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अगस्त 2021
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Table of Contents
विषय: भारतीय संस्कृतत में प्राचीन काल से मित्त्वपूणत भौगोमलक ववशेषताओं (जल-स्रोत और
आधुतनक काल तक के कला के रूप, साहित्य और हिमावरण सहित) और वनस्पतत एवं प्राणणजगत
5. जांच एजेंमसयों में जनशक्तत की कमी........ 31 2. गोवा में भमू मपुत्र का दजात ........................... 49
विषय:संसद और राज्य ववधातयका- संरचना, कायत, 3. आवश्यक रक्षा सेवा ववधेयक ...................... 50
विषय:सांववधधक, ववतनयामक और ववमभन्न अद्तध- 19. िररयाणा सरकार का क्रीमी लेयर की उप-
1. अधधकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा विषय:ववकास प्रकक्रया तथा ववकास उद्योग- गैर-
शतें) ववधेयक, 2021 ........................................ 44 सरकारी संगठनों, स्वयं सिायता समूिों, ववमभन्न
समूिों और संघों, दानकतातओ,ं लोकोपकारी संस्थाओं,
2. अधधकरण कानून सध
ु ार.............................. 46
संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भमू मका।............... 71
विषय:सरकारी नीततयों और ववमभन्न क्षेत्रों में
1. उत्तर प्रदे श सरकार की ‘दो बच्चा नीतत’ ..... 71
ववकास के मलये िस्तक्षेप और उनके अमभकल्पन
तथा कायातन्वयन के कारण उत्पन्न ववषय। ....... 48 विषय:केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अतत
संवेदनशील वगों के मलये कल्याणकारी योजनाएँ
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और इन योजनाओं का कायत-तनष्ट्पादन; इन अतत 1. पुमलस थानों में ‘कानूनी सिायता’ संबंधधत
संवेदनशील वगों की रक्षा एवं बेितरी के मलये जानकारी का प्रदशतन ककया जाना अतनवायत .... 89
गहठत तंत्र, ववधध, संस्थान एवं तनकाय। ............... 73 विषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध। ............... 91
1. फास्ट-रै क ववशेष न्यायालय (FTSCs).......... 73 1. पाककस्तान में ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ को
2. प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न नया दजात दे ने िे तु ववधेयक ............................ 91
हितग्रािी (पीएम-दक्ष) योजना ......................... 74 2. इलेतरॉतनक वीजा (ई-वीजा) ........................ 92
3. उज्ज्वला 2.0 योजना .................................. 75 विषय:द्ववपक्षीय, क्षेत्रीय और वैक्श्वक समूि और
4. उपभोतता वववाद तनवारण सममतत.............. 76 भारत से संबंधधत और/अथवा भारत के हितों को
6. तममलनािु में शिरी गरीबों के मलए ‘मजदरू ी 1. ‘गोगरा’ और ‘िॉट क्स्प्रंग’ पर अभी कोई
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6. संयुतत राष्ट्र शांतत-सैतनक ........................ 108 1. हदवाला और हदवामलयापन संहिता (संशोधन)
8. भारत द्वारा कफमलस्तीन शांतत प्रकक्रया का ववमानपत्तन, रे लवे आहद। ................................... 124
9. उत्तर कोररया द्वारा परमाणु ररएतटर को 2. ववशेष आधथतक क्षेत्र (SEZ) ......................... 125
दोबारा शुरू ककए जाने की संभावना: आईएईए 3. ‘गतत शक्तत’ अवसंरचना योजना .............. 127
..................................................................... 113
4. राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP)....... 128
सामान्य अध्ययन-III ............................................ 115
विषय:ववज्ञान एवं प्रौद्योधगकी- ववकास एवं
विषय:भारतीय अथतव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों
अनुप्रयोग और रोजमरात के जीवन पर इसका
को जट
ु ाने, प्रगतत, ववकास तथा रोजगार से संबंधधत
प्रभाव। ववज्ञान एवं प्रौद्योधगकी में भारतीयों की
ववषय।............................................................... 115
उपलक्धधयाँ; दे शज रूप से प्रौद्योधगकी का ववकास
1. ‘उभरते मसतारे ’ फंि................................... 115 और नई प्रौद्योधगकी का ववकास। .................... 130
2. राक्ष्ट्रक स्वणत बॉण्ि योजना ....................... 116 1. ‘िीप ओशन ममशन’ .................................. 130
3. टॉय रे न मुद्रीकरण योजना पर वववाद...... 117 2. वंदे भारत एतसप्रेस ................................... 131
विषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृवष सिायता तथा विषय:सूचना प्रौद्योधगकी, अंतररक्ष, कंतयूटर,
न्यूनतम समथतन मूल्य से संबंधधत ववषय; जन रोबोहटतस, नैनो-टै तनोलॉजी, बायो-टै तनोलॉजी और
ववतरण प्रणाली- उद्दे श्य, कायत, सीमाएँ, सुधार; बफर बौद्धधक संपदा अधधकारों से संबंधधत ववषयों के
स्टॉक तथा खाद्य सरु क्षा संबंधी ववषय; संबंध में जागरुकता।......................................... 132
प्रौद्योधगकी ममशन; पशु पालन संबंधी अथतशास्त्र।
......................................................................... 118 1. नासा का परमसवरें स रोवर ......................... 132
1. भोजन की परोक्ष लागत ........................... 118 2. दक्षक्षण अफ्रीका द्वारा ‘कृबत्रम बुद्धधमत्ता
प्रणाली’ को पेटेंट ........................................... 132
2. चीनी का न्यूनतम ववक्रय मूल्य ............... 119
3. GSLV-F10 प्रक्षेपण और EOS-03 उपग्रि.... 134
विषय:भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबधं धत
उद्योग- कायतक्षत्र
े एवं मित्त्व, स्थान, ऊपरी और 4. संदमलत आनुवंमशक रूप से संशोधधत (GM)
नीचे की अपेक्षाएँ, आपूततत श्रख
ं ृ ला प्रबंधन। ........ 120 सोयाबीन के आयात की अनुमतत ................. 135
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2. ‘नेट-जीरो’ काबतन लक्ष्य जलवायु पररवततन से 3. ‘भगोड़ा आधथतक अपराधी’ .......................... 165
तनपटने िे तु अपयाततत: ऑतसफैम................. 143 विषय:सीमावती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौततयाँ एवं
3. ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र िेतु वायु गुणवत्ता उनका प्रबंधन- संगहठत अपराध और आतंकवाद
आयोग’ ववधेयक ........................................... 145 के बीच संबध
ं । .................................................. 166
4. िाधथयों और बाघों की गणना करने िे तु 1. भारत में मादक पदाथों की तस्करी .......... 166
सामूहिक सवेक्षण .......................................... 145 विषय:ववमभन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा
5. आईपीसीसी की छठी आकलन ररपोटत (AR6) उनके अधधदे श। ................................................. 168
..................................................................... 147
1. एकीकृत धथएटर कमांि ............................. 168
6. राष्ट्रीय िाइड्रोजन ममशन .......................... 148
प्रारम्भिक परीक्षा हे तु तथ्य................................... 169
7. रामसर सच
ू ी में भारत के चार और आद्रत
1. पूवोत्तर अंतररक्ष अनुप्रयोग केंद्र (NESAC).. 169
स्थल शाममल ................................................ 149
2. भारतीय और चीन के मध्य िॉटलाइन की
8. 1989 का मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल एवं ककगाली
स्थापना ......................................................... 169
संशोधन ......................................................... 151
3. अश्वगंधा ................................................... 169
9. स्मॉग टॉवर............................................... 152
4. ई-रुपी (e-RUPI) ........................................ 170
10. 'सुजलम' अमभयान ................................... 154
5. कुधथरन सरु ं ग ............................................ 170
11. ‘दीपोर बील वन्यजीव अभ्यारण्य’ का
पाररक्स्थततक संवेदनशील क्षेत्र....................... 155 6. ममनरवेररया पें टाली मेंढक प्रजातत ............. 170
12. ‘जीवों की खोज’ 2020 ............................ 156 7. ‘टै मलसमैन सेबर’ सैन्याभ्यास .................... 170
13. पंजाब सरकार द्वारा ‘पराली’ के उपयोग 8. अन्नामलाई का उड़ने वाला में ढक ............ 171
करने पर उद्योगों को प्रोत्सािन ................... 157 9. भारतीय कंतयूटर आपातकालीन प्रततकक्रया
14. सीसा-युतत पेरोल की समाक्तत: UNEP .. 159 दल (CERT-In) ............................................... 171
विषय:आंतररक सुरक्षा के मलये चुनौती उत्पन्न 12. EOS-03 उपग्रि ........................................ 172
करने वाले शासन ववरोधी तत्त्वों की भमू मका। .. 162 13. केंद्रीय ववश्वववद्यालय (संशोधन) ववधेयक
2021 ............................................................. 172
1. ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण)
अधधतनयम (UAPA) ...................................... 162 14. ध्यानचंद के नाम पर ‘खेल रत्न’ पुरुस्कार
..................................................................... 172
विषय:संचार नेटवकत के माध्यम से आंतररक
15. ‘हिज़्बल्
ु लाि’ ............................................. 172
सरु क्षा को चन
ु ौती, आंतररक सरु क्षा चन
ु ौततयों में
मीडिया और सामाक्जक नेटवककांग साइटों की 16. 'पानी माि' अमभयान ................................ 173
भूममका, साइबर सुरक्षा की बुतनयादी बातें , धन- 17. एववया द्वीप ........................................... 173
शोधन और इसे रोकना। ................................... 163
18. भारत-ततधबत सीमा पमु लस (ITBP) बल.... 173
1. असम-ममजोरम सीमा वववाद .................... 163
19. राष्ट्रीय अन्वेषण अमभकरण (NIA) ......... 173
2. सूचना प्रौद्योधगकी अधधतनयम की धारा 66A
20. पेनमसलुंगपा ग्लेमशयर ............................. 173
..................................................................... 164
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21. अंतरातष्ट्रीय सेना खेल .............................. 174 39. मदरु चटाईयां .......................................... 178
22. राष्ट्रीय नाट्य ववद्यालय ........................ 174 40. एनटीपीसी द्वारा दे श की सबसे बड़ी तैरती
23. मिाराष्ट्र दवारा ‘सूचना प्रौद्योधगकी’ क्षेत्र में िुई सौर पररयोजना का आरं भ ...................... 179
राजीव गांधी पुरस्कार ................................... 174 41. धगरफ्तार करना िमेशा आवश्यक निीं:
24. अल-मोिे द अल-हिंदी 2021 ..................... 174 सुप्रीम कोटत .................................................... 179
25. प्रधान मंत्री श्रम पुरस्कार ........................ 174 42. “आरक्षण का दो राज्यों में एक साथ लाभ
निीं उठाया जा सकता िै”: सुप्रीम कोटत ........ 180
26. केरल में जंगली गुलमेिंदी की तीन नई
प्रजाततयों की खोज ....................................... 175 43. पंजशीर घाटी ........................................... 180
27. मसयाधचन ग्लेमशयर ................................. 175 44. क्जम कॉबेट नेशनल पाकत ....................... 180
28. लड़ककयों के मलए सैतनक स्कूल .............. 175 45. चकमा और िाजोंग ................................. 180
30. भारतीय कंतयूटर आपातकालीन प्रततकक्रया 47. आईएनएस धचल्का .................................. 181
31. भारतीय ररजवत बैंक द्वारा ‘ववत्तीय 49. 'बने इंटरनेट ववस्मयकारी' कायतक्रम ......... 181
समावेशन सच
ू कांक’ की शरु
ु आत .................. 176 50. ‘टोकनाइजेशन’ ........................................ 181
32. ‘एजेंसी बैंक’ ............................................ 176 51. इस्लाममक स्टे ट खरु ासान प्रांत ................ 182
33. मवेशी द्वीप ............................................ 177 52. अवनी व समु मत को टोतयो पैरामलंवपक में
34. टैंकरों के माध्यम से शद्
ु ध पेयजल आपतू तत स्वणत पदक.................................................... 182
‘कर योग्य’ घोवषत ........................................ 177 53. पैरालाक्पपक खेलों के बारे में : ................. 183
35. ततवा जनजातत और वांचव
ु ा त्योिार ........ 177 54. पश्मीना शॉल की खोई िुई ख्यातत को
36. अफगातनस्तान के िजारा ........................ 178 बिाल करने िे तु जपम-ू कश्मीर में नई पिल. 183
37. बीजू स्वास््य कल्याण योजना ............... 178 55. चीन में नाबामलगों के ऑनलाइन गेम खेलने
38. शैवाल की एक ‘जलपरी’ प्रजातत की खोज के मलए समय-सीमा में कटौती ..................... 184
..................................................................... 178
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सामान्य अध्ययन-I
िारतीय विरासत और संस्कृतत, विश्ि का इततहास एिं िूगोल और समाज
विषय: भारतीय संस्कृतत में प्राचीन काल से आधुतनक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के
मुख्य पिलू शाममल िोंगे।
1. श्री नारायण गुरु
संदिभ: श्री नारायण गुरु की 167 वीं जयंती।
इनके बारे में :
श्री नारायण गुरु, तत्कालीन समाज में प्रचमलत दमनकारी जातत व्यवस्था में सुधार करने वाले एक उत्प्रेरक,
प्रमुख नेतत्ृ वकतात, मिान संत एवं समाजसुधारक थे।
• इनका जन्म केरल के ततरुवनंतपरु म के तनकट चेपपाझांथी नामक गाँव में
िुआ था।
• उन्िें तत्कालीन केरल के सामाक्जक ताने-बाने को बदलने तथा केरलवामसयों
की मान्यताओं को बदलने का श्रेय हदया जाता िै ।
• उनका जन्म एक एझािा पररिार िुआ था, उस समय इस समुदाय के लोगों
को अवणत माना जाता था तथा जाततवाद से ग्रमसत केरल के समाज में इन्िें
सामाक्जक अन्याय का अत्याधधक सामना करना पड़ा।
• उनके दशतन ने िमेशा सामाक्जक समानता, सभी के मलए मशक्षा और आध्याक्त्मक ज्ञान की वकालत की।
महत्िपण
ू भ सामाम्जक योगदान:
1. उन्िोंने ‘एक जातत, एक धमभ, सिी के ललए एक िगिान" (ओरु जाठी, ओरु मथम, ओरु दै वम, मनुश्यानु)
का प्रमसद्ध नारा हदया।
2. वषत 1888 में , श्री नारायण गुरु ने केरल के अरुववतपुरम गांव में भगवान मशव के पिले मंहदर की स्थापना
की, जिां पिली बार ककसी गैर-ब्राह्मण द्वारा दे व-प्रततमा स्थावपत की गई।
3. उनके इस कदम ने उच्च जातत के ब्राह्मण समद
ु ायों के णखलाफ जातत-ववरोधी क्रांतत को जन्म हदया।
4. उन्िोंने एक मंहदर में कलावनकोि (Kalavancode) की प्रततष्ट्ठापना की, क्जसमे उन्िोंने मूतततयों के स्थान
पर दपतण को रखा। इससे उन्िोंने संदेश हदया कक परमात्मा प्रत्येक व्यक्तत के भीतर तनवास करता िै ।
5. वषत 1903 में , उन्िोंने संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में ‘श्री नारायण धमत पररपालन योगम’ (SNDP) की
स्थापना की।
6. उन्िोंने तनचली जातत के लोगों के मंहदरों में प्रवेश-तनषेध के ववरोध स्वरूप राज्य भर में 40 से अधधक
मंहदरों की स्थापना की थी।
राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान:
• वे सावतभौममक मंहदर प्रवेश और अछूतों के सामाक्जक भेदभाव जैसी सामाक्जक बरु ाइयों के णखलाफ
आंदोलन के अग्रणी नेता थे।
• उन्िोंने त्रावणकोर में तनचली जाततयों को मंहदरों में प्रवेश की अनुमतत दे ने के मलए चलाए जा रिे
वायकॉम आंदोलन को गतत प्रदान की।
• उन्िोंने अपनी कववताओं में भारतीयता के सार को समाहित ककया, क्जसके माध्यम से ववश्व की स्पष्ट्ट
ववववधता में अंततनतहित एकता पर प्रकाश िाला।
श्री नारायण गुरु का दर्भन:
1. श्री नारायण गुरु, आहद शंकराचायत द्वारा प्रततपाहदत अद्वैत मसद्धांत ‘अद्वैत वेदांत' के सबसे बड़े
समथतकों और पन
ु मल्
ूत यांकनकतातओं (re-evaluators) में से एक थे।
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2. वषत 1913 में , उन्िोंने केरल के अलुवा नामक स्थान पर ‘अद्वैत आश्रम’ की स्थापना की।
3. यि आश्रम ‘ओम सिोदयां सवतत्र’ (भगवान की दृक्ष्ट्ट में सभी पुरुष समान िैं), के मिान मसद्धांत को
समवपतत था।
साहहम्त्यक रचनाएँ:
उन्िोंने ववमभन्न भाषाओं में कई पुस्तकों की रचना की। उनमें से कुछ रचनाएं, अद्वैत दीवपका, आश्रम,
थेवरतपाधथंकंगल, ब्रह्मववद्या पंचकम आहद िैं।
उनके दर्भन की प्रासंगगकता:
जिां कई दे शों और समद
ु ायों के सामाक्जक ताने-बाने में घण
ृ ा, हिंसा, कट्टरता, संप्रदायवाद और अन्य ववभाजनकारी
प्रववृ त्तयों का क्षरण िो रिा िै , ऐसे में श्री नारायण गुरु के ‘सावतभौममक एकता’ दशतन की समकालीन वैक्श्वक
संदभत में ववशेष प्रासंधगकता िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. श्री नारायण गुरु ककस राज्य के थे?
2. अरववतपुरम आंदोलन ककससे संबंधधत िै?
3. कलादी में अद्वैत आश्रम की स्थापना ककसने की?
4. वायकोम सत्याग्रि ककसने शुरू ककया था? उद्दे श्य तया थे?
5. श्री नारायण गरु
ु से ममलने वाले मित्वपण
ू त नेता।
6. आत्मोपदे श सतकाम की रचना ककसने की?
में स ललंक: भारत में िुए सामाक्जक सध
ु ारों में श्री नारायण गुरु की भूममका पर चचात कीक्जए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वततमान समय तक का आधतु नक भारतीय इततिास- मित्त्वपण
ू त
घटनाएँ, व्यक्ततत्व, ववषय।
1. अिनींद्र नाथ टै गोर
संदिभ: 7 अगस्त: अवनींद्र नाथ टै गोर (Abanindranath Tagore) की 150वीं
जयंती।
‘अिनींद्र नाथ टै गोर’ के बारे में :
रबींद्रनाथ टै गोर के भतीजे, अवनींद्र नाथ टै गोर, भारत में बंगाल स्कूल ऑफ आटत
के सबसे प्रमख
ु कलाकारों में से एक थे। िह िारतीय कला में स्िदे र्ी मल्
ू यों के
पहले प्रमुख समथभक थे।
िारतीय कला और संस्कृतत में ‘अिनींद्र नाथ टै गोर’ का योगदान:
1. उन्िोंने पिले 'इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओररएंटल आटभ ' का गठन ककया
तथा इसके पश्चात ‘बंगाल स्कूल ऑफ़ आटभ ’ की स्थापना की।
2. उनका मानना था, कक भारतीय कला और इसके कला-रूप
आध्याक्त्मकता को मित्व दे ते िै , इसके ववपरीत पक्श्चम की कला में भौततकवाद पर जोर हदया जाता िै ।
अताः उन्िोंने कला की पक्श्चम में प्रचमलत कला रूपों को अस्वीकार कर हदया।
3. मग
ु ल एिं राजपत
ू गचत्रकला को आधतु नक बनाने के उनके ववचार ने अंतताः आधतु नक िारतीय गचत्रकला
को जन्म हदया। क्जसका ववकास बंगाल स्कूल ऑफ आटत में िुआ।
4. उनका अधधकांश कायत हहंद-ू दर्भन से प्रेररत िै ।
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5. अपने बाद के कायों में , अवनींद्र नाथ ने चीनी और जापानी सुलेख रूपांकन परं पराओं को अपनी शैली में
एकीकृत करना शरू
ु कर हदया था। इसकी पीछे उनका उद्दे श्य सपपूणत एमशयाई आधुतनक कला परं परा
तथा परू ब की कलात्मक और आध्याक्त्मक संस्कृतत के सामान्य तत्वों का समामेलन करना था।
प्रलसद्ध गचत्र: भारत माता, शािजिाँ (1900), मेरी माँ (1912–13), परीलोक धचत्रण (1913), यात्रा का अंत (1913)।
साहहत्य में योगदान:
• एक धचत्रकार के साथ-साथ वे बंगाली बाल साहित्य के प्रख्यात लेखक भी थे। उनकी अधधकांश
साहिक्त्यक कृततयाँ बच्चों पर केंहद्रत थीं।
• वे ‘अबन ठाकुर’ के नाम से प्रमसद्ध थे और उनकी पस्
ु तकें जैसे राजकिानी, बड़
ू ो अंगला, नलक, णखरे र
पुतुल बांग्ला बाल-साहित्य में मित्त्वपूणत स्थान रखती िैं।
• अरे बबयन नाइट्स श्रख
ं ृ ला उनकी उल्लेखनीय कृततयों में से एक थी।
• ववमलयम रोथेंस्टीन (William Rothenstein) ने रवींद्रनाथ टै गोर को 'गीतांजमल' को अंग्रेजी में प्रकामशत
करने में सिायता की।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आपने ‘राजा रवव वमात’ के बारे में सुना िै ? भारतीय कला में उनका तया योगदान िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. इंडियन सोसायटी ऑफ ओररएंटल आटत - उद्दे श्य
2. बंगाल स्कूल ऑफ आटत के बारे में
3. अवनींद्र नाथ टै गोर धचत्रों के ववषय
4. साहिक्त्यक रचनाएँ
5. उनके प्रमसद्ध धचत्र
में स ललंक: बंगाल स्कूल ऑफ़ आटत के ववकास तथा मख्
ु य ववशेषताओं का परीक्षण
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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विषय:स्वतंत्रता संग्राम- इसके ववमभन्न चरण और दे श के ववमभन्न भागों से इसमें अपना योगदान दे ने वाले
मित्त्वपूणत व्यक्तत/उनका योगदान।
1. विलिन्न विद्रोहों में हुए र्हीदों को स्ितंत्रता सेनानी का दजाभ
संदिभ: भारतीय ऐततिामसक अनुसंधान पररषद (the Indian Council of Historic Research - ICHR)) द्वारा 'शिीदों के
नामों का कोश: भारत का स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947)' (Dictionary of Martyrs: India’s Freedom Struggle
1857-1947)’ के पांचवें खंि में प्रववक्ष्ट्टयों की समीक्षा िे तु एक तीन सदस्यीय सममतत तनयुतत की गई थी।
इस सममतत द्वारा की गई अनुशंसाओं के अनुसार, केरल के कपयतु नस्ट आंदोलन में िुए शिीदों सहित ‘पुन्नपरा
वायलार ववद्रोि’ (Punnapara-Vayalar revolt), कय्यरू ववद्रोि, काररवेलरू और कावप
ु बई ववद्रोि में जान गंवाने वाले
शिीद, भारत के स्वतंत्रता संग्राम इततिास में स्वतंत्रता सेनातनयों के रूप में शाममल रिें गे।
पष्ट्ृ ठिूलम:
इससे पिले, इस सममतत द्वारा मालाबार के ववद्रोिी नेताओं वररयामकुनाथ कुन्िमेद िाजी, अली मुसमलयार और
387 अन्य 'मोपला शिीदों' को स्वतंत्रता सेनातनयों की सच
ू ी से िटाने की मसफाररश की गयी थी।
‘पुन्नपारा-िायलार’ विद्रोह के बारे में :
यि, बब्रहटश भारत में , त्रावणकोर ररयासत के प्रधानमंत्री सी. पी. रामास्वामी अय्यर तथा ररयासत के णखलाफ
एक संगहठत श्रममक वगत का ववद्रोि था।
विद्रोह के उद्दे श्य, त्रावणकोर के शोषक दीवान को पद से िटाना और श्रममक वगत को अन्यायपण
ू त कराधान और
शासन के शोषण से मत
ु त करना था।
इस विद्रोह का महत्ि:
(a) यि अपनी तरि का एक अनोखा आंदोलन था, क्जसमे मजदरू वगत सरकार के णखलाफ खड़ा िो गया।
(b) इस आंदोलन में सभी वगों के लोगों ने एक अत्याचारी के णखलाफ ववद्रोि में भाग मलया, और वगत और
धमत के भेद को ममटाते िुए लोगों को एक िोने के मलए प्रेररत ककया।
(c) इस ववद्रोि के फलस्वरूप, क्षेत्र में लोकतंत्र की स्थापना िुई और राज्य की राजनीतत को एक तनणातयक
मोड़ हदया गया।
विद्रोह के तनहहताथभ:
• इततिासकारों का मानना िैं कक, यि तत्कालीन त्रािणकोर से 'स्ितंत्र त्रािणकोर' की स्थापना हे तु एक
विलर्ष्ट्ट संघषभ था।
• इस आंदोलन के एक नेता टी के वगीज वैद्यन ने अधधकाररक रूप से किा था, कक यि आंदोलन
‘कभयुतनस्ट इंडिया’ की स्थापना के उद्दे श्य िे तु एक बड़ी क्रांतत के मलए पूवातभ्यास था।
कय्यरू विद्रोह:
• वषत 1940 में , कपयुतनस्टों के नेतत्ृ व में विां के ककसान, ‘कक्ल्लयाट के नांबबयार’ और ‘करतकट एिम के
नयनार’ नामक दो स्थानीय सामंतवाद एवं उपतनवेशवाद समथतक जमींदारों के णखलाफ उठ खड़े िुए।
• कय्यूर को केरल में कृवष क्रांतत का उद्गम स्थल माना जाता िै ।
करीिेलूर विद्रोह: यि ववद्रोि 20 हदसंबर 1946 को िुआ था। यि भयानक भुखमरी के समय गाँव से धान की
जबरदस्ती उगािी कराने वाले जमींदारों के णखलाफ ककसानों का ववद्रोि था।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप पथरूघाट: 1894 का ववस्मत
ृ ककसान ववद्रोि के बारे में जानते िैं?
में स ललंक:
पुन्नपारा-वायलार ववद्रोि के मित्व और संबधधत मुद्दों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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2. पन
ु तनभलमभत जललयांिाला बाग पररसर
संदिभ: 28 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री नरे न्द्र मोदी द्वारा जमलयांवाला बाग स्मारक के पुनतनतममतत पररसर को
वीडियो कॉन्फ्रेंमसंग के माध्यम से उद्घाटन ककया गया।
पष्ट्ृ ठिलू म:
13 अप्रैल, 1919 को िुए नरसंिार में मारे गए शिीदों को श्रद्धांजमल दे ने के रूप में , जमलयांवाला बाग स्मारक का
पिली बार तत्कालीन राष्ट्रपतत िॉ राजेंद्र प्रसाद ने 13
अप्रैल, 1961 को उद्घाटन ककया गया था।
• केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 1951 को प्रधान मंत्री
की अध्यक्षता में ‘जमलयांवाला बाग राष्ट्रीय
स्मारक रस्ट’ की स्थापना की गयी थी।
• इस रस्ट में सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस के अध्यक्ष, पंजाब के मख्
ु यमंत्री, पंजाब के
राज्यपाल, केंद्रीय संस्कृतत मंत्री और लोकसभा में
ववपक्ष के नेता शाममल िोते िैं।
‘जललयांिाला बाग’ में क्या निीकरण ककया गया है ?
• 13 अप्रैल, 1919 की घटनाओं को दोिराने वाला 28 ममनट का ‘साउं ि एंि लाइट शो’ िर शाम को हदखाया
जाएगा। शिीदों के सपमान में आगंतक
ु ों के मौन बैठने के मलए एक ‘मक्ु तत-स्थल’ (Salvation Ground)
का तनमातण ककया गया िै ।
• शिीदों की कई नई मतू ततयां स्थावपत की गई िैं।
• पररसर में क्स्थत कम उपयोग की जा रिी इमारतों का अनक ु ू मलत तरीके से दोबारा इस्तेमाल करते िुए
चार नई दीघातओं का तनमातण ककया गया िै । इन दीघातओं में पंजाब के इततिास, स्वतंत्रता आंदोलन के
इततिास और गदर आंदोलन से संबंधधत घटनाओं को प्रदमशतत ककया गया िै ।
• पुनतनतममतत पररसर में गुरु नानक दे व, मसख योद्धा बंदा मसंि बिादरु और मिाराजा रणजीत मसंि की एक
मूततत भी स्थावपत की गयी िै ।
स्मारक में पन
ु तनभमाभण संबध
ं ी वििाद:
• वपछले वषों के दौरान जमलयांवाला बाग में कई बार मरपमत और छोटे -छोटे सुधार कायत ककए गए िैं।
लेककन बाग की ओर जाने वाले संकरे रास्ते पर करीबन 100 वषों से कोई छे ड़-छाड़ निीं की गयी थी।
िालंकक, बाग में कई अन्य चीजें बदल गईं, ककं तु नानकशािी ईंटों से बना यि संकीणत प्रवेश द्वार,
क्जससे िोकर ‘िायर’ के सैतनक में घुसे थे, उस हदन की भयाविता की याद हदलाता रिा। जुलाई 2020
में , पुराने मागत का िर तनशान ममटाते िुए, इसे मभवत्त धचत्रों सहित एक गैलरी में पररवतततत कर हदया
गया।
• वि प्रमसद्ध 'शिीदी कुआँ’, क्जसमे लोग गोमलयों की बौछार से बचने के मलए कूद गए थे, उसे एक कांच
की चादर से ढक हदया गया िै - चंकू क, इस चादर की वजि से उस भयावि मंजर के गवाि ‘कँु ए’ को
दे खा निीं जा सकता, इसमलए, सरकार के इस तनणतय की आलोचना की जा रिी िै ।
‘जललयांिाला बाग हत्याकांि’ के बारे में :
13 अप्रैल, 1919 को ‘बैसाखी’ थी, और इस हदन अमत
ृ सर के स्थानीय तनवामसयों ने दो स्वतंत्रता सेनातनयों
सत्यपाल और सैफुद्दीन ककचलू को कैद करने तथा ‘रौलट एतट’ को लागू करने के णखलाफ चचात और ववरोध
करने के मलए एक सभा आयोक्जत करने का फैसला ककया था। ‘रौलट एतट’ के तित बब्रहटश सरकार को बबना
ककसी सुनवाई के धगरफ्तार करने की शक्तत दी गई थी।
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जमलयांवाला बाग चारो और से दीवारों से तघरा था और इसमें आने-जाने के मलए कुछ छोटे -छोटे दरवाजे थे।
अंग्रेजों के आदे श के णखलाफ, इस बाग में एकबत्रत भीड़ में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शाममल थे।
बब्रगेडियर-जनरल रे क्जनल्ि एिवित िै री िायर, एकबत्रत भीड़ को सबक मसखाने के उद्दे श्य से दबे पाँव बाग में
पिुँच गया, और अपने साथ लाए 90 सैतनकों को, सभा के दौरान िी, भीड़ पर गोली चलाने का आदे श दे हदया।
भीड़ में कई लोगों ने दीवार फांद कर जान बचाने का असफल प्रयास ककया, और कई लोग जान बचाने के मलए
बाग के अंदर बने एक कुएं में कूद गए।
पररणाम:
• इस नरसंिार के बाद जनरल िायर को ‘अमत
ृ सर का कसाई’ किा गया और उसे कमांि से िटा कर
वापस बब्रटे न भेज हदया गया।
• इस घटना के प्रततरोध में रवींद्रनाथ टै गोर और मिात्मा गांधी ने क्रमशाः बब्रहटश नाइटिुि और ‘कैसर-ए-
हिंद’ की अपनी उपाधधयों को त्याग हदया।
• वषत 1922 में कुख्यात रोलेट एतट अंग्रेजों द्वारा तनरस्त कर हदया गया।
प्रीललभस ललंक:
1. इस घटना के दौरान भारत का वायसराय कौन था?
2. घटना के पररणाम?
3. रौलट एतट तया िै ?
में स ललंक: जमलयांवाला बाग त्रासदी, बब्रहटश भारतीय इततिास पर एक
शमतनाक तनशान िै । हटतपणी कीक्जए।
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‘सामाम्जक-आगथभक और जाततगत जनगणना’ (SECC) 2011 के बारे में :
वषत 2011 में आयोक्जत ‘सामाक्जक-आधथतक और जाततगत जनगणना’ (Socio-Economic and Caste Census- SECC)
ववमभन्न समद
ु ायों की सामाक्जक-आधथतक क्स्थतत के बारे में आंकड़े प्रातत करने के मलए एक मित्वपण
ू त कायतक्रम
था।
• इसके दो घटक थे: पिला, ग्रामीण और शिरी पररवारों का एक सवेक्षण तथा पूवत तनधातररत मापदं िों के
आधार पर इन पररवारों की रैंककं ग, और दस
ू रा ‘जाततगत जनगणना’।
• िालांकक, सरकार द्वारा केवल ग्रामीण और शिरी पररवारों में लोगों की आधथतक क्स्थतत का वववरण जारी
ककया गया था। जातत संबध
ं ी आंकड़े अिी तक जारी नहीं ककए गए िैं।
‘जनगणना’ और ‘सामाम्जक-आगथभक और जाततगत जनगणना’ में अंतर:
• जनगणना, भारत की आबादी की तस्वीर प्रदान करती िै , जबकक सामाक्जक-आधथतक और जाततगत
जनगणना’ (SECC) राज्य द्वारा सिायता प्रातत करने वाले लाभाधथतयों की पिचान करने का एक उपकरण
िोती िै ।
• ‘जनगणना’, ‘जनगणना अधधतनयम’ 1948 (Census Act of 1948) के अंतगतत आती िै और इसके सभी
आकड़ों को गोपनीय माना जाता िै , जबकक SECC के तित दी गई सभी व्यक्ततगत जानकारी, सरकारी
ववभागों द्वारा पररवारों को लाभ प्रदान करने और/या रोकने िे तु उपयोग करने के मलए उपलधध रिती िै ।
जाततगत जनगणना के लाि:
प्रत्येक जातत की आबादी की सटीक संख्या, सभी का समान प्रतततनधधत्व सुतनक्श्चत करने िे तु आरक्षण नीतत को
तैयार करने में मदद करे गी।
संबंगधत गचंताएं:
• संभावना िै , कक जाततगत जनगणना से कुछ वगों में नाराजगी पैदा िोगी और कुछ समुदाय अपने मलए
अधधक या अलग कोटा की मांग करें ग।े
• कधथत तौर यि माना जाता िै , कक मात्र व्यक्ततयों को ककसी जातत से जुड़े िोने का ठतपा लगाने से,
समाज में जातत-व्यवस्था िमेशा बनी रि सकती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक ‘आईना-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उद्योग, धन और कई अन्य ववशेषताओं
से संबंधधत व्यापक आंकड़े ममलते िैं? इस पस्
ु तक में अन्य ककन ववषयों का वववरण हदया गया िै ?
स्रोत: द हिंद।ू
2. संयक्
ु त राष्ट्र द्िारा बाल वििाह की कड़ी आलोचना
संदिभ: क्जपबाधवे में 14 साल की बच्ची की कधथत तौर पर प्रसव के दौरान मौत िोने के बाद, संयुतत राष्ट्र ने
‘कम उम्र में जबरन वववाि’ कराए जाने की तनंदा की िै ।
इस मौत से सोशल मीडिया और बाल अधधकार कायतकतातओं में जोरदार गस्
ु सा दे खा गया िै ।
म़्िभबाब्िे में बाल वििाह संबंधी मामले:
क्जपबाधवे में , महिलाओं और लड़ककयों के णखलाफ ‘नाबामलगों के वववाि कराए जाने’ सहित हिंसा संबंधी मामले
धचंता का ववषय िैं।
आधधकाररक आंकड़े बताते िैं, कक क्जपबाधवे में िर तीन लड़ककयों में से एक लड़की की शादी 18 साल की उम्र से
पिले कर दी जाती िै ।
पूरे विश्ि में बाल वििाह:
पूरे ववश्व में , िर साल 12 मममलयन लड़ककयों का उनके बचपन में िी वववाि कर हदया जाता िै ।
• अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र में , बाल वववाि का स्तर परू े ववश्व में सवातधधक िै , यिाँ 35 प्रततशत यव
ु ा
महिलाओं की शादी 18 वषत की आयु से पिले िो जाती िै ।
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• इसके बाद, दक्षक्षण एलर्या का स्थान िै , जिां लगभग 30 प्रततशत लड़ककयों की शादी 18 वषत की आयु
से पिले िो जाती िै ।
• लैहटन अमेररका और कैररबबयन दे शों, मध्य पव
ू त और उत्तरी अफ्रीका और पव
ू ी यरू ोप और मध्य एमशया में
बाल वििाह का तनभन स्तर पाया जाता िै ।
बाल वििाह का अंत करने की हदर्ा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतराभष्ट्रीय प्रयास:
• संयुतत राष्ट्र का महिलाओं के णखलाफ भेदभाव उन्मूलन अमभसमय, 1979 (Convention on the
Elimination of Discrimination Against Women, 1979) के अंतगतत, ककसी बच्चे की सगाई और वववाि
कानन
ू ी रूप से मान्य निीं िोंगे।
• वववाि, वववाि के मलए न्यन
ू तम आयु और वववाि के पंजीकरण पर सिमतत अमभसमय, 1964 (1964
Convention on Consent to Marriage, Minimum Age for Marriage and Registration of Marriages) के
अनस
ु ार, अमभसमय के पक्षकार सदस्यों द्वारा ‘वववाि के मलए न्यूनतम आय’ु तनहदत ष्ट्ट करने िे तु ववधायी
कारत वाई की जाएगी।
• मानव अधधकारों की सावतभौममक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights– UDHR) के अंतगतत,
वववाि के मलए 'स्ितंत्र एिं पूण'भ सहमतत के अधधकार को मान्यता दी गई िै ।
• यद्यवप ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अगधकार अलिसमय’ (UN Convention on the Rights of the Child- CRC) में
वववाि का सीधा उल्लेख निीं ककया गया िै , ककं तु बाल वववाि- अमभव्यक्तत की स्वतंत्रता का अधधकार,
सभी प्रकार के दव्ु यतविार से सुरक्षा का अधधकार, और िातनकारक पारं पररक प्रथाओं से सुरक्षक्षत िोने का
अधधकार- जैसे अन्य अधधकारों से जुड़ा िुआ िै ।
• वषत 2016 में , संयत
ु त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund - UNICEF) और ‘संयत
ु त राष्ट्र
जनसंख्या कोष’ (UNFPA) द्वारा संयुतत रूप से ‘बाल वववाि’ को समातत करने के मलए एक वैक्श्वक
कायतक्रम शुरू ककया गया।
• बच्चों का कम आयु में और जबरन वववाि उन्मूलन, सतत ववकास लक्ष्यों के “लक्ष्य- 5 : लैंधगक
समानता प्रातत करना और सभी महिलाओं और लड़ककयों को सशतत बनाना” का एक भाग िै ।
‘बाल वििाह’ से जड़
ु ी गचंताएं:
1. 18 वषत की आयु से पिले वववाि मानव अधधकारों का मूलभूत उल्लंघन िै ।
2. िालांकक, यि प्रथा लड़कों की तुलना में लड़ककयों के मलए अधधक आम िै , यि लैंधगक मभन्नता के बावजूद
मानवाधधकारों का उल्लंघन करती िै ।
3. बाल वववाि के पररणामस्वरूप, लड़ककयों को कम आयु में गभातवस्था और सामक्जक अलगाव से गज
ु रना
पड़ता िै , क्जससे उनकी स्कूली मशक्षा में बाधा उत्पन्न िोती िै और कररयर और व्यावसातयक उन्नतत के
अवसरों को सीममत िो जाते िै । कुल ममलाकर उनका संपूणत ववकास संकट में पड़ जाता िै ।
4. बाल वववाि से लड़ककयों का बचपन छीन मलया जाता िै और उनके जीवन और स्वास््य को खतरा िोता
िै । 18 वषत से पिले वववाहित लड़ककयों को घरे लू हिंसा का सामना करने की अधधक तथा स्कूल में पढ़ाई
जारी रखने की कम संभावना िोती िै ।
5. बाल वध,ू अतसर ककशोरावस्था के दौरान गभतवती िो जाती िैं, जब गभातवस्था और प्रसव के दौरान, उनके
मलए व उनके मशशु के मलए जहटलताओं का खतरा बढ़ जाता िै ।
6. बाल वववाि, एक लड़की के स्वास््य, भववष्ट्य और पररवार को प्रभाववत करता िै , क्जससे यि राष्ट्रीय
स्तर पर भी, ववकास और समद्
ृ धध पर मित्वपण
ू त प्रभाव िालने के साथ-साथ, पयाततत मात्रा में आधथतक
भार िालता िै ।
7. बबना ककसी और बढ़ोतरी के, वषत 2030 तक 120 मममलयन से अधधक अन्य लड़ककयों की शादी उनके
18वें जन्महदन से पिले िो जाएगी।
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बाल वििाह के बढ़ते मामलों के कारण?
बच्चे को शादी के जोणखम में िालने के मलए कई कारक एक साथ काम करते िै , क्जसमें गरीबी, पाररवाररक
सपमान, सामाक्जक मानदं ि, प्रथागत या धाममतक तनयम, वववाि द्वारा बच्चे की सरु क्षा संबंधी धारणा, अपयाततत
ववधायी ढांचा और दे श में मसववल पंजीकरण प्रणाली की क्स्थतत आहद शाममल िैं।
िारत में बाल वििाह को रोकने हे तु कानून:
1. बाल वववाि प्रथा को प्रततबंधधत करने िे तु ‘बाल वववाि प्रततबंध अधधतनयम’ 1929 (Child Marriage
Restraint Act of 1929)
2. ‘बाल वववाि प्रततबंध अधधतनयम’ की कममयों को दरू करने और उन्िें सध
ु ारने िे तु ‘बाल वववाि तनषेध
अधधतनयम’, 2006 (Prohibition of Child Marriage Act, 2006)
आिश्यकता:
1. सामाक्जक जागरूकता में वद्
ृ धध। बच्चों को उनके मानवाधधकारों के बारे में जागरूक करने की जरूरत िै
और इस प्रकार की घटना िोने पर, बच्चों को मना करने और ववरोध करने के मलए मसखाया जाना
चाहिए।
2. मीडिया को भी इस जघन्य प्रथा के णखलाफ जागरूकता पैदा करने में अधधक सकक्रय भूममका तनभाने की
जरूरत िै ।
3. लड़ककयों के प्रतत सामाक्जक मानदं ि और दृक्ष्ट्टकोण में बदलाव ककया जाना चाहिए।
4. एक सशतत कानूनी और नीततगत प्रणाली, सेवाओं में सुधार, सामाक्जक मानदं िों में बदलाव और
लड़ककयों के सशक्ततकरण िे तु एक मित्वपूणत पष्ट्ृ ठभूमम बना सकती िै ।
5. स्कूल में छात्रों को, मशक्षा के मित्व और कम उम्र में शादी के दष्ट्ु प्रभावों पर जोर दे ते िुए ‘मल्
ू य
आधाररत मशक्षा’ प्रदान की जानी चाहिए।
6. सरकार, साक्षी ममलक, दीपा करमाकर और पीवी मसंधु जैसी शक्ख्सयतों को भी इस कायत में शाममल कर
सकती िै , इन महिला णखलाडियों ने अपने क्षेत्र में बड़ी सफलता अक्जतत की िै और बच्चों के माता-वपता
और छात्र इनकी उपलक्धधयों से प्रेरणा ले सकते िैं।
7. बाल वववाि रोकने के मलए, सरकार द्वारा नाममत, संबधं धत बाल ववकास पररयोजना अधधकाररयों को
तत्काल सूचना दी जानी चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: आरटीई अधधतनयम, 2009 के तित, ‘राष्ट्रीय बाल अधधकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) की कुछ
भूममकाएं और कायत तनधातररत ककए गए िैं। इनके बारे में आप तया जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. भारतीय संववधान के तित बच्चों के अधधकारों के बारे में
2. उपरोतत अमभसमयों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अवलोकन
3. भारत में बाल वववाि को रोकने के मलए कानून
में स ललंक: भारत में बाल वववाि रोकने िे तु उपाय सझ
ु ाइए।
स्रोत: द हिंद।ू
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2. अरुणाचल प्रदे र् ‘उत्तरागधकार विधेयक ‘मसौदा
(Arunachal Pradesh Draft Inheritance Bill)
संदिभ: िाल िी में , ववशेषज्ञों द्वारा अरुणाचल प्रदे श राज्य महिला आयोग (APSCW) से जनता की भावनाओं और
राज्य के हित को ध्यान में रखते िुए प्रस्ताववत ‘अरुणाचल प्रदे श वववाि एवं उत्तराधधकार ववधेयक’ (Arunachal
Pradesh marriage and inheritance bill) से कुछ प्रावधानों को िटाने के मलए गया िै ।
विधेयक के मसौदे का संक्षक्षप्त वििरण:
1. वििाह हे तु आिश्यक र्तें एिं वििाह का पंजीकरण: प्रस्ताववत ववधेयक, अरुणाचल प्रदे श की ककसी भी
स्थातनक अनुसूधचत जनजातत से संबंधधत सभी व्यक्ततयों पर लागू िोगा। इसके प्रावधानों के अनुसार, दो
पक्षों के मध्य ‘वववाि’ स्थानीय प्रथागत संस्कारों और दोनों में से ककसी एक पक्ष के रीतत-ररवाजों के
अनुसार ककया जा सकता िै।
2. दाभपत्य अगधकारों का प्रत्यास्थापन, अमान्य एिं र्न्
ू यकरणीय वििाह (Restitution of conjugal rights,
void and voidable marriage): ववधेयक में दापपत्य अधधकारों के प्रत्यास्थापन का भी प्रावधान ककया
गया िै , क्जसके अनुसार- यहद दोनों दोनों पक्षों में से कोई भी, बबना ककसी उधचत कारण के, दस
ू रे पक्ष
के समाज से अलग कर हदया जाता िै , तो पीडड़त पक्ष अपने दापपत्य अधधकारों के प्रत्यास्थापन िे तु
क्जला न्यायालय में याधचका दायर कर सकता िै ।
3. वििाह-विच्छे द के आधार (तलाक): अधधतनयम लागू िोने के बाद , ककए जाने वाले वववाि को ववमभन्न
आधारों पर भंग ककया जा सकता िै ।
4. स्थायी गुजारा ित्ता और िरण-पोषण: पत्नी, जो खद
ु का भरण-पोषण करने में असमथत िै , वि अपने
भरण-पोषण के मलए अदालत में याधचका दायर कर सकती िै , और अदालत द्वारा उसके पतत को अपनी
पत्नी के मलए एक मुश्त स्थायी गुजारा भत्ता दे ने का आदे श जारी ककया जाएगा।
5. बहुवििाह पर विधेयक की म्स्थतत: प्रत्येक व्यक्तत, जो वववाहित िोते िुए भी इस अधधतनयम के तित
अपना वववाि करवाता िै , को भारतीय दं ि संहिता की धारा 494 या धारा 495 के तित, जैसा भी
मामला िो, अपराध माना जाएगा, और इस प्रकार ककया गया वववाि अमान्य िोगा।
विधेयक का महत्ि:
• ववधेयक का मुख्य जोर, वववाि की कानूनी क्स्थतत, वववाि पंजीकरण की प्रकक्रया, पत्नी के मलए संपवत्त
में अधधकार, ववधवा के अधधकार और ‘बिुवववाि को अपराध मानने’ पर िै ।
• यि ववधेयक ‘बिुवववाि के अपराधीकरण’ और ‘कानन ू ी रूप से वववाहित पत्नी और ववधवा के संपवत्त के
अधधकार’ के संबध
ं में मित्वपूणत प्रावधान करता िै ।
वििादास्पद प्रािधान:
• ‘अरुणाचल प्रदे श की अनुसधू चत जनजातत’ के बािर के ककसी पुरुष से शादी करने वाली ‘अरुणाचल प्रदे श
की अनुसूधचत जनजातत’ (APST) की महिला को, पररवार के मुणखया से ववरासत में ममली ककसी भी
अचल संपवत्त का जीवनपयतन्त लाभ प्रातत िोगा।
• APST महिला की मत्ृ यु िो जाने की क्स्थतत में , उसके पतत और उसके उत्तराधधकाररयों को उस अचल
संपवत्त का अपनी इच्छानुसार उपयोग करने या ‘अरुणाचल प्रदे श की ककसी भी स्थातनक जनजातत के
सदस्यों’ को उस संपवत्त से बेदखल करने का परू ा अधधकार िोगा।
इन प्रावधानों के कारण, मसौदा ववधेयक को "आहदवासी ववरोधी", "अरुणाचल ववरोधी", प्रथागत कानूनों का
उल्लंघन करने वाला और बािरी लोगों को वववाि के माध्यम से आहदवासी भूमम पर कधजा करने के मलए
तनमंत्रण दे ने वाला बताया जा रिा िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: हिंद ू वववाि अधधतनयम, 1955 की धारा 9 ‘दांपत्य अधधकारों के प्रत्यास्थापन’ से संबधं धत िै । इन
अधधकारों के बारे में चचात कीक्जए।
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विषय:भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय िलचल, चक्रवात आहद जैसी मित्त्वपण
ू त भ-ू भौततकीय घटनाएँ, भौगोमलक
ववशेषताएँ और उनके स्थान- अतत मित्त्वपूणत भौगोमलक ववशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और
वनस्पतत एवं प्राणणजगत में पररवततन और इस प्रकार के पररवततनों के प्रभाव।
1. अटलांहटक िूमध्यरे खीय प्रततिती पररसंचरण (AMOC)
संदिभ: िाल िी ककए गए एक अध्ययन के अनुसार, उत्तरी गोलाधत के एक जलवाय-ु यंत्र, ‘अटलांहटक भूमध्यरे खीय
प्रततवती पररसंचरण’ (Atlantic Meridional Overturning Circulation - AMOC) के काफी कमजोर िोने की संभावना
िै , क्जसके पररणामस्वरूप ववश्व के मौसम में व्यापक बदलाव िो सकते िैं।
• जलवायु मॉिल्स के अनस
ु ार, इस समय ‘अटलांहटक भम
ू ध्यरे खीय प्रततवती पररसंचरण’ (AMOC), वपछले
1,000 से अधधक वषों में सबसे कमजोर क्स्थतत में िै ।
• िालांकक, यि ज्ञात निीं िै , कक AMOC की यि कमजोरी ‘पररसंचरण’ में बदलाव के कारण या तनयममतता
में कमी िोने कारण िुई िै ।
‘अटलांहटक िूमध्यरे खीय प्रततिती पररसंचरण’ (AMOC) क्या है ?
यि समुद्री धाराओं की यि ववस्तत
ृ प्रणाली िै , क्जसमे, उत्तरी अटलांहटक में मिासागरीय गमत जल का प्रवाि उष्ट्ण
कहटबंध से उत्तर की ओर िोता िै , और गिरे समुद्र के माध्यम से ठं िे जल का प्रवाि वापस भूमध्यरे खा की ओर
िोता िै ।
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• इस प्रकार, पिले से िी तनक्श्चत हदशाओं में प्रवाहित िो रिी वायु, जब ककसी गमत स्थान पर पिुँचने के
पश्चात ् ऊपर उठती िै , तो ररतत स्थान को भरने के मलए ठं िी िवा, केंद्र की ओर आकवषतत िोने लगती
िै । केंद्र की ओर बढ़ते समय, ठं िी िवा ववक्षेवपत िोती रिती िै क्जसके पररणामस्वरूप वाय-ु संचरण में
पररवलन िोने लगता िै , और प्रकक्रया, चक्रवात के स्थल से टकराने तक जारी रिती िै ।
चक्रिात के स्थल से टकराने के पश्चात:
चक्रवात, स्थलीय क्षेत्रों पर पिुचने के बाद बबखर कर समातत िो जाता िै , तयोंकक उष्ट्ण जल के संपकत में आने
के कारण वायु गमत िोकर ऊपर उठती िै और ठं िी वायु के मलए ररतत स्थान बनाती िै , ककं तु स्थल पर इसका
अभाव िोता िै । इसके अलावा, ऊपर उठने वाली आद्रत िवा से बादलों का तनमातण का तनमातण िोता िै , क्जससे
चक्रवातों के दौरान तेज िवाओं के साथ तीव्र बाररश िोती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘सप
ु रसेल’ (Supercell) और ‘मेसोसायतलोन’ (Mesocyclone) में अंतर जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. चक्रवातों के तनमातण के मलए उत्तरदायी कारक
2. ववश्व के ववमभन्न क्षेत्रों में चक्रवातों का नामकरण
3. भारत के पूवी तट पर अधधक चक्रवात आने का कारण
4. कोररओमलस बल तया िै ?
5. संघनन की गतु त ऊष्ट्मा तया िै ?
में स ललंक: उष्ट्ण कहटबंधीय चक्रवातों के तनमातण के मलए उत्तरदायी कारकों की वववेचना कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।
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सामान्य अध्ययन-II
विषय: भारतीय संववधान- ऐततिामसक आधार, ववकास, ववशेषताएँ, संशोधन, मित्त्वपण
ू त प्रावधान और बुतनयादी
संरचना।
1. ‘अनुसूगचत जनजातत सच
ू ी’ में संर्ोधन हे तु विधेयक
संदिभ: िाल िी में , ‘संववधान (अनुसूधचत जनजाततयां) आदे श (संशोधन) ववधेयक, 2021’ (Constitution (Scheduled
Tribes) Order (Amendment) Bill, 2021) राज्यसभा में पाररत िो गया िै ।
इस ववधेयक के द्वारा, ‘संववधान (अनुसधू चत जनजातत) आदे श, 1950’ (Constitution (Scheduled Tribes) Order,
1950) में संशोधन ककया गया िै ।
विधेयक के प्रमुख बबंद:ु
• ववधेयक में , अरुणाचल प्रदे श में धचक्न्ित अनस
ु धू चत जनजाततयों की सच
ू ी से ‘अबोर’ जनजातत को िटाए
जाने का प्रावधान ककया गया िै ।
• इसके तित, धचक्ह्नत सूची में , कुछ अनुसधू चत जनजाततयों को अन्य जनजाततयों के स्थान पर शाममल
ककया गया िै ।
• सूची में ‘ताई खापती’, ममश्मी-कामन (ममजु ममश्मी), इद ु (ममश्मी) और तारोन (हदगारु ममश्मी)
जनजाततयों को शाममल ककया गया िै ।
अगधसूगचत अनुसगू चत जनजाततयों की सच
ू ी को संर्ोगधत करने की र्म्क्त:
भारतीय संववधान में , राष्ट्रपतत को ववमभन्न राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों में अनुसूधचत जनजाततयों
(Scheduled Tribes) को तनहदत ष्ट्ट करने की शक्तत प्रदान की गई िै । इसके अलावा, संववधान में संसद को
‘अधधसूधचत अनुसधू चत जनजाततयों’ (Notified STs) की सूची को संशोधधत करने की अनुमतत दी गई िै ।
‘अनुसूगचत जनजातत’ की पररिाषा:
संववधान में , ‘अनुसूधचत जनजाततयों’ की मान्यता संबध
ं ी मानदं िों को पररभावषत निीं ककया गया िै ।
• िालांकक, संववधान के अनुच्छे द 366 (25) में , अनुसूधचत जनजाततयों को पररभावषत करने की केवल
प्रकक्रया दी गयी िै । क्जसके अनस
ु ार, अनस
ु धू चत जनजाततयों का अमभप्राय, ऐसी जनजाततयाँ या जनजातत
समुदाय अथवा ऐसी जनजाततयों या जनजातत समुदायों के भाग या उनके समूि िैं क्जन्िें इस संववधान
के प्रयोजनों के मलए अनुच्छे द 342 के अधीन अनुसूधचत जनजाततयाँ समझा जाता िै ।
• अनच्
ु छे द 342(1): राष्ट्रपतत, ककसी भी राज्य या केंद्रशामसत प्रदे श के ववषय में , और जिाँ वि राज्य िै ,
राज्यपाल से सलाि के बाद सावतजतनक अधधसच
ू ना द्वारा, आहदवासी जातत या आहदवासी समुदायों या
आहदवासी जाततयों या आहदवासी समुदायों के भागों या समूिों को तनहदत ष्ट्ट कर सकते िैं, जो इस
संववधान के उद्दे श्यों के मलए, उस राज्य या केंद्रशामसत प्रदे श, जैसा भी मामला िो, के संबंध में अनुसूधचत
जनजाततयाँ समझे जाएंगे।
‘अनस
ु गू चत जनजाततयों’ हे तु संिैधातनक संरक्षोपाय:
र्ैक्षक्षक और सांस्कृततक संरक्षोपाय:
1. अनुच्छे द 15(4):- अन्य वपछड़े वगों (क्जसमें अनुसूधचत जनजातत भी शाममल िै ) की उन्नतत के मलए
ववशेष प्रावधान;
2. अनुच्छे द 29:- अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण (क्जसमें अनुसूधचत जनजातत भी शाममल िै );
3. अनुच्छे द 46:- राज्य जनता के कमजोर वगों और ववशेष रूप से अनुसूधचत जाततयों और अनुसूधचत
जनजाततयों के शैक्षक्षक और आधथतक हितों को ववशेष सावधानी के साथ बढ़ावा दे गा और सामाक्जक
अन्याय और सभी प्रकार के सामाक्जक अन्याय एवं शोषण से उनकी रक्षा करे गा।
4. अनच्
ु छे द 350:- ववमशष्ट्ट भाषा, मलवप या संस्कृतत के संरक्षण का अधधकार।
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5. अनुच्छे द 350:- मातभ
ृ ाषा में तनदे श।
सामाम्जक संरक्षोपाय:
1. अनच्
ु छे द 23:- मानव तस्करी एवं मभक्षाववृ त्त तथा ककसी भी अन्य प्रकार के बलात ् श्रम का तनषेध;
2. अनुच्छे द 24:- बाल श्रम पर रोक।
आगथभक सुरक्षा संरक्षोपाय:
1. अनुच्छे द 244: - उपबंध (1) पाँचवीं अनुसच
ू ी के उपबंध असम, मेघालय, बत्रपुरा और ममजोरम राज्यों से
मभन्न ककसी राज्य के अनस
ु ूधचत क्षेत्रों और अनुसूधचत जनजाततयों के प्रशासन और तनयंत्रण के मलए
लागू िोंगे। उपबंध (2) छठी अनस
ु च
ू ी के उपबंध असम, मेघालय, बत्रपरु ा और ममजोरम राज्यों के जनजातत
क्षेत्रों के प्रशासन के मलए लागू िोंगे।
2. अनुच्छे द 275:- संववधान की पांचवीं और छठी अनुसूची के अंतगतत आने वाले तनहदत ष्ट्ट राज्यों (STs&SAs)
को सिायता अनद
ु ान।
राजनीततक संरक्षोपाय:
1. अनुच्छे द 164(1):- बबिार, मध्य प्रदे श और उड़ीसा में जनजातीय कायत मंबत्रयों के मलए प्रावधान;
2. अनुच्छे द 330:- लोकसभा में अनुसूधचत जनजाततयों के मलए सीटों का आरक्षण;
3. अनुच्छे द 337- राज्य ववधानसभाओं में अनुसूधचत जनजाततयों के मलए सीटों का आरक्षण;
4. अनच्
ु छे द 334:- आरक्षण के मलए 10 वषत की अवधध (अवधध बढ़ाने के मलए कई बार संशोधधत);
5. अनुच्छे द 243:- पंचायतों में सीटों का आरक्षण।
6. अनुच्छे द 371:- पूवोत्तर राज्यों और मसक्तकम के संबंध में ववशेष प्रावधान।
सेिा संरक्षोपाय:
अनुच्छे द 16(4), 16(4ए), 164(बी) अनुच्छे द 335, और अनुच्छे द 320(40) के तित अनुसूधचत जनजाततयों िे तु
सेिा संबंधी संरक्षोपाय ककए गए िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक, अगस्त 2020 में , उच्चत्तम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों वाली खंिपीठ ने किा था, कक
राज्य ‘कमजोर में से सबसे कमजोर’ को तरजीि दे ने के मलए केंद्रीय सच
ू ी में अनस
ु धू चत जाततयों और अनस
ु धू चत
जनजाततयों को उप-वगीकृत कर सकता िै । इस फैसले के बारे में अधधक जानने िे तु दे खें।
प्रीललभस ललंक:
1. वी. धचन्नैया मामला ककससे संबंधधत िै?
2. अनुच्छे द 341(1) के तित राष्ट्रपतत की शक्ततयां
3. केंद्रीय सच
ू ी में अनस
ु धू चत जनजाततयों को शाममल करने अथवा बािर करने की शक्तत?
4. सुप्रीम कोटत की ववमभन्न खंिपीठ
5. सवोच्च न्यायालय की अपने तनणतय की समीक्षा करने की शक्तत
में स ललंक: आरक्षक्षत वगत के भीतर िी ‘जातीय संघषत’ व्यातत िै तयोंकक आरक्षण का लाभ केवल कुछ लोगों द्वारा
उठाया जा रिा िै । चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
2. ओबीसी समह
ू ों को तनहदभष्ट्ट करने संबंधी राज्यों के अगधकार को बहाल करने हे तु विधेयक
संदिभ: िाल िी में , ‘संववधान 127वां संशोधन ववधेयक, 2021’ (Constitution 127th Amendment Bill, 2021)
लोकसभा में सवतसपमतत से पाररत कर हदया गया।
ववधेयक में , राज्यों एवं केंद्र शामसत प्रदे शों को ‘सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों’ की अपनी सच
ू ी तैयार
करने की संबंधी अनुमतत दे ने के मलए संववधान में संशोधन का प्रस्ताव ककया गया िै ।
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आिश्यकता:
5 मई को, मिाराष्ट्र में मराठा समुदाय के मलए एक पथ
ृ क आरक्षण को खत्म करते िुए, सुप्रीम कोटत ने फैसला
सन
ु ाया था, कक िषभ 2018 के संविधान संर्ोधन (102 िें संिैधातनक संर्ोधन) के बाद, केवल केंद्र सरकार,
सामाक्जक और शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों (SEBC) को अधधसूधचत कर सकती िै – राज्यों को यि शक्तत प्रातत
निीं िै ।
• 102 िें संविधान संर्ोधन के तहत, संववधान में अनुच्छे द 338B और अनुच्छे द 342 के बाद 342 A को
जोड़ा गया था। इसके साथ िी, इस संशोधन के द्वारा ‘राष्ट्रीय वपछड़ा वगत आयोग’ (National
Commission of Backward Classes - NCBC) को संवध
ै ातनक दजात भी प्रदान ककया गया था।
• इस संवैधातनक संशोधन की व्याख्या, वपछड़े वगों को धचक्ह्नत करने तथा उन्िें आरक्षण का लाभ प्रदान
संबंधी राज्यों के अधधकार को प्रभावी रूप से समातत कर दे ती िै ।
127िें संविधान संर्ोधन विधेयक के प्रमख
ु बबंद:ु
1. ववधेयक में , सामाक्जक और आधथतक रूप से वपछड़े अन्य वपछड़े वगों को धचक्ह्नत करने संबंधी राज्य
सरकारों की शक्तत को बिाल करने का प्रावधान ककया गया िै । ववहदत िो, कक मई 2021 में सप्र
ु ीम कोटभ
ने एक आदे श में , इस तरि की शक्तत केिल केंद्र सरकार को प्रदान की थी।
2. इस ववधेयक द्वारा इस प्रावधान में संशोधन ककया गया िै , और किा गया िै , कक राष्ट्रपतत, केवल केंद्र
सरकार के प्रयोजनों िे तु ‘सामाक्जक और शैक्षणणक रूप से वपछड़े वगों’ की सच
ू ी को अधधसधू चत कर
सकते िैं।
3. केंद्र सरकार ‘सामाक्जक और शैक्षणणक रूप से वपछड़े वगों’ की केंद्रीय सूची को तैयार करे गी और उसका
रखरखाव करे गी।
4. इसके अततररतत ववधेयक में , राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों को सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े
वगों की अपनी-अपनी सच
ू ी बनाने का अधधकार हदया गया िै ।
5. राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों द्वारा यि सूची कानून के तित बनाई जाएगी और यि केंद्रीय सूची से
मभन्न िो सकती िै ।
सामाम्जक और र्ैक्षखणक रूप से वपछड़े िगों की सच
ू ी:
‘राष्ट्रीय वपछड़ा वगत आयोग अधधतनयम’, 1993 के
अंतगतत ‘राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग’ (NCBC) की
स्थापना की गई थी।
• संविधान 102िें संर्ोधन अगधतनयम, 2018 के
द्वारा NCBC को संवैधातनक दजात हदया गया,
और ‘राष्ट्रपतत’ को सभी उद्दे श्यों के मलए
ककसी राज्य या केंद्र शामसत प्रदे श के
सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों की
सूची को अधधसधू चत करने की शक्तत प्रदान
की गयी थी।
• 2021 का विधेयक इसमें संशोधन करते िुए प्रावधान करता िै कक राष्ट्रपतत मसफत केंद्र सरकार के उद्दे श्य
के मलए सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों की सूची को अधधसूधचत कर सकते िैं।
NCBC के साथ परामर्भ:
संववधान के अनुच्छे द 338B के तित ‘केंद्र और राज्य सरकारों को, सामाक्जक एवं शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों को
प्रभाववत करने वाले सभी नीततगत मामलों पर ‘राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग’ से सलाि लेने को अतनवायत ककया
गया िै ।
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नए विधेयक के तनहहताथभ:
127 िां संविधान संर्ोधन विधेयक पाररत िोने के बाद, दे श में 671 जाततयां इससे लाभाक्न्वत िोंगी और ‘अन्य
वपछड़े वगों’ की अपनी सच
ू ी बनाने संबंधी राज्यों के अधधकारों पन
ु ाः बिाल िो जाएंग।े
प्रीललभस ललंक:
1. ‘राष्ट्रीय वपछड़ा वगत आयोग’ (NCBC) के बारे में
2. 102वें संववधान संशोधन ववधेयक का अवलोकन
3. 127वें संववधान संशोधन ववधेयक के बारे में
4. इस मामले में सप्र
ु ीम कोटत के फैसले का अवलोकन
में स ललंक: नए 127वें संववधान संशोधन ववधेयक के तनहिताथों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
5. सारहीन आधार पर सिभत्र अबाध संचरण के अगधकार को प्रततबंगधत नहीं ककया जा सकता: उच्चतम
न्यायालय
संदिभ: सुप्रीम कोटत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मिाराष्ट्र पुमलस द्वारा जारी एक ‘क्जलाबदर करने संबंधी
आदे श’ (externment order) पर अिम हटतपणी करते िुए किा िै , कक ककसी व्यक्तत को दे श में किीं भी रिने
या स्वतंत्र रूप से भ्रमण करने के उसके मौमलक अधधकार से वंधचत निीं ककया जा सकता।
इस विषय से संबंगधत अन्य तथ्य:
• ‘म्जलाबदर आदे र्’ (externment order) क्या होता है? ‘क्जलाबदर आदे श’ के तित, एक तनक्श्चत क्षेत्र में
ककसी व्यक्तत को आवाजािी पर रोक लगायी जाती िै ।
• इस प्रकार के आदे र् जारी करने का आधार: शीषत अदालत ने अपनी हटतपणी में किा िै , कक कानून और
व्यवस्था बनाए रखने के मलए, केवल असाधारण मामलों में िी इस प्रकार की कठोर कारत वाई की जानी
चाहिए।
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‘िारत के राज्यक्षेत्र में सिभत्र अबाध संचरण’ के अगधकार के बारे में :
• ‘भारत के राज्यक्षेत्र में सवतत्र अबाध संचरण’ (move freely throughout the territory of India) का
अधधकार भारतीय संववधान के अनच्
ु छे द 19 (1) (d) के द्वारा प्रत्याभत
ू िै । यि अधधकार, केवल भारतीय
नागररकों के मलए उपलधध िै ।
• यि अधधकार पूणत
त याः बंधनमुतत अथवा असीममत निीं िै , बक्ल्क "आम जनता के हितों या ककसी
अनुसूधचत जनजातत के हितों की सुरक्षा के मलए" के मलए इस पर कुछ प्रततबंध लगाए जा सकते िैं।
• संबंधधत कायतकारी प्राधधकाररयों को, ककसी व्यक्तत को ‘तनवातमसत’ या ‘क्जलाबदर’ करने की शक्तत प्रदान
करने संबंधी प्रावधान, मिाराष्ट्र पमु लस अधधतनयम (MP 1951), पंजाब राज्य सरु क्षा अधधतनयम 1953,
और असम लोक व्यवस्था रखरखाव अधधतनयम 1947, कनातटक पमु लस अधधतनयम और अन्य कानूनों में
पाए जा सकते िैं।
• इस मामले में , एक व्यक्तत के क्जले में प्रवेश पर रोक लगाने के मलए, मिाराष्ट्र पमु लस अधधतनयम (MP
1951) के तित कायतकारी अधधकाररयों को प्रदान की गई वववेकाधीन शक्तत का प्रयोग ककया गया था।
िालाँकक, संबंधधत मामले में इस शक्तत का उपयोग 'कानून की उधचत प्रकक्रया' के अनुसार निीं था।
• िाल के हदनों में , दे श भर में शक्ततयों के दरु
ु पयोग संबंधी इस प्रकार के मामले बढ़ते जा रिे िैं।
उदाहरण के ललए: प्रफुल्ल भाऊसािे ब यादव बनाम श्री के.के. पाठक मामले में , बॉपबे िाईकोटत ने फैसला
सन
ु ाया, ये आदे श बबना ककसी आधार के पाररत ककए गए थे, और चंकू क इस आदे श को बबना कोई
हदमाग लगाए िुए जारी ककया गया था, इसमलए यि अमान्य माना जाएगा।
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विषय:संघ एवं राज्यों के कायत तथा उत्तरदातयत्व, संघीय ढाँचे से संबधं धत ववषय एवं चुनौततयाँ, स्थानीय स्तर पर
शक्ततयों और ववत्त का िस्तांतरण और उसकी चुनौततयाँ।
1. कराधान का संप्रिु अगधकार
(Sovereign Right to Taxation)
संदिभ: िाल िी में , भारत सरकार द्वारा माचत 2012 में लागू ककए गए आईटी अधधतनयम में ‘पूवव्त यापी कराधान
संशोधन’ (Retrospective Taxation Amendment) को वापस लेने का तनणतय ककया गया िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
भारत सरकार द्वारा वषत 2012 में आयकर अधधतनयम में पव
ू व्त यापी संशोधन ककया गया था। यि संशोधन सप्र
ु ीम
कोटत द्वारा हदए गए एक फैसले की प्रततकक्रया में ककया गया था। इस फैसले में शीषत अदालत ने किा था, कक
वोिाफोन पर वषत 2007 में ककए गए लेनदे न के मलए कर निीं लगाया जा सकता िै । ज्ञात िो कक, वोिाफोन ने
11 अरब िॉलर में ‘िधचसन व्िामपोआ’ (Hutchison Whampoa) कंपनी में 67 प्रततशत हिस्सेदारी की खरीदी थी,
क्जस पर भारतीय आयकर ववभाग ने ‘कर’ की मांग की थी।
'संप्रिुता' (Sovereignty) का तात्पयभ:
संप्रभु शक्तत का क़ानून वि िोता िै , क्जसे दे श के संववधान द्वारा मान्यता प्रातत ककसी अन्य शक्तत द्वारा रोका
या रद्द निीं ककया जा सकता िै ।
िारत में 'कराधान का संप्रिु अगधकार' क्या है?
भारतीय संववधान में , सरकार को व्यक्ततयों और संगठनों पर कर लगाने का अधधकार प्रदान ककया गया िै ,
लेककन साथ में यि भी स्पष्ट्ट ककया गया िै , कक विगधक प्रागधकारी के अलािा ककसी को िी कर लगाने या
िसूलने का अगधकार नहीं िै। ककसी भी लगाए जाने वाले ‘कर’ का आधार ववधातयका या संसद द्वारा पाररत
कानून िोना चाहिए।
पि
ू व्भ यापी व्यिस्था को रद्द करने से लाि:
1. पूवव्त यापी व्यवस्था को िटाने से, उन कंपतनयों को एक ‘स्पष्ट्ट एवं पूवातनुमेय कराधान कानून’ और इरादे
को हदखाया गया िै , जो दे श में कारोबार करते समय अपनी पररसंपवत्तयों का तनमातण कर सकती िैं।
2. सरकार का यि कदम, उन दे शों की कंपतनयों के मलए ‘सौदा’ करने के संदभत में भी स्पष्ट्टता प्रदान
करता िै , जिाँ ये ‘सौदे ’ ककसी भी ‘कर संधध लाभ’ (Tax Treaty Benefits) के अंतगतत निीं आते िैं।
3. कंपतनयां ‘मध्यस्थता’ अधधकरणों में दायर मुकदमों (2012 से पिले के मामलों के मलए) को वापस लेने
से, अक्जतत लाभ को अपने पास रख सकती िैं, और उनके द्वारा पिले से भुगतान की जा चुकी, या कर-
मांग के संदभत में समायोक्जत की जा चुकी ‘कर-रामश’ को वापस कर हदया जाएगा।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
तया आप जानते िैं, कक समवती सूची के तित, करों के संदभत में कोई पथ
ृ क प्रमख
ु निीं िै , अथातत, संघ और
राज्यों के पास कराधान की कोई समवती शक्तत निीं िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. पूवव्त यापी कराधान तया िै?
2. इसे भारत में कब लागू ककया गया था?
3. नए कर कौन लगा सकता िै ?
4. नवीनतम संशोधन
में स ललंक: भारत में पव
ू व्त यापी कराधान से संबंधधत मद्
ु दों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।
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विषय:ववमभन्न घटकों के बीच शक्ततयों का पथ
ृ तकरण, वववाद तनवारण तंत्र तथा संस्थान।
1. ‘तनिारक तनरोध’ का प्रयोग केिल सािभजतनक अव्यिस्था को रोकने के ललए: सुप्रीमकोटभ
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘तनवारक तनरोध’ (Prevention Detention) के प्रयोग एवं प्रयोज्यता
पर एक आदे श पाररत ककया गया िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत ममलने के कुछ िी समय बाद ‘तेलग
ं ाना खतरनाक गततविगध रोकथाम
अगधतनयम’ (Telangana Prevention of Dangerous Activities Act) के तित ‘तनवारक तनरोध’ में रखे गए एक
व्यक्तत की पत्नी द्वारा दायर अपील पर सन
ु वाई करने के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा यि फैसला सन
ु ाया
गया।
र्ीषभ अदालत द्िारा की गई हटप्पखणयाँ:
• ‘तनवारक तनरोध’ का प्रयोग केवल सावतजतनक अव्यवस्था को रोकने के मलए ककया जा सकता िै ।
• राज्य को सभी और छोटी-मोटी "कानून और व्यवस्था" समस्याओं, क्जन्िें दे श के सामान्य कानूनों द्वारा
तनपटाया जा सकता िै , से तनपटने िे तु मनमाने ढं ग से "तनवारक तनरोध" का सिारा निीं लेना चाहिए।
• साथ िी, अदालतों को यि सुतनक्श्चत कर लेना चाहिए कक उनके समक्ष प्रस्तुत ककए गए त्य, सीधे और
अतनवायतताः आम जनता या ककसी भी वगत के मध्य अतनष्ट्ट, खतरा, बेचैनी या असरु क्षा की भावना पैदा
करने वाले िैं।
• ‘तनवारक तनरोध’, अनुच्छे द 22 (मनमाने ढं ग से धगरफ्तारी और तनरोध के णखलाफ सुरक्षा) सहित
अनुच्छे द 21 (ववधधसपमत प्रकक्रया) की चारो सीमाओं और ववचाराधीन क़ानून के अंतगतत िोना चाहिए।
समय की मांग:
‘नागररक-स्वतंत्रता’, िमारे पूवज
त ों द्वारा काफी लंब,े ऐततिामसक और कहठन संघषों के बाद िामसल ककया गया
सबसे मित्वपण
ू त अधधकार िै। अताः, िमें ‘तनवारक तनरोध’ क़ानन
ू की शक्तत को बिुत संकीणत सीमाओं तक
सीममत रखना चाहिए, अन्यथा िमारे दे श और संववधान के संस्थापक पुरखों, क्जन्िोंने स्वतंत्रता सेनानी के रूप
में लंबे और कहठन संघषों के बाद ‘स्वतंत्रता का मिान अधधकार’ िामसल ककया था, वि तनरथतक िो जाएगा।
‘तनिारक तनरोध’ क्या है?
• तनवारक तनरोध (Preventive Detention) के अंतगतत, ककसी व्यक्तत को, उसके मलए भववष्ट्य में अपराध
करने से रोकने और/या उसके भववष्ट्य में अमभयोजन से बच कर भागने से रोकने िे तु, हिरासत में (कैद
करना) रखा जाता िै ।
• संविधान के अनुच्छे द 22 (3) (b) में , राज्य की सुरक्षा और सावतजतनक व्यवस्था संबंधी कारणों से
‘व्यक्ततगत स्वतंत्रता’ पर तनवारक तनरोध और प्रततबंध लगाने की अनम
ु तत का प्रावधान ककया गया िै ।
इस कानून के तहत ककसी व्यम्क्त को कब तक कैद ककया जा सकता है ?
• अनुच्छे द 22(4) के अनुसार, तनवारक तनरोध का उपबंध करने वाली कोई ववधध ककसी व्यक्तत का तीन
मास से अधधक अवधध के मलए तब तक तनरुद्ध ककया जाना प्राधधकृत निीं करे गी जब तक कक— एक
सलािकार बोित, तीन मास की उतत अवधध के तनरोध को आगे बढ़ाने के मलए पयाततत कारणों का
प्रततवेदन निीं करता िै ।
• 44िें संर्ोधन अगधतनयम, 1978 के द्वारा ‘सलािकार बोित’ की राय प्रातत ककए बबना नजरबंदी की
अवधध को तीन मिीने से घटाकर दो मिीने कर हदया गया िै । िालाँकक, यि प्रावधान अभी तक लागू निीं
ककया गया िै , इसमलए, तीन मिीने की मल
ू अवधध का प्रावधान अभी भी जारी िै ।
‘तनिारक तनरोध’ का उद्दे श्य:
1. ‘मररयप्पन बनाम म्जला कलेक्टर एिं अन्य’ मामले में, अदालत के फैसलेके अनुसार, ‘नजरबंदी’ और
इसके कानूनों का उद्दे श्य ककसी को दं डित करना निीं िै , बक्ल्क कुछ अपराधों को िोने से रोकना िै ।
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2. ‘यूतनयन ऑफ इंडिया बनाम पॉल नातनकन एिं अन्य’ मामले में , उच्चतम न्यायालय के अनुसार, इस
तरि की ‘नजरबंदी’ का तकत, वैध प्रमाण द्वारा उधचत ठिराए गए ककसी आपराधधक दोषमसद्धध पर
आधाररत िोने के बजाय मात्र संदेि या पयाततत संभावना पर आधाररत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं कक यहद ककसी व्यक्तत को तनवारक तनरोध के तित
धगरफ्तार या हिरासत में मलए जाने पर, उसे अनुच्छे द 22 (1) और 22(2) के
तित धगरफ्तारी और हिरासत से सुरक्षा उपलधध निीं िोती िै ? इस प्रकार से
हिरासत में मलए गए व्यक्ततयों को कौन से अन्य अधधकार उपलधध निीं िोते
िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. तनवारक तनरोध तया िै ?
2. तनवारक तनरोध से संबंधधत संवैधातनक प्रावधान
3. ‘तनवारक तनरोध’ लागू करने वाले कानून
4. अनुच्छे द 22 और इसके उपबंधों का अवलोकन
5. 44वें संशोधन अधधतनयम, 1978 - मसंिावलोकन।
में स ललंक: दे श में ‘तनवारक तनरोध कानन
ू ’ के कायातन्वयन से संबंधधत मद्
ु दों और धचंताओं पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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4. आपराधधक कानन
ू सध
ु ार
संदिभ: राष्ट्रीय मानवाधधकार आयोग (NHRC) के तित ववशेषज्ञों के एक समूि द्वारा "त्वररत न्याय सतु नक्श्चत
करने िे तु आपराधधक न्याय प्रणाली में सध
ु ारों की धीमी गतत पर गंभीर धचंता व्यतत की गयी िै "।
ितभमान गचंताएं/चन
ु ौततयां:
1. मामलों के तनपटारे में िोने वाली दे री से ववचाराधीन कैहदयों और दोवषयों के मानवाधधकारों का उल्लंघन
िोता िै ।
2. पुमलस सुधारों पर सुप्रीम कोटत के तनदे शों के बावजूद, जमीन पर शायद िी कोई बदलाव िुआ िो।
3. ककसी व्यक्तत को दोषी ठिराने वाले न्यायालय के आदे शों को लागू िोने में भी वषों का समय लग रिा
िै ।
सुझाए गए सध
ु ार:
1. प्रत्येक पुमलस थाने में मामलों की भीड़ को कम करने िे तु, भारतीय दं ि संहिता के तित कुछ अपराधों
को ववशेष कानन
ू और फास्ट रै क अदालतों में तनपटाया जा सकता िै ।
2. दस्तावेजों के डिक्जटलीकरण ककया जाना चाहिए, इस से जांच और सुनवाई में तेजी लाने में मदद
ममलेगी।
3. नए अपराधों का तनमातण और अपराधों के मौजूदा वगीकरण के नवीनीकरण को आपराधधक न्यायशास्त्र
के मसद्धांतों द्वारा तनदे मशत ककया जाना चाहिए जोकक वपछले चार दशकों में काफी िद तक बदल चक
ु े
िैं।
4. अपराधों का वगीकरण इस तरि से ककया जाना चाहिए , जोकक भववष्ट्य में अपराधों के प्रबंधन के
अनुकूल रिे ।
5. एक िी प्रकृतत के अपराधों के मलए अलग-अलग सजा की मात्रा और प्रकृतत को तय करने में न्यायाधीशों
के तनणतय, न्यातयक उदािरणों के मसद्धांतों पर आधाररत िोने चाहिए।
िारत में आपरागधक कानून:
भारत में प्रचमलत आपराधधक कानून कई स्रोतों में तनहित िै - िारतीय दं ि संहहता, 1860, नागररक अगधकार
अगधतनयम, 1955, दहे ज तनषेध अगधतनयम, 1961 तथा अनुसूगचत जातत और अनुसूगचत जनजातत (अत्याचार
तनिारण) अगधतनयम, 1989।
• आपराधधक न्याय प्रणाली, स्थावपत कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर दं ि लगा सकती िै ।
• आपराधधक कानून और आपराधधक प्रकक्रया संववधान की सातवीं अनुसच
ू ी की समवती सूची में सक्पममलत
िैं।
• लॉित थॉमस बबबंगटन मैकाले (Lord Thomas Babington Macaulay) को भारत में आपराधधक कानूनों के
संहिताकरण का मुख्य वास्तुकार किा जाता िै ।
सुधारों की आिश्यकता:
• औपतनवेमशक युग के कानून।
• प्रभाविीनता।
• अतनणीत मामलों की भार संख्या।
• वि
ृ द अमभयोगाधीन मामले।
आपरागधक कानून में सुधार हे तु सलमतत:
• गि
ृ मंत्रालय (MHA) द्वारा आपराधधक कानून में सुधार करने िे तु एक राष्ट्रीय स्तर की सममतत का
गठन ककया िै ।
• इस सममतत के अध्यक्ष रणबीर मसंि (कुलपतत,नेशनल लॉ यूतनवमसतटी हदल्ली) िैं।
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• यि सममतत, सरकार को दी जाने वाली ररपोटत के मलए, ववशेषज्ञों से ऑनलाइन परामशत करके ववचार
एकत्र करे गी और उपलधध सामग्री का ममलान करे गी।
आपरागधक कानन
ू ों से संबंगधत वपछली सलमततयाँ:
• माधि मेनन सलमतत: इसने 2007 में CJSI में सुधारों पर ववमभन्न मसफाररशों का सुझाव दे ते िुए अपनी
ररपोटत प्रस्तुत की।
• मललमथ कमेटी की ररपोटभ : इसने अपनी ररपोटत 2003 में आपरागधक न्याय प्रणाली (CJSI) पर प्रस्तुत
की।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
पुमलस सुधारों पर सुप्रीम कोटत द्वारा वषत 2006 में हदए गए फैसले के बारे में यिां पढ़ें ।
स्रोत: द हिंद।ू
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इस प्रकार के मामलों से संबंगधत सुप्रीम कोटभ द्िारा जारी आदे र्:
● 2017 में , सुप्रीम कोटत ने सांसदों के लंबे समय से लंबबत मुकदमों को तेजी से रै क करने के मलए दे श भर
में ववशेष अदालतें स्थावपत करने का आदे श हदया था।
● फरवरी 2020 में , सुप्रीम कोटत ने राजनीततक दलों को ववधानसभा और लोकसभा चुनावों के मलए अपने
उपमीदवारों के पूरे आपराधधक इततिास को प्रकामशत करने का आदे श हदया था,
● साथ िी, शीषत अदालत ने आदे श दे ते िर किा था, कक लंबबत मामलों के वववरण के साथ, राजनीततक
दलों के मलए, ‘इस प्रकार के उपमीदवारों के चयन के कारणों को भी प्रकामशत करना िोगा, तथा साथ िी
यि भी स्पष्ट्ट करना िोगा कक उनके द्वारा गैर-आपराधधक पष्ट्ृ ठभमू मयों के उपमीदवारों तयों निीं चन
ु ा
गया था।
समय की मांग:
1. उच्चतम न्यायालय को एक न्यातयक आदे श पाररत करना चाहिए, क्जसमें तनचली अदालतों को लंबबत
मुकदमे की कायतवािी को "अतनवायत समयबद्ध तरीके से" संभवताः अगले छि मिीनों के भीतर, पूरा
करने का तनदे श हदया जाए।
2. प्रत्येक ‘रायल कोटत ’ के समक्ष मामलों की संख्या को "तकतसंगत" करने का प्रयास ककया जाना चाहिए।
3. ववधध-तनमातताओं से जुड़े आपराधधक मक
ु दमों पर प्रगतत की तनगरानी िे तु, शीघ्र िी ववशेष अदालतों सहित
एक तंत्र स्थावपत ककया जाना चाहिए।
4. िाल िी में अदालत ने यि भी तनदे श हदया था, कक ककसी सांसद या ववधायक के णखलाफ आपराधधक
मामला संबंधधत उच्च न्यायालय की सिमतत के बाद िी वापस मलया जा सकता िै ।
5. राजनीततक दलों को चाहिए कक वे खद
ु दागी लोगों को हटकट दे ने से मना कर दें ।
6. जन-प्रतततनधधत्व अधधतनयम में संशोधन ककया जाना चाहिए ताकक उन लोगों को चुनाव लड़ने से रोका
जा सके क्जनके णखलाफ जघन्य प्रकृतत के मामले लंबबत िैं।
7. भारत के चुनाव आयोग (ECI) के मलए ‘राजनीततक दलों के ववत्तीय खातों की लेखा परीक्षा करने की
शक्तत’ प्रदान की जानी चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञास:ु ववमभन्न राज्य सरकारों द्वार दं ि प्रकक्रया संहिता की धारा 321 के तित तनहित शक्तत का उपयोग
करते िुए सांसद / ववधायक के णखलाफ लंबबत कई आपराधधक मामलों को वापस मलया गया िै । इस धारा के
तया प्रावधान ककए गए िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:संसद और राज्य ववधातयका- संरचना, कायत, कायत-संचालन, शक्ततयाँ एवं ववशेषाधधकार और इनसे उत्पन्न
िोने वाले ववषय।
1. ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS)
संदिभ: िाल िी में , केंद्र सरकार ने जानकारी दे ते िुए किा िै , कक सरकार, ववत्तीय वषत 2021 और 2122 के मलए
‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र ववकास योजना’ (MP Local Area Development Scheme - MPLADS) के तित कफर से
‘तनधध’ जारी करने संबध
ं ी ककसी भी प्रस्ताव पर ववचार निीं कर रिी िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
सरकार द्वारा अप्रैल, 2020 में ववत्तीय वषत 2020-21 और 2021-22 के मलए ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र ववकास
योजना’ (MPLADS) को जारी निीं करने का तनणतय मलया गया था; और इन दो वषो के दौरान MPLAD योजना के
तित जारी की जाने वाली रामश को, लोगों की आकक्स्मक जरूरतों को पूरा करने िे तु, ववत्त मंत्रालय के तनयंत्रण
में रख हदया गया था।
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इस योजना के तित ववत्तीय वषत 2018-19 के दौरान ₹5,012 करोड़ खचत ककए गए, जबकक ववत्तीय वषत 2019-20
में योजना के तित मात्र ₹2,491.45 करोड़ खचत ककए गए थे।
इस रालर् का उपयोग:
सरकार के अनुसार, MPLAD योजना से बचाई गई धनरामश का उपयोग, स्वास््य संबंधी बुतनयादी ढांचे में सध
ु ार
िे तु धन-आवंटन में वद्
ृ धध करने, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के तित तनाःशुल्क राशन प्रदान करने और
लोगों के मफ्
ु त टीकाकरण के मलए ककया गया िै ।
‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS) के बारे में :
इस योजना की शरु
ु आत हदसंबर, 1993 में की गयी थी।
• इसका उद्दे श्य संसद सदस्यों के मलए, स्थानीय जरूरतों के
आधार पर सामुदातयक अवसंरचनाओं सहित मूलभूत
सवु वधाओं और स्थाई सामद
ु ातयक पररसंपवत्तयों का
ववतनमातण करने के मलए विकासात्मक प्रकृतत के कायों की
लसफाररर् करने हे त,ु एक तंत्र प्रदान करना था।
• MPLAD योजना, पूरी तरि से िारत सरकार द्िारा वित्त
पोवषत योजना िै ।
• इसके तित प्रत्येक संसदीय क्षेत्र को वावषतक रूप से 5 करोड़
रुपए की MPLADS तनधध प्रदान की जाती िै ।
विर्ेष फोकस:
सांसदों के मलए, वावषतक रूप से दी जाने वाली MPLADS तनधध की न्यन
ू तम 15 प्रततशत रामश अनस
ु धू चत जातत
की आबादी वाले क्षेत्रों में , तथा 7.5 प्रततशत रामश अनस
ु ूधचत जनजातत की आबादी वाले क्षेत्रों में कराए जाने वाले
कायों पर व्यय करना अतनवायत िै ।
तनगधयां जारी करना:
इस योजना के तित, सांसद तनधध, सीधे म्जला अगधकाररयों को सहायता अनुदान (Grants- in-Aid) के रूप में
जारी की जाती िै ।
• योजना के तित जारी की गयी तनधध गैर-व्यपगत (Non-Lapsable) िोती िै ।
• यहद ककसी ववशेष वषत में तनधध जारी निीं जाती िै तो इसे पात्रता के अनुसार, अगले वषो में कराए जाने
वालों कायों में जोड़ हदया जाएगा। इस योजना के तित सांसदों की िूलमका अनस
ु ंर्ा करने की िोती िै ।
• इस योजना के तित, सांसदों की भमू मका मात्र मसफ़ाररशी िोती िै ।
• म्जला प्रागधकरण के ललए, कायों संबंधी पात्रता की जांच करने, तनधध स्वीकृत करने और कायातन्वयन िे तु
एजेंमसयों का चयन करने, कायों को प्राथममकता दे ने, समग्र तनष्ट्पादन का तनरीक्षण करने और योजना
की जमीनी स्तर पर तनगरानी करने का अगधकार होता है
• क्जला प्राधधकरण द्वारा, सपबंधधत म्जले में कायाभन्ितयत की जा रही कम से कम 10% पररयोजनाओं का
प्रतत िषभ तनरीक्षण ककया जाएगा।
कायों के ललए अनुसंर्ा:
1. लोकसभा सदस्य अपने संबधं धत तनवातचन क्षेत्रों में कराए जाने वाले कायों की मसफाररश कर सकते िैं।
2. राज्यसभा के तनवातधचत सदस्य, संबंधधत राज्य में किीं भी कराए जाने वाले कायों की मसफाररश कर
सकते िैं।
3. लोकसभा और राज्यसभा के नाममत सदस्य, दे श में किीं भी कराए जाने वाले कायों का चयन व
मसफाररश कर सकते िैं।
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प्रीललभस ललंक:
1. MPLAD योजना, ‘सांसद आदशत ग्राम योजना’ से ककस प्रकार संबद्ध िै ?
2. मनोनीत सांसद द्वारा कायों की मसफाररश ककन क्षेत्रों में की जा सकती िै ?
3. तया योजना के तित, एससी और एसटी कल्याण पर कोई ववशेष ध्यान हदया जाता िै ?
4. अनुदान और ऋण के बीच अंतर?
5. कायातन्वयन करने वाली एजेंमसयां
में स ललंक: तया MPLADS द्वारा सावतजतनक सेवाओं को प्रदान ककए जाने वाले प्रावधानों में मौजद
ू ा अंतराल को
पाटने में सिायता की गयी िै ? आलोचनात्मक परीक्षण कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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4. सामग्री को हटाना (Removal of content): यहद ककसी उपयोगकतात, ववशेष रूप से महिलाओं की गररमा के
णखलाफ मशकायतें- व्यक्ततयों के तनजी अंगों या नग्नता या यौन कृत्य का प्रदशतन अथवा ककसी व्यक्तत
का प्रततरूपण आहद के बारे में - दजत कराई जाती िैं, तो ऐसी सामग्री को, सोशल मीडिया तलेटफॉमत को
मशकायत दजत करने के 24 घंटे के भीतर िटाना िोगा।
5. मालसक ररपोटभ : इनके मलए, िर मिीने प्रातत िोने वाली मशकायतों की संख्या और इनके तनवारण की
क्स्थतत के बारे में मामसक ररपोटत भी प्रकामशत करनी िोगी।
6. समाचार प्रकाशकों के मलए वितनयमन के तीन स्तर होंगे - स्व-ववतनयमन, ककसी सेवातनवत्त
ृ न्यायाधीश
या एक प्रततक्ष्ट्ठत व्यक्तत की अध्यक्षता में एक स्व-तनयामक तनकाय, और ‘प्रथा सहिंता एवं मशकायत
सममतत’ सहित सच
ू ना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तनगरानी।
प्रीललभस ललंक:
1. नए तनयमों का अवलोकन
2. पररभाषा के अनुसार ‘मध्यस्थ’ कौन िैं?
3. ‘सेफ िाबतर’ संरक्षण तया िै ?
4. नए तनयमों के तित ‘मशकायत तनवारण तंत्र’
में स ललंक: नए आईटी तनयमों के णखलाफ तया धचंता जताई जा रिी िै ? इन धचंताओं को दरू करने के तरीकों पर
चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
(नोट: संसदीय भाषा में क्व्िप, सदन में िोने वाले ककसी मतदान में उपक्स्थत रिने तथा ककसी ववशेष तरीके से
मतदान में भाग लेने के मलए, राजनीततक पाटी द्िारा अपने सदस्यों को जारी ककया गया ललखखत आदे र् िी
होता िै ।)
सचेतक की िूलमका: पाटी सचेतक/क्व्िप, सदन में अपनी पाटी की आधधकाररक नीतत के अनुसार, अपने दल के
सदस्यों द्वारा मतदान सत्र में भाग लेने और मतदान करने को सुतनक्श्चत करने का प्रयास करते िैं।
म्व्हप के उल्लंघन करने पर म्स्थतत
• सदन में पाटी क्व्िप का उल्लंघन करने पर सदन के सदस्य को अयोग्यता कायतवािी का सामना करना
पड़ सकता िै । यहद, सदन में ककसी पाटी के दो-ततिाई सदस्य पाटी क्व्िप का उल्लंघन करते िै , उन्िें
दल-बदल क़ानून के तित अयोग्यता कायतवािी से छूट प्रातत िोती िै ।
• सदस्यों की अयोग्यता का तनधाभरण सदन के अध्यक्ष द्िारा ककया जाता है ।
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सचेतक की सीमा:
राष्ट्रपतत तनवातचन, जैसे कुछ मामलों में सचेतक/क्व्िप ककसी संसद सदस्य अथवा ववधान सभा सदस्य को ककसी
ववशेष प्रकार से मतदान करने का तनदे श निीं दे सकते।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप 1992 के सुप्रीम कोटत ककिोतो िोलोिन के फैसले के बारे में जानते िैं? इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट्ट
रूप से किा था, कक सदन के अध्यक्ष द्वारा अंततम तनणतय ककए जाने से पिले अदालतों को सदस्यों की तनितरता
संबंधी कायतवािी में िस्तक्षेप निीं करना चाहिए।
तया आप जानते िैं, कक राजनीततक पाटी द्वारा तीन प्रकार के क्व्िप अथवा तनदे श - वन-लाइन क्व्िप, टू-लाइन
क्व्िप और थ्री लाइन क्व्िप - जारी ककए जाते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम, 1951 की धारा 8 के अंतगतत, ककसी भी आपराधधक मामले में दो अथवा दो से
अधधक वषो के सजायाफ्ता व्यक्तत को चुनाव लड़ने से प्रततबंधधत ककया गया िै । परन्तु, क्जन व्यक्ततयों का
मामला अदालत में ववचारधीन िै , वे चन
ु ाव में भाग ले सकते िैं।
राजनीतत में अपराधीकरण के मुख्य कारण:
1. भ्रष्ट्टाचार
2. वोट बैंक
3. शासन में कममयां
आगे की राह:
1. राजनीततक दलों को स्वयं िी दागी व्यक्ततयों को हटकट दे ने से मना कर दे ना चाहिए।
2. जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम में संशोधन करके, उन व्यक्ततयों को चुनाव लड़ने से प्रततबंधधत कर दे ना
चाहिए क्जनके णखलाफ जघन्य प्रकृतत के मामले लंबबत िैं।
3. फास्ट-रै क अदालतों को दागी नीतत-तनमातताओं से संबंधधत मामलों को शीघ्रता से तनपटाना चाहिए।
4. चुनाव अमभयानों के ववत्तपोषण में अधधक पारदमशतता लाई जाए।
5. भारत के तनवातचन आयोग (ECI) को में राजनीततक दलों के ववत्तीय खातों के ऑडिट की शक्तत प्रदान की
जानी चाहिए।
प्रीललभस ललंक:
1. जन प्रतततनधधत्व अधधतनयम, 1951 की धारा 8
2. उच्चत्तम न्यायालय हदशातनदे श।
3. ECI - रचना और कायत।
4. CEC- तनयुक्तत।
5. उपमीदवारों के चुनाव से संबंधधत मामलों पर तनवातचन आयोग की शक्ततयां।
में स ललंक: राजनीतत के अपराधीकरण से संबंधधत धचंताओं पर चचात कीक्जए और इन धचंताओं को दरू करने के
मलए उच्चत्तम न्यायालय ने तया कदम उठाये िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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प्रीललभस ललंक:
1. भारत में राष्ट्रपतत तथा राज्यपाल की क्षमादान शक्ततयों में अंतर
2. संबंधधत संवध
ै ातनक प्रावधान
3. इन फैसलों के णखलाफ अपील
4. तया न्यायालय ऐसे मामलों में िस्तक्षेप कर सकते िैं?
5. ऐसे मामलों में मंबत्रमंिल की भूममका।
में स ललंक: भारत में राष्ट्रपतत तथा राज्यपाल की क्षमादान शक्ततयों की ववस्तार से तुलना कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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सदन में व्यिस्था बनाए रखने हे तु प्रयास:
राज्यसभा के सभापतत के रूप में , उपराष्ट्रपतत अंसारी ने सदन में व्यवस्था लाने के मलए कई कदम उठाने का
प्रयास ककया था। वषत 2013 में , उन्िोंने सदन में मयातदा बनाए रखने िे तु कई क्रांततकारी समाधान प्रस्तत
ु ककए।
इसमें शाममल िैं:
• राज्यसभा के तनयमों का उल्लंघन करने वाले सांसदों का नाम राज्यसभा बुलेहटन में प्रकमशत करना व
उन्िें शममांदा करना।
• सभापतत द्वारा सभापीठ के सामने आकर प्रदशतन करने या ‘अत्यंत ़िराब’ आचरण करने वाले सासदों
का नाम मलया जा सकता िै ।
• सदन में अव्यवस्था के दृश्यों को सावतजतनक करने से रोकने िे तु ‘सदन की कायतवािी’ का प्रसारण
स्थधगत ककया जा सकता िै।
सांसदों के तनलंबन को ककस प्रकार उगचत ठहराया जा सकता है ? तया यि अतनयंबत्रत व्यविार को रोकने िे तु
उठाया गया एक चरम कदम निीं िै ?
सांसदों के अतनयंबत्रत व्यविार का समाधान, दीघतकामलक और लोकतांबत्रक मल्
ू यों के अनुरूप िोना चाहिए।
• इसमें कोई संदेि निीं िै , कक कायतवािी के सच
ु ारू रूप से संचालन िे तु पीठासीन अधधकारी के सवोच्च
अधधकार का प्रवततन ककया जाना आवश्यक िै ।
• तथावप, एक संतल
ु न बना रिना चाहिए। यि याद रखना चाहिए कक पीठासीन अधधकारी का कायत सदन
का संचालन करना िै , न कक उस पर शासन करना।
इंस्टा म्जज्ञासु: यद्यवप, राज्यसभा और लोकसभा में सांसदों के तनलंबन के संबंध में समान तनयम तनधातररत ककए
गए िैं, ककं त,ु कफर भी इनमे कुछ अंतर िै । लोकसभा में , तनयम 374A के तित, ककसी उपद्रवी सदस्य के मलए
"स्वताः तनलंबन" का प्रावधान िै । यि प्रावधान ककस क्स्थतत में लागू ककया जा सकता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. सांसदों को तनलंबबत करने व तनलंबन रद्द करने संबध
ं ी शक्ततयां।
2. इस संबंध में लोकसभा और राज्यसभा की प्रकक्रयाओं में अंतर।
3. सांसदों के तनवातचन के संबध
ं में अपील।
4. इस संबंध में तनयम।
में स ललंक: सांसदों के अतनयंबत्रत व्यविार का समाधान दीघतकामलक और लोकतांबत्रक मूल्यों के अनुरूप िोना
चाहिए। हटतपणी कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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पष्ट्ृ ठिूलम: ववधेयक के माध्यम से ककए जाने वाले प्रस्ताववत बदलाव, ‘मद्रास बार एसोमसएशन मामले’ में सुप्रीम
कोटत द्वारा जारी तनदे शों पर आधाररत िैं।
मख्
ु य पररितभन:
• ववधेयक में , कुछ मौजद
ू ा अपीलीय तनकायों को भंग करने और उनके कायों (जैसे अपीलों पर न्यातयक
तनणतय लेना) को दस
ू रे मौजद
ू ा न्यातयक तनकायों को अंतररत करने का प्रावधान ककया गया िै ।
• ववधेयक के तित, केंद्र सरकार को अधधकरणों के सदस्यों की योग्यता, तनयुक्तत, पदावधध, वेतन और भत्ते,
त्यागपत्र, पद-मक्ु तत और अन्य तनयमो व सेवा-शतों िेतु तनयम बनाने की शक्तत प्रदान की गई िै ।
• ववधेयक के अनस
ु ार, केंद्र सरकार ‘खोज एिं चयन सलमतत’ (Search-cum-Selection Committee) के
सुझाव पर अधधकरण के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की तनयुक्तत करे गी। इस सममतत की अध्यक्षता
भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नाममत सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।
• राज्य प्रशासतनक अधधकरणों (State Tribunals) के मलए, एक पथ
ृ क ‘खोज सममतत’ िोगी।
• केंद्र सरकार को ‘खोज एवं चयन सममततयों’ के सुझावों पर तीन मिीने के भीतर 'अधधमान्य रूप से’
फैसला लेना लेना िोगा।
• कायभकाल: अधधकरण का अध्यक्ष, 4 साल की अवधध या 70 वषत की आयु प्रातत करने तक, जो भी पिले
िो, तक पद धारण करे गा। अधधकरण के अन्य सदस्य, 4 साल की अवधध या 67 वषत की आयु प्रातत
करने तक, जो भी पिले िो, तक पद धारण करें गे।
अपीलीय अगधकरणों का उन्मूलन:
ववधेयक के तित, पांच अधधकरणों - ‘कफल्म प्रमाणन अपीलीय अधधकरण’, ‘िवाईअड्िा अपीलीय अधधकरण’,
‘अधग्रम तनणतय प्राधधकरण’, ‘बौद्धधक संपदा अपीलीय बोित’ और ‘पादप प्रजातत संरक्षण अपीलीय अधधकरण’ – को
समातत करने तथा उनके कायों को मौजद
ू ा न्यातयक तनकायों के मलए अंतररत ककया जाने का प्रस्ताव ककया गया
िै ।
विधेयक के संदिभ में अदालत का तनणभय:
• ‘मद्रास बार एसोमसएशन बनाम भारत संघ’ मामले में , सुप्रीम कोटत ने ककसी अधधकरण के अध्यक्ष एवं
सदस्यों के के रूप में तनयक्ु तत के मलए न्यन
ू तम आयु 50 वषत और चार साल का कायतकाल, तनधातररत
करने वाले प्रावधानों को रद् कर हदया था।
• अदालत के अनुसार- इस प्रकार की शतें, शक्ततयों के पथ
ृ तकरण, न्यायपामलका की स्वतंत्रता, ववधध के
शासन और भारत के संववधान के अनुच्छे द 14 के मसद्धांतों का उल्लंघन करती िैं।
संबंगधत वििाद:
ववधेयक के द्वारा तनपनमलणखत प्रावधानों के संदभत में सवोच्च न्यायालय के फैसले को तनष्ट्प्रभावी करने का
प्रयास ककया गया िै :
1. ववधेयक में आवश्यक न्यूनतम आयु को 50 वषत रखा गया िै ।
2. अधधकरण के अध्यक्ष और सदस्यों का कायतकाल चार वषत का प्रस्ताववत ककया गया िै ।
3. प्रत्येक पद पर तनयुक्तत के मलए ‘खोज एवं चयन सममतत’ द्वारा दो नामों की मसफाररश और सरकार
द्वारा तीन मिीने के भीतर तनणतय लेने की अपेक्षा की गयी िै ।
‘अगधकरण’ क्या होते हैं?
‘अधधकरण’ (Tribunal), एक अधत-न्यातयक संस्था िोते िै , क्जन्िें प्रशासतनक वववादों अथवा कर-संबध
ं ी वववादों को
िल करने जैसी समस्याओं का तनपटारा करने के मलए गहठत ककया जाता िै । यि, वववादों का फैसला करने,
दावा करने वाले पक्षों के मध्य अधधकारों का तनधातरण करने, प्रशासतनक तनणतय लेने, मौजूदा प्रशासतनक तनणतय
की समीक्षा करने, जैसे आहद कायत करते िैं।
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संिैधातनक प्रािधान:
‘अधधकरण’, मूल रूप से संववधान का भाग निीं थे।
‘स्िणभ लसंह सलमतत’ की मसफाररशों के आधार पर, 42 िें संर्ोधन अगधतनयम के माध्यम से इन प्रावधानों को
संववधान में शाममल ककया गया।
इस संशोधन के अंतगतत, संववधान में ‘अधधकरणों’ से संबंधधत ‘िाग XIV-A’ जोड़ा गया तथा इसमें दो अनुच्छे द
शाममल ककये गए:
1. अनुच्छे द 323A: प्रशासतनक अधधकरणों से संबंधधत िै । प्रशासतनक अधधकरण, लोक-सेवा में तनयुतत
व्यक्ततयों की भती और सेवा शतों से संबंधधत वववादों को िल करने वाली अधत-न्यातयक संस्थाएं िैं।
2. अनुच्छे द 323B: अन्य ववषयों जैसे कक कराधान, औद्योधगक एवं श्रम वववाद, ववदे शी मुद्रा, आयात और
तनयातत, भूमम सध
ु ार, खाद्य सामग्री, नगर संपवत्त की अधधकतम सीमा, संसद और राज्य ववधानमंिलों के
मलये तनवातचन, ककराया और ककराएदार के अधधकार, आहद का समाधान करने िे तु अधधकरणों के गठन
से संबंधधत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया राज्य सरकारों के मलए ‘अधधकरणों’ का गठन करने की शक्तत प्रातत िै ? ‘अधधकरणों’ के
गठन के संबध
ं में राज्यों की शक्ततयाँ और सीमाएँ तया िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. अधधकरण तया िोते िैं?
2. इस संबंध में संवैधातनक प्रावधान।
3. संरचना और कायत।
4. नवीनतम अध्यादे श का अवलोकन।
में स ललंक: तया ‘अधधकरण’, न्यातयक दक्षता के मलए रामबाण के समान िोते िैं? तया ‘न्याय’ िे तु अधधकरणों का
गठन करना िमारे संववधान में तनधातररत मसद्धांतों को कमजोर करता िै ? जांच कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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विषय:सरकारी नीततयों और ववमभन्न क्षेत्रों में ववकास के मलये िस्तक्षेप और उनके अमभकल्पन तथा कायातन्वयन
के कारण उत्पन्न ववषय।
1. ककर्ोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) विधेयक, 2021
संदिभ: िाल िी में , ‘ककशोर न्याय अधधतनयम’, 2015 में संशोधन करने िे तु ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और
संरक्षण) ववधेयक, 2021 (The Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021)
राज्यसभा में पाररत कर हदया गया िै ।
निीनतम संर्ोधनों के अनस
ु ार:
1. अधधतनयम के तित म्जलागधकाररयों को ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम के
सुचारू कायातन्वयन को सुतनक्श्चत करने के साथ-साथ संकट की क्स्थतत में बच्चों के पक्ष में समक्न्वत
प्रयास करने के मलए और अगधक अगधकार हदए गए हैं।
2. अततररतत क्जला मक्जस्रे ट (ADM) सहित क्जला मक्जस्रे ट (ADM) जेजे अधधतनयम के तित, स्वतंत्र रूप
से क्जला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण सममततयों, ककशोर न्याय बोिों, ववशेष ककशोर पमु लस
इकाइयों, बाल दे खभाल संस्थानों आहद के कामकाज का मूल्यांकन करें गे।
3. क्जलाधधकारी द्वारा ‘बाल कल्याण सममततयों’ (Child Welfare Committees - CWC) के सदस्यों, जोकक
आम तौर पर सामाक्जक कल्याण कायतकतात िोते िैं, की र्ैक्षक्षक योग्यता सहहत पष्ट्ृ ठिूलम की जांच भी
की जाएगी। वततमान में ऐसा कोई प्रावधान निीं िै ।
4. ववधेयक में , म्जलागधकारी से ‘बाल कल्याण सलमतत’ के सदस्यों की संिावित आपरागधक पष्ट्ृ ठिलू म की
िी जांच करने को किा गया िै , ताकक यि सुतनक्श्चत ककया जा सके कक तनयुक्तत से पिले ककसी भी
सदस्य के णखलाफ बाल शोषण या बाल यौन शोषण संबंधी कोई मामला तों दजत निीं था।
5. ‘बाल कल्याण सममततयों’ (Child Welfare Committees - CWC) के मलए संबधं धत क्जलों में उनकी कायतक्रमों
के बारे में क्जलाधधकारी को तनयममत रूप से ररपोटत करना िोगा।
6. नवीनतम संशोधनों के अनस
ु ार, क्जन अपराधों में अधधकतम सजा 7 वषत से अधधक कारावास िै , लेककन
कोई न्यूनतम सजा तनधातररत निीं की गई िै या 7 वषत से कम की न्यूनतम सजा प्रदान की गई िै , उन्िें
इस अधधतनयम के तित गंभीर अपराध माना जाएगा।
7. संशोधनों के अनुसार, गोद लेने के आदे श, अब अदालत के स्थान पर अब क्जलाधधकारी (अततररतत
क्जला मक्जस्रे ट समेत) द्वारा जारी ककए जाएंग।े
महत्ि:
• इन पररवततनों के द्वारा क्जलाधधकाररयों को अधधक शक्ततयाँ और उत्तरदातयत्व प्रदान ककया गया िै ।
• इससे क्जला स्तर पर, तनयंत्रण और संतलु न सहित, बच्चों की सरु क्षा में वद्
ृ धध िुई िै , और दे श में गोद
लेने की प्रकक्रया में भी तेजी आएगी।
ककर्ोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अगधतनयम, 2015:
1. ककशोर अपराध कानून और ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण अधधतनयम) 2000 (Juvenile
Delinquency Law and the Juvenile Justice (Care and Protection of Children Act) 2000) को प्रस्थावपत
करने िे तु ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम’ (Juvenile Justice (Care and
Protection of Children) Act) को वषत 2015 में संसद में पेश ककया गया और पाररत ककया गया था।
2. क़ानून के तित, अपराधों का तनधातरण करने के दौरान, कानून का उल्लंघन करने वाले 16-18 वषत के
आयु वगत वाले ककशोरों पर वयस्कों के रूप में मक
ु द्दमा चलाने की अनम
ु तत दी गयी थी।
3. अपराध की प्रकृतत, और ककशोर पर नाबामलग या बच्चे के रूप में मक
ु दमा चलाए जाने के संबंध में
तनणतय करने का अधधकार, ‘ककशोर न्याय बोित’ (Juvenile Justice Board) को हदया गया था।
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4. वषत 2012 में िुए हदल्ली गैंगरे प के बाद इस प्रावधान पर अधधक जोर हदया गया था। हदल्ली गैंगरे प
मामले में एक आरोपी की उम्र 18 साल से कुछ कम थी और इसमलए उस पर एक ‘ककशोर’ के रूप में
मक
ु दमा चलाया गया।
5. इसके अलावा, अधधतनयम के तित ‘केंद्रीय दत्तक ग्रिण संसाधन प्राधधकरण’ (Central Adoption Resource
Authority- CARA) को वैधातनक तनकाय का दजात हदया गया, क्जससे यि प्राधधकरण अपने कायों को
प्रभावी ढं ग से करने में अधधक सक्षम िुआ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ककशोर न्याय बोिों’ की संरचना के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. CARA के बारे में
2. ककशोर न्याय बोिों के बारे में
3. ककशोर न्याय अधधतनयम, 2015 में प्रावधान
4. अधधतनयम में नवीनतम प्रस्ताववत संशोधन
में स ललंक: ‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम’, 2015 के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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इन उपायों की आिश्यकता:
• वपछले कई सालों से ऐसे मामले सामने आ रिे िैं, क्जनमे ककसी व्यक्तत या उसके माता-वपता द्वारा घर
का तनमातण ककया गया था, लेककन घर की जमीन उसके नाम पर निीं िै । इसकी वजि से इनके मसर
पर िमेशा तलवार लटकी रिती िै कक कोई उनके णखलाफ (स्वाममत्व को लेकर) केस दजत कर दे गा।
• प्रस्ताववत ववधेयक का उद्दे श्य, एक छोटे आवासीय घर पर, उसमें रिने वाले को मामलकाना िक़ प्रदान
करना िै , ताकक वि गररमा और आत्म-सपमान के साथ अपने घर में रि सके और अपने ‘जीवन के
अधधकार’ का प्रयोग कर सके।
संबंगधत गचंताएं:
सबसे बड़ी धचंता यि िै , कक इस ववधेयक के लागू िोने के बाद ‘अवैध रूप से बनाए गए मकानों’ के
तनयममतीकरण संबंधी मामले सामने आ सकते िै । इस ववधेयक से, गोवा के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में गैर-
कानन
ू ी तरीके से रि रिी प्रवासी आबादी के मलए वैधता िामसल करने का अवसर ममल सकता िै ।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।
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इस विधेयक का प्रिाि:
यि ववधेयक, दे श भर के 41 आयुध कारखानों के लगभग 70,000 कमतचाररयों पर प्रत्यक्ष रूप से असर िालेगा।
ये काममतक ‘आयध
ु तनमातणी बोित’ (OFB) का ‘तनगमीकरण’ ककए जाने से असंतष्ट्ु ट िै , और इनको आशंका िै कक
इससे उनकी सेवा और सेवातनववृ त्त की शतों पर प्रभाव पड़ेगा।
‘आयुध तनमाभणी बोिभ’ एिं इसके द्िारा उत्पादन का महत्ि:
आयुध कारखाने रक्षा िाितवय
े र और उपकरणों के स्वदे शी उत्पादन के मलए एक एकीकृत आधार बनाते िैं, आयुध
कारखाने, रक्षा मशीनरी और उपकरणों के स्वदे शी उत्पादन िे तु एक समेककत आधार िैं, और इनका प्रधान
उद्दे श्य सशस्त्र बलों को अत्याधतु नक यद्
ु धक्षेत्रक उपकरणों से लैस करना िै ।
अताः, अतनवायत रक्षा सेवाओं को जारी रखने िे तु, ताकक राष्ट्र की सुरक्षा और अधधकांश जन-जीवन और संपवत्त को
सुरक्षक्षत रखने और इससे संबद्ध या आनुषांधगक ववषयों के मलए एक क़ानून बनाना आवश्यक िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक ‘औद्योधगक वववाद अधधतनयम,’ 1957 की धारा 22(1)(ए) के तित भारत
में िड़ताल का अधधकार एक वैधातनक अधधकार िै? यि अधधकार, संववधान में उल्लणखत ककस मौमलक अधधकार
से आधार प्रातत करता िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘आयुध तनमातणी बोित’ (OFB) तया िै?
2. ववधेयक के प्रमख
ु बबंद ु
3. ववधेयक के अंतगतत केंद्र को प्रातत शक्ततयां
में स ललंक: ‘आयुध तनमातणी बोित’ (OFB) के तनगमीकरण से जुड़ी धचंताओं पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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5. मेकेदातु वििाद
संदिभ: तममलनािु द्वारा ‘मेकेदातु’ (Mekedatu) में कावेरी नदी पर कनातटक द्वारा जलाशय बनाने के कदम का
ववरोध ककया जा रिा िै । िालांकक, कनातटक सरकार का किना िै , कक ‘मेकेदातु पररयोजना’ से कोई "खतरा” निीं
िै और राज्य द्वारा इस पररयोजना को शरू
ु ककया ककया जाएगा।
समाधान हे तु उपाय:
इस बीच, केंद्र सरकार ने किा िै , कक इस पररयोजना के मलए ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधधकरण’ (CWMA) की
अनुमतत लेना आवश्यक िै ।
• कनातटक द्वारा भेजी गई ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटत ’ (Detail Project Report - DPR) को अनुमोदन के
मलए CWMA के समक्ष कई बार पेश ककया चुका िै , ककं तु संबधधत राज्यों, कनातटक और तममलनािु के
बीच सिमतत निीं बन पाने के कारण इस मुद्दे पर चचात निीं िो सकी िै ।
• साथ िी, ‘कावेरी जल वववाद प्राधधकरण’ के अंततम तनणतय, क्जसे सवोच्च न्यायालय द्वारा संशोधधत
ककया गया था, के अनस
ु ार, ‘जल शक्तत मंत्रालय’ द्वारा ‘ववस्तत
ृ पररयोजना ररपोटत ’ (DPR) पर ववचार
करने के मलए पिले CWMA की स्वीकृतत लेना आवश्यक िै ।
चूंकक, यि पररयोजना एक अंतर-राज्यीय नदी के पार प्रस्ताववत की गई िै , अताः इसे ‘अंतरराज्यीय जल वववाद
अधधतनयम’ (Interstate Water Dispute Act) के अनुसार, पररयोजना के मलए नदी के तनचले तटवती राज्यों की
मंजूरी लेना भी आवश्यक िै।
‘मेकेदातु पररयोजना’ के बारे में :
‘मेकेदातु’ एक बिुउद्दे शीय (जल एवं ववद्युत ्) पररयोजना िै ।
• पररयोजना के तित, कनातटक के रामनगर क्जले में कनकपुरा के पास एक ‘संतोलन जलाशय’ (Balancing
Reservoir) का तनमातण ककया जाना प्रस्ताववत िै ।
• इस पररयोजना का उद्दे श्य, बेंगलुरू शिर और इसके तनकटवती क्षेत्रों के मलए पीने के प्रयोजन िे तु पानी
(4.75 टीएमसी) का भंिारण और आपूततत करना िै । इस पररयोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट
बबजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव ककया गया िै ।
• पररयोजना की अनुमातनत लागत 9,000 करोड़ रुपये िै ।
तलमलनािु द्िारा इस पररयोजना का विरोध करने के कारण:
1. तममलनािु का किना िै , कक ‘उच्चतम न्यायालय’ और ‘कावेरी जल वववाद अधधकरण’ (CWDT) के
अनुसार ‘कावेरी बेमसन में उपलधध मौजद
ू ा भंिारण सुववधाएं, जल भंिारण और ववतरण के मलए पयाततत
िै , अताः कनातटक का यि प्रस्ताव पव
ू -त दृष्ट्टया असमथतनीय िै और इसे सीधे खाररज कर हदया जाना
चाहिए।
2. तममलनािु के अनुसार- प्रस्ताववत जलाशय का तनमातण केवल पीने के पानी के मलए निीं ककया जा रिा
िै , बक्ल्क इसके द्वारा मसंचाई की सीमा बढाया जाएगा, जोकक ‘कावेरी जल वववाद तनणतय’ का स्पष्ट्ट
उल्लंघन िै ।
अगधकरण तथा सप्र
ु ीम कोटभ द्िारा हदए गए तनणभय:
‘कावेरी जल वववाद अधधकरण’ (CWDT) का गठन वषत 1990 में की गयी थी और वषत 2007 में हदए गए अपने
अंततम फैसले में , तममलनािु को 419 टीएमसी फीट, कनातटक को 270 टीएमसी फीट, केरल को 30 टीएमसी फीट
और पुिुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी का बटवारा ककया था। अधधकरण ने, बाररश की कमी वाले वषों में , सभी
राज्यों के मलए जल-आवंटन की मात्रा कम कर दी जाएगी।
• िालांकक, तममलनािु और कनातटक दोनों द्वारा इस बटवारे पर अप्रसन्नता व्यतत की और जल बंटवारे को
लेकर दोनों राज्यों में ववरोध और हिंसा के प्रदशतन िुए। इसके बाद सुप्रीम कोटत द्वारा इस मामले पर
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सुनवाई की गई और वषत 2018 के फैसले में , बंटवारा करते िुए तममलनािु के पूवत तनधातररत हिस्से में से
14.75 टीएमसी फीट पानी कनातटक को दे हदया।
• इस प्रकार, नया बटवारे के अनस
ु ार, तममलनािु के मलए 404.25 टीएमसी फीट पानी ममला और कनातटक
को 284.75 टीएमसी फीट पानी हदया गया। केरल और पुिुचेरी का हिस्सा अपररवतततत रिा।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 2018 में भारत के सवोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के मलए ‘कावेरी
प्रबंधन योजना’ अधधसूधचत करने का तनदे श
हदया था? इस योजना के प्रमुख घटक कौन
से िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. कावेरी की सिायक नहदयाँ।
2. बेमसन में अवक्स्थत राज्य।
3. नदी पर क्स्थत मित्वपूणत जलप्रपात
तथा बांध।
4. मेकेदातु किाँ िै?
5. प्रोजेतट ककससे संबधं धत िै?
6. इस पररयोजना के लाभाथी।
में स ललंक: मेकेदातु पररयोजना पर एक
हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू
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संबंगधत प्रकरण एिं पूिव्भ यापी कर:
1. वोिाफोन द्वारा आयकर ववभाग के ₹ 11,000 करोड़ की कर-बकाया मांग के णखलाफ सुप्रीम कोटत में एक
मामला जीतने के बाद ‘पि
ू व्भ यापी कर कानन
ू ’ (Retrospective Tax Law) को ‘ववत्त अधधतनयम, 2012’ के
माध्यम से लागू ककया गया था।
2. वषत 2012 में सुप्रीम कोटत द्वारा सुनाए गए एक फैसले के अनुसार, भारतीय संपवत्त के अप्रत्यक्ष
िस्तांतरण से प्रातत िोने वाला लाभ, मौजूदा कानूनों के तित कर योग्य निीं िैं। इस फैसले के बाद यि
क़ानून अधधतनयममत ककया गया था।
3. ‘पव
ू व्त यापी कर कानन
ू ’ के प्रावधान, जनवरी 2014 में केयनत एनजी पर पर भी लागू ककए गए थे। केयनत
एनजी द्वारा केयनत इंडिया मलममटे ि से बािर तनकलने के दौरान, आयकर ववभाग ने ₹ 10,570 करोड़ की
प्रारं मभक मांग की थी।
इस कदम का महत्ि:
• सरकार का यि तनणतय, ‘वोिाफोन पीएलसी’ जैसी ववदे शी फमों के साथ काफी समय से लंबबत वववादों
को समातत करने का प्रयास करता िै ।
• यि फैसला, तनवेशकों के अनुकूल भी िै , और ववशेष रूप से केयनत एनजी के साथ, अवप्रय मुकदमेबाजी
और मध्यस्थता संबंधी मामलों को समातत करे गा।
• ववहदत िो कक, केयनत एनजी ने भारत सरकार के णखलाफ अंतरातष्ट्रीय मध्यस्थता अधधकरण में मक
ु द्दमा
जीतने के बाद भारत की ववदे शों में क्स्थत पररसंपवत्तयों पर दावा ककया गया था।
‘पूिव्भ यापी कराधान’ क्या है?
‘पव
ू व्त यापी कराधान’ (Retrospective Taxation) के तित, ककसी दे श को, कानन
ू पाररत िोने की तारीख से पिले
से, कुछ उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं और सौदों पर, पूवव्त यापी कर लगाने तथा कंपतनयों पर पूवव्त यापी दं ि लगाने
की अनुमतत िोती िै ।
• ववमभन्न दे शों द्वारा अपनी कराधान नीततयों में उन ववसंगततयों को ठीक करने के मलए इस मागत का
उपयोग ककया जाया िैं, क्जनके तित अतीत में ‘कंपतनयों’ को ऐसी खाममयों का लाभ उठाने का अवसर
ममल गया था।
• ‘पूवव्त यापी कराधान’ से उन कंपतनयों को नुकसान पिुँचाता िै क्जनके द्वारा जानबझ
ू कर या अनजाने में
दे श के कर तनयमों की अलग-अलग व्याख्या की गई थी।
इंस्टा म्जज्ञासु: िे ग, नीदरलैंि में ककस ‘अंतरातष्ट्रीय संगठन’ का मुख्यालय क्स्थत िै ?
स्रोत: द हिंद।ू
7. दत्तक ग्रहण, धमभ की सीमाओं में सीलमत नहीं है : हदल्ली उच्च न्यायालय
संदिभ: िाल िी में , हदल्ली उच्च न्यायालय ने दत्तक ग्रिण संबंधी मामले में एक फैसला सन
ु ाते िुए किा कक,
‘ककशोर न्याय (बच्चों की दे खरे ख और संरक्षण) अधधतनयम (Juvenile Justice (Care and Protection of Children)
Act) के तित गोद लेने िे तु आवेदन करने पर, बच्चे को गोद लेने में हदलचस्पी रखने वाले को व्यक्तत को
उसके धमत तक सीममत निीं ककया सकता िै ।
संबंगधत प्रकरण:
• अदालत ने उपरोतत फैसला एक ऐसे मामले की सन
ु वाई करने के दौरान सन
ु ाया, क्जसमें एक ईसाई
दं पतत ने ‘हिंद ू कानून’ के तित एक बच्चे को गोद मलया था।
• अदालत के अनुसार, ‘हिंद ू दत्तक और भरण-पोषण अधधतनयम’ (Hindu Adoptions and Maintenance Act -
HAMA) के तित ईसाई और मक्ु स्लम दपपतत, सीधे िी ककसी हिंद ू बच्चे को गोद निीं ले सकते और गोद
लेने के मलए उन्िें ‘ककर्ोर न्याय अगधतनयम’ के तित प्रकक्रया का पालन करना िोता िै ।
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• अदालत ने किा कक, चूंकक पालक माता-वपता और उनके पररवार द्वारा बच्चे की अच्छी तरि से
दे खभाल की जा रिी िै , इसमलए, बच्चे को उनके प्रभार और संरक्षण से िटाने का कोई कारण निीं िै ।
• चंकू क, बच्चे को ‘दत्त िोमम’ (Datta Homam) नामक ‘हिंद ू दत्तक ग्रिण समारोि’ के अनस
ु ार गोद मलया
गया िै , अताः इस संबंध में , भववष्ट्य में कोई कानूनी समस्या उत्पन्न निीं िो सकती।
िारत में दत्तक ग्रहण कानन
ू ों को तनयंबत्रत करने िाला विगधक ढांचा:
1. भारत में , ‘गोद लेना’ तनजी कानूनों (Personal Laws) के दायरे में आता िै , और िमारे दे श में प्रचमलत
ववववध धाममतक परपपराओं के कारण, इस संदभत में मुख्य रूप से दो पथ
ृ क कानून लागू िैं।
2. मक्ु स्लम, ईसाई, पारसी और यिूदी धमों में औपचाररक रूप से गोद लेने की अनम ु तत निीं िै , अताः गोद
लेने के सदभत में , इन धमो के लोगों पर ‘संरक्षक और प्रततपाल्य अगधतनयम’, 1890 ( Guardians and
Wards Act, 1890) लागू िोता िै ।
3. दस
ू री ओर, हिंद,ू मसख, बौद्ध और जैन धमत के लोगों पर, ‘हहंद ू दत्तक और िरण-पोषण अगधतनयम, 1956
(Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956) लागू िोता िै ।
4. इसके अलावा, ‘ककशोर न्याय अधधतनयम’ भी गोद लेने से संबंधधत िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप भावी दत्तक माता-वपता के मलए पात्रता मानदं िों के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘केंद्रीय दत्तक ग्रिण तनयामक प्राधधकरण’ (CARA) के बारे में
2. भारत में गोद लेने की प्रकक्रया
3. पात्रता
4. ‘ककशोर न्याय अधधतनयम’ (जेजे एतट) के बारे में
में स ललंक: भारत में गोद लेने की प्रकक्रया में सुधार की आवश्यकता पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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• साथ िी, अनुच्छे द 25 के तहत भी सभी व्यक्ततयों को अंताःकरण की स्वतंत्रता का और अपनी पसंद के
धमत को अबाध रूप से मानने, आचरण करने, प्रचार करने, और ककसी भी धमत का पालन न करने के
अधधकार की गारं टी दी गयी िै ।
वििाह और धमाांतरण पर सिोच्च न्यायालय के फैसले:
1. भारत के सवोच्च न्यायालय द्वारा अपने कई तनणतयों में यि किा गया िै , कक ककसी ियस्क को अपना
जीिन साथी चुनने संबंधी मामले में पूणभ अगधकार िोता िै , और इस पर राज्य और अदालतों का कोई
क्षेत्राधधकार निीं िै ।
2. भारत के सवोच्च न्यायालय ने, ललली थॉमस और सरला मद्
ु गल, दोनों मामलों में यि पक्ु ष्ट्ट की िै , कक
धाममतक ववश्वास के बबना और कुछ कानूनी लाभ प्रातत करने के एकमात्र उद्दे श्य के मलए ककए गए धमत-
पररवततन का कोई आधार निीं िै ।
3. इलािाबाद उच्च न्यायालय ने वषत 2020 के ‘सलामत अंसारी-वप्रयंका खरिार’ मामले में तनणतय सन
ु ाते िुए
किा कक, ककसी साथी को चनु ने का अधधकार अथवा अपनी पसंद के व्यक्तत के साथ रिने का अधधकार,
नागररकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधधकार’ (अनुच्छे द 21) का भाग िै ।
समय की मांग:
1. एकरूपता की आिश्यकता: मानवाधधकारों की सावतभौममक घोषणा (UDHR) के अनच्
ु छे द 18 के अनुसार,
सभी व्यक्ततयों को धमत की स्वतंत्रता का अधधकार िै , क्जसमे उनका धमत पररवततन करने का अधधकार
भी शाममल िै । चकूं क यि राज्य का ववषय िै , इसमलए केंद्र सरकार इस ववषय पर, अनुबंध खेती पर
मॉिल कानून आहद जैसा कोई एक मॉिल कानून बना सकती िै ।
2. धमाांतरण ववरोधी कानन
ू बनाते समय राज्यों को, अपनी इच्छा से धमाांतरण करने वाले व्यक्तत के मलए
कोई अस्पष्ट्ट या अनेकाथी प्रावधान निीं करना चाहिए।
3. धमाांतरण ववरोधी कानूनों में, अल्पसंख्यक समुदाय संस्थानों द्वारा धमाांतरण के मलए कानूनी चरणों का
उल्लेख करने संबंधी प्रावधान को भी शाममल करने की आवश्यकता िै ।
4. लोगों को जबरदस्ती धमाांतरण, प्रलोभन या प्रलोभन आहद से संबंधधत प्रावधानों और तरीकों के बारे में
भी मशक्षक्षत करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववशेष वववाि अधधतनयम,’ 1954 (SMA) अलग-अलग धमों को मानने वाले
जोड़ों के वववाि की सुववधा के मलए बनाया गया था?
स्रोत: द हिंद।ू
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11. िाहन कबाड़ नीतत
संदिभ: िाल िी में , प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी द्वारा ‘राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल कबाड़ नीतत’ (National Automobile
Scrappage Policy) का अनावरण ककया गया िै ।
‘िाहन कबाड़ नीतत’ के बारे में :
(Vehicle Scrappage Policy)
1. इस नीतत के अनस
ु ार, परु ाने वािनों का कफर से पंजीकरण ककए जाने से पिले इनके मलए एक कफटनेस
टे स्ट पास करना िोगा, और 15 साल से अगधक पुराने सरकारी िाहनों तथा 20 साल से अगधक पुराने
तनजी िाहनों को तोड़ हदया जाएगा।
2. ितोत्सािन उपाय के रूप में, 15 वषत या इससे पुराने वािनों का कफर से पंजीकरण करने पर, इनके
र्ुरुआती पंजीकरण से ज्यादा र्ुल्क मलया जाएगा
3. नीतत के तित, परु ाने वािनों के मामलकों द्वारा परु ाने और अनकफट वािनों को िटाने के मलए प्रोत्सािन
दे ने िे तु, तनजी िाहनों पर 25% तक और व्यािसातयक िाहनों पर 15% तक रोि-टै क्स में छूट दे ने के
मलए राज्य सरकारों से किा जा सकता िै ।
महत्ि:
• वािन स्क्रैवपंग नीतत / वािन कबाड़ नीतत का उद्दे श्य, पयातवरण के अनुकूल और सुरक्षक्षत तरीके से
अनुपयुतत और प्रदष
ू णकारक वािनों को चरणबद्ध तरीके से िटाने िे तु एक पाररतंत्र का तनमातण करना
िै ।
• यि पिल, एक चक्रीय अथतव्यवस्था को बढ़ावा दे गी और आधथतक ववकास प्रकक्रया को अधधक संविनीय
और पयातवरण के अनक
ु ू ल बनाएगी।
• यि नीतत, लगभग 10,000 करोड़ रुपये का तनवेश भी लाएगी और 35,000 रोजगार के अवसर पैदा
करे गी।
नई नीतत के साथ समस्याएं:
1. रक जैसे वािनों के मलए सीममत प्रोत्सािन और खराब कीमत दे ने वाली अथतनीतत।
2. पता लगाने योग्य अन्य वगों के वािनों की कम संख्या।
3. 15 साल पुरानी एक शरु
ु आती श्रेणी की छोटी कार को स्क्रैप करने से लगभग 70,000 रुपए का फायदा
िोगा, जबकक इसे बेचने पर लगभग 95,000 रुपए ममल सकते िैं। इस कारण स्क्रैवपंग करना अनाकषतक
बन जाता िै ।
समय की मांग:
इन सब कारणों को दे खते िुए, स्क्रैवपंग नीतत को पूरी तरि से लागू करने के मलए, िमें ‘क्जन वािनों का जीवन
समातत िो चुका िै , अथातत ‘एंि ऑफ़ लाइफ व्िीकल्स’ (ELV) को सड़क से िटाने के संदभत में एक व्यापक
योजना तैयार करनी चाहिए। माल-भािा रांसपोटत सत को एक पयाततत एवं उत्सािी ववत्तीय सिायता हदए जाने की
आवश्यकता िै । िालांकक, यि ध्यान रखना मित्वपूणत िै कक जब तक पुराने वािनों के बेड़े सड़क से निीं िटाए
जाएंगे, तब तक बीएस-VI (BS-VI) वािन लागू करने का लाभ पूरी तरि से निीं ममल पाएगा।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप ‘जिाज पन
ु चतक्रण’ से संबंधधत अंतरातष्ट्रीय अमभसमय’ के बारे में जानते िैं? इसे ‘िांगकांग कन्वेंशन’ के
रूप में भी जाना जाता िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
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12. प्लाम्स्टक अपलर्ष्ट्ट प्रबंधन संर्ोधन तनयम, 2021
संदिभ: िाल िी में , पयातवरण मंत्रालय द्वारा ‘तलाक्स्टक अपमशष्ट्ट प्रबंधन संशोधन तनयम’, 2021 (Plastic Waste
Management Amendment Rules, 2021) को अधधसधू चत ककया गया िै । यि तनयम वषत 2022 तक कम उपयोधगता
वाली और कचरे के रूप में बबखरने की अधधक संभावना वाली ‘एकल उपयोग की तलाक्स्टक’ / ‘मसंगल यज
ू
तलाक्स्टक’ (Single-Use Plastic) तनममतत वस्तुओं को प्रततबंधधत करता िै ।
नये तनयम:
• 1 जुलाई, 2022 से तनधातररत की गई ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ वस्तुओं के तनमातण, आयात, भंिारण, ववतरण,
बबक्री और उपयोग को प्रततबंधधत ककया जाएगा।
• ‘कंपोस्टे बल’ तलाक्स्टक से तनममतत वस्तुओं पर यि प्रततबंध लागू निीं िोगा।
• इस अधधसच
ू ना में सूचीबद्ध तलाक्स्टक तनममतत वस्तओ
ु ं को छोड़कर, भववष्ट्य में अन्य तलाक्स्टक वस्तुओं
पर प्रततबंध लगाने िे तु, सरकार द्वारा ‘उद्योगों’ को इन तनयमों का अनुपालन करने िे तु अधधसच
ू ना
जारी िोने की तारीख से दस साल तक का समय हदया गया िै ।
• िल्के वजन वाले तलाक्स्टक कैरी बैग की वजि से फैलने वाले कचरे को रोकने के मलए 30 मसतंबर, 2021
से तलाक्स्टक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 हदसंबर, 2022 से 120
माइक्रोन कर दी गई िै ।
• राज्य प्रदष
ू ण तनकायों के सियोग से ‘केंद्रीय प्रदष
ू ण तनयंत्रण बोित’ इन प्रततबंधो की तनगरानी करे गा,
उल्लंघनों पाए जाने पर ‘पयातवरण संरक्षण अधधतनयम’, 1986 के तित पिले से तनधातररत दं ि लगाएगा।
• क्जन ‘तलाक्स्टक पैकेक्जंग अपमशष्ट्टों’ को तनधातररत ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ वस्तुओं के चरणबद्ध तरीके
से िटाने में शाममल निीं ककया गया िै , उनके मलए ‘तलाक्स्टक अपमशष्ट्ट प्रबंधन तनयम’, 2016 के अनुरूप
तनमातता, आयातक और ब्रांि मामलक (Producer, importer and Brand owner - PIBO) की ‘ववस्ताररत
तनमातता उत्तरदातयत्व’ (Extended Producer Responsibility - EPR) के जररए पयातवरण की दृक्ष्ट्ट से
संविनीय तरीके से एकत्र और प्रबंधधत ककया जाएगा।
ितभमान पररदृश्य एिं प्लाम्स्टक प्रबंधन तनयम 2016 में संर्ोधन हे तु आगामी प्रस्ताि:
वततमान में जारी तनयमों के तित, दे श में 50 माइक्रोन से कम मोटाई के कैरी बैग और तलाक्स्टक शीट के
तनमातण, आयात, भंिारण, ववतरण, बबक्री और उपयोग को प्रततबंधधत ककया गया िै ।
अगले साल जुलाई से एक श्रंख
ृ ला के तलाक्स्टक उत्पादों के तनमातण पर प्रततबंध लगा हदया जाएगा। इनमें
तलाक्स्टक की छडड़यों वाले ईयर बड्स, गुधबारों के मलए तलाक्स्टक की छडड़यां, तलाक्स्टक के झंिे, कैं िी की छडड़यां,
आइसक्रीम की छडड़यां, सजावट के मलए पॉलीस्टीरीन (थमोकोल), तलेट, कप, धगलास, कांटे, चपमच, चाकू, स्रॉ, रे
जैसी कटलरी, ममठाई के डिधबों के चारों ओर लपेटी जाने या पैककं ग करने वाली कफल्म, तनमंत्रण काित और मसगरे ट
के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले तलाक्स्टक या पीवीसी बैनर, क्स्टरर शाममल िोंगे।
‘लसंगल-यू़ि प्लाम्स्टक’ क्या है ?
• ‘एकल उपयोग तलाक्स्टक’ / ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ (Single-Use Plastic), तनपटन-योग्य (Disposable)
तलाक्स्टक का एक रूप िोती िै , क्जसे केवल एक बार इस्तेमाल करके फेंक हदया जाता िै या पानी की
बोतल, पआ
ु ल, कप आहद की तरि क्जसको पन
ु चतकक्रत ककया जा सकता िै ।
• तलाक्स्टक पैकेक्जंग अपमशष्ट्ट को अभी तक ‘मसंगल यज
ू तलाक्स्टक आइटम’ के िटाए जाने संबध
ं ी उत्पादों
में शाममल निीं ककया गया था।
कुछ उल्लेखनीय तथ्य:
• भारत में प्रतत व्यक्तत तलाक्स्टक की खपत 11 ककलोग्राम प्रतत वषत िै , जो अभी भी दतु नया में सबसे कम
िै । प्रतत व्यक्तत तलाक्स्टक की खपत का वैक्श्वक औसत 28 ककलोग्राम प्रतत वषत िै ।
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• पूरे भारत में , प्रततहदन लगभग 26,000 टन तलाक्स्टक कचरा उत्पन्न िोता िै और क्जसमे से लगभग
10,000 टन कचरे का एकत्रण निीं ककया जाता िै ।
एक नैततक दवु िधा:
कुछ बुद्धधजीववयों का तकत िै , कक यहद तलाक्स्टक को अन्य उपयोगों के मलए ठीक से प्रबंधधत, एकत्र और
पुनचतकक्रत ककया जाए, तो यि िातनकारक निीं िै । दस
ू री ओर, कुछ लोग तलाक्स्टक के अपररवततनीय िातनकारक
प्रभावों के िर से, इसे पूणत
त याः प्रततबंध करने के पक्ष में िैं।
प्लाम्स्टक बैग पर प्रततबंध लगाने के कारण:
ववश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund - WWF) के अनस
ु ार, तलाक्स्टक पयातवरण के मलए िातनकारक िै
तयोंकक यि गैर-जैवअपघट्य (non-biodegradable) िोती िै और इसे ववघहटत िोने में वषों का समय लगता िै ।
इसके अलावा:
• बेकार तलाक्स्टक बैग, भमू म और पानी को अत्यधधक प्रदवू षत कर रिे िैं।
• तलाक्स्टक की थैमलयां, धरती के साथ-साथ पानी में रिने वाले जानवरों के जीवन को भी खतरा बन गई
िैं।
• तलाक्स्टक थैमलयों के अपमशष्ट्ट से तनकलने वाले रसायन ममट्टी में प्रवेश करते िैं और इसे बंजर बना
दे ते िैं।
• तलाक्स्टक की थैमलयों का मानव स्वास््य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रिा िै ।
• तलाक्स्टक की थैमलयों से जल तनकासी की समस्या िोती िै ।
िारत द्िारा ककए जा रहे प्रयास:
• भारत को, वपछले साल ‘ववश्व पयातवरण हदवस’ पर घोवषत अपने "बीट प्लाम्स्टक पॉल्यर्
ू न" संकल्प के
मलए वैक्श्वक प्रशंसा िामसल िुई िै । इस संकल्प के तित भारत ने वषत 2022 तक मसंगल-यूज तलाक्स्टक
को खत्म करने का प्रण ककया िै ।
• वषत 2019 में आयोक्जत चौथी ‘संयुतत राष्ट्र पयातवरण मिासभा’ में , भारत ने एकल-उपयोग वाले
तलाक्स्टक उत्पादों के कारण िोने वाले प्रदष
ू ण का समाधन करने िे तु एक प्रस्ताव भी पेश ककया था।
लसंगल-य़ि
ू प्लाम्स्टक को खत्म करने के समक्ष चन
ु ौततयां:
• ऑल इंडिया तलाक्स्टक मैन्युफैतचरसत एसोमसएशन (AIPMA) जैसे व्यापार संघों ने सरकार को कोववि की
वजि से उत्पन्न चुनौततयों के कारण ‘मसंगल यूज तलाक्स्टक’ (SUP) तनममतत उत्पादों को िटाने के मलए
समय सीमा, एक साल की अवधध के मलए, अथातत वषत 2023 तक बढ़ाने की मसफाररश की िै ।
• भारत में अपमशष्ट्टों का प्रभावी तरीके से पथ
ृ तकरण, संग्रि और पुनचतक्रण करने िेतु कोई व्यवस्था
कायतरत निीं िै ।
• तलाक्स्टक के पुनचतक्रण िे तु भी कोई नीतत निीं िै । ववमभन्न राज्यों के प्रदष
ू ण तनयंत्रण बोिों द्वारा उठाए
जाने वाले पयातवरणीय मुद्दों की वजि से ‘रीसाइक्तलंग तलांट’ स्थावपत करने में भी चुनौततयां आती िैं।
• मसंगल-यज
ू तलाक्स्टक, एक बिुत अच्छा व्यवसाय रिा िै , और इसी तरि से लाभप्रद रिने का अनम
ु ान
िै ।
• अथतव्यवस्था, अधधक तलाक्स्टक उत्पादन की पक्षधर िै ।
• तलाक्स्टक अपमशष्ट्टों की काफी मात्रा नहदयों, मिासागरों और अपमशष्ट्ट भरावक्षेत्रों में फेंक दी जाती िै ,
क्जसका पुनचतक्रण संभव निीं िो पाता िै ।
आगे की राह:
1. स्वच्छ भारत अमभयान के तित तलाक्स्टक के पुनचतक्रण के प्रयासों को तेज करना।
2. बायोडिग्रेिेबल तलाक्स्टक, खादी बैग, सूती बैग के उपयोग को बढ़ावा दे ना।
3. संग्रि को प्रोत्साहित करना।
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4. उत्पादकों पर उनके अपमशष्ट्ट के मलए शुल्क मलया जाना शुरू ककया जाए, क्जससे कर-वसूली और
अपमशष्ट्ट का पुनचतक्रण िोगा।
तनक्श्चत रूप से, िम अपनी अगली पीहढ़यों को, छुट्हटयों में ऐसे समद्र
ु तटों पर जाने के मलए निीं छोड़ सकते िैं
जिां तलाक्स्टक के अलावा कुछ भी निीं िै , और क्जन समुद्रों की िम बात करते िैं, विां मछमलयों की जगि बस
तलाक्स्टक बची िो।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप री-तलान (REPLAN) प्रोजेतट के बारे में जानते िैं?
स्रोत: द हिंद ू
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• न्यायाधीशों को बड़े और मित्वपूणत तनणतय लेने िोते िैं, क्जसके मलए उन्िें तनिर और तनष्ट्पक्ष रूप से
कायत करने की आवश्यकता िोती िै । जब न्यायाधीश भयभीत िोते िैं, तो इससे उनके कायत करने की
क्षमता में बाधा पिुँचती िै ।
• पक्षपात का निी िोना, न्यातयक ईमानदारी िे तु मूल तत्व िोता िै ।
• न्यायपामलका पर राज्य या वाहदयों द्वारा िाले जाने वाले ककसी प्रकार के दबाव से, न्याय की तनष्ट्पक्ष
कायतवािी पर प्रततकूल प्रभाव पड़ता िै ।
• ककसी भी दबाव, प्रलोभन, प्रलोभन या धमकी से मुतत एक ‘स्वतंत्र न्यायपामलका’ ककसी भी संवध
ै ातनक
लोकतंत्र की आधारमशला िोती िै ।
गचंताएं/चुनौततयां:
न्यायाधीशों को अपने न्यायालय कक्ष के अंदर और बािर सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ता िै । उनके कायों
के मलए उन्िें असामाक्जक तत्वों से तनयममत रूप से तनपटना पड़ता िै । इससे उन पर और उनके पररवार के
सदस्यों पर िमले का खतरा बना रिता िै । झारखंि के एक अततररतत क्जला न्यायाधीश उत्तम आनंद की िामलया
ित्या न्यातयक अधधकाररयों की संवेदनशीलता को उजागर करती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ववधान’ (legislation) और साधारण कानून के मध्य अंतर के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. न्यायपामलका की स्वतंत्रता से संबंधधत प्रमख
ु प्रावधान।
2. संववधान के 42 वें संशोधन के बारे में ।
में स ललंक: न्यायपामलका की स्वतंत्रता की आवश्यकता और मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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17. विदे लर्यों के ललए डिटें र्न सेंटर
संदिभ: असम में ववदे मशयों और ववमशष्ट्ट अधधकरणों द्वारा ववदे शी घोवषत ककए गए नागररकों के मलए बनाए गए
‘हिरासत केंद्रों’ / ‘डिटें शन सेंटसत’ (detention centres for foreigners) का नाम बदलकर ‘रांक्जट कैं प’ (Transit
Camps) रख हदया गया िै ।
कृपया ध्यान दें :
वततमान में , असम के असम के छि हिरासत केंद्रों (Detention Centre) में 181 कैदी बंद िैं, क्जनमें से 61 कैहदयों
को विदे र्ी नागररक घोवषत ककया जा चुका िै और 121 दोषी ववदे शी नागररक अपने तनवातसन की प्रतीक्षा कर
रिे िैं। इनमें से दो केंद्रों में 22 बच्चे अपनी "ववदे शी" माताओं के साथ कैद िैं।
डिटें र्न सेंटर / हहरासत केंद्रों के बारे में :
• ये अधधकाररयों द्वारा धचक्ह्नत ककए गए अवैध प्रवामसयों (वे लोग जो आवश्यक दस्तावेजों के बबना
ककसी दे श में प्रवेश कर चक
ु े िैं) को रखने के मलए तनहदत ष्ट्ट स्थान िोते िैं। इन केंद्रों पर अवैध प्रवामसयों
को उनकी राष्ट्रीयता की पक्ु ष्ट्ट िोने तक और उन्िें उनके मल
ू दे श में भेजे जाने तक रखा जाता िै ।
• केंद्र सरकार द्वारा ‘विदे र्ी विषयक अगधतनयम, 1946 (Foreigners Act, 1946) और ववदे शी (अधधकरण)
आदे श, 1948 के प्रावधानों के तित राज्य को डिटें शन सेंटर स्थावपत करने की शक्तत हदए जाने के बाद,
असम में इस प्रकार के डिटें शन सेंटर स्थावपत ककए गए थे।
‘विदे र्ी विषयक अगधतनयम, 1946
इस अधधतनयम को ‘ववदे शी ववषयक अधधतनयम, 1940 (Foreigners Act, 1940) की जगि लाया गया था, और
इसके तित सभी ववदे मशयों से तनपटने िे तु केंद्र सरकार के मलए व्यापक अधधकार प्रदान ककए गए थे।
• इस अधधतनयम में , सरकार को अवैध प्रवामसयों को रोकने के मलए बल प्रयोग सहित आवश्यक कदम
उठाने का अधधकार हदया गया िै ।
• अधधतनयम के तित, ‘साबबत करने का दातयत्व’ (burden of proof), अधधकाररयों की वजाय प्रश्नगत
व्यक्तत पर िाला गया िै ।
• यि अधधतनयम, मूल रूप से सरकार को, मसववल कोटत के समान शक्तत प्रातत अधधकरण (हरधयूनल)
स्थावपत करने का अधधकार प्रदान करता िै ।
• विदे र्ी (अगधकरण) आदे र्, 1964 में वषत 2019 में ककए गए संशोधन द्वारा, भारत में अवैध रूप से
रिने वाले व्यक्तत की नागररकता के संबध
ं में तनणतय करने िे तु सभी राज्यों और केंद्र शामसत प्रदे शों के
क्जला मक्जस्रे टों को ‘अधधकरण’ स्थावपत करने का अधधकार हदया गया िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु
असम के अलावा और ककन राज्यों में डिटें शन सेंटर बनाए गए िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
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प्रधान मंत्री ककसान ऊजाभ सरु क्षा और उत्थान महालियान / (प्रधानमंत्री-कुसुम योजना) योजना:
यि योजना नवीन और नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) की एक पिल िै ।
• इस योजना के तित, ककसानों के मलए दे श भर में सौर पंपों और धग्रि से जड़
ु े सौर ऊजात एवं अन्य
नवीकरणीय ऊजात संयंत्र लगाए जाएंगे।
• फरवरी 2019 में स्वीकृत इस योजना का उद्दे श्य ववत्तीय और जल सुरक्षा प्रदान करना िै ।
• इस योजना का लक्ष्य दे श में वषत 2022 तक 25,750 मेगावाट सौर ऊजात एवं अन्य नवीकरणीय क्षमता
की वद्
ृ धध करना िै ।
योजना के प्रमख
ु बबंद:ु
• ‘प्रधानमंत्री-कुसुम योजना’ के प्रावधानों के अनुसार,धग्रि से जुड़े कृवष पंपों को सौर ऊजात युतत ककया
जाएगा, इसके मलए केंद्र और राज्य, प्रत्येक द्वारा 30% की सक्धसिी प्रदान की जाएगी और ककसान
का योगदान 40% रिे गा।
• योजना के तित फीिर लेवल पर सौरऊजात-करण (solarisation) को भी शाममल ककया जाएगा।
कायाभन्ियन: नवीन और नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय (MNRE) की राज्य नोिल एजेंमसयां ( State Nodal
Agencies), योजना के कायातन्वयन िे तु राज्यों/केंद्र शामसत प्रदे शों, डिस्कॉम (Discoms) और ककसानों के साथ
समन्वय करें गी।
योजना के लाि:
• इस योजना से, ग्रामीण भस्
ू वाममयों के मलए उनकी सूखी/ गैर-कृवष योग्य भमू म के उपयोग से 25 वषत की
अवधध के मलए आय का एक स्थायी और तनरं तर स्रोत उपलधध िोगा।
• यहद सौर ऊजात पररयोजनाओं की स्थापना के मलए कृवषयोग्य जमीनों को चन
ु ा जाता िै ,तो ककसान अपने
खेतों में फसल उगाना जारी रख सकते िैं तयोंकक सौर पैनल एक न्यूनतम ऊंचाई से ऊपर स्थावपत ककए
जाएंगे।
• सौर पंपों से, िीजल-चामलत पंपों को चलाने के मलए िीजल पर िोने वाले खचत में बचत िोगी और िीजल
पंपों से िोने वाले िातनकारक प्रदष
ू ण को रोका जा सकेगा और इसके अलावा ककसानों को सौर पंपों के
माध्यम से मसंचाई का एक ववश्वसनीय स्रोत उपलधध िोगा।
स्रोत: पीआईबी।
19. हररयाणा सरकार का क्रीमी लेयर की उप-श्रेणी बनाने संबंधी आदे र् रद्द
संदिभ:
िाल िी में , सप्र
ु ीम कोटत ने िररयाणा सरकार द्वारा जारी एक अधधसच ू ना को रद्द करते िुए किा िै कक, आधथतक
आधार ‘अन्य वपछड़ा वगत’ (OBC) में 'क्रीमी लेयर' बनाने का एकमात्र मानदं ि निीं िो सकता िै ।
‘आरक्षण’ क्या है ?
सरल शधदों में, ‘आरक्षण’ (Reservation) का तात्पयत
सरकारी नौकररयों, शैक्षणणक संस्थानों और ववधातयका में
सीटों तक आबादी के कुछ वगों की पिुंच आरक्षक्षत करना
िै ।
इसे ‘सकारात्मक कारत वाई’ (Affirmative Action) के रूप में
भी जाना जाता िै तथा ‘आरक्षण’ को भारतीय संववधान
द्वारा समधथतत ‘सकारात्मक भेदभाव’ (Positive
Discrimination) के रूप में भी दे खा जा सकता िै ।
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आरक्षण से संबगं धत संिैधातनक और कानूनी आधार:
अनुच्छे द 14: भारत के राज्यक्षेत्र में ककसी व्यक्तत को ववधध के समक्ष समता या ववधधयों का समान संरक्षण।
अनच्
ु छे द 15(1) और 15(2): राज्य को, ककसी नागररक के ववरुद्ध केवल धमत, मल
ू वंश, जातत, मलंग, जन्मस्थान या
इनमें से ककसी के आधार पर ववभेद करने से रोकते िै ।
ककं तु, अनुच्छे द 15 के उपबंध (3) से (5) में राज्य को समाज के तनतांत कम प्रतततनधधत्व वाले और उपेक्षक्षत वगों
के पक्ष में सकारात्मक ववभेद करने का अधधकार प्रदान ककया गया िै , ताकक सभी के मलए वास्तववक समानता
या भागीदारी को बढ़ावा हदया जा सके।
अनच्
ु छे द 16: लोक तनयोजन के ववषय में अवसर की समता।
अनुच्छे द 16 के उपबंध (4) में किा गया िै , कक “इस अनुच्छे द की कोई बात राज्य को वपछड़े िुए नागररकों के
ककसी वगत के पक्ष में, क्जनका प्रतततनधधत्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पयाततत निीं िै ,
तनयक्ु ततयों या पदों के आरक्षण के मलए उपबंध करने से तनवाररत निीं करे गी।“
हररयाणा सरकार के उक्त मामले में र्ीषभ अदालत के हस्तक्षेप का कारण:
िररयाणा सरकार द्वारा ‘क्रीमी लेयर’ के मलए मानदं ि तय करते िुए वपछड़े वगों को ‘पूरी तरि से आधथतक आधार
पर’ उप-वगीकृत करते िुए दो अधधसूचनाएं जारी की गईं थी।
• शीषत अदालत के अनुसार, िररयाणा सरकार द्वारा द्वारा जारी अधधसच
ू नाओं में एकमात्र आय के आधार
पर क्रीमी लेयर की पिचान करके ‘इंद्रा साहनी मामले’ में हदए गए फैसले में घोवषत कानन
ू का उल्लंघन
ककया गया िै ।
• वपछड़े वगों के मध्य"क्रीमी लेयर" को पररभावषत करने से पिले आधथतक मानदं ि के अलावा, सामाक्जक,
शैक्षक्षक और अन्य कारकों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
‘क्रीमी लेयर’ क्या होती है ?
‘क्रीमी लेयर’ (Creamy Layer) अवधारणा के तित ‘अन्य वपछड़ा वगत’ (ओबीसी) आरक्षण लाभ प्रदान करने िे तु
एक सीमा तनधातररत की जाती िै । यद्यवप सरकारी नौकररयों और उच्च मशक्षण संस्थानों में ओबीसी के मलए
27% कोटा तनधातररत िै , ककं तु "क्रीमी लेयर" के अंतगतत आने वाले ओबीसी समुदायों के सदस्यों को इस कोटे का
लाभ निीं ममल सकता िै ।
• दस
ू रे वपछड़ा िगभ आयोग (मंिल आयोग) की मसफाररश के आधार पर, सरकार ने 13 अगस्त, 1990 को
मसववल पदों और सेवाओं में, सीधी भती के माध्यम से भारी जाने वाली ररक्ततयों में ‘सामाम्जक और
र्ैक्षक्षक रूप से वपछड़े िगों’ (SEBC) के मलए 27% आरक्षण अधधसधू चत ककया था।
• इस प्रावधान को अदालत में चुनौती हदए जाने के बाद, सुप्रीम कोटत ने 16 नवंबर, 1992 को (इंहदरा
सािनी केस) में ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा सहित ‘ओबीसी’ के मलए 27% आरक्षण को बरकरार रखा
था।
क्रीमी लेयर के तहत पररिावषत मुख्य श्रेखणयां:
• 8 लाख से अगधक आय: जो लोग सरकारी सेवाओं में कायतरत निीं िैं, उनके मलए ‘क्रीमी लेयर’ की
वततमान सीमा 8 लाख रुपये प्रतत वषत िै ।
• माता-वपता की रैंक: सरकारी कमतचाररयों के बच्चों के मलए, ‘क्रीमी लेयर’ की सीमा उनके माता-वपता की
रैंक पर आधाररत होती िै न कक आय पर।
इंहदरा साहनी मामले के प्रमुख बबंद:ु
वषत 1992 के इंहदरा सािनी मामले में सप्र
ु ीम कोटत की नौ-न्यायाधीशों की संववधान पीठ ने ववशेष रूप से इस
सवाल का जवाब हदया था कक "तया वपछड़े वगों की पिचान केवल और ववशेष रूप से आधथतक मानदं ि के संदभत
में की जा सकती िै ।"
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• संववधान पीठ ने स्पष्ट्ट रूप से फैसला सुनाते िुए किा था, कक ककसी वपछड़े वगत का तनधातरण एकमात्र
और ववशेष रूप से आधथतक मानदं ि के संदभत में निीं ककया जा सकता िै ।
• पीठ ने किा था, कक ‘आधथतक मानदं ि’ वपछड़े वगत का तनधातरण करने िे त,ु सामाक्जक वपछड़ेपन के साथ-
साथ, ववचार करने का एक आधार िो सकता िै , लेककन यि इसके मलए कभी भी एकमात्र मानदं ि निीं
िो सकता िै ।
आगे की राह:
यद्यवप, पररवार की आय एक मापदं ि िो सकती िै , ककं तु पूरी तरि से आधथतक मानदं िों पर आधाररत आरक्षण
एक पण
ू त समाधान निीं िै । साथ िी, यि िमेशा जारी रखने के बजाय, आरक्षण प्रणाली के मलए एक समय-
अवधध तय करने का समय िै । इसके अलावा, आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन योजना निीं िै । उत्कृष्ट्टता और
योग्यता सहित समाज के कमजोर वगों को समान अवसर प्रदान करने के मलए एक मध्यम मागत को अपनाने
की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं, संसद ने ‘सामाक्जक और शैक्षक्षक रूप से वपछड़े वगों’ (SEBC) को तनहदत ष्ट्ट करने के मलए
राज्यों की शक्तत को बिाल करने के मलए संववधान 127 वां संशोधन ववधेयक पाररत ककया िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:ववकास प्रकक्रया तथा ववकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सिायता समूिों, ववमभन्न समूिों और संघों,
दानकतातओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भमू मका।
1. उत्तर प्रदे र् सरकार की ‘दो बच्चा नीतत’
संदिभ: जनता से प्रातत 8,000 से अधधक सझ
ु ावों की समीक्षा करने के बाद, उत्तर प्रदे श राज्य ववधध आयोग द्वारा
एक नए जनसंख्या तनयंत्रण कानन
ू “उत्तर प्रदे श जनसंख्या (तनयंत्रण, क्स्थरीकरण एवं कल्याण) ववधेयक, 2021”
(The Uttar Pradesh Population (Control, Stabilisation and Welfare) Bill, 2021) पर एक ररपोटत और मसौदा
ववधेयक प्रस्तुत ककया गया िै । ‘राज्य ववधध आयोग’ के मसौदा में राज्य सरकार के मलए ‘दो बच्चा नीतत’ (Two-
Child Policy) लागू करने का प्रस्ताव हदया गया िै ।
आयोग द्िारा स्िीकार ककए गए प्रमुख सझ
ु ाि:
• क्जस पररवार में केवल एक बच्चा िै और उसने स्वैक्च्छक नसबंदी करा ली िै , ऐसे सभी पररवारों को
(चािे वे बीपीएल श्रेणी में आते िो अथवा निीं) ववशेष सुववधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
• कानून लागू िोने के बाद क्जस व्यक्तत के दो से अधधक बच्चे िोते िैं, उसे कल्याणकारी योजनाओं जैसे
कई लाभों से वंधचत कर हदया जाना चाहिए।
पष्ट्ृ ठिूलम: इस वषत ववश्व जनसंख्या हदवस (11 जुलाई) के अवसर पर, उत्तर प्रदे श सरकार द्वारा 2021-2030 की
अवधध के मलए एक ‘नई जनसंख्या नीतत’ (New Population Policy) की घोषणा की गयी थी।
इस नई नीतत में , जनसंख्या तनयंत्रण में योगदान करने वालों के मलए प्रोत्सािन दे ने का प्रावधान ककया गया िै ।
जनसंख्या तनयंत्रण विधेयक ड्राफ्ट के प्रमुख बबंद:ु
नई नीतत का उद्दे श्य-
1. कुल प्रजनन दर को, वततमान में प्रतत िजार आबादी पर 2.7 से घटाकर वषत 2026 तक 2.1 और वषत
2030 तक 1.7 करना िै ।
2. आधतु नक गभततनरोधक प्रचलन दर को, वततमान में 31.7% से बढ़ाकर वषत 2026 तक 45% और वषत 2030
तक 52% करना िै ।
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3. पुरुषों द्वारा उपयोग ककए जाने वाले गभततनरोधक तरीकों को, वततमान में 10.8% से बढ़ाकर वषत 2026
तक 15.1% और वषत 2030 तक 16.4% करना िै ।
4. मात ृ मत्ृ यु दर को 197 से घटाकर 150 से 98 तक और मशशु मत्ृ यु दर को 43 से घटाकर 32 से 22
तक और पांच वषत से कम आयु के मशशुओं की मत्ृ यु दर को 47 से घटाकर 35 से 25 तक लाना िै ।
नीतत के तहत केंद्रीय क्षेत्र:
1. पररवार तनयोजन कायतक्रम के अंतगतत जारी गभततनरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाना और सुरक्षक्षत
गभतपात के मलए उधचत व्यवस्था उपलधध कराना।
2. नवजात मशशु मत्ृ यु दर और मात ृ मत्ृ यु दर को कम करना।
3. बुजुगों की दे खभाल और 11 से 19 साल के ककशोरों की मशक्षा, स्वास््य और पोषण के बेितर प्रबंधन की
व्यवस्था करना।
नीतत के तहत प्रोत्साहन:
1. जनसंख्या तनयंत्रण मानदं िों का पालन करने वाले तथा दो या इससे कम बच्चों वाले कमतचाररयों को
पदोन्नतत, वेतन वद्
ृ धध, आवास योजनाओं में ररयायतें और अन्य सुववधाएं प्रदान की जाएंगी।
2. दो बच्चे के मानक को पूरा करने वाले लोक सेवकों को उनकी पूरी सेवा के दौरान दो अततररतत वेतन
वद्
ृ धध, पूरे वेतन और भत्तों सहित 12 मिीने का वपतत्ृ व या मातत्ृ व अवकाश और ‘राष्ट्रीय पें शन योजना’
के अंतगतत, तनयोतता की योगदान रामश में तीन प्रततशत की वद्
ृ धध प्रदान की जाएगी।
3. जनसंख्या को तनयंत्रण में योगदान करने वाले गैर-सरकारी कमतचाररयों को जल, आवास, गि
ृ ऋण आहद
पर करों में छूट जैसे लाभ हदए जाएंगे।
4. यहद ककसी बच्चे के माता-वपता द्वारा परु
ु ष नसबंदी का ववकल्प चन
ु ते िैं, तो उस बच्चे के मलए 20 वषत
की आयु तक मफ्
ु त धचककत्सा सुववधाएँ प्रदान की जाएंगी।
उत्तर प्रदे श सरकार द्वारा, इन उपायों को लागू करने के मलए एक ‘राज्य जनसंख्या कोष’ (State Population
Fund) स्थावपत करने की योजना िै ।
जागरूकता तनमाभण:
ववधेयक के मसौदा में , राज्य सरकार से सभी माध्यममक ववद्यालयों में जनसंख्या तनयंत्रण को अतनवायत ववषय
के रूप में शुरू करने के मलए किा गया िै ।
प्रयोज्यता:
1. इस कानून के प्रावधान वववाहित जोड़ों पर लागू िोंगे। वववाहित युग्म में पुरुष की न्यूनतम आयु 21
साल तथा महिला की आयु 18 साल से कम निीं िोनी चाहिए िै ।
2. यि नीतत स्वैक्च्छक िोगी - इसे ककसी पर जबरदस्ती लागू निीं ककया जाएगा।
इन उपायों की आिश्यकता:
अधधक जनसंख्या से उपलधध संसाधनों पर ज्यादा दबाव पड़ता िै । अताः, सभी नागररकों को, सस्ता एवं पौक्ष्ट्टक
भोजन, सरु क्षक्षत पेयजल, उपयत
ु त आवास, गण
ु वत्तापण
ू त मशक्षा तक पिुंच, आधथतक एवं आजीववका िे तु अवसर, घरे लू
उपभोग िे तु बबजली और सरु क्षक्षत जीवन सहित मानव जीवन की बुतनयादी आवश्यकताओं की उपलधधता सुलभ
िोने के मलए ये उपाय अववलंब लागू करना आवश्यक िै ।
विधेयक से जुड़े मुद्दे और गचंताएं:
1. ववशेषज्ञों द्वारा, महिलाओं के स्वास््य और कल्याण को संकट में िालने वाली ककसी भी जनसंख्या
नीतत के प्रतत सावधानी बरतने की सलाि दी जाती िै ।
2. गभततनरोधक और पररवार तनयोजन का बोझ महिलाओं पर असमान रूप से पड़ता िै , इसे दे खते िुए, इस
नीतत के लागू िोने से महिला नसबंदी में और वद्
ृ धध िोने की संभावना िै ।
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3. भारत में पुत्र को दी जाने वाली वरीयता को दे खते िुए, कड़े जनसंख्या
तनयंत्रण उपायों से असुरक्षक्षत गभतपात एवं भ्रूण ित्याओं जैसी प्रथाओं में
वद्
ृ धध िो सकती िै । इस तरि के उदािरण, अतीत में कुछ राज्यों में दे खे
जा चुके िैं।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ममशन पररवार ववकास’ के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. मसौदे के प्रमख
ु बबंद ु
2. नवीनतम जनगणना आंकड़े
में स ललंक: उत्तर प्रदे श में ‘जनसंख्या नीतत’ मसौदा से जड़
ु ी धचंताओं पर चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अतत संवेदनशील वगों के मलये कल्याणकारी योजनाएँ और इन
योजनाओं का कायत-तनष्ट्पादन; इन अतत संवेदनशील वगों की रक्षा एवं बेितरी के मलये गहठत तंत्र, ववधध, संस्थान
एवं तनकाय।
1. फास्ट-रै क विर्ेष न्यायालय (FTSCs)
संदिभ:
िाल िी में , केंद्रीय मंबत्रमंिल द्वारा 1,023 फास्ट रै क ववशेष न्यायालयों (Fast Track Special Courts - FTSCs) को
‘केंद्र प्रायोक्जत योजना’ के रूप में अगले दो वषो तक जारी रखने की मंजूरी दी गई िै । इसके मलए ₹1,572.86
करोड़ की रामश का पररव्यय ककया जाएगा।
योजना के तित, केंद्रीय हिस्से की धनरामश, ₹971.70 करोड़, तनभतया फंि से उपलधध करायी जाएगी।
योजना के बारे में :
यि योजना, अतटूबर 2019 में शरू
ु की गई थी।
• ‘फास्ट-रै क ववशेष अदालतों’ का गठन ‘राष्ट्रीय महिला सुरक्षा ममशन’ (the National Mission for Safety of
Women - NMSW) के अंग के रूप में ककया जा रिा िै ।
• इस योजना को ‘ववधध एवं न्याय मंत्रालय’ के अधीन ‘न्याय ववभाग’ द्वारा कायातक्न्वत ककया जा रिा िै ।
• यि एक केंद्र प्रायोम्जत योजना िै , और इसका उद्दे श्य ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अगधतनयम’
(POCSO), 2012 के तित बच्चों के णखलाफ बलात्कार और अपराधों के लंबबत मामलों पर त्वररत सन
ु वाई
और तनपटान करना िै ।
‘फास्ट-रै क विर्ेष न्यायालय’ (FTSC) योजना की विर्ेषताएं:
1. इस योजना को एक वषत से आगे बढ़ाने का तनणतय, बाह्य मूल्यांकन द्वारा की की गयी मसफाररशों पर
तनभतर करता िै ।
2. इस योजना का उद्दे श्य, ककसी तरि की स्थायी आधारभूत सुववधाओं का तनमातण करना निीं िै । ‘फास्ट-
रै क ववशेष अदालतों’ को, ककराए पर मलए गए अथवा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और संबंधधत उच्च
न्यायालयों के तनणतय के अनुसार, उपयुतत पररसर में संचामलत ककया जाएगा।
3. ‘फास्ट-रै क विर्ेष अदालतों’ की संरचना: प्रत्येक FTSC में एक न्यातयक अधधकारी और सात कमतचारी
सदस्य िोंगे। क्जन स्थानों पर पयाततत जनशक्तत उपलधध निीं िोगी, विां राज्य/संघ राज्य क्षेत्र, संववदा
के आधार पर, न्यातयक अधधकाररयों और अदालती कमतचाररयों को तनयुतत कर सकते िैं। ‘फास्ट-रै क
ववशेष अदालतों’ में मामलों के तनपटान िे तु उपयुतत अनुभव वाले सेवातनवत्त
ृ न्यातयक अधधकाररयों की
सेवाएं भी ली जा सकती िैं।
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योजना के लाि और महत्ि:
• इस योजना के तित, ववशेष रूप से पॉतसो मामलों की सुनवाई और तनपटान िे तु 389 ‘फास्ट-रै क ववशेष
अदालतों’ का गठन ककया गया िै ।
• प्रत्येक फास्ट-रै क ववशेष अदालत से, िर ततमािी 41-42 मामलों और एक वषत में न्यूनतम 165 मामलों
का तनपटान करने की अपेक्षा की गयी िै ।
• योजना की शुरुआत के समय, सरकार ने ववमभन्न अदालतों में लंबबत बलात्कार और पॉतसो अधधतनयम
संबंधी 1,66,882 मामलों को तनपटाने का लक्ष्य रखा था।
योजना के अंतग
भ त प्रदर्भन:
योजना के तित दे श में कुल 1,023 फास्ट रै क कोटत स्थावपत ककए जाने का लक्ष्य रखा गया िै , क्जनमे से अब
तक मात्र 597 फास्ट रै क कोटत स्थावपत ककए गए िैं। संसदीय सममतत द्वारा इस योजना को लागू करने में िोने
वाली दे री पर धचंता व्यतत की गयी िै ।
आिश्यकता:
महिलाओं और बच्चों के बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे अपराधों पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने िेतु
यौन अपराधों से संबधं धत मुकदमों को तेजी से और समयबद्ध तरीके
से पूरा करने की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक ‘पोतसो अधधतनयम’ के
प्रावधानों के अनुसार, मामलों की जांच दो मिीने में और इन पर
सुनवाई का कायत 6 मिीने में पूरा ककया जाना चाहिए।
प्रीललभस ललंक:
1. POCSO के बारे में
2. ‘फास्ट-रै क ववशेष न्यायालय’ (FTSC) के बारे में ।
3. स्थापना
4. संरचना
5. कायतप्रणाली
में स ललंक: फास्ट रै क ववशेष न्यायालयों (Fast Track Special Courts - FTSCs) की आवश्यकता और मित्व पर
चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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3. पात्रता: अनुसूधचत जातत व अन्य वपछड़ा वगत के वंधचत व्यक्तत, आधथतक रूप से वपछड़े वगों, गैर-
अधधसूधचत जनजाततयों, सफाई कममतयों सहित कचरा बीनने वालों, िाथ से मैला ढोने वाले, रांसजेंिर और
इसी तरि की अन्य श्रेणणयों के व्यक्तत।
योजना का महत्ि और आिश्यकता:
1. लक्षक्षत समूि के अधधकांश व्यक्ततयों के पास आधथतक संपवत्तयां न्यूनतम िोती िै; इसमलए, िामशए पर
रिने वाले इन लक्षक्षत समूिों के आधथतक सशक्ततकरण / उत्थान के मलए प्रमशक्षण का प्रावधान और
उनकी दक्षताओं को बढ़ाना आवश्यक िै ।
2. लक्षक्षत समि
ू के अधधकाँश व्यक्तत, ग्रामीण कारीगरों की श्रेणी से संबंधधत िैं जो बाजार में बेितर
तकनीकों के आने के कारण िामशए पर चले गए िैं।
3. लक्षक्षत समूि में महिलाओं को सशतत बनाने की भी आवश्यकता िै , जो अपनी सकल घरे लू मजबूररयों के
कारण, आम तौर पर लंबे समय तक चलने वाले काम और-कभी दस
ू रे शिरों में प्रवास करने की जरूरत
वाली मजदरू ी / रोजगार निीं कर पाती िैं।
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 75 InsightsIAS
5. आवेदक, सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली इसी तरि की अन्य योजनाओं का लाभाथी निीं िोना
चाहिए।
उज्जिला 2.0 के तहत:
• प्रवासी श्रममकों को अब गैस कनेतशन प्रातत करने के मलए पते का प्रमाणपत्र दस्तािेज प्रातत करने के
मलए संघषत निीं करना पड़ेगा।
• इन श्रममकों को गैस कनेतशन प्रातत करने के मलए केवल अपने आवासीय पते की स्व-घोषणा प्रस्तुत
करने की जरूरत िोगी।
प्रीललभस ललंक
1. LPG तया िै ?
2. ‘संसदीय सममततयों के बारे में
3. ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के उद्दे श्य और लक्ष्य
4. योजना के तित केरोमसन मुतत िो चक
ु े राज्य और केंद्र शामसत प्रदे श
में स ललंक:
ऐसा किा जाता िै कक ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ (PMUY) और उसके बाद के कायतक्रमों की असली परीक्षा यि
िोगी कक ये कायतक्रम एलपीजी, बबजली या बायोगैस जैसे अन्य स्वच्छ ईंधन का तनरं तर उपयोग जारी रखने के
मलए ‘कनेतशन’ के प्रावधान ककस प्रकार उपयोग करते िै ? इसके मलए ककस मद्
ु दे पर सवातधधक ध्यान दे ने की
जरूरत िै ? PMUY के मित्व पर भी चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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संरचना: प्रत्येक क्जला फोरम की अध्यक्षता एक ऐसे व्यक्तत द्वारा की जाती िै , जो क्जला न्यायाधीश के रूप में
तनयुतत िोने के योग्य िै अथवा क्जला न्यायाधीश के पद पर कायतरत िै या रि चक
ु ा िै । राज्य स्तर पर
‘उपभोतता वववाद तनवारण आयोग’ के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के वततमान न्यायाधीश या सेवातनवत्त
ृ
न्यायाधीश को तनयुतत ककया जाता िै ।
अगधतनयम का विस्तार:
• इस अधधतनयम के प्रावधान 'वस्तुओं' के साथ-साथ 'सेवाओं' पर भी लागू िोते िैं। ‘वस्तुओं’ में ,
उपभोतताओं को, थोक ववक्रेताओं और खुदरा ववक्रेताओं के माध्यम से बेची जाने वाली, तनममतत या
उत्पाहदत सामग्री को शाममल ककया जाता िै ।
• अधधतनयम के तित- पररविन, टे लीफोन, बबजली, आवास, बैंककं ग, बीमा, धचककत्सा उपचार आहद को ‘सेवाओं’
में शाममल ककया जाता िै ।
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इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं, कक उपभोतता संरक्षण अधधतनयम में उपभोतता आयोगों द्वारा मध्यस्थता के
संदभत में प्रावधान ककया गया िै , क्जसके तित जिां भी मामले को शरु
ु आती तनपटाने की गुंजाइश मौजूद िो और
सभी पक्ष सिमत िों, विां उपभोतता आयोग द्वारा मध्यस्थता का प्रबंध ककया जा सकता िै । इन मध्यस्थता
प्रकोष्ट्ठों की स्थापना ककस प्रकार की जाती िै और उनकी तया संरचना िोती िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. राष्ट्रीय, राज्य तथा क्जला उपभोतता वववाद
तनवारण आयोग मंच तथा उनकी संरचना।
2. उपभोतता वववाद तनवारण आयोगों का क्षेत्राधधकार,
तथा अपील।
3. न्यायालय शुल्क की आवश्यकता।
4. उपभोतता वववाद तनवारण आयोग- क्षेत्राधधकार।
5. राष्ट्रीय उपभोतता वववाद तनवारण आयोग में
अपील।
6. अधधतनयम के तित पररभावषत उपभोतता पररभाषा
और अधधकार।
में स ललंक: उपभोतता संरक्षण अधधतनयम 1986 के तित उपभोतता वववाद तनवारण तंत्र पर एक हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू
5. जन लर्क्षण संस्थान
संदिभ: जन मशक्षण संस्थान (Jan Shikshan Sansthan - JSS) द्वारा केरल के नीलांबुर जंगल के भीतर कुछ दरू -
दराज की आहदवासी बक्स्तयों में िाई-स्पीि इंटरनेट की शुरुआत की गयी िै ।
‘लंबी दरू ी की वाई-फाई तकनीक’ (long-distance Wi-Fi) की बदौलत कुछ आहदवासी बक्स्तयों को िाई-स्पीि
इंटरनेट की सवु वधा उपलधध िुई िै ।
जन लर्क्षण संस्थान (JSS) के बारे में :
• यि ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल ववकास िे तु की गयी एक पिल िै ।
• ‘जन मशक्षण संस्थान’ योजना को पिले ‘श्रममक ववद्यापीठ’ के नाम से जाना जाता था।
• इस योजना को, माचत 1967 से, दे श भर में गैर सरकारी संगठनों के नेटवकत के माध्यम से लागू ककया
जा रिा िै ।
उद्दे श्य:
• तनरक्षर /नव साक्षर और आठवीं कक्षा तक प्राथममक स्तर की मशक्षा पाने वाले और आठवीं कक्षा से
आगे पढाई छोड़ दे ने वाले व्यक्ततयों के व्यावसातयक कौशल और तकनीकी ज्ञान में सध
ु ार करना।
• प्रमशक्षण/अमभववन्यास कायतक्रमों के माध्यम से कौशल ववकास के ववभाग/एजेंमसयों में कायतरत मास्टर
प्रमशक्षकों का एक समूि तैयार करना।
• सामाक्जक, आधथतक और राजनीततक प्रणामलयों के ज्ञान और समझ के दायरे का ववस्तार करना और
पयातवरण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
• राष्ट्रीय मल्
ू यों को बढ़ावा दे ना और राष्ट्रीय कायतक्रमों के साथ तालमेल बबठाना।
• ऋण और सिायता संघो की सदस्यता के माध्यम से लक्षक्षत समूिों के मलए ऋण सहित स्वरोजगार को
बढ़ावा दे ना और ववत्तीय सिायता की सुववधा प्रदान करना।
‘लंबी दरू ी की िाई-फाई’ क्या है ? यह ककस प्रकार कायभ करती है ?
• यि 5GHz फ़्रीतवेंसी पर कायत करती िै ।
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• पांच टावरों की मदद से 100 mbps की गतत से इंटरनेट उपलधध कराया जाता िै ।
• इसके मलए, सवतर इस तरि से स्थावपत ककए जाते िैं कक कम से कम 250 उपयोगकतात एक साथ
इंटरनेट का उपयोग कर सकें।
• लंबी दरू ी की वाई-फाई तकनीक के माध्यम से, संचरण में बगैर ककसी बाधा के 100 ककमी तक भी िाई-
स्पीि इंटरनेट प्रदान ककया जा सकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
पिला श्रममक ववद्यापीठ मब
ंु ई में स्थावपत ककया गया था। इसके बारे में अधधक जानकारी के मलए यिाँ पढ़ें ।
प्रीललभस ललंक:
1. लंबी दरू ी की वाईफाई के बारे में
2. LiFi तया िै ?
3. वाईफाई कैसे काम करता िै?
4. जन मशक्षण संस्थान (JSS) के बारे में ।
में स ललंक: जन मशक्षण संस्थान (JSS) के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारं टी अगधतनयम’ (मनरे गा) के बारे में :
मनरे गा (MGNREGA) को भारत सरकार द्वारा िषभ 2005 में एक सामाक्जक उपाय के रूप में प्रस्तत
ु ककया गया
था। क्जसके अंतगतत ‘काम करने के अधधकार’ (Right to Work) की गारं टी प्रदान की जाती िै ।
• इस सामाम्जक उपाय और श्रम कानून का मुख्य लसद्धांत यि िै , कक स्थानीय सरकार को ग्रामीण भारत
में न्यूनतम 100 हदनों का वैततनक रोजगार प्रदान करना िोगा ताकक ग्रामीण श्रममकों के जीवन स्तर में
वद्
ृ धध की जा सके।
मनरे गा कायभक्रम के प्रमुख उद्दे श्य:
1. मनरे गा कायतक्रम के तित प्रत्येक पररवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के मलये
न्यन
ू तम 100 हदन का वैततनक रोजगार।
2. ग्रामीण तनधतनों की आजीववका के आधार को सशतत करके सामाक्जक समावेशन सुतनक्श्चत करना।
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3. कुओं, तालाबों, सड़कों और निरों जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई पररसंपवत्त का तनमातण करना।
2. ग्रामीण क्षेत्रों से िोने वाले शिरी प्रवासन को कम करना।
3. अप्रमशक्षक्षत ग्रामीण श्रम का उपयोग करके ग्रामीण अवसंरचना का तनमातण करना।
मनरे गा योजना के तहत लाि प्राप्त करने हे तु पात्रता मानदं ि:
1. मनरे गा योजना का लाभ लेने के मलए भारत का नागररक िोना चाहिए।
2. कायत िे तु आवेदन करने के मलए व्यक्तत की आयु 18 वषत अथवा इससे अधधक िोनी चाहिए।
3. आवेदक के मलए ककसी स्थानीय पररवार का हिस्सा िोना चाहिए (अथातत, आवेदन स्थानीय ग्राम पंचायत
के माध्यम से ककया जाना चाहिए)।
4. आवेदक को स्वेच्छा से अकुशल श्रम के मलए तैयार िोना चाहिए।
योजना का कायाभन्ियन:
1. आवेदन जमा करने के 15 हदनों के भीतर या क्जस हदन से काम की मांग िोती िै , उस हदन से आवेदक
को वैततनक रोजगार प्रदान ककया जाएगा।
2. रोजगार उपलधध निीं िोने की क्स्थतत में , आवेदन जमा करने के पंद्रि हदनों के भीतर या काम की मांग
करने की ततधथ से बेरोजगारी भत्ता पाने का अधधकार िोगा।
3. मनरे गा के कायों का सामाक्जक लेखा-परीक्षण (Social Audit) अतनवायत िै , क्जससे कायतक्रम में जवाबदे िी
और पारदमशतता सतु नक्श्चत िोती िै ।
4. मजदरू ी की मांग करने िे तु अपनी आवाज उठाने और मशकायतें दजत कराने के मलए ‘ग्राम सभा’ इसका
प्रमुख मंच िै ।
5. मनरे गा के तित कराए जाने वाले कायों को मंजरू ी दे ने और उनकी प्राथममकता तय करने का दातयत्व
‘ग्राम सभा’ और ‘ग्राम पंचायत’ का िोता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक भारतीय संववधान स्पष्ट्ट रूप से 'काम करने के अधधकार' को मौमलक
अधधकार के रूप में मान्यता निीं दे ता िै ? कफर, संववधान के अंतगतत इस संदभत में तया प्रावधान ककए गए िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:स्वास््य, मशक्षा, मानव संसाधनों से संबधं धत सामाक्जक क्षेत्र/सेवाओं के ववकास और प्रबंधन से संबंधधत
ववषय।
1. जीका िायरस
संदिभ:
िाल िी में , केंद्रीय स्वास््य मंत्रालय द्वारा मिाराष्ट्र में ‘जीका वायरस’ की क्स्थतत पर नजर रखने और संक्रमण-
प्रबंधन में राज्य सरकार की सिायता करने िे तु एक बिुववषयी टीम भेजी गयी िै । मिाराष्ट्र के पुणे क्जले में
जीका वायरस का पिला मामला सामने आया िै ।
‘जीका िायरस’ के बारे में :
• ‘जीका वायरस’ (Zika virus) मुख्य रूप से एिीज प्रजातत (Aedes genus) के संक्रममत मच्छरों, मुख्यताः
एिीज एक्जतटी (Aedes aegypti) के द्वारा फैलता िै । इन एिीज मच्छरों की वजि से िेंगू, धचकनगुतनया
और ‘पीला बुखार’ (Yellow Fever) भी फैलता िै ।
• इस वायरस को सबसे पिले वषत 1947 में यग
ु ांिा के बंदरों में दे खा गया था।
संचरण:
मच्छरों के अलावा, यि वायरस ककसी संक्रममत व्यक्तत के द्वारा भी फैल सकता िै । जीका वायरस, ककसी
गभतवती महिला से उसके भ्रण
ू में , यौन संपकत से, रतत एवं रतत उत्पादों के आधान (Transfusion) से और अंग
प्रत्यारोपण के माध्यम से भी फ़ैल सकता िै ।
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जीका िायरस संक्रमण के लक्षण:
• इसके लक्षणों में , आम तौर पर, बुखार, दाने, आँखों में जलन और सूजन (conjunctivitis) , मांसपेमशयों
और जोड़ों में ददत या मसरददत की मशकायत िोती िै । यि लक्षण दो से सात हदनों तक रिते िैं। कभी-
कभी संक्रममत िोने वाले अधधकांश लोगों में कोई लक्षण हदखाई निीं िोते िैं।
• गभातवस्था के दौरान ‘जीका वायरस ‘के संक्रमण से मशशु ‘माइक्रोसेफली’ (Microcephaly अथातत ‘मशशु के
मसर का आकार सामान्य से छोटा’) और अन्य जन्मजात
ववकृततयों के साथ पैदा िो सकते िैं। इनके मलए जन्मजात
जीका मसंड्रोम किा जाता िै।
• जीका वायरस का अभी कोई इलाज या टीका उपलधध निीं
िै । WHO द्वारा इस बीमारी से शीघ्र से ठीक िोने के मलए
ददत और बख ु ार की दवाओं के साथ-साथ बिुत सारे तरल
पदाथों का सेवन करने की सलाि दी जाती िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक 2019 में ब्राजील के कुछ
इलाकों में रांसजेतनक मच्छरों को छोड़ा गया था। इस प्रयोग का
उद्दे श्य तया था?
स्रोत: द हिंद।ू
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• उदािरण के मलए, इस वषत, भारत में दवा तनमातताओं को कोववि-19 के कारण आयात में व्यवधान िोने से
कई परे शातनयों का सामना करना पड़ा।
• भारत और चीन के मध्य सीमा संघषत से क्स्थतत और भी ़िराब िुई।
िारत द्िारा इस संदिभ में उठाए जा रहे कदम:
अगधक आत्मतनिभरता की आिश्यकता: इसी वषत जून में , फामातस्यहु टकल्स ववभाग द्वारा दे श में तीन बल्क ड्रग्स
पाकों को बढ़ावा दे ने के मलए एक योजना की घोषणा की गयी।
• बल्क ड्रग पाकत में, ववमशष्ट्ट रूप से सकक्रय दवा संघटकों (APIs), मध्यवती दवाओं (DIs) और मुख्य
शरु
ु आती सामग्री (KSM) के तनमातण िे तु सामहू िक अवस्थापना सवु वधाओं सहित एक संस्पशी क्षेत्र
तनधातररत ककया जायेगा, इसके अलावा इसमें एक सामूहिक अपमशष्ट्ट प्रबंधन प्रणाली भी िोगी।
• इन पाकों से दे श में बल्क ड्रग्स की ववतनमातण लागत कम िोने और घरे लू बल्क ड्रग्स उद्योग में
प्रततस्पधात बढ़ने की उपमीद िै ।
बल्क ड्रग पाकभ योजना की प्रमुख विर्ेषताएं:
• यि योजना, सामूहिक अवसंरचना सुववधाओं के तनमातण िे तु एकमुश्त अनुदान सिायता प्रदान करते िुए
दे श में तीन बल्क ड्रग पाकों की स्थापना में सियोग करे गी।
• सामूहिक अवसंरचना सुववधाओं के तनमातण में व्यय िोने वाली कुल रामश का 70 प्रततशत अनुदान
सिायता के रूप में प्रदान ककया जायेगा, तथा हिमाचल प्रदे श और अन्य पिाड़ी राज्यों के मामले में ,
अनुदान सिायता रामश 90 प्रततशत िोगी।
• केंद्र सरकार द्वारा प्रतत पाकत अधधकतम 1,000 करोड़ रुपये की रामश प्रदान की जाएगी।
• कोई राज्य, बल्क ड्रग पाकत के तनमातण िे तु केवल एक स्थल का प्रस्ताव कर सकता िै , क्जसका क्षेत्रफल
एक िजार एकड़ से कम निीं िोना चाहिए िै । पिाड़ी राज्यों के मामले में न्यूनतम सीमा 700 एकड़
तनधातररत की गयी िै ।
स्रोत: द हिंद।ू
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4. इस योजना में सेवा-स्थल पर लाभाथी के मलए कैशलेस स्वास््य दे खभाल सेवाओं को उपलधध कराया
जाता िै ।
5. AB-PMJAY योजना को परू े दे श में लागू करने और इसके कायातन्वयन िे तु ‘राष्ट्रीय स्वास््य प्राधधकरण’
(National Health Authority - NHA) नोिल एजेंसी िै ।
6. यि योजना, कुछ केंद्रीय क्षेत्रक घटकों के साथ एक केंद्र प्रायोम्जत योजना िै ।
योजना के अंतगभत पात्रता:
1. इस योजना के तित पररवार के आकार, आयु या मलंग पर कोई सीमा निीं िै ।
2. इस योजना के तित पिले से मौजद
ू ववमभन्न धचककत्सीय पररक्स्थततयों और गपभीर बीमाररयों को पिले
हदन से िी शाममल ककया जाता िै ।
3. इस योजना के तित अस्पताल में भती िोने से 3 हदन पिले और 15 हदन बाद तक का नैदातनक उपचार,
स्वास््य इलाज व दवाइयाँ मफ्
ु त उपलधध िोतीं िैं।
4. यि एक पोटे बल योजना िैं यानी की लाभाथी इसका लाभ पूरे दे श में ककसी भी सावतजतनक या तनजी
सूचीबद्ध अस्पताल में उठा सकतें िैं।
5. इस योजना में लगभग 1,393 प्रकक्रयाएं और पैककज शाममल िैं जैसे की दवाइयाँ, आपूततत, नैदातनक सेवाएँ,
धचककत्सकों की फीस, कमरे का शुल्क, ओ-टी और आई-सी-यू शुल्क इत्याहद जो मफ़्
ु त उपलधध िैं।
6. स्वास््य सेवाओं के मलए तनजी अस्पतालों की प्रततपतू तत सावतजतनक अस्पतालों के बराबर की जाती िै ।
निीनतम आगथभक सिेक्षण के अनुसार:
• प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) कायतक्रम क्जन राज्यों में लागू ककया गया, विां स्वास््य
पररणामों में मित्वपण
ू त सध
ु ार िुए िैं।
• PM-JAY लागू करने वाले राज्यों में , योजना से अलग रिने वाले राज्यों की तुलना में , स्वास््य बीमा का
अधधक ववस्तार, मशशु और बाल मत्ृ यु दर में कमी, पररवार तनयोजन सेवाओं के उपयोग में सुधार और
एचआईवी / एड्स के बारे में अधधक जागरूकता आहद का अनुभव ककया गया।
• PM-JAY लागू करने वाले राज्यों में स्वास््य बीमा वाले पररवारों के अनुपात में 54% की वद्
ृ धध िुई,
जबकक योजना से अलग रिने वाले राज्यों में 10% की धगरावट दजत की गयी िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आप जानते िैं, कक ‘राष्ट्रीय डिक्जटल स्वास््य ममशन’ को लागू करने की क्जपमेदारी भी ‘राष्ट्रीय स्वास््य
प्राधधकरण’ को दी गई िै ?
स्रोत: द हिंद।ू
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• ऐसे मामले ववववध रूपों में सामने आ रिे िैं, क्जनमें धचंता, अवसाद जैसी भावनात्मक तकलीफें और
अतनद्रा, भूख में कमी जैसे जैववक प्रभाव तथा मादक द्रव्यों का सेवन और सदमे से उभरने के बाद िोने
वाली व्यथाएं आहद शाममल िैं।
• महिलाओं,बच्चों और बुजुगों जैसे संवेदनशील लोगों के मलए, घरे लू हिंसा, सामाक्जक अलगाव, स्क्रीन
समय में वद्
ृ धध और गरीबी का सामना करने जैसी अधधक जहटल चुनौततयों ने उनके मानमसक स्वास््य
को नकारात्मक रूप से प्रभाववत ककया िै ।
िारत में मानलसक स्िास्थ्य पर उल्लेखनीय तथ्य:
ववश्व स्वास््य संगठन (2020) के अनस
ु ार:
• ववश्व स्तर पर भारत में 36.6 प्रततशत आत्मित्याएं िोती िैं।
• लगभग 7.5 प्रततशत भारतीय ककसी न ककसी मानमसक ववकार से पीडड़त िैं और 2020 के अंत तक इस
संख्या में लगभग 20 प्रततशत तक वद्
ृ धध िोने की संभावना िै ।
• गणना के अनुसार, 56 मममलयन भारतीय अवसाद से पीडड़त िैं और अन्य 38 मममलयन भारतीय धचंता-
ववकारों से ग्रस्त िैं।
• ववकलांगता समायोक्जत जीवन वषों (Disability adjusted life year - DALYs) के संदभत में , भारत में
कुल बीमाररयों के भार में मानमसक ववकारों का योगदान वषत 1990 में 2.5% से बढ़कर वषत 2017 में
4.7% िो गया था।
• भारत में , प्रतत 100,000 की आबादी पर मनोधचककत्सक (0.3), नसत (0.12), मनोवैज्ञातनक (0.07)
और सामाक्जक कायतकतात (0.07) िैं, जबकक वांछनीय संख्या प्रतत 100,000 की आबादी पर
मनोधचककत्सकों और मनोवैज्ञातनकों की संख्या तीन से अधधक िै ।
मानलसक स्िास्थ्य संबंधी संिैधातनक और विगधक अगधदे र्:
• अनुच्छे द 21- ‘गररमामय जीवन का अधधकार’ के ववस्तार में ‘मानमसक स्वास््य दे खभाल प्रातत करने
का अधधकार’ भी शाममल िै। इसको ‘मानमसक स्वास््य दे खभाल अधधतनयम’ 2017 (Mental
Healthcare Act, 2017) के तित ‘गररमामय जीवन का अधधकार’ के रूप में मान्यता प्रदान की गयी
थी।
• अनुच्छे द 47- ‘पोषािार स्तर एवं जीवन स्तर को ऊँचा करना और लोक स्वास््य में सुधार करना’ राज्य
का कततव्य िोगा।
• िाल िी में सुप्रीम कोटत ने अपने फैसले में दोिराया िै , कक मानमसक बीमारी वाले प्रत्येक व्यक्तत को
सपमान के साथ जीने का अधधकार िोगा।
मानलसक स्िास्थ्य दे खिाल अगधतनयम, 2017:
• प्रागधकरण का गठन- केंद्रीय मानमसक स्वास््य प्राधधकरण और राज्य मानमसक स्वास््य प्राधधकरण।
• बोिभ का गठन: राज्य प्राधधकरण द्वारा ‘मानमसक स्वास््य समीक्षा बोित का गठन।
• आत्महत्या का गैर-अपराधीकरण - आत्मित्या का प्रयास करने वाले व्यक्तत को उस समय मानमसक
बीमारी से पीडड़त माना जाएगा और उसे भारतीय दं ि संहिता के तित दं डित निीं ककया जाएगा।
• विद्युत ्-आक्षेपी गचककत्सा (Electroconvulsive therapy / ECT) या र्ॉक थेरेपी का तनषेध-
मांसपेमशयों को आराम दे ने वाली दवाओं और एनेस्थीमसया के साथ िी इलेतरो-कंवक्ल्सव थेरेपी दी जा
सकती िै । नाबामलगों के मलए यि थेरेपी तनवषद्ध िै ।
• अगग्रम तनदे र्- यि अधधतनयम, मानमसक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तत को ‘अधग्रम तनदे श’ (advance
directive) दे ने का अधधकार हदया गया िै , क्जसमे व्यक्तत, अपनी बीमारी का इलाज ककस प्रकार कराना
चािता िै , यि बता सकता िै ।
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• बीमा: अधधतनयम में किा गया िै , कक प्रत्येक बीमाकतात मानमसक बीमारी के इलाज के मलए उसी आधार
पर धचककत्सा बीमा का प्रावधान करे गा जो शारीररक बीमारी के इलाज के मलए उपलधध िै ।
मानलसक रोग से ग्रस्त व्यम्क्तयों के अगधकार:
1. प्रत्येक व्यक्तत को सरकार द्वारा संचामलत या ववत्त पोवषत सेवाओं से मानमसक स्वास््य दे खभाल और
उपचार प्रातत करने का अधधकार िोगा।
2. अमानवीय और अपमानजनक व्यविार से सुरक्षा का अधधकार।
3. मानमसक स्वास््य के संबंध में गोपनीयता का अधधकार।
आिश्यकता:
1. समग्र स्वास््य बजट में मानमसक स्वास््य दे खभाल पर व्यय के अनुपात में वद्
ृ धध की जाए।
2. प्रमशक्षक्षत मानमसक स्वास््य कायतकतातओं की संख्या में वद्
ृ धध की जाए।
3. 'स्वच्छ मनमसकता अमभयान'जैसे अमभयानों के माध्यम से मानमसक बीमारी से जड़
ु े कलंक से तनपटने के
मलए व्यापक जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ायी जाए।
इंस्टा म्जज्ञासु: जुलाई 2018 में लागू िुए ‘मानमसक स्वास््य दे खभाल अधधतनयम’ (MHCA) 2017, ने आईपीसी
की धारा 309 के उपयोग की गुंजाइश को काफी कम कर हदया िै । धारा 309 तया िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. IPC की धारा 309 के अंतगतत ककसे अपराधी घोवषत
ककया जा सकता िै ?
2. मानमसक स्वास््य अधधतनयम (MHCA), 2017 के
प्रमख
ु प्रावधान
3. ववधध आयोग- संववधान और रचना
4. MHCA की धारा 115 (1)
में स ललंक: िाल के वषों में , आत्मित्या संबंधी मामलों ने
धचंताजनक रूप से ध्यान आकवषतत ककया िै । भारत में उच्च आत्मित्या मत्ृ यु दर के कारणों का आलोचनात्मक
ववश्लेषण कीक्जए तथा भारत इस चन
ु ौती का सामना ककस प्रकार कर िै ?
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।
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‘हिाना लसंड्रोम’ के कारण
• सममतत द्वारा जांच ककए गए मामलों की व्याख्या करने पर, ‘तनदे लर्त’ स्पंहदत रे डियो आिवृ त्त ऊजाभ
(Directed pulsed Radio Frequency energy) को ‘िवाना मसंड्रोम’ का सवातधधक संभाववत कारण पाया गया
िै ।
• इस बीमारी से संक्रममत िोने पर, रोगी को पीड़ादायक सनसनािट और मभनमभनािट की आवाज मिसूस
िोती थी, और ये एक ववशेष हदशा से या कमरे में एक ववमशष्ट्ट स्थान से उत्पन्न िोती थी।
इंस्टा म्जज्ञासु:
तया आपने िमारी आकाशगंगा में पिली बार ‘तीव्र रे डियो प्रस्फोट’ (fast radio bursts– FRB) के रूप में जानी जाने
वाली ‘रे डियो तरं गों के अत्याधधक तीव्र स्पंदन’ (Intense pulses of radio waves) के बारे में जानते िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. माइक्रोवेव िधथयार तया िैं?
2. िवाना मसंड्रोम तया िै?
3. इसके नामकरण के पीछे कारण?
4. ववद्युत चप
ु बकीय स्पेतरम का अवलोकन
मैंस ललंक: िाल िी में , समाचारों में चधचतत ‘िवाना मसंड्रोम’
तया िै ? इसके खबरों में िोने के कारणों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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बीसीजी िैक्सीन की प्रिािकाररता:
• बीसीजी, कुछ भौगोमलक स्थानों पर अच्छा काम करता िै , जबकक कुछ जगिों पर इतना प्रभावी निीं
िोता िै । आम तौर पर, भम
ू ध्य रे खा से दरू ी बढ़ने के साथ-साथ ‘बीसीजी वैतसीन’ की प्रभावकाररता भी
बढ़ती जाती िै ।
• यूके, नॉवे, स्वीिन और िेनमाकत में इसकी प्रभावकाररता काफी अधधक िोती िै ; और भारत, केन्या और
मलावी जैसे भूमध्य रे खा पर या उसके आस-पास क्स्थत दे शों में , जिाँ क्षय रोग का भार अधधक िै ,
इसकी प्रभावकाररता में कमी दे खी जाती िै । इन क्षेत्रों में पयातवरणीय माइकोबैतटीररया भी अधधक मात्रा
में पाए जाते िैं। ऐसा माना जाता िै कक ये माइकोबैतटीररया, टीबी के णखलाफ सरु क्षात्मक प्रभाव में
बाधा उत्पन्न करने में सक्षम िोते िैं।
तपेहदक (टीबी) क्या है ?
तपेहदक (टीबी) या क्षय रोग, ‘माइकोबैतटीररयम ट्यब
ू रकुलोमसस’ (Mycobacterium tuberculosis) नामक
जीवाणु के कारण िोने वाला एक संक्रामक रोग िै ।
• यि आमतौर पर फेफड़ों (फुफ्फुसीय टीबी- pulmonary TB) को प्रभाववत करता िै , ककं तु यि इसके अलावा
मानव-शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभाववत कर सकता िै ।
• यि बीमारी, फुफ्फुसीय टीबी से पीडड़त व्यक्तत की खांसी या ककसी अन्य माध्यम से वायु में बैतटीररया
पिुँचने से फैलती िै ।
• ववश्व में , चेचक, कुष्ट्ठ, तलेग और िै जा जैसी अन्य ऐततिामसक रूप से भयानक बीमाररयों को, या तो
काफी िद तक समातत या तनयंबत्रत ककया जा चुका िै , इसके ववपरीत, टीबी, दतु नया में एक प्रमुख
सावतजतनक स्वास््य समस्या बनी िुई िै ।
• ववश्व स्वास््य संगठन की ‘ग्लोबल टीबी ररपोटत ’ के अनुसार, वषत 2019 में लगभग 10 मममलयन लोग
टीबी से ग्रमसत िुए थे, क्जनमे से1.4 मममलयन रोधगयों की मौत िो गई। भारत में इन मामलों की संख्या
कुल वैक्श्वक मामलो की 27% िै ।
आगे की राह:
भारत, वषत 2025 तक एक सावतजतनक स्वास््य समस्या के रूप में ‘टीबी’ को खत्म करने के मलए प्रततबद्ध िै ।
इस लक्ष्य को प्रातत करने के मलए, िमें न केवल बेितर तनदान और दवाओं की आवश्यकता िोगी, बक्ल्क अधधक
प्रभावी टीकों की भी आवश्यकता िोगी।
िमें कोववि-19 मिामारी से सीखे गए सबक के आधार पर, वैतसीन का तनमातण करने और ववशेष रूप से वैतसीन
ववकमसत करने में प्रातत सफलताओं को दोिराने और वैतसीन इक्तवटी सतु नक्श्चत करने में आने वाली चुनौततयों
का सामना करने के मलए तैयार िोने की आवश्यकता िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. बीसीजी तया िै ?
2. ‘बैतटीररया’ और ‘वायरस’ से िोने वाले रोगों में अंतर।
3. ‘टीबी’ तया िै?
4. भारत के संदभत में ‘वैक्श्वक टीबी ररपोटत ’ के प्रमख
ु बबंद।ु
में स ललंक:
1. बीसीजी टीका, तपेहदक का मुकाबला ककस प्रकार करता िै ? चचात कीक्जए।
2. ‘क्षय रोग उन्मूलन’ में भारत के सामने आने वाली चन
ु ौततयों पर चचात कीक्जए।
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विषय:शासन व्यवस्था, पारदमशतता और जवाबदे िी के मित्त्वपूणत पक्ष, ई-गवनेंस- अनुप्रयोग, मॉिल, सफलताएँ, सीमाएँ
और संभावनाएँ; नागररक चाटत र, पारदमशतता एवं जवाबदे िी और संस्थागत तथा अन्य उपाय।
1. ओपन नेटिकभ फॉर डिम्जटल कॉमसभ (ONDC)
संदिभ: िाल िी में , केंद्रीय वाणणज्य और उद्योग मंत्री द्वारा ‘उद्योग संवधतन एवं आंतररक व्यापार ववभाग’
(DPIIT) की ‘ओपन नेटवकत फॉर डिक्जटल कॉमसत’ (Open Network for Digital Commerce - ONDC) पिल की
समीक्षा िे तु एक बैठक की अध्यक्षता की गई थी।
ONDC क्या है?
• डिक्जटल कॉमसत के मलए ‘ओपन नेटवकत’ क्जसे ONDC नाम हदया गया िै , ववश्व स्तर पर अपनी तरि की
पिली पिल िै , क्जसका उद्दे श्य डिक्जटल कॉमसत को ‘एक तलेटफॉमत-केंहद्रत मॉिल’ से एक ‘ओपन-
नेटवकत’ में पररवतततत करना िै ।
• क्जस तरि से डिक्जटल भुगतान िोमेन के मलए UPI िोता िै , उसी प्रकार भारत में ई-कॉमसत के मलए
ONDC िै ।
• ONDC, खरीदारों और ववक्रेताओं को डिक्जटल रूप से हदखाई दे ने और खुले नेटवकत के माध्यम से लेनदे न
करने में सक्षम बनाएगा, चािे वे ककसी भी तलेटफॉमत/एक्तलकेशन का उपयोग करते िों।
• ओएनिीसी, ई-कॉमसत में ‘एकाधधकारों’ को समातत करके और एक ‘मसंगल नेटवकत’ का तनमातण करते िुए
व्यापाररयों और उपभोतताओं को नवाचार और व्यापकता को बढ़ावा दे ने िे तु सक्षम बनाएगा।
अलिप्राय और उद्दे ष्ट्य:
• ONDC का उद्दे श्य ककसी ववमशष्ट्ट तलेटफॉमत के
स्वतंत्र, ओपन नेटवकत प्रोटोकॉल और खुले
ववतनदे शों का उपयोग करते िुए ओपन सोसत
पद्धतत पर ववकमसत ‘ओपन नेटवकत’ को
बढ़ावा दे ना िै ।
• ओएनिीसी के माध्यम से, पूरी मूल्य-श्रख
ं ृ ला
को डिक्जटाइज करने, संचालनों का
मानकीकरण करने, आपूतततकतातओं के समेकन
को बढ़ावा दे ने, प्रचालन-तन्त्र (logistics) में
दक्षता प्रातत करने और उपभोतताओं को
अधधक सवु वधा प्रदान ककए जाने संभावना िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु भीम ऐप में ‘प्रमाणीकरण’ के तीन स्तर िोते िैं। इन स्तरों के बारे में बताइये।
स्रोत: पीआईबी।
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‘राष्ट्रीय विगधक सेिा प्रागधकरण’ (NALSA) के बारे में :
• समाज के दब
ु ल
त वगों को तन:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और वववादों के सौिादत पूणत समाधान िे तु
‘ववधधक सेवा प्राधधकरण अधधतनयम’, 1987 के अंतगतत ‘राष्ट्रीय ववधधक सेवा प्राधधकरण’ / ‘नालसा’
(National Legal Services Authority-NALSA) का गठन ककया गया िै ।
• इसका उद्दे श्य यि सुतनक्श्चत करना िै , कक आधथतक या अन्य अक्षमताओं के कारण ककसी भी नागररक
को न्याय िामसल करने के अवसरों से वंधचत निीं ककया जाए।
• नालसा द्वारा 'न्याय दीप' (Nyaya Deep) शीषतक से आधधकाररक सूचना-पत्र का प्रकाशन ककया जाता िै ।
• ‘राष्ट्रीय ववधधक सेवा प्राधधकरण’ द्वारा वववादों के सौिादत पण
ू त समाधान िे तु ‘लोक अदालतों’ का आयोजन
ककया जाता िै ।
संरचना:
• ‘ववधधक सेवा प्राधधकरण अधधतनयम’ की धारा 3(2) के अनस
ु ार, भारत के मख्
ु य न्यायाधीश ‘राष्ट्रीय
ववधधक सेवा प्राधधकरण’ (NALSA) के प्रधान- संरक्षक िोंगे।
• सवोच्च न्यायालय के दस
ू रे वररष्ट्ठतम न्यायाधीश, इसके कायतकारी-अध्यक्ष िोते िैं।
राज्य एिं म्जला कानूनी सेिा प्रागधकरण:
‘राज्य विगधक सेिा प्रागधकरण’: ‘नालसा’ की नीततयों और तनदे शों को प्रभावी बनाने और लोगों को मफ्
ु त कानूनी
सेवाएं प्रदान करने तथा राज्य में लोक अदालतों का संचालन करने िे तु प्रत्येक राज्य में ‘राज्य विगधक सेिा
प्रागधकरण’ (State Legal Services Authority) का गठन ककया गया िै ।
‘राज्य ववधधक सेवा प्राधधकरण’ के अध्यक्ष संबंधधत उच्च न्यायालय के ‘मुख्य न्यायाधीश’ िोते िैं और वि ‘राज्य
ववधधक सेवा प्राधधकरण’ के प्रधान-संरक्षक भी िोते िैं।
‘म्जला विगधक सेिा प्रागधकरण’: प्रत्येक क्जले में , ‘ववधधक सेवा कायतक्रम’ के कायातन्वयन िे तु ‘म्जला विगधक सेिा
प्रागधकरण’ (District Legal Services Authority) का गठन ककया गया िै ।
‘क्जला ववधधक सेवा प्राधधकरण’ प्रत्येक क्जले के ‘क्जला न्यायालय पररसर’ में क्स्थत िोता िै और संबंधधत क्जले
के क्जला न्यायाधीश इसके अध्यक्ष िोते िैं।
िारतीय संविधान का अनच्
ु छे द 39A:
अनुच्छे द 39A के प्रावधानों के अनुसार, “राज्य, यि सुतनक्श्चत करे गा, कक ववधधक तंत्र इस प्रकार काम करे कक
समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ िो, और राज्य, खास तौर पर यि सुतनक्श्चत करने के मलए कक
आधथतक या ककसी अन्य तनयोषयता के कारण कोई नागररक न्याय प्रातत करने के अवसर से वंधचत न रि जाए,
उपयुतत ववधान या योजना द्वारा या ककसी अन्य रीतत से तनाःशुल्क ववधधक सिायता की व्यवस्था करे गा।
संववधान में यि अनच्
ु छे द, संविधान (बयालीसिां संर्ोधन) अगधतनयम, 1976 के द्वारा जोड़ा गया था।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं कक ‘ववधधक सेवा प्राधधकरण अधधतनयम’ के तित ककन लोगों को ‘तनशल्
ु क
ववधधक सेवा’ प्रातत करने का अधधकार िोता िै?
प्रीललभस ललंक:
1. NALSA के प्रधान संरक्षक और कायतकारी अध्यक्ष की तनयुक्तत कौन करता िै ?
2. पात्रता मानदं ि?
3. राज्य और क्जला कानूनी सेवा प्राधधकरणों का प्रमख
ु कौन िोता िै ?
4. इस संबंध में संवैधातनक प्रावधान?
में स ललंक: गरीबों और जरूरतमंदों को तनशल्
ु क ववधधक सिायता सतु नक्श्चत करने में नालसा की भमू मकाओं और
कायों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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विषय:भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
1. पाककस्तान में ‘गगलगगत-बाम्ल्टस्तान’ को नया दजाभ दे ने हे तु विधेयक
संदिभ: पाककस्तानी अधधकाररयों द्वारा ‘रणनीततक रूप से मित्वपण
ू त ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ (Gilgit-Baltistan) को
अस्थायी रूप से प्रांतीय दजात (provisional provincial status) दे ने िे तु एक कानून को अंततम रूप से तैयार कर
मलया गया िै ।
प्रस्ताववत ववधेयक के अनस
ु ार, धगलधगत-बाक्ल्टस्तान के ‘सवोच्च अपीलीय न्यायालय’ (Supreme Appellate
Court - SAC) को समातत ककया जा सकता िै और इस क्षेत्र के तनवातचन आयोग का पाककस्तान के तनवातचन
आयोग (Election Commission of Pakistan) में ववलय ककए जाने की संभावना िै ।
गगलगगत-बाम्ल्टस्तान की ितभमान म्स्थतत:
• वततमान में ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ एक स्वायत्त क्षेत्र िै और इस उन्नयन के पश्चात, यि पककस्तान का
5वां प्रांत बन जाएगा।
• वततमान में , पाककस्तान में बलूधचस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और मसंध - चार प्रांत िैं।
िारत की म्स्थतत:
भारत ने पाककस्तान को स्पष्ट्ट रूप से बता हदया िै , कक 1947 के भारत संघ में राज्य-ववलय के वैधातनक और
अखण्िनीय प्रावधानों के अनुसार, संपूणत केंद्र शामसत जपमू-कश्मीर, लद्दाख तथा धगलधगत-बाक्ल्टस्तान के क्षेत्र,
भारत के अमभन्न अंग िैं।
‘गगलगगत-बाम्ल्टस्तान’ की अिम्स्थतत:
• धगलधगत-बाक्ल्टस्तान, उत्तर में चीन, पक्श्चम में अफगातनस्तान, और दक्षक्षण पूवत में कश्मीर के साथ सीमा
बनाता िै ।
• यि क्षेत्र, तत्कालीन जपमू और कश्मीर की ररयासत का हिस्सा था, ककं तु कश्मीर पर कबायली लड़ाकों
और पाककस्तानी सेना द्वारा आक्रमण के बाद, 4 नवंबर, 1947 से इस क्षेत्र पर पाककस्तान का तनयंत्रण
िै ।
• यि पाक-अगधकृत कश्मीर के साथ एक भौगोमलक सीमा साझा करता िै , तथा भारत इसे अववभाक्जत
जपमू और कश्मीर का हिस्सा मानता िै , जबकक पाककस्तान इस क्षेत्र को पाक-अधधकृत कश्मीर (PoK) से
अलग मानता िै ।
• ‘चीन पाककस्तान आधथतक गमलयारा’ इस क्षेत्र से िोकर गुजरता िै ।
‘गगलगगत-बाम्ल्टस्तान’ पर ितभमान तनयंत्रण:
1. ‘संयुतत राष्ट्र भारत-पाककस्तान आयोग’ (United Nations Commission for India and Pakistan - UNCIP)
द्वारा 28 अप्रैल 1949 को पाररत प्रस्ताव का उल्लंघन करते िुए, वततमान में यि क्षेत्र पाककस्तान के
कधजे में िै ।
2. पाककस्तान द्वारा ‘धगलधगत-बाक्ल्टस्तान’ के तनवामसयों की सिमतत के बबना इस क्षेत्र पर कधजा ककया
गया िै । और ‘संयुतत राष्ट्र भारत-पाककस्तान आयोग’ (UNCIP) द्वारा पाककस्तान को वववाहदत क्षेत्र से
अपनी सेना वापस बुलाने की जरूरत बताए जाने के बाद भी, पाक इस क्षेत्र पर अनाधधकृत कधजा
बनाए िुए िै ।
3. वपछले 60 वषों से अधधक समय से, धगलधगत-बाक्ल्टस्तान क्षेत्र को उधचत संवध
ै ातनक दजात, एक कायतशील
कानूनी प्रणाली और राजनीततक स्वायत्तता निीं ममली िै ।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप जानते िैं कक चीन, ‘कोिाला पनबबजली पररयोजना’ (Kohala hydropower project) के
तनमातण में पाककस्तान की मदद कर रिा िै? यि पररयोजना किां पर क्स्थत िै?
प्रीललभस ललंक & में स ललंक: धगलधगत-बाक्ल्टस्तान किां अवक्स्थत िै ? इस पर पाककस्तान का तनयंत्रण ककस प्रकार
िुआ? चचात कीक्जए। स्रोत: द हहंद।ू
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2. इलेक्रॉतनक िी़िा (ई-िी़िा)
संदिभ: तामलबान के पूरे अफगातनस्तान पर अपना तनयंत्रण करने की हदशा में अग्रसर िोने के साथ िी, िाल िी
में भारत सरकार द्वारा अफगान नागररकों को जारी ककए गए सभी वीजा ‘अमान्य’ या रद्द करने के फैसला
ककया गया िै , इसमें वपछले कुछ मिीनों में जारी ककए गए लगभग 2,000 वीजा भी शाममल िै ।
इसके बाद, सभी अफ़गान नागररकों को भारत में प्रवेश करने िे तु केवल ऑनलाइन माध्यम से ववशेष ई-वीजा (e-
visas) के मलए आवेदन करना िोगा।
आिश्यकता:
भारत सरकार के मलए धचंता का ववषय यि था, कक वीजा िामसल करने के मलए अफगान नागररकों द्वारा जमा
ककए जाने वाले पासपोटत काबुल क्स्थत भारतीय दत
ू ावास और ‘भारतीय वीजा केंद्र’ में इकट्ठे ककए जाते िैं, जोकक
िारत विरोधी आतंकिादी समूहों के िाथों में जा सकते िैं। इसे दे खते िुए, गि
ृ मंत्रालय ने इन सभी वीजा को
रद्द करने का फैसला ककया िै ।
‘ई-िीजा’ क्या है?
• ई-वीजा (e-visa) प्रणाली वषत 2014 में सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई पद्धतत िै । वषत 2017-2018
में इस सुववधा को ववस्ताररत ककया गया था।
• इस प्रणाली की बुतनयाद, वषत 2010 में जापान, मसंगापुर, कफ़नलैंि, लतजमबगत और न्यूजीलैंि के मलए शुरू
की गयी ‘टूररस्ट िी़िा ऑन अराइिल’ (TVOA) योजना में दे खी जा सकती िै ।
• सरकार ने TVOA योजना को ‘इलेतरॉतनक यात्रा प्राधधकरण’ (Electronic Travel Authorisation) के साथ
ववलय कर हदया, क्जसके पररणामस्वरूप ‘ई-वीजा’ प्रणाली ववकमसत िुई।
• ववदे शी नागररकों के मलए ‘वीजा’ जारी करने िे तु ‘गि
ृ मंत्रालय’ एक प्रमख
ु एजेंसी िै ।
पात्रता: ‘ई-वीजा’ क्जसे इलेतरॉतनक वीजा भी किा जाता िै , पांच श्रेणणयों में प्रदान ककया जाता िै - पयतटन,
व्यवसाय, सपमेलन, धचककत्सा और धचककत्सा-पररचयात।
अपिाद:
• यि सुववधा पाककस्तान के नागररकों के मलए उपलधध निीं िै , और पाककस्तानी नागररकों को भारत आने
के मलए इस्लामाबाद क्स्थत भारतीय उच्चायोग से तनयममत वीजा के मलए आवेदन करना िोता िै ।
• ‘ई-वीजा’ ववदे शी राजनतयकों के मलए मान्य निीं िोता िैं। इनके मलए अलग से वीजा प्रदान ककया जाता
िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: ककन ववदे शी दे शों को भारत में प्रवेश िे तु वीजा मुतत सुववधा प्रदान की जाती िै?
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:द्ववपक्षीय, क्षेत्रीय और वैक्श्वक समूि और भारत से संबंधधत और/अथवा भारत के हितों को प्रभाववत करने
वाले करार।
1. ‘गोगरा’ और ‘हॉट म्स्प्रंग’ पर अिी कोई समझौता नहीं
संदिभ: भारत, वपछले वषत शरू
ु िुए चीन के साथ गततरोध का अंत करने िे तु, पूवी लद्दाख में क्स्थतत को व्यापक
रूप से सामान्य करने के मलए दबाव बना रिा िै , क्जसमे टकराव के सभी बबंदओ
ु ं से सेनाओं की वापसी, यद् ु ध
की तीव्रता में कमी और गश्त के मलए एक नए प्रोटोकॉल पर ववचार करना शाममल िै । इस प्रकक्रया तित
भारत-चीन के मध्य ववमभन्न स्तरों पर बैठकें की जा रिी िैं।
अब तक की प्रगतत:
• अब तक, ‘पैंगोंग त्सो’ के उत्तरी और दक्षक्षणी ककनारों पर पूरी तरि से सैन्य-वापसी िो चुकी िै ।
• िालांकक, पूवी लद्दाख के ‘गोगरा’ (Gogra) और ‘िॉट क्स्प्रंग्स’ (Hot Springs) में सैन्य-वापसी िे तु, दोनों
पक्ष अभी तक ककसी समझौते पर निीं पिुंचे िैं।
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िारत-चीन सीमा:
1. भारत और चीन परस्पर 3,488 ककलोमीटर लंबी सीमा साझा करते िैं। दभ
ु ातग्य से, यि पूरी सीमा
वववाहदत िै । दोनों दे शों के मध्य सीमांकन करने वाली रे खा को, सर िे नरी मैकमोिन के नाम पर
‘मैकमोिन रे खा’ (McMahon line) किा जाता िै
2. वषत 1913 में , बब्रहटश-भारत सरकार ने एक बत्रपक्षीय सपमेलन बुलाया गया था, क्जसमें भारतीय और
ततधबततयों के बीच वातात के पश्चात ् भारत और ततधबत के बीच की सीमा को औपचाररक रूप हदया गया
था। इस सपमलेन में एक अमभसमय भी लागू ककया गया था, क्जसके तित भारत-ततधबत सीमा का
पररसीमन ककया गया। िालाँकक, चीन द्वारा इस सीमा को अवैध बताया जाता िै , और इसे वववाहदत
करार हदया गया िै ।
3. वषत 1957 में चीन ने ‘अतसाई धचन’ पर कधजा कर मलया और इस क्षेत्र से िोकर एक सड़क का तनमातण
ककया। इस प्रकरण के बाद से, सीमा पर कई बार झड़पें िुईं, जो अंतताः 1962 के सीमा-यद् ु ध में पररणत
िुईं। युद्ध के बाद बनी सीमा को ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’ (Line of Actual Control - LAC) के रूप में
जाना जाने लगा। इस सीमा-रे खा पर सेना का कधजा रिता िै ।
‘िास्तविक तनयंत्रण रे खा’ (LAC) का अिलोकन:
इस रे खा को तीन क्षेत्रों में ववभाक्जत ककया गया िै : यि, पूवी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदे श और मसक्तकम (1346
ककमी), मध्य क्षेत्र में उत्तराखंि और हिमाचल प्रदे श (545 ककमी), और पक्श्चमी क्षेत्र में लद्दाख (1597 ककमी) तक
ववस्तत
ृ िै ।
• पूवी क्षेत्र में ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’, 1914 की मैकमोिन रे खा के साथ संरेणखत िै ।
• मैकमोिन रे खा द्वारा बब्रटे न और ततधबत के बीच पिले से गैर-दावा यत
ु त / अपररभावषत सीमाओं को
धचक्ह्नत ककया गया था।
• भारत-चीन के बीच ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’ का मध्य क्षेत्र सबसे कम वववाहदत क्षेत्र िै , जबकक पक्श्चमी
क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सीमा-रे खा का सवातधधक उल्लंघन ककया गया िै ।
समय की मांग:
1. दोनों पक्षों द्वारा ‘वास्तववक तनयंत्रण रे खा’ (LAC) को स्वीकार और इसका सपमान ककया जाना चाहिए।
2. ककसी भी पक्ष द्वारा, यथाक्स्थतत को एकतरफा बदलने का प्रयास निीं करना चाहिए।
3. दोनों पक्षों द्वारा सभी समझौतों का पूरी तरि से पालन ककया जाना चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप जानते िैं ‘चुशुल’ किाँ अवक्स्थत
िै ? इसके नामकरण का तया इततिास िै ?
प्रीललभस ललंक:
1. LoC तया िै और इसे ककस प्रकार तनधातररत ककया
गया िै ? इसका भौगोमलक ववस्तार और मित्व?
2. LAC तया िै?
3. नाथू ला किाँ िै ?
4. पैंगोंग त्सो किाँ िै ?
5. अतसाई धचन का प्रशासन कौन करता िै ?
6. ‘नाकू ला’ किाँ िै ?
7. पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र पर ककसका तनयंत्रण िै ?
में स ललंक: भारत और चीन के मलए ‘पैंगोंग त्सो’ के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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2. समद्र
ु ी सहयोग बढ़ाने हे तु िारत का 5 सत्र
ू ी एजेंिा
संदिभ: िाल िी में , प्रधान मंत्री नरें द्र मोदी द्वारा ‘समुद्री सुरक्षा में वद्
ृ धध’ (Enhancing Maritime Security) ववषय
पर संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में एक खुली बिस की अध्यक्षता की गयी।
इसके बाद, संयत
ु त राष्ट्र सरु क्षा पररषद द्वारा ‘समद्र
ु ी सरु क्षा’ पर भारत के अध्यक्षीय वततव्य को पाररत कर
हदया गया।
समुद्री क्षेत्र में ितभमान चुनौततयां:
समुद्री मागत, अंतरातष्ट्रीय व्यापार की जीवन रे खा िैं। परं तु:
1. समुद्री मागों का समुद्री-िकैती और आतंकवाद के मलए दरु
ु पयोग ककया जा रिा िै ।
2. कई दे शों के मध्य समद्र
ु ी वववाद जारी िैं और जलवायु पररवततन, भी समुद्री क्षेत्र से जुड़ा िुआ िै ।
समुद्री सहयोग बढ़ाने के ललए प्रधान मंत्री द्िारा तनधाभररत पांच सूत्री एजेंिा:
1. वैध समुद्री व्यापार की बाधाओं को दरू करना।
2. अंतरराष्ट्रीय कानन
ू के अनस
ु ार समद्र
ु ी वववादों का शांततपण
ू त समाधान।
3. प्राकृततक आपदाओं और गैर-राज्य अमभकतातओं (Non State Actors – NSA) से िोने वाले खतरे का
मुकाबला।
4. समुद्री संसाधनों का संरक्षण।
5. उत्तरदातयत्व-पूणत समुद्री संपकत को बढ़ावा दे ना।
समद्र
ु ी सहयोग बढ़ाने हे तु िारत के प्रयास:
1. क्षेत्र में सभी के मलए सुरक्षा और ववकास अथातत 'सागर' (Security and Growth for All in the Region-
SAGAR)।
2. वषत 2008 से, भारतीय नौसेना द्वारा हिंद मिासागर में समद्र
ु ी िकैती का मक
ु ाबला करने के मलए गश्त
जारी िै ।
3. व्िाइट मशवपंग इनफामेशन फ्यूजन सेंटर (White Shipping Information Fusion Centre)
4. कई दे शों में जल सवेक्षण और समुद्री सुरक्षा कममतयों के प्रमशक्षण िे तु सिायता।
5. भारत का 'िीप ओशन ममशन'
इंस्टा म्जज्ञास:ु ‘पॉलीमेटेमलक नोड्यल
ू ’ (Polymetallic nodules) किाँ पाए जाते िैं?
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:भारत के हितों पर ववकमसत तथा ववकासशील दे शों की नीततयों तथा राजनीतत का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
1. हांगकांग का प्रर्ासन
संदिभ: िाल िी में , िांगकांग की नेता ‘कैरी लैम’ (Carrie Lam) ने किा िै , कक वि ववदे शी प्रततबंधों का जवाब दे ने
के मलए िांगकांग में चीन की मख्
ु य भमू म के एक क़ानन
ू लागू ककए जाने का समथतन करती िैं।
यि इस बात का सबसे स्पष्ट्ट संकेत िै कक िांगकांग शिर, अब चीनी कानून को अपनाने के मलए तैयार िै ।
इस कानून को, बीक्जंग की ववधातयका के बजाय िांगकांग की ववधातयका के माध्यम से पेश ककए जाने का
प्रस्ताव ककया गया िै । इस क़ानून को िांगकांग के ‘लघ-ु संववधान’ (mini-constitution) की पररमशष्ट्ट में जोड़ा
जाएगा। िांगकांग के ‘ममनी-काक्न्स्टटूशन’ को ‘बेमसक लॉ’ के रूप में भी जाना जाता िै ।
‘प्रस्तावित कानन
ू ’ क्या है ?
1. बीक्जंग द्वारा जून माि में एक कानून पाररत ककया गया था, क्जसके तित चीनी नागररकों या संस्थाओं
के णखलाफ भेदभाव करने या ववभेदकारी तरीके लागू करने वाले व्यक्ततयों या इकाईयों को चीनी सरकार
की ‘प्रततबंध-रोधी सूची’ (anti-sanctions list) में रखा जा सकता िै ।
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2. चीन के कानून के तित, इस सूची में शाममल व्यक्ततयों को चीन में प्रवेश से वंधचत ककया जा सकता िै
या दे श से तनष्ट्कामसत ककया जा सकता िै ।
3. क़ानन
ू के तित, चीन में ऐसे व्यक्ततयों की संपवत्त को जधत या तनष्ट्क्रय ककया जा सकता िै । इनके मलए
चीन की संस्थाओं या नागररकों के साथ कारोबार करने से भी प्रततबंधधत ककया जा सकता िै ।
इस क़ानून को लागू करने की आिश्यकता:
संयुतत राज्य अमेररका और यूरोपीय संघ द्वारा, चीन पर व्यापार, िांगकांग और णझंक्जयांग के सुदरू पक्श्चमी
क्षेत्र को लेकर दबाव िालने की वजि से इस क़ानून को लाया गया िै ।
इस कानन
ू से जड़
ु ी गचंताएं और मद्
ु दे :
आलोचकों ने चेतावनी दे ते िुए किा िै , कक िांगकांग द्वारा इस कानून को लागू करने से ‘वैक्श्वक ववत्तीय केंद्र’
के रूप में इसकी प्रततष्ट्ठा कम िो सकती िै ।
हांगकांग का प्रर्ासन ककस प्रकार से होता है ?
िांगकांग, ‘एक दे श दो प्रणाली’ (One Country Two Systems) पद्धतत से प्रशामसत िोता िै । ‘िांगकांग’ और
‘मकाऊ’ ववशेष प्रशासतनक क्षेत्र िैं और दोनों पूवत उपतनवेश रि चुके िैं।
नीतत के अनुसार, ‘िांगकांग’ और ‘मकाऊ’, चीनी जनवादी गणराज्य का हिस्सा िोने के बावजूद, चीन की मुख्य
भूमम की नीततयों से मभन्न आधथतक और राजनीततक व्यवस्था अपना सकते िैं।
• िांगकांग, 1 जल
ु ाई, 1997 से वापस चीन के तनयंत्रण में आ गया था, और 20 हदसंबर, 1999 को ‘मकाऊ’
की संप्रभुता चीन को स्थानांतररत कर दी गई थी।
• इन क्षेत्रों की अपनी मुद्राएं, आधथतक और कानूनी प्रणामलयां िैं, ककं तु रक्षा और कूटनीतत बीक्जंग द्वारा
तय की जाती िै ।
• उनके लघ-ु संववधान 50 वषों तक - अथातत िांगकांग के मलए 2047 तक और मकाऊ के मलए 2049 तक
वैध िै । इस अवधध के बाद की व्यवस्था अभी स्पष्ट्ट
निीं िै ।
प्रीललभस ललंक:
1. िांगकांग के बारे में
2. यि कब स्वतंत्र िुआ?
3. ‘एक दे श दो प्रणाली’ पद्धतत के बारे में
4. प्रस्ताववत कानून की मुख्य ववशेषताएं
में स ललंक: प्रस्ताववत कानून के तनहिताथों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
2. चीन-ताइिान संबंध
संदिभ: चीन द्वारा ताइवान पर िाले जा रिे दबाव का प्रततरोध करने के मलए अमेररका और अन्य दे शों द्वारा
उठाए जा रिे कदमों के बीच, िाल िी में , ताइवान और अमेररकी अधधकाररयों के बीच एक बैठक आयोक्जत की
गई थी।
बीक्जंग द्वारा ताइवान पर चीन का दृक्ष्ट्टकोण स्वीकार करने िे तु दबाव िालने का अमभयान चलाया जा रिा िै ।
चीन चािता िै , कक ताइवान यि स्वीकार करे कक उसका द्वीपीय भू-भाग चीन का हिस्सा िै ।
संबंगधत प्रकरण:
• ताइवान के नागररकों द्वारा चीनी मुख्य भूमम के साथ राजनीततक एकीकरण की बीक्जंग की मांग को
जोरदार तरीके से खाररज कर हदया िै । इसके बाद से, चीन ने ताइवान पर राजनतयक, आधथतक और सैन्य
दबाव बढ़ा हदया िै ।
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• चीन ने काफी लंबे समय से ताइवान को संयुतत राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भाग लेने से
अवरुद्ध ककया िुआ िै और वषत 2016 में ताइवान के राष्ट्रपतत त्साई इंग-िेन के चुनाव के बाद से, इस
तरि का दबाव और अधधक बढ़ा हदया िै ।
चीन- ताइिान संबध
ं : पष्ट्ृ ठिूलम
चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीतत के जररए ताइवान पर अपना दावा करता िै । सन ् 1949 में चीन में
दो दशक तक चले गि
ृ युद्ध के अंत में जब 'पीपल्
ु स ररपक्धलक ऑफ चाइना' के संस्थापक माओत्से तुंग ने परू े
चीन पर अपना अधधकार जमा मलया तो ववरोधी राष्ट्रवादी पाटी के नेता और समथतक ताइवान द्वीप पर भाग
गए। इसके बाद से 'पीपल्
ु स ररपक्धलक ऑफ चाइना' ने ताइवान को बीक्जंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर
बल-प्रयोग करने का भी प्रण मलया िुआ िै ।
• चीन, ताइवान का शीषत व्यापार भागीदार िै । वषत 2018 के दौरान दोनों दे शों के मध्य 226 बबमलयन
िॉलर के कुल व्यापार िुआ था।
• िालांकक, ताइवान एक स्िर्ालसत दे र् है और िास्तविक रूप से स्ितंत्र िै , लेककन इसने कभी भी
औपचाररक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा निीं की िै ।
• "एक दे र्, दो प्रणाली" (one country, two systems) सूत्र के तित, ताइवान, अपने मामलों को खुद
संचामलत करता िै ; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यिस्था का उपयोग ककया जाता िै ।
वततमान में , चीन, ताइवान पर अपना दावा करता िै , और इसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दे ने वाले दे शों के
साथ राजनतयक संबंध निीं रखने की बात करता िै ।
िारत-ताइिान संबंध
• यद्यवप भारत-ताइवान के मध्य औपचाररक राजनतयक संबंध निीं िैं, कफर भी ताइवान और भारत
ववमभन्न क्षेत्रों में परस्पर सियोग कर रिे िैं।
• भारत ने वषत 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीतत का समथतन करने से इनकार कर हदया िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: चीन द्वारा "एक दे श, दो प्रणाली" सत्र
ू के तित ककन क्षेत्रों का प्रशासन ककया जाता िै?
प्रीललभस ललंक:
1. ताइवान की अवक्स्थतत और इसकी ऐततिामसक पष्ट्ृ ठभमू म।
2. वन चाइना नीतत के तित चीन द्वारा प्रशामसत क्षेत्र।
3. तया ताइवान का WHO और संयुतत राष्ट्र में प्रतततनधधत्व ककया
गया िै ?
4. दक्षक्षण चीन सागर में क्स्थत दे श।
5. कुइंग राजवंश (Qing dynasty)।
में स ललंक:
भारत- ताइवान द्ववपक्षीय संबंधों पर एक हटतपणी मलणखए।
स्रोत: द हिंद।ू
3. नये हालातों में िारत को अफगातनस्तान से क्यों और ककस प्रकार के संबंध बनाने चाहहए?
संदिभ:
िाल िी में , तामलबान ने अफ़गातनस्तान के अधधकाँश प्रमख
ु शिरों पर कधजा कर मलया िै , और अमेररका एवं
बब्रटे न द्वारा अपने नागररकों को दे श से बािर तनकालने के मलए सैतनकों को लगाया गया िै । इसके साथ िी,
तामलबान पूरे अफ़गातनस्तान पर अपना पूणत तनयंत्रण स्थावपत करने की क्स्थतत में पिुँच चुका िै
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संबंगधत प्रकरण:
अमरीका द्वारा अफ़गातनस्तान से वापस लौटने संबध
ं ी फैसला ककए जाने के बाद से गैर-सरकारी अमभकतात
‘तामलबान’ हिंसक प्रदशतन करते िुए सत्ता में वापसी के मलए आगे बढ़ता जा रिा िै ।
अफगातनस्तान और इसकी रणनीततक अिम्स्थतत:
अफ़गातनस्तान में म्स्थरता का महत्ि:
• अफ़गातनस्तान में तामलबान की बिाली का
असर इसके पड़ोसी मध्य एमशयाई दे शों जैसे
ताक्जककस्तान, उज़्बेककस्तान आहद में फैल
सकता िै ।
• तामलबान के पुनरुत्थान से इस क्षेत्र में ‘उग्रवाद’
कफर से क्जंदा िो जाएगा और यि क्षेत्र ‘लश्कर-
ए-तैयबा’, आईएसआईएस आहद के मलए एक
सुरक्षक्षत आश्रय स्थल बन सकता िै ।
• अफगातनस्तान में गि
ृ युद्ध िोने से मध्य
एमशया और उसके बािर के दे शों में शरणाथी
संकट उत्पन्न िो जाएगा।
• अफगातनस्तान की क्स्थरता से मध्य एमशयाई
दे शों को हिंद मिासागर क्षेत्र में क्स्थत बंदरगािों
तक - सबसे कम-दरू ी वाले मागत से - पिुंचने में
मदद ममलेगी।
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• अफगातनस्तान, मध्य-एमशया और शेष ववश्व के बीच एक पुल की भमू मका तनभाने वाली, क्षेत्रीय व्यापार
िे तु और सांस्कृततक रूप से, एक मित्वपूणत कड़ी िै ।
नए हालातों में , िारत के ललए ताललबान के साथ संपकभ स्थावपत करना क्यों जरूरी है ?
• अफ़गातनस्तान में अब तामलबान की मित्वपूणत उपक्स्थतत िै ।
• भारत पिले से िी अफगातनस्तान में भारी तनवेश कर चुका िै । अपनी 3 अरब िॉलर की पररसंपवत्तयों की
सुरक्षा िे त,ु भारत को अफगातनस्तान में सभी पक्षों के साथ संपकत स्थावपत करने चाहिए।
• तामलबान का पाककस्तान के साथ गिन राज्य संबंध बनाना, भारत के हित में निीं िोगा।
• यहद भारत ने अभी संपकत स्थावपत निीं ककए, तो रूस, ईरान, पाककस्तान और चीन, अफगातनस्तान के
राजनीततक और भ-ू राजनीततक भाग्य-तनमातता के रूप में उभरें गे, जो तनक्श्चत रूप से भारतीय हितों के
मलए िातनकारक िोगा।
• अमेररका ने क्षेत्रीय-संपको पर सबको चौंकाते िुए ‘अमेररका-उजबेककस्तान-अफगातनस्तान-पाककस्तान’ के
रूप में एक "तवाि" (Quad) का गठन करने की घोषणा की िै - क्जसमें भारत को शाममल निीं ककया
गया िै ।
• अपनी अथतव्यवस्था को बढ़ाने के मलए, चाबिार बंदरगाि के माध्यम से अफगातनस्तान के साथ व्यापार
करने संबधी भारत का प्रयास संकट में पड़ा िुआ िै ।
आिश्यकता:
• तामलबान द्वारा की जा रिी हिंसा पर रोक लगाकर, अफ़गान नागररकों की सुरक्षा िे तु सामूहिक रूप से
कायत करने की तत्काल आवश्यकता िै ।
• अफगातनस्तान को शंघाई सियोग संगठन (SCO) जैसे मध्य एमशयाई संगठन में पयाततत स्थान हदया
जाना चाहिए।
• अमरीका, ईरान, चीन और रूस को अफगातनस्तान में क्स्थरता बनाए रखने के मलए भारत को सकक्रय रूप
से शाममल करना चाहिए।
• शरणाथी संकट उत्पन्न िोने पर उसके मलए समेककत कारत वाई की जानी चाहिए।
• तनकटस्थ पड़ोमसयों के साथ शांतत बनाए रखने िे तु तामलबान के साथ भारत द्वारा संपकत स्थावपत ककए
जाने चाहिए।
इंस्टा म्जज्ञासु: अमेररका-तामलबान शांतत समझौते के बारे में जातनए।
प्रीललभस ललंक:
1. तामलबान के बारे में
2. अफगान संकट
3. नाटो के बारे में
4. अफगातनस्तान पररयोजनाओं में भारत का तनवेश
में स ललंक: नये िालातों में भारत को अफगातनस्तान से तयों और ककस प्रकार के संबंध बनाने चाहिए? चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
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इन तनणभयों के पीछे कारण:
• िाल िी में जारी ककए गए,चीन में की गयी दशकीय जनगणना आंकड़ों से पता चला िै , कक दे श की
जनसंख्या वद्
ृ धध दर,तेजी से घटती जा रिी िै ।
• चीन के राष्ट्रीय सांक्ख्यकी धयूरो के अनुसार, वपछले साल 12 करोड़ बच्चों का जन्म िुआ, जोकक 1961
के बाद सबसे कम िै ।
चीन में ‘िन चाइल्ि पॉललसी’ क्यों लागू की गई थी?
• चीन द्वारा ‘वन चाइल्ि पॉमलसी’ की शुरुआत वषत 1980 में की गई थी, उस समय चीन की जनसँख्या
लगभग एक अरब के करीब पिुंच रिी थी और कपयतु नस्ट पाटी को इस बात की धचंता थी कक दे श की
बढ़ती आबादी, आधथतक प्रगतत को बाधधत करे गी।
• इस नीतत को लागू करने के मलए कई तरीके अपनाए गए थे, क्जनके तित, एक बच्चा पैदा करने वाले
पररवारों के मलए आधथतक रूप से प्रोत्सािन, गभततनरोधकों को व्यापक रूप से उपलधध कराना और नीतत
का उल्लंघन करने वालों के णखलाफ प्रततबंध लगाना, आहद शाममल थे।
इस नीतत की आलोचनाएँ:
चीनी अधधकाररयों द्वारा लंबे समय तक इस नीतत को एक सफलता के रूप में बताया जाता रिा, और दावा
ककया गया कक, इस नीतत ने, लगभग 40 करोड़ लोगों को पैदा िोने से रोक कर दे श के समक्ष आने वाली
भोजन और पानी की कमी संबंधी गंभीर समस्याओं को टालने में मदद की िै ।
िालाँकक, एक बच्चे पैदा करने की सीमा, दे श में असंतोष का एक कारण भी थी, जैसेकक:
• इसके मलए, राज्य द्वारा जबरन गभतपात और नसबंदी जैसी क्रूर रणनीतत का इस्तेमाल ककया गया।
• यि नीतत, गरीब चीतनयों के मलए काफी अन्यायपण
ू त थी, तयोंकक अमीर लोग, नीतत का उल्लंघन करने
पर आधथतक प्रततबंधों का भग
ु तान कर सकते थे और गरीबों को दं ि भुगतना पड़ता था।
• इस नीतत को लागू करने के दौरान मानवाधधकारों का उल्लंघन ककया गया।
• इसने सामाक्जक तनयंत्रण करने के एक उपकरण के रूप में , प्रजनन सीमाओं को लागू करने का मागत
प्रशस्त ककया।
• इसने परु
ु षों के पक्ष में मलंगानप
ु ात को प्रभाववत ककया।
• इसकी वजि से कन्या भ्रण
ू ों के गभतपात में वद्
ृ धध िुई और इसी तरि अनाथालयों में पररत्यतत लड़ककयों
की संख्या बढ़ी।
• इसकी वजि से चीन में वद् ृ धो की संख्या में अन्य दे शों की तुलना में तीव्र वद्
ृ धध िुई, क्जससे दे श की
ववकास क्षमता प्रभाववत िुई।
इस नीतत को क्यों बंद कर हदया गया?
तेजी से बढ़ती वद्
ृ ध आबादी की वजि से आधथतक ववकास को नुकसान पिुचने के भय से सत्तारूढ़ कपयतु नस्ट
पाटी द्वारा एक-बच्चा नीतत’ (One-Child Policy) में बदलाव कर प्रत्येक वववाहित जोड़े को दो बच्चे पैदा करने
की अनम
ु तत दी गई।
आगे के सुधारों की क्या आिश्यकता थी?
िालांकक, ‘वन चाइल्ि पॉमलसी’ में छूट दे ने से दे श में युवा लोगों के अनुपात में कुछ सुधार तो िुआ ककं तु इस
नीतत पररवततन के मलए ‘आसन्न जनसांक्ख्यकीय संकट’ को टालने िे तु अपयाततत माना गया।
आगे की चुनौततयां:
ववशेषज्ञों का किना िै . कक केवल प्रजनन अधधकारों पर ढील दे ने से आगामी अवांतछत जनसांक्ख्यकीय बदलाव से
बचने में बिुत मदद निीं ममल सकती िै ।
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वततमान में कम बच्चे पैदा िोने के मुख्य कारण तनपनमलणखत िैं:
1. जीवन यापन, मशक्षा और वद्
ृ ध माता-वपता के भरण-पोषण की बढ़ती लागत
2. दे श में लंबे समय तक काम करने की संस्कृतत
3. कई दपपततयों का मानना िै कक एक बच्चा काफी िै , और वे अततररतत बच्चे पैदा करने में कोई
हदलचस्पी निीं हदखा रिे िैं।
चीन की नवीनतम जनगणना ररपोटत
इंस्टा म्जज्ञासु: उत्तर प्रदे श की दो बच्चा नीतत का संक्षक्षतत वववरण प्रातत करें ।
स्रोत: द हिंद।ू
2. ‘लसंगापर
ु अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’
संदिभ: िाल िी में , उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘फ्यूचर ररटे ल मलममटे ि’ (FRL) और ‘ररलायंस ररटे ल’ के मध्य
प्रस्ताववत ₹24,713 करोड़ ववलय सौदे के णखलाफ ई-कॉमसत हदग्गज ‘अमेजन’ के पक्ष में फैसला सुनाया गया िै ।
अदालत ने ‘मसंगापरु क्स्थत आपातकालीन मध्यस्थ’ (Emergency Arbitrator - EA) द्वारा अतटूबर 2020 में
सुनाए गए फैसले की वैधता और प्रवततनीयता को भी बरकरार रखा िै । इस फैसले में मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय
मध्यस्थता केंद्र (SIAC) द्वारा वैक्श्वक ई-कॉमसत हदग्गज अमेज़ॅन की याधचका पर ‘फ्यूचर-ररलायंस’ सौदे पर रोक
लगा दी गयी थी।
संबंगधत प्रकरण:
(नोट: मामले का केवल संक्षक्षतत अवलोकन करें । परीक्षा के दृक्ष्ट्टकोण से इस मामले के बारे में कोई वववरण
आवश्यक निीं िै ।)
फ्यूचर ग्रुप और ररलायंस इंिस्रीज मलममटे ि के मध्य अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपये का सौदा िुआ था,
क्जसके तित ‘फ्यच ू र ररटे ल’ की ररटे ल, िोलसेल, लॉक्जक्स्टतस और वेयरिाउमसंग इकाइयों को ‘ररलायंस ररटे ल’ और
‘फैशनस्टाइल’ के मलए बेचा जाना था।
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• अमेजन, ‘फ्यच
ू र ग्रुप’ का भारतीय साझेदार िै ।
• अमेज़ॅन का किना िै , कक फ्यूचर ग्रुप ने अपनी पररसंपवत्तयों को प्रततद्वंद्वी के मलए बेच कर साझेदारी
अनब
ु ंध का उल्लंघन ककया िै , और यि अमेज़ॅन को तबाि करना चािता िै । जबकक, ऋणों के बोझ टे ल
दबे ‘फ्यूचर ग्रुप’ का किना िै , कक यहद यि सौदा निीं िुआ तो वि बरबाद िो जाएगा।
उच्चतम न्यायालय का फैसला:
अदालत ने अपना फैसला सुनाते िुए किा, कक ‘मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (Singapore International
Arbitration Centre– SIAC) में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ (Emergency Arbitrator) द्वारा हदया गया तनणतय,
‘मध्यस्थता और सल
ु ि अधधतनयम,’ 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996 Act) की धारा 17 के तित
‘मध्यस्थ न्यायाधधकरण’ द्वारा जारी आदे श के समान िै ।
• अताः ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ का तनणतय, अधधतनयम की धारा 17(1) (मध्यस्थ न्यायाधधकरण द्वारा
आदे मशत अंतररम उपाय) के तित जारी एक आदे श की तरि िै ।
• इसमलए, मध्यस्थता अधधतनयम की धारा 37 के तित, ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ के आदे श को लागू करने
के आदे श के णखलाफ कोई अपील मान्य निीं िोगी।
अमे़िन द्िारा SIAC में मामला क्यों ले जाया गया?
आमतौर पर, ककसी सौदे में पक्षकारों द्वारा एक ‘अनुबध
ं समझौते’ पर िस्ताक्षर ककए जाते िैं, क्जसमे
तनपनमलणखत ववषयों के बारे में स्पष्ट्ट ककया जाता िै :
1. मध्यस्थता करने वाली मध्यस्थ संस्था
2. लागू िोने वाले तनयम
3. मध्यस्थता की जगि
इस मामले में अमेज़ॅन और फ्यूचर ग्रुप ने अपने समझौते के तित, अपने वववादों को ‘मसंगापुर अंतरराष्ट्रीय
मध्यस्थता केंद्र’ (SIAC) में तनपटाने पर सिमतत व्यतत की थी। अताः अनुबध
ं के अनुसार, मामले को तनपटाने
िे तु मसंगापुर संभवताः उधचत जगि थी।
3. िारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद् में स्थायी सीट के ललए दािा
संदिभ:
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद् (UNSC) में भारत के स्थायी सीट के दावे पर, बबिेन के नेतत्ृ व में अमेररकी प्रशासन
द्वारा समथतन हदए जाने पर अभी तक कोई प्रततबद्धता जाहिर निीं की गयी िै ।
िालांकक, ओबामा और रपप प्रशासन ने सरु क्षा पररषद में भारत के मलए स्थायी सीट हदए जाने का समथतन ककया
था।
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अमेररका का दृम्ष्ट्टकोण:
अमेररका द्वारा स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के संदभत में - संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) के ववस्तार
िे तु आम सिमतत बनाने के मलए सशतत समथतन दे ने का प्रस्ताव ककया गया िै । तथावप, अमेररका का किना िै ,
कक वि पांच स्थायी सदस्यों (P-5) - चीन, फ्रांस, रूस, बब्रटे न और यू.एस. - को हदए ‘वीटो’ में ववस्तार का समथतन
निीं करे गा।
सुरक्षा पररषद में िारत की स्थायी सदस्यता पर और ककसने विरोध ककया है ?
आम सिमतत के मलए एकजुट (Uniting for Consensus) समूि - पाककस्तान, दक्षक्षण कोररया, इटली और अजेंटीना
– द्वारा G-4 योजना का ववरोध ककया गया िै । चीन भी, सरु क्षा पररषद में भारत और जापान के स्थायी
सदस्यता के दावों का ववरोध करता िै ।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा पररषद में स्थायी सदस्यता हे तु िारत द्िारा तनभनलखखत आधारों पर दािा ककया जाता है :
6. भारत, संयत
ु त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य िै ।
7. भारत, ववश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और दस
ू रा सबसे अधधक आबादी वाला दे श भी िै ।
8. जिाँ कुछ अन्य दे श संयत
ु त राष्ट्र संघ को केवल एक बातों की दक
ु ान के रूप में मानते िैं, विी भारत
ने िमेशा अपने मसद्धांतों और साख को कायम रखा िै ।
9. संयुतत राष्ट्र शांतत सेना (UNPKF) में प्रभावशाली योगदान।
10. एक उभरती िुई आधथतक शक्तत।
6. संयक्
ु त राष्ट्र र्ांतत-सैतनक
संदिभ: ववदे श मंत्री,एस जयशंकर द्वारा संयत
ु त राष्ट्र के साथ साझेदारी में ‘संयुतत राष्ट्र शांतत-सैतनकों’ (UN
peacekeepers) की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करने िे तु ‘संयुतत राष्ट्र - यूनाइट अवेयर’ (UN — UNITE Aware)
नामक एक तकनीकी तलेटफ़ॉमत शुरू करने की घोषणा की गयी िै । इस तलेटफ़ॉमत का संयुतत राष्ट्र के चार
ममशनों में उपयोग ककया जा रिा िै ।
संयुतत राष्ट्र सुरक्षा पररषद (UNSC) में , िाल िी में आयोक्जत ‘प्रौद्योधगकी और शांतत स्थापना’ ववषय पर खल
ु ी
बिस के दौरान इसकी घोषणा की गई थी।
विदे र् मंत्री द्िारा र्ांतत सैतनकों की सरु क्षा हे तु चार सत्र
ू ी रूपरे खा:
1. अपने तनमातण में पयातवरण के अनुकूल, उपयोधगता साबबत कर चुकी, लागत प्रभावी और क्षेत्र-सेवा योग्य
प्रौद्योधगककयों को तैनात ककए जाने की आवश्यकता।
2. शांतत सैतनकों के मलए अच्छी सूचना और खुकफया जानकारी की जरूरत।
3. सटीक क्स्थतत और भूमम के ऊपर से दृश्यधचत्रण की आवश्यकता।
4. प्रौद्योधगकी के संबंध में क्षमता तनमातण और शांततरक्षकों के प्रमशक्षण में तनवेश।
बैठक के पररणाम:
भारत और संयुतत राष्ट्र के बीच "शांतत व्यवस्था में प्रौद्योधगकी के मलए साझेदारी" पिल और शांतत कायतवाहियों
िे तु संयुतत राष्ट्र C4ISR अकादमी (UN C4ISR Academy for Peace - UNCAP) में सियोग िे तु एक समझौता ज्ञापन
की घोषणा की गई िै ।
यूनाइट अिेयर (UNITE AWARE)
UNITE AWARE, संयुतत राष्ट्र शांतत सैतनकों को इलाके से संबंधधत जानकारी प्रदान करने और उनकी सुरक्षा
सुतनक्श्चत करने में सिायता करने िे तु, भारत द्वारा ववकमसत एक मोबाइल तकनीकी तलेटफॉमत िै । इसे संयुतत
राष्ट्र के “डिपाटतमेंट ऑफ पीसकीवपंग ऑपरे शंस और ऑपरे शनल सपोटत डिपाटत मेंट” के साथ साझेदारी में ववकमसत
ककया जा रिा िै ।
भारत द्वारा इस पररयोजना के मलए 1.64 मममलयन अमरीकी िालर खचत ककए गए िैं।
संयुक्त राष्ट्र र्ांतत सुरक्षा अलियानों का वित्त पोषण ककस प्रकार ककया जाता है ?
• यद्यवप, शांतत सुरक्षा अमभयानों को शुरू करने, जारी रखने या ववस्तार करने के बारे में तनणतय, सुरक्षा
पररषद द्वारा मलए जाते िैं, ककं तु इन संयत
ु त राष्ट्र शांतत अमभयानों का ववत्तपोषण, संयत
ु त राष्ट्र के
सभी सदस्य दे र्ों की सामूहहक म्जभमेदारी िोती िै ।
• संयुतत राष्ट्र चाटभ र के अनुच्छे द 17 के प्रािधानों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र शांतत अमभयानों के
मलए तनधातररत रामश का भग
ु तान करने के मलए कानन
ू ी रूप से बाध्य िै ।
विषय:प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृवष सिायता तथा न्यूनतम समथतन मूल्य से संबधं धत ववषय; जन ववतरण प्रणाली-
उद्दे श्य, कायत, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सरु क्षा संबंधी ववषय; प्रौद्योधगकी ममशन; पशु पालन संबध
ं ी
अथतशास्त्र।
1. िोजन की परोक्ष लागत
(Hidden costs of food)
संदिभ:
संयुतत राष्ट्र की एक ररपोटत के अनुसार:
• िमारे द्वारा उपभोग ककए जाने वाले भोजन की कीमत, वास्तववक लागत की लगभग एक ततिाई िोती
िै , इसमें पयातवरण और मानव स्वास््य की परोक्ष लागत भी शाममल िोती िै ।
• ये परोक्ष लागतें या ‘बाह्य कीमतें ’, जो िातनकारक खाद्य पदाथों के बाजार मूल्य में प्रततबबंबबत निीं
िोती िैं और संविनीय एवं स्वस्थ भोजन को मिं गा बना दे ती िैं।
• इसके अलावा, बािरी लागतों को छोड़ दे ने से, पयातवरण-क्षतत, खाद्य असुरक्षा में वद्
ृ धध, स्वास््य संबध
ं ी
जोणखम और श्रममकों के मलए कम भुगतान एवं असमानता जैसी सामाक्जक बुराइयों में वद्
ृ धध िोती िै ।
‘िोजन की िास्तविक लागत’ क्या हैं?
िमारी वततमान खाद्य प्रणाली में , प्राकृततक पयातवरण और मानव स्वास््य संबंधी परोक्ष लागतें बड़ी संख्या में
मौजूद रिती िैं, क्जनमे पेरोमलयम आधाररत उवतरक और कीटनाशकों के उपयोग से लेकर मद
ृ ा-क्षरण, जल प्रदष
ू ण,
जलवायु पररवततन और मोटापे की वैक्श्वक बीमारी आहद को शाममल ककया जा सकता िै ।
ये लागतें , खाद्य सामग्री की सामान्य उत्पादन लागतों के अलावा िोती िैं, और इन सबको ममलकर "भोजन की
वास्तववक लागत" बनती िै।
2. चीनी का न्यन
ू तम विक्रय मल्
ू य
संदिभ:
िाल िी में , केंद्र सरकार द्वारा 2021-22 के ववपणन वषत (अतटूबर-मसतंबर) के मलए गन्ने का ‘उधचत और
लाभकारी मूल्य’ (Fair & Remunerative Price- FRP) में वद्
ृ धध करते िुए 290 रुपये प्रतत क्तवंटल तनधातररत कर
हदया गया िै । अब चीनी ममलों को गन्ना-उत्पादक ककसानो को पिले दी जा रिी कीमत से 5 रुपये प्रतत क्तवंटल
अधधक चक
ु ाना िोगा।
इस तनणभय का महत्ि:
सरकार के इस तनणतय से पांच करोड़ गन्ना ककसानों और उनके आधश्रतों के साथ-साथ चीनी ममलों और संबंधधत
उद्योगों में कायतरत पांच लाख श्रममकों को लाभ िोगा।
विषय:भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबधं धत उद्योग- कायतक्षेत्र एवं मित्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ,
आपूततत श्रंख
ृ ला प्रबंधन।
1. विर्ेषज्ञों द्िारा ‘फूि फोहटभ कफकेर्न को अतनिायभ’ ककए जाने पर चेतािनी
संदिभ: िाल िी में , ववशेषज्ञों द्वारा ‘फूि फोहटतकफकेशन’ अथातत ‘खाद्यान्न को पोषणयुतत बनाने’ (Food
Fortification) के कारण मानव स्वास््य और आजीववका पर प्रततकूल प्रभाव पड़ने के संबंध में आगाि ककया
गया िै ।
संबंगधत प्रकरण:
केंद्र सरकार द्वारा चावल और खाद्य तेलों को ववटाममन एवं खतनजों से पोषणयुतत बनाने (fortify) को अतनवायत
करने पर ववचार ककया जा रिा िै ।
• ककं त,ु ववशेषज्ञों का किना िै कक इन खाद्य सामगग्रयों में कृबत्रम सूक्ष्म पोषक तत्ि लमलाने से
उपभोतताओं के स्वास््य को नक
ु सान पिुंच सकता िै ।
• इसके बजाय, आहार में विविधता और प्रोटीन की खपत अगधक ककए जाने से, भारत में कुपोषण की
समस्या को िल ककया जा सकता िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम: चावल को पोषणयुतत बनाने (Fortification of Rice) तथा सािभजतनक वितरण प्रणाली के जररए इसके
ववतरण को मजबूत करने िे तु केन्द्र प्रायोम्जत पायलट योजना लागू करने के मलए 15 राज्यों की पिचान की गई
िै ।
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इस पायलट योजना को 2019-2020 से आरं भ िोकर तीन साल की अवधध के मलए मंजूरी दी गई िै ।
‘फ़ूि फोहटभकफकेर्न’ से जुड़े मुद्दे :
• वततमान में , ‘फ़ूि फोहटतकफकेशन’ का समथतन करने वाले साक्ष्य अधरू े िै , और तनक्श्चत रूप से एक
मित्वपूणत राष्ट्रीय नीतत लागू करने के मलए पयाततत निीं िैं।
• ‘फ़ूि फोहटतकफकेशन’ को बढ़ावा दे ने के मलए ‘भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधधकरण’ (Food Safety
and Standards Authority of India - FSSAI) क्जन स्टिी-ररपोट्तस का िवाला दे ता िै , उनमे से अधधकाँश
अध्ययन, ‘फ़ूि फोहटत कफकेशन’ से लाभ उठाने वाली ‘खाद्य कंपतनयों’ द्वारा प्रायोक्जत ककए गए थे।
• ‘फ़ूि फोहटतकफकेशन’ को अतनवायत ककए जाने से तेल और चावल की स्थानीय ममलों सहित भारतीय
ककसानों और खाद्य प्रसंस्करणकतातओं की व्यापक अनौपचाररक अथतव्यवस्था को भी नुकसान िोगा, और
बिुराष्ट्रीय तनगमों के केवल एक छोटे से समूि को लाभ िोगा।
• साथ िी, खाद्य पदाथों के रासायतनक पोषणकरण करने के साथ एक बड़ी समस्या यि िै , कक पोषक
तत्व पथ
ृ क रूप से कायत निीं करते िैं, बक्ल्क इष्ट्टतम अवशोषण के मलए इन तत्वों का एक साथ िोना
आवश्यक िोता िै ।
आिश्यकता:
भारत में अल्पपोषणता का एक कारण, यिाँ के लोगों की सदै व एक जैसी अनाज-आधाररत खुराक भी िै , क्जसमे
सक्धजयों और पश-ु आधाररत प्रोटीन की मात्रा काफी कम िोती िै । अताः खाद्य सामग्री को पोषणयत
ु त बनाने की
बजाय, ‘आिार में वववधता’ कुपोषण से तनपटने िे तु एक अधधक स्वस्थ और लागत प्रभावी तरीका िै ।
‘फूि फोहटभकफकेर्न’ क्या है ?
ववश्व स्वास््य संगठन (WHO) के अनस
ु ार, ‘फूि फोहटतकफकेशन’ के द्वारा, ककसी खाद्यान्न को पोषणयत
ु त बनाने
िे तु उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अथातत ् ववटाममन और खतनज तत्वों की मात्रा में वद्
ृ धध की
जाती िै । इसका उद्दे श्य आपूततत ककए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गण
ु वत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम
जोणखम के साथ उपभोतताओं को स्वास््य लाभ प्रदान करना िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘कृवष-ववज्ञानी जैव संवधतन’ (Agronomic biofortification) ‘एग्रोनॉममक बायोफोहटत कफकेशन’
के बारे में जानते िैं? जैव संवधतन’ (बायो-फोहटतकफकेशन) और ‘फूि फोहटतकफकेशन’ में तया अंतर िै?
प्रीललभस ललंक:
1. जैव फोहटत कफकेशन बनाम आनुवंमशक पररवततन
2. सूक्ष्म पोषक बनाम वि
ृ द पोषक तत्व
3. भारत में जैव उवतरक और जीएम फसलों के मलए स्वीकृतत
4. भारत में अनम
ु तत प्रातत जीएम फसलें
में स ललंक: ककसी खाद्यान्न को पोषणयत
ु त बनाने से आप तया समझते िैं? इसके फायदों के बारे में चचात
कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
विषय:उदारीकरण का अथतव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योधगक नीतत में पररवततन तथा औद्योधगक ववकास पर इनका
प्रभाव।
1. हदिाला और हदिाललयापन संहहता (संर्ोधन) विधेयक, 2021
संदिभ: िाल िी में , हदवाला और हदवामलयापन संहिता (संशोधन) ववधेयक, 2021 (Insolvency and Bankruptcy Code
(Amendment) Bill, 2021), राज्यसभा ने पाररत कर हदया गया।
नोट: वपछले सतताि िी इस ‘लेख’ को िम ववस्तार से कवर कर चक
ु े िैं, कुछ हदन पूवत िी इस ववधेयक को
लोकसभा द्वारा पाररत ककया गया था।
https://epaper.thehindu.com/Home/MSareArticle?OrgId=GEI8RAEU2.1&imageview=0.
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विषय:बुतनयादी ढाँचााः ऊजात, बंदरगाि, सड़क, ववमानपत्तन, रे लवे आहद।
1. हाइड्रोजन ईंधन
संदिभ: वषत 2030 तक रे लवे को शन्
ू य काबतन-उत्सजतक बनाने के ममशन (Mission Net Zero Carbon Emission
Railway) के तित, भारतीय रे ल, िाइड्रोजन ईंधन (Hydrogen Fuel) आधाररत तकनीक पर रे नें चलाने के मलए
तैयार िै । इसके मलए, मौजद
ू ा रे नों के पुनाःसंयोजन करने / रे रोकफहटंग (Retrofitting) करने पर ववचार ककया जा
रिा िै ।
‘हाइड्रोजन ईंधन’ क्या है ?
िाइड्रोजन, आितभ सारणी में सबसे हल्का और पहला तत्ि िै । चंकू क, िाइड्रोजन का भार, िवा के भार से कम
िोता िै , इसमलए यि वायुमि
ं ल में ऊपर की ओर उठ कर फ़ैल जाता िै और यिी कारण िै , कक इसे अपने र्ुद्ध
रूप ‘H2’ में मुक्श्कल से िी कभी पाया जाता िै ।
• मानक ताप और दाब पर, िाइड्रोजन, एक गैर-ववषातत, अधाक्त्वक, गंधिीन, स्वादिीन, रं गिीन और
अत्यगधक दहनर्ील द्विपरमाणुक गैस िै ।
• िाइड्रोजन ईंधन, ऑतसीजन के साथ दिन करने पर ‘शून्य-उत्सजतन’ करने वाला ईंधन िै । इसका उपयोग
ईंधन सेलों अथिा आंतररक दहन इंजनों में ककया जा सकता है । अंतररक्ष यान प्रणोदनों (spacecraft
propulsion) के मलए ईंधन के रूप में भी िाइड्रोजन का उपयोग ककया जाता िै ।
हाइड्रोजन की उत्पवत्त:
• यि ब्रह्मांि में पाया जाने वाला सबसे प्रचुर तत्व िै । सूयत और अन्य तारे , व्यापक रूप से िाइड्रोजन से
तनममतत िोते िैं।
• खगोलववदों का अनुमान िै , कक ब्रह्मांि में पाए जाने वाले 90% परमाणु, िाइड्रोजन परमाणु िैं। ककसी भी
अन्य तत्व की तुलना में , िाइड्रोजन, सवातधधक योधगकों का एक घटक िोता िै ।
• प्
ृ वी पर पाए जाने वाले िाइड्रोजन का सवातधधक प्रचरु यौधगक ‘जल’ िै ।
• प्
ृ वी पर प्राकृततक रूप से पाए जाने वाले जल-तनकायों में आणववक िाइड्रोजन निीं पाया जाता िै ।
• प्
ृ वी पर अधधकांशताः िाइड्रोजन, जल और ऑतसीजन के साथ तथा जीववत या मत
ृ अथवा या जीवाश्म
जैवभार में , काबतन के साथ यक्ु ग्मत िोती िै । जल को िाइड्रोजन और ऑतसीजन के रूप में ववखंडित
करके िाइड्रोजन का तनमातण ककया जा सकता िै ।
िंिारण:
• िाइड्रोजन को भौततक रूप से अथवा गैस या तरल के रूप में संग्रिीत ककया जा सकता िै ।
• गैस के रूप में िाइड्रोजन का भंिारण करने िे तु आमतौर पर उच्च दाब वाले टैंक की आवश्यकता िोती
िै ।
• तरल के रूप में िाइड्रोजन का भंिारण करने के मलए क्रायोजेतनक तापमान की जरूरत िोती िै , तयोंकक
िाइड्रोजन का तवथनांक एक वायुमंिलीय दाब पर −252.8 ° C िोता िै ।
• िाइड्रोजन के मलए ठोस पदाथों की सति पर (adsorption / अधधशोषण द्वारा) अथवा ठोस पदाथों के
भीतर (absorption / अवशोषण द्वारा) संग्रिीत ककया जा सकता िै ।
ग्रीनहाउस गैस उत्सजभन को कम करने में स्िच्छ हाइड्रोजन उद्योगों की क्षमता:
• िाइड्रोजन ईंधन के उपयोग से उत्सक्जतत िोने वाला एकमात्र उप-उत्पाद ‘जल’ िोता िै – क्जस कारण यि
ईंधन 100 प्रततशत स्वच्छ िो जाता िै ।
• िाइड्रोजन को, शन्
ू य-उत्सजतन इलेक्तरक वािनों में ईंधन सेलों की शक्तत, घरे लू उत्पादन में इसकी क्षमता
और ईंधन सेलों की उच्च दक्षता क्षमताओं के कारण, एक वैकक्ल्पक ईंधन माना जाता िै ।
• वास्तव में , इलेक्तरक मोटर के साथ फ्यूल सेल/ ईंधन सेल, गैस-चामलत आंतररक दिन इंजन की तुलना
में दो से तीन गुना अधधक कुशल िै ।
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• इलेक्तरक मोटर के साथ ममलकर एक ईंधन सेल दो से तीन गुना अधधक कायतक्षम िोते िै ।
• िाइड्रोजन, आंतररक दिन इंजनों के मलए ईंधन के रूप में भी काम कर सकता िै ।
• 2.2 पाउं ि (1 ककलोग्राम) िाइड्रोजन गैस की ऊजात, 1 गैलन (6.2 पाउं ि/ 2.8 ककलोग्राम) गैसोलीन की ऊजात
के बराबर िोती िै ।
इस संबंध में ककये जा रहे प्रयास:
• िाल िी में , केंद्रीय बजट में ववत्त मंत्री द्वारा वषत 2020-21 के मलए औपचाररक रूप से ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन
ऊजात ममशन’ (NHM) की घोषणा की गई, क्जसका उद्दे श्य िररत ऊजात संसाधनों से िाइड्रोजन का
उत्पादन करना िै ।
• नवीन एवं नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय (MNRE) ने स्पष्ट्ट ककया िै कक ‘राष्ट्रीय िाइड्रोजन ऊजात ममशन’ के
मलए इस मिीने के अंत तक मसौदा तनयमों को अंततम रूप दे हदया जाएगा और इसके बाद मसौदा
तनयमों को मंबत्रमंिल के अनम
ु ोदन िे तु भेजा जाएगा।
िारत के समक्ष चुनौततयां:
1. िररत अथवा नीले िाइड्रोजन के तनष्ट्कषतण की आधथतक संधारणीयता, िाइड्रोजन का व्यावसातयक रूप से
दोिन करने के मलए उद्योगों के सामने भारी चुनौततयों में से एक िै ।
2. िाइड्रोजन के उपयोग तथा उत्पादन में प्रयुतत िोने वाली प्रौद्योधगकी, जैसेकक ‘काबतन कैतचर एंि स्टोरे ज
(CCS), अभी प्रारक्पभक चरण में िैं और काफी मिं गी िै , क्जससे िाइड्रोजन की उत्पादन-लागत काफी
अधधक िो जाती िै ।
3. ककसी संयंत्र के पूरा िोने के बाद ईंधन सेलों (fuel cells) की रखरखाव लागत काफी मिं गी िो सकती िै ,
जैसाकक दक्षक्षण कोररया में िै ।
4. ईंधन के रूप में और उद्योगों में िाइड्रोजन के व्यावसातयक उपयोग िे तु, िाइड्रोजन के उत्पादन, भंिारण,
पररविन और मांग तनमातण के मलए अनुसध
ं ान और ववकास में भारी तनवेश की आवश्यकता िै ।
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आप ‘ग्रीन िाइड्रोजन’ के बारे में जानते िै ? इसके तया फायदे िैं?
स्रोत: पीआईबी।
स्रोत: द हिंद।ू
अनम
ु ातनत क्षमता:
अवसंरचना का तनमातण मुद्रीकरण से अतनवायत रूप से जुड़ा िुआ िै , इसे ध्यान में रखते िुए ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण
पाइपलाइन’ (NMP) के मलए समय तय ककया गया िै क्जससे ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ (NIP) के अंतगतत
शेष अवधध साथ-साथ समातत िो जाए।
चार साल की अवधध यानी ववत्त वषत 2022-25 के दौरान ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ के अंतगतत कुल संपवत्त
का अनम
ु ातनत मल्
ू य 6.0 लाख करोड़ रुपये िै ।
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वित्त िषभ 2022-25 के ललए क्षेत्र-िार मुद्रीकरण पाइपलाइन (करोड़ रुपये में ):
योजना का महत्ि:
पररसंपवत्त मुद्रीकरण को मसफत एक ववत्तपोषण से जुड़ी प्रकक्रया के रूप में निीं दे खा जाना चाहिए, बक्ल्क उसे तनजी
क्षेत्र की संसाधन क्षमता और उभरती वैक्श्वक एवं आधथतक वास्तववकताओं के अनरू
ु प खुद को गततशील रूप से
अनुकूमलत करने की उनकी क्षमता को ध्यान में रखते िुए बुतनयादी ढांचे के संचालन, उन्नयन और रख-रखाव में
समग्र बदलाव के रूप में दे खा जाना चाहिए।
• इस तरि के नए मॉिल न केवल ववत्तीय और रणनीततक तनवेशकों को बक्ल्क आम लोगों को भी इस
पररसंपवत्त वगत में भाग लेने में सक्षम बनाएंगे क्जससे तनवेश के नए रास्ते खुलेंगे।
• इसमलए, ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ दस्तावेज भारत के बुतनयादी ढांचे को वास्तव में ववश्व स्तरीय
बनाने की हदशा में एक मित्वपूणत कदम िै ।
‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ के समक्ष चुनौततयां:
1. ववमभन्न पररसंपवत्तयों में पिचान योग्य राजस्व स्रोतों का अभाव
2. गैस और पेरोमलयम पाइपलाइन नेटवकत में क्षमता उपयोग का स्तर
3. वववाद समाधान तंत्र
4. ववद्यत
ु क्षेत्र की आक्स्तयों में ववतनयममत प्रशल्
ु क
5. ‘फोर लेन’ से कम वाले राष्ट्रीय राजमागों में तनवेशकों की कम हदलचस्पी
6. स्वतंत्र क्षेत्रीय तनयामकों का अभाव
इंस्टा म्जज्ञासु: तया आपने ‘प्रततपूरक ववत्त पोषण सुववधा’ (Compensatory Financing Facility - CFF) के बारे में
सुना िै ? इसके उद्दे श्य तया िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP)के बारे में
2. मुख्य ववशेषताएं
3. प्रयोज्यता
4. लाभ
में स ललंक: ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ पररयोजना के मित्व पर चचात कीक्जए।
स्रोत: इंडियन एतसप्रेस।
इंस्टा म्जज्ञासु: ‘थ्री-स्टे ज िै वी मलफ्ट लॉन्च व्िीकल’ का तया अथत िै ? ववमभन्न चरणों में प्रयत
ु त िोने वाले ईंधन
कौन से िोते?
स्रोत: द हिंद।ू
स्रोत: द हिंद।ू
9. स्मॉग टॉिर
संदिभ: हदल्ली में चीन की तजत पर स्मॉग टावर (Smog towers) लगाए जा रिे िैं। चीन द्वारा अपनी राजधानी
बीक्जंग और अन्य शिरों में इस तकनीक का प्रयोग ककया जा रिा िै ।
हदल्ली सरकार प्रदष
ू ण पर स्मॉग टावरों के प्रभाव का अध्ययन करे गी और राष्ट्रीय राजधानी में इस तरि की
और संरचनाओं को स्थावपत कर सकती िै ।
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‘स्मॉग टॉिर’ क्या होते है ?
‘स्मॉग टावर’, बड़े पैमाने पर वायु-शोधक’ / एयर तयूरीफायर (Air Purifiers) के रूप में कायत करने िे तु डिजाइन
की गई संरचनाएं िैं।
• इनके तनचले हिस्से में ‘िवा को खीचने’ के मलए ‘एयर कफल्टर’ और ‘पंखो’ की कई परते लगायी गयी
िैं।
• प्रदवू षत िवा के स्मॉग टॉवर में प्रवेश करने के बाद, वातावरण में पुन: छोड़ने से पिले वायु को कई
परतों से गुजार कर शुद्ध ककया जाता िै ।
आिश्यकता: एक क्स्वस समि
ू द्वारा माचत में जारी एक ररपोटत के अनस
ु ार, हदल्ली लगातार तीसरे बार, वषत 2020
में दतु नया का सबसे प्रदवू षत राजधानी शिर था। ररपोटत में अततसूक्ष्म पाहटत कुलेट के स्तर के संदभत में मापी गई
वायु गुणवत्ता के आधार पर शिरों की रैंककं ग की गयी थी। पाहटतकुलेट मैटर (PM 2.5) मानव अंगों में प्रवेश करने
और स्थायी रूप से नक
ु सान पिुंचाने में सक्षम िोते िै ।
पष्ट्ृ ठिूलम:
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदष
ू ण के उच्च स्तर िोने के बाद, सुप्रीम कोटत ने नवंबर 2019 में केंद्र और हदल्ली सरकार
से वायु प्रदष
ू ण से तनपटने के मलए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में स्मॉग टावर लगाने के मलए एक रोि मैप
तैयार करने को किा था।
उच्च प्रदष
ू ण स्तर का कारण?
• शिर के अंदर तथा इसके आस-पास िोने वाला तनमातण कायत, औद्योधगक तथा वािन प्रदष
ू ण।
• सहदभ यों की र्रुआत में , हदल्ली के उत्तरी-पम्श्चमी राज्यों में कृवष-अपलर्ष्ट्टों को जलाये जाने से धुएं से
प्रदष
ू ण की मात्रा में काफी िद्
ृ गध हो जाती है ।
• इसके अततररतत, प्रततकूल मौसम संबंधी पररक्स्थततयों, जैसे शांत िवाओं, कम तापमान और कम धूप
वाले हदनों में प्रदष
ू ण की क्स्थतत खतरनाक स्तर पर पिुँच जाती िै ।
प्रदष
ू ण तनयंत्रण हे तु ककए जाने िाले उपाय:
• पंजाब और िररयाणा में ककसानों को कृवष-अपमशष्ट्टों को जलाने के स्थान पर यांबत्रक ववकल्पों का
उपयोग करने के मलए तैयार ककया गया िै ।
• हदल्ली में थमतल पावर स्टे शनों को बंद ककया गया िै ।
• उद्योगों के मलए पाइप द्वारा प्राकृततक गैस के उपयोग को अतनवायत ककया गया िै।
• प्रदष
ू ण स्तर के बढ़ने पर ग्रेिेि ररस्पांस एतशन तलान (Graded Response Action Plan- GRAP) के तित
तनयंत्रण के उपाय ककये जाते िैं।
इंस्टा म्जज्ञास:ु तया आप हदल्ली में ववमभन्न स्थानों पर स्थावपत ‘एंटी स्मॉग गन’ के बारे में जानते िैं? ये ककस
प्रकार कायत करती िैं?
प्रीललभस ललंक:
1. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कायतक्रम के बारे में
2. राष्ट्रीय वायु गण
ु वत्ता सूचकांक कौन जारी करता िै?
3. केंद्रीय प्रदष
ू ण तनयंत्रण बोित (CPCB) की संरचना
और कायत
4. प्राकृततक गैस तया िै?
5. ग्रेिेि ररस्पांस एतशन तलान (GRAP) का अवलोकन
में स ललंक: राष्ट्रीय राजधानी में प्रदष
ू ण स्तर को कम करने
के मलए आवश्यक उपायों पर चचात कीक्जए।
स्रोत: द हिंद।ू
www.insightsonindia.com 153 InsightsIAS
10. 'सज
ु लम' अलियान
संदिभ: िाल िी में , जल शक्तत मंत्रालय द्वारा 'आजादी का अमत
ृ मिोत्सव' समारोि के अंतगतत (25 अगस्त से)
100 हदवसीय 'सुजलम' अमभयान (‘SUJALAM’ Campaign) की शरु
ु आत की गई िै ।
अलियान के बारे में :
इसका अमभयान का उद्दे श्य ग्राम स्तर पर अपमशष्ट्ट जल प्रबंधन के माध्यम से अधधक से अधधक गांवों को
ओिीएफ तलस गांवों में पररवतततत करना िै ।
इस अमभयान को ववशेष रूप से दस लाख अवशोषक / सोख-गड्ढों (Soak-pits) का तनमातण एवं अपमशष्ट्ट जल
प्रबंधन / ग्रेवॉटर प्रबंधन गततववधधयों के माध्यम से पूरा ककया जाएगा।
इस अलियान के तहत गांिों में आयोम्जत की जाने िाली प्रमुख गततविगधयां:
1. वततमान क्स्थतत का ववश्लेषण करने िे तु सामद
ु ातयक परामशत, खुली बैठक और ग्राम सभा की बैठकों का
आयोजन।
2. ओिीएफ की तनरं तरता बनाए रखने और ग्रेवॉटर प्रबंधन करने के मलए सोख गड्ढों को आवश्यक संख्या
में तैयार करने िे तु संकल्प पाररत करना।
3. तनरं तरता बनाए रखने और सोख गड्ढों के तनमातण संबध
ं ी गततववधधयों की शरु
ु आत करने के मलए 100
हदवसीय योजना तैयार करना।
4. आवश्यक संख्या में सोख गड्ढों का तनमातण करना।
5. आईसी (IEC) के माध्यम से जिां आवश्यक िो विां पर शौचालय को पन
ु तत नममतत करना।
6. गांव के सभी नए पररवारों को शौचालय की सुववधा सुतनक्श्चत करना।
महत्ि:
● इस अमभयान के माध्यम से न केवल गांवों में ग्रेवॉटर प्रबंधन के मलए वांतछत बुतनयादी संरचना अथातत ्
सोख गड्ढों का तनमातण ककया जाएगा बक्ल्क जल-तनकायों के संविनीय प्रबंधन में भी सिायता प्रातत
िोगी।
● इसके अलावा, इस अमभयान से सामुदातयक भागीदारी के द्वारा ‘स्वच्छ भारत ममशन-ग्रामीण’ के दस
ू रे
चरण (Swacch Bharat Mission- Grameen phase II) की गततववधधयों में तेजी आयेगी और इससे ओिीएफ-
तलस गततववधधयों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा ममलेगा।
आिश्यकता:
गांवों में या गांवों के बािरी इलाकों में गंदे पानी का तनष्ट्कासन और जलाशयों का तनस्तारण एक बिुत बड़ी
समस्या बनी िुई िै । इस अमभयान से अपमशष्ट्ट जल प्रबंधन में सिायता प्रातत िोगी और बदले में जलाशयों को
पूवरू
त प में लाने में सिायता ममलेगी।
ODF टै ग क्या होता है ?
माचत 2016 में जारी ककये गए मूल ODF प्रोटोकॉल में किा गया िै कक, यहद, ककसी भी हदन के ककसी भी समय,
कोई भी व्यक्तत खुले में शौच निीं करता िै तो उस शिर / वाित को ODF शिर/ वाित के रूप में अधधसूधचत ककया
जायेगा।"
ODF+ तथा ODF++ क्या है ?
स्िच्छ िारत लमर्न- र्हरी (Swachh Bharat Mission –Urban: SBM-U) के पिले चरण में ODF दजात प्रातत करने
के बाद शिरों द्वारा ककए गए कायों को आगे बढ़ाने और उन्िें जारी रखने के मलए अगस्त 2018 में ODF + और
ODF ++ की शुरुआत की गयी थी।
पात्रता: ODF प्रोटोकॉल के आधार पर को शिर को कम से कम एक बार ODF अधधसधू चत िो चक
ु े िैं, उन्िें SBM-
ODF+ एवं ODF ++ घोवषत ककया जा सकता िै ।
• ‘संयत
ु त राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’ (UNEP) के प्रमख
ु कायत-क्षेत्र, जलवायु पररवततन, आपदाएं और संघषत,
पाररक्स्थततकी तंत्र प्रबंधन, पयातवरण प्रशासन, रसायन और अपमशष्ट्ट, संसाधन दक्षता, और पयातवरण की
समीक्षा आहद िैं।
• UNEP को इसके सदस्यों के स्वैक्च्छक योगदान द्वारा ववत्त पोवषत ककया जाता िै ।
‘संयुतत राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’, िमारे समय की सबसे बड़ी चुनौततयों से तनपटने िे तु ववमभन्न राष्ट्रों और
पयातवरण समुदाय को एक साथ लाने के मलए कई मित्वपूणत बिुपक्षीय पयातवरण समझौतों और अनुसंधान
तनकायों के सधचवालयों की मेजबानी करता िै ।
इनमें तनपनमलणखत शाममल िैं:
1. जैववक ववववधता पर अमभसमय
2. वन्य जीवों और वनस्पततयों की लुततप्राय प्रजाततयों में अंतरातष्ट्रीय व्यापार पर अमभसमय
3. पारा पर ममनामाता अमभसमय
4. बेसल, रॉटरिैम और स्टॉकिोम कन्वेंशन
5. ओजोन परत के संरक्षण के मलए ववयना अमभसमय और मॉक्न्रयल प्रोटोकॉल
6. प्रवासी प्रजाततयों पर अमभसमय
7. कापेधथयन कन्वेंशन
8. बमाको कन्वेंशन
9. तेिरान अमभसमय
प्रीललभस ललंक
1. सीसा-युतत’ पेरोल तया िोता िै ?
2. सीसा-युतत’ पेरोल के िातनकारक प्रभाव
3. यूएनईपी- उद्दे श्य, शक्ततयां और जनादे श
में स ललंक: पयातवरण संरक्षण के प्रयासों में ‘संयत
ु त राष्ट्र पयातवरण कायतक्रम’ (UNEP) के मित्व और इसकी
भूममका पर प्रकाश िामलए।
विषय:आंतररक सुरक्षा के मलये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन ववरोधी तत्त्वों की भूममका।
1. विगधविरूद्ध कक्रयाकलाप (तनिारण) अगधतनयम (UAPA)
संदिभ:
वषत 2019 से, जपमू और कश्मीर (J & K) प्रशासन द्वारा ‘ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) अधधतनयम’
(Unlawful Activities (Prevention) Act - UAPA) के तित 1,200 से अधधक मामलों में 2,300 से अधधक व्यक्ततयों
और ‘सावतजतनक सुरक्षा अधधतनयम’ (Public Safety Act - PSA) के तित 954 लोगों पर मामला दजत के जा चक
ु े
िैं।
इनमें से, ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) अधधतनयम (UAPA) के अंतगतत धगरफ्तार ककए गए 46 प्रततशत
और ‘सावतजतनक सुरक्षा अधधतनयम’ (PSA) के तित हिरासत में मलए गए व्यक्ततयों में से लगभग 30 प्रततशत
व्यक्तत अभी भी जपम-ू कश्मीर के अंदर और बािर की जेलों में कैद िैं।
विगधविरूद्ध कक्रयाकलाप (तनिारण) अगधतनयम के बारे में :
1967 में पाररत, ववधधववरूद्ध कक्रयाकलाप (तनवारण) अधधतनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) का
उद्दे श्य भारत में गैरकानन
ू ी गततववधध समि
ू ों की प्रभावी रोकथाम करना िै ।
• यि अधधतनयम केंद्र सरकार को पूणभ र्म्क्त प्रदान करता िै , क्जसके द्वारा केंद्र सरकार ककसी गततववधध
को गैरकानूनी घोवषत कर सकती िै ।
• इसके अंतगतत अधधकतम दं ि के रूप में मत्ृ यद
ु ं ि तथा आजीवन कारावास का प्रावधान ककया गया िै ।
प्रमुख बबंद:ु
UAPA के तित, िारतीय और विदे र्ी दोनों नागररकों को आरोवपत ककया जा सकता िै ।
• यि अधधतनयम भारतीय और ववदे शी अपराधधयों पर समान रूप से लागू िोता िै , िले ही अपराध िारत
के बाहर विदे र्ी िूलम पर ककया गया हो।
• UAPA के तित, जांच एजेंसी के मलए, धगरफ्तारी के बाद चाजतशीट दाणखल करने के मलए अधधकतम 180
हदनों का समय हदया जाता िै , िालांकक, अदालत को सूधचत करने के बाद इस अवधध को और आगे
बढ़ाया जा सकता िै ।
िषभ 2019 में ककए गए संर्ोधनों के अनुसार:
• यि अधधतनयम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के मिातनदे शक को, एजेंसी द्वारा मामले की जांच के दौरान,
आतंकवाद से िोने वाली आय से तनममतत संपवत्त पाए जाने पर उसे जधत करने की शक्तत प्रदान करता
िै ।
• यि अधधतनयम राज्य में िीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधधकारी के अततररतत,
आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने िे तु ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी’ के इंस्पेतटर या उससे ऊपर के रैंक
के अधधकाररयों को जांच का अधधकार प्रदान करता िै ।
• अधधतनयम में ककसी व्यक्तत को आतंकवादी के रूप में अमभहित करने का प्रावधान भी शाममल िै ।
विषय:सीमावती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौततयाँ एवं उनका प्रबंधन- संगहठत अपराध और आतंकवाद के बीच संबध
ं ।
1. िारत में मादक पदाथों की तस्करी
संदिभ: नशीली दवाओं के णखलाफ कानून प्रवततन एजेंमसयों को, अफगातनस्तान में तामलबान द्वारा के तेजी से
कधजा िोने के साथ िी ‘िे रोइन’ और ‘कक्रस्टल मेथामफेटामाइन’ (crystal methamphetamine) की सीमा पार
तस्करी में भारी वद्
ृ धध िोने का संदेि िै ।
संबंगधत प्रकरण:
तामलबान के मलए नशीली दवाएं (ड्रग्स) राजस्व का एक प्रमुख स्रोत रिता िै । अफगातनस्तान की अथतव्यवस्था के
पतन के साथ, तामलबान अपने लड़ाकों पर तनयंत्रण बनाए रखने के मलए नशीली दवाओं से अक्जतत मुद्रा पर बिुत
अधधक तनभतर रिे गा।
ड्रग्स एंि क्राइम पर संयुतत राष्ट्र कायातलय की नवीनतम ‘वल्ित ड्रग ररपोटत ’ के अनस
ु ार:
• अफगातनस्तान में वपछले वषत की तुलना में 2020 के दौरान अफीम पोस्ता की अवैध खेती के मलए
प्रयत
ु त िोने काली भमू म में 37% की वद्
ृ धध िुई थी।
• वपछले वषत,वैक्श्वक अफीम उत्पादन में अफगातनस्तान का योगदान 85% था।
• अफगान ववशेषज्ञ इकाइयों की बेितर क्षमताओं के बावजूद, वपछले कुछ वषों में नशीली दवाओं की
बरामदगी और धगरफ्तारी ककए जाने का अफीम-पोस्ता की खेती पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा िै ।
• अफगातनस्तान, मेथामफेटामाइन उत्पादन का एक प्रमख
ु स्रोत बनता जा रिा िै ।