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�कताबो (कु रान) पर ईमान लाने का क्या

मतलब?
िबिस्मल्लाहीर रहमा�ीर रहीम

मुिस्लम अन उमर िबन ख�ाब रदी, �रवायत के


एक िहस्से का खुलासा
�कताब� पर ईमान लाने का मतलब ये है �क
अल्लाह पाक ने अपने रसूल� के ज�रये इन्सानो
क� ज�रत के मुतािबक जो िहदायतनामे भेजे
सब को स�ा माने, उनमे आिखरी िहदायत-
नामा कु रान मजीद है.
अगली कौम� ने अपनी �कताब� िबगाड डाली,
तब आखीर मे अल्लाह ने अपने �जूर‫ ﷺ‬के
ज�रये आखरी �कताब भेजी जो साफ और स्प�
है, िजस मे कोई कमी नही, और जो हर तरह के
िबगाड से सुरिक्षत है, और अब इस �कताब के
िसवा दुिनया मे कोई ऐसी �कताब नही िजस के
ज�रये अल्लाह तक प�ंच सकते हो.

इबने माझा �रवायत का खुलासा


िजयाद िबन लबीद रदी, फरमाते है क�
�जूर‫ ﷺ‬ने एक डरावनी चीझ का िजकर
�कया और फरमाया क� ऐसा उस वकत होगा
जब�क दीन का इल्म िमट जायेगा तो मेने कहा
क� ऐ अल्लाह के �जूर‫ ﷺ‬इल्म क्य� िमट
जायेगा जब�क हम कु रान पढ रहे और अपनी
औलाद को पढा रहे है और हमारे बेटे अपनी
औलाद को पढाते रह�गे.
�जूर‫ ﷺ‬ने फरमाया ब�त खूब ऐ िजयाद
रदी, मे तुम्हे मदीने का ब�त ही समझदार
आदमी समझता था क्या तुम नह� देखते क�
य�द वा नसारा तौरात और इं जील क� �कतनी
ितलावत करते है पर उनक� तालीम पर कु छ
भी अमल नह� करते?.

िमश्कात अन अब्दुल्लाह िबन अब्बास रदी,


�रवायत का खुलासा
अल्लाह के कु रान क� पेरवी करने क� बरकते:
जो शख्स अल्लाह क� �कताब क� पेरवी करे गा
वो न तो दुिनया मे गुमराह होगा, और न
आिखरत मे उसके िहस्से मे मह�मी आयेगी
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�फर उन्ह�ने ये आयत पढी सुरे ताहा 20/123 तरजुमा:
जो शख्स मेरे िहदायात नामे क� पेरवी करे गा
वो न तो दुिनया मे भटके गा और ना आिखरत
मे बदबख्त होगो.

िमश्कात अन अबू �रै रा रदी, �रवायत का


खुलासा
कु रान से फायदा हािसल करने का तरीका:
�जूर‫ ﷺ‬ने फरमाया कु रान मे पांच चीजे है,
हलाल, हराम, मुहकम, मुतशाबेह और
इमसाल, तो हलाल को हलाल समजो, हराम
को हराम मानो, मुहकम (कु रान का वो िहस्सा
िजसमे अक�दा और कानून वगैरे क� तालीम दी
गई है) उसपर अमल करो, और मुतशाबेह
(कु रान का वो िहस्सा िजसमे गैब क� बाते
बयान �वी है जेसे ज�त, दोजख, अशर्, कु श�
वगैरे) पर ईमान रखो और उसक� कु रे द मे मत
पडो और इमसाल (कोमो क� तबाही के
इबरतनाक �कस्से) से नसीहत हािसल करो.

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(िमश्कात अन जािबर रदी, �रवायत का खुलासा)
�जूर‫ ﷺ‬ने फरमाया क� अल्लाह ने कु छ
फराइज मुकरर् र �कये है उन्ह� बरबाद ना करना,
और कु छ चीझो को हराम �कया है उनको ना
करना, और कु छ हद बिन्दया क� है उन्ह� फलांग
कर आगे ना बढना, और कु छ चीझो से उसने
बगैर बोले खामोशी अपनाई है तुम उनक� कु रे द
मे ना पडना.
हवाला: राहे अमल िहन्दी.
मौलाना जलील अहसन नदवी रह

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