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Unit 1 Syllabus of Hindi Class 7
Unit 1 Syllabus of Hindi Class 7
1.
हर तरह सुख सु धाएँ पाकर भी प ज बंद न रहना चाहते ?
उ र-
हर कार सुख सु धाएँ पाकर भी प ज बंद न रहना चाहते, उ
वहाँ उ ने आजादी न । वे तो खुले आसमान ऊँची उ न भरना, नदी-झर का
बहता जल पीना, क वी बौ याँ खाना, पे ऊँची डाली पर लना, कूदना,
फुदकना अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग ऋतुओ ं फ के दाने चुगना और
ज लन करना ही पसंद । यही कारण हर तरह सुख-सु धाओं को
पाकर भी प ज बंद न रहना चाहते।
2.
प उ रहकर अपनी कौन-कौन सी इ एँ पूरी करना चाहते ?
उ र-
प उ रहकर अपनी इन इ ओं को पूरा करना चाहते
(क) वे खुले आसमान उ ना चाहते ।
(ख) वे अपनी ग से उ न भरना चाहते ।
(ग) नदी-झर का बहता जल पीना चाहते ।
(घ) नीम के पे क वी बौ याँ खाना चाहते ।
(ङ) पे सब ऊँची फुनगी पर लना चाहते ।
वे आसमान ऊँची उ न भरकर अनार के दा पी ता को चुगना चाहते । ज
लन करना चाहते ।
3.
भाव ए-
या तो ज लन बन जाता या तनती साँ डोरी।
उ र
पिं
पिं
पिं
प्र
क्षि
प्र
मि
प्र
त्त
त्त
त्त
क्षी
क्षी
श्न
श्न
श्न
ति
प्र
स्प
ड़
ड़
क्षि
न्मु
न्मु
ष्ट
मि
की
की
क्त
क्त
ति
की
की
की
क्षी
में
नों
जि
ड़
मि
ति
की
न्मु
वि
हैं
रे
ड़
क्त
वि
ड़ा
में
में
ड़
ड़ा
हीं
नि
ड़
नि
है
रि
हीं
है
रि
च्छा
झू
हैं
क्षी
प्र
क्षी
हैं
श्न
च्छा
हैं
ड़
सों
नों
की
है
रे
हैं
रू
की
रे
कि
में
त्त
हैं
में
में
में
क्यों
रों
हीं
लों
ड़ा
की
हैं
हीं
हैं
झू
वि
क्यों
हैं
कि
क्षि
नों
ति
न्हें
इस पं क प के मा म से कहना चाहता य तं होता तो उस
असीम ज से मेरी हो हो जाती। इन छो -छो पं से उ कर या तो उस
ज से जाकर ल जाता या र मेरा णांत हो जाता।
क ता से आगे
1.
कई लोग प पालते
(क) प को पालना उ त अथवा न ? अपने चार ए।
(ख) आपने या आप जानकारी सी ने कभी कोई प पाला ? उस
ख ख स कार जाती होगी, ए।
उ र-
(क) हमा कोण से प को पालना उ त न , इससे हम उन आजादी पर
रोक लगा ते । उन इ ओं, सप तथा अरमा पर पाबंदी लग जाता । अतः
प को पालना सही न ।उ कृ द चरण करने ना चा ए। उ
व स ता लती ।
(ख) हमा एक प सी ने तोता पाला था। उस प सी ने उसे मेले से खरीदकर लाया
था। उसके प वार के सभी सद मन से उस ख ख या करते थे। न उसके
ज स ई या करते थे। एक कटोरी पानी पीने के ए तथा खाने के ए
चना या जाता था। इसके अलावे तोते को मौसमी फल तथा भी खाने को या
जाता था। मेरा पडोसी घं उस तोते से बा या करता था और उसे लेकर उसे घुमाने
पा जाया करता था। तोते ने घर के सभी सद के नाम रट ए थे, ले न तोता
खाना भारी मन से खाता था। जब प सी के घर ज के पास जाता था तो वह
हमारी ओर आशा भरी से खता था।
2.
प को ज बंद करने से केवल उन आ दी का हनन ही न होता, अ तु
प वरण भी भा त होता । इस षय पर दस पं अपने चार ए।
उ र
पिं
पिं
पिं
क्षि
प्र
दे
प्र
त्त
त्त
हीं
क्षि
क्षि
र्या
श्न
श्न
वि
र्क
ति
रे
रे
यों
यों
प्र
दि
क्या
में
क्ति
की
क्षि
क्षि
कि
न्न
रे
रे
यों
दे
ति
में
दृ
क्षी
फ़ा
ष्टि
रि
प्र
मि
प्र
हैं
वि
रे
ड़ो
वि
कि
मि
में
क्षी
की
की
है
हैं
दृ
ष्टि
की
टों
ड़
चि
हीं
क्षि
च्छा
है
है
यों
ध्य
है
दे
स्य
फि
मैं
न्हें
वि
लि
प्र
ड़ो
नों
मैं
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खि
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कि
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कि
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में
स्व
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ड़ो
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वि
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यों
खों
कि
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मि
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मैं
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र्च
स्व
वि
दे
हीं
त्र
की
है
प्र
लि
ति
कि
हि
है
दि
खि
की
दि
लि
पि
न्हें
प को ज बंद करके उन आजादी का हनन होता ही उन
कृ ‘उ ना। ज बंद करके हम उ पराधीन बना लेते । ससे उन
आ दी तो समा हो ही जाती साथ ही प वरण भी भा त होता
प वरण को संतु त करने भी प का सहयोग रहता । प आहार खला को
य त करते । जैसे-घास को खाता , को प खाते और य प न
तो सं अ क हो जाएगी जो फस को न कर गे। य न
तो घास इतनी ब जाएगी मनु प शान हो जाएगा।
अनुमान और क ना
1.
आपको लगता मानव व मान जीवन-शैली और शहरीकरण से जु
योजनाएँ प के ए घातक ? प से र त वातावरण अनेक सम एँ
उ हो सकती । इन सम ओं से बचने के एह करना चा ए? उ
षय पर वाद- वाद यो ता का आयोजन ए।
उ र
यह कहना गलत न मानव व मान जीवन-शैली और शहरीकरण से जु
योजनाएँ प के ए घातक शह औ गीकरण के कारण षैली
गै और त जल प के ए हा कारक होता । सरी ओर अ क-से-
अ क भवन ण के कारण व व ह याली वाले इला को काटकर ब -ब भवन
बना ए जाते , ससे प का आ य ल समा हो जाता । साथ ही वृ से
खा पदा , फल-फूल आ उ न ल पाते। ऐसा होने पर उ ब त
मु का सामना करना प ता ।
भाषा बात
1.
- खला और लाल रण-सी खां तश गुणवाचक शेषण । क ता से
कर इस कार के तीन और उदाहरण ए।
उ र-
(क) कनक- याँ,
(ख) क क- बौरी,
(ग) तारक-अनार
2.
‘भूखे- से’ समास । इन दो श के बीच लगे को सामा क (-)
कहते । इस से ‘और’ का संकेत लता , जैसे-भूखे- से = भूखे और से।
इस कार के दस अ उदाहरण खोजकर ए।
उ र-
दाल-रोटी – दाल और रोटी
अ -जल – अ और जल
सुबह-शाम – सुबह और शाम
प्र
नि
फि
प्र
स्व
हूँ
प्र
त्त
त्त
त्त
ढ़
श्न
श्न
श्न
दि
दि
न्न
र्ण
प्र
प्र
प्या
की
श्रृं
हैं
टु
रे
ड़
रें
प्र
ति
नि
में
कि
चि
लि
में
द्वं
न्न
ड़
द्व
ह्न
कि
क्षी
कि
श्य
न्य
नि
न्हें
कि
लों
क्षी
स्था
है
र्य
प्र
ड़
हु
झें
में
कि
सि
नों
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रें
रे
घों
मि
खि
ड़
लि
कि
ब्दों
कि
लि
खि
क्षी
में
खि
दें
है
है
ब्द
घों
छे
ड़े
चि
लों
लों
प्या
ह्न
कि
में
क्षी
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वि
छे
ड़ा
लि
डों
ध्या
सि
है
मि
हैं
कि
प्या
चि
च्चे
खें
वि
कि
ह्न
में
दि
पाप-पु – पाप और पु
राम-ल ण – राम और ल ण
सुख- ख – सुख और ख
तन-मन – तन और मन
न-रात – न और रात
ध-दही – ध और दही
क -प –क और प
दि
दू
च्चा
ण्य
क्ष्म
दु
क्का
दि
दू
च्चा
दु
ण्य
क्ष्म
क्का
दादी मॅां उ र
कहानी से
1.
लेखक को अपनी दादी माँ याद के साथ-साथ बचपन और न- न बा
याद आ जाती ?
उ र
जब लेखक को मालूम आ दादी माँ मृ हो गई तो उसके सामने दादी माँ
सभी या सजीव हो उ । साथ ही उसे अपने बचपन याँ-गंधपू झागभ
जलाश कूदना, बीमार होने पर दादी का न-रात सेवा करना, शन भैया
शादी पर और रा गाए जाने वाले गीत और अ नय के समय चादर ओ कर सोना
और पक जाना, रामी चाची घटना आ भी याद आ जाती ।
2.
दादा मृ के बाद लेखक के घर आ क खराब हो गई थी?
उ र-
दादा मृ के बाद लेखक के घर आ क खराब हो गई, कपटी
एवं शुभ त बा आ गई । इन गलत संग ने सारा धन न कर
डाला। इसके अलावा दादा के भी दादी माँ के मना करने के बावजूद लेखक के
ता जी ने बे साब दौलत । यह संप घर न थी, क ली गई थी।
दादी माँ के मना करने के बावजूद उ ने न माना ससे घर माली हालत
डाँवाडोल हो गई।
3.
दादी माँ के भाव का कौन-सा प आपको सबसे अ लगता और ?
उ र-
दादी माँ के भाव अनेक प थे, जो ह अ लगते थे, मसलन दादी माँ का सेवा,
संर णी, परोपकारी व सरस भाव आ का प ह सबसे अ लगता ,
चिं
प्र
प्र
मि
पि
प्र
त्त
त्त
त्त
श्न
श्न
श्न
त्रों
क्ष
की
की
यों
दें
ड़े
में
त्यु
त्यु
स्व
स्व
प्र
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तों
श्न
है
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कों
में
की
ठीं
त्त
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व्य
ढ़
कि
स्व
की
क्ष
र्थ
श्रा
की
द्ध
क्ष
न्हों
में
की
की
दि
की
में
हीं
दि
र्थि
र्थि
दि
त्ति
त्यु
च्छे
क्ष
स्थि
स्थि
भि
मि
जि
त्रों
की
में
ति
ति
की
च्छा
की
स्मृ
है
की
हीं
ति
की
क्यों
ति
हैं
च्छा
है
कि
कि
र्ज
र्ण
क्यों
में
कि
क्यों
ढ़
कि
है
क्यों
तों
की
ष्ट
रे
की
कि
की
इ के कारण ही वे स का मन जीतने स व सफल रही।लेखक के बीमार होने पर
दादी रा उस सेवा करना, रामी चाची बेटी शादी पर उसके घर जाकर उस
सहायता करना व छला बकाया ऋण मा करना, ता जी आ क तंगी खकर
दादी शानी सोने का कंगन उ ना आ द ता स मदद करना ही
उनके जीवन का मुख उ था। मुझे दादी स दयता और कोमलता वाला प
सबसे अ लगता ।
कहानी से आगे
1.
आपने इस कहानी मही के नाम प , जैसे- र, आषा , माघ। इन मही मौसम
कैसा रहता , ए।
उ र
1. र – न अ क गरमी न अ क सरदी।
2. आषा – भयानके गरमी व कभी-कभी कुछ व ।
3. माघ – अ क सरदी।
2.
अपने-अपने मौसम अपनी-अपनी बा होती ’-लेखक के इस कथन के अनुसार, यह
बताइए से मौसम कौन-कौन सी ची शेष प से लती ?
उ र-
मौसम तीन होते -सरदी, गरमी और बरसात
सरदी-
सरदी के मौसम अ क ठं ड प ती । लोग ग पेय पीना पसंद करते । फ
सेब, अम द, केले व अंगूर तथा स पालक, बथुआ, सर , मटर, फूलगोभी व
मूली अ क मा लते ।
प्र
क्वा
प्र
त्त
त्त
न्हीं
श्न
श्न
ढ़
द्वा
की
धि
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है
कि
धि
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में
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मि
दू
धि
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नों
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ढ़े
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जें
दि
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क्वा
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वि
हैं
र्शा
की
र्म
हृ
पि
रू
है
कि
ढ़
मि
की
दू
सों
रों
की
र्थि
हैं
हैं
नों
में
दे
लों
क्ष
में
की
गरमी-
गरमी के मौसम आम, लीची, खरबूजा, तरबूज, खीरा, कक , अंगूर जैसे फल पाए
जाते । स डी, डा, तोरई, घीया, कटहल, खीरा, कक आ अ क
लते ।
बरसात-
बरसात के मौसम अ कव होती । फ कई कार के आम, आ बुखारा,
खुरमानी के अलावे इस मौसम के स गन, क ले, परवल, फ याँ आ
का मा पाए जाते ।
अनुमान और क ना
1.
इस कहानी कई बार ऋण लेने बात आपने प । अनुमान लगाइए, न- न
पा वा क प गाँव के लो को ऋण लेना प ता होगा और यह उ कहाँ
से लता होगा? ब से बातचीत कर इस षय ए।
उ र-
गाँव के लोग यः आ क तंगी से प शान रहते । कई बार ऐसी प याँ आ
जाती जब लोग ऋण शादी- वाह के ख के ए मकान बनवाने के ए, ब
स जमा करने के ए, फस बुआई के ए, ब प ई के ए, पशु
खरीदने के ए, सी पा वा क सद मृ के बाद उसके अं म सं र के
ए, यः लोग ऋण या करते ।
2.
घर पर होनेवाले उ /समारो ब - करते ? अपने और अपने के
भिं
टिं
मि
प्र
फ़ी
लि
प्र
त्त
श्न
श्न
रि
मि
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हैं
गों
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बैं
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लों
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ढ़ा
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ति
स्का
लू
कि
मि
न्हें
धि
दि
च्चों
मि
त्रों
ति
की
यों
अनुभ के आधार पर ए।
उ र
घर पर होनेवाले उ /समारो ब नए-नए कप पहनकर, नाना कार के ज
का आनंद लेकर व नाच-गाकर खूब म करते ।
इसके अ से भी इस षय बातचीत ए।
भाषा बात
1.
नीचे दी गई पं पर न दी ए
जरा-सी क नाई प ते
अनमना-सा हो जाता ।
सन-से स द
• समानता का बोध कराने के ए सा, सी, से का योग या जाता । ऐसे पाँच और
श ए और उनका वा योग ए।
उ र-
2.
कहानी - कर र का अनुमान कर , पूछ-पूछकर घरवा को प शान कर ’-
जैसे वा आए । सी या को जोर कर कहने के ए एक से अ क बार एक
ही श का योग होता । जैसे वहाँ थक गया, उ ढ- कर ख या। इस कार
के पाँच वा बनाइए।
उ र
प्र
प्र
त्त
त्त
त्त
च्चे
श्न
श्न
ब्द
ब्द
वों
लि
त्थ
की
क्य
में
की
खि
ति
फ़े
क्य
ठि
रि
छू
मि
प्र
क्त
क्ति
श्री
छू
हैं
मि
यों
त्स
च्ची
ज्व
त्रों
ड़
कि
वों
है
है
लि
है
है
ध्या
खि
क्रि
ड़ी
क्य
है
लि
हों
है
में
जि
वि
में
प्र
स्ती
च्चे
तीं
में
की
दे
जि
हैं
है
न्हें
प्र
की
ढूं
ड़े
जि
कि
ढूँ
लि
ढ़
लों
दे
लि
है
प्र
रे
धि
व्यं
प्र
दे
तीं
नों
1. सागर के ना र- र तक कोई न था।
2. माँ न जाने जोर-जोर से रही थी।
3. जीवन कदम-कदम पर परी नी प ती ।
4. मे बार-बार मना करने पर भी वह घर छो कर चला गया।
5. चो ने घर के मा क को मार-मार कर अधमरा कर या।
3.
बोलचाल योग होनेवाले श और वा श ‘दादी माँ’ कहानी । इन श और
वा से पता चलता यह कहानी सी शेष से संबं त । ऐसे श
और वा य बोलचाल खू याँ होती । उदाहरण के ए- कसार,
बर , उ न, उ , कइ श को खा जा सकता । इन श का
उ रण अ य बो अलग ढंग से होता ; जैसे- उ को वा, चू ,
पोहा और इसी तरह का को क, त का भी कहा जाता । कसार, उ न और
बर श मशः कास, उऋण और श का य प । इस कार के
दस श को बोलचाल उपयोग होनेवाली भाषा/बोली से एक ए और क
खकर खाइए।
उ र-
बोलचाल भाषा च तश व इनका दी पांतर
लेख से
1. न को माँ मानने परंपरा हमा यहाँ का पुरानी । ले न लेखक
नागा न उ और न खते ?
2. धु और पु शेषताएँ बताई गई ?
टि
की
है
है
दि
में
श्रे
कि
यों
दि
दे
की
क्या
यों
हि
मि
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ट्टी
में
द्र
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श्न
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रे
क्यों
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ग्य
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क्यों
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में
हि
पि
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ड़ी
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है
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दि
की
है
प्र
जि
है
की
है
उ र– यं पु कालय सहायता से क ।
उ र- यं पु कालय सहायता से क ।
उ र- 1947 से लेकर आजतक मालय से न याँ उसी कार बह रही जैसे पहले बहा
करती थी, ले न अब मालय से कलने वाली न का जल षण का कार हो
चु । अभी के समय तेजी से बढ़ती जनसं के कारण न के जल गुणव
भी भारी कमी आई । सभी जग पर लगातार षण ब ता जा रहा । जगह-जगह
बाँध बनाने के कारण जल- वाह कमी हो गई जो मानव के त के ये सही न
। गंगा जल प ता समा हो रही ।
द्या
हि
द्या
दे
र्थी
दि
की
र्थी
हि
ड़ि
कि
की
यों
जि
स्व
स्व
यों
की
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स्कृ
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वि
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त्र
स्त
स्त
है
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में
शि
त्रा
में
हैं
प्र
क्ष
में
में
चि
प्त
की
लि
की
की
में
हि
में
हों
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टि
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यों
छि
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रें
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यों
र्ण
हि
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हि
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हि
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यों
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हि
प्र
है
नि
है
दू
हैं
र्व
हैं
तों
की
है
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की
की
है
शि
में
त्मा
दि
वि
र्फ
दि
क्यों
ढ़ि
यों
त्ता
हीं
उ र- मालय प त पर ही वताओं का वास माना जाता । दातर ऋ -मु ने
यहाँ तप और वरदान भी पाए इस ए का दास ने मालय को वा कहा
।
अनुमान और क ना
1. लेखक ने मालय से कलनेवाली न को ममता भरी आँ से खते ए
उ मालय बे याँ कहा । आप उ कहना चा गे? न सुर के
ए कौन-कौन से का हो र ? जानकारी क और अपना सुझाव ।
2. न से होनेवाले ला के षय च ए और इस षय पर बीस
पं का एक बंध ए।
यों
यों
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दू
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में
क्या
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फि
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प्त
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नि
दि
हैं
यों
र्चा
यों
है
है
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हें
चि
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ड़ों
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क्यों
हों
जि
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हें
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दू
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की
यों
दि
दि
यों
में
क्षा
यों
यों
खों
वि
की
की
दें
में
षि
दे
लि
गि
तों
दे
द्ग
त्मा
में
नि
की
क्षा
प्र
यों
स्थ
लि
हु
की
नों
रे
रे
करती । ये न याँ लो सन बुझाती ब न याँ धरती को उपजाऊ
भी बनाती । लो के आवागमन का साधन भी । इन पर बाँध बनाकर जली उ
जाती । हमा दातर ती ल भी न के ना ही बसे इसी कारण न याँ
पूजनीय भी । न से ह धरती तु उपजाऊ पदा होते । ये व को चती
। व लाने सहायक होती । अन नत जीव इन न का जल पीकर जीवन पाते
।न के ना गाँ का बसेरा पाया जाता । गाँव के लोग अपनी छोटी-ब सभी
आव कताएँ जैसे चाई करने, पानी पीने, कप धोने, नहाने, जानव तु न का
जल ही योग करते ।हम यह कह सकते न याँ ही हमारी सं पहचान ।
इ तन करना चा ए हमारा जीवन इ पर र ।
भाषा बात
1. अपनी बात कहते ए लेखक ने अनेक समानताएँ त । ऐसी तुलना से
अ अ क एवं सुंदर बन जाता । उदाहरण-
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी गोद तरह उन धारा ब याँ लगाया
करता।
यों
की
प्र
ठों
दू
गों
न्य
है
हि
है
हैं
हीं
स्प
हु
हि
कि
में
दि
रों
ष्ट
ठों
चों
दि
गों
रे
की
की
रे
यों
ज्या
हुँ
सि
हैं
र्फ
में
वों
हि
ति
ति
में
हु
गों
क्यों
लि
खि
त्म
प्र
हैं
र्थ
खि
की
कि
स्थ
प्या
हे
प्र
है
की
गि
ज़
है
थीं
हीं
दि
नि
नि
कि
यों
स्व
की
हैं
है
ड़े
दि
न्हीं
ढ़
र्थ
कि
है
प्रा
दि
रे
प्त
क्षा
यों
ल्कि
नि
प्र
की
है
स्तु
र्भ
में
है
दि
हैं
की
स्कृ
नों
हैं
में
हैं
ति
में
रों
डु
की
हे
बि
नों
कि
दि
ड़ी
सीं
यों
दि
त्प
हैं
न्न
• इ खकर तो ऐसा लग रहा मानो ब त-सी छोटी-छोटी बालूशाही रख दी गई
हो।
की
हि
मि
दे
दि
ल्ला
हैं
यों
प्या
हि
की
नि
पि
वि
र्जी
मि
लि
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वि
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प्रे
में
स्तु
क्षा
ति
में
र्ष
प्र
में
मैं
च्चि
न्य
द्र
हि
वि
दि
खि
में
यों
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ष्य
वि
है
खि
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ढूँ
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ढ़ि
खि
ज्ञा
नों
हु
दे
मि
ढ़ा
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प्त
में
है
नि
दों
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र्जी
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जि
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है
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स्तु
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प्रा
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प्त
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हीं
वि
थीं
हैं
प्र
प्र
कि
है
जि
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है
र्थ
है
न्हें
में
ब्द
र्ण
में
क्र
उ र-
छोटी – ब
भाव – भंगी
माँ – बाप
उ र- राज-जरा ( भाववाचक सं )
राम-मरा ( भाववाचक सं )
राही-हीरा ( वाचक सं )
नव-वन ( जा वाचक सं )
नमी-मीन ( जा वाचक सं )
सतलुज रोप
झेलम नाब
प्र
प्र
त्त
त्त
श्न
श्न
मों
ज्ञा
ड़ी
ब्द
द्र
ति
व्य
न्य
ति
लि
रू
खि
लि
लि
जि
ज्ञा
ज्ञा
ज्ञा
खि
लि
खि
ज्ञा
चि
ड़
दू
ज्ञा
रू
लि
है
त्र
ब्द
है
जि
है
र्थ
ब्द
हैं
दि
र्थ
ज्ञा
है
ब्दों
रू
प्र
त्ये
में
ढूँ
ब्द
ढ़
हैं
अजमेर बनारस
पाशा त
पपुर शत म
अजयमे वाराणसी
उ र-
सतलुज – शत म
रोप – पपुर
झेलम – त
नाब – पाशा
अजमेर – अजयमे
बनारस – वाराणसी
त्त
च्चि
श्न
र्यु
ड़
क्त
त्म
रु
क्ति
र्थ
में
दे
हैं
है
में
वि
रू
वि
वि
प्र
स्ता
द्रु
स्ता
लि
द्रु
रु
में
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की
ध्या
क्य
जि
में
कि
ढ़े
हि
की
क्य
में
• इसी कार नकारा क वाचक वा कई बार ‘न ’ के अ इ माल न
होते , जैसे-महा गांधी को कौन न जानता? दो कार के वा के
समान तीन-तीन उदाहरण सो ए और इस से उनका षण ए।
उ र-
वा षण
रो त शायद ही उधर खेल रहा हो। रो त शायद उधर न खेल रहा हो।
हैं
रें
द्र
म्ब
णों
णों
दु
गि
गि
दु
में
त्म
त्मा
ब्रे
में
हीं
ब्रे
प्र
श्न
रि
रि
म्ब
मि
मि
चि
चि
चि
है
हीं
क्य
हीं
दृ
ष्टि
हीं
नों
वि
श्ले
प्र
र्थ
में
की
स्ते
जि
क्यों
हीं
4 कठपुतली
पा पु क के -अ स
क ता से
1.
कठपुतली को गु आया?
उ र-
कठपुतली को गु इस ए आया उसे स व स के इशा पर नाचना प ता
और वह लंबे अ से धागे बँधी । वह अपने पाँ पर ख होकर आ र बनना
चाहती । धागे बँधना उसे पराधीनता लगता , इसी ए उसे गु आता ।
2.
कठपुतली को अपने पाँ पर ख होने इ , ले न वह न ख होती?
[Imp.]
उ र
कठपुतली तं होकर अपने पाँ पर ख होना चाहती ले नख न होती
जब उस पर सभी कठपुत तं ता दारी आती तो वह डर
जाती । उसे ऐसा लगता क उसका उठाया गया कदम सबको मु ल न
डाल ।
3.
पहली कठपुतली बात सरी कठपुत को अ ल ?
उ र-
पहली कठपुतली बात सरी कठपुत को ब त अ लगी, वे भी
तं होना चाहती और अपनी पाँव । पर ख होना चाहती थी। अपने मनम के
अनुसार चलना चाहती । पराधीन रहना सी को पसंद न । यही कारण था वह
पहली कठपुतली बात से सहमत थी।
प्र
है
प्र
क्यों
प्र
स्व
त्त
त्त
त्त
श्न
श्न
श्न
वि
ठ्य
कि
त्र
दे
है
है
स्त
स्व
त्र
में
स्सा
स्सा
प्र
की
की
की
र्से
श्न
थीं
क्यों
थीं
वों
भ्या
लि
है
दू
दू
में
कि
ड़ी
वों
लि
हीं
यों
है
क्यों
की
लि
लि
की
कि
ड़ी
कि
यों
यों
स्व
च्छा
है
त्र
ड़ी
क्यों
है
दै
हु
वों
की
लि
कि
दू
जि
च्छी
च्छी
है
रों
म्मे
हीं
ड़ी
कि
गीं
क्यों
स्सा
रों
क्यों
ड़ी
हीं
श्कि
कि
है
त्म
हीं
नि
ड़ी
है
र्भ
र्जी
में
कि
ड़
4.
पहली कठपुतली ने यं कहा -‘ये धागे / मे पी -आगे? / इ तो दो; /
मुझे मे पाँ पर छो दो।’ -तो र वह त ई -‘ये कैसी इ / मे मन
जगी ?’ नीचे ए वा सहायता से अपने चार ए
क ता से आगे
1.
‘ब त न ए / ह अपने मन के छं द ए।’-इस पं का अ और हो सकता ?
नीचे ए ए वा सहायता से सो ए और अ ए-
(क)ब त न हो गए, मन कोई उमंग न आई।
(ख) ब त न हो गए, मन के भीतर क ता-सी कोई बात न उठी, स छं द हो, लय
हो।
(ग) ब त न हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन न आ।
चिं
चिं
चिं
प्र
प्र
त्त
श्न
श्न
वि
हु
मि
स्व
दि
दू
हु
हु
दि
रे
हु
घ्र
लि
त्र
हु
स्व
दि
दि
दि
हु
वों
क्यों
दू
वि
की
दि
ति
त्र
दू
द्रो
क्यों
कि
रों
लि
में
च्छा
स्व
ड़
क्यों
यों
की
की
लि
की
की
स्व
दि
लि
की
में
रे
जि
यों
त्र
म्र
त्व
म्मे
कि
की
फि
में
जि
वि
च्छा
म्मे
द्रो
वि
छु
चि
वि
हीं
में
ति
क्यों
स्व
लि
हीं
घ्र
वि
में
दु
क्यों
हु
हैं
त्र
क्ति
कि
र्थ
स्व
हु
रे
लि
व्य
क्त
खि
कि
त्र
छे
हु
हीं
र्थ
की
हैं
जि
की
गों
जि
कि
क्या
लि
कि
में
न्हें
च्छा
में
कि
ड़
ग्र
रे
हु
है
में
में
(घ) ब त न हो गए, मन का ख र न आ और न मन खुशी आई।
उ र
ब त न ए ह अपने मन के छं द ए’ इसका यह अ ब त न हो गए मन का
ख रन आ और न मन खुशी आई अ त् कठपुत याँ परतं ता से अ क
खी । उ ऐसा लगता जैसे वे अपने मन चाह को जान ही न पा । पहली
कठपुतली के कहने से उनके मन आजादी उमंग जागी।
2.
नीचे दो तं ता आं दोल के व ए गए । इन दो आं दोल के दो-दो तं ता
सेना के नाम ए
(क) सन् 1857 ____ ____
(ख) सन् 1942 ____ ____
उ र-
(क) 1857 – 1. महारानी ल बाई, 2. मंगल पां
(ख) 1942 – 1. महा गांधी, 2. जवाहर लाल नेह
अनुमान और क ना
1.
तं होने ल ई कठपुत याँ कैसे ल गी और तं होने के बाद वलंबी
होने के ए - य ए गे? य उ र से धागे बाँधकर नचाने के
यास ए गे तब उ ने अपनी र स तरह के उपा से होगी?
उ र-
तं होने के ए कठपुत याँ ल ई आपस लकर ल गी, सब
प शानी एक जैसी थी और सबको एक जैसे धा से तं ता चा ए थी। पहले सभी
कठपुत से चार- म या होगा। तं होने के बाद वलंबी बनने के ए
उ ने का संघ या होगा। अपने पाँव पर ख होने के एब तप म या
होगा। रहने, खाने, पीने, जीवन-यापन अ आव कताओं को पूरा करने के ए
न-रात एक या होगा।
प्र
प्र
स्व
प्र
स्व
दि
त्त
त्त
त्त
न्हों
दु
दु
रे
हु
श्न
श्न
नि
त्र
त्र
हैं
दि
दू
हु
यों
हु
लि
लि
स्व
हीं
फ़ी
यों
दि
हु
न्हें
हों
की
त्र
हु
क्या
कि
लि
ल्प
में
वि
ड़ा
र्ष
लि
क्या
कि
खि
न्हों
त्मा
प्र
वि
नों
है
त्न
लि
र्श
क्ष्मी
में
लि
कि
कि
दु
र्ष
में
क्षा
दि
हों
ड़ा
दू
छु
की
कि
हीं
ड़ी
दि
हु
हैं
स्व
न्य
की
र्था
की
हों
गों
में
न्हें
त्र
मि
ड़े
डे
फि
श्य
रू
स्व
नों
र्थ
यों
स्व
है
लि
त्र
कि
में
लि
त्र
ड़ी
की
स्वा
में
हों
नों
हु
हि
हु
हीं
त्र
दि
क्यों
रि
तीं
कि
श्र
स्वा
स्व
त्य
कि
धि
लि
त्र
की
लि
य र भी उ धागे बाँधकर नचाने का यास या गया होगा तो उ ने एकजुट
होकर इसका रोध या होगा गुलामी सा सुख होने के बावजूद आजाद
रहना ही सबको अ लगता । उ ने सामू क यास से ही श ओं हर चाल को
नाकाम या होगा। इस तरह उ ने अपनी आजादी कायम रखी होगी।
भाषा बात
1.
कई बार जब दो श आपस जु ते तो उनके मूल प प व न हो जाता ।
कठपुतली श भी इस कार का सामा प व न आ । जब काठ और पुतली
दो श एक साथ ए कठपुतली श बन गया और इससे बोलने सरलता आ गई।
इस कार के कुछ श बनाइए जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफो
उ र-
1.
र का पहला नाम था?
उ र:
र का पहला नाम ध व था।
2.
सूरसेन कौन थे?
उ र:
सूरसेन य वंश के लोक य राजा और कृ के तामह थे।
3.
पृथा स बेटी थी?
उ र:
पृथा य वंश के राजा सूरसेन पु थी।
4.
ध व का ज स कोख से आ था?
उ र:
ध व का ज वी रानी अंबा का दासी कोख से आ था।
5.
क का पालन-पोषण सने या था?
उ र:
क का लालन-पालन अ रथ नाम के सारथी ने या था।
प्र
वि
वि
प्र
प्र
प्र
प्र
त्त
त्त
त्त
त्त
त्त
श्न
श्न
श्न
श्न
श्न
र्म
र्म
र्ण
र्ण
दे
दे
दु
दु
कि
दु
की
दु
न्म
न्म
प्र
कि
वि
सि
चि
द्ध
क्या
की
त्र
र्म
कि
प्रि
दे
धि
र्य
की
कि
हु
की
श्री
लि
त्री
ष्ण
की
कि
पि
की
हु
6.
पृथा का नाम कुंती कैसे प ?
उ र:
पृथा के ता सूरसेन ने अपने फूफे भाई कुं भोज को वचन या था अपनी पहली
संतान उसे गोद गा। जब कुं भोज ने पृथा को गोद या तब उ ने पृथा का नाम
प व त कर कुंती रख या। इस कार पृथा का नाम कुंती हो गया।
7.
धृतरा ने र को बनाया?
उ र:
धृतरा ने र को अपना धानमं बनाया।
8.
पां के प का नाम बताएँ ।
उ र:
पां दो प याँ – कुंती व मा ।
9.
पां को शाप ला?
उ र:
जंगल रण का प धारण कर दो ऋ दंप चरण कर र थे। जाने-अनजाने
कार खेलते ए पां के तीर उन दंप से एक को जा लगी, ससे उन से एक
मृ हो गई। ऋ ने मरते-मरते पां को शाप या था।
10.
पां मृ कैसे ई ?
उ र:
वसंत ऋतु पां अपनी प मा के साथ वन- हार कर र थे। ऋतु मादकता
प्र
प्र
प्र
प्र
शि
की
प्र
त्त
त्त
त्त
त्त
त्त
रि
श्न
श्न
श्न
श्न
श्न
डु
डु
डु
डु
की
की
र्ति
ष्ट्र
ष्ट्र
त्यु
में
पि
हि
त्नि
त्यु
में
वि
वि
यों
त्नि
क्यों
हु
दु
दु
दे
डु
हु
मि
रू
षि
थीं
क्या
डु
दि
ड़ा
त्नी
प्र
ति
द्री
रे
त्री
प्र
द्री
ति
डु
षि
में
ति
ति
वि
वि
दि
लि
दि
हे
हे
न्हों
जि
कि
की
में
में
और प सुंदरता को खकर आक त हो गए। उन वासना भावना जगी। वे
शाप को भूल गए। मा के समीप आते ही उन मृ हो गई।
दी उ रीय
1.
र का सं जीवन प चय दी ए।
उ र:
वी प अंबा का दासी कोख से ध व का ज आ। यही
बालक ब होकर र के नाम से आ। र को ध -शा और राजनी का
का न था। उ धन आता था। उनके वेक और न के कारण ही उ बाद
रा का धानमं बनाया गया था।
2.
मु सा कुंती से स थे? उ ने स होकर उसे वरदान या?
उ र:
कुंती ने मु सा एक व तक ब लगन के साथ सेवा थी। उन सेवा
भावना से खुश होकर उ ने उसे वरदान या जब तुम सी भी वता का न
करोगी, तो वह अपने समान तेज पु दान क गा।
3.
मा प के साथ सती हो गई?
उ र:
मा प के साथ सती इस ए हो गई वह यं को प मृ का कारण
मानती थी, इस ए वह प के साथ सती हो गई।
4.
कुंती ने प मृ के बाद या?
उ र:
प्र
वि
वि
में
प्र
प्र
प्र
त्त
त्त
त्त
त्त
नि
श्न
श्न
श्न
श्न
र्घ
चि
द्री
द्री
फ़ी
दु
ज्य
त्र
दुर्वा
त्त
त्नी
ज्ञा
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ति
र्य
ड़ा
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नि
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क्षि
प्र
की
प्र
दुर्वा
श्न
प्त
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त्नी
त्यु
न्हें
बि
त्री
की
क्यों
क्रो
द्री
दु
न्हों
क्यों
प्र
लि
ति
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लि
हीं
न्न
क्या
र्ष
स्वी
की
कि
जि
प्र
सि
न्हों
त्र
ड़ी
र्षि
द्ध
दि
क्यों
प्र
की
हु
प्र
कि
कि
की
न्न
वि
रे
वि
त्यु
स्व
दु
में
र्म
कि
दे
ज्ञा
क्या
र्म
की
ति
की
की
स्त्र
दे
न्म
त्यु
हु
दि
की
ध्या
न्हें
ति
कुंती अपने प मृ के बाद अपने पाँ पु के साथ ह नापुर चली गई और
अपने पु को भी तामह को प या।
5.
पां मृ का स वती पर भाव प ?
उ र:
पां मृ खबर सुनकर स वती अपनी धवा पु वधुओ ं को लेकर वन चली
गई और कुछ न बाद इन ती धवाओं मृ हो गई।
वाह यो होने पर कुंती ने यंवर पां का वरण या। इस कार पां का सरा
वाह म राज क मा से आ। एक न महाराज पां वन कार खेलने
गए। वहाँ एक ऋ द रण के प चरण कर र थे। पां उस न मा के
साथ वहाँ कृ का आनंद ले र थे। उ इस बात का पता न था रण जो
ऋ ।उ ने रण को मार राया। मरते-मरते ऋ ने शाप या तुम भी जब
अपनी प के साथ हार करोगे तो तु री मृ हो जाएगी।
निं
प्र
दि
वि
वि
त्त
श्न
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स्त्र
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कि
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त्रों
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द्र
यों
ग्य
र्य
प्र
षि
त्यु
त्यु
न्हों
र्व
ति
में
ड़ी
वि
ति
जि
की
दि
त्र
ति
की
श्रे
हि
की
षि
ष्ठ
ष्म
हि
र्ण
दे
त्य
पि
वि
नि
न्या
त्यु
म्प
न्म
र्ण
स्सं
की
ति
हि
द्री
षि
स्व
नों
ध्या
क्या
गि
में
क्षा
हे
वि
दुर्वा
त्य
सौं
हु
प्र
में
रू
दि
दि
म्हा
न्हें
चों
में
लि
की
रे
डु
ड़ा
वि
दि
लों
त्यु
त्रों
धि
वि
त्यु
षि
दि
षि
क्त
कि
प्र
त्र
हे
न्न
र्य
च्चे
स्ति
दे
हीं
डु
दे
हु
प्र
दि
में
स्वी
डु
ध्या
कि
की
शि
कि
हि
हु
दि
त्र
ज़
कि
प्र
न्म
डु
में
में
दि
द्री
ड़ी
दू
श :
पृ सं -10
ज जात – पैदा होते ही, उ होने के समय ही। त– , महसूर। लोक –
दा-समाज होने वाली बुराई। न र – । तान – सको संतान न हो।
था – परंपरा।
पृ सं -11
सलाह – राय, ह – शादी, दंप –प -प , – खी, लालसा – अ लाषा,
– व न, सुषमा द , सुंदरता, हारना – खना, असर – भाव, त ल–
तुरत
ं , छल – पंच-धोखा, संभवतः – शायद।
निं
प्र
ज़ि
ष्ठ
ष्ठ
ब्दा
न्म
क्र
र्थ
ख्या
ख्या
र्ण
में
प्र
ब्या
सौं
र्य
त्प
न्न
ति
ज़
नि
त्नी
दृ
ष्टि
ति
नि
दे
खि
स्सं
वि
न्न
ख्या
दु
जि
प्र
सि
प्र
द्ध
त्का
भि
CBSE Class 7 Hindi Grammar सं
सश के रा सी ,व , न अथवा भाव के नाम का बोध हो, उसे
सं कहते ।
सं के भेद
मु प से सं के तीन भेद माने जाते - पर कुछ न इसके दो भेद और मानते ।
इस तरह इनके पाँच भेद होते ।
1. वाचक
2. जा वाचक
3. भाववाचक
4. समूहवाचक
5. वाचक
1. वाचक सं – सी शेष णी, व या न के नाम को वाचक
सं कहते ; जैस-े आगरा, रामच मानस, राम, गांधी इ ।
2. जा वाचक सं – स सं श से पूरी जा , व या समुदाय का बोध
होता , उसे जा वाचक सं कहते ; जैसे नदी, सेना, अ पक, सान,
सागर, झरना आ ।
3. भाववाचक सं – स भाव, गुण, अव या या के पार का बोध
कराने वाले श भाववाचक सं कहलाते ;
जैसे- ठास, थकान, क वापन, बु पा, गरीबी, सजावट, शीतलता आ । दी
भाषा अं जी के भाव से सं के दो और भेद कृत कर ए गए । ये
• वाचक
• समूहवाचक सं
4. वाचक सं – न सं श से सी या पदा का बोध होता , उ
वाचक सं कहते ; जैसे- ध, पानी, चाँदी, तेल, चावल।
हिं
जि
व्य
द्र
व्य
द्र
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व्य
व्य
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ख्य
ज्ञा
ज्ञा
ज्ञा
क्ति
क्ति
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मि
रू
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ब्द
ग्रे
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ज्ञा
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द्वा
ज्ञा
ज्ञा
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ज्ञा
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ज्ञा
ज्ञा
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प्र
कि
कि
कि
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ड़
व्य
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क्ति
वि
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ज्ञा
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स्तु
त्र
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ब्द
स्था
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कि
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स्था
स्तु
स्वी
द्र
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ति
स्था
क्रि
वि
द्वा
र्ग
ध्या
त्या
व्या
लि
र्थ
दि
कि
व्य
हैं
दि
क्ति
हैं
ज्ञा
है
न्हें
हैं
5. समूहवाचक सं – न सं श से एक ही जा के के समूह का
बोध होता , उ समूहवाचक सं कहते ; जैसे- मेला, सभा, सेना, भी , ड, रोह
आ ।
भाववाचक सं बनाना
भाववाचक सं एँ जा वाचक सं , स नाम, शेषण, या तथा अ य श से
बनती । भाववाचक सं बनाते समय श के अंत यः पन, , ता आ श
का योग या जाता ।
ब क
1. सं कहते
(i) व न के नाम को
(ii) णीवाचक व अ णीवाचक को
(iii) शेष , न या व के नाम को ।
(iv) सी णी, व , न, भाव या गुण के नाम को
2. सं के भेद होते
(i) दो
हु
दि
वि
व्य
प्र
प्रा
वि
कि
ज्ञा
ज्ञा
क्ति
हैं
ल्पी
कि
है
प्रा
व्य
प्र
स्था
ज्ञा
ज्ञा
श्न
क्ति
हैं
न्हें
ज्ञा
स्था
स्तु
हैं
प्रा
ति
है
ज्ञा
जि
स्था
ज्ञा
स्तु
ज्ञा
ज्ञा
ब्दों
र्व
ब्दों
हैं
वि
में
ति
प्रा
क्रि
व्य
क्ति
त्व
यों
व्य
ड़
झुं
दि
ब्दों
गि
ब्दों
(ii) तीन
(iii) चार
(iv) पाँच
4. सं के कारक प ?
(i) ग, वचन, कारक।
(ii) ग, वचन, काल
(iii) ग, वचन, या
(iv) ग, वचन, क
उ र
1. (iv)
2. (iv)
3. (iii)
4. (ii)
5. (ii)
6. (iv)
7. (ii)
8. (ii)
हिं
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त्त
की
ब्द
की
की
ज्ञा
ज्ञा
है
CBSE Class 7 Hindi Grammar ग
जो श सं कार या प व न लाते , वे कारी त कहलाते । ग, वचन
तथा कारक के कारण सं का प बदल जाता ।
श के स प से या पु ष जा का बोध हो, वह ग कहलाता ।
तथा पु ष जा का बोध कराने के आधार पर ग के दो भेद -
1. पु ग
2. ग
1. पु ग – पु ष जा को बोध कराने वाले श पु ग कहलाते ; जैसे- ता,
नौकर, घो , शन, अखबार, पे आ ।
2. ग– जा का बोध कराने वाले श ग कहलाते ; जैस-े माँ,
सेठानी, घो , या, मेज, कुरसी, च च, ल , शेरनी, टोकरी आ ।
पु गश पहचान
के नाम
मही के नाम
पहा के नाम
पे के नाम (इमली को छो कर)
के नाम (पृ को छो कर)
के नाम
समु के नाम
कुछ अ नाम
-ता के नाम, धातुओ ं के नाम, शरीर अंग, भाववाचक सं , आकारांत श ।
गश पहचान
जो नाम ग होते , वे इस कार -भाषा के नाम, न के नाम, के नाम
कोमल भा के नाम (दया, क णा, ममता), श सूचक नाम (पु स, सेना, स ),
बो के नाम, के नाम ( वनागरी, फारसी)।
कुछ श स व ग रहते ; जैसे-म , कोयल, मछली, पकली आ ।
पु ग य ग
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ज्ञा
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यों
दि
ब्द
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ति
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पु ई
ल का ई
नर ई
कटोरा ई
बेटा ई
सुत आ पु
छा आ ल
आचा आ
खाट ईया
बंदर ईया
चूहा ईया
बू ईया
पु ग ग
पं त पं ताइन
ठाकुर ठकुराइन
चौधरी चौधराइन
चौबे चौबाइन
कुछ स व अलग प
माता – ता
भाई – बहने
गाय – बैल
वर – वधू
ल्लिं
लिं
स्त्री
त्र
त्री
डि
डि
ढ़ा
ड़
ड़
त्र
की
र्य
दै
पि
रू
ससुर – सास
न– षी।
ब क
1. ग कारक त
(i) सं का
(ii) भाषा का
(iii) शेषण का
(iv) या का
इन से पु गश
(i) बकरी
(ii) गाय
(iii) स
(iv) शेर
4. बाबू का गश
(i) बाबूआनी
(ii) बबुआइन
(iii) बाबूनी
(iv) बनूआइन
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ल्लिं
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द्वा
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ल्पी
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वि
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स्त्री
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श्न
प्र
ब्द
त्व
हीं
है
ब्द
है
है
हैं
5. ‘शीशा’ और ‘प त’ श उदाहरण
(i) ग के
(ii) पु ग के
(iii) नपुंसक ग के
(iv) इन से कोई न
7. डॉ रश आता
(i) ग प
(ii) पु ग प
(iii) दो समान प
(iv) इन से कोई न
रा प श
(i) पु ग
(ii) ग
(iii) उभय ग
(iv) इन से कोई न
उ र-
1. (i)
2. (ii)
3. (iv)
4. (ii)
5. (ii)
ल्लिं
ल्लिं
ल्लिं
लिं
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लिं
लिं
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ल्लिं
त्त
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स्त्री
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चि
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पि
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ति
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ब्द
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रू
ब्द
है
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में
र्व
रू
हीं
हीं
हीं
है
में
ब्द
में
हैं
है
6. (iii)
7. (ii)
8. (iii)
CBSE Class 7 Hindi Grammar मुहाव
एवं
जो वा श अपने सामा अ को छो कर सी शेष अ को कट करता , वह
मुहावरा कहलाता ।
दी भाषा मुहाव का योग भाषा को सुंदर, भावशाली, सं तथा सरल बनाने
के ए या जाता । वे वा श होते । इनका योग करते समय इनका शा क
अ न लेकर शेष अ या जाता । ये ग, वचन और या के अनुसार वा
यु होते ।
लोको याँ
2. ‘रो अटकाना’ का अ
(i) प र कना
(ii) प र तो ना
(iii) बाधा डालना
(iv) स क बंद करना
3. हाथ मलना का अ
(i) शोक मनाना
(ii) ब त पछताना
(iii) भाग जाना
(iv) सरल काम
उ र-
1. (i)
2. (iii)
3. (ii)
4. (iii)
5. (i)
6. (iv)
7. (ii)
त्त
वि
च्छी
में
दे
रे
रे
रे
र्थ
र्थ
है
है
र्थ
लाको
ब क
4. एक पंथ दो काज
(i) एक रा पर दो स
(ii) दो लो का एक काम करने जाना
(iii) एक का से दो लाभ
(iv) इन से कोई न
हु
वि
स्व
चि
कि
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मि
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दु
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ल्पी
में
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दु
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क्ति
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क्या
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च्छी
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व्य
हि
र्थ
फ़
र्थ
है
हीं
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चि
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उ र-
1. (i)
2. (iii)
3. (iii)
4. (iii)
त्त