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Shri Jagannath Aarti Chaturbhuja Jagannatha
Shri Jagannath Aarti Chaturbhuja Jagannatha
Jagannatha
चतुभुज जग ाथ
कंठ शो भत कौसतुभः ॥
प नाभ, बेडगरवह य,
च सूर या बलोचनः
जग ाथ, लोकानाथ,
नला ह सो पारो ह र
क बु पा न, च पा न,
प नाभो, नरोतमः
ज द ा रथो ापी,
सव ापी सुरे राहा
नला ह ब नाथशः,
अन ता पु षो मः
ताकारसोधायोह, क पत ,
बमला ी त बरद हा
बलभ ोह, बासुदेव,
माधवो, मधुसुदना
गो ब द परमे रः
ब णुुर ब णुुर, महा ब णुपुर,
वर बशणु महेसरवाहा
लोका कता, जग ाथो,
महीह करतह महजतहह ॥
मह ष क पलाचार ोह,
लोका चा रह सुरो ह रह
ह बा द महे रवरहा
इ भुज च चतुर बा ,
सत बा सह क
प पतर बशाल य
प गरवा परो ह र
प ह ते , दे व पालो
दै यारी दै यनाशनः
चतुर मुर त, चतुर बा
शहतुर न न से वतोह …
प ह तो, च पा ण
संख हसतोह, गदाधरह
महा बैकुंठबासी चो
ल मी ी त कर सदा ।