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❖ भारतीय सं वधान की ऐ तहा सक पृष्ठभू म

❖ भारतीय सं वधान का नमार्णण


❖ सं वधान सभा और उसकी कायर्णप्रणाली
❖ भारतीय सं वधान की प्रमुख वशेषताएं
❖ भारतीय सं वधान के स्त्रोत
❖ उद्दे शका
❖ संघ और राज्य क्षेत्र
❖ नाग रकता
❖ मूल अ धकार
❖ राज्य के नी त- नदे शक तत्व
❖ सं वधान संशोधन
❖ आपातकालीन उपबंध
❖ संसदीय और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली
❖ भारत की संघीय व्यवस्था
❖ केंद्र एवं राज्य संबंध
❖ संघ एवं राज्य की कायर्णपा लका
❖ संघ एवं राज्य की वधा यका
❖ न्यायपा लका
❖ स्थानीय नकाय
❖ प्रमुख संवैधा नक और गैर-संवैधा नक आयोग
❖ सं वधान के अन्य प्रमुख प्रावधान
❖ व वध
ऐ तहा सक पृष्ठभू म
1600 में ईस्ट इं डया कंपनी की स्थापना + महारानी ए लजाबेथ प्रथम 15 वषर्नीय व्यापा रक अनुम त

1765 में बंगाल, बहार, उड़ीसा की दीवानी

1773 का रे ग्युले टंग ए ट

1833 में व्यापा रक एका धकार पूणत


र्ण ः समाप्त

1858 का भारत सरकार अ ध नयम

1885 में अ खल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1934 में एम. एन. राय द्वारा सं वधान सभा की पहली बार औपचा रक मांग

1946 में सं वधान सभा का गठन

26 जनवरी, 1950 को सं वधान लागू


कंपनी का शासन (1773 से 1858 तक)

1773 का रे ग्युले टंग ए ट

1784 का पट्स इं डया ए ट

1813 का चाटर्ण र ए ट

1833 का चाटर्ण र ए ट

1853 का चाटर्ण र ए ट
ताज का शासन (1858 से 1947 तक)

भारत सरकार अ ध नयम, 1858

भारत प रषद अ ध नयम, 1861

भारत प रषद अ ध नयम, 1892

भारत प रषद अ ध नयम, 1909

भारत शासन अ ध नयम, 1919

भारत शासन अ ध नयम, 1935

भारत शासन अ ध नयम, 1947


कंपनी का शासन (1773 से 1858 तक)
1773 का रे ग्युले टंग ए ट / Regulating Act of 1773

गवनर्णर जनरल ऑफ बंगाल

सहायता हे तु चार सदस्यीय काउं सल

कलकत्ता में सुप्रीम कोटर्ण की स्थापना

कंपनी के कमर्णचा रयों के नजी व्यापार पर प्र तबंध


1784 का पट्स इं डया ए ट / Pitt's India Act of 1784

कंपनी के व्यापा रक और राजनी तक कायर्तों में पृथ करण

बोडर्ण ऑफ कंट्रोल का गठन - राजनी तक मामलों पर नयंत्रण

कोटर्ण ऑफ डायरे टसर्ण - व्यापा रक ग त व धयों पर नयंत्रण

पहली बार कंपनी के अधीन क्षेत्र को ब्रि टश आ धपत्य क्षेत्र कहा गया
1813 का चाटर्ण र ए ट / Charter Act of 1813

चाय और चीन के साथ व्यापार को ब्रि टश कंपनी प्रत्येक वषर्ण सा हत्य एवं
छोड़कर कंपनी के व्यापा रक वज्ञान के प्रसार के लए एक लाख
एका धकार की समािप्त रूपये खचर्ण करे गी
1833 का चाटर्ण र ए ट / Charter Act of 1833

कंपनी के व्यापा रक
गवनर्णर जनरल ऑफ बंगाल व लयम बैं टक भारत के
एका धकार की पूणत र्ण ः
अब भारत का गवनर्णर जनरल प्रथम गवनर्णर जनरल
समािप्त
1853 का चाटर्ण र ए ट / Charter Act of 1853

पहली बार गवनर्णर जनरल की काउं सल के वधायी और प्रशास नक कायर्तों का पृथ करण

गवनर्णर जनरल के लए नई केंद्रीय वधान प रषद का गठन

स वल सेवकों के चयन के लए खुली भतर्नी प्र तयोगता का प्रारं भ

पहली बार केंद्रीय वधान प रषद में स्थानीय प्र त न धत्व (बंगाल, मद्रास, बंबई और आगरा)
ताज का शासन (1858 से 1947 तक)
भारत सरकार अ ध नयम 1858 / Government of India Act of 1858

गवनर्णर जनरल का पदनाम अब भारत का वायसराय

लाडर्ण कै नंग भारत के प्रथम वायसराय

बोडर्ण ऑफ कंट्रोल & कोटर्ण ऑफ डायरे टसर्ण की द्वैध शासन व्यवस्था समाप्त

एक नए पद भारत स चव का सृजन ( ब्रि टश कै बनेट का सदस्य)

भारत स चव की सहायता के लए 15 सदस्यीय प रषद का गठन


1861 का भारत प रषद अ ध नयम / India Council Act of 1861

व ध नमार्णण में भारतीयों को सिम्म लत करने की प्र क्रया प्रारं भ

वायसराय द्वारा 1862 में तीन भारतीय मनोनीत

बनारस के राजा, प टयाला के महाराजा और सर दनकर राव

वकेंद्रीकरण की शुरूआत

वायसराय को अपनी काउं सल की सफा रश के बना अध्यादे श जारी करने की अनुम त (छः माह)
1892 का अ ध नयम / Act of 1892

वधान प रषद के सदस्यों को बजट पर


वधान प रषद में राज्यों के अप्रत्यक्ष
बहस करने और प्रश्न पूछने का
नवार्णचन के सद्धांत को स्वीकार
अ धकार
1919 का भारत शासन अ ध नयम (मांटेग्यू-चेम्सफोडर्ण)

शक्षा, संप त्त एवं कर के आधार वोट दे ने का अ धकार

सखों, भारतीय ईसाईयों, आंग्ल-भारतीयों के लए सांप्रदा यक नवार्णचन

प्रत्यक्ष नवार्णचन द्वारा प्रांतों में आं शक उत्तरदायी सरकार की स्थापना

प्रांतीय वधानमंडलों में दोहरा शासन अथार्णत ् हस्तांत रत और आर क्षत वषय

लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान

राज्यों का बजट केंद्र से अलग


1935 का भारत शासन अ ध नयम

अ खल भारतीय संघ की स्थापना का प्रावधान

ल खत रूप से केन्द्र और राज्यों के बीच शि तयों का वभाजन

प्रांतों में द्वैध शासन की समािप्त

प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना

प्रांतों में द् वसदनीय वधा यका

RBI की स्थापना
भारत शासन अ ध नयम, 1947

वायसराय केंद्र का जब क राज्यों के गवनर्णरों को राज्य का संवैधा नक प्रमुख घो षत

संवैधा नक प्रमुख मं त्रप रषद की सहायता एवं सलाह के अनुसार कायर्ण करें गे

भारत पर ब्रि टश संप्रभुत्ता की समािप्त की घोषणा

भारत तथा पा कस्तान नामक दो संप्रभु राज्यों के गठन का प्रावधान


2. सं वधान का नमार्णण
सं वधान सभा की मांग / Constituent Assembly demand

पहली मांग 1934 में वामपंथी आंदोलन के नेता एम. एन. रॉय द्वारा

1935 में कांग्रेस द्वारा पहली बार औपचा रक रूप से सं वधान सभा की मांग

1940 के अगस्त प्रस्ताव के माध्यम से ब्रि टश सरकार द्वारा स्वीकार

1942 में कै बनेट मशन द्वारा दो सं वधान सभाओं की मुिस्लम लीग की मांग अस्वीकार
कै बनेट मशन, 1946 / Cabinet Mission, 1946

लाडर्ण पै थक लारे न्स, सर स्टे फोडर्ण क्रप्स तथा एले ज़ेंडर

भारत में संवैधा नक सुधारों की केंद्र में एक अस्थायी सरकार की


रूपरे खा न मर्णत करना स्थापना करना
कै बनेट मशन के आधार पर सं वधान सभा का गठन

सं वधान सभा के सदस्यों की संख्या का नधार्णरण जनसंख्या के आधार पर

प्र त दस लाख व्यि तयों पर एक प्र त न ध चुने जाने की व्यवस्था

दे शी रयासतों से भी इसी आधार पर प्र त न ध मनोनीत करने की व्यवस्था


सं वधान सभा का प्रारं भक गठन

योजना के आधार पर दसंबर 1946 में प्रांतीय वधा यकाओं चुनाव

कांग्रेस को लगभग 70 प्र तशत सीटों पर बहु मत

कमजोर िस्थ त दे खकर मुिस्लम लीग का सं वधान सभा के ब हष्कार का नणर्णय


सं वधान सभा प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नवार्ण चत नहीं

प्रांतीय वधा यकाओं द्वारा सं वधान सभा के सदस्यों का चयन

सं वधान सभा कुल 389 सदस्य

1947 के अ ध नयम के अनुसार मुिस्लम लीग के सदस्य सं वधान सभा से बाहर


सं वधान सभा का अं तम गठन

कुल 324 सदस्य

235 सदस्य ब्रि टश प्रांतों के प्र त न ध 89 सदस्य दे शी रयासतों के

है दराबाद एक ऐसी रयासत िजसके प्र त न ध सं वधान सभा में सिम्म लत नहीं
भारतीय स्वतंत्रता अ ध नयम, 1947 द्वारा सं वधान सभा की िस्थ त में दो प्रमुख प रवतर्णन

सं वधान सभा को पूरी तरह से संप्रभु सं वधान सभा भारत की केंद्रीय


बनाया वधा यका भी बन गई
सं वधान सभा की कायर्णप्रणाली

सिच्चदानंद सन्हा अस्थायी अध्यक्ष ⇒ डा. राजेंद्र प्रसाद स्थायी अध्यक्ष

डा. एच. सी. मुखजर्नी तथा वी. टी. कृ ष्णामाचारी सभा के दो उपाध्यक्ष

सं वधान सभा की कायर्णप्रणाली मूलतः उद्दे श्य प्रस्ताव पर आधा रत

13 दसंबर 1946 को पं डत नेहरू द्वारा सं वधान सभा में प्रस्तुत

22 जनवरी 1947 को स्वीकृ त

उद्दे श्य प्रस्ताव ने ही आगे चलकर उद्दे शका का स्वरूप प्राप्त कया
सं वधान सभा की स म तयां

संघ शि त स म त : जवाहरलाल नेहरू

प्रांतीय सं वधान स म त : सरदार वल्लभ भाई पटे ल

प्रारूप स म त : डॉ बी आर अंबेडकर

राज्यों के लए स म त : जवाहरलाल नेहरू

संचालन स म त : डॉ राजेंद्र प्रसाद

मूल अ धकार, अल्पसंख्यक और आ दवासी की स म त : सरदार वल्लभ भाई पटे ल


❖ भारत की सं वधान सभा ने 60 दे शों के सं वधानों का अध्ययन कया।
❖ न केवल उनके संवैधा नक प्रावधानों का अध्ययन कया बिल्क उन दे शों की प रिस्थ तयों और
भारतीय प रिस्थ तयों का तुलनात्मक अध्ययन भी कया।
❖ भारत का सं वधान बनाने में 2 वषर्ण 11 माह 18 दन का समय लगा।
❖ भारत का सं वधान बनाने में लगभग 64 लाख रुपये खचर्ण हु आ।
❖ डॉ टर अंबेडकर ने सं वधान सभा में 4 नवंबर, 1948 को सं वधान का अं तम प्रारूप पेश कया।
❖ इस बार सं वधान पहली बार पढ़ा गया।
❖ सभा में इस पर 5 दन तक आम चचार्ण हु ई।
❖ सं वधान पर दूसरी बार 15 नवंबर 1948 से वचार होना शुरू हु आ।
❖ इसमें सं वधान पर खंडवार वचार कया गया।
❖ यह कायर्ण 17 अ टू बर 1949 तक चला।
❖ इस अव ध में कम से कम 7653 संशोधन प्रस्ताव आए िजन पर सं वधान सभा में चचार्ण हु ई।
❖ सं वधान पर तीसरी बार 14 नवंबर 1949 से वचार होना शुरू हु आ।
❖ इसमें सं वधान के प्रारूप प्रस्ताव को 26 नवंबर 1949 को पा रत घो षत कर दया गया।
❖ इस पर अध्यक्ष व सदस्यों के हस्ताक्षर कए गए थे।
❖ सभा में कुल 299 सदस्यों में से उस दन 284 सदस्य उपिस्थत थे।
26 नवंबर, 1949 को अपनाए गए सं वधान में

प्रस्तावना 395 अनुच्छे द 8 अनुसू चयां


26 जनवरी को ही सं वधान लागू यों ?

दसंबर, 1930 में कांग्रेस का लाहौर अ धवेशन

पं. जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में

पूणर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पा रत

26 जनवरी, 1931 को पूणर्ण स्वाधीनता दवस मनाने का नणर्णय

इसी दन पूणर्ण स्वाधीनता राष्ट्रवादी आंदोलन का केंद्रीय लक्ष्य नधार्ण रत


सं वधान की प्रमुख वशेषताएं
वश्व का सबसे लंबा सं वधान

ल खत सं वधान

व भन्न दे शों से ग्र हत

संशोधन की कठोर एवं लचीली प्रणाली

एकात्मक और संघात्मक तत्वों का सिम्मश्रण

संसदीय शासन प्रणाली

एकीकृ त एवं स्वतंत्र न्यायपा लका


मूल अ धकार, नी त- नदे शक तत्व एवं मूल कतर्णव्य

केंद्र-राज्य संबंधों का नधार्णरण एवं उल्लेख

सावर्णभौ मक व्यस्क मता धकार

एकल नाग रकता

आपातकालीन प्रावधान

स्थानीय शासन

पछड़े वगर्तों, अनुसू चत जा तयों, जनजा तयों के लए वशेष प्रावधान


भारतीय सं वधान की अनुसू चयां
1 राज्य और केंद्रशा सत प्रदे शों के बारें में

2 राष्ट्रप त, उपराष्ट्रप त, राज्यपाल, वधा यका के पीठासीन अ धकारी

3 शपथ

4 राज्यसभा में सीटों का आवंटन

5 अनुसू चत क्षेत्र और अनुसू चत जनजा तय क्षेत्र

6 असम, मेघालय, त्रपुरा और मजोरम के जनजा तय क्षेत्र


7 केवल केंद्र और राज्यों के बीच शि तयों का वभाजन

8 भाषायें

9 भू म सुधार (पहला संशोधन, 1951)

10 दल प रवतर्णन (52वां संशोधन, 1985)

11 पंचायत (73वां संशोधन, 1992)

12 नगरपा लका (74वां संशोधन, 1993)


भारतीय सं वधान के स्त्रोत
भारत शासन अ ध नयम, 1935

संघीय व्यवस्था

न्यायपा लका

आपातकालीन उपबंध

राज्यपाल का कायार्णलय

लोक सेवा आयोग

प्रशास नक ववरण
ब्रिटे न

संसदीय शासन प्रणाली

व ध का शासन

वधायी प्र क्रया

एकल नाग रकता

कै बनेट प्रणाली

परमा धकार लेख

संसदीय वशेषा धकार

द् वसदनीय व्यवस्था पका


कनाडा का सं वधान

सश त केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था

अव शष्ट शि तयों का केंद्र में न हत होना

केंद्र द्वारा राज्यों के राज्यपालों की नयुि त

उच्चतम न्यायालय का परामशर्नी न्याय नणर्णय


आयरलैंड का सं वधान

राज्य के नी त- नदे शक राष्ट्रप त की नवार्णचन राज्यसभा के सदस्यों का


तत्व पद्ध त नामांकन
आस्ट्रे लया का सं वधान

व्यापार और वा णज्य की संसद के दोनों सदनों की


समवतर्नी सूची
स्वतंत्रता संयु त बैठक
फ्रांस का सं वधान

गणतंत्र स्वतंत्रता, समता और बंधुता


द क्षणी अफ्रीका का सं वधान

सं वधान-संशोधन की प्र क्रया राज्यसभा के सदस्यों का नवार्णचन


सं वधान की प्रस्तावना / उद्दे शका
उद्दे शका

सं वधान बनाने का उद्दे श्य

सवर्णप्रथम अमे रकी सं वधान में उद्दे शका

13 दसंबर 1946 को पं डत नेहरू द्वारा सं वधान सभा में प्रस्तुत

22 जनवरी 1947 का स्वीकृ त


उद्दे शका के चार मूल तत्व

सं वधान के अ धकारों का स्रोत : भारत की जनता

भारत की प्रकृ त : संप्रभु, समाजवादी, पंथ नरपेक्ष, लोकतां त्रक, गणतां त्रक

सं वधान के उद्दे श्य : न्याय, स्वतंत्रता, समता व बंधुत्व

सं वधान लागू करने की तारीख : 26 नवंबर 1949


उद्दे शका और सुप्रीम कोटर्ण

बेरूबाड़ी संघ मामला, 1960 : उद्दे शका सं वधान का भाग नहीं

केशवानंद भारती मामला, 1973 : उद्दे शका सं वधान का भाग एवं संशोधन योग्य

एल. आइ. सी. ऑफ इं डया मामला, 1995 : उद्दे शका सं वधान का आंत रक भाग

42वां संशोधन, 191976 : समाजवाद, पंथ नरपेक्ष और अखंडता


प्रमुख तथ्य

गैर-वाद योग्य अथवा गैर-न्या यक प्रकृ त

न तो वधा यका की शि तयों का स्त्रोत और न ही प्र तबंध

अस्पष्टता की िस्थ त सं वधान की व्याख्या करने में सहायक

कं तु स्पष्ट प्रावधानों का उद्दे शका के आधार पर अन्य अथर्ण नहीं


संघ एवं इसका क्षेत्र
भाग : 1 - अनुच्छे द 1 से 4

अनुच्छे द 1 : भारत अथार्णत ् इं डया ‘राज्यों का संघ’

अनुच्छे द 2 : संसद को राज्यों के पुनगर्णठन की शि त

अनुच्छे द 3 : राज्यों के पुनगर्णठन के संबंध में प्र क्रया का उल्लेख

अनुच्छे द 4 : राज्यों के पुनगर्णठन हे तु सं वधान संशोधन आवश्यक नहीं


अनुच्छे द 3

राज्यों के पुनगर्णठन के संबंध में कोई वधेयक राष्ट्रप त की अनुम त के बाद ही संसद में पेश

राष्ट्रप त द्वारा अनुम त दे ने से पहले संबं धत राज्य वधानमंडल का मत

राज्य वधानमंडल के मत हे तु समय-सीमा का नधार्णरण राष्ट्रप त द्वारा

राष्ट्रप त राज्य वधानमंडल के वचारों अथवा सफा रशों को मानने के लए बाध्य नहीं
डार कमीशन (1948)

धर आयोग (1948)
राज्यों के पुनगर्णठन
से संबं धत आयोग
जेवीपी स म त (1948)

फजल अली आयोग (1953)


राज्यों का पुनगर्णठन भाषा के आधार पर नहीं

डार कमीशन (1948) धर आयोग (1948) जेवीपी स म त (1948)


फजल अली आयोग (1953)

राज्यों के पुनगर्णठन के आधार

भाषाीय आधार
परं तु एक राज्य एक प्रशास नक आधार सांस्कृ तक आधार आ थर्णक आधार
भाषा फामूल र्ण ा नहीं
नाग रकता
भाग : 2 अनुच्छे द 5 से 11

एकल नाग रकता

संघ सूची

नाग रकता के संबंध में कानून बनाने की शि त संसद को

अनुच्छे द 3 : राज्यों के पुनगर्णठन के संबंध में प्र क्रया का उल्लेख


मूलतः यह प्रावधान उस समय के लए कए गए थे, जब -

दे श का वभाजन हु आ था। भारत का सं वधान लागू हु आ था

पा कस्तान से भारत तथा भारत से पा कस्तान प्रव्रजन करने वाले व्यि तयों के नाग रकता के अ धकार
भाग : 2 अनुच्छे द 5 से 11

1 जन्म

2 वंश

3 पंजीकरण

4 दे शीयकरण

5 क्षेत्र का समावेश
नाग रकता या है ?

नाग रकता नषेध का एक वचार है

इसमें गैर-नाग रकों सिम्म लत नहीं

ता क नाग रकों में राष्ट्रवाद की भावना वक सत की जा सके

ता क राज्य द्वारा अपने नाग रकों के कल्याण को सवर्वोप र माना जाए


नाग रकता प्रदान करने के दो सद्धांत

जस सो ल (Jus Soli) जस सांगुइ नस (Jus Sanguinis)

जन्म स्थान के आधार पर नाग रकता र त संबंधों के आधार पर नाग रकता

मोतीलाल नेहरू स म त, 1928 पक्ष में नस्लीय वचार ⇒ लोकाचार के वरुद्ध


भारत में नाग रकता त्यागने की व धयाँ
इच्छा से भारत की नाग रकता का त्याग ⇒ उस व्यि त का प्रत्येक
स्वैिच्छक त्याग
नाबा लग बच्चा भी अपनी भारतीय नाग रकता खो दे ता है

एक व्यि त एक समय में केवल एक ही दे श का नाग रक; यह प्रावधान


बखार्णस्तगी द्वारा
तब लागू नहीं होता जब भारत युद्ध का सामना कर रहा हो।

सं वधान का अपमान / नाग रकता फजर्नी तरीके से प्राप्त / 7 वषर्तों से


सरकार द्वारा वं चत लगातार भारत से बाहर / युद्ध के दौरान दुश्मन के साथ अवैध रूप से
व्यापार या संचार
नाग रकता (संशोधन) अ ध नयम, 2019

नाग रकता अ ध नयम, 1955 में संशोधन

31 दसंबर, 2014 को या उससे पहले अफगा नस्तान, बांग्लादे श और


पा कस्तान से भारत आए हंदओ
ु ं, सखों, बौद्धों, जै नयों, पार सयों एवं
ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं
ओवरसीज़ सटीज़न शप ऑफ इं डया (OCI)

गृह मंत्रालय द्वारा वषर्ण 2005 में शुरू

भारतीय मूल का एक ऐसा व्यि त जो 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत का नाग रक


बनने के योग्य; कं तु 26 जनवरी, 1950 के बाद से वदे श की नाग रकता ले ली हो

वदे शी की प रभाषा में पा कस्तान तथा बांग्लादे श नहीं


OCI के लाभ

पासपोटर्ण की सरलता

भारत में बैंक खाता खोलना

गैर-कृ ष संप त्त खरीदना

ड्राइ वंग लाइसेंस

कं तु मतदान एवं सरकारी नौकरी का अ धकार नहीं

कृ ष योग्य भू म खरीदने का अ धकार नहीं


Persons of Indian Origin (PIO)

भारतीय मूल का व्यि त एक ऐसा व्यि त जो जन्म से या वंश से तो भारतीय, परं तु


वदे श रहता हो

बांग्लादे श, चीन, अफगा नस्तान, भूटान, नेपाल, पा कस्तान और श्रीलंका को छोड़कर

15 जनवरी 2015 = PIO काडर्ण योजना को OCI के साथ मला दया गया है ।
Non Resident Indian

ऐसा भारतीय पासपोटर्ण धारक, जो कसी वत्तीय वषर्ण में कम-से-कम 183 दनों के लए
कसी अन्य दे श में रहता है , तथा शेष दनों में भारत रहता हो

NRIs को वोट दे ने का अ धकार

केवल भारत में अिजर्णत आय पर कर (Tax)


मूल अ धकार
मूल अ धकार नामकरण यों ?

भाग 3 में व णर्णत

व्यि त के सवार्मिंगीण वकास के आधार

राज्य द्वारा उल्लंघन नहीं

उपचार प्राप्त करने का अ धकार स्वयं मूल अ धकार

उच्चतम न्यायालय द्वारा संरक्षण


भाग 3 भारतीय सं वधान का मैग्नाकाटार्ण

मैग्नाकाटार्ण के तहत वैिश्वक स्तर पर पहली बार ल खत अ धकारों की व्यवस्था

1215 में इंग्लैंड के सम्राट जॉन द्वारा

सम्राट जॉन का मैग्नाकाटार्ण मूल अ धकारों का जन्मदाता

इसके बाद समय-समय पर सम्राटों द्वारा नाग रकों को व भन्न अ धकार प्रदान

1689 में बल ऑफ राइट्स के तहत समस्त अ धकार सिम्म लत


1789 में फ्रांस द्वारा सबसे पहले ल खत रूप से मूल अ धकार प्रदान

हालां क मूल अ धकार न कहकर इन्हें प्राकृ तक अ धकार कहा गया

सम्राट जॉन का मैग्नाकाटार्ण मूल अ धकारों का जन्मदाता

इसके बाद अमे रकी सं वधान में भी मूल अ धकारों का समावेश

भारत में मूल अ धकार सबसे अ धक वस्तृत एवं संरक्षण प्राप्त


मूल भारतीय सं वधान में सात मूल अ धकार

समता का अ धकार (अनुच्छे द 14-18)

स्वतंत्रता का अ धकार (अनुच्छे द 19-22)

शोषण के वरूद्ध अ धकार (अनुच्छे द 23-24)

धमर्ण की स्वतंत्रता का अ धकार (अनुच्छे द 25-28)

संस्कृ त और शक्षा संबंधी अ धकार (अनुच्छे द 29-30)

संवैधा नक उपचारों का अ धकार (अनुच्छे द 32)


अनुच्छे द 31 : संप त्त का अ धकार

44वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1978

भू म सुधारों को ग त दे ने के उद्दे श्य से

अनुच्छे द 300A के तहत संवैधा नक अ धकार


भारतीय प्रसंग में मूल अ धकारों की वशेषताएं

गोपालन बनाम मद्रास राज्य, 1950 : असी मत नहीं बिल्क ता कर्णक आधारों पर प्र तबं धत

चरं जीत लाल बनाम भारत संघ, 1951 : व्यि तगत हत एवं सामािजक हत में सामंजस्य

शामदा सनी बनाम सेंट्रल बैंक, 1952 : मूल अ धकार राज्य के वरूद्ध संरक्षण

गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य, 1967 : प्राकृ तक और अप्र तदे य अ धकार

मेनका गांधी बनाम भारत संघ, 1978 : व्यि त के व्यि तत्व के वकास के गारं टर

प्रेम शंकर बनाम दल्ली प्रशासन, 1980 : मूल अ धकार मानवा धकार भी

एम. नागराज बनाम भारत संघ, 2007: स्वतंत्र समाज के लए अप रहायर्ण संवैधा नक मूल्य
भारतीय प्रसंग में मूल अ धकारों की अन्य प्रमुख वशेषताएं

राज्य को ता कर्णक प्र तबंध लगाने का अ धकार

नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों प्रकृ त वाले

संसद द्वारा संशोधनीय

राजनी तक लोकतंत्र की स्थापना

वाद योग्य
मूल अ धकार : नाग रक तथा गैर-नाग रकों के संदभर्ण में

केवल नाग रक केवल गैर-नाग रक

15, 16, 19, 29, 30


समता ⇒ समता का अ धकार (अनुच्छे द 14-18)
समता ने
स्वतंत्र को स्वतंत्र ⇒ स्वतंत्रता का अ धकार (अनुच्छे द 19-22)
शोषण के
वरुद्ध धमर्ण शोषण ⇒ शोषण के वरूद्ध अ धकार (अनुच्छे द 23-24)
की शक्षा
दे कर धमर्ण ⇒ धमर्ण की स्वतंत्रता का अ धकार (अनुच्छे द 25-28)
उपचार
कया शक्षा ⇒ संस्कृ त और शक्षा संबंधी अ धकार (अनुच्छे द 29-30)

5424201
उपचार ⇒ संवैधा नक उपचारों का अ धकार (अनुच्छे द 32)
अनुच्छे द 12 : राज्य की प रभाषा

संसद / Parliament

भारत की सरकार / Government of India

राज्य वधानमंडल / State Legislature

राज्य सरकार / State Government

स्थानीय प्रा धकारी / local authority


अनुच्छे द 12 और न्यायपा लका / Article 12 and Judiciary
नरे श बनाम महाराष्ट्र सुप्रीम कोटर्ण ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया क न्यायपा लका
राज्य (1967) अनुच्छे द 12 के अंतगर्णत राज्य की प रभाषा में आती है या नहीं?

ए. आर. अंतुले बनाम इससे कोई अंतर नहीं पड़ता क न्यायपा लका राज्य की प रभाषा में
आर. एस. नायक
आती है या नहीं ? कं तु न्यायपा लका कर सकती है ।
(1988)

न्यायपा लका राज्य की प रभाषा में नहीं, कं तु इसके बावजूद उस पर


वतर्णमान व्यवस्था नाग रकों के मूल अ धकारों के संरक्षण तथा सं वधान के दायरे के
भीतर अपनी शि तयों का प्रयोग करने की बाध्यता
‘प्रा धकारी’

अजय हा सया बनाम खा लद मुजीब (1981)

प्रत्येक समूह िजसे सरकार की ओर से वेतन;

नणर्णय को जारी करने तथा नणर्णयों का बाध्यकारी तरीके से पालन करने की शि त;

आ थर्णक दं ड दे ने की शि त
अनुच्छे द 13

संसद ऐसी कोई व ध नहीं बनाएगी जो नाग रकों के मूल अ धकारों का उल्लंघन करती
हो।

य द संसद इस प्रकार की कोई व ध बनाती है तो वह मूल अ धकारों का उल्लंघन करने


की मात्रा तक शून्य होगी।

सं वधान का संशोधन व ध की प रभाषा के दायरे में नहीं

व ध का बल रखने वाली कोई प्रथा, रू ढ़, नयम तथा अध्यादे श सिम्म लत


केशव माधव बनाम महाराष्ट्र राज्य अनुच्छे द 13 का प्रभाव भूतलक्षी
(1951) Article 13 is retrospective

पृथ करणीयता का सद्धांत / Doctrine of


गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)
Severability

भीकाजी बनाम मध्यप्रदे श राज्य (1955) आच्छादन का सद्धांत / Doctrine of Eclipse


अनुच्छे द 13

संसद ऐसी कोई व ध नहीं बनाएगी जो नाग रकों के मूल अ धकारों का उल्लंघन करती
हो।

य द संसद इस प्रकार की कोई व ध बनाती है तो वह मूल अ धकारों का उल्लंघन करने


की मात्रा तक शून्य होगी।

सं वधान का संशोधन व ध की प रभाषा के दायरे में नहीं

व ध का बल रखने वाली कोई प्रथा, रू ढ़, नयम तथा अध्यादे श सिम्म लत


अनुच्छे द 14

व ध के समक्ष समता और व धयों का समान सरं क्षण

राज्य कसी व्यि त को व ध के समक्ष समता से या व धयों के समान संरक्षण से


वं चत नहीं करे गा
व ध के समक्ष समता

नकारात्मक संदभर्ण

ब्रि टश अवधारणा

कसी भी व्यि त के पक्ष में वशेषा धकार का अभाव

सभी व्यि तयों के साथ समान व्यवहार

व ध की सवर्वोच्चता
व ध का समान संरक्षण

अमे रकी अवधारणा

सकारात्मक संदभर्ण

समान प रिस्थ तयों में समान व्यवहार

सभी व्यि तयों के लए एक ही तरह के कानून का एक जैसे प्रयोग


सुप्रीम कोटर्ण की व्याख्या

जहां समान एवं असमान के बीच अलग व्यवहार होता हो, अनुच्छे द 14 लागू नहीं होता

तकर्णसंगत वगर्नीकरण को स्वीकृ त

वगर्नीकरण ववेक शून्य, बनावटी नहीं होना चा हए


अनुच्छे द 15

केवल धमर्ण, मूलवंश, जा त, लंग तथा जन्म स्थान इत्या द के आधार पर भेदभाव नहीं

म हला और बच्चों के लए वशेष प्रावधान

सामािजक , शैक्ष णक और आ थर्णक रूप से पछड़े वगर्तों एवं SC-ST के लए वशेष प्रावधान
सबरीमाला मं दर में म हलाओं के प्रवेश का मामला (2016)

केरल के सबरीमाला मं दर में हर उम्र की म हला को मं दर में प्रवेश करने की अनुम त


अनुच्छे द 16

सरकारी नौक रयों में कसी व्यि त के साथ केवल धमर्ण, जा त, मूल वंश, लंग, जन्म स्थान
अथवा नवास के आधार पर कोई भेदभाव नहीं

म हला और बच्चों के लए वशेष प्रावधान

सामािजक , शैक्ष णक और आ थर्णक रूप से पछड़े वगर्तों एवं SC-ST के लए आरक्षण


ट्रांसजेंडर राइट्स प्रोटे शन काउं सल बनाम भारत संघ (2016)

अनुच्छे द 14, 15 तथा अनुच्छे द 16 में उिल्ल खत शब्द ‘ लंग’ का तात्पयर्ण केवल पुरूष
या म हला से नहीं है । इसमें ट्रांसजेंडर भी सिम्म लत है ।
अनुच्छे द 17

कसी व्यि त के साथ छुआछूत का व्यवहार नहीं

इस प्रकार का व्यवहार कानून के अनुसार दं डनीय


अनुच्छे द 18

उपा धयों का अंत

राज्य द्वारा सेना या वधा संबंधी सम्मान के अलावा अन्य कोई भी उपा ध प्रदान नहीं

भारत के कोई नाग रक द्वारा कसी अन्य दे श से बना राष्ट्रप त की आज्ञा के कोई उपा ध
स्वीकार नहीं
अनुच्छे द 19

वचार एवं अ भव्यि त की स्वतंत्रता

शां तपूवक
र्ण बना ह थयारों के एक त्रत होने और सभा करने की स्वतंत्रता

संघ बनाने की स्वतंत्रता

दे श के कसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता

दे श के कसी भी क्षेत्र में नवास करने की स्वतंत्रता

कोई भी व्यापार एवं जी वका चलाने की स्वतंत्रता


अनुच्छे द 19 आत्यां तक नहीं

संप्रभुता, अखंडता और सावर्णज नक व्यवस्था के हत के लए लगाए गए उ चत


प्र तबंधों के अधीन
दल्ली शाहीन बाग मामला (2020)

वरोध प्रदशर्णन करने के लये सावर्णज नक स्थानों या सावर्णज नक जगहों पर कब्जा नहीं
कया जा सकता।

लोकतंत्र और असहम त साथ-साथ चलते हैं, परं तु असहम त व्य त करने वाले वरोध
प्रदशर्णन सफर्ण नधार्ण रत स्थानों पर ही होने चा हए।
हड़ताल और बंद

1997 में केरल उच्च न्यायालय ने भरत कुमार के मामले में अनुच्छे द 19 के तहत
हड़ताल और बंद के अ धकार में महत्वपूणर्ण अंतर स्पष्ट कया।

हड़ताल करने का अ धकार अनुच्छे द 19 के अंतगर्णत एक मूल अ धकार है , कं तु बंद


करने का अ धकार इस अनुच्छे द के दायरे में नहीं आता है एवं बंद एक गैर-कानूनी
कृ त्य है ।
हड़ताल और बंद

हड़ताल करने का अ धकार कसी व्यि त के ववेक पर नभर्णर करता है क वह राज्य


या सरकार के प्र त वरोध प्रद शर्णत करते हु ए कसी कायर्ण को नहीं करने की इच्छा प्रकट
करता है ।

कं तु बंद का अ धकार एक नकारात्मक अ भव्यि त है , िजसमें अन्य व्यि तयों को


जबरदस्ती कसी कायर्ण को नहीं करने अथवा बंद करने के लए बाध्य कया जाता है ।
अनुच्छे द 20

एक अपराध के लए सफर्ण एक बार सजा

अपराध करने के समय जो कानून है इसी के तहत सजा मलेगी

कसी भी व्यि त को स्वयं के वरुद्ध न्यायालय में गवाही दे ने के लय बाध्य नहीं


अनुच्छे द 21

कसी भी व्यि त को व ध द्वारा स्था पत प्र कया के अ त र त उसके जीवन और


वैयि तक स्वतंत्रता के अ धकार से वं चत नहीं कया जा सकता है

व ध द्वारा स्था पत प्र क्रया : वधा यका द्वारा बनाए गए कानून के आधार पर ही
कसी व्यि त को उसके प्राण या शारी रक स्वतंत्रता से वं चत कया जा सकता है ।
गोपालन बनाम मद्रास राज्य, 1950

व्यि त को उसके प्राण व शारी रक स्वतंत्रता से वं चत करने के लए वधा यका बनाया


गया कानून ता कर्णक होना चा हए,

साथ ही कायर्णपा लका द्वारा उस कानून को ता कर्णक तरीके से लागू भी कया जाना
चा हए।
श्रीप त दूबल बनाम महाराष्ट्र (1987) आत्महत्या अनुच्छे द 21 का उल्लंघन

आत्महत्या अनुच्छे द 21 का उल्लंघन नहीं +


ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य (1996) अनुच्छे द 21 मानवीय ग रमा के साथ जीवन
यापन करने का भी अ धकार

अनुच्छे द 21 के अंतगर्णत इच्छा मृत्यु


अरुणा शानबाग बनाम भारत संघ (2011)
(euthanasia) का अ धकार सिम्म लत नहीं
अनुच्छे द 21 के तहत सिम्म लत अ धकार

गोपालन बनाम मद्रास राज्य, 1950 : अनुच्छे द 21 वधा यका तथा कायर्णपा लका दोनों के वरूद्ध संरक्षण

राष्ट्रीय मानवा धकार आयोग बनाम अरूणाचल प्रदे श राज्य, 1996 : अनुच्छे द 21 नाग रकों एवं गैर-
नाग रक दोनों को प्राप्त

म लक संह बनाम पंजाब राज्य, 1981 : अनुच्छे द 21 में नजता का अ धकार भी सिम्म लत

पीपुल्स यू नयन फॉर स वल लवटर्टीज बनाम भारत संघ, 1997 : फोन टे प करना नजता के अ धकार के
वरूद्ध

सतवंत संह बनाम अ सस्टें ट पासपोटर्ण ऑ फसर, नई दल्ली, 1967 : वदे श भ्रमण करने का अ धकार
अनुच्छे द 21 में
फ्रें सस कोरे ली बनाम भारत संघ, 1981 : मानवीय ग रमा के साथ जीने का अ धकार

मो हनी जैन बनाम कनार्णटक राज्य, 1992 : प्राथ मक शक्षा पाने का अ धकार

एस. पी. मेहता बनाम भारत संघ, 1986 : स्वच्छ पयार्णवरण का अ धकार

सुभाष कुमार बनाम बहार राज्य, 1991 : प्रदूषण मु त जल एवं वायु के उपभोग का अ धकार
अनुच्छे द 21 के तहत अन्य महत्वपूणर्ण अ धकार

अपनी पसंद के पुरूष या म हला के साथ परस्पर सहम त से ववाह का अ धकार

त्व रत वचारण का अ धकार

कामकाजी म हलाओं का यौन शोषण से संरक्षण का अ धकार

लावा रस मृतकों का शष्टता एवं शालीनता से दाह संस्कार का अ धकार

भखा रयों के पुनवार्णस का अ धकार

धूम्रपान से संरक्षण का अ धकार

वद्या थर्णयों का रै गंग से संरक्षण का अ धकार


सौंदयर्ण प्र तयो गताओं में नारी ग रमा को बनाए रखने का अ धकार

बजली अ धकार

हथकड़ी, बे डयों एवं एकांतवास से संरक्षण का अ धकार

नंद्रा का अ धकार
अनुच्छे द 21(A)

राज्य 6 से 14 वषर्ण के आयु के समस्त बच्चों को ऐसे ढं ग से जैसा क राज्य, व ध द्वारा


अवधा रत करें , नःशुल्क तथा अ नवायर्ण शक्षा उपलब्ध कराएगा

86वां संशोधन अ ध नयम, 2002


अनुच्छे द 22

नरोध एवं गरफ्तारी से संरक्षण

गरफ्तारी के कारण जानने का अ धकार

वकील से परामशर्ण करने का अ धकार

24 घंटे में मिजस्ट्रे ट के सामने पेश होने का अ धकार


अनुच्छे द 22 व नजरबंद

अनुच्छे द 22 का उन व्यि तयों को भी सुरक्षा प्रदान करता है , िजन्हें नजरबंद कया


गया हो।

नजरबंद का अथर्ण है क अपराध करने से पहले ही हरासत में ले लेना, ता क वह व्यि त


उस संभा वत अपराध को अंजाम न दे सके।
राज्य’ द्वारा कसी व्यि त को 3 महीने से ज्यादा नजरबंद नहीं रखा जा सकता

य द कसी कारण 3 महीने से अ धक समय के लए नजरबंद करना है तो इसके लए एक


सलाहकारी बोडर्ण (Advisory board) का गठन, िजसमें हाईकोटर्ण के कुछ जज होंगे

य द यह बोडर्ण सलाह दे ता है तो ही उस व्यि त को 3 महीने से अ धक समय के लए हरासत


में रखा जाएगा अन्यथा नहीं
अनुच्छे द 23

मानव दुव्यार्णपार (Human trafficking) एवं बलात ् श्रम (Forced labor) पर प्र तबंध

अपवाद : राज्य सावर्णज नक उद्दे श्यों के लए अ नवायर्ण सेवा ले सकता है ,

उदाहरण ⇒ सामािजक सेवा


अनुच्छे द 24

राज्य कसी फै ट्री, खान अथवा अन्य संकट वाली ग त व धयों में 14 वषर्ण से कम उम्र
के बच्चों को काम पर नहीं लगाएगा।

यह प्र तबंध कसी नुकसान न पहुं चाने वाले कायर्तों के संबंध में लागू नहीं होता।
अनुच्छे द 25

सभी व्यि तयों को धमर्ण को मानने, धमर्ण के अनुसार आचरण करने तथा प्रकट करने की स्वतंत्रता

दो स्पष्टीकरण

स खों को कृ पाण धारण करने की ‘ हन्दू’ शब्द के अंतगर्णत स ख, जैन


स्वतंत्रता और बौद्ध भी
अनुच्छे द 26

प्रत्येक समुदाय को अपनी धा मर्णक ग त वधयों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता

जैसे- धा मर्णक कायर्तों के संबंध में कोई कोई चल-अचल संप त्त खरीदना या बेचना
अनुच्छे द 27

कसी व्यि त पर कसी वशेष धमर्ण को बढावा दे ने के लए राज्य कोई कर नहीं लगा
सकता

एक अथर्ण यह भी क राज्य धमर्ण के आधार पर कर नहीं लगा सकता


अनुच्छे द 28

कसी भी सरकारी स्कूल कसी प्रकार की कोई धा मर्णक शक्षा नहीं

नजी स्कूलों में धा मर्णक शक्षा दी जा सकती है , कन्तु कसी वद्याथर्नी को उसके लए
बाध्य नहीं कया जा सकता
अनुच्छे द 29

धा मर्णक & भाषायी अल्पसंख्यकों को अपनी बोली, भाषा ल प, संस्कृ त को सुर क्षत
रखने का अ धकार
अनुच्छे द 30

धा मर्णक एवं भाषायी अल्पसंख्यकों को वद्यालय खोलने एवं उनका प्रबंधन करने की
स्वतंत्रता

कोई भी अल्पसंख्यक वगर्ण अपनी पसंद की शैक्ष णक संस्था चला सकता है और


सरकार उसे अनुदान दे ने में कसी भी तरह का भेदभाव नहीं करे गी
पाश्चात्यवादी / Westernist

बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)

परमादे श (Mandamus)

प्र तषेध (Prohibition)

उत्प्रेषण (Certiorari)

अ धकार पृच्छा (Quo-Warranto)


बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)

सावर्णज नक प्रा धकरणों या व्यि तगत दोनों के वरुद्ध जारी की जा सकती है ।


परमादे श (Mandamus)

हम आदे श दे ते हैं

नजी व्यि त, नजी नकाय, राष्ट्रप त या राज्यपाल के खलाफ जारी नहीं


प्र तषेध (Prohibition)

न्या यक या अद्र्णध-न्या यक संस्था के वरुद्ध जारी

कसी अधीनस्थ न्यायालय को अपनी अ धका रता का अ तक्रमण करने से रोकना


उत्प्रेषण (Certiorari)

न्या यक या अद्र्णध-न्या यक संस्था के वरुद्ध जारी

प्र तषेध रट उस समय जारी की जाती है जब कोई कायर्णवाही चल रही हो, जब क


उत्प्रेषण रट कारर्ण वाई समाप्त होने के बाद नणर्णय समािप्त के उद्दे श्य से की जाती है ।
अ धकार पृच्छा (Qua Warranto)

‘आपका या प्रा धकार है ?’

सावर्णज नक पद पर आसीन कसी व्यि त के वरुद्ध जारी


उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय की रट अ धका रता में अंतर

सवर्वोच्च न्यायालय केवल मौ लक अ धकारों के हनन की िस्थ त में ही रट जारी कर सकता है ,

उच्च न्यायालय को कसी अन्य उद्दे श्य के लये भी

उच्चतम न्यायालय की रट अ धका रता का प्रभाव संपूणर्ण भारत में

उच्च न्यायालय की रट अ धका रता का वस्तार संबं धत राज्य की सीमा तक

SC, HC के वरुद्ध प्र तषेध तथा उत्प्रेषण रट जारी कर सकता है , परं तु HC, SC के वरुद्ध नहीं
समता ⇒ समता का अ धकार (अनुच्छे द 14-18)
समता ने
स्वतंत्र को स्वतंत्र ⇒ स्वतंत्रता का अ धकार (अनुच्छे द 19-22)
शोषण के
वरुद्ध धमर्ण शोषण ⇒ शोषण के वरूद्ध अ धकार (अनुच्छे द 23-24)
की शक्षा
दे कर धमर्ण ⇒ धमर्ण की स्वतंत्रता का अ धकार (अनुच्छे द 25-28)
उपचार
कया शक्षा ⇒ संस्कृ त और शक्षा संबंधी अ धकार (अनुच्छे द 29-30)

5424201
उपचार ⇒ संवैधा नक उपचारों का अ धकार (अनुच्छे द 32)
अनुच्छे द 33

संसद को अ धकार क वह सशस्त्र बलों, अद्र्णधसै नक बलों, पु लस बलों, खु फया


एजें सयों और अन्य के मूल अ धकारों को युि तयु त प्र तबं धत कर सके।

माशर्णल लॉ को असाधारण प रिस्थ तयाँ जैसे- युद्ध, अशां त, दं गा या कानून का


उल्लंघन आ द िस्थ त में लागू कया जाता है ।
अनुच्छे द 34

मॉशर्णल लागू होने पर मूल अ धकारों पर प्र तबंध लगाने की संसद की शि त

उद्दे श्य : सशस्त्र बलों के समु चत कायर्ण करने एवं अनुशासन को बनाए रखना
अनुच्छे द 35

केवल संसद को मूल अ धकारों को प्रभावी बनाने के लए कानून बनाने की शि त

मूल अ धकारों के क्रयान्वयन के लए नदर्दे श, आदे श, रट जारी करने के लये सवर्वोच्च


न्यायालय और उच्च न्यायालयों को सश त बनाना
मूल अ धकार और आपातकाल

केवल युद्ध अथवा बाहरी आक्रमण के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल


अनुच्छे द 358
लागू तो अनुच्छे द 19 का क्रयान्वयन स्वतः नलं बत

राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान राष्ट्रप त अनुच्छे द 20 एवं अनुच्छे द


अनुच्छे द 359 21 को छोड़कर कसी भी मूल अ धकार के प्रवतर्णन को नलं बत कर
सकता है ।
राज्य के नी त- नदे शक तत्व
भाग 4 : अनुच्छे द 36 से 51

आयरलैंड सं वधान की संकल्पना

नी त- नदे शक तत्व सामािजक और आ थर्णक लोकतंत्र की स्थापना

गैर-वाद योग्य

सरकारों के लए नै तक नदर्दे श
❖ अनुच्छे द 36 : राज्य की प रभाषा

❖ अनुच्छे द 37 : नी त नदे शक तत्वों को लागू करना सरकार के लए कानूनी रूप


से तो बाध्यकारी नहीं कं तु नै तक रूप से अवश्य

❖ अनुच्छे द 38 : राज्य सामािजक, आ थर्णक और राजनी तक कल्याण के लए


न्याय पर आधा रत सामािजक व्यवस्था की स्थापना का प्रयास करे गा।

❖ : म हला-पुरूष के लए जीवन-यापन के समान अवसर, समान कायर्ण के लए


समान वेतन, धन और उत्पादन के साधनों का समाज में समरूप वतरण,
❖ अनुच्छे द 39A : सभी को समान एवं नःशुल्क कानूनी सहायता

❖ अनुच्छे द 40 : ग्राम पंचायतों के गठन हे तु राज्य प्रयास करे गा

❖ अनुच्छे द 41 : राज्य काम, शक्षा के साथ ही बुढ़ापे, बीमारी जैसी अभाव की


दशाओं में लोक सहायता सु निश्चत करने का प्रयास करे गा

❖ अनुच्छे द 42 : काम की न्यायसंगत और प्रसू त सहायता

❖ अनुच्छे द 43 : राज्य न्यूनतम मजदूरी तथा श्र मकों के हतों को सुर क्षत करने
का प्रयास करे गा
❖ अनुच्छे द 43 A : उद्योगों के प्रबंधन में श्र मकों की भागीदारी का प्रयास

❖ अनुच्छे द 44 : राज्य समान नाग रक सं हता को अपनाने का प्रयास करे गा

❖ अनुच्छे द 45 : राज्य सभी बालकों को 14 वषर्ण की आयु पूरी करने तक नःशुल्क


और अ नवायर्ण शक्षा दे ने के लए का प्रयास करे गा

❖ अनुच्छे द 46 : समाज के कमजोर वगर्तों एवं SC, ST के हतों की सुरक्षा

❖ अनुच्छे द 47 : लोगों को उच्च स्तरीय पोषण उपलब्ध करवाने तथा लोक


स्वास्थ्य का राज्य प्रयास करे गा
❖ अनुच्छे द 48 : कृ ष एवं पशुपालन की दशा में राज्य के दा यत्व

❖ अनुच्छे द 48A : पयार्णवरण संरक्षण तथा वन्यजीवों आ द का संरक्षण

❖ अनुच्छे द 49 : राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों आ द का संरक्षण

❖ अनुच्छे द 50 : कायर्णपा लक - न्यायपा लका का पृथ करण

❖ अनुच्छे द 51 : अंतरार्णष्ट्रीय शां त को बढ़ाने हे तु राज्य प्रयासरत रहे गा


42वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1976

अनुच्छे द 39 अनुच्छे द 39A अनुच्छे द 43A अनुच्छे द 48A


44वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1978 97वां संशोधन अ ध नयम, 2011

अनुच्छे द 38 (1) : राज्य लोक कल्याण की


अनुच्छे द 43 B
अ भवृद् ध का प्रयास करे गा
मूल अ धकार एवं नी त- नदे शक तत्व

मनवार्ण मल्स बनाम भारत संघ(1980)

दोनों का उद्दे श्य


सामािजक, आ थर्णक और
दोनों एक-दूसरे के पूरक
राजनी तक लोकतंत्र की
स्थापना
मूल कतर्णव्य
सो वयत संघ के सं वधान की संकल्पना

सरदार स्वणर्ण संह स म त (1976)

42वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1976


मूल कतर्णव्य
भाग 4A : अनुच्छे द 51(A)

गैर-बाध्यकारी

वमार्ण स म त (1999) : बाध्यकारी बनाने की सफा रश


❖ सं वधान का पालन ❖ प्राकृ तक पयार्णवरण की रक्षा

❖ राष्ट्रीय आंदोलन के आदशर्तों का पालन ❖ वैज्ञा नक दृिष्टकोण

❖ भारत की प्रभुता, एकता, अखंडता की रक्षा ❖ सावर्णज नक संप त्त की रक्षा

❖ दे श की रक्षा ❖ सभी क्षेत्रों में उत्कषर्ण की ओर बढ़ने का प्रयास

❖ सभी के लए भाईचारे की भावना ❖ 6 से 14 वषर्ण के बच्चों हे तु प्राथ मक शक्षा

❖ सामािजक संस्कृ त का सम्मान (86th संशोधन, 2002)


सं वधान संशोधन
सं वधान-संशोधन की प्र क्रया

वशेष बहु मत + आधे


साधारण बहु मत वशेष बहु मत
राज्यों की अनुम त
मूल ढांचा और न्या यक पुनरावलोकन / Basic Structure and Judicial Review

न्या यक
सुप्रीम कोटर्ण
अनुच्छे द 13 अनुच्छे द 368 पुनरावलोकन
Supreme
Article 13 Article 368 Judicial
Court
Review
शंकरी प्रसाद बनाम भारत सरकार, 1951 मूल अ धकारों में संशोधन

सज्जन संह बनाम राजस्थान राज्य, 1965 मूल अ धकारों में संशोधन

गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य, 1967 मूल अ धकारों में संशोधन नहीं

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य, 1973 मूल ढांचे की संकल्पना

मनवार्ण मल्स बनाम भारत संघ, 1980 न्या यक पुनरावलोकन

वामन राव बनाम भारत संघ, 1981 नौंवी अनुसूची न्या यक समीक्षा के अधीन
सं वधान की सवर्वोच्चता संसदीय प्रणाली

पंथ नरपेक्षता मूल ढांचा व ध का शासन

न्या यक समीक्षा अनुच्छे द 21


आपातकाल
आपात उपबंध

केंद्र को कसी असामान्य िस्थ त से


भारत शासन अ ध नयम, 1935
प्रभावी रूप से नपटने में सक्षम बनाना

सं वधान में इन प्रावधानों को जोड़ने का उद्दे श्य

दे श की संप्रभुता, एकता, अखंडता, लोकतां त्रक राजनी तक व्यवस्था तथा सं वधान की सुरक्षा
भाग 18 : अनुच्छे द 352 से अनुच्छे द 360

अनुच्छे द 352 अनुच्छे द 356 अनुच्छे द 360

राष्ट्रीय आपात संवैधा नक आपात वत्तीय आपात


अनुच्छे द 352

❖ तीन आधार : युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र वद्रोह

❖ 44वां संशोधन (1978) ⇒ आंत रक अशां त की जगह सशस्त्र वद्रोह

❖ आपातकाल की घोषणा केवल मं त्रमंडल की ल खत सफा रश पर

❖ संसद द्वारा एक महीने के अंदर वशेष बहु मत से आपातकाल की घोषणा का समथर्णन


करने की आवश्यकता

❖ एक बार में आपातकाल 6 महीने के लए जारी


❖ राज्य की कायर्णपा लका शि तयों का प्रयोग संघ द्वारा

❖ राज्य सूची के वषयों पर संसद को कानून बनाने की शि त प्राप्त

❖ केंद्र तथा राज्यों के वत्तीय संबंध नलं बत

❖ लोकसभा / वधानसभा के कायर्णकाल एक बार में एक वषर्ण के लए वस्तार

❖ अनुच्छे द 19 में दए गए मूल अ धकार स्वतः नलं बत (अनुच्छे द 358)

❖ जब क अनुच्छे द 20 और 21 को छोड़कर अन्य मूल अ धकारों को राष्ट्रप त चाहे तो


नलं बत कर सकता है (अनुच्छे द 359)
❖ अ टू बर 1962 से जनवरी 1968 तक-चीन द्वारा 1962 में अरुणाचल प्रदे श के नेफा
(North-East Frontier Agency) क्षेत्र पर हमला करने के कारण

❖ दसंबर 1971 से माचर्ण 1977 तक पा कस्तान द्वारा भारत के वरुद्ध अघो षत युद्ध
के कारण

❖ जून 1975 से माचर्ण 1977 तक आंत रक अशां त के आधार पर


कानून / Law

य द राष्ट्रप त को खुद महसूस हो अथवा राज्यपाल की रपोटर्ण के माध्यम से यह लगे क


कसी राज्य में संवैधा नक तंत्र वफल हो गया है तो अनुच्छे द 356 लागू कया जा
सकता है ।
राष्ट्रप त शासन कन- कन प रिस्थ तयों में लगाया जा सकता है ?

जब राज्य का संवैधा नक तंत्र पूरी तरह वफल हो जाए

राज्य सरकार अपने संवैधा नक दा यत्वों का नवार्णह न करे

वधानसभा चुनाव के बाद कसी भी दल या गठबंधन को बहु मत न मले

वधानसभा मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं कर पाए

सबसे बड़ी पाटर्टी सरकार बनाने से इंकार कर दे

सत्तारूढ़ गठबंधन टू ट जाए और सरकार बहु मत खो दे


Declaration of constitutional
संवैधा नक आपातकाल की घोषणा को emergency requires the approval of
दो महीने के अंदर संसद की अनुम त Parliament within two months,
आवश्यक, अन्यथा दो महीने बाद ऐसी otherwise such declaration will

घोषणा स्वतः समाप्त automatically terminated after two


months.
संवैधा नक आपात के दौरान राज्य सूची During constitutional emergency, the
के वषयों पर संघ को शि तयां प्राप्त; Union gets powers on the subjects of

संसद की अनुम त मलने पर


the State List.

संवैधा नक आपातकाल 6 महीने तक Constitutional Emergency in force for

लागू; 6 months after approval of Parliament


य द संवैधा नक आपातकाल को 1 वषर्ण के बाद आगे बढ़ना है तो दो शतर्तें

नवार्णचन आयोग यह स्पष्ट कर दे क


भारत में कहीं पर भी अनुच्छे द 352
संबं धत राज्य वधानसभा के चुनाव
लागू हु आ हो
करवाने संभव नहीं है
❖ भारत में अब तक व भन्न राज्यों में 100 से ज्यादा बार राष्ट्रप त शासन

❖ सबसे ज्यादा म णपुर में 10 बार और उत्तर प्रदे श में 9 बार

❖ 38वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1975 : न्यायालय द्वारा संवैधा नक


आपातकाल की समीक्षा नहीं की जा सकती (श्रीमती इं दरा गांधी)

❖ 44वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1978 : न्यायालय द्वारा संवैधा नक


आपातकाल की समीक्षा की जा सकती है (मोरारजी दे साई)
एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)

आपातकाल अता कर्णक


अथवा संकीणर्ण साथ ही य द केंद्र द्वारा
न्यायालय द्वारा कसी
राजनी तक आधारों पर भंग राज्य मं त्रप रषद
भी प्रकार के आपातकाल
मनमाने तरीके से तो को भी न्यायालय द्वारा
की समीक्षा
न्यायालय द्वारा पुनः बहाल
समाप्त
अनुच्छे द 360

वत्तीय आपातकाल

केंद्र तथा राज्यों के बीच वत्तीय संबंधों को नलंबन

केंद्र को वत्त के संबंध में प्रभावी एवं एकपक्षीय शि तयाँ

सावर्णज नक पद पर आसीन कसी भी कमर्णचारी अथवा अ धकारी के वेतन में कटौती (न्यायालयों स हत)
संसदीय व्यवस्था / Parliamentary System
संसदीय व्यवस्था के लक्षण

दोहरी कायर्णपा लका

बहु मत प्राप्त दल द्वारा मं त्रप रषद का गठन

मं त्रप रषद वधा यका के प्र त सामू हक रूप से उत्तरदायी

वधा यका और कायर्णपा लका की दोहरी सदस्यता


संसदीय व्यवस्था की वशेषताएं

वधा यका एवं कायर्णपा लका में सहयोग

उत्तरदायी सरकार

वैकिल्पक सरकार की व्यवस्था

राजनी तक एकरूपता
संसदीय व्यवस्था के दोष

अिस्थर सरकार

नी तयों की अ निश्चतता

मं त्रमंडल की नरं कुशता

शि त पृथ करण के वरूद्ध


भारत में संसदीय व्यवस्था को यों अपनाया गया ?

भारत की वशाल उत्तरदायी सरकार को संसदीय व्यवस्था के


जनसंख्या प्राथ मकता दे ना प्र त अनुभव
भारत और ब्रिटे न की संसदीय व्यवस्था में अंतर
ब्रिटे न भारत

● राजतंत्र ● गणतंत्र

● संसद की सवर्वोच्चता ● सं वधान की सवर्वोच्चता

● प्रधानमंत्री के लए नम्न सदन की ● प्रधानमंत्री के लए संसद की सदस्यता


सदस्यता अ नवायर्ण अ नवायर्ण

● सम्राट की भू मका नाममात्र ● राष्ट्रप त को कुछ ववेकीय शि तयां


अध्यक्षात्मक व्यवस्था / Presidential System
अध्यक्षात्मक व्यवस्था के लक्षण

एकल कायर्णपा लका

वधा यका एवं कायर्णपा लका का पृथक नवार्णचन

मं त्रप रषद जनता के प्र त उत्तरदायी

वधा यका / कायर्णपा लका की एकल सदस्यता


अध्यक्षात्मक व्यवस्था की वशेषताएं

निश्चत कायर्णकाल

िस्थर सरकार

नी तयों में निश्चतता

कायर्णपा लका के गठन हे तु व्यापक अवसर


अध्यक्षात्मक व्यवस्था के दोष

उत्तरदा यत्व का अभाव

कायर्णपा लका- वधा यका में समन्वय का अभाव

राष्ट्रप त की नरं कुशता का भय


संघीय व्यवस्था
संघ

फेडरे शन (Federation) यू नयन (Union)


सं वधान की सवर्वोच्चता शि तयों का वभाजन

संघात्मक
ल खत सं वधान न्यायपा लका की सवर्वोच्चता
व्यवस्था

कठोर सं वधान द् वसदनीय वधा यका


एकात्मक व्यवस्था

शि तशाली केंद्र एकीकृ त न्यायपा लका

एकल सं वधान राष्ट्रप त द्वारा राज्यपाल की नयुि त

एकल नाग रकता उच्च सदन में राज्यों का असमान प्र त न धत्व

अंतरार्णज्यीय एवं क्षेत्रीय प रषदें केंद्र पर राज्यों की नभर्णरता


केंद्र एवं राज्यों के मध्य सहयोग एवं समन्वय

वशेष प रिस्थ तयों में केंद्र की नणार्णयक भू मका


सहयोगी
संघवाद
राज्यों के लए केंद्रीय फंड का प्रावधान

केंद्र एवं राज्यों के मध्य संवाद हे तु नकाय


एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)

भारतीय सं वधान संघात्मक सं वधान

संघात्मक व्यवस्था सं वधान के मूल ढांचे का अंग


केंद्र-राज्य संबंध
सातवीं अनुसूची वधायी संबंध

भाग 11 प्रशास नक संबंध

अनुच्छे द 245 से अनुच्छे द 293 वत्तीय संबंध


अनुच्छे द 246 (1) संघ सूची (100) संसद

अनुच्छे द 246 (2) राज्य सूची (61) राज्य

अनुच्छे द 246 (3) समवतर्नी सूची (52) दोनों

अनुच्छे द 248 अव शष्ट संसद


42वें सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1976 के तहत 5 वषयों को राज्य सूची से समवतर्नी सूची में

शक्षा

वन

नाप-तौल

वन्यजीवों एवं प क्षयों का संरक्षण

न्याय का प्रशासन
The US Constitution mentions
अमे रका के सं वधान में केंद्र और राज्यों
only one list for the division of
के बीच शि त वभाजन हे तु केवल एक
power between the Center and
सूची का उल्लेख है , जब क ऑस्ट्रे लया
the States, while the Australian
के सं वधान में भी शि त वभाजन की
Constitution also mentions two
दो सू चयों का उल्लेख है ।
lists of division of power.
केंद्र को अ धक शि तयां यों ?

ऐ तहा सक आधार

दे श की एकता और अखंडता

दे शी रयासतों के एकीकरण का अनुभव

राष्ट्रीय वकास हे तु मजबूत केंद्र आवश्यक

नी तगत एवं प्रशास नक एकरूपता स्था पत करना


भारत संघ बनाम मोहम्मद असलम मामला, 2011

भारत की संघीय व्यवस्था में राज्य भी केंद्र के साथ बराबरी के हस्सेदार

अतः केंद्र द्वारा अपनी प्रशास नक शि त का मनमाना प्रयोग नहीं कया जा सकता
केंद्र राज्य वधायी संबंध

अनुच्छे द 3

अनुच्छे द 246 केंद्र एवं राज्यों के मध्य शि तयों का वभाजन

अनुच्छे द 246 (1) संघ सूची पर संसद को कानून बनाने की शि त

अनुच्छे द 246 (2) समवतर्नी सूची पर दोनों को, कं तु ग तरोध की िस्थ त में संसद का कानून प्रभावी

अनुच्छे द 246 (3) राज्य सूची पर राज्य वधानमंडल को कानून बनाने की शि त

अनुच्छे द 248 : अव शष्ट शि तयां संसद में न हत


अनुच्छे द 249 : राज्यसभा द्वारा वशेष बहु मत से प्रस्ताव पा रत करने पर राष्ट्र हत के महत्व पर संसद को
एक बार में एक वषर्ण के लए कानून बनाने की शि त

अनुच्छे द 250 : राष्ट्रीय आपातकाल की िस्थ त में राज्य सूची के वषयों पर कानून बनाने की संसद की
शि त (भारत के कसी भी राज्य के लए)

अनुच्छे द 252 : दो या दो से अ धक राज्यों के अनुरोध पर संसद को उन राज्यों के राज्य सूची के वषयों पर


कानून बनाने की शि त

अनुच्छे द 253 : अंतरार्णष्ट्रीय सं ध या समझौते को लागू करने के लए राज्य सूची के वषय पर कानून बनाने
की संसद की शि त
अनुच्छे द 254 : राज्य वधानमंडल तथा संसद के कानून के मध्य ग तरोध होने की िस्थ त में संसदीय
कानून प्रभावी

अनुच्छे द 201 : राज्यपाल द्वारा राष्ट्रप त की स्वीकृ त के लए रखे राज्य वधेयक पर राष्ट्रप त को
अनुम त दे ने, नहीं दे ने अथवा सुर क्षत रखने का अ धकार

अनुच्छे द 368
केंद्र-राज्य प्रशास नक संबंध

अनुच्छे द 256 से 263 तक

सं वधान में वधायी प्रावधानों की तरह प्रशास नक संबंधों का स्पष्ट उल्लेख नहीं

अनुच्छे द 256 : राज्य कायर्णपा लका शि त का प्रयोग संसदीय कानूनों के क्रयान्वयन में सहायक के रूप में

अनुच्छे द 257 : राज्य की कायर्णपा लका शि त का प्रयोग इस प्रकार की वह केंद्रीय कायर्णपा लका की शि तयों
में बाधा उत्पन्न न करे
अनुच्छे द 258 : राज्य सरकार की सहम त से केंद्रीय कायर्णपा लका के कृ त्यों को राज्य को सौंपा जाना

अनुच्छे द 260 : समझौते के द्वारा केंद्रीय कायर्णपा लका कसी अन्य दे श की कायर्णपा लका शि तयों का
प्रयोग उस दे श के संबंध में कर सकेगी

अनुच्छे द 260 : समझौते के द्वारा केंद्रीय कायर्णपा लका कसी अन्य दे श की कायर्णपा लका शि तयों का
प्रयोग उस दे श के संबंध में कर सकेगी

अनुच्छे द 261 : पूरे दे श में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा कए गए सावर्णज नक कायर्तों में वश्वास
प्रदान कया जाएगा ⇒ सरकारों तथा दे श की जनता के मध्य संबंध
अनुच्छे द 262 : अंतरराज्यीय नदी जल ववादों के समाधान के लए संसद को कानून बनाने की शि त
न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती

अनुच्छे द 263 : व भन्न राज्यों तथा केंद्र और राज्यों के मध्य तनाव एवं ग तरोध दूर करने के लए
अंतरराज्यीय प रषद का गठन करने की राष्ट्रप त की शि त
केंद्र-राज्य प्रशास नक संबंध : अन्य प्रावधान

अनुच्छे द 155 : राष्ट्रप त द्वारा राज्यपाल की नयुि त

अनुच्छे द 365 : केंद्रीय कायर्णपा लका के नदर्दे शों को लागू करने में राज्य की असफलता का अथर्ण उस राज्य में
संवैधा नक तंत्र का वफल होना
केंद्र-राज्य वत्तीय संबंध

अनुच्छे द 266 : लोक लेखा की स्थापना

अनुच्छे द 267 : केन्द्र सरकार तथा प्रत्येक राज्य सरकार के लए आकिस्मकता न ध की स्थापना

अनुच्छे द 268 : स्टाम्प शुल्क केन्द्र द्वारा लगाया एवं वसूला कन्तु इसे संबं धत राज्य को सौंप जाएगा

अनुच्छे द 269 : वस्तुओं के क्रय- वक्रय पर केन्द्र सरकार कर लगाएगी कन्तु राज्य सरकार को सौंप दे गी

अनुच्छे द 269A के अनुसार अंतरार्णज्यीय व्यापार में जीएसटी केन्द्र सरकार लगाएगी तथा वसूले गए धन को
केन्द्र और राज्य जीएसटी काउं सल द्वारा नधार्ण रत व्यवस्था के अनुसार आपस में बाँट लेंगे।
अनुच्छे द 270 : संघ सूची के शेष सभी कर केन्द्र द्वारा लगाए व वसूले जायेंगे और वत्त आयोग की
सफा रशों के अनुसार केन्द्र और राज्य आपस में बाँट लेंगे।

अनुच्छे द 271 : संसद को सरचाजर्ण लगाने की शि त है जो क जीएसटी के अलावा होगा।

अनुच्छे द 273 : केन्द्र सरकार जूट के नयार्णत पर शुल्क लगा सकती है तथा उस शुल्क से प्राप्त धनरा श को
अनुदान के रूप में जूट उत्पादक राज्यों को सौंपे दे गी।

अनुच्छे द 274 : राज्य के वत्तीय हतों को प्रभा वत करने वाले कसी भी वधेयक को संसद में लाने से पूवर्ण
राष्ट्रप त की अनुम त लेनी होगी।

अनुच्छे द 282 : केन्द्र लोक-कल्याणकारी ग त व धयों के लए राज्यों को अनुदान दे सकता है ।


वत्त आयोग (अनुच्छे द 280)

❖ नयुि त : राष्ट्रप त द्वारा प्रत्येक 5 वषर्ण के बाद

❖ प्रमुख कायर्ण : केंद्र एवं राज्यों के मध्य वत्तीय संबंधों के नधार्णरण हे तु सुझाव तथा
केन्द्र और राज्यों के मध्य करों के वतरण के संबंध में सुझाव दे ना

❖ संरचना : (1 + 4)

❖ वत्त आयोग द्वारा दी गई सफा रशों की प्रकृ त सलाहकारी

❖ वत्त आयोग अपनी रपोटर्ण राष्ट्रप त को सौंपेगा।


संघ की कायर्णपा लका
राष्ट्रप त

उपराष्ट्रप त

प्रधानमंत्री
संघ की कायर्णपा लका
में कौन-कौन
मं त्रप रषद

भारत का महान्यायवादी

नयंत्रक महालेखापरीक्षक (CAG)


संघ की कायर्णपा लका

भाग 5 : अनुच्छे द 52 से 151

अनुच्छे द 52 : अनुसार भारत का एक राष्ट्रप त होगा

अनुच्छे द 53 : संघ की कायर्णपा लका शि तयां राष्ट्रप त में न हत


अनुच्छे द 54

संसद के दोनों सदनों के नवार्ण चत सदस्य

राज्यों की वधानसभाओं के नवार्ण चत सदस्य

दल्ली और पुद्दुचेरी वधानसभाओं के नवार्ण चत सदस्य

जम्मू-कश्मीर में भी वधानसभा, कं तु अभी तक इस संबंध में अनुच्छे द 54 में संशोधन नहीं
अनुच्छे द 55

राष्ट्रप त के नवार्णचन का तरीका

आनुपा तक प्र त न धत्व एकल संक्रमणीय मत


गुप्त मतदान
पद्ध त प्रणाली
लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
राष्ट्रप त के
नवार्णचन में कौन राज्य वधानसभा के मनोनीत सदस्य
भाग नहीं लेता
राज्य वधान प रषद के सभी सदस्य
भारत की नाग रकता

35 वषर्ण की आयु
अनुच्छे द 58
राष्ट्रप त के पद हे तु
शतर्तें लोकसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता

लाभ के पद पर न हो
❖ अनुच्छे द 71 : राष्ट्रप त के नवार्णचन के संबंध में उत्पन्न कसी भी ववाद की सुनवाई
सफर्ण सुप्रीम कोटर्ण में

❖ अनुच्छे द 56 : राष्ट्रप त को पद से हटाने के लए महा भयोग का प्रावधान ⇒ एकमात्र


आधार सं वधान का उल्लंघन

❖ अनुच्छे द 61 : महा भयोग की प्र क्रया ⇒ दोनों सदनों के कुल सदस्यों के दो- तहाई
बहु मत से अलग-अलग प्रस्ताव पा रत कर
राष्ट्रप त की कायर्णपा लका शि तयाँ

संघ की कायर्णपा लका शि तयाँ राष्ट्रप त में न हत : अनुच्छे द 53

भारत सरकार की सभी कायर्णवा हयाँ राष्ट्रप त के नाम से : अनुच्छे द 77

प्रधानमंत्री तथा अन्य मं त्रयों की नयुि त : अनुच्छे द 75

मंत्रालयों का आवंटन : अनुच्छे द 77 (3)

राष्ट्रप त के प्र त मं त्रयों का व्यि तगत उत्तरदा यत्व : अनुच्छे द 77 (2)


राष्ट्रप त की वधायी शि तयाँ

राष्ट्रप त संसद का अ भन्न अंग (अनुच्छे द 79)

राज्यसभा में 12 सदस्यों का मनोनयन

वधायी और प्रशास नक वषयों के संबंध में प्रधानमंत्री से जानकारी (अनुच्छे द 78)

संसद की संयु त बैठक बुलाने की शि त

राष्ट्रप त द्वारा अध्यादे श : अनुच्छे द 123


अनुच्छे द 123 : राष्ट्रप त द्वारा अध्यादे श

जब संसद के दोनों सदन सत्र में न हो &

ऐसी प रिस्थ तयां उत्पन्न हो जायें िजन पर तुरंत कारर्ण वाई करना आवश्यक है

संसद की अनुम त मल जाए तो अध्यादे श कानून का रूप ले लेता है अन्यथा 6 महीने बाद स्वतः समाप्त

केवल उन्हीं वषयों पर अध्यादे श जारी कया जा सकता है िजन पर संसद को कानून बनाने का अ धकार

अनुच्छे द 213 : राज्यपाल को अध्यादे श जारी करने की शि त


राष्ट्रप त की वीटो शि त (अनुच्छे द 111)

आत्यं तक वीटो नलंबनकारी वीटो पॉकेट वीटो

स्वीकृ त सुर क्षत रखना पुन वर्णचार के लए लौटाना नणर्णय को रोककर रखना

राष्ट्रप त सं वधान संशोधन वधेयक पर अपनी अनुम त दे ने के लए बाध्य है ।


अनुच्छे द 200 : राज्यपाल को वीटो शि त

वधेयक पर अपनी स्वीकृ त दे सकता है , अथवा

वधेयक पर अपनी स्वीकृ त सुर क्षत रख सकता है ; अथवा

वधेयक (य द धन वधेयक न हो) को राज्य वधा यका के पुन वर्णचार के लए लौटा सकता है

वधेयक को राष्ट्रप त के वचाराधीन आर क्षत कर सकता है


राष्ट्रप त की वत्तीय शि तयाँ

धन वधेयक राष्ट्रप त की पूवार्णनुम त से ही संसद में प्रस्तुत

अनुदान की मांग बना राष्ट्रप त की सफा रश के नहीं

बजट को संसद में राष्ट्रप त ही रखवाता है

भारत की आकिस्मक न ध से अ ग्रम भुगतान की व्यवस्था

अनुच्छे द 280 के तहत वत्त आयोग का गठन


राष्ट्रप त की न्या यक शि तयाँ (अनुच्छे द 72)

लघुकरण (Commutation) : सज़ा की प्रकृ त को बदलना

प रहार (Remission) : सज़ा की अव ध को कम करना

वराम (Respite) : वशेष प रिस्थ तयों की वजह से सज़ा को कम करना

प्र वलंबन (Reprieve) : कसी दं ड को कुछ समय के लये टालना

क्षमा (Pardon) : पूणत


र्ण ः माफ़ कर दे ना

राज्यपाल को मृत्यु दं ड को पूणत


र्ण ः क्षमा करने का अ धकार नहीं
राष्ट्रप त की कूटनी तक शि तयाँ

अंतरार्णष्ट्रीय सं धयां व समझौते राष्ट्रप त के नाम पर

कूटनी तज्ञों, राजदूतों व उच्चायु तों की नयुि त

अंतरार्णष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्र त न धत्व


राष्ट्रप त की ववेकीय शि तयाँ

लोकसभा में कसी दल को स्पष्ट बहु मत प्राप्त नहीं होने की िस्थ त में

जब मं त्रप रषद त्यागपत्र सौंप दे

जब मं त्रप रषद के वरूद्ध लोकसभा में अ वश्वास प्रस्ताव पा रत हो जाए

जब मं त्रप रषद कोई ऐसी सलाह दे जो सं वधान के वरूद्ध हो


प्रधानमंत्री और मं त्रप रषद
संसदीय व्यवस्था

नाममात्र कायर्णपा लका वास्त वक कायर्णपा लका


(de jure executive) (de facto executive)

प्रधानमंत्री राष्ट्रप त
प्रधानमंत्री

मं त्रमंडल

सत्तारूढ़ बहु मत प्राप्त दल

व्यवस्था पका

मतदाता

नाग रक
❖ राष्ट्रप त को सहायता एवं सलाह दे ने के लए एक मं त्रप रषद (अनुच्छे द 74)

❖ राष्ट्रप त मं त्रप रषद की सलाह के अनुसार कायर्ण करे गा, कं तु सफर्ण एक बार
मं त्रप रषद की सलाह को पुन वर्णचार के लए लौटा सकेगा।

❖ प्रधानमंत्री तथा अन्य मं त्रयों की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा

❖ मं त्रप रषद लोकसभा के प्र त सामू हक रूप से उत्तरदायी

❖ मंत्री व्यि तगत रूप से राष्ट्रप त के प्र त उत्तरदायी


प्रधानमंत्री के कायर्ण और शि तयाँ

मं त्रप रषद का गठन

शासनाध्यक्ष के रूप में भू मका

मं त्रयों के मध्य मंत्रालयों का आवंटन

मं त्रप रषद का संचालन एवं समन्वय

लोकसभा का नेता

वधायन
मं त्रप रषद के कायर्ण एवं शि तयां

राष्ट्रीय नी तयों की नमार्णता

पूरे दे श के शासन का संचालन

पूरे राष्ट्र के धन का व नयमन

कानून को लागू करना व व्यवस्था को बनाए रखना

वधेयक तैयार करना व संसद में प्रस्तुत करना


मं त्रप रषद के कायर्ण एवं शि तयां

राष्ट्रीय नी तयों की नमार्णता & पूरे दे श के शासन का संचालन

संसद सदस्यों के प्रश्नों का जवाब दे ना

पूरे राष्ट्र के धन का व नयमन

कानून को लागू करना व व्यवस्था को बनाए रखना

वधेयक तैयार करना व संसद में प्रस्तुत करना

राष्ट्रप त के नाम से अध्यादे श जारी करना


मं त्रप रषद में मं त्रयों की तीन श्रे णयां होती है

कै बनेट मंत्री राज्य मंत्री उपमंत्री


Cabinet Minister Minister of State vice Minister
❖ अनुच्छे द 75 : प्रधानमंत्री की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा और अन्य मं त्रयों की
नयुि त राष्ट्रप त द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर

❖ कोई भी व्यि त बना संसद की सदस्यता के अ धकतम 6 माह तक मंत्री

❖ मं त्रप रषद प्रधानमंत्री स हत मं त्रप रषद के सदस्यों की संख्या लोकसभा की कुल


सदस्य संख्या के 15 प्र तशत से अ धक नहीं (91st सं वधान संशोधन अ ध नयम,
2003)
मं त्रप रषद और मं त्रमंडल में अंतर
❖ मं त्रमंडल (कै बनेट) महत्त्वपूणर्ण राष्ट्रीय नी तयों का नमार्णण करने वाला और सरकार
में समन्वय का सवर्वोच्च अंग

❖ मं त्रमंडल में केवल कै बनेट स्तर के मंत्री, छोटा आकार;

❖ मं त्रप रषद का आकार बड़ा = कै बनेट मंत्री + राज्य मंत्री + संसदीय स चव

❖ कै बनेट नी तयों पर नणर्णय लेती है और उनके क्रयान्वयन पर नगरानी रखती है ।

❖ मं त्रप रषद कै बनेट के फैसलों को लागू करवाने में सहयोग दे ती है ।

❖ 44वें संशोधन, 1978 से पूवर्ण मं त्रमंडल का सं वधान में कोई उल्लेख नहीं

❖ अनुच्छे द 352 (3) : में एकमात्र अनुच्छे द िजसमें मं त्रमंडल शब्द का उल्लेख
उपराष्ट्रप त
योग्यतायें

भारत की नाग रकता

न्यूनतम आयु 35 वषर्ण

राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य हो

लाभ का पद धारण न कया हो

संसद या राज्य वधानमंडल के कसी सदन का सदस्य न हो


नवार्णचन

संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा

आनुपा तक प्र त न धत्व पद्ध त और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली

प्रारं भ में संसद के दोनों सदनों के संयु त अ धवेशन के द्वारा > 11 संशोधन, 1961

लोकसभा नवार्णचक मंडल में शा मल ⇒ यों क राष्ट्रप त की अनुपिस्थ त में उपराष्ट्रप त


राष्ट्रप त के कतर्णव्यों का नवर्णहन करता है ।
❖ कायर्णकाल : 5 वषर्ण

❖ पद से हटाना : राज्यसभा के कुल सदस्यों के दो- तहाई बहु मत द्वारा + लोकसभा


द्वारा भी समथर्णन (साधारण बहु मत)

❖ उपराष्ट्रप त को पद से हटाने का प्रस्ताव सफर्ण राज्यसभा में


उपराष्ट्रप त के दो प्रमुख कायर्ण

राज्यसभा की अध्यक्षता राष्ट्रप त के पद को नरं तरता


महान्यायवादी
अनुच्छे द 76

नयुि त : राष्ट्रप त द्वारा

सुप्रीम कोटर्ण का न्यायाधीश नयुि त होने की योग्यता अपे क्षत

कायर्णकाल : राष्ट्रप त के प्रसादपयर्णन्त

प्रमुख कायर्ण : सरकार का वकील एवं कानूनी वशेषज्ञ

संसद की कायर्णवा हयों में भाग लेने का अ धकार कं तु मतदान नहीं

भारत के कसी भी न्यायालय में सुनवाई करने का अ धकार प्राप्त


भारत का नयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
भाग 5 में अनुच्छे द 148 से अनुच्छे द 151 तक

नयुि त : राष्ट्रप त द्वारा

सं वधान में CAG की योग्यता के संबंध में कोई प्रावधान नहीं

कायर्णकाल : 6 वषर्ण अथवा अ धकतम 65 वषर्ण की आयु

पद से उसी प्र क्रया द्वारा हटाया जा सकता है , िजस प्रकार सुप्रीम कोटर्ण के न्यायाधीश को ( सद्ध कदाचार
तथा अक्षमता)

CAG संघ की कायर्णपा लका का एकमात्र ऐसा पद जो राष्ट्रप त के प्रसादपयर्णन्त नहीं

कायर्णकाल की समािप्त के बाद सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं


प्रमुख कायर्ण

केंद्र और राज्य सरकारों के खातों की जांच करना (सं चत न ध + आकिस्मक न ध)

सरकारों से वत्तपो षत सभी नकायों की आय-व्यय का परीक्षण

CAG संसद की लोक लेखा स म त के मागर्णदशर्णक, मत्र और सलाहकार के रूप में

CAG की ऑ डट रपोटर्ण लोक लेखा स म त को सौंपी जाती है ।


संसद
संसद = वधानमंडल

लोकसभा राज्यसभा राष्ट्रप त

वधानसभा वधान प रषद राज्यपाल


NOTE

वतर्णमान में 5 राज्यों में वधान प रषद ⇒ उत्तरप्रदे श, बहार, महाराष्ट्र, कनार्णटक और तेलंगाना

वधान प रषद का गठन करने की शि त को संसद को,


कं तु इस हे तु पहल केवल संबं धत राज्य की वधानसभा द्वारा की जा सकती है ।
राज्यसभा

❖ राज्यों का प्र त न धत्व करने वाला सदन

❖ स्थायी सदन, कायर्णकाल 6 वषर्ण

❖ अ धकतम सदस्य 250

❖ 12 सदस्य मनोनीत : सा हत्य, कला, वज्ञान और समाज सेवा के आधार पर

❖ नवार्णचन : राज्य वधानसभा के सदस्यों द्वारा आनुपा तक प्र त न धत्व पद्ध त के


आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा
लोकसभा

❖ जनता का प्र त न धत्व करने वाला सदन

❖ एक अस्थायी सदन

❖ अ धकतम सदस्य संख्या 550

❖ प्रत्यक्ष नवार्णचन

❖ कायर्णकाल 5 वषर्ण

❖ आपातकाल की िस्थ त में लोकसभा का कायर्णकाल 1 बार में 1 वषर्ण के लए वस्ता रत


सदस्यों की योग्यता

❖ लोकसभा और राज्यसभा के लए न्यूनतम आयु क्रमशः 25 और 30 वषर्ण

❖ भारत की नाग रकता

❖ नवार्णचन सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृ त

❖ संसद द्वारा नधार्ण रत अन्य कानूनी योग्यतायें


अन्य प्रमुख बातें

❖ संसद के दो सत्रों के बीच 6 महीने से अ धक का अंतराल नहीं

❖ राष्ट्रप त को दोनों सदनों के सत्रावसान तथा लोकसभा को वघ टत करने की शि त

❖ दोनों सदन के स्थगन का अ धकार केवल पीठासीन अ धका रयों को

❖ अनुच्छे द 89 और अनुच्छे द 93 क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा के पीठासीन


अ धका रयों के संबंध में प्रावधान करते हैं।

❖ पीठासीन अ धकारी केवल नणार्णयक मत दे सकता है


❖ लोकसभा के अध्यक्ष को लोकसभा द्वारा अपने वशेष बहु मत से

❖ राज्यसभा के पीठासीन अ धकारी अथार्णत ् उपराष्ट्रप त को राज्यसभा के वशेष बहु मत


से तथा लोकसभा के सामान्य बहु मत द्वारा पद से हटाया जा सकता है ।

❖ संसद की गणपू तर्ण : न्यूनतम 10% सदस्य

❖ अनुच्छे द 105 संसद के सदस्यों को वशेषा धकार प्रावधान,

❖ सांसदों द्वारा सदन में कही गई कसी बात या दए गए मत के वरूद्ध कोई न्या यक
कायर्णवाही नहीं
संसद के सत्र, सत्रावसान और वघटन

सत्र (Sessions)

❖ अनुच्छे द 85

❖ संसद के दो सत्रों के बीच 6 महीने से अ धक का अंतराल नहीं

सत्रावसान (Prorogation)

❖ स्थगन के वपरीत, सत्रावसान बैठक के साथ-साथ सदन के सत्र को भी समाप्त करता है ।

❖ भारत के राष्ट्रप त द्वारा


संसद के सत्र, सत्रावसान और वघटन

स्थगन (Adjournment)

❖ एक निश्चत समय के लए बैठक में कामकाज को नलं बत करना

❖ स्थगन कुछ घंटे, दन या सप्ताह के लए हो सकता है

❖ जब बैठक अगली बैठक के लए नयत कसी निश्चत समय/ त थ के बना समाप्त तो


⇒ अ निश्चतकाल के लये स्थगन

❖ स्थगन और अ निश्चत काल के लए स्थगन की शि त सदन के पीठासीन अ धकारी


(अध्यक्ष या सभाप त) के पास
संसद के सत्र, सत्रावसान और वघटन

अनुच्छे द 85 ⇒ वघटन / dissolution

❖ राष्ट्रप त लोकसभा का वघटन कर सकता है , कं तु राज्यसभा का नहीं

❖ वघटन का तात्पयर्ण है क य द लोकसभा का वघटन कर दया जाता है तो लोकसभा के


नए चुनाव होंगे।

❖ जब क सत्रावसान का अथर्ण है क लोकसभा के एक सत्र की कायर्णवाही समाप्त हो जाएगी,


कं तु इसके लए नए चुनावों की आवश्यकता नहीं होगी।

❖ सत्रावसान संसद के दोनों सदनों का कया जा सकता है कं तु वघटन केवल लोकसभा का


ही कया जा सकता है ।
पीठासीन अ धकारी
❖ अनुच्छे द 89 और अनुच्छे द 93 क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा के पीठासीन
अ धका रयों के संबंध में प्रावधान करते हैं।

❖ पीठासीन अ धकारी केवल नणार्णयक मत दे सकता है

❖ लोकसभा के अध्यक्ष को लोकसभा द्वारा अपने वशेष बहु मत से

❖ राज्यसभा के पीठासीन अ धकारी अथार्णत ् उपराष्ट्रप त को राज्यसभा के वशेष बहु मत से


तथा लोकसभा के सामान्य बहु मत द्वारा

❖ संसद की गणपू तर्ण : न्यूनतम 10% सदस्य


❖ गणपू तर्ण के अभाव में उस सदन की कायर्णवाही को पीठासीन अ धकारी तब तक के लए
स्थ गत कर दे ता है जब तक क कोरम पूरा नहीं होता है ।

❖ अनुच्छे द 105 संसद के सदस्यों को वशेषा धकार प्रावधान करता है , सांसदों द्वारा सदन
में कही गई कसी बात या दए गए मत के वरूद्ध कोई न्या यक कायर्णवाही नहीं
वधेयक के प्रकार -1

सरकारी वधेयक गैर सरकारी वधेयक


वधेयक के प्रकार -2

सं वधान संशोधन
साधारण वधेयक धन वधेयक (109)
वधेयक
साधारण वधेयक

❖ संसद के कसी भी सदन में पेश कया जा सकता है

❖ कसी मंत्री के अलावा अन्य सदस्यों के द्वारा भी पेश कया जा सकता है

❖ राष्ट्रप त की अनुशंसा की आवश्यकता नहीं होती

❖ राज्यसभा अ धकतम 6 महीने तक रोक सकती है

❖ 6 महीने बाद संयु त बैठक का प्रावधान

❖ राष्ट्रप त द्वारा स्वीकार / अस्वीकार / पुन वर्णचार के लए भेजा जा सकता है


संयु त बैठक

❖ अनुच्छे द 108 में संयु त बैठक का प्रावधान

❖ लोकसभा अध्यक्ष अथवा लोकसभा उपाध्यक्ष द्वारा अध्यक्षता

❖ केवल साधारण वधेयक के संबंध में ही संयु त बैठक

❖ धन वधेयक अथवा सं वधान संशोधन वधेयक के संबंध में संयु त बैठक नहीं

❖ साधारण बहु मत से वधेयक पा रत होगा


सं वधान संशोधन वधेयक
धन वधेयक : अनुच्छे द 110

❖ धन वधेयक की प रभाषा

❖ करों को लगाना, हटाना, घटाना या बढ़ाना तथा भारत सरकार द्वारा धन उधार लेना
अथवा दे ना
अनुच्छे द 109

❖ धन वधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत

❖ धन वधेयक का नधार्णरण लोकसभा अध्यक्ष द्वारा

❖ राज्यसभा धन वधेयक को केवल 14 दन के लए रोक सकती है

❖ लोकसभा धन वधेयक के संबंध में राज्यसभा की सफा रशों को मानने के लए बाध्य


नहीं
वत्त वधेयक

❖ धन वधेयक की प रभाषा

❖ करों को लगाना, हटाना, घटाना या बढ़ाना तथा भारत सरकार द्वारा धन उधार लेना
अथवा दे ना
वत्त वधेयक के प्रकार

वत्त वधेयक - 1 वत्त वधेयक - 2


अनुच्छे द 117 (1) अनुच्छे द 117 (3)
❖ वत्त वधेयक-1 का संबंध अनुच्छे द 110 में शा मल वषयों के साथ ही अन्य वषयों से
भी होता है ।

❖ वत्त वधेयक में उन सभी वषयों को शा मल कया जाता है , जो प्रत्यक्ष रूप से वत्त से
संबं धत मामलों से संबं धत होते हैं, जैसे- सरकार के व्यय अथवा सरकार के राजस्व से
संबं धत व्यय।
वत्त वधेयक-1 ⇒ अनुच्छे द 117 (1)

धन वधेयक संबंधी प्रावधान साधारण वधेयक संबंधी प्रावधान


वत्त वधेयक-1

❖ वत्त वधेयक-1 में धन वधेयक में उिल्ल खत सभी मामले और सामान्य कानून के
अन्य मामले भी

❖ केवल लोकसभा में पेश

❖ राष्ट्रप त की सफा रश पर ही पेश

❖ दोनों सदनों के बीच मतभेद के मामले में राष्ट्रप त ग तरोध को हल करने के लए दोनों
सदनों की संयु त बैठक
❖ जब वत्त वधेयक-1 राष्ट्रप त के सामने प्रस्तुत कया जाता है , तो वह या तो अपनी
सहम त दे सकता है या अपनी सहम त वापस ले सकता है या पुन वर्णचार के लए बल
वापस सदन में भेज सकता है ।
वत्त वधेयक-2 ⇒ अनुच्छे द 117 (3)

अनुच्छे द 110 से संबं धत कं तु धन संबंधी अन्य वषय


कोई वषय नहीं शा मल होते हैं
वत्त वधेयक-2

❖ अनुच्छे द 110 में शा मल धन वधेयक संबंधी वषयों से कोई संबंध नहीं

❖ कं तु सं चत न ध पर भा रत व्यय जैसे अन्य वत्तीय मामले

❖ भारत के समे कत कोष (Consolidated Fund) से व्यय शा मल

❖ अनुच्छे द 110 में व णर्णत कसी भी मामले को शा मल नहीं

❖ संसद के कसी भी सदन में पेश

❖ साधारण वधेयक की तरह पा रत


धन वधेयक वत्त वधेयक

पा रत करने की प्र क्रया अनु. 117 में


पा रत करने की प्र क्रया अनु. 109 में


अनु. 110 में शा मल वषय तथा कुछ
सफर्ण अनु. 110 में शा मल वषय


अन्य वषय
● प्रत्येक वत्त वधेयक धन वधेयक नहीं
● प्रत्येक धन वधेयक वत्त वधेयक
● राज्यसभा 14 दन के अन्दर सफा रश
दोनों सदनों द्वारा पा रत
स हत या र हत लौटा दया जाता है ।

संयु त बैठक बुलायी जा सकती है ।


संयु त बैठक का प्रावधान नहीं


धन वधेयक साधारण वधेयक

● केवल लोकसभा में ही पेश


● कसी भी सदन में पेश
● राष्ट्रप त की पूवार्णनुम त आवश्यक
● राष्ट्रप त की पूवार्णनुम त आवश्यक नहीं
● राज्यसभा अ धकतम 14 दनों तक रोक
● इसे राज्यसभा अ धकतम 6 महीने तक
सकती है ]
रोक सकती है
● 14 दन बाद राज्यसभा द्वारा स्वतः पा रत
● 6 महीने बाद संयु त बैठक का प्रावधान
कया हु आ मान लया जाता है
● राष्ट्रप त अनुम त दे ने के लए बाध्य नहीं
● राष्ट्रप त अनुम त दे ने के लए बाध्य
राज्यसभा की व शष्ट शि तयां लोकसभा की व शष्ट शि तयां

● राज्य सूची के कसी वषय को राष्ट्रीय ● मं त्रप रषद के वरूद्ध अ वश्वास


महत्व का घो षत करना प्रस्ताव

● अ खल भारतीय सेवाओं का सृजन या ● धन वधेयक केवल लोकसभा में


समािप्त प्रस्तुत एवं पा रत, राज्यसभा की
भू मका केवल सलाहकारी
बजट
❖ अनुच्छे द 112 बजट : वा षर्णक वत्तीय ववरण

❖ बजट को राष्ट्रप त संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाता

❖ सरकार के आय और व्यय के बारे मे ववरण

❖ सं चत न ध पर भा रत व्यय ⇒ संसद में केवल चचार्ण हो सकती है कं तु मतदान नहीं

❖ सं चत न ध से कए जाने वाले व्यय ⇒ चचार्ण और मतदान दोनों हो सकते हैं


❖ बजट में धन की मांग अनुदान मांग के रूप में की जाती है ।

❖ अनुदान की मांग सफर्ण लोकसभा में

❖ अनुदान की मांग प्रस्तुत करने से पूवर्ण राष्ट्रप त की अनुम त आवश्यक

❖ संसद द्वारा अनुदान की मांग पा रत ⇒ व नयोग वधेयक

❖ व नयोग वधेयक में कसी प्रकार का संशोधन नहीं कया जा सकता है

❖ राज्यसभा को बजट के संबंध में कोई वशेष शि त नहीं है , कं तु व नयोग वधेयक को


संसद के दोनों सदनों द्वारा पा रत कया जाना अ नवायर्ण होता है ।
अंत रम बजट

❖ अंत रम बजट में केंद्र सरकार खचर्ण के अलावा राजस्व का भी ब्यौरा पेश करती है ।

❖ िजस साल लोकसभा चुनाव होता है , उस साल सरकार अंत रम बजट पेश करती है ।
चुनाव के बाद बनने वाली सरकार पूणर्ण बजट पेश करती है ।
❖ लेखानुदान : सरकार को बजट पा रत हु ए बना खचर्ण करने की लोकसभा द्वारा
अ ग्रम अनुम त प्रदान कया जाना

❖ प्रत्यानुदान : कसी आकिस्मक खचर्ण के लए सरकार को धन प्रदान करना

❖ अपवादानुदान : कोई ऐसा खचर्ण िजसका बजट में उल्लेख न हो कं तु बाद में
प रिस्थ तवश सरकार को खचर्ण करना पडे
❖ नी त कटौती प्रस्ताव : इसके अंतगर्णत बजट में मंत्रालय के लए प्रस्ता वत अनुदान
को घटाकर एक रुपये करने की मांग की जाती है

❖ आ थर्णक कटौती प्रस्ताव : प्रस्ता वत अनुदान की रकम को कम करने के लए

❖ टोकन कटौती प्रस्ताव : प्रस्ता वत बजट में कसी 'अनुदान की मांग' का वरोध नहीं
बिल्क केंद्र सरकार की कायर्णशैली पर सांके तक असंतोष व्य त
❖ प्रश्न काल : संसद की बैठक का पहला घंटा
❖ तारां कत प्रश्न : मौ खक उत्तर, अनुपूरक प्रश्न
❖ अतारां कत प्रश्न : ल खत उत्तर, कोई अनुपूरक प्रश्न नहीं
❖ अल्प सूचना प्रश्न : अ वलम्बनीय लोक महत्व से संबं धत, मौ खक उत्तर, अनुपूरक
प्रश्न
❖ शून्यकाल : दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक, बना कसी अनुम त या पूवर्ण सूचना के प्रश्न
पूछना
❖ आधे घंटे की चचार्ण : तारां कत/अतारां कत प्रश्न के उत्तर के संबंध में स्पष्टीकरण
❖ अल्पकालीन चचार्ण : सावर्णज नक महत्त्व के प्रश्न पर सदन का ध्यान आक षर्णत करने के
लए
❖ ध्यानाकषर्णण प्रस्ताव : अ वलंब लोक महत्त्व के कसी मामले की ओर मंत्री का ध्यान
आक षर्णत करने के लए
❖ स्थगन प्रस्ताव : दे श की कसी गंभीर और महत्त्वपूणर्ण समस्या पर चचार्ण
संसदीय स म तयां
संसदीय स म तयों के प्रकार / Types of Parliamentary Committees

स्थायी स म तयां अस्थायी स म तयां


प्रा कलन स म त

❖ गठन 1950 में तत्कालीन वत्त मंत्री जॉन मथाई की सफा रश से

❖ लोकसभा के 30 सदस्य

❖ राज्यसभा से कोई सदस्य नहीं

❖ अध्यक्ष : वपक्ष का सदस्य

❖ मंत्री इस स म त के सदस्य नहीं होते

❖ सरकार के व्ययों के अनुमान की जांच-पड़ताल प्रमुख कायर्ण


लोक लेखा स म त

❖ सबसे पुरानी स म त

❖ कुल 22 सदस्य (15+7)

❖ अध्यक्ष : वपक्ष का सदस्य

❖ केंद्र सरकार के कसी भी मंत्री को इस स म त में सदस्य के तौर पर शा मल नहीं

❖ अध्यक्ष की नयुि त लोकसभा अध्यक्ष द्वारा; स म त का अध्यक्ष वपक्ष का कोई सदस्य

❖ प्रमुख कायर्ण : या सरकार ने उसी कायर्ण के लए धन खचर्ण कया है िजस कायर्ण के लए उसे
आवं टत कया गया था ?
सावर्णज नक उपक्रम स म त

❖ कुल 22 सदस्य (15+7)

❖ अध्यक्ष : वपक्ष का सदस्य

❖ सरकारी उपक्रमों के लेखाओं और उन पर CAG के प्र तवेदनों की जांच करना


अधीनस्थ वधान स म त

❖ प्रत्येक सदन द्वारा ग ठत

❖ दोनों सदनों की अलग-अलग स म त

❖ 15 सदस्य
अस्थायी स म तयाँ या तदथर्ण स म तयाँ

जाँच स म तयाँ सलाहकार स म तयाँ

कसी तत्कालीन
कसी वशेष वधेयक
घटना की जाँच करने
पर चचार्ण करने के लये
के लये
संसदीय मंच
फोरम की संरचना

❖ अ धकतम सदस्य : 31 (21 लोकसभा + 10 राज्यसभा)

❖ कायर्णकाल : सदस्यों की सदन की सदस्यता पर आधा रत

❖ सभी फोरम के अध्यक्ष : लोकसभा का अध्यक्ष

❖ कं तु जनसंख्या तथा सावर्णज नक स्वास्थ्य पर ग ठत फोरम का अध्यक्ष राज्यसभा का


सभाप त होता है ।

❖ उद्दे श्य : कसी वशेष वषय के संबंध में उच्च स्तरीय चचार्ण के लए नी त- नमार्णताओं को
मंच प्रदान करना
वतर्णमान में कुल 8 संसदीय मंच कायर्णरत

❖ जल संरक्षण एवं प्रबंधन पर संसदीय फोरम

❖ युवाओं पर संसदीय फोरम

❖ बच्चों पर संसदीय फोरम

❖ जनसंख्या एवं जन स्वास्थ्य पर संसदीय फोरम

❖ ग्लोबल वा मर्मिंग एवं जलवायु प रवतर्णन पर संसदीय फोरम

❖ आपदा प्रबंधन पर संसदीय फोरम

❖ सहस्रािब्द वकास लक्ष्य पर संसदीय फोरम

भारत का पहला संसदीय फोरम ⇒ जल संरक्षण एवं प्रबंधन, 2005


संसदीय समूह
❖ एक स्वायत्त नकाय, 1949 में सं वधान सभा के एक प्रस्ताव द्वारा स्थापना

संरचना

❖ अध्यक्ष : लोकसभा का अध्यक्ष

❖ उपाध्यक्ष : लोकसभा का उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा का उपसभाप त

❖ सदस्य : दोनों सदनों के सदस्य, भूतपूवर्ण सांसद


राज्य वधान वधानमंडल
अनुच्छे द 168

प्रत्येक राज्य के लए एक वधानमंडल

राज्यपाल + वधानमंडल के एक या दो सदनों से मलकर

बहार, कनार्णटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदे श में वधान प रषद

हाल ही में आंध्र प्रदे श वधानप रषद समाप्त; UT बनने से पहले J&K में भी वधानप रषद
अनुच्छे द 170

राज्य वधानसभा के सदस्यों की अ धकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60

सि कम व गोवा जैसे कम जनसंख्या वाले राज्यों के लए न्यूनतम संख्या 30

SC & ST के लए जनसंख्या के अनुपात के आधार पर आरक्षण

जनता द्वारा प्रत्यक्ष नवार्णचन & कायर्णकाल 5 वषर्ण


❖ अनुच्छे द 352 के तहत आपातकाल लागू संसद कानून बनाकर राज्य वधानसभा का
कायर्णकाल एक बार में एक वषर्ण के लए बढा सकती है ,

❖ कं तु आपातकाल समाप्त होने के बाद कसी भी िस्थ त में 6 महीने से अ धक नहीं

❖ गणपू तर्ण ⇒ 1/10 भाग

❖ वधानसभा अध्यक्ष ⇒ सभी प्रावधान लोकसभा अध्यक्ष के समान

❖ वधानसभा उपाध्यक्ष ⇒ सभी प्रावधान लोकसभा उपाध्यक्ष के समान


राज्य वधानसभा की शि तयां

राज्य सूची एवं समवतर्नी सूची के वषयों पर कानून बनाना

राज्य की मं त्रप रषद पर नयंत्रण रखना

राज्य मं त्रप रषद के वरूद्ध अ वश्वास प्रस्ताव

वहीं शि तयां हैं जो केंद्र में लोकसभा को


❖ िजन राज्यों में वधानमंडल एक सदन है वहां पर वधानमंडल की सभी शि तयों का
प्रयोग वधानसभा द्वारा

❖ िजन राज्यों में वधान मंडल दो सदनीय है वहां पर भी वधानसभा अ धक प्रभावशाली


अनुच्छे द 169

वधान प रषद का गठन

वधानसभा द्वारा अपने कुल सदस्यों के दो- तहाई बहु मत से प्रस्ताव पा रत कर संसद को

संसद द्वारा साधारण बहु मत से प्रस्ताव पा रत कर वधान प रषद का गठन

वधान प रषद के गठन की शि त संसद के पास, कं तु वधानसभा द्वारा पहल अ नवायर्ण


वधानप रषद के सदस्यों की संख्या वधानसभा की संख्या के 1/3 से अ धक नहीं

परं तु साथ ही कसी भी िस्थ त में वधानप रषद की सदस्य संख्या 40 से कम नहीं

न्यूनतम आयु 30 वषर्ण & सदस्यों का कायर्णकाल 6 वषर्ण

नवार्णचन आनुपा तक प्र त न धत्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत पद्ध त के अनुसार

एक व्यापक नवार्णचन मंडल के माध्यम से जनता द्वारा अप्रत्यक्ष नवार्णचन


वधानसभा का नवार्णचक मंडल = 1/3 भाग

स्थानीय नकायों का नवार्णचक मंडल = 1/3 भाग

राज्यपाल द्वारा मनोनीत (सा हत्य, वज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन, सामािजक सेवा) = 1/6

स्नातकों (तीन साल से अ धक) का नवार्णचक मंडल = 1/12 भाग

शक्षकों (तीन साल से अ धक) का नवार्णचक मंडल = 1/12 भाग


अनुच्छे द 173 : अहतार्ण

❖ वह भारत का नाग रक हो

❖ उसकी आयु कम-से-कम 30 वषर्ण होनी चा हए

❖ मान सक रूप से असमथर्ण और दवा लया नहीं होना चा हए

❖ िजस क्षेत्र से वह चुनाव लड़ रहा हो वहाँ की मतदाता सूची में नाम होना चा हए

❖ राज्यपाल द्वारा ना मत होने के लये व्यि त को संबं धत राज्य का नवासी


होना
❖ वधानप रषद द्वारा साधारण वधेयक को अ धकतम 3 महीने तक केवल लं बत रखने
की शि त

❖ सलाहकारी भू मका

❖ पुनः पा रत होने पर वधेयक को अ धकतम 1 माह तक लं बत रखने की शि त, अन्यथा


वधेयक स्वतः पा रत

❖ धन वधेयक को केवल 14 दन तक लं बत रखने की शि त


राज्य की कायर्णपा लका
भाग 6 ⇒ अनुच्छे द 153 से 167 तक

अनुच्छे द 153 : प्रत्येक राज्य के लए एक राज्यपाल, कं तु दो या दो से अ धक राज्यों के लए एक ही


राज्यपाल

अनुच्छे द 155 : राज्यपाल की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा

अनुच्छे द 156 : कायर्णकाल 5 वषर्ण + राष्ट्रप त के प्रसाद पयर्णन्त + राष्ट्रप त को त्यागपत्र

अनुच्छे द 157 : केवल भारत की नाग रकता और 35 वषर्ण की आयु


अनुच्छे द 158 : वधायक अथवा सांसद को राज्यपाल के पद पर नयु त नहीं + लाभ का पद x

अनुच्छे द 158 : वेतन राज्य की सं चत न ध से

अनुच्छे द 159 : हाईकोटर्ण के मुख्य न्यायाधीश अथवा अन्य व रष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष शपथ

अनुच्छे द 154 : राज्य की कायर्णपा लका शि तयाँ राज्यपाल में न हत

अनुच्छे द 166 : राज्य की समस्त कायर्णपा लका कायर्णवा हयाँ राज्यपाल के नाम से
अनुच्छे द 164 : मुख्यमंत्री तथा अन्य मं त्रयों की नयुि त राज्यपाल द्वारा

अनुच्छे द 164 : राज्यपाल के प्र त मं त्रयों का व्यि तगत उत्तरदा यत्व

अनुच्छे द 166 : मं त्रयों के मध्य मंत्रालयों का आवंटन राज्यपाल द्वारा

मं त्रयों की नयुि त तथा मंत्रालयों के आवंटन में राज्यपाल की भू मका औपचा रक

कुला धप त के रूप में राज्यपाल द्वारा वश्व वद्यालयों के कुलप त की भी नयुि त


राज्यपाल राज्य वधानमंडल का अ भन्न अंग (अनुच्छे द 168)

अनुच्छे द 174 : सत्र बुलाने, सत्रावसान करने तथा वधानसभा को वघ टत करने की शि त

अनुच्छे द 174 : वधानमंडल के दो अ धवेशनों के बीच 6 माह से अ धक का अंतराल नहीं

अनुच्छे द 175 : राज्य वधानमंडल को संबो धत करने की शि त

अनुच्छे द 176 : राज्य वधानमंडल में अ भभाषण दे ने की शि त


अनुच्छे द 200 : राज्यपाल को वीटो शि त

वधेयक पर अपनी स्वीकृ त दे सकता है , अथवा

वधेयक पर अपनी स्वीकृ त सुर क्षत रख सकता है ; अथवा

वधेयक (य द धन वधेयक न हो) को राज्य वधा यका के पुन वर्णचार के ल

वधेयक को राष्ट्रप त के वचाराधीन आर क्षत


न्यायपा लका
त्रस्तरीय न्या यक ढांचा

उच्चतम न्यायालय

उच्च न्यायालय

अधीनस्थ न्यायालय

सवर्वोच्च न्यायालय ⇒ भाग 5 ⇒ अध्याय 4 ⇒ अनुच्छे द 124 से 147


भारत में एक स्वतंत्र न्यायपा लका की आवश्यकता

लोकतां त्रक शासन के सुचारू क्रयान्वयन के लए

सं वधान की व्याख्या के लए

सं वधान की सवर्वोच्चता सु निश्चत करने के लए

मूल अ धकारों के संरक्षण के लए

व ध के शासन को सु निश्चत करने के लए

शि तयों के संदभर्ण में नयंत्रण और संतुलन के लए

केंद्र एवं राज्यों के मध्य ववादों के नपटारे के लए


❖ सुप्रीम कोटर्ण के न्यायाधीश को सद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर

❖ संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग अपने कुल सदस्यों के बहु मत तथा उपिस्थत
एवं मतदान करने वाले 2/3 सदस्यों के बहु मत से प्रस्ताव पा रत कर

❖ राष्ट्रप त द्वारा पद से हटाया जा सकता है ।

❖ उपयुर्ण त प्र क्रया द्वारा अभी तक सुप्रीम कोटर्ण के कसी न्यायाधीश को पद से नहीं हटाया

❖ अब तक केवल एक बार लोकसभा में सुप्रीम कोटर्ण के न्यायाधीश श्री रामास्वामी को पद से


हटाए जाने के संबंध में कदाचार का आरोप लगाते हु ए प्रस्ताव प्रस्तुत कया गया था।

❖ कं तु वह प्रस्ताव लोकसभा में पेश नहीं हो सका था। इसके बाद न्यायाधीश रामास्वामी ने
अपने पद से स्वतः ही त्यागपत्र दे दया था।
सुप्रीम कोटर्ण का न्यायाधीश नयुि त होने की योग्यता

कसी हाईकोटर्ण का कम से कम 5 वषर्ण तक जज रहा हो, या

कसी हाईकोटर्ण में कम से कम 10 साल तक वकील रहा हो, या

राष्ट्रप त की राय में कानून का वशेषज्ञ हो


❖ न्यूनतम आयु की कोई योग्यता नहीं

❖ उच्च न्यायालय के संदभर्ण में व ध वशेषज्ञ को न्यायाधीश नयु त करने का कोई


प्रावधान नहीं

❖ सुप्रीम कोटर्ण के मुख्य न्यायाधीश की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा

❖ सुप्रीम कोटर्ण के नणर्णय के अनुसार मुख्य न्यायाधीश के रूप में हमेशा व रष्ठतम
न्यायाधीश को नयु त कया जाएगा

❖ सुप्रीम कोटर्ण के अन्य न्यायाधीशों की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा कॉलेिजयम सस्टम के


आधार पर
कॉलेिजयम सस्टम

सुप्रीम कोटर्ण का मुख्य न्यायाधीश + 4 अन्य व रष्ठतम न्यायाधीश

बहु मत के आधार पर नणर्णय

कॉलेिजयम के नणर्णय को मानने के लए राष्ट्रप त बाध्य

हाईकोटर्ण के जजों की नयुि त भी राष्ट्रप त द्वारा सुप्रीम कोटर्ण के मुख्य न्यायाधीश


तथा संबं धत राज्य के राज्यपाल से परामशर्ण करने के बाद
99वाँ सं वधान संशोधन अ ध नयम, 2014

राष्ट्रीय न्या यक नयुि त आयोग के गठन का प्रावधान

सं वधान के मूल ढाँचे के उल्लंघन के आधार पर शून्य


सुप्रीम कोटर्ण की शि तयां
❖ सुप्रीम कोटर्ण की प्रारं भक अ धका रता

❖ अनुच्छे द 131

❖ केंद्र और राज्यों अथवा दो या दो से अ धक राज्यों के बीच ववादों की सुनवाई


केवल सुप्रीम कोटर्ण द्वारा
❖ संवैधा नक मामले (अनुच्छे द 132) में उच्च न्यायालय के कसी नणर्णय पर चाहे
वह दीवानी ( स वल) अथवा फौजदारी में से कसी भी कायर्णवाही से संबं धत हो
सवर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है ।
❖ कोई ऐसा स वल मामला िजसमें कानून के व्यापक महत्व का कोई प्रश्न न हत हो
अथवा

❖ कोई ऐसा आपरा धक मामला िजसमें अधीनस्थ न्यायालय को नणर्णय को पलटते


हु ए हाईकोटर्ण ने कसी व्यि त को मृत्युदंड दे दया हो

तो इस प्रकार के मामलों की सुनवाई सीधे सुप्रीम कोटर्ण द्वारा की जा सकती है ।

अनुच्छे द 133 एवं अनुच्छे द 134


❖ अनुच्छे द 137 : सुप्रीम कोटर्ण द्वारा दए गए नणर्णयों की सुप्रीम कोटर्ण पुनः
समीक्षा कर सकता है ।

❖ अनुच्छे द 141 : सुप्रीम कोटर्ण द्वारा दया गया नणर्णय संपूणर्ण भारत में कानून की
तरह स्वीकार कया जाएगा और सभी न्यायालय उस नणर्णय को आधार बनाकर
फैसला सुना सकेंगे।

❖ अनुच्छे द 143 : राष्ट्रप त संवैधा नक मामलों पर सुप्रीम कोटर्ण से परामशर्ण कर


सकता है । परामशर्ण को मानने के लए राष्ट्रप त बाध्यकारी नहीं होगा।
❖ अनुच्छे द 129

❖ सवर्वोच्च न्यायालय एक अ भलेख न्यायालय के रूप में

❖ अथार्णत ् उसके द्वारा दए गए नणर्णय को कसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं


अनुच्छे द 32 : रट अ धका रता

❖ मूल अ धकारों को लागू करवाने के लए सुप्रीम कोटर्ण को 5 प्रकार की रट जारी


करने की शि त

❖ बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादे श, प्र तषेध, उत्प्रेषण, अ धकार पृच्छा


न्या यक समीक्षा
❖ अनुच्छे द 13 और अनुच्छे द 32 के संयु त प्रभाव के माध्यम से भारतीय सुप्रीम
कोटर्ण ने न्या यक पुनरावलोकन की शि त

❖ अनुच्छे द 132 के अंतगर्णत सुप्रीम कोटर्ण को भारतीय सं वधान की व्याख्या के


साथ ही व ध की व्याख्या करने की भी शि त

❖ इसी प्रकार अनुच्छे द 228 भी राज्यों के उच्च न्यायालयों को व ध की व्याख्या


हे तु सश त
न्या यक स क्रयता
❖ न्या यक स क्रयता का तात्पयर्ण न्यायालय की उस भू मका से है िजसके तहत वह
वधा यका तथा कायर्णपा लका को अपने संवैधा नक दा यत्वों का पालन करने के
लए आदे श दे ता है ।

❖ भारत में , न्या यक स क्रयता के सद्धांत को 1970 के दशक के मध्य जन हत


या चका (Public Interest Litigation) के माध्यम से वक सत

❖ न्यायमू तर्ण वी.आर. कृ ष्णा अय्यर, पी.एन. भगवती, न्यायमू तर्ण ओ. चन्नाप्पा
रे ड्डी और न्यायमू तर्ण डी.ए. दे साई
जन हत या चका / public interest litigation
❖ भारतीय सं वधान या कसी कानून में प रभा षत नहीं

❖ अंतरार्णष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार का कोई उदाहरण नहीं

❖ भारत की मौ लक अवधारणा

❖ जन हत या चका सावर्णज नक हत की रक्षा के लए मुकदमे का प्रावधान

❖ इसमें यह आवश्यक नहीं की पी ड़त पक्ष स्वयं अदालत में जाए

❖ कसी भी नाग रक या स्वयं न्यायालय द्वारा पी ड़त के पक्ष में दायर


न्या यक संयम (Judicial Restraint)
❖ न्या यक संयम न्या यक व्याख्या का एक सद्धांत है जो न्यायाधीशों को स्वयं
अपनी शि तयों के प्रयोग को सी मत करने के लये प्रोत्सा हत करता है ।

❖ यह ज़ोर दे ता है क जब तक व धयाँ स्पष्ट रूप से असंवैधा नक न हों,


न्यायाधीशों को उन्हें नरस्त करने से बचना चा हये।

❖ न्यायालयों को व ध की व्याख्या करनी चा हये और नी त- नमार्णण में हस्तक्षेप


नहीं करना चा हये।
अधीनस्थ न्यायालय
अधीनस्थ न्यायालय

भाग 6 : अनुच्छे द 233 से 237 तक

उच्च न्यायालय के अधीन तथा राज्य अ ध नयम के द्वारा गठन

िजला न्यायाधीश की नयुि त व पदोन्न त राज्यपाल द्वारा राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य
न्यायाधीश के परामशर्ण से
िजला न्यायाधीश के रूप में नयु त होने के लए योग्यता

कम से कम 7 वषर्ण तक कसी न्यायालय में अ धव ता रहा हो, अथवा

केंद्र अथवा राज्य के अधीन लाभ के पद पर ना हो, अथवा

उच्च न्यायालय ने उसकी नयुि त की सफा रश की हो, अथवा


अधीनस्थ न्यायालय ⇒ िजला न्यायालय (दीवानी + फौजदारी)

दीवानी मामलों के लए अधीनस्थ फौजदारी मामलों के लए अधीनस्थ


न्यायालय न्यायालय

दीवानी मामलों के लए मुं सफ फौजदारी मामलों के लए न्या यक


न्यायाधीश का न्यायालय दं डा धकारी का न्यायालय
संरचना व क्षेत्रा धकार

❖ राज्य कानून अ ध नयम द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों के क्षेत्रा धकार व शतर्तों का


नधार्णरण; कन्तु व भन्न राज्यों में इनकी प्रकृ त भन्न- भन्न

❖ िजले का सवर्वोच्च न्या यक अ धकारी िजला न्यायाधीश ⇒ दीवानी व फौजदारी


मामलों में मूल व अपीलीय क्षेत्रा धकार प्राप्त

❖ िजला न्यायाधीश जब दीवानी मामलों की सुनवाई करता है तो उसे िजला


न्यायाधीश कहते है तथा जब फौजदारी मामलों की सुनवाई करता है तो उसे सत्र
न्यायाधीश कहते है ।
स्थानीय शासन
❖ भाग 9 ⇒ पंचायतें ⇒ 73rd सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1993 ⇒ 11वीं
अनुसूची ⇒ 29 वषय

❖ भाग 10 ⇒ नगरपा लकायें ⇒ 74th सं वधान संशोधन अ ध नयम ⇒ 12वीं


अनुसूची ⇒ 18 वषय

बलंबत राय मेहता स म त की सफा रश : 73rd सं वधान संशोधन अ ध नयम


73वें सं वधान संशोधन अ ध नयम की प्रमुख वशेषतायें
❖ त्रस्तरीय पंचायतों की स्थापना : ग्राम पंचायत, पंचायत स म त, िजला प रषद

❖ 20 लाख से कम जनसंख्या वाले राज्य ⇒ मध्यवतर्नी इकाई के गठन की छूट

❖ ग्राम सभा के गठन का प्रावधान : न्यूनतम वयस्क जनसंख्या 200

❖ दो बार बैठक, 15 दन पूवर्ण नो टस

❖ अध्यक्ष: मु खया या सरपंच

❖ सदस्य: 18 वषर्ण की आयु का प्रत्येक वयस्क जो मतदाता के रूप में पंजीकृ त

❖ बैठक बुलाने का अ धकार ग्राम प्रधान को


❖ SC और ST के लए सीटों का आरक्षण : आबादी के अनुपात में

❖ SC और ST के लए आर क्षत कुल सीटों में से एक- तहाई सीटें SC और ST की


म हलाओं के लए

❖ अध्यक्ष पदों के लए आरक्षण दे ने की व्यवस्था राज्य सरकार पर

❖ राज्य वधानमंडल कानून ⇒ OBC के लए भी आरक्षण


कायर्णकाल

❖ अ धकतम 5 वषर्ण

❖ राज्य कानून बनाकर उन आधारों की व्यवस्था कर सकता है , िजनके आधार


पर कसी पंचायत को समय से पहले भी भंग कया जा सके।

❖ नधार्ण रत 5 वषर्ण की अव ध की समािप्त से पहले चुनाव

❖ य द कसी पंचायत को समय से पूवर्ण भंग कर दया जाता है तो 6 महीने के अंदर


चुनाव करवाने अ नवायर्ण
❖ भंग कए जाने के बाद उस पंचायत का नधार्ण रत कायर्णकाल पूरा होने में 6 महीने
से कम की अव ध तो अंत रम चुनाव आवश्यक नहीं

❖ अंत रम रूप से चुनाव करवाए जाने पर उस पंचायत का कायर्णकाल 5 वषर्ण नहीं


होगा बिल्क उतना होगा, िजतना समय 5 वषर्ण की अव ध में शेष था।

❖ अयोग्यता से संबं धत प्रावधान : राज्य वधानमंडल कानून बनाकर


वत्त आयोग के गठन का प्रावधान

❖ राज्यपाल द्वारा हर 5 वषर्ण बाद

❖ पंचायती राज संस्थाओं की वत्तीय िस्थ त की समीक्षा + राज्य और स्थानीय


नकायों के बीच धन के वतरण के संबंध में सफा रशें दे ने हे तु
74वें सं वधान संशोधन अ ध नयम की प्रमुख वशेषतायें
❖ नगरीय नकायों को संवैधा नक दजार्ण

❖ भाग 9A ⇒ नगरपा लकायें

❖ 12वीं अनुसूची ⇒ 18 वषय

❖ त्रस्तरीय नगर नकायों की स्थापना का प्रावधान ⇒ नगर पंचायत, नगर


प रषद (Municipal Council), नगर नगम (Municipal Corporation)
❖ प्रत्येक नवार्णचन क्षेत्र को वाडर्तों में वभािजत कया जाएगा

❖ इन वाडर्तों से प्रत्यक्ष नवार्णचन द्वारा प्र त न ध नगर नकाय के लए चुने जायेंगे।

❖ 3 लाख या इससे अ धक की जनसंख्या वाले नगर नकायों में वाडर्ण स म तयों के


गठन का प्रावधान

❖ आरक्षण तथा कायर्णकाल संबंधी प्रावधान पंचायतों के समान

❖ राज्य वधानमंडल कानून बनाकर कर लगाने का अ धकार प्रदान कर सकता है ।

❖ वत्त आयोग के गठन का प्रावधान


केन्द्र सरकार

राज्य सरकार

िजला नयोजन स म त
िजला नयोजन स म त

तहसील/Block स्तर

ग्रामीण स्तर/नगर के वाडर्ण


❖ 1957 को बलवंत राय मेहता स म त ने ग्रामीण वकास के लए त्रस्तरीय
पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना का सुझाव दया।

❖ 2 अ टू बर, 1959 को त्रस्तरीय पंचायती राज संस्था की शुरुआत राजस्थान के


नागौर िजले से हु ई।

❖ 1977 में अशोक मेहता स म त ने पुनः पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना को


प्रस्ताव दया।

❖ एल. एम. संघवी स म त (1985) ने सवर्णप्रथम पंचायती राज संस्थाओं को


संवैधा नक दजार्ण प्रदान करने की सफा रश की।
❖ 1989 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री वाले कायर्णकाल में पंचायती राज संस्थाओं
को संवैधा नक दजार्ण दे ने के लए संसद में 64वां सं वधान संशोधन वधेयक
प्रस्तुत कया गया, कं तु यह राज्यसभा से पा रत नहीं हो सका।

❖ 1990 में पुनः 74वां सं वधान संशोधन वधेयक प्रस्तुत, कं तु यह भी पा रत


नहीं हो सका।
❖ बलवंत राय मेहता (1957)
❖ अशोक मेहता स म त (1977)
❖ हनुमंत राव स म त (1983)
❖ जी.वी.के. राव स म त (1985)
❖ एल.एम. संघवी स म त (1986)
❖ केंद्र-राज्य संबंधों पर सरका रया आयोग (1988)
❖ पी.के. थुंगन स म त (1989)
❖ हरलाल संह खरार्ण स म त (1990)
❖ जी.वी.के राव स म त (1985)
दल-बदल
दल-बदल

52 सं वधान संशोधन
दसवीं अनुसूची
अ ध नयम, 1985
दल-बदल के आधार पर अयोग्यता कब

❖ कोई वधायक या संसद अपनी इच्छा से उस राजनी तक दल की सदस्यता त्याग दे ता है ,


िजस दल की सीट पर वह सदन में जीतकर आया है

❖ अपने दल के नदर्दे शों के वपरीत सदन में वो टंग या वो टंग करने के समय सदन से
अनुपिस्थत

❖ नदर्ण लीय सदस्य चुनाव जीतने के बाद कसी राजनी तक दल की सदस्यता ग्रहण कर ले

❖ कोई मनोनीत सदस्य अपने मनोनयन के छः महीने बाद कसी राजनी तक दल की


सदस्यता ग्रहण कर लेता है
अयोग्यता का नधार्णरण कौन करे गा ?

❖ सदन का अध्यक्ष

❖ दल-बदल के संबंध में सदन के अध्यक्ष द्वारा दए गए नणर्णय को न्यायालय में चुनौती
दी जा सकती है ( कहोतो-होलोहन मामले में सुप्रीम कोटर्ण का नणर्णय)
91वाँ सं वधान संशोधन, 2003

❖ मं त्रप रषद का आकार प्रधानमंत्री स हत लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्र तशत
से अ धक नहीं

❖ राज्यों के संबंध में मं त्रप रषद की सदस्य संख्या मुख्यमंत्री स हत न्यूनतम 12 सदस्य

❖ य द कोई सांसद या वधायक दल-बदल के आधार पर अपनी सदस्यता खो दे ता है तो वह


मंत्री पद धारण करने के लए भी अयोग्य होगा।
91वाँ सं वधान संशोधन, 2003

❖ मं त्रप रषद का आकार प्रधानमंत्री स हत लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्र तशत
से अ धक नहीं

❖ राज्यों के संबंध में मं त्रप रषद की सदस्य संख्या मुख्यमंत्री स हत न्यूनतम 12 सदस्य

❖ य द कोई सांसद या वधायक दल-बदल के आधार पर अपनी सदस्यता खो दे ता है तो वह


मंत्री पद धारण करने के लए भी अयोग्य होगा।
पांचवी अनुसूची
❖ अनुसू चत क्षेत्रों संबंधी प्रावधान (असम, मेघालय, मजोरम,
़ त्रपुरा को छोड़कर)

❖ अनुसू चत क्षेत्र : ऐसे क्षेत्र िजसे राष्ट्रप त अपने आदे श से घो षत करता है ।

❖ इस प्रकार घो षत अनुसू चत क्षेत्र के लए जनजातीय सलाहकार प रषद

❖ अ धकतम 20 सदस्य

❖ जनजातीय क्षेत्र के वकास के लए सम पर्णत

❖ सलाहकारी भू मका

❖ न्या यक शि तयां प्राप्त नहीं


छठी अनुसूची
❖ असम, मेघालय, त्रपुरा और मजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में
वशेष प्रावधान ⇒ भाग 10 ⇒ अनुच्छे द 244A

स्वशासी िजला

❖ राज्यपाल द्वारा इन राज्यों के कसी क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घो षत कया जा


सकता है ।

❖ स्वशासी िजले का प्रशासन स्वशासी िजला प रषद द्वारा

❖ अ धकतम 30 सदस्य (26 प्रत्यक्ष नवार्णचन + 4 राज्यपाल द्वारा मनोनीत)


स्वशासी राज्य

❖ 22nd सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1969 ⇒ अनुच्छे द 244क के तहत केवल


असम के लए

❖ केवल संसद द्वारा साधारण बहु मत से गठन

❖ स्वशासी िजले को कानून व्यवस्था को लागू करने की शि त प्राप्त नहीं होती है

❖ जब क स्वशासी राज्य को कानून व्यवस्था के संदभर्ण में भी शि तयां प्राप्त होती है ।


संवैधा नक आयोग
संघ लोक सेवा आयोग
❖ भाग 14 ⇒ अनुच्छे द 315 से 323

❖ लोक सेवा आयोग की स्थापना की दशा में सबसे पहला अप्रत्यक्ष प्रयास ⇒ चाटर्ण र
ए ट (1853) ⇒ स वल सेवाओं की भतर्नी एवं चयन हे तु खुली प्र तयो गता व्यवस्था
का प्रारं भ

❖ भारत शासन अ ध नयम, 1919 ⇒ लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान


(1926)

❖ अनुच्छे द 315 ⇒ केंद्र + राज्य + संयु त आयोग

❖ दो या दो से अ धक राज्यों के लए संयु त लोक सेवा आयोग का गठन संसद द्वारा


(संबं धत राज्यों के अनुरोध पर)
UPSC को संवैधा नक दजार्ण यों ?

❖ ता क बना कसी दबाव के योग्य अ धका रयों की भतर्नी

❖ प्रशास नक तंत्र के माध्यम से भारत में नी तयों के प्रभावी क्रयान्वयन के माध्यम


से वकास का मागर्ण प्रशस्त
संरचना

❖ UPSC ⇒ अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा

❖ प्रत्येक लोक सेवा आयोग के सदस्यों में से यथासंभव आधे ऐसे व्यि त होंगे जो
भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वषर्ण तक कोई
प्रशास नक पद धारण कर चुके हों।
❖ UPSC ⇒ कायर्णकाल 6 वषर्ण अथवा 65 वषर्ण की आयु

❖ SPSC / JPSC ⇒ कायर्णकाल 6 वषर्ण अथवा 62 वषर्ण की आयु

❖ राष्ट्रप त / राज्यपाल को त्यागपत्र

❖ UPSC के सदस्य को राष्ट्रप त द्वारा कदाचार के आधार पर पद से हटाया जा


सकता है ,

❖ कं तु इस प्रकार के कदाचार की जांच सुप्रीम कोटर्ण द्वारा तथा सुप्रीम कोटर्ण की


सफा रश के बाद ही उसे पद से हटाया जाएगा
❖ राज्य लोक सेवा आयोग अथवा संयु त लोक सेवा आयोग के सदस्यों के कदाचार की
जांच भी सुप्रीम कोटर्ण द्वारा, कं तु पद से हटाने की अं तम शि त राज्यपाल को

❖ दवा लया / शारी रक अक्षमता / लाभ का पद तो बना सुप्रीम कोटर्ण की जांच के पद


से हटाया जा सकता है ।

❖ सं वधान में आयोगों के लए कोई न्यूनतम सदस्य संख्या व णर्णत नहीं

❖ आयोग के सदस्यों की सेवा-शतर्तों, सदस्यों की संख्या आ द का नधार्णरण करने की


शि त राष्ट्रप त / राज्यपाल को

❖ स वल सेवाओं तथा स वल पदों की नयुि त के तरीके से संबं धत मामलों पर


UPSC से वचार- वमशर्ण कया जाता है
❖ आयोग की सलाह केंद्र के लए बाध्यकारी नहीं, कं तु केंद्र सरकार को संसद में
बताना पड़ता है क उसने आयोग की सफा रश यों स्वीकार नहीं की ?

❖ संघ लोक सेवा आयोग वा षर्णक रपोटर्ण राष्ट्रप त को ⇒ राष्ट्रप त इस रपोटर्ण को संसद
के दोनों सदनों में प्रस्तुत करता है
नवार्णचन आयोग
❖ भाग 15 ⇒ अनुच्छे द 324 से 329 तक

❖ स्थापना 25 जनवरी, 1950 को

❖ नयुि त : राष्ट्रप त द्वारा

❖ प्रमुख कायर्ण : राष्ट्रप त, उपराष्ट्रप त, संसद तथा राज्य वधानमंडलों के नवार्णचन


करवाना तथा मतदाता सूची तैयार करना

❖ संरचना : सं वधान में स्पष्ट नहीं, वतर्णमान में त्रसदस्यीय


❖ आयोग बहु मत के आधार पर नणर्णय लेता है एवं तीनों सदस्यों की िस्थ त एवं
शि तयां समान है ।

❖ कायर्णकाल : सं वधान में नधार्ण रत नहीं

❖ संसदीय कानून के अनुसार 6 वषर्ण या 65 वषर्ण की आयु

❖ वेतन भारत की सं चत न ध पर भा रत
❖ 1989 के लोकसभा के आम नवार्णचनों से पहले राष्ट्रप त ने पहली बार दो चुनाव आयु तों
की नयुि त

❖ चुनाव के बाद ही नवग ठत सरकार ने नवार्णचन आयु तों के पद को समाप्त

❖ पुनः 1993 में कांग्रेस सरकार ने दो चुनाव आयु तों के पद का सृजन कया जो क
वतर्णमान तक जारी

❖ नव नयु त दो सदस्यों को भी मुख्य नवार्णचन आयु त के समान ही अ धकार एवं िस्थ त

❖ मतभेद की िस्थ त में आयोग बहु मत से नणर्णय लेगा तथा बहु मत का नणर्णय अं तम
❖ पदमुि त : संसद द्वारा उसी प्रकार पद से हटाया जा सकता है जैसे सुप्रीम कोटर्ण के कसी
जज को अथार्णत ् सद्ध कदाचार तथा अक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा
वशेष बहु मत से प्रस्ताव पा रत कर

❖ प्रथम मुख्य नवार्णचन आयु त : सुकुमार सेन

❖ वतर्णमान में मुख्य नवार्णचन आयु त सुशील चंद्रा


❖ तारकंु डे स म त (1974-75)

❖ चुनाव सुधार पर दनेश गोस्वामी स म त (1990)

❖ राजनी त के अपराधीकरण पर वोहरा स म त (1993)

❖ चुनावों में वत्त-पोषण पर इंद्रजीत गुप्ता स म त (1998)

❖ चुनाव सुधारों पर व ध आयोग की रपोटर्ण (1999)

❖ चुनाव सुधारों पर चुनाव आयोग की रपोटर्ण (2004)

❖ शासन में नै तकता पर वीरप्पा मोइली स म त (2007)

❖ चुनाव कानूनों और चुनाव सुधार पर तनखा स म त (2010)


राष्ट्रीय अनुसू चत जा त आयोग & राष्ट्रीय अनुसू चत जनजा त आयोग
❖ अनुच्छे द 338 ⇒ राष्ट्रीय अनुसू चत जा त एवं जनजा त आयोग (65वाँ सं वधान
संशोधन अ ध नयम, 1990)

❖ 89वाँ संशोधन अ ध नयम, 2003 ⇒ अनुच्छे द 338 & अनुच्छे द 338A

❖ अनुच्छे द 338A ⇒ राष्ट्रीय अनुसू चत जनजा त आयोग

❖ अनुच्छे द 338 ⇒ राष्ट्रीय अनुसू चत जा त आयोग

❖ संरचना : एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन पूणक


र्ण ा लक सदस्य (एक म हला सदस्य)

❖ नयुि त राष्ट्रप त द्वारा; सेवा-शतर्तों और कायर्णकाल का नधार्णरण राष्ट्रप त द्वारा

❖ कायर्णकाल : तीन वषर्ण


प्रमुख कायर्ण

❖ SC तथा ST के कल्याण तथा उनके अ धकारों के संरक्षण के लए सफा रशें दे ना

❖ SC & ST संवैधा नक संरक्षण से संबं धत मुद्दों का नरीक्षण करना तथा उनके


क्रयान्वयन की समीक्षा करना

❖ SC & ST के हतों का अ तक्रमण करने वाले मामलों की सुनवाई करना

❖ आयोग को स वल न्यायालय के समक्ष शि तयां

❖ कसी व्यि त को अपने समक्ष उपिस्थत होने के लए समन जारी करना

❖ सरकार आयोग की सफा रशें मानने के लए बाध्य नहीं, कं तु परामशर्ण करना अ नवायर्ण
❖ कतर्णव्यों के नवर्णहन के संबंध में आयोग प्र तवषर्ण राष्ट्रप त को रपोटर्ण प्रस्तुत करे गा।

❖ रपोटर्ण को राष्ट्रप त संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाएगा।

❖ य द आयोग की रपोटर्ण का संबंध कसी राज्य सरकार से है तो उपयुर्ण त कायर्ण राज्यपाल


द्वारा
राष्ट्रीय पछड़ा वगर्ण आयोग
❖ राष्ट्रीय पछड़ा वगर्ण आयोग अ ध नयम, 1993 के तहत ग ठत

❖ 102वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 2018 द्वारा संवैधा नक दजार्ण

❖ पैतक
ृ मंत्रालय ⇒ केंद्रीय सामािजक न्याय एवं अ धका रता मंत्रालय

❖ ल क्षत वगर्ण ⇒ सामािजक और शैक्ष णक दृिष्ट से पछडे वगर्ण


संवैधा नक दजार्ण मलने के लाभ

❖ स वल न्यायालय के समान शि तयां प्राप्त

❖ OBC से जुड़े मामले सीधे संसद के पटल पर

❖ नवार्ण चत सरकार द्वारा आयोग की मांगों की उपेक्षा करना क ठन

❖ OBC के कल्याण का मागर्ण प्रशस्त


भाषाई अल्पसंख्यकों के लए वशेष अ धकारी
Special Officer for Linguistic Minorities
❖ सातवां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 1956

❖ भाग 17 ⇒ अनुच्छे द 350 ख

❖ नयुि त : राष्ट्रप त द्वारा

❖ उद्दे श्य : भाषाई अल्पसंख्यकों के हतों को संर क्षत करना एवं परामशर्ण दे ना
वत्त आयोग
❖ अनुच्छे द 280

❖ राष्ट्रप त द्वारा प्रत्येक 5 वषर्ण की समािप्त पर वत्त आयोग का गठन

❖ राष्ट्रप त द्वारा 5 वषर्ण की अव ध से पहले भी गठन

❖ वत्त आयोग (15वां) : नंद कशोर संह

❖ वत्त आयोग की संरचना : (1 + 4), नयुि त राष्ट्रप त द्वारा

❖ केन्द्र और राज्यों के मध्य करों के वतरण & केन्द्र द्वारा राज्यों को दए जाने वाले
अनुदानों के संबंध में सफा रशें दे ना

❖ सफा रशों की प्रकृ त सलाहकारी


❖ आयोग अपनी रपोटर्ण राष्ट्रप त को,

❖ राष्ट्रप त आयोग की सफा रशों तथा उन सफा रशों पर केंद्र सरकार द्वारा की गई
कारर्ण वाई का स्पष्टीकरण संसद के दोनों सदनों के समक्ष

❖ पहला वत्त आयोग के अध्यक्ष : के. सी. नयोगी

❖ नए वत्त आयोग के अध्यक्ष के बारे में आ धका रक घोषणा अभी नहीं


❖ केंद्र सरकार ने नवंबर, 2017 में 15वें वत्त आयोग के गठन को मंज़ूरी प्रदान की।

❖ एन.के. संह को 15वें वत्त आयोग का अध्यक्ष नयु त कया गया।

❖ 15वें वत्त आयोग का कायर्णकाल वषर्ण 2020-25 तक है ।

❖ 14वें वत्त आयोग की सफा रशें वत्त वषर्ण 2019-20 तक के लये वैध थी।

❖ 15वें वत्त आयोग की अव ध 1 अप्रैल 2020 से 31 माचर्ण 2025 तक

❖ ले कन दो नए केंद्र-शा सत प्रदे श बनने के कारण पहली रपोटर्ण वा षर्णक रपोटर्ण


(2020-21) बनायी गयी और इसकी सफा रशों को 1 फरवरी, 2020 को संसद के
पटल पर रखा गया।
गैर-संवैधा नक आयोग
राष्ट्रीय मानवा धकार आयोग

❖ अध्यक्ष और सदस्यों की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली


उच्च-स्तरीय स म त की सफा रशों के आधार पर

❖ मानवा धकार संरक्षण अ ध नयम, 1993

❖ 5 सदस्य (1 + 4)

❖ अध्यक्ष ⇒ सुप्रीम कोटर्ण का सेवा नवृत्त मुख्य अथवा अन्य न्यायाधीश

❖ कायर्णकाल : 3 वषर्ण या 70 वषर्ण की आयु (जो भी पहले हो)


केंद्रीय सतकर्णता आयोग

❖ स्थापना 1964 में , के. संथानम स म त की सफा रशों के आधार पर

❖ केंद्रीय सतकर्णता अ ध नयम, 2003 द्वारा इस आयोग का सां व धक दजार्ण

❖ सदस्य : एक केंद्रीय सतकर्णता आयु त + दो अन्य सतकर्णता आयु त

❖ अध्यक्ष एवं सदस्यों की नयुि त राष्ट्रप त द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली


स म त की सफा रशों के आधार पर

❖ कायर्णकाल 4 वषर्ण या 65 वषर्ण की आयु (जो भी पहले हो)


लोकपाल और लोकायु त

❖ स्वीडन की ओम्बुडसमैन अवधारणा से प्रे रत

❖ इस अवधारणा को अपनाने वाला गुयाना प्रथम वकासशील दे श

❖ भारत में ओम्बुडसमैन की अवधारणा केंद्रीय व ध मंत्री कुमार सेन द्वारा प्रस्तुत

❖ लोकपाल तथा लोकायु त अ ध नयम, 2013 के माध्यम से स्था पत

❖ एक अध्यक्ष तथा 8 अन्य सदस्य

❖ कायर्णकाल 5 वषर्ण अथवा 70 वषर्ण की आयु


नी त आयोग

❖ गठन ⇒ 1 जनवरी, 2015

❖ पूवव
र्ण तर्नी ⇒ योजना आयोग

❖ अध्यक्ष ⇒ प्रधानमंत्री

❖ उपाध्यक्ष ⇒ प्रधानमंत्री द्वारा नयु त

❖ संचालन प रषद ⇒ राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र-शा सत प्रदे शों के उपराज्यपाल


❖ पदे न सदस्यता ⇒ प्रधानमंत्री द्वारा ना मत केंद्रीय मं त्रप रषद के अ धकतम चार
सदस्य

❖ क्षेत्रीय प रषद ⇒ व शष्ट क्षेत्रीय मुद्दों को संबो धत करने के लये प्रधानमंत्री या


उसके द्वारा ना मत व्यि त मुख्यमं त्रयों और उपराज्यपालों की बैठक की
अध्यक्षता करता है ।

❖ तदथर्ण सदस्यता ⇒ प्रमुख अनुसंधान संस्थानों से बारी-बारी से 2 पदे न सदस्य

❖ मुख्य कायर्णकारी अ धकारी (CEO) ⇒ भारत सरकार का स चव (प्रधानमंत्री द्वारा


नयु त)
केंद्रीय सूचना आयोग

❖ स्थापना : सूचना के अ धकार अ ध नयम, 2005 के तहत 2005 में

❖ नोडल वभाग : का मर्णक और प्र शक्षण वभाग (DoPT)

❖ एक मुख्य सूचना आयु त और अ धकतम दस सूचना आयु त

❖ नयुि त राष्ट्रप त द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली स म त की सफा रशों के आधार पर

❖ कायर्णकाल 5 वषर्ण या 65 वषर्ण की आयु (जो भी पहले हो)

❖ RTI Act, 2005 के तहत मांगी गई सूचना को तय सीमा के भीतर उपलब्ध कराना
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)

❖ दल्ली वशेष पु लस स्थापना अ ध नयम, 1946 के तहत स्थापना

❖ भारत की एक प्रमुख अन्वेषण एजेंसी

❖ 1963 में शि तयों का वस्तार, हत्या, गंभीर अपराध जैसे मामलों की जांच करने का
अ धकार

❖ नोडल वभाग : का मर्णक, पें शन तथा लोक शकायत मंत्रालय के का मर्णक वभाग
National Investigation Agency (NIA)

❖ स्थापना राष्ट्रीय जांच एजेंसी अ ध नयम, 2008 के तहत दसंबर 2008 में

❖ अ खल भारतीय स्तर पर आतंकवादी ग त व धयों की जांच करने तथा उन पर


अंकुश लगाने के लए

❖ केंद्र तथा राज्यों के मध्य समन्वयकारी भू मका

❖ NAI के नणर्णयों के वरूद्ध उच्च न्यायालय तथा सुप्रीम कोटर्ण में अपील
राष्ट्रीय ह रत अ धकरण (NGT)

❖ राष्ट्रीय ह रत अ धकरण अ ध नयम (NGT, Act) 2010 के तहत स्थापना

❖ भारत वश्व का कुल तीसरा जब क पहला वकासशील दे श (Aus & NZ)

❖ मुख्यालय : दल्ली + चार क्षेत्रीय कायार्णलय : भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई

❖ NGT Act, 2010 के तहत अ नवायर्ण है क NGT के पास आने वाले पयार्णवरण संबंधी
मुद्दों का नपटारा 6 महीनों के भीतर कया जाए।
❖ एक अध्यक्ष, न्या यक सदस्य और वशेषज्ञ सदस्य

❖ कायर्णकाल 5 वषर्ण

❖ सदस्य को पुनः पद पर नयु त नहीं

❖ अध्यक्ष की नयुि त भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामशर्ण से केंद्र सरकार द्वारा

❖ यह आवश्यक है क अ धकरण में कम-से-कम 10 और अ धकतम 20 पूणक


र्ण ा लक
न्या यक सदस्य एवं वशेषज्ञ सदस्य हों।
भारतीय व ध आयोग

❖ कानूनी संबंधी वषयों पर महत्वपूणर्ण सुझाव दे ने के लए समय-समय पर गठन

❖ न तो संवैधा नक आयोग है और न ही सां व धक व ध और न्याय मंत्रालय द्वारा

❖ भारत के पहले व ध आयोग का गठन 1834 में लाडर्ण मैकाले की अध्यक्षता में
तत्कालीन वायसराय लाडर्ण व लयम बैं टक द्वारा

❖ स्वतंत्र भारत के पहले व ध आयोग का गठन 1955 में भारत के पहले अटानर्नी
जनरल एम. सी. सीतलवाड की अध्यक्षता में

❖ 21वें व ध आयोग ⇒ बलबीर संह चौहान (2018-2018)


पहला प्रशास नक सुधार आयोग (1966)

❖ मोरारजी दे साई की अध्यक्षता में

❖ बाद में मोरारजी दे साई के केंद्र सरकार में मंत्री बन जाने के कारण के. हनुमंतैया को
इसका अध्यक्ष नयु त कया गया।

❖ पहले प्रशास नक सुधार आयोग ने अपनी दो रपोटर्ण क्रमशः 1966 तथा 1970 को
केंद्र सरकार को प्रस्तुत की।
दूसरा प्रशास नक सुधार आयोग (2005)

❖ कनार्णटक के भूतपूवर्ण मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में

❖ 2009 में आयोग ने भारतीय शासन-प्रशासन प्रणाली में सुधारों के लए 15 रपोटर्ण


अन्य संवैधा नक आयाम
सहकारी स म तयां

97वां सं वधान संशोधन अ ध नयम, 2011

❖ सहकारी स म त बनाने का मूल अ धकार (अनुच्छे द 19)

❖ सहकारी स म तयों को बढावा दे ना राज्य का कतर्णव्य (अनुच्छे द 43ख)

❖ स्थानीय नकायों के प्रसंग में सहकारी स म तयों का गठन (अनुच्छे द 243)


राजभाषा

❖ भाग 17 ⇒ अनुच्छे द 343 से 351

❖ संघ की राजभाषा हंदी तथा अंकों का अंतरार्णष्ट्रीय रूप होगा

❖ प्रत्येक 10 वषर्ण पर राष्ट्रप त द्वारा भाषाई आयोग का गठन, जो हंदी तथा अंग्रेजी
के सरकारी प्रयोग के संबंध में सफा रशें दे गा तथा िस्थ त का आकलन करे गा

❖ अभी तक केवल भाषाई आयोग का गठन

❖ 1955 में बी. जी. खरे की अध्यक्षता में


❖ केंद्र हंदी भाषा के वकास के लए प्रयास करे गा

❖ राज्य की राजभाषा के संबंध में राज्य वधानमंडलों को कानून बनाने का अ धकार

❖ आठवीं अनुसूची से बाहर की कसी भाषा को भी कसी राज्य द्वारा राजभाषा के रूप
में अपनाया जा सकता है

❖ केंद्र एवं राज्यों के बीच संवाद एवं पत्राचार की भाषा हंदी एवं अंग्रेजी होगी

❖ सुप्रीम कोटर्ण तथा हाईकोटर्ण की प्रत्येक कायर्णवाही अंग्रेजी में होगी


❖ कोई राज्यपाल राष्ट्रप त की पूवार्णनुम त से कसी भाषा को संबं धत हाईकोटर्ण की
कायर्णवाही की भाषा का दजार्ण दे सकता है

❖ कं तु इसके बावजूद हाईकोटर्ण के नणर्णय एवं आदे श केवल अंग्रेजी में ही होंगे।

❖ कोई भी पी ड़त व्यि त कसी अ धकारी के समक्ष अपनी भाषा या बोली में अपना
पक्ष रखने का हकदार होगा

❖ प्राथ मक शक्षा को मातृभाषा में प्रदान कए जाने की व्यवस्था करे गा


अ धकरण (Tribunals)

❖ 42वां संशोधन अ ध नयम, 1976

❖ भाग 14A

❖ अनुच्छे द 323A : प्रशास नक अ धकरण

❖ अनुच्छे द 323B : अन्य मामलों के लये अ धकरण (कर, भू म सुधार etc.)

❖ इन अ धकरणों के नणर्णयों की अपील उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में की


जा सकती है ।

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