक, आधथतक और राजनीततक प्रणामलयों के ज्ञान और समझ के दायरे का ववस्तार करना और
पयातवरण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
• राष्ट्रीय मल्
ू यों को बढ़ावा दे ना और राष्ट्रीय कायतक्रमों के साथ तालमेल बबठाना।
• ऋण और सिायता संघो की सदस्यता के माध्यम से लक्षक्षत समूिों के मलए ऋण सहित स्वरोजगार को
बढ़ावा दे ना और ववत्तीय सिायता की सुववधा प्रदान करना।
‘लंबी दरू ी की िाई-फाई’ क्या है ? यह ककस प्रकार कायभ करती है ?
• यि 5GHz फ़्रीतवेंसी पर कायत करती िै ।
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• पांच टावरों की मदद से 100 mbps की गतत से इंटरनेट उपलधध कराया जाता िै ।
• इसके मलए, सवतर इस तरि से स्थावपत ककए जाते िैं कक कम से कम 250 उपयोगकतात एक साथ
इंटरनेट का उपयोग कर सकें।
• लंबी दरू ी की वाई-फाई तकनीक के माध्यम से, संचरण में बगैर ककसी बाधा के 100 ककमी तक भी िाई-
स्पीि इंटरनेट प्रदान ककया जा सकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
पिला श्रममक ववद्यापीठ मब
ंु ई में स्थावपत ककया गया था। इसके बारे में अधधक जानकारी के मलए यिाँ पढ़ें ।
प्रीललभस ललंक:
1. लंबी दरू ी की वाईफाई के बारे में
2. LiFi तया िै ?
3. वाईफाई कैसे काम करता िै?
4. जन मशक्षण संस्थान (JSS) के बारे में ।
में स ललंक: जन मशक्षण संस्थान (JSS) के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

6. तलमलनािु में र्हरी गरीबों के ललए ‘मजदरू ी रोजगार योजना’


संदिभ: तममलनािु सरकार द्वारा प्रस्ताववत यि एक शिरी रोजगार योजना िै , क्जसे ‘मिात्मा गांधी राष्ट्रीय
ग्रामीण रोजगार गारं टी योजना’ (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme -
MGNREGS) की तजत पर लागू ककया जाएगा।
इस योजना का उद्दे श्य शिरी गरीबों की आजीववका में सुधार करना िै ।
आिश्यकता:
• अन्य राज्यों के ववपरीत, तममलनािु में शिरी आबादी तेजी से बढ़ रिी िै और यि वषत 2036 तक राज्य
की कुल आबादी का 60% तक िो जाएगी।
• वततमान में , कुल चार करोड़ लोग शिरी क्षेत्रों में रि रिे िैं, जोकक राज्य की कुल जनसंख्या का 53
प्रततशत िै ।
• कोववि-19 मिामारी के कारण, शिरी क्षेत्रों में रिने वाले कई लोगों की नौकररयां छूट चक
ु ी िैं।
योजना का कायाभन्ियन:
इस योजना के तित श्रममकों का उपयोग जल तनकायों से गाद तनकालने और सावतजतनक पाकों एवं अन्य स्थानों
के रखरखाव जैसे कायों के मलए ककया जाएगा।

‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारं टी अगधतनयम’ (मनरे गा) के बारे में :
मनरे गा (MGNREGA) को भारत सरकार द्वारा िषभ 2005 में एक सामाक्जक उपाय के रूप में प्रस्तत
ु ककया गया
था। क्जसके अंतगतत ‘काम करने के अधधकार’ (Right to Work) की गारं टी प्रदान की जाती िै ।
• इस सामाम्जक उपाय और श्रम कानून का मुख्य लसद्धांत यि िै , कक स्थानीय सरकार को ग्रामीण भारत
में न्यूनतम 100 हदनों का वैततनक रोजगार प्रदान करना िोगा ताकक ग्रामीण श्रममकों के जीवन स्तर में
वद्
ृ धध की जा सके।
मनरे गा कायभक्रम के प्रमुख उद्दे श्य:
1. मनरे गा कायतक्रम के तित प्रत्येक पररवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के मलये
न्यन
ू तम 100 हदन का वैततनक रोजगार।
2. ग्रामीण तनधतनों की आजीववका के आधार को सशतत करके सामाक्जक समावेशन सुतनक्श्चत करना।
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3. कुओं, तालाबों, सड़कों और निरों जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई पररसंपवत्त का तनमातण करना।
2. ग्रामीण क्षेत्रों से िोने वाले शिरी प्रवासन को कम करना।
3. अप्रमशक्षक्षत ग्रामीण श्रम का उपयोग करके ग्रामीण अवसंरचना का तनमातण करना।
मनरे गा योजना के तहत लाि प्राप्त करने हे तु पात्रता मानदं ि:
1. मनरे गा योजना का लाभ लेने के मलए भारत का नागररक िोना चाहिए।
2. कायत िे तु आवेदन करने के मलए व्यक्तत की आयु 18 वषत अथवा इससे अधधक िोनी चाहिए।
3. आवेदक के मलए ककसी स्थानीय पररवार का हिस्सा िोना चाहिए (अथातत, आवेदन स्थानीय ग्राम पंचायत
के माध्यम से ककया जाना चाहिए)।
4. आवेदक को स्वेच्छा से अकुशल श्रम के मलए तैयार िोना चाहिए।
योजना का कायाभन्ियन:
1. आवेदन जमा करने के 15 हदनों के भीतर या क्जस हदन से काम की मांग िोती िै , उस हदन से आवेदक
को वैततनक रोजगार प्रदान ककया जाएगा।
2. रोजगार उपलधध निीं िोने की क्स्थतत में , आवेदन जमा करने के पंद्रि हदनों के भीतर या काम की मांग
करने की ततधथ से बेरोजगारी भत्ता पाने का अधधकार िोगा।
3. मनरे गा के कायों का सामाक्जक लेखा-परीक्षण (Social Audit) अतनवायत िै , क्जससे कायतक्रम में जवाबदे िी
और पारदमशतता सतु नक्श्चत िोती िै ।
4. मजदरू ी की मांग करने िे तु अपनी आवाज उठाने और मशकायतें दजत कराने के मलए ‘ग्राम सभा’ इसका
प्रमुख मंच िै ।
5. मनरे गा के तित कराए जाने वाले कायों को मंजरू ी दे ने और उनकी प्राथममकता तय करने का दातयत्व
‘ग्राम सभा’ और ‘ग्राम पंचायत’ का िोता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक भारतीय संववधान स्पष्ट्ट रूप से 'काम करने के अधधकार' को मौमलक
अधधकार के रूप में मान्यता निीं दे ता िै ? कफर, संववधान के अंतगतत इस संदभत में तया प्रावधान ककए गए िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:स्वास््य, मशक्षा, मानव संसाधनों से संबधं धत सामाक्जक क्षेत्र/सेवाओं के ववकास और प्रबंधन से संबंधधत
ववषय।
1. जीका िायरस
संदिभ:
िाल िी में , केंद्रीय स्वास््य मंत्रालय द्वारा मिाराष्ट्र में ‘जीका वायरस’ की क्स्थतत पर नजर रखने और संक्रमण-
प्रबंधन में राज्य सरकार की सिायता करने िे तु एक बिुववषयी टीम भेजी गयी िै । मिाराष्ट्र के पुणे क्जले में
जीका वायरस का पिला मामला सामने आया िै ।
‘जीका िायरस’ के बारे में :
• ‘जीका वायरस’ (Zika virus) मुख्य रूप से एिीज प्रजातत (Aedes genus) के संक्रममत मच्छरों, मुख्यताः
एिीज एक्जतटी (Aedes aegypti) के द्वारा फैलता िै । इन एिीज मच्छरों की वजि से िेंगू, धचकनगुतनया
और ‘पीला बुखार’ (Yellow Fever) भी फैलता िै ।
• इस वायरस को सबसे पिले वषत 1947 में यग
ु ांिा के बंदरों में दे खा गया था।
संचरण:
मच्छरों के अलावा, यि वायरस ककसी संक्रममत व्यक्तत के द्वारा भी फैल सकता िै । जीका वायरस, ककसी
गभतवती महिला से उसके भ्रण
ू में , यौन संपकत से, रतत एवं रतत उत्पादों के आधान (Transfusion) से और अंग
प्रत्यारोपण के माध्यम से भी फ़ैल सकता िै ।
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जीका िायरस संक्रमण के लक्षण:
• इसके लक्षणों में , आम तौर पर, बुखार, दाने, आँखों में जलन और सूजन (conjunctivitis) , मांसपेमशयों
और जोड़ों में ददत या मसरददत की मशकायत िोती िै । यि लक्षण दो से सात हदनों तक रिते िैं। कभी-
कभी संक्रममत िोने वाले अधधकांश लोगों में कोई लक्षण हदखाई निीं िोते िैं।
• गभातवस्था के दौरान ‘जीका वायरस ‘के संक्रमण से मशशु ‘माइक्रोसेफली’ (Microcephaly अथातत ‘मशशु के
मसर का आकार सामान्य से छोटा’) और अन्य जन्मजात
ववकृततयों के साथ पैदा िो सकते िैं। इनके मलए जन्मजात
जीका मसंड्रोम किा जाता िै।
• जीका वायरस का अभी कोई इलाज या टीका उपलधध निीं
िै । WHO द्वारा इस बीमारी से शीघ्र से ठीक िोने के मलए
ददत और बख ु ार की दवाओं के साथ-साथ बिुत सारे तरल
पदाथों का सेवन करने की सलाि दी जाती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 2019 में ब्राजील के कुछ
इलाकों में रांसजेतनक मच्छरों को छोड़ा गया था। इस प्रयोग का
उद्दे श्य तया था?
स्रोत: द हिंद।ू

2. हहमाचल प्रदे र् में ‘बल्क ड्रग पाकभ’ की मांग


संदिभ: िाल िी में , कनातटक द्वारा केंद्र सरकार की ‘बल्क ड्रग पाकत योजना’ (Bulk Drug Parks Scheme) के तित
यादगीर क्जले (Yadgir district) में ‘बल्क ड्रग पाकत’ स्थावपत करने िे तु केंद्र से अनम
ु तत मांगी गयी िै ।
‘बल्क ड्रग्स’ या API क्या हैं?
‘बल्क ड्रग’ (Bulk Drug) को ‘सकक्रय दवा सामग्री’ (active pharmaceutical ingredients- API) भी किा जाता िै ।
• यि ककसी औषधध अथवा ड्रग के प्रमख
ु संघटक िोते िै, जो औषधध को वांतछत धचककत्सीय प्रभाव दे ने में
सक्षम बनाते िै अथवा वांतछत औषधीय अमभकक्रयाओं को सकक्रय करते िै ।
• उदािरण के मलए, पैरालसटामोल एक बल्क ड्रग िै , जो शरीर में ददत और बख
ु ार से राित दे ता िै । इसे
रोधगयों के सेवन िे तु ‘अंततम रूप से औवषधीय उत्पाद’, अथातत ‘गोली, कैतसूल या मसरप, के रूप में तैयार
करने के मलए ‘बाइंडिंग एजेंट्स अथवा ‘ववलायकों’ (Solvents) के साथ ममधश्रत ककया जाता िै ।
API ककस प्रकार तनलमभत ककये जाते हैं?
सकक्रय दवा संघटक अथातत API, ववमभन्न रसायनों और ववलायकों द्वारा कई अमभकक्रयाओं से तैयार ककये जाते
िैं।
• API तैयार करने की प्रकक्रया में ववमभन्न अमभकक्रयाओं से िोकर गज
ु रने वाले प्राथममक रासायन या
आधारभूत कच्चे माल को मुख्य शुरुआती सामग्री (key starting material- KSM) किा जाता िै ।
• इन अमभकक्रयाओं के मध्यवती चरणों के दौरान तनममतत िोने वाले रासायतनक यौधगकों को मध्यवती दवा
(drug intermediates or DIs) किा जाता िै ।
िारत में बल्क ड्रग्स पाकभ को प्रोत्साहन हदए जाने संबध
ं ी कारण:
भारतीय फामातस्यहू टकल उद्योग का विश्ि में तीसरा स्थान िै ।
ककं तु, यि उद्योग सकक्रय दवा संघटकों (APIs), मध्यवती दवाओं (DIs) और मुख्य शुरुआती सामग्री (KSM) के
आयात िे तु अन्य दे शों, ववशेषकर चीन पर तनभतर िै ।
• अताः इन दे शों में िोने वाले ककसी व्यवधान से भारत का दवा उद्योग प्रभाववत िो सकता िै ।

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• उदािरण के मलए, इस वषत, भारत में दवा तनमातताओं को कोववि-19 के कारण आयात में व्यवधान िोने से
कई परे शातनयों का सामना करना पड़ा।
• भारत और चीन के मध्य सीमा संघषत से क्स्थतत और भी ़िराब िुई।
िारत द्िारा इस संदिभ में उठाए जा रहे कदम:
अगधक आत्मतनिभरता की आिश्यकता: इसी वषत जून में , फामातस्यहु टकल्स ववभाग द्वारा दे श में तीन बल्क ड्रग्स
पाकों को बढ़ावा दे ने के मलए एक योजना की घोषणा की गयी।
• बल्क ड्रग पाकत में, ववमशष्ट्ट रूप से सकक्रय दवा संघटकों (APIs), मध्यवती दवाओं (DIs) और मुख्य
शरु
ु आती सामग्री (KSM) के तनमातण िे तु सामहू िक अवस्थापना सवु वधाओं सहित एक संस्पशी क्षेत्र
तनधातररत ककया जायेगा, इसके अलावा इसमें एक सामूहिक अपमशष्ट्ट प्रबंधन प्रणाली भी िोगी।
• इन पाकों से दे श में बल्क ड्रग्स की ववतनमातण लागत कम िोने और घरे लू बल्क ड्रग्स उद्योग में
प्रततस्पधात बढ़ने की उपमीद िै ।
बल्क ड्रग पाकभ योजना की प्रमुख विर्ेषताएं:
• यि योजना, सामूहिक अवसंरचना सुववधाओं के तनमातण िे तु एकमुश्त अनुदान सिायता प्रदान करते िुए
दे श में तीन बल्क ड्रग पाकों की स्थापना में सियोग करे गी।
• सामूहिक अवसंरचना सुववधाओं के तनमातण में व्यय िोने वाली कुल रामश का 70 प्रततशत अनुदान
सिायता के रूप में प्रदान ककया जायेगा, तथा हिमाचल प्रदे श और अन्य पिाड़ी राज्यों के मामले में ,
अनुदान सिायता रामश 90 प्रततशत िोगी।
• केंद्र सरकार द्वारा प्रतत पाकत अधधकतम 1,000 करोड़ रुपये की रामश प्रदान की जाएगी।
• कोई राज्य, बल्क ड्रग पाकत के तनमातण िे तु केवल एक स्थल का प्रस्ताव कर सकता िै , क्जसका क्षेत्रफल
एक िजार एकड़ से कम निीं िोना चाहिए िै । पिाड़ी राज्यों के मामले में न्यूनतम सीमा 700 एकड़
तनधातररत की गयी िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

3. 'समग्र लर्क्षा योजना 2.0' की अिगध में विस्तार


संदिभ: केंद्रीय मंबत्रमंिल द्वारा स्कूली मशक्षा के मलए ‘समग्र मशक्षा योजना’ को अगले पांच वषों के मलए 31 माचभ,
2026 तक जारी रखने की मंजूरी प्रदान कर दी गयी िै।
राष्ट्रीय मशक्षा नीतत-2020 की मसफाररशों के आधार पर नए घटकों एवं पिलों को शाममल करते िुए इस योजना
को अब नया रूप हदया गया िै ।
‘समग्र लर्क्षा अलियान’ (SSA) 2.0 के घटक:
1. योजना की प्रत्यक्ष पिुंच को बढ़ाने के मलए सभी बाल केंहद्रत िस्तक्षेप एक तनक्श्चत समयावधध में
‘सच
ू ना प्रौद्योधगकी’ (आईटी) आधाररत तलेटफॉमत पर ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (direct benefit transfer -
DBT) के माध्यम से सीधे छात्रों को प्रदान ककए जाएंग।े
2. इस ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ में पाठ्यपुस्तकों, वदी और पररविन भत्ता जैसे ‘मशक्षा के अधधकार’ के अंतगतत
प्रदान की जाने वाले सुववधाएँ शाममल िोंगी।
3. भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने पर एनईपी की मसफाररशों को ध्यान में रखते िुए, योजना में भाषा
मशक्षक की तनयक्ु तत का एक नया घटक जोड़ा गया िै- मशक्षकों को वेतन सिायता के अलावा मशक्षकों के
प्रमशक्षण के घटक और द्ववभाषी पुस्तकें और मशक्षण मशक्षण सामग्री जोड़ी गई िै ।
4. तनपुण भारत, मौमलक साक्षरता और संख्यात्मकता पर एक राष्ट्रीय ममशन िै , इसके अंतगतत मशक्षण
सामग्री के मलए प्रतत बच्चा प्रतत वषत 500 रुपये, तनयमावली और संसाधनों के मलए 150 रुपये प्रतत
मशक्षक, मूल्यांकन के मलए 10-20 लाख रुपये प्रतत क्जला तनधातररत ककए गए िैं।
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5. डिक्जटल पिल के हिस्से के रूप में , डिक्जटल बोित, स्माटत कक्षाओं (तलासरूम) आभासी कक्षाओं (वचअ
ुत ल
तलासरूम) और िीटीएच चैनलों के प्रसारण के मलए सिायता सहित ‘सूचना संवाद और प्रमशक्षण’
(आईसीटी) प्रयोगशाला, स्माटत तलासरूम का प्रावधान भी ककया गया िै ।
6. इसमें 16 से 19 वषत की आयु बच्चों को ‘राष्ट्रीय मत
ु त ववद्यालय मशक्षा संस्थानों’ के माध्यम से उनके
माध्यममक/उच्चतर माध्यममक स्तर की मशक्षा को परू ा कराने के मलए अनुसूधचत जातत, अनुसधू चत
जनजातत, ववकलांग बच्चों को प्रतत कक्षा 2000 रुपये तक की सिायता प्रदान की जाएगी।
7. यहद ककसी स्कूल के कम से कम 2 छात्र राष्ट्रीय स्तर पर खेलो इंडिया स्कूल खेलों में पदक जीतते िैं
तो उस स्कूल को 25,000 िजार रूपये तक का अततररतत खेल अनद
ु ान हदए जाने का प्रावधान ककया
गया िै ।
समग्र लर्क्षा (Samagra Shiksha):
समग्र मशक्षा योजना, स्कूली मशक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गण
ु वत्तापण
ू त मशक्षा सतु नक्श्चत करने
के मलए पूव-त ववद्यालय (प्री-स्कूल) से बारिवीं कक्षा तक के सभी पिलुओं को शाममल करने वाली एक एकीकृत
योजना िै ।
• समग्र मशक्षा, सवत मशक्षा अमभयान (SSA), राष्ट्रीय माध्यममक मशक्षा अमभयान (RMSA) और मशक्षक मशक्षा
(Teacher Education) की तीन योजनाओं को समेककत करती िै ।
• यि योजना पव
ू त प्राथममक, प्राथममक, उच्च प्राथममक, माध्यममक से उच्च माध्यममक स्तर तक ‘तनरं तरता
के रूप में ववद्यालय‘ की पररकल्पना करती िै ।
• यि, ववद्यालयी मशक्षा के ववमभन्न कक्षा स्तरों में अंतरण दर में सुधार करने और बच्चों को ववद्यालयी
मशक्षा परू ी करने के मलए सावतभौममक पिुँच को बढ़ावा दे ने में सिायता करती िै ।
• योजना का मुख्य केंद्र-बबंद,ु अंग्रेजी भाषा के दो T अक्षरों – ‘टीचसत’ और ‘टे तनोलॉजी’ का एकीकरण करके
सभी स्तरों पर गण
ु वत्ता में सुधार लाना िै ।
• इस योजना का मुख्य उद्दे श्य बच्चों को तनाःशुल्क और अतनवायत मशक्षा का अधधकार (RTE) अधधतनयम,
2009 के कायातन्वयन में राज्यों की सिायता करना िै ।
• यि योजना ‘केंद्र प्रायोक्जत योजना’ के रूप में कक्रयाक्न्वत की जा रिी िै । इसमें , केंद्र और अधधकांश
राज्यों के मध्य 60:40 के अनुपात में ववत्त पोषण ककया जाता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

4. आयष्ट्ु मान िारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)


संदिभ: केंद्र सरकार की स्वास््य बीमा योजना, ‘आयुष्ट्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (Ayushman
Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana: AB-PMJAY) के तित, अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 तक लगभग
20.32 लाख कोववि-19 परीक्षण और 7.08 लाख उपचारों के मलए मंजरू ी दी गयी थी।
इन परीक्षणों और उपचारों पर ₹2,794 करोड़ का व्यय िुआ था।
PM-JAY की प्रमख
ु विर्ेषताएं:
1. आयुष्ट्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), सरकार द्वारा पूरी तरि से ववत्तपोवषत ववश्व
की सबसे बड़ी स्वास््य बीमा / आश्वासन योजना िै ।
2. यि योजना भारत में सावतजतनक व तनजी सच
ू ीबद्ध अस्पतालों में माध्यममक और तत
ृ ीयक स्वास््य
उपचार के मलए प्रतत पररवार प्रतत वषत 5 लाख रुपये तक की धन रामश लाभाधथतयों को मुिया कराती िै ।
3. किरे ज: 10.74 करोड़ से भी अधधक गरीब व वंधचत पररवार (या लगभग 50 करोड़ लाभाथी) इस योजना
के तित लाभ प्रातत कर सकतें िैं।

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4. इस योजना में सेवा-स्थल पर लाभाथी के मलए कैशलेस स्वास््य दे खभाल सेवाओं को उपलधध कराया
जाता िै ।
5. AB-PMJAY योजना को परू े दे श में लागू करने और इसके कायातन्वयन िे तु ‘राष्ट्रीय स्वास््य प्राधधकरण’
(National Health Authority - NHA) नोिल एजेंसी िै ।
6. यि योजना, कुछ केंद्रीय क्षेत्रक घटकों के साथ एक केंद्र प्रायोम्जत योजना िै ।
योजना के अंतगभत पात्रता:
1. इस योजना के तित पररवार के आकार, आयु या मलंग पर कोई सीमा निीं िै ।
2. इस योजना के तित पिले से मौजद
ू ववमभन्न धचककत्सीय पररक्स्थततयों और गपभीर बीमाररयों को पिले
हदन से िी शाममल ककया जाता िै ।
3. इस योजना के तित अस्पताल में भती िोने से 3 हदन पिले और 15 हदन बाद तक का नैदातनक उपचार,
स्वास््य इलाज व दवाइयाँ मफ्
ु त उपलधध िोतीं िैं।
4. यि एक पोटे बल योजना िैं यानी की लाभाथी इसका लाभ पूरे दे श में ककसी भी सावतजतनक या तनजी
सूचीबद्ध अस्पताल में उठा सकतें िैं।
5. इस योजना में लगभग 1,393 प्रकक्रयाएं और पैककज शाममल िैं जैसे की दवाइयाँ, आपूततत, नैदातनक सेवाएँ,
धचककत्सकों की फीस, कमरे का शुल्क, ओ-टी और आई-सी-यू शुल्क इत्याहद जो मफ़्
ु त उपलधध िैं।
6. स्वास््य सेवाओं के मलए तनजी अस्पतालों की प्रततपतू तत सावतजतनक अस्पतालों के बराबर की जाती िै ।
निीनतम आगथभक सिेक्षण के अनुसार:
• प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) कायतक्रम क्जन राज्यों में लागू ककया गया, विां स्वास््य
पररणामों में मित्वपण
ू त सध
ु ार िुए िैं।
• PM-JAY लागू करने वाले राज्यों में , योजना से अलग रिने वाले राज्यों की तुलना में , स्वास््य बीमा का
अधधक ववस्तार, मशशु और बाल मत्ृ यु दर में कमी, पररवार तनयोजन सेवाओं के उपयोग में सुधार और
एचआईवी / एड्स के बारे में अधधक जागरूकता आहद का अनुभव ककया गया।
• PM-JAY लागू करने वाले राज्यों में स्वास््य बीमा वाले पररवारों के अनुपात में 54% की वद्
ृ धध िुई,
जबकक योजना से अलग रिने वाले राज्यों में 10% की धगरावट दजत की गयी िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं, कक ‘राष्ट्रीय डिक्जटल स्वास््य ममशन’ को लागू करने की क्जपमेदारी भी ‘राष्ट्रीय स्वास््य
प्राधधकरण’ को दी गई िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

5. कनाभटक राज्य मानलसक स्िास्थ्य प्रागधकरण


(Karnataka State Mental Health Authority)
संदिभ: कनातटक राज्य मानमसक स्वास््य प्राधधकरण के गठन संबंधी प्रकक्रया जारी िै ।
‘मानलसक स्िास्थ्य’ क्या है?
ववश्व स्वास््य संगठन (WHO) के अनुसार,मानमसक स्वास््य (MENTAL HEALTH) व्यक्तत के स्वास््य की एक
क्स्थतत िोती िै , क्जसमें व्यक्तत अपनी क्षमताओं का पण
ू त उपयोग करने, जीवन में आने वाले सामान्य तनावों का
सामना करने, लाभकारी ढं ग से काम करने और अपने समुदाय में भागीदारी करने में सक्षम िोता िै ।
ितभमान में ‘मानलसक स्िास्थ्य प्रागधकरण’ की आिश्यकता:
कोववि- 19 मिामारी के बाद ‘साधारण’ लोगों के 'असाधारण क्स्थततयों' के संपकत में आने से ‘मानमसक स्वास््य’
संबंधी मामले बड़ी संख्या में दे खे जा रिे िैं।

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• ऐसे मामले ववववध रूपों में सामने आ रिे िैं, क्जनमें धचंता, अवसाद जैसी भावनात्मक तकलीफें और
अतनद्रा, भूख में कमी जैसे जैववक प्रभाव तथा मादक द्रव्यों का सेवन और सदमे से उभरने के बाद िोने
वाली व्यथाएं आहद शाममल िैं।
• महिलाओं,बच्चों और बुजुगों जैसे संवेदनशील लोगों के मलए, घरे लू हिंसा, सामाक्जक अलगाव, स्क्रीन
समय में वद्
ृ धध और गरीबी का सामना करने जैसी अधधक जहटल चुनौततयों ने उनके मानमसक स्वास््य
को नकारात्मक रूप से प्रभाववत ककया िै ।
िारत में मानलसक स्िास्थ्य पर उल्लेखनीय तथ्य:
ववश्व स्वास््य संगठन (2020) के अनस
ु ार:
• ववश्व स्तर पर भारत में 36.6 प्रततशत आत्मित्याएं िोती िैं।
• लगभग 7.5 प्रततशत भारतीय ककसी न ककसी मानमसक ववकार से पीडड़त िैं और 2020 के अंत तक इस
संख्या में लगभग 20 प्रततशत तक वद्
ृ धध िोने की संभावना िै ।
• गणना के अनुसार, 56 मममलयन भारतीय अवसाद से पीडड़त िैं और अन्य 38 मममलयन भारतीय धचंता-
ववकारों से ग्रस्त िैं।
• ववकलांगता समायोक्जत जीवन वषों (Disability adjusted life year - DALYs) के संदभत में , भारत में
कुल बीमाररयों के भार में मानमसक ववकारों का योगदान वषत 1990 में 2.5% से बढ़कर वषत 2017 में
4.7% िो गया था।
• भारत में , प्रतत 100,000 की आबादी पर मनोधचककत्सक (0.3), नसत (0.12), मनोवैज्ञातनक (0.07)
और सामाक्जक कायतकतात (0.07) िैं, जबकक वांछनीय संख्या प्रतत 100,000 की आबादी पर
मनोधचककत्सकों और मनोवैज्ञातनकों की संख्या तीन से अधधक िै ।
मानलसक स्िास्थ्य संबंधी संिैधातनक और विगधक अगधदे र्:
• अनुच्छे द 21- ‘गररमामय जीवन का अधधकार’ के ववस्तार में ‘मानमसक स्वास््य दे खभाल प्रातत करने
का अधधकार’ भी शाममल िै। इसको ‘मानमसक स्वास््य दे खभाल अधधतनयम’ 2017 (Mental
Healthcare Act, 2017) के तित ‘गररमामय जीवन का अधधकार’ के रूप में मान्यता प्रदान की गयी
थी।
• अनुच्छे द 47- ‘पोषािार स्तर एवं जीवन स्तर को ऊँचा करना और लोक स्वास््य में सुधार करना’ राज्य
का कततव्य िोगा।
• िाल िी में सुप्रीम कोटत ने अपने फैसले में दोिराया िै , कक मानमसक बीमारी वाले प्रत्येक व्यक्तत को
सपमान के साथ जीने का अधधकार िोगा।
मानलसक स्िास्थ्य दे खिाल अगधतनयम, 2017:
• प्रागधकरण का गठन- केंद्रीय मानमसक स्वास््य प्राधधकरण और राज्य मानमसक स्वास््य प्राधधकरण।
• बोिभ का गठन: राज्य प्राधधकरण द्वारा ‘मानमसक स्वास््य समीक्षा बोित का गठन।
• आत्महत्या का गैर-अपराधीकरण - आत्मित्या का प्रयास करने वाले व्यक्तत को उस समय मानमसक
बीमारी से पीडड़त माना जाएगा और उसे भारतीय दं ि संहिता के तित दं डित निीं ककया जाएगा।
• विद्युत ्-आक्षेपी गचककत्सा (Electroconvulsive therapy / ECT) या र्ॉक थेरेपी का तनषेध-
मांसपेमशयों को आराम दे ने वाली दवाओं और एनेस्थीमसया के साथ िी इलेतरो-कंवक्ल्सव थेरेपी दी जा
सकती िै । नाबामलगों के मलए यि थेरेपी तनवषद्ध िै ।
• अगग्रम तनदे र्- यि अधधतनयम, मानमसक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तत को ‘अधग्रम तनदे श’ (advance
directive) दे ने का अधधकार हदया गया िै , क्जसमे व्यक्तत, अपनी बीमारी का इलाज ककस प्रकार कराना
चािता िै , यि बता सकता िै ।

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• बीमा: अधधतनयम में किा गया िै , कक प्रत्येक बीमाकतात मानमसक बीमारी के इलाज के मलए उसी आधार
पर धचककत्सा बीमा का प्रावधान करे गा जो शारीररक बीमारी के इलाज के मलए उपलधध िै ।
मानलसक रोग से ग्रस्त व्यम्क्तयों के अगधकार:
1. प्रत्येक व्यक्तत को सरकार द्वारा संचामलत या ववत्त पोवषत सेवाओं से मानमसक स्वास््य दे खभाल और
उपचार प्रातत करने का अधधकार िोगा।
2. अमानवीय और अपमानजनक व्यविार से सुरक्षा का अधधकार।
3. मानमसक स्वास््य के संबंध में गोपनीयता का अधधकार।
आिश्यकता:
1. समग्र स्वास््य बजट में मानमसक स्वास््य दे खभाल पर व्यय के अनुपात में वद्
ृ धध की जाए।
2. प्रमशक्षक्षत मानमसक स्वास््य कायतकतातओं की संख्या में वद्
ृ धध की जाए।
3. 'स्वच्छ मनमसकता अमभयान'जैसे अमभयानों के माध्यम से मानमसक बीमारी से जड़
ु े कलंक से तनपटने के
मलए व्यापक जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ायी जाए।
इंस्टा म्जज्ञासु: जुलाई 2018 में लागू िुए ‘मानमसक स्वास््य दे खभाल अधधतनयम’ (MHCA) 2017, ने आईपीसी
की धारा 309 के उपयोग की गुंजाइश को काफी कम कर हदया िै । धारा 309 तया िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. IPC की धारा 309 के अंतगतत ककसे अपराधी घोवषत
ककया जा सकता िै ?
2. मानमसक स्वास््य अधधतनयम (MHCA), 2017 के
प्रमख
ु प्रावधान
3. ववधध आयोग- संववधान और रचना
4. MHCA की धारा 115 (1)
में स ललंक: िाल के वषों में , आत्मित्या संबंधी मामलों ने
धचंताजनक रूप से ध्यान आकवषतत ककया िै । भारत में उच्च आत्मित्या मत्ृ यु दर के कारणों का आलोचनात्मक
ववश्लेषण कीक्जए तथा भारत इस चन
ु ौती का सामना ककस प्रकार कर िै ?
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

6. ‘हिाना लसंड्रोम’ एिं इस रहस्यमयी बीमारी के बारे में निीनतम ररपोटभ


संदिभ:
लगभग चार वषत पव
ू ,त ‘हिाना लसंड्रोम’ (Havana syndrome) नामक एक रिस्यमय न्यरू ोलॉक्जकल बीमारी से,
तयूबा, चीन और अन्य दे शों में तैनात अमेररकी राजनतयक और खुकफया अधधकारी, ग्रमसत िो गए थे।
अब, नेशनल एकेिमी ऑफ साइंसेज (NAS) की एक ररपोटत में , इस बीमारी का संिावित कारण ‘तनदे लर्त’
माइक्रोिेि विककरण (‘directed’ microwave radiation) बताया गया िै ।

‘हिाना लसंड्रोम’ क्या है ?


• वषत 2016 के अंत में , िवाना में तैनात कई अमेररकी राजनतयक और अन्य कमतचारी, अपने िोटल अथवा
घरों में अजीबोगरीब ध्वतनयां सन
ु ाई दे ने और शरीर में अजीब सनसनी मिसस
ू िोने के बाद, बीमार िो
गए थे।
• इसके अलावा, मतली आने, गंभीर मसरददत , थकान, चतकर आने, नींद की समस्या और श्रवण-ह्रास आहद
लक्षण पाए गए। इस बीमारी को तब से "हिाना लसंड्रोम" के रूप में जाना जाता िै ।

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‘हिाना लसंड्रोम’ के कारण
• सममतत द्वारा जांच ककए गए मामलों की व्याख्या करने पर, ‘तनदे लर्त’ स्पंहदत रे डियो आिवृ त्त ऊजाभ
(Directed pulsed Radio Frequency energy) को ‘िवाना मसंड्रोम’ का सवातधधक संभाववत कारण पाया गया
िै ।
• इस बीमारी से संक्रममत िोने पर, रोगी को पीड़ादायक सनसनािट और मभनमभनािट की आवाज मिसूस
िोती थी, और ये एक ववशेष हदशा से या कमरे में एक ववमशष्ट्ट स्थान से उत्पन्न िोती थी।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आपने िमारी आकाशगंगा में पिली बार ‘तीव्र रे डियो प्रस्फोट’ (fast radio bursts– FRB) के रूप में जानी जाने
वाली ‘रे डियो तरं गों के अत्याधधक तीव्र स्पंदन’ (Intense pulses of radio waves) के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. माइक्रोवेव िधथयार तया िैं?
2. िवाना मसंड्रोम तया िै?
3. इसके नामकरण के पीछे कारण?
4. ववद्युत चप
ु बकीय स्पेतरम का अवलोकन
मैंस ललंक: िाल िी में , समाचारों में चधचतत ‘िवाना मसंड्रोम’
तया िै ? इसके खबरों में िोने के कारणों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

7. बैलसलस कैलमेट-गुएररन (बीसीजी) टीकाकरण


संदिभ: 18 जुलाई, 1921 को तपेहदक (टीबी) से तनपटने िे तु
‘बैमसलस कैलमेट-ग्यरू रन (बीसीजी) वैतसीन’ (Bacillus Calmette–Guérin (BCG) vaccine) के तनमातण को 100
साल पूरे िो गए।
‘बीसीजी िैक्सीन’ क्या है ?
1. ‘बैमसलस कैलमेट-गए
ु ररन (बीसीजी) टीका’ (Bacillus Calmette–Guérin (BCG) vaccine) मख्
ु य रूप से
तपेहदक (टीबी) के णखलाफ इस्तेमाल ककया जाने वाला टीका िै ।
2. बीसीजी वैतसीन को, ‘माइकोबैतटीररयम बोववस’ (Mycobacterium bovis) - जो मवेमशयों में टीबी /
क्षय रोग का कारण िोता िै - के एक स्रे न में पररवततन करके ववकमसत ककया गया था। वषत 1921 में ,
पिली बार इस वैतसीन का मनुष्ट्यों पर प्रयोग ककया गया था।
3. वततमान में , ‘बीसीजी’ (BCG) टीबी की रोकथाम के मलए उपलधध एकमात्र लाइसेंस प्रातत टीका िै ।
4. यि उत्कृष्ट्ट सुरक्षा ररकॉित सहित ववश्व में सवातधधक इस्तेमाल ककया जाने वाला टीका िै और पीडड़त
लोगों को िर साल इसकी लगभग 120 मममलयन खुराक दी जाती िै ।
5. भारत में , बीसीजी को पिली बार वषत 1948 में सीममत पैमाने पर शरू
ु ककया गया था और वषत 1962 में
यि ‘राष्ट्रीय टीबी तनयंत्रण कायतक्रम’ का एक हिस्सा बन गया।
6. बीसीजी, बच्चों के मलए, टीबी / क्षय रोग के गंभीर रूपों के णखलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करता िै ।
ककशोरों और वयस्कों के मलए यि सरु क्षात्मक रूप से 0-80% तक प्रभावी िै ।
7. बीसीजी, नवजात मशशुओं को श्वसन और जीवाणु संक्रमण जैसे रोगों और कुष्ट्ठ तथा बुरुली अल्सर जैसे
अन्य माइकोबैतटीररयल रोगों से भी बचाता िै ।
8. मूत्राशय के कैं सर और घातक मेलेनोमा बीमारी में एक इपयूनोथेरेपी एजेंट के रूप में भी इसका उपयोग
ककया जाता िै ।

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बीसीजी िैक्सीन की प्रिािकाररता:
• बीसीजी, कुछ भौगोमलक स्थानों पर अच्छा काम करता िै , जबकक कुछ जगिों पर इतना प्रभावी निीं
िोता िै । आम तौर पर, भम
ू ध्य रे खा से दरू ी बढ़ने के साथ-साथ ‘बीसीजी वैतसीन’ की प्रभावकाररता भी
बढ़ती जाती िै ।
• यूके, नॉवे, स्वीिन और िेनमाकत में इसकी प्रभावकाररता काफी अधधक िोती िै ; और भारत, केन्या और
मलावी जैसे भूमध्य रे खा पर या उसके आस-पास क्स्थत दे शों में , जिाँ क्षय रोग का भार अधधक िै ,
इसकी प्रभावकाररता में कमी दे खी जाती िै । इन क्षेत्रों में पयातवरणीय माइकोबैतटीररया भी अधधक मात्रा
में पाए जाते िैं। ऐसा माना जाता िै कक ये माइकोबैतटीररया, टीबी के णखलाफ सरु क्षात्मक प्रभाव में
बाधा उत्पन्न करने में सक्षम िोते िैं।
तपेहदक (टीबी) क्या है ?
तपेहदक (टीबी) या क्षय रोग, ‘माइकोबैतटीररयम ट्यब
ू रकुलोमसस’ (Mycobacterium tuberculosis) नामक
जीवाणु के कारण िोने वाला एक संक्रामक रोग िै ।
• यि आमतौर पर फेफड़ों (फुफ्फुसीय टीबी- pulmonary TB) को प्रभाववत करता िै , ककं तु यि इसके अलावा
मानव-शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभाववत कर सकता िै ।
• यि बीमारी, फुफ्फुसीय टीबी से पीडड़त व्यक्तत की खांसी या ककसी अन्य माध्यम से वायु में बैतटीररया
पिुँचने से फैलती िै ।
• ववश्व में , चेचक, कुष्ट्ठ, तलेग और िै जा जैसी अन्य ऐततिामसक रूप से भयानक बीमाररयों को, या तो
काफी िद तक समातत या तनयंबत्रत ककया जा चुका िै , इसके ववपरीत, टीबी, दतु नया में एक प्रमुख
सावतजतनक स्वास््य समस्या बनी िुई िै ।
• ववश्व स्वास््य संगठन की ‘ग्लोबल टीबी ररपोटत ’ के अनुसार, वषत 2019 में लगभग 10 मममलयन लोग
टीबी से ग्रमसत िुए थे, क्जनमे से1.4 मममलयन रोधगयों की मौत िो गई। भारत में इन मामलों की संख्या
कुल वैक्श्वक मामलो की 27% िै ।
आगे की राह:
भारत, वषत 2025 तक एक सावतजतनक स्वास््य समस्या के रूप में ‘टीबी’ को खत्म करने के मलए प्रततबद्ध िै ।
इस लक्ष्य को प्रातत करने के मलए, िमें न केवल बेितर तनदान और दवाओं की आवश्यकता िोगी, बक्ल्क अधधक
प्रभावी टीकों की भी आवश्यकता िोगी।
िमें कोववि-19 मिामारी से सीखे गए सबक के आधार पर, वैतसीन का तनमातण करने और ववशेष रूप से वैतसीन
ववकमसत करने में प्रातत सफलताओं को दोिराने और वैतसीन इक्तवटी सतु नक्श्चत करने में आने वाली चुनौततयों
का सामना करने के मलए तैयार िोने की आवश्यकता िै ।

प्रीललभस ललंक:
1. बीसीजी तया िै ?
2. ‘बैतटीररया’ और ‘वायरस’ से िोने वाले रोगों में अंतर।
3. ‘टीबी’ तया िै?
4. भारत के संदभत में ‘वैक्श्वक टीबी ररपोटत ’ के प्रमख
ु बबंद।ु
में स ललंक:
1. बीसीजी टीका, तपेहदक का मुकाबला ककस प्रकार करता िै ? चचात कीक्जए।
2. ‘क्षय रोग उन्मूलन’ में भारत के सामने आने वाली चन
ु ौततयों पर चचात कीक्जए।

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विषय:शासन व्यवस्था, पारदमशतता और जवाबदे िी के मित्त्वपूणत पक्ष, ई-गवनेंस- अनुप्रयोग, मॉिल, सफलताएँ, सीमाएँ
और संभावनाएँ; नागररक चाटत र, पारदमशतता एवं जवाबदे िी और संस्थागत तथा अन्य उपाय।
1. ओपन नेटिकभ फॉर डिम्जटल कॉमसभ (ONDC)
संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय वाणणज्य और उद्योग मंत्री द्वारा ‘उद्योग संवधतन एवं आंतररक व्यापार ववभाग’
(DPIIT) की ‘ओपन नेटवकत फॉर डिक्जटल कॉमसत’ (Open Network for Digital Commerce - ONDC) पिल की
समीक्षा िे तु एक बैठक की अध्यक्षता की गई थी।
ONDC क्या है?
• डिक्जटल कॉमसत के मलए ‘ओपन नेटवकत’ क्जसे ONDC नाम हदया गया िै , ववश्व स्तर पर अपनी तरि की
पिली पिल िै , क्जसका उद्दे श्य डिक्जटल कॉमसत को ‘एक तलेटफॉमत-केंहद्रत मॉिल’ से एक ‘ओपन-
नेटवकत’ में पररवतततत करना िै ।
• क्जस तरि से डिक्जटल भुगतान िोमेन के मलए UPI िोता िै , उसी प्रकार भारत में ई-कॉमसत के मलए
ONDC िै ।
• ONDC, खरीदारों और ववक्रेताओं को डिक्जटल रूप से हदखाई दे ने और खुले नेटवकत के माध्यम से लेनदे न
करने में सक्षम बनाएगा, चािे वे ककसी भी तलेटफॉमत/एक्तलकेशन का उपयोग करते िों।
• ओएनिीसी, ई-कॉमसत में ‘एकाधधकारों’ को समातत करके और एक ‘मसंगल नेटवकत’ का तनमातण करते िुए
व्यापाररयों और उपभोतताओं को नवाचार और व्यापकता को बढ़ावा दे ने िे तु सक्षम बनाएगा।
अलिप्राय और उद्दे ष्ट्य:
• ONDC का उद्दे श्य ककसी ववमशष्ट्ट तलेटफॉमत के
स्वतंत्र, ओपन नेटवकत प्रोटोकॉल और खुले
ववतनदे शों का उपयोग करते िुए ओपन सोसत
पद्धतत पर ववकमसत ‘ओपन नेटवकत’ को
बढ़ावा दे ना िै ।
• ओएनिीसी के माध्यम से, पूरी मूल्य-श्रख
ं ृ ला
को डिक्जटाइज करने, संचालनों का
मानकीकरण करने, आपूतततकतातओं के समेकन
को बढ़ावा दे ने, प्रचालन-तन्त्र (logistics) में
दक्षता प्रातत करने और उपभोतताओं को
अधधक सवु वधा प्रदान ककए जाने संभावना िै ।

इंस्टा म्जज्ञास:ु भीम ऐप में ‘प्रमाणीकरण’ के तीन स्तर िोते िैं। इन स्तरों के बारे में बताइये।
स्रोत: पीआईबी।

विषय:लोकतंत्र में मसववल सेवाओं की भूममका।


1. पलु लस थानों में ‘कानन
ू ी सहायता’ संबंगधत जानकारी का प्रदर्भन ककया जाना अतनिायभ
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जक्स्टस यू.यू. लमलत ने किा िै , कक दे श के िर पुमलस
स्टे शन में ‘कानूनी सिायता’ प्रातत करने संबध
ं ी अधधकारों और ‘मुफ्त कानूनी सिायता’ सेवाओं की उपलधधता के
बारे में जानकारी दे ने वाले प्रदशतन पट्ट (डिस्तले बोित) लगाए जाने चाहिए।
न्यायमूततत लमलत, ‘राष्ट्रीय विगधक सेिा प्रागधकरण’ (National Legal Services Authority - NALSA) के कायतकारी
अध्यक्ष िैं।

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‘राष्ट्रीय विगधक सेिा प्रागधकरण’ (NALSA) के बारे में :
• समाज के दब
ु ल
त वगों को तन:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और वववादों के सौिादत पूणत समाधान िे तु
‘ववधधक सेवा प्राधधकरण अधधतनयम’, 1987 के अंतगतत ‘राष्ट्रीय ववधधक सेवा प्राधधकरण’ / ‘नालसा’
(National Legal Services Authority-NALSA) का गठन ककया गया िै ।
• इसका उद्दे श्य यि सुतनक्श्चत करना िै , कक आधथतक या अन्य अक्षमताओं के कारण ककसी भी नागररक
को न्याय िामसल करने के अवसरों से वंधचत निीं ककया जाए।
• नालसा द्वारा 'न्याय दीप' (Nyaya Deep) शीषतक से आधधकाररक सूचना-पत्र का प्रकाशन ककया जाता िै ।
• ‘राष्ट्रीय ववधधक सेवा प्राधधकरण’ द्वारा वववादों के सौिादत पण
ू त समाधान िे तु ‘लोक अदालतों’ का आयोजन
ककया जाता िै ।
संरचना:
• ‘ववधधक सेवा प्राधधकरण अधधतनयम’ की धारा 3(2) के अनस
ु ार, भारत के मख्
ु य न्यायाधीश ‘राष्ट्रीय
ववधधक सेवा प्राधधकरण’ (NALSA) के प्रधान- संरक्षक िोंगे।
• सवोच्च न्यायालय के दस
ू रे वररष्ट्ठतम न्यायाधीश, इसके कायतकारी-अध्यक्ष िोते िैं।
राज्य एिं म्जला कानूनी सेिा प्रागधकरण:
‘राज्य विगधक सेिा प्रागधकरण’: ‘नालसा’ की नीततयों और तनदे शों को प्रभावी बनाने और लोगों को मफ्
ु त कानूनी
सेवाएं प्रदान करने तथा राज्य में लोक अदालतों का संचालन करने िे तु प्रत्येक राज्य में ‘राज्य विगधक सेिा
प्रागधकरण’ (State Legal Services Authority) का गठन ककया गया िै ।
‘राज्य ववधधक सेवा प्राधधकरण’ के अध्यक्ष संबंधधत उच्च न्यायालय के ‘मुख्य न्यायाधीश’ िोते िैं और वि ‘राज्य
ववधधक सेवा प्राधधकरण’ के प्रधान-संरक्षक भी िोते िैं।
‘म्जला विगधक सेिा प्रागधकरण’: प्रत्येक क्जले में , ‘ववधधक सेवा कायतक्रम’ के कायातन्वयन िे तु ‘म्जला विगधक सेिा
प्रागधकरण’ (District Legal Services Authority) का गठन ककया गया िै ।
‘क्जला ववधधक सेवा प्राधधकरण’ प्रत्येक क्जले के ‘क्जला न्यायालय पररसर’ में क्स्थत िोता िै और संबंधधत क्जले
के क्जला न्यायाधीश इसके अध्यक्ष िोते िैं।
िारतीय संविधान का अनच्
ु छे द 39A:
अनुच्छे द 39A के प्रावधानों के अनुसार, “राज्य, यि सुतनक्श्चत करे गा, कक ववधधक तंत्र इस प्रकार काम करे कक
समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ िो, और राज्य, खास तौर पर यि सुतनक्श्चत करने के मलए कक
आधथतक या ककसी अन्य तनयोषयता के कारण कोई नागररक न्याय प्रातत करने के अवसर से वंधचत न रि जाए,
उपयुतत ववधान या योजना द्वारा या ककसी अन्य रीतत से तनाःशुल्क ववधधक सिायता की व्यवस्था करे गा।
संववधान में यि अनच्
ु छे द, संविधान (बयालीसिां संर्ोधन) अगधतनयम, 1976 के द्वारा जोड़ा गया था।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववधधक सेवा प्राधधकरण अधधतनयम’ के तित ककन लोगों को ‘तनशल्
ु क
ववधधक सेवा’ प्रातत करने का अधधकार िोता िै?
प्रीललभस ललंक:
1. NALSA के प्रधान संरक्षक और कायतकारी अध्यक्ष की तनयुक्तत कौन करता िै ?
2. पात्रता मानदं ि?
3. राज्य और क्जला कानूनी सेवा प्राधधकरणों का प्रमख
ु कौन िोता िै ?
4. इस संबंध में संवैधातनक प्रावधान?
में स ललंक: गरीबों और जरूरतमंदों को तनशल्
ु क ववधधक सिायता सतु नक्श्चत करने में नालसा की भमू मकाओं और
कायों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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विषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
1. पाककस्तान में ‘गगलगगत-बाम्ल्टस्तान’ को नया दजाभ दे ने हे तु विधेयक
संदिभ: पाककस्तानी अधधकाररयों द्वारा ‘रणनीततक रूप से मित्वपण
ू त ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ (Gilgit-Baltistan) को
अस्थायी रूप से प्रांतीय दजात (provisional provincial status) दे ने िे तु एक कानून को अंततम रूप से तैयार कर
मलया गया िै ।
प्रस्ताववत ववधेयक के अनस
ु ार, धगलधगत-बाक्ल्टस्तान के ‘सवोच्च अपीलीय न्यायालय’ (Supreme Appellate
Court - SAC) को समातत ककया जा सकता िै और इस क्षेत्र के तनवातचन आयोग का पाककस्तान के तनवातचन
आयोग (Election Commission of Pakistan) में ववलय ककए जाने की संभावना िै ।
गगलगगत-बाम्ल्टस्तान की ितभमान म्स्थतत:
• वततमान में ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ एक स्वायत्त क्षेत्र िै और इस उन्नयन के पश्चात, यि पककस्तान का
5वां प्रांत बन जाएगा।
• वततमान में , पाककस्तान में बलूधचस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और मसंध - चार प्रांत िैं।
िारत की म्स्थतत:
भारत ने पाककस्तान को स्पष्ट्ट रूप से बता हदया िै , कक 1947 के भारत संघ में राज्य-ववलय के वैधातनक और
अखण्िनीय प्रावधानों के अनुसार, संपूणत केंद्र शामसत जपमू-कश्मीर, लद्दाख तथा धगलधगत-बाक्ल्टस्तान के क्षेत्र,
भारत के अमभन्न अंग िैं।
‘गगलगगत-बाम्ल्टस्तान’ की अिम्स्थतत:
• धगलधगत-बाक्ल्टस्तान, उत्तर में चीन, पक्श्चम में अफगातनस्तान, और दक्षक्षण पूवत में कश्मीर के साथ सीमा
बनाता िै ।
• यि क्षेत्र, तत्कालीन जपमू और कश्मीर की ररयासत का हिस्सा था, ककं तु कश्मीर पर कबायली लड़ाकों
और पाककस्तानी सेना द्वारा आक्रमण के बाद, 4 नवंबर, 1947 से इस क्षेत्र पर पाककस्तान का तनयंत्रण
िै ।
• यि पाक-अगधकृत कश्मीर के साथ एक भौगोमलक सीमा साझा करता िै , तथा भारत इसे अववभाक्जत
जपमू और कश्मीर का हिस्सा मानता िै , जबकक पाककस्तान इस क्षेत्र को पाक-अधधकृत कश्मीर (PoK) से
अलग मानता िै ।
• ‘चीन पाककस्तान आधथतक गमलयारा’ इस क्षेत्र से िोकर गुजरता िै ।
‘गगलगगत-बाम्ल्टस्तान’ पर ितभमान तनयंत्रण:
1. ‘संयुतत राष्ट्र भारत-पाककस्तान आयोग’ (United Nations Commission for India and Pakistan - UNCIP)
द्वारा 28 अप्रैल 1949 को पाररत प्रस्ताव का उल्लंघन करते िुए, वततमान में यि क्षेत्र पाककस्तान के
कधजे में िै ।
2. पाककस्तान द्वारा ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ के तनवामसयों की सिमतत के बबना इस क्षेत्र पर कधजा ककया
गया िै । और ‘संयुतत राष्ट्र भारत-पाककस्तान आयोग’ (UNCIP) द्वारा पाककस्तान को वववाहदत क्षेत्र से
अपनी सेना वापस बुलाने की जरूरत बताए जाने के बाद भी, पाक इस क्षेत्र पर अनाधधकृत कधजा
बनाए िुए िै ।
3. वपछले 60 वषों से अधधक समय से, धगलधगत-बाक्ल्टस्तान क्षेत्र को उधचत संवध
ै ातनक दजात, एक कायतशील
कानूनी प्रणाली और राजनीततक स्वायत्तता निीं ममली िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक चीन, ‘कोिाला पनबबजली पररयोजना’ (Kohala hydropower project) के
तनमातण में पाककस्तान की मदद कर रिा िै? यि पररयोजना किां पर क्स्थत िै?
प्रीललभस ललंक & में स ललंक: धगलधगत-बाक्ल्टस्तान किां अवक्स्थत िै ? इस पर पाककस्तान का तनयंत्रण ककस प्रकार
िुआ? चचात कीक्जए। स्रोत: द हहंद।ू
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2. इलेक्रॉतनक िी़िा (ई-िी़िा)
संदिभ: तामलबान के पूरे अफगातनस्तान पर अपना तनयंत्रण करने की हदशा में अग्रसर िोने के साथ िी, िाल िी
में भारत सरकार द्वारा अफगान नागररकों को जारी ककए गए सभी वीजा ‘अमान्य’ या रद्द करने के फैसला
ककया गया िै , इसमें वपछले कुछ मिीनों में जारी ककए गए लगभग 2,000 वीजा भी शाममल िै ।
इसके बाद, सभी अफ़गान नागररकों को भारत में प्रवेश करने िे तु केवल ऑनलाइन माध्यम से ववशेष ई-वीजा (e-
visas) के मलए आवेदन करना िोगा।
आिश्यकता:
भारत सरकार के मलए धचंता का ववषय यि था, कक वीजा िामसल करने के मलए अफगान नागररकों द्वारा जमा
ककए जाने वाले पासपोटत काबुल क्स्थत भारतीय दत
ू ावास और ‘भारतीय वीजा केंद्र’ में इकट्ठे ककए जाते िैं, जोकक
िारत विरोधी आतंकिादी समूहों के िाथों में जा सकते िैं। इसे दे खते िुए, गि
ृ मंत्रालय ने इन सभी वीजा को
रद्द करने का फैसला ककया िै ।
‘ई-िीजा’ क्या है?
• ई-वीजा (e-visa) प्रणाली वषत 2014 में सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई पद्धतत िै । वषत 2017-2018
में इस सुववधा को ववस्ताररत ककया गया था।
• इस प्रणाली की बुतनयाद, वषत 2010 में जापान, मसंगापुर, कफ़नलैंि, लतजमबगत और न्यूजीलैंि के मलए शुरू
की गयी ‘टूररस्ट िी़िा ऑन अराइिल’ (TVOA) योजना में दे खी जा सकती िै ।
• सरकार ने TVOA योजना को ‘इलेतरॉतनक यात्रा प्राधधकरण’ (Electronic Travel Authorisation) के साथ
ववलय कर हदया, क्जसके पररणामस्वरूप ‘ई-वीजा’ प्रणाली ववकमसत िुई।
• ववदे शी नागररकों के मलए ‘वीजा’ जारी करने िे तु ‘गि
ृ मंत्रालय’ एक प्रमख
ु एजेंसी िै ।
पात्रता: ‘ई-वीजा’ क्जसे इलेतरॉतनक वीजा भी किा जाता िै , पांच श्रेणणयों में प्रदान ककया जाता िै - पयतटन,
व्यवसाय, सपमेलन, धचककत्सा और धचककत्सा-पररचयात।
अपिाद:
• यि सुववधा पाककस्तान के नागररकों के मलए उपलधध निीं िै , और पाककस्तानी नागररकों को भारत आने
के मलए इस्लामाबाद क्स्थत भारतीय उच्चायोग से तनयममत वीजा के मलए आवेदन करना िोता िै ।
• ‘ई-वीजा’ ववदे शी राजनतयकों के मलए मान्य निीं िोता िैं। इनके मलए अलग से वीजा प्रदान ककया जाता
िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: ककन ववदे शी दे शों को भारत में प्रवेश िे तु वीजा मुतत सुववधा प्रदान की जाती िै?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:द्ववपक्षीय, क्षेत्रीय और वैक्श्वक समूि और भारत से संबंधधत और/अथवा भारत के हितों को प्रभाववत करने
वाले करार।
1. ‘गोगरा’ और ‘हॉट म्स्प्रंग’ पर अिी कोई समझौता नहीं
संदिभ: भारत, वपछले वषत शरू
ु िुए चीन के साथ गततरोध का अंत करने िे तु, पूवी लद्दाख में क्स्थतत को व्यापक
रूप से सामान्य करने के मलए दबाव बना रिा िै , क्जसमे टकराव के सभी बबंदओ
ु ं से सेनाओं की वापसी, यद् ु ध
की तीव्रता में कमी और गश्त के मलए एक नए प्रोटोकॉल पर ववचार करना शाममल िै । इस प्रकक्रया तित
भारत-चीन के मध्य ववमभन्न स्तरों पर बैठकें की जा रिी िैं।
अब तक की प्रगतत:
• अब तक, ‘पैंगोंग त्सो’ के उत्तरी और दक्षक्षणी ककनारों पर पूरी तरि से सैन्य-वापसी िो चुकी िै ।
• िालांकक, पूवी लद्दाख के ‘गोगरा’ (Gogra) और ‘िॉट क्स्प्रंग्स’ (Hot Springs) में सैन्य-वापसी िे तु, दोनों
पक्ष अभी तक ककसी समझौते पर निीं पिुंचे िैं।
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िारत-चीन सीमा:
1. भारत और चीन परस्पर 3,488 ककलोमीटर लंबी सीमा साझा करते िैं। दभ
ु ातग्य से, यि पूरी सीमा
वववाहदत िै । दोनों दे शों के मध्य सीमांकन करने वाली रे खा को, सर िे नरी मैकमोिन के नाम पर
‘मैकमोिन रे खा’ (McMahon line) किा जाता िै
2. वषत 1913 में , बब्रहटश-भारत सरकार ने एक बत्रपक्षीय सपमेलन बुलाया गया था, क्जसमें भारतीय और
ततधबततयों के बीच वातात के पश्चात ् भारत और ततधबत के बीच की सीमा को औपचाररक रूप हदया गया
था। इस सपमलेन में एक अमभसमय भी लागू ककया गया था, क्जसके तित भारत-ततधबत सीमा का
पररसीमन ककया गया। िालाँकक, चीन द्वारा इस सीमा को अवैध बताया जाता िै , और इसे वववाहदत
करार हदया गया िै ।
3. वषत 1957 में चीन ने ‘अतसाई धचन’ पर कधजा कर मलया और इस क्षेत्र से िोकर एक सड़क का तनमातण
ककया। इस प्रकरण के बाद से, सीमा पर कई बार झड़पें िुईं, जो अंतताः 1962 के सीमा-यद् ु ध में पररणत
िुईं। युद्ध के बाद बनी सीमा को ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’ (Line of Actual Control - LAC) के रूप में
जाना जाने लगा। इस सीमा-रे खा पर सेना का कधजा रिता िै ।
‘िास्तविक तनयंत्रण रे खा’ (LAC) का अिलोकन:
इस रे खा को तीन क्षेत्रों में ववभाक्जत ककया गया िै : यि, पूवी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदे श और मसक्तकम (1346
ककमी), मध्य क्षेत्र में उत्तराखंि और हिमाचल प्रदे श (545 ककमी), और पक्श्चमी क्षेत्र में लद्दाख (1597 ककमी) तक
ववस्तत
ृ िै ।
• पूवी क्षेत्र में ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’, 1914 की मैकमोिन रे खा के साथ संरेणखत िै ।
• मैकमोिन रे खा द्वारा बब्रटे न और ततधबत के बीच पिले से गैर-दावा यत
ु त / अपररभावषत सीमाओं को
धचक्ह्नत ककया गया था।
• भारत-चीन के बीच ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’ का मध्य क्षेत्र सबसे कम वववाहदत क्षेत्र िै , जबकक पक्श्चमी
क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सीमा-रे खा का सवातधधक उल्लंघन ककया गया िै ।
समय की मांग:
1. दोनों पक्षों द्वारा ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’ (LAC) को स्वीकार और इसका सपमान ककया जाना चाहिए।
2. ककसी भी पक्ष द्वारा, यथाक्स्थतत को एकतरफा बदलने का प्रयास निीं करना चाहिए।
3. दोनों पक्षों द्वारा सभी समझौतों का पूरी तरि से पालन ककया जाना चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं ‘चुशुल’ किाँ अवक्स्थत
िै ? इसके नामकरण का तया इततिास िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. LoC तया िै और इसे ककस प्रकार तनधातररत ककया
गया िै ? इसका भौगोमलक ववस्तार और मित्व?
2. LAC तया िै?
3. नाथू ला किाँ िै ?
4. पैंगोंग त्सो किाँ िै ?
5. अतसाई धचन का प्रशासन कौन करता िै ?
6. ‘नाकू ला’ किाँ िै ?
7. पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र पर ककसका तनयंत्रण िै ?
में स ललंक: भारत और चीन के मलए ‘पैंगोंग त्सो’ के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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2. समद्र
ु ी सहयोग बढ़ाने हे तु िारत का 5 सत्र
ू ी एजेंिा
संदिभ: िाल िी में , प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी द्वारा ‘समुद्री सुरक्षा में वद्
ृ धध’ (Enhancing Maritime Security) ववषय
पर संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में एक खुली बिस की अध्यक्षता की गयी।
इसके बाद, संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद द्वारा ‘समद्र
ु ी सरु क्षा’ पर भारत के अध्यक्षीय वततव्य को पाररत कर
हदया गया।
समुद्री क्षेत्र में ितभमान चुनौततयां:
समुद्री मागत, अंतरातष्ट्रीय व्यापार की जीवन रे खा िैं। परं तु:
1. समुद्री मागों का समुद्री-िकैती और आतंकवाद के मलए दरु
ु पयोग ककया जा रिा िै ।
2. कई दे शों के मध्य समद्र
ु ी वववाद जारी िैं और जलवायु पररवततन, भी समुद्री क्षेत्र से जुड़ा िुआ िै ।
समुद्री सहयोग बढ़ाने के ललए प्रधान मंत्री द्िारा तनधाभररत पांच सूत्री एजेंिा:
1. वैध समुद्री व्यापार की बाधाओं को दरू करना।
2. अंतरराष्ट्रीय कानन
ू के अनस
ु ार समद्र
ु ी वववादों का शांततपण
ू त समाधान।
3. प्राकृततक आपदाओं और गैर-राज्य अमभकतातओं (Non State Actors – NSA) से िोने वाले खतरे का
मुकाबला।
4. समुद्री संसाधनों का संरक्षण।
5. उत्तरदातयत्व-पूणत समुद्री संपकत को बढ़ावा दे ना।
समद्र
ु ी सहयोग बढ़ाने हे तु िारत के प्रयास:
1. क्षेत्र में सभी के मलए सुरक्षा और ववकास अथातत 'सागर' (Security and Growth for All in the Region-
SAGAR)।
2. वषत 2008 से, भारतीय नौसेना द्वारा हिंद मिासागर में समद्र
ु ी िकैती का मक
ु ाबला करने के मलए गश्त
जारी िै ।
3. व्िाइट मशवपंग इनफामेशन फ्यूजन सेंटर (White Shipping Information Fusion Centre)
4. कई दे शों में जल सवेक्षण और समुद्री सुरक्षा कममतयों के प्रमशक्षण िे तु सिायता।
5. भारत का 'िीप ओशन ममशन'
इंस्टा म्जज्ञास:ु ‘पॉलीमेटेमलक नोड्यल
ू ’ (Polymetallic nodules) किाँ पाए जाते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:भारत के हितों पर ववकमसत तथा ववकासशील दे शों की नीततयों तथा राजनीतत का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
1. हांगकांग का प्रर्ासन
संदिभ: िाल िी में , िांगकांग की नेता ‘कैरी लैम’ (Carrie Lam) ने किा िै , कक वि ववदे शी प्रततबंधों का जवाब दे ने
के मलए िांगकांग में चीन की मख्
ु य भमू म के एक क़ानन
ू लागू ककए जाने का समथतन करती िैं।
यि इस बात का सबसे स्पष्ट्ट संकेत िै कक िांगकांग शिर, अब चीनी कानून को अपनाने के मलए तैयार िै ।
इस कानून को, बीक्जंग की ववधातयका के बजाय िांगकांग की ववधातयका के माध्यम से पेश ककए जाने का
प्रस्ताव ककया गया िै । इस क़ानून को िांगकांग के ‘लघ-ु संववधान’ (mini-constitution) की पररमशष्ट्ट में जोड़ा
जाएगा। िांगकांग के ‘ममनी-काक्न्स्टटूशन’ को ‘बेमसक लॉ’ के रूप में भी जाना जाता िै ।
‘प्रस्तावित कानन
ू ’ क्या है ?
1. बीक्जंग द्वारा जून माि में एक कानून पाररत ककया गया था, क्जसके तित चीनी नागररकों या संस्थाओं
के णखलाफ भेदभाव करने या ववभेदकारी तरीके लागू करने वाले व्यक्ततयों या इकाईयों को चीनी सरकार
की ‘प्रततबंध-रोधी सूची’ (anti-sanctions list) में रखा जा सकता िै ।

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2. चीन के कानून के तित, इस सूची में शाममल व्यक्ततयों को चीन में प्रवेश से वंधचत ककया जा सकता िै
या दे श से तनष्ट्कामसत ककया जा सकता िै ।
3. क़ानन
ू के तित, चीन में ऐसे व्यक्ततयों की संपवत्त को जधत या तनष्ट्क्रय ककया जा सकता िै । इनके मलए
चीन की संस्थाओं या नागररकों के साथ कारोबार करने से भी प्रततबंधधत ककया जा सकता िै ।
इस क़ानून को लागू करने की आिश्यकता:
संयुतत राज्य अमेररका और यूरोपीय संघ द्वारा, चीन पर व्यापार, िांगकांग और णझंक्जयांग के सुदरू पक्श्चमी
क्षेत्र को लेकर दबाव िालने की वजि से इस क़ानून को लाया गया िै ।
इस कानन
ू से जड़
ु ी गचंताएं और मद्
ु दे :
आलोचकों ने चेतावनी दे ते िुए किा िै , कक िांगकांग द्वारा इस कानून को लागू करने से ‘वैक्श्वक ववत्तीय केंद्र’
के रूप में इसकी प्रततष्ट्ठा कम िो सकती िै ।
हांगकांग का प्रर्ासन ककस प्रकार से होता है ?
िांगकांग, ‘एक दे श दो प्रणाली’ (One Country Two Systems) पद्धतत से प्रशामसत िोता िै । ‘िांगकांग’ और
‘मकाऊ’ ववशेष प्रशासतनक क्षेत्र िैं और दोनों पूवत उपतनवेश रि चुके िैं।
नीतत के अनुसार, ‘िांगकांग’ और ‘मकाऊ’, चीनी जनवादी गणराज्य का हिस्सा िोने के बावजूद, चीन की मुख्य
भूमम की नीततयों से मभन्न आधथतक और राजनीततक व्यवस्था अपना सकते िैं।
• िांगकांग, 1 जल
ु ाई, 1997 से वापस चीन के तनयंत्रण में आ गया था, और 20 हदसंबर, 1999 को ‘मकाऊ’
की संप्रभुता चीन को स्थानांतररत कर दी गई थी।
• इन क्षेत्रों की अपनी मुद्राएं, आधथतक और कानूनी प्रणामलयां िैं, ककं तु रक्षा और कूटनीतत बीक्जंग द्वारा
तय की जाती िै ।
• उनके लघ-ु संववधान 50 वषों तक - अथातत िांगकांग के मलए 2047 तक और मकाऊ के मलए 2049 तक
वैध िै । इस अवधध के बाद की व्यवस्था अभी स्पष्ट्ट
निीं िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. िांगकांग के बारे में
2. यि कब स्वतंत्र िुआ?
3. ‘एक दे श दो प्रणाली’ पद्धतत के बारे में
4. प्रस्ताववत कानून की मुख्य ववशेषताएं
में स ललंक: प्रस्ताववत कानून के तनहिताथों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. चीन-ताइिान संबंध
संदिभ: चीन द्वारा ताइवान पर िाले जा रिे दबाव का प्रततरोध करने के मलए अमेररका और अन्य दे शों द्वारा
उठाए जा रिे कदमों के बीच, िाल िी में , ताइवान और अमेररकी अधधकाररयों के बीच एक बैठक आयोक्जत की
गई थी।
बीक्जंग द्वारा ताइवान पर चीन का दृक्ष्ट्टकोण स्वीकार करने िे तु दबाव िालने का अमभयान चलाया जा रिा िै ।
चीन चािता िै , कक ताइवान यि स्वीकार करे कक उसका द्वीपीय भू-भाग चीन का हिस्सा िै ।
संबंगधत प्रकरण:
• ताइवान के नागररकों द्वारा चीनी मुख्य भूमम के साथ राजनीततक एकीकरण की बीक्जंग की मांग को
जोरदार तरीके से खाररज कर हदया िै । इसके बाद से, चीन ने ताइवान पर राजनतयक, आधथतक और सैन्य
दबाव बढ़ा हदया िै ।
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• चीन ने काफी लंबे समय से ताइवान को संयुतत राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भाग लेने से
अवरुद्ध ककया िुआ िै और वषत 2016 में ताइवान के राष्ट्रपतत त्साई इंग-िेन के चुनाव के बाद से, इस
तरि का दबाव और अधधक बढ़ा हदया िै ।
चीन- ताइिान संबध
ं : पष्ट्ृ ठिूलम
चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीतत के जररए ताइवान पर अपना दावा करता िै । सन ् 1949 में चीन में
दो दशक तक चले गि
ृ युद्ध के अंत में जब 'पीपल्
ु स ररपक्धलक ऑफ चाइना' के संस्थापक माओत्से तुंग ने परू े
चीन पर अपना अधधकार जमा मलया तो ववरोधी राष्ट्रवादी पाटी के नेता और समथतक ताइवान द्वीप पर भाग
गए। इसके बाद से 'पीपल्
ु स ररपक्धलक ऑफ चाइना' ने ताइवान को बीक्जंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर
बल-प्रयोग करने का भी प्रण मलया िुआ िै ।
• चीन, ताइवान का शीषत व्यापार भागीदार िै । वषत 2018 के दौरान दोनों दे शों के मध्य 226 बबमलयन
िॉलर के कुल व्यापार िुआ था।
• िालांकक, ताइवान एक स्िर्ालसत दे र् है और िास्तविक रूप से स्ितंत्र िै , लेककन इसने कभी भी
औपचाररक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा निीं की िै ।
• "एक दे र्, दो प्रणाली" (one country, two systems) सूत्र के तित, ताइवान, अपने मामलों को खुद
संचामलत करता िै ; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यिस्था का उपयोग ककया जाता िै ।
वततमान में , चीन, ताइवान पर अपना दावा करता िै , और इसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दे ने वाले दे शों के
साथ राजनतयक संबंध निीं रखने की बात करता िै ।
िारत-ताइिान संबंध
• यद्यवप भारत-ताइवान के मध्य औपचाररक राजनतयक संबंध निीं िैं, कफर भी ताइवान और भारत
ववमभन्न क्षेत्रों में परस्पर सियोग कर रिे िैं।
• भारत ने वषत 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीतत का समथतन करने से इनकार कर हदया िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: चीन द्वारा "एक दे श, दो प्रणाली" सत्र
ू के तित ककन क्षेत्रों का प्रशासन ककया जाता िै?
प्रीललभस ललंक:
1. ताइवान की अवक्स्थतत और इसकी ऐततिामसक पष्ट्ृ ठभमू म।
2. वन चाइना नीतत के तित चीन द्वारा प्रशामसत क्षेत्र।
3. तया ताइवान का WHO और संयुतत राष्ट्र में प्रतततनधधत्व ककया
गया िै ?
4. दक्षक्षण चीन सागर में क्स्थत दे श।
5. कुइंग राजवंश (Qing dynasty)।
में स ललंक:
भारत- ताइवान द्ववपक्षीय संबंधों पर एक हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. नये हालातों में िारत को अफगातनस्तान से क्यों और ककस प्रकार के संबंध बनाने चाहहए?
संदिभ:
िाल िी में , तामलबान ने अफ़गातनस्तान के अधधकाँश प्रमख
ु शिरों पर कधजा कर मलया िै , और अमेररका एवं
बब्रटे न द्वारा अपने नागररकों को दे श से बािर तनकालने के मलए सैतनकों को लगाया गया िै । इसके साथ िी,
तामलबान पूरे अफ़गातनस्तान पर अपना पूणत तनयंत्रण स्थावपत करने की क्स्थतत में पिुँच चुका िै

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संबंगधत प्रकरण:
अमरीका द्वारा अफ़गातनस्तान से वापस लौटने संबध
ं ी फैसला ककए जाने के बाद से गैर-सरकारी अमभकतात
‘तामलबान’ हिंसक प्रदशतन करते िुए सत्ता में वापसी के मलए आगे बढ़ता जा रिा िै ।
अफगातनस्तान और इसकी रणनीततक अिम्स्थतत:
अफ़गातनस्तान में म्स्थरता का महत्ि:
• अफ़गातनस्तान में तामलबान की बिाली का
असर इसके पड़ोसी मध्य एमशयाई दे शों जैसे
ताक्जककस्तान, उज़्बेककस्तान आहद में फैल
सकता िै ।
• तामलबान के पुनरुत्थान से इस क्षेत्र में ‘उग्रवाद’
कफर से क्जंदा िो जाएगा और यि क्षेत्र ‘लश्कर-
ए-तैयबा’, आईएसआईएस आहद के मलए एक
सुरक्षक्षत आश्रय स्थल बन सकता िै ।
• अफगातनस्तान में गि
ृ युद्ध िोने से मध्य
एमशया और उसके बािर के दे शों में शरणाथी
संकट उत्पन्न िो जाएगा।
• अफगातनस्तान की क्स्थरता से मध्य एमशयाई
दे शों को हिंद मिासागर क्षेत्र में क्स्थत बंदरगािों
तक - सबसे कम-दरू ी वाले मागत से - पिुंचने में
मदद ममलेगी।

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• अफगातनस्तान, मध्य-एमशया और शेष ववश्व के बीच एक पुल की भमू मका तनभाने वाली, क्षेत्रीय व्यापार
िे तु और सांस्कृततक रूप से, एक मित्वपूणत कड़ी िै ।
नए हालातों में , िारत के ललए ताललबान के साथ संपकभ स्थावपत करना क्यों जरूरी है ?
• अफ़गातनस्तान में अब तामलबान की मित्वपूणत उपक्स्थतत िै ।
• भारत पिले से िी अफगातनस्तान में भारी तनवेश कर चुका िै । अपनी 3 अरब िॉलर की पररसंपवत्तयों की
सुरक्षा िे त,ु भारत को अफगातनस्तान में सभी पक्षों के साथ संपकत स्थावपत करने चाहिए।
• तामलबान का पाककस्तान के साथ गिन राज्य संबंध बनाना, भारत के हित में निीं िोगा।
• यहद भारत ने अभी संपकत स्थावपत निीं ककए, तो रूस, ईरान, पाककस्तान और चीन, अफगातनस्तान के
राजनीततक और भ-ू राजनीततक भाग्य-तनमातता के रूप में उभरें गे, जो तनक्श्चत रूप से भारतीय हितों के
मलए िातनकारक िोगा।
• अमेररका ने क्षेत्रीय-संपको पर सबको चौंकाते िुए ‘अमेररका-उजबेककस्तान-अफगातनस्तान-पाककस्तान’ के
रूप में एक "तवाि" (Quad) का गठन करने की घोषणा की िै - क्जसमें भारत को शाममल निीं ककया
गया िै ।
• अपनी अथतव्यवस्था को बढ़ाने के मलए, चाबिार बंदरगाि के माध्यम से अफगातनस्तान के साथ व्यापार
करने संबधी भारत का प्रयास संकट में पड़ा िुआ िै ।
आिश्यकता:
• तामलबान द्वारा की जा रिी हिंसा पर रोक लगाकर, अफ़गान नागररकों की सुरक्षा िे तु सामूहिक रूप से
कायत करने की तत्काल आवश्यकता िै ।
• अफगातनस्तान को शंघाई सियोग संगठन (SCO) जैसे मध्य एमशयाई संगठन में पयाततत स्थान हदया
जाना चाहिए।
• अमरीका, ईरान, चीन और रूस को अफगातनस्तान में क्स्थरता बनाए रखने के मलए भारत को सकक्रय रूप
से शाममल करना चाहिए।
• शरणाथी संकट उत्पन्न िोने पर उसके मलए समेककत कारत वाई की जानी चाहिए।
• तनकटस्थ पड़ोमसयों के साथ शांतत बनाए रखने िे तु तामलबान के साथ भारत द्वारा संपकत स्थावपत ककए
जाने चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: अमेररका-तामलबान शांतत समझौते के बारे में जातनए।
प्रीललभस ललंक:
1. तामलबान के बारे में
2. अफगान संकट
3. नाटो के बारे में
4. अफगातनस्तान पररयोजनाओं में भारत का तनवेश
में स ललंक: नये िालातों में भारत को अफगातनस्तान से तयों और ककस प्रकार के संबंध बनाने चाहिए? चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

4. चीन की तीन-बच्चा नीतत


(China's three-child policy)
संदिभ: चीन की ववधातयका द्वारा दपपततयों को तीन बच्चे पैदा करने की अनम
ु तत दे ने िे तु दे श के पररवार
तनयोजन तनयमों में औपचाररक रूप से संशोधन ककया गया िै ,साथ िी घटती जन्म दर को बढ़ावा दे ने के
उद्दे श्य से कई नीततगत उपायों की घोषणा की गयी िै ।

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इन तनणभयों के पीछे कारण:
• िाल िी में जारी ककए गए,चीन में की गयी दशकीय जनगणना आंकड़ों से पता चला िै , कक दे श की
जनसंख्या वद्
ृ धध दर,तेजी से घटती जा रिी िै ।
• चीन के राष्ट्रीय सांक्ख्यकी धयूरो के अनुसार, वपछले साल 12 करोड़ बच्चों का जन्म िुआ, जोकक 1961
के बाद सबसे कम िै ।
चीन में ‘िन चाइल्ि पॉललसी’ क्यों लागू की गई थी?
• चीन द्वारा ‘वन चाइल्ि पॉमलसी’ की शुरुआत वषत 1980 में की गई थी, उस समय चीन की जनसँख्या
लगभग एक अरब के करीब पिुंच रिी थी और कपयतु नस्ट पाटी को इस बात की धचंता थी कक दे श की
बढ़ती आबादी, आधथतक प्रगतत को बाधधत करे गी।
• इस नीतत को लागू करने के मलए कई तरीके अपनाए गए थे, क्जनके तित, एक बच्चा पैदा करने वाले
पररवारों के मलए आधथतक रूप से प्रोत्सािन, गभततनरोधकों को व्यापक रूप से उपलधध कराना और नीतत
का उल्लंघन करने वालों के णखलाफ प्रततबंध लगाना, आहद शाममल थे।
इस नीतत की आलोचनाएँ:
चीनी अधधकाररयों द्वारा लंबे समय तक इस नीतत को एक सफलता के रूप में बताया जाता रिा, और दावा
ककया गया कक, इस नीतत ने, लगभग 40 करोड़ लोगों को पैदा िोने से रोक कर दे श के समक्ष आने वाली
भोजन और पानी की कमी संबंधी गंभीर समस्याओं को टालने में मदद की िै ।
िालाँकक, एक बच्चे पैदा करने की सीमा, दे श में असंतोष का एक कारण भी थी, जैसेकक:
• इसके मलए, राज्य द्वारा जबरन गभतपात और नसबंदी जैसी क्रूर रणनीतत का इस्तेमाल ककया गया।
• यि नीतत, गरीब चीतनयों के मलए काफी अन्यायपण
ू त थी, तयोंकक अमीर लोग, नीतत का उल्लंघन करने
पर आधथतक प्रततबंधों का भग
ु तान कर सकते थे और गरीबों को दं ि भुगतना पड़ता था।
• इस नीतत को लागू करने के दौरान मानवाधधकारों का उल्लंघन ककया गया।
• इसने सामाक्जक तनयंत्रण करने के एक उपकरण के रूप में , प्रजनन सीमाओं को लागू करने का मागत
प्रशस्त ककया।
• इसने परु
ु षों के पक्ष में मलंगानप
ु ात को प्रभाववत ककया।
• इसकी वजि से कन्या भ्रण
ू ों के गभतपात में वद्
ृ धध िुई और इसी तरि अनाथालयों में पररत्यतत लड़ककयों
की संख्या बढ़ी।
• इसकी वजि से चीन में वद् ृ धो की संख्या में अन्य दे शों की तुलना में तीव्र वद्
ृ धध िुई, क्जससे दे श की
ववकास क्षमता प्रभाववत िुई।
इस नीतत को क्यों बंद कर हदया गया?
तेजी से बढ़ती वद्
ृ ध आबादी की वजि से आधथतक ववकास को नुकसान पिुचने के भय से सत्तारूढ़ कपयतु नस्ट
पाटी द्वारा एक-बच्चा नीतत’ (One-Child Policy) में बदलाव कर प्रत्येक वववाहित जोड़े को दो बच्चे पैदा करने
की अनम
ु तत दी गई।
आगे के सुधारों की क्या आिश्यकता थी?
िालांकक, ‘वन चाइल्ि पॉमलसी’ में छूट दे ने से दे श में युवा लोगों के अनुपात में कुछ सुधार तो िुआ ककं तु इस
नीतत पररवततन के मलए ‘आसन्न जनसांक्ख्यकीय संकट’ को टालने िे तु अपयाततत माना गया।
आगे की चुनौततयां:
ववशेषज्ञों का किना िै . कक केवल प्रजनन अधधकारों पर ढील दे ने से आगामी अवांतछत जनसांक्ख्यकीय बदलाव से
बचने में बिुत मदद निीं ममल सकती िै ।

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वततमान में कम बच्चे पैदा िोने के मुख्य कारण तनपनमलणखत िैं:
1. जीवन यापन, मशक्षा और वद्
ृ ध माता-वपता के भरण-पोषण की बढ़ती लागत
2. दे श में लंबे समय तक काम करने की संस्कृतत
3. कई दपपततयों का मानना िै कक एक बच्चा काफी िै , और वे अततररतत बच्चे पैदा करने में कोई
हदलचस्पी निीं हदखा रिे िैं।
चीन की नवीनतम जनगणना ररपोटत
इंस्टा म्जज्ञासु: उत्तर प्रदे श की दो बच्चा नीतत का संक्षक्षतत वववरण प्रातत करें ।
स्रोत: द हिंद।ू

5. पहला ओस्लो समझौता और इ़िराइल-कफललस्तीन संघषभ


संदिभ: 20 अगस्त, 2021 को पिले ओस्लो समझौते (Oslo I Accord) लागू िोने के 28 वषत पूरे िो गए िैं।
इजरायल-कफमलस्तीनी संघषत को समातत करने िे तु एक स्थायी शांतत प्रकक्रया शुरू करने के मलए, कई दौर की
गिन गुतत वातातओं के बाद इस समझौते को अंततम रूप हदया गया था और इस पर िस्ताक्षर ककए गए थे।
‘पहला ओस्लो समझौता’ क्या था?
ओस्लो समझौते (Oslo Accords), 1990 के दशक में इजरायल और कफमलस्तीतनयों के बीच िुए समझौतों की एक
श्रंख
ृ ला िै ।
1. 1993 में िुए पिले ओस्लो समझौते (Oslo I Accord) को औपचाररक रूप से ‘मसद्धांतों की घोषणा’
(Declaration of Principles - DOP) के रूप में जाना जाता िै ।
2. यि समझौता तत्कालीन अमेररकी राष्ट्रपतत बबल क्तलंटन के सौजन्य से कराई जाने वाली कई गुतत
वातातओं का पररणाम था, और इसके बाद में , वषत 1995 में ‘दस
ू रे ओस्लो समझौते’ (Oslo II Accord) पर
िस्ताक्षर ककए गए थे।
3. कई लोगों द्वारा ‘ओस्लो समझौतों’ को ‘इजरायल-कफमलस्तीनी संघषत’ को वास्तव में िल करने का सबसे
गंभीर प्रयास बताया जाता िै ।
4. िालांकक, वास्तव में इन समझौतों ने इजरायल और ‘कफमलस्तीनी मक्ु तत संगठन’ (Palestine Liberation
Organization - PLO) के मध्य एक अंतररम समझौते के रूप में काम ककया था, क्जसके तित,
कफमलस्तीनी राज्य के स्थान पर, दोनों पक्षों को वेस्ट बैंक और गाजा में एक साथ कायत करने के मलए
एक रूपरे खा प्रदान की गयी थी।
5. इन समझौतों के बाद, ‘पीएलओ’ का कफलीस्तीनी प्राधधकरण में पररवततन िो गया, क्जसे अब
कफलीस्तीतनयों के वैध शासी तनकाय के रूप में दे खा जाता िै ।
6. पिले ओस्लो समझौते के प्रावधानों के अनुसार, इजराइल द्वारा ‘कफमलस्तीनी मुक्तत संगठन’ (PLO) की
कफमलस्तीनी लोगों के प्रतततनधध के रूप में नई भमू मका को मान्यता दी जाएगी, साथ िी साथ इसमें
कफमलस्तीन द्वारा ‘इजरायल के अक्स्तत्व के अधधकार’ को मान्यता दे ना अतनवायत ककया गया था।
7. 1967 में िुए छि हदवसीय युद्ध के दौरान इजराइल द्वारा इस क्षेत्र पर तनयंत्रण िामसल करने के बाद
से, पिले ओस्लो समझौते की वजि से वेस्ट बैंक और गाजा में सबसे मित्वपण ू त पररवततन िुए िै ।
‘दस
ू रे ओस्लो समझौते’ के बारे में :
• ‘दस
ू रा ओस्लो समझौता’ (Oslo II), पिले ओस्लो समझौते का ववस्तार था, और इसे आधधकाररक तौर पर
वेस्ट बैंक और गाजा पर ‘इजरायल-कफमलस्तीनी अंतररम समझौता’ किा जाता िै । इस समझौते में , वेस्ट
बैंक के छि शिरों और लगभग 450 अन्य शिरों से इजरायली सैतनकों की पण
ू त वापसी का प्रावधान
ककया गया था। इसके अततररतत, दस
ू रे ओस्लो समझौते में ‘कफमलस्तीनी ववधान पररषद’ के चन
ु ावों के
मलए एक समय साररणी भी तनधातररत की गयी थी।
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इंस्टा म्जज्ञासु: 1967 में िुए छि-हदवसीय युद्ध में , इजराइल ने ममस्र से मसनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी,
जॉितन से वेस्ट बैंक और पव ू ी यरुशलम और सीररया से गोलान िाइट्स पर कधजा कर मलया था। मानधचत्र पर
इन स्थानों का पता लगाएँ और यद्
ु ध के बारे में और जानें।
प्रीललभस ललंक:
1. यरूशलेम के बारे में
2. छि हदन का युद्ध
3. इजरायल कफमलस्तीन संघषत
4. गाजा पट्टी
5. अल-अतसा मक्स्जद किाँ िै?
6. ओस्लो समझौते के बारे में
में स ललंक: इजराइल-कफमलस्तीन संघषत पर एक हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:मित्त्वपूणत अंतरातष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधधदे श।


1. िारत ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ का अध्यक्ष
संदिभ:
िाल िी में , भारत ने अगस्त माि के मलए ‘संयत
ु त राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ (United Nations Security Council -
UNSC) की क्रममक अध्यक्षता (rotating Presidency) ग्रिण की िै ।
• ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ के अध्यक्ष के रूप में , भारत का यि दसवां कायतकाल िै ।
• भारत, वततमान में 2021-22 कायतकाल के मलए ‘संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद’ का एक ‘गैर-स्थायी सदस्य’
भी िै , और इस दौरान भारत, पिली बार UNSC का अध्यक्ष बना िै ।

‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ की अध्यक्षता के बारे में :


• ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ की अध्यक्षता, सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपने नामों के अंग्रेजी वणातनक्र
ु मानुसार
बारी-बारी से एक मिीने के मलए की जाती िै ।
• ‘सुरक्षा पररषद’ 15 सदस्य-राष्ट्रों के मध्य मामसक रूप से यि क्रम जारी रिता िै ।
• सदस्य-दे श के प्रतततनधधमंिल के प्रमुख को ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ के अध्यक्ष के रूप में जाना
जाता िै ।
• ‘सुरक्षा पररषद’ का अध्यक्ष, पररषद के कायों का समन्वय करने, नीततगत वववादों पर तनणतय करने और
कभी-कभी परस्पर ववरोधी समि
ू ों के बीच एक राजनतयक या मध्यस्थ के रूप में कायत करता िै ।
‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ (UNSC) के बारे में :
• ‘संयुतत राष्ट्र चाटत र’ द्वारा ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ (UNSC) सहित संयत
ु त राष्ट्र के छि मुख्य अंगों
की स्थापना की गई िै ।
• चाटत र के तित, सुरक्षा पररषद को तनणतय लेने की शक्तत दी गई िै , और इसके तनणतय सदस्य-राष्ट्रों के
मलए बाध्यकारी िोते िै ।
• स्थायी और गैर-स्थायी सदस्य: ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ में कुल 15 सदस्य िोते िैं, क्जनमे 5
सदस्य स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य िोते िै ।
• ‘संयत
ु त राष्ट्र मिासभा’ द्वारा िर साल, दो वषत के कायतकाल िे तु पांच अस्थायी सदस्यों का चन
ु ाव ककया
जाता िै ।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद में प्रस्तावित सध
ु ार:
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में पाँच प्रमख
ु मुद्दों पर सुधार ककया जाना प्रस्ताववत िै :
1. सदस्यता की श्रेणणयां,
2. पांच स्थायी सदस्यों को प्रातत वीटो पॉवर का प्रश्न,
3. क्षेत्रीय प्रतततनधधत्व,
4. ववस्ताररत पररषद का आकार और इसकी कायतप्रणाली, और,
5. संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद एवं संयुतत राष्ट्र मिासभा के मध्य संबंध।
संयक्
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद में िारत की स्थायी सदस्यता हे तु प्रमख
ु बबंद:ु
1. भारत, संयुतत राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य िै ।
2. सबसे मित्वपूणत बात यि िै, कक ववमभन्न अमभयानों में तैनात, भारत के शांतत सैतनकों की संख्या, P5
दे शों की तल
ु ना में लगभग दोगन
ु ी िै ।
3. भारत, ववश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और दस
ू रा सबसे अधधक आबादी वाला दे श भी िै ।
4. मई 1998 में भारत को एक परमाणु िधथयार संपन्न राष्ट्र (Nuclear Weapons State - NWS) का दजात
प्रातत िुआ था, और वि मौजूदा स्थायी सदस्यों के समान परमाणु िधथयार संपन्न िै , इस आधार पर भी
भारत सुरक्षा पररषद में स्थायी सदस्यता का स्वभाववक दावेदार बन जाता िै ।
5. भारत, तीसरी दतु नया के दे शों का तनववतवाद नेता िै , और यि ‘गट
ु तनरपेक्ष आंदोलन’ और जी-77 समि
ू में
भारत द्वारा नेतत्ृ व की भूममका से सपष्ट्ट पररलक्षक्षत िोता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आपने "कॉफी तलब" के बारे में सुना िै ? यि 40 सदस्य दे शों का एक अनौपचाररक समूि िै ।
इसके तया उद्दे श्य िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ के बारे में ।
2. सदस्य, चुनाव, कायत
3. UNSC प्रेसीिेंसी के बारे में
4. संयत
ु त राष्ट्र चाटत र के बारे में
में स ललंक: ‘संयुतत राष्ट्र सरु क्षा पररषद’ में सुधारों की आवश्यकता पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. ‘लसंगापर
ु अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘फ्यूचर ररटे ल मलममटे ि’ (FRL) और ‘ररलायंस ररटे ल’ के मध्य
प्रस्ताववत ₹24,713 करोड़ ववलय सौदे के णखलाफ ई-कॉमसत हदग्गज ‘अमेजन’ के पक्ष में फैसला सुनाया गया िै ।
अदालत ने ‘मसंगापरु क्स्थत आपातकालीन मध्यस्थ’ (Emergency Arbitrator - EA) द्वारा अतटूबर 2020 में
सुनाए गए फैसले की वैधता और प्रवततनीयता को भी बरकरार रखा िै । इस फैसले में मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय
मध्यस्थता केंद्र (SIAC) द्वारा वैक्श्वक ई-कॉमसत हदग्गज अमेज़ॅन की याधचका पर ‘फ्यूचर-ररलायंस’ सौदे पर रोक
लगा दी गयी थी।
संबंगधत प्रकरण:
(नोट: मामले का केवल संक्षक्षतत अवलोकन करें । परीक्षा के दृक्ष्ट्टकोण से इस मामले के बारे में कोई वववरण
आवश्यक निीं िै ।)
फ्यूचर ग्रुप और ररलायंस इंिस्रीज मलममटे ि के मध्य अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपये का सौदा िुआ था,
क्जसके तित ‘फ्यच ू र ररटे ल’ की ररटे ल, िोलसेल, लॉक्जक्स्टतस और वेयरिाउमसंग इकाइयों को ‘ररलायंस ररटे ल’ और
‘फैशनस्टाइल’ के मलए बेचा जाना था।
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• अमेजन, ‘फ्यच
ू र ग्रुप’ का भारतीय साझेदार िै ।
• अमेज़ॅन का किना िै , कक फ्यूचर ग्रुप ने अपनी पररसंपवत्तयों को प्रततद्वंद्वी के मलए बेच कर साझेदारी
अनब
ु ंध का उल्लंघन ककया िै , और यि अमेज़ॅन को तबाि करना चािता िै । जबकक, ऋणों के बोझ टे ल
दबे ‘फ्यूचर ग्रुप’ का किना िै , कक यहद यि सौदा निीं िुआ तो वि बरबाद िो जाएगा।
उच्चतम न्यायालय का फैसला:
अदालत ने अपना फैसला सुनाते िुए किा, कक ‘मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (Singapore International
Arbitration Centre– SIAC) में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ (Emergency Arbitrator) द्वारा हदया गया तनणतय,
‘मध्यस्थता और सल
ु ि अधधतनयम,’ 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996 Act) की धारा 17 के तित
‘मध्यस्थ न्यायाधधकरण’ द्वारा जारी आदे श के समान िै ।
• अताः ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ का तनणतय, अधधतनयम की धारा 17(1) (मध्यस्थ न्यायाधधकरण द्वारा
आदे मशत अंतररम उपाय) के तित जारी एक आदे श की तरि िै ।
• इसमलए, मध्यस्थता अधधतनयम की धारा 37 के तित, ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ के आदे श को लागू करने
के आदे श के णखलाफ कोई अपील मान्य निीं िोगी।
अमे़िन द्िारा SIAC में मामला क्यों ले जाया गया?
आमतौर पर, ककसी सौदे में पक्षकारों द्वारा एक ‘अनुबध
ं समझौते’ पर िस्ताक्षर ककए जाते िैं, क्जसमे
तनपनमलणखत ववषयों के बारे में स्पष्ट्ट ककया जाता िै :
1. मध्यस्थता करने वाली मध्यस्थ संस्था
2. लागू िोने वाले तनयम
3. मध्यस्थता की जगि
इस मामले में अमेज़ॅन और फ्यूचर ग्रुप ने अपने समझौते के तित, अपने वववादों को ‘मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय
मध्यस्थता केंद्र’ (SIAC) में तनपटाने पर सिमतत व्यतत की थी। अताः अनुबध
ं के अनुसार, मामले को तनपटाने
िे तु मसंगापुर संभवताः उधचत जगि थी।

SIAC के तहत प्रकक्रया:


मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) में ककसी वववाद को फैसले के मलए जाने के पश्चात, मध्यस्थ
न्यायागधकरण (arbitral tribunal) की तनयक्ु तत संबंधी प्रकक्रया शरू
ु िोती िै ।
मध्यस्थ न्यायागधकरण का गठन: प्रायाः, तीन सदस्यीय न्यायागधकरण होने पर, दोनों पक्षों द्वारा न्यायाधधकरण
में एक-एक सदस्य की तनयक्ु तत की जाती िैं, तथा तीसरे सदस्य को दोनों पक्षों की सिमतत से तनयत
ु त ककया
जाता िै । सिमतत निीं िोने पर, तीसरे सदस्य की तनयुक्तत SIAC द्वारा की जाती िै ।
आपातकालीन मध्यस्थ की तनयुम्क्त:
• आमतौर पर मध्यस्थ न्यायाधधकरण की
तनयुक्तत में समय लगता िै।
• अताः, SIAC के तनयमों के तित, पक्षकारों द्वारा
‘लसंगापरु अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ से
अंतररम राहत पाने हे तु आपातकालीन मध्यस्थ
(Emergency Arbitrator) तनयुक्त करने को कहा
जा सकता है । इसके साथ िी मुख्य मध्यस्थ
न्यायाधधकरण की तनयुक्तत संबंधी प्रकक्रया जारी
रिती िै ।

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पक्षकारों द्िारा फैसला मानने से इंकार करने पर:
वततमान में भारतीय कानून के तित, आपातकालीन मध्यस्थ (Emergency Arbitrator) के आदे र्ों के प्रितभन के
ललए कोई अलिव्यक्त तंत्र नहीं है ।
• िालांकक, पक्षकारों द्वारा आपातकालीन मध्यस्थ (इमरजेंसी आबबतरेटर) के आदे शों का स्वेच्छा से
अनुपालन ककया जाता िै ।
• यहद, पक्षकारों द्वारा आदे शों का स्वेच्छा से अनुपालन निीं ककया जाता िै , तो क्जस पक्ष के िक़ में
तनणतय हदया गया िोता िै , इस मामले में अमेज़ॅन, वि मध्यस्थता एिं सुलह अगधतनयम (Arbitration &
Conciliation Act), 1996 की धारा 9 के तहत, भारत में उच्च न्यायालय से सामान राित पाने के मलए
अपील कर सकता िै ।
लसंगापुर के ‘अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता’ केंद्र बनने का कारण
• भारत में तनवेश करने वाले विदे र्ी तनिेर्क आमतौर पर िारतीय अदालतों की नीरस और तनरथभक
प्रकक्रया से बचना चाहते हैं।
• ववदे शी तनवेशकों को लगता िै , कक वववादों के समाधान में मसंगापुर तटस्थ रिने वाला दे श िै ।
• समय के साथ मसंगापुर ने अंतरराष्ट्रीय मानकों और उच्च सत्यतनष्ट्ठा सहहत विगध के र्ासन द्िारा
र्ालसत क्षेत्रागधकार के रूप में एक उत्कृष्ट्ट प्रततष्ट्ठा अक्जतत कर ली िै । इससे तनवेशकों को ववश्वास िोता
िै कक मध्यस्थता प्रकक्रया त्िररत, तनष्ट्पक्ष और न्यायपण
ू भ िोगी।
SIAC की 2019 की वावषतक ररपोटत के अनुसार, िारत, मध्यस्थता केंद्र का र्ीषभ उपयोगकताभ था। भारत से वषत
2019 में 485 मामले तनणतय करवाने िे तु SIAC में भेजे गए। इसके पश्चात, कफलीपींस (122 मामले), चीन (76
मामले) और संयत
ु त राज्य अमेररका (65 मामले) का स्थान रिा।
िारत का तनजी अंतराभष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र:
मुंबई में अब भारत का अपना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र िै ।
लसंगापुर अंतराभष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) के बारे में :
यि मसंगापुर में क्स्थत एक गैर-लाभकारी अंतरातष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन िै । यि मध्यस्थता संबंधी अपने तनयमों
और UNCITRAL मध्यस्थता तनयमों के तित मध्यस्थता प्रबंधन करता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘अंतरातष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुतत राष्ट्र अमभसमय’ (United Nations
Convention on International Settlement Agreements-UNCISA) के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. मध्यस्थता न्यायाधधकरण तया िै ?
2. SIAC के बारे में
3. मध्यस्थता एवं सुलि अधधतनयम, 1996 का अवलोकन
4. UNCITRAL के बारे में
में स ललंक: मसंगापरु , अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र तयों बन गया िै ? चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद ू

3. िारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद् में स्थायी सीट के ललए दािा
संदिभ:
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद् (UNSC) में भारत के स्थायी सीट के दावे पर, बबिेन के नेतत्ृ व में अमेररकी प्रशासन
द्वारा समथतन हदए जाने पर अभी तक कोई प्रततबद्धता जाहिर निीं की गयी िै ।
िालांकक, ओबामा और रपप प्रशासन ने सरु क्षा पररषद में भारत के मलए स्थायी सीट हदए जाने का समथतन ककया
था।
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अमेररका का दृम्ष्ट्टकोण:
अमेररका द्वारा स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के संदभत में - संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) के ववस्तार
िे तु आम सिमतत बनाने के मलए सशतत समथतन दे ने का प्रस्ताव ककया गया िै । तथावप, अमेररका का किना िै ,
कक वि पांच स्थायी सदस्यों (P-5) - चीन, फ्रांस, रूस, बब्रटे न और यू.एस. - को हदए ‘वीटो’ में ववस्तार का समथतन
निीं करे गा।
सुरक्षा पररषद में िारत की स्थायी सदस्यता पर और ककसने विरोध ककया है ?
आम सिमतत के मलए एकजुट (Uniting for Consensus) समूि - पाककस्तान, दक्षक्षण कोररया, इटली और अजेंटीना
– द्वारा G-4 योजना का ववरोध ककया गया िै । चीन भी, सरु क्षा पररषद में भारत और जापान के स्थायी
सदस्यता के दावों का ववरोध करता िै ।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद में स्थायी सदस्यता हे तु िारत द्िारा तनभनलखखत आधारों पर दािा ककया जाता है :
6. भारत, संयत
ु त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य िै ।
7. भारत, ववश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और दस
ू रा सबसे अधधक आबादी वाला दे श भी िै ।
8. जिाँ कुछ अन्य दे श संयत
ु त राष्ट्र संघ को केवल एक बातों की दक
ु ान के रूप में मानते िैं, विी भारत
ने िमेशा अपने मसद्धांतों और साख को कायम रखा िै ।
9. संयुतत राष्ट्र शांतत सेना (UNPKF) में प्रभावशाली योगदान।
10. एक उभरती िुई आधथतक शक्तत।

G4 राष्ट्र कौन से हैं?


िाजील, जमभनी, िारत और जापान को ‘G4 राष्ट्र’ के रूप में जाना जाता िै । ये चारो दे श, संयुतत राष्ट्र सुरक्षा
पररषद में स्थायी सीटों के मलए एक-दस
ू रे के दावों का समथतन करते िैं।
इनकी मांगों का आधार:
• ये चारो दे श, संयत
ु त राष्ट्र की स्थापना के बाद से, सुरक्षा पररषद के तनवातधचत गैर-स्थायी सदस्यों रि
चुके िैं।
• इन दे शों का आधथतक और राजनीततक प्रभाव वपछले दशकों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा िै और सुरक्षा
पररषद के स्थायी सदस्यों (P5) के बराबर तक पिुंच चक ु ा िै ।
ितभमान में ‘संयक्
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद’ के कौन से सध
ु ार आिश्यक हैं?
• इन दे शों के मलए सुरक्षा पररषद में स्थायी सीटें दी जानी चाहिए।
• सुरक्षा पररषद को अधधक वैध, प्रभावी और प्रतततनधध बनाने िे तु संयुतत राष्ट्र में ववकासशील दे शों और
प्रमुख योगदानकतातओं की बढ़ी िुई भूममका की स्पष्ट्ट जरूरत िै ।
• अफ्रीका को स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणणयों में प्रतततनधधत्व हदए जाने की आवश्यकता िै ताकक इस
मिाद्वीप के णखलाफ कम प्रतततनधधत्व के संदभत में अब तक िुए ऐततिामसक अन्याय को सध
ु ार जा
सके।
• संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ में सुधार िे तु एक तनक्श्चत समय सीमा के भीतर ‘पाठ आधाररत वातात’
(text-based negotiations) की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
भारत, वततमान में 2021-22 कायतकाल के मलए ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ का एक ‘गैर-स्थायी सदस्य’ भी िै ।
‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ की अध्यक्षता ककस प्रकार तनधातररत की जाती िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

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4. ‘संयक्
ु त राष्ट्र समद्र
ु ी कानन
ू संगध’ (UNCLOS)
संदिभ: चीन द्वारा उत्पन्न रुकावटों को िटाते िुए, िाल िी में , भारत की अध्यक्षता में संयुतत राष्ट्र सुरक्षा
पररषद के एक अभूतपूवत सत्र के दौरान ‘संयुतत राष्ट्र समुद्री कानून संधध’ (United Nations Convention on Law of
Seas - UNCLOS) प्रमख
ु ता पर प्रकाश िाला गया। इस संबंध में फ्रेमवकत को शाममल करते िुए एक ‘कांसेतट नोट’
भी ववतररत ककया गया था।
तनहहताथभ और महत्ि:
1. संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद के अध्यक्षीय वततव्य के अनुसार, "‘संयत
ु त राष्ट्र समद्र
ु ी कानून संधध’
(UNCLOS), समद्र
ु ी क्षेत्र में अवैध गततववधधयों का मक
ु ाबला करने सहित, मिासागरों में की जाने वाली
गततववधधयों पर लागू िोने वाला एक कानूनी ढांचा िै ।"
2. यि फ्रेमवकत, समुद्री सुरक्षा के मलए िोने वाले खतरों का मुकाबला करने िे तु ‘अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय
सियोग’ बढ़ाने के मित्व पर प्रकाश िालता िै । इसके तित, इस संबंध में क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय
संगठनों और ववमभन्न दे शों द्वारा प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर हदया गया िै ।
3. साथ िी, संयत
ु त राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में यि "समुद्री सुरक्षा" पर पिली एकल चचात थी।
चीन की प्रततकक्रया:
चीन ने भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव में UNCLOS की प्रधानता को स्वीकार करने के मलए कूटनीततक रूप से िामी
भारी िै ।
• दक्षक्षण चीन सागर और पव
ू ी चीन सागर में चीन की आक्रामक कारत वाइयां, द्वीप तनमातण और उसके
मछली पकड़ने वाले मममलमशया द्वारा दे शों को धमकाना अंतरराष्ट्रीय धचंता का ववषय रिा िै ।
• िालांकक, वषत 2016 में UNCLOS के तित स्थायी मध्यस्थता अदालत (PCA) द्वारा फैसला सुनाते िुए,
दक्षक्षण चीन सागर में चीन की गततववधधयों को अवैध बताया गया था, कफर भी बीक्जंग द्वारा बबना
ककसी भय के अपनी कारत वाहियाँ की जा रिी िैं, क्जसके पररणामस्वरूप क्षेत्र में तनाव बढ़ता जा रिा िै ।
‘संयुक्त राष्ट्र समद्र
ु ी कानून संगध’ (UNCLOS) के बारे में:
संयुतत राष्ट्र द्वारा इस कानून को वषत 1982 में अपनाया गया था, ककं तु यि नवंबर 1994 में प्रभाव में आया।
• ‘संयुतत राष्ट्र समुद्री कानून संधध’ (UNCLOS) के द्वारा प्रादे मशक सागर (Territorial Sea) और सक्न्नहित
क्षेत्र (Contiguous Zone), मिाद्वीपीय शेल्फ, खल
ु े सागर (High Seas), ‘खल
ु े सागर में मत्स्यन एवं
जीववत संसाधनों के संरक्षण’ से संबंधधत, अप्रैल, 1958 में िस्ताक्षररत चार ‘क्जनेवा संधधयों’ को
प्रततस्थावपत ककया गया था।
• वततमान में , यि संधध, जिाजी और समद्र
ु ी गततववधधयों के मलए कानन
ू ी ढांचा बन गया िै ।
• इसके मलए ‘समुद्री क़ानून’ (Law of the Sea) के रूप में भी जाना जाता िै , और यि समुद्री क्षेत्र को पांच
मुख्य क्षेत्रों में ववभाक्जत करता िै , अथातत ्- आंतररक जल, प्रादे मशक सागर, सक्न्नहित क्षेत्र, ववमशष्ट्ट आधथतक
क्षेत्र (EEZ) और खुला सागर।
• UNCLOS, समुद्री क्षेत्रों में ककसी दे श के अधधकार क्षेत्र िे तु एक रूपरे खा तनधातररत करने वाला एकमात्र
अंतरराष्ट्रीय समझौता िै । इसके तित, ववमभन्न समद्र
ु ी क्षेत्रों के मलए अलग कानन
ू ी-दजात प्रदान ककया
गया िै ।
‘संयुतत राष्ट्र समुद्री कानून संधध’ के द्वारा अंतरराष्ट्रीय मामलों पर तीन नए संस्थान गहठत ककए गए िैं:
1. समुद्री कानूनों के मलए अंतरातष्ट्रीय न्यायाधधकरण (International Tribunal for the Law of the Sea)
2. अंतरातष्ट्रीय सागर-तनतल प्राधधकरण (International Seabed Authority)
3. मिाद्वीपीय शेल्फ सीमा आयोग (Commission on the Limits of the Continental Shelf)
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप खल
ु े सागर से संबंधधत संयुतत राष्ट्र संधध के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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5. अंतराभष्ट्रीय आपरागधक न्यायालय (ICC)
संदिभ: िाल िी में , अफ्रीकी दे श ‘सूिान’ ने ‘दारफुर संघषत’ (Darfur conflict) के मलए, अन्य अधधकाररयों सहित लंबे
समय तक तानाशाि रिे ‘ओमार अल-बशीर’ को ‘अंतरातष्ट्रीय आपराधधक न्यायालय’ (International Criminal Court
- ICC) के मलए सौंपने का फैसला ककया िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
‘’ओमार अल-बशीर’, सूिानी क्षेत्र में नरसंिार, युद्ध अपराधों और मानवता के णखलाफ अपराधों के आरोपों में एक
दशक से अधधक समय से ‘अंतरातष्ट्रीय आपराधधक न्यायालय’ द्वारा वांतछत िैं।
‘दारफुर संघषभ’ के बारे में :
वषत 2003 में , ‘ओमार अल-बशीर’ की अरबी समुदाय के प्रभुत्व वाली सरकार द्वारा गैर-अरबी समद
ु ायों के
णखलाफ संस्थागत भेदभाव ककए जाने मशकायत करते िुए गैर-अरब ववद्रोहियों िधथयार उठा मलए थे, इसके बाद
सूिान के दारफुर क्षेत्र में सरकार और गैर-अरब ववद्रोहियों के बीच यद्
ु ध तछड़ गया था।
संयत
ु त राष्ट्र के अनस
ु ार, दारफुर संघषत में 300,000 लोग मारे गए और 25 लाख लोग ववस्थावपत िुए थे।

आईसीसी (ICC) के बारे में :


अंतरातष्ट्रीय आपराधधक न्यायालय (International Criminal Court -ICC) हे ग, नीदरलैंि में म्स्थत िै । यि नरसंहार,
युद्ध अपराधों तथा मानिता के खखलाफ अपराधों के अलियोजन के ललए अंततम न्यायालय िै ।
• ICC पहला स्थायी, संगध आधाररत अंतरराष्ट्रीय आपरागधक न्यायालय है , क्जसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय
समुदायों से संबधधत गंभीर अपराधों को करने वाले अपराधधयों पर मक
ु दमा चलाने तथा उन्िें सजा दे ने
के मलए की गयी िै ।
• ICC की स्थापना ‘रोम क़ानून’ (Rome Statute) के अंतगतत की गयी, जो 1 जुलाई 2002 से प्रभावी िुई।
फंडिंग (Funding):
न्यायालय का खचत मख्
ु य रूप से सदस्य दे शों द्वारा उठाया जाता िै , परन्तु इसे सरकारों, अंतरातष्ट्रीय संगठनों,
तनजी व्यक्ततयों, तनगमों तथा अन्य संस्थाओं से स्वैक्च्छक योगदान भी प्रातत िोता िै ।

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संरचना और मतदान र्म्क्त:
• अंतरातष्ट्रीय आपराधधक न्यायालय (ICC) के प्रबंधन, ववधायी तनकाय तथा सदस्य सभा में प्रत्येक सदस्य राज्य
का एक प्रतततनधध शाममल िोता िै ।
• प्रत्येक सदस्य का एक वोट िोता िै तथा सवतसपमतत से तनणतय लेने के मलए "िर संभव प्रयास" ककया जाता
िै । ककसी ववषय पर सवतसपमतत निीं िोने पर वोहटंग द्वारा तनणतय ककया जाता िै ।
• ICC में एक अध्यक्ष तथा दो उपाध्यक्ष िोते िै , इनका चुनाव सदस्यों द्वारा तीन वषत के कायतकाल के मलए
ककया जाता िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप ‘भारतीय मध्यस्थता पररषद’ के बारे में जानते िैं? इसकी संरचना और कायत तया िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

6. संयक्
ु त राष्ट्र र्ांतत-सैतनक
संदिभ: ववदे श मंत्री,एस जयशंकर द्वारा संयत
ु त राष्ट्र के साथ साझेदारी में ‘संयुतत राष्ट्र शांतत-सैतनकों’ (UN
peacekeepers) की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करने िे तु ‘संयुतत राष्ट्र - यूनाइट अवेयर’ (UN — UNITE Aware)
नामक एक तकनीकी तलेटफ़ॉमत शुरू करने की घोषणा की गयी िै । इस तलेटफ़ॉमत का संयुतत राष्ट्र के चार
ममशनों में उपयोग ककया जा रिा िै ।
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में , िाल िी में आयोक्जत ‘प्रौद्योधगकी और शांतत स्थापना’ ववषय पर खल
ु ी
बिस के दौरान इसकी घोषणा की गई थी।
विदे र् मंत्री द्िारा र्ांतत सैतनकों की सरु क्षा हे तु चार सत्र
ू ी रूपरे खा:
1. अपने तनमातण में पयातवरण के अनुकूल, उपयोधगता साबबत कर चुकी, लागत प्रभावी और क्षेत्र-सेवा योग्य
प्रौद्योधगककयों को तैनात ककए जाने की आवश्यकता।
2. शांतत सैतनकों के मलए अच्छी सूचना और खुकफया जानकारी की जरूरत।
3. सटीक क्स्थतत और भूमम के ऊपर से दृश्यधचत्रण की आवश्यकता।
4. प्रौद्योधगकी के संबंध में क्षमता तनमातण और शांततरक्षकों के प्रमशक्षण में तनवेश।
बैठक के पररणाम:
भारत और संयुतत राष्ट्र के बीच "शांतत व्यवस्था में प्रौद्योधगकी के मलए साझेदारी" पिल और शांतत कायतवाहियों
िे तु संयुतत राष्ट्र C4ISR अकादमी (UN C4ISR Academy for Peace - UNCAP) में सियोग िे तु एक समझौता ज्ञापन
की घोषणा की गई िै ।
यूनाइट अिेयर (UNITE AWARE)
UNITE AWARE, संयुतत राष्ट्र शांतत सैतनकों को इलाके से संबंधधत जानकारी प्रदान करने और उनकी सुरक्षा
सुतनक्श्चत करने में सिायता करने िे तु, भारत द्वारा ववकमसत एक मोबाइल तकनीकी तलेटफॉमत िै । इसे संयुतत
राष्ट्र के “डिपाटतमेंट ऑफ पीसकीवपंग ऑपरे शंस और ऑपरे शनल सपोटत डिपाटत मेंट” के साथ साझेदारी में ववकमसत
ककया जा रिा िै ।
भारत द्वारा इस पररयोजना के मलए 1.64 मममलयन अमरीकी िालर खचत ककए गए िैं।
संयुक्त राष्ट्र र्ांतत सुरक्षा अलियानों का वित्त पोषण ककस प्रकार ककया जाता है ?
• यद्यवप, शांतत सुरक्षा अमभयानों को शुरू करने, जारी रखने या ववस्तार करने के बारे में तनणतय, सुरक्षा
पररषद द्वारा मलए जाते िैं, ककं तु इन संयत
ु त राष्ट्र शांतत अमभयानों का ववत्तपोषण, संयत
ु त राष्ट्र के
सभी सदस्य दे र्ों की सामूहहक म्जभमेदारी िोती िै ।
• संयुतत राष्ट्र चाटभ र के अनुच्छे द 17 के प्रािधानों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र शांतत अमभयानों के
मलए तनधातररत रामश का भग
ु तान करने के मलए कानन
ू ी रूप से बाध्य िै ।

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वषत 2020-2021 के मलए संयुतत राष्ट्र शांतत अमभयानों िे तु आकलन ककए गए योगदान के शीषत 5 प्रदाता दे श
तनपनमलणखत िैं:
1. संयत
ु त राज्य अमेररका (27.89%)
2. चीन (15.21%)
3. जापान (8.56%)
4. जमतनी (6.09%)
5. यूनाइटे ि ककं गिम (5.79%)
‘र्ांतत अलियान’ क्या है ?
संयुतत राष्ट्र शांतत अमभयान (UN Peacekeeping), ‘डिपाटत मेंट ऑफ़ पीस ऑपरे शन’ तथा ‘डिपाटत मेंट ऑफ़
ऑपरे शनल सपोटत ’ का एक संयुतत प्रयास िै ।
प्रत्येक ‘शांतत सरु क्षा अमभयान’ को ‘संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद’ द्वारा मंजरू ी प्रदान की जाती िै ।
संरचना:
• संयुतत राष्ट्र के शांतत रक्षकों में सैतनक, पुमलस अधधकारी और नागररक कमी सक्पममलत िो सकते िैं।
• सदस्य दे शों द्वारा स्वैक्च्छक आधार पर शांतत सैतनको का योगदान हदया जाता िै।
• शांतत अमभयानों के नागररक कमतचारी, अंतरातष्ट्रीय मसववल सेवक िोते िैं, क्जन्िें संयुतत राष्ट्र सधचवालय
द्वारा भती और तैनात ककया जाता िै ।
संयुक्त राष्ट्र र्ांतत अलियान तीन बुतनयादी लसद्धांतों द्िारा तनदे लर्त होते है :
1. पक्षकारों की सिमतत
2. तनष्ट्पक्षता
3. अधधदे श की सुरक्षा और आत्मरक्षा के अलावा बल प्रयोग निीं ककया जाएगा।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 2007 में , भारत, संयुतत राष्ट्र शांतत ममशन में ‘महिला दल’ को तैनात
करने वाला पिला दे श था? वततमान में जारी 13 शांतत अमभयानों के बारे में जातनए।
स्रोत: द हिंद।ू

7. अफगातनस्तान में ‘संयक्


ु त राष्ट्र सहायता लमर्न’ (UNAMA)
संदिभ: वैक्श्वक नेताओं द्वारा ‘अफगातनस्तान में संयुतत राष्ट्र सिायता ममशन’ (UN Assistance Mission in
Afghanistan - UNAMA) की कायातवधध के नवीनीकरण पर चचात करने िे तु एक बैठक आयोक्जत करने की
योजना बने जा रिी िै । ववहदत िो कक, ‘अफगातनस्तान में संयुतत राष्ट्र सिायता ममशन’ का कायतकाल 17
मसतंबर को समातत िो रिा िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
तामलबान द्वारा वपछले कुछ मिीनों के दौरान, ववदे शी सैतनकों की वापसी िोने के साथ िी, अफगातनस्तान में बड़े
पैमाने पर राष्ट्रव्यापी आक्रामक कायतवाहियां शुरू कर दी गई िैं।
‘अफगातनस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता लमर्न’ (UNAMA) क्या है ?
UNAMA की स्थापना 28 माचत 2002 को ‘संयत
ु त राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ के संकल्प 1401 द्वारा की गई थी।
• यि मूल रूप से, दे श में स्थायी शांतत और ववकास की नींव रखने िे तु अफगातनस्तान और उसके
नागररकों की सिायता के मलए स्थावपत ककया गया था।
• इसका मल
ू कायत ‘बॉन समझौते’ (हदसंबर 2001) के कायातन्वयन में सियोग करना था।
• ‘अफगातनस्तान में संयुतत राष्ट्र सिायता ममशन’ की प्रततवषत समीक्षा की जाती िै और दे श की जरूरतों
को ध्यान में रखते िुए समय के साथ इसके अधधदे श को पररवतततत कर हदया जाता िै ।

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• UNAMA एक एकीकृत ममशन िै । अथातत, यि एक ववशेष राजनीततक ममशन िै , क्जसमे संयुतत राष्ट्र की
सभी एजेंमसयां, फंि और कायतक्रम, राष्ट्रीय स्तर पर पररभावषत प्राथममकताओं के अनुसार अफगातनस्तान
की बेितर सिायता के मलए बिुआयामी और एकीकृत तरीके से कायत करते िैं।
‘बॉन समझौता’ क्या है ?
‘बॉन समझौता’ (Bonn Agreement) एक बंद दरवाजे के भीतर िुई समझौता वातात थी; क्जसमे भागीदारों को सबसे
अलग कर हदया गया था और समझौता वातात के दौरान उनके बािरी संपकत सीममत कर हदए गए थे, तथा
समझौते पर िस्ताक्षर िोने के तक कोई जानकारी प्रकामशत निीं की गयी थी।
• इस वातात में अफगातनस्तान के मौजद
ू ा सांकेततक राष्ट्राध्यक्ष (रधबानी) को दरककनार कर हदया गया और
उन्िोंने इसमें भाग निीं मलया, तथा तामलबान को ‘बॉन वातात’ से पूरी तरि से बािर रखा गया था।
• संयुतत राष्ट्र और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय अमभकतातओं ने वातात को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूममका तनभाई
थी, और बॉन समझौते को संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद द्वारा पण
ू त समथतन हदया गया था।
बॉन समझौते के द्वारा एक महत्िाकांक्षी तीन-िषीय राजनीततक और प्रर्ासतनक रोिमैप तनधातररत ककया गया,
क्जसके अनुसरण में ,
• जून 2002 में आयोक्जत आपातकालीन ‘लोया क्जरगा’ (ववशाल सभापररषद) द्वारा संक्रमणकालीन
प्रशासन स्थावपत ककया गया,
• वषत 2004 की शरु
ु आत में एक नए संववधान को अंगीकार ककया गया, और
• वषत 2004 और 2005 में राष्ट्रपतत और संसदीय चुनाव कराए गए।
‘संयुक्त राष्ट्र के विर्ेष राजनीततक लमर्न’ क्या होते हैं?
'ववशेष राजनीततक ममशन' (Special Political Mission) में , ‘नरसंिार तनवारण पर ववशेष सलािकार कायातलय’
(Office of the Special Adviser on the Prevention of Genocide) जैसी ‘राजनीततक और शांतत तनमातणक मामलों के
ववभाग’ (Department of Political and Peacebuilding Affairs - DPPA) द्वारा प्रबंधधत या तनदे मशत संस्थाओं को
छोड़कर संयुतत राष्ट्र और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय अमभकतात भाग लेते िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: ‘शररया कानन
ू ’ तया िै ? इसके तित फैसले ककस प्रकार ककए जाते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

8. िारत द्िारा कफललस्तीन र्ांतत प्रकक्रया का समथभन


संदिभ:
भारत ने, िाल िी में आयोक्जत ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद ‘की बैठक में इजरायल और कफमलस्तीन के बीच
शांतत प्रकक्रया को कफर से शुरू करने पर अपना समथतन हदया िै ।
प्रमुख बबंद:ु
• भारत ने, ‘सरु क्षक्षत, मान्यता प्रातत और पारस्पररक रूप से सिमत सीमाओं के भीतर और शांतत और
सुरक्षा के साथ इजरायल के साथ रिने िे तु, संप्रभ,ु स्वतंत्र और स्वयं-समथत 'कफमलस्तीन’ राष्ट्र की
स्थापना' के मलए अपनी प्रततबद्धता दोिराई िै ।
• ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद ‘की बैठक में ‘अफगातनस्तान’ का मुद्दा भी उठाया गया। बैठक में ,
तामलबान से नागररकों की सुरक्षा तथा मानवीय पिुँच की सुरक्षा गारं टी संबधं ी मांग करते िुए एक
‘मसौदा प्रस्ताव’ पाररत ककया जाना िै । इस प्रस्ताव का उपयोग, काबल ु में अभे तक फंसे िुए ववदे शी
नागररकों को बािर तनकलने के एक समाधान के रूप में ककया जाएगा।
• भारत की ‘संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ की अध्यक्षता इस मिीने समातत िोने वाली िै । सदस्य दे शों के
नामों के अंग्रेजी वणातनक्र
ु म के अनस
ु ार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र एक माि की अवधध के मलए ‘सरु क्षा पररषद’
की अध्यक्षता करता िै ।
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इ़िराइल-कफललस्तीन संघषभ- ऐततहालसक पष्ट्ृ ठिलू म:
• जॉितन नदी और भूमध्य सागर के बीच भूमम के एक टुकड़े को लेकर यहूहदयों और अरबों के बीच 100
वषों से भी अधधक समय से संघषत जारी िै ।
• साल 1882 से 1948 के बीच दतु नया भर के यिूदी कफमलस्तीन में एकत्र िुए थे। इततिास में , इस घटना
को अललयाह (Aliyahs) के नाम से जाना जाता िै ।
• कफर वषत 1917 में, प्रथम ववश्व युद्ध के बाद तुकत साम्राज्य का पतन िो गया और कफमलस्तीन पर बब्रटे न
ने तनयंत्रण कर मलया।
• इस क्षेत्र में अल्पसंख्यक यिूदी और बिुसंख्यक अरब तनवास करते थे।
• इस क्षेत्र पर बब्रटे न का कधजा िोने के बाद, कफलीस्तीन में यिूहदयों को बसाने के उद्दे श्य से बालफोर
घोषणा (Balfour Declaration) जारी की गई। जबकक, उस समय कफमलस्तीन में बिुसंख्यक आबादी अरबों
की थी।
• यिूहदयों ने इस ‘बालफोर घोषणा’ का समथतन ककया जबकक कफमलस्तीतनयों ने इसे मानने से अस्वीकार
कर हदया। कुछ समय पिले यूरोप में िुए िोलोकॉस्ट (Holocaust) में लगभग 6 मममलयन यिूदी मारे जा
चुके थे, और इस कारण से एक पथ ृ क यिूदी राज्य की मांग तेजी पर चल रिी थी।
• यिूहदयों ने कफमलस्तीन को अपना प्राकृततक घर बताते िुए इस पर अपना दावा ककया, और दस
ू री और
अरबों ने भी अपनी जमीन को निीं छोड़ा और अपना दावा कायम रखा।
• अंतरातष्ट्रीय समद
ु ाय ने यिूहदयों का समथतन ककया।
• 1947 में , संयुतत राष्ट्र द्वारा कफललस्तीन को एक पथ
ृ क यहूदी दे र् और अरब दे र् में वििाम्जत करने के
पक्ष में मतदान ककया गया, क्जसमें यरूर्लेम एक अंतरराष्ट्रीय र्हर बना हदया गया।
• ववभाजन की इस योजना को यिूदी नेताओं ने स्वीकार कर मलया ककं तु अरब पक्ष ने इसे खाररज कर
हदया और कभी मान्यता निीं दी।
इ़िराइल का तनमाभण और 'तबाही':
• वषत 1948 में बब्रटे न ने इस क्षेत्र से अपना तनयंत्रण वापस ले मलया और यिूहदयों ने इजराइल के तनमातण
की घोषणा कर दी। िालांकक, कफलीस्तीतनयों ने इसका ववरोध ककया, ककं तु यिूदी पीछे निीं िटे और
इसके पररणामस्वरूप दोनों के मध्य सशस्त्र संघषत शुरू िो गया।
• इसी दौरान पड़ोसी अरब दे शों ने भी इस क्षेत्र पर िमले ककए, ककं तु इजरायली सैतनकों ने इन्िें पराक्जत
कर हदया। इस लड़ाई के बाद िजारों कफमलस्तीतनयों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा। इस घटना के
मलए ‘अल-नकबा’ (Al-Nakba), या "ववनाश" किा जाता िै ।
• लड़ाई के समातत िोने के बाद इस क्षेत्र के अधधकाँश भ-ू भाग को इजराइल ने अपने तनयंत्रण में ले
मलया।
• कफर, जॉितन का इजराइल के साथ युद्ध िुआ क्जसमे ‘वेस्ट बैंक’ किे जाने वाले क्षेत्र पर जॉितन ने अपना
कधजा कर मलया तथा गाजा पर ममस्र ने अपना अधधकार जमा मलया।
• यरुशलम शिर, दो हिस्सों में ववभाक्जत िो गया, इसके पूवत भाग पर जॉितन का अधधकार िै , जबकक
पक्श्चमी भाग पर इजराइल का तनयंत्रण िै । अभी तक, ककसी भी औपचाररक शांतत समझौते पर िस्ताक्षर
निीं ककए गए िै और इस क्षेत्र में िोने वाले तनाव के मलए प्रत्येक पक्ष एक-दस
ू रे को दोषी ठिराता रिता
िै , और इस क्षेत्र में लड़ाई िोती रिती िै ।
• वषत 1967 में , इजरायली सेना ने पव
ू ी यरुशलम और वेस्ट बैंक, सीररया की ‘गोलन िाइट्स’, गाजा और
ममस्र के मसनाई प्रायद्वीप के ववमभन्न क्षेत्रों पर कधजा कर मलया था।
ितभमान पररदृश्य:

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• इजराइल का अभी भी वेस्ट बैंक पर कधजा िै , िालांकक इसने गाजा पर अपना अधधकार छोड़ हदया िै
ककं तु, संयुतत राष्ट्र अभी भी भूमम के इस भाग को अधधकृत क्षेत्र का हिस्सा मानता िै ।
• इजराइल, परू े यरुशलम को अपनी राजधानी िोने का दावा करता िै , जबकक कफमलस्तीनी, पव
ू ी यरुशलम
को भववष्ट्य के कफमलस्तीनी राष्ट्र की राजधानी िोने का दावा करते िैं।
• अमेररका, पूरे यरुशलम शिर पर इजराइल के दावे को मान्यता दे ने वाले धगने-चुने दे शों में से एक िै ।
‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद’ के बारे में :
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (United Nations Security Council - UNSC) संयुतत राष्ट्र के प्रमुख अंगों में से
एक िै , और अंतरराष्ट्रीय शांतत और सुरक्षा के रखरखाव के मलए क्जपमेदार िै ।
• इसकी र्म्क्तयों में , शांतत अमभयानों का गठन करना, अंतरातष्ट्रीय प्रततबंध जारी करना, और सुरक्षा पररषद
के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कारत वाई का अनुमोदन करना शाममल िै; यि संयत
ु त राष्ट्र का एकमात्र
तनकाय िै क्जसके पास सदस्य दे शों के मलए ‘बाध्यकारी संकल्प’ जारी करने की शक्तत िै ।
• सदस्य: सरु क्षा पररषद में पंद्रि सदस्य िोते िैं। रूस, यन
ू ाइटे ि ककं गिम, फ्रांस, चीन और संयत
ु त राज्य
अमेररका - सुरक्षा पररषद के पांच स्थायी सदस्य िैं। ये स्थायी सदस्य, नए सदस्य दे शों को शाममल
करने या मिासधचव पद के उपमीदवार सहित, सुरक्षा पररषद के ककसी भी मित्वपूणत प्रस्ताव पर वीटो
कर सकते िैं।
• सुरक्षा पररषद में 10 अस्थायी सदस्य भी िोते िैं, क्जन्िें क्षेत्रीय आधार पर दो साल के कायतकाल के मलए
चन
ु ा जाता िै । सरु क्षा पररषद की अध्यक्षता,
सदस्य दे शों द्वारा मामसक आधार पर की जाती
िै ।
प्रस्तावित सध
ु ार:
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) के सुधारों में पांच
प्रमुख मुद्दे शाममल िैं:
1. सदस्यता की श्रेणणयां,
2. पांच स्थायी सदस्यों द्वारा धाररत वीटो का प्रश्न,
3. क्षेत्रीय प्रतततनधधत्व,
4. ववस्तत
ृ पररषद का आकार और इसकी कायतप्रणाली
और
5. सरु क्षा पररषद-मिासभा संबध
ं ।
इसके अलावा, सुरक्षा पररषद में अधधक स्थायी सदस्यों को
शाममल करने का भी प्रस्ताव िै ।
िारत की मांगें:
भारत लंबे समय से ब्राजील, जमतनी और जापान के साथ संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद में सुधार का आह्वान
करता रिा िै । भारत इस बात पर जोर दे ता िै , कक वि स्थायी सदस्य के रूप में संयत
ु त राष्ट्र की उच्च तामलका
में सिी जगि पाने का िकदार िै ।
िारत को सुरक्षा पररषद में ‘स्थायी सीट’ क्यों दी जानी चाहहए?
• भारत, संयुतत राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक िै ।
• यि संयुतत राष्ट्र शांतत स्थापना ममशनों में सैतनकों का दस
ू रा सबसे बड़ा और सबसे बड़ा तनरं तर
योगदानकतात िै ।
• भारत, UNSC का 7 बार सदस्य रि चुका िै , इसके अलावा वि G-77 और G-4 का सदस्य रि चुका िै ,
अताः भारत, संयत
ु त राष्ट्र सुरक्षा पररषद में ‘स्थायी सदस्यता’ का ताककतक रूप से दावेदार िै ।
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प्रीललभस ललंक:
1. इजरायल-कफमलस्तीन मुद्दा तया िै ?
2. दोनों के बीच सीमाएं
3. वेस्ट बैंक सेटलमें ट इश्यू
4. इस मुद्दे पर संयत
ु त राष्ट्र, इजराइल और कफमलस्तीन का पक्ष
5. इस मुद्दे से उत्पन्न चुनौततयाँ
6. भारत का रुख
में स ललंक: इसराइल-कफमलस्तीन मद्
ु दे का इस क्षेत्र पर प्रभाव और भारत के हितों पर इसका प्रभाव।

9. उत्तर कोररया द्िारा परमाणु ररएक्टर को दोबारा र्रू


ु ककए जाने की संिािना: आईएईए
संदिभ:
संयुतत राष्ट्र की परमाणु एजेंसी, ‘अंतरातष्ट्रीय परमाणु ऊजात एजेंसी’ (IAEA) के अनस
ु ार, कक उत्तर कोररया द्वारा
अपने ‘तलूटोतनयम-उत्पादक पुनसांसाधन ररएतटर’ (plutonium-producing reprocessing reactor) को संभवताः
कफर से शुरू कर हदया गया िै ।
प्रमख
ु बबंद:ु
• ‘अंतरातष्ट्रीय परमाणु ऊजात एजेंसी’ का यि अनुमान, उत्तर कोररया के मुख्य परमाणु पररसर ‘योंगधयोन’
(Yongbyon) में 5-मेगावाट ररएतटर पर दोबारा काम शुरू ककए जाने पर आधाररत िै ।
• उत्तर कोररयाई नेता ने, तत्कालीन अमेररकी राष्ट्रपतत िोनाल्ि रपप के साथ आयोक्जत दस
ू रे मशखर
सपमेलन में , प्रततबंधों को िटाने के बदले ‘योंगधयोन’ पररसर के एक भाग को नष्ट्ट करने की प्रस्ताव
हदया था, ककं तु इसके बाद से दोनों दे शों के मध्य वातात रुकी िुई िै ।
• अपने परमाणु िधथयारों और बैमलक्स्टक ममसाइल कायतक्रमों के कारण उत्तर कोररया पर कई अंतरराष्ट्रीय
प्रततबंध लागू तित िै ।
• प्रातत जानकारी के अनस
ु ार, उत्तर कोररया के तयोंगयांग ररएतटर में , पिले िटाए जा चक
ु े ररएतटर में
प्रयुतत ईंधन से तलूटोतनयम को अलग करने के मलए तनकट क्स्थत रे डियोकेममकल प्रयोगशाला का भी
उपयोग ककया जा रिा िै , इससे ‘योंगधयोन’ ररएतटर के पुनाः चालू िोने का संकेत ममलता िै ।
• यि क्स्थतत, कोररयाई प्रायद्वीप में सुरक्षा की क्स्थतत और खराब न िो, यि सुतनक्श्चत करने के मलए
संबंधधत हितधारकों के मध्य दोबारा वातात शरू
ु ककए जाने की आवश्यकता को रे खांककत करती िै ।
अंतराभष्ट्रीय परमाणु ऊजाभ एजेंसी (IAEA) के बारे में :
अंतरातष्ट्रीय परमाणु ऊजात एजेंसी की स्थापना, िषभ 1957 में संयुतत राष्ट्र संघ भीतर ‘वैक्श्वक शांतत के मलए
परमाणु संगठन’ के रूप की गयी थी। यि एक अंतरराष्ट्रीय स्िायत संगठन िै ।
• इसका उद्दे श्य ववश्व में परमाणु ऊजात का शांततपण
ू त उपयोग सतु नक्श्चत करना िै । यि परमाणु ऊजात के
सैन्य उपयोग को ककसी भी प्रकार रोकने में प्रयासरत रिती िै ।
• IAEA, संयुतत राष्ट्र मिासभा तथा सुरक्षा पररषद दोनों को ररपोटत करती िै ।
• इसका मुख्यालय वियना, ऑम्स्रया में क्स्थत िै ।
प्रमुख कायभ:
1. IAEA, अपने सदस्य दे शों तथा ववमभन्न भागीदारों के साथ ममलकर परमाणु प्रौद्योधगककयों के सरु क्षक्षत,
सुदृढ़ और शांततपण
ू त उपयोग को बढ़ावा दे ने के मलए कायत करता िै ।
2. इसका उद्दे श्य परमाणु ऊजात के शांततपण
ू त उपयोग को बढ़ावा दे ना तथा परमाणु िधथयारों सहित ककसी
भी सैन्य उद्दे श्य के मलए इसके उपयोग को रोकना िै।

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बोिभ ऑफ़ गिनभस:भ
• 22 सदस्य राज्यों (प्रत्येक द्वारा तनधातररत भौगोमलक ववववधता का प्रतततनधधत्व) – सामान्य सपमेलन
द्वारा तनवातचन (प्रत्येक वषत 11 सदस्य) – 2 वषत का कायतकाल
• कम से कम 10 सदस्य दे श – तनवततमान बोित द्वारा नाममत
IAEA की िूलमकाएँ:
• IAEA गततववधधयों और बजट पर जनरल कॉन्फ्रेंस के मलए मसफाररशें करना
• IAEA मानकों को प्रकामशत करना
• IAEA की अधधकांश नीततयों का तनमातण करना
• जनरल कॉन्फ्रेंस के अनुमोदन से मिातनदे शक की तनयत
ु त करना
IAEA द्िारा चलाए जा रहे कायभक्रम:
1. कैं सर थेरेपी िे तु कारत वाई कायतक्रम (Program of Action for Cancer Therapy- PACT)
2. मानव स्वास््य कायतक्रम
3. जल उपलधधता संवधतन पररयोजना
4. अमभनव परमाणु ररएतटरों और ईंधन चक्र पर अंतरातष्ट्रीय पररयोजना, 2000
प्रीललभस ललंक:
1. परमाणु ववखंिन और संलयन प्रकक्रया
2. कोररयाई प्रायद्वीप में मित्वपूणत भौगोमलक ववशेषताएं
3. कोररयाई प्रायद्वीप में संघषत
5. IAEA- उद्दे श्य, जनादे श और शक्ततयां
6. UNSC- उद्दे श्य, जनादे श और शक्ततयां
में स ललंक: उत्तर कोररया के परमाणु कायतक्रम से इस क्षेत्र और वैक्श्वक सुरक्षा अवसंरचना के समक्ष उत्पन्न
चुनौततयाँ। इस बारे में भारत की नीततयां और इस चन
ु ौती से तनपटने के उपाय।

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सामान्य अध्ययन-III
विषय:भारतीय अथतव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगतत, ववकास तथा रोजगार से संबंधधत ववषय।
1. ‘उिरते लसतारे ’ फंि
संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय ववत्त मंत्री द्वारा तनयातत-उन्मख
ु ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम’ (MSMEs) के मलए 250
करोड़ रुपये का वैकक्ल्पक तनवेश कोष (Alternative Investment Fund - AIF) लॉन्च ककया िै ।
फंि का उद्दे श्य:
ऐसे भारतीय उद्यमों को धचक्ह्नत करना, जो अपनी प्रौद्योधगकी, उत्पादों या कायतववधधयों और तनयातत क्षमता के
स्तर पर संभाववत रूप से लाभ प्रदान करने में सक्षम िैं ककं तु वततमान में अपनी क्षमताओं से कम प्रदशतन कर
पा रिे िैं या पूरी तरि से कायत करने के मलए अपनी अंततनतहित क्षमताओं का दोिन करने में असमथत िैं।
इस कोष का मख्
ु य उद्दे श्य ‘सक्ष्
ू म, लघु एवं मध्यम उद्यम’ को प्रोत्साहित करना िै , तयोंकक यि रोजगार-सज
ृ न,
नवाचारों को बढ़ावा दे ने और अथतव्यवस्था को पुनजीववत करने के संदभत में अथतव्यवस्था के मलए अतत मित्वपूणत
िैं।
यह ककस प्रकार का कोष है:
'उभरते मसतारे ' फंि एक प्रकार का ‘वैकक्ल्पक तनवेश कोष’ (Alternative Investment Fund - AIF) िै ।
इस योजना के प्रमख
ु बबंद:ु
• इन कोष को ‘एक्तजम बैंक’ और मसिबी (लघु उद्योग ववकास बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा स्थावपत ककया
गया िै ।
• यि फंि, ववत्तीय और सलािकार सेवाओं दोनों के मलए ‘संरधचत सियोग’ (Structured Support) का
ममश्रण िै ।
• इसमें 250 करोड़ रुपये का ग्रीनर्ू ऑप्र्न (Greenshoe Option) भी िोगा।
• इस फंि में , फामात, ऑटो कंपोनेंट्स, इंजीतनयररंग सॉल्यश
ू ंस, कृवष और सॉफ्टवेयर आहद जैसे ववमभन्न क्षेत्रों
की संभाववत कंपतनयों को शाममल ककया गया िै ।
इस कायभक्रम का महत्ि:
1. इस कायतक्रम के तित, उन भारतीय कंपतनयों की पिचान की जाएगी, जो वैक्श्वक मांगों को पूरा करते
िुए घरे लू क्षेत्र में भववष्ट्य की चैंवपयन बनने की क्षमता रखती िै ।
2. चंकू क, ‘सक्ष्
ू म, लघु एवं मध्यम उद्यम’ (MSMEs), दे श के कुल ववतनमातण उत्पादन का लगभग 45
प्रततशत, तनयातत का 40 प्रततशत और राष्ट्रीय सकल घरे लू उत्पाद का लगभग 30 प्रततशत हिस्सा िैं,
अताः MSME को अपने उद्यमों का ववस्तार करने में सक्षम बनाने से समग्र अथतव्यवस्था की गतत तीव्र
िोगी।
3. इससे उत्तर प्रदे श में 'एक म्जला एक उत्पाद' जैसे क्षेत्र ववशेष के ववकास कायतक्रमों को भी बढ़ावा ममलेगा।
‘िैकम्ल्पक तनिेर् कोष’ क्या होता है ?
‘वैकक्ल्पक तनवेश कोष’ (Alternative Investment Fund - AIF) में उन ‘संयोक्जत तनवेश कोषों’ को शाममल ककया
जाता िै , क्जनका उपयोग उद्यम पूंजी, तनजी इक्तवटी, िे ज फंि, प्रबंधधत वायदा कारोबार आहद में तनवेश करने के
मलए ककया जाता िै ।
• सरल शधदों में, ‘वैकक्ल्पक तनवेश कोष’ (AIF), तनवेश के पारं पररक तरीकों जैसे स्टॉक, ऋण प्रततभूततयों
आहद से मभन्न प्रकार का तनवेश िोता िै ।
• ‘वैकक्ल्पक तनवेश कोष’ में फंि प्रबंधन गततववधधयों को ववतनयममत करने के मलए ‘सेबी (पयूचअ
ु ल फंि)
ववतनयम, 1996, (SEBI (Mutual Funds) Regulations, 1996) सेबी (सामहू िक तनवेश योजना) ववतनयम, 1999

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(SEBI (Collective Investment Schemes) Regulations, 1999) या बोित के ककसी अन्य ववतनयम के तित
शाममल धन को शाममल निीं ककया जाता िै ।
• बिरिाल, ‘वैकक्ल्पक तनवेश कोषों’ के मलए ‘SEBI’ में पंजीकरण कराना अतनवायत िोता िै ।
‘ग्रीनर्ू विकल्प’ क्या होता है ?
‘ग्रीन-शू ऑतशन’ (Greenshoe Option) एक अतत-आवंटन ववकल्प िोता िै । ‘शरु
ु आती सावतजतनक प्रस्ताव /
पेशकश’ (Initial Public Offering) या ‘आईपीओ’ के संदभत में , यि एक मलणखत समझौते में शाममल एक प्रावधान
िोता िै , क्जसके तित, प्रततभूतत की मांग अपेक्षा से अधधक िोने की क्स्थतत में समझौते में तनधातररत व्यक्तत को,
तनवेशकों के मलए, जारीकतात द्वारा शरू
ु में तय की गयी योजना से अधधक शेयर बेचने का अधधकार दे ता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: ‘ररवसत ग्रीनशू ववकल्प’ तया िोता िै? यि ‘ग्रीनशू ववकल्प’ से ककस प्रकार मभन्न िै?
प्रीललभस ललंक:
1. 'उभरते मसतारे ' फंि के बारे में ।
2. इसके उद्दे श्य, प्रबंधन, लाभ।
3. ‘ग्रीनशू ववकल्प’ तया िै ?
में स ललंक: 'उभरते मसतारे ' फंि की आवश्यकता और मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. राम्ष्ट्रक स्िणभ बॉण्ि योजना


संदिभ: िाल िी में , भारतीय ररजवत बैंक (RBI) द्वारा ने ‘राक्ष्ट्रक स्वणत बॉण्ि योजना’ / सॉवरे न गोल्ि बॉन्ि स्कीम
(Sovereign Gold Bond Scheme) 2021-22 छठी श्रंखला की घोषणा की गई िै । इस योजना के अंतगतत स्वणत बॉण्ि
का सक्धस्क्रतशन 30 अगस्त से 3 मसतंबर, 2021 तक ककया जा सकेगा।
‘सॉिरे न गोल्ि बॉन्ि योजना’ के बारे में :
भारत सरकार द्वारा ‘राक्ष्ट्रक स्वणत बॉण्ि’ (सॉवरे न गोल्ि बांि) की शरु
ु आत वषत 2015 में की गई थी।
• सरकार ने स्वणत के आयात पर भारत की अधधक तनभतरता को कम करने में मदद करने िे तु इन बांिों
को शुरू ककया था।
• इस कदम का उद्दे श्य, अपनी बचत को ‘स्वणत के भौततक रूप से जमा करने’ संबंधी भारतीयों की आदत
को ‘सॉवरे न प्रततभूतत के दस्तावेजों’ में जमा करने की प्रववृ त्त में बदलना था।
महत्िपूणभ तथ्य:
पात्रता: सॉवरे न गोल्ि बांि की बबक्री 'तनवासी भारतीय व्यक्ततयों, हिंद ू अववभतत पररवार (HUFs), रस्ट,
ववश्वववद्यालय, धमातथत संस्थाओं आहद तक िी सीममत रिे गी।
मूल्यिगभ और अिगध: सॉवरे न गोल्ि बांिों को 1 ग्राम की मूल इकाई के साथ सोने के ‘ग्राम’ के गण
ु कों में
मल्
ू यांककत ककया जाएगा। इनकी समयावधध 8 वषत की िोगी और पाँचवें साल के पश्चात इससे बािर तनकलने
का ववकल्प रिे गा, क्जसका इस्तेमाल धयाज भुगतान की ततधथयों पर ककया जा सकता िै ।
न्यूनतम और अगधकतम सीमा: बॉण्ि एक ग्राम स्वणत के मूल्यवगत में तथा उसके गुणजों में िोता िै । तनवेश की
न्यूनतम सीमा एक ग्राम तथा अधधकतम सीमा प्रतत वषत (अप्रैल – माचत) में प्रत्यके व्यक्तत/ हिंद ू अववभतत
पररवार के मलए 4 ककलोग्राम और रस्ट तथा भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधधसधू चत समान संस्थाओं
के मलए 20 ककलोग्राम िै ।
संयुक्त खरीद: यहद बॉण्ि संयुतत रूप से खरीदे जाते िैं, तो अधधकतम 4 ककलोग्राम की सीमा पिले आवेदक पर
िी लागू िोगी। वावषतक उच्चतम सीमा में सरकार द्वारा पिले ववमभन्न श्रंख
ृ लाओं में जारी बॉण्ि और माध्यममक
बाजार से खरीदे जाने वाले बॉण्ि शाममल िोंगे। तनवेश की सीमा में बैंक या ववत्तीय संस्था द्वारा जमानत के रूप
में धाररत बॉण्ि को शाममल निीं ककया जाएगा।
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संपाम्श्िभक (Collateral): इन प्रततभूततयों का उपयोग बैंकों, ववत्तीय संस्थानों तथा गैर-बैंककं ग ववत्तीय संस्थानों से
ऋण लेने के मलए जमानत / संपाक्श्वतक (Collateral) के रूप में ककया जा सकता िै । ऋण और मल्
ू य का अनप
ु ात
विी िोगा जो सामान्य स्वणत ऋण के मामले में ररजवत बैंक द्वारा समय-समय पर जारी तनदे शानस
ु ार िोता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप ‘सॉवरे न गोल्ि बॉन्ि’ और ‘गोल्ि ईटीएफ’ (Exchange Traded Fund) के मध्य अंतर जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘सॉवरे न गोल्ि बॉन्ि योजना’ के मलए पात्रता?
2. तया उन्िें संपाक्श्वतक के रूप में इस्तेमाल ककया जा सकता िै ?
3. न्यूनतम और अधधकतम अनुमेय सीमा तया िै ?
4. ये बांि कौन जारी कर सकता िै ?
में स ललंक: ‘सॉवरे न गोल्ि बॉन्ि योजना’ की प्रमख
ु ववशेषताओं और मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. टॉय रे न मुद्रीकरण योजना पर वििाद


संदिभ: केंद्र सरकार के ‘दाक्जतमलंग हिमालयन रे लवे’ (Darjeeling Himalayan Railways - DHR) का मद्र
ु ीकरण
करने संबंधी प्रस्ताव पर धचंता व्यतत की जा रिी िै ।
प्रमुख बबंद:ु भारत में पवततीय क्षेत्रों और पिाड़ी इलाकों में चार रे लवे नेटवकत पूरी तरि से कायातत्मक िैं और
इनका पररचालन ककया जा रिा िै -
1. पक्श्चम बंगाल में हिमालय की तलिटी में क्स्थत ‘दाम्जभललंग हहमालयन रे लिे’ (DHR);
2. तममलनािु के नीलधगरर पिाडड़यों में क्स्थत नीलगगरी पिभतीय रे लिे;
3. हिमाचल प्रदे श की हिमालय की तलिटी में क्स्थत कालका लर्मला रे लिे; और
4. मिाराष्ट्र में क्स्थत माथेरान रे लिे।

‘दाम्जभललंग हहमालयन रे लिे’:


• ‘दाक्जतमलंग हिमालयन रे लवे’ (DHR) का तनमातण 1879 और 1881 के मध्य बब्रहटश काल के दौरान कराया
गया; ‘दाक्जतमलंग टॉय रे न’ को वषत 1999 में यूनेस्को का ‘ववश्व धरोिर स्थल’ घोवषत ककया गया था।
• DHR का मुद्रीकरण ककए जाने की योजना के ववरोध का मुख्य कारण यि िै , कक तनजी कंपतनयों का
ध्यान लाभ अक्जतत करने पर िोगा, और लोगों की स्थानीय आकांक्षाओं की अनदे खी की जाएगी।
• सरकार द्वारा हितधारकों से परामशत ककए बबना एकतरफा तरीके से यि तनणतय मलए जाने पर भी धचंता
जताई गई िै ।
• आगे की राह: सरकार को इस ववषय में संबंधधत हितधारकों से परामशत करना चाहिए और पारस्पररक
रूप से लाभप्रद तरीके से, उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने िे तु हदशातनदे श जारी करने चाहिए।
‘विश्ि धरोहर स्थल’ क्या होते हैं?
‘ववश्व धरोिर स्थल’ या ‘ववश्व ववरासत स्थल’ (World Heritage site), को अंतरातष्ट्रीय मित्व तथा ववशेष सुरक्षा
की आवश्यकता वाले प्राकृततक अथवा मानव तनममतत क्षेत्रों या संरचनाओं के रूप में वगीकृत ककया जाता िै ।
• इन स्थलों को ‘संयत
ु त राष्ट्र’ (UN) तथा संयत
ु त राष्ट्र शैक्षणणक वैज्ञातनक एवं सांस्कृततक संगठन
(UNESCO) द्वारा आधधकाररक तौर पर मान्यता प्रातत िोती िै ।
• यूनेस्को, ववश्व धरोिर के रूप में वगीकृत स्थलों को मानवता के मलए मित्वपूणत मानता िैं, तयोंकक इन
स्थलों का सांस्कृततक और भौततक मित्व िोता िै ।

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प्रमुख तथ्य:
1. ववश्व धरोिर स्थलों की सच
ू ी, यूनेस्को की ‘ववश्व ववरासत सममतत’ द्वारा प्रशामसत ‘अंतरातष्ट्रीय ववश्व
धरोिर कायतक्रम’ द्वारा तैयार की जाती िै । इस सममतत में संयत
ु त राष्ट्र मिासभा द्वारा तनवातधचत
यूनेस्को के 21 सदस्य दे श शाममल िोते िै ।
2. प्रत्येक ववश्व धरोिर स्थल, जिाँ वि अवक्स्थत िोता िै, उस दे श के वैधातनक क्षेत्र का भाग बना रिता
िै , और यूनेस्को, इसके संरक्षण को अंतरातष्ट्रीय समद
ु ाय के हित में मानता िै ।
3. ववश्व ववरासत स्थल के रूप में चयतनत िोने के मलए, ककसी स्थल को पिले से िी भौगोमलक एवं
ऐततिामसक रूप से ववमशष्ट्ट, सांस्कृततक या भौततक मित्व वाले स्थल के रूप में अद्ववतीय, ववमशष्ट्ट
स्थल धचह्न अथवा प्रतीक के रूप में वगीकृत िोना चाहिए।
प्रीललभस ललंक:
1. ‘दाक्जतमलंग हिमालयन रे लवे’
2. ववश्व धरोिर स्थल तया िै ?
3. भारत में यूनेस्को ववश्व धरोिर स्थलों की सूची
4. यूनेस्को के बारे में
में स ललंक: भारत द्वारा ककए जा रिे संरक्षण प्रयासों के
संरक्षोपाय िे तु आवश्यक नीततयों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृवष सिायता तथा न्यूनतम समथतन मूल्य से संबधं धत ववषय; जन ववतरण प्रणाली-
उद्दे श्य, कायत, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सरु क्षा संबंधी ववषय; प्रौद्योधगकी ममशन; पशु पालन संबध
ं ी
अथतशास्त्र।
1. िोजन की परोक्ष लागत
(Hidden costs of food)
संदिभ:
संयुतत राष्ट्र की एक ररपोटत के अनुसार:
• िमारे द्वारा उपभोग ककए जाने वाले भोजन की कीमत, वास्तववक लागत की लगभग एक ततिाई िोती
िै , इसमें पयातवरण और मानव स्वास््य की परोक्ष लागत भी शाममल िोती िै ।
• ये परोक्ष लागतें या ‘बाह्य कीमतें ’, जो िातनकारक खाद्य पदाथों के बाजार मूल्य में प्रततबबंबबत निीं
िोती िैं और संविनीय एवं स्वस्थ भोजन को मिं गा बना दे ती िैं।
• इसके अलावा, बािरी लागतों को छोड़ दे ने से, पयातवरण-क्षतत, खाद्य असुरक्षा में वद्
ृ धध, स्वास््य संबध
ं ी
जोणखम और श्रममकों के मलए कम भुगतान एवं असमानता जैसी सामाक्जक बुराइयों में वद्
ृ धध िोती िै ।
‘िोजन की िास्तविक लागत’ क्या हैं?
िमारी वततमान खाद्य प्रणाली में , प्राकृततक पयातवरण और मानव स्वास््य संबंधी परोक्ष लागतें बड़ी संख्या में
मौजूद रिती िैं, क्जनमे पेरोमलयम आधाररत उवतरक और कीटनाशकों के उपयोग से लेकर मद
ृ ा-क्षरण, जल प्रदष
ू ण,
जलवायु पररवततन और मोटापे की वैक्श्वक बीमारी आहद को शाममल ककया जा सकता िै ।
ये लागतें , खाद्य सामग्री की सामान्य उत्पादन लागतों के अलावा िोती िैं, और इन सबको ममलकर "भोजन की
वास्तववक लागत" बनती िै।

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ितभमान में ‘िोजन की िास्तविक कीमत’:
• वततमान परोक्ष लागतें (externalities), वैक्श्वक खाद्य खपत ($9 हरमलयन) से लगभग दोगुनी ($19.8
हरमलयन) िोने का अनम
ु ान िै ।
• इन परोक्ष लागतों को, पयातवरणीय लागतों में $7 हरमलयन (4-11 के मध्य), मानव जीवन की लागत में
$11 हरमलयन (3-39 के मध्य) और आधथतक लागतों में $1 हरमलयन (0.2-1.7 के मध्य) पाया जा सकता
िै ।
इसे ठीक करने हे तु उपकरण:
‘भोजन की वास्तववक कीमत’ को ठीक करने के मलए ‘भोजन के मल्
ू य’ को कफर से पररभावषत ककया जाना
चाहिए।
• इसके मलए ‘वास्तववक लागत लेखा पद्धतत’ (True Cost Accounting - TCA) उपकरण का उपयोग ककया
जा सकता िै ।
• ‘वास्तववक लागत लेखा पद्धतत’ (TCA) में आंकलन का कायत, आम तौर पर, लक्ष्य और दायरे की
पिचान, ववश्लेषण- इकाई और तंत्र की सीमाओं के तनधातरण से शुरू िोता िै । इसके बाद, ववमभन्न परोक्ष
लागतों का (गुणात्मक या मात्रात्मक रूप से) आंकलन, कीमत-तनधातरण और कुल जोड़ ककया जाता िै ।
‘िास्तविक लागत लेखा पद्धतत’ (TCA) का उपयोग:
संयत
ु त राष्ट्र द्वारा हदए गए सझ
ु ाव के अनस
ु ार, सभी वगत के लोग, तनपनमलणखत तरीकों से ‘वास्तववक लागत
लेखा पद्धतत’ (TCA) उपकरण का उपयोग कर सकते िैं:
1. सरकारों द्िारा ‘वास्तववक लागत लेखा पद्धतत’ को स्थानीय, राष्ट्रीय या क्षेत्रीय नीतत और बजट में
एकीकृत ककया जा सकता िै।
2. व्यिसायों द्िारा, नकारात्मक प्रभावों को कम करने और कीमत- श्रंख
ृ लाओं में सकारात्मक लाभों को
बढ़ाने के मलए, इन संरधचत आकलनों का उपयोग ककया जा सकता िै ।
3. वित्तीय संस्थानों द्वारा ररपोहटां ग, तनवेश को प्रभाववत करने और जोणखम मूल्यांकन िे तु TCA का उपयोग
ककया जाता िै , और इस ‘प्रकामशत प्रभाव वववरण’ (Published Impact Statement) के आधार पर इन
संस्थानों की ‘साख’ भी तनधातररत िोती िै ।
4. ककसान, अपनी कृवष पद्धततयों की लागत और लाभ की गणना के मलए TCA का उपयोग एक साधन के
रूप में कर सकते िैं।
5. उपिोक्ता, अपने द्वारा खरीदे जाने वाले भोजन में तनहित पयातवरणीय और सामाक्जक परोक्ष लागतों के
बारे में जागरूक िोने के मलए TCA का उपयोग कर सकते िैं।
स्रोत: िाउन टू अथभ।

2. चीनी का न्यन
ू तम विक्रय मल्
ू य
संदिभ:
िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा 2021-22 के ववपणन वषत (अतटूबर-मसतंबर) के मलए गन्ने का ‘उधचत और
लाभकारी मूल्य’ (Fair & Remunerative Price- FRP) में वद्
ृ धध करते िुए 290 रुपये प्रतत क्तवंटल तनधातररत कर
हदया गया िै । अब चीनी ममलों को गन्ना-उत्पादक ककसानो को पिले दी जा रिी कीमत से 5 रुपये प्रतत क्तवंटल
अधधक चक
ु ाना िोगा।
इस तनणभय का महत्ि:
सरकार के इस तनणतय से पांच करोड़ गन्ना ककसानों और उनके आधश्रतों के साथ-साथ चीनी ममलों और संबंधधत
उद्योगों में कायतरत पांच लाख श्रममकों को लाभ िोगा।

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चीनी मूल्य तनधाभरण नीतत:
चीनी के मल्
ू य बाजार के रुझानों के अधीन िोते िैं और चीनी की मांग एवं आपूततत पर तनभतर िोते िैं। तथावप,
वषत 2018 से, ककसानों के हित-संरक्षण के उद्दे श्य से चीनी के न्यन
ू तम विक्रय मल्
ू य (Minimum Selling Price-
MSP) की अवधारणा लागू की गई िै , ताकक यि उद्योग कम से कम, चीनी की न्यूनतम उत्पादन लागत तनकाल
सके, क्जससे वि ककसानों को गन्ने के मूल्य की बकाया रामश का भुगतान करने में समथत िो सके।
• सरकार द्वारा आिश्यक िस्तु अगधतनयम, 1955 (Essential Commodities Act, 1955) द्वारा प्रदत्त
शक्ततयों का प्रयोग करते िुए चीनी मूल्य (तनयंत्रण) आदे र्, 2018 अधधसूधचत ककया गया िै ।
• उतत आदे श के प्रावधानों के तित, सरकार न्यनू तम ववक्रय मल् ू य (MSP) तय करती िै ।
• चीनी के न्यूनतम विक्रय मल्
ू य (एमएसपी) का तनधातरण गन्ने के उगचत और लािकारी मूल्य (Fair &
Remunerative Price- FRP) तथा सवातधधक कायत कुशल ममलों की न्यूनतम पररवततन लागत घटकों को
ध्यान में रखकर ककया जाता िै ।
इसके अलावा, कृपया ध्यान दें कक ‘राज्य परामर्भ कीमतों’ (State Advised Prices - SAP) की घोषणा प्रमख
ु गन्ना
उत्पादक राज्यों द्वारा की जाती िै जोकक आम तौर पर ‘उधचत और लाभकारी मल्
ू य’ (FRP) से अधधक िोती िैं।
‘उगचत और लािकारी मल्
ू य’ (FRP):
उधचत और लाभकारी मल्
ू य (FRP) वि न्यूनतम कीमत िै , क्जस पर चीनी ममलों द्वारा ककसानों से गन्ना खरीदा
जाता िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम: संघीय / केंद्र सरकार द्वारा ‘उधचत और लाभकारी मूल्य’ (FRP) की घोषणा की जाती िै । इसका
तनधातरण कृवष लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की अनुशंसाओं
के आधार प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आगथभक मामलों की मंबत्रमंिलीय सलमतत द्वारा ककया जाता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया सरकार न्यूनतम समथतन मूल्य (MSP) को ‘वैधातनक न्यूनतम मूल्य’ (Statutory Minimum Price - SMP) के
बराबर तनधातररत कर सकती िै ? इसे समझने िे तु पढ़ें ।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबधं धत उद्योग- कायतक्षेत्र एवं मित्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ,
आपूततत श्रंख
ृ ला प्रबंधन।
1. विर्ेषज्ञों द्िारा ‘फूि फोहटभ कफकेर्न को अतनिायभ’ ककए जाने पर चेतािनी
संदिभ: िाल िी में , ववशेषज्ञों द्वारा ‘फूि फोहटतकफकेशन’ अथातत ‘खाद्यान्न को पोषणयुतत बनाने’ (Food
Fortification) के कारण मानव स्वास््य और आजीववका पर प्रततकूल प्रभाव पड़ने के संबंध में आगाि ककया
गया िै ।
संबंगधत प्रकरण:
केंद्र सरकार द्वारा चावल और खाद्य तेलों को ववटाममन एवं खतनजों से पोषणयुतत बनाने (fortify) को अतनवायत
करने पर ववचार ककया जा रिा िै ।
• ककं त,ु ववशेषज्ञों का किना िै कक इन खाद्य सामगग्रयों में कृबत्रम सूक्ष्म पोषक तत्ि लमलाने से
उपभोतताओं के स्वास््य को नक
ु सान पिुंच सकता िै ।
• इसके बजाय, आहार में विविधता और प्रोटीन की खपत अगधक ककए जाने से, भारत में कुपोषण की
समस्या को िल ककया जा सकता िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम: चावल को पोषणयुतत बनाने (Fortification of Rice) तथा सािभजतनक वितरण प्रणाली के जररए इसके
ववतरण को मजबूत करने िे तु केन्द्र प्रायोम्जत पायलट योजना लागू करने के मलए 15 राज्यों की पिचान की गई
िै ।
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इस पायलट योजना को 2019-2020 से आरं भ िोकर तीन साल की अवधध के मलए मंजूरी दी गई िै ।
‘फ़ूि फोहटभकफकेर्न’ से जुड़े मुद्दे :
• वततमान में , ‘फ़ूि फोहटतकफकेशन’ का समथतन करने वाले साक्ष्य अधरू े िै , और तनक्श्चत रूप से एक
मित्वपूणत राष्ट्रीय नीतत लागू करने के मलए पयाततत निीं िैं।
• ‘फ़ूि फोहटतकफकेशन’ को बढ़ावा दे ने के मलए ‘भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधधकरण’ (Food Safety
and Standards Authority of India - FSSAI) क्जन स्टिी-ररपोट्तस का िवाला दे ता िै , उनमे से अधधकाँश
अध्ययन, ‘फ़ूि फोहटत कफकेशन’ से लाभ उठाने वाली ‘खाद्य कंपतनयों’ द्वारा प्रायोक्जत ककए गए थे।
• ‘फ़ूि फोहटतकफकेशन’ को अतनवायत ककए जाने से तेल और चावल की स्थानीय ममलों सहित भारतीय
ककसानों और खाद्य प्रसंस्करणकतातओं की व्यापक अनौपचाररक अथतव्यवस्था को भी नुकसान िोगा, और
बिुराष्ट्रीय तनगमों के केवल एक छोटे से समूि को लाभ िोगा।
• साथ िी, खाद्य पदाथों के रासायतनक पोषणकरण करने के साथ एक बड़ी समस्या यि िै , कक पोषक
तत्व पथ
ृ क रूप से कायत निीं करते िैं, बक्ल्क इष्ट्टतम अवशोषण के मलए इन तत्वों का एक साथ िोना
आवश्यक िोता िै ।
आिश्यकता:
भारत में अल्पपोषणता का एक कारण, यिाँ के लोगों की सदै व एक जैसी अनाज-आधाररत खुराक भी िै , क्जसमे
सक्धजयों और पश-ु आधाररत प्रोटीन की मात्रा काफी कम िोती िै । अताः खाद्य सामग्री को पोषणयत
ु त बनाने की
बजाय, ‘आिार में वववधता’ कुपोषण से तनपटने िे तु एक अधधक स्वस्थ और लागत प्रभावी तरीका िै ।
‘फूि फोहटभकफकेर्न’ क्या है ?
ववश्व स्वास््य संगठन (WHO) के अनस
ु ार, ‘फूि फोहटतकफकेशन’ के द्वारा, ककसी खाद्यान्न को पोषणयत
ु त बनाने
िे तु उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अथातत ् ववटाममन और खतनज तत्वों की मात्रा में वद्
ृ धध की
जाती िै । इसका उद्दे श्य आपूततत ककए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गण
ु वत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम
जोणखम के साथ उपभोतताओं को स्वास््य लाभ प्रदान करना िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘कृवष-ववज्ञानी जैव संवधतन’ (Agronomic biofortification) ‘एग्रोनॉममक बायोफोहटत कफकेशन’
के बारे में जानते िैं? जैव संवधतन’ (बायो-फोहटतकफकेशन) और ‘फूि फोहटतकफकेशन’ में तया अंतर िै?
प्रीललभस ललंक:
1. जैव फोहटत कफकेशन बनाम आनुवंमशक पररवततन
2. सूक्ष्म पोषक बनाम वि
ृ द पोषक तत्व
3. भारत में जैव उवतरक और जीएम फसलों के मलए स्वीकृतत
4. भारत में अनम
ु तत प्रातत जीएम फसलें
में स ललंक: ककसी खाद्यान्न को पोषणयत
ु त बनाने से आप तया समझते िैं? इसके फायदों के बारे में चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. राष्ट्रीय खाद्य तेल लमर्न- ताड़ तेल (NMEO-OP)


(National Mission on Edible Oil-Oil Palm)
संदिभ:
िाल िी में , प्रधान मंत्री द्वारा ने कृवष-आय बढ़ाने में सिायता करने िे तु ताड़ के तेल उत्पादन पर इस नई
राष्ट्रीय पिल की घोषणा की गई िै ।
इस योजना के अंतगतत 11,000 करोड़ रुपये से अधधक का तनवेश ककया जाएगा।

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योजना के लक्ष्य एिं उद्दे श्य:
1. खाद्य तेल में आत्मतनभतरता प्रातत करना।
2. मिं गे ताड़ के तेल आयात से प्रभाववत िोने वाली, घरे लू खाद्य तेल की कीमतों पर तनयंत्रण लाना।
3. वषत 2025-26 तक ताड़ के तेल का घरे लू उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 11 लाख मीहरक टन करना।
योजना के प्रमुख बबंद:ु
• इस योजना के तित, अनुकूल मौसम की क्स्थतत के कारण, भारत के उत्तर-पूवी राज्यों और अंिमान और
तनकोबार द्वीप समूि क्षेत्रों पर ववशेष ध्यान हदया जाएगा।
• योजना के तित, ताड़ तेल ककसानों को ववत्तीय सिायता प्रदान की जाएगी और ‘कीमत एवं व्यविायतता
सूत्र’ के तित ककसानों पाररश्रममक प्रातत िोगा।
योजना के लाि और महत्ि:
इस योजना से, ततलिन और ताड़ के तेल उत्पादन को प्रोत्सािन व खाद्य दे लों के आयात पर तनभतरता कम िोने
तथा बाजार में ककसानों को अधधक नकद रामश प्रातत िोने की संभवना िै ।
इस प्रकार की योजनाओं की आिश्यकता:
भारत, वनस्पतत तेल का ववश्व में सबसे बड़ा उपभोतता िै । ‘ताड़ के तेल’ का आयात, भारत के कुल वनस्पतत
तेल आयात का लगभग 60% िै ।
• वषत 2016- 2017 में , भारत में ताड़ के तेल की कुल घरे लू खपत 9.3 मममलयन मीहरक टन थी, क्जसमे से
98.97 प्रततशत ताड़ का तेल मलेमशया और इंिोनेमशया से आयात ककया गया था।
• अथातत, भारत में इसकी आवश्यकता का केवल 1.027 प्रततशत िी उत्पादन िो रिा था।
• इसके अलावा, भारत में 94.1 प्रततशत ताड़ के तेल का उपयोग खाद्य उत्पादों, खासकर खाना पकाने के
प्रयोजनों के मलए ककया जाता िै । इससे, ताड़ का तेल, भारत की खाद्य तेल अथतव्यवस्था के मलए
अत्यंत मित्वपूणत बन जाता िै ।
ताड़ का तेल (Palm oil)
1. ताड़ का तेल, वततमान में दतु नया का सबसे अधधक खपत िोने वाला वनस्पतत तेल िै ।
2. इसका, डिटजेंट, तलाक्स्टक, सौंदयत प्रसाधन और जैव ईंधन के उत्पादन में बड़े पैमाने पर उपयोग ककया
जाता िै ।
3. वैक्श्वक स्तर पर, ताड़ के तेल के शीषत उपभोतता भारत, चीन और यूरोपीय संघ (European Union) िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल ममशन- ताड़ तेल’ (NMEO-OP) से पिले यूपीए
सरकार के कायतकाल में ‘राष्ट्रीय ततलिन और ताड़ तेल ममशन’ (National Mission on Oil Seeds and Oil Palm)
लॉन्च ककया गया था और बाद में इसका राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा ममशन में ववलय कर हदया गया था?
स्रोत: द हिंद।ू

3. कुपोषण से तनपटने हे तु चािल-संिधभन योजना


(Rice fortification plan to tackle malnutrition)
संदिभ: प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी ने द्वारा 2024 तक स्कूलों में सावतजतनक ववतरण प्रणाली (PDS) और ‘मध्याह्न
भोजन’ सहित ववमभन्न सरकारी योजनाओं के तित ‘संवधधतत चावल’ (Fortified rice) ववतररत ककए जाने की
घोषणा की िै ।
घोषणा का महत्ि:
• चूंकक, दे श में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर काफी अधधक िै , इसे दे खते िुए यि घोषणा
काफी मित्वपण ू त िै ।

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• खाद्य मंत्रालय के अनुसार, दे श में िर दस
ू री महिला रतताल्पता से पीडड़त (anaemic) िै और िर तीसरा
बच्चा अववकमसत या नाटे पन का मशकार िै ।
• ग्लोबल िं गर इंिेतस (GHI), भारत, 107 दे शों की सच
ू ी में 94वें स्थान पर िै और इसे भख
ु मरी से
संबंधधत ‘गंभीर श्रेणी’ में रखा गया िै ।
• गरीब महिलाओं और गरीब बच्चों में कुपोषण और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, उनके ववकास में
बड़ी बाधा िै ।
इस योजना से ककतने बच्चों को फायदा होगा?
सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय खाद्य सरु क्षा अगधतनयम’ (NFSA), 2013 के अनस
ु ार ववमभन्न योजनाओं के तित 300
लाख टन से अधधक चावल ववतररत ककए जाते िै । वषत 2021-22 के मलए, केंद्र सरकार द्वारा लक्षक्षत सावतजतनक
ववतरण प्रणाली (PDS) और ‘मध्याह्न भोजन’ (MDM) और ‘एकीकृत बाल ववकास योजना’ (ICDS) जैसी
योजनाओं के मलए NFSA के तित 328 लाख टन चावल आवंहटत ककए गए िैं।
‘खाद्य-संिधभन’ क्या होता है ?
दे श में खाद्य पदाथों के मलए मानकों का तनधातरण करने वाली संस्था ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक
प्राधधकरण’ (Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI) के अनुसार, ‘खाद्य-संवधतन’ (Food
Fortification), ‘ककसी खाद्यान्न को पोषणयत
ु त बनाने के मलए उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों
अथातत ् ववटाममन और खतनज तत्वों, की मात्रा में वद्
ृ धध करने की प्रककया िोती िै ।
इसका उद्दे श्य आपूततत ककए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गण
ु वत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम जोणखम के
साथ उपभोतताओं को स्वास््य लाभ प्रदान करना िै ।
‘संिगधभत चािल’:
(Fortified rice)
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आिार में ववटाममन और खतनज सामग्री को बढ़ाने के मलए चावल का संवधतन
(fortification) ककया जाना एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीतत िै ।
• FSSAI द्वारा तनधातररत मानदं िों के अनुसार, 1 ककलो संवधधतत चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोमलक
एमसि (75-125 माइक्रोग्राम) और ववटाममन B-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) िोगा।
• इसके अलावा, चावल को सक्ष्
ू म पोषक तत्वों के साथ, एकल या संयोजन में , जस्ता (10 ममलीग्राम -15
ममलीग्राम), ववटाममन A (500-750 माइक्रोग्राम आरई), ववटाममन बी-1 (1 ममलीग्राम-1.5 ममलीग्राम),
ववटाममन बी-2 (1.25 mg-1.75 mg), ववटाममन B3 (12.5 mg-20 mg) और ववटाममन B6 (1.5 mg-2.5 mg) प्रतत
ककग्रा के साथ भी संवधधतत ककया जाएगा।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप विृ द पोषक तत्वों (macro nutrients) और सक्ष्
ू म पोषक तत्वों (micro nutrients) के
बीच अंतर जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:उदारीकरण का अथतव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योधगक नीतत में पररवततन तथा औद्योधगक ववकास पर इनका
प्रभाव।
1. हदिाला और हदिाललयापन संहहता (संर्ोधन) विधेयक, 2021
संदिभ: िाल िी में , हदवाला और हदवामलयापन संहिता (संशोधन) ववधेयक, 2021 (Insolvency and Bankruptcy Code
(Amendment) Bill, 2021), राज्यसभा ने पाररत कर हदया गया।
नोट: वपछले सतताि िी इस ‘लेख’ को िम ववस्तार से कवर कर चक
ु े िैं, कुछ हदन पूवत िी इस ववधेयक को
लोकसभा द्वारा पाररत ककया गया था।
https://epaper.thehindu.com/Home/MSareArticle?OrgId=GEI8RAEU2.1&imageview=0.
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विषय:बुतनयादी ढाँचााः ऊजात, बंदरगाि, सड़क, ववमानपत्तन, रे लवे आहद।
1. हाइड्रोजन ईंधन
संदिभ: वषत 2030 तक रे लवे को शन्
ू य काबतन-उत्सजतक बनाने के ममशन (Mission Net Zero Carbon Emission
Railway) के तित, भारतीय रे ल, िाइड्रोजन ईंधन (Hydrogen Fuel) आधाररत तकनीक पर रे नें चलाने के मलए
तैयार िै । इसके मलए, मौजद
ू ा रे नों के पुनाःसंयोजन करने / रे रोकफहटंग (Retrofitting) करने पर ववचार ककया जा
रिा िै ।
‘हाइड्रोजन ईंधन’ क्या है ?
िाइड्रोजन, आितभ सारणी में सबसे हल्का और पहला तत्ि िै । चंकू क, िाइड्रोजन का भार, िवा के भार से कम
िोता िै , इसमलए यि वायुमि
ं ल में ऊपर की ओर उठ कर फ़ैल जाता िै और यिी कारण िै , कक इसे अपने र्ुद्ध
रूप ‘H2’ में मुक्श्कल से िी कभी पाया जाता िै ।
• मानक ताप और दाब पर, िाइड्रोजन, एक गैर-ववषातत, अधाक्त्वक, गंधिीन, स्वादिीन, रं गिीन और
अत्यगधक दहनर्ील द्विपरमाणुक गैस िै ।
• िाइड्रोजन ईंधन, ऑतसीजन के साथ दिन करने पर ‘शून्य-उत्सजतन’ करने वाला ईंधन िै । इसका उपयोग
ईंधन सेलों अथिा आंतररक दहन इंजनों में ककया जा सकता है । अंतररक्ष यान प्रणोदनों (spacecraft
propulsion) के मलए ईंधन के रूप में भी िाइड्रोजन का उपयोग ककया जाता िै ।
हाइड्रोजन की उत्पवत्त:
• यि ब्रह्मांि में पाया जाने वाला सबसे प्रचुर तत्व िै । सूयत और अन्य तारे , व्यापक रूप से िाइड्रोजन से
तनममतत िोते िैं।
• खगोलववदों का अनुमान िै , कक ब्रह्मांि में पाए जाने वाले 90% परमाणु, िाइड्रोजन परमाणु िैं। ककसी भी
अन्य तत्व की तुलना में , िाइड्रोजन, सवातधधक योधगकों का एक घटक िोता िै ।
• प्
ृ वी पर पाए जाने वाले िाइड्रोजन का सवातधधक प्रचरु यौधगक ‘जल’ िै ।
• प्
ृ वी पर प्राकृततक रूप से पाए जाने वाले जल-तनकायों में आणववक िाइड्रोजन निीं पाया जाता िै ।
• प्
ृ वी पर अधधकांशताः िाइड्रोजन, जल और ऑतसीजन के साथ तथा जीववत या मत
ृ अथवा या जीवाश्म
जैवभार में , काबतन के साथ यक्ु ग्मत िोती िै । जल को िाइड्रोजन और ऑतसीजन के रूप में ववखंडित
करके िाइड्रोजन का तनमातण ककया जा सकता िै ।
िंिारण:
• िाइड्रोजन को भौततक रूप से अथवा गैस या तरल के रूप में संग्रिीत ककया जा सकता िै ।
• गैस के रूप में िाइड्रोजन का भंिारण करने िे तु आमतौर पर उच्च दाब वाले टैंक की आवश्यकता िोती
िै ।
• तरल के रूप में िाइड्रोजन का भंिारण करने के मलए क्रायोजेतनक तापमान की जरूरत िोती िै , तयोंकक
िाइड्रोजन का तवथनांक एक वायुमंिलीय दाब पर −252.8 ° C िोता िै ।
• िाइड्रोजन के मलए ठोस पदाथों की सति पर (adsorption / अधधशोषण द्वारा) अथवा ठोस पदाथों के
भीतर (absorption / अवशोषण द्वारा) संग्रिीत ककया जा सकता िै ।
ग्रीनहाउस गैस उत्सजभन को कम करने में स्िच्छ हाइड्रोजन उद्योगों की क्षमता:
• िाइड्रोजन ईंधन के उपयोग से उत्सक्जतत िोने वाला एकमात्र उप-उत्पाद ‘जल’ िोता िै – क्जस कारण यि
ईंधन 100 प्रततशत स्वच्छ िो जाता िै ।
• िाइड्रोजन को, शन्
ू य-उत्सजतन इलेक्तरक वािनों में ईंधन सेलों की शक्तत, घरे लू उत्पादन में इसकी क्षमता
और ईंधन सेलों की उच्च दक्षता क्षमताओं के कारण, एक वैकक्ल्पक ईंधन माना जाता िै ।
• वास्तव में , इलेक्तरक मोटर के साथ फ्यूल सेल/ ईंधन सेल, गैस-चामलत आंतररक दिन इंजन की तुलना
में दो से तीन गुना अधधक कुशल िै ।
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• इलेक्तरक मोटर के साथ ममलकर एक ईंधन सेल दो से तीन गुना अधधक कायतक्षम िोते िै ।
• िाइड्रोजन, आंतररक दिन इंजनों के मलए ईंधन के रूप में भी काम कर सकता िै ।
• 2.2 पाउं ि (1 ककलोग्राम) िाइड्रोजन गैस की ऊजात, 1 गैलन (6.2 पाउं ि/ 2.8 ककलोग्राम) गैसोलीन की ऊजात
के बराबर िोती िै ।
इस संबंध में ककये जा रहे प्रयास:
• िाल िी में , केंद्रीय बजट में ववत्त मंत्री द्वारा वषत 2020-21 के मलए औपचाररक रूप से ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन
ऊजात ममशन’ (NHM) की घोषणा की गई, क्जसका उद्दे श्य िररत ऊजात संसाधनों से िाइड्रोजन का
उत्पादन करना िै ।
• नवीन एवं नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय (MNRE) ने स्पष्ट्ट ककया िै कक ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन ऊजात ममशन’ के
मलए इस मिीने के अंत तक मसौदा तनयमों को अंततम रूप दे हदया जाएगा और इसके बाद मसौदा
तनयमों को मंबत्रमंिल के अनम
ु ोदन िे तु भेजा जाएगा।
िारत के समक्ष चुनौततयां:
1. िररत अथवा नीले िाइड्रोजन के तनष्ट्कषतण की आधथतक संधारणीयता, िाइड्रोजन का व्यावसातयक रूप से
दोिन करने के मलए उद्योगों के सामने भारी चुनौततयों में से एक िै ।
2. िाइड्रोजन के उपयोग तथा उत्पादन में प्रयुतत िोने वाली प्रौद्योधगकी, जैसेकक ‘काबतन कैतचर एंि स्टोरे ज
(CCS), अभी प्रारक्पभक चरण में िैं और काफी मिं गी िै , क्जससे िाइड्रोजन की उत्पादन-लागत काफी
अधधक िो जाती िै ।
3. ककसी संयंत्र के पूरा िोने के बाद ईंधन सेलों (fuel cells) की रखरखाव लागत काफी मिं गी िो सकती िै ,
जैसाकक दक्षक्षण कोररया में िै ।
4. ईंधन के रूप में और उद्योगों में िाइड्रोजन के व्यावसातयक उपयोग िे तु, िाइड्रोजन के उत्पादन, भंिारण,
पररविन और मांग तनमातण के मलए अनुसध
ं ान और ववकास में भारी तनवेश की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ के बारे में जानते िै ? इसके तया फायदे िैं?
स्रोत: पीआईबी।

2. विर्ेष आगथभक क्षेत्र (SEZ)


संदिभ:
सरकार द्वारा ववशेष आधथतक क्षेत्रों (Special Economic Zones - SEZ) के भीतर की खाली पिी िुई जमीन और
लगभग 30,000 करोड़ रुपये की लगत वाले ‘अप्रयुतत तनममतत क्षेत्र’ को अन्य आधथतक गततववधधयों के मलए छोड़ने
का प्रस्ताव ककया गया िै ।
आिश्यकता:
भारत के सकल तनयातत में , ‘ववशेष आधथतक क्षेत्रों’ (Special Economic Zones - SEZ) की हिस्सेदारी करीब 30
फीसदी िै । लेककन, 250 से अधधक ‘ववशेष आधथतक क्षेत्रों’ में तनममतत सुववधाओं में से लगभग 10 करोड़ वगत फुट
जगि खाली पिी िै । कीमत के हिसाब से, ₹3,000 प्रतत वगत फुट की दर से ₹30,000 करोड़ का ‘तनममतत क्षेत्र’
अप्रयुतत पड़ा िै , क्जसे ककसी अन्य कायों के मलए इस्तेमाल ककया जा सकता िै ।
‘विर्ेष आगथभक क्षेत्र’ (SEZ) क्या हैं?
ववशेष आधथतक क्षेत्र (एसईजेि), भौगोमलक रूप से ‘धचक्ह्नत’ ककए गए 'एन्तलेव' / ‘अंताः क्षेत्र’ िोते िैं, क्जनमें
व्यापार और व्यापार से संबधं धत तनयम और पद्धततयाँ, दे श के बाकी हिस्सों से अलग िोती िैं और इसमलए इन
क्षेत्रों में स्थावपत सभी इकाइयों को ववशेष सवु वधाएं प्रातत िोती िैं।

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SEZs का मूल ववचार इस त्य से उत्पन्न िोता िै , कक यद्यवप पूरी अथतव्यवस्था के बुतनयादी ढांचे और
व्यावसातयक वातावरण में नाटकीय रूप से 'रातोंरात' सुधार करना काफी मक्ु श्कल िो सकता िै , ककं तु ‘ववशेष
आधथतक क्षेत्रों’ (Special Economic Zones - SEZ) को काफी कम समय में तैयार ककया जा सकता िै और ये एक
'एन्तलेव' के रूप में इन समस्याओं को िल करने की हदशा में कुशलतापूवक
त कायत कर सकते िैं।
सेज (SEZ) अगधतनयम के मुख्य उद्दे श्य:
1. अततररतत आधथतक कायतकलाप का सज
ृ न
2. वस्तओ
ु ं एवं सेवाओं के तनयातत का संवधतन
3. घरे लू एवं ववेदेशी स्रोतों से तनवेश का संवद्तधन
4. रोजगार अवसरों का सज
ृ न
5. अवसंरचना सुववधाओं का ववकास
एसईजेि में सवु िधाएं और प्रोत्साहन:
1. सेज इकाइयों के ववकास, संचालन और रखरखाव िे तु आयात / माल की घरे लू खरीद पर शुल्क से छूट।
2. तनयातत से िोने वाली आय पर आयकर छूट
3. न्यूनतम वैकक्ल्पक कर (Minimum Alternate Tax - MAT) से छूट।
4. केंद्र और राज्य स्तर पर मंजूरी के मलए मसंगल ववंिो तलीयरें स।
ितभमान SEZs से संबगं धत समस्याएं:
• भारत में ववशेष आधथतक क्षेत्र (एसईजेि), कई अन्य दे शों में स्थावपत एसईजेि की तरि सफल निीं रिे
िैं। कई एमशयाई अथतव्यवस्थाओं, ववशेष रूप से चीन, कोररया, मलेमशया और मसंगापरु को इन क्षेत्रों से
बिुत लाभ िुआ िै ।
• भारत में नई पीढ़ी के अधधकांश एसईजेि तनयातत की बजाय करों से बचने के मलए स्थावपत ककए गए िैं।
केंद्रीय करों और राज्य द्वारा लगाए जाने वालों करों से छूट के रूप में , दी जाने वाली भारी राजकोषीय
ररयायते, िेवलपसत को एसईजेि बनाने के मलए आकवषतत करती िैं।
• भारत में अधधकांश औद्योधगक एसईजेि का प्रदशतन उनके तनधातररत स्तर से नीचे रिा िै , इसका मुख्य
कारण शेष अथतव्यवस्था के साथ इनके खराब संबंध रिे िैं। तटीय ‘ववशेष आधथतक क्षेत्रों’ के अपने भीतरी
इलाकों के साथ खराब संपकों की वजि से, ये क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में ववफल रिे
िैं।
• कई राज्यों में , केंद्रीय सेज अधधतनयम, राज्य-स्तरीय कानून से मेल निीं खाता िै , क्जसकी वजि से
‘मसंगल ववंिो मसस्टम’ अप्रभावी बना जाता िै ।
• एक सशतत नीतत तंत्र, कुशल कायातन्वयन और प्रभावी तनगरानी की कमी के कारण, SEZ के माध्यम से
औद्योगीकरण करने संबंधी भारत का प्रयास गंभीर रूप से संकट में पड़ गया िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
1. तया आप जानते िैं कक ‘ववशेष आधथतक क्षेत्र अधधतनयम’ वषत 2005 में पाररत ककया गया था? िालांकक, वषत
2000 से 2006 तक, भारत में ‘ववदे श व्यापार नीतत’ के तित एसईजेि कायतरत थे।
2. तया आप जानते िैं, कक भारत की मौजद
ू ा SEZ नीतत का अध्ययन करने के मलए वाणणज्य और उद्योग
मंत्रालय द्वारा बाबा कल्याणी की अध्यक्षता में एक सममतत का गठन ककया गया था? इसकी मसफाररशें
तया िैं?

स्रोत: द हिंद।ू

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3. ‘गतत र्म्क्त’ अिसंरचना योजना
संदिभ: स्वतंत्रता हदवस की पूवत संध्या पर प्रधानमंत्री नरें द्र मोदी द्वारा ‘गतत शक्तत’ अवसंरचना योजना (‘Gati
Shakti’ infrastructure plan) की घोषणा की गयी।
योजना के प्रमख
ु बबंद:ु
• ‘गतत शक्तत’ िमारे दे श के मलए एक ‘राष्ट्रीय अवसंरचना मास्टर तलान’ िोगी, जो दे श में समग्र
अवसंरचना की नींव रखेगी।
• 100 लाख करोड़ रुपये से अधधक की इस योजना से लाखों युवाओं को रोजगार के नए अवसर ममलेंगे।
• यि योजना, स्थानीय ववतनमातताओं के वैक्श्वक प्रोफाइल को ऊपर उठाने में मदद करे गी और उन्िें दतु नया
भर में अपने समकक्षों के साथ प्रततस्पधात करने में मदद करे गी।
• ‘गतत शक्तत’ योजना, भववष्ट्य में नए आधथतक क्षेत्रों की संभावनाओं को भी जन्म दे ती िै ।
नोट: इसी तरि की एक योजना, क्जसे ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ (National Infrastructure Pipeline– NIP)
किा जाता िै , की घोषणा पिले की जा चक
ु ी िै ।
राष्ट्रीय अिसंरचना पाइपलाइन के बारे में :
2019-20 के बजट भाषण में ववत्त मंत्री द्वारा अगले 5 साल में अवसंरचना पररयोजनाओं के मलए 100 लाख
करोड़ रुपये के व्यय की घोषणा की गयी थी।
1. NIP दे श भर में ववश्व स्तरीय बुतनयादी ढांचा उपलधध कराने और सभी नागररकों के जीवन की गुणवत्ता में
सध
ु ार की हदशा में अपनी तरि की एक अनठ
ू ी पिल िै ।
2. इससे पररयोजना की तैयारी में सुधार िोगा, तथा अवसंरचना में तनवेश (घरे लू और ववदे शी दोनों) आकवषतत
िोगा। साथ िी यि ववत्त वषत 2025 तक 5 हरमलयन िॉलर की अथतव्यवस्था बनने के लक्ष्य को िामसल
करने के मलए अिम िोगा।
3. NIP में आधथतक और सामाक्जक अवसंरचना पररयोजना दोनों को सक्पममलत ककया गया िै ।
टास्क फोसभ की ररपोटभ :
• मई 2020 में अतनु चक्रिती की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) पर एक कायत बल
(Task force) का गठन ककया गया था।
• उच्च स्तरीय कायत बल ने ववत्त वषत 2020-25 के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये के अनम
ु ातनत बतु नयादी
ढांचा तनवेश के साथ राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन पर एक अंततम ररपोटत जमा की थी।
ररपोटभ के प्रमुख बबंद ु तथा महत्िपूणभ लसफाररर्ें:
1. तनवेश की आवश्यकता: अवसंरचना पररयोजनाओं के तनमातण तथा आधथतक ववकास में वद्
ृ धध िे तु अगले
पांच वषों (2020-2025) में ₹ 111 लाख करोड़ का तनवेश।
2. कुल पररयोजनाओं में ऊजात, सड़क, रे लवे और शिरी क्षेत्रों की पररयोजनाएं सबसे अधधक िै , क्जन पर कुल
रामश का लगभग 70% व्यय अनुमातनत िै ।
3. इन पररयोजनाओं में केंद्र (39 प्रततशत) और राज्य (40 प्रततशत) की साझेदारी िोगी, जबकक तनजी क्षेत्र की
21 प्रततशत हिस्सेदारी िै ।
4. पररसंपवत्तयों की बबक्री िे तु आक्रामक रवैया।
5. अवसंरचना पररसंपवत्तयों का मुद्रीकरण।
6. ववकास ववत्त संस्थानों की स्थापना।
7. नगरपामलका बांि बाजार को मजबूत करना।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
तया आप ‘अवसरं चना तनवेश न्यास मॉिल’ (Infrastructure Investment Trust– InvIT) के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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4. राष्ट्रीय मद्र
ु ीकरण पाइपलाइन (NMP)
संदिभ: िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा आगामी चार साल की अवधध में बेची जाने वाली सरकार की अवसंरचना
पररसंपवत्तयों को सच
ू ीबद्ध करने के प्रयास में ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (National Monetisation pipeline -
NMP) का आरं भ ककया गया िै ।
प्रमुख बबंद:ु
चार-वषीय ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) के अंतगतत तनजी क्षेत्र को शाममल करके ‘सावतजतनक क्षेत्र की
मौजूदा (ब्राउनफील्ि) पररसंपवत्तयों’ में तनहित तनवेश के मूल्य को िामसल ककया जाएगा, इसके मलए ‘तनजी क्षेत्र’
को पररयोजनाओं में केवल अधधकारों का अंतरण ककया जाएगा, और उनके मलए ‘स्वाममत्व’ निीं हदया जाएगा।
कायभक्रम के घटक: सड़क, रे लवे और बबजली क्षेत्र की पररसंपवत्तयों में ‘कुल अनम
ु ातनत मल्
ू य’ की 66 प्रततशत से
अधधक पररसंपवत्तयों का मुद्रीकरण ककया जाएगा। इन क्षेत्रों में सड़क, बंदरगाि, िवाई अड्िे, रे लवे, वेयरिाउमसंग, गैस
और उत्पाद पाइपलाइन, बबजली उत्पादन, खनन, दरू संचार, स्टे डियम, िॉक्स्पटै मलटी और आवास शाममल िैं।
कायभक्रम का उद्दे श्य:
1. इस कायतक्रम का रणनीततक उद्दे श्य संस्थागत और दीघतकामलक पूंजी का उपयोग करके सावतजतनक क्षेत्र
की मौजद
ू ा (ब्राउनफील्ि) पररसंपवत्तयों में तनहित तनवेश के मल्
ू य को िामसल करना िै , क्जसे आगे
सावतजतनक तनवेश के मलए इस्तेमाल ककया जा सकता िै ।
2. इस पिल का मुख्य उद्दे श्य ‘मुद्रीकरण के माध्यम से अवसंरचना तनमातण’ को संभव बनाना िै , क्जसमें
क्षमता के मलिाज से अपने-अपने क्षेत्रों के उत्कृष्ट्ट सावतजतनक और तनजी क्षेत्र सियोग करें , क्जससे
सामाक्जक आधथतक ववकास को संभव बनाया जा सके और दे श के नागररकों की जीवन की गण
ु वत्ता में
सुधार िो सके।
कायभक्रम ढांचा:
• वततमान में , केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों और अवसंरचना से जुड़े केन्द्रीय उपक्रमों (central public
sector enterprises - CPSE) की पररसंपवत्तयों को शाममल ककया गया िै ।
• ववतनवेश के माध्यम से मुद्रीकरण और गैर-प्रमुख संपवत्तयों के मद्र
ु ीकरण को एनएमपी में शाममल निीं
ककया गया िै ।
प्रमुख पररसंपवत्तयों के मुद्रीकरण के ललए तीन मुख्य र्तें हैं:-

अनम
ु ातनत क्षमता:
अवसंरचना का तनमातण मुद्रीकरण से अतनवायत रूप से जुड़ा िुआ िै , इसे ध्यान में रखते िुए ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण
पाइपलाइन’ (NMP) के मलए समय तय ककया गया िै क्जससे ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ (NIP) के अंतगतत
शेष अवधध साथ-साथ समातत िो जाए।
चार साल की अवधध यानी ववत्त वषत 2022-25 के दौरान ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ के अंतगतत कुल संपवत्त
का अनम
ु ातनत मल्
ू य 6.0 लाख करोड़ रुपये िै ।
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वित्त िषभ 2022-25 के ललए क्षेत्र-िार मुद्रीकरण पाइपलाइन (करोड़ रुपये में ):

योजना का महत्ि:
पररसंपवत्त मुद्रीकरण को मसफत एक ववत्तपोषण से जुड़ी प्रकक्रया के रूप में निीं दे खा जाना चाहिए, बक्ल्क उसे तनजी
क्षेत्र की संसाधन क्षमता और उभरती वैक्श्वक एवं आधथतक वास्तववकताओं के अनरू
ु प खुद को गततशील रूप से
अनुकूमलत करने की उनकी क्षमता को ध्यान में रखते िुए बुतनयादी ढांचे के संचालन, उन्नयन और रख-रखाव में
समग्र बदलाव के रूप में दे खा जाना चाहिए।
• इस तरि के नए मॉिल न केवल ववत्तीय और रणनीततक तनवेशकों को बक्ल्क आम लोगों को भी इस
पररसंपवत्त वगत में भाग लेने में सक्षम बनाएंगे क्जससे तनवेश के नए रास्ते खुलेंगे।
• इसमलए, ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ दस्तावेज भारत के बुतनयादी ढांचे को वास्तव में ववश्व स्तरीय
बनाने की हदशा में एक मित्वपूणत कदम िै ।
‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ के समक्ष चुनौततयां:
1. ववमभन्न पररसंपवत्तयों में पिचान योग्य राजस्व स्रोतों का अभाव
2. गैस और पेरोमलयम पाइपलाइन नेटवकत में क्षमता उपयोग का स्तर
3. वववाद समाधान तंत्र
4. ववद्यत
ु क्षेत्र की आक्स्तयों में ववतनयममत प्रशल्
ु क
5. ‘फोर लेन’ से कम वाले राष्ट्रीय राजमागों में तनवेशकों की कम हदलचस्पी
6. स्वतंत्र क्षेत्रीय तनयामकों का अभाव
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आपने ‘प्रततपूरक ववत्त पोषण सुववधा’ (Compensatory Financing Facility - CFF) के बारे में
सुना िै ? इसके उद्दे श्य तया िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP)के बारे में
2. मुख्य ववशेषताएं
3. प्रयोज्यता
4. लाभ
में स ललंक: ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ पररयोजना के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

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विषय:ववज्ञान एवं प्रौद्योधगकी- ववकास एवं अनुप्रयोग और रोजमरात के जीवन पर इसका प्रभाव। ववज्ञान एवं
प्रौद्योधगकी में भारतीयों की उपलक्धधयाँ; दे शज रूप से प्रौद्योधगकी का ववकास और नई प्रौद्योधगकी का ववकास।
1. ‘िीप ओर्न लमर्न’
संदिभ: िाल िी में , सरकार द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, ‘िीप ओशन ममशन’ (Deep Ocean
Mission - DOM) के कायातन्वयन िे तु पांच वषत के मलए 4077 करोड़ रुपए का बजट आवंहटत ककया गया िै , और
वषत 2021 में िी इस ममशन के सभी घटक अपना कायत शुरू कर दें ग।े
िारत का ‘िीप ओर्न लमर्न’
यि ममशन, गिरे समद्र
ु में खनन, समद्र
ु ी जलवायु पररवततन संबंधी सलािकारी सेवाओं, अन्तजतलीय वािनों एवं
अन्तजतलीय रोबोहटतस संबध
ं ी प्रौद्योधगककयों पर केंहद्रत िोगा।
• इस अमभयान को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के मलए 5 वषत की अवधध की अनुमातनत लागत 4,077
करोड़ रुपए िोगी।
• इस बिु-संस्थागत मित्वाकांक्षी अमभयान को लागू करने िे तु पथ्
ृ िी विज्ञान मंत्रालय (MoES) नोिल
मंत्रालय िोगा।
लमर्न के प्रमख
ु घटक: इस गिरे समुद्र अमभयान में तनपनमलणखत छि प्रमुख घटक शाममल िैं:
1. गहरे समुद्र में खनन और मानियुक्त पनिुब्बी के ललए प्रौद्योगगककयों का विकास: तीन लोगों को समुद्र
में 6,000 मीटर की गिराई तक ले जाने के मलए वैज्ञातनक सेंसर और उपकरणों के साथ एक
मानवयुतत पनिुधबी ववकमसत की जाएगी। मध्य हिंद मिासागर में इस गिराई से पॉलीमेटेमलक
नोड्यूल्स के खनन के मलए एक एकीकृत खनन प्रणाली भी ववकमसत की जाएगी।
2. महासागर जलिायु पररितभन सलाहकार सेिाओं का विकास।
3. गहरे समुद्र में जैि विविधता की खोज और संरक्षण के ललए तकनीकी निाचार: सक्ष्
ू म जीवों सहित गिरे
समद्र
ु की वनस्पततयों और जीवों की जैव-पव
ू क्ष
े ण और गिरे समद्र
ु में जैव-संसाधनों के सतत उपयोग पर
अध्ययन करना।
4. गहरे समुद्र में सिेक्षण और अन्िेषण: इस घटक का प्राथममक उद्दे श्य हिंद मिासागर के मध्य-
मिासागरीय भागों के साथ बिु-धातु िाइड्रोथमतल सल्फाइि खतनज के संभाववत स्थलों का पता लगाना
और उनकी पिचान करना िै ।
5. महासागर से ऊजाभ और मीठा पानी: अपतटीय मिासागर थमतल ऊजात रूपांतरण (ओटीईसी) ववलवणीकरण
संयंत्र के मलए अध्ययन और ववस्तत
ृ इंजीतनयररंग डिजाइन तैयार करना।
6. महासागर जीिविज्ञान के ललए उन्नत समुद्री स्टे र्निः इस घटक का उद्दे श्य मिासागरीय जीव ववज्ञान
और इंजीतनयररंग में मानव क्षमता और उद्यम का ववकास करना िै । यि घटक ऑन-साइट बबजनेस
इन्तयूबेटर सुववधाओं के माध्यम से अनुसंधान को औद्योधगक अनुप्रयोग और उत्पाद ववकास में
पररवतततत करे गा।
महत्ि:
• यि ममशन भारत के ववशाल ववशेष आधथतक क्षेत्र और मिाद्वीपीय शेल्फ में अन्वेषण करने संबध
ं ी प्रयासों
को बढ़ावा दे गा।
• यि योजना भारत को मध्य हिंद मिासागर बेमसन (Central Indian Ocean Basin- CIOB) में संसाधनों का
दोिन करने की क्षमता ववकमसत करने में सक्षम बनाएगी।
संिािनाएं:
भारत को मध्य हिंद मिासागर बेमसन (CIOB) में पॉली-मेटैमलक नॉड्यूल्स (Polymetallic nodules- PMN) अन्वेषण
के मलये ‘संयुतत राष्ट्र सागरीय तनतल प्राधधकरण’ (UN International Sea Bed Authority for exploration) द्वारा
75,000 वगत ककलोमीटर का आवंटन ककया गया िै ।
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• मध्य हिंद मिासागर बेमसन क्षेत्र में लोिा, मैंगनीज, तनकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भण्िार िैं।
• अनुमातनत िै कक, इस ववशाल भण्िार के मात्र 10% दोिन से भारत की अगले 100 वषों के मलए ऊजात
आवश्यकताएं परू ी िो सकती िैं।
पॉली-मेटैललक नॉड्यूल्स (PMN)
• पॉली-मेटैमलक नॉड्यूल्स (क्जन्िें मैंगनीज नॉड्यूल्स भी किा जाता िै ) आलू के आकारनुमा तथा प्रायाः
तछद्रयुतत िोते िैं। ये ववश्व मिासागरों में गिरे समुद्र तलों पर प्रचुर मात्रा में बबछे िुए पाए जाते िैं।
• अवगठन: पॉली-मेटैमलक नॉड्यूल्स में मैंगनीज और लोिे के अलावा, तनकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा,
मोमलधिेनम, कैिममयम, वैनेडियम, टाइटे तनयम पाए जाते िै , क्जनमें से तनकल, कोबाल्ट और तांबा आधथतक
और सामररक मित्व के माने जाते िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ओ-स्माटत ’ (O-SMART) के बारे में जानते िैं? यि एक अपब्रेला योजना िै , क्जसका
उद्दे श्य सतत ववकास िे तु मिासागरों, समद्र
ु ी संसाधनों का ववतनयममत उपयोग करना िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘गिरे समुद्र में खनन’ तया िोता िै ?
2. PMN तया िैं?
3. मध्य हिंद मिासागर बेमसन (CIOB) की अवक्स्थतत
4. संयत
ु त राष्ट्र सागरीय तनतल प्राधधकरण के कायत
में स ललंक: भारत द्वारा शुरू ककए जाने वाले 'िीप ओशन ममशन' की आवश्यकता और मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: पीआईबी।

2. िंदे िारत एक्सप्रेस


संदिभ: भारतीय रे लवे द्वारा माचत 2024 तक 102 ‘वंदे भारत रे नों’ के संचालन की योजना तैयार की जा रिी िै ।
‘िंदे िारत एक्सप्रेस’ के बारे में :
• ‘रे न 18’ - क्जसे बाद में ‘वंदे भारत एतसप्रेस’ (Vande Bharat Express) नाम हदया गया िै - को भारत
सरकार की ‘मेक इन इंडिया पिल’ के तित इंटीग्रल कोच फैतरी, चेन्नई द्वारा तनममतत ककया गया िै ।
• इस रे न को 15 फरवरी 2019 को लॉन्च ककया गया था।
• इसे 160 ककमी प्रतत घंटे की पररचालन दक्षता के साथ भारत की पहली सेमी हाई-स्पीि रे न के रूप में
प्रदमशतत ककया गया था।
• अगस्त 2021 तक, भारतीय रे लवे द्वारा मात्र दो वंदे भारत रे नों का संचालन ककया जा रिा िै : एक
हदल्ली से वाराणसी और दस
ू री, हदल्ली से कटरा के मलए।
• वंदे भारत रे नें, स्व-चामलत "इंजन रहित" रे नों का समि
ू िैं।
• इनके तेज गतत से रफ़्तार पकड़ने और तीव्रता से धीमे िोने की क्षमता के पररणामस्वरूप ‘रे न यात्रा’ का
समय कम िो जाता िै ।
• इसकी कुछ यात्री अनुकूल विर्ेषताओं में , यूरोपीय शैली की सीटें , डिफ्यज
ू एलईिी लाइहटंग, जीपीएस
आधाररत इंफोटे नमेंट मसस्टम, मॉड्यूलर बायो-टॉयलेट, धूल मुतत वातावरण के मलए पूरी तरि से सील
गैंगवे, स्लाइडिंग फुटस्टे तस के साथ केंद्रीय रूप से तनयंबत्रत प्रवेश / तनकास दरवाजे, हदव्यांग अनुकूल
शौचालय और स्वचामलत स्लाइडिंग केबबन दरवाजे आहद शाममल िैं।
प्रीललभस और में स ललंक: वंदे भारत एतसप्रेस से संबंधधत प्रमुख त्य।
स्रोत: पीआईबी।

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विषय:सूचना प्रौद्योधगकी, अंतररक्ष, कंतयूटर, रोबोहटतस, नैनो-टै तनोलॉजी, बायो-टै तनोलॉजी और बौद्धधक संपदा
अधधकारों से संबंधधत ववषयों के संबंध में जागरुकता।
1. नासा का परलसिरें स रोिर
संदिभ: नासा के ‘परमसवरें स रोवर’ (NASA’s Perseverance rover) द्वारा मंगल ग्रि के ‘जेजेरो क्रेटर’ (Jezero
Crater) का अन्वेषण ककया जा रिा िै , और साथ िी यि, ग्रि की सति से चट्टानों का पिला नमूना एकत्र करने
का प्रयास कर रिा िै ।
यद्यवप, ‘परमसवरें स रोवर’ अपने पिले प्रयास के दौरान चट्टानों का कोई नमूना एकत्र करने में ववफल रिा था।
‘परलसिरें स रोिर’ के बारे में:
परमसवरें स रोवर (Perseverance rover) को, जुलाई 2020 में ‘यूनाइटे ि लॉन्च अलायंस एटलस V’ (Atlas V) से
लॉन्च ककया गया था।
लमर्न का महत्ि:
• परमसवरें स रोवर में MOXIE अथिा मासभ ऑक्सीजन ISRU एक्सपेररमें ट नामक एक ववशेष उपकरण लगा
िै , जो मंगल ग्रि पर काबतन-िाइऑतसाइि-समद्
ृ ध वातावरण से काबतन िाइऑतसाइि का उपयोग करके
पिली बार आणववक ऑतसीजन का तनमातण करे गा। (ISRU- In Situ Resource Utilization, अथातत स्व-
स्थातनक संशाधनो का उपयोग)
• इस ममशन पर एक, ‘इंजेन्यट
ु ी’ (Ingenuity) नामक एक िे लीकॉतटर भी भेजा गया िै , यि मंगल ग्रि पर
उड़ान भरने वाला पिला िेलीकॉतटर िोगा।
• यि ममशन, प्
ृ वी पर पररष्ट्कृत प्रयोगशालाओं में ववश्लेषण करने िे तु, मंगल ग्रि से चट्टान के नमूनों
को लाने का पिला तनयोक्जत प्रयास िै । इसका उद्दे श्य मंगल ग्रि पर प्राचीन सू क्ष्मजीवीय जीवन के
खगोलीय साक्ष्यों की खोज तथा वततमान या अतीत में जीवन-संकेतों की खोज करना िै ।
लमर्न के कुछ प्रमख
ु उद्दे श्य:
1. प्राचीन सू क्ष्मजीवीय जीवन के खगोलीय साक्ष्यों की खोज करना।
2. वापसी में प्
ृ वी पर लाने के मलए चट्टानों तथा रे गोमलथ (Reglolith) के नमूने एकत्र करना िै ।
3. मंगल ग्रि पर एक प्रयोगात्मक िे लीकातटर उतारना।
4. मंगल ग्रि की जलवायु और भूववज्ञान का अध्ययन करना।
5. भववष्ट्य के मंगल ममशनों के मलए प्रौद्योधगकी का प्रदशतन करना।
मंगल ग्रह के बारे में हाललया रुगच का कारण:
1. मंगल ग्रि, प्
ृ वी के काफी नजदीक (लगभग 200 मममलयन ककमी दरू ) पर क्स्थत िै ।
2. यि एक ऐसा ग्रि िै , क्जस पर मनष्ट्ु य, भ्रमण करने या अधधक समय तक रिने की इच्छा कर सकता
िै ।
3. मंगल ग्रि पर अतीत में बिता िुए पानी और वातावरण िोने के साक्ष्य ममले िैं; और संभवताः इस ग्रि
पर कभी जीवन के मलए उपयुतत क्स्थततयां भी मौजूद थी।
4. यि ग्रि, व्यावसातयक यात्रा के मलए भी उपयुतत िो सकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप मंगल ग्रि के वायुमंिल की संरचना के बारे में जानते िैं?
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

2. दक्षक्षण अफ्रीका द्िारा ‘कृबत्रम बुद्गधमत्ता प्रणाली’ को पेटेंट


संदिभ: िाल िी में , दक्षक्षण अफ्रीका द्वारा ववश्व में पिली बार, एक "आंमशक ज्याममतत पर आधाररत फ़ूि कंटे नर"
(food container based on fractal geometry) नवाचार से संबंधधत एक 'कृबत्रम बुद्धधमत्ता प्रणाली' (Artificial
Intelligence System) को पेटेंट प्रदान ककया गया िै ।
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यि नवाचार अथातत इनोवेशन, फ़ूि कंटे नरों की इंटरलॉककं ग से संबंधधत िै , और इसके द्वारा रोबोट इन कंटे नरों
को आसानी से पकड़ सकते िैं और क्रमबद्ध तरीके से लगा सकते िैं।
वििाद का विषय:
यि पेटेंट, ककसी इंसान की बजाय, DABUS नामक एक ‘आहटत कफमशयल इंटेमलजेंस (AI) मसस्टम’ को हदया गया िै ।
DABUS क्या है ?
DABUS का तात्पयत "डिवाइस फॉर ऑटोनोमस बट
ू स्रै वपंग ऑफ़ यूतनफाइि सेंटीएंस” (Device for the Autonomous
Bootstrapping of Unified Sentience - DABUS) िै ।
• DABUS, 'कृबत्रम बद्
ु धधमत्ता’ / ‘आहटत कफमशयल इंटेमलजेंस’ और प्रोग्राममंग के क्षेत्र में अग्रणी ‘स्टीफन थेलर’
(Stephen Thaler) द्वारा तनममतत ककया गया एक ‘आहटतकफमशयल इंटेमलजेंस (AI) मसस्टम’ िै ।
• यि मसस्टम, मनुष्ट्य के सोचने की प्रकक्रया की नक़ल करता िै और इसके आधार पर नए आववष्ट्कार
करने में सक्षम िै ।
• DABUS, एक ववशेष प्रकार का ‘आहटत कफमशयल इंटेमलजेंस’ (AI) मसस्टम िै , इसके मलए अतसर
"सज
ृ नात्मकता मशीन" (Creativity Machines) भी किा जाता िै , तयोंकक यि स्वतंत्र रूप से और जहटल
कायत करने में सक्षम िै ।
‘कक्रएहटविटी मर्ीन' क्या हैं?
‘सज
ृ नात्मकता मशीन' या ‘कक्रएहटववटी मशीन' आकंड़ो को संसाधधत करने और इनका गिन ववश्लेषण करने में
सक्षम िोती िैं, और ये मशीने इन आंकड़ों से सीख भी सकती िैं।
• इस प्रकक्रया को ‘मशीन लतनांग’ (Machine Learning) के रूप में जाना जाता िै ।
• ‘मशीन लतनांग’ चरण परू ा िो जाने के बाद, ये मशीनें बगैर ककसी मानवीय िस्तक्षेप के "स्वायत्त रूप से"
सज
ृ न करने में सक्षम िो जाती िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
• DABUS को आववष्ट्कारक के रूप में सूचीबद्ध करने िे तु, अमेररका, यूरोप, ऑस्रे मलया और दक्षक्षण अफ्रीका
सहित दतु नया भर के पेटेंट कायातलयों में एक पेटेंट आवेदन दायर ककया गया था।
• संयत
ु त राज्य अमेररका के ‘पेटेंट और रे िमाकत कायातलय’ और यरू ोपीय संघ के ‘पेटेंट कायातलय’ ने
औपचाररक परीक्षण चरण में िी इस आिेदन को खाररज कर हदया था।
दक्षक्षण अफ्रीका के इस कदम का विरोध क्यों ककया जा रहा है ?
ववशेषज्ञों द्वारा ववरोध के तीन कारण बताए गए िैं:
1. सबसे पिले, संबंधधत पेटेंट कानूनों के तित केवल मानव आववष्ट्कारकों के मलए पेटेंट हदया जाता िै , -
ककसी ‘आहटतकफमशयल इंटेमलजेंस’ (AI) को निीं।
2. दस
ू रा, ववचारों को पेटेंट हदया जाता िै , क्जसमे पेटेंट के प्रयोजनों के मलए, ‘मानमसक संकल्पना या ववचार’
का तत्व िोने की आवश्यकता िोती िै – जोकक केवल एक मानव-मक्ष्ट्तष्ट्क में िी उत्पन्न िो सकते िैं।
3. अंत में , आववष्ट्कारक का दजात हदए जाने साथ कुछ अधधकार भी हदए जाते िै , क्जनके मलए ‘आहटतकफमशयल
इंटेमलजेंस’ कानूनी रूप से रखने में सक्षम निीं िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. मशीन लतनांग तया िै ?
2. ‘कक्रएहटववटी मशीन' तया िैं?
3. DABUS तया िै ?
4. बौद्धधक संपदा (आईपी) तया िैं?
5. बौद्धधक संपदा अधधकारों के प्रकार

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में स ललंक: दक्षक्षण अफ्रीका द्वारा ‘कृबत्रम बुद्धधमत्ता प्रणाली’ को पेटेंट हदए जाने संबंधी नवीनतम कदम के
तनहिताथों पर हटतपणी कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. GSLV-F10 प्रक्षेपण और EOS-03 उपग्रह


संदिभ: िाल िी में , रॉकेट के क्रायोजेतनक ऊपरी चरण में खराबी आ जाने के कारण GSLV-F10 के साथ भेजे जाने
वाले एक ‘भ-ू प्रेक्षण उपग्रि’ EOS-03 का प्रक्षेपण असफल िो गया िै ।
‘जीएसएलवी-एफ10’, स्वदे श तनममतत क्रायोजेतनक इंजन के साथ ISRO की आठवीं उड़ान, GSLV की 14वीं उड़ान
और श्रीिररकोटा से 79 वां प्रक्षेपण था।
EOS-03 क्या है ?
1. ई.ओ.एस.-03 (EOS-3) अत्याधुतनक कुशल भ-ू प्रेक्षण उपग्रि (Earth Observation Satellite - EOS) िै , क्जसे
GSLV-F10 के द्वारा भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा (geo-synchronous orbit) में स्थावपत ककया जाना था।
2. यि उपग्रि प्
ृ वी का वास्तववक-समय प्रेक्षण एवं धचत्रण करने में सक्षम िै , क्जसका उपयोग प्राकृततक
आपदाओं, प्रासंधगक घटनाओं और ककसी भी अल्पकामलक घटनाओं की त्वररत तनगरानी के मलए ककया
जा सकता िै ।
3. इस उपग्रि को 10 वषत तक सेवा दे ने के मलए डिजाईन ककया गया था।
जीएसएलिी रॉकेट क्या है?
जीएसएलवी (GSLV) का तात्पयत ‘भ-ू समकामलक उपग्रि प्रक्षेपण यान’ (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle
- GSLV) िै ।
1. जीएसएलवी माकत II (GSLV Mark II), भारत द्वारा तनममतत सबसे बड़ा प्रक्षेपण यान िै ।
2. जैसा कक इसके नाम से पता चलता िै , यि प्
ृ वी की कक्षा के साथ समकामलक कक्षाओं में भ्रमण करने
वाले उपग्रिों को लॉन्च करने में सक्षम िै ।
3. यि 2,500 ककलोग्राम तक भार वाले उपग्रिों को प्रक्षेवपत कर सकता िै और GSLV के द्वारा उपग्रिों को
पिले, प्
ृ वी से तनकटतम दरू ी अथातत 170 ककमी, पर अंतरण कक्षाओं में प्रक्षेवपत ककया जाता िै , इसके
बाद उपग्रि को प्
ृ वी से अधधकतम दरू ी अथातत 35,975 ककमी पर क्स्थत भ-ू समकामलक कक्षा में
स्थावपत ककया जाता िै ।
PSLV और GSLV के मध्य अंतर:
वततमान में , भारत के पास दो प्रक्षेपण यान िैं: ‘ध्रुवीय उपग्रि प्रक्षेपण यान’ / ’पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल’
(PSLV) और ‘भू-तल्
ु यकाली उपग्रि प्रक्षेपण वािन’ / क्जयोमसंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल (GSLV)।
• PSLV को ‘प्
ृ वी की तनचली कक्षा में पररभ्रमण करने वाले उपग्रिों’ (low-Earth Orbit satellites) को ‘ध्रुवीय
एवं सय
ू त तल्
ु यकामलक कक्षाओं’ में प्रक्षेवपत करने के मलए ववकमसत ककया गया था। बाद में , इस राकेट ने,
भू-तुल्यकामलक, चंद्र यानों और अंतर-ग्रिीय अंतररक्ष यानों को सफलतापूवक
त प्रक्षेवपत करके अपनी
बिुमुखी उपयोग क्षमता साबबत की िै ।
• दस
ू री ओर, ‘भू-तल्
ु यकाली उपग्रि प्रक्षेपण वािन’ (GSLV), को इन्सैट श्रेणी के ‘भारी उपग्रिों’ को भ-ू
तुल्यकामलक कक्षाओं में लॉन्च करने के मलए ववकमसत ककया गया था। अपने तीसरे और अंततम चरण
में , जीएसएलवी में स्वदे शी रूप से ववकमसत ऊपरी चरण के क्रायोजेतनक का उपयोग उपयोग करता िै ।
िू-तुल्यकाललक एिं सूयभ तल्
ु यकाललक उपग्रहों में अंतर:
1. प्
ृ वी की सति से लगभग 36, 000 ककमी दरू पिुचने पर उपग्रि, प् ृ वी की उच्च कक्षा (High Earth
orbit) में प्रवेश करते करते िैं। इस कक्षा में उपग्रि, प्
ृ वी के घण
ू न
त के साथ समकामलक िो जाते िैं,

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क्जससे यि आभास िोता िै कक उपग्रि एक िी जगि या दे शांतर पर क्स्थर िै । इन उपग्रिों को ‘भ-ू
तुल्यकामलक’ / क्जयोमसंक्रोनस (Geosynchronous) किा जाता िै ।
2. क्जस तरि भ-ू समकामलक उपग्रिों का भम
ू ध्य रे खा पर एक स्थान तनक्श्चत िो जाता िै , क्जससे वे प्
ृ वी
से एक िी स्थान पर क्स्थर हदखायी दे ते िै , उसी तरि ध्रुवीय-पररक्रमा (polar-orbiting) करने वाले
उपग्रिों का भी एक स्थान तनक्श्चत िोता िै और ये भी एक स्थान पर हदखाई दे ते िै । इनकी कक्षा सूयत
तुल्यकामलक / सूय-त समकामलक (Sun-synchronous) िोती िै , अथातत इस कक्षा में क्स्थत उपग्रि जब भी
और जिाँ भी, भूमध्य रे खा को पार करता िै , प्
ृ वी पर स्थानीय सौर समय िमेशा एक समान िोता िै ।

इंस्टा म्जज्ञासु: ‘थ्री-स्टे ज िै वी मलफ्ट लॉन्च व्िीकल’ का तया अथत िै ? ववमभन्न चरणों में प्रयत
ु त िोने वाले ईंधन
कौन से िोते?
स्रोत: द हिंद।ू

4. संदललत आनुिंलर्क रूप से संर्ोगधत (GM) सोयाबीन के आयात की अनुमतत


संदिभ:
केंद्र सरकार ने संदमलत (crushed) आनुवंमशक रूप से संशोधधत / जीन संवद्तधधत (genetically modified)
सोयाबीन के आयात की अनुमतत दे ने का फैसला ककया िै । यि संदमलत सोयाबीन, पोल्री पक्षक्षयों के आिार का
एक प्रमुख घटक िोती िै ।
इस तनणभय की आिश्यकता:
वपछले िेढ़ साल में , कई ववपवत्तयों की वजि से पोल्री उद्योग को भारी क्षतत पिुँची िै ।
• जनवरी 2020 में एक झठ ू ी अफवाि फ़ैली, कक धचकन मांस खाने से कोववि-19 फैल सकता िै , क्जसकी
वजि से इसकी मांग में काफी कमी िो गई थी।
• एक साल बाद, ‘एववयन फ्ल’ू बीमारी की वजि से पोल्री उद्योग को काफी नक
ु सान िुआ, और इसके
बाद पोल्री-आिार की कीमतों में भारी वद्
ृ धध िुई।
• इसके अलावा, वपछले तीन-चार वषों में , सोया खाद्य औसतन ₹34 से 36/ककलोग्राम की कीमत पर ममल
रिा था। इस मिीने, इसकी कीमत बढ़कर ₹96 / ककलोग्राम तक िो गयी िै (सोया खाद्य, आिार में
मुख्य प्रोटीन घटक िोता िै)।

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गचंताएं / आलोचनाएं:
1. यि दे खते िुए, कक भारत की तनयामक प्रणाली द्वारा अभी तक ‘जीएम खाद्य पदाथों’ (GM foods) को
मंजरू ी निीं दी गयी िै , पयातवरण कायतकतातओं द्वारा ‘जीन संवधधतत’ पौधे से उत्पन्न ककसी खाद्य सामग्री
को मानव की आिार-श्रंखला में शाममल करने की अनुमतत दे ने पर धचंता व्यतत की गयी िै ।
2. इसके अलावा, ‘पयातवरण संरक्षण अधधतनयम’ के तित वषत 1989 के जारी ककए गए तनयम ‘जीन संवधधतत
जीवों’ के साथ-साथ उनके उत्पादों और पदाथों पर भी लागू िोते िैं।
जीन संिद्भगधत (Genetically Modified-GM) फसलें क्या हैं?
जीएम फसल, उन फसलों को किा जाता िै क्जनके जीन को वैज्ञातनक तरीके से रूपांतररत ककया जाता िै ।
• जेनेहटक इजीतनयररंग के जररये ककसी भी जीव या पौधे के जीन को अन्य पौधों में िालकर एक नई
फसल प्रजातत ववकमसत की जाती िै ।
• जीन संवद्तधधत फसल में , प्राकृततक रूप से परागण की बजाय कृबत्रम रूप से प्रववष्ट्ट कराए िुए जीन िोते
िैं।
िारत में जीएम फसलों के ललए अनुमोदन प्रकक्रया:
भारत में , जेनेहटक इंजीतनयररंग मूल्यांकन सममतत (Genetic Engineering Appraisal Committee -GEAC) ‘जीन
संवद्तधधत फसलों’ की वाणणक्ज्यक खेती की अनुमतत दे ने के मलए शीषत तनकाय िै ।
• GEAC क्षेत्र परीक्षण प्रयोगों सहित पयातवरण में आनव
ु ंमशक रूप से संवद्तधधत ककये गए जीवों और उत्पादों
को जारी करने संबंधी प्रस्तावों की मंजूरी के मलये भी उत्तरदायी िै ।
• अप्रमाणणत GM संस्करण का उपयोग करने पर पयातवरण संरक्षण अधधतनयम, 1989 के अंतगतत 5 साल
की जेल तथा 1 लाख रुपये का जम
ु ातना िो सकता िै ।
• भारत में आयाततत फसलों को ववतनयममत करने के मलए ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधधकरण’
(FSSAI) अधधकृत तनकाय िै।
िारत में जीएम सोयाबीन और सोयाबीन बीज की म्स्थतत:
भारत में जीएम सोयाबीन और कैनोला तेल के आयात की अनुमतत दी गयी िै । जीएम सोयाबीन के बीज के
आयात को भारत में अब तक मंजरू ी निीं ममली िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘पोल्री वेंचर कैवपटल फंि’ (PVCF) के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

5. कक्रप्टोकरें सी संबंधी विधेयक


संदिभ:
कक्रतटोकरें सी (Cryptocurrency) को ववतनयममत करने संबंधी प्रस्ताववत कानून को केंद्रीय मंबत्रमंिल के समक्ष पेश
ककया गया िै और इस पर मंबत्रमंिल की स्वीकृतत की प्रतीक्षा की आ रिी िै ।
कक्रप्टोकरें सी पर ितभमान म्स्थतत:
• कक्रतटोकरें सी मामले पर गहठत एक अंतर-मंत्रालयी सममतत द्वारा, भारत में राज्य द्वारा जारी ककसी भी
आभासी मुद्राओं को छोड़कर, सभी तनजी कक्रतटोकरें सी को प्रततबंधधत ककए जाने की मसफाररश की गयी िै ।
• भारतीय ररजवत बैंक (RBI) ने भी बाजार में कारोबार की जाने वाली कक्रतटोकरें सी पर धचंता जताई िै और
इस बारे में केंद्र के मलए अवगत कराया िै ।
• माचत 2020 में वापस, सुप्रीम कोटत ने बैंकों और ववत्तीय संस्थानों को आरबीआई द्वारा वषत 2018 में जारी
सकुतलर की उपेक्षा करते िुए कक्रतटोकरें सी से संबधं धत सेवाओं को बिाल करने की अनुमतत दी थी।
आरबीआई द्वारा कक्रतटोकरें सी को ("अनरू ु पता" के आधार पर) प्रततबंधधत कर हदया था।

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विधेयक का अिलोकन:
कक्रतटोकरें सी एवं आधधकाररक डिक्जटल मुद्रा ववतनयमन ववधेयक, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of
Official Digital Currency Bill, 2021) के तित सभी प्राइवेट कक्रतटोकरें सीज पर प्रततबंध लगाने तथा भारतीय ररजवत
बैंक (RBI) द्वारा ऑकफमशयल डिक्जटल करें सी जारी ककए जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
इस कानून के उद्दे श्य:
1. भारतीय ररजवत बैंक (RBI) द्वारा जारी आधधकाररक डिक्जटल मुद्रा िे तु सुववधाजनक ढांचा तैयार करना।
2. भारत में सभी प्राइवेट कक्रतटोकरें सीज को प्रततबंधधत करना।
‘कक्रप्टोकरें सी’ क्या हैं?
कक्रतटोकरें सी (Cryptocurrencies) एक प्रक्रार की
डिक्जटल करें सी िोती िै , जो कक्रतटोग्राफी के
तनयमों के आधार पर संचामलत और बनाई जाती
िै । कक्रतटोग्राफी का अथत को कोडिंग की भाषा को
सुलझाने की कला िै । यि एक इलेतरॉतनक कैश
मसस्टम िोता िै , क्जसमे ‘ककसी ववत्तीय संस्था के
बगैर एक पाटी द्वारा दस
ू री पाटी को ऑनलाइन
भग
ु तान ककया जाता िै ।
उदाहरण: बबटकॉइन, एथेररयम (Ethereum)आहद।

सरकार द्िारा कक्रप्टोकरें सी पर प्रततबंध लगाए जाने संबंधी कारण:


1. संप्रिु प्रत्यािूत (Sovereign guarantee): कक्रतटोकरें सी उपभोतताओं के मलए जोणखम उत्पन्न करती िै ।
इनके पास कोई सॉवरे न गारं टी / संप्रभु प्रत्याभूत निीं िोता िै और इसमलए ये वैध मुद्रा निीं िोती िैं।
2. बाजार में उतार-चढ़ाि (Market volatility): इनकी प्रत्यामशत प्रकृतत भी इन्िें अत्यधधक अक्स्थर बनाती
िै । उदािरण के मलए, बबटकॉइन का मूल्य हदसंबर 2017 में 20,000 अमेररकी िॉलर से धगरकर नवंबर
2018 में 3,800 अमेररकी िॉलर िो गया।
3. सुरक्षा जोखखम: यहद ककसी प्रकार से उपयोगकतात की अपनी तनजी कंु जी खो जाती िै (पारं पररक डिक्जटल
बैंककं ग खातों के ववपरीत, इसे पासवित रीसेट निीं ककया जा सकता िै) तो उपयोगकतात अपनी कक्रतटोकरें सी
तक पिुंच खो दे ता िै ।
4. मैलिेयर संबंधी धमकी: कुछ मामलों में , इन तनजी कंु क्जयों को तकनीकी सेवा प्रदाताओं (कक्रतटोकरें सी
एतसचें ज या वॉलेट) द्वारा संग्रिीत ककया जाता िै , जो मैलवेयर या िै ककं ग के प्रतत संवेदनशील िोते िैं।
5. मनी लॉक्न्ड्रंग।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
राष्ट्रीय सूचना ववज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा बेंगलुरु में धलॉकचेन प्रौद्योधगकी में उत्कृष्ट्टता केंद्र (Centre of
Excellence - CoE) की स्थापना की गई िै । तया आप जानते िैं कक यि कैसे काम करता िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

6. नई हदल्ली में विश्ि का दस


ू रा सबसे बड़ा निीकृत जीन बैंक
संदिभ: िाल िी में ‘राष्ट्रीय पादप आनुवंमशक संसाधन धयूरो’ (National Bureau of Plant Genetic Resources-
NBPGR), पस
ू ा, नई हदल्ली में ववश्व के दस
ू रे सबसे बड़े नवीकृत अत्याधतु नक राष्ट्रीय जीन बैंक का उद्घाटन
ककया गया िै ।

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‘जीन बैंक’ (Gene Banks) क्या होता हैं?
आपात क्स्थतत में लोग बैंकों में अपना पैसा जमा करके बचाते िैं। आनुवंमशक (जेनेहटक) बैंक, दल
ु भ
त पौधों और
जानवरों का संरक्षण करने िे तु कायत करने वाले ककसानों और वैज्ञातनकों के मलए इसी तरि के उद्दे श्य की पतू तत
करते िैं।
महत्ि:
1. शोधकतात या ककसान, दल
ु भ
त पौधों की ककस्मों और जानवरों की नस्लों की आबादी को दोबारा ववकमसत
करने में मदद करने िे तु या ववमभन्न प्रजाततयों में आनुवंमशक ववववधता को बढ़ाने में मदद करने िे तु
इन "जीन" बैंकों में रखे िुए नमन
ू े वापस ले सकते िैं।
2. जीन बैंक में असामान्य जीन वेररएंट वाली कोमशकाओं या जीवों अथातत ववशेष लक्षणों वाले जींस को भी
संरक्षक्षत करते िैं। बाद में यि जींस, ककसी मिामारी आने पर, जलवायु पररवततन की क्स्थतत में , या
ककन्िी अन्य कारकों द्वारा पौधों या जानवरों के अक्स्तत्व को संकट िोने पर उपयोगी साबबत िो सकते
िैं।
3. ककसान बैंक में जमा की गई ‘संग्रहित कोमशकाओं’ या ‘ऊतकों’ का उपयोग आनुवंमशक ववववधता को
बिाल करने या अपनी फसल में ककसी अन्य नस्ल या ककस्म के लक्षणों को पाने के मलए कर सकते िैं।
‘नेर्नल जीन बैंक’ (NGB) के बारे में :
• नेशनल जीन बैंक की स्थापना वषत 1996 में पादप आनव
ु ंमशक संसाधनों (Plant Genetic Resources
- PGR) के बीजों को भावी पीहढ़यों के मलये संरक्षक्षत करने िे तु की गई थी।
• इसमें बीजों के रूप में लगभग एक मममलयन जमततलाज़्म को संरक्षक्षत करने की क्षमता िै ।
• इसमें ववमभन्न फसल समि
ू ों जैसे अनाज, बाजरा, औषधीय और सग
ु ंधधत पौधों और नशीले पदाथों आहद
का भंिारण ककया जाता िै ।
• वततमान में , नेशनल जीन बैंक 4.52 लाख अनुवद्
ृ धधयों (accessions) को संरक्षक्षत कर रिा िै , क्जनमें
से 2.7 लाख भारतीय जमततलाज़्म िैं जबकक शेष अन्य दे शों से आयात ककए गए िैं।
‘नेर्नल जीन बैंक’ में दीघातवधध के साथ-साथ मध्यम अवधध के संरक्षण संबध
ं ी आवश्यकताओं को पूरा करने के
मलए चार प्रकार की सवु वधाएं िैं:
1. सीि जीन बैंक (- 18°C)
2. क्रायो जीन बैंक (-170°C से-196°C)
3. इन-ववरो जीन बैंक (25 डिग्री सेक्ल्सयस)
4. फील्ि जीन बैंक
जीन बैंक की आिश्यकता:
इससे दे श के ककसान आत्मतनभतर िोंगे और सरकार इस हदशा में िर संभव प्रयास कर रिी िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
1. तया आप जानते िैं कक राष्ट्रीय पादप आनव
ु ंमशक संसाधन धयरू ो (NBPGR) भारतीय कृवष अनस
ु ध
ं ान
पररषद (ICAR) के तनयंत्रण में कायत करता िै । ICAR के अधीन कायत करने वाले अन्य संस्थानों के बारे में
जातनए।
2. तया आप जानते िैं, कक नॉवे में क्स्थत ‘स्वालबाित ग्लोबल सीि वॉल्ट’ दतु नया का सबसे बड़ा बीज संग्रि
केंद्र िै ?

स्रोत: द हिंद।ू

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7. 'ऐततहालसक' परमाणु संलयन में सफलता
('Historic' Nuclear Fusion Breakthrough)
संदिभ: कैमलफ़ोतनतया के भौततकववदों ने फ़ुटबॉल के तीन मैदानों के आकार के लेजरों का उपयोग करके संलयन के
माध्यम से भारी मात्रा में ऊजात उत्पन्न करने में अभूतपूवत सफलता िामसल की िै ।
इस सफलता के बाद एक नए स्वच्छ ऊजात स्रोत के ववकास की आशा हदखाई दे ती िै ।
प्रयोग का कक्रयान्ियन एिं पररणाम:
• ववशेषज्ञों द्वारा, पिले की तुलना में आठ गुना अधधक ऊजात का मिा-ववस्फोट तनममतत करने के लगभग
200 लेजर बीम की अपनी ववशाल श्रंखला को एक छोटे से स्थान पर केंहद्रत ककया गया।
• िालांकक, प्रयोग में उत्पन्न ऊजात अत्याल्प समय - एक सेकंि के मसफत 100 हरमलयनवें हिस्से - के मलए
उत्पन्न की जा सकी, ककं तु वैज्ञातनक क्जतनी उजात का उपयोग कर रिे थे, उससे किीं अधधक ऊजात पैदा
करने में सक्षम थे।
इस प्रयोग में वैज्ञातनकों ने िाइड्रोजन के दो समस्थातनकों का प्रयोग ककया था, क्जससे ववशाल मात्रा में िीमलयम
उत्पन्न िुई।
संलयन क्या होता है और यह विखंिन से ककस प्रकार लिन्न होता है ?
• ‘परमाणु संलयन’ (Nuclear fusion) प्रकक्रया में बिुत कम अपमशष्ट्ट उत्पन्न िोता िै और इसमें ककसी
ग्रीनिाउस गैस का उत्सजतन भी निीं िोता िै , इसीमलये, इसे कुछ वैज्ञातनकों द्वारा भववष्ट्य की संभाववत
ऊजात माना जाता िै ।
• संलयन (Fusion), वततमान में परमाणु ऊजात संयंत्रों में उपयोग की जाने वाली तकनीक ‘परमाणु ववखंिन’
(Nuclear fission) से मभन्न िोती िै । ‘ववखंिन’(fission) प्रकक्रया में भारी परमाणु नामभक के बंध टूट
कर ऊजात तनमत
ुत त करते िैं।
• संलयन (Fusion), सूयत तथा अन्य तारों का ऊजात स्रोत िै । इन तारकीय तनकायों के केंद्र में अत्याधधक
ऊष्ट्मा तथा गरु
ु त्वाकषतण के कारण, िाइड्रोजन नामभक परस्पर टकराते िैं, इसके पररणामस्वरूप िाइड्रोजन
नामभक संलतयत िोकर भारी िीमलयम अणुओं का तनमातण करते िैं क्जससे इस प्रकक्रया में भारी मात्रा में
ऊजात तनमुत
त त िोती िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप चीन के 'कृबत्रम सूय'त प्रायोधगक संलयन ररएतटर के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. परमाणु संलयन बनाम परमाणु ववखंिन
2. संलयन और ववखंिन के उपोत्पाद
3. सूयत की ‘कोर’ के बारे में
4. अंतरातष्ट्रीय थमोन्यूक्तलयर प्रायोधगक ररएतटर (ITER) तया िै ?
में स ललंक: चीन द्वारा ववकमसत ककए जा रिे कृबत्रम सय
ू त के मित्व का वणतन कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

8. संिगधभत सोया खली / केक का आयात


(GM soya cake imports)
संदिभ:
सोयाबीन की बढ़ती कीमतों के साथ ‘पोल्री उद्योग’ में लागत बढ़ती जा रिी िै , इसे दे खते िुए िाल िी में , केंद्र
सरकार द्वारा 31 अतटूबर, 2021 तक 1.2 मममलयन मीहरक टन संदमलत और तेल मुतत जीन संवद्तधधत
(genetically modified) सोयाबीन की खली / केक के आयात की अनुमतत प्रदान की गयी िै ।

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आिश्यकता: सोयाबीन खाद्य, पोल्री उद्योग के मलए एक आवश्यक कच्चा माल िोता िै , लेककन वपछले कुछ
मिीनों में सोयाबीन की कीमतें दोगुनी से अधधक िो गई िैं। इसके अलावा, मछली, मांस और दध
ू जैसे प्रोटीन
स्रोतों में उच्च कीमतें दजत की गई िै ।
िारत में जीएम सोयाबीन और सोयाबीन बीज की म्स्थतत:
भारत में जीएम सोयाबीन और कैनोला तेल के आयात की अनुमतत दी गयी िै । जीएम सोयाबीन के बीज के
आयात को भारत में अब तक मंजूरी निीं ममली िै ।
निीनतम तनणभय से जुड़ी गचंताएं / आलोचनाएं:
3. यि दे खते िुए, कक भारत की तनयामक प्रणाली द्वारा अभी तक ‘जीएम खाद्य पदाथों’ (GM foods) को
मंजूरी निीं दी गयी िै , पयातवरण कायतकतातओं द्वारा ‘जीन संवधधतत’ पौधे से उत्पन्न ककसी खाद्य सामग्री
को मानव की आिार-श्रंखला में शाममल करने की अनुमतत दे ने पर धचंता व्यतत की गयी िै ।
4. इसके अलावा, ‘पयातवरण संरक्षण अधधतनयम’ के तित वषत 1989 के जारी ककए गए तनयम ‘जीन संवधधतत
जीवों’ के साथ-साथ उनके उत्पादों और पदाथों पर भी लागू िोते िैं।
िारत में जीएम फसलों के ललए अनुमोदन प्रकक्रया:
भारत में , जेनेहटक इंजीतनयररंग मूल्यांकन सममतत (Genetic Engineering Appraisal Committee -GEAC) ‘जीन
संवद्तधधत फसलों’ की वाणणक्ज्यक खेती की अनुमतत दे ने के मलए शीषत तनकाय िै ।
• GEAC क्षेत्र परीक्षण प्रयोगों सहित पयातवरण में आनव
ु ंमशक रूप से संवद्तधधत ककये गए जीवों और उत्पादों
को जारी करने संबंधी प्रस्तावों की मंजूरी के मलये भी उत्तरदायी िै ।
• अप्रमाणणत GM संस्करण का उपयोग करने पर पयातवरण संरक्षण अधधतनयम, 1989 के अंतगतत 5 साल
की जेल तथा 1 लाख रुपये का जम
ु ातना िो सकता िै ।
• भारत में आयाततत फसलों को ववतनयममत करने के मलए ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधधकरण’
(FSSAI) अधधकृत तनकाय िै।
‘जीन संिद्भगधत’ फसलें क्या हैं?
जीएम फसल (Genetically Modified-GM), उन फसलों को किा जाता िै क्जनके जीन को वैज्ञातनक तरीके से
रूपांतररत ककया जाता िै ।
• जेनेहटक इजीतनयररंग के जररये ककसी भी जीव या पौधे के जीन को अन्य पौधों में िालकर एक नई
फसल प्रजातत ववकमसत की जाती िै ।
• जीन संवद्तधधत फसल में , प्राकृततक रूप से परागण की बजाय कृबत्रम रूप से प्रववष्ट्ट कराए िुए जीन िोते
िैं।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
तया आप जानते िैं कक भारत में ‘बीटी कपास’ (Bt cotton) िी एकमात्र ‘आनुवंमशक रूप से संशोधधत’ फसल
(Genetically Modified- GM crop) िै , क्जसकी खेती के मलए अनुमतत दी गई िै । यि िबबतसाइि टॉलरें ट बीटी (Ht
Bt) कपास से ककस प्रकार मभन्न िोती िै ?
स्रोत: द हिंद।ू

9. तीन विर्ाल कृष्ट्ण-वििरों का विलय


(Merger of three jumbo black holes)
संदिभ:
िाल िी में , भारत में खगोल भौततकीववदों की एक टीम ने तीन मिा-ववशाल कृष्ट्ण-वववरों / धलैक िोल्स (Black
Holes) के परस्पर ववलय िोने की दल
ु भ
त घटना का पता लगाया िै ।

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महत्िपूणभ तथ्य:
• परस्पर ववलय िोने वाले तीनों धलैक िोल ‘टूकेन तारामंिल’ (Toucan constellation) में क्स्थत
आकाशगंगाओं का भाग थे।
• यि खोज, भारत की पिली अंतररक्ष वेधशाला ‘एस्रोसैट’ (ASTROSAT) पर लगे ‘पराबैंगनी इमेम्जंग
टे लीस्कोप’ (UltraViolet Imaging Telescope- UVIT), धचली में स्थावपत ‘वेरी लाजत टे लीस्कोप’ (VLT) पर
लगे MUSE नामक ‘यूरोपीय इंटीग्रल फील्ि ऑम्प्टकल टे लीस्कोप’ और दक्षक्षण अफ्रीका में स्थावपत
‘इंफ्रारे ि इमेज फ्रॉम ऑम्प्टकल टे लीस्कोप’ (IRSF) से प्रातत िेटा का उपयोग करके की गयी थी।
इस खोज से प्राप्त महत्िपण
ू भ सीख: तीसरे धलैक िोल की उपक्स्थतत, ‘अंततम पारसेक समस्या’ (Parsec Problem)
का समाधान करती िै ।
‘अंततम पारसेक समस्या’ क्या है ?
जब दो आकाशगंगाएँ परस्पर टकराती िैं, तो उनके धलैक िोल्स की गततज ऊजात आसपास की गैस में
स्थानांतररत िो जाती िै , और वे भी एक दस
ू रे के करीब आ जाते िैं।
समय के साथ धलैक िोल्स के बीच की दरू ी, लगभग ‘एक पारसेक’ (3.26 प्रकाश-वषत) रि जाने तक, घटती जाती
िै । इसके बाद दोनों धलैक िोल, एक दस
ू रे के और अधधक करीब आने और परस्पर ववलय िोने के मलए और
गततज ऊजात खोने में असमथत िो जाते िैं। इसे िी ‘अंततम पारसेक समस्या’ (Final Parsec Problem) के रूप में
जाना जाता िै ।
तीसरे ब्लैक होल की उपम्स्थतत इस समस्या का ककस प्रकार समाधान करती है ?
तीसरे धलैक िोल की उपक्स्थतत इस समस्या को िल कर सकती िै । जब कोई अन्य धलैक िोल या कोई तारा,
नजदीक आते दो धलैक िोल्स के करीब से िोकर गज
ु रता िै , तो वि दोनों धलैक िोल्स के संयत
ु त ‘कोणीय संवेग’
(Angular Momentum) का कुछ अंश अपनी ओर खींच लेता िै , क्जसकी वजि से दोनों धलैक िोल्स एक दस
ू रे के
करीब आ सकते िैं, और इस प्रकार, दोनों धलैक िोल्स, तीसरे धलैक िोल की उपक्स्थतत में परस्पर एक दस
ू रे में
ववलीन िो जाते िैं।
इस खोज का महत्ि:
अतीत में कई ‘सकक्रय आकाशगंगा केंद्रों’ / ‘सकक्रय गैलक्े तटक नामभक’ (Active Galactic Nuclei - AGN), अथातत
आकाशगंगा के केंद्र में क्स्थत मिा-ववशाल धलैक िोल, युग्मों का पता लगाया गया जा चुका िै , लेककन हरपल
एजीएन (triple AGN) अत्यंत दल
ु भ
त घटना िैं। एतस-रे प्रेक्षणों का उपयोग ककए जाने से पिले मात्र कुछ ‘सकक्रय
आकाशगंगा केंद्रों’ का िी पता चल सका था।
ब्लैक होल/ कृष्ट्ण वििर क्या होते है ?
धलैक िोल अंतररक्ष में पाए जाने ऐसे वपंि िोते िै , क्जनका घनत्व तथा गरु
ु त्वाकषतण बिुत अधधक िोता िै ।
अत्यधधक गरु
ु त्वाकषतण के कारण, कोई भी पदाथत अथवा प्रकाश इनके णखंचाव से बच निीं सकता िै । चकूं क,प्रकाश
इनसे िोकर निीं गुजर पाता िै , इसीमलये यि काले और अदृश्य िोते िै ।
• धलैक िोल के ककनारे पर क्स्थत सीमा को ‘घटना हदक मण्िल’ (Event Horizon) किा जाता िै । इस सीमा
के आगे जाने पर कोई भी प्रकाश या पदाथत वापस निीं लौट सकता, और उसे धलैक िोल द्वारा खींच
मलया जाता िै । इससे गुजरने के मलए, पदाथत की गतत ‘प्रकाश की गतत’ से तीव्र िोनी चाहिए, जो कक
असंभव िोती िै ।
• ‘घटना हदक मण्िल’ को पार करने वाला कोई भी पदाथत अतवा प्रकाश धलैक िोल के केंद्र में समाहित
िोकर अनंत घनत्व वाले एक बबंद ु में संकुधचत िो जाता िै , क्जसे मसंगलरु रटी (singularity) किा जाता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: आकाशगंगाओं के केंद्रों पर मिा-ववशाल धलैकिोल पाए जाते िैं, जो आकार में कई मममलयन सौर-
वपंिो के बराबर िोते िैं। इनके मलए ‘सकक्रय गैलेक्तटक नामभक’ (Active Galactic Nuclei) के रूप में जाना जाता
िै । इनके बारे में अधधक जानने िे तु पहढ़ए।
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प्रीललभस ललंक:
1. सामान्य सापेक्षता मसद्धांत (general theory of relativity) के बारे में ।
2. पिली गरु
ु त्वाकषतण तरं ग का पता कब लगाया गया था?
3. LIGO- ममशन के उद्दे श्य, वेधशालाएँ और ववत्त पोषण।
4. धलैक िोल के संदभत में ‘घटना हदक मण्िल’ तया िैं?
5. LIGO इंडिया- प्रस्ताववत स्थल, साझेदार और उद्दे श्य।
6. ववगो डिटे तटर किाँ क्स्थत िै ?
में स ललंक: लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेववटे शनल-वेव ऑधजवेटरी (LIGO) डिटे तटर के तनष्ट्कषों के मित्व तथा इसके
अनुप्रयोगों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:संरक्षण, पयातवरण प्रदष


ू ण और क्षरण, पयातवरण प्रभाव का आकलन।
1. िारत में तें दओ
ु ं की संख्या
संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय पयातवरण मंत्रालय द्वारा ‘तेंदओ
ु ं, सि-परभक्षक्षयों और शाकभक्षक्षयों की क्स्थतत - 2018’
(Status of Leopards, Co-predators and Megaherbivores-2018) शीषतक से एक ररपोटत जारी की गयी िै ।
यि ररपोटत 29 जुलाई, 2021 – ‘ववश्व बाघ हदवस’ पर जारी की गई।
ररपोटभ के अनुसार:
• भारत में आधधकाररक रूप से तें दओ ु ं की संख्या में वषत 2014-2018 के बीच 63 प्रततशत की वद् ृ धध िुई
िै । वषत 2018 में दे श में 12,852 तें दए
ु थे, जबकक वषत 2014 में इनकी संख्या मात्र 7,910 थी।
• अनुमातनत रूप से तेंदओ
ु ं की सवातधधक संख्या, मध्य प्रदे श (3,421) में िै , इसके बाद कनातटक (1,783) और
मिाराष्ट्र (1,690) का स्थान िै ।
‘तें दए
ु ’ (Leopard) के बारे में :
1. वैज्ञातनक नाम- पें थेरा पदत स
ु (Panthera pardus)
2. भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधधतनयम, 1972 की अनस
ु ूची- I में सूचीबद्ध
3. CITES के पररमशष्ट्ट- I में शाममल
4. IUCN रे ि मलस्ट में संवेदनशील (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध
5. तें दए
ु की नौ उप-प्रजाततयों को पिचान की जा चक
ु ी िै , और ये प्रजाततयाँ परू े अफ्रीका और एमशया में पाई
जाती िैं।
CA|TS मान्यता प्राप्त बाघ अियारण्य: सरकार द्वारा भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को ‘ग्लोबल कंजवेशन
एश्योित | टाइगर स्टैंिड्तस’ (CA|TS) की मान्यता प्रातत िोने के बारे में जानकारी दी गई िै । क्जन 14 बाघ
अभयारण्यों को CA|TS द्वारा मान्यता प्रदान की गयी िैं उनमे शाममल िै :
1. असम के मानस, काजीरं गा और ओरं ग,
2. मध्य प्रदे श के सतपुड़ा, कान्िा और पन्ना,
3. मिाराष्ट्र के पेंच,
4. बबिार में वाल्मीकक टाइगर ररजवत,
5. उत्तर प्रदे श के दध
ु वा,
6. पक्श्चम बंगाल के सुंदरबन,
7. केरल में परक्पबकुलम,
8. कनातटक के बांदीपुर टाइगर ररजवत और
9. तममलनािु के मद
ु म
ु लई और अनामलई टाइगर ररजवत
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कंजिेर्न एश्योिभ | टाइगर स्टैंिड्भस (CA|TS) क्या है ?
CA|TS को को टाइगर रें ज कंरीज (TRCs) के वैक्श्वक गठबंधन द्वारा मान्यता संबंधी उपकरण के रूप में स्वीकार
ककया गया िै और इसे बाघों एवं संरक्षक्षत क्षेत्र से जड़
ु े ववशेषज्ञों द्वारा ववकमसत ककया गया िै ।
• इसे आधधकाररक तौर पर वषत 2013 में लॉन्च ककया गया था।
• यि मानक लक्षक्षत प्रजाततयों के प्रभावी प्रबंधन के मलए न्यूनतम मानक तनधातररत करता िै और
प्रासंधगक संरक्षक्षत क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता िै ।
• CA|TS, ववमभन्न मानदं िों का एक सेट िै , जो बाघ से जुड़े स्थलों को इस बात को जांचने का मौका दे ता
िै कक तया उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव िोगा।
बाघ संरक्षण पर काम करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ (GTF), और वल्ित
वाइल्िलाइफ फंि इंडिया, भारत में CA|TS मूल्यांकन के मलए ‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधधकरण’ के दो कायातन्वयन
भागीदार िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक भारत में तेंदए
ु के मलए अलग से कोई जनगणना निीं की जाती िै ? प्रतत
चार वषत में ककया जाने वाले ‘बाघ सवेक्षण’ कैमरा-रै प छववयों के आधार पर तेंदओ
ु ं सहित अन्य जानवरों की
आबादी का भी अनुमान लगाया जाता िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. तें दए
ु की IUCN क्स्थतत
2. CITES तया िै?
3. तें दए
ु की उप-प्रजाततयां।
4. वन्यजीव संरक्षण अधधतनयम 1972 के तित ववमभन्न अनस
ु धू चयां।
5. भारत में बाघों की गणना ककसके द्वारा की जाती िै ?
6. IUCN की रे ि मलस्ट के तित ववमभन्न श्रेणणयां
में स ललंक:
भारत में तें दओ
ु ं की संख्या का आकलन करने िे तु एक अलग पशु-गणना तयों आवश्यक िै ? चचात कीक्जए।
स्रोत: िाउन टू अथत।

2. ‘नेट-जीरो’ काबभन लक्ष्य जलिायु पररितभन से तनपटने हे तु अपयाभप्त: ऑक्सफैम


संदिभ:
एक स्वतंत्र चैररटबल संगठन ‘ऑतसफैम’ (Oxfam) के अनुसार, ‘नेट-जीरो’ (Net-Zero) काबतन लक्ष्य, काबतन
उत्सजतन में कटौती को प्राथममकता दे ने की बजाय ‘िातनकारक ववकषतण’ (Dangerous Distraction) साबबत िो
सकते िैं। ववहदत िो कक, कई दे शों द्वारा नेट-जीरो’ काबतन लक्ष्य घोवषत भी ककए जा चुके िैं।
इसकी िजह:
1. ऑतसफैम’ द्वारा कुछ समय पूवत ‘टाईटतनंग द नेट’ शीषतक से जारी ररपोटत में किा गया िै , कक यहद
जलवायु पररवततन की चुनौती से केवल अधधक पेड़ लगाकर िी तनपटा जा सकता िै , तो वषत 2050 तक
दतु नया के अततररतत काबतन उत्सजतन को िटाने के मलए लगभग 1.6 बबमलयन िे तटे यर क्षेत्र में नए वन
लगाने की जरूरत िोगी।
2. इसके अलावा, इस तरि की ‘जमीन की भख
ू ी 'नेट जीरो' योजनाओं’ की वजि से वैक्श्वक खाद्य कीमतों
में 80 प्रततशत की वद्
ृ धध िो सकती िै , और अमीर दे शों और कॉरपोरे ट्स को "िमेशा की तरि गंदा
व्यापार" जारी रखने का अवसर ममलता रिे गा।

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जलिायु पररितभन से तनपटने हे तु विकल्प:
ग्लोबल वाममांग को 1.5 डिग्री सेक्ल्सयस से नीचे सीममत करने और जलवायु पररवततन से अपररवततनीय क्षतत को
रोकने िे त,ु संपण
ू त ववश्व को एक साथ ‘रै क’ पर आना चाहिए और वषत 2030 तक वषत 2010 के उत्सजतन-स्तर में
45 प्रततशत की कटौती करने का लक्ष्य तनधातररत ककया जाना चाहिए, क्जसमे सवातधधक उत्सजतन करने वाले दे शों
को सबसे अधधक कटौती करनी चाहिए।
‘नेट-जीरो’ लक्ष्य घोवषत करने िाले राष्ट्र:
1. वषत 2019 में न्यूजीलैंि सरकार द्वारा ‘जीरो काबतन अधधतनयम’ पाररत ककया गया और इसके तित दे श
को वषत 2050 तक ‘जीरो काबतन उत्सजतन’ का लक्ष्य िामसल करने करने िे तु प्रततबद्ध ककया गया।
2. बब्रटे न की संसद द्वारा एक कानून पाररत ककया गया िै , क्जसके तित सरकार को यूनाइटे ि ककं गिम में
ग्रीनिाउस गैसों के शुद्ध उत्सजतन को 100 प्रततशत तक कम करने का दातयत्व सौंपा गया िै ।
3. अमेररकी राष्ट्रपतत जो बबिेन द्वारा वषत 2030 तक दे श के ग्रीनिाउस गैस उत्सजतन में वषत 2005 के
स्तर से न्यूनतम 50 प्रततशत की कटौती करने की घोषणा की गयी िै ।
4. जलवायु पररवततन पर अतनच्छुक सियोधगयों को एक साथ लाने और वषत 2050 तक दे श में ‘नेट-जीरो’
काबतन उत्सजतन के लक्ष्य तक पिुंचने के साथ वषत 2019 में ‘िल्िभ िॉर जीरो’ की शरु
ु आत की गई।
5. यूरोपीय संघ की ‘कफट फॉर 55’ योजना: इसके तित, यूरोपीय आयोग ने अपने सभी 27 सदस्य दे शों को
अपने उत्सजतन में 2030 तक 1990 के उत्सजतन स्तर से 55 प्रततशत तक कटौती करने के मलए किा िै ।
6. चीन ने वषत 2060 तक ‘नेट-जीरो’ का लक्ष्य िामसल करने की घोषणा की िै और अपने उत्सजतन को वषत
2030 के स्तर तक सीममत करने की बात किी िै ।
िारत और ‘नेट-़िीरो’ लक्ष्य:
• अमेररका और चीन के बाद, िारत, ग्रीनहाउस गैसों का दतु नया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सजभक दे र् िै ,
और ‘नेट-जीरो’ लक्ष्य से बािर रिने वाला एकमात्र प्रमख
ु दे श िै ।
• भारत का तकत िै , कक ‘पेररस समझौते’ फ्रेमवकत से अलग नेट-जीरो लक्ष्यों पर समानांतर चचात शुरू करने
के बजाय, सभी दे शो को उन लक्ष्यों को पूरा करने पर ध्यान दे ना चाहिए, क्जनके मलए वे पिले से वादा
कर चक
ु े िै ।
िारत की गचंताएं:
चूंकक, भारत अपने दे श के लाखों लोगों को गरीबी से बािर तनकालने िे तु उच्च ववकास दर िामसल करने के मलए
प्रयास कर रिा िै , क्जसकी वजि से अगले दो से तीन दशकों में , भारत का उत्सजतन ववश्व में सवातधधक तेज गतत
से बढ़ने की संभावना िै । ककतना भी वनीकरण या पन
ु वतनीकरण इस उत्सजतन-वद्
ृ धध की भरपाई करने में सक्षम
निीं िोगा। इसके अलावा, काबतन-मत
ु त करने के मलए उपलधध अधधकांश प्रौद्योधगककयां अभी तक या तो
अववश्वसनीय िैं या बिुत मिं गी िैं।
‘नेट-़िीरो’ क्या है ?
‘नेट-जीरो’ (Net-Zero), क्जसे ‘काबतन-तटस्थता’ (carbon-neutrality) भी किा जाता िै , का मतलब यि निीं िै ,
कक कोई दे श अपने सकल उत्सजतन को शून्य तक ले जाएगा।
• बक्ल्क, ‘नेट-जीरो’ एक ऐसी म्स्थतत होती है , क्जसमें ककसी दे श के उत्सजतन को, ‘वायुमंिल से ग्रीनिाउस
गैसों के अवशोषण तथा तनराकरण’ के द्वारा क्षततपरू रत (compensated) ककया जाता िै ।
• उत्सजतन का अवशोषण करने में वद्
ृ धध करने िे तु अधधक संख्या में काबतन मसंक, जैसे कक जंगल, तैयार
ककये जा सकते िैं, जबकक वायम
ु ंिल से गैसों का तनराकरण करने अथवा तनष्ट्कामसत करने के मलए
काबतन कैतचर और भंिारण जैसी अत्याधुतनक तकनीकों की आवश्यकता िोती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आपने ‘काबतन मसंक’ के बारे में सुना िै ? कुल काबतन उत्सजतन का लगभग 25% समुद्र द्वारा
अवशोवषत ककया जाता िै , और यि ववश्व का सबसे बड़ा 'काबतन मसंक' बन जाता िै ।
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प्रीललभस ललंक:
1. ‘जलवायु नेताओं’ के मशखर सपमेलन के बारे में ।
2. नेट-जीरो तया िै ?
3. नेट-जीरो के मलए प्रततबद्ध दे श।
4. पेररस समझौते के बारे में ।
में स ललंक: ‘काबतन मसंक’ के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

3. ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हे तु िायु गुणित्ता आयोग’ विधेयक


संदिभ: िाल िी में , ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके तनकटवती क्षेत्रों में वायु गण
ु वत्ता प्रबंधन िे तु आयोग
ववधेयक, 2021’ (‘The Commission for Air Quality Management in National Capital Region and Adjoining Areas
Bill, 2021’) लोकसभा में पाररत कर हदया गया िै ।
ध्यान दें : िाल िी में , िम इस लेख को ववस्तार से कवर कर चुके िै । इस ववषय पर और कोई उल्लेखनीय
घटनाक्रम निीं िै । अताः इस ववधेयक के बारे में जानकारी िे तु कृपया इस मलंक को दे खें।

4. हागथयों और बाघों की गणना करने हे तु सामूहहक सिेक्षण


संदिभ:
िाल िी में , पयातवरण, वन और जलवायु पररवततन मंत्रालय द्वारा वषत 2022 में िाधथयों और बाघों की अणखल
भारतीय गणना का आकलन करने िे तु िोने वाली प्रकक्रया में अपनाए जाने वाले गणना अनुमान प्रोटोकॉल को
जारी ककया ककया गया िै ।
नए प्रोटोकॉल के अनुसार, भारत में एक ऐसी प्रणाली शरू
ु की जाएगी, क्जसमे ‘सामहू िक सवेक्षण’ के एक भाग के
रूप में िाधथयों और बाघों की गणना एक साथ की जाएगी।
नई विगध के लाि:
आमतौर पर, िाधथयों और बाघों की आबादी वाला 90% क्षेत्र एक िी िोता िै , इसे दे खते िुए जब आकलन
ववधधयों के मानदं ि तय िो जाएंगे, कफर ‘सामहू िक सवेक्षण’ ककए जाने से इनकी गणना पर िोने व्यय में काफी
बचत िो सकती िै ।
ितभमान में हागथयों और बाघों की गणना ककस प्रकार की जाती है?
वततमान में , ‘बाघ सवेक्षण’ आमतौर पर चार साल में एक बार िोता िै , और िाधथयों की धगनती पांच साल में एक
बार की जाती िै ।
1. पयातवरण मंत्रालय से संबद्ध ‘भारतीय वन्यजीव संस्थान’ (WII), दे िरादन
ू द्वारा, वषत 2006 में , बाघों की
गणना िे तु एक प्रोटोकॉल मानदं ि तैयार ककए गए थे। बाघों की संख्या का अनुमान लगाने के मलए,
राज्यों द्वारा इन मानदं िो का उपयोग ककया जाता िै । ‘कैमरा रै प’ और ‘अप्रत्यक्ष आकलन ववधधयों’
द्वारा दे खे जाने के आधार पर, बाघों की गणना की जाती िै ।
2. िाधथयों की गणना, मुख्य रूप से राज्यों पर तनभतर करती िै । िाल के वषों में , िाधथयों में जन्म दर और
जनसंख्या प्रववृ त्तयों का अनम
ु ान लगाने के मलए ‘िाधथयों की लीद के नमूनों का ववश्लेषण’ करने जैसी
तकनीकों को भी लागू ककया गया िै ।
दे र् में बाघ और हागथयों की संख्या:
सबसे नवीनतम 2018-19 के सवेक्षण के अनस
ु ार, भारत में बाघों की संख्या 2,997 थी। वषत 2017 में की गई
अंततम गणना के अनुसार भारत में िाधथयों की संख्या 29,964 थी।

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हागथयों और उनके गललयारों के संरक्षण के उद्दे श्य से अखखल िारतीय स्तर पर प्रयास:
• वषत 2017 में ववश्व िाथी हदवस के अवसर पर, िाधथयों की सुरक्षा िे तु एक राष्ट्रव्यापी अमभयान, ‘गज
यात्रा’ का आरं भ ककया गया था।
• इस अमभयान में िाथी रें ज के 12 राज्यों को शाममल करने की योजना िै ।
• इस अमभयान का उद्दे श्य अपने अहदवासों में मत
ु त आवागमन को प्रोत्साहित करने िे तु ‘िाथी गमलयारों’
के बारे में जागरूकता पैदा करना िै ।
मानि-हाथी संघषभ के प्रबंधन हे तु िन मंत्रालय के हदर्ा-तनदे र्:
1. िाधथयों को उनके प्राकृततक आवासों में रखने िे तु जल स्रोतों का तनमातण तथा जंगलों की आग को
तनयंबत्रत करना।
2. तममलनािु में िाधथयों के मलए अभेद्द्य खाइयाँ (Elephant Proof trenches) ।
3. कनातटक में लटकती बाड़ और छोटे -छोटे पत्थरों की दीवारें (Hanging fences and rubble walls)।
4. उत्तर बंगाल में ममचत के धुएं और असम में मधुमक्तखयों अथवा मांसािारी जीवों की आवाज का उपयोग।
5. प्रौद्योगगकी का उपयोग: दक्षक्षण बंगाल में िाधथयों की पिचान, और तनगरानी तथा िाधथयों की उपक्स्थतत
संबंधी चेतावनी िे तु एसएमएस अलटत भेजना।
इस संबंध में तनजी संगठनों के प्रयास:
• एलर्याई हाथी गठबंधन (Asian Elephant Alliance), पाँच NGO की एक संयत
ु त छाता पिल िै । इसकी
स्थापना, वपछले साल, भारत के 12 राज्यों में िाधथयों द्वारा उपयोग ककए जाने वाले 101 मौजद
ू ा
गमलयारों में से 96 को सुरक्षक्षत करने के मलए की गयी थी।
• NGO िाथी पररवार, अंतरातष्ट्रीय पशु कल्याण कोष, IUCN नीदरलैंि और ववश्व भमू म रस्ट द्वारा भारतीय
वन्यजीव रस्ट (WTI) के साथ ममलकर ‘िाथी कोररिोर’ संरक्षण िे तु कायत ककया जा रिा िै ।
‘एलर्याई हागथयों’ के बारे में :
1. संकटग्रस्त प्रजाततयों की IUCN रे ि मलस्ट में एमशयाई िाधथयों को "लुततप्राय" के रूप में सूचीबद्ध ककया
गया िै ।
2. ववश्व की 60% से अधधक िाथी आबादी भारत में िै ।
3. िाथी भारत का प्राकृततक ववरासत पशु िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 1992 में भारत सरकार के पयातवरण और वन मंत्रालय द्वारा जंगली
एमशयाई िाधथयों की आबादी िे तु ‘वन्यजीव प्रबंधन’ प्रयासों के मलए, राज्यों को ववत्तीय और तकनीकी सिायता
प्रदान करने के मलए ‘प्रोजेतट िाथी’ शुरू ककया गया था?
तया आपने एमशयाई िाथी ववशेषज्ञ समि
ू (Asian Elephant Specialist Group) के बारे में सन
ु ा िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. एमशयाई िाथी की IUCN संरक्षण क्स्थतत
2. भारत में िाथी गमलयारे ।
3. िाधथयों का प्रजनन काल
4. भारत का ववरासत पशु
5. गज यात्रा के बारे में
6. िाथी झुंि का नेतत्ृ व ककसके द्वारा ककया जाता िै ?
7. भारत में िाधथयों की सवातधधक आबादी वाला राज्य
में स ललंक: पयातवरण मंत्रालय द्वारा मानव-िाथी संघषत के प्रबंधन के मलए सझ
ु ाए गए उपायों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

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5. आईपीसीसी की छठी आकलन ररपोटभ (AR6)
संदिभ: िाल िी में , जलवायु पररवततन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change -
IPCC) द्वारा ‘तलाइमेट चेंज 2021: द कफक्जकल साइंस’ शीषतक से अपनी ‘छठी आकलन ररपोटत ’ (Sixth
Assessment Report - AR6) जारी की गयी िै ।
इस ररपोटत को तैयार करने में कई भारतीय वैज्ञातनकों ने भाग मलया िै ।
‘छठी आकलन ररपोटभ ’ (AR6) क्या है?
जलवायु पररवततन पर संयत
ु त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की छठी आकलन ररपोटत (AR6), जलवायु
पररवततन से संबंधधत िैज्ञातनक, तकनीकी और सामाम्जक-आगथभक जानकारी का आकलन करने के उद्दे श्य से
तैयार की जाने वाली ररपोटों की एक श्रंख
ृ ला में छठी ररपोटत िै ।
• यि ररपोटत अतीत, वततमान और भववष्ट्य की जलवायु का अवलोकन करते िुए जलवायु पररवततन की
भौततकी का आंकलन करती िै ।
• इस ररपोटत में , मानव-जतनत उत्सजतन की वजि से िमारे ग्रि में िोने वाले पररवततन और िमारे सामहू िक
भववष्ट्य के मलए इसके तनहिताथों के बारे में बताया गया िै ।
छठी आकलन ररपोटभ (AR6) के प्रमुख बबंद:ु
• मौसम और जलिायु संबंधी घटनाएं - जलवायु पररवततन के कारण, अत्यधधक गमी, भारी वषात, आग लगने
की क्स्थतत और सख
ू ा, जैसी मौसम और जलवायु संबध
ं ी घटनाएं अधधक गंभीर और तनयममत िोती जा
रिी िैं।
• ररपोटत के अनुसार, िम पिले से िी 1.5 डिग्री सेक्ल्सयस तक वैक्श्वक उष्ट्मन के करीब पिुंच चक
ु े िैं, और
िर हदन िोने रिे उत्सजतन से, जलवायु पररवततन के सवातधधक खतरनाक प्रभावों को टालने की संभावनाएं
धंध
ु ली िोती जा रिी िैं।
• सभी ग्रीनिाउस गैस उत्सजतन पररदृश्यों में , काबभन िाइऑक्साइि, ग्लोबल वाममांग का प्रमुख कारण रिा िै
और रिे गा।
• ररपोटत में किा गया िै , कक यहद ग्रीनिाउस गैसों का उत्सजतन - वषत 2030 तक आधा और वषत 2050 तक
शून्य िो जाए - तो ग्लोबल वाममांग को रोका जा सकता िै ।
• साथ िी, आईपीसीसी की ररपोटत भारत की इस दृक्ष्ट्टकोण की पक्ु ष्ट्ट करती िै , कक आज ववश्व क्जस
जलवायु संकट का सामना कर रिा िै , उसका स्रोत ऐततिामसक रूप से वद्
ृ धधमान उत्सजतन िै ।
प्रमुख गचताएं: ररपोटत में इस बात पर प्रकाश िाला गया िै कक मानव-जतनत कारत वाहियों के कारण िमारी जलवायु
तेजी से बदल रिी िै और पिले से िी िमारे ग्रि में व्यापक पररवततन कर चक
ु ी िै -
• आकतहटक में सागरीय हिम 150 से अधधक वषों में अपने सबसे तनचले स्तर पर िै;
• वपछले 3,000 वषों की अवधध में ककसी भी समय-काल की तुलना में , समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ रिा िै ;
तथा
• वपछले 2,000 वषों की अवधध की तुलना में , वततमान में ‘ग्लेमशयर’ अभूतपूवत दर से घटते जा रिे िैं।
आिश्यकता:
• इस समय सबसे बड़ी जरूरत यि िै , कक सभी दे श - ववशेष रूप से प्रमख
ु अथतव्यवस्थाएं – 2020 के इस
मित्वपूणत दशक के दौरान अपनी भूममका तनभाएं ताकक वैक्श्वक तापमान 1.5 डिग्री सेक्ल्सयस तक
सीममत रखने का लक्ष्य िामसल करने िे तु, ववश्व को सिी मागत पर रखा जा सके।
• इसी वजि से, संयुतत राज्य अमेररका द्वारा वषत 2030 तक अपने उत्सजतन में वषत 2005 के स्तर से 50-
52 प्रततशत तक कटौती करने संबंधी प्रततबद्धता व्यतत की गयी िै और जलवायु संकट से तनपटने के
मलए पूरी संघीय सरकार को तैयार कर रिा िै ।

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• ग्लासगो में िोने वाले 26िें संयुक्त राष्ट्र जलिायु पररितभन सभमेलन (COP26) की तैयारी के बीच, यि
ररपोटत िमें इस बात की याद हदलाती िै , कक िमें ववज्ञान-आधाररत कारत वाईयों के मलए कदम उठाना
चाहिए।
• वततमान में , ववश्व के नेताओं, तनजी क्षेत्र और व्यक्ततयों को, तत्काल रूप से, एक साथ कायत करने की
आवश्यकता िै , तथा इस दशक और उसके बाद, िमारे ग्रि और िमारे भववष्ट्य की सुरक्षा के मलए जो
कुछ भी जरूरी िै वि करने की जरूरत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक IPCC की स्थापना संयुतत राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम (UNEP) और ववश्व
मौसम ववज्ञान संगठन (WMO) द्वारा की गई थी? इसके कायत तया िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

6. राष्ट्रीय हाइड्रोजन लमर्न


संदिभ:
िाल िी में , प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन ममशन’ (National Hydrogen Mission) का शुभारं भ करने
की घोषणा की गयी िै । इसका उद्दे श्य, भारत को िररत िाइड्रोजन के उत्पादन और तनयातत िे तु एक वैक्श्वक केंद्र
बनाना िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
वषत 2021 के केंद्रीय बजट में ववत्त मंत्री द्वारा औपचाररक रूप से ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन ऊजात ममशन’ (NHM) को शुरू
करने की घोषणा की गयी थी, क्जसका उद्दे श्य दे श को ‘िररत ऊजात संसाधनों से िाइड्रोजन का उत्पादन’ करने में
सक्षम बनाना िै ।
‘हाइड्रोजन ईंधन’ क्या है ?
िाइड्रोजन, आितभ सारणी में सबसे हल्का और पहला तत्ि िै । चूंकक, िाइड्रोजन का भार, िवा के भार से कम
िोता िै , इसमलए यि वायुमि
ं ल में ऊपर की ओर उठ कर फ़ैल जाता िै और यिी कारण िै , कक इसे अपने र्ुद्ध
रूप ‘H2’ में मक्ु श्कल से िी कभी पाया जाता िै ।
• मानक ताप और दाब पर, िाइड्रोजन, एक गैर-ववषातत, अधाक्त्वक, गंधिीन, स्वादिीन, रं गिीन और
अत्यगधक दहनर्ील द्विपरमाणुक गैस िै ।
• िाइड्रोजन ईंधन, ऑतसीजन के साथ दिन करने पर ‘शून्य-उत्सजतन’ करने वाला ईंधन िै । इसका उपयोग
ईंधन सेलों अथिा आंतररक दहन इंजनों में ककया जा सकता है । अंतररक्ष यान प्रणोदनों (spacecraft
propulsion) के मलए ईंधन के रूप में भी िाइड्रोजन का उपयोग ककया जाता िै ।
हाइड्रोजन की उत्पवत्त:
• यि ब्रह्मांि में पाया जाने वाला सबसे प्रचुर तत्व िै । सूयत और अन्य तारे , व्यापक रूप से िाइड्रोजन से
तनममतत िोते िैं।
• खगोलववदों का अनुमान िै , कक ब्रह्मांि में पाए जाने वाले 90% परमाणु, िाइड्रोजन परमाणु िैं। ककसी भी
अन्य तत्व की तुलना में , िाइड्रोजन, सवातधधक योधगकों में एक घटक के रूप में शाममल िोता िै ।
• प्
ृ वी पर उपक्स्थत िाइड्रोजन का, सवातधधक मात्रा में पाया जाने वाला यौधगक ‘जल’ िै ।
• प्
ृ वी पर प्राकृततक रूप से पाए जाने वाले जल-तनकायों में आणववक िाइड्रोजन निीं पाया जाता िै ।
• प्
ृ वी पर अधधकांशताः िाइड्रोजन, जल और ऑतसीजन के साथ तथा जीववत या मत
ृ अथवा या जीवाश्म
जैवभार में , काबतन के साथ युक्ग्मत िोती िै ।
• जल को िाइड्रोजन और ऑतसीजन के रूप में ववखंडित करके िाइड्रोजन का तनमातण ककया जा सकता िै ।

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िंिारण:
• िाइड्रोजन को भौततक रूप से अथवा गैस या तरल के रूप में संग्रिीत ककया जा सकता िै ।
• गैस के रूप में िाइड्रोजन का भंिारण करने िे तु आमतौर पर उच्च दाब वाले टैंक की आवश्यकता िोती
िै ।
• तरल के रूप में िाइड्रोजन का भंिारण करने के मलए क्रायोजेतनक तापमान की जरूरत िोती िै , तयोंकक
िाइड्रोजन का तवथनांक एक वायुमंिलीय दाब पर −252.8 ° C िोता िै ।
• िाइड्रोजन के मलए ठोस पदाथों की सति पर (adsorption / अधधशोषण द्वारा) अथवा ठोस पदाथों के
भीतर (absorption / अवशोषण द्वारा) संग्रिीत ककया जा सकता िै ।
ग्रीनहाउस गैस उत्सजभन को कम करने में ‘स्िच्छ हाइड्रोजन उद्योग’ की क्षमता:
• िाइड्रोजन ईंधन के उपयोग से उत्सक्जतत िोने वाला एकमात्र उप-उत्पाद ‘जल’ िोता िै – क्जस कारण यि
ईंधन 100 प्रततशत स्वच्छ िो जाता िै ।
• िाइड्रोजन को, शून्य-उत्सजतन इलेक्तरक वािनों में ईंधन सेलों की शक्तत, घरे लू उत्पादन में इसकी क्षमता
और ईंधन सेलों की उच्च दक्षता क्षमताओं के कारण, एक वैकक्ल्पक ईंधन माना जाता िै ।
• वास्तव में , इलेक्तरक मोटर के साथ फ्यूल सेल/ ईंधन सेल, गैस-चामलत आंतररक दिन इंजन की तुलना
में दो से तीन गुना अधधक कुशल िै ।
• इलेक्तरक मोटर के साथ ममलकर एक ईंधन सेल दो से तीन गन
ु ा अधधक कायतक्षम िोते िै ।
• िाइड्रोजन, आंतररक दिन इंजनों के मलए ईंधन के रूप में भी काम कर सकता िै ।
• 2.2 पाउं ि (1 ककलोग्राम) िाइड्रोजन गैस की ऊजात, 1 गैलन (6.2 पाउं ि/ 2.8 ककलोग्राम) गैसोलीन की ऊजात
के बराबर िोती िै ।
नीततगत चुनौततयां:
5. िररत अथवा नीले िाइड्रोजन के तनष्ट्कषतण की आधथतक संधारणीयता, िाइड्रोजन का व्यावसातयक रूप से
दोिन करने के मलए उद्योगों के सामने भारी चुनौततयों में से एक िै ।
6. िाइड्रोजन के उपयोग तथा उत्पादन में प्रयुतत िोने वाली प्रौद्योधगकी, जैसेकक ‘काबतन कैतचर एंि स्टोरे ज
(CCS), अभी प्रारक्पभक चरण में िैं और काफी मिं गी िै , क्जससे िाइड्रोजन की उत्पादन-लागत काफी
अधधक िो जाती िै ।
7. ककसी संयंत्र के पूरा िोने के बाद ईंधन सेलों (fuel cells) की रखरखाव लागत काफी मिं गी िो सकती िै ,
जैसाकक दक्षक्षण कोररया में िै ।
8. ईंधन के रूप में और उद्योगों में िाइड्रोजन के व्यावसातयक उपयोग िे तु, िाइड्रोजन के उत्पादन, भंिारण,
पररविन और मांग तनमातण के मलए अनस
ु ध
ं ान और ववकास में भारी तनवेश की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िै , कक ‘िाइड्रोजन तनष्ट्कषतण’ के कई तरीके िोते िैं और ववधध के आधार पर
उत्पाहदत िाइड्रोजन को 'ग्रे', 'धलू' या 'ग्रीन' िाइड्रोजन के रूप में वगीकृत ककया जाता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

7. रामसर सूची में िारत के चार और आद्रभ स्थल र्ालमल


संदिभ:
िाल िी में , भारत की चार और आद्रत भमू मयों (Wetlands) को ‘रामसर अमभसमय’ (Ramsar Convention) के तित
अंतरराष्ट्रीय मित्व के आद्रतभूमम के रूप में मान्यता दी गई िै । इसके साथ िी भारत में रामसर स्थलों की संख्या
46 िो गई िै और इन स्थलों से आच्छाहदत सति क्षेत्र अब 1,083,322 िे तटे यर िो गया िै ।

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नए आद्रभ -स्थलों में र्ालमल हैं:
1. सुल्तानपरु राष्ट्रीय उद्यान, हररयाणा: यि उद्यान पक्षक्षयों, शीतकालीन प्रवासी और स्थानीय प्रवासी
जलपक्षक्षयों की 220 से अधधक प्रजाततयों की उनके अपने जीवन चक्र के मित्वपण
ू त चरणों में आश्रय दे कर
संभरण करता िै । इनमें से दस से अधधक प्रजाततयाँ ववश्व स्तर पर खतरे में आ चुकी िैं, क्जनमें
अत्यधधक संकट में लतु तप्राय िोने की कगार पर आ चुके ममलनसार हटटिरी (लैपववंग) और लुततप्राय
ममस्र के धगद्ध, सेकर फाल्कन, पलास की मछली(कफश) ईगल और धलैक-बेमलि टनत शाममल िैं।
2. लिंिािास िन्यजीि अियारण्य, हररयाणा: यि मानव तनममतत मीठे पानी की आद्रतभूमम िै । यि इस प्रकार
की िररयाणा की सबसे बड़ी आद्रत भमू म िै ।
3. थोल, गज
ु रात: गुजरात की थोल झील वन्यजीव अभयारण्य पक्षक्षयों के मध्य एमशयाई उड़ान मागत
(फ्लाईवे) पर क्स्थत िै और यिां 320 से अधधक पक्षी प्रजाततयां पाई जा सकती िैं। यि आद्रत भूमम
अत्यधधक संकट-ग्रस्त लतु तप्राय सफेद-पंख वाले धगद्ध और ममलनसार हटटिरी (लैपववंग) और संकटग्रस्त
सारस बगुले (क्रेन), बत्तखें (कॉमन पोचाित) और िल्के सफ़ेद िं स (लेसर व्िाइट-फ्रंटे ि गूज), जैसे 30 से
अधधक संकटग्रस्त जलपक्षी प्रजाततयों की शरण-स्थली भी िै ।
4. िाधिाना, गज
ु रात: गुजरात में वाधवाना आद्रत भमू म (वेटलैंि) अपने पक्षी जीवन के मलए अंतरराष्ट्रीय स्तर
पर मित्वपूणत िै तयोंकक यि प्रवासी जलपक्षक्षयों को सहदत यों में रिने के मलए उधचत स्थान प्रदान करती
िै । इनमें लतु तप्राय पलास की मछली-ईगल, दब
ु ल
त संकटग्रस्त सामान्य बत्तखें (कॉमन पोचाित) और
आसन्न संकट वाले िालमेहटयन पेमलकन, भूरे सर वाली (ग्रे-िे िेि) कफश-ईगल और फेरुधगनस िक, जैसी
कुछ संकटग्रस्त या संकट के समीप आ चक
ु ी प्रजाततयां शाममल िैं।
स्िस्थ-ग्रह के ललए आद्रभ िलू मयाँ क्यों महत्िपण
ू भ हैं?
िमारे ग्रि पर लोगों की सेित, आद्रत भूममयों के स्वास््य पर तनभतर करती िै ।
• ववश्व की 40% प्रजाततयाँ आद्रत भूममयों में तनवास करती िैं अथवा इनमे प्रजनन करती िैं।
• आद्रत भूममयां ‘जीवन की नसतरी’ िोती िैं – लगभग 40% जीव आद्रत भूममयों में प्रजनन करते िैं।
• आद्रत भूममयां ‘प्
ृ वी के फेफड़े’ िोती िैं, और यि वातावरण से प्रदष
ू कों को साफ करते िैं।
• आद्रत भमू मयां ‘जलवायु पररवततन के मलए मित्वपण
ू ’त िोती िैं- ये 30% भमू म आधाररत काबतन का भंिारण
करती िैं।
• आद्रत भूममयां ‘आपदा जोणखम को कम करती िैं’- ये तूफानों के वेग को अवरुद्ध करती िैं।
‘रामसर अलिसमय’ के बारे में :
‘रामसर अमभसमय’ (Ramsar Convention) आद्रत भमू मयों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने वाला एक अंतरातष्ट्रीय
समझौता िै ।
• इस अमभसमय पर 2 फरवरी 1971 को कैक्स्पयन सागर के तट पर स्थतत ईरान के शिर रामसर में
िस्ताक्षर ककए गए थे, इसमलए इसे ‘रामसर अमभसमय’ (Ramsar Convention) किा जाता िै ।
• संयत
ु त राष्ट्र के लगभग 90% सदस्य दे श इस ‘अमभसमय’ का हिस्सा िैं।
• आधधकाररक तौर पर इसे, ‘अंतरातष्ट्रीय मित्व की आर्द्रतभूममयों, ववशेषकर जल-पक्षी वास-स्थल पर
अमभसमय’ (Convention on Wetlands of International Importance especially as Waterfowl Habitat) किा
जाता िै ।
‘मॉन्रे क्स ररकॉिभ’ (Montreux Record)
‘रामसर अमभसमय’ के तित ‘मॉन्रे तस ररकॉित’ (Montreux Record) अंतरराष्ट्रीय मित्व की आर्द्रतभमू मयों की सच
ू ी
में आर्द्रतभूमम स्थलों का एक रक्जस्टर िै । इसमें मानवीय िस्तक्षेप व प्रदष
ू ण के कारण पाररक्स्थततकी रूप से
संकटापन्न आर्द्रतभमू मयों को शाममल ककया जाता िै । इसे रामसर सूची के िाग के रूप में बरकरार रखा जाता िै ।

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• मॉन्रे तस ररकॉित की स्थापना ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ कॉन्रै म्क्टं ग पाटी़ि’ (Conference of the Contracting
Parties), 1990 की मसफारशों के तित की गयी थी।
• मॉन्रे तस ररकॉित में ककसी भी स्थल को केवल संबधं धत अनब
ु ंधधत पक्षकारों (Contracting Parties) की
सिमतत से जोड़ा और िटाया जा सकता िै ।
• वततमान में , मॉन्रे तस ररकॉित में दो भारतीय स्थल लोकटक झील, मणणपुर और केवलादे व राष्ट्रीय
उद्यान, राजस्थान िैं।
• एक बार धचल्का झील (ओडिशा) को इस सच
ू ी में स्थान हदया गया था, परन्तु आगे चलकर इसे विाँ से
िटा हदया गया।
इंस्टा म्जज्ञासु: ‘मित्वपूणत पक्षी और जैव ववववधता क्षेत्र’ (Important Bird and Biodiversity Area - IBA) तया िैं?
इन क्षेत्रों का संरक्षण ककस प्रकार ककया जाता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘रामसर अमभसमय’ के बारे में ।
2. मॉन्रे तस ररकॉित के बारे में ।
3. भारत में रामसर अमभसमय’ के अंतगतत आर्द्रतभमू मयां।
4. त्सो कार बेमसन के बारे में ।
5. इस क्षेत्र में पायी जाने वाली मित्वपण
ू त पक्षी प्रजाततयाँ।
6. मध्य एमशयाई उड़ान-मागत के बारे में ।
स्रोत: द हिंद।ू

8. 1989 का मॉम्न्रयल प्रोटोकॉल एिं ककगाली संर्ोधन


संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय मंबत्रमंिल ने िाइड्रोफ्लोरोकाबतन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समातत करने िे तु
ओजोन परत को नष्ट्ट करने वाले पदाथों से संबंधधत मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल में ककए गए ‘ककगाली संशोधन’
(Kigali Amendment) के अनस
ु मथतन को स्वीकृतत दी िै ।
‘ककगाली संर्ोधन’ क्या है ?
• इस संशोधन को मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल के मलए अतटूबर, 2016 में रवांिा की राजधानी ‘ककगाली’ में
आयोक्जत मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल के पक्षकारों की 28 वीं बैठक के दौरान अंगीकृत ककया गया था।
• यि संशोधन पिले िी वषत 2019 की शुरुआत से लागू िो चुका िै ।
• ‘ककगाली संशोधन’ के तित, िाइड्रोफ्लोरोकाबतन (HFCs), एयर कंिीशतनंग, रे कफ्रजरे शन और फतनतमशंग
फोम उद्योग में बड़े पैमाने पर उपयोग ककए जाने वाले रसायनों को चरणबद्ध तरीके से समातत करने
िे तु प्रावधान ककए गए िैं।
ककगाली संर्ोधन के तहत तनधाभररत लक्ष्य:
• इस सदी के मध्य से पिले, िाइड्रोफ्लोरोकाबतन (HFCs) के वततमान उपयोग को कम से कम 85
प्रततशत तक कम ककया जाना चाहिए। इस लक्ष्य को पूरा करने के मलए दे शों द्वारा अलग-अलग समय-
सीमाएं तनधातररत की गयी िै ।
• भारत के मलए यि लक्ष्य वषत 2047 तक िामसल करना िै जबकक ववकमसत दे शों के मलए वषत 2036
तक की समय-सीमा तनधातररत की गयी िै । चीन और कुछ अन्य दे शों के मलए यि समय-सीमा वषत
2045 तय की गयी िै ।
• समद्
ृ ध दे शों द्वारा िाइड्रोफ्लोरोकाबतन उत्सजतन में कटौती तत्काल तुरंत शुरू की जानी चाहिए। भारत
और कुछ अन्य दे शों को अपने िाइड्रोफ्लोरोकाबतन उपयोग में वषत 2031 से कटौती शरू
ु करनी िोगी।

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महत्ि और अपेक्षक्षत पररणाम:
• यहद ककगाली संशोधन के प्रावधानों को सफलतापूवक
त लागू ककया जाता िै , तो इससे, सदी के अंत तक
ग्लोबल वाममांग में िोने वाली वद्
ृ धध को लगभग 0.5 डिग्री सेक्ल्सयस पर रोका जा सकता िै ।
• प्र्सताववत लाभों की दृक्ष्ट्ट से और कायातन्वयन में आसानी के मामले में , ग्रीन िाउस गैसों के उत्सजतन में
कटौती के मलए लागू ककया गया कोई भी एकल िस्तक्षेप, ‘ककगाली संशोधन’ के प्रावधानों के करीब भी
निीं आता िै ।
• अताः पेररस समझौते में तनधातररत ‘पूव-त औद्योधगक समय से 2 डिग्री सेक्ल्सयस के भीतर तापमान वद्
ृ धध
को प्रततबंधधत’ करने के लक्ष्य को प्रातत करने के मलए इसे काफी मित्वपण
ू त माना जाता िै ।
‘हाइड्रोफ्लोरोकाबभन’ क्या हैं?
• ग्लोबल वाममांग / वैक्श्वक उष्ट्मन के कारणों के रूप में ‘िाइड्रोफ्लोरोकाबतन’ (Hydrofluorocarbons -
HFCs) को ‘काबतन िाइऑतसाइि’ से भी बदतर माना जाता िै ।
• वास्तव में , संयुतत राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम (UNEP) के अनुसार, सवातधधक उपयोग ककए जाने वाले 22
‘िाइड्रोफ्लोरोकाबतन’ की औसत ग्लोबल वाममांग क्षमता, काबतन िाइऑतसाइि की तल
ु ना में लगभग 2,500
गुना अधधक िोती िै ।
‘मॉम्न्रयल प्रोटोकॉल’ के बारे में :
• वषत 1989 में िस्ताक्षररत मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) का उद्दे श्य ऊपरी वायम
ु ंिल की
ओजोन परत की सुरक्षा करना िै ।
• इस प्रोटोकॉल के तित, तलोरोफ्लोरोकाबतन (CFCs) और अन्य ओजोन-क्षयकारी पदाथों (ozone-
depleting substances - ODS) के पण
ू त
त याः िटाने को अतनवायत ककया गया िै । वपछले तीन दशकों से
यि प्रोटोकॉल अपने प्रावधानों को सफलतापूवक
त लागू करने में कामयाब भी रिा िै ।
ितभमान गचंताएं:
• तलोरोफ्लोरोकाबतन (CFCs) को धीरे -धीरे ‘िाइड्रोतलोरोफ्लोरोकाबतन’ (Hydrochlorofluorocarbons
HCFCs) से पररवतततत ककया जा रिा िै , और कुछ मामलों में , इसकी जगि ‘िाइड्रोफ्लोरोकाबतन’
(HFCs) लेता जा रिा िै , क्जसका ओजोन परत पर अपेक्षाकृत न्यन
ू तम प्रभाव पड़ता िै ।
• ‘िाइड्रोतलोरोफ्लोरोकाबतन’ की जगि ‘िाइड्रोफ्लोरोकाबतन’ में पररवततन अभी भी कई दे शों में , खासकर
ववकासशील दे शों में जारी िै।
• ‘िाइड्रोफ्लोरोकाबतन’, िालांकक ओजोन परत के मलए कम िातनकारक िोती िै , ककं तु कफर भी यि काफी
शक्ततशाली ग्रीनिाउस गैसें िोती िै ।
• यहद इन गैसों को अतनयंबत्रत छोड़ हदया जाता िै , तो वावषतक ग्रीनिाउस गैस उत्सजतन में इनका योगदान
वषत 2050 तक 19% तक पिुंच सकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 2019 में जारी बीस वषीय 'इंडिया कूमलंग एतशन तलान' (India Cooling
Action Plan - ICAP) में ‘कूमलंग’ को "ववकासात्मक आवश्यकता" के रूप में वणणतत ककया गया िै ? आईसीएपी के
बारे में अधधक जानने िे तु पढ़ें ।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

9. स्मॉग टॉिर
संदिभ: हदल्ली में चीन की तजत पर स्मॉग टावर (Smog towers) लगाए जा रिे िैं। चीन द्वारा अपनी राजधानी
बीक्जंग और अन्य शिरों में इस तकनीक का प्रयोग ककया जा रिा िै ।
हदल्ली सरकार प्रदष
ू ण पर स्मॉग टावरों के प्रभाव का अध्ययन करे गी और राष्ट्रीय राजधानी में इस तरि की
और संरचनाओं को स्थावपत कर सकती िै ।
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‘स्मॉग टॉिर’ क्या होते है ?
‘स्मॉग टावर’, बड़े पैमाने पर वायु-शोधक’ / एयर तयूरीफायर (Air Purifiers) के रूप में कायत करने िे तु डिजाइन
की गई संरचनाएं िैं।
• इनके तनचले हिस्से में ‘िवा को खीचने’ के मलए ‘एयर कफल्टर’ और ‘पंखो’ की कई परते लगायी गयी
िैं।
• प्रदवू षत िवा के स्मॉग टॉवर में प्रवेश करने के बाद, वातावरण में पुन: छोड़ने से पिले वायु को कई
परतों से गुजार कर शुद्ध ककया जाता िै ।
आिश्यकता: एक क्स्वस समि
ू द्वारा माचत में जारी एक ररपोटत के अनस
ु ार, हदल्ली लगातार तीसरे बार, वषत 2020
में दतु नया का सबसे प्रदवू षत राजधानी शिर था। ररपोटत में अततसूक्ष्म पाहटत कुलेट के स्तर के संदभत में मापी गई
वायु गुणवत्ता के आधार पर शिरों की रैंककं ग की गयी थी। पाहटतकुलेट मैटर (PM 2.5) मानव अंगों में प्रवेश करने
और स्थायी रूप से नक
ु सान पिुंचाने में सक्षम िोते िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदष
ू ण के उच्च स्तर िोने के बाद, सुप्रीम कोटत ने नवंबर 2019 में केंद्र और हदल्ली सरकार
से वायु प्रदष
ू ण से तनपटने के मलए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में स्मॉग टावर लगाने के मलए एक रोि मैप
तैयार करने को किा था।
उच्च प्रदष
ू ण स्तर का कारण?
• शिर के अंदर तथा इसके आस-पास िोने वाला तनमातण कायत, औद्योधगक तथा वािन प्रदष
ू ण।
• सहदभ यों की र्रुआत में , हदल्ली के उत्तरी-पम्श्चमी राज्यों में कृवष-अपलर्ष्ट्टों को जलाये जाने से धुएं से
प्रदष
ू ण की मात्रा में काफी िद्
ृ गध हो जाती है ।
• इसके अततररतत, प्रततकूल मौसम संबंधी पररक्स्थततयों, जैसे शांत िवाओं, कम तापमान और कम धूप
वाले हदनों में प्रदष
ू ण की क्स्थतत खतरनाक स्तर पर पिुँच जाती िै ।
प्रदष
ू ण तनयंत्रण हे तु ककए जाने िाले उपाय:
• पंजाब और िररयाणा में ककसानों को कृवष-अपमशष्ट्टों को जलाने के स्थान पर यांबत्रक ववकल्पों का
उपयोग करने के मलए तैयार ककया गया िै ।
• हदल्ली में थमतल पावर स्टे शनों को बंद ककया गया िै ।
• उद्योगों के मलए पाइप द्वारा प्राकृततक गैस के उपयोग को अतनवायत ककया गया िै।
• प्रदष
ू ण स्तर के बढ़ने पर ग्रेिेि ररस्पांस एतशन तलान (Graded Response Action Plan- GRAP) के तित
तनयंत्रण के उपाय ककये जाते िैं।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप हदल्ली में ववमभन्न स्थानों पर स्थावपत ‘एंटी स्मॉग गन’ के बारे में जानते िैं? ये ककस
प्रकार कायत करती िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कायतक्रम के बारे में
2. राष्ट्रीय वायु गण
ु वत्ता सूचकांक कौन जारी करता िै?
3. केंद्रीय प्रदष
ू ण तनयंत्रण बोित (CPCB) की संरचना
और कायत
4. प्राकृततक गैस तया िै?
5. ग्रेिेि ररस्पांस एतशन तलान (GRAP) का अवलोकन
में स ललंक: राष्ट्रीय राजधानी में प्रदष
ू ण स्तर को कम करने
के मलए आवश्यक उपायों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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10. 'सज
ु लम' अलियान
संदिभ: िाल िी में , जल शक्तत मंत्रालय द्वारा 'आजादी का अमत
ृ मिोत्सव' समारोि के अंतगतत (25 अगस्त से)
100 हदवसीय 'सुजलम' अमभयान (‘SUJALAM’ Campaign) की शरु
ु आत की गई िै ।
अलियान के बारे में :
इसका अमभयान का उद्दे श्य ग्राम स्तर पर अपमशष्ट्ट जल प्रबंधन के माध्यम से अधधक से अधधक गांवों को
ओिीएफ तलस गांवों में पररवतततत करना िै ।
इस अमभयान को ववशेष रूप से दस लाख अवशोषक / सोख-गड्ढों (Soak-pits) का तनमातण एवं अपमशष्ट्ट जल
प्रबंधन / ग्रेवॉटर प्रबंधन गततववधधयों के माध्यम से पूरा ककया जाएगा।
इस अलियान के तहत गांिों में आयोम्जत की जाने िाली प्रमुख गततविगधयां:
1. वततमान क्स्थतत का ववश्लेषण करने िे तु सामद
ु ातयक परामशत, खुली बैठक और ग्राम सभा की बैठकों का
आयोजन।
2. ओिीएफ की तनरं तरता बनाए रखने और ग्रेवॉटर प्रबंधन करने के मलए सोख गड्ढों को आवश्यक संख्या
में तैयार करने िे तु संकल्प पाररत करना।
3. तनरं तरता बनाए रखने और सोख गड्ढों के तनमातण संबध
ं ी गततववधधयों की शरु
ु आत करने के मलए 100
हदवसीय योजना तैयार करना।
4. आवश्यक संख्या में सोख गड्ढों का तनमातण करना।
5. आईसी (IEC) के माध्यम से जिां आवश्यक िो विां पर शौचालय को पन
ु तत नममतत करना।
6. गांव के सभी नए पररवारों को शौचालय की सुववधा सुतनक्श्चत करना।
महत्ि:
● इस अमभयान के माध्यम से न केवल गांवों में ग्रेवॉटर प्रबंधन के मलए वांतछत बुतनयादी संरचना अथातत ्
सोख गड्ढों का तनमातण ककया जाएगा बक्ल्क जल-तनकायों के संविनीय प्रबंधन में भी सिायता प्रातत
िोगी।
● इसके अलावा, इस अमभयान से सामुदातयक भागीदारी के द्वारा ‘स्वच्छ भारत ममशन-ग्रामीण’ के दस
ू रे
चरण (Swacch Bharat Mission- Grameen phase II) की गततववधधयों में तेजी आयेगी और इससे ओिीएफ-
तलस गततववधधयों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा ममलेगा।
आिश्यकता:
गांवों में या गांवों के बािरी इलाकों में गंदे पानी का तनष्ट्कासन और जलाशयों का तनस्तारण एक बिुत बड़ी
समस्या बनी िुई िै । इस अमभयान से अपमशष्ट्ट जल प्रबंधन में सिायता प्रातत िोगी और बदले में जलाशयों को
पूवरू
त प में लाने में सिायता ममलेगी।
ODF टै ग क्या होता है ?
माचत 2016 में जारी ककये गए मूल ODF प्रोटोकॉल में किा गया िै कक, यहद, ककसी भी हदन के ककसी भी समय,
कोई भी व्यक्तत खुले में शौच निीं करता िै तो उस शिर / वाित को ODF शिर/ वाित के रूप में अधधसूधचत ककया
जायेगा।"
ODF+ तथा ODF++ क्या है ?
स्िच्छ िारत लमर्न- र्हरी (Swachh Bharat Mission –Urban: SBM-U) के पिले चरण में ODF दजात प्रातत करने
के बाद शिरों द्वारा ककए गए कायों को आगे बढ़ाने और उन्िें जारी रखने के मलए अगस्त 2018 में ODF + और
ODF ++ की शुरुआत की गयी थी।
पात्रता: ODF प्रोटोकॉल के आधार पर को शिर को कम से कम एक बार ODF अधधसधू चत िो चक
ु े िैं, उन्िें SBM-
ODF+ एवं ODF ++ घोवषत ककया जा सकता िै ।

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ODF+ क्या है?
ODF + प्रोटोकॉल के अनुसार – ‘यहद ककसी हदन ककसी भी व्यक्तत को खुले में शौच और/या पेशाब करते िुए निीं
पाया जाता िै और सभी सामद ु ातयक तथा सावतजतनक शौचालय कायातत्मक अवस्था में एवं सव्ु यवक्स्थत िैं, तो
उस शिर, वाित या कायतक्षेत्र को ODF+ घोवषत ककया जा सकता िै ।’
ODF++ क्या है ?
ODF ++ प्रोटोकॉल में यि शतत जोड़ी गयी िै कक "मल कीचड़/ सेतटे ज (Faecal sludge/Septage) और नामलयों का
सुरक्षक्षत रूप से प्रबंधन और उपचार ककया जाए, क्जसमें ककसी प्रकार के अनुपचाररत कीचड़/सेतटे ज और नामलयों
का प्रवाि ककसी जल तनकाय अथवा खल
ु े क्षेत्रों में निीं िोना चाहिए”।
प्रीललभस ललंक:
1. ODF+ तथा ODF++ मानदं ि
2. SBM चरण 1 बनाम चरण2
3. SBM शिरी और ग्रामीण, का कायातन्वयन
4. तनमतल भारत अमभयान बनाम SBM
में स ललंक: ‘स्वच्छ भारत ममशन अमभयान, भागीदारी और पररवततनकारी ववकास के मलए वैक्श्वक बेंचमाकत बन
गया िै ।‘ प्रकाश िामलए।
स्रोत: द हिंद।ू

11. ‘दीपोर बील िन्यजीि अभ्यारण्य’ का पाररम्स्थततक संिेदनर्ील क्षेत्र


संदिभ: िाल िी में , पयातवरण, वन एवं जलवायु पररवततन मंत्रालय द्वारा गुवािाटी के दक्षक्षण-पक्श्चमी ककनारे पर
क्स्थत ‘दीपोर बील वन्यजीव अभ्यारण्य’ (Deepor Beel Wildlife Sanctuary) का ‘पाररक्स्थततक संवद
े नशील क्षेत्र’ या
इको-सेंमसहटव जोन (Eco-Sensitive Zone - ESZ) अधधसधू चत कर हदया गया िै ।
मंत्रालय द्वारा जारी अधधसच
ू ना में एक क्षेत्र को, क्जसकी सीमा 294 मीटर से लेकर 16.32 ककमी तक िो सकती
िै , को ‘पयातवरण के प्रतत संवेदनशील क्षेत्र’ (ESZ) के रूप में तनहदतष्ट्ट ककया गया िै, और इसका कुल क्षेत्रफल
148.9767 वगत ककमी िै ।
आिश्यकता:
‘दीपोर बील’ आद्रत भमू म पर दशकों से, इसके दक्षक्षणी भाग से गुजरने वाले ‘रे लवे रै क’ (क्जसको ‘दोिरी लाइन’ और
ववद्युतीकृत ककया जाना प्रस्ताववत िै ), कचरा फेके जाने तथा मानव आबादी और वाणणक्ज्यक इकाइयों से
अततक्रमण का खतरा मंिरा रिा िै ।
निीनतम तनणभय के तनहहताथभ:
1. पाररक्स्थततक पयतटन गततववधधयों के मलए छोटे अस्थायी अवसंरचनाओं को छोड़कर, संरक्षक्षत क्षेत्र की
सीमा के 1 ककमी के भीतर या पयातवरण-संवद
े नशील क्षेत्र की सीमा तक, जो भी तनकट िो, ककसी भी नए
वाणणक्ज्यक िोटल और ररसॉटत का तनमातण करने की अनुमतत निीं दी जाएगी।
2. पाररक्स्थततक संवेदनशील क्षेत्र में , जलववद्युत पररयोजनाओं, ईंट भट्टों, जलाऊ लकड़ी का व्यावसातयक
उपयोग और प्राकृततक जल तनकायों या भूमम क्षेत्रों में अनुपचाररत अपमशष्ट्ट का तनस्सरण आहद
गततववधधयों को तनवषद्ध ककया गया िै ।
‘दीपोर बील’ के बारे में :
• ‘दीपोर बील’ (Deepor Beel) असम की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक िै और एक मित्वपूणत
पक्षी क्षेत्र िोने के अलावा, राज्य का एकमात्र ‘रामसर स्थल’ िै ।
• यि ब्रह्मपत्र
ु नदी मख्
ु य धारा के दक्षक्षण में , और ब्रह्मपत्र
ु की एक परु ानी धारा में क्स्थत मीठे पानी की
स्थायी झील िै ।
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इस आद्रभ िूलम को सुरक्षा की आिश्यकता:
• ‘दीपोर बील’ आद्रत भमू म, जलीय वनस्पततयों और उड़ने वाले जीवों के मलए एक अद्ववतीय तनवास स्थान
िै ।
• अभयारण्य में पक्षक्षयों की लगभग 150 प्रजाततयां पायी जाती िैं, क्जनमें से दो प्रजाततयां गंभीर रूप से
संकटग्रस्त, एक लुततप्राय, पांच संवेदनशील और चार लगभग संकटग्रस्त प्रजाततयां िैं।
• ‘दीपोर बील’ आद्रत भमू म में तनकटवती ‘रानी आरक्षक्षत वन’ और गरभंगा आरक्षक्षत वनों’ से िाधथयों का
आवागमन िोता रिता िै , और यि आद्रत भूमम िाथी के आवास का एक अमभन्न अंग िै ।
• इनके अलावा, अभयारण्य में सरीसप
ृ ों की 12 प्रजाततयां, मछमलयों की 50 प्रजाततयां, उभयचरों की छि
प्रजाततयां और जलीय सूक्ष्म-जीवों की 155 प्रजाततयां दजत की गई िैं।
‘पाररम्स्थततक-संिेदनर्ील क्षेत्र’ (ESZ) क्या होते हैं?
1. इको-सेंमसहटव जोन (ESZ) अथवा पाररक्स्थततक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Ecologically Fragile Areas-
EFAs), संरक्षक्षत क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास पयातवरण, वन और जलवायु
पररवततन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा अधधसूधचत क्षेत्र िोते िैं।
2. ककसी क्षेत्र को ‘पाररक्स्थततक-संवेदनशील क्षेत्र’ (ESZ) घोवषत करने का उद्दे श्य, इन क्षेत्रों में गततववधधयों
को ववतनयममत और प्रबंधधत करके संरक्षक्षत क्षेत्रों में एक प्रकार का ‘आघात-अवशोषक’ (shock
absorbers) बनाना िोता िै ।
3. ये क्षेत्र, उच्च-संरक्षक्षत क्षेत्रों तथा तनपन संरक्षक्षत वाले क्षेत्रों के मध्य एक संक्रमण क्षेत्र के रूप में भी
कायत करते िैं।
4. पयाभिरण (संरक्षण) अगधतनयम, 1986 में "इको-सेंमसहटव जोन" शधद का उल्लेख निीं िै ।
5. वन्यजीव संरक्षण रणनीतत, 2002 के अनुसार, ककसी संरक्षक्षत क्षेत्र के आसपास 10 ककलोमीटर तक के
क्षेत्र को एक ESZ घोवषत ककया जा सकता िै ।
6. इसके अलावा, जिां संवद
े नशील गमलयारे , कनेक्तटववटी और पाररक्स्थततक रूप से मित्वपूणत भाग, पररदृश्य
शंख
ृ ला के मलए मित्वपूणत क्षेत्र, 10 ककमी के क्षेत्र से आगे क्स्थत िैं, तो इन क्षेत्रों को भी ESZ में शाममल
ककया जा सकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: िाल िी में , भारत की चार और आद्रत भूममयों (Wetlands) को ‘रामसर अमभसमय’ (Ramsar
Convention) के तित अंतरराष्ट्रीय मित्व के आद्रत भमू म के रूप में मान्यता दी गई िै । इनके बारे में जातनए।
प्रीललभस ललंक:
1. ‘पाररक्स्थततकी-संवेदनशील क्षेत्र’ ककस प्रकार घोवषत ककया जाता िै ?
2. ESZ की सीमा
3. वायनाि वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
4. नीलधगरर बायोस्फीयर ररजवत के बारे में
में स ललंक: संरक्षक्षत क्षेत्रों के आसपास ‘पाररक्स्थततकी-संवेदनशील क्षेत्र’ की आवश्यकता पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

12. ‘जीिों की खोज’ 2020


संदिभ: ‘जीवों की खोज' 2020 (Animal Discoveries 2020), िाल िी में ‘भारतीय प्राणी सवेक्षण’ / ‘जल
ू ॉक्जकल सवे
ऑफ इंडिया’ (ZSI) द्वारा प्रकामशत एक दस्तावेज िै ।
• इसके अनुसार, वषत 2020 में भारत के प्राणी-जगत में 557 नई प्रववक्ष्ट्टयों को जोड़ा गया िै , क्जसमें 407
नई प्रजाततयां और 150 नए ररकॉित शाममल िैं।
• अब, भारत में जीव-प्रजाततयों की संख्या बढ़कर 1,02,718 िो गई िै ।
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र्ालमल की गईं महत्िपण
ू भ प्रजाततयां:
1. राइमेरेसुरस सालाजार (Trimeresurus Salazar), अरुणाचल प्रदे श में खोजे गए ‘ग्रीन वपट वाइपर’ की एक
नई प्रजातत;
2. लाइकोिोन िेक्कनेंलसस (Lycodon deccanensis), कनातटक से खोजा गया ‘ितकन वुल्फ सांप’;
3. स्पैरोथेका बेंगलुरु (Sphaerotheca Bengaluru), बेंगलुरू शिर के नाम पर बबल में रिने वाले में ढक की
एक नई प्रजातत।
4. ऐक्सररअस अन्जालाई (Xyrias anjaalai), केरल में खोजी गई, गिरे पानी में पाई जाने वाले ‘स्नेक ईल’
की एक नई प्रजातत;
5. ग्लायप्तोहोराक्स गगउिीक्येंलसस (Glyptohorax giudikyensis), मणणपुर में खोजी गई, कैटकफ़श की एक
नई प्रजातत;
6. क्लाइस्टर गैलाटे म्न्सस (Clyster galateansis), ग्रेट तनकोबार बायोस्फीयर से ‘स्कारब बीटल’ की एक नई
प्रजातत।
7. मायोहटस सीएफ फ्रेटर (Myotis cf. frater), एक चमगादड़ की प्रजातत क्जसे पिले चीन, ताइवान और रूस
में दे खा गया था, पिली बार भारत के उत्तराखंि से दे खी गई िै ;
8. ़िूथेरा लसहरना गगब्सनहहली (Zoothera citrina gibsonhilli), एक नारं गी मसर वाली साररका (thrush), क्जसे
पिले दक्षक्षणी पयांमार से लेकर दक्षक्षण थाईलैंि (मध्य मलय प्रायद्वीप) के क्षेत्रों में दे खा जाता था, भारत
से पिली बार अंिमान और तनकोबार द्वीप समूि में नारकोंिम द्वीप में दे खा गया िै ।
िारतीय प्राणी सिेक्षण:
• ‘भारतीय प्राणी सवेक्षण’ / ‘जल
ू ॉक्जकल सवे ऑफ इंडिया’ (Zoological Survey of India - ZSI), पयातवरण
और वन मंत्रालय के अधीन एक संगठन िै , इसे वषत 1916 में स्थावपत ककया गया था।
• यि दे श की असाधारण रूप से समद्
ृ ध जैव ववववधता पर जानकारी बढ़ाने िे तु जैव संसाधनों के सवेक्षण
और अन्वेषण के मलए ‘एक राष्ट्रीय केंद्र’ िै ।
• इसका मुख्यालय कोलकाता में िै और इसके दे श के ववमभन्न भागों 16 क्षेत्रीय कायातलय क्स्थत िैं।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप, वन्यजीव आवासों के एकीकृत ववकास (Integrated Development of Wildlife Habitats–
IDWH) कायतक्रम के तीन घटकों में से एक ‘प्रजातत ररकवरी कायतक्रम’ के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

13. पंजाब सरकार द्िारा ‘पराली’ के उपयोग करने पर उद्योगों को प्रोत्साहन


संदिभ: िाल िी में , पंजाब सरकार द्वारा धान के मौसम में पराली जलाने की समस्या पर रोक लगाने िे तु कई
उपायों की घोषणा की गयी िै ।
प्रमख
ु बबंद:ु
1. ‘ववत्तीय प्रोत्सािन िामसल करने के मलए, कुछ श्रेणणयों के उद्योगों को धान-पुआल से चलने वाले बॉयलर
स्थावपत करने की अनुमतत दी गई िै ।
2. 'पिले आओ पिले पाओ' के आधार पर, पिले 50 मौजद
ू ा उद्योगों को बॉयलरों में ईंधन के रूप में धान
की पुआल का उपयोग करने के मलए ₹25 करोड़ का संचयी ववत्तीय प्रोत्सािन प्रदान ककया जायेगा।
3. गैर-राजकोषीय प्रोत्सािन के तौर पर उद्योगों को, धान की पराली के भंिारण िे तु 33 वषत तक के लीज
समझौते के साथ 'पंचायत' भूमम उपलधध कराई जाएगी।
4. क्जन क्षेत्रों में बॉयलर में धान के पुआल का उपयोग ईंधन के रूप में ककया जाता िै , विां प्राथममकता के
आधार पर बेलर (प्रवािक) उपलधध कराए जाएंगे।

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महत्ि: राज्य सरकार के इस तनणतय से, खरीफ फसलों की कटाई के दौरान पराली जलाने के खतरे से तनपटने में
मदद ममलेगी और इससे ममट्टी की उवतरता को भी संरक्षक्षत ककया जा सकेगा और लाभकारी सूक्ष्म जीवों को भी
बचाया जा सकेगा।
‘पराली दहन’ (stubble Burning) क्या है ?
ककसानों द्वारा नवंबर में गेिूं की बुवाई के मलए खेत तैयार करने के दौरान ‘पराली दिन’ या पराली जलाना, एक
आम बात िै , तयोंकक धान की कटाई और गेिूं की बुवाई के बीच बिुत कम समय बचता िै ।
प्रिाि: पराली जलाने से िातनकारक गैसों जैसे काबतन िाइऑतसाइि, सल्फर िाइऑतसाइि, नाइरोजन िाइऑतसाइि
के साथ-साथ पाहटत कुलेट मैटर का उत्सजतन िोता िै ।
ककसानों द्िारा ‘पराली जलाने’ का विकल्प चुनने का कारण:
1. ककसानों के पास, पराली का प्रभावी ढं ग से उपयोग करने के ववकल्प निीं िोते िैं।
2. ककसान, इस कृवष-अपमशष्ट्ट से तनपटने में अक्षम िोते िैं तयोंकक वे अपमशष्ट्ट पदाथो का तनपटान करने
के मलए उपलधध नई तकनीक को विन निीं कर सकते।
3. बिुधा, फसल खराब िोने जाने की वजि से ककसान की आय पर मित्वपूणत प्रभाव पड़ता िै , ऐसी क्स्थतत
में ककसान लागत में कटौती करने और पराली प्रबंधन के वैज्ञातनक तरीकों पर खचत करने की बजाय,
खेत में िी पराली जलाने का ववकल्प चुनता िै ।
पराली जलाने के फायदे :
• इससे खेत, जल्दी साफ िो जाता िै और यि सबसे सस्ता ववकल्प िै ।
• खरपतवार नाशकों सहित खरपतवारों को नष्ट्ट िो जाते िैं।
• संडु िया और अन्य कीट मर जाते िैं।
• नाइरोजन बंध दब
ु ल
त िो जाते िैं।
पराली जलाने के प्रिाि:
• प्रदष
ू ण: खुले में पराली जलाने से वातावरण में बड़ी मात्रा में जिरीले प्रदष
ू क उत्सक्जतत िोते िैं क्जनमें
मीथेन (CH4), काबतन मोनोऑतसाइि (CO), वाष्ट्पशील काबततनक यौधगक (VOC) और कामसतनोजेतनक
पॉलीसाइक्तलक एरोमैहटक िाइड्रोकाबतन जैसी िातनकारक गैसें िोती िैं। अंतताः ये स्मॉग का कारण बन
जाते िैं।
• मद
ृ ा उिभरता: पराली को खेत में जलाने से ममट्टी के पोषक तत्व नष्ट्ट िो जाते िैं, क्जससे यि कम
उपजाऊ िो जाती िै ।
• ऊष्ट्मा का प्रिेर्: पराली जलाने से उत्पन्न गमी ममट्टी में प्रवेश करती िै , क्जससे जमीन में नमी और
लाभकारी जीवाणु नष्ट्ट िो जाते िैं।
पराली जलाने से बचने हे तु िैकम्ल्पक उपाय:
1. धान की पुआल आधाररत बबजली संयंत्रों को बढ़ावा दे ना। इससे रोजगार के अवसर भी पैदा िोंगे।
2. मद
ृ ा में फसल अवशेषों को शाममल करने से ममट्टी की नमी में सध
ु ार िो सकता िै , और बेितर पौधों
की वद्
ृ धध के मलए मद
ृ ा के सूक्ष्मजीवों के ववकास को सकक्रय करने में मदद ममल सकती िै ।
3. कृवष-अवमशष्ट्टों को कपपोक्स्टं ग के माध्यम से समद्
ृ ध जैववक खाद में पररवतततत ककया जा सकता िै ।
4. वैज्ञातनक अनुसंधान के माध्यम से ‘यीस्ट प्रोटीन के तनष्ट्कषतण’ जैसे औद्योधगक उपयोग के नए अवसरों
की खोज की जा सकती िै ।
आिश्यकता: सप्र
ु ीम कोटभ द्िारा की गई हटप्पखणयां?
1. पराली निीं जलाने वालों को प्रोत्सािन हदया जा सकता िै और इस पद्धतत को जारी रखने वालों पर दं ि
लगाया जा सकता िै ।

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2. मौजूदा न्यूनतम समथतन मल्
ू य (MSP) योजना की व्याख्या इस प्रकार की जानी चाहिए, क्जसके तित,
कृवष-अवमशष्ट्टों को जलाने वाले लोगों को संबधं धत राज्य MSP के लाभ से पण
ू त या आंमशक रूप से वंधचत
कर सकें।
छत्तीसगढ़ मॉिल:
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ‘गौठान’ स्थावपत कर एक अमभनव प्रयोग ककया गया िै ।
• ‘गौठान’ (Gauthans), प्रत्येक गाँव में पांच एकड़ का एक सामूहिक भख
ू ंि िोता िै, जिाँ गाँव के सभी
लोग अपनी-अपनी अप्रयुतत पराली को इकठ्ठा करते िैं और इस पराली को गाय के गोबर और कुछ
प्राकृततक एंजाइमों को ममलाकर जैववक उवतरक में पररवतततत ककया जाता िै ।
• इस योजना से ग्रामीण युवाओं के मलए ‘रोजगार’ भी उत्पन्न िोता िै ।
• सरकार द्वारा ‘पराली’ को खेत से नजदीकी गौठान तक पिुंचाने में सिायता प्रदान की जाती िै ।
• छत्तीसगढ़ में अब तक 2,000 गौठानों को सफलतापवू क
त ववकमसत ककया जा चक ु ा िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

14. सीसा-युक्त पेरोल की समाम्प्त: UNEP


संदिभ:
िाल िी में , ‘संयुतत राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’ (UNEP) दवारा जारी सच
ू ना के अनस
ु ार, ववश्व में ‘सीसा-युतत’
पेरोल (leaded petrol) के उपयोग को समातत ककया जा चुका िै ।
प्रमख
ु बबंद:ु
• इस मित्वपूणत लक्ष्य को िामसल करने के बाद, समय से पिले िोने वाली 1.2 मममलयन से अधधक मौतों
को रोका जा सकेगा और ववश्व अथतव्यवस्थाओं को सालाना 2.4 हरमलयन िॉलर से अधधक की बचत
िोगी।
• अल्जीररया – ‘सीसा-यत
ु त’ पेरोल ईंधन का उपयोग करने वाला अंततम दे श था। वपछले मिीने, इस दे श
में भी ‘सीसा-यत
ु त’ पेरोल की आपतू तत समातत िो गई।
• भारत द्वारा माचभ 2000 में िी ‘सीसा-युतत’ पेरोल पर प्रततबंध लगा हदया गया था।

‘सीसा-युक्त’ पेरोल के हातनकारक प्रिाि:


• सीसा के संपकत में आने से बच्चों के स्वास््य पर गंभीर पररणाम पड़ सकते िैं। उच्च स्तर पर सीसे के
संपकत में आने से, यि सीधे मानव मक्ष्ट्तष्ट्क और केंद्रीय तंबत्रका तंत्र पर िमला करता िै , क्जसके
पररणामस्वरूप व्यक्तत को ‘कोमा’ और ववकलांगता का सामना करना पड़ सकता िै, और यिां तक कक
उसकी मत्ृ यु भी िो सकती िै । गंभीर सीसा ववषाततता के संपकत में आने बाद जीववत बाख जाने वाले जो
बच्चे, मानमसक मंदता और ‘व्यविार संबंधी ववकारों’ का मशकार िो सकते िै ।
• गभातवस्था के दौरान, िड्िी में मौजूद सीसे का प्रवाि रतत में िोने पर, ववकासशील भ्रूण के सीसे के
संपकत में आ जाता िै ।
• ‘इंस्टीट्यूट फॉर िे ल्थ मेहरतस एंि इवैल्यूएशन’ (IHME) के अनुसार, वषत 2017 में , सीसा के संपकत में
आने से पूरे ववश्व में 1.06 मौतें िुई और 24.4 मममलयन वषत, स्वस्थ जीवन (ववकलांगता-समायोक्जत
जीवन वषत - disability-adjusted life years (DALYs)) का नुकसान िुआ था।
• सीसा, वयस्कों के मलए भी दीघतकामलक नुकसान का कारण बनता िै , इसके संपकत में आने से उच्च
रततचाप और गद
ु े की क्षतत का खतरा बढ़ जाता िै ।

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UNEP के बारे में :
• ‘संयुतत राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’ (United Nations Environment Programme - UNEP), वैक्श्वक
पयातवरण एजेंिा तनधातररत करने वाला प्रमुख वैक्श्वक पयातवरण प्राधधकरण िै । यि संयुतत राष्ट्र तंत्र के
अंतगतत ‘सतत ववकास के पयातवरणीय आयाम’ के सस
ु ग
ं त कायातन्वयन को बढ़ावा दे ता िै , और वैक्श्वक
पयातवरण िे तु एक आधधकाररक अमभवतता के रूप में कायत करता िै ।
• इसका उद्दे श्य, भववष्ट्य की पीहढ़यों से समझौता ककए बबना राष्ट्रों और व्यक्ततयों को उनके जीवन-
गुणवत्ता में सुधार करने के मलए प्रेररत, सधू चत और सक्षम करके, पयातवरण की दे खभाल में नेतत्ृ व प्रदान
करना और भागीदारी को प्रोत्साहित करना िै ।
• इसका मुख्यालय ‘नैरोबी’, केन्या में िै

• ‘संयत
ु त राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’ (UNEP) के प्रमख
ु कायत-क्षेत्र, जलवायु पररवततन, आपदाएं और संघषत,
पाररक्स्थततकी तंत्र प्रबंधन, पयातवरण प्रशासन, रसायन और अपमशष्ट्ट, संसाधन दक्षता, और पयातवरण की
समीक्षा आहद िैं।
• UNEP को इसके सदस्यों के स्वैक्च्छक योगदान द्वारा ववत्त पोवषत ककया जाता िै ।
‘संयुतत राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’, िमारे समय की सबसे बड़ी चुनौततयों से तनपटने िे तु ववमभन्न राष्ट्रों और
पयातवरण समुदाय को एक साथ लाने के मलए कई मित्वपूणत बिुपक्षीय पयातवरण समझौतों और अनुसंधान
तनकायों के सधचवालयों की मेजबानी करता िै ।
इनमें तनपनमलणखत शाममल िैं:
1. जैववक ववववधता पर अमभसमय
2. वन्य जीवों और वनस्पततयों की लुततप्राय प्रजाततयों में अंतरातष्ट्रीय व्यापार पर अमभसमय
3. पारा पर ममनामाता अमभसमय
4. बेसल, रॉटरिैम और स्टॉकिोम कन्वेंशन
5. ओजोन परत के संरक्षण के मलए ववयना अमभसमय और मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल
6. प्रवासी प्रजाततयों पर अमभसमय
7. कापेधथयन कन्वेंशन
8. बमाको कन्वेंशन
9. तेिरान अमभसमय
प्रीललभस ललंक
1. सीसा-युतत’ पेरोल तया िोता िै ?
2. सीसा-युतत’ पेरोल के िातनकारक प्रभाव
3. यूएनईपी- उद्दे श्य, शक्ततयां और जनादे श
में स ललंक: पयातवरण संरक्षण के प्रयासों में ‘संयत
ु त राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’ (UNEP) के मित्व और इसकी
भूममका पर प्रकाश िामलए।

विषय:आपदा और आपदा प्रबंधन।


1. जल-मौसम संबंधी आपदाएं
संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय गि
ृ मंत्रालय द्वारा ‘जल-मौसम संबंधी आपदाओं’ (Hydro-meteorological calamities)
के कारण िुई मौतों के आंकड़े जारी ककए िैं।
नोट: जल-मौसम संबध ं ी आपदाओं और खतरों में अचानक बाढ़ आना (flash floods), बादल फटना (cloudburst)
और भूस्खलन (landslides) को शाममल ककया जाता िै।
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प्रमुख बबंद:ु
• वपछले तीन वषों के दौरान, दे श में जल-मौसम संबध
ं ी आपदाओं के कारण लगभग 6,800 लोगों की जान
चली गई।
• सभी राज्यों में , इन आपदाओं की वजि से पक्श्चम बंगाल में सबसे ज्यादा मौतें दजत की गई िैं।
• अत्यधधक वषात की घटनाएं या बादल फटना, इन आपदाओं के कारणो में शाममल िैं।
• जल-मौसम संबध
ं ी आपदाओं में भूस्खलन की घातक घटनाएं, मुख्यताः हिमालयी राज्यों में , पक्श्चमी घाट
और कोंकण क्षेत्रों में लगभग िर साल िोती िैं ।
• ‘राज्य आपदा प्रततकक्रया कोष’ के तित केंद्र द्वारा जारी की गई धनरामश के संदभत में सबसे अधधक
धनरामश मिाराष्ट्र को आवंहटत की गई।
• वपछले तीन वषों में, पक्श्चम बंगाल को ‘चार उष्ट्णकहटबंधीय चक्रवातों’ - फानी (मई 2019), बुलबुल
(नवंबर 2019), अपफान (मई 2020) और यास (मई 2021) का सामना करना पड़ा।
राज्यों की िलू मकाएं और म्जभमेदाररयां:
‘आपदा प्रबंधन अधधतनयम’ (Disaster Management Act) के तित, राज्यों को प्राकृततक आपदाओं के कारण िोने
वाली मौतों को रोकने िे तु आवश्यक कारत वाई करने का अधधकार हदया गया िै ।
‘आपदा प्रबंधन’ क्या है ?
आपदा प्रबंधन (िीएम) अधधतनयम, 2005 (Disaster Management (DM) Act), 2005 के तित ‘आपदा प्रबंधन’ को
तनपनमलणखत उद्दे श्यों िे तु आवश्यक उपायों के संदभत में योजना बनाने, व्यवस्था एवं समन्वय करने, और
कायतन्वयन करने िे तु एक समेककत प्रकक्रया के रूप में पररभावषत ककया गया िै :
1. ककसी भी आपदा के खतरे का तनवारण िे तु
2. ककसी भी आपदा या उसके पररणामों के जोणखम कम करने िे तु
3. ककसी भी आपदा से तनपटने की तैयारी िे तु
4. आपदा से तनपटने में तत्परता िे तु
5. ककसी भी आपदा के प्रभावों की गंभीरता का आकलन िे तु
6. बचाव और राित िे तु
7. पुनवातस और पुनतनतमातण िे तु
राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन रूपरे खा ढांचे से संबंगधत संस्थाएं:
1. भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधधकरण (NDMA)
2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP)
3. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधधकरण (SDMA)
4. क्जला आपदा प्रबंधन प्राधधकरण (DDMA)
नीततयां / पहल:
1. भारत, ‘आपदा जोणखम न्यन
ू ीकरण िे तु सेंिाई फ्रेमवकत’ (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction)
पर एक िस्ताक्षरकतात िै ।
2. भारत, ‘संयुतत राष्ट्र आपदा जोणखम न्यूनीकरण कायातलय’ (United Nations Office for Disaster Risk
Reduction- UNISDR) का एक भागीदार दे श िै , और इसके साथ ममलकर कायत करता िै ।
3. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (National Disaster Management Plan - NDMP) के तित, केंद्रीय
मंत्रालयों/ववभागों, राज्य सरकारों, केंद्र शामसत प्रदे शों के प्रशासन, क्जला प्राधधकरणों और स्थानीय स्व-
सरकारों सहित ववमभन्न हितधारकों की भूममकाओं और क्जपमेदाररयों को पररभावषत ककया गया िै ।
4. वषत 2015-16 के दौरान MHA, NDMA, NDRF आहद को परस्पर सपबद्ध करने के उद्दे श्य से एक ‘वेरी
स्मॉल अपचतर टममतनल’ (VSAT) नेटवकत की स्थापना करने िे तु राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधधकरण
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(NDMA) द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सेवाओं (National Disaster Management Services - NDMS) की
पररकल्पना की गई थी, ताकक दे श भर में ‘आपातकालीन संचालन केंद्र’ (EOC) के संचालन िे तु बाधा-
रहित संचार अवसंरचना और तकनीकी सिायता प्रदान की जा सके।
5. भूस्खलन जोणखम शमन योजना (Landslide Risk Mitigation Scheme - LRMS) में स्थान ववमशष्ट्ट
भूस्खलन शमन पररयोजनाओं के मलए ववत्तीय सिायता की पररकल्पना की गई िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:आंतररक सुरक्षा के मलये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन ववरोधी तत्त्वों की भूममका।
1. विगधविरूद्ध कक्रयाकलाप (तनिारण) अगधतनयम (UAPA)
संदिभ:
वषत 2019 से, जपमू और कश्मीर (J & K) प्रशासन द्वारा ‘ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) अधधतनयम’
(Unlawful Activities (Prevention) Act - UAPA) के तित 1,200 से अधधक मामलों में 2,300 से अधधक व्यक्ततयों
और ‘सावतजतनक सुरक्षा अधधतनयम’ (Public Safety Act - PSA) के तित 954 लोगों पर मामला दजत के जा चक
ु े
िैं।
इनमें से, ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) अधधतनयम (UAPA) के अंतगतत धगरफ्तार ककए गए 46 प्रततशत
और ‘सावतजतनक सुरक्षा अधधतनयम’ (PSA) के तित हिरासत में मलए गए व्यक्ततयों में से लगभग 30 प्रततशत
व्यक्तत अभी भी जपम-ू कश्मीर के अंदर और बािर की जेलों में कैद िैं।
विगधविरूद्ध कक्रयाकलाप (तनिारण) अगधतनयम के बारे में :
1967 में पाररत, ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) अधधतनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) का
उद्दे श्य भारत में गैरकानन
ू ी गततववधध समि
ू ों की प्रभावी रोकथाम करना िै ।
• यि अधधतनयम केंद्र सरकार को पूणभ र्म्क्त प्रदान करता िै , क्जसके द्वारा केंद्र सरकार ककसी गततववधध
को गैरकानूनी घोवषत कर सकती िै ।
• इसके अंतगतत अधधकतम दं ि के रूप में मत्ृ यद
ु ं ि तथा आजीवन कारावास का प्रावधान ककया गया िै ।
प्रमुख बबंद:ु
UAPA के तित, िारतीय और विदे र्ी दोनों नागररकों को आरोवपत ककया जा सकता िै ।
• यि अधधतनयम भारतीय और ववदे शी अपराधधयों पर समान रूप से लागू िोता िै , िले ही अपराध िारत
के बाहर विदे र्ी िूलम पर ककया गया हो।
• UAPA के तित, जांच एजेंसी के मलए, धगरफ्तारी के बाद चाजतशीट दाणखल करने के मलए अधधकतम 180
हदनों का समय हदया जाता िै , िालांकक, अदालत को सूधचत करने के बाद इस अवधध को और आगे
बढ़ाया जा सकता िै ।
िषभ 2019 में ककए गए संर्ोधनों के अनुसार:
• यि अधधतनयम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के मिातनदे शक को, एजेंसी द्वारा मामले की जांच के दौरान,
आतंकवाद से िोने वाली आय से तनममतत संपवत्त पाए जाने पर उसे जधत करने की शक्तत प्रदान करता
िै ।
• यि अधधतनयम राज्य में िीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधधकारी के अततररतत,
आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने िे तु ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी’ के इंस्पेतटर या उससे ऊपर के रैंक
के अधधकाररयों को जांच का अधधकार प्रदान करता िै ।
• अधधतनयम में ककसी व्यक्तत को आतंकवादी के रूप में अमभहित करने का प्रावधान भी शाममल िै ।

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हदल्ली उच्च न्यायालय द्िारा पररिावषत UAPA की रूपरे खा:
जून 2021 में , विगधविरूद्ध कक्रयाकलाप तनिारण अगधतनयम (Unlawful Activities Prevention Act- UAPA), 1967
की एक अन्य रूप से "अस्पष्ट्ट" धारा 15 की रूपरे खा को पररभावषत करते िुए, हदल्ली उच्च न्यायालय द्वारा,
अगधतनयम की धारा 18, 15, 17 को लागू करने पर कुछ मित्वपण ू त मसद्धांत तनधातररत ककए गए थे।
UAPA की धारा 15, 17 और 18:
1. अधधतनयम की धारा 15, 'आतंकवादी कृत्यों’ से संबधं धत अपराधों को आरोवपत करती िै ।
2. धारा 17 के तित आतंकवादी कृत्यों के मलए धन जुटाने पर दक्ण्ित करने का प्रावधान ककया गया िै ।
3. धारा 18, के अंतगतत 'आतंकवादी कृत्य करने िे तु साक्जश आहद रचने' या आतंकवादी कृत्य करने िे तु
तैयारी करने वाले ककसी भी कायत' संबंधी अपराधों के मलए आरोवपत ककया जाता िै ।
अदालत द्िारा की गई प्रमख
ु हटप्पखणयां:
1. "आतंकवादी अधधतनयम" (Terrorist Act) को िल्के में निीं मलया जाना चाहिए।
2. अदालत ने ‘हितें द्र ववष्ट्णु ठाकुर मामले’ में सप्र
ु ीम कोटत के फैसले का िवाला दे ते िुए किा कक,
‘आतंकवादी गततववधधयां’ वे िोती िै , क्जनसे तनपटना, सामान्य दं ि कानूनों के तित कानून प्रवततन
एजेंमसयों की क्षमता से बािर िोता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप, ‘अंतरराष्ट्रीय संगहठत अपराध के णखलाफ संयुतत राष्ट्र अमभसमय’ के बारे में जानते
िैं? यि अंतरराष्ट्रीय संगहठत अपराध के णखलाफ लड़ाई में मुख्य अंतरराष्ट्रीय उपकरण िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप की पररभाषा
2. अधधतनयम के तित केंद्र की शक्ततयां
3. तया ऐसे मामलों में न्यातयक समीक्षा लागू िै ?
4. 2004 और 2019 में संशोधन द्वारा ककए गए बदलाव।
5. तया ववदे शी नागररकों को अधधतनयम के तित आरोवपत ककया जा सकता िै ?
में स ललंक: तया आप सिमत िैं कक ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) संशोधन अधधतनयम मौमलक अधधकारों के
मलए िातनकारक साबबत िो सकता िै ? तया राष्ट्रीय सुरक्षा के मलए स्वतंत्रता का बमलदान करना न्यायसंगत िै ?
चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।

विषय:संचार नेटवकत के माध्यम से आंतररक सुरक्षा को चुनौती, आंतररक सरु क्षा चन


ु ौततयों में मीडिया और
सामाक्जक नेटवककांग साइटों की भमू मका, साइबर सरु क्षा की बतु नयादी बातें , धन-शोधन और इसे रोकना।
1. असम-लमजोरम सीमा वििाद
संदिभ: असम और ममजोरम के मुख्यमंबत्रयों द्वारा सीमा पर तनाव कम करने िे तु रास्ता खोजा रिा िै ।
हाललया घटनाक्रम:
26 जुलाई को दोनों राज्यों के पुमलस बलों मध्य गोलीबारी की घटना िुई थी, और इसके इसमें असम के छि
पमु लसकमी और एक नागररक मारे गए तथा अन्य 60 व्यक्तत अन्य घायल िो गए थे।
असम सरकार का किना िै , कक गोलीबारी एकतरफा और अकारण की गयी थी, जबकक ममजोरम का दावा िै कक,
उनकी पुमलस से ‘असम पमु लस’ द्वारा हदखाई जा रिी आक्रामकता का जवाब हदया था।
वििाद की उत्पवत्त:
असम और ममजोरम के मध्य 164.6 ककलोमीटर लंबी पररवततनशील अंतर-राज्यीय सीमा िै , और इस सीमा-रे खा
पर िोने वाला संघषत दशकों पुराना िै ।

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इस वववाद के केंद्र में बब्रहटश काल के दौरान जारी की गई दो अधधसूचनाएं िै :
1. ममजोरम का दावा िै कक ‘बंगाल ईस्टनभ फ्रंहटयर रे गुलेर्न एक्ट, 1873’ के अंतगतत वषत 1875 में जारी
अधधसच
ू ना के आधार पर यि जमीन उसकी िै ।
2. असम, इस जमीन को अपनी बताता िै और इसके मलए यि, लुशाई पिाडड़यों का सीमांकन करने वाली
राज्य सरकार द्वारा वषत 1933 में जारी अधधसच
ू ना का िवाला दे ता िै । इसमें किा गया िै कक मणणपुर
की सीमा लुशाई हिल्स, असम के कछार क्जले और मणणपुर राज्य के राइजंतशन से शुरू िोती िै । ममजो
लोग इस सीमांकन को स्वीकार निीं करते िैं।
इस प्रकार की घटनाओं का प्रिाि:
26 जुलाई की घटना के बाद से, असम में स्थानीय लोगों ने ममजोरम को जोड़ने वाले एकमात्र रे लवे रै क को
उखाड़ हदया और राष्ट्रीय राजमागत -306 को अवरुद्ध कर हदया िै । क्जसकी वजि से ममजोरम से आने-जाने वाले
नागररकों और वस्तओ
ु ं का पररविन प्रभाववत िुआ िै ।
आिश्यकता:
• दोनों राज्यों के मध्य सौिादत पूणत समाधान िे तु सवोच्च न्यायालय से संपकत ककया जाना चाहिए।
• केंद्र सरकार की सीधी तनगरानी में ‘सीआरपीएफ’ बलों द्वारा इस क्षेत्र में गश्त और तनगरानी बढाई
जानी चाहिए।
• िालातों को बबगड़ने से रोकने िे तु, संवेदनशील संदेशों को पोस्ट करने से बचा जाना चाहिए और सोशल
मीडिया तलेटफॉमत का वववेकपूणत उपयोग ककया जाना चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक गि
ृ मंत्रालय के अनुसार, असम और
ममजोरम के अलावा, सात जगिों पर इस प्रकार के संघषत चल रिे िैं? एक
संक्षक्षतत अवलोकन।
प्रीललभस ललंक:
1. ममजोरम-असम सीमा वववाद के बारे में
2. पूवोत्तर राज्यों की भौगोमलक क्स्थतत और सीमाएं
3. अंतरातष्ट्रीय सीमाएँ से लगे पव
ू ोत्तर राज्य
4. राष्ट्रीय राजमागत -306
5. 1873 का बंगाल ईस्टनत फ्रंहटयर रे गुलेशन एतट
में स ललंक: असम-ममजोरम सीमा वववाद को समातत करने के उपाय सझ
ु ाइए।
स्रोत: द हिंद।ू

2. सूचना प्रौद्योगगकी अगधतनयम की धारा 66A


संदिभ:
िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा जारी व्यततव्य के अनस
ु ार, ‘श्रेया मसंघाल मामले’ में धारा 66A पर सुप्रीम कोटभ
के फैसले के बारे में जानकारी प्रसाररत करने िे तु ‘सच
ू ना एवं प्रौद्योधगकी मंत्रालय तथा गि
ृ मंत्रालय द्वारा
अपनी पूरी कोमशश की गई िै । इसके बावजूद भी, इस धारा के तित कई मामले दजत ककए जा चुके िैं।
केंद्र द्िारा की गयी हटप्पखणयाँ:
• चंकू क, ‘पमु लस और सावतजतनक व्यवस्था’ संववधान के तित "राज्य का ववषय" िैं, अताः ‘सच
ू ना एवं
प्रौद्योधगकी अधधतनयम’ की 'कठोर' धारा 66A को रद्द करने संबंधी शीषत अदालत द्वारा वषत 2015 में
हदए गए फैसले को लागू करने का दातयत्ि राज्य-सरकारों का िै ।
• शीषत अदालत के फैसले का अनप
ु ालन करने के संदभत में ‘कानन
ू प्रवततन एजेंमसयों’ की बराबर क्जपमेदारी
िै , और वे साइबर अपराध करने वालों के णखलाफ कानून के अनुसार कारत वाई करती िैं।
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संबंगधत प्रकरण:
5 जुलाई को, सुप्रीम कोटत द्वारा छि साल पिले रद्द ककए जाने के बावजूद पमु लस द्वारा धारा 66A के तित
मामले दजत करना जारी रखने पर िै रानी और तनराशा व्यतत की गई थी।
माचत 2021 तक, 11 राज्यों की क्जला अदालतों के समक्ष कुल 745 मामले अभी भी लंबबत और सकक्रय िैं, क्जनमें
आरोपी व्यक्ततयों पर आईटी अगधतनयम की धारा 66A (Section 66A of the IT Act) के तित अपराधों के मलए
मुकदमा चलाया जा रिा िै ।
‘आईटी अगधतनयम की धारा 66A’ क्या है ?
• धारा 66A (Section 66A), कंतयट
ू र या ककसी अन्य संचार उपकरण जैसे मोबाइल फोन या टै बलेट के
माध्यम से "आपवत्तजनक" संदेश भेजने पर सजा को पररभावषत करती िै ।
• इसके तित दोषी को अधधकतम तीन साल की जेल और जुमातना िो सकता िै ।
इस धारा के तित, पमु लस को ककसी व्यक्तत के मलए इस बात पर धगरफ्तारी करने का अधधकार हदया गया था,
कक पुमलसकमी के हिसाब से उस व्यक्तत की गततववधधयाँ ककसी अन्य को ‘धचढाने’ या ‘असिज करने वाली’ िै ,
अथवा इन्िें ‘अपमानजनक’ या ‘धमकाने-वाला’ किा जा सकता िै ।
सुप्रीम कोटभ द्िारा धारा 66A को हटाए जाने के कारण:
सुप्रीम कोटत के अनुसार, धारा 66A संववधान के अनुच्छे द 19(1) (a) के तित, मनमाने ढं ग से, अततशय पूवक
त और
असमान रूप से ‘अमभव्यक्तत की स्वतंत्रता के अधधकार’ पर िमला करती िै , और इन अधधकारों और इन पर
लगाए जाने वाले उधचत प्रततबंधों के बीच संतुलन को बबगाड़ती िै । इसके अलावा, प्रावधान के तित अपराधों की
पररभाषा, व्याख्या के मलए ‘खुली िुई’ (open-ended) और अपररभावषत िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु सप्र
ु ीम कोटत द्वारा अब तक रद्द ककए गए संवैधातनक संशोधनों का संक्षक्षतत वववरण जातनए।
प्रीललभस ललंक:
1. आईटी एतट की धारा 66A के बारे में
2. संववधान के अनुच्छे द 19 और 21 के बारे में
3. श्रेया मसंघाल मामला ककससे संबंधधत िै?
में स ललंक: आईटी अधधतनयम की धारा 66ए को सवोच्च न्यायालय ने तयों रद्द कर हदया। आलोचनात्मक चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू

3. ‘िगोड़ा आगथभक अपराधी’


संदिभ: िाल िी में , बब्रटे न के उच्च न्यायालय द्वारा िगोड़े हीरा व्यापारी नीरि मोदी को, मानमसक स्वास््य और
मानवाधधकारों के आधार पर, भारतीय अदालतों के समक्ष धोखाधड़ी और मनी लॉक्न्ड्रंग के आरोपों का सामना
करने िे तु भारत को प्रत्यपतण के पक्ष में जारी एक मक्जस्रे ट अदालत के आदे श के णखलाफ अपील करने की
अनुमतत दी िै ।
• अप्रैल 2020 में , यूनाइटे ि ककं गिम के गि
ृ ववभाग द्वारा, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 13,758 करोड़ रुपए
के धोखाधड़ी मामले से संबधं धत िीरा व्यापारी नीरव मोदी को भारत के मलए प्रत्यपतण को मंजूरी दी गयी
थी।
• प्रत्यपतण को मंजरू ी, दो मिीने पिले, लंदन के वेस्टममंस्टर मक्जस्रे ट कोटत द्वारा सन
ु ाए गए फैसले के
बाद दी गयी थी, क्जसमे कोटत ने किा था, कक प्रथम दृष्ट्टया नीरव मोदी के णखलाफ धोखाधड़ी का
मामला बनता िै ।
िगोड़ा आगथभक अपराधी:

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हदसंबर 2019, एक ववशेष अदालत द्वारा ‘प्रवततन तनदे शालय’ की याधचका
पर िीरा कारोबारी नीरव मोदी को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के $ 2
बबमलयन की धोखाधड़ी मामले में एक िगोड़ा आगथभक अपराधी (fugitive
economic offender) घोवषत कर हदया गया था।
िगोड़ा आगथभक अपराधी- पररिाषा:
कोई व्यक्तत, क्जसके णखलाफ कम से कम 100 करोड़ रुपये अथवा उससे
अधधक के आधथतक अपराध में शाममल िोने के कारण धगरफ्तारी वारं ट जारी
िो चक
ु ा िै और जो कानन
ू ी कारत वाई से बचने के मलए भारत से भाग गया
िै , ऐसे व्यक्तत को अपराधी माना जायेगा।
प्रकक्रया:
1. जांच एजेंमसयों द्वारा ‘धन र्ोधन तनिारण अगधतनयम’ ( Money-Laundering Act) के तित ‘ववशेष
अदालत’ में एक आवेदन दायर ककया जाता िै । इस आवेदन में जधत की जाने वाली संपवत्तयों और
व्यक्तत के हठकाने से संबधधत अन्य जानकारी का वववरण िोता िै ।
2. इसके बाद, ववशेष न्यायालय द्वारा, उस व्यक्तत को एक तनहदत ष्ट्ट स्थान पर उपक्स्थत िोने के मलए एक
नोहटस जारी ककया जाता िै। उपक्स्थतत िोने के मलए, नोहटस के जारी होने से कम से कम छह सप्ताह
के बाद की तारीख तनधातररत की जाती िै ।
3. यहद वि व्यक्तत तनधातररत स्थान और ततधथ पर िाक्जर िो जाता िै , तो आगे की कायतवािी समातत कर
दी जाती िै । यहद वि व्यक्तत िाक्जर निीं िोता िै , तो जांच एजेंमसयों द्वारा प्रस्तत
ु ककए गए साक्ष्यों के
आधार पर व्यक्तत को िगोड़ा आगथभक अपराधी घोवषत कर हदया जाता िै ।
4. भगोड़ा आधथतक अपराधी घोवषत ककया गया व्यक्तत ‘िगोड़ा आगथभक अपराधी अगधतनयम’, 2018 के
अनुसार, इस प्रकार की घोषणा के 30 हदनों के भीतर उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दे सकता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू

विषय:सीमावती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौततयाँ एवं उनका प्रबंधन- संगहठत अपराध और आतंकवाद के बीच संबध
ं ।
1. िारत में मादक पदाथों की तस्करी
संदिभ: नशीली दवाओं के णखलाफ कानून प्रवततन एजेंमसयों को, अफगातनस्तान में तामलबान द्वारा के तेजी से
कधजा िोने के साथ िी ‘िे रोइन’ और ‘कक्रस्टल मेथामफेटामाइन’ (crystal methamphetamine) की सीमा पार
तस्करी में भारी वद्
ृ धध िोने का संदेि िै ।
संबंगधत प्रकरण:
तामलबान के मलए नशीली दवाएं (ड्रग्स) राजस्व का एक प्रमुख स्रोत रिता िै । अफगातनस्तान की अथतव्यवस्था के
पतन के साथ, तामलबान अपने लड़ाकों पर तनयंत्रण बनाए रखने के मलए नशीली दवाओं से अक्जतत मुद्रा पर बिुत
अधधक तनभतर रिे गा।
ड्रग्स एंि क्राइम पर संयुतत राष्ट्र कायातलय की नवीनतम ‘वल्ित ड्रग ररपोटत ’ के अनस
ु ार:
• अफगातनस्तान में वपछले वषत की तुलना में 2020 के दौरान अफीम पोस्ता की अवैध खेती के मलए
प्रयत
ु त िोने काली भमू म में 37% की वद्
ृ धध िुई थी।
• वपछले वषत,वैक्श्वक अफीम उत्पादन में अफगातनस्तान का योगदान 85% था।
• अफगान ववशेषज्ञ इकाइयों की बेितर क्षमताओं के बावजूद, वपछले कुछ वषों में नशीली दवाओं की
बरामदगी और धगरफ्तारी ककए जाने का अफीम-पोस्ता की खेती पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा िै ।
• अफगातनस्तान, मेथामफेटामाइन उत्पादन का एक प्रमख
ु स्रोत बनता जा रिा िै ।

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‘िल्िभ ड्रग ररपोटभ ’ 2021
(World Drug Report)
1. वपछले वषत, वैक्श्वक स्तर पर लगभग 275 मममलयन लोगों द्वारा नशीली दवाओं इस्तेमाल ककया गया,
और 36 मममलयन से अधधक लोग, नशीली दवाओं के उपयोग संबंधी ववकारों से पीडड़त थे।
2. अधधकांश दे शों में मिामारी के दौरान ‘भांग’ के उपयोग में वद्
ृ धध दे खी गई िै ।
3. इसी अवधध में फामातस्यहु टकल दवाओं के गैर-धचककत्सा उपयोग में भी वद्
ृ धध िुई िै ।
4. नवीनतम वैक्श्वक अनुमानों के अनुसार, 15 से 64 वषत आयु वगत की लगभग 5.5 प्रततशत आबादी द्वारा
वपछले वषत के दौरान, कम से कम एक बार नशीली दवाओं का उपयोग ककया गया िै ।
5. अनुमान िै , कक वैक्श्वक स्तर पर 11 मममलयन से अधधक लोग दवाओं का इंजत
े शन लगाते िैं – इनमे से
आधे लोग ‘िे पेटाइहटस सी’ से पीडड़त िैं।
6. नशीली दवाओं के उपयोग के कारण िोने वाली बबमाररयों के मलये ‘ओवपओइि’ (Opioids) पदाथत
सवातधधक क्जपमेदार बने िुए िै ।
मादक पदाथों की तस्करी की समस्या से तनपटने हे तु िारत सरकार की नीततयाँ और पहलें:
1. ववमभन्न स्रोतों से उपलधध आंकड़ों के आधार पर, दे श के 272 क्जलों में 'नर्ा मक्
ु त िारत अलियान' या
'ड्रग्स-मुक्त िारत अलियान' को 15 अगस्त 2020 को िरी झंिी हदखाई गई।
2. सामाक्जक न्याय और अधधकाररता मंत्रालय द्वारा वषत 2018-2025 की अवधध के मलए ‘नशीली दवाओं की
मांग में कमी लाने िे तु राष्ट्रीय कायतयोजना’ (National Action Plan for Drug Demand Reduction-
NAPDDR) का कायातन्वयन शुरू ककया गया िै ।
3. सरकार द्वारा नवंबर, 2016 में नाको-समन्िय केंद्र (NCORD) का गठन ककया गया िै ।
4. सरकार द्वारा नारकोहटक ड्रग्स संबंधी अवैध व्यापार, व्यसनी / नशेडड़यों के पुनवातस, और नशीली दवाओं
के दरु
ु पयोग के णखलाफ जनता को मशक्षक्षत करने आहद में िोने वाले व्यय को परू ा करने िे तु "नशीली
दवाओं के दरु
ु पयोग तनयंत्रण िे तु राष्ट्रीय कोष" (National Fund for Control of Drug Abuse) नामक एक
कोष का गठन ककया गया िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं, कक 26 जन
ू को संयत
ु त राष्ट्र मिासभा द्वारा 7 हदसंबर 1987 को नशीली
दवाओं के दरु
ु पयोग और अवैध तस्करी के णखलाफ अंतरातष्ट्रीय हदवस के रूप में चुना गया था।
प्रीललभस ललंक:
1. UNODC के बारे में
2. "नारकोहटतस तनयंत्रण िे तु राज्यों को ववत्तीय सिायता" की योजना का अवलोकन
3. नाको-समन्वय केंद्र (NCORD) की संरचना
4. नशीली दवाओं के दरु
ु पयोग तनयंत्रण िे तु राष्ट्रीय कोष
5. नारकोहटतस कंरोल धयूरो के बारे में
6. नशीली दवाओं के दरु
ु पयोग और अवैध तस्करी के णखलाफ अंतरातष्ट्रीय हदवस और इस वषत की थीम
में स ललंक:
भारत, मादक पदाथों की तस्करी की चपेट में िै । इसके कारणों का समालोचनात्मक परीक्षण कीक्जए। नशीली
दवाओं की समस्या से तनपटने में सरकार की भूममका पर भी हटतपणी कररए।
स्रोत: द हिंद।ू

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विषय:ववमभन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधधदे श।
1. एकीकृत गथएटर कमांि
संदिभ: िाल िी में , तीनों सशस्त्र बलों (नौसेना, सेना और वायु सेना) के मध्य ‘टे बल-टॉप यद्
ु ध-खेल अभ्यास’
(table-top war-gaming exercise) ककया गया था।
इसका उद्दे श्य, एकीकृत ‘बत्र-सेवा धथएटर कमांि’ (tri-service theatre commands) में बलों के पुनगतठन पर तीनों
सेनाओं के मध्य आम सिमतत ववकमसत करना और प्रस्ताववत मॉिल में सध
ु ार करना था।
पष्ट्ृ ठिूलम:
• वततमान में भारत के पास, तीनों सशस्त्र बलों के 17 कमांि कायतरत िैं, क्जनमें थल सेना और िायु सेना,
प्रत्येक के अधीन सात कमांि िैं और नौसेना के अधीन तीन कमांि िैं।
• भारत के पास ‘सामररक सैन्य-बल कमान’ (Strategic Forces Command - SFC) के अलावा, ‘अंिमान
और तनकोबार कमान’- एक बत्र-सेवा कमान भी िै । यि कमान दे श के परमाणु भंिार की तनगरानी करती
िै ।
‘इंटीग्रेटेि गथएटर कमांि’ क्या हैं?
‘एकीकृत धथएटर कमांड्स’ (Integrated Theatre Commands- ITC) के तित रणनीततक और सुरक्षा की दृक्ष्ट्ट से
मित्वपूणत भौगोमलक क्षेत्रों के मलए, एक कमांिर के अधीन, तीनों सेनाओं की एकीकृत कमांि की पररकल्पना की
गयी िै ।
• इस तरि के सैन्य बल के कमांिर को, थल सेना, भारतीय वायु सेना और नौसेना के सभी संसाधनों का
अपने वववेकानुसार तनबातध प्रभावकाररता के साथ उपयोग करने की शक्तत िोगी।
• एकीकृत धथएटर कमांिर, ककसी एक सेवा के प्रतत जवाबदे ि निीं िोगा।
िारत में ‘गथएटर कमांि’ की आिश्यकता:
• धथएटर कमांि, बेितर योजना बनाने और सैन्य प्रततकक्रया में सिायक िोगी और इससे सैन्य-व्यय में भी
कमी आएगी।
• चूंकक, तयोंकक सभी धथएटरों को पयाततत सैन्य उपकरणों एवं प्रणामलयों से लैस करना िोगा, अताः तनकट
भववष्ट्य में , सैन्य-व्यय में वद्
ृ धध िोने की संभवना िै । ककं त,ु सभी अधधग्रिणों को एक ‘धथएटर कमांि’ में
एकीकृत ककया जाएगा, इसमलए दीघातवधध में यि लागत प्रभावी साबबत िोंगे।
• ‘धथएटर कमांि’, भववष्ट्य के िोने वाले ककसी यद्
ु ध में लड़ने िे तु एक ‘एकीकृत दृक्ष्ट्टकोण’ प्रदान करे ग।े
इस संबंध में प्रस्ताि:
वषत 1999 में िुए कारधगल युद्ध के बाद, इस पर ववचार-ववमशत के दौरान, युद्ध लड़ने िे तु एक एकीकृत
दृक्ष्ट्टकोण की आवश्यकता मिससू की गई थी।
• ‘नरे श चंद्र सममतत’ सहित ‘कारधगल समीक्षा सममतत’ और तत्कालीन ‘मंबत्रयों के समूि’ द्वारा ‘उच्च स्तर
पर रक्षा प्रबंधन में संरचनात्मक पररवततन की जरूरत बताई गयी।
• शेकेतकर सममतत (Shekatkar Committee) द्वारा भी आंतररक और बाह्य खतरों से तनपटने के मलये तीन
एकीकृत धथएटर कमांि- चीन सीमा के मलए- उत्तरी कमांि, पाककस्तान सीमा के मलए- पक्श्चमी कमांि,
और समुद्री कारत वाहियों के मलए- दक्षक्षणी कमांि गहठत करने के संदभत में मसफाररश की गई थी।
• शेकेतकर सममतत ने ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) का पड़ सक्ृ जत करने की भी मसफ़ाररश की थी।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘परमाणु कमान प्राधधकरण’ (Nuclear Command Authority) के बारे में जानते िैं? इस
प्राधधकरण का प्रमख
ु कौन िोता िै और इसके कायत तया िैं?
स्रोत: द हिंद।ू

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प्रारम्भिक परीक्षा हे तु तथ्य

1. पूिोत्तर अंतररक्ष अनुप्रयोग केंद्र (NESAC)


केंद्र सरकार ने ‘पूवोत्तर अंतररक्ष अनुप्रयोग केंद्र’ (North Eastern Space Application Centre - NESAC) से ‘असम-
ममजोरम सीमा वववाद’ को िल करने और स्थायी समाधान पर पिुंचने िे तु, उपग्रि धचत्रण के माध्यम से राज्य
की सीमाओं का मानधचत्रण और सीमांकन करने को किा िै ।
NESAC के बारे में :
• 2005 में स्थावपत, पव
ू ोत्तर अंतररक्ष अनप्र
ु योग केंद्र (NESAC), अंतररक्ष ववभाग (DoS) और ‘पव
ू ोत्तर पररषद’
(North Eastern Council - NEC) की एक संयुतत पिल िै ।
• यि ‘मशलांग’ में क्स्थत िै ।
• ‘पूवोत्तर अंतररक्ष अनुप्रयोग केंद्र’ उन्नत अंतररक्ष प्रौद्योधगकी सिायता के माध्यम से, क्षेत्र में ववकास
प्रकक्रया को आगे बढ़ाने में मदद करता िै ।
2. िारतीय और चीन के मध्य हॉटलाइन की स्थापना
सीमा पर ववश्वास और सौिादत पूणत संबध
ं ों की भावना को आगे बढ़ाने के मलए उत्तरी लसम्क्कम के ‘कोंगरा ला’ में
भारतीय सेना और ततधबत स्वायत्त क्षेत्र के खंबा जोंग में पीपुल्स मलबरे शन आमी (पीएलए) के बीच एक
िॉटलाइन स्थावपत की गई िै ।
• वततमान में , भारत और चीन के मध्य, अन्य िॉटलाइनों के अलावा पूवी लद्दाख के ‘चुशुल’ और ‘दौलत
बेग ओल्िी’ में दो सैन्य िॉटलाइन कायतरत िैं।
• ‘िॉटलाइन’, ववशेष रूप से आपात क्स्थतत में उपयोग िे तु, सरकार के प्रमुखों के मध्य वातात िे तु या ककसी
ववमशष्ट्ट उद्दे श्य के मलए स्थावपत एक सीधी फोन लाइन िोती िै ।
3. अश्िगंधा
िाल िी में , आयुष मंत्रालय द्वारा कोववि-19 से ररकवरी को बढ़ावा दे ने िे तु 'अश्वगंधा’ (Ashwagandha) पर,
साथ-ममलकर एक अध्ययन करने िे तु बब्रटे न के ‘लंदन स्कूल ऑफ िाइजीन एंि रॉवपकल मेडिमसन’ (LSHTM) के
साथ एक समझौता ककया गया िै ।
'अश्िगंधा के बारे महत्िपूणभ तथ्य:
• 'अश्वगंधा' (ववथातनया सोक्पनफेरा - Withania somnifera) को आमतौर पर 'इंडियन विंटर चेरी' के नाम से
जाना जाता िै ।
• यि, ऊजात बढाने, तनाव कम करने और प्रततरक्षा प्रणाली को मजबूत करनी वाली एक पारं पररक भारतीय
जड़ी बूटी िै ।
• इसे "एिातटोजेन" (Adaptogen) के रूप में वगीकृत ककया गया िै , अथातत यि आपके शरीर को तनाव-
प्रबंधन करने में मदद कर सकती िै ।
• अश्वगंधा को, व्यापक रूप से उपोष्ट्णकहटबंधीय क्षेत्रों के र्ुष्ट्क िागों में उगाया जाता िै । भारत में ,
राजस्थान, पंजाब, िररयाणा, उत्तर प्रदे श, गुजरात, मिाराष्ट्र और मध्य प्रदे श अश्वगंधा उगाने वाले प्रमुख
राज्य िैं।
• एक कठोर और सूखा-सिनशील फसल िोने के कारण, अश्वगंधा को पूणत रूप से ववकमसत िोने के दौरान
अपेक्षाकृत शुष्ट्क मौसम की आवश्यकता िोती िै । इसकी खेती के मलए, 60-75 सेमी वषात वाले क्षेत्र
उपयुतत िोते िैं।
• 20°C से 35°C के बीच का तापमान, इसकी खेती के मलए सबसे उपयुतत िोता िै ।

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• अश्वगंधा, 7.5-8.0 pH मान वाली रे तीली दोमट या िल्की लाल ममट्टी में अच्छी तरि से उगता िै । जल
तनकासी की उधचत व्यवस्था सहित काली ममट्टी भी अश्वगंधा की खेती के मलए उपयुतत िोती िै ।
4. ई-रुपी (e-RUPI)
ई-रुपी, व्यक्तत-ववमशष्ट्ट और उद्दे श्य-ववमशष्ट्ट डिक्जटल पेमेंट सॉल्यूशन िै ।
• यि डिक्जटल भुगतान के मलए एक कैशलेस और संपकत रहित माध्यम िै ।
• ई-रुपी बबना ककसी कफक्जकल इंटरफेस के डिक्जटल तरीके से लाभाधथतयों और सेवा प्रदाताओं के साथ
सेवाओं के प्रायोजकों को जोड़ता िै ।
• इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरे शन ऑफ इंडिया ने अपने यप
ू ीआई तलेटफॉमत पर ववत्तीय सेवा ववभाग,
स्वास््य एवं पररवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास््य प्राधधकरण के सियोग से ववकमसत ककया
िै ।
कायभविगध: यि मूल रूप से एक प्रीपेि वाउचर िै क्जसे मोबाइल नंबर और पिचान सत्यावपत करने के बाद सीधे
नागररकों को जारी ककया जा सकता िै ।
• e-RUPI वाउचर को तयूआर कोि या एसएमएस क्स्रं ग-आधाररत ई-वाउचर के रूप में लाभाथी के मोबाइल
नंबर पर पिुंचाया जाएगा।
• उपयोगकतात अपने सेवा प्रदाता के केंद्र पर काित, डिक्जटल भुगतान एप या इंटरनेट बैंककं ग एतसेस के
बगैर िी वाउचर की रामश को प्रातत कर सकते िैं।
5. कुगथरन सुरंग
कुधथरन सुरंग (Kuthiran Tunnel) भारत में केरल राज्य के बत्रशूर क्जले के कुधथरन में बनाई गई ‘ट्ववन-ट्यूब’
सुरंग िै ।
• यि राष्ट्रीय राजमागत 544 पर क्स्थत िै , क्जसका स्वाममत्व और संचालन भारतीय राष्ट्रीय राजमागत
प्राधधकरण के पास िै ।
• यि सड़क पररविन िे तु केरल राज्य की पिली सुरंग िै और दक्षक्षण भारत की सवातधधक लंबी 6-लेन
सड़क सुरंग िै ।
• 1.6 ककमी लंबी यि सुरंग पीची-वजिानी वन्यजीव अभयारण्य से िोकर गुजरती िै ।
6. लमनरिेररया पें टाली में ढक प्रजातत
िाल िी में पक्श्चमी घाट में में ढक की एक नई प्रजातत की खोज की गई िै और यि प्रजातत दक्षक्षणी पक्श्चमी
घाट (केरल और तममलनािु) के मलए स्थातनक िै ।
यि प्रजातत सबसे छोटे ज्ञात ‘ममनरवेररया’ (प्रजातत) में ढकों में से एक िै ।
• नई में ढक प्रजातत ‘डिक्रोग्लोमसिे’ (Dicroglossidae) पररवार से संबंधधत िै ।
• इस प्रजातत (Minervarya Pentali) का नामकरण, हदल्ली ववश्वववद्यालय
में मसस्टे महै टतस लैब की स्थापना िे तु सियोग और प्रोत्सािन दे ने के
मलए, हदल्ली ववश्वववद्यालय के पूवत कुलपतत और पादप-आनुवंमशकीववद्
प्रो. ‘दीपक पें टल’ के नाम पर रखा गया िै ।
7. ‘टै ललसमैन सेबर’ सैन्याभ्यास
ऑस्रे मलया, भारत को 2023 में िोने वाले अपने सबसे बड़े युद्धाभ्यास 'एतसरसाइज टै मलसमैन सेबर' (Exercise
Talisman Sabre) में शाममल करने का इच्छुक िै । शीघ्र िी, इस संबंध में भारत को एक औपचाररक तनमंत्रण
हदया जाएगा।
• िाल िी संपन्न िुआ ‘टै मलसमैन सेबर' 2021, ऑस्रे मलयाई रक्षा बल (ADF) और अमेररकी सेना के मध्य
सबसे बड़ी द्ववपक्षीय संयतु त प्रमशक्षण कारत वािी थी।

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• इसमें स्थल, वायु और समुद्र में सात दे शों के लगभग 17,000 सैन्य कममतयों से भाग मलया।
• इस सैन्याभ्यास में कनािा, जापान, न्यूजीलैंि, दक्षक्षण कोररया और यू.के. भाग लेने वाले अन्य दे श थे।
8. अन्नामलाई का उड़ने िाला में ढक
(Anaimalai flying frog)
वैज्ञातनक नाम: रै कोफोरस स्यूिोमालाबेररकस (Racophorus pseudomalabaricus)
• अन्य नाम: भ्रामक मालाबार ग्लाइडिंग में ढक और भ्रामक मालाबार री
फ्रॉग।
• यि एक ‘गंभीर रूप से लतु तप्राय’ (critically endangered) में ढक प्रजातत
िै ।
• यि, पक्श्चमी घाट के दक्षक्षणी भाग की स्थातनक प्रजातत िै , और वास-स्थलों के नष्ट्ट िोने की वजि से
इन में ढकों की संख्या में तेजी से धगरावट आई िै ।
• वततमान में , यि प्रजातत, इंहदरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान और परक्पबकुलम टाइगर ररजवत, दो संरक्षक्षत क्षेत्रों
में पायी जाती िै ।
9. िारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रततकक्रया दल (CERT-In)
भारतीय कंतयूटर आपातकालीन प्रततकक्रया टीम (Indian Computer Emergency Response Team - CERT-In),
‘इलेतरॉतनतस और सूचना प्रौद्योधगकी मंत्रालय’, भारत सरकार के अधीन ‘भारतीय साइबर स्पेस’ को सुरक्षक्षत
करने के उद्दे श्य से गहठत एक संस्था िै ।
• इसे वषत 2004 में स्थावपत ककया गया था।
• यि िै ककं ग और कफ़मशंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से तनपटने िे तु ‘नोिल एजेंसी’ िै ।
• सूचना प्रौद्योधगकी (संशोधन) अधधतनयम 2008 के तित, CERT-In के मलए कुछ तनक्श्चत कायत करने के
मलए राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में अमभहित ककया गया िै।
संदिभ: वषत 2021 के पिले छि मिीनों में , CERT-In द्वारा 6.07 लाख साइबर सुरक्षा घटनाओं को रै क ककया गया
िै , इनमे से लगभग 12,000 साइबर सुरक्षा संबंधी मामले सरकारी संगठनों से संबंधधत थे।
10. अगलेगा द्िीप
यि मॉरीशस में क्स्थत एक द्वीप िै ।
• यि द्वीपसमि
ू के ‘मख्
ु य द्वीप’ से लगभग 1,000 ककमी
उत्तर में क्स्थत िै ।
• िाल िी में , ‘अगलेगा द्िीप’ (Agalega island) काफी चचात में
था, तयोंकक कुछ ररपोटों के अनुसार, मॉरीशस द्वारा भारत
को इस द्वीप पर एक सैन्य अड्िा बनाने की अनुमतत दी
गई िै ।
• िालांकक, मॉरीशस द्वारा स्पष्ट्ट ककया गया िै कक भारत के
साथ ऐसा कोई समझौता निीं ककया गया िै ।
11. डिएगो गालसभया
यि यूनाइटे ि ककं गिम के एक ववदे शी क्षेत्र के रूप में ‘बिहटर् हहंद महासागर क्षेत्र’ का एक द्वीप िै ।
• यि चागोस द्वीपसमूि के 60 छोटे द्वीपों में सबसे बड़ा िै ।
• पुतग
त ाली इस द्वीप की खोज करने वाले पिले यूरोपीय थे और कफर 1790 के दशक में इस द्वीप को
फ्रांसीमसयों द्वारा बसाया गया और नेपोमलयन काल में िुए युद्धों के बाद इसे बब्रहटश शासन में ममला
हदया गया।

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• वषत 1965 में , बब्रटे न ने चागोस द्वीप समूि को मॉरीशस से अलग कर हदया, और डिएगो गामसतया
(Diego Garcia) पर संयत
ु त राज्य अमेररका के साथ एक संयुतत सैन्य अड्िा स्थावपत ककया।
• बब्रटे न का किना िै , कक यि द्वीपसमि
ू लंदन की संपवत्त िै और िाल िी में , बब्रटे न द्वारा वषत 2036 तक
डिएगो गामसतया का उपयोग करने के मलए संयुतत राज्य अमेररका के साथ एक पट्टा समझौते का
नवीनीकरण ककया गया िै ।
12. EOS-03 उपग्रह
EOS-03 एक ‘िू-प्रेक्षण उपग्रह’ (Earth Observation Satellite - EOS) िै ।
• यि उपग्रि, GSLV की 14वीं उड़ान (GSLV-F10) द्वारा अंतररक्ष में भेजा जाएगा।
• इस उपग्रि को भूक्स्थर कक्षा में स्थावपत ककया जाएगा।
• EOS-03 अत्याधुतनक उपग्रि िै और बाढ़ एवं चक्रवात जैसी प्राकृततक आपदाओं की वास्तववक-समय
तनगरानी करने में सक्षम िोगा।
• यि उपग्रि, पूरे दे श का प्रततहदन चार-पांच बार प्रेक्षण करने में सक्षम िै ।
13. केंद्रीय विश्िविद्यालय (संर्ोधन) विधेयक 2021
लोकसभा में ‘केंद्रीय ववश्वववद्यालय (संशोधन) ववधेयक, 2021 (Central University (Amendment) Bill 2021) को
मंजूरी दे दी गई िै , क्जसमें केंद्र शामसत क्षेत्र लद्दाख में एक केंद्रीय ववश्वववद्यालय स्थावपत करने का प्रावधान
ककया गया िै ।
• इस ववधेयक के तित, केंद्रीय ववश्वववद्यालय अधधतनयम, 2009 में संशोधन ककया जाएगा।
• इस ववश्वववद्यालय का नाम ‘लसंधु केंद्रीय विश्िविद्यालय’ िोगा।
• केंद्रीय ववश्वववद्यालय की स्थापना से लद्दाख में छात्रों को आसानी से उच्च अध्ययन करने में मदद
ममलेगी और यि आने वाले वषों में क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी पूरा करे गा।
कृपया ध्यान दें , कक भारत में केंद्रीय ववश्वववद्यालय या संघीय ववश्वववद्यालयों की स्थापना संसद के एक
अधधतनयम द्वारा की जाती िै , और ये ववश्वववद्यालय, मशक्षा मंत्रालय में उच्च मशक्षा ववभाग के अधीन िोते िैं।
14. ध्यानचंद के नाम पर ‘खेल रत्न’ परु
ु स्कार
िॉकी के जादग
ू र के सपमान में राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर "मेजर
ध्यानचंद खेल रत्न" कर हदया गया िै ।
• तीन बार के ओलंवपक स्वणत पदक ववजेता ध्यानचंद को भारत का सबसे
मिान िॉकी णखलाड़ी माना जाता िै । उनका जन्महदन, 29 अगस्त, राष्ट्रीय
खेल हदवस के रूप में मनाया जाता िै , और इस हदन िर साल राष्ट्रीय खेल
पुरस्कार प्रदान ककए जाते िैं।
• खेल रत्न पुरस्कार, चार साल की अवधध में ककसी णखलाड़ी द्वारा खेल के
क्षेत्र में शानदार और उत्कृष्ट्ट प्रदशतन के मलए, यव
ु ा मामले और खेल
मंत्रालय द्वारा हदया जाने वाला सवोच्च खेल पुरस्कार िै ।
15. ‘हहज़्बुल्लाह’
हिज़्बुल्लाि (Hezbollah), लेबनान में क्स्थत एक मशया इस्लामी राजनीततक दल िै ।
इस संगठन की स्थापना, 1980 के दशक में ईरान द्वारा लेबनानी मशया समूिों को एकबत्रत करने प्रयास के
तित गई थी। वततमान में जारी ईरान-इजराइल संघषत में , हिज़्बल्
ु लाि ईरान के मलए एक प्रॉतसी के रूप में कायत
करता िै ।

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16. 'पानी माह' अलियान
केंद्र शामसत प्रदे श लद्दाख ने अपने यिां जल जीवन ममशन के कायातन्वयन की गतत बढ़ाने और स्वच्छ पानी के
मित्व पर ग्रामीण समुदायों को सूधचत करने और साथ जोड़ने के मलए एक मिीने का अमभयान- 'पानी माि'
(जल माि) शरू
ु ककया िै ।
• 'पानी माि' अमभयान, दो चरणों में धलॉक और पंचायत स्तर पर चलेगा।
• इस अमभयान में , बत्र-आयामी दृक्ष्ट्टकोण - पानी की गण
ु वत्ता का परीक्षण, जल आपूततत की योजना और
रणनीतत तथा गांवों में पानी सभा का तनबातध आयोजन- अपनाया जाएगा।
17. एविया द्िीप
• इसे यब
ू ोआ (Euboea) के नाम से भी जाना जाता िै , यि क्षेत्रफल की दृक्ष्ट्ट से दस
ू रा सबसे बड़ा यन
ू ानी
द्वीप िै ।
• यि संकीणत यूररपस जलिमरूमध्य (Euripus Strait) द्वारा ग्रीस की मुख्य भमू म के ‘बोईओहटया’
(Boeotia) से अलग िोता िै।
• एववया द्वीप (Island of Evia), िाल िी में , इसके जंगलों में लगी भयंकर आग की वजि से चचात में था।
18. िारत-ततब्बत सीमा पलु लस (ITBP) बल
िाल िी में , भारत-ततधबत सीमा पुमलस (Indo-Tibetan Border Police - ITBP) द्वारा अपनी पिली दो महिला
अधधकाररयों (प्रकृतत और दीक्षा) को युद्धक अधधकारी के रूप में तनयत
ु त ककया गया िै ।
• आईटीबीपी ने संघ लोक सेवा आयोग (यप
ू ीएससी) द्वारा आयोक्जत अणखल भारतीय परीक्षा के माध्यम
से 2016 से अपने संवगत में महिला युद्धक अधधकाररयों की भती शुरू की िै । इससे पिले, आईटीबीपी में
केवल कांस्टे बुलरी रैंक में यद्
ु धक महिलाओं की भती की जाती थी।
• भारत-ततधबत सीमा पुमलस बल (ITBPF) भारत सरकार के गि
ृ मंत्रालय के अधीन कायतरत एक केंद्रीय
सशस्त्र पमु लस बल िै ।
• यि चीन के ततधबत स्वायत्त क्षेत्र से सटी भारतीय सीमा की तनगरानी िे तु भारत का प्रमख
ु सीमा गश्ती
संगठन िै ।
• स्थापना: भारत-ततधबत सीमा पुमलस बल अधधतनयम, 1992 के तित।
19. राष्ट्रीय अन्िेषण अलिकरण (NIA)
• राष्ट्रीय अन्वेषण अमभकरण / राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency - NIA) का गठन
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधधतनयम, 2008 के तित ककया गया था।
• यि केंद्रीय आतंकवाद-रोधी क़ानून प्रवततन एजेंसी भी िै।
• इसके मलए, राज्यों की ववशेष अनुमतत के बगैर, राज्यों में आतंकवाद से संबधं धत अपराधों से तनपटने का
अधधकार िै ।
• यि गि
ृ मंत्रालय के अधीन कायत करती िै ।
• वषत 2019 में ककए गए संशोधन के बाद, एनआईए को ववदे शों में भारतीयों और भारतीय हितों को लक्षक्षत
करने वाले आतंकी िमलों की जांच करने की शक्तत प्रदान की गयी िै ।
20. पेनलसलुंगपा ग्लेलर्यर
पेक्न्सलंग
ु पा ग्लेमशयर (Pensilungpa Glacier) लद्दाख के जांस्कर क्षेत्र में क्स्थत िै ।
• तापमान में वद्
ृ धध और सहदत यों में कम बफतबारी िोने के कारण यि ग्लेमशयर पीछे णखसक रिा िै ।
• जांस्कर रें ज, केंद्र शामसत प्रदे श लद्दाख में क्स्थत एक पवतत श्रंख
ृ ला िै , जो जांस्कर को लद्दाख से
अलग करती िै ।
• भूवैज्ञातनक रूप से, जांस्कर रें ज टे धथस हिमालय का हिस्सा िै ।

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• लद्दाख को कश्मीर से जोड़ने वाले ‘माबतल दरात’ और कई अन्य दरे इस क्षेत्र में क्स्थत िैं।
• 13000 फीट ऊंचा जोक्जला दरात, जांस्कर रें ज के एकदम उत्तर-पक्श्चम में क्स्थत िै।
21. अंतराभष्ट्रीय सेना खेल
भारतीय सेना, रूस में िोने वाले अंतरातष्ट्रीय सेना खेलों (International Army Games) 2021 में भाग ले रिी िै ।
• अंतरातष्ट्रीय सेना खेल, रूस के रक्षा मंत्रालय (MoD) द्वारा वावषतक रूप आयोक्जत ककया जाने वाला एक
रूसी सैन्य खेल आयोजन िै ।
• यि खेल पिली बार अगस्त 2015 में आयोक्जत ककए गए थे, और दो सतताि तक चले इस सैन्य खेल
आयोजन की दजतनों प्रततयोधगताओं करीब 30 दे शों ने भाग मलया था।
• इन खेलों को ‘युद्ध ओलक्पपक’ (War Olympics) भी किा जाता िै ।
22. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
राष्ट्रीय नाट्य ववद्यालय (National School of Drama - NSD) की स्थापना ‘संगीत नाटक अकादमी’ द्वारा वषत
1959 में उसकी एक इकाई के रूप में की गई।
• वषत 1975 यि एक स्वतंत्र संस्था बनी व इसका पंजीकरण वषत 1860 के सोसायटी पंजीकरण धारा XXI के
अंतगतत एक स्वायत्त संस्था के रूप में ककया गया। यि संस्था संस्कृतत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पूणत
रूप से ववत्त पोवषत िै ।
• राष्ट्रीय नाट्य ववद्यालय द्वारा वषत 1999 में भारत रं ग मिोत्सव, या 'राष्ट्रीय रं गमंच मिोत्सव' की
शुरुआत की थी। यि राष्ट्रीय नाट्य ववद्यालय (NSD) द्वारा नई हदल्ली में आयोक्जत ककया जाने वाला
वावषतक धथएटर उत्सव िै ।
• वततमान में , 'राष्ट्रीय रं गमंच मिोत्सव' को, धथएटर के मलए पूरी तरि से समवपतत, एमशया के सबसे बड़े
धथएटर उत्सव के रूप में माना जाता िै ।
23. महाराष्ट्र दिारा ‘सूचना प्रौद्योगगकी’ क्षेत्र में राजीि गांधी पुरस्कार
• िाल िी में , मिाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘सूचना प्रौद्योधगकी’ में उत्कृष्ट्टता िे तु ‘राजीव गांधी पुरस्कार’ शुरू
करने की घोषणा की गयी िै ।
• यि पुरस्कार, पूवत प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती, 20 अगस्त, के अवसर पर सच
ू ना प्रौद्योधगकी क्षेत्र
में उत्कृष्ट्ट प्रदशतन के मलए संस्थानों और कंपतनयों को यि पुरस्कार हदया जाएगा।
24. अल-मोहे द अल-हहंदी 2021
• यि भारत और सऊदी अरब के बीच पिला द्ववपक्षीय नौसैतनक अभ्यास िै ।
• अल-मोिे द अल-हिंदी 2021 (Al-Mohed Al-Hindi 2021), सऊदी में आयोक्जत ककया जा रिा िै ।
25. प्रधान मंत्री श्रम पुरस्कार
िाल िी में , भारत सरकार द्वारा िषभ 2018 के ललए प्रधान मंत्री श्रम पुरस्कारों (PMSA) की घोषणा की गयी िै।
इस साल प्रधानमंत्री श्रम परु स्कार तीन श्रेणणयों में हदए गए िैं। ये श्रेणणयां िैं:
1. श्रम िूषण पुरस्कार, क्जसमें 1,00,000/- रुपये का नकद पुरस्कार हदया जाता िै ,
2. श्रम िीर / श्रम िीरांगना परु स्कार, क्जसमें 60,000/- रुपये का नकद पुरस्कार हदया जाता िै , और
3. श्रम श्री / श्रम दे िी परु स्कार, क्जसमें प्रत्येक को 40,000/- रुपये का नकद पुरस्कार हदया जाता िै ।
पुरस्कारों के बारे में :
• प्रधान मंत्री श्रम परु स्कारों का उद्दे श्य, सावतजतनक और तनजी दोनों क्षेत्रों के संगठनों में काम करने वालों
द्वारा ककए गए उत्कृष्ट्ट योगदानों का सपमान करना िै ।

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• यि पुरस्कार, औद्योधगक वववाद अधधतनयम, 1947 में पररभावषत एवं केंद्र एवं राज्य सरकारों के ववभागीय
उपक्रमों, केन्द्र और राज्य के सावतजतनक क्षेत्र के उपक्रमों और तनजी क्षेत्र में तनयुतत और कायतरत
न्यन
ू तम 500 कामगारों को को प्रदान ककए जाएंगे।
पात्रता: ये पुरस्कार श्रममकों को उनके ववमशष्ट्ट प्रदशतन, नवाचार क्षमताओं, उत्पादकता के क्षेत्र में उत्कृष्ट्ट योगदान
और असाधारण सािस व बद्
ु धधमत्ता का प्रदशतन करने के मलए हदए जाते िैं।
• ये उन कामगारों को भी हदए जाते िैं क्जन्िोंने प्रत्युत्पन्न मतत और असाधारण सािस हदखाया िो और
अपने कततव्य के पालन में कततव्यतनष्ट्ठा के साथ अपना जीवन समवपतत कर हदया िो।
• रूटीन सेवा कायों में लगे कामगार, इन परु स्कारों के मलए पात्र निीं िोंगे।
26. केरल में जंगली गुलमेहंदी की तीन नई प्रजाततयों की खोज
जंगली गुलमेिंदी / बालसम (wild balsam) की ये प्रजाततयां, बाल्सममनेसी वगत (family
Balsaminaceae) की इपपेततन्स (Impatiens) प्रजातत से संबंधधत िैं।
• इस प्रजातत के पौधों को मलयालम में 'काशीथप
ु बा' के नाम से जाना जाता िै ।
• इन प्रजाततयों को दक्षक्षणी केरल के पक्श्चमी घाट क्षेत्र और इिुतकी क्जले में खोजा
गया िै ।
• तीन प्रजाततयों में से दो का नामकारण, कपयुतनस्ट हदग्गज और पूवत मुख्यमंत्री
वी.एस. अच्यत
ु ानंदन और पव
ू त स्वास््य मंत्री के.के. शैलजा के नाम पर ककया गया िै ।
27. लसयागचन ग्लेलर्यर
• ‘टीम CLAW’ नामक ववकलांग लोगों के दल द्वारा स्वतंत्रता हदवस पर मसयाधचन ग्लेमशयर की रे ककं ग के
मलए यात्रा शरू
ु की गयी िै ।
• यि दल, ववकलांग लोगों के सबसे बड़े दल द्वारा ववश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र पर रे ककं ग करने का
ववश्व ररकॉित बनाने का प्रयास करे गा।
• यि अमभयान, 'ऑपरे शन धलू फ्रीिम हरपल वल्ित ररकॉड्तस' के ‘स्थलीय विश्ि ररकॉिभ अलियान’ का हिस्सा
िै ।
• ‘टीम CLAW’ हदव्यांग-जनों को सशतत बनाने की हदशा में काम कर रिे ‘सशस्त्र बलों के सेवातनवत्त

कममतयों का एक दल शाममल िै ।
लसयागचन ग्लेलर्यर के बारे में :
• यि हिमालय में पूवी काराकोरम श्रेणी में क्स्थत िै ।
• यि ववश्व के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में क्स्थत दस
ू रा सबसे लंबा ग्लेमशयर िै ।
• मसयाधचन ग्लेमशयर, यरू े मशयन तलेट को भारतीय उपमिाद्वीप से अलग करने वाले ‘मिान जल
ववभाजक’ के ठीक दक्षक्षण में क्स्थत िै ।
28. लड़ककयों के ललए सैतनक स्कूल
• प्रधानमंत्री नरें द्र मोदी ने 75वें स्वतंत्रता हदवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ‘लड़ककयों
के मलए सैतनक स्कूल खोले जाने की घोषणा की िै ।
• सैतनक स्कूल, अप्रैल 1957 से अतटूबर 1962 तक केंद्रीय रक्षा मंत्री रिे वीके कृष्ट्ण मेनन के हदमाग की
उपज िैं। मेनन ने इस ववचार की कल्पना 1961 में की थी।
• ये स्कूल केंद्रीय रक्षा मंत्रालय (MoD) के तित सैतनक स्कूल सोसायटी द्वारा चलाए जा रिे िैं।
29. सोनगचरै या
• आवास एवं शिरी कायत मंत्रालय द्वारा शिरी ‘स्वयं सिायता समूि’ (SHG) उत्पादों के ववपणन िे तु 'सोन
धचरै या' (SonChiraiya) ब्रांि और लोगो लॉन्च ककया गया िै ।

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• यि पिल शिरी ‘स्वयं सिायता समूि’ की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के मलए बढ़ी िुई दृश्यता
और वैक्श्वक पिुंच की हदशा में एक सिी कदम साबबत िोगी।
30. िारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रततकक्रया दल (CERT-In)
भारतीय कंतयूटर आपातकालीन प्रततकक्रया टीम (Indian Computer Emergency Response Team - CERT-In),
‘इलेतरॉतनतस और सूचना प्रौद्योधगकी मंत्रालय’, भारत सरकार के अधीन ‘भारतीय साइबर स्पेस’ को सुरक्षक्षत
करने के उद्दे श्य से गहठत एक संस्था िै ।
• इसे वषत 2004 में स्थावपत ककया गया था।
• यि िै ककं ग और कफ़मशंग जैसे साइबर सरु क्षा खतरों से तनपटने िे तु ‘नोिल एजेंसी’ िै ।
• सूचना प्रौद्योधगकी (संशोधन) अधधतनयम 2008 के तित, CERT-In के मलए कुछ तनक्श्चत कायत करने के
मलए राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में अमभहित ककया गया िै।
• यि साइबर घटनाओं पर जानकारी एकत्र, ववश्लेषण और प्रसार करता िै , और साइबर सुरक्षा घटनाओं पर
चेतावनी भी जारी करता िै ।
31. िारतीय रऱििभ बैंक द्िारा ‘वित्तीय समािेर्न सच
ू कांक’ की र्ुरुआत
• िाल िी में , भारतीय ररजवत बैंक द्वारा दे श भर में ववत्तीय समावेशन की सीमा को मापने के मलए एक
सक्पमश्र ‘ववत्तीय समावेशन सूचकांक’ (Financial Inclusion Index: FI-Index)) का तनमातण ककया गया िै ।
• माचत 2021 को समातत अवधध के मलए वावषतक एफआई-सूचकांक 53.9 िै , जबकक माचत 2017 को समातत
अवधध के मलए यि 43.4 था।
‘वित्तीय समािेर्न सच
ू कांक’ (एफआई-सूचकांक) के बारे में :
1. एफआई-सूचकांक को वावषतक आधार पर प्रतत वषत जुलाई में प्रकामशत ककया जाएगा।
2. इस एफआई-सूचकांक को सरकार और संबंधधत क्षेत्र के ववतनयामकों के परामशत से बनाया गया िै ,
क्जसमे बैंककं ग, तनवेश, बीमा, िाक के साथ-साथ पेंशन क्षेत्र के वववरण को शाममल करते िुए एक व्यापक
सूचकांक के रूप में संकक्ल्पत ककया गया िै ।
3. यि सूचकांक 0 और 100 के बीच की एकल संख्या में ववत्तीय समावेशन के ववमभन्न पिलुओं पर
जानकारी प्रातत करता िै , जिां 0 पूणत ववत्तीय अपवजतन का प्रतततनधधत्व करता िै विीं 100 पण
ू त ववत्तीय
समावेशन को दशातता िै ।
4. एफआई-सच ू कांक में तीन व्यापक पैरामीटर अथातत्त, पिुंच (access), उपयोग (usage) और गण ु वत्ता
(quality) शाममल िैं, क्जनमें से प्रत्येक में ववमभन्न आयाम शाममल िैं, क्जसकी गणना कुछ संकेतकों के
आधार पर की जाती िै ।
5. इस एफआई-सच
ू कांक का तनमातण बबना ककसी 'आधार वषत' के ककया गया िै ।
32. ‘एजेंसी बैंक’
केरल क्स्थत तनजी क्षेत्र की एक ऋणदाता साउथ इंडियन बैंक को भारतीय ररजवत बैंक द्वारा 'एजेंसी बैंक'
(Agency Bank) के रूप में सूचीबद्ध ककया गया िै ।
• 'एजेंसी बैंक' के रूप में सूची िोने के बाद यि साउथ इंडियन बैंक, भारतीय ररजवत बैंक की ओर से केंद्र
और राज्य सरकार के सामान्य बैंककं ग कारोबार करने में सक्षम िोगा।
• साउथ इंडियन बैंक, अब सरकारी व्यवसायों से संबधं धत लेन-दे न, जैसे कक केंद्र / राज्य सरकारों की ओर
से राजस्व प्राक्ततयां और भग
ु तान, केंद्र / राज्य सरकारों के संबंध में पें शन भुगतान, लघु बचत योजनाओं
(SSS) से संबधं धत कायत, भौततक माध्यम या ई-मोि के माध्यम से स्टांप शुल्क संग्रि आहद करने के
मलए अधधकृत िै ।

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33. मिेर्ी द्िीप
मवेशी द्वीप (Cattle Island) िीराकंु ि जलाशय में क्स्थत तीन द्वीपों में से एक िै ।
● िाल िी में ओडिशा के वन और पयातवरण ववभाग द्वारा इसके मलए एक दशतनीय स्थल के रूप में चुना
गया िै ।
● यि द्वीप एक जलमग्न पिाड़ी िै ,और िीराकंु ि बांध के तनमातण से पिले यि एक ववकमसत गांव था।
इसका नामकरण:
● 1950 के दशक में जब मिानदी पर िीराकंु ि बांध का तनमातण ककया गया था, उस समय बड़ी संख्या में
लोग अपने गांवों से ववस्थावपत िोना पड़ा था, और ववस्थापन के दौर में ग्रामीण अपने मवेमशयों को
अपने साथ निीं ले जा सकते थे। वे अपने मवेमशयों को सुनसान गांवों में छोड़ गए।
● बांध के तनमातण के बाद जैसे िी यि क्षेत्र जलमग्न िोने लगा, सारे मवेशी झारसग
ु ुिा क्जले के लखनपुर
धलॉक के तित तेमलया पंचायत में एक ऊंचे स्थान भज
ु ापिाड़ पर चले गए। इसके बाद इस पिािी को,
जोकक पानी की एक ववशाल चादर से तघरा िुआ एक भमू म का टुकड़ा िै , 'कैटल आइलैंि' या मवेशी द्वीप
किा जाने लगा।
हीराकंु ि बांध:
● यि मिानदी नदी में बार-बार ववनाशकारी बाढ़ आने के बाद, वषत 1937 में मिान अमभयंता एम.
ववश्वेश्वरै या द्वारा पररकक्ल्पत एक बिुउद्दे शीय योजना िै ।
● यि भारत का सबसे लंबा बांध िै ।
34. टैंकरों के माध्यम से र्ुद्ध पेयजल आपूततभ ‘कर योग्य’ घोवषत
िाल िी में , अगग्रम वितनणभय प्रागधकरण (Authority for Advance Ruling - AAR) द्वारा सुनाए गए एक फैसले के
अनुसार, ककसी धमातथत संगठन द्वारा मोबाइल टैंकरों या डिस्पें सर के माध्यम से जनता को पीने के पानी की
आपूततत जीएसटी के तहत 18% कर लगाने योग्य िै ।
अगग्रम वितनणभय (एििांस रूललंग) और अगग्रम वितनणभय प्रागधकरण (AAR) के बारे में :
● एिवांस रूमलंग का तात्पयत, ककसी प्रस्ताववत या जारी कायतवािी या कारोबार पर ‘कर दे यता’ के संबध
ं में
आवेदक द्वारा हदए गए आवेदन में तनहदत ष्ट्ट कानून या त्य के सवाल पर तनणतय करना िोता िै ।
● संरचना: अगग्रम वितनणभय प्रागधकरण की अध्यक्षता सवोच्च न्यायालय के सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश द्वारा
की जाती िै , और दो सदस्य िोते िैं जो भारत सरकार के अततररतत सधचव के पद पर तनयुतत िोते िैं।
इनमे से एक सदस्य भारतीय राजस्व सेवा और भारतीय ववधधक सेवा से मलया जाता िै ।
35. ततिा जनजातत और िांचुिा त्योहार
िांचुिा त्योहार (Wanchuwa festival), ततवा आहदवामसयों (Tiwa tribe)
द्वारा अच्छी फसल िोने के उपलक्ष्य में मनाया जाता िै ।
● इस त्योिार पर समुदाय के लोग अपना पारपपररक पररधान
धारण करते िै और नत्ृ य, गान और अनुष्ट्ठानों का आयोजन
ककया जाता िै ।
● ततवा जनजातत के लोग भरपूर फसल के मलए प्रकृतत की मिान
शक्तत की कृपा मानते िैं। ये लोग सअ
ू रों की खोपड़ी और
िड्डियों को दे वी- दे वताओं के रूप में स्थावपत करते िैं और
मानते िैं कक ये कई पीहढ़यों तक इनकी सुरक्षा करें गे।

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● ततवा जनजातत को ‘लालुंग’ के नाम से भी जाना जाता िै , और यि असम तथा मेघालय राज्यों में रिने
वाला स्वदे शी समुदाय िै । इसकी कुछ आबादी अरुणाचल प्रदे श और मणणपुर के कुछ हिस्सों में भी पाई
जाती िै ।
36. अफगातनस्तान के हजारा
‘िजारा’ (Hazara) अफगातनस्तान का एक जातीय समि
ू िै ।
• ये मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज खान के वंशज माने जाते िै थे, चंगेज खान और उसकी सेना ने
13 वीं शताधदी के दौरान परू े क्षेत्र पर कधजा कर मलया था।
• उनकी ववमशष्ट्ट एमशयाई शारीररक लक्षण और िजारगी नामक फ़ारसी बोली का उपयोग भी उन्िें दे श के
बाकी हिस्सों से अलग करता िै ।
37. बीजू स्िास्थ्य कल्याण योजना
• िाल िी में , ओडिशा सरकार द्वारा ‘बीजू स्वास््य कल्याण योजना’ (Biju Swasthya Kalyan Yojana –
BSKY) स्माटत काित योजना शुरू की गयी िै ।
• इस योजना के तित, राज्य के लगभग 96 लाख पररवारों के मलए 5 लाख रुपये तक की कैशलेस
स्वास््य सेवा कवरे ज प्रदान की जाएगी। BSKY के तित महिला लाभाधथतयों के मलए खचत की सीमा 10
लाख रुपये िै ।
• स्माटत काित धारकों को राज्य के 200 से अधधक सच
ू ीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस स्वास््य बीमा लाभ भी
प्रातत िोगा।
38. र्ैिाल की एक ‘जलपरी’ प्रजातत की खोज
(A 'mermaid' species of algae discovered)
• लगभग चार दशकों के बाद, अंिमान और तनकोबार द्वीप समि

पर शैवाल की एक नई प्रजातत की खोज की गई िै ।
• शोधकतातओं ने इस प्रजातत का नाम ‘एमसटाबुलररया
जलकन्याका’ (Acetabularia jalakanyakae) रखा िै ।
• इस प्रजातत के पादप में नामभक सहित एक ववशाल कोमशका िोती िै , जोकक इसकी मुख्य ववशेषता िै ।
• यि भारत में खोजी जाने वाली ‘जीनस एमसटाबुलररया’ की पिली प्रजातत िै ।
• ‘एमसटाबुलररया’ वगत की एक अन्य ववशेषता उनकी पन
ु योजी क्षमता (Regenerative Potential) िोती िै ।
39. मदरु चटाईयां
पक्श्चम बंगाल की दो महिलाओं को ‘मदरु फशत मैट’ बनाने में उनके उत्कृष्ट्ट कौशल को सपमातनत करते िुए
‘राष्ट्रीय िस्तमशल्प पुरस्कार’ हदया गया िै । जमीन पर ववछाई जाने वाली ये ‘मदरु चटाईयां’ (Madur mats)
ववशेष रूप से पक्श्चम बंगाल में िी बनाई जाती िैं।
• ‘मदरु चटाईयां’ बंगाली जीवन शैली का एक आंतररक हिस्सा िैं और ये प्राकृततक रे शों से बनाई जाती िै ।
• इनके मलए ‘मदरु कथी’ (Madurkathi) के रूप में भी जाना जाता िै , इन चटाईयों को अप्रैल 2018 में
भौगोमलक संकेतक रक्जस्री द्वारा भौगोमलक संकेतक (जीआई) टै ग से सपमातनत ककया गया था।
• मदरु कथी एक प्रकंद आधाररत पौधा (साइपरस टे गेटम या साइपरस पैंगोरे ई) िै जो पूरब और पक्श्चम
मेहदनीपुर के जलोढ़ इलाकों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता िै ।
• 1744 में , नवाब अलीबदी खान ने इस संबंध में जमींदार जागीरदारों के मलए एक आज्ञा-पत्र जारी ककया
गया था क्जसके तित िर कलेतरे ट में उपयोग के मलए ‘मदरु चटाईयों’ की आपूततत करना अतनवायत था।

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40. एनटीपीसी द्िारा दे र् की सबसे बड़ी तैरती हुई सौर पररयोजना का आरं ि
• िाल िी में , नेशनल थमतल पावर कॉरपोरे शन (एनटीपीसी) मलममटे ि ने आंध्र प्रदे श के ववशाखापत्तनम में
अपने मसपिाद्री थमतल स्टे शन के जलाशय पर 25 मेगावाट की सबसे बड़ी फ्लोहटंग सोलर फोटो
वोल्टाइक (पीवी) पररयोजना की शरू
ु आत की िै ।
• यि भारत सरकार द्वारा वषत 2018 में अधधसूधचत फ्लेक्तसबबलाइजेशन योजना (Flexibilisation
Scheme) के तित स्थावपत की जाने वाली पिली सौर पररयोजना भी िै ।
• यि 2018 में भारत सरकार द्वारा अधधसूधचत फ्लेक्तसबबलाइजेशन योजना के तित स्थावपत िोने वाली
पिली सौर पररयोजना भी िै ।
• एक बार चालू िोने के बाद, इस पररयोजना की पूरी समयावधध के दौरान िर वषत न्यूनतम 46,000 टन
काबतन िाइऑतसाइि को कम िोने और प्रतत वषत 1,3640 लाख लीटर पानी की बचत िोने की भी
उपमीद िै ।
‘फ्लोहटंग पािर प्लांट’ के लाि:
• ववश्व बैंक के अनुसार, तैरते िुए सौर संयंत्र / ‘फ्लोहटंग पावर तलांट’ (floating solar plants), ववशेष
रूप से उच्च जनसंख्या घनत्व वाले दे शों में , जिाँ उपलधध भूमम के उपयोग िे तु प्रततस्पधात रिती िै ,
‘सौर उत्पादन क्षमता’ में वद्
ृ धध िे तु नए अवसरों का प्रतततनधधत्व करते िैं । भारत में ऐसी क्स्थततयां
आम तौर पर पायी जाती िै ।
• इस तरि के संयंत्र, स्थल-आधाररत पद्धततयों की तल
ु ना में अधधक लाभप्रद िोते िै और पानी के
शीतलन प्रभाव और धूल की उपक्स्थतत कम िोने के कारण बेितर ऊजात-उत्पादन में सक्षम िोते िैं ।
• अन्य लाि: चूंकक सौर पैनल, जलाशय की सति को ढक लेते िैं और सूयत की ककरणों को अवशोवषत
करते िैं और साथ िी "िवा के बाष्ट्पीकरणीय प्रभाव" को सीममत करते िैं, और वाष्ट्पीकरण िोने की वजि
से पानी की बचत भी िोती िै ।
41. गगरफ्तार करना हमेर्ा आिश्यक नहीं: सप्र
ु ीम कोटभ
• िाल िी में , सुप्रीम कोटत ने किा िै , कक कानून में धगरफ्तारी के प्रावधान का मतलब यि निीं िै कक
सरकार व्यक्ततगत स्वतंत्रता को कुचलने के मलए अंधाधुंध तरीके से इस शक्तत का उपयोग कर सकती
िै । िर मामले में धगरफ्तार ककया जाना, संववधान के अनच्
ु छे द 21 के तित प्रदान की गई व्यक्ततगत
स्वतंत्रता का दमन करता िै।
• अदालत ने हटतपणी करते िुए किा, कक दं ि प्रकक्रया संहिता के धारा 170 (आरोप पत्र दाणखल करते
समय आरोपी को पेश करना) जैसे कुछ प्रावधानों को धगरफ्तारी के अधधकार के रूप में निीं माना जाना
चाहिए।
हिरासत में रखकर जांच करना कब आवश्यक िोता िै?
1. जब संबंधधत अपराध, एक जघन्य अपराध िो।
2. जब गवािों या आरोपी को प्रभाववत करने की संभावना िो।
आवश्यकता:
1. धगरफ्तार करने की शक्तत और इसका प्रयोग करने के औधचत्य के बीच अंतर स्पष्ट्ट ककया जाना
चाहिए।
2. यहद धगरफ्तारी को तनयममत बना हदया जाता िै , तो यि व्यक्तत की प्रततष्ट्ठा और आत्म-सपमान के
मलए अपूरणीय क्षतत िो सकती िै ।
3. यहद आरोपी जांच में सियोग कर रिा िै तो जांच अधधकारी के मलए उसे धगरफ्तार करने की कोई
बाध्यता निीं िोनी चाहिए।

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42. “आरक्षण का दो राज्यों में एक साथ लाि नहीं उठाया जा सकता है ”: सप्र
ु ीम कोटभ
िाल िी शीषत अदालत ने एक फैसला सुनाते िुए किा िै , कक पुनगतठन के बाद बने राज्यों में कोई व्यक्तत एक
साथ आरक्षण के लाभ का दावा निीं कर सकता िै । तयोंकक इससे संववधान के अनुच्छे द 341(1) और 342(1)
के उद्दे श्य मित्विीन िो जाएंगे।
अदालत की हटप्पणी:
• कोई व्यक्तत पुनगतठन के बाद बने राज्यों में से ककसी एक राज्य में लाभ का दावा कर सकता िै ।
• िालाँकक दस
ू रे राज्य में , खल
ु े चयन में भाग लेते समय आरक्षक्षत वगत के सदस्यों को प्रवासी माना जाएगा
और वे आरक्षण के ककसी भी लाभ का दावा ककए बबना सामान्य श्रेणी में भाग ले सकते िैं।
43. पंजर्ीर घाटी
• ‘पंजशीर घाटी’ (Panjshir Valley) उत्तर-मध्य
अफगातनस्तान में हिंदक
ू ु श पवतत श्रंख
ृ ला के तनकट
अवक्स्थत एक घाटी िै ।
• पंजशीर नदी इस घाटी से िोकर बिती िै ।
• इस घाटी में , अफ़गातनस्तान में ‘ताक्जक समद
ु ाय’ की
सवातधधक आबादी तनवास करती िै ।
• पंजशीर घाटी अपने ‘पन्ना’ (Emeralds) रत्न के मलए भी
ववख्यात िै । इस रत्न का उपयोग अतीत में सत्ता में बैठे
लोगों के णखलाफ ‘प्रततरोध आंदोलनों’ को ववत्तपोवषत करने
के मलए ककया जाता था।
• पंजशीर का शाक्धदक अथत "पांच शेर" िै ।
इस घाटी का नाम एक ककं वदं ती से जुड़ा िुआ िै । माना जाता िै कक 10वीं शताधदी में , पांच भाईयों ने, बाढ़ के
पानी को लोगों के घरों को नक
ु सान पिुंचने से रोकने के मलए, गजनी के सल्ु तान मिमद ू के मलए एक बांध
बनाया था। इसी के बाद, उन 5 भाइयों के नाम पर इस घाटी को ‘पंजशीर घाटी’ (5 मसंिों की घाटी) किा जाता
िै ।
44. म्जम कॉबेट नेर्नल पाकभ
क्जम कॉबेट राष्ट्रीय उद्यान (Jim Corbett National Park) उत्तराखंि के नैनीताल क्जले में क्स्थत िै । इस राष्ट्रीय
उद्यान में रामगंगा नदी द्वारा तनममतत ‘पतली दन
ू ’ घाटी (Patli Dun valley) शाममल िै ।
• इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना, लुततप्राय बंगाल टाइगर को संरक्षक्षत करने के मलए, वषत 1936 में ‘िै ली
नेशनल पाकत’ के रूप में की गई थी।
• इसका नाम ‘क्जम कॉबेट’ के नाम पर रखा गया िै क्जन्िोंने इसकी स्थापना में मित्वपण
ू त भमू मका तनभाई
थी।
• यि भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान िै । यि 1973 में प्रोजेतट टाइगर पिल के तित आने वाला
पिला क्षेत्र था।
45. चकमा और हाजोंग
चकमा और िाजोंग (Chakmas and Hajongs) मल
ू रूप से तत्कालीन पव
ू ी पाककस्तान में चटगांव पिािी क्षेत्र के
तनवासी थे। 1960 के दशक में कैपटाई बांध (Kaptai dam) पररयोजना के कारण इनकी बक्स्तयां जलमग्न िो गयीं
थी, क्जसके बाद उन्िोंने अपनी मातभ
ृ ूमम छोड़ दी।
• ‘चकमा’ (Chakmas) बौद्ध धमत को मानते िैं, और ‘िाजोंग’ (Hajongs) मूलताः हिंद ू िैं, और इन्िोने कधथत
तौर पर धाममतक उत्पीड़न का मशकार िोने के बाद असम के तत्कालीन लुर्ाई हहल्स म्जले (अब

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ममजोरम) के रास्ते से भारत में प्रवेश ककया
था। केंद्र सरकार द्वारा इनमें से अधधकांश
प्रवामसयों को ‘नॉथत ईस्ट फ्रंहटयर एजेंसी’
(NEFA), जो अब अरुणाचल प्रदे श िै , में बसा
हदया था।
• इनकी आबादी वषत 1964-69 में लगभग 5,000
थी जो अब बढ़कर एक लाख िो गई िै ।
वततमान में , इनके पास नागररकता और भमू म
अधधकार निीं िैं, लेककन उन्िें राज्य सरकार
द्वारा बुतनयादी सुववधाएं प्रदान की जाती िैं।
46. युक्तधारा
यि मनरे गा के तित ग्राम पंचायत स्तर पर योजनाओं को सुगम बनाने के मलए एक ‘भू-स्थातनक योजना’
(Geospatial Planning Portal) पोटत ल िै । यि इसरो के क्जयोपोटत ल ‘भुवन’ के तित कायत करे गा।
• भुवन "युततधारा" (Yuktdhara) पोटत ल को ‘ग्रामीण ववकास एवं पंचायती राज मंत्रालय’ द्वारा लांच ककया
गया िै ।
• यि तलेटफॉमत ववमभन्न राष्ट्रीय ग्रामीण ववकास कायतक्रमों यानी मनरे गा, एकीकृत वाटरशेि प्रबंधन
कायतक्रम, पर ड्रॉप मोर क्रॉप और राष्ट्रीय कृवष ववकास योजना आहद के अंतगतत बनाई गई पररसंपवत्तयों
(क्जयोटै ग) के भंिार के रूप में कायत करे गा।
47. आईएनएस गचल्का
• आईएनएस धचल्का (INS Chilka), भारतीय नौसेना का एकमात्र प्रारं मभक प्रमशक्षण संस्थान िै , जो सालाना
6600 से अधधक नवोहदत सैतनकों को प्रमशक्षक्षत करता िै ताकक उन्िें सक्षम नाववक बनाया जा सके।
• आईएनएस धचल्का को वषत 1980 में शुरू ककया गया था और यि संस्थान ओडिशा में धचल्का झील के
नजदीक क्षेत्र में क्स्थत िै ।
48. अराणमुला नौका दौड़
(Aranmula Boat Race)
यि केरल में ओणम पवत के दौरान आयोक्जत िोने वाला सबसे प्राचीन नौका-दौड़ उत्सव िै ।
● इस नौका दौड़ का आयोजन, पपपा नदी के तट पर क्स्थत, भगवान कृष्ट्ण और अजन
ुत को समवपतत एक
हिंद ू मंहदर ‘अराणमुला’ के तनकट िोता िै ।
● इस दौड़ में ‘पक्ल्लयोिम’ (सांप के आकर की नौका) का उपयोग ककया जाता िै ।
● इस नौका दौड़ में केवल गांव के पुरुषों को िी भाग लेने की अनुमतत िोती िै ।
49. 'बने इंटरनेट विस्मयकारी' कायभक्रम
िाल िी में , गूगल (Google) द्वारा भारत में बच्चों के मलए वैक्श्वक 'बने इंटरनेट ववस्मयकारी' कायतक्रम (‘Be
Internet Awesome’ program) कायतक्रम शुरू ककया गया िै ।
इस कायतक्रम के तित, गूगल, आठ भारतीय भाषाओं में लोकवप्रय कॉममक बक
ु पात्रों के माध्यम से इंटरनेट
सुरक्षा सबक प्रदान करने के मलए भारतीय कॉममक बक
ु प्रकाशक ‘अमर धचत्र कथा’ के साथ साझेदारी कर रिा
िै ।
50. ‘टोकनाइजेर्न’
‘टोकनाइजेशन’ (Tokenisation) का तात्पयत, एक वास्तववक काित के संवद
े नशील वववरण को एक यूतनक कोि वाले
टोकन में पररवतततत करना िै । यि एक काित, टोकन अनरु ोधकतात (अथातत वि इकाई जो काित को टोकन में
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पररवतततत करने िे तु ग्रािक से अनुरोध स्वीकार करती िै और इसे टोकन जारी करने के मलए संबंधधत काित
नेटवकत को अग्रेवषत कर दे ती िै ) और डिवाइस का अनोखा संयोजन िोता िै ।
टोकनकृत काित लेनदे न को सरु क्षक्षत माना जाता िै तयोंकक इसमें लेनदे न संसाधन के दौरान वास्तववक काित
वववरण, व्यापारी के साथ साझा निीं ककया जाता िै ।
चचाभ का कारण: ररजवत बैंक द्वारा ‘टोकनाइजेशन’ के मलए मूलताः मोबाइल और टै बलेट को िी अनुमतत दी गयी
थी, ककं तु िाल िी में , इसका दायरा बढाकर लैपटॉप, िेस्कटॉप, कलाई घड़ी और बैंि जैसे पिनने योग्य उपकरणों
के साथ-साथ ‘इंटरनेट ऑफ धथंग्स’ उपकरणों सहित कई उपभोतता उपकरणों को भी इसके दायरे में शाममल कर
मलया गया िै ।
51. इस्लालमक स्टे ट खुरासान प्रांत
आईएस-के या ‘इस्लाममक स्टे ट खुरासान प्रांत’ (Islamic State Khorasan Province - IS-K) ‘इस्लाममक स्टे ट’ समूि
का क्षेत्रीय सियोगी संगठन िै ।
• यि अफगातनस्तान में मौजद
ू सभी क्जिादी आतंकवादी समूिों में सबसे चरम और हिंसक संगठन िै ।
• आईएस-के की स्थापना जनवरी 2015 में की गई थी, जब इराक और सीररया में ‘इस्लाममक स्टे ट’
(आईएस) की शक्तत के चरम पर
थी। बाद में , इसकी स्व-घोवषत
खलीफात को अमेररकी नेतत्ृ व वाले
गठबंधन द्वारा पराक्जत और नष्ट्ट
कर हदया गया था।
• "खुरासान" आधुतनक अफगातनस्तान
और पाककस्तान के कुछ हिस्सों में
ववस्ताररत एक ऐततिामसक क्षेत्र िै ।
शुरुआत में आईएस-के समि
ू का
ववस्तार पाककस्तान में भी था, ककं तु
मई 2019 में ‘इस्लाममक स्टे ट’ का
पाककस्तान में एक अलग समूि बन
गया।
52. अिनी ि सुलमत को टोक्यो पैराललंवपक में स्िणभ पदक
• पैरामलंवपक में पिली बार भाग ले रिे सुममत अंततल ने ‘भाला फेंक’ प्रततयोधगता के F64 वगत में कई बार
अपना िी ववश्व ररकॉित तोड़कर स्वणत पदक िामसल ककया, और अनभ
ु वी णखलाड़ी दे वेंद्र झाझररया की F64
वगत में रजत पदक िामसल कर भारत के सबसे मिान पैरा-एथलीट िोने की तमगे को बरक़रार रखा।
• इसी वगत में एक अन्य भाला फेंकने वाले णखलाड़ी ‘सद
ंु र मसंि गुजरत ’ ने कांस्य पदक जीता।
• ‘अवतन लेखारा’, तनशानेबाजी की 10 मीटर राइफल प्रततयोधगता में भारत के मलए स्वणत पदक जीतने
वाली पिली महिला बनीं।

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53. पैरालाम्भपक खेलों के बारे में :
• यि ववकलांग एथलीटों के मलए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल प्रततयोधगता िै । ओलंवपक खेलों की तुलना
में , पैरालाक्पपक को शीतकालीन खेलों और ग्रीष्ट्मकालीन खेलों में ववभाक्जत ककया जाता िै , जो बारी-बारी
से िर दो साल में आयोक्जत ककए जाते िैं।
• 20 वीं सदी के अंततम वषों से, पैरालाक्पपक खेलों का आयोजन उसी शिर में ककया जाता िै, जिाँ
सामान्य ओलक्पपक खेल आयोक्जत ककए जाते िै । ओलक्पपक खेलों की समाक्तत के तुरंत बाद िी
पैरालाक्पपक खेलों का आयोजन ककया जाता िै ।
• अंतरातष्ट्रीय पैरालाक्पपक सममतत की स्थापना वषत 1989 में की गई थी, इसका मुख्यालय जमतनी में
क्स्थत िै और यि पैरालंवपक खेलों को तनयंबत्रत करती िै ।
• पैरालंवपक एथलीट छह अलग-अलग विकलांगता समूहों में प्रततस्पधाभ करते िैं- एभप्यूटी, सेरेिल पाल्सी,
दृश्य हातन, रीढ़ की हड्िी में चोट, बौद्धधक ववकलांगता, और "लेस ऑरे स" (ऐथलीट क्जनकी ववकलांगता
बौनेपन सहित अन्य श्रेणणयों में से ककसी में कफट निीं िोती िै )। प्रत्येक समि
ू के भीतर, एथलीटों को
उनकी अक्षमताओं के प्रकार और सीमा के आधार पर आगे वगों में ववभाक्जत ककया जाता िै । व्यक्ततगत
तौर पर एथलीटों को, यहद उनकी शारीररक क्स्थतत में पररवततन िोता िै , तो बाद की प्रततयोधगताओं में
पुनवतगीकृत ककया जा सकता िै ।
• पैरालाक्पपक खेलों का ववकास, वषत 1948 में सर लुिववग गुट्टमैन द्वारा इंग्लैंि में रीढ़ की िड्िी की
चोट से ग्रमसत ‘द्ववतीय ववश्व यद्
ु ध’ के बब्रहटश पव
ू -त सैतनको के मलए खेल प्रततयोधगता आयोक्जत करने
के बाद िुआ था।
54. पश्मीना र्ॉल की खोई हुई ख्यातत को बहाल करने हे तु जभम-ू कश्मीर में नई पहल
• शॉल बुनाई के जहटल उद्योग में शाममल िाथ की कारीगरी को बिाल करने के मलए जपमू-कश्मीर में
एक उत्कृष्ट्टता केंद्र (Centre of Excellence - CoE) स्थावपत ककया गया िै ।
• वपछले वषों में , बन
ु ाई की परु ानी तकनीक, नई मशीनों के आ जाने और मेिनताना कम िोने की वजि से
इस क्षेत्र में कायतरत महिलाओं की कमी िुई िै ।

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• उत्कृष्ट्टता केंद्र (CoE) द्वारा महिलाओं के मलए 10 इंच लंबे सूत के साथ 10 धागों की मजदरू ी को ₹1
प्रतत गाँठ से बढ़ाकर ₹2 करने का तनणतय मलया गया िै ।
• कताई मशीनों के ववपरीत, पारं पररक कश्मीरी चरखे पर मिीन बालों की तरि पश्मीना ऊन के लंबे धागे
काते जा सकते िैं क्जससे शॉल की कोमलता और गमातिट में वद्
ृ धध िोती िै ।
• एक अनुमान के मुताबबक, कश्मीर घाटी में शॉल बुनाई में महिलाओं की भागीदारी एक लाख से घटकर
मिज 10,000 रि गई िै ।
• इस प्रववृ त्त की पष्ट्ृ ठभूमम में , िस्तमशल्प और िथकरघा तनदे शालय, कश्मीर ने "पुरानी तकनीकों को बनाए
रखने के मलए" भौगोमलक संकेत (जीआई)-प्रमाणणत िस्ततनममतत पश्मीना शॉल के मलए न्यन
ू तम समथतन
मूल्य (MSP) की घोषणा भी की िै ।
• पिली बार मजदरू ी का तनधातरण ककए जाने से, कश्मीरी शॉल को प्रमसद्ध बनाने वाली िाथ-कताई और
िाथ-बन
ु ाई कारीगरी को पन
ु जीववत करने में मदद ममलेगी।
• इस कदम से रोजगार पैदा िोने और पीहढ़यों से जहटल और काल्पतनक कश्मीरी शॉल को कायम रखने
वाली ‘महिला बुनकरों’ की आधथतक क्स्थतत में सध
ु ार िोने की संभावना िै ।
55. चीन में नाबाललगों के ऑनलाइन गेम खेलने के ललए समय-सीमा में कटौती
• चीनी तनयामकों द्वारा गेममंग की लत पर बढ़ती धचंता को ध्यान में रखते िुए शक्र
ु वार, सततािांत और
छुट्हटयों के अवसर पर 18 साल से कम उम्र के णखलाडियों के मलए ऑनलाइन गेम खेलने के मलए मात्र
एक घंटे का समय तनधातररत ककया गया िै ।
• ऑनलाइन गेममंग कंपतनयों पर तनधातररत अवधध के बाद ककसी भी रूप में गेममंग सेवाएं प्रदान करने से
रोक लगाई गयी िै , और कंपतनयों को वास्तववक नाम सत्यापन प्रणाली लागू करने का तनदे श ककया
गया िै ।

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